पेशावर की मस्जिद में बंब फटा 30 मरे 56 से अधिक घायल

पाकिस्तान के उत्तर पश्चिमी शहर पेशावर में जुमे की नमाज के दौरान एक मस्जिद में हुए बम विस्फोट में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई और 56 से अधिक घायल हो गए।  पुलिस अधिकारी मोहम्मद सज्जाद खान ने न्‍यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि किस्सा ख्वानी बाजार इलाके में जामिया मस्जिद में धमाका हुआ है। हम आपात स्थिति में हैं और घायलों को अस्पताल ले जाया जा रहा है। हम विस्फोट की प्रकृति की जांच कर रहे हैं, लेकिन यह एक आत्मघाती हमला लग रहा था।

डेमोर्तिक फ्रंट, नयी दिल्ली/ पाकिस्तान:

पाकिस्तान के पश्चिमोत्तर शहर पेशावर में एक मस्जिद में शुक्रवार की नमाज के दौरान हुए बम विस्फोट में 30 लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक लोग घायल हो गए। अधिकारियों ने इस संबंध में जानकारी दी। एक बचाव अधिकारी ने बताया कि विस्फोट किस्सा ख्वानी बाजार इलाके में स्थित जामिया मस्जिद में उस समय हुआ जब लोग जुमे की नमाज अदा कर रहे थे।

समाचार एजेंसी ने अधिकारियों के हवाले से बताया कि बम धमाका पेशावर के किस्सा ख्वानी बाजार (Qissa Khwani bazaar) इलाके में जामिया मस्जिद में उस समय हुआ जब नमाजी जुमे की नमाज अदा कर रहे थे। यह एक शिया मस्जिद है, जो काफी व्‍यस्‍ततम इलाके में मौजूद है। घटना के दौरान बड़ी संख्‍या में लोग मौजूद थे। फ‍िलहाल किसी भी संगठन ने हमले की जिम्‍मेदारी नहीं ली है।

पाकिस्‍तानी अखबर ‘डान’ की रिपोर्ट के मुताबिक, लेडी रीडिंग के मीडिया मैनेजर असीम खान ने कहा कि अब तक 30 शवों को अस्पताल लाया जा चुका है। हमले में जख्‍मी 10 लोगों की हालत बेहद नाजुक बताई जा रही है। इससे घायलों की संख्‍या के और बढ़ने की आशंका है। पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस अधिकारी पेशावर एजाज अहसान ने कहा कि दो हमलावरों ने मस्जिद में घुसने की कोशिश की।

पुलिस अधिकारी ने बताया कि हमलावरों ने मौके पर ड्यूटी कर रहे पुलिसकर्मियों पर गोलीबारी भी की। इस हमले में एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई, जबकि दूसरा गंभीर रूप से घायल हो गया है। फ‍ायर‍िंग की घटना के बाद यह बम धमाका हुआ। गौरतलब है कि अफगानिस्‍तान में तालिबान के आने के बाद पाकिस्‍तान में आतंकी हमले बढ़ गए हैं। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्‍तान (टीटीपी) ने इमरान खान सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

उल्‍लेखनीय है कि इस महीने की शुरुआत में हथियारों से लैस हमलावरों ने पाकिस्तान के अशांत दक्षिण-पश्चिमी बलूचिस्तान प्रांत में सुरक्षा बलों के दो शिविरों पर हमला कर दिया था। इस हमले में कई हताहत हुए थे। प्रतिबंधित बलूच लिबरेशन आर्मी ने पंजगुर और नौशकी जिलों में हुए इस हमले की जिम्मेदारी ली थी। हाल के दिनों में इस अलगाववादी संगठन ने भी अपने हमले बढ़ा दिए हैं।

शिक्षा में करोड़ों की घूस, जातिवाद का दंश; नवीन के पिता ने बताया आखिर क्यों बेटे को पढ़ने यूक्रेन भेजा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ज्ञानगौड़ा को फोन करके अपना शोक जताया। ज्ञानगौड़ा ने कहा कि मोदी ने उन्हें उनके बेटे का शव दो या तीन दिनों के भीतर स्वदेश लाने का आश्वासन दिया है। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि उनके बेटे को 10वीं में 96 प्रतिशत और 12वीं में 97 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए थे और उसने डॉक्टर बनने का सपना 10वीं कक्षा में देखा था। उन्होंने कहा, ‘शिक्षा प्रणाली और जातिवाद के कारण उसे सीट नहीं मिल सकी, जबकि वह मेधावी छात्र था। यहां एक मेडिकल सीट हासिल करने के लिए एक करोड़ से दो करोड़ रुपये तक की घूस देनी पड़ती है।

  • भारत में जाति के आधार पर बँटती हैं सीट: मृतक छात्र के पिता
  • एक टैलेंटेड बच्चा था जिसे सिर्फ यहाँ के सिस्टम की वजह से बाहर पढ़ने जाना पड़ा
  • प्राइवेट एड्यूकेशन इंस्टिट्यूट आपकी पहुँच से बाहर होते हैं।

नयी दिल्ली(ब्यूरो) डेमोक्रेटिक फ्रंट :

युद्धग्रस्त यूक्रेन में मारे गये भारतीय छात्र नवीन के पिता ने मंगलवार को दावा किया कि महंगी मेडिकल शिक्षा और जातिवाद कुछ ऐसे कारक हैं जिनकी वजह से भारतीय विद्यार्थी डॉक्टर बनने का ख्वाब पूरा करने के लिए यूक्रेन जैसे देशों का रुख करते हैं। शोक संतप्त शेखरप्पा ज्ञानगौड़ा ने कहा कि निजी नियंत्रण वाले कॉलेजों में भी मेडिकल की एक सीट पाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ते हैं और यही वजह है कि मेडिकल पेशा बहुत ही कठिन विकल्प है।’

नवीन के पिता शेखरप्पा ने कहा, “हमारे कुछ सपने थे जो अब बिखर गए हैं। मेरा बेटा जिसने प्री यूनिवर्सिटी कोर्ट में 97% मार्क्स पाए थे, एक टैलेंटेड बच्चा था जिसे सिर्फ यहाँ के सिस्टम की वजह से बाहर पढ़ने जाना पड़ा, जिसमें प्राइवेट एड्यूकेशन इंस्टिट्यूट आपकी पहुँच से बाहर होते हैं। मैंने पता किया था मुझे किसी भी मेडिकल कॉलेज में उसका एडमिशन करवाने के लिए 85 से 1 करोड़ देने थे। तब मैंने सोचा कि मैं अपने बेटे को यूक्रेन भेजूँगा। लेकिन वो तो मुझे और ज्यादा महंगा पड़ गया।”

नवीन के पिता ने मीडिया के माध्यम से सरकार से अपील की कि वो लोग इस मामले में देखें। वह कहते हैं, “डोनेशन आदि बहुत बेकार चीजें हैं। इसी के चलते इंटेलीजेंट बच्चे पढ़ने के लिए विदेश जाते हैं। यहाँ जगह पाने के लिए करोड़ों माँगे जाते हैं। ऐसे में विदेश में वही शिक्षा बल्कि अच्छी शिक्षा वो भी बढ़िया उपकरणों के साथ मिलती है। यहाँ भारत में सिर्फ जाति के आधार पर मिलती हैं सीटें। मेरे बेटे के 97 फीसद पीयूसी में आए थे।”

उन्होंने कहा, देश के शिक्षा तंत्र और जातिवाद के चलते इंटेलिजेंट बच्चें सीट नहीं पाते। वह कहते हैं, “मैं हमारे राजनैतिक तंत्र, शिक्षा तंत्र और जातिवाद के कारण उदास हूँ। सब कुछ निजी संस्थानों के हाथ में है।” उन्होंने अपना दर्द साझा करते हुए कहा कि उन्होंने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से पैसे लेकर नवीन को एबीबीएस पढ़ने यूक्रेन भेजा था। वहाँ वह अपने दोस्तों के साथ अपार्टमेंट में रहता था। जब से जंग शुरू हुई थी वह घर पर कम से कम 5-6 बार कॉल करता था और फ्लैट के नीचे बने बंकर में जाकर रहने लगा था।

नवीन के सीनियर अमित बताते हैं कि उन्होंने बंकर से मार्ट जाने के लिए करीब 6 बजे बंकर छोड़ा था।  7:58 पर उन्होंने एक दोस्त को कुछ पैसे भेजने के लिए मैसेज किया और 8:10 पर हमें खबर आई कि वो अब नहीं हैं। नवीन के सीनियर ने बताया कि वो सारे लोग बिना खाए-पिए 4 दिन से बंकर में रह रहे थे। नवीन के बड़े भाई हर्षा ने बताया कि उनके भाई का इस जून में आठवाँ सेमेस्टर था। उसके बाद वो इंटर्नशिप लेने वाला था। पर अब ये कल्पना करना भी मुश्किल है कि वो हमारे साथ नहीं है।

बता दें कि भारतीय छात्र की मृत्यु की खबर मंगलवार को सुबह आई थी। इसके बाद विदेश मंत्रालय की ओर से बयान जारी करके इस खबर की पुष्टि की गई। साथ ही विदेश मंत्रालय की ओर से नवीन के परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की गई थी। कुछ खबरों से पता चला था कि जिस समय नवीन पर गोली चलाई गई उस समय वह Lviv के स्टेशन जा रहे थे ताकि वहाँ से पश्चिमी सीमा पहुँच सकें। वहीं अब रिपोर्ट्स आई हैं कि नवीन खाना लेने बंकर से बाहर निकले थे।

पाकिस्तानी सरकार ने अपने छात्रों को अल्लाह के भरोसे छोड़ दिया है, तिरंगा उठाकर ‘भारत माता की जय’ बोलकर यूक्रेन से जान बचाकर भाग रहे पाकिस्तानी

वायरल वीडियो में पाकिस्तानी समाचार एंकर को एक व्यक्ति कह रहा है कि उनके मुल्क के छात्रों को यूक्रेन से जिंदा बच कर आने के लिए भारतीय झंडे का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। यह व्यक्ति आरोप लगा रहा है कि इमरान खान की सरकार अपने छात्रों की सलामती के लिए कोई कदम ही नहीं उठा रही। आरोप लगाते व्यक्ति को कहते सुना जा सकता है कि पाकिस्तानी सरकार ने अपने छात्रों को अल्लाह के भरोसे छोड़ दिया है। जबकि भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की है, जिन्होंने आश्वासन दिया कि भारतीयों को सुरक्षित रूप से यूक्रेन से बाहर निकलने की हरसंभव मदद करेंगे। इसके अलावा, पीएम मोदी ने यूक्रेन की सीमा से लगे देशों के प्रमुखों से भी बात की। सभी से आश्वासन लिया कि भारतीयों को बिना किसी समस्या के प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। इसी के बाद भारत सरकार ने यूक्रेन में फँसे भारतीय छात्रों को सुरक्षा के लिए अपने वाहनों पर राष्ट्रीय ध्वज लगाने की सलाह दी।

नयी दिल्ली(ब्यूरो), डेमोरेटिक फ्रंट :

एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें दावा किया गया है कि यूक्रेन में फँसे पाकिस्तानी छात्र जान बचाने के लिए तिरंगे का इस्तेमाल कर रहे। यूक्रेन में जो पाकिस्तानी छात्र-छात्राएँ पढ़ रहे हैं, उनको वापस अपने देश आने के लिए भारत के झंडे और ‘भारत माता की जय’ का सहारा लेना पड़ रहा है।

चौंकिए मत। इस्लाम में बुत-परस्ती हराम है लेकिन जान बचाने के लिए करना पड़ रहा होगा शायद! वो इसलिए क्योंकि रूस की सेना ने आश्वासन दिया है कि भारतीयों को नुकसान नहीं पहुँचाया जाएगा। इसलिए जो भी छात्र-छात्राओं का झुंड तिरंगे झंडे को इस्तेमाल करेगा, वो बच जाएगा। एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें ये सब दावा किया गया है।

हिंदुस्तान स्पेशल नाम का एक यूट्यूब चैनल है। इस पर भी 27 फरवरी को एक वीडियो शेयर किया गया था। इसमें भी एक व्यक्ति ने खुलासा किया कि कैसे यूक्रेन में पाकिस्तानी छात्रों ने भारतीय झंडा उठाया और सुरक्षित दूसरे देश में घुसने के लिए ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए।

आरोप लगाते व्यक्ति को कहते सुना जा सकता है कि पाकिस्तानी सरकार ने अपने छात्रों को अल्लाह के भरोसे छोड़ दिया है। जबकि भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की है, जिन्होंने आश्वासन दिया कि भारतीयों को सुरक्षित रूप से यूक्रेन से बाहर निकलने की हरसंभव मदद करेंगे। इसके अलावा, पीएम मोदी ने यूक्रेन की सीमा से लगे देशों के प्रमुखों से भी बात की। सभी से आश्वासन लिया कि भारतीयों को बिना किसी समस्या के प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। इसी के बाद भारत सरकार ने यूक्रेन में फँसे भारतीय छात्रों को सुरक्षा के लिए अपने वाहनों पर राष्ट्रीय ध्वज लगाने की सलाह दी।

इन सब के बीच, पाकिस्तानी सरकार यूक्रेन में फँसे अपने छात्रों की सुरक्षा के लिए कुछ नहीं कर रही है। यूट्यूब चैनल हिंदुस्तान स्पेशल के अनुसार, इन पाकिस्तानी छात्रों के पास वाहनों को किराए पर लेने, भारतीय झंडे को वाहनों पर चिपकाने और भारतीय होने का नाटक करते हुए ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा था।

“हमारी एकमात्र गलती यह है कि हम पाकिस्तानी हैं।”

यूक्रेन में फँसे एक पाकिस्तानी छात्र ने यह कहा। यूट्यूब चैनल हिंदुस्तान स्पेशल ने यूक्रेन में फँसे पाकिस्तानी छात्रों को भी दिखाया। इन छात्रों को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि वे बिना भोजन-पानी के वहाँ फँस गए हैं और पाकिस्तानी दूतावास से कोई भी उनके बचाव में नहीं आ रहा। एक छात्र पाकिस्तानी सरकार की आलोचना करते हुए कहता है, “दूतावास झूठ बोल रहा है कि उन्होंने सभी छात्रों को निकाल लिया है। सभी देश अपने लोगों को निकाल रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान को इसकी परवाह नहीं है।”

“भारतीय ध्वज को देखकर वहाँ के सैनिकों ने जो सम्मान दिया, वह हमारे लिए गर्व की बात है। हमें बिना किसी जाँच के जाने दिया जा रहा था। यह इशारा करता है कि भारत ने दुनिया भर में एक नाम बनाया है। मुझे भारतीय होने पर गर्व है।”

ए टू जेड नाम का एक और यूट्यूब चैनल है। 27 फरवरी को ही इस चैनल पर एक दूसरा वीडियो शेयर किया गया। इसमें एक भारतीय छात्र को यह कहते सुना जा सकता है कि कैसे उन्हें तीन देशों के माध्यम से सुरक्षित मार्ग प्रदान किया गया। वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्होंने भारतीय ध्वज चिपका रखा था। भारतीय छात्र के विपरीत एक पाकिस्तानी छात्रा ने क्या कहा, ये भी सुनिए उसी वीडियो में – “भारतीय हम से बेहतर हैं, हम पाकिस्तानी होने की कीमत चुका रहे हैं।”

यूक्रेन में फँसे भारतीयों को मिशन गंगा कार्यक्रम के तहत भारत सरकार द्वारा निकाला जा रहा है। यूक्रेन में फँसे भारतीयों की संख्या 16,000 से 20,000 के बीच बताई गई है। अब तक 907 भारतीयों को निकाला जा चुका है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, किरण रिजिजू और जनरल (रिटायर्ड) वीके सिंह को भारतीयों की मदद के लिए यूक्रेन के पड़ोसी देश भेजने का निर्णय लिया है। यह कदम इसलिए उठाया गया ताकि यूक्रेन के पड़ोसी देशों तक पहुँचने और वहाँ के बॉर्डर क्रॉस करने में भारतीयों को कोई परेशानी का सामना न करना पड़े।

यूक्रेन में बमबारी में एक भारतीय छात्र की मौत हुई है

यूक्रेन में बमबारी में एक भारतीय छात्र की मौत हुई है। विदेश मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की है। कर्नाटक के हावेरी के इस भारतीय स्‍टूडेंट नवीन शेखरप्‍पा की मौत उस समय हुई जब रूसी सैनिकों ने मंगलवार को एक सरकारी बिल्डिंग को विस्‍फोट कर उड़ा दिया।

नयी दिल्ली(ब्यूरो), डेमोरेटिक फ्रंट :

रूस-यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध में एक भारतीय छात्र की मौत हो गई है। विदेश मंत्रालय की ओर से इसकी पुष्टि की गई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि खारकीव में रूसी सेना की ओर से की गई गोलीबारी में भारतीय छात्र की मौत हो गई है। उन्होंने बताया कि, वह मृत छात्र के परिवार से संपर्क में हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो खारकीव में जिस छात्र की जान गई है, उसका नाम नवीन शेखरप्पा था। वह कर्नाटक के चलागेरी का रहने वाला था और फिलहाल यूक्रेन में पढ़ाई कर रहा था। उसकी उम्र 21 साल बताई गई है। 

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता आरिंदम बागची ने ट्वीट में कहा, “गहरे दुख के साथ हम पुष्टि करते हैं कि आज सुबह खार्किव में गोलाबारी में एक भारतीय छात्र की जान चली गई। मंत्रालय उनके परिवार के संपर्क में है। हम परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं।”

उन्होंने बताया कि वे लगातार रूस और यूक्रेन के राजदूतों से उन भारतीयों को सुरक्षित निकालने की माँग दोहरा रहे हैं जो अब भी खार्किव और अन्य संघर्ष क्षेत्रों में हैं। यही कार्रवाई रूस और यूक्रेन में भारतीय राजदूतों द्वारा भी की जा रही है।

बता दें कि बागची के ट्वीट छात्र का नाम नहीं बताया गया है। लेकिन न्यूज रिपोर्ट के अनुसार, मृतक छात्र की पहचान नवीन के तौर पर हई है। वह चौथे वर्ष के छात्र थे और भारत के कर्नाटक निवासी थे। कथिततौर पर रूसी सेना ने उन्हें सुपर मार्केट के सामने गोली मारी। एपीएन न्यूज के अनुसार, जिस समय नवीन पर गोली चलाई गई उस समय वह Lviv के स्टेशन जा रहे थे ताकि वहाँ से पश्चिमी सीमा पहुँच सकें।

नवीन को गोली लगने के बाद बाकी छात्र घबरा कर मदद की गुहार लगा रहे हैं। इस बीच, चेन्नई में नवीन के माता-पिता ने फँसे छात्रों को खार्किव से बाहर निकालने के लिए रूसी दूतावास की मदद माँगी है। उनका कहना है कि रूस खार्किव सीमा से सिर्फ 30 किमी दूर है।

उल्लेखनीय है भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी के लिए भारत सरकार ने प्रयास तेज किए हुए हैं। आज ही खबर आई है कि भारत सरकार ने इस मिशन पर एयरफोर्स को साथ आने को कहा है। इस फैसले का मकसद यही है कि सारे भारतीय सही सलामत अपने घर को लौट आएँ। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भारतीय वायु सेना आज से ऑपरेशन गंगा में कई सी -17 विमान तैनात कर सकती है।

रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच शिवसेना MP प्रियंका चतुर्वेदी का दावा, राजदूत ने कहा- फेक न्यूज न फैलाएँ

यह शिवसेना की ‘प्रियंका’ हैं। शिवसेना और पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे का पक्ष वह बड़ी दमदारी से रखती हैं। बुल्ली ऐप मामले में भी मुखर होकर आवाज उठाई, तो वह एक बार फिर चर्चा में आ गईं। हालिया शीतकालीन सत्र में उन्हें पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया, जिसका उन्होंने पुरजोर विरोध किया था। अपने निलंबन को लोकतंत्र की हत्या तक करार दिया था। इससे पहले शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के नेताओं आशीष शेलार और अतुल भटकलकर तथा एक गायक को कानूनी नोटिस भेजा है। चतुर्वेदी ने आरोप लगाया कि इन नेताओं तथा गायक ने विनायक दामोदर सावरकर को लेकर उनकी टिप्पणियों के बारे में ”झूठ फैलाया” ताकि उन्हें और उनकी पार्टी को बदनाम किया जा सके। और अब प्रियंका चतुर्वेदी के ट्वीट पर पोलैंड के राजदूत एडम बुरोकोवस्की का रिप्लाई आया। एडम ने दावा किया कि प्रियंका की बातों में सच्चाई नहीं है। पोलैंड की सरकार ने किसी को भी अपनी सीमा में आने से नहीं रोका है। प्रियंका को नसीहत देते हुए पोलैंड के राजदूत ने उन्हें उनके सूत्र चेक करने को कहे और अपील की कि वो ऐसे समय में झूठ फैलाने का काम न करें।वो ऐसे समय में झूठ फैलाने का काम न करें।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, नयी दिल्ली(ब्यूरो) :

यूक्रेन-रूस के बीच चल रही जंग के कारण भारत सरकार अपने सभी नागरिकों को यूक्रेन से जल्द से जल्द निकालने में प्रयासरत है। इस बीच शिवसेना की महिला नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने 28 फरवरी को ट्वीट करके दावा किया कि उन्हें मालूम चला है कि भारतीयों को पोलैंड की सीमा में घुसने नहीं दिया जा रहा है। वहीं पोलैंड राजदूत ने कहा है कि प्रियंका द्वारा किया गया दावा फर्जी है। पोलैंड की सरकार ने किसी भारतीय को वहाँ आने से नहीं रोका।

बता दें कि 28 फरवरी 2022 को देर रात प्रियंका ने अपने ट्विटर हैंडल पर इंडियन पोलैंड के ट्विटर को टैग करते हुए लिखा, “कई भारतीय छात्रों को पोलैंड में आने से मना कर दिया गया। जिन्हें कल बुलाया गया था उन्हें भी वापस भेज दिया गया। उन बच्चों के माता-पिता घबराए हुए हैं। ऑपरेशन गंगा, विदेश मंत्रालय आपके हस्तक्षेप की जरूरत है।”

प्रियंका के इस ट्वीट के कुछ देर बाद भारत में पोलैंड के राजदूत एडम बुरोकोवस्की (Adam Burakowski) का रिप्लाई आया। एडम ने दावा किया कि प्रियंका की बातों में सच्चाई नहीं है। पोलैंड की सरकार ने किसी को भी अपनी सीमा में आने से नहीं रोका है। प्रियंका को नसीहत देते हुए पोलैंड के राजदूत ने उन्हें उनके सूत्र चेक करने को कहे और अपील की कि वो ऐसे समय में झूठ फैलाने का काम न करें।

पोलैंड राजदूत के ट्वीट के बाद प्रियंका ने भी इस पर जवाब दिया। उन्होंने दावा किया कि जैसा पोलैंड के राजदूत कह रहे हैं उन्हें वैसा नहीं पता चला है। दुर्भाग्यवश उनकी बातों को फेक न्यूज बताया जा रहा है। उन्होंने कहा, “मुझे उन बच्चों का नंबर और नाम साझा करते हए खुशी होगी जो वहाँ फँसे हुए हैं। और, मैं इस चीज को सराहूँगी अगर आप फेक न्यूज का रोना छोड़कर उन बच्चों तक पहुँचने का प्रयास करेंगे।”

प्रियंका चतुर्वेदी के दावे के बाद पोलैंड राजदूत ने फिर बताया कि वो इस बात को लेकर आश्वास्त हैं कि ऐसा नहीं हुआ है। लेकिन अगर वो कह रही हैं तो उन बच्चों की लिस्ट ट्विटर पर न देकर इंडियन पोलैंड को भेजें जो इस मामले में कॉर्डिनेट कर रहे हैं और इस मामले में मदद कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि वो लोग लगातार पोलैंड में भारतीयों से संपर्क में हैं।

बता दें कि यूक्रेन से भारतीयों को पोलैंड के जरिए निकालने के संबंध में प्रियंका ने तब ऐसे दावे किए हैं जब एक दिन पूर्व ही (27 फरवरी) भारतीय दूतावास से भी इसी मामले में नोटिस जारी किया गया था। नोटिस में साफ लिखा था कि शेहनी पर 10 बसें सीमा पर तैनात की गई हैं। ये बसें 28 फरवरी से ऑपरेट होंगीं और अन्य चेक प्वाइंट ktakowiec और Budomierz तक जाएँगी। इसके बाद रहने का इंतजाम पोलैंड की Rszeszow एबेंसी में किया जाएगा। इससे शेहनी में भीड़ कम होगी और भारतीयों को ठंड से थोड़ा ठीक माहौल मिलेगा। ये मालूम रहे कि ये बस केवल उनके लिए जो शेहनी सीमा पर हैं न कि उनके लिए जो Lviv और आसपास शहरों में हैं। वहाँ रहने वाले लोगों से अपील है कि वो वहीं रुके जब शेहनी सीमा की भीड़ कम नहीं होती। ये सुविधा भारतीय सरकार भारतीयों को मुफ्त में देगी। Adam Brakowsi

एंबेसी द्वारा 27 फरवरी को जारी बयान में कुछ नंबर देते हुए भारतीयों को कहा गया है कि वो बसों में सीट पाने के लिए इन नंबरों पर कॉल करें। अगर किसी कारण से उन्हें सीट नहीं मिलती तो वो घबराए नहीं। ये पूरा ऑपरेशन तब तक चलेगा जब तक कि हर कोई सुरक्षित नहीं आ जाता। दूतावास की ओर से हर यूक्रेन में रहने वाली भारतीय से सहयोग की अपील की गई ताकि उन्हें बाहर निकाला जा सके।

इस बयान को नजरअंदाज करते हुए और पोलैंड राजदूत के रिप्लाई से आहत शिवसेना नेत्री प्रियंका अपने ही ट्वीट के थ्रेड में एडम पर भड़क गईं। उन्होंने ट्विटर यूजर्स के खुद के ऊपर से फेक न्यूज पेडलर का टैग हटाने के लिए सफाई दी और कहा कि उन्हें बेवजह फेकन्यूज फैलाने वाली कहा गया है जबकि हकीकत में उन्होंने इस बारे में एडम से पूछा भी नहीं। प्रियंका ने लिखा, “तुमने मुझे फेक न्यूज फैलाने वाला कहा जबकि मैंने तुम्हें टैग तक नहीं किया। मैंने इंडियन पोलैंड को ही मदद के लिए बोला था और इसे फेक न्यूज कहने लगे। तुम्हारे आरोपों का आधार क्या है।”

ਪੰਜਾਬੀ ਸੰਗੀਤ ਅਤੇ ਕਵਿਤਾ ਦੇ ਸੁਪਰਸਟਾਰ ਯੂ.ਕੇ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਦੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਦੌਰੇ ‘ਤੇ

ਮੰਨੇ-ਪ੍ਰਮੰਨੇ ਭਾਰਤੀ ਗਾਇਕ, ਸੰਗੀਤਕਾਰ, ਅਭਿਨੇਤਾ ਅਤੇ ਕਵੀ ਸਰਤਿੰਦਰ ਸਰਤਾਜ ਨੇ ਬਰਮਿੰਘਮ ਸਿਟੀ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਦਾ ਦੌਰਾ ਕੀਤਾ ਅਤੇ ਬ੍ਰਿਟੇਨ ਦੇ ਮਿਲਣ ਵਾਲੇ ਦੌਰੇ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਸਟਾਫ ਅਤੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨਾਲ ਗੱਲਬਾਤ ਕੀਤੀ।

ਅੰਤਰਿਮ ਪ੍ਰਿੰਸੀਪਲ ਡਾ ਸ਼ਰਲੀ ਥੌਮਸਨ ਦੇ ਨਾਲ £57m ਦੇ ਅਤਿ-ਆਧੁਨਿਕ ਰਾਇਲ ਬਰਮਿੰਘਮ ਕੰਜ਼ਰਵੇਟੋਇਰ ਦੇ ਦੌਰੇ ਤੋਂ ਬਾਅਦ, ਸੂਫ਼ੀ ਸੁਪਰਸਟਾਰ ਨੇ ਕੰਜ਼ਰਵੇਟੋਇਰ ਅਤੇ ਸਕੂਲ ਆਫ਼ ਮੀਡੀਆ ਦੇ ਸਟਾਫ਼ ਅਤੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਅਤੇ ਰਾਜਨੀਤੀ, ਬੈਂਕਿੰਗ ਅਤੇ ਸੰਗੀਤ ਦੀ ਦੁਨੀਆ ਦੇ ਮਹਿਮਾਨਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਇੱਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਅਤੇ ਉੱਤਰ ਸੈਸ਼ਨ ਵਿੱਚ ਹਿੱਸਾ ਲਿਆ।

ਬ੍ਰਿਟ ਏਸ਼ੀਆ ਟੀਵੀ ਪੇਸ਼ਕਾਰ ਰਾਜ ਸ਼ੋਕਰ ਅਤੇ ਬਰਮਿੰਘਮ ਸਿਟੀ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਸੰਗੀਤ ਉਦਯੋਗ ਦੀ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਕੋਰੀਨ ਸਟੀਵਰਟ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਵਾਲੇ, ਸੈਸ਼ਨ ਵਿੱਚ ਸਰਤਾਜ ਦੇ ਨਵੀਨਤਮ ਸੰਗੀਤ ਵੀਡੀਓ ਦੀ ਸਕ੍ਰੀਨਿੰਗ ਵੀ ਦਿਖਾਈ ਗਈ।

ਸਤਿੰਦਰ ਸਰਤਾਜ ਦਾ ਨਵਾਂ ਗੀਤ *ਨਾਦਾਨ ਜੇਹੀ ਆਸ* ਦੇ ਨਾਲ ਰਿਲੀਜ਼ ਕੀਤਾ ਗਿਆ, ਇਹ 150 ਸਾਲਾਂ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਰਾਇਲ ਐਲਬਰਟ ਹਾਲ ਵਿੱਚ ਫਿਲਮਾਇਆ ਜਾਣ ਵਾਲਾ ਪਹਿਲਾ ਸੰਗੀਤ ਵੀਡੀਓ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼-ਭਾਰਤੀ ਮਾਡਲ ਅਤੇ ਵਿਟਿਲਿਗੋ ਜਾਗਰੂਕਤਾ ਪ੍ਰਚਾਰਕ ਜਸਰੂਪ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਪੇਸ਼ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।ਸ਼ੁੱਕਰਵਾਰ 25 ਫਰਵਰੀ ਨੂੰ ਇਹ ਰਿਲੀਜ਼ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਤੇ ਇਸ ਗੀਤ ਦੇ ਹੁਣ ਤੱਕ 1.5 ਮਿਲੀਅਨ ਤੋਂ ਵੱਧ ਵਿਊਜ਼ ਆ ਗਏ ਹਨ।

ਸਤਿੰਦਰ ਸਰਤਾਜ ਦਾ ਦੌਰਾ ਬਰਮਿੰਘਮ ਸਿਟੀ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਦੇ ਭਾਰਤ ਨਾਲ ਸੱਭਿਆਚਾਰਕ, ਵਪਾਰਕ, ਸਿਆਸੀ ਅਤੇ ਅਕਾਦਮਿਕ ਸਬੰਧਾਂ ਨੂੰ ਹੋਰ ਵਿਕਸਤ ਕਰਨ ਲਈ ਚੱਲ ਰਹੇ ਕੰਮ ਦਾ ਹਿੱਸਾ ਹੈ।
ਕੋਰੀਨ ਸਟੀਵਰਟ, ਜੋ ਬਰਮਿੰਘਮ ਸਕੂਲ ਆਫ਼ ਮੀਡੀਆ ਵਿੱਚ ਤਿੰਨ ਸਾਲਾਂ ਦੀ ਸੰਗੀਤ ਇੰਡਸਟਰੀ ਦੀ ਡਿਗਰੀ ਦੇ ਦੂਜੇ ਸਾਲ ਵਿੱਚ ਹੈ , ਉਸ ਨੇ ਕਿਹਾ, “ਸਤਿੰਦਰ ਸਰਤਾਜ ਨੂੰ ਮਿਲਣਾ ਇੱਕ ਅਸਲ ਅਤੇ ਪ੍ਰੇਰਨਾਦਾਇਕ ਅਨੁਭਵ ਸੀ। ਉਸਦੀ ਪ੍ਰਸਿੱਧੀ ਦੇ ਪੱਧਰ ‘ਤੇ ਕੋਈ ਵਿਅਕਤੀ ਮੇਰੇ ਸਵਾਲਾਂ ਦੇ ਜਵਾਬ ਦੇਣ ਵੇਲੇ ਇੰਨਾ ਨਿਮਰ ਅਤੇ ਦਿਆਲੂ ਸੀ ਕਿ ਮੈਨੂੰ ਬਹੁਤ ਆਰਾਮਦਾਇਕ ਮਹਿਸੂਸ ਹੋਇਆ ਕਿਉਂਕਿ ਇਹ ਮੇਰੀ ਪਹਿਲੀ ਵਿਅਕਤੀਗਤ ਇੰਟਰਵਿਊ ਸੀ।

ਸਤਿੰਦਰ ਸਰਤਾਜ ਦੁਆਰਾ ਮੇਰੇ ਸਵਾਲਾਂ ਦੇ ਡੂੰਘਾਈ ਨਾਲ ਦਿੱਤੇ ਜਵਾਬਾਂ ਨੇ ਸੱਚਮੁੱਚ ਮੈਨੂੰ ਉਸ ਨੂੰ ਸਮਝਣ ਵਿੱਚ ਮਦਦ ਕੀਤੀ ਅਤੇ ਉਹ ਇੱਕ ਸੰਗੀਤਕਾਰ ਵਜੋਂ ਕਿਵੇਂ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਹੈ, ਇਹ ਤੁਸੀਂ ਦੱਸ ਸਕਦੇ ਹੋ ਕਿ ਉਹ ਆਪਣੇ ਦੁਆਰਾ ਬਣਾਏ ਗਏ ਗੀਤਾਂ ਅਤੇ ਕਵਿਤਾਵਾਂ ਵਿਚ ਸੱਚਮੁੱਚ ਰੂਹਾਨੀਅਤ ਭਰੇ ਸ਼ਬਦਾ ਦਾ ਭੰਡਾਰ ਸ਼ਾਮਿਲ ਕਰਦਾ ਹੈ। ਸਤਿੰਦਰ ਨੇ ਮੈਨੂੰ ਮੇਰੇ ਪੱਤਰਕਾਰੀ ਦੇ ਕੰਮ ਨੂੰ ਸੱਚਮੁੱਚ ਨਿਖਾਰਨ ਅਤੇ ਉਹਨਾਂ ਵਿਸ਼ਿਆਂ ਬਾਰੇ ਲਿਖਣ ਲਈ ਪ੍ਰੇਰਿਤ ਕੀਤਾ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਬਾਰੇ ਮੈਂ ਭਾਵੁਕ ਹਾਂ। ਉਸਦਾ ਨਵਾਂ ਗੀਤ ‘ਨਾਦਾਨ ਜੇਹੀ ਆਸ’ ਜੋ ਹਰ ਕਿਸਮ ਦੀ ਸੁੰਦਰਤਾ ਨੂੰ ਗ੍ਰਹਿਣ ਕਰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿਚ ਚਮੜੀ ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਤੇ ਵਿਟਿਲਿਗੋ ਬਾਰੇ ਜਾਗਰੂਕਤਾ ਪੈਦਾ ਕਰਦਾ ਹੈ, ਅਸਲ ਵਿੱਚ ਇਹ ਗੀਤ ਲੋਕਾਂ ‘ਚ ਗੂੰਜੇਗਾ।”

ਸਤਿੰਦਰ ਸਰਤਾਜ ਨੇ ਜਲੰਧਰ ਦੇ ਸੰਗੀਤ ਵਿਸ਼ਾਰਡ ਵਿਖੇ ਪੰਜ ਸਾਲ ਦਾ ਵੋਕਲ ਅਤੇ ਇੰਸਟਰੂਮੈਂਟਲ ਡਿਪਲੋਮਾ ਹਾਸਲ ਕੀਤਾ ਹੈ। ਸਤਿੰਦਰ ਫਿਰ ਮਿਊਜ਼ੀਕਲ ਅਤੇ ਐਮ.ਫਿਲ ਵਿਚ ਮਾਸਟਰਜ਼ ਕਰਨ ਲਈ ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ ਚਲਾ ਗਿਆ ਸੀ। ਉੱਚ ਪੱਧਰੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਪੰਜਾਬ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਤੋਂ ਸੂਫੀ ਸੰਗੀਤ ਵਿੱਚ ਪੀ.ਐੱਚ.ਡੀ.

ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਵਿਚ ਕਈ ਸਾਲਾਂ ਤੱਕ ਪੜ੍ਹਾਉਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ, ਸਰਤਾਜ ਨੇ ਇੱਕ ਗਾਇਕ, ਗੀਤਕਾਰ ਅਤੇ ਕਵੀ ਦੇ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਆਪਣਾ ਕੈਰੀਅਰ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤਾ, ਪੰਜਾਬੀ ਸੰਗੀਤ ਅਤੇ ਫਿਲਮ ਉਦਯੋਗ ਵਿੱਚ ਆਪਣਾ ਨਾਮ ਬਣਾਇਆ। ਉਸਨੇ ਕਈ ਬਾਲੀਵੁੱਡ ਫਿਲਮਾਂ ਲਈ ਵੋਕਲ ਦਾ ਯੋਗਦਾਨ ਪਾਇਆ ਹੈ ਅਤੇ 2017 ਵਿੱਚ ‘ਦ ਬਲੈਕ ਪ੍ਰਿੰਸ’ ਵਿੱਚ ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਆਪਣੀ ਸਕ੍ਰੀਨ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਕੀਤੀ ਸੀ।
ਨੇਲੀ ਫੁਰਤਾਡੋ, ਤਾਲਿਬ ਕਵੇਲੀ, ਅਤੇ ਹੋਰ ਅਮਰੀਕੀ ਸੰਗੀਤ ਸਿਤਾਰਿਆਂ ਨਾਲ ਉਸ ਦੇ ਸਹਿਯੋਗ ਨਾਲ ਭਾਰਤੀ ਸਿਨੇਮਾ ਦੀ ਰਾਣੀ ਸ਼ਬਾਨਾ ਆਜ਼ਮੀ ਨਾਲ ਫਿਲਮ ਵਿੱਚ ਉਸ ਦੇ ਸਹਿਯੋਗ ਨੇ ਕਲਾਕਾਰ ਨੂੰ ਪ੍ਰਸਿੱਧੀ ਵੱਲ ਪ੍ਰੇਰਿਤ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਮਦਦ ਕੀਤੀ ਹੈ।

ਮਨੁੱਖੀ ਤਸਕਰੀ ਵਿਰੁੱਧ ਲੜਾਈ ਲਈ ਫੰਡ ਇਕੱਠਾ ਕਰਨ ਲਈ ਸੰਯੁਕਤ ਰਾਸ਼ਟਰ ਦੇ ਨਾਲ ਸਰਤਾਜ ਦੀਆਂ ਪ੍ਰਾਪਤੀਆਂ ਨੇ ਉਸਨੂੰ ਏ.ਆਰ. ਰਹਿਮਾਨ, ਸੋਨੂੰ ਨਿਗਮ, ਕੁਇੰਸੀ ਜੋਨਸ, ਅਤੇ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਜਿੰਮੀ ਕਾਰਟਰ ਵਰਗੇ ਸੱਭਿਆਚਾਰਕ ਰਾਇਲਟੀ ਦੇ ਨਾਲ ਕੰਮ ਕਰਦੇ ਦੇਖਿਆ।
ਕਲਾਕਾਰ ਨੇ ਬਰਮਿੰਘਮ ਨਾਲ ਲੰਬੇ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਸਬੰਧ ਸਥਾਪਿਤ ਕੀਤੇ ਹਨ, ਜਿਸ ਨੇ ਸਿਟੀ ਭੰਗੜਾ ਸੰਗੀਤ ਲੇਬਲ ਮੂਵੀਬਾਕਸ ਦੁਆਰਾ ਸੰਗੀਤ ਜਾਰੀ ਕੀਤਾ ਹੈ, ਅਤੇ ਬ੍ਰਿਟ ਏਸ਼ੀਆ ਟੀਵੀ ਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕੀਤਾ ਹੈ।

क्या कीव छोड़ कर जेलेंसकी भाग चुके हैं ?

यूक्रेन पर रूस का हमला जारी है। हमले के तीसरे दिन अब रूसी मीडिया की तरफ से बड़ा दावा किया है। रूसी मीडिया के मुताबिक यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की राजधानी कीव को छोड़कर भाग गए हैं। इससे पहले जेलेंस्की ने दावा किया कि रूस की सेना उनके और उनके परिवार के पीछे पड़ी हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जेलेंस्की अपने दल के साथ लविवि में हैं।

  • यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की झुकने को तैयार नहीं है
  • उन्होंने वीडियो जारी कर इस बात की पुष्टि की है कि वह कीव में ही हैं

नयी दिल्ली(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट :

यूक्रेन पर रूस का हमला जारी है। आज हमले का तीसरा दिन है। हाल ही में रूसी मीडिया ने दावा करते हुए कहा है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की राजधानी कीव छोड़कर भाग गए हैं। रिपोर्ट में दावा करते हुए बताया है कि जेलेंस्की अपने दल के साथ लविवि में हैं। इससे पहले राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की ने दावा करते हुए कहा था कि रूसी सेना उनके और उनके परिवार को मारे के लिए पीछे पड़ी हुई है।

बाता दें कि बीते शुक्रवार को राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने अपने एक बयान में कहा था कि वह ऐसे संकट के समय में देश छोड़कर नहीं जाएंगे। वह अपनी आखरी सांस तक देश की रक्षा के लिए लड़ते रहेंगे। जेलेंस्की ने आगे कहा था कि कुछ लोग सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने की कोशिश कर रहे है। लेकिन में अपने देश के साथ खड़ा हूं और रूसी सेना का डट के मुकाबला कर रहा हूं। जेलेंस्की ने अन्य देशों से मदद मांगते हुए कहा था कि यूक्रेन अकेले रूस से लड़ रहा है। हमे हथियारों की जरूरत है। यूक्रेन के विदेश मंत्री ने दावा किया था कि उसे फ्रांस की तरफ से मदद पहुंचाई जा रही है।

जेलेंस्की ने यह वीडियो संदेश ऐसे समय पर जारी किया है, जब उनके देश छोड़कर भागने की अफवाह आग की तरह फैल रही थी ऐसे में उन्होंने वीडियो जारी कर इस बात की पुष्टि की है कि वह कीव में ही हैं और अपने देश की रक्षा के लिए अंतिम सांस तक लड़ते रहेंगे।

वीडियो में ज़ेलेंस्की ने “झूठ पर विश्वास न करें” टाइटल वाले एक पोस्ट में यूक्रेन के हथियार डालने की आ रही किसी भी रिपोर्ट का खंडन किया। वीडियो में उन्होंने कहा “मैं यहां हूं। हम हथियार नहीं डाल रहे हैं। हम अपने देश की रक्षा करेंगे, क्योंकि हमारा हथियार सच्चाई है और हमारी सच्चाई यह है कि यह हमारी भूमि है, हमारा देश है, हमारे बच्चे हैं, और हम इस सब की रक्षा करेंगे।” उन्होंने आगे कहा, “बस इतना ही, मैं आपको बस इतना ही बताना चाहता था। यूक्रेन जिंदाबाद”

राष्ट्रपति ने अपने देशवासियों से मजबूती के साथ डटे रहने की अपील की है। जेलेंस्की ने कहा कि लड़ाई अभी जारी है और यह यूक्रेन का भविष्य निर्धारित करेगी। जेलेंस्की को अमेरिकी सरकार ने राजधानी कीव से निकलने को कहा था, लेकिन जेलेंस्की ने इससे इनकार कर दिया। इस लड़ाई में अब तक सैकड़ों लोगों की मौत होने की सूचना मिली है।

रूसी सेना की ओर से राजधानी कीव में किए गए हमलों में अपार्टमेंट की इमारत और पुलों और स्कूलों को भारी क्षति हुई है। इस बात के भी संकेत मिल रहे हैं कि रूस यूक्रेन की मौजूदा सरकार को उखाड़ फेंकने (अपदस्थ करना) की कोशिश कर सकता है। अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक यूक्रेन की मौजूदा सरकार को हटाना ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का उद्देश्य है। दुनिया के नक्शे में बदलाव करने और रूस के शीतयुद्ध कालीन प्रभाव को बहाल करने के लिए यह पुतिन का अभी तक का सबसे बड़ा कदम है। हालांकि इस युद्ध में अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि यूक्रेन का कितना हिस्सा अब भी उसके कब्जे में है और कितने हिस्से पर रूस का नियंत्रण हो गया है।

यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने संघर्ष विराम की अपील की और एक अस्पष्ट बयान में चेतावनी दी कि कई शहरों पर हमला हो रहा है। यूक्रेन के राष्ट्रपति ने कहा, “आज रात हमें मजबूती के साथ डटे रहना होगा। आज ही यूक्रेन का भविष्य निर्धारित होगा।” जेलेंस्की को अमेरिकी सरकार ने राजधानी कीव से निकलने को कहा था, लेकिन जेलेंस्की ने इससे इनकार कर दिया। अमेरिका के खुफिया विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यूक्रेनी राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘यहां युद्ध चल रहा है। मुझे गोला बारूद चाहिए, यात्रा नहीं।’’

Pakistan में IMF Loan पर फूटा गुस्सा, ‘परमाणु-संपन्न मुल्क पाकिस्तान, जो दशकों से दुनिया के सामने भीख मांग रहा है’

आईएमएफ ने जुलाई-2019 में 6 अरब डॉलर (लगभग 1,056 अरब पाकिस्तानी रुपये) का कर्ज-कार्यक्रम मंजूर किया था, ताकि पाकिस्तान अपनी रोजमर्रा की वित्तीय जरूरतें पूरी कर सके। यह पैसा किश्तों में मिल रहा है। इसके साथ कुछ सख्त शर्तें भी हैं, जो पाकिस्तान को पूरी करनी होती हैं।

जब 1998 में भारत ने खुद को एक पूर्ण परमाणु राष्ट्र घोषित किया था तो पाकिस्तान में हाहाकार मच गया था। भारत की बराबरी करने के लिए पाकिस्तान ने भी कुछ ही सप्ताह बाद खुद को परमाणु राष्ट्र घोषित कर दिया। लेकिन इससे उसकी आर्थिक स्थिति चरमरा गई। 

पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने कभी कहा था कि चाहे उनके लोगों को हजार वर्षों तक घास खानी पड़े, पाकिस्तान परमाणु शक्ति बनकर रहेगा। भुट्टो की ये बात फिलहाल सही साबित होती दिख रही है। पाकिस्तान इस समय अथाह विदेशी कर्ज में डूब चुका है।

गुरुवार को एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने पाकिस्तान के लिए ऋण की एक नई किश्त जारी की है। लेकिन इस बार पाकिस्तानी सरकार को अपने नागरिकों से गुस्से का सामना करना पड़ रहा है।

‘इस्लाम खबर’ ने दावा किया कि वित्तीय कुप्रबंधन और देश को चलाने के लिए विदेशी पैसों पर अधिक निर्भरता के कारण सरकार में जनता का विश्वास नए निचले स्तर पर है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री शौकत तारिन द्वारा आईएमएफ ऋणों की छठी किश्त को मंजूरी देने की घोषणा के एक ट्वीट के बाद लोगों ने गुस्से में प्रतिक्रियाएं दी हैं।

तारिन ने ट्वीट किया, “मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि आईएमएफ बोर्ड ने पाकिस्तान के लिए उनके कार्यक्रम की छठी किश्त को मंजूरी दे दी है।”

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘यह आश्चर्यजनक ही नहीं बल्कि खेदजनक भी है कि वित्त मंत्री ने देश को गुलाम बनाकर आईएमएफ से नई किस्त मिलने पर खुशी जाहिर की है।” पाकिस्तान में एक मीडिया संपादकीय लेख में कहा गया कि पाकिस्तान “शायद एकमात्र परमाणु देश है जिसे अपने हर दिन के खर्च के लिए लोन की आवश्यकता होती है, हर दिन सहायता के लिए भीख माँगता है और यह दशकों से जारी है।”

पाकिस्तानी लोगों में सरकार के प्रति ये गुस्सा ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान को आईएमएफ द्वारा 1 बिलियन अमरीकी डालर की लोन राशि जारी की गई है। इसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान में ईंधन की कीमतें और बिजली की दरें ऐतिहासिक ऊंचाई पर हैं।

ताजा फंड 6 बिलियन अमरीकी डालर के बेलआउट पैकेज की एक किस्त का हिस्सा है। IMF के कार्यकारी बोर्ड ने 3 जुलाई, 2019 को पाकिस्तान के लिए बेलआउट पैकेज को मंजूरी दी थी।

भारत के परमाणु परीक्षणों के खिलाफ खड़ा था यूक्रेन, आज भारत से मांग रहा मदद

रूस के साथ युद्ध की आशंका के बीच पूर्वी यूक्रेन में कई धमाके हुए हैं। ये धमाके रूस समर्थित अलगाववादियों ​​​​​​के नियंत्रण वाले शहर दोनेस्क में हुए हैं। वहीं अलगाववादियों के हमले में यूक्रेन के दो सैनिकों की मौत की खबर है। इस बीच रूस ने बैलेस्टिक और क्रूज मिलाइलों के परीक्षण के साथ परमाणु युद्धाभ्यास शुरू कर दिया है। अमेरिका ने रूस के इस परीक्षण को यूक्रेन पर हमले का काउंटडाउन करार दिया है। आशंका जताई जा रही है कि अगर ये युद्ध हुआ तो इसके गंभीर परिणाम पूरी दुनिया को झेलने पड़ेंगे।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, नई दिल्ली:

रूस और यूक्रेन में जंग शुरू हो चुकी है और ताबड़तोड़ हमले करने के बाद रूस अब यूक्रेन के सैनिकों से सरेंडर करने के लिए कह रहा है। ऐसे में यूक्रेन दुनियाभर की सभी प्रमुख शक्तियों से रूस को रोकने का अनुरोध कर रहा है। उसने भारत सरकार से भी रूस पर दवाब बनाने की अपील की है। यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लोदिमीर ज़ेलेंस्की की अगुवाई वाली सरकार ने भारत से रूस से शांति के लिए बातचीत करने का आग्रह करते हुए कहा कि भारत का रूस के साथ अच्छा ताल्लुक है।

यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लोदिमीर ज़ेलेंस्की के नेतृत्व वाली सरकार ने भारत से रूस से शांति के लिए बातचीत करने का उनुरोध करते हुए कहा कि भारत का रूस के साथ अच्छा संबंध है।

गुरुवार (24 फरवरी 2022) को भारत में यूक्रेन के राजदूत इगोर पोलिखा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से रूस के साथ तनाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आग्रह करते हुए कहा कि मोदी और पुतिन एक-दूसरे का सम्मान करते हैं। दरअसल, यूक्रेन भारत के प्रभाव को स्वीकार कर रहा है औऱ चाहता है कि पीएम मोदी इसके लिए कदम उठाएँ।

इससे पहले कि यूक्रेन के ऊपर बात करें हम दोनों देशों के बीच संबंधों पर नजर डालते हैं। क्योंकि, पहले भारत के साथ यूक्रेन के संबंध अच्छे नहीं थे। उल्लेखनीय है कि जब भारत ने परमाणु परीक्षण किया था तो यूक्रेन उन देशों में से एक था जिसने 1998 में भारत के परमाणु परीक्षणों का कड़ा विरोध किया था और 1998 के परमाणु परीक्षण के बाद सुरक्षा परिषद में भारत के कदम की निंदा की थी।

गौरतलब है कि साल 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन शक्ति’ के नाम से पाँच परमाणु परीक्षण कर पूरी दुनिया को चौंका दिया था। उस दौरान यूक्रेन 25 अन्य देशों के साथ भारत के परमाणु परीक्षणों की कड़ी निंदा करते हुए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 1172 के पक्ष में मतदान किया था। इसके तहत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पारित किए गए इस प्रस्ताव में माँग की गई थी भारत अपने परमाणु परीक्षणों पर रोक लगाए और एनपीटी और सीटीबीटी पर हस्ताक्षर करे।

इसके अलावा प्रस्ताव में भारत से परमाणु कार्यक्रमों को रोकने, परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलों के विकास और उत्पादन पर भी रोक लगाने को कहा गया था। इन सब में यूक्रेन ने संयुक्त राष्ट्र का साथ दिया था।

जैसै कि आज हम सभी कह रहे हैं कि रूस के हमले के कारण यूक्रेन एक बड़े संकट का सामना कर रहा है। दरअसल, यूक्रेन अपने शक्तिशाली दोस्तों के साथ रहना चाहता है, लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका को न तो दुनिया में कोई सम्मान मिलता है औऱ न ही उसका वैश्विक आधिपत्य है। वहीं करीब 22 साल पहले भारत की सुरक्षा जरूरतों के खिलाफ खड़े होने वाला यूक्रेन आज चाहता है कि भारत उसका साथ दे।

लेकिन जिस तरह से कहा जाता है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में कोई स्थाई मित्र या स्थाई दुश्मन नहीं होते हैं, केवल स्थाई हित मायने रखते हैं।

‘पंजाब पॉलिटिक्स टीवी’ गैर कानूनी घोषित

केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने मंगलवार को जारी बयान में कहा है कि, सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) से करीबी संबंध रखने वाले विदेश आधारित ‘पंजाब पॉलिटिक्स टीवी’ के एप, सोशल मीडिया अकाउंट और वेबसाइट को ब्लॉक करने का आदेश दे दिया गया है। बता दें कि, सिख फॉर जस्टिस (SFJ) को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत गैरकानूनी घोषित किया गया है।

  • पंजाब पॉलिटिक्स टीवी के खिलाफ केंद्र का ऐक्शन
  • सिख फॉर जस्टिस से संबद्ध था यह, अलगाववाद की साजिश
  • देश की सुरक्षा और अखंडता के लिए हानिकारिक पाया गया

डेमोक्रेटिक फ्रंट, नयी दिल्ली(ब्यूरो) :

केंद्रीय और सूचना प्रसारण मंत्रालय  ने विदेशी चैनल ‘पंजाब पॉलिटिक्स टीवी’ के एप्स,वेबसाइट और सोशल मीडिया अकाउंट्स को बैन करने का आदेश दिया है। खुफिया एजेंसियों के इनपुट के आधार पर मंत्रालय ने कहा है कि चैनल के लिंक सिख फॉर जस्टिस संगठन से जुड़ें हुए है। इसके साथ ही चैनल के सभी प्रारूप पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।

सूचना और प्रसारण मंत्रालय को जानकारी के मुताबिक, पंजाब पॉलिटिक्स टीवी के इन चैनल्स के जरिए विधानसभा चुनावों में माहौल बिगाड़ने की कोशिश हुई थी। वो ऑनलाइन मीडिया का भी सहारा ले रहा था। मंत्रालय ने IT नियमों के तहत आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए पंजाब पॉलिटिक्स टीवी के सभी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बैन लगाया है।

  • किसान आंदोलन के दौरान ‘सिख फॉर जस्टिस’ का नाम काफी चर्चा में रहा था। इस संगठन की नींव 2007 में अमेरिका में रखी गई थी। SFJ का मुख्य एजेंडा पंजाब में अलग से खालिस्तान बनाने का है। अमेरिका में वकील और पंजाब यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई कर चुका गुरपतवंत सिंह पन्नू इस संगठन का मुख्य चेहरा है। इस चैनल का अमेरिका से ही चलाया जाता है।
  • सिख फॉर जस्टिस ऑर्गनाइजेशन को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत गैरकानूनी घोषित किया गया है। SFJ के फाउंडर लीडर गुरपतवंत सिंह पन्नू को अलगाववाद को बढ़ावा देने के लिए UAPA के तहत ‘व्यक्तिगत आतंकवादी’ घोषित किया गया है। सूचना मंत्रालय ने कहा कि सरकार भारत में समग्र सूचना वातावरण को सुरक्षित रखने के लिए सतर्क और प्रतिबद्ध है।
  • 18 फरवरी को ‘सिख फॉर जस्टिस’ के आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने वीडियो जारी कर पंजाबी सिंह और एक्टर दीप सिद्धू की मौत को राजनीतिक हत्या बताया था। वीडियो में उसने आरोप लगाया था कि दीप सिद्धू की हत्या भारत सरकार ने कराई है। खालिस्तानी आतंवादी के फेसबुक वीडियो के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने अलर्ट जारी किया था।

मंत्रालय ने बताया कि, खुफिया एजेंसियों की जानकारी के आधार पर चैनल प्रदेश में चल रहे विधानसभा चुनावों में जन व्यवस्था को बिगाड़ने का प्रयास कर रहा था। ऐसे में मंत्रालय ने 18 फरवरी को आईटी नियमों के तहत आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए पंजाब पॉलिटिक्स टीवी के सभी डिजिटल मीडिया मंचों को ब्लॉक कर दिया है।