अमेरिका भारत के मित्र ओर शत्रु तय नहीं करेगा


 

 

भारत और अमेरिका के बीच टू प्लस टू की बैठक से पहले दो बातों से भारत के माथे पर चिंता के बल पड़ रहे हैं. पहली ये कि अमेरिकी नाराजगी को देखते हुए भारत ईरान से तेल नहीं खरीदें तो कहां जाए? दूसरा ये कि अमेरिकी आपत्तियों के चलते रूस से मिसाइल क्यों न खरीदें? अमेरिका की रिश्तों को लेकर सीधी शर्तों के चलते ईरान और रूस के बीच भारत फंसा हुआ है. भारत पर एक तरफ ईरान से तेल खरीदी को लेकर अमेरिकी दबाव है तो दूसरी तरफ रूस से हथियार खरदीने पर भी अमेरिका की आपत्ति है.

अमेरिका के साथ टू प्लस टू की वार्ता में अमेरिकी दबाव के बीच भारत पर सबकी निगाहें होंगी. भारत को ही तय करना है कि वो किस तरह से व्यावहारिक तर्क देकर ईरान से तेल खरीदने और रूस से हथियार खरीदने को लेकर अमेरिकी आपत्तियों को खारिज कर सकता है. साथ ही बड़ा सवाल ये भी रहेगा कि अगर अमेरिका भारतीय तर्कों से संतुष्ट नहीं हुआ तो फिर भारत के पास विकल्प क्या होंगे?

व्हाइट हाउस प्रशासन अमेरिका में बैठकर भारत में केंद्र सरकार पर पेट्रोल-डीज़ल के दामों से बढ़ रहे दबाव को नहीं समझ सकता है और न ही उसे समझने की दरकार है. अमेरिकी हित में उसका एक सूत्रीय एजेंडा सिर्फ ईरान से हिसाब चुकाना भर है. तभी अमेरिका ने भारत और चीन जैसे देशों को ईरान से तेल आयात न करने की चेतावनी दी है. अमेरिका ने भारत समेत सभी देशों से कहा है कि वो 3 नवंबर  2018 के बाद से ईरान से हर तरह का कारोबार करना बंद कर दें. ऐसा न करने वाले देशों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

लेकिन पेट्रोल-डीजल की कीमतों में रिकार्ड बढ़ोतरी की वजह से केंद्र सरकार भारी दबाव में है. चीन के बाद भारत ही ईरान का सबसे बड़ा तेल खरीदार देश है. भारत ने फौरी राहत के तौर पर अमेरिकी आपत्तियों के बीच रास्ता निकालते हुए देश की रिफाइनरियों को ईरान से तेल खरीदने की मंजूरी दे दी है. भारत की इस मंजूरी के पीछे मजबूरी साफ है. लेकिन अब अमेरिका के साथ टू प्लस टू वार्ता में भारत को ईरान से तेल खरीद के मामले में सटीक तर्क भी देना होगा.

भारत के साथ बातचीत की मेज पर अमेरिकी विदेश मंत्री माइकल पोम्पिओ और जेम्स मैटिस होंगे. हालांकि भारत इससे पहले ईरान के साथ संबंधों को लेकर अमेरिका के पूर्व विदेशमंत्री जैक टिलरसन को समझा चुका है. लेकिन डोनाल्ड ट्रंप की इस नई ‘डबल-टीम’ से पार पाना भी जरुरी है.

चीन के बाद भारत ही दुनिया में ईरान से कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार है. भारत अपनी जरुरतों का एक चौथाई तेल ईरान से मंगाता है. ऐसे में ईरान के साथ अचानक ही तेल खरीदना बंद कर भारत बेहद मुश्किलों में फंस सकता है. वहीं दूसरी तरफ ईरान के साथ भारत के दूसरे हित भी जुड़े हुए हैं. भारत के ईरान के साथ रिश्तों का अपना इतिहास है और ईरान में भारतीय उद्योगों के लिये अपार संभावनाएं भी हैं.

पीएम मोदी की ईरान यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच रणनीतिक, कूटनीतिक, सामरिक और व्यापारिक रूप से महत्वपूर्ण चाबहार पोर्ट के समझौते पर मुहर लगी थी. तेल की कटौती के चलते ईरान में बनने वाला चाबहार पोर्ट भी अटक सकता है. जबकि इस पोर्ट से अफगानिस्तान को भी फायदा पहुंचेगा क्योंकि अफगानिस्तान में बंदरगाह न होने की वजह से वो अभी पूरी तरह पाकिस्तान पर निर्भर है.  ईरान के साथ पुरानी व्यापारिक संधियों और रिश्तों की तिलांजलि देने से अफगानिस्तान में अमेरिका और भारत की शांति प्रक्रियाओं पर भी असर पड़ सकता है.

8 मई 2018 को ईरान के साथ न्यूक्लियर डील को अमेरिका ने रद्द कर दिया था. न्यूक्लियर डील से हटने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता चल गया. वहीं सीरिया मसले पर भी ईरान की भूमिका से अमेरिका की त्योरियां चढ़ती चली गईं. सीरिया के मुद्दे पर अमेरिका और ईरान आमने-सामने आ चुके हैं. जहां सीरिया मसले पर अमेरिका के साथ इजरायल और सऊदी अरब हैं तो वहीं सीरिया के साथ रूस और ईरान. अब सीरिया में इदलिब शहर पर रूस और ईरानी सेना के साथ मिलकर सीरियाई सेना अंतिम हमले की तैयारी में जुटी हुई है. जिस पर अमेरिका ने सीरिया को चेतावनी भी दी है.

अमेरिका के साथ रिश्तों की अहमियत को देखते हुए भारत अमेरिकी चेतावनियों को नजरअंदाज करने की हालत में नहीं है. यही वजह है कि ईरान के साथ भारत ने तेल आयात में काफी कटौती की है जिस पर ईरान ने एतराज जताया था. भारत ने ईरान से मई 2018 में जहां 7 लाख बैरल प्रति दिन कच्चे तेल की खरीद की थी तो एक ही महीने में उसे घटाकर जून 2018 में 5.7 लाख बैरल प्रति दिन कर दिया गया. जबकि अप्रैल 2017 से जनवरी 2018 तक केवल दस महीनों में ही भारत ने ईरान से 1.84 करोड़ टन कच्चा तेल आयात कराया था. ऐसे में जाहिर तौर पर भारत टू प्लस टू वार्ता में ईरान के साथ अपने रिश्तों पर तुरंत कोई फैसला लेना नहीं चाहेगा।

हालांकि भारत ने चीन की राह पर चलते हुए अमेरिकी धमकियों के बावजूद राज्यों की रिफाइनरियों को ईरान के तेल टैंकरों से तेल खरीदने की इजाजत दे दी है. इसके पीछे भारत का तकनीकी तर्क ये है कि भारत की रिफाइनरियों के लिये ईरान का तेल ही प्रोसेसिंग के लिये मुफीद है. जिस वजह से दूसरी रिफाइनरियों के तेल का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता क्योंकि उसके लिये भारी निवेश की जरूरत पड़ेगी.

अमेरिका की वजह से भारत और ईरान के रिश्तों में छह साल पहले भी तल्खी आ चुकी है. लेकिन ईरान भी ये जानता है कि भारत राष्ट्रहित में अपना फैसला लेने के लिये स्वतंत्र है.

बात सिर्फ ईरान तक ही सीमित नहीं है. अमेरिका ने रूस से हथियार खरीदने को लेकर भी भारत को चेताया है. भारत रूस के साथ एस 400 ट्रायम्फ मिसाइलें खरीद रहा है. इस डील पर अमेरिका डरा रहा है कि भारत को अमेरिकी प्रतिबंधों से छूट मिलने की कोई गारंटी नहीं है. लेकिन भारत को अमेरिका के दबाव में आने की जरुरत नहीं है. भारत किसी भी देश के साथ कारोबार करने के लिये स्वतंत्र है. अमेरिका के दबाव में भारत को झुकने की जरूरत नहीं है. अमेरिका पहले ये बताए कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर लगाम कसने के लिये उसने पाकिस्तान पर किस तरह की कार्रवाई की है.

बहरहाल, ईरान से तेल खरीदना भारत के लिये अमेरिका की वजह से खौलते तेल में हाथ डालने के बराबर हो गया है और तेल खरीद में कटौती की वजह से भारत-ईरान के रिश्ते तेल की तरह फिसल सकते हैं.

Clarissa Bowers, Miss World America 2017, wears a Ponduru Khadi

Clarissa Bowers, Miss World America 2017, wears a Ponduru Khadi gown created by the fashion designing students of the city

Clarissa Bowers, Miss World America 2017, wears a Ponduru Khadi gown created by the fashion designing students of the city

The students of JD Institute of Fashion Technology recently had an interaction with Miss World America 2017, Clarissa Bowers. Clarissa who was in the country for a week said she was impressed by the culture of India and floored by the aesthetic design sense in Indian fashion industry. “The intricate designs and the amount of thought put behind eachcreation draws the world’s attention towards India. We appreciate the amount of effort that goes into planning and working on these designs. The intricacy and detailing speak volumes, ” she said.

She was clad in a green gown of Ponduru Khadi silk designed by students of the institute, Aishwarya and Sujatha Ganguri. Aishwarya said that Ponduru Khadi was a conscious choice as they wanted to promote the fabric in international fashion industry. “ Over the years, the number of weavers in Ponduru has been declining. With this dress we are hoping to capture the attention of designers across the globe and turn them to khadi. The khadi that we used was light-weight and represented the greenery of Visakhapatnam,” Aishwarya said.

The 20-year-old resident of Florida who was crowned Miss World America in August last year said she spent time in Hyderabad too and had a marvellous time exploring the city and its cuisine, especially dosa and biryani!.

Clarissa, a certified oral maxillofacial surgery assistant, is currently studying Neuroscience at Vanderbilt University in Nashville and wants to make a career in the medical field. “Having a military background, I aspire to be a reconstructive surgeon for wounded soldiers. I wanted to visit a few hospitals in India but could not do so because of the tight schedule,” she said.

Speaking about her journey as a model, she said, “I was a shy person and when people always told me to try modelling, I did not pay attention to them.” But somewhere along the way she gave in and began a career in modelling. “And this is where it has led me.”

Drape it right

Ponduru Khadi derives its name from the place Ponduru, a village in Srikakulam. The Khadi is made of special variety of hill cotton and red cotton which are grown in Vizianagaram and Srikakulam district. Mahatma Gandhi was so impressed by the finesse of this fabric that he preferred wearing it. The Khadi clothes from this region are exported to several countries like US, Denmark, Sweden and Japan

मिग-27 लड़ाकू विमान क्रैश हो गया – पायलट सुरक्षित

 

जोधपुर के बनाड़ थाना इलाके में तकनीकी खराबी के चलते भारतीय वायुसेना का मिग-27 लड़ाकू विमान क्रैश हो गया है | यह हादसा देवरिया गांव के पास हुआ है | इसमें पायलट सुरक्षित है | इस हादसे के बाद प्रशासन ने फायर ब्रिगेड की गाड़ियां मौके पर पहुंची | एयरफोर्स के अधिकारी और पुलिस के जवान भी मौके पर पहुंच गए हैं | विस्तृत विवरण की प्रतीक्षा है | वायुसेना ने बताया कि मंगलवार सुबह जोधपुर से एक मिग 27 विमान ने नियमित उड़ान भरी और वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया है | पायलट सुरक्षित रूप से बाहर निकाल गया है और इस मामले की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश दे दिए हैं |

वायुसेना के प्रवक्‍ता ने बताया है कि मिग-27 ने एयरबेस से सुबह 8 बजकर 50 मिनट पर उड़ान भरी थी और 9 बजकर दो मिनट पर मिग-27 क्रैश हो गया | इससे पहले छह जुलाई को भारतीय वायुसेना का ट्रेनर फाइटर जेट मिग 23 जोधपुर में क्रैश हुआ था | इस हादसे में फाइटर पर सवार दोनों पायलट सुरक्षित बाहर निकल गए थे | गोपासर के निकट एक खेत में नीचे गिरते ही इसमें आग लग गई थी | जेट मिग-23 ने करीब 12 बजे जोधपुर से उड़ान भरी थी और बालेसर क्षेत्र के गोपासर गांव के निकट इसके इंजन ने काम करना बंद कर दिया था | विमान के खेत में गिरते ही इसमें आग लग गई |

जुलाई में हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के एक गांव में एक मिग-21 लड़ाकू विमान दुर्घटनाग्रस्त हुअर था | इस घटना में भारतीय वायुसेना के एक पायलट की जान चली गई थी | वायुसेना ने बताया था कि विमान नियमित उड़ान पर था | वह दोपहर 1 बज कर करीब 20 मिनट पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था |

जहां नम्रता, सत्य, लज्जा और धर्म हैं वहीं कृष्ण हैं, जहां कृष्ण हैं वहीं विजय है


धार्मिक विश्वासों को छोड़ दें तो एक किरदार के रूप में कृष्ण के जीवन के तमाम पहलू बेहद रोचक हैं


जनमाष्टमी यानी कृष्ण के जन्म का उत्सव. कृष्ण के जन्म से दो बिल्कुल कड़ियां अलग जुड़ती हैं. एक ओर मथुरा की काल कोठरी है जहां वासुदेव और देवकी जेल में अपनी आठवीं संतान की निश्चित हत्या का इंतजार कर रहे हैं. दूसरी तरफ गोकुल में बच्चे के पैदा होने की खुशियां हैं. कृष्ण के जन्म का ये विरोधाभास उनके जीवन में हर जगह दिखता है. धार्मिक विश्वासों को छोड़ दें तो एक किरदार के रूप में कृष्ण के जीवन के तमाम पहलू बेहद रोचक हैं. और समय-समय पर उनके बारे में जो नई कहानियां गढ़ी गईं उन्हें समझना भी किसी समाजशास्त्रीय अध्ययन से कम नहीं है.

अब देखिए वृंदावन कृष्ण की जगह है, लेकिन वृंदावन में रहना है तो ‘राधे-राधे’ कहना है. ऐसा नहीं हो सकता कि आप अयोध्या में रहकर सिया-सिया, लुंबिनी में यशोधरा-यशोधरा या ऐसा कुछ और कहें. यह कृष्ण के ही साथ संभव है. कान्हा, मुरली और माखन के कथाओं में कृष्ण का बचपन बेहद सुहावना लगता है. लेकिन कृष्ण का बचपन एक ऐसे शख्स का बचपन है, जिसके पैदा होने से पहले ही उसके पिता ने उसकी हत्या की जिम्मेदारी ले ली थी. वो एक राज्य की गद्दी का दावेदार हो सकता था तो उसको मारने के लिए हर तरह की कोशिशें की गईं. बचपन के इन झटकों के खत्म होते-होते पता चलता है कि जिस परिवार और परिवेश के साथ वो रह रहा था वो सब उसका था ही नहीं.

कहानियां यहीं खत्म नहीं होतीं. मथुरा के कृष्ण के सामने अलग चुनौतियां दिखती हैं. जिस राज सिंहासन को वो कंस से खाली कराते हैं उसे संभालने में तमाम मुश्किलें आती हैं. अंत में उन्हें मथुरा छोड़नी ही पड़ती है. महाभारत युद्ध में एक तरफ वे खुद होते हैं दूसरी ओर उनकी सेना होती है. वो तमाम योद्धा जिनके साथ उन्होंने कई तैयारियां की होंगी, युद्ध जीते होंगे. अब अगर कृष्ण को जीतना है तो उनकी सेना को मरना होगा. इसीलिए महाभारत के कथानक में कृष्ण जब अर्जुन को ‘मैं ही मारता हूं, मैं ही मरता हूं’ कहते हैं तो खुद इसे जी रहे होते हैं.

महाभारत से इस्कॉन तक कृष्ण

अलग-अलग काल के साहित्य और पुराणों में कृष्ण के कई अलग रूप हैं. मसलन महाभारत में कृष्ण का जिक्र आज लोकप्रिय कृष्ण की छवि से बिलकुल नहीं मिलता. भारतीय परंपरा के सबसे बड़े महाकाव्य में कृष्ण के साथ राधा का वर्णन ही नहीं है. वेदव्यास के साथ-साथ श्रीमदभागवत् में भी राधा-कृष्ण की लीलाओं का कोई वर्णन नहीं है. राधा का विस्तृत वर्णन सबसे पहले ब्रह्मवैवर्त पुराण में मिलता है. इसके अलावा पद्म पुराण में भी राधा का जिक्र है. राधा के शुरुआती वर्णनों में कई असमानताएं भी हैं. कहीं दोनों की उम्र में बहुत अंतर है, कहीं दोनों हमउम्र हैं.

इसके बाद मैथिल कोकिल कहे जाने वाले विद्यापति के पदों में राधा आती हैं. यह राधा विरह की ‘आग’ में जल रही हैं. 13वीं 14वीं शताब्दी के विद्यापति राधा-कान्हा के प्रेम के बहाने, शृंगार और काम की तमाम बातें कह जाते हैं. इसके कुछ ही समय बाद बंगाल से चैतन्य महाप्रभु कृष्ण की भक्ति में लीन होकर ‘राधे-राधे’ का स्मरण शुरू करते हैं. यह वही समय था जब भारत में सूफी संप्रदाय बढ़ रहा था, जिसमें ईश्वर के साथ प्रेमी-प्रेमिका का संबंध होता है. चैतन्य महाप्रभु के साथ जो हरे कृष्ण वाला नया भक्ति आंदोलन चला उसने भक्ति को एक नया आयाम दिया जहां पूजा-पाठ साधना से उत्सव में बदल गया.

अब देखिए बात कृष्ण की करनी है और जिक्र लगातार राधा का हो रहा है. राधा से शुरू किए बिना कृष्ण की बात करना बहुत मुश्किल है. वापस कृष्ण पर आते हैं. भक्तिकाल में कृष्ण का जिक्र उनकी बाल लीलाओं तक ही सीमित है. कृष्ण ब्रज छोड़ कर जाते हैं तो सूरदास और उनके साथ बाकी सभी कवि भी ब्रज में ठहर जाते हैं. उसके आगे की कहानी वो नहीं सुनाते हैं. भक्तिकाल के कृष्ण ही सनातन परंपरा में पहली बार ईश्वर को मानवीय चेहरा देते हैं. भक्तिकाल के बाद रीतिकाल आता है और कवियों का ध्यान कृष्ण की लीलाओं से गोपियों और राधा पर ज्यादा जाने लगता है. बिहारी भी जब श्रृद्धा के साथ सतसई शुरू करते हैं, तो ‘मेरी भव बाधा हरो राधा नागरि सोए’ ही कहते हैं. इन सबके बाद 60 के दशक में इस्कॉन जैसा मूवमेंट आता है जो उस समय दुनिया भर में फैल रहे हिप्पी मूवमेंट के साथ मिलकर ‘हरे कृष्णा’ मूवमेंट बनाता है.

ईश्वर का भारतीय रूप हैं कृष्ण

कृष्ण को संपूर्ण अवतार कहा जाता है. गीता में वे खुद को योगेश्वर भी कहते हैं. सही मायनों में ये कृष्ण हैं जो ईश्वर के भारतीय चेहरे का प्रतीक बनते हैं. अगर कथाओं के जरिए बात कहें तो वे छोटी सी उम्र में इंद्र की सत्ता और शोषण के खिलाफ आवाज उठाते हैं. जीवन भर युद्ध की कठोरता और संघर्षों के बावजूद भी उनके पास मुरली और संगीत की सराहना का समय है. वहीं वह प्रेम को पाकर भी प्रेम को तरसते रहते हैं. यही कारण है कि योगेश्वर कृष्ण की ‘लीलाओं’ के बहाने मध्यकाल में लेखकों ने तमाम तरह की कुंठाओं को भी छंद में पिरोकर लिखा है. उनका यह अनेकता में एकता वाला रूप है जिसके चलते कृष्ण को हम बतौर ईश्वर अलग तरह से अपनाते हैं.

तमाम जटिलताएं

इसमें कोई दो राय नहीं कि कृष्ण की लीलाओं के नाम पर बहुत सी अतिशयोक्तियां कहीं गईं हैं. बहुत कुछ ऐसा कहा गया है जो, ‘आप करें तो रास लीला…’ जैसे मुहावरे गढ़ने का मौका देता है. लेकिन इन कथाओं की मिलावटों को हटा देने पर जो निकल कर आता है वो चरित्र अपने आप में खास है. अगर किसी बात को मानें और किसी को न मानें को समझने में कठिनाई हो तो एक काम करिए, कथानकों को जमीन पर जांचिए. उदाहरण के लिए वृंदावन और मथुरा में कुछ मिनट पैदल चलने जितनी दूरी है. मथुरा और गोकुल या वृंदावन और बरसाने का सफर भी 2-3 घंटे पैदल चलकर पूरा किया जा सकता है. इस कसौटी पर कसेंगे तो समझ जाएंगे कि कौन-कौन सी विरह की कथाएं कवियों की कल्पना का हिस्सा हैं.

कृष्ण के जीवन में बहुत सारे रंग हैं. कुछ बहुत बाद में जोड़े गए प्रसंग हैं जिन्हें सही मायनों में धार्मिक-सामाजिक हर तरह के परिवेश से हटा दिया जाना चाहिए. राधा के वर्णन जैसी कुछ ऐसी चीज़ें हैं जो महाभारत और भागवत में नहीं मिलती मगर आज कृष्ण का वर्णन उनके बिना संभव नहीं है. इन सबके बाद भगवद् गीता है जो सनातन धर्म के एक मात्र और संपूर्ण कलाओं वाले अवतार की कही बात. जिसमें वो अपनी तुलना तमाम प्रतीकों से करते हुए खुद को पीपल, नारद कपिल मुनि जैसा बताते हैं. आज जब तमाम चीजों की रक्षा के नाम पर हत्याओं और अराजकता एक सामान्य अवधारणा बनती जा रही है. निर्लज्जता, झूठ और तमाम तरह की हिंसा को कथित धर्म की रक्षा के नाम पर फैलाया जा रहा है, ऐसे में कृष्ण के लिए अर्जुन का कहा गया श्लोक याद रखना चाहिए यतः सत्यं यतो धर्मो यतो ह्लीराजर्वं यतः. ततो भवति गोविंदो यतः कृष्णोस्ततो जयः यानी जहां नम्रता, सत्य, लज्जा और धर्म हैं वहीं कृष्ण हैं, जहां कृष्ण हैं वहीं विजय है. अंतिम बात यही है कि कृष्ण होना सरस होना, क्षमाशील होना, नियमों की जगह परिस्थिति देख कर फैसले लेना और सबसे ज़रूरी, निरंकुशता के प्रतिपक्ष में रहना है.

श्री कृष्ण के नामकरण पर पधारे महर्षि गर्ग ने कुंडली विचार जो भविष्यवाणियाँ कीं वह अक्षरश: सत्य थीं

जगत के पालनहार का कृष्ण अवतार विधि का विधान था और वे स्वयं दुनिया का भाग्य लिखते हैं, उनके भाग्य को कोई नहीं पढ सकता। लेकिन जैसे ही मानव योनि में अवतार आया तो वे संसार के बंधन में पड़ जाता है और इस कारण उसे दुनिया के लोकाचार को भी निभाना पडता है। जन्म से मृत्यु तक सभी संस्कार करने पडते हैं।

इन्हीं लोकाचारों में श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर महर्षि गर्ग पधारे और उनका नामकरण संस्कार किया। उनका नाम कृष्ण निकाल कर उनके जीवन की अनेकों भविष्यवाणी ज्योतिष शास्त्र के अनुसार की थी जो अक्षरशः सही रही। इस आधार पर श्रीकृष्ण की कुंडली में ग्रह क्या बोलते हैं का यह संक्षिप्त विश्लेषण प्रस्तुत किया जा रहा है।

भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र के संयोग में भगवान श्रीकृष्ण ने अवतार लिया। सोलह कला सम्पूर्ण महान योगी श्रीकृष्ण का नामकरण व अन्नप्राशन संस्कार गर्ग ऋषि ने कुल गुरू की हैसियत से किया तथा कृष्ण के जीवन की सभी भविष्यवाणियां की जो अक्षरशः सही रहीं। भाद्रपद मास की इस बेला पर हम गर्ग ऋषि को प्रणाम करते हैं।

अष्टमी तिथिि की मध्य रात्रि में जन्मे कृष्ण का वृषभ लग्न में हुआ। चन्द्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में बैठे व गुरू, शनि, मंगल, बुध भी अपनी-अपनी उच्च राशियों में बैठे थे। सूर्य अपनी ही सिंह राशि में बैठे।

योग साधना, सिद्धि एवं विद्याओं की जानकारी के लिए जन्म जन्म कालीन ग्रह ही मुख्य रूप से निर्भर करते हैं। अनुकूल ग्रह योग के कारण ही कृष्ण योग, साधना व सिद्धि में श्रेष्ठ बने। गुरू अष्टमेश बनकर तृतीय स्थान पर उच्च राशि में बैठ गुप्त साधनाओं से सिद्धि प्राप्त की तथा पंचमेश बुध ने पंचम स्थान पर उच्च राशि कन्या में बैठ हर तरह की कला व तकनीकी को सीखा।

चन्द्रमा ने कला में निपुणता दी। मंगल ने गजब का साहस व निर्भिकता दी। शुक्र ने वैभवशाली व प्रेमी बनवाया। शनि ने शत्रुहन्ता बनाया व सुदर्शन चक्र धारण करवाया। सूर्य ने विश्व में कृष्ण का नाम प्रसिद्ध कर दिया।

जन्म के ग्रहों ने कृष्ण को श्रेष्ठ योगी, शासक, राजनीतिज्ञ, कूटनीतिज्ञ, चमत्कारी योद्धा, प्रेमी, वैभवशाली बनाया। श्रीकृष्ण की कुंडली में पांच ग्रह चन्द्रमा, गुरू, बुध, मंगल और शनि अपनी उच्च राशि में बैठे तथा सूर्य व मंगल अपनी स्वराशि में हैं।

रोहिणी नक्षत्र में जन्म लेने वाला बुद्धि और विवेक का धनी होता है। यही चन्द्रमा का अति प्रिय नक्षत्र और चन्द्रमा की उपस्थिति व्यक्ति को जातक मे आकर्षण बढा देती है। ऐसे व्यक्ति सभी को प्रेम देते हैं और अन्य लोगों से प्रेम लेते हैं। श्रीकृष्ण को इस योग ने सबका प्रेमी बना दिया और वे भी सबसे प्रेम करते थे।

जन्म कुंडली का पांचवा स्थान विद्या, बुद्धि और विवेक तथा प्रेम, संतान, पूजा, उपासना व साधना की सिद्धि का होता है। यहां बुध ग्रह ने उच्च राशि में जमकर इन क्षेत्रों में कृष्ण को सफल बनाया तथा राहू के संयोग से बुध ग्रह ने परम्पराओं को तुड़वा ङाला और भारी कूटनीतिकज्ञ को धराशायी करवा डाला।

स्वगृही शुक्र ने उन्हें वैभवशाली बनाया तो वहां उच्च राशि में बैठे शनि ने जमकर शत्रुओं का संहार करवाया। भाग्य व धर्मस्थान में उच्च राशि में बैठे मंगल ने उनका भाग्य छोटी उम्र में ही बुलंदियों पर पहुंचा दिया। मारकेश व व्ययेश बने मंगल ने धर्म युद्ध कराकर व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन कराया।

अष्टमेश गुरू को मारकेश मंगल ने देख उनके पांव के अगूठे में वार करा पुनः बैकुणठ धाम पहुंचाया। अष्टमेश और मारकेश का यह षडाष्ठक योग बना हुआ है और मारकेश मंगल ग्रह को पांचवी दृष्टि से राहू देख रहा। यह सब ज्योतिष शास्त्र के ग्रह नक्षत्रों का आकलन मात्र है। सत्य क्या था यह तो परमात्मा श्रीकृष्ण ही बता सकते हैं।

Bharat Ratna Sh.Atal Bihari Vajpayee First International Girls & Boys Cricket Trophy from 20th November

Chandigarh / Panchkula:

According to Mrs.Latika Sharma ,Chairman & Amar jit Kumar ,Secretary Genetal of Haryana Sports Welfare Association (regd.) is organising the First Bharat Ratna Shri.Atal Bihari Vajpayee (Former Prime Minister of India ) International Women’s (Seniors) and Boys U-15 International Cricket Championship at Cricket Stadium,Panchkula (Haryana) & Chandigarh (U.T.) from 20th November to 24th November,2018 between Our Asia Region Neighbouring Countries Bangladesh ,Nepal ,Afghanistan ,Pakistan & India as a mark of tribute to the former Prime minister. According to Latika Sharma & Amarjit kumar It is to be mentioned that the After the demise of the late Prime Minister and to showcase his contribution to the nation which was highly appreciable and as he was one among the few leaders who was universally accepted by all political parties,Sports Lovers all our India as well as World and people from all walks of life the tournament has been named as { Bharat Ratna Sh.Atal Bihari Vajpayee Trophy }

According to Secretary General In this Bhartiya Rural Premier International Girls (Seniors) & Boys under-15 Cricket League day/night Championship total eight Girls cricket teams from Bangladesh, Nepal,Afghanistan,,Pakistan & India shall participate in this mega championship at Cricket Stadium’s Panchkula (Haryana ) & Chandigarh(U.T.) (India.) from 20th to 24th November ,2018. According to Mrs.Latika Sharms,Chairman & Secretary General Amarjit kumar the Haryana Sports Welfare Association (regd.) the main motto to organise the 2nd Girls International Rural league cricket championshipas ” BETI KHILAYO” to follow the theme of “BETI BACHAYO,BETI PADHAYO”is a Social Campaign of the Government of India that aims to Generateawareness & improve the efficiency of welfare services intended for Girls.According to Amarjit kumar ,Secretary General of Haryana Sports Welfare Association (Regd.) the main motive of the First Boys under-15 International Junior League Cricket Championship is to restrain the young Generation of our Rural / backward Area from the drug addiction and shall given chance to villages / Rural Area Junior players to show their talent in International Stadiums Chandigarh (U.T.) and Panchkula (Haryana) with international teams. Amarjit Kumar said that the main aims is to promote and develop the game of cricket for men from the grass root level in the Junior age Grouos.Amar Jit Kumar said that the organising Committee will provide Top class Boarding, Lodging and Transport facilities to all participants and officials accompanying the International girls (Seniors) & boys under-15 cricket teams fromBangladesh,Nepal,,Afghanistan, Pakistan & india.
The Association shall give Glittering trophies and individual prizes. The Haryana Sports Welfare Association (Regd.) will distribute every Man of the match, best batsman, best bowler, best all rounder, best wicket keeper, best fielder of the championship and Up-Coming Cricketers.

All the matches of the Championship will be played at International Cricket Stadium’s Chandigarh (U.T.), Panchkula (Haryana), on day/night affairs with coloured clothing and white ball. Qualified umpires, scorer and officials will be deputed in the League Championship.

Bharat Ratna Sh. Atal Bihari Vajpayee Trophy from 20th to 24th Nov. 2018

Panchkula :

The Haryana Sports Welfare Association (regd.) is organising the First Bharat Ratna Shri.Atal Bihari Vajpayee (Former Prime Minister of India ) International Women’s (Seniors) and Boys U-15 International Cricket Championship at Cricket Stadium,Panchkula (Haryana) & Chandigarh (U.T.) from 20th November to 24th November,2018 between Our Asia Region Neighbouring Countries Bangladesh ,Nepal ,Afghanistan ,Pakistan & India as a mark of tribute to the former Prime minister. It is to be mentioned that the After the demise of the late Prime minister and to showcase his contribution to the nation which was highly appreciable and as he was one among the few leaders who was universally accepted by all political parties,Sports Lovers all our India as well as World and people from all walks of life the tournament has been named as { Bharat Ratna Sh.Atal Bihari Vajpayee Trophy }.

India committed to boosting BIMSTEC connectivity: PM Modi

Neighbourly ties: PM Modi greeting Sri Lankan President Maithripala Sirisena at the BIMSTEC summit on Thursday. Nepal PM Khadga Prasad Sharma Oli is also present.


‘The region is a meeting point for India’s Neighbourhood First, Act East policies’


Making a strong pitch for enhanced regional connectivity, Prime Minister Narendra Modi said on Thursday that India was committed to working with the BIMSTEC member states  in the critical sector and to combating the menace of terrorism and drug trafficking.

“I believe that there is a big opportunity for connectivity — trade connectivity, economic connectivity, transport connectivity, digital connectivity, and people-to-people connectivity,” Mr. Modi said, addressing the inaugural session of the fourth BIMSTEC summit here.

The Prime Minister said the region had become a meeting point for India’s ‘Neighbourhood First’ and ‘Act East’ policies. “India is committed to working with the BIMSTEC member states to enhance regional connectivity,” he said.

The BIMSTEC is a regional grouping, comprising India, Bangladesh, Myanmar, Sri Lanka, Thailand, Bhutan and Nepal.

“There is no country in the region which has not suffered from terrorism and transnational crimes, such as drug trafficking linked to networks of terrorism,” Mr. Modi told the summit, which was inaugurated by Nepal Prime Minister Khadga Prasad Sharma Oli.

‘No substitute’

Addressing the summit, Mr. Oli said the BIMSTEC was not a substitute to the SAARC, and the two organisations could complement each other. He underlined the need for implementing the BIMSTEC poverty plan as well as the Millennium Development Goals for the benefit of the member states. He stressed the need for deeper economic integration and collaboration among the members for speedy development of the region.

Addressing the summit, Prime Minister Narendra Modi said the BIMSTEC member states, situated between the Himalayas and the Bay of Bengal, face frequent natural disasters such as flood, cyclone and earthquake, and called for “cooperation and coordination” among them in humanitarian assistance and disaster relief efforts.

“As no single country can move alone for attaining peace, prosperity and development, we need to collaborate and cooperate with each other in this interconnected world,” he said.

For research on art, culture and other subjects in the Bay of Bengal, India would set up a Centre for Bay of Bengal Studies at the Nalanda University, he said.

Prime Minister Modi said India will host the International Buddhist Conclave in August 2020 and invited all BIMSTEC leaders to attend the event as guests of honour.

He also said India was committed to enhance its national knowledge network in the field of digital connectivity in Sri Lanka, Bangladesh, Bhutan and Nepal. India also plans to extend it to Myanmar and Thailand. Mr. Modi hoped that the BIMSTEC member states will attend the India Mobile Congress in New Delhi scheduled for October.

Hizbul Mujahideen chief’s son Shakeel arrested in terror-funding case


The NIA alleged Shakeel used to receive funds through a US-based international wire transfer company from Aijaz Ahmed Bhat, another accused in the case.


The National Investigation Agency (NIA) on Thursday arrested Syed Shakeel Yousuf, son of globally wanted terrorist Syed Salahuddin, in connection with a 2011 terror funding case for allegedly receiving money from his father.

Syed Salahuddin is the supreme commander of Pakistan’s Muzaffarabad-based Hizbul Mujahideen.

Shakeel Yousuf was nabbed in a raid carried out by the NIA in the Rambagh area of Srinagar in Jammu and Kashmir.

Shakeel, working as a laboratory assistant at a prestigious government hospital at present, was picked up from Rambagh locality of Srinagar and placed under arrest, an NIA spokesman said in Delhi.

The spokesman said, “In an operation today morning, NIA team along with the police and CRPF arrested Shakeel in a terror funding case.”

He is the second son of Salahuddin who has been arrested by the NIA in connection with the case. Earlier in June this year, his another son, Shahid, who was working in the agricultural department of the Jammu and Kashmir government, was arrested in the same case.

“He works as a laboratory technician in Sher-e-Kashmir Institute of Medical Sciences (SKIMS) Soura. Earlier in June, the NIA arrested Syed Shahid Yousuf, another son of Syed Salahuddin. He was working with the Jammu and Kashmir agricultural department,” said an official.

The NIA alleged Shakeel used to receive funds through a US-based international wire transfer company from Aijaz Ahmed Bhat, another accused in the case who is absconding and based in Saudi Arabia

The agency alleged Shakeel was “one of several Indian contacts of Bhat” who had been in telephonic contact with him for receiving money transfer codes. The case, registered by the NIA in April 2011, relates to transfer of money from Pakistan to Jammu and Kashmir through hawala channels via Delhi, which the agency believed was used in funding terrorism and secessionist activities.

While discussing water treaties at Lahore, Pak raises Kashmir in UN

Akbaruddin-Maleeha


At the UN Security Council open debate on ‘Mediation and the Settlement of Disputes’, New Delhi takes exception to Islamabad raising the Kashmir issue, asks the new government in Pakistan to work constructively to build a safe and terror-free South Asia rather than indulging in polemics


Days after making positive noises about bilateral ties, India and Pakistan clashed at the United Nations, with New Delhi taking exception to Islamabad raising the Kashmir issue and asking the new government in Pakistan to work constructively to build a safe and terror-free South Asia rather than indulging in polemics.

“…I take this opportunity to remind Pakistan, the one isolated delegation that made unwarranted references to an integral part of India (J&K), that pacific settlement requires pacific intent in thinking and pacific content in action,’’ India’s Permanent Representative to the UN Syed Akbaruddin said while participating at the Security Council open debate on ‘Mediation and the Settlement of Disputes’. He said, “Regurgitating a failed approach, which has long been rejected, is neither reflective of pacific intent nor a display of pacific content.’’

Akbaruddin’s hard-hitting remarks came shortly after Pakistan’s Ambassador to the UN Maleeha Lodhi called for implementation of the UNSC resolution on Kashmir.

Rejecting the idea of mediation between India and Pakistan for resolving the Kashmir issue, the Indian representative said it was important not to charge the UN with responsibilities that it might be ill-suited to perform. ‘’Mediation, in every circumstance, is one such task, it (UN) is not geared to fulfil,’’ he added.

Akbaruddin wondered whether the apparatus of the United Nations, as currently constituted, could perform many of the basic functions required for effective mediation. ‘’Are the mechanisms at the disposal of the UN coherent and flexible to guide dynamic negotiations with an effective strategy?’’ he asked.

In the practice of day-to-day diplomacy, Akbaruddin said, mediators needed to be backed fully by the member states while regretting that inevitably member states of inter-governmental bodies tend to speak with different voices.

Rather than trying and saddling the UN with responsibilities that it was ill-suited to perform, it might be better to look at alternate solutions which use the competencies of the world body more judiciously.

Earlier, the Pakistani delegate said while the UN has had some successes in mediating political settlements, its record was, “at best, chequered.”

The Jammu and Kashmir issue remained on the Security Council’s agenda but resolutions on the issue remained unimplemented till date, Lodhi said