मुख्यमंत्री द्वारा पंजाब और कैनेडा के राज्य ससकैचवन के बीच मज़बूत संबंधों पर ज़ोर

  • ससकैचवन राज्य के निवेशकों को पंजाब में निवेश का न्योता
  • मुख्यमंत्री ने कैनेडा के उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ की मुलाकात

राकेश शाह, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ :

            पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पंजाब और कैनेडा ख़ास तौर पर वहां के राज्य ससकैचवन के बीच संबंधों को और मज़बूत करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।

            कैनेडियन राज्य ससकैचवन के उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ विचार-विमर्श के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब और कैनेडा के इस राज्य के बीच मज़बूत और दोस्ताना संबंधों की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि कैनेडा की सामाजिक-आर्थिक तरक्की में पंजाबी अहम भूमिका निभा रहे हैं। भगवंत मान ने कहा कि यह बड़े मान और संतोष वाली बात है कि बड़ी संख्या में पंजाबियों ने कैनेडा के राजनैतिक क्षेत्र में भी अपने लिए अलग जगह बनाई है।

            मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब देश भर में से उद्योग लगाने के लिए सबसे पंसदीदा स्थान है। उन्होंने ससकैचवन के प्रतिनिधिमंडल को न्योता दिया कि वह उद्यमियों को पंजाब में निवेश के लिए उत्साहित करें जिससे वह औद्योगिक तरक्की के लिए यहाँ के अनुकूल माहौल का लाभ ले सकें। भगवंत मान ने कहा कि राज्य सरकार ने राज्य को पहले ही औद्योगिक तरक्की की राह पर डाल दिया है, जिससे निवेशकों को लाभ होगा।

            कैनेडा में बसे पंजाबियों को सुचारू तरीके से पंजाब के बरैंडिड उत्पाद हासिल करने योग्य बनाने के लिए समूचे ढांचे को मज़बूत करने का मुद्दा उठाते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब के सोहना मार्का के उत्पाद विश्व प्रसिद्ध हैं और कैनेडा में निवासी पंजाबी भाईचारा इन उत्पादों को ख़ास तौर पर पसंद करता है। इसी तरह वेरका के उत्पाद घी, दूध, मक्खन, लस्सी, खीर, दही, आईस-क्रीम, मिठाईयां और अन्य वस्तुएँ पहले ही अपनी अलग पहचान बना चुकी हैं। भगवंत मान ने विदेशों में रहते पंजाबियों तक यह वस्तुएँ आसानी से पहुँचाने करने के लिए सप्लाई लड़ी को मज़बूत करने के लिए कैनेडा के प्रतिनिधिमंडल से सहयोग माँगा।

            मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि पंजाब और कैनेडा ख़ास तौर पर ससकैचवन के बीच सहयोग से दोनों मुल्कों को बड़ा फ़ायदा हो सकता है। उन्होंने कहा कि पंजाब में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने और राज्य के व्यापक विकास को यकीनी बनाने के लिए इसकी तत्काल ज़रूरत है। भगवंत मान ने उम्मीद अभिव्यक्ति कि पंजाब और कैनेडा के बीच परस्पर सहयोग राज्य के नौजवानों के लिए रोज़गार के नये मौके खोल कर उनकी तकदीर बदल देगा।

            इस दौरान कैनेडा के प्रतिनिधिमंडल में शामिल ए. डी. एम. इंटरनेशनल इंगेजमैंट, ससकैचवन ट्रेड और एक्सपोर्ट डिवैल्पमैंट रिशैल बोरगौन, एम. डी. ससकैचवन इंडिया आफिस विक्टर ली, कौंसिल जनरल आफ कैनेडा पैट्रिक हेबरट और यूनिवर्सिटी आफ ससकैचवन में वाइस प्रैज़ीडैंट आफ रिर्सच डा. बलजीत सिंह ने मुख्यमंत्री का समय देने के लिए धन्यवाद किया। उन्होंने मुख्यमंत्री को हरेक क्षेत्र में भरपूर सहयोग और तालमेल करने का यकीन भी दिलाया।

‘शराब के नशे में धुत थे पंजाब के CM भगवंत मान, जर्मनी में फ्लाइट से उतारा’ यात्रियों ने बताया नशे में धुत थे, ठीक से चल भी नहीं पा रहे थे भगवंत मान

            पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को जर्मनी के फ्रैंकफर्ट एयरपोर्ट पर विमान से नीचे उतारने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। शिरोमणि अकाली दल के चीफ सुखबीर सिंह बादल ने ट्वीट कर मान और केजरीवाल को इस पर सफाई देने को कहा है। उनका कहना है कि इन रिपोर्ट्स ने पंजाबियों को दुनिया भर में शर्मिंदा किया है।  उन्होंने इसे शर्मनाक घटना बताते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान और दमी पार्टी (आआपा) के नेता अरविंद केजरीवाल से स्पष्टीकरण देने की मांग की है। इस बीच आआपा ने इन खबरों को झूठा बताते हुए कहा है कि मान की तबीयत नहीं ठीक थी।

यह तस्वीर 14 अप्रैल, 2022 की है, जब मान बैसाखी के अवसर पर दमदमा साहिब माथा टेकने पहुंचे थे। इस दौरान सुखबीर सिंह बादल ने आरोप लगाया था कि मान ने गुरुद्वारा में जब अरदास की तो वह नशे में थे।
यह तस्वीर 14 अप्रैल, 2022 की है, जब मान बैसाखी के अवसर पर दमदमा साहिब माथा टेकने पहुंचे थे। इस दौरान सुखबीर सिंह बादल ने आरोप लगाया था कि मान ने गुरुद्वारा में जब अरदास की तो वह नशे में थे।

सारिका तिवारी/नयी दिल्ली(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ – 20 सितंबर :

            पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान एक बार फिर विवादों में हैं। इस बार मामला उन्हें जर्मनी में एक जहाज से नीचे उतारने का है। पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप बाजवा ने सोमवार को जालंधर में दावा किया कि भगवंत मान की हालत ऐसी थी कि वह जहाज में बैठने लायक नहीं थे, इसलिए उन्हें नीचे उतार दिया गया और उनका सामान भी जहाज से निकाल दिया गया।

प्रताप बाजवा का दावा है कि एयरलाइंस व जहाज में बैठे कुछ अधिकारियों से उनकी बात हुई है

            प्रताप बाजवा का दावा है कि एयरलाइंस व जहाज में बैठे कुछ अधिकारियों से उनकी बात हुई है। बाजवा ने मान को जहाज से उतारने के मामले की केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से जांच की मांग की है। 

            वहीं कांग्रेस नेता सुखपाल खैरा ने कहा कि अगर यह खबर सही है जोकि लगता है कि सही है तो अरविंद केजरीवाल को बताना चाहिए कि राजनीति में पियक्कड़ों को बढ़ावा देने से उन्हें क्या फर्क पड़ रहा है। क्या यही भारत में बदलाव की उनकी राजनीति है? किसी भी सीएम ने राजनीति में नैतिकता की मर्यादा ऐसे कभी नहीं गिराई जैसे भगवंत मान बार-बार कर रहे हैं।  

            भगवंत मान 17 सितंबर को जर्मनी से दिल्ली लौट रहे थे। ऐसा कहा जा रहा है कि इसी दौरान फ्रैंकफर्ट एयरपोर्ट पर उन्हें लुफ्थांसा एयरलाइंस के विमान से नीचे उतार दिया गया। वे नशे में थे, इसलिए एयरलाइन ने ऐसा फैसला लिया।

लुफ्थांसा वेबसाइट के मुताबिक, यह विमान फ्रैंकफर्ट से शनिवार दोपहर 1.40 बजे रवाना होने वाला था। यह दिल्ली में रात 12.55 बजे लैंड करता, लेकिन इस हंगामे के बाद विमान 4 घंटे की देरी से शाम 5.52 बजे उड़ान भर पाया और सोमवार सुबह 4.30 बजे दिल्ली में लैंड हुआ।

बता दें कि जर्मनी में भगवंत मान के साथ उनके दल में राज्य कैडर के चार आईएएस अधिकारी और एक सलाहकार शामिल थे। जर्मनी में निवेशकों के साथ उनकी कई बैठकें हुईं। सीएम भगवंत मान ने विश्व के उद्योगपतियों को 23-24 फरवरी, 2023 को होने वाले ‘प्रगतिशील पंजाब निवेशक सम्मेलन’ में शामिल होने के लिए न्योता दिया है।

            विमान के बाकी यात्रियों के अनुसार CM मान ने इतनी शराब पी रखी थी कि वे ठीक से चल नहीं पा रहे थे। उनकी पत्नी और सुरक्षाकर्मी उन्हें संभाल रहे थे। इस वजह से सुरक्षा का हवाला देते हुए मान को नीचे उतार दिया गया। उनके स्टाफ ने कोशिश की कि उन्हें न उतारा जाए, लेकिन फ्लाइट का स्टाफ कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था। एक अन्य यात्री का कहना है कि इस पूरे वाकये के चलते फ्लाइट चार घंटे लेट हुई। सोशल मीडिया पर इसे लेकर सीएम भगवंत मान की आलोचना हो रही है।

                        आपा के मीडिया कम्युनिकेशन के निदेशक चंदर सुता डोगरा ने बताया था कि मुख्यमंत्री की तबीयत ठीक नहीं थी। इसी वजह से 17 तारीख की बजाय वे 18 तारीख को दिल्ली रवाना हुए। उधर, आआपा ने इस पूरे मामले को खारिज कर दिया है। CM कार्यालय के मीडिया प्रभारी नवनीत वाधवा ने कहा कि यह सब फालतू बातें हैं। मुख्यमंत्री के जर्मनी दौरे के कार्यक्रम के मुताबिक उन्हें 18 सितंबर तक जर्मनी में रहना था।

सुखबीर सिंह बादल ने कहा- इस विमान के यात्रियों ने मीडिया को जो जानकारी दी है, वह परेशान करने वाली है। जानकारी के मुताबिक, पंजाब के CM भगवंत मान को लुफ्थांसा फ्लाइट से उतारा गया, क्योंकि वे नशे में थे। इस वजह से फ्लाइट 4 घंटे देरी से उड़ान भर पाई।

            उन्होंने दूसरे ट्वीट में कहा कि हैरानी की बात यह है कि पंजाब सरकार इन खबरों पर चुप है। CM भगवंत मान और दिल्ली CM केजरीवाल को इस मुद्दे पर सफाई देनी चाहिए। भारत सरकार को इस मामले में दखल देना चाहिए, क्योंकि इसमें पंजाबी और राष्ट्रीय गौरव शामिल है। अगर मान को विमान से उतारा गया था, तो भारत सरकार को जर्मन सरकार से इस बारे में बात करनी चाहिए।

            दिल्ली कांग्रेस ने भी भगवंत मान को अधिक नशे में होने की वजह से फ्लाइट से उतारे जाने को शर्मनाक घटना बताया। दिल्ली कांग्रेस के ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट से इस घटना से जुड़ी न्यूज क्लिपिंग शेयर करते हुए लिखा गया कि यह बड़े शर्म की बात है।

            साल 2019 में पंजाब के सीएम भगवंत मान ने एक रैली में कहा था कि उन्होंने अब शराब छोड़ दी है और वे अपनी मां की सलाह पर ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने कहा- मेरे कई पुराने वीडियो को सोशल मीडिया पर डालकर मुझे बदनाम किया जाता था। मेरे राजनीतिक विरोधी आरोप लगाते हैं कि मान दिन-रात शराब के नशे में रहता था। इस लिए मैं नए साल पर इसे छोड़ रहा हूं। इसके बाद उन्हें काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।

मान ने मंच पर अपनी मां और पंजाब की जनता के सामने वादा किया था कि अपना तन मन धन पंजाब की सेवा के लिए लगाएंगे।
मान ने मंच पर अपनी मां और पंजाब की जनता के सामने वादा किया था कि अपना तन मन धन पंजाब की सेवा के लिए लगाएंगे।

कनाडा के काउंसल जनरल  पैट्रिक हेबर्ट ने की जॉन्स एमयूएन के  दूसरा संस्करण की टैगोर से शुरआत

  • अगले तीन दिन सेंट जॉन्स हाई स्कूल में जुटेंगे 400 स्टूडेंट्स 

डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, चंडीगढ़ :

सिल्वर फ़र्न एजुकेशन कंसल्टेंट्स द्वारा आयोजित विंडसर विश्वविद्यालय द्वारा समर्थित जॉन्स एमयूएन का दूसरा संस्करण आज टैगोर थिएटर, चंडीगढ़ में उद्घाटन समारोह के साथ शुरू हुआ। इस समारोह में चंडीगढ़ में कनाडा के महावाणिज्य दूत श्री पैट्रिक हेबर्ट मुख अतिथि रहे । हर्षित समारोह की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलित करने के साथ-साथ सम्मानित अतिथियों द्वारा सूचनात्मक और मूल्यवान भाषणों के साथ हुई, जिसमें विंडसर विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ शामिल थे और सेंट जॉन्स हाई स्कूल के उत्साही छात्रों द्वारा सांस्कृतिक प्रदर्शन किया गया था।

सम्मेलन के दूसरे संस्करण में देश भर के 50 से अधिक स्कूलों का प्रतिनिधित्व करने वाले लगभग 400 प्रतिनिधियों ने भागीदारी की । उद्घाटन समारोह के पूरा होने के बाद, सेंट जॉन्स हाई स्कूल में विभिन्न समिति सत्र शुरू हुए जो एमयूएन के लिए कार्यस्थली  है। जॉन्स एमयूएन के लिए आईसीजे, यूएनजीए SOCHUM, लोकसभा और यूएनएससी जैसी 7 समितियां बनाई गई हैं। अगले तीन दिनों के दौरान समितियां संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों, शरणार्थी संकट, यूक्रेन-रूस युद्ध और जलवायु परिवर्तन जैसे विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श करेंगी। सम्मेलन का आदर्श वाक्य “क्रांति के लिए विकास” है।

सम्मेलन के कार्यकारी बोर्ड को क्लैट पॉसिबल के पेशेवरों द्वारा भी प्रशिक्षित किया गया है जो कानून से संबंधित शिक्षा के शिक्षक हैं। क्लैट पॉसिबल के अकादमिक संकाय को कई राष्ट्रीय स्तर के एमयूएन को सुविधाजनक बनाने का व्यापक अनुभव है। क्लैट पॉसिबल ने प्रतिनिधियों की अधिकतम भागीदारी और सूचनाओं के प्रभावी आदान-प्रदान को सुनिश्चित करने के लिए संचार के सही चैनल स्थापित करने के साथ-साथ सम्मेलन की मर्यादा को सुव्यवस्थित करने में बहुत योगदान दिया है।

सम्मेलन अब अगले दो दिनों में व्यापक घंटों के विचार-विमर्श के लिए तत्पर है, जहां प्रतिनिधि आमने-सामने होंगे, विजेताओं की घोषणा 24 जुलाई को की जाएगी और इसके बाद कार्यक्रम का समापन होगा।

Japanese scientists along with the Secretary, Economic Section

Koral ‘Purnoor’, Demokretic Front, Chandigarh June 24, 2022

 A delegation of Japanese scientists along with the Secretary, Economic Section, Embassy of Japan in India visited the Panjab University. The Japanese scientists are currently working in collaboration with Dr. Suman Mor, Department of Environment Studies in Aakash project (An Interdisciplinary Study toward Clean Air, Public Health and Sustainable Agriculture: The Case of Crop Residue Burning in North India), which focuses on the reduction of air pollution in North India from crop residue burning.

The Director, Research & Development Cell (RDC), Panjab University, Prof. Sudhir Kumar, interacted with the delegation and discussed with Mr. Yoshida Yuki, Secretary, Economic Section, Embassy of Japan in India, to strengthen collaborations with the Panjab University in the field of science, technology, art and culture through dual degree program including student exchange. Director RDC, Panjab University, apprised the efforts of Dr. Mor for her continuous work and contribution in the environmental research, science and communication field.

Prof. Yutaka Matsumi, Nagoya University, Japan and Dr. Tanbir Singh, Research Institute for Humanity and Nature (RIHN), Kyoto, Japan, mentioned that they have recently set up air quality monitoring sensors over the Indo-Gangetic Plain of India under the guidance of Dr. Suman Mor, Panjab University and Prof. Ravindra Khaiwal, PGIMER, Chandigarh.

Panjab University recently has developed a ‘Super Urban Monitoring of Air Pollution and Networking Site’ in Sector 25 near the continuous air quality monitoring station. This super site has partnered with the NASA citizen science project, USA; Aakash project, Japan; CSTEP, India and the University of Leicester, UK. Dr. Mor highlighted that this is the unique site for validating and standardizing near-real-time air quality sensors.

The Indo-Japanese delegation also discussed strengthening the joint scientific research for the common public’s benefit. The delebration focused on identifying practical solutions for the seasonal air pollution issues and how to minimize its adverse impacts for the overall improvement of the environment and human health.

15 से अधिक मुस्लिम देश भारत से नाराज़

पाकिस्तान का सर्वोच्च सम्मान निशान-ए-पाकिस्तान पाने वाले ओमान के ग्रैंड मुफ्ती शेख अहमद बिन हमाद अल खलीली ने भाजपा के खिलाफ मुहिम की शुरुआत की। ग्रैंड मुफ्ती ने ट्वीट किया कि भारत की सत्तारूढ़ पार्टी के प्रवक्ता ने इस्लाम के दूत के खिलाफ एक ढीठ और अपमानजनक टिप्पणी की है। ये एक ऐसा मामला है जिसके खिलाफ दुनिया भर के मुस्लिमों को एक साथ आना चाहिए। ग्रैंड मुफ्ती ने भारतीय उत्पादों के बहिष्कार का भी आह्वान किया, वहीं कई ट्विटर हैंडल ने सभी भारतीय निवेश को अपने कब्जे में लेने और भारतीयों की छंटनी करने का आग्रह किया।

  • पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणी पर बीजेपी ने नूपुर शर्मा को सस्पेंड कर दिया है
  • ओमान के ग्रैंड मुफ्ती ने बीजेपी के खिलाफ ट्विटर पर मुहिम चलाई थी
  • ग्रैंड मुफ्ती के बयान के बाद पाकिस्तान के ट्विटर हैंडल से भारत का खाड़ी देशों में विरोध हुआ

राजविरेन्द्र वसिष्ठ, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/नयी दिल्ली :

बीजेपी से निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद पर दिए विवादित बयान से दुनियाभर में हंगामा मचा हुआ है। खाड़ी देश भी इस मामले में भारत से खफा नजर आ रहे हैं। इस बीच इस पूरे विवाद पर पाकिस्तान की साजिश का खुलासा हुआ है। पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर नूपुर शर्मा के खिलाफ सोशल मीडिया पर कैंपेन चलाया और हैशटैग ट्रेंड कराया था। इतना ही नहीं खाड़ी देशों को भी भड़काया। पाकिस्तान ने बड़ी संख्या में फॉलोअर्स से ट्वीट कराए और लोगों को भारत के खिलाफ भड़काया। पाकिस्तान की साजिश गल्फ देशों से भारत के अच्छे संबंधों को खराब करने की है। वह चाहता है कि खाड़ी देश भारत के खिलाफ खड़े हों। इसलिए उसने नूपुर शर्मा से जुड़े हैशटैग को सोशल मीडिया पर ट्रेंड कराया।

पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक बयान पर खाड़ी देशों से उठे विरोध के बाद बीजेपी एक्शन मोड में नजर आ रही है। पार्टी ने अपने दो प्रवक्ताओं नूपुर शर्मा और नवीन कुमार पर एक्शन लेकर कड़ा संदेश देने की कोशिश की और उसके बाद ऐसे नेताओं की लिस्ट तैयार करके उन्हें विवादास्पद बयानों से दूर रहने की हिदायत भी दे डाली।

इधर, इस मामले में आतंकी संगठन अल कायदा ने भी भारत को धमकी दी है। संगठन ने चिट्‌ठी जारी की है जिसमें दिल्ली, महाराष्ट्र, यूपी और गुजरात में आत्मघाती हमले की धमकी दी गई है।

इस मुद्दे पर पहले 57 मुस्लिम देशों के संगठन इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) ने विरोध जताया और इसके बाद कुछ अरब देशों ने भारतीय उत्पादों का बहिष्कार शुरू कर दिया। इसके साथ ही ईरान, इराक, कुवैत, कतर, सऊदी अरब, ओमान, यूएई, जॉर्डन, अफगानिस्तान, बहरीन, मालदीव, लीबिया, इंडोनेशिया, तुर्की, मलेशिया और पाकिस्तान ने भी बयान का विरोध किया है।

भारत और Middle-East के बीच रिश्ते सिर्फ इतिहास और संस्कृति में ही नहीं बल्कि व्यापार और वाणिज्य से भी आ चुके हैं। कई सालों से इन देशों के साथ व्यापार कर रहा है और भारत के विदेशी व्यापार में इन देशों का बड़ा हिस्सा है। . वही तेल के मामले में तो भारत इन देशों पर ही निर्भर है। इसके अलावा इन देशों में बड़ी संख्या भारतीय रह रहे हैं जिस. इन देशों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। बता दें कि खाड़ी देशों में कई बड़े रिटेल स्टोर और रेस्टोरेंट के मालिक भी भारतीय हैं। ऐसे में अगर भारतीय सामान और बिजनेस का विरोध होता है तो उन लोगों के लिए मुश्किल हो सकती है।

भारत और कुछ अरब देशों के संबंधों के बीच आए खटास ने एक साथ कई सवाल खड़े कर दिए हैं। देश के सत्ताधारी दल की पार्टी प्रवक्ता के द्वारा पैगंबर मोहम्मद पर दिए गए बयान के बाद कई अरब देशों में इस बात का विरोध शुरू हो गया और गंभीरता यहां तक पहुंच गई कि तीन अरब देशों ने भारतीय राजदूत को तलब कर स्पष्टीकरण मांगना शुरू कर दिया कि पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ बयान क्यों दिया गया और यह कहां तक उचित है।

इस्लामिक देशों में यह मुद्दा तेजी से बढ़ रहा है। ओआइसी की ओर से जारी बयान में ताजा विवाद को इस्लाम के विरुद्ध भारत में बढ़ती नफरत का हिस्सा बताया गया है। वहीं भारत की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ‘हमने आर्गेनाइजेशन आफ इस्लामिक कोआपरेशन (ओआइसी) प्रमुख की ओर से भारत को लेकर दिए गए बयान को देखा। भारत सरकार ओआइसी प्रमुख के गैर-जरूरी और संकुचित मानसिकता वाले बयान को पूरी तरह खारिज करती है।’ ‘भारत सरकार सभी धर्मो का सम्मान करती है।’ ‘धार्मिक शख्सियत के लिए अपमानजनक ट्वीट और कमेंट व्यक्ति विशेष द्वारा किए गए हैं। ये किसी भी तरह से भारत सरकार के विचारों को नहीं दर्शाते। इन लोगों के विरुद्ध पहले ही कड़ी कार्रवाई की गई है।’ भारतीय विदेश मंत्रलय की ओर से जारी आधिकारिक बयान में भी ओआइसी प्रमुख के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया गया है और इसे विभाजनकारी एजेंडे को सामने लाना वाला कहा गया है। वहीं दूसरी तरफ हिंदू देवी देवताओं के अश्लील पेंटिंग बनाने वाले पेंटर एमएफ हुसैन को अपनी नागरिकता देने वाले देश कतर का भी ट्विटर पर विरोध तेज हो गया है।

यहां हमें यह समझने की जरूरत है कि जब भी हम लोग भारत की विदेश नीति पढ़ते हैं तो कहते हैं कि भारत की विदेश नीति को निर्धारित करने में घरेलू कारकों की भी भूमिका होती है। खासकर दलीय राजनीति, जनमत और मीडिया से भारत की विदेश नीति बहुत प्रभावित होती है। अब मीडिया पर हुई बहस ने ही भारत अरब संबंधों को प्रभावित कर दिया। ऐसा इसलिए, क्योंकि भारत में सत्ताधारी दल की प्रवक्ता नुपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद पर दिए गए आपत्तिजनक बयान के बाद अरब देशों में भारतीय वस्तुओं के बहिष्कार का मुद्दा ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा। इस्लामिक देशों में यह विरोध कहां तक जायज है कि अगर इसकी बात करें तो हमें निष्कर्ष यह मिलेगा कि विश्व के सभी धर्मो के लोगों ने अपने सर्वोच्च धर्म गुरुओं, महापुरुषों को उनके आचरण से जुड़ी सीमा में नहीं बांधा, बल्कि एक अनन्य धार्मिक आस्था के भाव से संचालित होते रहे।

समस्या यह है कि आज इंटरनेट मीडिया की बहसों में अलग अलग धर्मो के महापुरुषों के आचरणों पर अनुसंधान का कार्य बढ़ गया है, बल्कि इस बात में कोई संशय नहीं कि अलग अलग राजनीतिक दलों के पार्टी प्रवक्ताओं ने भावावेश और आक्रोश में आकर ऐसा बयान देना सीख लिया है जिसके प्रभाव क्या पड़ेंगे, उस पर विचार नहीं किया जाता। देश में मीडिया में अपने विचार और अभिव्यक्ति की आजादी को आगे रखकर लोग बातें रखते हैं, लेकिन धार्मिक आस्थाओं को आहत करने का काम तो कहीं से औचित्यपूर्ण नहीं है, फिर चाहे वह हंिदूू धर्म हो, इस्लाम हो या ईसाई।

आज इस बात पर चर्चा इसलिए जरूरी है, क्योंकि यह पहला अवसर नहीं है जब टीवी चैनल या इंटरनेट मीडिया की पोस्टों ने भारत की विदेश नीति और उसके राजनय को असुविधाजनक स्थिति में डाल दिया है, बल्कि इसके पहले भी ट्विटर पर भारतीयों की बयानबाजी ने खाड़ी देशों में भारत के विरोध में प्रदर्शन को बढ़ाया था। वर्ष 2015-16 में भारत और नेपाल संबंधों को इंटरनेट मीडिया के तमाम पोस्ट बुरी तरह प्रभावित कर चुके हैं। इसलिए इस मामले में इंटरनेट मीडिया को भी अपनी भूमिका में सुधार करना पड़ेगा।

अब सवाल यह उठता है कि क्या कोई पार्टी प्रवक्ता टीवी की बहस में किसी की आलोचना नहीं कर सकता, किसी धर्म विशेष में व्याप्त किसी बुराई के खात्मे या सुधार की बात नहीं कर सकता? तो इसका जवाब है बिल्कुल कर सकता है, लेकिन उसे इस बात का बिल्कुल हक नहीं है कि वह किसी धर्म के धर्म गुरु की नैतिकता पर ही सवाल खड़े कर दे, क्योंकि ऐसा करने से उसे कुछ हासिल नहीं होगा। इसके विपरीत इसका दुष्परिणाम यह हो सकता है कि ये भड़काऊ बात की श्रेणी में आ जाएगा और देश-विदेश में भारत की बहुलतावादी संस्कृति पर दाग लगेगा। शायद यही कारण है कि सत्ताधारी दल भाजपा ने अपने प्रवक्ता पर कार्रवाई की है।

अब प्रश्न यह उठता है कि राजनीतिक दलों के प्रवक्ताओं द्वारा धर्म विशेष पर भावावेश में की जाने वाली टिप्पणी से विदेश संबंध क्यों प्रभावित हो। यहां देखा यह भी जा रहा है कि एक बड़ा वर्ग भाजपा द्वारा इस प्रकरण पर दिए गए आधिकारिक वक्तव्य को सही और तर्कसंगत मान रहा है जिसमें सर्वधर्म समभाव में आस्था और किसी भी धर्म के गुरुओं के अपमान को न सहने की बात की गई है। निश्चित रूप से भाजपा के इस दृष्टिकोण को गलत सिद्ध करने का कोई तुक नहीं बनता, क्योंकि जो लोग इस मसले पर सत्ताधारी दल का विरोध कर रहे हैं, उन्हें राष्ट्रवादी से आगे राष्ट्रीय हितवादी बनने की जरूरत है और अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भारत की स्थिति पर भी थोड़ा विचार करना चाहिए। खाड़ी देश सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, ओमान, कुवैत और कतर से भारत के द्विपक्षीय संबंध आर्थिक दृष्टि से काफी मजबूत रहे हैं। खाड़ी सहयोग संगठन भारत के सबसे बड़े क्षेत्रीय व्यापार साङोदार में से है। संयुक्त अरब अमीरात के साथ हमने अभी कुछ ही समय पहले मुक्त व्यापार समझौता किया है और 50 अरब डालर के द्विपक्षीय व्यापार के लक्ष्य को तय किया है। इसके अलावा भारत की सबसे अधिक कामकाजी आबादी खाड़ी देशों में रहती है जो भारत को 70 से 80 अरब डालर के बीच रकम हर साल भेजती है। इस लिहाज से अरब वर्ल्ड, खाड़ी देशों का भारत विरोध हमारे व्यावसायिक हितों के लिहाज से अच्छा नहीं है।

अरब देशों की तरफ हम कश्मीर मसले से लेकर पाकिस्तान को काउंटर करने के मसले पर समर्थन की अपेक्षा करते हैं। हम ओआइसी की भारत विरोधी बयानों को बेअसर कराने के लिए अरब वल्र्ड की तरफ देखते रहे हैं। अब केवल ट्विटर और फेसबुक पर सक्रिय राष्ट्रवादी ये कहें कि ये अरब वल्र्ड कौन होता है जिसके सामने भारत ने सरेंडर कर दिया है, या जो लोग पार्टी प्रवक्ता की सदस्यता निलंबन के प्रकरण को भाजपा का कायरतापूर्ण निर्णय कह रहे हैं, वही देश के कंपोजिट कल्चर, सर्वधर्म समभाव के यशगान में लगे दिखाई देते हैं।

यहां एक सीधा सवाल उठाया जा सकता है कि फ्रांस में शार्ली हेब्दो पत्रिका में पैगंबर मोहम्मद को काटरून में ट्रांसजेंडर के रूप में पेश करने को कौन उचित ठहराएगा। ये कौन सी अभिव्यक्ति की आजादी राजनीतिक दल के नेताओं या अन्य लोगों को मिली है कि वे प्रभु श्रीराम, पैगंबर मोहम्मद, ईसा मसीह आदि को चरित्र प्रमाण पत्र बांटें। वर्तमान में जो प्रकरण हुआ है उससे बड़ी सबक ये ली जानी चाहिए कि सभी राजनीतिक दलों को अपने अपने कार्यकर्ताओं को कुछ वाजिब मर्यादाओं में रहकर राष्ट्रीय हित में भी काम करने की सीख दी जानी चाहिए।

अरब देशों के साथ अच्छे संबंधों को बढ़ावा देना भारत की विदेश नीति का एक प्रमुख लक्ष्य रहा है। लेकिन खाड़ी देशों और पश्चिम एशिया के इस्लामिक देशों के साथ भारत के संबंधों में समय समय पर उतार चढ़ाव देखे गए हैं। हाल के वर्षो में भारत सरकार ने जहां खाड़ी देशों के साथ मजबूत संबंध स्थापित करने पर जोर दिया, वहीं दूसरी तरफ बीते दिनों भारत के नागरिकता संशोधन अधिनियम और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर जैसे कारणों से उपजे विरोध प्रदर्शन, दंगे और मुस्लिम अल्पसंख्यकों के हितों के प्रश्नों पर कई इस्लामिक देशों सहित खाड़ी देशों में एक असंतोष की भावना भड़काने का प्रयास किया गया जिससे कुवैत जैसे कई खाड़ी देशों ने इस्लामिक सहयोग संगठन से यह मांग तक कर दी कि भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के संरक्षण के मामले को उसे संज्ञान में लेना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि खाड़ी सहयोग परिषद भारत का सबसे बड़ा क्षेत्रीय व्यापारिक साङोदार रहा है। वर्ष 2021-22 में दोनों के मध्य 154.73 अरब डालर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ है। इसमें भी संयुक्त अरब अमीरात के साथ 60 अरब और सऊदी अरब के साथ 34 अरब डालर का द्विपक्षीय वार्षिक व्यापार रहा है। भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए बड़े स्तर पर खाड़ी देशों पर निर्भर है।

भारत के कुल कच्चे तेल के आयात का लगभग 20 प्रतिशत सऊदी अरब से और 10 प्रतिशत ईरान से आता है। इसलिए भारत को एक साथ सऊदी अरब और ईरान से अच्छे संबंधों को बनाकर रख पाने की चुनौती रही है, क्योंकि दोनों देश एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी हैं। वहीं कतर भारत के लिए एलएनजी प्राप्ति का सबसे बड़ा स्रोत रहा है और कतर राजनीतिक संकट का प्रभाव भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर पड़ना स्वाभाविक भी है। इसलिए भारत का यह सदैव दृष्टिकोण रहा है कि खाड़ी क्षेत्र में किसी भी समस्या का राजनीतिक और शांतिपूर्ण समाधान होना चाहिए और खाड़ी देशों के मध्य विश्वास बहाली के हर संभव प्रयास किए जाने चाहिए। चूंकि खाड़ी क्षेत्र महाशक्तियों की क्षेत्रीय राजनीति की प्रयोगशाला भी रहा है, इसलिए वहां अलग अलग राष्ट्रों के समूहों की गुटबाजी को भी बढ़ावा मिलता रहा है। इसी क्रम में भारत ने ईरान से क्रूड आयल मंगाने के मुद्दे पर अमेरिका के दबाव को भी ङोला और साथ ही पूरी तरह यह भी कोशिश की कि उसे अपनी संप्रभुता से समझौता नहीं करना पड़े। भारत को ईरान और रूस के साथ व्यापारिक समझौतों के आधार पर ही अमेरिका ने जीएसपी की सूची से बाहर भी निकाल दिया था। यही ईरान और रूस या फिर चीन के संबंध और प्रभाव खाड़ी देशों में न बढ़े, अमेरिका इसकी कोशिश करता रहा है।

Remote Operation Center for the USA based Experiment established at PU

Koral ‘Purnoor’, Demokretic Front, Chandigarh June 6, 2022 :

Head of International Co-Operation, DST, Govt. Of India, S. K. Varshney inaugurated the Remote Operation Center (ROC) at Panjab University (PU) for the NOvA Experiment at Fermilab, USA on Saturday, 4th June 2022. This is the only and the first one of this kind in the entire country!  Prof. Sudhir Kumar, Director R&D Cell, Panjab University was the Guest of Honor for the event. Shri Varshney was accompanied by Shri Gaurav Aggarwal, Scientist “F” at DST. The inaugural ceremony took place in a hybrid mode. The Chairperson of the department, members of Experimental High Energy Physics group and various other dignitaries were present physically whereas members from other institutes of Indian Institues Fermilab Collaboration (IIFC) joined the event remotely. The group at PU is involved in extremely intriguing research programs as a part of various experiments at leading international collaborations such as CMS at CERN, NOvA and DUNE at Fermilab. Being one of the nine Indian institutes under the umbrella of IIFC-Neutrino Program, this ROC for the NOvA experiment will cater to all the Indian collabortors. The ROC-India is the only such center for NOvA experiment in the whole region of Asia.

From hardware upgrade to creating secure connections to Fermilab everything has been done by the members of the PU EHEP group. This ROC will support the NOvA experiment, located 11,700 km away, in data-taking operations, remote monitoring of the NovA detector system. With this accomplishment, the group at PU has acquired expertise in setting up Remote Operation Centres.

The  dignitries and the delegate visited all the detector hardware research labs in the department including the cyclotron. The inauguration was followed by an interaction with the Ph.D. Scholars of the EHEP group and the Chief Guests enlightened them by giving tips on being an effiecient researcher. This whole effort is supported and funded by DST, Govt of India as part of the Rs. 1.8 Crore grant sanctioned to the group as reported by Prof. Vipin Bhatnagar, Project Coordinator.

Khelo India Youth Games-2021- Haryana’s Girls and Boys continue to dominate

  • Haryana players also tried their hands at Gatka and Thang-ta

Koral’Purnoor’, Demokretic Front, Panchkula , June 4 :

With the start of Khelo India Youth Games-2021, Haryana continues to dominate on the second day.  Haryana boys and girls beat Delhi and Uttar Pradesh in straight sets in the tough competitions of volleyball and kept their spirits alive.

Before the start of the match, Sh. Sanjay Phogat, who was the captain of the Indian team, introduced all the players.  According to the boys’ team coach Sh. Karmaveer Golan and Sh. Subhash Kalka, four boys of the team Aman, Abhi, Sachin, Ajay and Shekhar are training at the Kurukshetra Centre of Sports Authority of India.  Ajay has recently participated in the World Volleyball Championship held in Iran.  Haryana team put up a tough fight with Delhi team and won in straight sets with 25-17, 25-14, 25-17 points.

Similarly, the girls of Haryana retained their dominance in volleyball by defeating Uttar Pradesh in three straight sets with 25-18, 25-16, 25-14 points.  Similarly, in Boys’ Kabaddi, Haryana beat Himachal Pradesh by 44-34 points, Uttar Pradesh beat Andhra Pradesh by 55-27 points while in Girls’ match Chandigarh won by defeating Jharkhand by 58-33 points.

Event competition started with the traditional sports events like Gatka, Thang-Ta and Yogasanas

Generally, Haryana is known for traditional sports like wrestling, boxing and kabaddi, but the players of Haryana in Khelo India Youth Games-2021 for the first time tried their hands at Gatka and Thang-Ta sports event. It is noteworthy that Haryana players did not just try their hands for the first time in these games but also registered victory in such events as well.

In Gatka, Haryana beat Madhya Pradesh by 172-29 points, while in Thang-Ta Haryana’s Aryan beat Delhi’s Akash by 54-48 points and in Thang-Ta, Ravi Ranjan Singh of Uttar Pradesh defeated Nagaland’s Vishal Dangta by 24-16.

Similarly, in second match of Gatka, Punjab beat Rajasthan by 195-52 points, Maharashtra beat Tamil Nadu by 74-20 points, Delhi beat Chandigarh by 89-82 and Chhattisgarh by 81-45 points.  In Badminton singles match, Radhika Sharma of Punjab defeated Ladia Baratio of Goa by 21-11 and 21-13 points.

On the second day, Khelo India Youth Games gained momentum with matches of Football, Badminton, Kabaddi, Volleyball, Gatka Thang-Ta, Yogasana and Hockey.  Haryana girls beat Gujarat by 2 goals while Jharkhand beat Manipur by 3 goals in the first round of football being held at Panjab University, Chandigarh.  Similarly, 90 players from 19 states participated in the initial matches of Yogasana included in Khelo India Youth Games-2021 and   semi-final matches of traditional events also took place.

सीएम के दौरे से पहले पंजाब पुलिस ने मूसा गाँव को किले में तब्दील किया : मूसा गाँव के लोग

सिद्धू मूसेवाला के परिवार से मिलने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के आने पर गाँव वालों और रिश्तेदारों ने इसका जमकर विरोध किया। सीएम भगवंत मान के पहुँचने से पहले गाँव में सुरक्षा के बेहद कड़े प्रबंध किए गए। गाँव वालों ने आरोप लगाया कि सीएम के दौरे से पहले पंजाब पुलिस ने मूसा गाँव को किले में तब्दील कर दिया था। इसकी वजह से ग्रामीणों को भी सिद्धू के घर में जाने से रोक दिया गया। इससे पहले मूसा गांव पहुंचे आआपा (आम आदमी पार्टी) विधायक गुरप्रीत सिंह बणावाली काे लोगों का विरोध झेलना पड़ा। लोगों ने उन्हें बैरंग वापस लौटा दिया।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ :

पंजाब के मुख्यमंत्री ने अपने कार्यकाल के प्रारम्भ में VIPs की सुरक्षा पर जो रुकावट लगाई उसका पहला असर पंजाब के सबसे युवा गायक सिद्धू मूसेवल पर हुआ। सुरक्षा घटने के तुरंत पश्चात ही सिद्धू की हत्या हो गयी। पंजाब के मुख्य मंत्री पर उठाते प्रश्नों से वह बचते रहे। मूसा गांव पहुंचे आआपा (आम आदमी पार्टी) विधायक गुरप्रीत सिंह बणावाली काे लोगों का विरोध झेलना पड़ा। लोगों ने उन्हें बैरंग वापस लौटा दिया। भगवंत मान ने अपनी उपस्थिती वहीं लगाने से पहले वहाँ पंजाब पुलिस को भेजा। सीएम के दौरे से पहले पंजाब पुलिस ने मूसा गाँव को किले में तब्दील कर दिया था। गाँव वाले यह आरोप लगाते मिले, कारण उसी गाँव में मुख्य मंत्री के वहाँ से जाने से पहले किसी पत्रकार तक को वहाँ पहुँचने नहीं दिया।

बता दें कि सीएम भगवंत मान के दौरे को लेकर सुबह ही बवाल खड़ा हो गया था। भगवंत मान को आज सिद्धू मूसेवाला के परिवार से मिलने आना था, जिसके चलते गांव के चारों ओर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी। इस दौरान रूट डायवर्ट किया गया था और लोगों को सिद्धू मूसेवाला के घर जाने से रोका जा रहा था। इसके अलावा लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी भी प्रभावित हो रही थी. हालांकि पुलिस प्रशासन ने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया है। दरअसल लोगों ने पुलिस द्वारा लगाए गए नाकों का सुबह ही विरोध करना शुरू कर दिया. इस बीच मानसा के डीसी और एसपी को भी मौके पर पहुंचना पड़ा है।

सीएम मान कोसिद्धू मूसेवालाके मानसा स्थित पैतृक गांव में शोक व्यक्त करने के लिए जाना था, जिसके चलते गांव में उनकी हवेली के आसपास पुलिस ने सुबह ही सुरक्षा कड़ी कर दी थी। इस दौरान गांव के लोग जब अपनी दिनचर्या के लिए निकले तो रूट डायवर्ट किए जाने के कारण उन्हें दूसरी ओर से जाने का कहा गया। इस बीच कई ग्रामीणों की पुलिस के साथ बहस हो गई। मामला देखते ही देखते बढ़ गया. ग्रामीणों ने इस बीच सीएम मान का भी विरोध करना शुरू कर दिया। हालात देखते हुए पुलिस और प्रशासन के आलाधिकारियों को मौके पर पहुंचना पड़ा।

शुक्रवार सुबह से ही भगवंत मान के गाँव पहुँचने से पहले ही विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था। सिद्धू मूसेवाला के परिवार से मिलने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के आने पर गाँव वालों और रिश्तेदारों ने इसका जमकर विरोध किया। सीएम भगवंत मान के पहुँचने से पहले गाँव में सुरक्षा के बेहद कड़े प्रबंध किए गए। गाँव वालों ने आरोप लगाया कि सीएम के दौरे से पहले पंजाब पुलिस ने मूसा गाँव को किले में तब्दील कर दिया था। इसकी वजह से ग्रामीणों को भी सिद्धू के घर में जाने से रोक दिया गया। इससे ग्रामीण नाराज हो गए और उन्होंने पंजाब सरकार और मुख्यमंत्री मान के खिलाफ नारे लगाते हुए विरोध करना शुरू कर दिया।

इससे पहले ही मूसा गाँव में AAP विधायक गुरप्रीत सिंह बनावली को लोगों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। ग्रामीणों ने उनके खिलाफ नारेबाजी की। लगातार विरोध कर रहे लोगों ने उन्हें अंदर नहीं आने दिया। उन्होंने विधायक को माफी माँगने और वापस लौटने के लिए मजबूर कर दिया। ग्रामीणों ने स्थानीय AAP विधायक बनावली को गाँव में प्रवेश करने से मना कर दिया। एक ग्रामीण ने विधायक से कहा, “मैं आपका सम्मान करता हूँ लेकिन आपको आज वापस जाना होगा।” इसके बाद बनावली ने असुविधा के लिए ग्रामीणों से माफी माँगी। गाँव से लौटने से पहले उन्होंने कहा, “मैं प्रशासन की गलतियों के लिए माफी माँगता हूँ।” इतना कहने के बाद वे अपनी गाड़ी में बैठकर वापस चले गए। गुरप्रीत सरदुलगढ़ में मानसा विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी के विधायक हैं।

बता दें कि भगवंत मान की सरकार ने पिछले दिनों सिद्धू मूसेवाला की सिक्योरिटी में कमी की थी। पंजाब सरकार के ऐसा करने के एक दिन बाद ही सिद्धू मूसेवाला की हत्या हो गई। गौरतलब है कि रविवार (29 मई 2022) को पंजाब के मानसा गाँव में सिद्धू मूसेवाला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उन पर ताबड़तोड़ 30 गोलियाँ चलाई गई थीं।

एक्टर की हत्या की जिम्मेदारी लॉरेंस बिश्नोई गैंग के मेंबर गोल्डी बराड़ ने ली थी, जो कि कनाडा में रहता है। सिद्धू की माँ चरणजीत कौर ने इसके लिए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा था, “ऐसी निकम्मी सरकार आई है, जिसने सबकुछ खत्म कर दिया है। अब मुझे भी गोली मार दें।”

सीबीआई ने कार्ति चिदंबरम सहित 5 के खिलाफ दर्ज किया केस, 263 चीनी नागरिकों को वीजा के लिए 50 लाख रिश्वत लेने का आरोप

अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में सीबीआई ने आरोप लगाया है कि कार्ति चिदंबरम को संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल के दौरान एक ‘पॉवर प्रोजेक्ट’ के वास्ते चीन के 250 नागरिकों को वीजा दिलवाने के लिए 50 लाख रुपये की रिश्वत मिली थी। उन्होंने बताया कि कार्ति चिदंबरम के खिलाफ यह जांच, आईएनएक्स मीडिया मामले की जांच के दौरान कुछ संबंधित सुराग मिलने पर शुरू की गई। एक प्राईवेट कंपनी पंजाब के मनसा में 1980 मेगावॉट का थर्मल पावर प्लांट लगा रही थी। इसका जिम्मा चीन की एक कंपनी को दिया गया था। आरोप है कि यह प्रोजेक्ट लेट हो रहा था। आरोप है कि काम को तेजी से कराने के लिए चीनी प्रोफेशनल्स को मनसा लाया गया। इनके लिए वीजा का इंतजाम चेन्नई के एक शख्स ने अपने कुछ साथियों की मदद से किया। इसमें नियमों की अनदेखी हुई। कुल 263 प्रोजेक्ट वीजा जारी किए गए। इतना ही नहीं होम मिनिस्ट्री को इस प्राईवेट कंपनी ने एक लेटर लिखा और इन तमाम वीजा होल्डर्स को फिर से वीजा जारी करने की गुजारिश की। इसकी मंजूरी भी एक महीने में मिल गई। आरोप है कि चेन्नई के एक व्यक्ति ने अपने सहयोगियों की मदद से 50 लाख रुपए रिश्वत मांगी।

कार्ति चिदंबरम(file Photo)

सारिका तिवारी, देओक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/नई दिल्ली :  

सीबीआई ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे और सांसद कार्ति चिदंबरम और 4 अन्य लोगों के खिलाफ चीनी कंपनियों में कार्यरत चीनी नागरिकों को अवैध वीजा दिलवाने के मामले में केस दर्ज किया है। ये लोग चीनी कंपनियों में कार्यरत चीनी नागरिकों से घूस लेकर गृह मंत्रालय द्वारा निर्धारित सीमा से ज्यादा लोगों को प्रोजेक्ट वीजा उपलब्ध कराते थे। वह भी उस समय जब कार्ति चिदंबरम के पिता केंद्र में मंत्री थे। यानी पिता के पद का इस्तेमाल करते हुए कार्ति चिदंबरम ने चीन नागरिकों से कथित तौर पर 50 लाख रुपये घूस लेकर वीजा उपलब्ध कराया। पिता के पद का इस्तेमाल करते हुए कार्ति चिदंबरम ने चीन नागरिकों से कथित तौर पर 50 लाख रुपये घूस लेकर वीजा उपलब्ध कराया। अधिकारियों ने बताया कि प्राथमिकी दर्ज करने के बाद आज सुबह सीबीआई के दल ने दिल्ली और चेन्नई में चिदंबरम पिता-पुत्र के आवास समेत देश के कई शहरों में 10 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। यह छापे चेन्नई और मुंबई में कई स्थानों पर तथा कोप्पल (कर्नाटक), झारसुगुड़ा (ओडिशा), मनसा (पंजाब) और दिल्ली में मारे गए।

कार्ति ने सीबीआई छापों के तुरंत बाद इस बारे में विस्तृत जानकारी दिए बिना ट्वीट किया, ‘‘ अब तो मैं गिनती भी भूल गया हूं कि कितनी बार ऐसा हुआ है? शायद यह एक रिकॉर्ड होगा। ” बाद में उन्होंने और ट्वीट कर कहा कि उनके कार्यालय ने उन्हें छापों के बारे में जानकारी दी है। उन्होंने कहा, “मेरे कार्यालय ने अभी ‘रिकॉर्ड’ के बारे में अद्यतन जानकारी दी है, 2015 में दो बार, 2017 में एक बार, 2018 में दो बार और आज, छह!”


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने हिंदी और अंग्रेजी में किए गए अपने ट्वीट में कहा कि सीबीआई के एक दल ने चेन्नई स्थित उनके निवास और दिल्ली में आधिकारिक आवास पर छापेमारी की। उन्होंने कहा, ‘‘ सीबीआई के दल ने मुझे एक प्राथमिकी दिखाई, जिसमें मेरा नाम आरोपी के तौर पर दर्ज नहीं था। छापेमारी में कुछ नहीं मिला और कुछ भी जब्त नहीं किया गया।” उन्होंने कहा, ‘‘ मैं इस बात की ओर ध्यान जरूर दिलाना चाहूंगा कि छापेमारी का समय दिलचस्प है।” हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि छापेमारी के “समय” से उनका क्या आशय है। उन्होंने बताया कि कार्ति चिदंबरम के खिलाफ यह जांच, आईएनएक्स मीडिया मामले की पड़ताल के दौरान कुछ संबंधित सुराग मिलने पर शुरू की गई।

अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में सीबीआई ने आरोप लगाया है कि कार्ति चिदंबरम को संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल के दौरान ‘तलवंडी साबो बिजली परियोजना’ के लिए जुलाई-अगस्त 2011 में चीन के 263 नागरिकों को वीजा दिलवाने के लिए 50 लाख रुपये की रिश्वत मिली थी। उस समय पी चिदंबरम केंद्रीय गृह मंत्री थे। तलवंडी साबो पावर लिमिटेड के प्रवक्ता ने कहा, “पंजाब में हमारे प्रतिष्ठान की तलाशी सीबीआई की व्यापक जांच का हिस्सा है। हम अधिकारियों को पूरा सहयोग दे रहे हैं और उचित प्रक्रिया का पालन कर रहे हैं। हमें और कोई टिप्पणी नहीं करनी है।”


अधिकारियों ने बताया कि प्राथमिकी में कार्ति के अलावा उनके करीबी सहयोगी एस भास्कररमन, तलवंडी साबो बिजली परियोजना के प्रतिनिधि विकास मखारिया (जिसने कथित तौर पर रिश्वत दी) , कंपनी तलवंडी साबो पावर लिमिटेड, मुंबई स्थित बेल टूल्स लिमिटेड (जिसके मार्फत कथित तौर पर रिश्वत पहुंचाई गई) और अन्य अज्ञात के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। सीबीआई को भास्कररमन के कंप्यूटर की हार्ड ड्राइव से 50 लाख रुपये के संदिग्ध लेन-देन के कुछ दस्तावेज मिले थे, जिसके आधार पर एजेंसी ने प्रारंभिक जांच दर्ज की थी। प्रारंभिक जांच के निष्कर्षों में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए प्रथम दृष्टया पर्याप्त सामग्री उपलब्ध थी।

एजेंसी का आरोप है कि पंजाब के मनसा स्थित तलवंडी साबो बिजली परियोजना के तहत 1980 मेगावाट का ताप बिजली संयंत्र स्थापित किया जाना था जिसके लिए चीन की एक कम्पनी के साथ अनुबंध किया गया था, लेकिन उसका काम तय समय से पीछे चल रहा था। सीबीआई प्रवक्ता आर सी जोशी ने एक बयान में कहा कि परियोजना निर्धारित समय से पीछे चल रही थी और कंपनी पर जुर्माना लगने की तलवार लटक रही थी।

जोशी ने कहा, “देरी के लिए दंडात्मक कार्रवाई से बचने के लिए, उक्त निजी कंपनी (तलवंडी साबो) जिला मानसा (पंजाब) में अपनी साइट के लिए अधिक से अधिक चीनी व्यक्तियों और पेशेवरों को लाने की कोशिश कर रही थी और उन्हें गृह मंत्रालय द्वारा निर्धारित अधिकतम सीमा से अधिक परियोजना वीजा की आवश्यकता थी।” अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने आरोप लगाया है कि बिजली कंपनी के प्रतिनिधि मखारिया ने कार्ति से अपने करीबी सहयोगी भास्कररमन के जरिए संपर्क किया।

जोशी ने कहा, “उन्होंने उक्त चीनी कंपनी के अधिकारियों को आवंटित 263 प्रोजेक्ट वीजा के पुन: उपयोग की अनुमति देकर सीलिंग (कंपनी के संयंत्र के लिए अनुमेय परियोजना वीजा की अधिकतम संख्या) के उद्देश्य को विफल करने के लिए ‘पिछले दरवाजे’ का रास्ता तैयार किया।” अधिकारियों ने कहा कि मखारिया ने कथित तौर पर गृह मंत्रालय को एक पत्र सौंपा जिसमें इस कंपनी को आवंटित परियोजना वीजा के पुन: उपयोग के लिए मंजूरी मांगी गई थी, जिसे एक महीने के भीतर मंजूरी दे दी गई थी और कंपनी को अनुमति जारी कर दी गई थी। जोशी ने कहा, “चेन्नई स्थित निजी व्यक्ति (कार्ति) ने अपने करीबी सहयोगी/फ्रंट मैन (भास्कररमन) के माध्यम से कथित तौर पर 50 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी, जिसका भुगतान मनसा स्थित उक्त निजी कंपनी (तलवंडी साबो) ने किया था।”

पाकिस्तान में चीनियों पर चौथा आतंकी हमला, 3 की मौत, क्या चीन से बिगड़ेंगे रिश्ते ?

विशेषज्ञों के मुताबिक चीन कन्फ्यूशियस इंस्‍टीट्यूट के जरिए दुनियाभर में सांस्‍कृतिक प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। साथ ही इसके जरिए चीन उस देश के चर्चित विश्‍वविद्यालय में हो रहे शोध और अन्‍य तकनीकों के विकास पर नजर रखता है। इससे जासूसी को भी बढ़ावा देने की भी खबरें आई हैं और यही वजह है कि भारत ने चीनी इंस्‍टीट्यूट को लेकर बहुत सख्‍त न‍ियम बना दिए हैं। इससे पहले गत 26 अप्रैल को बुर्का पहनी बलूच आत्‍मघाती महिला ने खुद को उड़ा दिया था जिसमें 3 चीनी शिक्षक मारे गए थे और 4 अन्‍य घायल हो गए थे। सीनेट रक्षा समिति के अध्यक्ष मुशाहिद हसन ने अखबार डॉन को बताया कि इस घटना के बाद पाकिस्तान में चीनी लोगों की रक्षा करने की सरकार की क्षमता पर चीन का विश्वास गंभीर रूप से हिल गया। इस घटना के बाद चीनी सरकार ने पाकिस्तान में काम कर रहे अपने नागरिकों पर हमलों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।

कराची/नयी दिल्ली, डेमोक्रेटिक फ्रंट :   

पाकिस्तान   के विभिन्न हिस्सों में मैंडरिन पढ़ाने वाले चीनी शिक्षक हाल में हुए घातक हमलों के मद्देनजर बीजिंग द्वारा वापस बुलाए जाने के बाद घर के लिए रवाना हो गए हैं। कराची विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।  कुछ हफ्ते पहले बुर्का पहनकर आई बलूच महिला आत्मघाती हमलावर ने पाकिस्तान के प्रतिष्ठित कराची विश्वविद्यालय के अंदर एक वाहन के पास खुद को विस्फोट कर उड़ा लिया। देश की वित्तीय राजधानी में चीनी नागरिकों के खिलाफ इस हमले में कन्फ्यूशियस संस्थान के प्रमुख और उनके स्थानीय चालक सहित तीन चीनी शिक्षकों की मौत हो गई। प्रतिबंधित बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) से संबद्ध मजीद ब्रिगेड ने चीन द्वारा निर्मित कन्फ्यूशियस संस्थान के पास शिक्षकों पर हुए हमले की 26 अप्रैल को जिम्मेदारी ली थी।

यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान में चीनी नागरिकों को निशाना बनाकर हमला किया गया हो। आइए जानते हैं कि पाकिस्तान में कब-कब चीनी नागरिकों पर हमला किया गया है।

23 नवंबर 2018

इस दिन चीनी कांसुलेट जनरल, कराची पर हमला किया गया था। इस हमले में 4 लोगों की मौत हो गई थी। इसमें 2 पुलिस के कर्मी और 2 पाकिस्तान के नागरिक मारे गए थे। घंटों चले ऑपरेशन में तीनों हमलावर मारे गए थे। इस हमले में एक भी चीनी नागरिक न ही घायल हुआ था और न ही मारा गया था।

घटना के बाद चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि चीन राजनयिक एजेंसियों के खिलाफ किसी भी हिंसक हमले की कड़ी निंदा करता है। चीन ने कहा था कि हमले के बावजूद चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना आगे बढ़ेगी। उस वक्त पाकिस्तान में चीनी दूतावास में मिशन के उप प्रमुख झाओ लिजियन ने हमले के जवाब में ‘समय पर और उचित कार्रवाई’ के लिए पाकिस्तानी सेना और पुलिस की तारीफ की थी।

20 अगस्त 2021

इस दिन बलूचिस्तान में ग्वादर ईस्ट बे एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट में एक आत्मघाती हमलावर ने चीनी कर्मियों पर हमला किया था। इस हमले में एक चीनी नागरिक घायल हो गया था और दो स्थानीय बच्चों की मौत हो गई थी।

हमले के बाद चीन ने कहा था कि पाकिस्तान से घायलों का उचित इलाज करने, हमले की गहन जांच करने और अपराधियों को कड़ी सजा देने की मांग की गई। इसके साथ ही चीन ने कहा कि हाल ही में पाकिस्तान में सुरक्षा की स्थिति गंभीर रही है। पाकिस्तान में चीनी दूतावास ने चीनी नागरिकों को सतर्क रहने की अपील की थी।

14 जुलाई 2021

खैबर पख्तूनख्वा के ऊपरी कोहिस्तान जिले में दासु हाइड्रोपॉवर में काम कर रहे चीनी श्रमिकों को ले जा रहे एक बस पर हमला किया गया था। इस हमले में कुल 13 लोगों की मौत हो गई थी जिसमें 4 पाकिस्तानी नागरिक थे और 9 चीनी। इस हमले में 28 लोग घायल हो गए थे। इस हमले के बाद चीन ने जमकर पाकिस्तान को लताड़ लगाई थी।