तालिबान के ड्रग्स व्यापार पर लगाम लगाने में विफल रहा संयुक्त राष्ट्र: सैयद अकबरुद्दीन


उन्होंने कहा कि तालिबान का 60 प्रतिशत राजस्व ड्रग्स व्यापार से आता है और तालिबान के कब्जे वाले क्षेत्रों में अफीम की खेती को सबसे ज्यादा पैसा देने वाली फसल माना जाता है


तालिबान के ड्रग्स व्यापार पर लगाम लगाने में विफल रहने को लेकर भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पर हमला बोला है. भारत ने कहा कि ड्रग्स का धंधा चलाने वाले और अफगानिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों की चोरी करने वाले आपराधिक गिरोहों से इस आतंकवादी संगठन को अच्छी खासी मदद मिलती है. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने सोमवार को सुरक्षा परिषद में एक चर्चा के दौरान कहा कि महासचिव की ताजा रिपोर्ट भी इस मुद्दे को पर्याप्त ढंग से समझने में विफल हुई है.

उन्होंने इस बात पर भी चिंता जाहिर की कि भले ही इस साल की शुरुआत में सुरक्षा परिषद में अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमए) को बढ़ाने का प्रस्ताव चरमपंथ, आतंकवाद, मादक पदार्थों के उत्पादन और अफगानिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों के अवैध दोहन के बीच संबंधों पर ध्यान केंद्रित करता है. लेकिन तालिबान के ड्रग्स व्यापार से निपटने में उसकी कोशिशों के मामले में खरा नहीं उतरता.

भारत ने ड्रग्स के व्यापार को कमजोर बनाने का आह्वान किया, जो तालिबान और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठनों को वित्तीय सहायता मुहैया कराता है. आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि तालिबान का 60 प्रतिशत राजस्व ड्रग्स व्यापार से आता है और तालिबान के कब्जे वाले क्षेत्रों में अफीम की खेती को सबसे ज्यादा पैसा देने वाली फसल माना जाता है.

Nirmala Sitharaman counters AK Antony, says Rafale deal didn’t happen during UPA

Defence Minister Nirmala Sitharaman addresses a press conference at the Indian Women’s Press Corps (IWPC), in New Delhi on Sept 18, 2018


“Deal didn’t happen during UPA. What also didn’t happen during UPA was that between HAL and Dassault, they couldn’t agree on production terms. So HAL and Rafale couldn’t go together. Doesn’t that very clearly say who didn’t go together with HAL, under which govt did that happen?” she quoted.


Countering Congress accusations, Defence Minister Nirmala Sitharaman defended the Dassault Rafale purchase on the ground that the NDA was able to procure 36 fighter jets urgently required by the Indian Air Force while the previous government failed to do so.

She added that the Hindustan Aeronautics Limited (HAL) and Dassault Aviation – the maker of Rafale – could not agree on production terms during the UPA rule.

“Deal didn’t happen during UPA. What also didn’t happen during UPA was that between HAL and Dassault, they couldn’t agree on production terms. So HAL and Rafale couldn’t go together. Doesn’t that very clearly say who didn’t go together with HAL, under which govt did that happen?” she quoted.

Her comment came soon after senior Congress leader and former Defence Minister AK Antony accused Prime Minister Narendra Modi of “gravely compromising national security and defence preparedness” by reducing to 36 the number of Rafale fighter jets purchased from France.

“In the present context, the threat perception has increased substantially and the IAF needs more than 126 fighters at the earliest. However, instead of catering to the need, the Modi government seriously jeopardised national security and air combat preparedness by unilaterally ordering only 36 Rafale jets,” the former Defence Minister told the media in New Delhi.

He also accused Sitharaman of tarnishing the image of HAL.

“We don’t know what her intentions were in ridiculing a public sector undertaking under her own Ministry,” said Antony.

In response, Sitharaman said, “We bought 36. Make a distinction between those who got it and those who could not.”

Addressing reporters at Indian Women’s Press Conference, Sitharaman also commented on Congress leader and Punjab minister Navjot Singh Sidhu’s visit to Pakistan.

“It certainly has (an) impact on soldiers and the people in the Ministry. Public response has been similar that it demoralises. If it demoralises people, I wished Sidhu would have avoided. I’m not talking about going, but that single gesture of hugging the Chief of Pakistan Army,” she said.

Speaking on the strategically significant S-400 Triumf anti-aircraft missile defence system, Sitharaman said that negotiations with Russia are almost complete.

“The negotiation with Russia on the S-400 have reached almost the final stage, we’ll have to see it if it’s signed before the Russian President’s visit. But the negotiations are almost complete,” the Defence Minister said.

India beats Pakistan by 90 in ‘Wheelchairs T 20 Cricket tournament’

 

Yesterday at Sharjah (UAE) India beat Pakistan by 90 runs in first T 20 wheel chairs Cricket tournament at Eden Garden Ajman Thanks to Mr. Shahji Mulk ,President of of Ajman Cricket Council & former UAE Captain Shahzad Altaf Sir affiliated with Sharjah Cricket Council & ICC for encouraging cricket for wheel chairs participants/Teams.

WINNERS OF ASIAN SKATING ROLLER CHAMPIONSHIP

The Adviser to the Administrator, UT Chandigarh, Shri Parimal Rai, Secretary Sports, Shri Jitender Yadav at U.T. Secretariat, Chandigarh with the students of Chandigarh who won Gold, Silver and Bronze medals in the Asian Roller Skating Hockey Championship at South Korea.

Chandigarh, 17th September 2018: 
Sh. Parimal Rai, IAS, Adviser to the Administrator, Chandigarh today met the winners of Asian Skating Roller Championship held at South Korea.
The Adviser encouraged and appreciated the winners and ensured proper support from the Administration.
 
1. Runjhun Sharda-BA 1st year-DAV Sector-10- Gold in women Senior Roller Hockey Asian Championship
2. Silver Medal in Inline Junior Girls Category
i. Saumya Jaiswal-10+1 Commerce- Ryan International School, Sector-49, Chd
ii. Sanya Seth-10+1 Commerce- Bhavan Vidyalaya Chandigarh
iii. Saumya Sethi-10+1 commerce- Bhavan Vidyalaya Chandigarh
iv. Nandini Chaudhary- 10+1 Arts- Bhavan Vidyalaya Chandigarh
v. Kawleen kaur-10+1 Arts-Ryan International School, Sector-49, Chandigarh
vi. Gunika Kaur Bhatti-10th Carmel Convent School
vii. Aayushi Roy-10+1 Medical- St. Anne’s School
viii. Rubab Grewal-10th Ryan International School, Sector-49, Chandigarh
3. Bronze Medal in inline Junior Boys Category
i. Aditya Rampal-10+1 Commerce- Ryan International School, Sector-49, Chd
ii. Naval Pabbi-Hotel management 1st year-PU Chandigarh
iii. Balkirat Singh-B. Tech 3rd Year-Chitkara University

SFJ has threatened to stop Indian media organisations from overseas coverage

Chandigarh, Sept 16, 2018: Sikhs For Justice (SFJ) has threatened to stop Indian media organisations from overseas coverage citing their alleged propaganda of labelling Referendum 2020 campaigners as terrorists.

Using a new Twitter handle, its leader Gurpatwant Pannun tweeted that Punjabi TV Channel PTC News and news agency ANI would not be allowed to cover programmes in the US, UK and Canada.

Twitter had earlier blocked Pannun’s account.

TV Channel PTC is associated with Badals of Akali Dal.

किंगफिशर एयरलाइन्स विजय माल्या का था या राहुल गांधी और सोनिया गांधी का था: संबित पात्रा


माल्या के बयान के बाद भले ही उसमें भी कोई तथ्य नहीं हो, लेकिन, कांग्रेस की तरफ से राफेल की तरह इस मुद्दे को भी जोर-शोर से उठाने की कोशिश तेज होगी


देश छोड़ कर भागे शराब कारोबारी विजय माल्या के लंदन में दिए बयान के बाद सियासी बवाल मच गया है. विजय माल्या ने कहा कि ‘देश छोड़ने से पहले सेटलमेंट के लिए उन्होंने वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की थी.’ माल्या ने दावा किया कि ‘संसद भवन में उनसे मिलकर मैंने बैंकों के सेटलमेंट का ऑफर रखा.’

माल्या के इस बयान के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली की तरफ से सफाई भी आ गई. उन्होंने कहा कि ‘माल्या का दावा गलत है. 2014 से अब तक मैंने माल्या को कोई अप्वाइंटमेंट ही नहीं दिया. वह राज्यसभा सदस्य थे. कभी-कभी सदन में भी आते थे. मैं जब एक बार सदन से निकलकर अपने कमरे में जा रहा था तो वो साथ हो लिए.’ जेटली के मुताबिक, ‘माल्या ने चलते-चलते ही कहा कि वो सेटलमेंट की पेशकश कर रहे हैं, लेकिन, मैंने कहा कि मेरे साथ बात करने का कोई मतलब नहीं है. यह पेशकश बैंकों के सामने करे.’

विजय माल्या का बयान और उस पर वित्त मंत्री अरुण जेटली की सफाई आ गई. लेकिन, माल्या के बयान को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर सीधा हमला बोल दिया. कांग्रस ने विजय माल्या के बयान के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली का इस्तीफा मांगा है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाते हुए अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अरुण जेटली और माल्या के रिश्ते के मुद्दे को उठाया.

राहुल गांधी ने कहा कि ‘आमतौर पर जेटली लंबा ब्लॉग लिखते हैं लेकिन ऐसा क्या हुआ कि कल उन्होंने छोटा सा ब्लॉग लिखकर यह बताया कि विजय माल्या ने उन्हें जबरदस्ती पकड़ा.’ राहुल गांधी, विजय माल्या और अरुण जेटली के बीच रिश्ते को साबित करने के लिए अपने नेता पीएल पुनिया को लेकर प्रेस कांफ्रेंस में आए थे.  पीएल पुनिया का दावा है कि उन्होंने खुद अरुण जेटली और विजय माल्या को बातचीत करते हुए देखा था.

पुनिया ने दावा किया कि ‘2016 के बजट सत्र के पहले दिन मैंने अरुण जेटली और विजय माल्या को एकसाथ खड़े होकर बात करते देखा. वो अंतरंग तरीके से बात कर रहे थे. सेंट्रल हॉल में करीब 5-7 मिनट तक उनकी बातचीत चलती रही. 1 मार्च 2016 को विजय माल्या वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात करते हैं. उसके बाद 3 मार्च को यह खबर आती है कि 2 मार्च को माल्या देश छोड़कर भाग चुके हैं.’

पुनिया ने बताया कि यह खबर पढ़कर मैंने हैरानी से कहा, ‘अरे दो दिन पहले तो यह अरुण जेटली से मिले थे.’ उन्होंने आगे यह कहा कि तब से लेकर अब तक मेरे किसी भी मीडिया बाइट को देख लीजिए, मैं लगातार यह कह रहा हूं कि विजय माल्या अरुण जेटली से मिले थे.

कांग्रेस की तरफ से इस मुद्दे पर पीएल पुनिया ने मोर्चा संभालते हुए दावा किया कि ‘मेरी चुनौती है कि वह सीसीटीवी फुटेज चेक करें. अगर मेरी बात सच साबित होती है तो वो राजनीति छोड़ दें, अगर मेरी बात सच नहीं साबित होती है तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा.’

पुनिया ने दोहराया कि वह पहली मार्च को आए. रजिस्टर में साइन किया कि वह जेटली से मिलना चाहते हैं. उनसे मिलकर लंदन भाग गए. पुनिया ने कहा, ‘मेरा मानना है और मेरा आरोप है कि जेटली ने माल्या से कहा कि आप लंदन चले जाइए.’

कांग्रेस इस मुद्दे पर सियासी हमले तेज करेगी

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी सवाल किया कि ‘ऐसा करने के लिए क्या अरुण जेटली के ऊपर कोई दबाव था.’ साफ है कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर काफी आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है. कांग्रेस की आक्रामकता का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस मुद्दे पर प्रेस कांफ्रेंस करने के लिए सीधे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सामने आ गए. कांग्रेस ने इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखने और विजय माल्या के साथ जेटली की मुलाकात को साबित करने के लिहाज से एक गवाह के तौर पर अपने नेता पीएल पुनिया को भी सामने कर दिया.

दरअसल, विपक्ष की तरफ से सरकार पर माल्या का बचाव करने और देश से भगाने के लिए सेफ पैसेज देने का आरोप पहले से ही लगाया जाता रहा है. विजय माल्या पर बैंकों का बकाया है. लेकिन, उनके विदेश भागने के बाद कांग्रेस की तरफ से लगातार यह दिखाने का प्रयास किया जा रहा है कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सख्ती दिखाने की बात कहने वाली सरकार किस तरह भ्रष्टाचार रोकने में नाकाम रही है.

सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस की रणनीति है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों और फिर आगे लोकसभा चुनाव तक इस मुद्दे को गरमाया जाए. हालांकि नीरव मोदी, मेहुल चौकसी और ललित मोदी के मामले को लेकर भी पहले से ही कांग्रेस सरकार पर निशाना साधती रही है. लेकिन, विजय माल्या के हाल के बयान ने उसे चुनावों से पहले पूरे मुद्दे को नए सिरे से उठाने का मौका दे दिया है.

हालाकि कांग्रेस इस मुद्दे का कितना सियासी फायदा उठा पाएगी ये कहना कठिन है. क्योंकि कांग्रेस के इन दावों की पोल खोलने के लिए बीजेपी की तरफ से भी पूरी तैयारी की जा रही है. बीजेपी ने विजय माल्या के साथ राहुल गांधी-सोनिया गांधी के रिश्तों को उजागर कर उसके आरोपों की हवा निकालने की कोशिश की जा रही है.

बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि ‘एक बार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि किंगफिशर को मुश्किलों से निकालना होगा.’ पात्रा ने सवाल उठाया कि मनमोहन सिंह के इस बयान का क्या मतलब है. उन्होंने सवाल उठाया है कि यह रिश्ता क्या कहलाता है?

बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा का कहना था कि ‘उस वक्त प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ चाय पर मीटिंग के बाद माल्या लोन दिलाने में मदद के लिए धन्यवाद पत्र लिखते हैं.’ बीजेपी ने इस मुद्दे पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी पर भी सवाल खड़ा किया है. बीजेपी प्रवक्ता ने सवाल पूछा है कि ‘राहुल गांधी आप बताएं कि विजय माल्या के गुड टाइम्स में आपकी कितनी हिस्सेदारी है. किंगफ़िशर एयरलाइन्स विजय माल्या का था या राहुल गांधी और सोनिया गांधी का था.

बीजेपी की हमले का जवाब दूसरे बड़े हमले से देने की तैयारी

बीजेपी की तरफ से इस पूरे मामले में कांग्रेस पर पलटवार किया जा रहा है. बीजेपी यह दिखाना चाह रही है कि कांग्रेस और नेहरु-गांधी परिवार के साथ विजय माल्या के रिश्ते रहे हैं. ऐसा कर बीजेपी वित्त मंत्री अरुण जेटली पर लगे आरोपों की हवा निकालने की कोशिश कर रही है.

बीजेपी और जेटली की बातों को देखें तो यह बात साफ है कि जब विजय माल्या को जेटली से कोई अप्वांइटमेंट नहीं मिला तो फिर उनकी मुलाकात कैसे हुई. बतौर सांसद माल्या की संसद भवन में एंट्री थी और उस वक्त एक सांसद के नाते अगर चलते-चलते उन्होंने कुछ कहा भी तो उसका कितना मतलब होगा और इसका क्या असर होगा.

लेकिन,कांग्रेस की तरफ से कोशिश यही हो रही है कि इस मुद्दे को जोर-शोर से उछाला जाए. कांग्रेस राफेल डील के मुद्दे को भी उठा रही है, लेकिन, उस मुद्दे पर भी फ्रांस सरकार की तरफ से सफाई आने के बाद अब कांग्रेस के पास कोई ठोस तथ्य नहीं है. लेकिन, कांग्रेस इस मुद्दे पर लगातार हमले कर रही है. भ्रष्टाचार का आरोप लगातार लगा रही है. सरकार पर राफेल डील में गड़बड़ी का आरोप लगा रही है.

अब माल्या के बयान के बाद भले ही उसमें भी कोई तथ्य नहीं हो, लेकिन, कांग्रेस की तरफ से राफेल की तरह इस मुद्दे को भी जोर-शोर से उठाने की कोशिश तेज होगी. लेकिन, तथ्य विहीन मुद्दे पर सियासी फायदा मिलने की उम्मीद करना कांग्रेस के लिए बेमानी होगी.

China’s strategic intentions should not be taken casually: Parliamentary Committee


Despite India’s strong objections, the CPEC was being openly trumpeted as a ‘gift to Pakistan’ by China, the Standing Committee on External Affairs said in its latest report on Sino-Indian relations.


Delhi, 13 September, 2018:

A Parliamentary Committee has expressed concern over the fact that while India has been ‘overtly cautious’ about China’s sensitivities while dealing with Taiwan and Tibet, Beijing does not exhibit the same deference while dealing with India’s sovereignty concerns, be it in the case of Arunachal Pradesh or that of the China Pakistan Economic Corridor (CPEC).

Despite India’s strong objections, the CPEC was being openly trumpeted as a ‘gift to Pakistan’ by China, the Department related Standing Committee on External Affairs said in its latest report on Sino-Indian relations.

‘’India cannot but oppose the CPEC which violates India’s territorial integrity. The committee desires that China’s double standards should be exposed. It opposes any project in Arunachal Pradesh for which funding has been sought from international financial institutions on the grounds that this is disputed territory. At the same time, it conducts construction activities in Indian territory which China itself acknowledges as disputed,’’ said the report of the committee, headed by its chairperson Shashi Tharoor, in the context of the Doklam area.

The high-powered panel, of which Congress President Rahul Gandhi too is a member, said given the ‘muscular’ approach of China of late while dealing with some of the issues pertaining to India, it was difficult for the committee to be content with India continuing with its ‘conventionally deferential policy’ towards China.

“Dealing with a country like China essentially requires a flexible approach. The committee strongly believes that the government should contemplate using all options, including its relations with Taiwan, as part of such an approach’’, it added.

On last summer’s military stand-off at Doklam, the committee said the Chinese intrusion was a blatant and unsuccessful attempt to unilaterally change the status quo by shifting the India, Bhutan, China trijunction from Batang La to Gyomochen, thereby seriously affecting India’s security interests by enhancing China’s ability to dominate the vulnerable Siliguri sector.

The committee commended the government’s overall handling of the Doklam crisis as it managed to send necessary signals to China that India would not acquiesce in its unilateral and forceful attempts to change the status quo at any of India’s territorial boundaries. It, however, expressed concern that Chinese infrastructure built uncomfortably close to the tri-junction has not yet been dismantled.

Referring to reports which allude to the presence of Chinese troops around Doklam plateau, the committee noted the Defence Secretary’s statement that PLA troops were within their own territory and there was nothing unusual about their deployment. The panel, however, was of the opinion that while dealing with China, it was always better to have a sense of healthy scepticism. ‘’Even if they have withdrawn their troops from Doklam for the time being, China’s strategic intentions should not be taken casually.’’ It urged the government not to let its vigil down in order to prevent any untoward incident in future.

The Committee also suggested a comprehensive border engagement agreement between the Indian Army and the PLA, subsuming all established mechanisms for confidence building, including border personnel meetings, flag meetings, meetings of the working mechanism for consultation and coordination on border affairs and other diplomatic channels.

United Sikh Mission today welcomed the initiation by Pak authorities


United Sikh Mission today welcomed the Pakistan government’s initiation to open the a peace corridor for Sikh Sangat.


Sarika Tiwari

Chandigarh, 13 September, 2018:

While addressing the media persons here Mr. Amarjeet Singh Tikka, coordinator of the mission praises Navjot Singh Sidhu’s friendly visit to Pakistan to attend the oath ceremoney of newly elected Pakistan PM Mr. Imran Khan, which led to the positive initiation by the Pak authorities towards Sikh Sangat. He also appriciated Punjab CM Capt. Amrinder Singh for raising issue with Center Government.

Singh told the scribes that in 2010 United Sikh Mission  requested then CM Punjab for taking up this issue with the Pak Govt. to Union Government of India. AS the result then Punjab govt. passed a resolution in Assembly on 1st October, 2010 and forwarded it to Union Government for construction of this corridor. Apart from this, Former President Sh. Pranab Mukharjee during his stent as Foreign Minister made efforts in this direction. United Sikh Mission expresses its gratitude to Captain Amrinder Singh CM Punjab and other MLAs from other parties of Punjab for again unanimously passing this resolution in the Vidhan Sabha and forwarded the same to Union Government. They also thanked Navjot Singh Sidhu for initiate taken by him in this regard.

Gurudwara Kartarpur Sahibis a place situated at Narowal in Pakistan where Guru Nanak Dev Ji spent last 17 years of his life. Guru ji was revered bu both Muslims and Sikhs. At this place Guru Angad Dev ji became successor of Guru Nanak Dev ji. Keeping in view the religious importance of Gurudwara Kartarpur Sahib, United Sikh Mission America makes its earnest appeal to the governments of both countries to work for construction of this corridor. It will usher a peaceful era with cordial relation for both these countries.

At this juncture, United Sikh Mission America expresses its offer to construct this peace corridor at their own level with the blessings from the Sangat all over the world. as per depicted in the map a bridge on the Ravi river and other small bridges on the tributaries will also be constructed. In addition to the above, all necessary facilities on both the sides of the corridor will be provided to the visitors by Mission.

रघुराम राजन के पात्र ने UPA के खेल की कलई खोली


राजन ने कहा है, वर्तमान बैड लोन (एनपीए) संकट के बीज 2006-08 के बीच ही बोए गए थे. तब यूपीए की कार्यप्रणाली ने भारत की बैंकिंग संरचना में एनपीए वृद्धि की. असल में, मोदी ने एक बार एक उपमा का इस्तेमाल किया था, ‘फोन बैंकिंग’


मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति को भेजे रघुराम राजन के पात्र  पर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है. इस पत्र में कहा गया है कि बैंकों की बढ़ती एनपीए समस्या को इस तरह से डिजाइन किया गया है, ताकि मूल समस्या से ध्यान हट जाए और सिर्फ निंदात्मक प्रचार को बढ़ावा मिले.

राजनीतिक चश्मे से इतर देखें तो राजन का पत्र स्पष्ट रूप से यूपीए-युग की उन गलतियों को बताता है, जिसने देश में सबसे बड़े बैड लोन (एनपीए) समस्या को जन्म दिया. राजन के शब्दों में ही, ‘बैंक अपने हाथों में चेकबुक लहराते हुए प्रमोटर्स का पीछा करते थे और उनसे चेकबुक में कोई भी राशि भरने की गुहार लगाते थे.’

यही वह समय था, जब यह समस्या धीरे-धीरे एक स्वीकार्य प्रणालीगत बीमारी के तौर पर विकसित होती चली गई. किसी ने भी (नियामक समेत) लंबे समय तक इस पर सवाल करने की हिम्मत नहीं की. पेशेवर उत्तरदायित्व की अवधारणा हास्यास्पद स्थिति में पहुंच गई. अंत में, यह समस्या खुद बैंकों के लिए ही एक बुरा सपना साबित हुआ.

तथ्यों को देखते हुए, यह विडंबना ही है कि कॉर्पोरेट ऋण धोखाधड़ी और एनपीए समस्या के लिए कांग्रेस आज मोदी को दोषी ठहरा रही है. क्योंकि यह सब यूपीए 1 और 2 के दौरान घटी घटनाएं है. कथित धोखाधड़ी करने वालों को तत्कालीन राजनीतिक नेतृत्व ने अपने आशीर्वाद के साथ दिल से स्वागत किया था. चाहे वह विजय माल्या हो, नीरव मोदी हो, मेहुल चोकसी हो या फिर और कोई नाम. इनमें से किसी को भी अभी तक पकड़ कर सलाखों के पीछे नहीं भेजा जा सका है. मोदी के आने के बाद भी ऐसा नहीं हो सका है. लेकिन यह कह कर कांग्रेस अपनी गलतियों से पल्ला नहीं झाड़ सकती, क्योंकि यह मुद्दा कांग्रेस की ही देन है.

फोन बैंकिंग युग

जैसा कि राजन ने कहा है, वर्तमान बैड लोन (एनपीए) संकट के बीज 2006-08 के बीच ही बोए गए थे. तब यूपीए की कार्यप्रणाली ने भारत की बैंकिंग संरचना में एनपीए वृद्धि की. असल में, मोदी ने एक बार एक उपमा का इस्तेमाल किया था, ‘फोन बैंकिंग’. एनपीए के सन्दर्भ में, यूपीए युग की व्याख्या करने के लिए यह उपमा काफी काम आती है. उन दिनों बैंकों के लिए नॉर्थ ब्लॉक या अन्य छोटे-बड़े नेताओं के सहयोगियों की तरफ से फोन कॉल आना असामान्य नहीं था. ऐसे फोन कॉल के जरिए बैंकों को एक विशिष्ट प्रमोटर या समूह को ऋण देने के लिए निर्देश दिए जाते थे. बैंकों की 70 फीसदी संपत्ति सरकारी नियंत्रण के तहत थी. ऐसे में यूपीए 1 और 2 के दौरान, बैंकिंग प्रणाली अनौपचारिक आधिकारिक निर्देशों का पालन करते थे. यानी, फोन कॉल पर ही बैंक लोन दे देते थे.

इस बीमारी की शुरुआत और इसका एक विकराल समस्या के रूप में तब्दील हो जाना, सबकुछ कांग्रेस सरकार की देखरेख में हुआ. इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता था, लेकिन किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की. क्योंकि सरकार द्वारा संचालित बैंक राजनेताओं के लिए पिग्गी बैंक माने जाते थे. कुछ बैंकरों को रिश्वत तक मिले. यहां तक कि कभी-कभी घड़ी या सोने के आभूषण जैसे छोटे रिश्वत भी, जबकि अन्य को सेवानिवृत्ति के बाद दिए जाने वाले फायदे के वादे भी मिले.

असल में, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकरों के लिए अयोग्य उधारकर्ताओं के लिए अपने दरवाजे खोलने के लिए किसी राजनीतिक झुकाव या दबाव की भी जरूरत नहीं थी. वे वैसे भी इस काम के लिए तैयार थे. जैसा कि राजन ने कहा है कि उच्च आर्थिक विकास वाले चरण ने छुपे हुए भविष्य जोखिमों के बारे में अधिकतर बैंकरों को अन्धा बना दिया था. उन्होंने लोन देते वक्त केवल कंपनियों के पिछले प्रदर्शन को देखा और भविष्य में भी बेहतर प्रदर्शन की ही उम्मीद रखी.

उन्होंने उम्मीद की कि दो अंकों वाला आर्थिक विकास जारी रहने वाला है और ऋण चुकाने के लिए पर्याप्त कैश फ्लो बना रहेगा. कई मामलों में, अधिकांश बैंकरों ने लोन स्वीकृत करते समय केवल नामों को देखा. जैसे, विजय माल्या एक बड़ा उदाहरण है. मुझे याद है. किंगफिशर ऋण धोखाधड़ी की जब खबर आई थी, तब एसबीआई के साथ कर चुके एक बैंकर ने मुझसे कहा था,’माल्या जैसे व्यक्ति को आखिर कौन ‘ना’ कह सकता था?’

याद रखें, यह सबकुछ तब हुआ जब एयरलाइन व्यवसाय के बारे में थोड़ा-बहुत जानने वाले को भी यह पता था कि किंगफिशर का कोई भविष्य नहीं है और इसकी वित्तीय हालत खराब है.

बैंकरब्लैंक चेक और प्रमोटर

बैंकरों ने जमानत सूची में ‘मित्रता’ और ‘ब्रांड नेम’ को भी जगह दी. माल्या की निजी गारंटी कुछ हजार करोड़ का लोन देने के लिए पर्याप्त थी. इसके अलावा, सरकार के समक्ष बड़ा लोन बुक दिखाने के लिए बैंकरों के बीच अंधी प्रतिस्पर्धा थी. प्रमुख समाचार पत्रों के मास्टहेड पर कुल व्यावसायिक आंकड़े दिखाना तब बैंकों के लिए एक आम बात थी (हालांकि इससे बैंक व्यापार की गुणवत्ता का कोई संकेत नहीं मिलता था, बल्कि एक आकर्षक आंकड़ा दिखाने की कोशिश भारत होती थी). प्रत्येक बैंकर कॉर्पोरेट ऋण का एक बड़ा हिस्सा चाहता था. उधार देने के गोल्डन रूल्स को पीछे कर दिया गया और वर्षों तक लोन देने के लिए आवश्यक समझदारी को ताक पर रख दिया गया. इस सबका प्रमाण एक प्रमोटर की उन बातों से मिलता है, जो उसने राजन से कही थी. उस प्रमोटर ने कहा था कि कैसे बैंकर ब्लैंक चेक ले कर उनका पीछा कर रहे थे. पहले कांग्रेस ने इस तरह की गंभीर चूक की अनुमति दी और बैंकिंग एनपीए संकट को बढ़ने दिया. अब कांग्रेस-यूपीए द्वारा इसका दोष मोदी पर मढ़ना विडंबनापूर्ण नहीं तो और क्या है.

बैड लोन मतलब बैड लोन

इससे भी हास्यास्पद यह है कि कांग्रेस एनपीए में तीव्र बढ़ोत्तरी के लिए मोदी शासन को जिम्मेदार बता रही है. एनपीए समस्या पर गलतफहमी फैलाने या भ्रमित रणनीति का यह एक और गंभीर मामला है. एनपीए तेजी से इसलिए बढ़ी क्योंकि एक आलसी और गैर जिम्मेदार बैंकिंग प्रणाली के एक दशक बाद, बैंकों ने एनपीए की समस्या को एक समस्या माना और बैड लोन को बैड लोन कहना और मानना शुरू किया. अपने जख्म को छुपाने के लिए एक अच्छा पोशाक पहन लेने से आप स्वस्थ नहीं बन जाएंगे.

मोदी सरकार के समर्थन से और आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन के साथ मिल कर बैंकों ने समस्या समाधान की दिशा में काम करना शुरू किया. 2014-15 में तनावग्रस्त परिसंपत्तियों की शुरुआती पहचान पर एक पेपर पेश किया गया. बैंकों के लिए एनपीए घोषित करने के लिए समयसीमा तय की गई और इस तरह बैड लोन की सफाई प्रक्रिया शुरू हुई. बेशक, ये कदम चौंकाने वाले थे. यह एक गंभीर किस्म की सर्जरी थी. लेकिन यह बुरी तरह बीमार बैंकिंग प्रणाली के लिए बहुत जरूरी था. इन वजहों से ही एनपीए में अचानक बढ़ोतरी दिखाई देने लगी. लेकिन, अर्थव्यवस्था के लिए सफाई का यह काम कभी न कभी तो होना ही था. इसलिए, राहुल गांधी और पी चिदंबरम द्वारा एनपीए बढ़ोतरी के लिए मोदी को दोषी ठहराना अतार्किक और अजीब है.

असल में, मोदी शासन के दौरान ही दिवालियापन कानून बना और कॉर्पोरेट ऋण धोखाधड़ी एक केंद्रीय मुद्दा बना. यह सब इसलिए हुआ, ताकि बैंकिंग सेक्टर की दीर्घकालिक बीमारी को ठीक किया जा सके. मौजूदा सरकार ने समस्या को छिपाने और एक विशिष्ट नौकरशाही रवैया नहीं अपनाया बल्कि समस्या का दृढ़ता से सामना किया. बैड लोन वसूली और तनावग्रस्त संपत्तियों की पहचान के लिए तेज प्रयास किए गए. कॉर्पोरेट ऋण का प्रबंधन सरकारी आदेशों के जरिए नहीं हो सकता था. ये काम बैंक द्वारा जांच, अदालतों और आईबीसी अदालतों के माध्यम से ही किया जा सकता था.

एनपीए पर संसदीय समिति को राजन द्वारा भेजा गया पत्र असल में यूपीए-युग के बैड लोन निर्माण कार्यक्रम का एक निंदा पत्र है. दूसरी तरफ, एनपीए समस्या के लिए मोदी को दोषी ठहराना, कांग्रेस पार्टी द्वारा फैलाया जा रहा भ्रम और अतार्किक बयानबाजी भर है. राजन का पत्र देश की आंख खोलने वाला एक उपकरण है. यह पत्र बताता है कि कैसे देश की अर्थव्यवस्था को सबसे बुरे ऋण संकट में धकेल दिया गया था और यह भी कि कैसे इस गलती को दोहराने से रोका जा सकता है

The rupee moved in wide range marked with a 102-paise swing against the US dollar


The rupee closed sharply higher on Wednesday, cooling off from all time lows registered in recent sessions. The rupee rose 51 paise against the greenback to settle at 72.19 for the day, marking its biggest single-day rise since May 25. Suspected intervention by the Reserve Bank of India and weakness in the dollar overseas led to a rebound in the currency, say analysts. The Finance Ministry said the government and the central bank “will do everything” to ensure that rupee does not slide to “unreasonable levels”. However, the rupee is still down more than 13 per cent against the US dollar so far this year, cementing its position as the worst performing Asian currency.

Here are 10 things to know:

1. The rupee moved in wide range marked with a 102-paise swing against the US dollar during Wednesday’s session amid choppy trade.

2. At the day’s lowest point, the rupee registered a fresh life-time low of 72.92 against the American currency.

3. Talk of possible fiscal and monetary steps to stabilise the currency and comments from a government official that the slide was overdone led to the recovery, news agency Reuters reported.

4. There was no fundamental rationale for the rupee to depreciate to the low levels of the previous session, Economic Affairs Secretary Subhash Garg said on microblogging site Twitter.

“It (rupee fall) reflected overreaction of market operators. Government and RBI will do everything to ensure that rupee does not slide to unreasonable levels. Today’s correction seems to reflect that realisation,” he said.

5. The comments further propped up the currency as intermittent dollar sales by the Reserve Bank of India through state-run banks continued to underpin sentiment, news agency Reuters cited dealers as saying.

6. “There has been talk of a rate hike since yesterday,” the agency cited a senior trader at a private bank as saying. “The comments today have given some hope to the market that the RBI may do something, but the broader trend for the rupee continues to be downward.”

7. Analysts expect the rupee to continue in a weak trade going forward.

8. “The current weakness in the rupee requires a combination of policy level and market level intervention. Market level intervention alone will only address the volatility but is not likely to lead to any reversal of the trend,” said Salil Datar, CEO and executive director, Essel Finance VKC Forex.

9. Consumer inflation eased to 3.69 per cent in August, below the Reserve Bank of India’s medium-term target of 4 per cent, according to official data released post-market hours on Wednesday.

10. The markets will be closed on Thursday for the Ganesh Chaturthi festival