आस्था का कुम्भ, 12 लाख करोड़ की कमाई : सीआईआई

लखनऊ: प्रयागराज में संगम की रेती पर बसे आस्था के कुंभ से उत्तर प्रदेश सरकार को 1,200 अरब रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद है. उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने यह अनुमान लगाया है. सीआईआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक 15 जनवरी से 4 मार्च तक आयोजित होने वाला कुंभ मेला हालांकि धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन है मगर इसके आयोजन से जुड़े कार्यों में छह लाख से ज्यादा कामगारों के लिए रोजगार उत्पन्न हो रहा है. उत्तर प्रदेश सरकार ने 50 दिन तक चलने वाले कुंभ मेले के लिए आयोजन के लिए 4,200 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं जो वर्ष 2013 में आयोजित महाकुंभ के बजट का तीन गुना है.

सीआईआई के अध्ययन के मुताबिक कुंभ मेला क्षेत्र में आतिथ्य क्षेत्र में करीब ढाई लाख लोगों को रोजगार मिलेगा. इसके अलावा एयरलाइंस और हवाई अड्डों के आसपास से करीब डेढ़ लाख लोगों को रोजी-रोटी मिलेगी. वहीं, करीब 45,000 टूर ऑपरेटरों को भी रोजगार मिलेगा. साथ ही इको टूरिज्म और मेडिकल टूरिज्म क्षेत्रों में भी लगभग 85,000 रोजगार के अवसर बनेंगे.

रिपोर्ट के मुताबिक इसके अलावा टूर गाइड टैक्सी चालक द्विभाषिये और स्वयंसेवकों के तौर पर रोजगार के 55 हजार नए अवसर भी सृजित होंगे. इससे सरकारी एजेंसियों तथा वैयक्तिक कारोबारियों की आय बढ़ेगी.

सीआईआई के अनुमान के मुताबिक कुंभ मेले से उत्तर प्रदेश को करीब 12 सौ अरब रुपये का राजस्व मिलेगा. इसके अलावा पड़ोस के राज्यों राजस्थान, उत्तराखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश को भी इसका फायदा होगा. ऐसा इसलिए है क्योंकि कुंभ में शामिल होने वाले पर्यटक इन राज्यों के पर्यटन स्थलों पर भी जा सकते हैं.कुंभ मेले में करीब 15 करोड़ लोगों के आने की संभावना है. दुनिया का यह सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन पूरी दुनिया में अपनी आध्यात्मिकता और विलक्षणता के लिए प्रसिद्ध है

आज का पांचांग

पंचांग 19 जनवरी 2019

विक्रमी संवत्ः 2075, 

शक संवत्ः 1940, 

मासः पौष़, 

पक्षःशुक्ल पक्ष, 

तिथिः त्रयोदशी सायं 05.35 तक, 

वारः शनिवार, 

नक्षत्रः मृगशिरा रात्रि 10.31 तक, 

योगः ऐन्द्र सायं 06.37 तक, 

करणः तैतिल, 

सूर्य राशिः मकर,

चंद्र राशिः मिथुन, 

राहु कालःप्रातः 9.00 बजे से प्रातः 10.30 तक, 

सूर्योदयः 07.18, 

सूर्यास्तः 05.45 बजे।

नोट: आज शनि प्रदोष व्रत है।

विशेषः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। शनिवार को देशी घी, गुड़, सरसों का तेल का दान देकर यात्रा करें।

आज का राशिफल

Aries

19 जनवरी 2019: आज आप अपने आजीविका के क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए तैयार जरूर होगे। किन्तु सफलता हेतु आपको और मेहतन करनी होगी। वैसे आप किसी रोजगार परक कामों में लगना चाहेंगे। किन्तु घर में रूकावटों के चलते आपको चिंताएं होगी। स्वास्थ्य में गुप्तांगों की पीड़ाएं उभर सकती हैं, जिससे आप परेशान होगे।

Taurus

19 जनवरी 2019: आज आप अपने काम-काजी जीवन में अधिक बढ़त लाने के लिए तत्पर होगे। जिसमें कुछ हद तक आपको कामयाबी होगी। किन्तु गृहस्थ जीवन में आपकी अपेक्षा और अधिक बढ़ी होगी। जिन्हें लेकर आप परेशान होगे। स्वास्थ्य के लिहाज से आज का दिन अनुकूल होगा। जिससे आपके काम-काज नहीं रूकने वाले हैं।

Gemini

19 जनवरी 2019: आज आप अपने किसी करीबी रिश्तेदार से मिलने के लिए जाएंगे। इस दौरान आप उनसे अपसी हितों के बारे मे कुछ बात-चीत करना चाहेंगे। किन्तु उनका कोई खास सहयोग नहीं होने से आप उदास हो सकते हैं। स्वास्थ्य के मामलों में आज चिंताएं हो सकती है। जिसके लिए आपको कुछ परहेज करना पड़ सकता है।

Cancer

19 जनवरी 2019: आज आप अपने भौतिक सुखों को बढ़ाने के लिए अधिक तत्पर होगे। किन्तु इस तत्परता में आप कुछ न कुछ जरूर अपने कामों को बना लेगे। आज आप किसी रोजगार परक विषयों में अपना नामांकन कराना चाहेंगे। जिससे कुछ कैरियर में सहयोग प्राप्त हो। आज प्रेम संबंधों में पहले से अधिक मधुरता होगी।

Leo

19 जनवरी 2019: व्यवसाय को आगे बढ़ाने की स्थिति आज और स्पष्ट होगी। जिससे कुछ कर्मचारियों की नियुक्ति को भी हरी झंड़ी देगे। स्वास्थ्य पहले से अच्छा व खिला हुआ होगा। आप अपने अनुभवों के आधार पर आज कई कामों में पूरा करने में सफल होगे। प्रेम संबंधों में अधिक बढ़त की स्थिति होगी। किन्तु खर्च अधिक होगे।

Virgo

19 जनवरी 2019: रोजगार प्राप्त करने के लिए आज आप कुछ स्थानों की यात्रा में जाने के लिए तैयार होगे। आज आपका भाग्यप्रबल है। जिससे आप अपने लक्ष्य को भेदने में पूरा प्रयास करते होगे। और आपके यह प्रयास सफल भी होगे। स्वास्थ्य के लिहाज से आज का दिन ज्यादा ठीक नहीं होगा। जिससे आपको कुछ इलाज लेना पड़ सकता है।

Libra

19 जनवरी 2019: भूमि की खरीद के लिए आज आप कुछ लोगों से जरूरी जानकारी अपने स्तर पर जुटाने में लगे होगे। भले ही आपको कुछ भाग-दौड़ करना पड़े किन्तु आप सही व पुख्ता काम करने के पक्ष होगे। वैसे आज आपके व्यय की स्थिति और तेज होगी। स्वास्थ्य में पीड़ाएं उभर सकती है। जिससे आपको कुछ परहेज करना होगा।

Scorpio

19 जनवरी 2019: सेहत के लिहाज से आज का दिन अनुकूलता देने वाला होगा। जिससे आप अपने कामों को पहले की भांति सक्रिय रूप से करते होगे। व्यवसाय को और आगे बढ़ाने की आपकी सोच होगी। किन्तु उसे अमल में लाने में अभी और समय देना होगा। सेहत सुखद होगी। भौतिक सुख के साधनों को जुटाने में थोड़ा परेशान होगे।

Sagittarius

19 जनवरी 2019: बाहरी लोगों के साथ अपने सम्पर्क को और तेज करते हुए आगे निकलने के लिए तैयार होगे। आज आप कुछ धन खर्च को कम करने की चाहत में होगे। किन्तु इस काम में आपको आज कोई साख सफलता नहीं होगी। निजी संबंधों की मधुरता को आप और बढ़ाने के लिए तैयार होगे। स्वास्थ्य में पीड़ाएं उभर सकती हैं।

Capricorn

19 जनवरी 2019: आज आप अपने भौतिक सुख के साधनों को जुटाने के लिए पूरी तरह कोशिश में लगे होगे। जिसमें कुछ सफलता होगी। आय के स्रोतों से आज आपको अधिक लाभ प्राप्त होगा। जिससे मन में प्रसन्नता होगी। प्रेम संबंधों में कुछ रूकावटे होगी। जो आने वाले समय में समाप्त होगी। घर में तालमेल बिठाने की चुनौती होगी।

Aquarius

19 जनवरी 2019: अपनों के साथ आज आप अधिक निकटता को बढ़ाने के लिए सोचेंगे। जिससे परिवार के साथ समांजस्य की स्थिति बन सके। इस कार्य में आपको अधिक कामयाबी होगी। अपने कामों को तय समय में पूरा करने के लिए आप कुछ लोगों से सहयोग लेना चाहेंगे। प्रेम संबंधों की दृष्टि से आज समय अच्छा होगा।

Pisces

19 जनवरी 2019: आज अपने कामों को और भी कुशलता से करते हुए होगे। जिससे आपको बढ़त प्राप्त होगी। आप अपने लोगों से साथ बढ़त बनाने के लिए तैयार होगे। प्रेम संबंधों को अधिक कारगर बनाने के लिए आप कुछ अधिक तत्पर होगे। स्वास्थ्य के लिहाज से आज का दिन कुछ परेशानी देने वाला होगा। जिससे आपको दवा खानी होगी।

Dingko Singh ‘the fighter’ is back

Dingko Singh won a gold medal at the 1998 Asian Games
Dingko is also recipient of Arjuna award and Padma Shri
Dingko Singh is inspiration to many including Six-time world champion Mary Kom

A year ago, Dingko’s life was stalked by uncertainty as he battled cholangiocarcinoma, a form of liver cancer that originates in the bile ducts.
The fight, which cost him his house in Imphal, left him without a significant portion of his liver.

Dingko Singh calls it his rebirth. As he breaks into a smile that is brighter than a thousand spotlights, it’s hard to disagree.

But the man whose gold medal at the Bangkok Asian Games as a 19-year-old sparked a boxing revolution in Manipur is back on his feet. The 40-year-old looks perhaps as fit as he did during his playing days, and a far cry away from a year ago, when despondent pictures of him huddled under a duvet appeared in newspapers and on news channels.

“I have had two births,” says Dingko on the sidelines of a Mumbai Marathon press conference. “I won’t talk about the earlier Dingko Singh, but I want to talk about this Dingko Singh. A lot has changed in life. A lot of people were thinking what will happen to me. I was in a dire situation, but I fought that and am back on my feet. I am completely cured now and have stopped my medication also. I just have to go for half-yearly check-ups.”

Having gotten treated at New Delhi’s Institute of Liver and Biliary Sciences, Dingko is back to coaching youngsters back in Imphal.

“I train around a 100 kids back at the Khuman Lampak SAG centre in Manipur. Around 25 of those are girls. We teach them only the basics, then they’re transferred elsewhere for further coaching,” he says.

He’s in the process of building a new house having sold the previous one to generate funds required to carry out his treatment. He points out that the Central Government helped him with some funds to cover his treatment costs, while other benefactors like former India cricketer Gautam Gambhir also chipped in with generous donations.

“I really wanted to meet and personally thank Gautam Gambhir for all the help he gave me at the time. Unfortunately, I haven’t been able to do that. But we spoke over the phone,” he says.

Dingko was a special guest at a press conference held by the organisers of the Mumbai Marathon on Thursday to honour Mary Kom, the event ambassador for the race’s 16th edition. Six-time world champion Mary has often spoken about how Dingko was the inspiration behind her taking up the sport of boxing, as is the case for many Manipuri boxers of her time.

Incidentally, while a biopic on Mary’s life released five years ago, a Bollywood flick on Dingko’s life is in the works, with Shahid Kapoor already being roped in to play the boxer.

“I will be meeting with the filmmakers during this trip to Mumbai. Hopefully, it will be a good one,” says Dingko.
It remains to be seen whether it can match the drama of Dinkgo’s real life

Kanhaiya Kumar dubs Delhi Police chargesheet in sedition case ‘politically motivated’, Shehla Rashid calls it ‘manufactured controversy’

Case pertains to raising of “objectionable” and “anti-India” slogans at an event on the campus against the hanging of Parliament attack mastermind Afzal Guru.

Three years after “anti-India” slogans were allegedly raised on the Jawaharlal Nehru University (JNU) campus, the Delhi police on Monday submitted a chargesheet in the sedition case at the Patiala House Courts.

The case pertains to the raising of “objectionable” slogans at the event in 2016 against the hanging of Parliament attack mastermind Afzal Guru.

The 1,200-page chargesheet, along with more than 10 pieces of video evidence and testimonies of 90 eyewitnesses, was submitted to the court in a trunk at 2.40 p.m., the police said.

Kanhaiya Kumar, Syed Umar Khalid and Anirban Bhattacharya have been chargesheeted under IPC Sections 124A [sedition], 323, 465 [forgery], 471 [using as genuine, forged document], 143 [punishment for unlawful assembly], 149 [unlawful assembly with common object], 147 [rioting], 120B [criminal conspiracy],” said a police officer. Apart from the three then JNU students, the police have chargesheeted Aqueed Hussain, Basharat Ali, Mujeeb Hussain Gattoo, Umair Gul, Muneeb Hussain Gatoo, Rayees Rasool and Khalid Bashir Bhat. They are all from Kashmir and were students, said the police.

The officer said the names of 36 others had also been put on the chargesheet, but sufficient evidence against them had not come on file so far to launch trial.

Videos sent for test

The 36 include Shehla Rashid and Aparajita Raja. They have been kept in column number 12 of the chargesheet, which said they were present during the event but the police did not have sufficient proof.

During the investigation, videos of the event were sent to the Central Forensic Science Laboratory for confirmation and after its report was received many people were questioned. Eyewitnesses, including staff of the JNU administration, security guards at the university gate and other students, have submitted their testimonies.

After the case was registered at the Vasant Vihar police station, Kanhaiya Kumar, Umar and Anirban were arrested in February 2016. They were later given conditional bail.

“The presence of outsider Kashmiri students was established with the help of CCTV located at the university gate. They were seen leaving the premises unmasked. The event was organised even after permission was denied by the JNU administration,” added the officer. The chargesheet said investigation revealed that Kanhaiya Kumar, then JNU Students’ Union president, led the protesters on the evening of February 9, 2016 and raised anti-India slogans.

“The charge of sedition against Kanhaiya Kumar and others is absurd. If it takes 3 years and 1200 pages to make out a charge of sedition (based on a public speech), that alone exposes the motive of the government…. ,” tweeted P. Chidambaram, Congress leader.

आज का पांचांग

पंचांग 14 जनवरी 2019

विक्रमी संवत्ः2075, 

शक संवत्ः1940,

मासः पौष़, 

पक्षः शुक्ल पक्ष, 

तिथिः अष्टमी रात्रि 12.38 तक, 

वारःसोमवार, 

नक्षत्रःरेवती रात्रि 12.53 तक, 

योगः सिद्धि प्रातः 06.52 तक, 

करणःविष्टि, 

सूर्य राशिः मकर, 

चंद्र राशिः मीन, 

राहु कालः प्रातः 7.30 से प्रातः 9.00 बजे तक, 

सूर्योदयः07.19, 

सूर्यास्तः05.41 बजे।

नोटः आज दोपहर 12.53 से पंचक समाप्त हो रहे है। आज मकर संक्रांति है।

विशेषः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर सोमवार को दर्पण देखकर, दही,शंख, मोती, चावल, दूध का दान देकर यात्रा करें।

आज का राशिफल

Aries

13 जनवरी 2019: आज आप अपने भाषाई ज्ञान को बढ़ाने के लिए किसी अनुभवी व्यक्ति से सहयोग की अपेक्षा में होगे। आप देखेंगे कि आज कुछ तकनीक स्तर को उच्च करने की जरूरत है। वैसे व्यवसाय को बढ़ाने में आज अधिक धन खर्च करना होगा। स्थानीय बाज़ार में बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा से निपटने की आज भी चुनौती है। 

Taurus

13 जनवरी 2019: आज आप बेटे व बेटी को जहाँ पढ़ाने लिखाने के लिए भरपूर प्रयास जारी रखेंगे। वहीं आमदनी को उच्च करने के लिए भी तैयार होगे। वैसे इन कामों को करने में पहले आपको कुछ कठिनता का एहसास होगा। किन्तु ग्रहीय स्थिति से फिर सरलता होगी। व्यवसाय में बढ़त होगी। प्रेम संबंधों में सुखद स्थिति कुछ प्रयासों से होगी।

Gemini

13 जनवरी 2019: आज आप अपने निवास स्थान की सुन्दरता को बढ़ाने के लिए तत्पर होगे। आप देखेंगे कि आज भौतिक सुख के साधनों को घर में लाना जरूरी हो गया है। यदि आप व्यवसाय करते हैं। तो आज अधिक सफलता की स्थिति होगी। किन्तु धन खर्च अधिक होगा। आज आपका स्वास्थ्य बढ़िया होगा। जिससे कामों में बाधा नहीं होगी।

Cancer

13 जनवरी 2019: आज आप अपने पराक्रम को बढ़ाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ने वाले हैं। जिससे आगामी प्रतियोगी क्रीड़ा के क्षेत्रों में आपको बढ़त अर्जित हो सके। आज आप अपने परिवारिक जीवन में तालमेल को बढ़ाने के लिए तैयार होगे, आप देखेंगे कि भौतिक सुख के साधनों का लाभ हो रहा है। नौकरी में चिंता होगी।

Leo

13 जनवरी 2019: आप आज किसी भूमि को खरीदने के लिए लोगों से कुछ पूंछ-ताँछ करते हुए दिखेंगे। आप इस बात को लेकर काफी सजग होगे। कि मेहनत की कमाई कहीं विवादों में न फंस जाएँ। नौकरी के क्षेत्रों को आप परिवर्तित करने के लिए कुछ नए कदम उठाना चाहेंगे। आज आपके धन में अधिक व्यय होगा। जिससे आप परेशान होगे।

Virgo

13 जनवरी 2019: आज आप अपने आगामी कल को सुखद व सुन्दर बनाने के लिए कुछ नई योजनाओं को अमल में लेना चाहेंगे। जिससे समय रहते धन लाभ को अर्जित किया जा सके। आज आपका स्वास्थ्य सुखद व सुन्दर होगा। जिससे आप अपने कामों को पहले की तरह सामान्य रूप से करते होगे। प्रेम संबंध मधुर होगे।

Libra

13 जनवरी 2019: आज के दिन को आप अपने लिए हित वर्धक बनाने के लिए सक्रिय होगे। जिससे आने वाले दिनों में आपको व्यवसायिक मुनाफा होगा। अपने प्रेम संबंधों में निकटताओं को बढ़ाना चाहेंगे। किन्तु समय का आभाव होने से आज यह कुछ कठिन सा होगा। धन में व्यय की स्थिति तेज होगी। जिससे आप कुछ परेशान हो सकते हैं।

Scorpio

13 जनवरी 2019: आज आप अपने आजीविका के क्षेत्रों में पहले की ही तरह सामान्य से रूप से काम करते होगे। आप देखेंगे कि आज आपके लाभ की स्थिति और मज़बूत हो रही है। किन्तु आज पिछली देन-दारी को चुकाने के लिए आपको अधिक धन व्यय करना होगा। प्रेम संबंधों में आज हंसी खुशी होगी। सांस की व रक्त पीड़ाएं होगी।

Sagittarius

13 जनवरी 2019: आज आप अपने काम-काजी जीवन में कुछ नयापन लाने के लिए तत्पर होगे। आप बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए तैयार तो होगे। किन्तु कुछ लोगों के कपट व्यवहार के कारण आपके यह प्रयास प्रभावित हो सकते है। स्वास्थ्य अच्छा होगा। प्रेम संबंधों में मधुर संवाद की स्थिति मज़बूत होगी।

Capricorn

13 जनवरी 2019: आज आप अपने औषधीय ज्ञान को आगे बढ़ाने के लिए कुछ अनुभवी लोगों से चर्चाएं तेज कर देंगे। आपका स्वास्थ्य वैसे आज अच्छा होगा। जिससे आपके काम पहले की ही तरह होते रहेंगे। किन्तु संतान पक्ष को पढ़ाने-लिखाने की चिंताएं होने से आप कुछ अप्रसन्न हो सकते हैं। प्रेम संबंधों में चिंताएं होगी।

Aquarius

13 जनवरी 2019: आज आप अपने कामों को तेजी देने के लिए कुछ कर्मचारियों की नियुक्ति करना चाहेंगे। इस काम में आपको पूरी सावधानी की जरूरत होगी। वैसे आज आपके पराक्रम व साहस में बढ़त की स्थिति होगी। स्वास्थ्य सुखद बना रहे, इसके लिए आप रोज कुछ व्यायामों को करने में दिलचस्पी दिखा देंगे। प्रेम संबंध तनाव मे होगे।

Pisces

13 जनवरी 2019: आज आप अपने शादी-शुदा जीवन में रौनकता को बढ़ाने के लिए भरपूर प्रयास करते हुए होगे। जिसमें आपको सफलता प्राप्त होगी। आज आपके व्यवसाय में बढ़त की स्थिति और बढ़िया होगी। स्वाथ्य सामान्य होगा। किन्तु भूमि के मामलों में चिंताएं उभर सकती है। कुछ कपटी लोग आपको अधूरी जानकारी देंगे।

नागरिकता संशोधन विधेयक से पाक हिंदुओं सिखों में बंधी सम्मानजनक जीवन की आस।

पाकिस्तान में करोड़ों रुपये मूल्य की अपनी संपत्ति छोड़कर पंजाब पहुंचे 50 वर्षीय सरन सिंह ने कहा कि पाकिस्तान में उनके साथ दोयम दर्ज का व्यवहार किया जाता था.
  नरेन्द्र मोदी सरकार के नागरिकता संशोधन विधेयक से सुरवीर सिंह और पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान के हजारों शरणार्थियों के मन में आस की उम्मीद फिर से जगी है

नई दिल्ली: अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न से परेशान होकर भागे सुरवीर सिंह को पहचान और आजीविका के दो पाटों के बीच पिसना पड़ रहा है. अपनी मातृभूमि भारत की नागरिकता के लिए आवश्यकताओं को पूरा करने और एक स्थिर नौकरी पाने के लिए उनकी दुविधा 27 साल बाद भी दूर होने का नाम नहीं ले रही है. चार सदस्यों के अपने परिवार के साथ अमृतसर में रहने वाले 33 वर्षीय सिंह ने कहा कि उसे अपनी मातृभूमि में रहने के लिए हर दूसरे महीने सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ते है. वर्ष 1992 में उसके माता-पिता के भारत आने का फैसला लेने से पहले सुरवीर सिंह का परिवार अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत में रहता था. 

सोवियत संघ की वापसी और मुजाहिदीन के आगमन के बाद हिंदुओं और सिखों के अफगानिस्तान छोड़ने की एक लहर सी चली थी. परिवार का एकमात्र कमाने वाला होने के नाते सुरवीर सिंह कई तरह की नौकरियां करके अपनी आजीविका कमाते हैं.  हालांकि उनका परिवार उसी समय भारत आया था और उनके परिवार के प्रत्येक व्यक्ति के पास अलग-अलग तारीखों में जारी किये गये वीजा और शरणार्थी प्रमाण पत्र हैं.

सिंह ने कहा कि क्योंकि उनकी नागरिकता का आवेदन नौकरशाही के चक्रव्यूह में फंस गया है और उन्हें अपने कागजातों को बनाये रखने के लिए नियमित रूप से सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने की आवश्यकता पड़ती है.  उन्होंने कई राजनीतिक नेताओं से भारतीय नागरिकता हासिल करने की गुहार लगाई है लेकिन उन्हें आश्वासनों के अलावा कुछ नहीं मिला है. सुरवीर सिंह ने कहा,‘‘हर 12 महीनों में कागजातों की अवधि समाप्त होने के बाद, मुझे हर दो या तीन महीनों में इनके नवीनीकरण के लिए अपने परिवार के एक सदस्य के साथ नई दिल्ली जाना पड़ता है. ’’

उन्होंने कहा कि नौकरी तलाशना पहले से ही बहुत मुश्किल है क्योंकि कोई भी शरणार्थियों को रोजगार नहीं देना चाहता है.  यहां तक कि अगर किसी को नौकरी मिलती है तो अक्सर उन्हें कम भुगतान किया जाता है और हर दूसरे महीने नई दिल्ली जाने की आवश्यकता की वजह से नियोक्ता नाराज हो जाते है और वे ऐसे कर्मचारियों की तलाश करते है जिन्हें कम छुट्टी की जरूरत होती है. हालांकि नरेन्द्र मोदी सरकार के नागरिकता संशोधन विधेयक से सुरवीर सिंह और पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान के हजारों शरणार्थियों के मन में आस की उम्मीद फिर से जगी है.

यह प्रस्तावित विधेयक नागरिकता कानून 1955 में संशोधन के लिए लाया गया है. इस विधेयक के कानून बनने के बाद, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के मानने वाले अल्पसंख्यक समुदायों को 12 साल के बजाय छह साल भारत में गुजारने पर और बिना उचित दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता मिल सकेगी. सुरवीर सिंह ने कहा,‘‘मैं सरकार से इस विधेयक को जल्द से जल्द पारित करने का आग्रह करता हूं. ’’ उनकी तरह ही सरन सिंह ने कहा कि वह एक गरिमापूर्ण जीवन चाहते है.

पाकिस्तान में करोड़ों रुपये मूल्य की अपनी संपत्ति छोड़कर 1999 में अपने परिवार के साथ पंजाब पहुंचे 50 वर्षीय सरन सिंह ने कहा कि पाकिस्तान में उनके साथ दोयम दर्ज का व्यवहार किया जाता था. वह पाकिस्तान की खैबर एजेंसी में रहते थे जहां आतंकवाद और धार्मिक उत्पीड़न जोरों पर था. उन्होंने कहा कि आतंकवादी प्राय: उन्हें बाध्य किया करते थे कि यदि वे जीवित रहना चाहते हैं तो उनका परिवार इस्लाम कबूल कर ले. 

इसलिए कई महिलाओं का अपहरण कर लिया गया और उन्हें जबरन इस्लाम कुबूलवाया गया. सरन ने कहा,‘‘कोई भी हमारी बेटियों और बेटों से शादी नहीं करना चाहता क्योंकि जब उन्हें पता चलता है कि हम पाकिस्तान से है तो वे हमे संदेह की नजर से देखते है.  लोग कहते हैं कि आपके पास भारतीय नागरिकता नहीं है, अगर सरकार आपको निर्वासित करने का फैसला करती है तो क्या होगा? शादी का क्या होगा?’’

उन्होंने कहा,‘‘हम पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न से बचकर अपनी मातृभूमि भारत पहुंचे लेकिन यहां हम लाल फीताशाही और नौकरशाही की बाधा में फंस गये.  कभी-कभी अधिकारी हमें अपने पाकिस्तानी पासपोर्ट को नवीनीकृत करने के लिए कहते हैं जिसके लिए हमें पाकिस्तान जाने और जारी किए गए कागजात प्राप्त करने के लिए अपने जीवन को जोखिम में डालना पड़ता है. ’’

सरन ने कहा,‘‘जब हम पाकिस्तान में रह रहे थे तो स्थानीय लोगों का कहना था कि आप पाकिस्तानी नहीं हूं क्योंकि आप हिंदू और सिख हो और आपको अपने देश जाना चाहिए.  भारत में रहने के दौरान लोग कहते हैं कि आप पाकिस्तान से हो. ’’ उन्होंने सरकार से उन्हें जल्द से जल्द नागरिकता दिये जाने का अनुरोध किया. 

सरन ने कहा,‘‘हमें अपने दैनिक जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है क्योंकि किसी भी काम के लिए आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र की जरूरत होती है. ’’ उन्होंने दावा किया कि कागजातों के नहीं होने के कारण कई शरणार्थी अपने बच्चों को शिक्षित भी नहीं कर पाते है.

लोहड़ी पर्व: राय अब्दुल्लाह खान जिसकी स्मृति में हम नाचते गाते हैं

संकलन: राजविरेन्द्र वसिष्ठ

इतिहास ने कितने ही ऐसे नामों को संजोया जो हमें हमारे होने पर मान करवाते हैं। एक इतिहास है जो किताबों में लिखा गया और पाठशालाओं में हमने पढ़ा, और एक इतिहास वो जो लोगों के दिलों में रचा बसा, दादी नानी की कहानियों में, गावों से शहरों तक आये लोक गीतों में झूमता-डोलता है। कितने ही वीर सूरमा, कितने प्यार के परवाने, कितने भक्ति में डूबे दीवाने, कितने हंसी-ठट्ठा करते-कराते शेख़चिल्ली, कितने दानी धीर-वीर, सदियों से दिनों-दिन बदलते समाज के ढाँचे में लगे ईंट-पत्थर के समान उसकी सांस्कृतिक इमारत को बुलंद रखे हुए, बने हैं इन्हीं गीतों-कहानियों के ज़रिये हमारी आत्मा के प्रबल सम्बल। जिस समाज की कहानियाँ जितनी पुरानी हैं, उतनी ही गहरी है उसके शीलाचार, शिष्टाचार एवं सिद्धांतों की नींव। समय की आँधियाँ उस समाज के लोगों की प्रतीक्षित परीक्षाएं ही तो हैं। अपने बड़े-पुरखों की कहानियों में रचित जिजीविषा से प्रेरित वह समाज नयी कहानियाँ रचता है, परन्तु कभी समाप्त नहीं होता, बल्कि नया इतिहास बनाता है – पुरानी कहानियाँ-गीत संजोता है, और नए नए विचार गुनता है। 

ऐसी ही भाग्यशाली शगुनों के ख़ुशी-भरे नाच-गानों में संजोयी एक खूबसूरत कहानी है, वीर सूरमा ‘दुल्ला भट्टी’ की जो लोहड़ी (मकर संक्रांति) के शुभ त्यौहार के दिन उत्तर भारत में घर-घर में न सिर्फ़ गायी जाती है, अपितु नाची भी जाती है। राय अब्दुल्लाह खान लोक-वाणी में ‘दुल्ला भट्टी’ नाम से प्रचलित हैं। हम में से कितनों की ज़बान पर यह नाम बिना इसकी सही जानकारी के लोहड़ी त्यौहार के प्रचलित लोक गीत में थिरकता है कि यह एक श्रद्धांजलि है एक ऐतिहासिक राजपूत वीर को जिसने सम्राट अक़बर के समय छापामार युद्ध किये, और आततायियों की सतायी कितनी ही स्त्रियों के जीवन पुनः बसाये। 

पंजाब में फ़ैसलाबाद के पास के संदलबार इलाक़े में जन्मे दुल्ले की माँ का नाम लड्डी और पिता का नाम फ़रीद खान था, दादा थे संदल खान। ‘संदलबार’ (संदल की बार) का इलाका उन्ही संदल खान के नाम से पड़ा, रावी और चनाब नदियों के बीच का यह इलाक़ा अब पाकिस्तान में है और यहीं मिर्ज़ा-साहिबां की अमर प्रेमगाथा भी प्रसिद्ध हुई। दुल्ला के दादे-नाने यहीं संदलबार में पिंडी भट्टियाँ के राजपूत शासक थे। मुग़लों के शासन काल में पिंडी भट्टियां के राजपूत लड़ाकों नें विद्रोह करते हुए कर देना बंद कर दिया व मुगल सैनिकों से छापामार युद्धों की शुरुआत की। इस विद्रोह को डर से कुचलने के लिए पकड़े गए विद्रोहियों को मारकर उनकी मृत लाशों की चमड़ी उधड़वा, उनमें भूसा भर कर गावों के बाहर लटकाया गया, इन्हीं में दुल्ले के पिता और दादा भी थे। पंजाबी लोकगीतों ‘दुल्ले दी वार’ और ‘सद्दां’ में दुल्ले की यह गाथा मिलती है । इस शहादत के बारे में ‘सद्दां’ में ऐसे लिखा गया है – 

“तेरा सांदल दादा मारया, दित्ता बोरे विच पा, मुग़लां पुट्ठियाँ खालां ला के, भरया नाल हवा…. ”

दुल्ला, जिसका कि जन्म इस घटना के बाद हुआ, ओजस्वी अनख वाली राजपूत माँ का पुत्र था जिसके बारे में एक कहानी यह भी है कि अक़बर का पुत्र सलीम भी उसी समय के दौरान पैदा हुआ किन्तु वह एक कमज़ोर शिशु था, और अक़बर की आज्ञा से पिंडी भट्टियां की लड्डी को सलीम को दूध पिलाने की दाई रखा गया। क़रीब 12-13 वर्ष तक सलीम और दुल्ला इकट्ठे पले-बढ़े, एक ही दाई माँ की परवरिश में। लड्डी को जब उसकी इस सेवा से निवृत किया गया, और जब वह वापिस पिंडी भट्टियाँ आयी तो उसने दुल्ले को उसके पिता-दादा की शूरवीरता की कहानियाँ सुनाई, और उनके हश्र की भी। ज़ाहिर है कि उन दोनों के वापिस आने पर गाँव के बड़े-बूढ़ों की जुबां पर भी यही वीर-गाथाएं दिन-रात थिरकती रहती होंगी। दुल्ला ने अपने अंदर के दावानल को मुगलों की ताक़त के ख़िलाफ़ पूरे वेग से लगा दिया। दुल्ला ने फिर से अपने लोगों को इकट्ठा कर एक बार पुनः विद्रोह को जमाया, छापामार युद्ध किये, राजसी टोलों को लूट कर, लूट के धन को जनता में बांटा, संदलबार में लोगों ने फिर से ‘कर’ देना बंद कर दिया। कहानी है कि विद्रोह इस हद तक बढ़ा और फैला कि मुगलों को अपनी शहंशाही राजधानी दो दशकों तक लाहौर बनानी पड़ी।

यह राजपूत वीर सूरमा न सिर्फ़ राज-विद्रोह के लिए लोगों के मन में बसा, बल्कि इसने उस समय के समाज में हो रही स्त्रियों की दुर्दशा के ख़िलाफ़ ऐसे कदम उठाये जो कि उसको एक अनूठे समाज सुधारक की श्रेणी में ला खड़ा करते हैं। पंजाब की सुन्दर हिन्दू लड़कियां जिन्हें ज़बरन उठा लिया जाता था और मध्यपूर्वी देशों में बेच दिया जाता या शाही हरम के लिए या मुग़ल ज़मींदारों के लिए, दुल्ले ने उनको न सिर्फ़ आततायियों से छुटकारा दिलवाया बल्कि उनके एक नयी रीति से विधिपूर्वक विवाह भी रचाये। सोचिये, हम बात कर रहे हैं सोहलवीं सदी की – जिन लड़कियों को छुड़वाया गया, उनके दामन दाग़दार, इज्ज़त रूठी हुई , आबरू के आँचल कमज़ोर, झीने और ज़ार ज़ार थे। ऐसे में अत्याचारियों से छुड़वा कर उनको उनके घर वापिस ले जाना कैसे सम्भव हुआ होगा?  कौन-सा समाज ऐसी कुचली हुई दुखी आत्माओं के लिए भूखे भूतों का जंगल नहीं है? ये सभी माँएं, बहनें, बेटियां उन सभी रिश्तों को खो तब किस हश्र के हवाले थी? लेकिन दुल्ले ने उसी समाज में से ऐसे ऐसे सुहृदय पुरुष ढूँढ निकाले जिन्होंने इन स्त्रियों को सम्बल दिया, घर-परिवार व सम्मान दिया और विवाहसूत्र में उनके साथ बंध गये।

ये सभी बनी दुल्ले की बेटियां – किसी पंडित के न मिलने पर हिन्दू विवाह की रीति निभाने के लिए शायद ‘राइ अब्दुल्लाह खान’ उर्फ़ मुसलमान राजपूत दुल्ला भट्टी ने स्वयं ही अग्नि के आस पास फेरे दिलवा, आहुति डाल उनके विवाह करवाये, न जाने कितनी ऐसी बेटियों का कन्यादान दिया, उनका दहेज बनाया जो एक सेर शक्कर के साथ उनको दिया जाता और इन विवाहों की ऐसी रीति बना दी कि दुल्ले के करवाये इन्ही विवाहों की गाथा आज हम लोहड़ी के दिन ‘जोड़ियां जमाने’ के लिए गाते हैं, विवाहों में समन्वय और ख़ुशी के संचार के लिए अग्नि पूजा करके गाते और मनाते हैं। –

12000 सैनिकों की सेना से युद्ध के बावजूद जांबाज़ दुल्ला को पकड़ न पाने पर धोखे से उसे या ज़हर दे कर मार देने का उल्लेख है, या बातचीत का झांसा दे दरबार बुला कर गिरफ़्तार कर जनता के सामने कोतवाली में फांसी दिए जाने का। धरती के इस सच्चे सपूत के जनाज़े में सूफ़ी संत शाह हुसैन ने भाग लिया और अंतिम दफ़न का काम पूर्ण किया, दुल्ला भट्टी की क़ब्र मियानी साहिब कब्रिस्तान (लाहौर, पंजाब, पाकिस्तान) में है। आज भी इस दरगाह पर फूल चढ़ते हैं। 

उत्तर भारत में लोहड़ी का त्यौहार जो मकर संक्रांति की पूर्व संध्या का उत्सव है दुल्ले की याद की अमरता से जुड़ा है। अब जब हर साल लोहड़ी पर अग्नि में आशीर्वाद के लिए मूंगफली और फुल्ले डालें, उसके फेरे लें और “सुन्दर मुंदरिये” पर नाचते गाते बच्चों के थाल भरेंगे तो मन में इस अनूठे समाज सुधारक वीर सूरमा दुल्ला भट्टी को भी याद कर नमन करें और स्वयं भी अच्छे कर्म करने का संकल्प लें। 

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लोकगाथाओं के सही सही काल का पता लगाना अक्सर मुश्किल होता है। समय की अनेकानेक परतों से गुज़रती यह गाथाएं कहीं कहीं कल्पनाशील अतिश्योक्तियों से पूर्ण भी होती हैं। मैं कोई शोधकर्ता नहीं, किन्तु जीवन और संस्कृति के प्रति जिज्ञासु ज़रूर हूँ। राय अब्दुल्लाह खान भट्टी की इस कथा के जालघर पर कोई २-४ वर्णन मिलते हैं। सन १९५६ में “दुल्ला भट्टी” नामक एक पंजाबी चलचित्र में भी यह कहानी दर्शायी गयी है। मेरा यह लेख इन्ही सूत्रों से प्रेरित है, हाँ, इसमें मामूली सी कल्पना की छौंक मेरी भी है, जो बस इस जोशभरी कहानी को जान लेने के बाद आयी एक स्वाभाविक उत्सुकता है जिसको सांझा करना सही समझती हूँ। कहीं उल्लेख है कई स्त्रियों के विवाह का, कहीं सिर्फ़ एक का, कहीं बताया है के ‘सुन्दर मुंदरिये’ गीत दुल्ले ने ही गाया। कहीं अक़बर की राजधानी दिल्ली से लाहौर ले जाने की बात है – जो कि लिखित इतिहास के अनुसार न कभी दिल्ली थी और न ही कभी लाहौर! तो ख़ैर, लेख लिखते समय मेरे लिए शायद यह एक बहुत ही बड़ी बात थी कि जिस गीत को मैं बचपन से गाती आ रही हूँ लोहड़ी पर वह उस वीर सुरमा की शौर्य गाथा है न कि कोई शादी का ‘दूल्हा’!! मेरा बाल-मन बस उछल उठा ‘दुल्ला भट्टी’ के कारनामों को पढ़ के और देख के, और अब आप से सांझा कर के। 
साभार: विभा चसवाल

लोहड़ी के लोक गीत

सुन्दर मुंदरिये, — हो 
तेरा कौन विचारा, — हो 
दुल्ला भट्टीवाला, —हो 
दुल्ले धी व्याही, —-हो 
सेर शक्कर पायी, — हो 
कुड़ी दा लाल पताका, —- हो 
कुड़ी दा सालू पाटा, —- हो 
सालू कौन समेटे, —- हो 
मामे चूरी कुट्टी, —-हो, 
जिमींदारां लुट्टी, —- हो
ज़मींदार सुधाये, —-हो 
गिन गिन पोले लाए, — हो 
इक पोला घट गया! —-हो 
ज़मींदार वोहटी ले के नस गया —-हो 
इक पोला होर आया —-हो 
ज़मींदार वोहटी ले के दौड़ आया —-हो 
सिपाही फेर के ले गया, —–हो 
सिपाही नूं मारी इट्ट —-हो 
भावें रो ते भावें पिट्ट। —-हो 


साहनूं दे लोहड़ी, तेरी जीवे जोड़ी! 
साहनूं दे दाणे तेरे जीण न्याणे!! 

‘पा नी माई पाथी तेरा पुत्त चढ़ेगा हाथी
हाथी उत्ते जौं तेरे पुत्त पोते नौ! 
नौंवां दी कमाई तेरी झोली विच पाई 
टेर नी माँ टेर नी 
लाल चरखा फेर नी! 
बुड्ढी साह लैंदी है 
उत्तों रात पैंदी है 
अन्दर बट्टे ना खड्काओ 
सान्नू दूरों ना डराओ! 
चार क दाने खिल्लां दे 
पाथी लैके हिल्लांगे 
कोठे उत्ते मोर सान्नू 
पाथी देके तोर!        

कंडा कंडा नी कुड़ियो
कंडा सी 
इस कंडे दे नाल कलीरा सी 
जुग जीवे नी भाबो तेरा वीरा नी, 
पा माई पा,
काले कुत्ते नू वी पा 
काला कुत्ता दवे वधाइयाँ, 
तेरियां जीवन मझियाँ गाईयाँ, 
मझियाँ गाईयाँ दित्ता दुध, 
तेरे जीवन सके पुत्त, 
सक्के पुत्तां दी वदाई, 
वोटी छम छम करदी आई।’

और मेरे पसंदीदा थे

जहां से लोहड़ी मिल जाती थी वहाँ
कंघा बी कंघा
एह घर चंगा

और जहां से ना मिले

हुक्का बी हुक्का
एह घर भुक्खा

सर्वासिद्धिप्रद: कुम्भ:, स्वागत है

प्रयागराज में संगम तट पर लगने वाले कुंभ मेला 2019 (Kumbh Mela 2019) की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। अखाड़ों, संतों, देशी-विदेशी मेहमानों और अन्य अतिथियों के लिए कुंभ में तैयारी पूरी कर ली गई है। ऐसे में आपके लिए भी ये जानना जरूरी है कि यहां पुण्य कमाने के अलावा भी ऐसी कई वजहें हैं, जिसके कारण आपको यहां अवश्य आना चाहिए। कुंभ मेला 2019 को लेकर सरकार की तरफ से खास और भव्य तैयारी की गई है। यहां आकर आप इस भव्यता के साथ कई ऐसे ऐतिहासिक पलों का गवाह बनेंगे जो कुंभ के अलावा कहीं देखने को नहीं मिलती। आइये जानते हैं कौन सी हैं वो वजहें…

प्रयागराज में कुंभ मेले के लिए दुनिया की सबसे बड़ी टेंट सिटी तैयार की गई है। इन टेंट में लाखों लोगों के ठहरने की व्यवस्था की गई है। यहां टेंट में आलीशान सूईट से लेकर धर्मशालाएं तक बनी हैं। ये टेंट सिटी इतनी विशाल है कि इसे पैदल पूरा घूमना आसान नहीं होगा। यहां संगम तट पर बनी टेंट सिटी का एरियर व्यू इतना मनोरम होता है, जो आपको कहीं और देखने को नहीं मिलेगा।

संगम तट किनारे आम तौर पर शाम या रात के वक्त अंधेरा रहता है, लेकिन कुंभ के दौरान यहां टेंट सिटी में आकर्षक लाइटिंग की जाती है। शाम को संगम तट पर अखाड़ों, साधू-संतों और श्रद्धालुओं द्वारा भव्य आरती की जाती है। कल-कल करती लहरों पर पड़ने वाली इन लाइटों और दीयों की रोशनी शाम को इसे झिलमिलाते तारों का शहर बना देती है। संगम पुल से इस नजारे को देखना बेहद मनोरम होता है। दुनिया में शायद ही कहीं और ऐसा नजारा देखने को मिलता है। इन नजारों को देखना किसी संयोग से कम नहीं।

कुंभ मेले में आस्था को जो जमघट लगता है उसका हिस्सा बनकर आपको बराबरी का एहसास होता है। यहां करोड़पति और गरीब सब एक साथ आस्था की डुबकी लगाते हैं। हजारों आलीशान पांच सितारा सूईट वाले टेंट से लेकर साधारण टेंट, किसी मुगलकालीन शहर से जैसे लगने लगते हैं।

हर बार कुंभ में साधु-संतों के 13 अखाड़े शामिल होते हैं। ये पहला मौका है जब कुंभ में 14 अखाड़े शिरकत करेंगे। कुंभ के दौरान इनकी भव्य पेश्वाई निकलती है। पेश्वाई का अभिप्राय इनकी शाही सवारी से है। इसमें हाथी, घोड़े, ऊंट, बग्घी, बैंड से लेकर सोने-चांदी से सजे सिंहासनों पर अखाड़ा प्रमुख सजधज कर बैठे होते हैं। इनकी सवारी के लिए अखाड़ों के शिविर से संगम तट तक एक विशेष राजपथ बनाया जाता है, जिस पर केवल अखाड़े ही चलते हैं। मार्ग के दोनों तरफ इनके सेवादार और श्रद्धालु आशीर्वाद पाने को खड़े रहते हैं। ये अखाड़े, साधू-संत और महंत कुंभ का प्रमुख आकर्षण होते हैं, जिन्हें देखने के लिए पूरी दुनिया से लोग यहां आते हैं। दुनिया भर के फोटोग्राफर इन पलों को अपने कैमरों में कैद करने के लिए हर वक्त मुस्तैद रहते हैं। दरअसल यही एक मौका होता है, जब सभी अखाड़े एक साथ जुटते हैं और पूरी भव्यता से अपनी पेश्वाई निकालते हैं।

खूब विवादों के बाद किन्नर आखाडा पहली बार करेगा पेशवाई

प्रयागराज कुंभ में पहली बार किन्नर अखाड़ा भी शामिल हो रहा है। इस बार कुंभ में जाने वाले लोग किन्नर अखाड़े की पेश्वाई भी देख सकेंगे। कुंभ में किन्नर अखाड़े को शामिल करने को लेकर पिछले दिनों अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने काफी हंगामा और विरोध भी किया था। बावजूद प्रशासन को उन्हें मंजूरी देनी पड़ी। इसके बाद किन्नर संयासियों के अखाड़े ने दो दिन पहले कुंभ में हाथी, घोड़े और ऊंट पर सवार होकर अपनी शानदार पेश्वाई निकाली थी। इस बार के कुंभ में नागाओं के बाद ये प्रमुख आकर्षण हो सकते हैं।

किन्नरों की दुनिया के नियम, कायदे सब आम लोगों से काफी अलग होते हैं। इसलिए लोगों को उनके जीवन के बारे में जानने की उत्सुकता हमेशा बनी रहती है। किन्नरों की इसी हैरतअंगेज दुनिया से रूबरे कराने के लिए कुंभ में किन्नर आर्ट विलेज भी बनाया गया है। यहां चित्र प्रदर्शनी, कविता, कला प्रदर्शनी, दृश्य कला, फिल्में, इतिहास, फोटोग्राफी, साहित्य, स्थापत्य कला, नृत्य एवं संगीत आदि के जरिए लोगों को किन्नरों की दुनिया से रूबरू कराया जाएगा। लोगों को रामायण और महाभारत में किन्नरों के महत्व और भूमिका के बारे में भी विस्तार से बताया जाएगा। यह आर्ट विलेज किन्नरों की रहस्यमयी दुनिया का झरोखा होगा।

इस बार कुंभ में सांस्कृतिक संध्याओं से संगम तट को गुलजार करने के लिए भी विशेष इंतजाम किए गए हैं। इसके लिए पहली बार कुंभ मेले में देशी-विदेशी रामलीला का मंचन भी होगा। इसके अलावा सरकारी और निजी संस्थाओं द्वारा भी मेले में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस दौरान यहां देश की सांस्कृतिक विरासत से भी रूबरू होने का मौका मिलेगा। इसके लिए कुंभ मेले में पांच विशाल सांस्कृतिक पांडाल बनाए गए हैं। यहां प्रतिदिन धार्मिक व सांस्कृतिक आयोजन होंगे।

हेलीकॉप्टर और क्रूज की सवारी
इस बार कुंभ मेले में आप क्रूज के अलावा हेलीकॉप्टर की सवारी का भी मजा किफायती कीमत पर ले सकते हैं। हेलीकॉप्टर के जरिए आप टेंट सिटी का एरियर व्यू देख सकेंगे। साथ ही इस विशाल मेले का हवाई नजारा ले सकेंगे। पर्यटकों को ये सुविधाएं सस्ती दरों पर उपलब्ध कराई जाएगी, ताकि वह कई किलोमीटर में फैले कुंभ के अद्भुत नजारों को अपनी आंखों से देख सकें।

टूरिस्ट वॉक का भी अवसर
कुंभ मेले में इस बार आपको आसपास के दर्शनीय स्थलों पर जाने की भी सुविधा मिलेगी। इसके लिए मेले में कुछ टूरिस्ट वॉक भी बनाए गए हैं। यहां आप टूर ऑपरेटरों से संपर्क कर पैकेज ले सकते हैं। मेले में शंकर विमान मंडपम से टूरिस्ट वॉक शुरू होगा जो रामघाट पर आकर खत्म होगा। इस बीच बड़े हनुमान जी का मंदिर, पातालपुरी मंदिर, अक्षय वट और इलाहाबाद का किला देख सकेंगे।

फेरी का मजा ले सकेंगे
कुंभ में आप यमुना नदी पर जलमार्ग से फेरी का मजा भी ले सकेंगे। फेरी सेवा सुजावन घाट से शुरू होकर रेल सेतु (नैनी की ओर) के नीचे से वोट क्लब घाट और सरस्वती घाट होता हुआ किला घाट पर जाकर खत्म होगा। ये फेरी करीब 20 किलोमीटर लंबी है। इस दौरान आपको की टर्मिनल मिलेंगे।

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35000 का है सबसे आलीशान टेंट
कुंभ मेले का सबसे आलीशान टेंट 35000 रुपये प्रति रात का पांच सितारा सूईट जैसा है। ये टेंट 900 वर्ग फुट क्षेत्रफल में बना है। इसमें दो बेडरूम, एक लिविंग रूम, फर्निचर, बेड, प्राइवेट वाशरूम और एलईडी टीवी के साथ गृहस्थी का सारा सामना भी है। इसके अलावा यहां वैदिक टेंट सिटी में 24000 रुपये प्रति रात की दर पर टेंट में बना प्रीमियम विला भी है। यहां लग्जरी टेंट की कीमत 19,000 रुपये और 15,000 रुपये प्रति रात है। कल्प वृक्ष टेंट सिटी में 8500 रुपये से लेकर 3500 रुपये तक की कीमत के टेंट एक रात के लिए बुक कर सकते हैं। सबसे सस्ता टेंट 650 रुपये प्रति रात की दर से है। यहां 24 घंटे चलने वाले कई रेस्टोरेंट भी हैं, जहां आपको देशी-विदेशी हर तरह का शाकाहारी भोजन उपलब्ध होगा। इन रेस्टोरेंट में बिना लहसुन प्याज का भोजन भी विशेष तौर पर तैयार किया जाएगा।

कुंभ के रंग में रंगा प्रयागराज, विश्व रिकॉर्ड बनाने की तैयारी
कुंभ मेले को यादगार बनाने के लिए यहां पहली बार पेंटिगं भी देखने लायक होगी। सरकार ने पूरे प्रयाग को कुंभ के रंग में रंगने के लिए कई महीने पहले ही पेंट साई सिटी योजना शुरू कर दी थी। इसके तहत 600 से ज्यादा पेंटरों ने यहां के जर्रे-जर्रे को अपनी कूची और पेंट के जरिए कुंभ के रंग में रंग दिया है। पेंट माई सिटी योजना पर सरकार ने 30 करोड़ रुपये से ज्यादा का बजट खर्च किया है। पेंट माई सिटी योजना के तहत इलाहाबाद की नैनी जेल की दीवार पर समुद्र मंथन की सबसे बड़ी चित्रकारी बनाने का भी विश्व रिकॉर्ड बनाया जा रहा है। इसे गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज कराने के लिए आवेदन किया जा चुका है।