पंजाब विधानसभा ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादी हमले की शुक्रवार को कड़ी निंदा की और पूरे दिन के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया. बीते गुरुवार को हुए हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए हैं. सभी विधायकों ने सदन में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की और दो मिनट का मौन रखा.
प्रस्ताव पेश कर सदन की कार्यवाही स्थगित करने का प्रस्ताव करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि अब बहुत हो गया. उन्होंने केंद्र सरकार से पाकिस्तान की इस कायरतापूर्ण हरकत का मुंहतोड़ जवाब देने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा, यह उन्हें सबक सिखाने का समय है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शांति की बात करते हैं और सेना प्रमुख युद्ध की बात करते हैं.
सिद्धू आज भी मानते हैं की आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। वह ऐसा बोलते वक्त बाजवा की गलबहियों के आनंद में झूम जाते होंगे। सिद्धू साहिब आपको खास तौर पर पता होना चाहिए की आतंकवाद का देश भी है, जाती भी और धर्म भी।
पंजाब कैबिनेट अपने पाकिस्तान से बातचीत जारी न रखने के अपने फैसले के प्रति कितने जवाबदार हैं। क्या इस फैसले में वह पाकितान के साथ व्यापारिक संबंध विच्छेद करेगा? क्या पाकिस्तान को पंजाब की बिजली की आपूर्ति होती रहेगी ? क्या पंजाब हरियाणा का पानी रोक कर पाकिस्तान के खेतों को हमारे पानी से सींचता रहेगा? क्या काठमांडू या बांग्लादेश जाने के लिए पाकिस्तान को अपना हवाई मार्ग प्रदान करेगा??
पंजाब विधानसभा में पाकिस्तान के खिलाफ प्रस्ताव पेश हुआ. पाकिस्तान से हर तरह की बातचीत बंद करने का प्रस्ताव पास हुआ है. वहीं कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने पुलवामा में हुए आतंकी हमले की निंदा की. उन्होंने कहा कि आतंकवाद का न कोई धर्म होता है और न ही जाति होती है. आतंकवाद की न कोई पार्टी होती है और न ही देश होता है. जान लेना किसी समस्या का हल नहीं होता.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/amarinder-singh.jpg498885Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-15 09:16:092019-02-15 09:16:13क्या बिजली पानी की आपूर्ति रोके बिना बातचीत रद्द करना समझदारी है?
Curfew was imposed in Jammu city on Friday as a precautionary measure following massive protests over the terror attack in Pulwama in the Kashmir Valley in which 40 CRPF personnel were killed, officials said.
The Army has been requested to help the administration in maintaining law and order and conduct flag marches, they said.
Curfew was clamped as authorities feared a communal backlash, officials said. Protesters, particularly in the old city, refused to disperse even after loudspeakers announced that curfew was imposed.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/curefewwwww-1024x553.jpg5531024Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-15 08:32:452019-02-15 08:32:47District Magistrate Jammu imposes curfew in Jammu city
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए सबसे बड़े आतंकी हमले के बाद जम्मू कश्मीर की सुरक्षा स्थिति पर विचार-विमर्श के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति (सीसीएस) की शुक्रवार को बैठक खत्म हो गई है. संभव है कि इस मीटिंग में पाकिस्तान के खिलाफ बड़ा फैसला लिया जा सकता है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मीटिंग में हुई चर्चा की जानकारी शेयर करते हुए बताया कि इसमें पाकिस्तान का सीधा संबंध है और सरकार पाकिस्तान के खिलाफ बड़े कदम उठाने के लिए तैयार है.
जेटली ने बताया कि सरकार ने इस दिशा में सबसे बड़ा कदम उठाते हुए भारत ने पाकिस्तान को दिया गया मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा वापस ले लिया.
जेटली ने बताया कि भारत इस हमले के मद्देनजर पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए उसे अंतरराष्ट्रीय जगत पर बेनकाब करेगा और उसे आतंक के मुद्दे पर दुनिया भर में अलग-थलग करेगा. जेटली ने कहा कि जो लोग भी इस हमले में शामिल हैं, उन्हें इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी.
आइये जानते हैं क्या है मोस्ट फेवर्ड नेशन का मतलब और इसके मायने… दरअसल, मोस्ट फेवर्ड नेशन का मतलब है सबसे ज्यादा तरजीही वाला देश. MSN का दर्जा मिलने के बाद दर्जा प्राप्त देश को इस बात का आश्वासन रहता है कि उसे कारोबार में कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा. विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) और अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों के आधार पर बिजनेस में सबसे अधिक तरजीह वाले देश (एमएफएन) का दर्जा दिया जाता है. डब्ल्यूटीओ बनने के साल भर बाद भारत ने पाकिस्तान को 1996 में एमएफएन का दर्जा दिया था, लेकिन पाकिस्तान की तरफ से भारत को ऐसा कोई दर्जा नहीं दिया गया था.
यह बैठक पुलवामा की फिदायीन हमले की घटना की पृष्ठभूमि में हुई है, जिसमें 40 सीआरपीएफकर्मी शहीद हुए हैं. सीसीएस की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं. इस मीटिंग में रक्षा मंत्री, गृह मंत्री, विदेश मंत्री और वित्त मंत्री इसमें शामिल हैं. साथ ही इसमें एनएसए और एनएससी के सदस्य भी हिस्सा हैं. सीसीएस सुरक्षा और सामरिक मामलों पर निर्णय करती है.
इस दर्जे से किसी देश को क्या लाभ होते हैं… यह दर्जा दो देशों के मध्य कारोबार में दिया जाता है. इससे अंतर्गत दोनों मुल्क एक दूसरे को आयात और निर्यात में विशेष छूट देते हैं. विश्व व्यापार संगठन के सदस्य देश खुले व्यापार और बाजार के नियमों में बंधे हुए हैं, लेकिन एमएफएन के नियमों के तहत देशों को विशेष छूट दी जाती है. भारत-पाक के बीच इन चीजों का है बड़ा कारोबार भारत और पाकिस्तान के बीच सीमेंट, चीनी, रुई, सब्जियों, ऑर्गेनिक केमिकल, चुनिंद फल, ड्राई फ्रूट्स, मिनरल ऑयल, स्टील जैसी कमोडिटीज़ और वस्तुओं का कारोबार दोनों देशों के बीच होता है.
गृहमंत्री राजनाथ सिंह शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर का दौरा करने भी जाने वाले हैं. हादसे की जांच के लिए शुक्रवार को NIA की टीम भी पुलवामा जाएगी. इस टीम में 12 सदस्य होंगे जिसका नेतृत्व IG रैंक के अधिकारी करेंगे.
गृहमंत्री पहले श्रीनगर जाएंगे. फिर यहां से 11 बजे के आसपास वो गवर्नर सत्यपाल मलिक और फोरेंसिक एक्सपर्ट्स की टीम के साथ पुलवामा जाएंगे.
इसके पहले सूत्रों के हवाले से खबर मिली थी कि गुरुवार शाम दिल्ली में CRPF के डीजी राजीव राय भटनागर और गृह मंत्री राजनाथ सिंह के बीच करीब 20 मिनट तक बैठक चली थी. राजीव राय ने CRPF वॉर रूम में मौजूद आला अधिकारियों से रिपोर्ट ली और उसके बाद गृहमंत्री को सारी जानकारी दी.
बता दें कि गुरुवार को पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद के एक आत्मघाती हमलावर ने जम्मू-कश्मीर में सीआरपीएफ काफिले की एक बस से विस्फोटक भरे अपनी गाड़ी को भिड़ा दिया. हाल के सालों में जम्मू-कश्मीर में हुआ यह भीषण आतंकवादी हमला है.
हालांकि पाकिस्तान हमेशा नकारता रहा है की उसका भारत के साथ मात्र 2 से 2.5 बिल्यन डॉलर्ज़ का व्यापार होता है अत: यदि MFN status वापिस भी लेता है तो उसकी अर्थव्यवस्था पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। भारत के जन मानस की तरफ से पाकिस्तान के भारत के आकाश एवं जल मार्ग अवरुद्ध करने की मांग उठ रही है। और जल संधियों पर पुन: विचार करने पर ज़ोर दिया जा रहा है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/pulvama-ki-yaad-mein.jpg11862200Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-15 08:10:142019-02-15 08:29:26पाकिस्तान से MFN दर्जा छिना
नई दिल्ली : जम्मू और कश्मीर में 2019 का सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ है. जम्मू से श्रीनगर जा रहे सीआरपीएफ के काफिले पर ये हमला गुरुवार दोपहर को किया गया. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, इस हमले में सीआरपीएफ के 30 जवानों शहीद होने की खबर है. आतंकियों ने इलाके में जवानों पर पहले गोलीबारी की और फिर उन पर कार के जरिये आईईडी ब्लास्ट किया. ये हमला उरी से भी बड़ा आतंकी हमला बताया जा रहा है. यह आतंकी हमला पुलवामा जिले के अवंतीपोरा के गोरीपोरा इलाके में हुआ सुरक्षा अधिकारी के मुताबिक जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों को निशाना बना कर किये गये आईईडी विस्फोट की जैश-ए-मोहम्मद ने जिम्मेदारी ली है. सूत्रों के अनुसार कहा जा रहा है कि ये एक आत्मघाती हमला है. इस आत्मघाती हमले को जैश के आतंकी आदिल अहमद डार ने अंजाम दिया. हमले में 45 से ज्यादा जवान घायल हुए हैं.
हमला तब हुआ जब सीआरपीएफ का काफिला जम्मू से कश्मीर जा रहा था. काफिले में 70 वाहन थे. इसमें से एक बस को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है. सेना से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि 2001-02 में आतंकियों ने इसी तरह के फिदायीन हमले को अंजाम दिया है. सेना का कहना है कि सेना ने जिस तरह से आतंकियों के ख्ािलाफ ऑपरेशन चलाया है, उसमें उनकी बौखलाहट बढ़ गई है. इसी कारण उन्होंने आईएसआईएस की तर्ज पर ये हमला किया है. पुलिस के अनुसार, पुलवामा जिले में श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग सीआरपीएफ के काफिले में 2500 जवान शामिल थे. इसमें एक बस में 20 से ज्यादा जवान मौजूद थे. आतंकियों ने काफिले पर आईईडी विस्फोट करते हुए सीआरपीएफ के वाहन पर गोलियां बरसाईं. सुरक्षाबलों का यह काफिला श्रीनगर-जम्मू हाईवे से होकर जा रहा था. यह एक मात्र हाइवे है, जो कश्मीर घाटी को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है. भारी बर्फबारी के कारण 7 दिनों के बाद 13 फरवरी को इस राजमार्ग पर यातायात फिर से शुरू किया गया था. पुलिस के अनुसार, पुलवामा जिले में श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग सीआरपीएफ के काफिले में 2500 जवान शामिल थे. इसमें एक बस में 20 से ज्यादा जवान मौजूद थे. आतंकियों ने काफिले पर आईईडी विस्फोट करते हुए सीआरपीएफ के वाहन पर गोलियां बरसाईं. सुरक्षाबलों का यह काफिला श्रीनगर-जम्मू हाईवे से होकर जा रहा था. यह एक मात्र हाइवे है, जो कश्मीर घाटी को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है. भारी बर्फबारी के कारण 7 दिनों के बाद 13 फरवरी को इस राजमार्ग पर यातायात फिर से शुरू किया गया था. धमाका इतना जबरदस्त था कि बस के परखच्चे उड़ गए. पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि जिले के अवंतिपुरा इलाके में श्रीनगर जम्मू राजमार्ग पर यह आईईडी विस्फोट हुआ. पुलिस ने आतंकवादी की पहचान पुलवामा के काकापोरा के रहने वाले आदिल अहमद के तौर पर की है. उन्होंने बताया कि अहमद 2018 में जैश-ए-मोहम्मद में शामिल हुआ था.
सीआरपीएफ के सूत्रों का कहना है कि सड़क पर एक चार पहिया वाहन में IED लगाया गया था. कार हाईवे पर खड़ी थी. जैसे ही सुरक्षाबलों का काफिला कार के पास से गुजरा, उसमें ब्लास्ट हो गया. इस दौरान काफिले पर फायरिंग की भी खबर है. इस हमले में 30 सीआरपीएफ जवानों की मौत गई, जबकि 18 गंभीर रूप से घायल हो गए हैं. सबसे अधिक संभावना है कि यह एक रिमोट कंट्रोल्ड व्हीकल आईईडी था.
रिपोर्ट के मुताबिक आतंकियों ने आईईडी में विस्फोट करने के बाद सीआरपीएफ बस पर स्वचलित हथियारों से गोलियां भी बरसाईं. जम्मू एवं कश्मीर पुलिस प्रमुख दिलबाग सिंह ने 10 सीआरपीएफ जवानों के शहीद होने की पुष्टि की और कहा कि यह एक आत्मघाती हमला हो सकता है. खुद को जेईएम का प्रवक्ता बताने का दावा करने वाले एक व्यक्ति ने स्थानीय समाचार एजेंसी जीएनएस को दिए एक बयान में कहा कि यह संगठन द्वारा किया गया एक फिदायीन हमला था.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/Fidayeen-attack.jpg388802Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-14 13:39:452019-02-14 13:42:51जम्मू काश्मीर में हुए फिदायीन हमले में 30 जवान शहीद
Dr.
J.S. Sehrawat, Assistant Professor, Department of Anthropology, Panjab
University, Chandigarh, has been awarded full Travel Grant by Science and Engineering Research Board, Department
of Science and Technology, Govt. of India (SERB-DST), to present his Three research papers at 71st Annual Conference of
American Academy of Forensic Sciences at Baltimore, Maryland, USAfrom 18th to 23rd
February, 2019.
It may
be recalled that Dr. Sehrawat is working as principal investigator for the
biological profiling of Ajnala skeletal remains excavated from an abandoned
well at Ajnala (Amritsar), and DST has provided him financial support to carry
out this research project. Thousands of unknown human skeletal remains along
with contextual items of identity were unearthed from an abandoned well
situated underneath a religious structure at Ajnala in early 2014 and these
remains were handed over to Dr. Sehrawat for establishing their identity. Dr. Sehrawat has research collaborations with
St. John’s University, Canada, Max Planck Institute, Germany, BSIP, Lucknow,
IIT Roorkee and SDM Dental Institute, Dharwad towards identification strategies
of Ajnala skeletal remains. Keeping in view of his contributions in diverse fields
of forensic sciences, he has been credited with the Associate Member of
American Academy of Forensic Sciences in Forensic Anthropology section.
Forensic experts of diverse sub-disciplines from all across the world will
deliberate their research results and practical experiences in this
international conference of very high repute.
In his first Oral presentation, he will describe the age
and sex estimations of Ajnala dental remains from their elemental composition,
odontometrics and pulp-tooth area ratio, and thus will highlight the importance
of application of a multitude of scientific techniques for the most accurate
and reliable forensic results. He claimed that we are just very near to conclude
the biological identity of the Ajnala skeletal remains; though declined to
divulge further details citing the ethical restrictions before the presentation
or publication of the findings.
In his second Oral presentation, Dr. Sehrawat will
present the critical appraisal of current status of forensic anthropological
inputs in forensic death investigations in India. The discipline has yet not
been recognized as a distinct scientific discipline and there exists a distinct
professional void among the experts dealing with human skeletal remains
regarding their role in forensic death investigations. He exampled a number of
criminal cases like Nithari killings, Nirbhaya gangrape case, Sheena Bora
murder case, 26/11 Mumbai Terror/Ajmal Kasab case etc., where forensic
anthropological inputs have helped the investigating agencies for conclusive
decisions. He stressed that a well thought approach is needed to recognize the
contributions and assistance of forensic anthropologists in forensic death
investigations; particularly in cases of mass disasters or in cases where only
skeletonized remains are recovered from the crime scenes or other forensic
situations.
His third paper is
co-authored with Ms. Monika, UGC-SRF, IFSC, Panjab University, and is a poster
presentation about the comparative teeth measurements and the extent of sexual
dimorphism among modern and ancient teeth.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/full31518-1.jpg375350Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-13 14:41:512019-02-13 14:41:54PU Professor to present Research Papers at USA
Department of Anthropology organized
6th Anthropology Colloquium on “Anthropological Genomics in Health
and Disease: Hope, Hype and Reality” in the Department of Anthropology by Prof.
Sarabjit Mastana, School of Sport, Exercise and Health Sciences, Loughborough
University, Loughborough U.K.
In his address, Dr. Sarabjit Mastana
emphasized that the success of personalized medicines depends on the complete
understanding of Anthropology of Indian populations in all aspects. Personalized medicine is the way forward for
better treatments and health of individuals and populations. Genetic analyses
are now possible to carry out at cost effective level and are helpful in
personalized medicine and prescriptions.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/Press-note-6-photo1.jpg14212096Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-12 13:00:062019-02-12 13:00:17“Anthropological Genomics in Health and Disease: Hope, Hype and Reality” at PU
कुछ नाम अपने से पहले किसी ना किसी उपाधि से सँवारे जाते हैं, महात्मा गांधी, गुरुदेव रबीन्द्र नाथ, उसी प्रकार जब हम वीर बालक की बात करते हैं या उच्चारते हैं तो एक ही नाम मस्तिष्क में आता है “वीर बालक हकीकत राय”.। हकीकत राय कए नाम के आगे वीर बालक ना लगाना एक सामाजिक, धार्मिक अनुबंध है। इस बालक के बलिदान ई कथा ना केवल पंजाब की पुण्य भूमि पर गाया जाता है अपितु सम्पूर्ण उत्तरपथ में इस वीर बालक को पूजा जाता है। बसंत पंचमी और वीर बालक हकीकत राय एक दूसरे के पूरक हैं।
वीर बालक हकीकत राय का जन्म 1728 में सियालकोट में लाला बागमल पुरी के यहाँ हुआ था। इनकी माता का नाम कोरा था। लाला बागमल सियालकोट के तब के प्रसिद्ध सम्पन्न हिंदु व्यापारी थे। वीर हकीकत राय उनकी एकमात्र सन्तान थी। उस समय देश में बाल विवाह प्रथा प्रचलित थी, क्योकि हिन्दुओ को भय रहता था कि कहीं मुसलमान उनकी बेटियो को उठा कर न ले जाये। जैसे आज भी पाकिस्तान और बांग्लादेश से समाचार आते रहते है। इसी कारण से वीर हकीकत राय का विवाह बटाला के निवासी कृषण सिंह की बेटी लक्ष्मी देवी से बारह वर्ष की आयु में कर दिया गया था।
उस समय देश में मुसलमानो का राज था।जिन्होंने देश के सभी राजनितिक और प्रशासिनक कार्यो के लिये फ़ारसी भाषा लागु कर रखी थे।देश में सभी काम फ़ारसी में होते थे। इसी से यह कहावत भी बन गई कि ,“हाथ कंगन को आरसी क्या, और पढ़े लिखे को फ़ारसी क्या”।
इसी कारण से बागमल पुरी ने अपने पुत्र को फ़ारसी सिखने के लिये मोलवी के पास उसके मदरसे में पढ़ने के लिये भेजा। कहते है और जो बाद में सिद्ध भी हो गया कि वो पढ़ाई में अपने अन्य सहपाठियों से अधिक तेज था, जिसके चलते मुसलमान बालक हकीकत राय से ईर्ष्या करने लगे।
एक बार हकीकत राय का अपने मुसलमान सहपाठियों के साथ झगड़ा हो गया। उन्होंने माता दुर्गा के प्रति अपशब्द कहे, जिसका हकीकत ने विरोध करते हुए कहा,”क्या यह आप को अच्छा लगेगा यदि यही शब्द मै आपकी बीबी फातिमा (मोहम्द की पुत्री) के सम्बन्ध में कहुँ? इसलिये आप को भी अन्य के प्रति ऐसे शब्द नही कहने चाहिये।” इस पर मुस्लिम बच्चों ने शोर मचा दिया की इसने बीबी फातिमा को गालिया निकाल कर इस्लाम और मोहम्मद का अपमान किया है। साथ ही उन्होंने हकीकत को मारना पीटना शुरू कर दिया। मदरसे के मौलवी ने भी मुस्लिम बच्चों का ही पक्ष लिया। शीघ्र ही यह बात सारे स्यालकोट में फैल गई। लोगों ने हकीकत को पकड़ कर मारते-पीटते स्थानीय हाकिम आदिल बेग के समक्ष पेश किया। वो समझ गया की यह बच्चों का झगड़ा है, मगर मुस्लिम लोग उसे मृत्यु-दण्ड की मांग करने लगे। हकीकत राए के माता पिता ने भी दया की याचना की। तब आदिल बेग ने कहा,”मै मजबूर हूँ।परन्तु यदि हकीकत इस्लाम कबूल कर ले तो उसकी जान बख्श दी जायेगी।” किन्तु वो 14 वर्ष का बालक हकीकत राय ने धर्म परिवर्तन से इंकार कर दिया। अब तो काजी, मौलवी और सारे मुसलमान उसे मारने को तैयार हो गए। ऐसे में बागमल के मित्रो ने कहा कि स्याकोट का वातावरण बहुत बिगड़ा हुआ है, यहाँ हकीकत के बचने की कोई आशा नही है। ऐसे में तुम्हे पंजाब के नवाब ज़करिया खान के पास लाहौर में फरियाद करनी चाहिये। बागमल ने रिश्वत देकर अपने बेटे का मुकदमा लाहौर भेजने की फरियाद की जो मंजूर कर ली गई।
सयालकोट से मुगल घुड़सवार हकीकत को लेकर लाहौर के लिये रवाना हो गये। हकीकत राय को यह सारी यात्रा पैदल चल कर पूरी करनी थी। उसके साथ बागमल अपनी पत्नी कोरा और अन्य मित्रो के संग पैदल चल पड़ा। उन्होने हकीकत की पत्नी को बटाला उसके पिता के पास भिजवा दिया। कहते है कि लक्ष्मी से यह सारी बाते गुप्त रखी गई थी। परन्तु मार्ग में उसकी डोली और बन्दी बने हकीकत का मेल हो गया। जिससे लक्ष्मी को सारे घटनाक्रम का पता चला।फिर। भी उसे समझा-बुझा कर बटाला भेज दिया गया।
दूसरी तरफ स्यालकोट के मुसलमान भी स्थानीय मौलवियो और काजियों को लेकर हकीकत को सजा दिलाने हेतु दल बना कर पीछे पीछे चल पड़े। सारे रास्ते वो हकीकत राय को डराते धमकाते, तरह तरह के लालच देते और गालिया निकलते चलते रहे। अगर किसी हिन्दू ने उसे सवारी या घोड़े पर बिठाना चाहा भी तो साथ चल रहे सैनिको ने मना कर दिया। मार्ग में जहाँ से भी हकीकत राय गुजरा, लोग साथ होते गये।
आखिर दो दिनों की यात्रा के बाद हकीकत राय को बन्दी बनाकर लानेवाले सेनिक लाहौर पहुंचे।अगले दिन उसे पंजाब के तत्कालिक सूबेदार ज़करिया खान के समक्ष पेश किया गया। यहाँ भी हकीकत के स्यालकोट से आये मुस्लिम सहपाठियों, मुल्लाओं और काजियों ने हकीकत राय को मौत की सज़ा देने की मांग की। उन्हें लाहौर के मुस्लिम उलेमा का भी समर्थन मिल गया। नवाब ज़करिया खान समझ तो गया की यह बच्चों का झगड़ा है, मगर मुस्लिम उलेमा हकीकत की मृतयु या मुसलमान बनने से कम पर तैयार न थे। वास्तव में यह इस्लाम फेलाने का एक ढंग था। सिक्खों के पांचवे गुरु श्री गुरु अर्जुनदेव और नोवै गुरु श्री गुरु तेगबहादुर जी को भी इस्लाम कबूलने अथवा शहीदी देने की शर्त रखी गयी थी।
परन्तु यहाँ भी हकीकत राय ने अपना धर्म छोड़ने से मना कर दिया।उसने पूछा,”क्या यदि मै मुसलमान बन जाऊ तो मुझे मौत नही आएगी? क्या मुसलमानो को मौत नही आती?” तो उलिमायो ने कहा,”मौत तो सभी को आती है।” तब हकीकत राय ने कहा,”तो फिर मै अपना धर्म क्यों छोड़ू ,जो सभी को ईश्वर की सन्तान मानता है और क्यों इस्लाम कबुलूँ जो मेरे मुसलमान सहपाठियों के मेरी माता भगवती को कहे अपशब्दों को सही ठहराता है, मगर मेरे न कहने पर भी उन्ही शब्दों के लिये मुझसे जीवित रहने का भी अधिकार छिन लेता है। जो दीन दूसरे धर्म के लोगो को गालिया निकलना, उन्हें लूटना, उन्हें मारना और उन्हें पग पग पर अपमानित करना अल्ला का हुक्म मानता हो,मै ऐसे धर्म को दूर से ही सलाम करता हूं।”
इस प्रकार सारा दिन लाहौर दरबार में शास्त्रार्थ होता रहा,मगर हकीकत राय इस्लाम कबूलने को तैयार ना हुआ। जैसे जैसे हकीकत की विद्वता, साहस और बुद्धिमता प्रगट होती रही, वैसे वैसे मुसलमानो में उसे दीन मनाने का उतसाह भी बढ़ता जा रहा था। परन्तु कोई स्वार्थ,कोई लालच और न ही कोई भय उस 14 वर्ष के बालक हकीकत को डिगाने में सफल रहा।
आखिरकार हकीकत राय के माता पिता ने एक रात का समय माँगा, जिससे वो हकीकत राय को समझा सके। उन्हें समय दे दिया गया।रात को हकीकत राय के माता पिता उसे जेल में मिलने गए। उन्होंने भी हकीकत राय को मुसलमान बन जाने के लिये तरह तरह से समझाया। माँ ने अपने बाल नोचे, रोइ, दूध का वास्ता दिया, मगर हकीकत ने कहा,”माँ! यह तुम क्या कर रही हो।तुम्हारी ही दी शिक्षा ने तो मुझे ये सब सहन करने की शक्ति दी है। मै कैसे तेरी दी शिक्षाओं का अपमान करूँ। आप ही ने सिखाया था कि धर्म से बढ़ के इस संसार में कुछ भी नही है। आत्मा अमर है।”
अगले दिन वीर बालक हकीकत राय को दोबारा लाहौर के सूबेदार के समक्ष पेश किया गया। सभी को विश्वास था कि हकीकत आज अवश्य इस्लाम कबूल कर लेगा। उससे आखरी बार पूछा गया कि क्या वो मुसलमान बनने को तैयार है।परन्तु हकीकत ने तुरन्त इससे इंकार कर दिया। अब मुस्लिम उलेमा हकीकत के लिये सजाये मौत मांगने लगे। ज़करिया खान ने इस पर कहा,” मै इसे मृत्यु दण्ड कैसे दे सकता हु। यह राष्ट्रद्रोही नही है और ना ही इसने हकुमत का कोई कानून तोड़ा है?” तब लाहौर के काजियों ने कहा कि यह इस्लाम का मुजरिम है। इसे आप हमे सौंप दे। हम इसे इस्लामिक कानून(शरिया) के मुताबिक सजा देगें। दरबार में मौजूद दरबारियों ने भी काजी की हाँ में हाँ मिला दी। अत: नवाब ने हकीकत राय को काजियों को सौंप दिया कि उनका निर्णय ही आगे मान्य होगा।
अब लाहौर के उलेमाओं न मुस्लिम शरिया के मुताबिक हकीकत की सजा तय करने के लिये बैठक की। इस्लाम के मुताबिक कोई भी व्यक्ति इस्लाम, उसके पैगम्बर और कुरान की सर्वोच्चता को चुनोती नही दे सकता। और यदि कोई ऐसा करता है तो वो ‘शैतान’ है। शैतान के लिये इस्लाम में एक ही सजा है कि उसे पत्थर मार मार कर मार दिया जाये। आज भी जो मुसलमान हज पर जाते है,उनका हज तब तक पूरा नही माना जाता जब तक कि वो वहाँ शैतान के प्रतीकों को पत्थर नही मारते। कई मुस्लिम देशो में आज भी यह प्रथा प्रचलित है।लाहौर के मुस्लिम उलिमियो ने हकीकत राय के लिये भी इसी सजा का फतवा दे डाला।
1849 में गणेशदास रचित पुस्तक,‘चार-बागे पंजाब’ के मुताबिक इसकेलिय लाहौर में बकायदा मुनादी करवाई गई कि अगले दिन हकीकत नाम के शैतान को (संग-सार) अर्थात पत्थरो से मारा जायेगा और जो जो मुसलमान इस मौके पर सबाब(पुण्य) कमाना चाहे आ जाये।
अगले दिन बसन्त पंचमी का दिन था जो तब भी और आज भी लाहौर में भी भरी धूमधाम से मनाया जाता है। वीर हकीकत राय को लाहौर की कोतवाली से निकाल कर उसी के सामने गड्ढा खोद कर कमर तक उसमे गाड़ दिया गया। लाहौर के मुसलमान शैतान को पत्थर मारने का पूण्य कमाने हेतु उसे चारो तरफ से घेर कर खड़े हो गए। हकीकत राय से अंतिम बार मुसलमान बनने के बारे में पूछा गया। हकीकत ने अपना निर्णय दोहरा दिया कि मुझे मरना कबूल है पर इस्लाम नही।इस ने लाहौर के काजियों ने हकीकत राय को संग-सार करने का आदेश सुना दिया। आदेश मिलते ही उस 14 वर्ष के बालक पर हर तरफ से पत्थरो की बारिश होने लगी। हजारो लोग “अल्लाहू-अकबर, अल्लाहू -अकबर” चिल्लाते हुये उस बालक पर पत्थर बरसा रहे थे, जबकि हकीकत ‘राम-राम’ का जाप कर रहा था। शीघ्र ही उसका सारा शरीर पत्थरो की मार से लहूलुहान हो गया और वो बेहोश हो गया। अब पास खड़े जल्लाद को उस बालक पर दया आ गयी की कब तक यह बालक यूँ ही पत्थर खाता रहेगा। इससे यही उचित है की मैं ही इसे मार दूँ। इतना सोच कर उसने अपनी तलवार से हकीकत राय का सिर काट दिया। रक्त की धरायेँ बह निकली और वीर हकीकत राय 1742 में बसन्त पंचमी के दिन अपने धर्म पर बलिदान हो गया।
दोपहर बाद हिन्दुओ को हकीकत राय के शव के वैदिक रीती से संस्कार की अनुमति मिल गई।हकीकत राय के धड़ को गड्ढे से निकाला गया। उसके शव को गंगाजल से नहलाया गया। उसकी शव यात्रा में सारे लाहौर के हिन्दू आ जुटे। सारे रास्ते उस के शव पर फूलों की वर्षा होती रही।इतिहास की पुस्तको में दर्ज है कि लाहौर में ऐसा कोई फूल नही बचा था जो हिन्दुओ ने खरीद कर उस धर्म-वीर के शव पर न चढ़ाया हो। कहते है कि किसी माली की टोकरी में एक ही फूलो का हार बचा था जो वो स्वयं चढ़ाना चाहता था, मगर भीढ़ में से एक औरत अपने कान का गहना नोच कर उसकी टोकरी में डाल के हार झपट कर ले गई। 1 पाई में बिकने वाला वो हार उस दिन 15 रुपये में बिका। यह उस आभूषण का मूल्य था। हकीकत राय का अंतिम संस्कार रावी नदी के तट पर कर दिया गया।
जब हकीकत के शव का लाहौर में संस्कार हो रहा था,ठीक उसी समय। बटाला में उसकी 12 वर्ष की पत्नी लक्ष्मी देवी अपने मायके बटाला (अमृतसर से 45 किलोमीटर दूर) में थी। हकीकत राय के बलिदान के पश्चात उसने अपने पति की याद में कुँआ खुदवाया और अपना समस्त जीवन इसी कुएं पर लोगों को जल पिलाते हुये गुजार दिया। बटाला में लक्ष्मी देवी की समाधि और कुँआ आज भी मौजूद है। यहाँ हर वर्ष बसन्त पंचमी को मेला लगता है और दोनों के बलिदान को नमन किया जाता है। लाहौर में हकीकत राय की दो समाधिया बनाई गई। पहली जहाँ उन्हें शहीद किया गया और दूसरी जहाँ उनका संस्कार किया गया। महाराजा रणजीत सिंह के समय से ही हकीकत राय की समाधियों पर बसन्त पंचमी पर मेले लगते रहे जो 1947 के विभाजन तक मनाया जाता रहा।1947 में हकीकत राय की मुख्य समाधि नष्ट कर दी गई। रावी नदी के तट पर जहाँ हकीकत राय का संस्कार हुआ था,वहाँ लाहौर निवासी कालूराम ने रणजीत सिंह के समय में पुनुरुद्धार करवाया था, इससे वो कालूराम के मन्दिर से ही जाने जाना लगा। इसी से वो बच गया और आज भी लाहौर में वो समाधि मौजूद है
हकीकत राय के गृहनगर स्यालकोट में उसके घर में भी उसकी याद में समाधि बनाई गई, वो भी 1947 में नष्ट कर दी गई।
इस धर्म वीर के माता पिता अपने पुत्र की अस्थिया लेकर हरिद्वार गए, मगर फिर कभी लौट के नही आये।
वीर हकीकत राय के बारे में पंजाब में वीर गाथाये लिखी और गायी जाती रही। सर्वप्रथम अगरे ने 1772 में हकीकत की गाथा काव्य शैली में लिखी। इसके अतिरिक्त सोहन लाल सूरी, गणेशदास वढेरा, गोकुलचन्द नारंग, स्वामी श्रदां नंद, गण्डा सिंह और अन्य सिख इतिहासकारो ने भी हकीकत राय पर लिखा है।
हकीकत राय के बलिदान का पभाव
हकीकत राय का बलिदान से पंजाब में एक नए युग का सूत्रपात हुया। इस बलिदान से हिंदुयों और सिखों में रोष फैल गया। अहमदशाह अब्दाली के काल मेंसिखों ने सियालकोट पर आक्रमण कर इसके8 इट से ईंट बजा दी। उन्होंने सारे स्यालकोट को जला कर राख कर डाला। 1748 में जम्मू के राजा रंजीतदेव ने इसे अपने अधिकार में ले लिया।परन्तु इसके बाद भी यह शहर न बस सका।1849 में अंग्रेजी राज्य स्थापित होने पर ही स्यालकोट पुन: बसना आरम्भ हुया। पुराने समय की स्यालकोट में केवल हकीकत राय की समाधि ही शेष थी। शेष सारा नगर दोबारा बसाया गया।
वीर हकीकत राय ने भले ही लंबी आयु न भोगी, छोटी आयु में ही उसका बलिदान हो गया, परन्तु उसका बलिदानी रक्त आज तक भी प्रति वर्ष बसन्त के पवित्र पर्व पर हिदू जाति में अमृत्व की भावना का संचार कर रहा है और युगों युगों तक करता रहेगा। बसन्तपंचमि के शुभ अवसर पर इस धर्म वीर अमर बलिदानी वीर हकीकत राय और उनकी पत्नी श्री लक्ष्मी देवी को उनके बलिदान दिवस पर शत शत नमन करते है। हमारा सभी का यह परम कर्तव्य है कि हम बालक हकीकत के जीवन चरित्र को अधिक से अधिक लोगो तक पहुंचाए, जिससे हम अभय होकर आगे बढ़ें। जीवन भले ही छोटा हो, परन्तु हकीकत के जीवन सा यशस्वी हो।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/Veer-Haquikat-Rai.jpg360640Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-12 02:39:382022-02-05 04:18:53बसंत पंचमी को याद आए वीर बालक हकीकत राय
नई दिल्ली: संसदीय समिति ने सोशल मीडिया मंचों पर नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर के सीईओ और शीर्ष अधिकारियों को संसदीय समिति के समक्ष पेश होने कहा था. इसके बाद ट्विटर के सीईओ जैक डोर्सी और शीर्ष अधिकारियों ने कम समय दिए जाने की बात कहकर संसदीय समिति के समक्ष पेश होने से इनकार कर दिया था. संसदीय समिति के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर की कड़ी कार्रवाई की चेतावनी के बाद ट्विटर की एक टीम रविवार (11 फरवरी) को संसद पहुंच गई. संसदीय समिति के सामने पेश होने वाली इस टीम में ट्विटर इंडिया के अधिकारी भी शामिल हैं.
Twitter team including Twitter India representatives arrive at Parliament to appear before Parliamentary Committee on Information Technology today. Earlier Twitter had refused to appear citing ‘short notice’ of the hearing. The Committee had called Twitter via a letter on Feb 1.9835:02 PM – Feb 11, 2019516 people are talking about thisTwitter Ads info and privacy
आपको बता दें कि सूचना-प्रौद्योगिकी पर गठित संसदीय समिति ने 1 फरवरी को ट्विटर के सीईओ जैक डोर्सी और शीर्ष अधिकारियों को पत्र लिखकर 10 दिनों के भीतर पेश होने को कहा था. ट्विटर ने समिति के समक्ष पेश होने से इनकार कर दिया था. उन्होंने पेश होने के लिये कम समय दिये जाने को इसकी वजह बताया था.
वहीं, समिति के सूत्रों ने बताया कि संसदीय समिति ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया है कि वे किसी भी ट्विटर के अधिकारियों से तब तक नहीं मिलेंगे, जब तक समिति के समक्ष ट्विटर ग्लोबल टीम के सीईओ या वरिष्ठ सदस्य पेश नहीं होते हैं. ट्विटर को इसके लिए 15 दिन की समय सीमा दी गई है.
इससे पहले समिति के सूत्रों ने शनिवार (10 फरवरी) को बताया था कि ट्विटर के अधिकारियों ने 10 दिन का समय दिये जाने के बाद भी कम समय का बहाना किया है. बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने एक फरवरी को एक आधिकारिक पत्र लिखकर ट्विटर को सम्मन किया था. संसदीय समिति की बैठक पहले सात फरवरी को होनी थी लेकिन ट्विटर के सीईओ और अन्य अधिकारियों को अधिक समय देने के लिए बैठक को 11 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दिया गया था.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/twitter-jack-dorsey-e1533736603829.jpg5631000Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-11 15:31:092019-02-11 15:31:12टिवीटर की टीम में शीर्ष नेतृत्व को शामिल होना होगा: जेपीसी
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में पीएम मोदी ने अपनी चुनावी रैली में कांग्रेस पर जोरदार हमले किए और कहा कि कांग्रेस सीबीआई जांच से डर क्यों रही है? उन्होंने कहा कि मोदी को गाली देने वाले लोग महागठबंधन के नाम पर महामिलावट में शामिल हैं. वहीं उन्होंने किसानों की कर्जमाफी को धोखा बताया. पढ़िए उनके भाषण की दस बड़ी बातें :
1.चौकीदार की सख्त कार्रवाई से कांग्रेस बौखला गई है.देश के अलग अलग हिस्सों से ऐसे लोगों की मिलावट हो रही है.
2.जो कभी कांग्रेस को ही कोसते हुए कांग्रेस से बाहर निकल निकल गए थे आज उन लोगों में मोदी को ज्यादा से ज्यादा गाली देकर नंबर बढ़ाने की होड़ मची हुई है.
3.मिलावटी लोगों ने मोदी को मुद्दा बना रखा है.सुबह शाम मोदी-मोदी करते हैं ये मिलावटी लोग. ये कितनी भी मिलावट कर लें चौकीदार चुप बैठने वाला नहीं है.
4.छत्तीसगढ़ के किसानों से कर्जमाफी का वादा कर कितने लोगों का कर्जमाफ किया गया? दस दिनों में कर्ज माफ करने के लिए कहा था लेकिन वोट बटोर लिए और खेल खतम.
5.सिर्फ उन किसानों का थोड़ा बहुत कर्ज माफ किया गया है जिन्होंने ग्रामीण और सहकारिता बैंकों से लोन लिया था.किसानों के साथ कांग्रेस ने धोखाधड़ी की.
6.भ्रष्टाचार के मामले में पीएम मोदी का कांग्रेस पर सीधा हमला
मोदी ने रायगढ़ में कहा कि छत्तीसगढ़ में जो पहला दो फैसला लिया है उसके बारे में आपको सोचना चाहिए. उन्होंने सबसे पहले तो छत्तीसगढ़ को ‘मोदीकेयर’ से हटा दिया. फिर राज्य में सीबीआई के प्रवेश पर रोक लगा दी. क्यों आपको किस बात का डर है?
7.आयुष्मान योजना को लेकर पीएम मोदी का कांग्रेस पर बड़ा हमला
आयुष्मान योजना में वैज्ञानिक तरीके से लाभार्थियों का चयन होता था. पैसे सीधे अस्पताल के अकाउंट में जाता है. गरीब मरीज को एक भी पैसा अस्पताल को नहीं देना पड़ता है. बिचौलियों की इस योजना में कोई भूमिका नहीं होती है. कांग्रेस को बिचौलियों के बिना की योजनाएं पसंद नहीं है. वो ऐसी योजना लाएंगे जिसमें तुम भी खाओ – मैं भी खाऊं की व्यवस्था हो.
8.यहां की सरकार ने वीवीआईपी जांच में भी अड़ंगा लगाने का फैसला किया. अगर किसी ने कुछ किया नहीं है तो वो क्या किसी जांच से डरेगा?
9.छत्तीसगढ़ के गरीबों को किस बात की सजा दे रहे हैं. देश का गरीब मोदी के साथ खड़ा है. कांग्रेस को लगता है कि 55 साल गरीबों के नाम की माला जपकर गरीबों पर एकाधिकार बनाया लेकिन मोदी को गरीबों ने अपना लिया.
10. कांग्रेस ये समझ ले कि आपने 55 साल गरीबों के नाम पर देश को गुमराह किया और गरीबों को बर्बाद किया और हमने 55 महीनों के भीतर गरीबों के भीतर नया जोश भरा है और नये सपने जगाए हैं.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/modi-naya-raipur-2.jpg422759Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-08 17:33:052019-02-08 17:33:07मोदी ने कांग्रेस और टीएमसी को जम कर कोसा
रक्षामंत्री निर्मला सीतारमन ने राफेल पर उठ रहे सवालों पर कहा-आधा सच ही बताया गया.
नई दिल्ली: राफेल डील पर एक अखबार की रिपोर्ट के बाद मचे बवाल पर अब रक्षामंत्री निर्मला सीतारमन ने खुद आकर जवाब दिया है. रक्षामंत्री ने एएनआई को दिए इंटरव्यू में कहा कि प्रधानमंत्री की ये जिम्मेदारी होती है कि वह किसी भी डील की जानकारी लें कि उसमें कितनी प्रोग्रेस हुई. इसमें क्या गलती है. प्रधानमंत्री तो कई और कार्यक्रमों की जानकारी लेते हैं.
निर्मला सीतारमन ने कहा, कांग्रेस और राहुल गांधी इस मुद्दे पर झूठ बोल रहे हैं. इस डील के मामले में अखबार ने पूरा सच नहीं दिखाया. अखबार को पूरा सच दिखाना चाहिए था. रक्षामंत्री ने कांग्रेस की ओर से उठ रहे सवालों पर ही प्रश्न उठाते हुए कहा कि क्या यूपीए के शासनकाल में सोनिया गांधी के एनएसी का दखल पीएमओ में था.
रक्षामंत्री ने कहा, अखबार ने आधा सच छापा है. इसीलिए मैं कहना चाहूंगी कि उनका उद्देश्य लोगों के मन में सिर्फ संदेह पैदा करना था.
बता दें कि एक अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि रक्षा मंत्रालय ने इसको लेकर आपत्ति जताई कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने राफेल विमान सौदे को लेकर फ्रांस के साथ समानांतर बातचीत की जिससे इस बातचीत में रक्षा मंत्रालय का पक्ष कमजोर हुआ. राफेल विमान सौदे को लेकर कांग्रेस और राहुल गांधी प्रधानमंत्री और अनिल अंबानी पर लगातार हमले कर रहे हैं. सरकार और अनिल अंबानी के समूह ने उनके आरोपों को पहले ही खारिज किया है.
उधर रॉबर्ट वाड्रा से धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ को लेकर भाजपा के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, ‘‘जिसके खिलाफ आप कार्रवाई करना चाहते हो करो क्योंकि आप सरकार में हो, लेकिन इस पर (राफेल) भी कार्रवाई करो. आप चिदंबरम के खिलाफ कोई जांच कराइए, वह इसका सामना करेंगे. आपको कांग्रेस में जिसके खिलाफ कार्रवाई करनी है, करिए. लेकिन राफेल पर आपने समानांतर बातचीत की है, इस पर जवाब दीजिए.’
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/01/nirmala-sitharaman-loksabha-1546592322.jpg431715Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-08 14:48:342019-02-08 14:48:36रक्षामंत्री निर्मला सीतारमन ने दिया जवाब, अखबार ने पूरा सच नहीं बताया
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