भारत और चीन के बीच सीमा विवाद पर इस वक्त बड़ी खबर आ रही है. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री के बीच बातचीत हुई थी. ये बातचीत 5 जुलाई को हुई थी और दो घंटे तक चली थी. बातचीत में सीमा पर तनाव कम करने पर चर्चा हुई. दोनों देश भविष्य में शांतिपूर्ण माहौल बनाने पर सहमत हुए हैं. भारतीय सेना को चीन के किसी भी वादे पर भरोसा नहीं है अत: गलवान घाटी में अपनी सीमाओं में भारतीय फौजों की तैनाती बढ़ा दी गयी है।
कोरल ‘पुरनूर’, चंडीगढ़ – 06 जुलाई :
भारत-चीन सीमा पर गलवान घाटी में चल रहे तनाव के बीच चीन पीछे हटने को मजबूर हो गया है। समझौते के बाद दोनों पक्षों द्वारा वहाँ अस्थायी तौर पर जो संरचनाएँ बनाई गई थीं और निर्माण कार्य किया गया था, उसे भी हटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। साथ ही दोनों पक्षों द्वारा ‘फिजिकल वेरफिकेशन’ भी किया जा रहा है। ‘लाइन ऑफ कण्ट्रोल (LAC)’ पर चीन के पीछे हटने के बाद स्थिति सुधरने की उम्मीद जताई जा रही है।
ये सब मीडिया रिपोर्ट्स में अंदरूनी सूत्रों के हवाले से दावा किया जा रहा है। जहाँ जून 15, 2020 को चीन की धोखेबाजी के बाद भारत की सेना के साथ उसका संघर्ष हुआ था और 20 भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए थे। साथ ही 43 चीनी सैनिकों को भी मार गिराया गया था। चीनी सैनिक अब उस स्थल से 2 किलोमीटर पीछे चले जाने को मजबूर हो गए हैं। भारत ने भी वहाँ बंकरों और अन्य संरचनाओं का निर्माण किया था, ताकि चीन पर नज़र रखी जा सके।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने राष्ट्रिय दैनिक को बताया कि जून 30 को हुए कमांडर स्तर की वार्ता में ये समझौता हुआ, जिसके बाद चीन की सेना पीछे हटने को मजबूर हुई। ये भारत के लिए जीत की तरह है क्योंकि हमारे लिए जो LAC की परिभाषा है, वहाँ से चीन पीछे हट गया है। इसके बाद रविवार को एक फिजिकल सर्वे भी किया गया, जिसमें ये देखा गया कि चीन की सेना वादे के मुताबिक पीछे गई भी है या नहीं।
फिजिकल वेरिफिकेशन के बाद पाया गया कि गलवान संघर्ष स्थल से चीन की सेना 2 किलोमीटर पीछे चली गई है और सारी संरचनाएँ हटा दी गई हैं। ‘द हिन्दू’ की खबर के अनुसार, दोनों देशों के बीच हुई कमांडर स्तर की वार्ता में सहमति बनी थी कि सबसे पहले गलवान, पांगोंग और हॉट स्प्रिंग- इन तीनों स्थलों पर तनाव कम किया जाएगा। इसके बाद उत्तर में स्थित देस्पांग प्लेन्स पर तनाव कम किया जाएगा क्योंकि वो ज्यादा कॉम्प्लेक्स क्षेत्र है।
बैठक के बाद चीन का रुख नरम हुआ, जिसके कारण सीमा विवाद सुलझाने के लिए आगे होने वाली वार्ताओं के लिए भी रास्ता साफ़ हो गया है। इसे भारत की कूटनीतिक जीत के रूप में भी देखा जा सकता है क्योंकि चीन ने अब भूटान की जमीन पर दावा ठोक कर उस पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। चीन ने अब सीमा पर तनाव बढ़ाने की बजाए इधर-उधर से दबाव बनाए के तरीके आजमाने शुरू कर दिए हैं।
बता दें कि शुक्रवार को अचानक लेह पहुँचे पीएम मोदी ने भी चीन को चेतावनी देते हुए भारतीय सेना के जवानों से कहा था कि आप धरती के वीर हैं जिसने हजारों वर्षों से अनेकों आक्रांताओं के हमलों और अत्याचारों का मुँहतोड़ जवाब दिया है, हम वो लोग हैं जो बांसुरीधारी कृष्ण की पूजा करते हैं, वहीं सुदर्शन चक्रधारी कृष्ण को भी अपना आदर्श मानते हैं। उन्होंने कहा था कि आधुनिकीकरण और बुनियादी ढांचे के विकास ने हमारी रक्षा क्षमताओं को कई गुना बढ़ा दिया है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/07/china_105-7891.jpg8001200Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-07-06 17:42:522020-07-06 17:43:14भारतीय रुख से घबराया चीन 2 किलोमीटर पीछे हटा
चीन का नाम और सीमा विवाद एक दूसरे के पर्याय हैं। ‘वह कौन सा सगा नहीं जिसको हमने ठगा नहीं’ वाली कहावत चीन पर सटीक बैठती है। चीन सदियों पुराने नक्शे ले कर सभी पर धौंस जामाता रहता है। जिस साम्राज्यवाद के खिलाफ चीन की कोम्युनिस्ट ताकतों ने अपनी लड़ाई लड़ी थी वही कोमुनिस्ट ताक़तें अब एक साम्राज्यवादी सोच वाले नेता के कब्जे में हैं। वह अपने विसतारवादी विचार चीन पर थोप चुका है और चीन का प्रशासन और चीन की सारी सेना उसके विसतारवादी नीति को आगे बढ़ाने के प्रयत्नों में लगे हैं। बात दक्षिण चीन सागर की हो या उत्तर चीन सागर की जल सीमाओं के लेकर भी चीन का विवाद रहता है। अभी दक्षिण चीन सागर में अमेरिकी उपस्थिती से भी नाराज़ है।
सारिका तिवारी, चंडीगढ़ – 6 जुलाई :
पड़ोसियों को धौंस दिखाने की कोशिश कर रहा चीन दक्षिण चीन सागर (साउथ चाइना सी) में अमेरिकी नौसेना की मौजूदगी से बौखला गया है। चीन के आक्रामक तेवरों के जवाब में अमेरिका ने अपने दो एयरक्राफ्ट कैरियर इस इलाके में तैनात किए हैं।
2014 के बाद यह पहला मौका है जब दक्षिण चीन सागर में अमेरिकी नौसेना ने अपने दो बड़े एयरक्राफ्ट भेजे हैं। दोनों एयरक्राफ्ट के अलावा चार युद्धपोत भी इस इलाके में अभ्यास कर रहे हैं। इसका मकसद इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में निर्बाध आवाजाही सुनिश्चत करना है।
अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर यूएएस निमित्ज और यूएसएस रोनाल्ड रीगन के दक्षिण चीन सागर में तैनाती पर चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने यूएस को ‘धमकी’ दी। ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि चीन की सेना की किलर मिसाइलें डोंगफेंग-21 और डोंगफेंग-25 अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर को तबाह कर सकती हैं। ग्लोबल टाइम्स ने ट्विटर पर लिखा कि दक्षिण चीन सागर में तैनात अमेरिका के विमानवाहक पोत चीनी सेना की जद में हैं। चीनी सेना इन्हें बर्बाद कर सकती है।
चीन की इस ‘धमकी’ पर यूएस नेवी ने चुटकी ली है। अमेरिकी नौसेना के चीफ ऑफ इनफॉर्मेशन ने जवाब देते हुए ट्वीट कर कहा, “और इसके बावजूद वे (यूएस नेवी के जहाज) वहाँ हैं। एयरक्राफ्ट कैरियर्स, दक्षिणी चीन सागर के अंतरराष्ट्रीय सीमा में घूम रहे हैं। यूएसएस निमित्ज और यूएसएस रोनाल्ड रीगन किसी से डरने वाले नहीं हैं।”
यूएसए के निमित्ज से एडमिरल जेम्स किर्क ने रॉयटर को दिए एक टेलीफोनिक इंटरव्यू में कहा, “उन्होंने हमें देखा है और हमने उन्हें देखा है।” वहीं चीन के विदेश मंत्रालय का कहना है कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने जान-बूझकर दक्षिण चीन सागर में अपने जहाजों को अपनी ताकत दिखाने के लिए भेजा है। बता दें कि साउथ चाइना सी में अमेरिकी नेवी के दो बड़े विमानवाहक युद्धपोत कैरियर 4 जुलाई से अभ्यास कर रहे हैं।
गौरतलब है कि ट्रंप प्रशासन ने 6 साल बाद साउथ चाइना सी में एयरक्राफ्ट कैरियर भेजे हैं। ये दुनियाभर में अमेरिकी नौसैनिक ताकत का प्रतीक माने जाते हैं। अमेरिका ने साउथ चाइना सी में यह युद्धाभ्यास ऐसे समय पर शुरू किया है जब इसी इलाके में चीन की नौसेना भी युद्धाभ्यास कर रही है। चीन की नेवी परासेल द्वीप समूह के पास पिछले कई दिनों से युद्धाभ्यास करके ताइवान और अन्य पड़ोसी देशों को धमकाने में जुटी हुई है। उधर चीन की लगातार नॉर्थ चाइना सी में जापान से भी झड़प जारी है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/07/The-South-China-Sea-Map-modified-from.png828850Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-07-06 17:00:352020-07-06 17:10:56दक्षिण चीन सागर में अमेरिकी उपस्थिती से तिलमिलाया चीन
तनाव के बीच पीएम नरेंद्र मोदी के लेह दौरे से चीन चिढ़ गया है। भारत के तेवर देखकर अब चीन बातचीत और कूटनीति की दलीलें दे रहा है। शुक्रवार को चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत और चीन के बीच बातचीत चल रही है। तनाव घटाने के लिए सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत हो रही है। ऐसे में किसी पक्ष को हालात बिगाड़ने वाले कदम नहीं उठाने चाहिए।
चीन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीएम मोदी के दौरे को लेकर पूछे जाने पर कहा, ”सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत के जरिए भारत और चीन तापमान को घटाने की कोशिश कर रहे हैं। किसी पक्ष को ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे स्थिति बिगड़े।”
पूर्वी लद्दाख में भारतीय एवं चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के कुछ ही दिनों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को अचानक लेह पहुंचे। यहां उन्होंने थलसेना, वायुसेना और आईटीबीपी के जवानों से बातचीत की। मोदी प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत के साथ सुबह करीब साढ़े 9 बजे लेह पहुंचे।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री निमू में एक अग्रिम स्थल पर गए। वहां उन्होंने थलसेना, वायुसेना और आईटीबीपी के कर्मियों से बातचीत की। उन्होंने बताया कि सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रधानमंत्री को सीमा की स्थिति से अवगत कराया।
सिंधु नदी के तट पर 11,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित निमू सबसे दुर्गम स्थानों में से एक है। यह जंस्कार पर्वत श्रृंखला से घिरा हुआ है। मोदी ने रविवार को आकाशवाणी पर मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात के जरिए देश को संबोधित करते हुए कहा था कि भारत ने लद्दाख में अपनी भूमि पर आंख उठाकर देखने वालों को करारा जवाब दिया है।
उन्होंने यह भी कहा था कि भारत मित्रता की भावना का सम्मान करता है लेकिन यदि कोई उसकी भूमि पर आंख उठाकर देखता है तो वह इसका उचित जवाब देने में भी सक्षम है। गलवान घाटी में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साथ हिंसक झड़प में शहीद हुए 20 जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि भारत के वीर सपूतों ने दिखा दिया कि वे कभी भी मां भारती के गौरव को आंच नहीं आने देंगे।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/07/modi-in-ladakh-2.jpg360645Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-07-03 17:01:192020-07-03 17:02:30प्रधान मंत्री मोदी के लेह दौरे से चिढ़ा चीन
आज देश को आत्मनिर्भर बनाने की आवश्यकता है इसी दिशा में कुछ नागरिक छोटे छोटे प्रयासों से अपना योगदान दे रहे हैं लेकिन इसके विपरीत कुछ लोग इस कार्य में भी बाधक बन रहे हैं। मामला है हिसार के तलवंडी गांव का जहां एक महिला अंगूरी देवी ने अपने पुत्र सुरेश गोयल के साथ मिल के पोली फार्मिंग शुरू की शुरुआत की। सभी कानूनी प्रक्रिया पूरी करते हुए उन्होंने ट्यूबवेल से जमीन की सतह से तीन फुट नीचे से एक पाइप के ज़रिए से अपने खेतों में पानी पहुंचाने की व्यवस्था की । परन्तु एक व्यक्ति जिसकी ज़मीन के नीचे पाइप बिछाई गई है ने उसे तोड़ कर पानी की सप्लाई बाधित की।
सुरेश गोयल जो की पहले अपना कारोबार करते थे ने पोली फार्मिंग को बड़े स्तर पर ले जाने का फैसला किया और पूरी लगन और मेहनत से काम करना शुरू किया
राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत हरियाणा में काफी काम हुआ है l प्रगतिशील किसानों ने हॉर्टिकल्चर और फ्लोरीकल्चर की ओर ध्यान दिया और फल प्रदेश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले इस तरह के प्रगतिशील किसी किसान का कुछ दबंग किस्म के लोग आंखों देखा नुकसान कर दें तो उसके नुकसान की भरपाई कौन करेगा , यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब अभी मिलना शेष है l
गांव तलवडी रुक्का की अंगूरी देवी ने जेवर व पुश्तैनी जमीन बेच कर बागवानी व पोलीहाऊस शुरु किया। अनेक लोगों को स्थाई रोजगार दिया l एक बहुत चिंता का विषय है कि कुछ दबंग लोगों ने उनके टयूबैल की पाइप लाइन गैर कानूनी तरीके से उखाड दिया जिसके कारण बाग व पोलीहाऊस में लगी सब्जिया सूख गई और लगभग 60 लाख रुपयों का नुक्सान हो गया l इतना ही नही यहां काम करने वाले 32 लोगों का रोजगार भी छिन गया । इस मामले को सुलझाने के लिए ग्रामीणों से कई बार पंचायते हुई परंतु कोई समाधान नही निकला।
पीडिता अंगूरी देवी व उनके बेटे किसान सुरेश गोयल ने इसी वर्ष फरवरी महीने उपायुक्त से टयूबैल की पाइप लाइन दोबारा से जुडवाने की गुहार लगा रखी है उनकी फाइल 4 महीने से अधिकारियों के पास घूम रही है परंतु उसकी कोई सुनवाई नही हुई है। उसकी हरियाणा के मुख्यमंत्री, कृषि मंत्री, हिसार जिले के प्रशासनिक अधिकारियों से मांग है उनकी पाइप लाइन को जुडवाया जाना चाहिए। उनकी मांग है कि बाग में लगे 12 हजार पेड पौधो को उजडने से रोकने लिए पाइप लाइन जोडी जाए।
समय पर पर्याप्त पानी ना मिले तो फल का विकास रुक जाता है
इस की खासियत यह है कि बाग में जर्मनी व साऊथ कोरिया के कृषि वैज्ञानिक भी यहां दौर कर चुके है। सुरेश गोयल इस बाग को हरियाणा के किसानों के लिए एक माडल बनाना चाहते है विकसीत माडल बनाना चाहते है जिसे देख कर किसानों की आय दोगुणी हो सके।
अंगूरी देवी ने बताया कि उसने वर्ष 2012 में अपने जेवर व खानदानी जमीन बेच कर गांव में सडक के साथ 60 कनाल 5 मरले जमीन श्री राम व उनके पुत्रों से खरीदी थी। इस जमीन पर बाग व पोलीहाऊस लगया। नहरी पानी के अतिरिक्त आवश्कता होने के कारण पानी की पूर्ति के लिए गांव स्याहडवा में नहर समीप एक कनाल जमीन खरीद ली। उसमें टयूबैल लगा लिया और रास्ते में आने वाली जमीन पर सरकार की हिदायतों के अनुसार जमीन के 3 फुट नीचे पाइप लाइन दबाकर अपने बांग में पानी लेकर आए। गांव दंबगों ने 19 नवंबर को उनकी पाइप लाइन उखाड दी पानी की कमी के कारण बाग व पोली हाऊस लगी सब्जिया सूख गई।
सुरेश गोयल ने फरवरी महीने में जिला उपायुक्त को शिकायत दी थी। पानी नही मिलने से उनका लभगग 60 लाख रुपयो का नुक्सान हो गया है। पानी न मिलने के लिए उन्हें मजबूरी में पानी के 10 से 12 पानी के टैंकर मंगवाने पड़ते जिसमें एक टैंकर की कीमत 500 रुपये रुपये है। सुरेश गोयल ने कहा कि उनका यही सपना था कि वे मुंबई से हिसार आकर हरियाणा के किसानों को बागवानी के प्रति किसानो को जागरुक करके उन्हे समृद बनाए बनाने का काम करेंगे। उन्होने बताया कि यहा जर्मनी साऊथ कोरिया के कृषि वैज्ञानिक उनके बाग में दौरा कर चुके है। हरियाणा के किसानों के लिए इस बाग को हरियाणा के विशेष विषेश माडल बनाने चाहते थे परंतु पानी की पाइप लाइन न मिलने के कारण 12 हजार पेड पौधे उजड रहे है। प्रशासन से अनुरोध है कि पाइप लाइन जल्दी से जल्दी जुडवाई जाए और जो लगभग 60 लाख रुपयों का नुक्सान हुआ है उसकी भरपाई करवाई जाए और 32 लोगों को रोजगार के अवसर जल्द मिल जाए।
गोयल ने बताया कि अब जाकर भू संरक्षण अधिकारी ने आदेश किए हैं कि उखाड़ दी गई पाइप दोबारा लगाई जाएगी इसके लिए जरूरत पड़ेगी तो पुलिस की मदद भी उपलब्ध कराई जाएगी l बता दें कि साढे 18 एकड़ भूमि में बना यह भाग बहू-उद्देशीय है और उन किसानों के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट है जो आधुनिक तरीके से खेती करना चाहते हैं lयदि सुरेश गोयल की मदद नहीं की गई तो फिर कोई और व्यक्ति शिक्षित बेरोजगार खेती में रुचि रखने वाले प्रगतिशील लोग यह जोखिम मोल लेने की कोशिश नहीं करेंगे l इस मसले को कृषि विभाग और हरियाणा सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए और पीड़ित किसान के लिए उसके नुकसान की भरपाई का कोई रास्ता निकालना चाहिए l
गोयल ने बताया कि पाइप लाइन के जोड़ को कुछ व्यक्तियों ने नुकसान पहुंचाया जिसकी शिकायत उन्होंने सम्बन्धित विभागों में दी । परिणामस्वरूप 23 जून को सरकार ने ड्यूटी मजिस्ट्रेट की ड्यूटी लगा कर साथ में पुलिस बल देकर ट्यूबल पाइप लाइन जुड़वा दिया था। परन्तु 24 जून को जय भगवान सहरवसा निवासी की जे सी बी मंगवा कर मेरी ट्यूबल की पाइप लाइन को काट दिया
गोयल ने आरोप लगाया कि सुरजभान भान पुत्र कर्म सिंह , सरवन पुत्र दलसिंह, बलजीत पुत्र सतपाल, सुरेश पुत्र फूल सिंह, रवि पुत्र चरण सिंह ,मोकला पुत्र फुल सिंह, ने ट्यूबल की पाइप लाइन जो सरकार के आदेश से जुड़ी थी कटवा दी इनका साथ अबे राम पुत्र दीवान सिंह रामकुमार पुत्र रूपचंद ने भी दिया । आपसे विनती है सर आप दोषी गन के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई करवाएं तथा जेसीबी को बंद करवाएं ।
सुरेश गोयल ने बाग वह पोली हाउस और नेट हाउस मैं 7 साल से बागवानी विभाग की तरफ से करीब 50 से 60 लाख सब्सिडी लगी हुई है और बाग भी अच्छी तरह से फल फूल गया है अभी ढाई महीने से ट्यूबल की पाइप लाइन कटने से पानी की कमी के कारण बाग़ उजड़ने के कगार पर है। इसे बचाने के लिए सहायता बागवानी विभाग से मिल सकती है सरकार को इसे बचाने के लिए कदम उठाने चाहिए।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/07/84eb7963-a2b6-498a-9352-88a2e6f252b1.jpg713573Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-07-01 14:48:052020-07-01 14:49:23दबंगों ने उड़ाई प्रशासन के आदेशों की धज्जियाँ
Although Media reports confirm that Chinese networking and telecom giant Huawei (Rs 7 crore) has pledged money to the Prime Minister Cares fund. In the past, multiple different reports have highlighted Huawei’s links to the Chinese state in general and with the People’s Liberation Army in particular. In addition to this, Chinese mobile phone company Xiaomi – which recently went out of its way to highlight the fact that it makes phones in India – said that it had donated Rs 10 crore to the PM CARES Fund and various CM relief funds across the country. Two other Chinese mobile phone brands (Oppo and OnePlus), which have the same parent company, also donated Rs 1 crore each to Modi’s fund; yet BJP still has to decide whether the said donation should be returned to china or not.
The outcome of Indo – Cino tussle at Ladakh and un-earthing of Congress -CCP link is Modi too has recieved money from China. A direct and pretty fatal allegation by Abhishe Manu Singhavi of Congress Party. Congress was supposed to give answers on Funds recieved by RGF from CCP, and the memorandum signed by Rahul Gandhi with CCP in presence of then Prime Minister Manmohan Singh, and moreover why it was kept secret for a long time.
Congress instead of clarifying the mess created by them started playing blame games with Prime Minister Modi. Where as Congress fas supposed to critisize China for their cowardly act at Ladakh border tresspassng and attacking our soldiers instead started condeming Modi alleging him as ‘Surrender Modi’.
It is hard for Congress to accept that China can be defeated by un armed Indian soldiers. Rahul Gandhi staarted asking that why Soldiers were not carrying weapons and if they were then why they were not allowed to use them forgetting the treaty signed by his own party.
Now coming bac to the issue, where RGF is a family foundation PM Cares Fnd is totally a Govt of India’s initiative. Where in RGF escapes from all kind of audits PM Cares Fnd is right under the tight scanner. PMCF is using the amount on Medical fescilities and other relief activities RGF doesn;t even tells where it spends the money.
Now when Singhavi alleged Modi for recieving funds from Chinese companies it is very quizzical to understand that how come in the state of uncertiniy these companies having direct relations with PLA will donate to Indian Relief Funds. as on the one hand they were aware of the strategic moves of their Government.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/06/gvf.jpg250444Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-06-30 17:30:452020-07-01 04:44:36Congress in dellima to Spport China or India
UIPS Innovation, Entrepreneurship & Career (IEC) Series webinar under
MHRD Institution’s Innovation Council and Placement Cell
University Institute of Pharmaceutical Sciences (UIPS) organized an international webinar on “Career Overseas: Un-fogging the Future” by the alumnus Ms Aarushi Grover Genentech, Member of Roche Pharma, USA, Ms Sugandha Gupta, University of Kansas, USA and Ms Deepshikha Uppal, Community Pharmacy, Canada all from the B-Pharm 2013-2017 batch of UIPS.
Ms Aarushi Grover shared on how to prepare for the exam GRE. She also discussed at length how to prepare application package including preparation of statement of purpose, getting recommendation letters, transcripts. She gave an insight into the minutest details which require attention. She very explicitly shared about the visa application. She emphasized that supervisors in foreign universities are keen to know about student’s behavior. Behavior is very important aspect of one’s personality and they are really serious about it. They usually ask behavioral questions like “Please recall how you reacted when someone hurt you? Or how you handled a particular real-life situation you faced?” In brief she suggested that what ever claims you make in your application you must have examples or situations to back it.
Sugandha explained details of TOEFL exam, and how to prepare for it. She deliberated upon whether to apply for MS or a PhD Program and shared that Masters is always a good place to start with, which you can finish in short time and can get a job right after that. She said that if one is interested in getting into academics and research, then opting for PhD is a good option. Also, she shared her experience about choosing right university and how geographical location plays an important role in landing a good job. She contemplated upon creating a good network with faculty, academicians, and industry people, which helps you excel in your career. She also emphasized that making an informed decision is very important. She discussed about available options of funding after getting admission including the part time work options.
Deepshikha shared that not too many fellowships are available for pursuing your studies in Canada. So, one need be careful while filing the applications. She said we need to shortlist places which are amenable to a relatively comfortable life as it is very cold to live in Canada. She discussed about preparing for IELTS and emphasized that coaching usually helps. One may also need to hire a consultant to know about the fee structure and one must also purchase GIC which is guaranteed investment certificate which really helps you once you land in Canada. She emphasized on engaging oneself in research programs for the students while doing your graduation also. She detailed about the Pharmacy examining board of Canada and pointed out the most important things about the schools of Pharmacy and examination patterns in Canada.
As several students seek opportunities to move abroad for higher education, so this lecture was organized under the MHRD Institution’s Innovation Council and Placement Cellof UIPS. It was indeed a very interactive session with many queries of the students being resolved. This would surely help the students to decide for their career at an early stage so that effective planning can be done and executed accordingly.
Professor Indu Pal Kaur, Chairperson UIPS & President IIC and Head Placement cell informed that more than 130 participants from Panjab University and other National Institutes along with faculty members of UIPS attended the webinar.
Few specific questions put forth by the B Pharm Students included:
Priyansha Singh asked “Is it worth studying abroad, when I have everything in my city like the best of the universities and good job opportunities.” Yashdeep Mukheja asked “Do you think it’s worth it to study abroad? And is it that we return with better skills?
Answer: It is worth studying in India no doubt about that. However, training from abroad opens new vistas, helps you better unfold your personality as you are exposed to a foreign environ and definitely broadens your horizons. It will further sharpen your technical skills that will give you an edge in your future career whether in India or abroad.
Ananya Singh asked “Which specific field of Pharmacy is more renowned overseas? (Both in Canada as well as US)”
Answer: All fields of Pharmacy are more or less equally renowned overseas. However, it is individual zeal and understanding of subject that matters and creates difference in one’s life not the specific field that one has chosen.
Garima Khanna put her question “Is it possible to know beforehand if a Principal Investigator (PI)/Researcher/Supervisor will allow a TA? Could you name some good Universities to the geographical area?
Answer: No, PI won’t give you TA beforehand. Once you land there, and after face to face interaction with you, PI usually give TA depending upon availability of funds. However, one can politely ask about TA before going to that University.
Garima Khanna asked What would be the impact of COVID on all the steps that you mentioned? Tanya Gupta asked is it a good option to continue in India with respect to the current Covid situation.
Answer: In current COVID conditions, there is a massive slow down. However, it will recover very soon especially in the field of Pharmaceutical Sciences and biotechnology, by the time you graduate. Further it is good to take one step at a time.
Gauri Goyal asked “Are professors there as welcoming to foreign students as they are to local students?”
Answer: Yes. Don’t worry about that. UIPS has very good reputation abroad and majority of faculties from leading institutions in USA as well as Canada are aware of Pharmacy Professionals from Panjab University.
Abhishek Dhirta asked “What were you doing in your 3rd or 4th sem of yours B Pharm other then academia. Divya Bajaj asked “Are other things needed other than academics? Aashish and Guramrit Kaur asked about potential internships during B. Pharm.
Answer: Yes, we need to involve other extracurricular activities as well. During B. Pharm, we involved in various academic activities like volunteering in the DST Inspire Internship Camps organised by UIPS that sharpen our organisational skills. We were also associated with ROTRACT where we were associated with community service. In addition, we also took training in Pharmacovigilance from PGIMER that helped us to understand side effect profile of medicines and unmet medical needs. However, in new Pharmacy Curriculum there is a project work in 7th semester where students will get flavour of research internship with faculty.
Aashish asked “Do we require coaching for GRE or preparation can be done at home?”
Answer: Yes one need to go in for coaching. However, group studies are the key to success.
Aastha Bhardwaj asked “America considers a 5 year degree if one wants to get registered as a pharmacist. Is this a problem as we have a 4 year degree here in PU?”
Answer: It is not a 5- or a 4- year program that is considered. What they match is the credits and it is possible that you complete your credits of their 5 year program in 4 years of your B Pharm program. Otherwise they may ask you to complete certain credits.
Divya Bajaj asked “What are the chances of acceptance only with normal academics?
Answer: It may be difficult, but if you are able to justify why you did not fare well in a particular subject or semester then you could get through. Or you may make your application interesting by adding other skills you have that may compensate for not so promising academics. But you need to work special on your statement of purpose in that case.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/06/Press-note-1-photos-2.jpg5401170Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-06-20 13:15:262020-06-20 13:15:30“Career Overseas: Un-fogging the Future” an international webinar at PU
आई.ओ.सी. और एफ.आई.एच. के अध्यक्ष, देश के राष्ट्रपति, पंजाब के मुख्यमंत्री और खेल मंत्री की तरफ से शोक संदेशों के साथ भावभीनी श्रद्धांजलियां भेंट
राकेश शाह, चंडीगढ़, 7 जूनः
भारतीय हाॅकी के महान खिलाड़ी और प्रशिक्षक बलबीर सिंह सीनियर जिनका बीते दिनों 97 वर्ष की आयु में स्वर्गवास हो गया था, नमित्त सुखमनी साहिब का पाठ और अंतिम अरदास की गई। कोविड-19 महामारी के चलते स्वास्थ्य ऐडवाईज़रियों का पालन करते हुए हाॅकी खिलाड़ी के परिवार की तरफ से अपने निवास स्थान पर साधारण ढंग से श्रद्धाँजलि समारोह रखा गया जिस दौरान 15 के करीब नजदीकी रिश्तेदार और सगे-संबंधी एकत्रित हुए। पारिवारिक सदस्यों द्वारा मिलकर सुखमनी साहिब का पाठ किया गया। इसके उपरांत अंतिम अरदास की गई।
ओलम्पिक खेल में तीन स्वर्ण पदक और कोचिंग अधीन भारत को एकमात्र विश्व कप जिताने वाले बलबीर सिंह सीनियर की बेटी सुशबीर कौर के सैक्टर-36 स्थित निवास स्थान में सुखमनी साहिब का पाठ किया गया। इसके उपरांत अरदास की गई। अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति के अध्यक्ष थोमस बैश, अंतरराष्ट्रीय हाॅकी फेडरेशन (एफ.आई.एच.) के अध्यक्ष डाॅ. नरिन्दर बत्रा, भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह और खेल मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढी द्वारा परिवार के साथ दुख साझा करते हुए शोक संदेश भेजे गए।
पंजाब ओलम्पिक ऐसोसिएशन के सीनियर उपाध्यक्ष और पूर्व डी.जी.पी. राजदीप सिंह गिल और खेल लेखक प्रिंसिपल सरवण सिंह द्वारा आॅनलाइन शिरकत करते हुए बलबीर सिंह सीनियर को श्रद्धांजलियां भेंट की गईं। इस अवसर पर बलबीर सिंह के पारिवारिक सदस्य और पूर्व आई.ए.एस. अधिकारी कुलबीर सिंह सिद्धू ने बलबीर सिंह सीनियर के देव समाज स्कूल मोगा के दिनों को याद करते हुए इस महान खिलाड़ी को एक बढ़िया इन्सान और लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया। उन्होंने बलबीर सिंह के मोगा दौरे को याद करते हुए याद किया कि कैसे वह अपने पहले स्कूल के सामने नतमस्तक हुए थे।
बलबीर सिंह के लंबे समय तक साथी रहे डाॅ. राजिन्दर कालड़ा ने 1975 विश्वकप के दिनों को याद किया और कैंप से लेकर विश्व चैंपियन बनने तक की यादें साझा कीं। डाॅ. कालड़ा ने बताया कि बलबीर सिंह के व्यक्तित्व में ही जादू था जो टीम को बांधकर रखने की कला जानते थे। इस अवसर पर लोक संपर्क अधिकारी नवदीप सिंह गिल और बलबीर सिंह के पारिवारिक सदस्य डाॅ. जी.एस. रंधावा भी शामिल हुए। बलबीर सिंह सीनियर के दोहते कबीर सिंह ने इस अवसर पर निजी तौर पर शिरकत करने वालों और आॅनलाइन दूर-दराज से श्रद्धाँजलि समारोह में शामिल होने वालों का धन्यवाद किया।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/06/IMG-20200607-WA0190.jpg7801040Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-06-07 18:14:582020-06-07 18:15:26हाॅकी खिलाड़ी बलबीर सिंह सीनियर नमित्त सुखमनी साहिब का पाठ और अंतिम अरदास
भारत सरकार ने भारतीय वायुसेना की आपातकालीन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 36 लड़ाकू राफेल विमान के लिए सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ 60,000 करोड़ रुपये से अधिक के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पहला राफेल जेट विमान फ्रांस के एक एयरबेस पर आठ अक्तूबर को प्राप्त किया था।
नयी दिल्ली(ब्यूरो):
भारत में फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनिन ने कहा कि भारत को 36 राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति में कोई देरी नहीं होगी और जिस समय सीमा को तय किया गया था उसका सख्ती से पालन किया जाएगा।
फ्रांस कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों से जूझ रहा है और यूरोप से सबसे प्रभावित देशों में से एक है। देश में एक लाख 45 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित पाए गए हैं जबकि 28,330 लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसी आशंकाएं थीं कि राफेल विमानों की आपूर्ति में महामारी के कारण देर हो सकती है।
भारत ने फ्रांस के साथ सितंबर 2016 में 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए एक अंतर सरकारी समझौता करीब 58,000 करोड़ रुपये की लागत से किया था। लेनिन ने बताया, ”राफेल विमानों के कॉन्ट्रैक्ट का अब तक बिल्कुल सही तरीके से सम्मान किया गया है और वास्तव में कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक अप्रैल के अंत में फ्रांस में भारतीय वायु सेना को एक नया विमान सौंपा भी गया है।”
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 8 अक्टूबर को फ्रांस में एक हवाई अड्डे पर पहला राफेल जेट विमान प्राप्त किया था। राजदूत ने कहा, ”हम भारतीय वायुसेना की पहले चार विमानों को यथाशीघ्र फ्रांस से भारत ले जाने की व्यवस्था करने में मदद कर रहे हैं। इसलिए, यह कयास लगाए जाने के कोई कारण नहीं हैं कि विमानों की आपूर्ति के कार्यक्रम की समयसीमा का पालन नहीं हो पाएगा।”
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/05/rafale-deal-88_6.jpg7201280Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-05-24 14:05:072020-05-24 14:05:2036 राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति में कोई देरी नहीं होगी : राजदूत इमैनुएल लेनिन
उच्चतर शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के दूसरे दिन की शुरुआत में प्रथम टेक्निकल सेशन में डॉक्टर रितु सिंह चैहान नेशनल प्रोफेशनल ऑफिसर डब्ल्यूएचओ नई दिल्ली ने कोविड-19 से संबंधित संवेदनशील मैसेजिंग व उससे जुड़े पहलुओं पर विस्तार से अवगत करवाया।
उन्होंने कहा कि आज के समय में जागरूक होना आवश्यक है मगर उस जागरूकता का सही इस्तेमाल करना उससे भी ज्यादा आवश्यक है। इसलिए हमें इनसे ज्ञान अर्जित कर स्कूल स्तर पर भी शिक्षकों को अवगत करवाया जाना चाहिए।
डिप्टी डायरेक्टर उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा डॉ हेमंत वर्मा ने सभी का स्वागत किया। द्वितीय टेक्निकल सेशन में सीडीएलयू सिरसा की प्रोफेसर दीप्ति धर्मानी ने उच्चतर शिक्षा संस्थान भगवत गीता की मदद से किस तरह कोविड-19 को हरा सकते हैं। इन पहलूओं पर बारीकि से प्रकाश डाला। प्रोफेसर दीप्ती ने कहा की गीता में कई सारे मूल मंत्र है जिनसे की इस आपदा की घड़ी में हर पहलू पर नियंत्रण रखा जा सकता है।
तीसरे टेक्निकल सेशन में रिटायर्ड आईएएस विवेक अत्रे ने कहा कि यह मोटिवेशनल स्पीकर की प्रेरणा ही सफलता की कुंजी है। इस पर विस्तार अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कई सारे व्यक्तिगत उदाहरण देकर प्रतिभागियों को सफल बनने की प्रेरणा दी। प्रैक्टिकल सेक्शन 4 में लेडी इरविन कॉलेज नई दिल्ली डॉ अपर्णा खन्ना ने गेम बाइ गेम, इस विषय पर प्रकाश डालकर उन्होंने विस्तार से दिखाया कि कैसे हम छात्रों को कोविड-19 की घड़ी में गेम्स के द्वारा व्यस्त रख सकते हैं। उन्होंने कई विस्तार से उदाहरण भी देकर समझाया। इसके उपरांत डॉक्टर बलदेव कुमार, प्रोफेसर प्रोमिला बतरा, डॉ आभा खेतरपाल, डॉ रीता कालरा इन सभी ने कोविड-19 से जुड़े तथ्य एवं सत्य पर पैनल डिस्कशन की जिसे डॉ अंजू मनोचा ने मॉडरेट किया। डिप्टी डायरेक्टर डॉ हेमंत वर्मा ने सभी प्रतिभागी व अतिथि गणों का आभार जताया।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/05/IMG-20200524-WA0008.jpg10241024Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-05-24 13:40:442020-05-24 13:41:21गीता में कई मूल मंत्र है जिनसे की इस आपदा की घड़ी में हर पहलू पर नियंत्रण रखा जा सकता है: प्रोफ॰ दीप्ति
वेश्यावृत्ति या प्रॉस्टिट्यूशन आज के जमाने में कोई नई बात नहीं है। वर्तमान समय में इस बारे में सभी को पता है। समाज में इसका चलन काफी लंबे समय से ही रहा है। हालांकि लोग इसके बारे में खुलकर बात करने या इसे स्वीकारने से हमेशा से ही कतराते रहे हैं। प्राचीनकाल में यानि कि राजा-महाराजाओं के जमाने में भी ऐसा हुआ करता था। यानि मोटे तौर पर यह समझ लें कि वेश्यावृत्ति हमेशा से ही विभिन्न समाजों का अभिन्न अंग रहा है। आज जहां कोरोना से सारा देश त्रस्त है लोग कम धंधे के लिए लॉकडाउन खुलने का इंतज़ार कर रहे हैं वहीं देश भर में रह रही वेश्याओं को अपने आज और आने वाले कल की भी चिंता सता रही है। लॉकडीपीडबल्यूएन की स्थिति में रोज़ कमाओ रोज़ खाओ वाली कमाई तो बंद हो ही गयी थी लेकिन आने वाले समय में वाइरस के भय से धंधा चौपट ही रहेगा।
सारिका तिवारी, चंडीगढ़
देश में सिर्फ कोरोना का संकट नहीं है बल्कि लॉकडाउन के चलते बहुत से लोगों का व्यापार ठप हो गया है। दिहाड़ी मजदूरी करने वाले से लेकर रोजाना कमाने वालों की स्थिति लॉकडाउन के चलते खराब हो गई है। इनमें सेक्स वर्क्स भी शामिल हैं जिनके काम रुकने के कारण भुखमरी के हालात हो गए हैं। कोरोना के कारण देश में लॉकडाउन की घोषणा हो गई जिसके बाद इनके पास एक भी ग्राहक नहीं पहुंच रहे। ऐसे में इनकी आमदनी बिल्कुल रुक गई है एक एक दिन काटना पहाड़ हो गया है।
सैलरी के इंतजार में हैं सेक्स वर्करों के बच्चे
राजस्थान के अजमेर जिले की एक सेक्स वर्कर नमिता (बदला नाम) अपने परेशानी की बात बताती हैं। नमिता कहती है- हमारा पेशा ऐसा है जिसमें रोज कमाने खाने की स्थिति होती है। घर में किसी को नहीं पता की हम सेक्स वर्कर हैं। सबको ये ही लगता है की हम कमाने के लिए ऑफिस में काम करने जाते हैं। जब सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा कर दी तो घर पर सबको लगने लगा की हम काम पर नहीं जाएंगे तो भी हमें पैसे मिलेंगे।
हमारे बच्चे भी परेशान है। रोज पूछते हैं की आपकी सैलरी कब आएगी? क्या जवाब दूं उन्हें कि तुम्हारी मां एक सेक्स वर्कर है? मेरी मजबूरी थी इस पेशे में आना। क्या खिलाती बच्चों को? पति शराबी है और घर के खर्चों से उसे कोई मतलब नहीं। घर का खर्च चलाने के लिए मुझे ये काम करना पड़ता है। लॉकडाउन के चलते ये काम भी बंद हो गया है और पैसे भी नहीं आ रहे।
नमिता अपने धंधे के बारे में बताते हुए कहती हैं की लोगों के अंदर इस वायरस का डर है, मुझे नहीं लगता की 6-7 महीने तक कोई भी हमारे पास आएगा। ये डर तो अब हमारे लिए भी है की जो व्यक्ति हमारे पास आएगा, पता नहीं वो कहां का है। ये परेशानी सिर्फ नमिता की नहीं है बल्कि उसकी जैसी और कितनी ही सेक्स वर्कर हैं जो इन दिनों अपना खर्चा ना चला पाने के चलते परेशान हैं। नमिता की तरह ही इस पेशे से जुड़ी लाखों सेक्स वर्कर्स की ये ही समस्या है। ऊपर से लॉकडाउन बढ़ने के संकेतों ने इनकी परेशानी को और बढ़ा दिया है।
लॉकडाउन ने पैदा कर दिए भुखमरी के हालात
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार देश में 30 लाख सेक्स वर्कर्स हैं जिनमें से नमिता एक है। वहीं ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में करीब 2 करोड़ सेक्स वर्कर है, जो इस पेशे से जुड़ी हुई हैं। दिल्ली की एक सेक्स वर्कर का कहना है की जल्दी ये लॉक डाउन नहीं खुला तो हमारे परिवार को भुखमरी झेलनी पड़ेगी। सरकार ने रातों रात लॉकडाउन कर दिया। हमें इतना भी समय नहीं मिला की हम आने वाले दिनों की तैयारी कर सकें।
सेक्स वर्कर्स देश की एक वो बड़ी आबादी है जो देश में मौजूद होने के बाद भी सरकार की मदद की तमाम योजनाओं में शामिल नहीं हैं। हजारों सेक्स वर्कर्स को सरकारी राशन इसलिए नहीं मिल पाता क्योंकि इनके पास राशन कार्ड नहीं हैं। इनके कमाने का जरिया ऐसा है जो इस लॉकडाउन की स्थिति में बिल्कुल भी संभव नहीं हैं। इन गलियों में काम करने वाली कितनी ही सेक्स वर्कर्स एचआईवी पॉजिटिव भी हैं और दूसरी बीमारियों से पीड़ित हैं पर इनके पास अस्पताल जाने तक के पैसे नहीं रह गए है।
कर्नाटक के कोलार जिले में रहने वाली सेक्स वर्कर भी इसी दुख से पीड़ित हैं। उन्होंने बताया कि हम जिस एरिया में रहते हैं वहां 3 हजार सेक्स वर्कर रहती है जिसमें 80 प्रतिशत स्ट्रीट बेस्ड हैं और होम बेस्ड केवल 20 प्रतिशत हैं। लॉकडाउन मे सबसे ज्यादा नुकसान स्ट्रीट बेस्ड वर्कर को हुआ है। इनके लिए एक समय के खाने की व्यवस्था करना भी बहुत मुश्किल हो गया है। सरकार इन पर कोई ध्यान नहीं दे रही।
बहुत चर्चित हैं ये रेड लाइट एरिया
देश में बहुत से रेड लाइट एरिया हैं जो हमेशा चर्चा रहते हैं। एशिया का सबसे बड़ा रेडलाइट एरिया सोनागाछी को माना जाता है। ये कोलकाता का बहुत ही चर्चित एरिया है। यहां कम से कम तीन लाख महिलाएं इस धंधे से जुड़ी हैं। दूसरे नंबर पर मुंबई का कमाठीपुरा है जहां पर दो लाख से अधिक सेक्स वर्कर हैं। इसके बाद दिल्ली का जीबी रोड, आगरा का कश्मीरी मार्केट, ग्वालियर का रेशमपुरा, पुणे का बुधवार पेठ भी काफी चर्चित है।
ये सेक्स वर्कर सिर्फ देश के बड़े शहरों तक सीमित नहीं हैं। छोटे शहरों में वाराणसी का मडुआडिया, मुजफ्फरपुर का चतुर्भुर्ज स्थान, आंध्र पद्रेश के पेड्डापुरम व गुडविडा, सहारनपुर का नक्काफसा बाजार, इलाहाबाद का मीरगंज, नागपुर का गंगा जमुनी और मेरठ का कबाड़ी बाजार इन सेक्स वर्करों के एरिया के लिए जाना जाता है। यहां रहने वाली कुछ सेक्स वर्कर दूसरे शहरों में पलायन कर चुकी हैं तो कुछ इन्हीं बंद गलियों में पड़े अपना दिन बिता रही हैं। इनके पास ना तो रहने का सही इंतजाम है औऱ ना ही खाने पीने का सामान मौजूद है।
सेक्स वर्करों को नहीं मिलता कोई सरकारी लाभ
ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ सेक्स वर्कर संगठन से जुड़ी रहने वाली कुसुम सेक्स वर्करों के हक और अधिकारों को लिए काम करती है। कुसुम बताती हैं की होम बेस्ड सेक्स वर्कर्स को बहुत परेशानिया हैं। जीबी रोड पर कुछ सेक्स वर्कर के पास स्वयं सेवी संस्थाएं पहुंचकर मदद भी कर रही हैं, लेकिन इन सेक्स वर्कर के बारे में तो कोई कुछ जानता भी नहीं है। इनकी तो गिनती करना भी मुश्किल है। अगर सिर्फ एक कॉलोनी की बात करें तो लगभग 500 महिलाएं होम बेस्ड सेक्स वर्कर्स हैं।
सेक्स वर्कर का कारोबार भी तीन हिस्सों में बंटा है। पहला है ब्रोथल, दूसरा होम बेस्ड जहां महिलाएं घर पर ही अपने ग्राहक खुद तय करती हैं। तीसरा है स्ट्रीट बेस्ड और ब्रोकर बेस्ड- यानी की वो जो दलालों के सहारे काम करती हैं।कुसुम ने बताया कि ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ सेक्स वर्कर संगठन इन्हीं सेक्स वर्कर की आवाज उठाता है। कुसुम ने बताया की हमारा संगठन जितना हो सकता है उतना राशन इन सेक्स वर्करों तक पहुंचा रहा है, लेकिन ये राशन भी कितने दिन तक चलेगा कुछ कहा नहीं जा सकता। कुछ सेक्स वर्कर किराए के कमरों में रहती हैं। उनके लिए किराया देना भी मुश्किल हो रहा है।
कुसुम जिस संगठन से जुड़ी है उसें देशभर की लगभग पांच लाख सेक्स वर्कर जुड़ी हैं। ये संगठन 16 राज्यों में काम करता है इस संगठन में कई राज्यों से 108 कम्यूनिटी बेस्ड संगठन जुड़े हैं। इस संगठन की संयुक्त सचिव सुल्ताना बेगम राजस्थान के अजमेर जिले में 580 रजिस्टर्ड सेक्स वर्कर के लिए आवाज उठाती हैं। उनका कहना है कि जितनी भी महिलाएं इस पेशे से जुड़ी है उनमें 60-70 प्रतिशत लोगों के परिवार को पता ही नहीं है कि वो क्या काम करती हैं। परिवारों को बस इतना पता है की वो जहां काम करती हैं उन्हें वहां पैसा तो मिलेगा ही। इस समय इनकी परेशानी बढ़ गई है क्योंकि खर्चा चलाने का और कोई दूसरा रास्ता नहीं है।
आगे के महीनों में और बिगड़ सकते हैं हालात
आगे सुल्ताना कहती हैं कि इन सेक्स वर्करों को लोग बहुत अमीर समझते हैं, पर उनकी तकलीफ बस वहीं जान सकती है। इनके काम को काम का दर्जा नहीं मिला इसलिए सरकार की किसी योजना का फायदा भी इन्हें नहीं मिलता। लॉकडाउन में हमारी सरकार से गुजारिश है की इनकी सरकार जल्द से जल्द मदद करे वरना इनका परिवार भूखा मर जाएगा।
ऑल इंडिया नेटवर्क सेक्स वर्कर संगठन के को ऑर्डिनेट अमित कुमार बताते हैं कि देश में कोरोना जब शुरु हुआ तो जीबी रोड दिल्ली में रहने वाली करीब 60 फिसदी सेक्स वर्कर्स अपने घर जा चुकी थीं। अब वहां 40 फिसदी औरतें ही बची हैं। जिनकी कोठा मालकिन खाने का इंतजाम तो कर रही है, लेकिन किराए में कोई छूट नहीं दी है। अभी ये महिलाएं दोगुने कीमत पर ब्याज लेकर अपना काम चला रही हैं।
अमित ने लॉकडाउन हटने के 5-6 महीने के बाद की स्थिति का भी अनुमान लगा लिया है। उनका मानना है की जब सामान्य होने के बाद भी उनके किराए, राशन और पलायन की समस्या बनी रहेगी। जो घर जा चुकी हैं वो कोरोना के डर से वापस नहीं आने वाली। जो यहां रह गईं हैं उन्हें जल्दी ग्राहक नहीं मिलेंगे। लॉकडाउन के चलते इनकी स्थिति बहुत खराब हो गई है और इनका पेट भरने वाला भी कोई नहीं है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/05/1457946802-0112.jpg314630Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-05-18 05:02:292020-05-18 08:39:54लॉकडाउन में भुखमरी के कगार पर सेक्स वर्कर्स की जमात
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