नवरात्रि की तृतीया को होती है देवी चंद्रघंटा की उपासना। मां चंद्रघंटा का रूप बहुत ही सौम्य है। मां को सुगंधप्रिय है। उनका वाहन सिंह है। उनके दस हाथ हैं। हर हाथ में अलग-अलग शस्त्र हैं। वे आसुरी शक्तियों से रक्षा करती हैं। माँ चंद्रघंटा की आराधना करने वालों का अहंकार नष्ट होता है और उनको सौभाग्य, शांति और वैभव की प्राप्ति होती है।
धर्म/संस्कृति, पंचकूला:
नवरात्र के दूसरे दिन भी माता मनसा देवी मंदिर में सुबह से ही भक्तों का आनाजाना शुरू हो गया। कई श्रद्धालु तो रात से ही लाइन में लग गए और सुबह दर्शन करके गए। अबकी बार मंदिर कमेटी ने यहां घंटी बजाने और ढोल बजाने की इलेक्ट्रानिक व्यवस्था की है। शनिवार और रविवार को 34566 से ज्यादा भक्तों की भीड़ मंदिर में माता के दर्शन करने के लिए पहुंची। माता के मंदिर में जाने वाले परिवारों में से एक का कोरोना टेस्ट किया गया। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम ने यहां सुविधा प्रदान की है।
नवरात्र के दूसरे दिन पंचकूला के माता मनसा देवी मंदिर में सुबह से भक्तों का आना लगा रहा। यहां शाम तक करीब दस हजार से ज्यादा लोगों ने माता के दर्शन किए। यहां मौजूद एक डॉक्टर ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा मंदिर में प्रवेश करने से पहले एक परिवार के एक सदस्य का रैपिड एंटीजन टेस्ट किया जा रहा है। इसका उद्देश्य है कि पता लगाया जा सके कि किसी परिवार का कोई व्यक्ति संक्रमित तो नहीं।
44 लाख 85 हजार 39 रुपये का आया चढ़ावा
माता मनसा देवी मंदिर और काली माता मंदिर कालका में श्रद्धालुओं ने नवरात्र के दूसरे दिन माता के चरणों में 21 लाख 5 हजार 152 रुपए की नकद चढ़ावा चढ़ाया। इसके अलावा 50 हजार 700 रुपये की राशि प्रसाद वितरण से एकत्रित हुई है। उपायुक्त एवं मुख्य प्रशासक मुकेश कुमार आहूजा ने बताया कि श्रद्धालुओं ने माता मनसा देवी मंदिर में 17 सोने के नग और 85 चांदी के नग और काली माता मंदिर में तीन सोने के नग और 62 चांदी के नग चढ़ाए हैं। सोने का वजन 18.946 ग्राम और चांदी का वजन 898.06 ग्राम है। उन्होंने बताया कि माता मनसा देवी में कुल 17 लाख 59 हजार 657 रुपये और काली माता मंदिर कालका में 3 लाख 45 हजार 495 रुपये की राशि चढ़ाई है। प्रसाद वितरण योजना में माता मनसा देवी मंदिर में 100 ग्राम में 27 हजार 950 रुपये और 200 ग्राम प्रसाद वितरण में 17400 रुपये जबकि काली माता मंदिर में 100 ग्राम प्रसाद वितरण में 2750 रुपये और 200 ग्राम प्रसाद वितरण में 2600 रुपये की राशि के साथ कुल 100 ग्राम प्रसाद वितरण में 30700 रुपये और 200 ग्राम वितरण प्रसाद में 20 हजार रुपये की राशि एकत्र हुई है। इसके साथ ही इंग्लैंड से पांच पौंड भी माता के चरणों में चढ़ाए गए हैं। उन्होंने बताया कि कालका में अब तक लगभग 8 हजार और माता मनसा देवी मंदिर में करीब 34566 श्रद्धालुओं का आगमन हुआ है। दूसरे दिन तक 44 लाख 85 हजार 39 रुपये की राशि चढ़ाई गई है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/10/Chandrghanta-mata.jpg600900Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-10-19 11:26:492020-10-19 11:26:51तृतीय नवरात्र माँ चंद्रघंटा – आसुरी शक्तियों से रक्षा करतीं हैं
राजस्थान के करौली जिले में जमीन विवाद में एक पुजारी को जलाकर मार डाला गया. जख्मी अवस्था में पुजारी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन उनकी जान नहीं बचाई जा सकी. बताया जा रहा है कि ये पूरा मामला जमीन पर कब्जे को लेकर है. आरोप है कि दबंगों ने जमीन पर कब्जा करने के मामले में पुजारी को जलाकर मार डाला. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस जघन्य अपराध को लेकर राज्य की गहलोत सरकार पर निशाना साधा है. इसके साथ ही उन्होंने सवाल किया है कि क्या आप राजस्थान को बंगाल बनाना चाहते हो.
जयपुर
करौली जिले के सपोटरा में एक पुजारी को जिंदा जलाकर मार डालने का मामला गरमा गया है. एक ओर जहां पीड़ित परिवार के पक्ष में ब्राह्मण समाज से जुड़े संगठन विभिन्न मांगों को लेकर अड़ गए हैं. वहीं पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने भी सरकार को आड़े हाथों लिया है. सीएम अशोक गहलोत ने भी ट्वीट कर कहा है कि घटना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण एवं निंदनीय है. दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा. हालांकि पुलिस ने मामले में दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया है और उनसे पूछताछ की जा रही है.
सपोटरा थाना इलाके के बूकना गांव में राधा गोपाल जी मंदिर की पूजा अर्चना करने वाले पुजारी बाबूलाल वैष्णव की गुरुवार को जयपुर के एसएमएस अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी. आरोप है कि उनकी जमीन पर कुछ लोगों ने कब्जा करने की नीयत से पहले विवाद किया और बाद में उन्हें पेट्रोल छिड़क कर जिंदा जला दिया. इस मामले के सामने आने के बाद प्रदेशभर में लोग तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं.
शुक्रवार को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने ट्विटर पर लिखा, “करौली में एक मंदिर के पुजारी को जिंदा जला देना राजस्थान की दुर्दशा का हाल बता रहा है. अशोक जी राजस्थान को बंगाल बनाना चाहते हो या राज्य जिहादियों को सौंप दिया है! या इसका भी ठीकरा अपने राजकुमार की तरह मोदी जी या योगी जी पर फोड़ोगे?! षड्यंत्रों से समय मिले तो काम भी कर लें!.”
क्या है पूरा मामला
करौली के बुकना गांव में पुजारी को जलाकर मार डाला गया है. कल बुधवार शाम इलाज के दौरान जयपुर के एसएमएस अस्पताल में पुजारी की दर्दनाक मौत हो जाने से राजधानी जयपुर सहित करौली जिले में पुजारियों और ब्राह्मण समाज द्वारा घटना का जबरदस्त विरोध किया जा रहा है.
ब्राह्मण समाज, पुजारी संघ, ब्राह्मण समाज, बजरंग दल, भाजपा कार्यकर्ताओं ने पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन देकर आरोपियों को शीघ्र गिरफ्तार कर उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दिलाने की मांग की है. इसके साथ ही पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा और एक सरकारी नौकरी देने की मांग की गई है. आंदोलन की चेतावनी दी गई है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.png00Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-10-09 15:02:312020-10-09 15:02:31करौली में पुजारी को जला कर मार देने की घटना पर केन्द्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह ने गहलोत सरकार को लगाई लताड़
कृषि सुधार बिलों को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल चुकी है, यह बिल अब कानून हैं। लेकिन इन बिलों पर राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही। पंजाब और हरियाणा में तो जैसे राजनैतिक भूचाल आ गया है। काँग्रेस किसानों ए नाम पर सड़कों पर उतार चुकी है, जगह जगह धरने प्रदर्शनों की संख्या बढ़ती और अंतराल घटते ही जा रहे हैं। काँग्रेस भले ही किसान हितैषी होने का दम भरे लें राजनीति के जानकारों का मानना है की यह सब चुनावी स्टंट है। हरियाणा में बरौदा और मध्य प्रदेश में 28 विधान सभा उपचुनाव साथ ही बिहार के विधान सभा चुनावों के मद्देनजर यह कांग्रेस का सफल प्रयास है। वहीं ट्रैक्टर जलाने पर आए पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के बयान की भर्त्सना करते हुए एक दिल्ली निवासी ने कहा कि – ट्रैक्टर आपका जलाना आपने तो ज़मीन हमारी क्यों ?
नयी दिल्ली (ब्यूरो):
आज ही लगभग कुछ घंटे पहले पंजाब यूथ कॉन्ग्रेस के कई कार्यकर्ताओं ने कृषि सुधार बिल को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। राजधानी दिल्ली में हुए इस प्रदर्शन के दौरान इंडिया गेट के पास ट्रैक्टर भी जलाए गए।
इस घटना पर पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस हरकत का बचाव करते हुए बयान दिया कि अगर कोई अपना ट्रैक्टर जला रहा है तो इसमें क्या परेशानी है? पंजाब CM अमरिंदर सिंह ने बयान देते हुए कहा, “अगर मेरे पास ट्रैक्टर है और मैं उसे आग के हवाले कर दे रहा हूँ। इस बात से कोई दूसरा या तीसरा व्यक्ति क्यों परेशान हो रहा है।”
उन्होंने मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि सुधार विधेयक का शुरुआत से ही विरोध किया था। इसके बाद उन्होंने कहा कि ज़रूरत पड़ी तो राज्य सरकार इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी।
ट्रैक्टर जलाने की घटना पर दिल्ली निवासी भड़के हुए दिखाई पड़े। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बड़े ही व्यंग्यात्मक लहजे में कहा,” एक गरीब किसान भाड़े के ट्रक पर एक भंगार ट्रैक्टर लेकर आता है दिल्ली की सड़कों पर उसे जलाता है और फिर बढ़िया सी सफ़ेद रंग की ‘Fortuner’ में बैठ कर चला जाता है। अरे भाई ट्रैक्टर चला कर ही दिखा दिया होता।”
यह भी उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह संसद सत्र के दौरान तीनों कृषि विधेयकों के विरोध में धरने-प्रदर्शन पर भी बैठे थे। जब से मोदी सरकार ने इन तीनों विधयकों में संसद के दोनों सदनों से पारित करवाया है और राष्ट्रपति ने इस पर मोहर लगाई है, तब से कॉन्ग्रेस लगातार इस मामले में झूठी और भ्रामक ख़बरें फैला रही है।
आज ही विरोध प्रदर्शन के नाम पर दिल्ली के इंडिया गेट पहुँचे पंजाब यूथ कॉन्ग्रेस के नेताओं ने एक ट्रैक्टर पलटा और आग के हवाले कर दिया था। इन नेताओं ने उस छोटे ट्रैक्टर को एक ट्रक में डाल कर लाया था, जिसके बाद उसे सड़क पर डाल कर उसमें आग जला दी गई। साथ ही कॉन्ग्रेस कार्यकर्त्ता जलते हुए ट्रैक्टर के पास ‘भगत सिंह अमर रहें’ के नारे भी लगा रहे थे।
पीली पगड़ी व दुपट्टे के साथ पहुँचे कॉन्ग्रेस नेताओं ने विरोध प्रदर्शन के दौरान भगत सिंह की तस्वीरें भी लहराईं। जैसे ही ट्रैक्टर जलाने की सूचना मिली, पुलिस की एक टीम को घटनास्थल पर रवाना किया गया। साथ ही फायर ब्रिगेड की टीम भी मौके पर पहुँची, जिसने आग को बुझाने में सफलता पाई।
ये घटना राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा तीनों कृषि बिलों को मंजूरी देने के 1 दिन बाद हुई। 18 विपक्षी पार्टियों ने राष्ट्रपति को उन बिलों पर हस्ताक्षर न करने की अपील की थी। मोदी सरकार ने विपक्ष के शोरगुल के बीच सितम्बर 20, 2020 को राज्यसभा में इन्हें पास कराया था। इंडिया गेट पर ट्रैक्टर जलाने के दौरान वहाँ 20 से अधिक कॉन्ग्रेस कार्यकर्ता मौजूद थे। ये घटना सोमवार की सुबह हुई थी।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/09/download-1.jpg186271Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-09-28 14:58:142020-09-28 14:58:16ट्रैक्टर आपका, जलाना आपने तो ज़मीन हमारी क्यों ? : दिल्ली वासी
A case FIR No. 184, U/S 147, 148, 149, 324, 323, 506 IPC has been registered in PS-36, Chandigarh on the complaint of Jai Kumar R/o # 1288, Sector-52D, Chandigarh who alleged that persons namely Suresh, Rajiv, Ravi, Kaki, Tunu, Pritam, Gunu all R/o Sector-52, Chandigarh attacked on complainant and his son with knife and axe near H.No. 1018, Sector 52D, Chandigarh on 22.09.2020. Both got injured and admitted in GMSH-16 and later referred to PGI, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.png00Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-09-23 12:41:162020-09-23 12:41:18Police Files, Chandigarh
30 सालों तक लगातार फरसा और कुदाल चलाने की वजह से बिहार के लौंगी भुइयां को आज पूरा देश जान रहा है। बिहार के इस किसान के लगन और कड़ी मेहनत की ही देन है कि आनंद महिंद्रा ने उन्हें ब्रैंड न्यू ट्रैक्टर भेंट दिया है। बता दें कि लौंगी भुइयां ने 30 साल अकेले मेहनत कर अपने गांव और आसपास के लिए नहर खोद दी, जिसकी वजह से आज पहाड़ियों का पानी इस नहर की मदद से नीचे आ रहा है और 3 गांवों के 3000 लोगों को लाभ मिल रहा है।
दरअसल शनिवार को ट्विटर पर एक यूजर ने आनंद महिंद्रा को टैग कर के उन्हें लौंगी भुइयां की ज़रूरत के बारे में बताया था। इस ट्वीट में लिखा कि गया के लौंगी माँझी ने अपने ज़िंदगी के 30 साल लगा कर नहर खोद दी। उन्हें अभी भी कुछ नहीं चाहिए, सिवा एक ट्रैक्टर के। उन्होंने मुझसे कहा है कि अगर उन्हें एक ट्रैक्टर मिल जाए तो उनको बड़ी मदद हो जाएगी। जब यह ट्वीट वायरल हुआ तो आनंद महिंद्रा तक पहुँच गया और उन्होनें ट्वीट के जरिये लौंगी की मदद करने का आश्वासन दिया।
इसके बाद आनंद महिंद्रा की टीम लौंगी तक पहुंची और उन्हें शनिवार तक महिंद्रा की तरफ से ट्रैक्टर भेंट कर दिया गया। लौंगी को ट्रैक्टर के लिए कोई पैसा नहीं देना पड़ा। इसपर भुइयां का कहना है कि,” मैं बहुत खुश हूँ, मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मुझे ट्रैक्टर मिल जाएगा”।
क्या है लौंगी भुइयां की कहानी बिहार के गया जिले में लुटुआ नाम की एक पंचायत पड़ती है। इसी पंचायत के एक छोटे से गांव कोठिलवा का 70 साल का यह बुजुर्ग जब अपनी 30 साल की मेहनत की कहानी सुनाता है तो सामने वाले की आंखें अचरज से फैल जाती हैं। आज से 3 दशक पहले यानी 1990 के दशक का बिहार। बिहारी सब रोजगार की तलाश में अपने गांवों को छोड़ शहरों की ओर पलायन शुरू कर चुका था। पलायन करने वालों में बड़ी संख्या तो ऐसी थी, जिसे राज्य ही छोड़ना पड़ा थाय़ इसी पलायन करने वालों में लौंगी भुइयां का एक लड़का भी था। करता भी क्या, जीवन के लिए रोजगार तो करना ही था क्योंकि गांव में पानी ही नहीं था तो खेती क्या खाक होती। आज से तीन दशक पहले जब ये सब हो रहा था तो लौंगी भुइयां बस अपने आसपास से बिछड़ रहे चेहरों को देख रहे थे। एक दिन बकरी चलाते हुए उन्होंने सोचा, अगर खेती मजबूत हो जाए तो अपनी माटी को छोड़कर जा रहे लोगों का जत्था शायद रुक जाए। पर खेती के लिए तो पानी चाहिए था।
उस दिन लौंगी भइयां ने जो फावड़ा कंधे पर उठाया, आज तीन दशक बाद जब गांव में पानी आ पहुंचा है तब भी ये फावड़ा उनके कंधे पर ही मौजूद है। हां इतना जरूर है कि गांव तक पानी आ पहुंचा है। 30 साल की अथक मेहनत के बीच यह शख्स बूढ़ा हो गया लेकिन गांव की जवानी को गांव में ही रुकने की व्यवस्था देने में कामयाब जरूर हो गया। इतनी बातों का सार यह है कि लौंगी भइयां अकेले दम पर फावड़े से ही 3 किलोमीटर लंबी नहर खोद पहाड़ी के पानी को गांव तक लेकर चला आया। अब जब बारिश होती है तो पहाड़ी से नीचे बहकर पानी बर्बाद नहीं होता बल्कि लौंगी भुइयां की बनाई हुई नहर के रास्ते गांव के तालाब तक पहुंचता है। 3 किलोमीटर लंबी यह नहर 5 फीट चौड़ी और 3 फीट गहरी है। बारिश के पानी के संरक्षण की सरकारी कोशिशों का हाल तो सरकार जाने लेकिन लौंगी भुइयां की इस सफल कहानी से आसपास के 3 गांवों के 3000 लोगों को लाभ मिला है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/09/EiS5TttVgAAyyrS.jpg203360Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-09-21 17:12:072020-09-21 17:12:25नहर, ताज या पिरामिड की भांति एक स्मारक के रूप में प्रभावशाली है: आनंद महिंद्रा
किसानों को अपनी उपज की बिक्री की आजादी के लिए एपीएमसी एक्ट में सुधार नहीं किया गया है बल्कि ये एक नयाकानून है और यहनिर्बाध व्यापार के लिए हैवर्तमान एपीएमसी एक्ट व्यवस्था में कई तरह के नियामक प्रतिबंधों के कारण देश के किसानों को अपने उत्पाद बेचने में काफी कठिनाई आती है। अधिसूचित कृषि उत्पाद विपणन समिति वाले बाजार क्षेत्र के बाहर किसानों पर उत्पाद बेचने पर कई तरह के प्रतिबंध हैं। अपने उत्पाद सरकार द्वारा लाइसेंस प्राप्त क्रेताओं को ही बेचने की बाध्यता है। इसके अतिरिक्त एक राज्य से दूसरे राज्य को ऐसे उत्पादों के व्यापार के रास्ते में भी कई तरह की बाधाएं हैं। किसानों के सामने अब यह मजबूरी खत्म हो गई है। अब किसान को जहां भी उसकी फसल के ज्यादा दाम मिलेंगे, वहां जाकर अपनी फसल बेच सकता है। अब किसानों को कोई भी शुल्क अपनी ऊपज की बिक्री पर नहीं देना होगा।
चंडीगढ़(ब्यूरो) – 21 सितंबर:
कभी ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले डॉक्टर-कम्पाउण्डर या झोला छाप डॉक्टर का ही, दवाइयों वाला थैला खुलते हुए देखा है? ये बैग काफी भरा हुआ सा होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ग्रामीण इलाकों में दवाइयाँ मिलनी मुश्किल होती हैं।
इस वजह से डॉक्टर कई जरूरी दवाएँ साथ ही लिए चलते हैं। चूँकि झोला इतना भरा हुआ होता है, इसलिए एक दवा ढूँढनी हो तो पूरा थैला ही खाली करना पड़ता है! ऐसा होते ही आपको दिखेगा कि थैले में 1-2 लाइफबॉय साबुन की टिकिया भी रखी है। आप सोचेंगे कि शायद ये हायजिन मेन्टेन करने के लिए डॉक्टर ने हाथ धोने का साबुन रखा हुआ है।
ऐसा बिलकुल नहीं है। ये एक दवाई के तौर पर ही रखी हुई है। ग्रामीण इलाकों में आत्महत्या का सबसे आसान तरीका कीटनाशक पी लेना होता है। घर से रेल की पटरी पता नहीं कितनी दूर होगी, झोपड़ी में फूस का छप्पर इतना ऊँचा ही नहीं होता कि लटका जा सके, तैरना पहले ही आता है तो डूबना भी मुश्किल है, लेकिन कृषि आधारित काम करने वालों के पास सल्फास से लेकर तरल कीटनाशकों के डब्बे मौजूद होना कोई बड़ी बात नहीं।
किसी के ऐसे जहर खा-पी लेने पर सबसे पहले उसे उल्टी करवाकर उसके पेट से जहर को बाहर निकालने की कोशिश की जाती है। इसके लिए नए लाइफबॉय साबुन को पानी में थोड़ा घोलकर पिला दिया जाता है।
जब कोई और तरीका ना सूझे तो नए लाइफबॉय को पानी में घोलकर पिला देना उल्टी करवाने का सबसे आसान तरीका होता है। अक्सर ऐसा करने पर प्राइमरी हेल्थ सेंटर या अस्पताल तक ले जाने का वक्त मिल जाता है।
अब आप सोच रहे होंगे कि क्या कीटनाशक से इतनी मौतें होती हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों के डॉक्टर उसका इंतजाम पास ही रखते होंगे? तो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) के मुताबिक 900000 से अधिक मौतें विश्व भर में आत्महत्या से होती हैं। इसमें से 250000 से 300000 मौतें सिर्फ कीटनाशक वाले जहर से होती हैं। इसमें से भी ज्यादातर मौतें एशियाई देशों, जिनमें चीन, मलेशिया और श्रीलंका भी शामिल हैं, में होती हैं।
हाल ही में जब एनसीआरबी ने किसानों की आत्महत्या का 2019 का आँकड़ा पेश किया तो पता चला कि गत वर्ष 10281 किसानों ने आत्महत्या की है। ये आँकड़े पिछले 25 वर्षों में सबसे कम हैं। सन 1995 से, जबसे ये आँकड़े मौजूद हैं, उसके आधार पर देखें तो 2015 के बाद से इनमें लगातार कमी आती जा रही है।
जाहिर है कुछ लोगों को ये हजम नहीं होता। अपनी आदत के मुताबिक, जब आँकड़े नहीं होते तो वो कहेंगे कि आँकड़े छुपाए जा रहे हैं, और जब आ जाते हैं तो सवाल करेंगे कि क्या इन पर भरोसा किया जाए?
जब इन आँकड़ो को भी गौर से देखा जाए तो पता चलता है कि गरीबी या कर्ज की वजह से कम ही किसान आत्महत्या कर रहे हैं। अधिकांश में आत्महत्या का कारण “अन्य वजहें” नजर आती हैं।
गौरतलब है कि किसानों में दो किस्म के लोग आते हैं। एक तो वो हैं, जो खुद के खेतों में खेती करते हैं, और दूसरे वो जो खेतों में मजदूरी करते हैं। अब अगर आँकड़ों को देखा जाए तो ये पता चलता है कि अपनी जमीन पर खेती करने वालों की आत्महत्या की दर कम नहीं हुई है।
एक तथ्य ये भी है कि 19 राज्य ऐसे हैं, जो किसानों की आत्महत्या के कोई आँकड़े नहीं दे रहे। अब अगर ये देखा जाए कि किसानों की आत्महत्या का कारण क्या है, तो 2015 में उस वक्त के कृषि मंत्री ने कहा था कि कई बार किसान प्रेम संबंधों या नपुंसकता के कारण भी आत्महत्या करते हैं। इस बयान पर अच्छा ख़ासा बवाल भी हुआ था।
ये सब हमें वापस इस बात पर ले आता है कि अगर स्थिति ऐसी है तो क्या कृषि क्षेत्र में सुधारों की जरूरत नहीं है? जिनकी याददाश्त अच्छी होगी, उन्हें इस मुद्दे पर राहुल गाँधी का अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ जाना भी याद होगा।
जाहिर है कृषि क्षेत्रों में सुधार बहुप्रतीक्षित थे। किसान अपनी फसल केवल खुदरा ही कहीं और बेच सकता था, थोक में उसे लाइसेंस-परमिट धारकों के पास ही जाना पड़ता था, उस किसान को इस लाइसेंस-परमिट राज से मुक्त किया जाना आवश्यक था।
अब जब ये कदम उठाया जा रहा है तो तरह-तरह के जुमलों से किसानों को बरगलाने की कोशिश की जा रही है। एमएसपी जो कि अभी भी लागू है, उसके ख़त्म किए जाने का डर बनाया जा रहा है। इस समय ये लोग बताना भूल जाते हैं कि एमएसपी पर खरीदने के बाद भी सरकारें लम्बे समय तक भुगतान नहीं करतीं। इसके लिए भी यदा-कदा धरने-प्रदर्शन की ख़बरें आ ही जाती हैं।
बाकी अब जब लाइसेंस-परमिट राज को कृषि उत्पादों के थोक बाजार से ख़त्म कर दिया गया है, तब बदलाव आने में कितनी देर लगेगी, वो देखने लायक होगा। कुछ वर्षों बाद कृषक की आय दोगुनी हुई है या नहीं, ये तो सरकार की रिपोर्ट कार्ड पर चढ़ेगा ही!
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/09/modi-khet.jpg400640Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-09-21 15:00:102020-09-21 15:01:25कृषि सुधारों की धज्जियां उड़ाती राजनीति
Crime Branch of Chandigarh Police arrested Sumit R/o # 2902, Sector-66, Mohali (PB), Sarabjit Singh @ Satta R/o Village-Dhurali, Distt-Mohali (PB) and Maninder Singh @ Manny R/o Village-Dhurali, Distt Mohali (PB) in Baleno car No. CH-121(T)-1552 and recovered one pistol (made in USA), one magazine with 4 cartridges and 2 desi katta’s with 2 cartridges from their possession at road back side of Police Line, Sector-26, Chandigarh towards BDC light point to St. Kabir Turn on 13.09.2020. A case FIR No. 156, U/S 25-54-59 Arms Act has been registered in PS-26, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.
One arrested for MV theft
Vishal Mishra R/o # 6, Village-Buterla, Chandigarh reported that unknown person stole away complainant’s Discover M/Cycle No. CH-01AQ-2763 parked near Village Buterla Gate, Sector 41, Chandigarh on the night intervening 12/13-09-2020. A case FIR No. 284, U/S 379 IPC has been registered in PS-39, Chandigarh. Later, one person namely Jatinder R/o # 1594/B, EWS Colony, Dhanas, Chandigarh (age 23 years) has been arrested in this case. Investigation of the case is in progress.
Theft
Suraj Arya R/o # 26, Village-Khudda Jassu, Chandigarh, reported that unknown person stole away battery from his Mahindra Pick-up No. CH-03S-6372 and also stolen batteries of other vehicles Maruti car No. CH-03R-2308, Tavera car No. PB-01A-4448, Maruti car No. HP-11-9139, Maruti Zen car No. CH-01BD-8963, Mahindra Pick-up No. CH-01TA-1978, Maruti car No. CH03-1786 and Maruti car No. HP-62B-0838 while all vehicles parked near his house on the night intervening 12/13-09-2020. A case FIR No. 117, U/S 379 IPC has been registered in PS-Sarangpur, Chandigarh Investigation of the case is in progress.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.png00Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-09-14 12:34:462020-09-14 12:34:48Police Files, Chandigarh – 14 September
केशवानन्द भारती वह युग दृष्टा थे जिनके कारण सर्वोच्च न्यायालय ने ‘आधारभूत संरचना’ के सिद्धान्त को 7-6 से पारित किया था. उनका आज सुबह केरल के कासरगोड जिले के एडानेर स्थित उनके आश्रम में निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे.
13 न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ ने 7-6 के बहुमत से निर्णय किया कि संविधान की ‘आधारभूत संरचना’ अनुल्लंघनीय है और इसे संसद द्वारा परिवर्तित नहीं किया जा सकता है.
‘आधारभूत संरचना’ को इस निर्णय के बाद से भारतीय संविधान में एक सिद्धांत के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है. इन प्रावधानों को संविधान में संशोधन के द्वारा भी नहीं हटाया जा सकता है.
वस्तुतः ये प्रावधान अपने आप में इतने महत्त्वपूर्ण हैं कि इनमें नकारात्मक बदलाव से संविधान का सार-तत्त्व, जो जनमानस के विकास के लिये आवश्यक है, नकारात्मक रूप से प्रभावित होगा.
नयी दिल्ली (ब्यूरो): 6 सितंबर:
देश के न्यायिक इतिहास में केशवानंद भारती का नाम कौन नहीं जानता होगा? 24 अप्रैल, 1973 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा ‘केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य’ के मामले में दिए गए एक ऐतिहासिक फैसले के चलते कोर्ट-कचहरी की दुनिया में वे लगभग अमर हो गए हैं. हालांकि बहुतों को यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि न्यायिक दुनिया में अभूतपूर्व लोकप्रियता के बावजूद केशवानंद भारती न तो कभी जज रहे हैं और न ही वकील. उनकी ख्याति का कारण तो बतौर मुवक्किल सरकार द्वारा अपनी संपत्ति के अधिग्रहण को अदालत में चुनौती देने से जुड़ा रहा है. वैसे वे दक्षिण भारत के बहुत बड़े संत हैं.
केरल के शंकराचार्य
कासरगोड़ केरल का सबसे उत्तरी जिला है. पश्चिम में समुद्र और पूर्व में कर्नाटक से घिरे इस इलाके का सदियों पुराना एक शैव मठ है जो एडनीर में स्थित है. यह मठ नवीं सदी के महान संत और अद्वैत वेदांत दर्शन के प्रणेता आदिगुरु शंकराचार्य से जुड़ा हुआ है. शंकराचार्य के चार शुरुआती शिष्यों में से एक तोतकाचार्य थे जिनकी परंपरा में यह मठ स्थापित हुआ था. यह ब्राह्मणों की तांत्रिक पद्धति का अनुसरण करने वाली स्मार्त्त भागवत परंपरा को मानता है.
इस मठ का इतिहास करीब 1,200 साल पुराना माना जाता है. यही कारण है कि केरल और कर्नाटक में इसका काफी सम्मान है. शंकराचार्य की क्षेत्रीय पीठ का दर्जा प्राप्त होने के चलते इस मठ के प्रमुख को ‘केरल के शंकराचार्य’ का दर्जा दिया जाता है. ऐसे में स्वामी केशवानंद भारती केरल के मौजूदा शंकराचार्य कहे जाते हैं. उन्होंने महज 19 साल की अवस्था में संन्यास लिया था जिसके कुछ ही साल बाद अपने गुरू के निधन की वजह से वे एडनीर मठ के मुखिया बन गए. 20 से कुछ ही ज्यादा की उम्र में यह जिम्मा उठाने वाले स्वामी जी पिछले 57 सालों से इस पद पर मौजूद हैं. हालांकि उनके सम्मान में उन्हें ‘श्रीमत् जगदगुरु श्रीश्री शंकराचार्य तोतकाचार्य श्री केशवानंद भारती श्रीपदंगलावारू’ के लंबे संबोधन से बुलाया जाता है.
एडनीर मठ का न केवल अध्यात्म के क्षेत्र में दखल रहा है बल्कि संस्कृति के अन्य क्षेत्रों जैसे नृत्य, कला, संगीत और समाज सेवा में भी यह काफी योगदान करता रहा है. भारत की नाट्य और नृत्य परंपरा को बढ़ावा देने के लिए कासरगोड़ और उसके आसपास के इलाकों में दशकों से एडनीर मठ के कई स्कूल और कॉलेज चल रहे हैं.
उनकी परेशानी क्या थी?
इसके अलावा यह मठ सालों से कई तरह के व्यवसायों को भी संचालित करता है. साठ-सत्तर के दशक में कासरगोड़ में इस मठ के पास हजारों एकड़ जमीन भी थी. यह वही दौर था जब ईएमएस नंबूदरीपाद के नेतृत्व में केरल की तत्कालीन वामपंथी सरकार भूमि सुधार के लिए काफी प्रयास कर रही थी. समाज से आर्थिक गैर-बराबरी कम करने की कोशिशों के तहत राज्य सरकार ने कई कानून बनाकर जमींदारों और मठों के पास मौजूद हजारों एकड़ की जमीन अधिगृहीत कर ली. इस चपेट में एडनीर मठ की संपत्ति भी आ गई. मठ की सैकड़ों एकड़ की जमीन अब सरकार की हो चुकी थी. ऐसे में एडनीर मठ के युवा प्रमुख स्वामी केशवानंद भारती ने सरकार के इस फैसले को अदालत में चुनौती दी.
केरल हाईकोर्ट के समक्ष इस मठ के मुखिया होने के नाते 1970 में दायर एक याचिका में केशवानंद भारती ने अनुच्छेद 26 का हवाला देते हुए मांग की थी कि उन्हें अपनी धार्मिक संपदा का प्रबंधन करने का मूल अधिकार दिलाया जाए. उन्होंने संविधान संशोधन के जरिए अनुच्छेद 31 में प्रदत्त संपत्ति के मूल अधिकार पर पाबंदी लगाने वाले केंद्र सरकार के 24वें, 25वें और 29वें संविधान संशोधनों को चुनौती दी थी. इसके अलावा केरल और केंद्र सरकार के भूमि सुधार कानूनों को भी उन्होंने चुनौती दी. जानकारों के अनुसार स्वामी केशवानंद भारती के प्रतिनिधियों को सांविधानिक मामलों के मशहूर वकील नानी पालकीवाला ने सलाह दी थी कि ऐसा करने से मठ को उसका हक दिलाया जा सकता है. हालांकि केरल हाईकोर्ट में मठ को कामयाबी नहीं मिली जिसके बाद यह मामला आखिरकार सुप्रीम कोर्ट चला गया.
देश की शीर्ष अदालत ने पाया कि इस मामले से कई संवैधानिक प्रश्न जुड़े हैं. उनमें सबसे बड़ा सवाल यही था कि क्या देश की संसद के पास संविधान संशोधन के जरिए मौलिक अधिकारों सहित किसी भी अन्य हिस्से में असीमित संशोधन का अधिकार है. इसलिए तय किया गया कि पूर्व के गोलकनाथ मामले में बनी 11 जजों की संविधान पीठ से भी बड़ी पीठ बनाई जाए. इसके बाद 1972 के अंत में इस मामले की लगातार सुनवाई हुई जो 68 दिनों तक चली. अंतत: 703 पृष्ठ के अपने लंबे फैसले में केवल एक वोट के अंतर से शीर्ष अदालत ने स्वामी केशवानंद भारती के विरोध में फैसला दिया.
एडनीर मठ के शंकराचार्य वैसे तो यह मामला हार गए थे, लेकिन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया वह आज भी मिसाल है. इससे संसद और न्यायपालिका के बीच वह संतुलन कायम हो सका जो इस फैसले के पहले के 23 सालों में संभव नहीं हो सका था. और इसके साथ ही अपनी बाजी हारकर भी स्वामी केशवानंद भारती इतिहास के ‘बाजीगर’ बन गए थे.
और अंत में…
यह बात किसी को भी हैरान कर सकती है कि स्वामी केशवानंद भारती को जिस शख्स (नानी पालकीवाला) ने अपनी प्रतिभा के दम पर लोकप्रियता दिलाई थी, उनसे वे फैसला आने तक नहीं मिले थे. वहीं मुकदमे की सुनवाई के दौरान जब अखबारों में उनका नाम सुर्खियों में छाया रहता था, तो उन्हें इसका कारण कुछ समझ में नहीं आ रहा था. बताया जाता है कि स्वामी जी अपने मामले के बारे में समझते थे कि यह केवल संपत्ति विवाद का मामला है. उन्हें यह बिल्कुल भी पता नहीं था कि उनके मामले ने ऐसे सवाल खड़े किए हैं जिससे भारतीय लोकतंत्र दो दशकों से जूझ रहा था. माना जाता है कि अंतत: इस मामले में फैसला आते ही उनकी निजी समस्या भले ही न दूर हो सकी, लेकिन देश का बहुत बड़ा कल्याण हो गया.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/09/kesavananda.jpg10101645Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-09-06 05:19:472020-09-06 05:24:58संविधान को ‘आधारभूत सारंचना’ का सिद्धान्त दिलवाने वाले केशवानन्द भारती नहीं रहे, वह 79 वर्ष के थे
पत्थलगड़ी के तहत आदिवासी समाज के लोग अपने इलाके में पत्थर गाड़कर सीमा तय करते हैं और उसे स्वायत्त क्षेत्र मानते हैं
2018 में पूर्व लोकसभा स्पीकर कड़िया मुंडा के गांव में भी पत्थलगड़ी के विरोध पर हुई थी हिंसा
पत्थलगड़ी का केंद्र गुजरात के तापी जिला का कटास्वान नामक स्थान है। यह गुजरात और महाराष्ट्र के बॉर्डर का भील आदिवासी बहुत इलाका है
सारिका तिवारी, चंडीगढ़ :
झारखंड का पश्चिमी सिंहभूम ज़िला. नक्सल प्रभावित गुदड़ी ब्लॉक। यहां के बुरुगुलीकेरा गांव में सात लोगों की हत्या कर दी गई। आरोप है कि पत्थलगड़ी आंदोलन के समर्थकों ने उनकी हत्या की। इन लोगों का पहले अपहरण कर लिया गया था। घटना 19 जनवरी, रविवार की है लेकिन पुलिस 20 जनवरी को पहुंची. लोगों के शव गांव से सात किलोमीटर दूर मिले। 22 जनवरी को. पुलिस का कहना है इनके सिर कटे हुए थे और मौके से कुल्हाड़ी भी मिली है। पुलिस का कहना है कि पत्थलगड़ी के बहाने आपसी दुश्मनी निकाली गई है। शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है. पुलिस ने गांव में कैंप कर रखा है सर्च अभियान चल रहा है. तनाव का माहौल है. मामले में अब तक तीन लोगों की गिरफ्तारी हुई है। – जनवरी 23, 2020
पत्थलगड़ी क्या है?
पत्थलगड़ी आदिवासियों की एक परंपरा है। इसके तहत अगर आदिवासी इलाके में कोई भी उल्लेखनीय काम होता है, तो आदिवासी उस इलाके में एक बड़ा सा पत्थर लगा देते हैं और उस पर उस काम को दर्ज कर देते हैं। अगर किसी की मौत हो जाए या फिर किसी का जन्म हो तो आदिवासी पत्थर लगाकर उसे दर्ज करते हैं। इसके अलावा अगर उनके इलाके का कोई शहीद हो जाए या फिर आजादी की लड़ाई में कोई शहीद हुआ हो, तो इलाके के लोग उसके नाम पर पत्थर लगा देते हैं। अगर कुछ आदिवासी लोग मिलकर अपने लिए कोई नया गांव बसाना चाहते हैं, तो वो उस गांव की सीमाएं निर्धारित करते हैं और फिर एक पत्थर लगाकर उस गांव का नाम, उसकी सीमा और उसकी जनसंख्या जैसी चीजें पत्थर पर अंकित कर देते हैं। इस तरह के कुल आठ चीजों में पत्थलगड़ी की प्रथा रही है और ये प्रथा कई सौ सालों से चली आ रही है।
पत्थलगड़ी का शाब्दिक अर्थ होता है वन क्षेत्र। यानी वो इलाका जो जंगलों से घिरा है। झारखंड भारत का 28वां राज्य है, जो 15 नवंबर, 2000 से अस्तित्व में है। ये एक आदिवासी बहुल राज्य है। यहां पर आबादी का एक बड़ा हिस्सा मुंडा, हो और संथाल जनजातियों का है। इन जनजातियों की अपनी कुछ परंपराएं हैं, जो सदियों से चली आ रही हैं. पत्थलगड़ी भी उनमें से एक है।
गांवों में घुसने पर रोक लगाई
1845 में अंग्रेजों के आने के बाद इस आदिवासी बहुल राज्य की एक बड़ी आबादी ने ईसाई धर्म अपना लिया, लेकिन उन्होंने अपनी परंपराओं को बनाए रखा। वहीं कोयला, लोहा, बाक्साइट, तांबा और चूना पत्थर जैसे खनिजों की भरमार की वजह से पूरा इलाका सरकारी और निजी कंपनियों के निशाने पर भी रहा। सरकार हो या निजी कंपनी, उन्होंने इन खनिजों का दोहन तो किया, लेकिन उन्होंने इस पूरे इलाके का उस तरह से विकास नहीं किया, जैसा होना चाहिए था। अब भी स्थिति ये है कि झारखंड के अधिकांश इलाकों में न तो सड़क है, न बिजली है और न पीने का साफ पानी। स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी चीजें तक आदिवासियों के लिए दूर की कौड़ी हैं। ऐसे में आदिवासियों ने अपनी सैकड़ों साल पुरानी पत्थलगड़ी परंपरा का सहारा लिया है, जिसके बाद प्रशासन और आदिवासियों के बीच ठन गई है। आदिवासियों ने पत्थलगड़ी के जरिए गांवों में बाहरी लोगों के घुसने पर रोक लगा दी है। सरकारी शिक्षा का विरोध कर दिया है। खुद की करेंसी लाने की बात कर रहे हैं और केंद्र सरकार और राज्य सरकार के कानूनों को खुले तौर पर चुनौती दे रहे हैं। सरकार भी इन्हें सख्ती से निपटने की बात कह तो रही है, लेकिन अभी तक ऐसी कोई भी बड़ी कार्रवाई नहीं हुई है।
क्या कहता है भारतीय संविधान
भारतीय संविधान 25 भागों में बंटा है, जिसमें 12 अनुसूचियां और 448 अनुच्छेद हैं. इन्हीं के सहारे पूरा देश चलता है। इस संविधान में पांचवी और छठी अनुसूची आदिवासी इलाकों से जुड़ी हुई है। अनुसूची पांच आदिवासी इलाकों में प्रशासन और नियंत्रण की व्याख्या करता है। वहीं अनुसूची छह असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के लिए निर्धारित है, जिसके तहत वहां का कानून चलता है और ये तय करता है कि वहां पांचवी अनुसूची का कानून लागू नहीं होगा। पांचवी अनुसूची उसी इलाके में लागू होगी, जहां की जनसंख्या का 50 फीसदी से अधिक आदिवासी जनसंख्या है। झारखंड में आदिवासी फिलहाल संविधान की पांचवी अनुसूची के हवाले से ही पत्थलगड़ी कर रहे हैं। पांचवी अनुसूची में अनुच्छेद 244 (1) का जिक्र किया गया है। इसके तहत लिखा है-
इस इलाके में संसद और विधानसभा की ओर से पारित कानूनों को लागू करने का अधिकार राज्यपाल के पास है। वो उन कानूनों को यहां लागू करवा सकता है, जो इन इलाकों के लिए बेहतर हों।
यह अनुच्छेद राज्यपाल को शक्ति देता है कि वो इस इलाके की बेहतरी और शांति बनाए रखने के लिए कानून बनाए।
पांचवी अनुसूची में ट्राइब्स एडवाइजरी काउंसिल बनाने का प्रावधान है। इसके तहत इसमें अधिकतम 20 सदस्य हो सकते हैं। इसके तीन चौथाई सदस्य यानी अधिकतम 15 सदस्य अनुसूचित जनजाति के निर्वाचित विधायक होते हैं। अगर उनकी संख्या इतनी नहीं है, तो फिर दूसरे विधायकों के जरिए इस काउंसिल के सदस्य बनाए जा सकते हैं। इसके लिए भी राज्यपाल के पास ये शक्ति है कि वो इस काउंसिल के लिए नियम बना सके, उनके सदस्यों की संख्या निर्धारित कर सके और इस काउंसिल के लिए चेयरमैन का चुनाव कर सके।
क्या है पत्थलगड़ी
संविधान की पांचवीं अनुसूची में मिले अधिकारों के सिलसिले में झारखंड के खूंटी और पश्चिमी सिंहभूम जिले के कुछ इलाकों में पत्थलगड़ी कर (शिलालेख) इन क्षेत्रों की पारंपरिक ग्राम सभाओं के सर्वशक्तिशाली होने का ऐलान किया गया था। कहा गया कि इन इलाकों में ग्राम सभाओं की इजाजत के बगैर किसी बाहरी शख्स का प्रवेश प्रतिबंधित है। इन इलाकों में खनन और दूसरे निर्माण कार्यों के लिए ग्राम सभाओं की इजाजत जरूरी थी। इसी को लेकर कई गांवों में पत्थलगड़ी महोत्सव आयोजित किए गए। इस कार्यक्रम में हजारों आदिवासी शामिल हुए।
जून 2018 में पूर्व लोकसभा स्पीकर कड़िया मुंडा के गांव चांडडीह और पड़ोस के घाघरा गांव में आदिवासियों और पुलिस के बीच हिंसक झड़पें हुईं। पुलिस फायरिंग में एक आदिवासी की मौत हो गई। वहीं पुलिस ने कई जवानों के अपहरण का आरोप लगाया। बाद में जवान सुरक्षित लौटे। इस संबंध में कई थानों में देशद्रोह की एफआईआर दर्ज हुई थी। हालांकि हेमंत सोरेन ने सीएम बनते ही पहली कैबिनेट बैठक में 2017-18 के पत्थलगड़ी आंदोलन में शामिल लोगों पर दर्ज मुकदमे वापस ले लिए हैं।
आदिवासियों के बीच गांव और जमीन के सीमांकन के लिए, मृत व्यक्ति की याद में, किसी की शहादत की याद में, खास घटनाओं को याद रखने के लिए पत्थर गाड़ने का चलन लंबे वक्त से रहा है। आदिवासियों में इसे जमीन की रजिस्ट्री के पेपर से भी ज्यादा अहम मानते हैं। इसके साथ ही किसी खास निर्णय को सार्वजनिक करना, सामूहिक मान्यताओं को सार्वजनिक करने के लिए भी पत्थलगड़ी किया जाता है। यह मुंडा, संथाल, हो, खड़िया आदिवासियों में सबसे ज्यादा प्रचलित है।
जब एसपी समेत 300 पुलिसकर्मी बने बंधक
साल 2017 के अगस्त महीने में खूंटी जिले में पत्थलगड़ी की सूचना पाकर पुलिस पहुंची। वहां गांववालों ने बैरिकेडिंग कर रखी थी। थानेदार जब कुछ पुलिसबल के साथ वहां पहुंचे तो उन्हें बंधक बना लिया गया। सूचना पाकर जिले के एसपी अश्विनी कुमार लगभग 300 पुलिसकर्मियों को लेकर उन्हें छुड़ाने पहुंचे तो उन्हें भी वहां बंधक बना लिया गया। लगभग रातभर उन्हें बिठाए रखा, सुबह जब खूंटी के जिलाधिकारी वहां पहुंचे तब लंबी बातचीत के बाद गांववालों ने उन्हें छोड़ा। इसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया। फिर झारखंड में हुई हत्याओं ने एक बार फिर इसकी ओर ध्यान खींचा।
खूंटी में दर्ज 19 मामले
खूंटी पुलिस की मानें तो पत्थलगड़ी आंदोलन से जुड़े कुल 19 मामले दर्ज किए गए, जिनमें 172 लोगों को आरोपी बनाया गया है। अब हेमंत सोरेन के ऐलान के बाद इन आरोपियों पर दर्ज मुकदमे वापस ले लिए। खूंटी ऐसा जिला है जहां पत्थलड़ी आंदोलन का बड़े पैमाने पर असर देखा गया।
आंदोलनकारी नेता बोले, चुनाव से हमारा लेना-देना नहीं
यूनिसेफ में काम कर चुके और हिंदी प्रफेसर रहे युसूफ पूर्ति इस आंदोलन को गलत ठहराने वालों को ही गलत बता रहे हैं। उनका कहना है कि भारत आदिवासियों का देश है। वह भी इस देश का हिस्सा हैं। इन इलाकों में जो बैंक स्थापित हुए हैं, वे बिना ग्राम पंचायत के आदेश के हैं। राज्यपाल का आदेश भी उनके पास नहीं है। ऐसे में ये बैंक अवैध हैं। उनका कहना है, ‘हमें चुनाव से लेना देना नहीं है। नागरिकों का कर्तव्य है कि वे वोट दें। आम आदमी तय करेगा पीएम, सीएम कौन बनेगा। हम तो मालिक हैं इस देश के। हमें हमारा अधिकार सरकार नहीं दे रही है। ऐसे में हम नहीं, वे देशद्रोही हैं।’
SC का फैसला, ग्राम सभा को संस्कृति, संसाधन की सुरक्षा का हक
आंदोलन के नेताओं का कहना है कि आदिवासी इलाके अनुसूचित क्षेत्र हैं। यहां संसद या विधानमंडल से पारित कानूनों को सीधे लागू नहीं किया जा सकता। उनका कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 13(3) के तहत रूढ़ी और प्रथा ही विधि का बल है और आदिवासी समाज रूढ़ी और प्रथा के हिसाब से ही चलता है। वैसे हकीकत यह है कि किस प्रथा को नियम माना जाए, इसकी व्याख्या संविधान के अनुसार होती है। हर प्रथा को कानूनी मान्यता नहीं दी जा सकती। वन अधिकार कानून 2006 और नियमगिरी के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला कहता है कि ग्रामसभा को गांव की संस्कृति, परंपरा, रूढ़ि, विश्वास, प्राकृतिक संसाधन आदि की सुरक्षा का संपूर्ण अधिकार है। इसका अर्थ है कि अगर ग्रामसभा को लगता है कि बाहरी लोगों के प्रवेश से उसकी इन चीजों को खतरा है तो वह उनके प्रवेश पर रोक लगा सकती है।
नई सरकार ने हटाए आदिवासियों पर दर्ज मुकदमे
झारखंड की मौजूदा सरकार आदिवासियों की हितैषी मानी जा रही है। खुद सीएम हेमंत सोरेन आदिवासी समुदाय से आते हैं। सोरेन ने झारखंड का सीएम बनते ही हेमंत सोरेन ने पहली कैबिनेट में फैसला लिया था कि पत्थलगड़ी, सीएनटी और सीपीटी आंदोलन के दौरान लोगों के खिलाफ दर्ज किए गए मुकदमे वापस लिए जाएंगे। पिछली बीजेपी सरकार ने छोटा नागपुर टेनेंसी ऐक्ट (सीएनटी) और संथाल परगना टेनेंसी ऐक्ट (एसपीटी) में कुछ बदलाव किए थे। इन बदलावों के खिलाफ लोगों ने प्रदर्शन किए थे। इन प्रदर्शनों में हिस्सा लेने के चलते कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। पूर्व सीएम रघुबर दास आंदोलन के पीछे नक्सलियों, ईसाई मिशनरियों का हाथ बताते रहे हैं। उनका आरोप था कि यह आदिवासियों को विकास से दूर करने, इन इलाकों के खनिजों पर कब्जा करने के लिए हो रहा है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/09/Babita-Kachhap.jpg413600Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-09-04 17:15:532020-09-04 17:16:49पत्थलगढ़ी आंदोलन : जानें कैसे उभरा आंदोलन और कहां तक इसका असर
पचंकुला पुलिस सरकार के दिये हुए आदेशो की पालना ना करते हुए दुकानदार के खिलाफ की कार्यवाही ।
मोहित हाण्डा भा0पु0से0 पुलिस उपायुक्त पंचकुला के दिये गये निर्देशानुसार जिला पंचकुला मे थाना सैक्टर 05 पचंकुला की टीम दिये निदेर्शो के तहत कार्यवाही करते हुए । थाना सैक्टर 05 पचंकुला कि टीम ने अपने क्षेत्र मे गस्त पडताल करते हुए एक दुकानदार को सरकार के दिये गये आदेशो की पालना करने के जुर्म मे गिरफ्तार किया । गिरफ्तार किये गये व्यकित के पहचान ओम प्रकाश पुत्र रमेश चन्द वासी मनीमाजरा के रुप मे हुई ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार थाना सैक्टर 05 पचंकुला की टीम दिनाक 23.08.2020 को गस्त पडताल सैक्टर 9 पचंकुला मे मौजुद थी । जो सैक्टर 09 की मार्किट मे एक दुकान पर पाया की काफी भीड हुई थी । जो दुकानदार सरकार दिये आदेशो की कोई पालना नही की जा रही थी । जो कोई भी दुकान के पास किसी भी प्रकार सोशल डिस्टैन्सिंग की पालना नही की जा रही थी । महामारी के दौरान सरकार के आदेशो की पालना ना करते हुए । थाना सैक्टर 5 पंचकुला मे धारा 188 भा.द.स के तहत कार्यवाही करते दुकानदार के खिलाफ अभियोग दर्ज करके दुकानदार को गिरफ्तार किया गया पचंकुला पुलिस की सरकार के दिये गये आदेशो की पालना ना करने वालो के खिलाफ कार्यवारी जारी है । जैसे की पचकुला पुलिस ने मास्क पहनने वालो के 7677 लोगो पर जुर्माना कर चुकी है । जो अभी मास्क ना पहनने वालो पर कार्यवाही जारी । कृपा आप लोगो से अपील से की कोरोना के बढते सक्रंमण को देखते हुए कोरोनो से बचने के लिए इन नियमे पालना करे । ताकि आप लोग इस भयानक महामारी से बच सको । जैसे की सोशल डिंस्टैनिसग की पालना करना व मास्क का प्रयोग करना इत्यादि ।
कोरोनोवायरस महामारी के दौरान होने लाले साईबर अपराधो से बचें
पचंकुला पुलिस आप लोगो को समय समय कोरोना महामारी से बचने के लिए समय समय पर भी जागरुक कर रही है । जैसे कोरोना से बचने नियमो का पालना करना जैसे मास्क का प्रयोग करना व सौशल डिस्टैनसिग अपनाना इत्यादि । इसी के साथ दुनिया भर में कोरोनावायरस (COVID-19) महामारी का प्रसार तेजी से बढ रहा है । घर से काम करने वाले ज्यादातर ऑफिस जाने वाले और ऑनलाइन क्लासेज लेने वाले स्टूडेंट्स के साथ इंटरनेट के इस्तेमाल में काफी तेजी आई है । साईबर बदमाश भी इसका फायदा उठा रहे है जिस से साईबर हमले में कई गुना वृद्धि हो रही है । जैसे एंड्रॉइड प्लेस्टोर, नकली ऐप्स के जरिये साईबर अपराध हो रहे है ,
सुरक्षित रखें
आप सतर्कता और परिश्रम की मदद से इस तरह के घोटालों और धोखाधड़ी से खुद को सुरक्षित रख सकते हैं । यहाँ कुछ संकेत दिए गए हैं
1. इसे डाउनलोड करने से पहले प्लेस्टोर पर ऐप के विवरण देखें, इसमें डेवलपर का विवरण, उनकी वेबसाइट (यदि कोई हो), अन्य उपयोगकर्ताओं द्वारा दी गई समीक्षा और रेटिंग शामिल हैं।
2. (Third party software)तृतीय-पक्ष स्टोर और वेबसाइटों से एप्लिकेशन डाउनलोड करने से बचें, और ऐप्पल आईओएस उपयोगकर्ताओं और एंड्रॉइड उपयोगकर्ताओं के लिए Google Playstore के लिए केवल ऐप स्टोर में उपलब्ध एप्लिकेशन डाउनलोड करें ।
3. विश्वसनीय मोबाइल और डेस्कटॉप एंटीवायरस का उपयोग करें, ये नकली और दुर्भावनापूर्ण ऐप्स को इंस्टॉल होने से रोक सकते हैं ।
4. उन ईमेल अटैचमेंट्स को न खोलें जिन्हें आपने नहीं माँगा है । यदि आपको ऐसा अटैचमेंट प्राप्त होता है, तो डब्ल्यूएचओ की आधिकारिक वेबसाइट से इसे खोलना हमेशा सुरक्षित होता है, न कि मेल में अटैचमेंट।
5. हमेशा आपके द्वारा साझा की जाने वाली व्यक्तिगत जानकारी के प्रकार पर ध्यान दें । हमेशा एक कारण है कि आपकी व्यक्तिगत जानकारी की आवश्यकता क्यों है । किसी भी परिस्थिति में आपके पासवर्ड की आवश्यकता नहीं होगी ।
6. किसी भी ईमेल पर विश्वास न करें जो आतंक की भावना के साथ आते हैं। वैध संगठन कभी नहीं चाहेंगे कि आप घबराएं और वे हमेशा कदम से कदम मिलाते रहें।
7. विश्वास मत करो कि डब्ल्यूएचओ या कोई अन्य संगठन लॉटरी का आयोजन करता है या ईमेल के माध्यम से पुरस्कार, अनुदान या प्रमाण पत्र प्रदान करता है।
8. वेबसाइट की प्रामाणिकता की जाँच करने के लिए कदम (HTTP = Bad, HTTPS = Good: https: // में ‘S’ है
9. किसी फौजी के फोटो लगाकर कोई आपसे कोई चीज बेचता है या खरीदता है कृपा उस से सावधान रहे ।
डेबिट/क्रेडिट/एटीएम कार्ड के लिए टिप्स
–अपने कार्ड की जानकारी किसी से भी शेयर ना करें और ना किसी अनजान को दें -खरीदारी के वक्त कार्ड अपने सामने स्वाइप करें । -पिन खुद ही डालें -लिमिट्स को कम रखें -एसएमएस अलर्ट को चालू रखें -ट्रांजैक्शन गड़बड़ी पर बैंक को लिखित में शिकायत दें -स्टेटमेंट को हर तीन दिन में चेक करें -नेट पर कार्ड के जरिए पेमेंट केवल https वेबसाइट पर करें -साइबर कैफे में कार्ड का इस्तेमाल ना करें, स्पाइवेयर का खतरा -साइबर सिक्योरिटी को अपनाएं
मोबाइल वालेट टिप्स
-यूजरनेम पासवर्ड को याद कर लें -https वेबसाइट का ही प्रयोग करें -साइबर कैफे में नेट बैंकिंग से बचें -ट्रांजैक्शन लिमिट कम रखें -एसएमएस अलर्ट ऑन रखें -गड़बड़ी पर बैंक को लिखित में शिकायत दें -नजदीकी थाने या फिर स्टेट पुलिस की वेबसाइट पर भी कंप्लेंट दें
नेट बैंकिंग के लिए टिप्स
-अपने मोबाइल वालेट का चयन सावधानी से करें । -नियम और शर्तें जरूर पढ़ें -इंटरनेट पर वालेट के कस्टमर रिव्यू पढ़ें -मोबाइल ऐप को सुरक्षित जगह से डाउनलोड करें, जैसे कि प्ले स्टोर -अपनी जानकारी शेयर ना करें
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/01/panchkula-police-1.jpg250300Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-08-24 16:35:292020-08-24 16:36:00पुलिस फ़ाइल, पंचकुला
We may request cookies to be set on your device. We use cookies to let us know when you visit our websites, how you interact with us, to enrich your user experience, and to customize your relationship with our website.
Click on the different category headings to find out more. You can also change some of your preferences. Note that blocking some types of cookies may impact your experience on our websites and the services we are able to offer.
Essential Website Cookies
These cookies are strictly necessary to provide you with services available through our website and to use some of its features.
Because these cookies are strictly necessary to deliver the website, you cannot refuse them without impacting how our site functions. You can block or delete them by changing your browser settings and force blocking all cookies on this website.
Google Analytics Cookies
These cookies collect information that is used either in aggregate form to help us understand how our website is being used or how effective our marketing campaigns are, or to help us customize our website and application for you in order to enhance your experience.
If you do not want that we track your visist to our site you can disable tracking in your browser here:
Other external services
We also use different external services like Google Webfonts, Google Maps and external Video providers. Since these providers may collect personal data like your IP address we allow you to block them here. Please be aware that this might heavily reduce the functionality and appearance of our site. Changes will take effect once you reload the page.
Google Webfont Settings:
Google Map Settings:
Vimeo and Youtube video embeds:
Google ReCaptcha cookies:
Privacy Policy
You can read about our cookies and privacy settings in detail on our Privacy Policy Page.