आरोपियों पर कार्यवाही से भड़की ममता बैठी धरने पर सरकारी दफ्तरों में की तोड़ फोड़

तीसरी बार मुख्यमंत्री बनी ममता बेनर्जी बारम्बार यह भूल जाती हैं की वह सत्ता पक्ष का प्रतिनिधित्व करतीं हैं न की विपक्ष का। अपने ही राज्य में सरकारी अजेंसियों द्वारा किए जा रहे कार्यों में व्यवधान उतपान करना और गाहे -ब – गाहे संबन्धित दफ्तरों में धरना प्रदर्शन इत्यादि करने से वह केंद्र से नहीं टकरा रहीं अपितु अपनी ही एक समझदार मुख्यमंत्री की छवि को धूमिल कर रहीं हैं। बंगाल के नारदा केस में एक बार फिर CBI ने जांच तेज कर दी है। जांच एजेंसी ने सोमवार को कई जगह छापे मारे। इसके बाद ममता सरकार में मंत्री फिरहाद हाकिम, सुब्रत मुखर्जी, विधायक मदन मित्रा और पूर्व मेयर शोवन चटर्जी से पूछताछ शुरू की। पूछताछ के बाद सभी को अरेस्ट कर लिया गया। अब इन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा। CBI कोर्ट से इन चारों नेताओं की कस्टडी मांगेगी।

सीबीआई ने आज (17 मई 2021) नारदा स्कैम में चार नेताओं को गिरफ्तार किया है। इनमें शामिल फिरहाद हाकिम और सुब्रत चटर्जी मौजूदा ममता बनर्जी सरकार के मंत्री हैं। मदन मित्रा सत्ताधारी तृणमूल कॉन्ग्रेस के विधायक हैं, जबकि सोवन चटर्जी कोलकाता के मेयर रह चुके हैं। विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने सीबीआई को इनके खिलाफ नारदा स्टिंग ऑपरेशन मामले में अभियुक्त बनाने की अनुमति दी थी। यह गिरफ़्तारी तब हुई है जब चुनावों के बाद राज्य में हो रही भीषण हिंसा के बीच यह अनुमान लगाया जा रहा था कि राज्यपाल द्वारा दी गई अनुमति का क्या होगा। इन गिरफ्तारियों के साथ ही केंद्र और राज्य सरकार के बीच सम्बंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत हो गई है। दलों के रूप में भाजपा और तृणमूल कान्ग्रेस के बीच सम्बंध चाहे जैसे रहे हों पर पिछले पाँच वर्षों में ममता सरकार और केंद्र सरकार के बीच सम्बंध अच्छे नहीं रहे हैं। यदि हाल के इतिहास को खँगाला जाए तो दोनों सरकारों के सम्बंध पिछले विधानसभा चुनावों तक इस तरह नहीं बिगड़े थे।

नयी दिल्ली/कोलकत्ता:

नारदा केस में गिरफ्तारियों के बाद पश्चिम बंगाल में नया राजनीतिक ड्रामा शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद कोलकाता के निजाम पैलेस स्थित सीबीआई कार्यालय के बाहर बैठी हुई हैं। सत्ताधारी तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) के कार्यकर्ताओं ने जाँच एजेंसी के दफ्तर पर पत्थरबाजी की। बैरिकेड तोड़कर भीतर दाखिल होने की कोशिश की।

सोमवार (17 मई 2021) की सुबह सीबीआई को ममता सरकार के मंत्री फिरहाद हाकिम, सुब्रत मुखर्जी, विधायक मदन मित्रा और पूर्व मेयर सोवन चटर्जी को पूछताछ के लिए अपने दफ्तर ले गई। बाद में इन्हें गिरफ्तार कर लिया। इनको ले जाने की खबर आते ही ममता बनर्जी भी सीधे CBI दफ्तर पहुँच गईं। उन्होंने अपनी गिरफ्तारी की चुनौती भी एजेंसी को दी है। टीएमसी ने सीबीआई पर बदले के तहत कार्रवाई करने का आरोप लगाया है।

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने सीबीआई दफ्तर के बाहर आगजनी और पथराव के बावजूद पुलिस के मूकदर्शक बने रहने पर नाराजगी जताई है। उल्लेखनीय है कि गिरफ्तार नेता घोटाले के वक्त ममता सरकार में मंत्री थे और इनके खिलाफ कार्रवाई को लेकर धनखड़ पहले ही CBI को अनुमति दे चुके हैं।

इस पहले मुख्य सूचना आयुक्त आरसी जोशी ने बताया था कि सीबीआई ने इस मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर 16 अप्रैल 2017 को मामला दर्ज किया था। अब इस मामले में फिरहाद हाकिम, सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा और सोवन चटर्जी को गिरफ्तार किया है। ये सभी उस समय बंगाल सरकार में मंत्री थे। कोलकाता के निज़ाम पैलेस स्थित CBI दफ्तर में इन चारों से पूछताछ की जा रही है।

गौरतलब है कि बंगाल में साल 2016 के विधानसभा चुनाव से पहले नारदा स्टिंग टेप सार्वजनिक हुए था। स्टिंग ऑपरेशन कथित तौर पर नारदा न्यूज पोर्टल के मैथ्यू सैमुअल ने किया था। इन स्टिंग्स में टीएमसी नेताओं को कथित तौर पर कंपनी के प्रतिनिधियों से रुपए लेते हुए देखा गया था। स्टिंग्स सामने आने के बाद राज्य में खूब बवाल मचा, जिसके बाद यह मामला हाई कोर्ट पहुँचा था। इसके बाद मामले की जाँच सीबीआई को सौंप दी गई थी। मैथ्यू सैमुअल सीबीआई द्वारा टीएमसी नेताओं की गिरफ्तारी का स्वागत किया है। साथ ही तत्कालीन मंत्री और वर्तमान में बीजेपी विधायक दल के नेता शुभेंदु अधिकारी की गिरफ्तार नहीं होने पर सवाल भी उठाया है।

2 – DG कोरोना के खिलाफ DRDO का नया हथियार

कोरोना वायरस के खिलाफ भारत की जंग लगातार जारी है. इस बीच रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन की ओर से शुभ समाचार देश को मिला है और डीआरडीओ ने एंटी-कोविड मेडिसन, 2 डीजी (2-DG) लॉन्च कर दी है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सोमवार को दिल्ली में एक कार्यक्रम में 2 डीजी की पहली खेप को रिलीज की।

नई दिल्ली(ब्यूरो): 

कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में निर्णायक भूमिका निभाने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की ओर से एंटी-कोविड मेडिसिन, 2 डीजी (2-DG) लॉन्च कर दी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने इस दवा की पहली खेप को रिलीज की।

पाउडर फॉर्म में उपलब्ध है दवा

डीआरडीओ के अनुसार, ‘2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज’ दवा को इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज (INMAS) द्वारा हैदराबाद की डॉक्टर रेड्डी लैब के साथ मिलकर तैयार किया है। हाल ही में क्लीनिकल-ट्रायल में पास होने के बाद ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने इस दवा को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। बताया जा रहा है कि ये दवाई सैशे में उपलब्ध होगी. यानी मरीजों को इसे पानी में घोलकर पीना होगा।

इस दवा से ऑक्सीजन लेवल रहेगा मेंटेन

अधिकारियों का कहना है कि ग्लूकोज पर आधारित इस दवा के सेवन से कोरोना मरीजों को ऑक्सजीन पर ज्यादा निर्भर नहीं होना पड़ेगा। साथ ही वे जल्दी स्वस्थ हो जाएंगे। क्लीनिक्ल-ट्रायल के दौरान भी जिन कोरोना मरीजों को ये दवाई दी गई थी, उनकी RT-PCR रिपोर्ट जल्द निगेटिव आई है। उन्होंने बताया कि ये दवा सीधा वायरस से प्रभावित सेल्स में जाकर जम जाती है और वायरस सिंथेसिस व एनर्जी प्रोडक्शन को रोककर वायरस को बढ़ने से रोक देती है। इस दवा को आसानी से उत्पादित किया जा सकता है. यानी बहुत जल्द इसे पूरे देश में उपलब्ध कराया जा सकेगा।

देशभर में कोरोना के 24 घंटे में 281386 नए केस आए सामने

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, पिछले 24 घंटे में भारत में 2 लाख 81 हजार 286 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए है, जबकि इस दौरान 4106 लोगों की जान गई। इसके बाद भारत में कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 2 करोड़ 49 लाख 65 हजार 463 हो गई है, जबकि 2 लाख 74 हजार 390 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। आंकड़ों के अनुसार, देशभर में पिछले 24 घंटे में 3 लाख 78 हजार 741 लोग ठीक हुए, जिसके बाद कोविड-19 से ठीक होने वाले लोगों की संख्या 2 करोड़ 11 लाख 74 हजार 76 हो गई है। इसके साथ ही देशभर में एक्टिव मामलों में भी गिरावट आई है और देशभर में 35 लाख 16 हजार 997 लोगों का इलाज चल रहा है।

डीआरडीओ के वैज्ञानिक डॉक्टर अनंत नारायण ने बताया, ‘सीसीएमबी हैदराबाद में हमने इसका पहला टेस्ट किया था, उसके बाद हमने ड्रग कंट्रोल से कहा कि क्लीनिकल ट्रायल की मंजूरी दें। ट्रायल में हमने देखा है कि कोरोना पेशेंट को काफी फायदा हुआ. टेस्टिंग के बाद फेज 2 सही से किया और फेज 3 में हमने बहुत बड़े पैमाने पर प्रयोग किया।’

डीआरडीओ ने डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज के साथ मिल बनाई दवा

कोरोना की इस दवा को डीआरडीओ के Institute of Nuclear Medicine and Allied Sciences यानी INMAS ने हैदराबाद स्थित डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज के साथ मिलकर तैयार किया है।

इस दवा से 7 दिन में ठीक हो जाएंगे मरीज

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि 2-डीजी एक जेनेरिक मॉलीक्यूल है और ग्लुकोज से मिलती जुलती है, इसलिए इसका उत्पादन आसान होगा और ये दवा देश में बड़े पैमाने पर उपलब्ध कराई जा सकेगी। डॉक्टर अनंत नारायण ने कहा, ‘इस ड्रग को हम जल्द से जल्द मार्किट में लाने का काम कर रहे है. यह दवा पाउडर के रूप में आता है पानी में घोल कर दिया जाता है। इसको दिन में 2 बार सुबह-शाम देने के बाद मरीज लगभग सात दिन में लोग ठीक हो रहे है।

ऑक्सीजन की किल्लत से मिलेगी राहत

इस दवा के बाजार में आने से एक और बड़ी राहत मिलेगी. अभी जो ऑक्सीजन की मारा-मारी है, दावा है कि इस दवा के मिलने के बाद ये समस्या बहुत हद तक कम होगी साथ ही ये दवा कोविड से संक्रमित मरीजों की अस्पताल में दाखिले की संख्या को भी कम करेगी. यानी मरीज घर पर रहकर ही डॉक्टर की सलाह से ये दवा लेकर ठीक हो जाएंगे।

मुस्लिम त्ष्टिकरण की राह पर कैप्टन अमरिंदर सिंह

अमेठी से चुनाव हारने के डर से राहुल ने दूसरा नामांकन वायनाड, मुस्लिम बहुल वायनाड से भरा। अपनी पुश्तैनी सीट ‘अमेठी’ हार गए पर मुसलिम बहुल वायनाड में जनेयू धारी दत्तात्रेय गोत्र के रहल गांधी जीत गए। अब बारी बंगाल चुनाव की थी, एक ओर वामपंथियों का सहयोग तो दूसरी ओर फुरफुरा शरीफ के मौलाना अब्बास सददिकी की इंडियन सेक्युलर फ्रंट के साथ हाथ मला लिया। मुसलिम तुष्टीकरण का ऐसा बुखार किसी को नहीं चढ़ा जैसा की कॉंग्रेस पार्टी को। बंगाल में सददिकी तो साथ लगते असम mein बद्द्र्द्दिन अजमल की AIDUF जैसी खालिस इस्लामिक पार्टी से हाथ मिलाया। नतीजा बंगाल में शून्य तो असम में हार का सामना करना पड़ा। अब बात पंजाब की। पूर्वोत्तर राज्यों में मिली शर्मनाक हार से घबराई कॉंग्रेस अब फिर से मुसलिम तुष्टिकरण की ओर बढ़ रही है। ताज़ातरीन ऊदाहरण पंजाब के मुस्लिम बहल इलाके मलेरकोटला का है। पूछने वाले तो कैप्टन की पाकिस्तानी पत्रकार दोस्त ‘अरूसा आलम’ का हाथ होने की भी बात पूछ रहे हैं।

ईद के मौके पर सीएम अमरिंदर सिंह ने पंजाब के मलेरकोटला को प्रदेश के 23वें जिले के रूप में घोषित किया है। उन्होंने नए जिले के लिए 500 करोड़ रुपये की लागत से कॉलेज, बस स्टैंड और महिला पुलिस थाना की परियोजना का भी ऐलान किया है। ईद-उल-फितर के मौके पर लोगों को बधाई देने के लिए राज्य स्तर पर ऑनलाइन तरीके से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने मलेरकोटला के लिए 500 करोड़ रुपये की लागत से मेडिकल कॉलेज, एक महिला कॉलेज, एक नया बस स्टैंड और एक महिला पुलिस थाना बनाने की भी घोषणा की। नए जिले की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मैं जानता हूं कि यह लंबे समय से लंबित मांग रही है।’ सिंह ने कहा कि मलेरकोटला शहर, अमरगढ़ और अहमदगढ़ भी इस नए जिले की सीमा में आएंगे।

सारिका तिवारी, चंडीगढ़ :

मुस्लिम बहुल मलेरकोटला पंजाब का 23वाँ जिला बन गया है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ईद के मौके पर इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि अरसे से लंबित इस माँग को पूरा कर दिया गया है। ईद-उल-फितर के मौके पर लोगों को बधाई देने के लिए राज्य स्तर पर ऑनलाइन आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने मलेरकोटला में 500 करोड़ रुपए की लागत से मेडिकल कॉलेज, एक महिला कॉलेज, एक नया बस स्टैंड और एक महिला पुलिस थाना बनाने की भी घोषणा की।

मुस्लिम बहुल कस्बा मलेरकोटला अब तक संगरूर जिले का हिस्सा था। यह संगरूर जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। नए जिले की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं जानता हूँ कि यह लंबे समय से लंबित माँग रही है। उन्होंने कहा कि देश की आजादी के वक्त पंजाब में 13 जिले थे। सिंह ने कहा कि मलेरकोटला शहर, अमरगढ़ और अहमदगढ़ नए जिले की सीमा में आएँगे।

बाद में एक ट्वीट में मुख्यमंत्री ने कहा, “यह साझा करते हुए खुशी हो रही है कि ईद-उल-फितर के पाक मौके पर मेरी सरकार ने घोषणा की है कि मलेरकोटला राज्य का नवीनतम जिला होगा। 23वें जिले का विशाल ऐतिहासिक महत्व है। जिला प्रशासनिक परिसर के लिए उचित स्थान का तत्काल पता लगान का आदेश दिया है। मलेरकोटला को जिला का दर्जा देना कॉन्ग्रेस का चुनाव से पहले किया गया एक वादा था।

बता दें कि 1966 में जब पंजाब का विभाजन हुआ था तब 13 जिले हुआ करते थे, जो अब बढ़ कर 23 हो गए हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि मेडिकल कॉलेज के लिए वक्फ बोर्ड ने 25 एकड़ जमीन दी है। मलेरकोटला में लड़कियों के कॉलेज के लिए 12 करोड़ और बस स्टैंड के लिए 10 रुपए आवंटित करने की घोषणा भी सीएम ने की।

वर्चुअल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा कि उनकी ईद के मौके पर मलेरकोटला में आने की बहुत इच्छा थी, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण वह आ नहीं सके। उन्होंने कहा कि मलेरकोटला पटियाला रियासत का हिस्सा रहा है और उनके बुज़ुर्गों के मालेरकोटला के नवाब के साथ बहुत अच्छे संबंध रहे हैं। 

उन्होंने मालेरकोटला के विकास के 6 करोड़ रुपए का अनुदान देने की भी घोषणा की। कहा कि बहुत जल्द मालेरकोटला में जिला उपायुक्त की तैनाती कर दी जाएगी। कार्यक्रम को पंजाब कॉन्ग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़, कैबिनेट मंत्री बेगम रजिया सुलताना ने भी संबोधित किया।

‘देवी’ अहल्या बाई होल्कर की तुलना क्षुद्र राजनैतिक लाभ के लिए अपनी प्रजा पर अत्याचार करने वाली नेत्री से नहीं होनी चाहिए: श्रीमंत भूषण सिंह राजे

अपने भड़काऊ, बेतुके और अनर्गल ब्यान देने के लिए कुख्यात संजय राऊत के हाथ ‘सामना’ की शक्ल में एक ऐसी दोधारी तलवार लग चुकी है जिसका प्रयोग वह यदा कदा करते ही रहते हैं। स्त्री सम्मान के प्रति उनके विचार कंगना राणावत को ले कर पहले ही सोशल मीडिया में प्रसारित हो चुके हैं। स्वयं को मराठी अस्मिता का पैरोकार मानने वाली शिवसेना के मुखपृष्ठ ‘सामना’ के संपादक राऊत इतिहास के पन्नों में जातिवाचक संज्ञा का रूप बन चुकीं ‘देवी’ अहल्याबाई होल्कर, की तुलना बंगाल की उस राजनैतिक नेत्री से की जिं पर न केवल भ्रष्टाचार आपित धर्मद्रोही होने तक के आरोप लग चुके हैं। बंगाल की मुसलिम तुष्टीकरण की पुरोधा ‘ममता बेनर्जी। राऊत के इस तुलनत्म्क लेख में मोदी विरोध कम लेकिन चाटुकारिता अधिक झलकती है। संजय राउत को पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की जीत नजर आ रही है लेकिन भाजपा द्वारा 3 से बढाकर 77 सीटों तक पहुंचने का सफर दिखाई नहीं दे रहा है। भाजपा ने पूरे विपक्ष का सफाया कर उसके राज्य में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर सामने आई है। ऐसे में सवाल ये है की वे भाजपा की तुलना किससे करेंगे। राईट विंग द्वारा विपक्ष में मजबूत स्थान प्राप्त कर चुकी है, ये बात संजय राउत भूलना नहीं चाहिए।

सारिका तिवारी, चंडीगढ़:

शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तुलना ‘महान महिला शासक’ रानी अहिल्या बाई होलकर से किए जाने के बाद रानी के वंशजों में गुस्सा है। लेख को पढ़ने के बाद उनके एक परिजन श्रीमंत भूषण सिंह राजे होलकर ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र भी लिखा है।

पत्र में राउत की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि ये बेहद शर्मनाक है कि एक राष्ट्रीय नेता की तुलना आजकल के राजनेताओं से की जाए, वो भी टुच्चे फायदों के लिए। होलकर ने बताया कि अहिल्याबाई ने अपना पूरा जीवन राष्ट्र और जनता की सेवा में लगाया, उनकी तुलना एक ऐसी नेत्री से नहीं हो सकती जो राजनीति के लिए अपने लोगों पर अत्याचार करे।

पत्र में उन्होंने लिखा की ऐसी तुलना सिर्फ और सिर्फ वैचारिक क्षमता उजागर करती है। किसी को भी पहले अपनी योग्यता साबित करनी चाहिए और बाद में लोगों को उसका मूल्य तय करने देना चाहिए। 

संजय राउत का विश्लेषण

संजय राउत ने अपने संपादकीय में ममता बनर्जी को अहिल्याबाई होलकर के समतुल्य रखकर कॉन्ग्रेस के विपक्षी पार्टी होने पर कई सवाल उठाए थे। ऐसी तुलना करके राउत ने बताना चाहा था कि ममता बनर्जी एक उभरती हुई विपक्षी नेता है। 

बता दें कि इससे पहले संजय राउत विपक्षी नेता के तौर पर शरद पवार का नाम ले चुके हैं। उनका कहना था कि यूपीए को एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार अच्छे से दिशा दिखा पाएँगे।

अहिल्या बाई होलकर

उल्लेखनीय है कि शिवसेना के मुखपत्र में जिन अहिल्याबाई होलकर की तुलना तृणमूल कॉन्ग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी से की गई, वो एक महिला शासक थीं। उन्हें राजमाता या महारानी अहिल्याबाई होलकर भी कहा जाता था। वह न केवल एक योद्धा थीं, बल्कि पढ़ी लिखी, कई भाषा की जानकार और बोलियों में निपुण थीं। महेश्वर में 30 साल रहते हुए उन्होंने खुद को जनसेवा में समर्पित कर दिया था। इसके अलावा औद्योगीकरण को बढ़ावा और  धर्म शब्द का प्रसार करने का काम भी रानी अहिल्या द्वारा किया गया था।

ममता बनर्जी के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण में नरेन्द्र मोदी एवं अमितशाह को तो आमंत्रित करना चाहिए था

करणीदानसिंह राजपूत, सूरतगढ़:

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने हैट्रिक जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया। ममता ने महत्वपूर्ण इतिहास रचा है और भाजपा के बड़बोले नेताओं को ऐसी पटखनी दी है कि वे पांच साल तक अपनी चोटों से कराहते रहेंगे।

यह जीत इसलिए मायने रखती है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी,गृहमंत्री अमितशाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा ने ममता को हराने के लिए सब कुछ किया। ममता हारी नहीं और जे.पी.नड्डा जैसे दिग्गज धरना लगाने वाले स्तर पर पहुंच गए।

टीएमसी की मुखिया ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के तौर पर आज यानि बुधवार को राजभवन में शपथ ग्रहण करेंगी। कोविड-19 महामारी के चलते शपथ ग्रहण समारोह बेहद सादगी भरा होगा। 

बताया जा रहा है कि शपथ ग्रहण समारोह के लिए पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य, निवर्तमान सदन के नेता प्रतिपक्ष अब्दुल मन्नान और माकपा के वरिष्ठ नेता बिमान बोस को कार्यक्रम का निमंत्रण भेजा गया है। 

ममता का मुख्यमंत्री पद की शपथ का समारोह चाहे कितना साधारण रखा गया हो उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को तो जरूर बुलाना था। जो कहते थे कि 2 म ई को दीदी गई,उन्हें दिखलाना था कि दीदी नहीं गई। 

इधर, बंगाल में हिंसा की खबरों के बीच भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और दिलीप घोष धरना भी देंगे। 

 देश में कोविड-19 महामारी की वर्तमान परिस्थितियों के मद्देनजर अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों और अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं को समारोह में आमंत्रित नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, ‘कोविड-19 महामारी को देखते हुए ममता बनर्जी के शपथ ग्रहण समारोह को बेहद साधारण रखने का निर्णय लिया गया है। 

बुधवार को केवल ममता बनर्जी अकेले शपथ लेंगी। यह बेहद संक्षिप्त कार्यक्रम होगा।’ 

तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि राजभवन में पांच मई को सुबह 10:45 बजे होने वाले शपथग्रहण समारोह में पार्टी सांसद अभिषेक बनर्जी, चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर और पार्टी के वरिष्ठ नेता फिरहाद हाकिम के भी शामिल होने की उम्मीद है। 

सूत्रों ने कहा कि शपथ ग्रहण करने के तुरंत बाद ममता बनर्जी राज्य सचिवालय जाएंगी, जहां उन्हें कोलकाता पुलिस सलामी देगी। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में टीएमसी 292 में से 213 सीटें जीतकर लगातार तीसरी बार सत्ता में आई है। बीजेपी को 77 सीटों पर जीत हासिल हुई है। वहीं, दो सीटों पर अन्य ने जीत दर्ज की है।

इधर चुनावी नतीजों के बाद से बंगाल में जारी हिंसा की खबरों के बीच भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा कोलकाता पहुंचे हैं। बंगाल में हिंसा के खिलाफ भाजपा आज यानी बुधवार को पूरे देशभर में धरना देगी। कोलकाता में जेपी नड्डा और दिलीप घोष खुद धरने पर बैठेंगे। इससे पहले भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने मंगलवार को कहा गया कि पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई व्यापक हिंसा ने उन अत्याचारों की याद दिला दी है जिसका सामना लोगों को देश के विभाजन के दौरान करना पड़ा था। नड्डा ने राज्य में पार्टी कार्यकर्ताओं को ”क्रूरता के विरूद्ध लोकतांत्रिक तरीके से लड़ने के लिए प्रेरित किया।

कौन हैं ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के शानदार प्रदर्शन के बाद ममता बनर्जी की छवि एक ऐसे सैनिक और कमांडर के रूप में बनी है जिसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व वाली भाजपा की चुनावी युद्ध मशीन को भी हरा दिया। तीसरी बार की यह जीत न सिर्फ राज्य में बनर्जी की स्थिति को और मजबूत करेगी, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने में भी मदद करेगी।

2019 से पहले बिना चुनौती के दीदी ने किया शासन

ममता बनर्जी ने एक दशक से अधिक पहले सिंगूर और नंदीग्राम में सड़कों पर हजारों किसानों का नेतृत्व करने से लेकर आठ साल तक राज्य में बिना किसी चुनौती के शासन किया। आठ साल के बाद उनके शासन को 2019 में तब चुनौती मिली जब भाजपा ने पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव में 18 सीटों पर अपना परचम फहरा दिया। ममता बनर्जी (66) ने अपनी राजनीतिक यात्रा को तब तीव्र धार प्रदान की जब उन्होंने 2007-08 में नंदीग्राम और सिंगूर में नाराज लोगों का नेतृत्व करते हुए वाम मोर्चा सरकार के खिलाफ राजनीतिक युद्ध का शंखनाद कर दिया। इसके बाद वह सत्ता के शक्ति केंद्र ‘नबन्ना तक पहुंच गई।

यूपीए और एनडीए में भी बनीं मंत्री

पढ़ाई के दिनों में बनर्जी ने कांग्रेस स्वयंसेवक के रूप में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। यह उनके करिश्मे का ही कमाल था कि वह संप्रग और राजग सरकारों में मंत्री बन गईं। राज्य में औद्योगीकरण के लिए किसानों से ‘जबरन भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर वह नंदीग्राम और सिंगूर में कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ दीवार बनकर खड़ी हो गईं और आंदोलनों का नेतृत्व किया। ये आंदोलन उनकी किस्मत बदलने वाले रहे और तृणमूल कांग्रेस एक मजबूत पार्टी के रूप में उभरकर सामने आई। बनर्जी ने कांग्रेस से अलग होने के बाद जनवरी 1998 में तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की और राज्य में कम्युनिस्ट शासन के खिलाफ संघर्ष करते हुए उनकी पार्टी आगे बढ़ती चली गई।

2011 में लेफ्ट की सरकार को उखाड़ फेंका था

पार्टी के गठन के बाद राज्य में 2001 में जब विधानसभा चुनाव हुआ तो तृणमूल कांग्रेस 294 सदस्यीय विधानसभा में 60 सीट जीतने में सफल रही और वाम मोर्चे को 192 सीट मिलीं। वहीं, 2006 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की ताकत आधी रह गई और यह केवल 30 सीट ही जीत पाई, जबकि वाम मोर्चे को 219 सीटों पर जीत मिली। वर्ष 2011 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी ने ऐतिहासिक रूप से शानदार जीत दर्ज करते हुए राज्य में 34 साल से सत्ता पर काबिज वाम मोर्चा सरकार को उखाड़ फेंका। उनकी पार्टी को 184 सीट मिलीं, जबकि कम्युनिस्ट 60 सीटों पर ही सिमट गए। उस समय वाम मोर्चा सरकार विश्व में सर्वाधिक लंबे समय तक सत्ता में रहने वाली निर्वाचित सरकार थी।

पांच बार लोकसभा सांसद भी रह चुकी हैं दीदी

ममता बनर्जी अपनी पार्टी को 2016 में भी शानदार जीत दिलाने में सफल रहीं और तृणमूल कांग्रेस की झोली में 211 सीट आईं। इस बार के विधानसभा चुनाव में बनर्जी को तब झटके का सामना करना पड़ा जब उनके विश्वासपात्र रहे शुभेन्दु अधिकारी और पार्टी के कई नेता भाजपा में शामिल हो गए। बंगाली ब्राह्मण परिवार में जन्मीं बनर्जी पार्टी के कई नेताओं की बगावत के बावजूद अंतत: अपनी पार्टी को तीसरी बार भी शानदार जीत दिलाने में कामयाब रहीं। इस चुनाव में भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी, लेकिन बनर्जी एक ऐसी सैनिक और कमांडर निकलीं जिन्होंने भगवा दल की चुनावी युद्ध मशीन को पराजित कर दिया। वह 1996, 1998, 1999, 2004 और 2009 में कोलकाता दक्षिण सीट से लोकसभा सदस्य भी रह चुकी हैं।

बंगाल में TMC के तांडव केखिलाफ धरने पर बैठे भाजपा नेता

2 मई को पश्चिम बंगाल चुनाव के नतीजे आए। तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने प्रचंड जीत दर्ज़ की. चुनाव नतीजे आने के साथ बंगाल से हिंसा की रिपोर्ट्स आ रही हैं। भारतीय जनता पार्टी (BJP) से जुड़े लोगों का दावा है कि तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों ने बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट की है और बीजेपी ऑफिस में तोड़फोड़ की है। राष्ट्रिय चैनल के मुताबिक़ नतीजे आने के बाद हुई हिंसा में 12 लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि प्रशासन ने अब तक यह नहीं बताया है कि इन लोगों की मौत कैसे हुई है और इन मौतों के लिए कौन जिम्मेदार है?

आज भाजपा पंचकूला द्वार बुधवार बेला विस्टा चौराहे पर पश्चिम बंगाल में चुनाव परिणाम के पश्चात भाजपा कार्यकर्ताओं पर हुए हमले के विरोध में TMC के खिलाफ प्रदर्शन में जिला अध्यक्ष अजय शर्मा, पंचकुला के माहपौर कुलभूषण गोयल, पूर्व ज़िलाध्यक्ष दीपक शर्मा ,महामंत्री वरिंदर राणा, श्याम लाल बंसल मौजूद।

राजऋषि दशरथ मेडिकल कालेज में 55 लाख की लागत से बनेगा ऑक्सिजन संयंत्र

देश में मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन की फ़िलहाल किल्लत है, जिसके लिए रिलायंस से लेकर टाटा और कई अन्य कंपनियाँ सामने आई हैं। टाटा को जब नए संसद भवन के निर्माण की जिम्मेदारी दी गई थी तो इन्हीं लोगों ने उसकी आलोचना की थी। अंबानी-अडानी को ये लोग रोज गाली देते हैं। इसी तरह अब वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों को भी निशाना बनाया जा रहा है। साथ ही एक वर्ग दोहरा रवैया अपनाते हुए ये भी पूछ रहा है कि 18 से कम के उम्र वालों को वैक्सीन पहले ही क्यों नहीं दी?

अब जब देश कोरोना काल में एक तरह के मेडिकल आपातकाल से गुजर रहा है, ऐसे समय में ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ ट्रस्ट देश में ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए आया है। ट्रस्ट ने निर्णय लिया है कि वो दशरथ मेडिकल कालेज में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करेगा। देश में ऑक्सीजन की दिक्कत को देखते हुए ट्रस्ट ने ये बड़ा फैसला लिया है। इस ऑक्सीजन प्लांट को स्थापित करने में 55 लाख रुपए का खर्च आएगा।

‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ ट्रस्ट के ट्रस्टी डॉक्टर अनिल मिश्र ने इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए कहा कि इस समय पूरा देश कोरोना की दूसरी लहर से परेशान है, ऐसे में राम मंदिर की तरफ से भी जनहित में योगदान दिया जा रहा है। बता दें कि रामलला के अस्थायी मंदिर में दर्शन-पूजन पहले ही रोक दिया गया है, ताकि श्रद्धालुओं की भीड़ न जुटे। इसी तरह कुम्भ के अखाड़ों ने भी हरिद्वार में अब इसे प्रतीकात्मक रखने का फैसला किया।

इस खबर से गिरोह विशेष को ज़रूर परेशानी हो सकती है, जो लगातार मंदिर-मंदिर की रट लगाए हुए था और पूछा जा रहा था कि जिस देश में मंदिर बनवाए जाते हों, वहाँ स्वास्थ्य सिस्टम कैसे सुधरेगा? अब उन्हें आत्मचिंतन करने का समय आ गया है क्योंकि मंदिर सरकार नहीं, श्रद्धालु बनवा रहे हैं। हाँ, मंदिर की संपत्ति पर ज़रूर सरकार का कब्ज़ा है। क्या किसी अन्य मजहब में ऐसा होता है? हिसाब माँगा जाता है?

हाल ही में अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने इसी तरह का प्रोपेगंडा फैलाया था। स्वरा भास्कर को ये तो जानना ही चाहिए कि इस आपात स्थिति में राम मंदिर क्या कर रहा है, लेकिन उससे भी ज़्यादा ज़रूरी दो और खबरें हैं, जो आजकल में ही आईं।

  1. राजस्थान के सांगनेर स्थित जामा मस्जिद में जब पुलिस लॉकडाउन का पालन कराने गई तो पुलिस पर ईंट-पत्थरों से हमला किया गया।
  2. गुजरात के कपड़वंज स्थित अली मस्जिद में भीड़ जुटाने से रोका गया तो पुलिस पर हमला हुआ।

अभी तक गिरोह विशेष के एक भी सेलेब्रिटी ने इन घटनाओं की निंदा नहीं की है। पिछले साल भी ऐसी कई घटनाएँ सामने आई थीं, ये नई नहीं हैं। कहीं ऐसा तो नहीं है कि गाँवों में स्थित छोटे मंदिरों से लेकर हजारों वर्ष पुराने भव्य मंदिर तक कोरोना काल में जिस तरह से गरीबों की सेवा कर रहे हैं, उसे छिपाने के लिए राम मंदिर के दान का मुद्दा बार-बार उठाया जाता है? साथ ही इससे इस्लामी कट्टरपंथियों की करतूतों पर भी पर्दा डाला जाता है?

असली कारण यही है। पीएम केयर्स फंड में जिस तरह से मंदिरों ने आगे आकर बढ़-चढ़ कर दान दिया, उसकी प्रशंसा इन सेलेब्रिटीज ने नहीं की। कुम्भ को सही समय पर समाप्त कर के अखाड़ों ने बिना किसी के कहे ही जनहित में निर्णय लिया, उसकी तारीफ़ इन वामपंथी पत्रकारों ने नहीं की। IIT कानपुर के उस रिसर्च पर आँख मूँद लिया गया, जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि कुम्भ से कोरोना के प्रसार पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

देश में मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन की फ़िलहाल किल्लत है, जिसके लिए रिलायंस से लेकर टाटा और कई अन्य कंपनियाँ सामने आई हैं। टाटा को जब नए संसद भवन के निर्माण की जिम्मेदारी दी गई थी तो इन्हीं लोगों ने उसकी आलोचना की थी। अंबानी-अडानी को ये लोग रोज गाली देते हैं। इसी तरह अब वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों को भी निशाना बनाया जा रहा है। साथ ही एक वर्ग दोहरा रवैया अपनाते हुए ये भी पूछ रहा है कि 18 से कम के उम्र वालों को वैक्सीन पहले ही क्यों नहीं दी?

असली दिक्कत ये नहीं है। अगर हम मंदिरों की सूची गिनाने लगें जिन्होंने कोरोना काल में गरीबों के भोजन से लेकर आमजनों में जागरूकता फैलाने का काम किया है तो कई पन्ने छोटे पड़ जाएँगे। सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि लिबरल गिरोह को ह्यूमन चेन टाइप की कोई स्टोरी आजकल मिल नहीं रही है क्योंकि तबलीगी जमात प्रकरण से लेकर अबकी रमजान में छूट की माँग तक, मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए कहानियों का उनके पास भी अभाव है।

आपको याद होगा एक युवती ने लिखा था कि जब राम मंदिर के लिए चंदा माँगने के लिए लोग उसके घर आए तो वो कई मिनटों तक गुस्से में काँपती रही। एक महिला ने तो चंदा माँगने वालों की बेइज्जती करते हुए वीडियो भी पोस्ट कर मजे लिए थे। अब यही लोग मंदिरों से हिसाब माँगते हैं, जबकि इन मंदिरों को बनाने से लेकर इनमें पूजा-पाठ तक, इनका योगदान शून्य ही होता है। अब सोशल मीडिया मंदिर के रुपयों से हिसाब का सवाल लिए भरा पड़ा है।

हाल ही में स्वामीनारायण मंदिर ने अपने परिसर में ही कोविड केयर यूनिट स्थापित किया। वजह ये है कि मोदी काल में पौने 2 लाख किलोमीटर सड़कें, 12 नए AIIMS, 7 नए IIT-IIM-IIIT और 35 एयरपोर्ट्स बने हैं; इन आँकड़ों को छिपाने के लिए ये नैरेटिव तो बनाना पड़ेगा न कि ‘मोदी सरकार मंदिर बनवाती है।’ अभी तो 3 करोड़ परिवारों को उज्ज्वला गैस योजना का लाभ मिलने और 11 करोड़ टॉयलेट्स बनवाने की बात हमने की ही नहीं।

मंदिर का पैसा सरकार रखती है। लेकिन, हज के लिए सब्सिडी सरकार देती है। कई राज्यों में मौलानाओं और मस्जिद के कर्मचारियों को वेतन सरकार देती है। पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में दरगाह के लिए खजाने सरकार खोलती है। राजस्थान और पंजाब जैसे राज्यों में CM की तस्वीर के साथ मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए विज्ञापन सरकार देती है। हज हाउस सरकार बनवाती है। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग सरकार का मंत्रालय है।

अब जब इस कोरोना काल में ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ ट्रस्ट ने अयोध्या के राजाश्री दशरथ मेडिकल कॉलेज में 55 लाख रुपए की लागत से ऑक्सीजन प्लांट लगाने का निर्णय लिया है, तो लिबरल गिरोह की जुबान सिल जाएगी। तबलीगी जमात के सुपर स्प्रेडर्स का बचाव करने वाले ये लोग श्रीराम मंदिर ट्रस्ट द्वारा ऑक्सीजन प्लांट लगाने या देश के हजारों मंदिरों द्वारा कोरोना के खिलाफ लड़ाई में योगदान दिए जाने पर चूँ तक न करेंगे।

रेलगाड़ियां बन्द करने की बजाय फेरे कम करने का अग्रिम सुझाव

पिछले महीने तक लग रहा था कि महामारी से तबाह हुई भारत की अर्थव्यवस्था संभल रही है। इस रिकवरी को देखते हुए कई अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) ने वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की विकास दर 10 से 13 प्रतिशत के बीच बढ़ने की भविष्वाणी की थी। लेकिन अप्रैल में कोरोना वायरस की दूसरी भयावह लहर के कारण न केवल इस रिकवरी पर ब्रेक लगा है बल्कि पिछले छह महीने में हुए उछाल पर पानी फिरता नज़र आता है। रेटिंग एजेंसियों ने अपनी भविष्यवाणी में बदलाव करते हुए भारत की विकास दर को दो प्रतिशत घटा दिया है। अब जबकि राज्य सरकारें लगभग रोज़ नए प्रतिबंधों की घोषणाएं कर रही हैं तो अर्थव्यवस्था के विकास में बाधाएं आना स्वाभाविक है। बेरोज़गारी बढ़ रही है, महंगाई के बढ़ने के पूरे संकेत मिल रहे हैं और मज़दूरों का बड़े शहरों से पलायन भी शुरू हो चुका है।

करणीदान सिंह, श्रीगंगानगर:

भारत एक बार फिर कोरोना संक्रमण की गिरफ़्त में आ गया। कोरोना संक्रमण की यह दूसरी लहर बहुत ज़्यादा ख़तरनाक साबित हो रही है और इसने भारत के शहरों को बुरी तरह जकड़ लिया है। कोरोना की इस दूसरी लहर में मध्य अप्रैल तक हर दिन संक्रमण के लगभग एक लाख मामले आने लगे। रविवार को भारत में कोरोना संक्रमण के 2,70,000 केस दर्ज किए गए थे और 1600 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी थी. एक दिन में यह संक्रमण और मौतों का सबसे बड़ा रिकॉर्ड था।

ऐसे में रेल परिवहन पर बड़ा असर पड़ रहा है। प्रवासी श्रमिकों की घर वापीसी ने यह मुश्किलें और भी बढ़ा दी है। कोरोना संक्रमण को देखते हुए रेलवे ने कई रेलगाड़ियों की आवाजाही बंद करने के सुझाव/ निर्देश दिये हैं।

कोरोना की दूसरी लहर का रेल यात्रीभार पर काफी असर महसूस किया जा रहा हैं। जेडआरयूसीसी सदस्य भीम शर्मा ने रेलवे अधिकारियों को अग्रिम सुझाव भेजा हैं कि किसी भी ट्रेन को पूर्णतः बंद करने की बजाय उसके फेरों में कमी करके संचालन जारी रखा जाना चाहिये। अगर किसी दैनिक ट्रैन का यात्रीभार कम आंका जा रहा हैं तो उसे त्रि-साप्ताहिक या द्वि साप्ताहिक के रूप में चलाया जाना चाहिये। किसी भी ट्रेन का संचालन पूरी तरह से बन्द करना उचित नही होगा।

कॉन्ग्रेस का टिकट पाने के लिए पहले प्रशांत किशोर की फौज को खुश करना जरूरी होता है : कृष्ण कुमार बावा

पंजाब कांग्रेस के नेताओं में ऐसी भी सुगबुगाहट है कि प्रशांत किशोर टिकट बंटवारे में भी अहम भूमिका निभाएंगे. इस पर कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को कहा, ‘प्रशांत किशोर का इस मामले से कोई लेना देना नहीं है. इसको लेकर कोई सवाल ही नहीं खड़ा होता है. प्रशांत किशोर की भूमिका मेरे मुख्‍य सलाहकार के रूप में सीमित है. उनका काम केवल सलाह देना ही है, निर्णय लेने का कोई भी अधिकार उनके पास नहीं है.’

नईदिल्ली/चंडीगढ़:

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से ऐन पहले प्रशांत किशोर के विरोध में तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) में मची भगदड़ से आप बखूबी परिचित हैं। हाल ही में उनका क्लबचैट ऑडियो सामने आया था, जिसमें वह बंगाल चुनावों में प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी के जबर्दस्त प्रभाव को बयाँ कर रहे थे। उसके बाद से वह लगातार बंगाल चुनावों में ममता बनर्जी की संभावित हार से पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। कई लोगों का मानना है कि भविष्य की परियोजनाओं जिनमें पंजाब में कॉन्ग्रेस के लिए काम करना भी शामिल है, पर बंगाल के नतीजों की छाया नहीं पड़ने देने के मकसद से वे ऐसा कर रहे हैं।

पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पहले ही प्रशांत किशोर को अपना प्रधान सलाहकार बना चुके हैं। उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनावों में भी पंजाब और उत्तर प्रदेश में कॉन्ग्रेस के लिए काम किया था। लेकिन, पंजाब के एक कॉन्ग्रेस नेता की किताब चुनाव से पहले प्रशांत किशोर और पार्टी दोनों की मुसीबत बढ़ा सकती हैं।

कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता व पंजाब राज्य उद्योग विकास कार्पोरेशन के चेयरमैन कुमार कृष्ण कुमार बावा की किताब ‘संघर्ष के 45 साल’ रिलीज हुई है। इसमें बताया गया है कि कैसे पंजाब में कॉन्ग्रेस का टिकट पाने के लिए पहले प्रशांत किशोर की फौज को खुश करना जरूरी होता है।

एक दैनिक की रिपोर्ट में कृष्ण कुमार बावा की किताब के हवाले से कॉन्ग्रेस की भीतरी सच्चाई पर कई खुलासे किए गए हैं। बावा ने अपनी किताब में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के काम करने के तरीकों को उजागर किया है। उन्होंने बताया कि यहाँ (कॉन्ग्रेस में) शरीफ होना पाप है। कई लोग जो कॉन्ग्रेस की विचारधारा से जुड़े भी नहीं है, वे भी यहाँ प्रशांत किशोर की फौज को खुश करके टिकट ले लेते हैं, जबकि शरीफ होने के नाते उन जैसों को साइड कर दिया जाता है। 2017 में उनके साथ ऐसा ही कुछ हुआ था। जहाँ पहले उन्हें लुधियाना पूर्वी हलके से चुनाव में उतारने की बात हुई, लेकिन बाद में उनका टिकट कट गया। 

गौरतलब है कि मैसेजिंग एप क्लबहाउस पर प्रशांत किशोर के साथ बातचीत में लुटियंस मीडिया के कई चेहरे शामिल थे। मसलन, रवीश कुमार, साक्षी जोशी, आरफा खानम शेरवानी, रोहिणी सिंह, स्वाति चतुर्वेदी वगैरह। इस दौरान प्रशांत किशोर ने कहा था, “मोदी के खिलाफ एंटी-इनकंबेंसी नहीं है। मोदी का पूरे देश में एक कल्ट बन गया है। 10 से 25 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जिनको मोदी में भगवान दिखता है। चाहे वो सही दिखे या गलत, वो एक अलग बहस का मुद्दा हो सकता है। यहाँ का हिंदी भाषी मोदी का कोर बेस सपोर्ट है और मोदी काफी पॉपुलर हैं। अगर आप इधर सर्वे कर कर रहे हैं तो मोदी-ममता समान रूप से पॉपुलर हैं।”

रननीतिकार नहीं नेता, उनका काम और पार्टी चुनाव हारती या जीतती है: प्रशांत किशोर

एक निजी चैनल को साक्षात्कार देते हुए कहा: प्रशांत किशोर नहीं, हार जीत लीडर और पार्टी की होती है। जनता जो वोट करती है वह नेता को वोट करती है न कि प्रशांत किशोर को। पश्चिम बंगाल में चौथे चरण के चुनाव से पहले बीजेपी ने तृणमूल कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का एक ऑडियो लीक किया है, जिसमें वह क्लबहाउस ऐप पर चुनिंदा पत्रकारों से चर्चा करते हुए कह रहे हैं कि राज्य में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक समान लोकप्रिय हैं। बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ऑडियो ट्वीट किया है। प्रशांत किशोर यह भी कह रहे हैं कि राज्य में सत्ता विरोधी लहर है और 50% से अधिक हिन्दू मोदी की वजह से बीजेपी को वोट करेंगे। हालांकि, सोशल मीडिया पर यह ऑडियो वायरल होने के बाद प्रशांत किशोर ने कहा कि ऑडियो का चुनिंदा हिस्सा लीक करने के बजाय बीजेपी को पूरा ऑडियो डालना चाहिए। वायरल ऑडियो क्लिप पर प्रशांत किशोर की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा, ‘यह खुशी की बात है कि बीजेपी के लोग मेरे क्लबहाउस चैट को अपने नेताओं के संबोधन से अधिक महत्व देते हैं। यह हमारे चैट का एक छोटा हिस्सा है। उनसे अपील है कि पूरा हिस्सा जारी करें।’

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर पश्चिम बंगाल में तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) सुप्रीमो ममता बनर्जी और उनकी पार्टी के चुनावी प्रबंधन को देख रहे हैं। इसी बीच शनिवार (अप्रैल 10, 2021) को उनका ‘खान मार्किट’ के पत्रकारों से ‘क्लबहाउस’ एप पर बात करते हुए ऑडियो वायरल हुए, जिसमें उन्होंने मोदी लहर को स्वीकार किया था। एक तरह से ‘लुटियंस पत्रकारों’ के साथ संवाद में प्रशांत किशोर ने बंगाल में ममता बनर्जी की संभावित हार को कबूल किया।

‘क्लबहाउस’ प्रकरण से पिटी भद को बचाने के लिए प्रशांत किशोर ने डैमेज कंट्रोल की कोशिश की है। इसमें उनका साथ दिया ‘लिबरल गिरोह’ के जाने-माने पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने, जो फेक न्यूज़ फैलाने में माहिर हैं। राजदीप के साथ बातचीत में प्रशांत किशोर ने उलटा ममता बनर्जी और TMC को ही जिम्मेदार ठहरा दिया, अगर 2 मई को होने वाली मतगणना में उनकी हार होती है।

प्रशांत किशोर ने अब कहा है कि राजनीतिक दल अपनी आंतरिक मजबूती, नेतृत्व और अपने द्वारा किए और न किए गए कार्यों के कारण हारती तथा जीतती हैं। उन्होंने खुद के बारे में बात करते हुए कहा कि उनके जैसे लोग सिर्फ हार या जीत के अंतर पर फर्क डालने के लिए होते हैं। इस पर राजदीप सरदेसाई ने उनसे सवाल पूछा कि क्या वो किसी हारती हुई लड़ाई को जीत में बदल सकते हैं या नहीं? इस पर PK ने जवाब दिया कि एकदम नहीं।

चुनावी रणनीतिकारों से कोई जादूगर की तरह कार्य करने की अपेक्षा नहीं करता है, लेकिन प्रशांत किशोर स्पष्ट रूप से कह रहे हैं कि पार्टियाँ खुद के कामों से हारती-जीतती हैं, न कि किसी रणनीतिकार की वजह से। हार या जीत के लिए पार्टियाँ खुद जिम्मेदार हैं। कुछ दिनों पहले वो ‘क्लबहाउस’ में भी स्वीकार कर चुके हैं कि TMC के आंतरिक सर्वे में भी भाजपा जीत रही है।

कुछ महीनों पहले प्रशांत किशोर द्वारा दिए गए बयान को याद कीजिए। उन्होंने कहा था कि अगर पश्चिम बंगाल में भाजपा दोहरे अंकों के आँकड़े को पार कर जाती है तो वो बतौर चुनावी रणनीतिकार अपने काम को छोड़ देंगे। प्रशांत किशोर को अब पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की चुनावी प्रचार अभियान के रणनीति की जिम्मेदारी भी सँभालनी है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस बुरी तरह फेल हुई। तब प्रशांत पार्टी के ही साथ थे।

प्रशांत किशोर को लेकर मीडिया में हाइप भी इसीलिए बनी थी, क्योंकि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए 2014 लोकसभा चुनाव में काम किया था। उन्होंने मीडिया के कुछ हिस्से को अपने साथ लेकर अपनी कंपनी की ब्रांडिंग शुरू की। लोगों का मानना है कि 2014 लोकसभा चुनाव में सारी रणनीति पीएम मोदी की थी और कमाल उनके चेहरे की लोकप्रियता का था। प्रशांत किशोर जैसों को तो बस कुछ टास्क दिए गए थे।

बता दें कि वायरल ऑडियो में ऑडियो में प्रशांत किशोर ने माना कि लोग मोदी को वोट कर रहे हैं। बंगाल की आबादी के 27% SC और मतुआ सभी भाजपा के लिए वोट कर रहे हैं। उन्होंने कहा था, “भाजपा को मोदी और हिंदू फैक्टर के कारण वोट मिल रहे हैं। शुभेंदु अधिकारी के बाहर निकलने या मेरे प्रवेश का चुनाव परिणामों पर कोई असर नहीं है। यहाँ 1 करोड़ से अधिक हिंदी भाषी लोग हैं और 27% अनुसूचित जाति हैं। ये सभी भाजपा के साथ खड़े हैं।”