ट्रिपल तलाक बिल के पक्ष में 245 और खिलाफ 11 वोट पड़े

कांग्रेस के सांसद मांग कर रहे थे कि ट्रिपल तलाक बिल को जॉइंट सलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए, लेकिन ऐसा नहीं होने के बाद विरोध में उन्होंने वॉकआउट किया

लंबी चर्चा के बाद आखिरकार लोकसभा से ट्रिपल तलाक बिल को हरी झंडी मिल गई है. ट्रिपल तलाक बिल के पक्ष में 245 और खिलाफ 11 वोट पड़े हैं. बिल पर वोटिंग से पहले कांग्रेस और AIADMK ने वॉकआउट किया.

कांग्रेस के सांसद मांग कर रहे थे कि ट्रिपल तलाक बिल को जॉइंट सलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए, लेकिन ऐसा नहीं होने के बाद विरोध में उन्होंने वॉकआउट किया.

इससे पहले कांग्रेस नेता सुष्मिता देव ने कहा था कि ट्रिपल तलाक पर प्रतिबंध लगाकर मुस्लिम महिलाओं की समस्याओं को हल नहीं किया जा सकता. उसे जीवन यापन करने में मदद नहीं मिलेगी. जबकि पुरुष जेल में है और यह गारंटी नहीं देगा कि वह अपने पति के साथ वापस आ सकती है, क्योंकि ट्रिपल तालक गैरकानूनी है.

आगे बोलते हुए उन्होंने कहा था शाहबानो से लेकर शायराबानो तक हमारे पास कई उदाहरण हैं जिसमें पुरुषों ने आराम से कानूनन उन्हें तलाक दे दिया.

इसके जवाब में बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा था कि विश्वास के बावजूद, महिलाओं को स्वाभाविक रूप से बिना कारण तलाक नहीं चाहिए. महिलाएं भी खुश वैवाहिक जीवन जीना चाहती हैं. ईसाई, हिंदू महिलाओं की तरह वह भी अपना वैवाहिक जीवन बचाना चाहती हैं. पुरुषों को अपनी पत्नी को तलाक देने और उसे त्यागने का सर्वोच्च अधिकार नहीं दिया जा सकता है. तीन तलाक से सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश से सामने आते हैं.

इस दौरान केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा था कि जब इनके पास मौका था तो वो महिलाएं जो प्रताड़ित की जा रही थीं तो ये लोग उनके पक्ष में क्यों नहीं खड़े हुए. 477 बहनें ऐसी है जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी ट्रिपल तलाक की शिकार हुई हैं. यदि किसी बहन के साथ ऐसा हो तो हमारी जिम्मेदारी है उसे न्याय दिलाना. इस देश ने वो मंजर भी देखा जब ये कहा गया कि अगर दहेज लिया या दिया जाता है तो इसमें सरकार का क्या काम, लेकिन वो खत्म हुआ.

स्मृति ईरानी ने कहा था कि तलाक-ए-बिद्दत एक क्रिमिनल एक्ट है. प्रधानमंत्री का विशेष अभिनंदन करती हूं, क्योंकि आपने राजनीति के मकसद से इसकी शुरुआत नहीं की. इंसाफ को अब तक देर हुई है, लेकिन अब वक्त खत्म हो गया है.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 477 महिलाएं ट्रिपल तलाक की शिकार हुईं- स्मृति ईरानी

तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) की प्रथा पर रोक लगाने के मकसद से लाए गए विधेयक पर गुरुवार यानि आज लोकसभा में चर्चा हो सकती है. पिछले सप्ताह सदन में इस पर सहमति बनी थी कि 27 दिसंबर को विधेयक पर चर्चा होगी. इससे पहले कांग्रेस ने इस पर सहमति जताई थी कि वह ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2018’ पर होने वाली चर्चा में भाग लेगी. दरअसल, लोकसभा में पिछले सप्ताह जब मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक- 2018 चर्चा के लिए लाया गया था तो सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सुझाव दिया था कि इस पर अगले सप्ताह चर्चा कराई जाए.  इस पर संसदीय कार्य मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विपक्ष से आश्वासन मांगा था कि उस दिन बिना किसी बाधा के चर्चा होने दी जाएगी.

बीजेपी और कांग्रेस ने लोकसभा के अपने सदस्यों को व्हिप जारी किया

इस पर खड़गे ने कहा था, ‘मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि इस विधेयक पर 27 दिसंबर को चर्चा कराइए. हम सभी इसमें हिस्सा लेंगे. हमारी पार्टी और अन्य पार्टियां भी चर्चा के लिए तैयार हैं. वहीं इस पर बीजेपी और कांग्रेस ने लोकसभा के अपने सदस्यों को व्हिप जारी किया है और चर्चा के दौरान सदन में उपस्थित रहने के लिए कहा है. अध्यादेश सितंबर में लाया गया था, जिसके अंतर्गत त्वरित तीन तलाक को भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध माना गया था. मोदी कैबिनेट ने इस बिल में 9 अगस्त को तीन संशोधन किए थे, जिसमें जमानत देने का अधिकार मजिस्ट्रेट के पास होगा और कोर्ट की इजाजत से समझौते का प्रावधन भी होगा.

पहला संशोधन: इसमें पहले का प्रावधान था कि इस मामले में पहले कोई भी केस दर्ज करा सकता था. इतना ही नहीं पुलिस खुद की संज्ञान लेकर मामला दर्ज कर सकती थी. लेकिन अब नया संशोधन ये कहता है कि अब पीड़िता, सगा रिश्तेदार ही केस दर्ज करा सकेगा.

दूसरा संशोधन: इसमें पहले का प्रावधान था कि पहले गैर जमानती अपराध और संज्ञेय अपराध था. पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती थी लेकिन अब नया संशोधन यह कहता है कि मजिस्ट्रेट को जमानत देने का अधिकार होगा.

तीसरा संशोधन: इसमें पहले का प्रावधान था कि पहले समझौते का कोई प्रावधान नहीं था लेकिन अब नया संशोधन ये कहता है कि मजिस्ट्रेट के सामने पति-पत्नी में समझौते का विकल्प भी खुला रहेगा.

अंतर-मंत्रालयी समूह ने विधेयक का मसौदा तैयार किया था

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले साल 15 दिसंबर को ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक’को मंजूरी प्रदान की थी. गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाले अंतर-मंत्रालयी समूह ने विधेयक का मसौदा तैयार किया था. इस समूह में वित्त मंत्री अरुण जेटली, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और कानून राज्य मंत्री पी पी चौधरी शामिल थे. 22 अगस्त 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने एक बार में तीन तलाक को गैरकानूनी और असंवैधानिक करार दिया था.

इस साल एक बार में तीन तलाक के 177 मामले सामने आए थे 

प्रस्तावित कानून के मसौदे के अनुसार किसी भी तरह से दिए गए तीन तलाक को गैरकानूनी और अमान्य माना जाएगा, चाहे वह मौखिक अथवा लिखित तौर पर दिया गया हो या फिर ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सऐप जैसे इलेक्ट्रानिक माध्यमों से दिया गया हो. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले इस साल एक बार में तीन तलाक के 177 मामले सामने आए थे और फैसले के बाद 66 मामले सामने आए. इसमें उत्तर प्रदेश सबसे आगे रहा. इसको देखते हुए सरकार ने कानून की योजना बनाई.

संसद की कार्यवाही LIVE UPDATES:

  • 16:59(IST)केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि तलाक-ए-बिद्दत एक क्रिमिनल एक्ट है. प्रधानमंत्री का विशेष अभिनंदन करती हूं, क्योंकि आपने राजनीति के मकसद से इसकी शुरुआत नहीं की. इंसाफ को अब तक देर हुई है, लेकिन अब वक्त खत्म हो गया है.
  • 16:54(IST)स्मृति ईरानी ने किया कांग्रेस पर हमलाजब इनके पास मौका था तो वो महिलाएं जो प्रताड़ित की जा रही थीं तो ये लोग उनके पक्ष में क्यों नहीं खड़े हुए. 477 बहनें ऐसी है जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी ट्रिपल तलाक की शिकार हुई हैं. यदि किसी बहन के साथ ऐसा हो तो हमारी जिम्मेदारी है उसे न्याय दिलाना. इस देश ने वो मंजर भी देखा जब ये कहा गया कि अगर दहेज लिया या दिया जाता है तो इसमें सरकार का क्या काम, लेकिन वो खत्म हुआ: स्मृति ईरानी
  • 16:41(IST)टीडीपी एमपी ने कहा कि सरकार को पुरुषों को महिलाओं की रक्षा करने पर ध्यान देना चाहिए. बीजेपी सरकार में पुरुष-महिलाओं के साथ लिचिंग की घटनाएं सामने आ रही हैं. उन्होंने यह भी कहा कि ट्रिपल तलाक बिल जम्मू-कश्मीर में भी लागू होना चाहिए.
  • 15:52(IST)बाल विवाह और सती प्रथा भी तो खत्म हुआ. बाल विवाह के खिलाफ भी आवाज उठी थी तो वो भी खत्म हुआ. उस वक्त भी कुछ लोगों ने इसे मजहब से जोड़ा था, लेकिन वो खत्म हुआ हमारे देश के लोगों ने खत्म किया. आज कौन सी समस्या आ गई जो हम उसका विरोध कर रहे हैं: मुख्तार अब्बास नकवी
  • 15:11(IST)कांग्रेस को मीनाक्षी लेखी का जवाब-बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि विश्वास के बावजूद, महिलाओं को स्वाभाविक रूप से बिना कारण तलाक नहीं चाहिए. महिलाएं भी खुश वैवाहिक जीवन जीना चाहती हैं. ईसाई, हिंदू महिलाओं की तरह वह भी अपना वैवाहिक जीवन बचाना चाहती हैं. पुरुषों को अपनी पत्नी को तलाक देने और उसे त्यागने का सर्वोच्च अधिकार नहीं दिया जा सकता है. तीन तलाक से सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश से सामने आते हैं.
  • 14:58(IST)कांग्रेस नेता ने किया ट्रिपल तलाक का विरोधकांग्रेस नेता सुष्मिता देव ने कहा कि ट्रिपल तलाक पर प्रतिबंध लगाकर मुस्लिम महिलाओं की समस्याओं को हल नहीं किया जा सकता. उसे जीवन यापन करने में मदद नहीं मिलेगी. जबकि पुरुष जेल में है और यह गारंटी नहीं देगा कि वह अपने पति के साथ वापस आ सकती है, क्योंकि ट्रिपल तालक गैरकानूनी है.आगे बोलते हुए उन्होंने कहा शाहबानो से लेकर शायराबानो तक हमारे पास कई उदाहरण हैं जिसमें पुरुषों ने आराम से कानूनन उन्हें तलाक दे दिया.
  • 14:42(IST)RSP नेता एनके प्रेमचंद्रन ने भी ट्रिपल तलाक बिल का विरोध किया. उन्होंने कहा कि सरकार ये बिल गुप्त रूप से ला रही है. 
  • 14:38(IST)AIADMK नेताओं ने कावेरी मुद्दे पर नारे लगाए. तमिलनाडु नेताओं ने मेडाकोट्टु मुद्दा भी उठाया. इस दौरान स्पीकर ने शांति बनाए रखने के लिए कहा.
  • 14:29(IST)कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकसभा में कहा कि यह बेहद जरूरी बिल है जिसके बारे में गहन अध्य्यन होना चाहिए. इसके साथ ये संवैधानिक मामला भी है. मैं बिल को जॉइंट सलेक्ट कमेटी के पास भेजने का आग्रह करता हूं. 
  • 14:23(IST)कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस दौरान कहा कि 20 इस्लामिक राष्ट्रों ने ट्रिपल तलाक पर प्रतिबंध लगा दिया है, तो हमारे जैसा धर्म निरपेक्ष ऐसा क्यों नहीं कर सकता? मेरा अनुरोध है कि इसे राजनीति के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए.
  • 14:20(IST) हमारी सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की बात करती है. मैं नारी सम्मान की बात करता हूं. तीन तलाक बिल का किसी धर्म से कोई लेना-देना नहीं है. बिल पर विपक्ष के साथ चर्चा को तैयार हैं: रविशंकर प्रसाद  
  • 14:08(IST)मामले की गंभीरता को देखते हुए लोकसभा की स्पीकर सुमित्रा महाजन ने मुस्लिम महिला ( विवाह पर अधिकार की सुरक्षा ) बिल 2018 पर चर्चा के लिए 4 घंटे का समय दिया है. 
  • 13:09(IST)लोकसभा की कार्यवाही फिर स्थगितराफेल डील पर विपक्ष का हंगामा जारी रहा. बीच में केरल से सांसद शशि थरूर ने केरल में आए बाढ़ की त्रासदी का मसला उठाया. उन्होंने केंद्र सरकार से बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आर्थिक पैकेज दिए जाने की मांग की. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 7,304 करोड़ रुपए की मांग की थी. लेकिन केंद्र से सिर्फ 100 करोड़ रुपए मिले हैं. इस बीच राफेल डील पर हंगामा जारी रहा और लोकसभा की कार्यवाही 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.
  • 11:51(IST)राज्यसभा की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगितराज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने के थोड़ी ही देर बाद हंगामा के चलते कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित हो गई. राज्यसभा के सभापति वैंकेया नायडू ने हंगामा शांत कराने की कोशिश की. लेकिन सदस्य नारे लगाते रहे. जिसके बाद उन्होंने कहा कि राज्यसभा की कार्यवाही चलने देने में किसी की रूचि नहीं है इसलिए इसे दिनभर के लिए स्थगित किया जाता है.
  • 11:47(IST)कांग्रेस तीन तलाक पर विधेयक का विरोध करेगीमल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि कांग्रेस तीन तलाक विधेयक का विरोध करेगी. उन्होंने कहा कि वो हमलोग चर्चा में हिस्सा लेंगे लेकिन पुराने विचार पर अब भी कायम हैं. हम सरकार से अपील करेंगे कि वो धार्मिक मसलों में हस्तक्षेप न करे. अब वो विधेयक को स्टैंडिंग कमिटी को भेजेंगे या नहीं ये उनपर निर्भर करता है.
  • 11:43(IST)लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा था कि वो तीन तलाक की चर्चा में हिस्सा लेंगे. लेकिन लोकसभा की कार्यवाही शुरू हुई तो कांग्रेस के सांसद राफेल डील पर हंगामा करने लगे. लोकसभी स्पीकर सुमित्रा महाजन ने खडगे को याद दिलाया कि उन्होंने कहा था कि तीन तलाक पर चर्चा में कांग्रेस के सांसद सही तरीके से हिस्सा लेंगे. स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कहा कि राफेल डील के मुद्दे को 12 बजे उठा सकते हैं. लेकिन विपक्षा का हंगामा जारी रहा. जिसके बाद लोकसभा की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि तीन तलाक का दुरुपयोग हो रहा है. मुस्लिम महिलाओं को कभी ईमेल से तो कभी वाट्सएप से तलाक दिया जा रहा है इसलिए सरकार ने इसपर रोक लगाने के मकसद से तीन तलाक बिल पेश किया. 

NIA busts IS terror module after raids in Delhi, UP

In the summer of 2016, with the spectacular ravines of the Euphrates stretching out in the background, a soft-spoken eye-hospital technician from Mumbai spoke to India from the Islamic State’s capital at al-Raqqa.

“Do you not remember the serial blasts on the trains in Bombay?”

“Have you forgotten the serial blasts in Gujarat? Have you forgotten the destruction in Delhi and in Jaipur?

“We will deliver unto you a reckoning far more terrible than these… and will wage war upon you until polytheism is destroyed in India, and Allah’s rule is established,” he warned.

Like most of the 70-odd Indians who went to fight among the ranks of the Islamic State, Abu Rashid is almost certainly interred under the ruins of Raqqa or Mosul. But their dystopia didn’t.

Wednesday’s arrests by the National Investigations Agency in Delhi and Uttar Pradesh, preempting what officials say were plans to stage bombings in New Delhi over the New Year, demonstrate the Islamic State’s jihadist call is seducing some young Muslims in a time of deepening communal fractures.

Ever since 2009, over 91 jihadist cells have been dismantled by the NIA, which deals mainly with cases having pan-India significance; 63 of those have come since 2015. The Islamic State has been the biggest single contributor to this basket with 24 cases. Twenty-three of these cells were from Kashmir while 43 included other jihadist groups put together.

Wednesday’s arrests have provided some important insights into the nature of the threat. Incensed by what he perceived to be growing state-abetted violence against Muslims, NIA sources say, Delhi-born cleric Mufti Muhammad Suhail — code-named Hazrat or Prophet — mobilised young men and recruited them through his mosque in Amroha.


The cell, the NIA believes, was mentored by an Islamic State supporter overseas, likely in Pakistan — though they have so far been unable to dig out evidence of his identity through the mass of encrypted messaging the group used to communicate.

Earlier Islamic State cells in India have had little operational success. Barring a 17 March, 2017, bombing on board a Bhopal-Ujjain bus, there has been no operation of significant scale.

But this time, the cell meant business. Helped by nothing but internet research, NIA investigators believed, the men had gathered 25 kilogrammes of potassium nitrate, ammonium nitrate, sugar and sulphur — easily turned into low-grade explosives — meant to be packed inside metal lunch-boxes, and detonated using simple remote-controlled devices. The cell had gathered 12 pistols, 150 rounds of ammunition, and even assembled a simple rocket-launcher.

Put simply, this the first Islamic State group that had acquired the necessary elements for true lethality. Had the Telangana Police’s counter-terrorism unit, regarded as the most sophisticated operational unit of its kind in India, not broken into their digital conversations, this New Year would have looked very different.

New Delhi: National Investigation Agency (NIA) takes away a suspect arrested during its raids at a house in Seelampur in connection with its probe into a new Islamic State-inspired module, ‘Harkat ul Harb e Islam’, in New Delhi, Wednesday, Dec 26, 2018. (PTI Photo) (PTI12_26_2018_000118B)

Muhammad Suhail may have been a cleric, as was his aide and alleged weapons-procurer Saqib Iftekar, but the men the two recruited weren’t. Delhi resident Anas Yunus, alleged to have purchased the electrical components for the bombs, studies civil engineering at a university in Noida; Zubair Malik, who allegedly bought SIM cards for the plot is in the final year of a Bachelor’s programme in a New Delhi university. His brother, Zaid Malik, also accused of purchasing SIM cards and components, also has a university education.

The brothers Saeed Ahmed and Raees Ahmed, accused of purchasing the explosive material and fabricating the rocket-launcher, run a welding workshop in Islam Nagar.

Also accused are: garments business owner Rashid Zafar Raq, auto-rickshaw driver Muhammad Irshad, and medical-store owner Mohammad Azam. According to investigators, the group even included a middle-aged woman, who was given the charge of safely keeping the ₹7.5 lakh in cash that the group raised among themselves and from their supporters. However, it is unclear if she knew what it was intended for.

From the government’s data, it’s clear that those drawn to the Islamic State’s ideology aren’t the stereotypical madrasa-educated fanatics. Instead, they are members of the Muslim middle class, who the government says are deeply attached to the Indian democracy.

Estimates based on government data show that almost three in four Islamic State suspects arrested on terrorism charges — 68 percent — came from middle-class backgrounds while a similar percentage had a university or post-graduate degree. Eleven percent, a small sub-set, had some kind of religious education.

In interrogations by the NIA, half the suspects said communalism — ranging from riots to compulsory yoga practice — led them to join the Islamic State. Barely half of them cited the global Islamist project that underpins the Islamic State.

Counter-terrorism experts around the world have learned that it doesn’t take more than an internet connection and some common sense to turn those ideas into dead bodies.
His face masked with a white handkerchief, an assault rifle cradled in his lap, and wearing the combat fatigues in which he would be buried, Muhammad Taufiq delivered his only testament in the rolling accent of the Deccan:

“Twenty-five years ago, our enemies destroyed a mosque, but their eyes were not only on the Babri Masjid. These perfidious Hindus will keep changing their tactics until their mission is accomplished — and that mission is the elimination of every last Muslim.”

Three months later, Taufiq was dead, killed in a shootout with an al-Qaeda cell in Jammu and Kashmir. He’d been twice caught trawling Islamic State websites, and counselled by the police in Hyderabad. Failing to make it to Syria, he chose to die in Kashmir.

Like so many other young jihadists, Taufiq wasn’t even born when the Babri Masjid was demolished — and could have chosen a different kind of future. His father works at the Department of Atomic Energy’s heavy water plant in Manuguru, a key part of India’s nuclear programme. Like his two other sons, Taufiq’s father has no connection to Islamist politics or jihadism.

Back in 2016, the Indian jihadists who appeared in the Islamic State video made much the same point. Aman Tandel, one of four Thane men who joined the jihad in Iraq, vowed to return home “with a sword in hand, to avenge the Babri Masjid, and the killings of Muslims in Kashmir, in Gujarat, and in Muzaffarnagar”.

The language is designed to provoke rage among Indians — but it should also be a reason for reflection, on why these young men ended up where they did.

Ever since December 1993, there have been successive waves of jihadist recruitment. That tragedy saw the rise of jihadists lead by Abdul Karim Tunda heading into the Lashkar-e-Taiba. Following 2002, another generation formed the Indian Mujahideen. And following the Indian Mujahideen’s collapse, many of its members — among them, Mumbai eye-hospital worker Ahmed — fled for the Afghanistan-Pakistan borderlands, and then Syria.

The small numbers involved in these violent groups, given India’s giant Muslim population, demonstrate their cause has no wide appeal. Yet, communal violence enables and legitimises the operations of successive waves of jihadist groups, drawing in young recruits who believe democracy has betrayed them. That, in turn, feeds and empowers the Hindu-nationalist range.

Each successive cycle of hatred makes the process more powerful, increasing the risk of large-scale violence that could tear the country apart. India’s police and intelligence services can take a bow— but the country needs to find a way to dismantle this perpetual motion machine of hatred if their efforts are to have meaning.

SC declines urgent hearing of BJP’s plea for ‘rath yatras’ in West Beng

‘Peaceful rally cannot be stopped on the basis of conjectures’

The Supreme Court on Monday refused urgent hearing on an appeal by the Bharatiya Janata Party (BJP) against the Calcutta High Court order’s denial of permission for rath yatra in West Bengal. According to news agency ANI, the Supreme Court registrar refused to accord urgent hearing before the vacation bench on an appeal by the BJP.

The lawyer associated with the plea said they have been informed by the apex court registry that the matter would be listed in the normal course. The top court is closed for winter vacations.

The party, which sought an urgent hearing on the petition, had planned to launch the yatra from three districts of the state.

The Division Bench of the Calcutta High Court comprising Chief Justice Debasish Kargupta and Justice Shampa Sarkar had sent the case back to the single bench to consider intelligence inputs given by the state agencies.

The division bench passed the order after hearing an appeal filed by the Mamata Banerjee government, challenging the single bench order.

The party approached the Supreme Court seeking permission to hold the campaign ‘Save Democracy Rally’, which would cover 42 parliamentary constituencies in the state ahead of the 2019 general elections.

The ruling Trinamool Congress government in the state had denied permission for the rath yatra on December 15 after much parleys on the grounds that it might lead to communal tension.

BJP to move SC against Calcutta High Court order restraining its ‘Rath Yatras’ in West Bengal

BJP President Dilip Ghosh said the party will continue to hold protest meets to condemn the state government’s attempts to stall the rath yatras. The party was scheduled to begin its rath yatras from December 7

A day after the division bench of Calcutta High Court stayed BJP’s rath yatraprogramme in West Bengal, the saffron party Saturday announced that it will move a vacation bench of the Supreme Court challenging the order, news agency ANI reported.

Earlier, BJP President Dilip Ghosh had said the party will continue to hold protest meets to condemn the state government’s attempts to stall the rath yatras.

The ruling TMC, however, had welcomed the division bench order. “We have full faith in the judiciary and we welcome the order. Those who will try to disrupt peace in the state in the name of taking out rath yatra will not be with dealt casually,” said TMC secretary-general Partha Chatterjee.

The BJP was scheduled to begin its rath yatras from December 7. On December 6, a Calcutta High Court single-judge bench had refused the BJP permission. The party had then approached the division bench, which asked the state Chief Secretary, Home Secretary and DGP to hold a meeting with three representatives of the BJP and take a decision by December 14.

On December 15, the administration refused permission, following which the BJP moved the HC again on Monday. Subsequently, the single-judge bench Thursday had allowed BJP to hold the rath yatra on certain conditions. It said that courts can “interfere” if the administration exercises its discretionary power in a “whimsical and unreasonable manner”.

‘याचना नहीं अब रण होगा, संघर्ष बड़ा भीषण होगा’: उपेंद्र कुशवाहा


कुशवाहा 2019 के लोकसभा चुनावों में इस बार पार्टी को महज दो सीटें दिए जाने से नाराज हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी ने 3 सीटों पर चुनाव लड़ा था और तीनों ही सीटों पर उसे जीत मिली थी


बीजेपी गठबंधन के सदस्य और आएलएसपी पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा अब आर पार की लड़ाई के मूड में हैं. इसी कारण वो अब खुलकर बीजेपी के खिलाफ बोल रहे हैं. कुशवाहा जी ने बीजेपी पर कई आरोप लगाए और उसे जुमला पार्टी तक कह डाला. इसके जवाब में बिहार सरकार में मंत्री और बीजेपी के नेता प्रमोद कुमार ने जहानाबाद में कहा कि- ‘बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लालू यादव भी बीजेपी को ‘जुमला’ पार्टी कहा करते थे. अब नीतीश कुमार कहां हैं और लालू यादव कहां?’


Bihar Minister & BJP leader Pramod Kumar in Jehanabad on Upendra Kushwaha calling BJP a ‘jumla’ party: Bihar CM Nitish Kumar & Lalu Yadav also used to call BJP a ‘jumla’ party, now where is Nitish Kumar & where is Lalu Yadav?


इसके पहले बिहार के मोतिहारी में पार्टी अधिवेशन में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए आरएलएसपी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया. कुशवाहा ने दिनकर की कविता का जिक्र करते हुए कहा, ‘याचना नहीं अब रण होगा, संघर्ष बड़ा भीषण होगा.’ कुशवाहा के इस बयान से साफ हो गया कि अब एनडीए के भीतर उनके लिए जगह नहीं है और उन्होंने अब सीधी लड़ाई का मन बना लिया है.

दरअसल, कुशवाहा 2019 के लोकसभा चुनावों में इस बार पार्टी को महज दो सीटें दिए जाने से नाराज हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी ने 3 सीटों पर चुनाव लड़ा था और तीनों ही सीटों पर उसे जीत मिली थी. लेकिन, अब जबकि जेडीयू की दोबारा एनडीए में वापसी हो गई है तो फिर कुशवाहा को महज 2 सीटें दी जा रही थीं. बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, कुशवाहा इसके लिए तैयार नहीं थे. उनका दावा था कि अब उनकी पार्टी का जनाधार पांच सालों में पहले से बढ़ गया है, लिहाजा उनकी हिस्सेदारी ज्यादा होनी चाहिए.

पश्चिम बंगाल सरकार ने सत्ता का गलत इस्तेमाल कर पश्चिम बंगाल में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को दबाया है: अमित शाह


अमित शाह ने कहा ‘सत्ता का गलत इस्तेमाल कर पश्चिम बंगाल में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को दबाया गया है. मुख्यमंत्री इस ट्रेंड का पालन कर रहे हैं. यह गैर-लोकतांत्रिक है.’


बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की कूचबिहार में रैली और रथयात्रा को स्थगित करने का फैसला लिया था. गुरुवार को इस मुद्दे पर बोलते हुए शाह ने कहा कि बंगाल में यात्रा निकालने से कोई नहीं रोक सकता.

अमित शाह ने कहा ‘सत्ता का गलत इस्तेमाल कर पश्चिम बंगाल में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को दबाया गया है. मुख्यमंत्री इस ट्रेंड का पालन कर रहे हैं. यह गैर-लोकतांत्रिक है.’


BJP President Amit Shah on permission for Rath Yatra in West Bengal: A democratic process has been suppressed in West Bengal, with the misuse of power. The CM is following this trend. This is non-democratic.


उन्होंने कहा ‘ममता बनर्जी को डर है कि अगर बीजेपी तीनों रैली पश्चिम बंगाल और कोलकाता में करती है तो राज्य में बदलाव की नींव पड़ जाएगी. इसलिए उन्होंने ये रैलियां रोकी हैं.’



बीजेपी अध्यक्ष ने कहा ‘पंचायत चुनाव के बाद, ममता बनर्जी को बीजेपी का डर है और इसलिए उन्होंने रथ यात्रा रोकने का फैसला किया. मवेशी से लेकर कोयला तक माफिया काम कर रहे हैं और टीएमसी के मंत्री उनकी मदद कर रहे हैं.’


BJP President Amit Shah: After the Panchayat elections, Mamata Banerjee is scared of BJP & this is why she has stopped the Rath yatra. In every sector starting from cattle to coal, mafias are working & TMC ministers are supporting them.


उन्होंने कहा ‘हम हर चीज कानून करेंगे और तीन रैली भी आयोजित करेंगे. रैली रद्द नहीं हुई हैं बस तारीख आगे बढ़ गई है. यात्रा अपने समय से पश्चिम बंगाल के प्रत्येक हिस्से में जाएंगी. मैं कल पश्चिम बंगाल जाउंगा.’


BJP President Amit Shah: We will do everything legally and we will conduct three rallies.The rallies have not been cancelled but postponed. Yatra as scheduled will go to every part of West Bengal.I will go to West Bengal tomorrow.


कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक दिन पहले बीजेपी को कूचबिहार में ‘ रथयात्रा ‘ निकालने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था क्योंकि राज्य सरकार ने ऐसा होने पर हिंसा का अंदेशा जताया था.

ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए शाह ने आरोप लगाया कि देश में सबसे ज्यादा सियासी हत्याएं राज्य में हुई हैं.

Bengal BJP chief’s vehicle attacked, TMC blamed

Dilip Ghosh was attacked when he was on his way to Mathabhanga in Cooch Behar district to attend the party’s Rathyatra.

West Bengal:

Bharatiya Janata Party president Dilip Ghosh’s vehicle was attacked Thursday at Sitalkuchi area of Cooch Behar district by unidentified miscreants.

Mr. Ghosh is in the district to take part in the saffron party’s ‘Rathyatra’. He was attacked when he was on his way to Mathabhanga in the district.

“TMC leaders attacked my car and shouted slogans demanding that I should go back. Some of my party workers were injured during the violence. The police were watching merely as mute spectators,” he said after the incident at Sitai More in Sitalkuchi.

Senior TMC leader Rabindranath Ghosh termed the allegation as baseless and said the attack was a fallout of infighting in BJP.

The district police administration said they are looking into the incident.

Save Democracy Rally

BJP president Amit Shah is scheduled to kickstart the party’s ‘Save Democracy Rally’, comprising three ‘Rath Yatras’, in the state.

BJP has claimed that the Rath Yatra would be a “game changer” in West Bengal politics and Shah had set a target of winning 22 out of 42 Lok Sabha seats in the state.

Apart from Prime Minister Narendra Modi and Shah, several top BJP leaders and chief ministers such as Rajnath Singh, Arun Jaitley, Nitin Gadkari, Nirmala Sitharaman, Raman Singh, Yogi Adityanath, Uma Bharati and Giriraj Singh will participate in the campaign.

Mr. Modi is likely to attend four rallies to give a thrust to the party’s campaign in the state ahead of the 2019 Lok Sabha polls.

India to import Iranian crude oil using rupee payment mechanism


Oil refiners such as state-owned Indian Oil Corp (IOC) and Mangalore Refinery and Petrochemicals Ltd (MRPL) could use UCO Bank Bank to route oil payments to Iran.

India’s state-owned UCO Bank is expected to announce the payment mechanism in the next 10 days


New Delhi:

India will import crude oil from Iran using a rupee-based payment mechanism, an industry source told media persons  on Thursday, adding that 50 percent of those payments will be used for exporting items to Tehran.

The United States last month re-imposed sanctions on Iran’s oil exports to punish Tehran for its involvement in several Middle Eastern conflicts.

Accordingly, India has signed an agreement with Iran to pay for crude oil it imports from the Persian Gulf nation in rupees, sources in know of the development said.

Representational image

The memorandum of understanding (MoU) was signed following the US letting India and seven other nations to keep buying Iranian oil despite sanctions were reimposed on the Islamic state on 5 November.

Sources said Indian refiners will make rupee payments in a UCO Bank account of the National Iranian Oil Co (NIOC).

Half of these funds would be earmarked for settling payments for exports of Indian goods to Iran, they said.

Under the 180-day exemption, India is allowed to import a maximum of 300,000 barrels a day of crude oil. This compares to an average daily import of about 560,000 barrels this year.

India, which is the second biggest purchaser of Iranian oil after China, has since then restricted its monthly purchase to 1.25 million tonne or 15 million tonne in a year (300,000 barrels per day), down from 22.6 million tonne (452,000 barrels per day) bought in 2017-18 financial year, sources said.

Two of its refiners — Indian Oil Corp (IOC) and Mangalore Refinery and Petrochemicals Ltd (MRPL) — bought 1.25 million tonne of oil from Iran in November and December.

India, the world’s third biggest oil consumer, meets more than 80 percent of its oil needs through imports. Iran is its third largest supplier after Iraq and Saudi Arabia and meets about 10 percent of total needs.

US President Donald Trump in May withdrew from the 2015 nuclear accord with Iran, re-imposing economic sanctions on the Persian Gulf nation. Some sanctions took effect from 6 August, while those affecting the oil and banking sectors will start from 5 November.

Prior to this, India paid its third largest oil supplier in euros using European banking channels. These channels got blocked from November.

During the first round of sanctions when EU joined the US in imposing financial restrictions, India initially used a Turkish bank to pay Iran for the oil it bought. Beginning February 2013, India paid 45 percent of the oil import bill in rupees while keeping the remainder pending till the opening of payment routes. It began clearing the dues in 2015 when the restrictions were eased.

Sources said New Delhi may export goods, including wheat, soybean meal and consumer products, to Iran during the exemption period.

Iran was the India’s second biggest supplier of crude oil after Saudi Arabia till 2010-11 but Western sanctions over the Persian Gulf nation’s suspected nuclear programme relegated it to the seventh spot in the subsequent years. In 2013-14 and 2014-15, India bought 11 million tonne and 10.95 million tonne crude, respectively from Iran.

Sourcing from Iran increased to 12.7 million tonne in 2015-16, giving it the sixth spot. In the following year, the Iranian supplies jumped to 27.2 million tonne to catapult it to the third spot.

Iranian oil is a lucrative buy for refiners as the Persian Gulf nation provides 60 days of credit for purchases, terms not available from suppliers of substitute crude — Saudi Arabia, Kuwait, Iraq, Nigeria and the US.

Besides blocking of banking channels from November, shipping firms are unwilling to transport Iranian oil. To get around this, Iran is using its own ships to transport crude to India. Its insurance companies are also providing insurance cover for such shipments, sources added.

किसान मार्च राजनैतिक और मोदी विरोध ही है


दरअसल, किसान मुक्ति मार्च की पूरी कवायद से भी साफ लग रहा है कि विरोधी पार्टियां और संगठन मिलकर किसानों के मुद्दे पर भी मोदी विरोधी एक मंच तैयार करना चाहते हैं.


किसान मुक्ति मार्च के दूसरे दिन दिल्ली के रामलीला मैदान से संसद का घेराव करने के लिए सुबह-सुबह किसानों का जत्था निकल पड़ा. अलग-अलग प्रदेशों और क्षेत्रों से आए किसान अपनी अलग-अलग टोलियों में किसान एकता का नारा लगाते संसद मार्ग की तरफ बढ़ रहे थे, जिसके आगे जाकर संसद का घेराव करने की इजाजत नहीं दी गई थी.

किसान मुक्ति मार्च के नेताओं का दावा है कि इस मार्च में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक किसान पहुंचे थे. ऐसा दिख भी रहा था. तमिलनाडु से आए किसानों ने तो मंच के बिल्कुल नीचे होकर अपने शरीर के कपड़े उतारकर सरकार की किसान विरोधी नीतियों का विरोध किया. तमिलनाडु से आए किसान सुरेंद्र जैन ने फ़र्स्टपोस्ट से बातचीत के दौरान साफ तौर पर कहा कि सरकार न ही एमएसपी का डेढ़ गुना दाम दे रही है और न ही हमारा कर्ज माफ कर रही है.

इसी तरह बिहार के बाढ़ से आए शिवनंदन ने भी सरकार पर वादे से मुकरने का आरोप लगाया. फ़र्स्टपोस्ट से बातचीत के दौरान शिवनंदन का कहना था कि एमएसपी के डेढ़ गुना दाम देने की बात तो सरकार कहती है लेकिन, इसको लागू नहीं कर पा रही है. इनकी शिकायत है कि जमीन पर हालात इन दावों से अलग हैं. उनकी तरफ से भी सरकार से किसानों की कर्जमाफी की मांग की गई.

इसी तरह यूपी से लेकर मध्य प्रदेश तक, पंजाब से लेकर हरियाणा तक और महाराष्ट्र से लेकर राजस्थान तक के किसान इस मार्च में हिस्सा लेने पहुंचे थे. सबकी तरफ से एक ही नारा और एक ही मांग थी किसानों की मांगों को पूरी करो, वरना इसका अंजाम बुरा होगा.

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले देशभर के 200 से भी ज्यादा किसान संगठनों ने इस मार्च में हिस्सा लिया, जिसका नेतृत्व स्वराज इंडिया के संरक्षक योगेंद्र यादव ने किया था. किसानों की दो मांगें थीं, पहला किसानों की कर्जमाफी के लिए एक बिल को पास कराना और दूसरा लागत के डेढ़ गुना एमएसपी दिलाने के लिए बिल को पास कराना. संघर्ष समिति ने मंच से सरकार से किसानों के हक और हित में इन दो बिल को पास कराने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है.


पूरे किसान मार्च का नेतृत्व कर रहे योगेंद्र यादव ने भी इस मंच से मोदी सरकार के खिलाफ बिगुल फूंक दिया. उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जो पार्टी इस मंच से किसानों की इन दो मांगों के समर्थन में खड़ी पार्टियों को किसान हितैषी और इस रैली में शामिल नहीं होने वाली पार्टियों को किसान विरोधी तक कह डाला. किसान मुक्ति मार्च में कोशिश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसान विरोधी बताने की थी.


जब मंच पर इस तरह सरकार विरोधी बात हो और मंच के नीचे देश के अलग-अलग कोने से आए किसान और किसानों के संगठन के लोग हैं तो फिर विरोधी पार्टियां भला कैसे पीछे रह सकती हैं. देखते ही देखते किसानों के समर्थन में और सरकार के विरोध में सभी विपक्षी दलों का जमावड़ा लग गया.

लेफ्ट के नेता सीताराम येचुरी से लेकर डी. राजा तक और फिर एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, एलजेडी नेता शरद यादव, एसपी नेता धर्मेंद्र यादव, आप से संजय सिंह, एनसी के फारूक अब्दुल्ला, टीएमसी से दिनेश त्रिवेदी भी मंच पर पहुंचे. इसके अलावा टीडीपी और आऱएलडी के भी नेता इस मार्च में पहुंचे. सबने एक सुर में किसानों की मांगों का समर्थन किया.

लेकिन, अंत में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस आंदोलन में किसानों के सुर में सुर मिलाकर माहौल को और गरमा दिया. राहुल गांधी ने मोदी सरकार को किसान विरोधी बताते हुए कहा, ‘मोदी जी ने कहा था कि एमएसपी बढ़ेगी, पीएम ने बोनस का भी वादा किया था, लेकिन हालात पर नजर डालें, सिर्फ झूठे वादे किए गए थे और कुछ नहीं.’

राहुल गांधी ने कहा ‘आज हिंदुस्तान के सामने दो बड़े मुद्दे हैं. एक मुद्दा हिंदुस्तान में किसान के भविष्य का मुद्दा, दूसरा देश के युवाओं के भविष्य का मुद्दा. पिछले साढ़े चार साल में नरेंद्र मोदी ने 15 अमीर लोगों का कर्जा माफ किया है. अगर 15 अमीर लोगों का कर्जा माफ किया जा सकता है तो किसानों का कर्ज माफ क्यों नहीं किया जा सकता?’


राहुल गांधी के अलावा अरविंद केजरीवाल ने भी इस मंच पर आने के बाद सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. केजरीवाल ने सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाते हुए कहा, ‘जिस देश के अंदर किसानों को आत्महत्या करनी पड़ी, जिस देश का किसान खुद भुखमरी का शिकार हो.


ऐसा देश कभी तरक्की नहीं कर सकता. बीजेपी ने किसानों से जो वादे किए उससे वो मुकर गई. किसानों को 100 रुपए में से 50 रुपए मुनाफा देने की बात बीजेपी कह रही थी. सबसे पहले किसानों का जितना कर्ज है वो सारा कर्ज माफ होना चाहिए. दूसरी मांग किसानों को फसल का पूरा दाम मिलना चाहिए’

राहुल और केजरीवाल के अलावा लेफ्ट नेता सीताराम येचुरी और शरद पवार सहित सभी नेताओं ने किसानों की दोनों मांगों का समर्थन करते हुए मोदी सरकार को अगले चुनाव में नतीजे भुगतने की चेतावनी भी दी.

दरअसल, किसान मुक्ति मार्च की पूरी कवायद से भी साफ लग रहा है कि विरोधी पार्टियां और संगठन मिलकर किसानों के मुद्दे पर भी मोदी विरोधी एक मंच तैयार करना चाहते हैं. किसान मुक्ति मार्च भी किसानों की समस्या का दीर्घकालिक समाधान ढ़ूंढ़ने के बजाए मोदी विरोधी मंच बनकर रह गया.