ईडी ने ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक को भेजा समन

सीबीआई की टीम बंगाल की आसनसोल जेल में बंद टीएमसी नेता अनुब्रत मंडल से पशु तस्करी मामले की जांच के सिलसिले में पूछताछ कर सकती है। सीबीआई की चार सदस्यीय टीम सोमवार रात कोलकाता से आसनसोल पहुंची है। वह जेल में जाकर मंडल से पूछताछ करेगी। सीबीआई एक अधिकारी ने बताया कि हमारे अधिकारी उस जेल में जाएंगे, जहां मंडल बंद है। उनसे घोटाले को लेकर नई जानकारी हासिल की जाएगी।  उन्होंने बताया कि केंद्रीय एजेंसी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी को शुक्रवार की सुबह अपने कोलकाता स्थित कार्यालय में पेश होने को कहा है। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, “हमने अभिषेक बनर्जी को यहां अपने अधिकारियों के सामने पेश होने के लिए तलब किया है।”

  • तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी को ईडी ने समन भेजा है
  • शुक्रवार को ईडी ने कोयला चोरी घोटाले मामले में पेश होने के लिए कहा है
  • बीते सोमवार को ममता बनर्जी ने कहा था कि अभिषेक को ईडी समन भेज सकती है

डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, कोलकाता :

तृणमूल कांग्रेस की इन दिनों मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। आए दिन पार्टी के नेता ईडी के घेरे में आ रहे हैं। इसी क्रम में अब प्रवर्तन निदेशालय ने तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी को ‘कोयला चोरी घोटाले’ की जांच के सिलसिले में पूछताछ के लिए मंगलवार को समन जारी किया है। सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय एजेंसी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी को शुक्रवार की सुबह अपने कोलकाता स्थित कार्यालय में पेश होने को कहा है। तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने सोमवार को एक कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए आशंका जतायी थी कि केंद्रीय एजेंसियां उनके भतीजे और अन्य वरिष्ठ नेताओं को नोटिस भेज सकती है।

इसके अलावा ममता बनर्जी ने कहा, “अभिषेक ने आज एक अच्छा भाषण दिया, उसे कल ईडी या सीबीआई द्वारा बुलाया जा सकता है। पहले उन्हें नोटिस दिया गया था, उनकी पत्नी को नोटिस दिया गया था. अब मुझे लगता है कि उनके बेटे को भी बुलाया जाएगा। अपने बेटे को ले लो, जब वे तुम्हें बुलाएंगे, उन्हें भी देखना चाहिए कि दो साल का बच्चा कितना मजबूत है।”  इसके अलावा अभिषेक बनर्जी ने भी कहा, “हम इतनी बड़ी रैली कर रहे हैं, मैं लिखित में दे सकता हूं कि वे चार-पांच दिनों में कुछ करेंगे। हम झुकेंगे नहीं।” बता दें कि ईडी द्वारा अभिषेक बनर्जी से दो बार पूछताछ की जा चुकी है।

प्रवर्तन निदेशालय बंगाल के चर्चित कोयला घोटाले की पहले से जांच कर रहा है। मामले में अब तक अभिषेक बनर्जी से कई बार पूछताछ हो चुकी है। बनर्जी के निवास पर छापे भी मारे गए थे। ईडी ने एक बार फिर अभिषेक बनर्जी को समन भेजा है। उन्हें 2 सितंबर को कोलकाता स्थित ईडी दफ्तर में बुलाया गया है। 

उधर, सीबीआई की टीम बंगाल की आसनसोल जेल में बंद टीएमसी नेता अनुब्रत मंडल से पशु तस्करी मामले की जांच के सिलसिले में पूछताछ कर सकती है। सीबीआई की चार सदस्यीय टीम सोमवार रात कोलकाता से आसनसोल पहुंची है। वह जेल में जाकर मंडल से पूछताछ करेगी। सीबीआई एक अधिकारी ने बताया कि हमारे अधिकारी उस जेल में जाएंगे, जहां मंडल बंद है। उनसे घोटाले को लेकर नई जानकारी हासिल की जाएगी। 

सीबीआई ने जांच में सहयोग नहीं करने पर बीरभूम जिले के टीएमसी अध्यक्ष मंडल को गिरफ्तार किया था। इसके बाद सीबीआई ने जिले में कई जगह छापे मारकर बड़ी संख्या में दस्तावेज जब्त किए थे। अभिषेक बनर्जी पश्चिम बंगाल में कोयला चोरी घोटाले में घिरे हुए हैं। बनर्जी से 2 सितंबर को दिल्ली से कोलकाता पहुंचने वाले ईडी के अधिकारी पूछताछ करेंगे। 

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को एक कार्यक्रम के दौरान भाजपा पर हमला बोलते आशंका जताई थी कि केंद्रीय एजेंसियां उनके भतीजे व पार्टी के अन्य नेताओं को समन भेज सकती हैं। अभिषेक टीएमसी में दूसरे नंबर के नेता माने जाते हैं। मामले में बनर्जी की पत्नी रुजिरा बनर्जी से भी पूछताछ की जा चुकी है।

मुख्यमंत्री योगी को बम से उड़ाने की धमकी, 3 दिन में हमला करने की चेतावनी

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जान से मारने की धमकी। भारतीय किसान मोर्चा के नेता देवेंद्र तिवारी के घर के बाहर एक बैग पड़ा मिला। इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उन्हें बम से उड़ाने की धमकी भरा पत्र था। पत्र किसी सलमान सिद्दीकी नाम के शख्स ने भेजा है। आलमबाग पुलिस मामले की जांच कर रही है।

  • सीएम योगी आदित्यनाथ को बम से उड़ाने की धमकी दी गई है
  • पुलिस कंट्रोल रूम यूपी 112 के व्हाट्सएप नंबर पर दी गई धमकी
  • जिस नंबर से धमकी दी गई वो शाहिद खान के नाम पर है

लखनऊ (ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट, लखनऊ :  

उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ को बम से उड़ाने की धमकी दी गई है। पुलिस कंट्रोल रूम यूपी 112 के व्हाट्सएप नंबर पर ये धमकी दी गई है। जिस नंबर से धमकी दी गई वह नंबर शाहिद खान के नाम पर रजिस्टर्ड है। धमकी के बाद पुलिस ने आनन-फानन सुशांत गोल्फ सिटी थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है। जान की धमकी 2 अगस्त को दी थी। इसे लेकर सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर हैं। अब इस मामले में पुलिस, साइबर और सर्विलांस सेल की टीम जांच में जुट गई है।

पुलिस मोबाइल नंबर के आधार पर आरोपी की तलाश कर रही है। आरोपी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की कई टीमें लगाई गई हैं। प्रभारी निरीक्षक सुशांत गोल्फ सिटी शैलेंद्र गिरी ने मीडिया को बताया कि दो अगस्त की शाम को ऑपरेशन कमांडर के मुताबिक वह आफिस में थे। पुलिस मोबाइल नंबर के आधार पर आरोपी की तलाश कर रही है। आरोपी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की कई टीमें लगाई गई हैं। योगी।

आलमबाग इलाके में रहने वाले भारतीय किसान मोर्चा के नेता देवेंद्र तिवारी के घर के बाहर बृहस्पतिवार रात में एक बैग पड़ा मिला। बैग में एक पत्र मिला है जिसमें उनके साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जान से मारने की धमकी दी गई है। देवेंद्र की तहरीर पर आलमबाग पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर मामले जांच शुरू कर दी है।

किसान मोर्चा के नेता देवेंद्र तिवारी के मुताबिक पत्र में पीआईएल दाखिल करने को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व उन्हें बम से उड़ाने की धमकी भरा पत्र किसी सलमान सिद्दीकी ने भेजा है। उस पत्र में लिखा है कि तुझे कितनी बार समझाया गया है लेकिन फिर भी नहीं मान रहा है।

पीआईएल की वजह से मुसलमानों के पेट पर लात पड़ी है। इतनी बार समझाया लेकिन तुम मान नहीं रहे हो। योगी के कहने पर पीआईएल की वजह से हम लोगों के सारे स्लाटर हाउस बंद हो गए हैं। अब तू देख तेरा क्या हाल होता है। इंतजार करो अगले 15 दिन के अंदर तुझे रिजल्ट देखने को मिलेगा। तुम लोगों ने जितना हमारे रहनुमा जनाब असदुद्दीन ओवैसी और मौलाना मदनी को रुलाया है। उनकी एक-एक आंसू का बदला लेंगे।

प्रभारी निरीक्षक आलमबाग धनंजय सिंह के मुताबिक, पीड़ित देवेंद्र तिवारी की तहरीर पर अज्ञात महिला के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। वहीं, आसपास लगे सीसीटीवी की मदद से पत्र भेजने वाले की तलाश की जा रही है।

चिराग पासवान आज भी दिल से मानते हैं कि वह पीएम मोदी के हनुमान हैं

                                   चिराग पासवान पहले ही कह चुके हैं कि वो पीएम मोदी के हनुमान हैं।  सवाल उठता है कि यदि बिहार में जदयू ने अपना पाला बदला तो मुकेस सहनी से दूर जा चुकी बीजेपी के पास क्या सिर्फ चिराग पासवान ही बचेंगे?  हाल में चिराग की केंद्र से दूरी जगजाहिर है।  लेकिन ये भी तय है कि चिराग की आज भी पीएम मोदी में आस्था  है।  

JDU अलग हुई तो BJP के साथ बचेंगे चिराग पासवान! नीतीश के खिलाफ फिर खोला  मोर्चा - Bihar political upheaval JDU is separated chirag Paswan will be  left with BJP and opened
  • बिहार में जेडीयू-बीजेपी में तलाक का ऐलान अब केवल औपचारिकता
  • जेडीयू के एनडीए से अलग होने से सबसे ज्यादा खुश होंगे चिराग पासवान
  • गौरतलब है कि चिराग लगातार सीएम नीतीश पर हमला करते रहे हैं

सारिका तिवारी(राजनैतिक विश्लेषक) डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/पटना :

बिहार में बड़ा सियासी बदलाव हुआ है। यहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है और बीजेपी के साथ जेडीयू के गठबंधन को तोड़ दिया है। अचानक हुए इस बदलाव से सियासी गलियारों में हड़कंप मच गया है। इस बीच लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि, “आज नीतीश कुमार की विश्वसनीयता शून्य हो गई है। हम चाहते हैं कि बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू हो और राज्य को नए सिरे से जनादेश देना चाहिए। आपकी (नीतीश कुमार) कोई विचारधारा है या नहीं? अगले चुनाव में जेडीयू को जीरो सीटें मिलेंगी। नीतीश कुमार किसी के प्रति वफादार नहीं हैं।”

दिल्ली में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए चिराग ने कहा- देखिए उन्होंने शरद पवार और प्रशांत किशोर के साथ क्या किया? विधानसभा चुनाव से पहले ही मैंने लोगों को चेतावनी दी थी कि नीतीश कुमार कभी भी दलबदल कर सकते हैंऔर वह समय फिर से आ गया है। उन्होंने आगे कहा कि कहा कि नीतीश कुमार ने दूसरी बार लोगों के जनादेश का अपमान किया है। उन्होंने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने और फिर से चुनाव कराने की भी मांग की है। चिराग ने कहा राज्य में नए सिरे से चुनाव होने दें।

चिराग पासवान ने ये बयान जेडीयू द्वारा भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के साथ अपना गठबंधन तोड़ने और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने को लेकर आया है। दूसरी तरफ राज्यपाल फग्गू चौहान को इस्तीफा सौंपने के बाद राजभवन से बाहर निकले नीतीश कुमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सभी सांसदों और विधायकों की इस बात पर आम सहमति पर हैं कि हमें एनडीए छोड़ देना चाहिए।

चिराग पासवान ने कहा कि कोई है जो नीतीश कुमार को सबसे अच्छी तरह जानता है तो वो मैं हूं। उनके अहंकार ने राज्य को तबाह कर दिया है। उन्होंने कहा कि बिहार में एनडीए के साथ चुनाव लड़ने से इनकार करने का एकमात्र कारण यह था कि वह नीतीश कुमार के साथ गठबंधन नहीं करना चाहते थे। इस बीच बीजेपी ने नीतीश कुमार के इस्तीफे को बिहार की जनता के साथ विश्वासघात बताया है। बिहार बीजेपी अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा- हमने एनडीए के तहत बिहार विधानसभा 2020 का चुनाव एक साथ लड़ा। जनादेश जद (यू) और भाजपा के लिए था। हमने अधिक सीट जीतने के बाजवूद नीतीश कुमार को सीएम बनाया। आज जो कुछ भी हुआ वह बिहार के लोगों और भाजपा के साथ विश्वासघात है।

चिराग पासवान ललन सिंह के उसी ‘चिराग मॉडल’ का जवाब देने के लिए मीडिया के सामने आने वाले हैं। दरअसल, महाराष्ट्र में शिंदे गुट की बगावत से काफी पहले बिहार में जदयू ने लोजपा को दो फाड़ कर दिया था। बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान खुलकर नीतीश कुमार के विरोध में थे। उस समय वे भाजपा के सहयोगी के रूप में भी काम कर रहे थे। लेकिन, भाजपा ने तब उन्हें नीतीश विरोध के लिए रोका-टोका नहीं। बाद में चुनावी गठबंधन नहीं हो पाया। लोजपा अकेले चुनावी मैदान में उतरी और पार्टी को महज 1 सीट पर जीत मिली। इसके बाद जदयू की ओर से पशुपति कुमार पारस को साधकर चिराग पासवान को उनकी ही बनाई गई पार्टी लोजपा में अलग-थलग कर दिया गया। लोजपा को चुनाव आयोग ने सीज करते हुए चिराग और पारस गुट को अगल-अलग नाम से पार्टी अलॉट कर दी। लोजपा का चुनाव चिह्न बंगला छाप भी जब्त हो गया। ऐसे में चिराग के प्रेस कांफ्रेंस पर हर किसी की नजर रहेगी। वे जदयू अध्यक्ष के चिराग मॉडल का क्या जवाब देते हैं। यहां पढ़िए चिराग पासवान के प्रेस कांफ्रेंस का लाइव कवरेज।

6 राज्यों में सीबीआई से जांच के लिए 221 सहमति अनुरोध लंबित, 30,912 करोड़ रुपये शामिल: डॉ जितेंद्र सिंह

पंजाब सहित 9 राज्यों ने सीबीआई को जांच के लिए अनुमति देने से मना कर दिया। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि पंजाब ,पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मिजोरम ,केरल, झारखंड, महाराष्ट्र और मेघालय ने अपने राज्यों में सीबीआई को जांच करने की अनुमति ना देने का निर्णय लिया है। राज्यों में आपराधिक मामलों जांच करने के लिए केंद्र को सीबीआई जांच के लिए संबंधित राज्य से अनुमति लेना अनिवार्य है। आपको बता दें कि इन सभी 9 राज्यों में गैर भाजपा सरकारें हैं। हालांकि यदि जांच आदेश उच्चत्तम या उच्च न्यायालय जारी किए जाते हैं स्थिति में केंद्र राज्यों से अनुमति लेने के लिए बाध्य नहीं है।

फ़ाइल फोटो

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/नयी दिल्ली :

केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को बताया कि छह राज्यों द्वारा सहमति ना दिए जाने के कारण केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच की मांग करने वाले 221 अनुरोध लंबित हैं, जिनमें सर्वाधिक 168 अनुरोध महाराष्ट्र से हैं और इनमें सन्निहित राशि 29,000 करोड़ रुपये हैं।राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मत्रालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने दी।उन्होंने कहा कि सीबीआई जांच की मांग करने वाले कुल अनुरोधों में 30, 912,.28 करोड़ रुपये के मामले हैं। इनमें 27 अनुरोध पश्चिम बंगाल से हैं जिनमें 1,193.80 करोड़ रुपये के मामले हैं।

उन्होंने कहा कि सीबीआई जांच की मांग करने वाले कुल अनुरोधों में 30, 912,.28 करोड़ रुपये के मामले हैं। इनमें 27 अनुरोध पश्चिम बंगाल से हैं जिनमें 1,193.80 करोड़ रुपये के मामले हैं, नौ अनुरोध पंजाब से हैं और इनमें 255.32 करोड़ रुपये के मामले हैं।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इसी प्रकार सात अनुरोध छत्तीसगढ़ से हैं, जिनमें 80.35 करोड़ रुपये और चार राजस्थान से हैं, जिनमें 12.06 करोड़ रुपये की राशि सन्निहित हैं। सिंह ने बताया कि 30 जून 2022 की स्थिति के अनुसार सबसे अधिक 168 अनुरोध महाराष्ट्र से हैं, जिनमें 29,040.18 करोड़ रुपये की राशि शामिल है।

महाराष्ट्र में भी, इस साल जून तक विपक्षी सरकार थी। अब वहां भाजपा गठबंधन की सरकार है। केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा में भाजपा सदस्य सुशील कुमार मोदी के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि राज्य सरकार की सहमति के अभाव में सीबीआइ द्वारा जांच के लिए लंबित मामलों की कुल संख्या इस वर्ष 30 जून तक 221 है। इनमें 40 मामले एक वर्ष से अधिक समय से लंबित हैं। 48 मामले ऐसे हैं जो छह महीने से एक वर्ष के बीच की अवधि के हैं। इसके अलावा 133 मामले छह महीने से कम समय से लंबित हैं।

इन मामलों में शामिल कुल राशि 30,912 करोड़ रुपये है।मंत्री द्वारा दिए गए जवाब के अनुसार, महाराष्ट्र में कुल 168 मामले लंबित हैं। इनमें से 39 एक वर्ष से अधिक, 38 छह माह से एक वर्ष और 91 छह माह से कम समय से लंबित हैं। बंगाल में 27 लंबित मामले हैं। इनमें से एक मामला एक वर्ष से लंबित है। एक मामला छह महीने से एक वर्ष के बीच का है जबकि 25 केस छह महीने से कम समय से लंबित हैं।महाराष्ट्र और बंगाल में लंबित मामलों में शामिल राशि क्रमश: 29,040 करोड़ और 1,194 करोड़ रुपये है। पंजाब, राजस्थान, झारखंड और छत्तीसगढ़ में कुल मिलाकर 26 मामले लंबित हैं, जिनमें कुल राशि 678 करोड़ रुपये है।

‘चाहे मुझे फांसी दे दो, नहीं मांगूंगा माफी’, भाजपा के हंगामे पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी की सफाई

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने राष्ट्रपति पर की गई टिप्पणी को लेकर माफी मांगने से इनकार किया है। अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि माफी मांगने का सवाल ही नहीं है। मेरे मुंह से गलती से राष्ट्रपति के लिए गलत शब्द निकला, मैं राष्ट्रपति का पूरा सम्मान करता हूं। अधीर रंजन चौधरी द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर दिये गए बयान पर हो रहे हंगामे के बीच कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रतिक्रिया दी है। सोनिया गांधी ने कहा कि वह पहले ही माफी मांग चुके हैं।

डेमोक्रेटिक फ्रंट(ब्यूरो), नई दिल्ली : 

संसद में पिछले करीब दो सप्ताह से सदन का नजारा अलग था। विपक्ष के महंगाई और जीएसटी के मुद्दे पर सरकार जहां बैकफुट थी वहीं, आज दोनों सदनों में नजारा एकदम बदल गया था। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी का राष्ट्रपति को लेकर दिए बयान को बीजेपी ने लपक लिया और लोकसभा और राज्यसभा में कांग्रेस पार्टी को जमकर घेरा। दोनों सदन में अधीर के बयान पर जमकर हंगामा हुआ। आमतौर पर सौम्यता से बात करने वाली बीजेपी नेता स्मृति इरानी का आज अलग ही रूप दिखा। इरानी का चेहरा आज तमतमा रहा था। उन्होंने सीधे कांग्रेस चीफ सोनिया गांधी पर हमला बोला। गुस्से से सुर्ख नजर आ रहीं इरानी ने अपने भाषण में लगातार कांग्रेस पर शब्दों के तीखे बाण चलाए। इरानी ने आज लोकसभा में अधीर रंजन के बयान पर कांग्रेस को जमकर घेरा और अपने एक ही बयान से सारा हिसाब बराबर कर दिया। इरानी ने तो सीधे-सीधे सोनिया गांधी पर निशाना साधा और उन्हें देश से माफी मांगने की मांग की।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु पर दिए बयान पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने सफाई देते हुए कहा कि इस पर माफी मांगने का सवाल ही नहीं है। मेरे मुंह से राष्ट्रपति के लिए गलत शब्द निकला, अब अगर आप मुझे इसके लिए फांसी देना चाहते हैं, तो आप दे सकते हैं। उन्होंने भाजपा पर मामले को तूल देने का भी आरोप लगाया। अधीर रंजन ने आगे कहा कि सत्ताधारी दल मेरे बयान को लेकर जानबूझकर इसे राई का पहाड़ बनाने की कोशिश कर रहा है। मैं राष्ट्रपति का पूरा सम्मान करता हूं।

वहीं, अधीर रंजन चौधरी के बयान पर लोकसभा व राज्यसभा में भी हंगामा देखने को मिला। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने लोकसभा में अधीर रंजन चौधरी से माफी की मांग की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने देश के हर नागरिक का अपमान किया है। कांग्रेस और सोनिया गांधी को देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए।

इस बीच, लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया है कि उन्हें उनके बयान के लिए लगाए गए आरोपों पर सदन के पटल पर बोलने का मौका दिया जाए। उन्होंने इस पर एक पत्र भी दिया है।

बता दें कि लोकसभा व राज्यसभा की कार्यवाही को भारी हंगामे के बाद स्थगित कर दिया गया है। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु पर अपमानजनक टिप्पणी की थी। जिसके बाद भाजपा नेताओं ने अधीर रंजन चौधरी से माफी की मांग की।

अर्पिता मुखर्जी की कार हादसे का शिकार, सुनवाई के बाद लेकर जा रही थी ईडी

पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार के मंत्री पार्था चटर्जी की पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग और पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड घोटाले के मामले में मुश्किलें बढ़ सकती हैं। मामले की जाँच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप लगाया है कि अस्पताल में भर्थी पार्था चटर्जी एक डॉन की तरह व्यवहार कर रहे हैं और जाँच में किसी भी तरह का सहयोग नहीं कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल में एसएससी भर्ती घोटाले में फंसी अर्पिता मुखर्जी को लेकर जा रही कार हादसे का शिकार हो गई। हालांकि यह हादसा बहुत बड़ा नहीं है। सुनवाई के बाद ईडी अर्पिता मुखर्जी को लेकर जा रही थी।

पटना(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट, पटना/कोलकत्ता :

पश्चिम बंगाल में एसएससी भर्ती घोटाले में फंसी अर्पिता मुखर्जी को लेकर जा रही कार हादसे का शिकार हो गई। हालांकि यह हादसा बहुत बड़ा नहीं है। जानकारी के मुताबिक कोर्ट में सुनवाई के बाद ईडी अर्पिता मुखर्जी को लेकर सीजीओ कॉम्पलेक्स जा रही थी। इसी दौरान कार हादसे का शिकार हो गई। हादसे में अर्पिता मुखर्जी पूरी तरह से सुरक्षित बताई जा रही हैं। 

अर्पिता मुखर्जी के बाद मोनालिसा दास के घर पर रेड मारने की तैयारी में ED, मिले हैं अहम सबूत, मंत्री पार्थ के 7 आलीशान घरों पर करती है राज

22 जुलाई को ED की टीम ने पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी के घर पर छापेमारी की थी। इस दौरान उनके घर से 20 करोड़ रुपए नकद के साथ-साथ 20 कीमती मोबाइल फोन, सोना, विदेशी मुद्रा, जमीन के दस्तावेज बरामद बरामद हुए हैं। माना जा रहा है कि यह वही रकम है, जो शिक्षक भर्ती घोटाले में रिश्वत के रूप में ली गई थी। वहीं मोनालिसा के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने साल 2014 में आसनसोल के काजी नजरूल विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया था और वर्तमान में उसी विश्वविद्यालय में बंगाली भाषा की प्रोफेसर और विभाग प्रमुख हैं। कहा जा रहा है कि पार्थ चटर्जी के प्रभाव के कारण ही उन्हें प्रोफेसर की नौकरी मिली है।

पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी

नयी दिल्ली(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट, नयी दिल्ली/कोलकत्ता :

पश्चिम बंगाल के चर्चित शिक्षा भर्ती घोटाले (SSC Scam) के मामले अब प्रवर्तन निदेशालय की जांच कई लोगों को घेरे में ले सकती है। ईडी ने ममता सरकार में मंत्री पार्थ चटर्जी को गिरफ्तार कर लिया है। मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी के घर पर छापेमारी में ईडी को करीब 21 करोड़ रुपए की नगदी बरामद हुई थी। इस जांच में ही अब प्रवर्तन निदेशालय को प्रोफेसर मोनालिसा दास के बारे में भी जानकारी मिली है, जो मंत्री पार्थ चटर्जी की काफी करीबी है और उसके पास करीब 10 फ्लैट्स हैं। मिली जानकारी के मुताबिक मोनालिसा दास 2014 में आसनसोल में काजी नजरूल विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया था और वर्तमान में उसी विश्वविद्यालय में बंगाली विभाग की प्रमुख हैं।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने स्कूल नौकरियों संबंधी कथित घोटाले की जांच के सिलसिले में पश्चिम बंगाल के उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी को शनिवार को गिरफ्तार कर लिया, जिसके बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया।  तृणमूल कांग्रेस के महासचिव चटर्जी को जांच के सिलसिले में करीब 26 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया। एजेंसी के एक अधिकारी ने बताया कि ईडी ने चटर्जी की करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी को भी हिरासत में ले लिया जिनके एक परिसर से 21 करोड़ रुपये नकद राशि जब्त की गई थी, इसके साथ ही विदेशी मुद्रा, सोने की ज्वैलरी और जमीन के कागजात जब्त किये गये हैं। 

वहीं इस बीच जांच जारी है। अर्पिता चटर्जी के फ्लैट में पाये गए रुपयों को ले जाने के लिए उनके फ्लैट के पास एक ट्रक लाया गया है। उस ट्रक में SBI की ओर से ट्रंक भेजा गया है। करीब 40 ट्रंक में भर कर जब्त किये गये कैश ले जाए जाएंगे। दूसरी ओर, बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने दावा किया कि ईडी को 75 करोड़ रुपए मिले हैं और मंत्री के करीबियों का बांग्लादेश कनेक्शन भी मिला है।

इसके साथ ही दिलीप घोष ने कहा कि अभी तक जो कैश मिले है, वह मात्र छोटा सा हिस्सा है। उनकी जानकारी के अनुसार अभी तक 70-75 करोड़ रुपए की बरामद हुई है। वहीं,  तृणमूल कांग्रेस के एक जिलाध्यक्ष और बाहबली नेता अनुब्रत मंडल के सुरक्षाकर्मी के पास से 150 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई है। मंत्री के करीबियों के पास से उससे अधिक संपत्ति जब्त की जाएगी। मंत्री के करीबी महिला के 8 फ्लैट मिले हैं और दूसरी मंत्री की करीबी महिला मोनालिसा दास, जो अध्यापक हैं और शांतिनिकेतन में रहती हैं, उनके 10 फ्लैट मिले है। उनका बांग्लादेश कनेक्शन है। 

उपराष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग प्रक्रिया से दूर रहेगी टीएमसी पार्टी, विपक्ष को लगा झटका

ममता बनर्जी ने कहा कि आपत्तिजनक तरीके से टीएमसी को लूप में रखे बिना ही विपक्ष के उम्मीदवार का फैसला किया गया। उन्‍होंने कहा कि दोनों सदनों में 35 सांसदों वाली पार्टी के साथ उचित परामर्श और विचार-विमर्श के बिना जिस तरह से विपक्षी उम्मीदवार का फैसला किया गया था, ऐसे में हमने सर्वसम्मति से मतदान प्रक्रिया से दूर रहने का फैसला किया है। टीएमसी महासचिव ने कहा कि हमने कुछ नामों का प्रस्ताव दिया था और वे परामर्श से थे, लेकिन नाम हमारे परामर्श के बिना तय किया गया था। हालांकि, विपक्षी एकता राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के चुनाव के मापदंड पर निर्भर नहीं करती है। मार्गरेट अल्वा के साथ ममता बनर्जी के बहुत अच्छे समीकरण हैं, लेकिन व्यक्तिगत समीकरण कोई मायने नहीं रखता। इस बीच जगदीप धनखड़ को उपराष्‍ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने से ठीक पहले ममता बनर्जी ने असम के सीएम हेमंत बिस्वा सरमा के साथ दार्जिलिंग गवर्नर हाउस में उनके साथ तीन घंटे की बैठक की थी।

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, पंचकुला/नई दिल्ली: 

उपराषट्रपति चुनाव को लेकर तृणमूण कांग्रेस ने एक बड़ा फैसला लिया है। टीएमसी ने गुरुवार को ऐलान किया कि वह आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव 2022 की वोटिंग प्रक्रिया में भाग नहीं लेगी। टीएमसी के इस फैसले से विपक्ष की एकजुटता को एक बड़ा झटका लगा है। पार्टी के इस फैसले की जानकारी पार्टी नेता और सांसद अभिषेक बनर्जी ने दी।

गौरतलब है कि देश के अगले उपराष्ट्रपति के लिए एनडीए की तरफ से पश्चिम बंगाल के गवर्नर जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार बनाया गया है जबकि वहीं विपक्ष ने राजस्थान की पूर्व राज्यपाल मार्गरेट अल्वा को उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया है।

टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा “एनडीए (वीपी) के उम्मीदवार का समर्थन करना भी नहीं आता है और जिस तरह से विपक्षी उम्मीदवार का फैसला किया गया था, दोनों सदनों में 35 सांसदों वाली पार्टी के साथ उचित परामर्श और विचार-विमर्श के बिना, हमने सर्वसम्मति से मतदान प्रक्रिया से दूर रहने का फैसला किया है।”

उन्होंने कहा, “हम टीएमसी को लूप में रखे बिना विपक्षी उम्मीदवार की घोषणा की प्रक्रिया से असहमत हैं। हमसे न तो सलाह ली गई और न ही हमारे साथ कुछ चर्चा की गई। इसलिए हम विपक्षी उम्मीदवार का समर्थन नहीं कर सकते।”

घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों के अनुसार, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने ममता बनर्जी को वी-पी चुनावों में मतदान से दूर रहने के लिए मना लिया।

राजस्थान की पूर्व राज्यपाल मार्गरेट अल्वा के नाम को राकांपा प्रमुख शरद पवार के आवास पर एक बैठक के बाद अंतिम रूप दिया गया, जिसमें कांग्रेस, वाम मोर्चा के घटक, द्रमुक, राजद, सपा और अन्य सहित सभी प्रमुख विपक्षी दलों ने भाग लिया।

दिलचस्प बात यह है कि भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) द्वारा द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार घोषित करने के बाद, टीएमसी दुविधा में आ गई थी, जिसने विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को चुनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सीएम ममता बनर्जी ने कहा था कि मुर्मू एक आम सहमति हो सकती थी। क्या बीजेपी ने उन्हें मैदान में उतारने से पहले विपक्ष से सलाह मशविरा किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने दी अंतरिम राहत, नूपुर शर्मा की गिरफ्तारी पर 10 अगस्त तक रोक

1 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में नुपुर की याचिका पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने सख्त रुख अपनाया था। अदालत ने नुपुर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने पर सख्त नाराजगी प्रकट की थी। अदालत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि उनके बयान से देश में उबाल है। कोर्ट ने नुपुर से टीवी पर आकर माफी मांगने को भी कहा था। शीर्ष अदालत ने सवाल किया कि नुपुर को खतरा है या उनके बयान से देश खतरे में पड़ गया है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो कुछ भी हो रहा है, हम उससे वाकिफ हैं। नुपुर ने जिसके खिलाफ टिप्पणी की उसे गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन नुपुर के खिलाफ अब तक कुछ नहीं हुआ है। 

  • सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा को दी अंतरिम राहत
  • 10 अगस्त तक गिरफ्तारी से रोक मिली
  • पाकिस्तान का जिक्र कर जान को खतरा बताया गया

नई दिल्ली(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट, नयी दिल्ली – 19 जुलाई  

भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा को पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ बयान देकर विवादों में घिरी शर्मा के खिलाफ देश के कई हिस्सों में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। शीर्ष अदालत ने फिलहाल उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। नूपुर ने अपनी याचिका में देश भर में दर्ज विभिन्न मामलों को दिल्ली हाईकोर्ट ट्रांसफर करने की मांग की थी और गिरफ्तारी पर रोक लगाने की भी गुहार लगाई थी।

कोर्ट में सुनवाई के दौरान एडवोकेट मानवेंद्र सिंह ने कहा कि आर्टिकल-21 के आधार पर नूपुर को राहत मिले। उन्होंने इसके लिए अजमेर के खादिम चिश्ती के वीडियो समेत कई मामलों का जिक्र किया, जिसमें उन्हें जान से मारने की धमकी मिली थी। जज ने पूछा- क्या ऐसा अभी हुआ है?

सुप्रीम कोर्ट: जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि क्या हम यह सही समझ रहे हैं कि आप अपनी चॉइस के एक स्थान पर सुनवाई चाहते हैं। क्या आप दिल्ली हाईकोर्ट जाना चाहते हैं?

नूपुर के वकील: एडवोकेट मानवेंद्र सिंह ने कहा कि जी, हम यही चाहते हैं। दिल्ली में पहली FIR हुई है। यही कानून भी कहता है कि जहां पहली FIR दर्ज हुई हो, वहीं पर सुनवाई हो। आपके पिछले आदेश के बाद कुछ डेवलपमेंट हुए हैं। गंभीर खतरे हैं।

रिपोर्ट्स हैं कि पाकिस्तान से एक आदमी आया था। कुछ लोगों को पटना से भी गिरफ्तार किया गया है। जहां पहली FIR दर्ज हुई है, वहीं पर बाकी मामले क्लब कर दिए जाते हैं। दूसरी बात ये कि कोई भी दंडात्मक कदम नहीं उठाने की राहत दी जाती है।

सुप्रीम कोर्ट: ये तो हमारी भी मंशा है कि आप हर जगह नहीं जाएं। हम देखेंगे कि आगे क्या विकल्प हो सकता है?

2 जुलाई को ही कोलकाता पुलिस नूपुर शर्मा के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर चुकी है। अमहर्स्ट स्ट्रीट थाने में दर्ज FIR पर नूपुर पूछताछ के लिए पेश नहीं हुई थीं, जिसके बाद नोटिस जारी किया गया था। वहीं महाराष्ट्र और तेलंगाना पुलिस भी नूपुर से पूछताछ करना चाहती है।

1 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में नूपुर शर्मा ने याचिका दाखिल कर राहत की मांग की थी, जिससे कोर्ट ने सुनने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए सख्त टिप्पणी भी की थी। कोर्ट ने कहा- ‘आपके चलते देश की स्थिति बिगड़ी हुई है। आपने देर से माफी मांगी, वह भी शर्त के साथ कि अगर किसी की भावना आहत हुई हो तो बयान वापस लेती हूँ। आपको राष्ट्रीय टीवी पर आकर पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए।’

नूपुर के वकील कोर्ट में सभी केस को दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग कर रहे थे, जिस पर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के कामकाज पर ही सवाल उठा दिया था। कोर्ट ने कहा था- दिल्ली में दर्ज FIR में क्या कार्रवाई हुई है? यहां तो शायद आपके लिए पुलिस ने रेड कार्पेट बिछा रखा है? आप हर राज्य की हाई कोर्ट में जाकर अपनी बात रखिए, निचली अदालत से जमानत लीजिए।

27 मई को एक टीवी डिबेट में नूपुर शर्मा ने पैगंबर पर विवादित टिप्पणी की, जिसके बाद देशभर में उनके बयान का विरोध शुरू हो गया। वहीं कुछ इस्लामिक देशों ने भी आपत्ति जताई। इधर, भाजपा ने नूपुर के बयान से खुद को किनारा कर लिया और उन्हें पार्टी से निकाल दिया।

‘हिंदू होते हुए भी मुझे मेरी काली को मेरे हिसाब से देखने की आजादी है और लोगों को भी होनी चाहिए।’ महुआ मोइत्रा

‘हिंदू होते हुए भी मुझे मेरी काली को मेरे हिसाब से देखने की आजादी है और लोगों को भी होनी चाहिए। आपको अपने भगवान को अपने हिसाब से पूजने की आजादी होनी चाहिए। पूजा का अधिकार पर्सनल स्पेस में रहना चाहिए। जब तक मैं आपके क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं कर रही हूं। मुझे नहीं लगता कि इसकी आजादी होनी चाहिए। मुझे काली के इस रूप से कोई परेशानी नहीं है।’ महुआ मोइत्रा

‘हिंदू होते हुए भी मुझे मेरी काली को मेरे हिसाब से देखने की आजादी है और लोगों को भी होनी चाहिए।’ महुआ मोइत्रा

नई दिल्ली(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट,

मां काली पर सांसद महुआ मोइत्रा के विवादित बयान की तृणमूल कांग्रेस ने मंगलवार को निंदा की और कहा कि पार्टी कहीं से भी इसका समर्थन नहीं करती है। दरअसल, कृष्णानगर से सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि उनके लिए मां काली मांस खाने और शराब पीने वाली देवी हैं। उनसे ‘काली’ फिल्म के पोस्टर से उठे विवाद को लेकर एक सवाल पूछा गया था, जिसके जवाब में उन्होंने यह प्रतिक्रिया दी। बंगाल में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदू अधिकारी ने भी इस मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से कार्रवाई करने की मांग की है।

गौरतलब है कि फिल्मकार लीना मणिमेकलाई ने गत दो जुलाई को ‘काली’ फिल्म का पोस्टर सोशल मीडिया पर साझा किया था। इस पोस्टर में मां काली का रूप धारण किये महिला को सिगरेट पीते हुए दिखाया गया है। इसके अलावा इसमें कुछ अन्य आपत्तिजनक चीजें भी हैं। इस पोस्टर का व्यापक स्तर पर विरोध हो रहा है।

बकौल महुआ मोइत्रा, सिक्किम में माँ काली को व्हिस्की चढ़ाई जाती है, जबकि किसी दूसरी जगह ये ईशनिंदा हो सकती है। उन्होंने कहा कि जैसे उत्तर प्रदेश में जाकर माँ काली को प्रसाद के रूप में व्हिस्की चढाने की बात की जाए तो वो इसे ईशनिंदा कहेंगे। महुआ मोइत्रा ने खुद को आलोचना करने की पक्षधर बताते हुए कहा कि इसमें और हिंसा भड़काने में अंतर है। उन्होंने कहा कि तारापीठ में साधु-संत स्मोकिंग करते हुए दिखते हैं।

वहीं TMC ने कहा कि महुआ मोइत्रा द्वारा दिए गए बयान और माँ काली को लेकर उनके द्वारा अभिव्यक्त किए गए विचार उनके निजी हैं और पार्टी किसी भी सूरत में या किसी भी रूप में इसका समर्थन नहीं करती। साथ ही पार्टी के आधिकारिक बयान में ये भी कहा गया कि ‘ऑल इंडिया तृणमूल कॉन्ग्रेस (AITC)’ ऐसे किसी भी बयान की पुरजोर निंदा करता है। इसके बाद महुआ मोइत्रा ने संघियों को ‘झूठा’ बताते हुए कहा कि उन्होंने किसी स्मोकिंग वाले पोस्टर का समर्थन नहीं किया है। हालाँकि, तारापीठ वाले बयान पर उन्होंने कायम होने की बात कही।

बताते चलें कि हिंदू देवी ‘काली’ को अपनी फिल्म में सिगरेट पीते हुए दिखाने वाली लीना के पुराने ट्वीट लगातार वायरल हैं। इन ट्वीट से पता चलता है कि वो हिंदूफोबिक मानसिकता से लंबे समय से ग्रसित हैं। उन्होंने श्रीराम भगवान से लेकर गणपति भगवान तक को गाली दी हुई है। एक ट्वीट में लीना मणिमेकलई ने कहा, “मैं हकीकत में उन देवताओं पर ट्वीट करते-करते थक गई हूँ जो अस्तित्व में हैं भी नहीं और धार्मिक घृणा व कट्टरता की घटिया राजनीति के कारण अस्तित्व में ला दिए जाते हैं।” अपने ट्वीट में लीना गणपति भगवान के लिए व उनकी आराधना करने वालों को गाली दे रही हैं।