भाजपा के डर से अग्रिम चुनाव करवा सकतीं हैं ममता

ममता बेनर्जी को बतौर मुख्य मंत्री प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होना था, लेकिन उन्हे चुनावों के दौरान बंगाल में मारे गए भाजपा कार्यकर्ताओं के परिवारों को निमंत्रित करना गवारा नहीं हुआ।

लोकसभा चुनाव परिणामों से सबसे बड़ा झटका लगा है पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को। ममता बनर्जी को इस बात का पूरा विश्वास था कि राज्य में वह भाजपा के उभार को उसी तरह रोक लेंगी जैसा विधानसभा चुनावों के समय हुआ था। लेकिन ऐसा हो नहीं सका। लोकसभा चुनावों की घोषणा के समय से ही जिस तरह तृणमूल कांग्रेस के सांसदों, विधायकों और पार्टी नेताओं का भाजपा में शामिल होना शुरू हुआ था वह चुनाव परिणाम आ जाने के बाद तक अनवरत जारी है।

तृणमूल कांग्रेस विधायक और भाजपा नेता मुकुल रॉय के बेटे सुभ्रांशु राय के साथ दो तृणमूल विधायक और बड़ी संख्या में पार्टी के पार्षद मंगलवार को भाजपा में शामिल हो गये। आपको याद होगा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा भी था कि ‘दीदी आपके 40 विधायक मेरे संपर्क में हैं।’ तृणमूल कांग्रेस में मची इसी उठापटक का ही परिणाम है कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी संगठन के पुनर्गठन के मकसद से तृणमूल कांग्रेस अपने नाराज नेताओं से संपर्क साध रही है और गलतफहमियां भुला कर फिर से उन्हें पार्टी में सक्रिय होने का आग्रह कर रही है।

पश्चिम बंगाल के चुनाव परिणामों पर सरसरी नजर डालें तो राज्य की कुल 42 लोकसभा सीटों में से तृणमूल कांग्रेस को इस बार 22 सीटों पर विजय मिली जबकि भाजपा 18 सीटों पर विजय हासिल करने में सफल रही। दो सीटें कांग्रेस के खाते में गईं। जबकि 2014 में तृणमूल कांग्रेस 34 सीटों पर विजयी रही थी और भाजपा के हिस्से में मात्र दो सीटें ही आ पाई थीं।

इस बार के चुनाव परिणामों को यदि विधानसभा-वार देखें तो कुल 294 सीटों में से भाजपा 128 विधानसभा सीटों पर आगे रही है जबकि 60 विधानसभा सीटें ऐसी रहीं जहाँ भाजपा की हार का अंतर 4 हजार या उससे कम मतों का है। साफ-साफ कहा जा सकता है कि यदि भाजपा के आगे बढ़ने का यही क्रम आगे बना रहा तो निश्चित ही पार्टी राज्य की सत्ता हासिल कर सकती है। चुनावों से पहले ममता बनर्जी 22 विपक्षी दलों को एक साथ लाकर भाजपा को घेरना चाह रही थीं लेकिन चुनाव परिणाम ने इस सारी कवायद की हवा ही निकाल दी।

जल्द चुनाव करा सकती हैं ममता बनर्जी

 मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चिंता इसीलिए बढ़ गयी है कि यदि एक बार भाजपा राज्य की सत्ता में आ गयी तो तृणमूल कांग्रेस का पश्चिम बंगाल की राजनीति में वामपंथी दलों जैसा हाल हो जायेगा। ऐसे में संभव है कि भाजपा को और मजबूत बनने का समय मिले, इससे पहले ही वह राज्य विधानसभा भंग कर जल्द चुनाव कराने का दांव खेल दें।

ममता बनर्जी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा भी देना चाह रही थीं लेकिन खबर है कि उनकी पार्टी ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। तृणमूल कांग्रेस की रणनीति अब यह है कि आक्रामक तरीके से भाजपा का मुकाबला करना जारी रखा जाये और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुँच रहा है या नहीं, इसकी निगरानी बढ़ायी जाये।

 अपने भी खड़ी कर रहे हैं मुश्किलें 

तृणमूल कांग्रेस पार्टी संगठन की मजबूती पर अब विशेष ध्यान देने जा रही है और नाराज नेताओं को मनाने तथा नये या नामचीन लोगों को पार्टी से जोड़ने का काम अब और तेजी के साथ किया जायेगा। लेकिन भाजपा भी तृणमूल कांग्रेस का मनोबल तोड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है। वह लगातार तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कर रही है। तृणमूल कांग्रेस के लिए जितनी बड़ी मुश्किल भाजपा बनती जा रही है लगभग उतनी ही मुश्किलें उसके अपने लोग भी पार्टी के लिए खड़ी कर रहे हैं। राजनीतिक भविष्य खतरे में देख तृणमूल नेता और कार्यकर्ता भाजपा में स्वतः जा रहे हैं और बगावती बयान भी दे रहे हैं। अब तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पत्रकार चंदन मित्रा को ही लीजिये, उन्होंने लोकसभा चुनावों में भाजपा को जोरदार प्रदर्शन के बाद उसे ‘government-in-waiting’ करार दे दिया है।

 भाजपा ने कैसे किया किला फतह 

भाजपा की बात करें तो निश्चित रूप से लोकसभा चुनाव परिणाम उसके लिए बेहद उत्साहवर्धक रहे हैं और पार्टी ने साफ कर दिया है कि उसकी नजर अब पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों पर है। भाजपा ने ममता बनर्जी के अभेद्य समझे जाने वाले किले पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से 18 पर जीत और 40.5 प्रतिशत मत हासिल कर अपने आगामी इरादे साफ कर दिये हैं। देखा जाये तो भाजपा के इस बेहतरीन प्रदर्शन में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण, एनआरसी, तृणमूल कांग्रेस के अंदर जबरदस्त खींचतान और वाम मतों का उससे खिसकना जैसे कारक अहम रहे।

भाजपा को 2014 में दो सीटें मिली थीं और उसे कुल 17 प्रतिशत मत मिले थे। लेकिन इस बार भाजपा ने न केवल पश्चिम बंगाल में अभूतपूर्व कामयाबी हासिल की बल्कि लगभग 130 विधानसभा क्षेत्रों में मतों के लिहाज से बढ़त बनाई। राज्य में दो साल बाद 2021 में विधानसभा चुनाव होने हैं। लोकसभा चुनावों में पूरे चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा की राजनीतिक बहस ज्यादातर हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के आसपास रही, साथ ही ममता बनर्जी सरकार की तुष्टिकरण की नीति की भी लगातार आलोचना हुई, जिससे राज्य में बड़े पैमाने पर ध्रुवीकरण हुआ। गौरतलब है कि राज्य में मुसलमानों की आबादी करीब 27 प्रतिशत है।

इसके अलावा घुसपैठियों को बाहर करने के लिए एनआरसी का वादा, धार्मिक रैलियों पर ममता सरकार की ओर से लगायी जाने वाली रोक और विगत कुछ समय में राज्य में कई सांप्रदायिक दंगे रोक पाने में ममता बनर्जी सरकार की विफलता से सांप्रदायिक विभाजन को बढ़ावा मिला। इसके अलावा केंद्रीय बलों की सख्त निगरानी में जो इस बार का चुनाव हुआ उससे मतदाता बिना किसी भय के घर से बाहर निकले और तृणमूल कांग्रेस से अपनी नाराजगी उसके खिलाफ वोट देकर जताई। स्वाभाविक है कि सिर्फ बातें बनाकर लोगों को ज्यादा समय तक गुमराह नहीं किया जा सकता।

 भाजपा बहुत पहले से कर रही थी तैयारी 

जो लोग सोच रहे हैं कि सिर्फ तगड़ा चुनाव प्रचार करके भाजपा ने यह सफलता हासिल की है वह गलत हैं। भाजपा ने राज्य में अपनी जड़ें जमाने का काम 2014 में अमित शाह के पार्टी अध्यक्ष बनते ही तेजी से शुरू कर दिया था। इसके अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं की संख्या में हुई जबरदस्त वृद्धि ने भाजपा के लिए संजीवनी का काम किया। संघ से जुड़े संगठनों ने खासतौर पर जिस तरह आदिवासी क्षेत्रों में काम किये हैं उसका लाभ भाजपा को साफ-साफ मिला है।

इसके अलावा जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पश्चिम बंगाल में लगभग हर चरण के मतदान से पहले जमकर प्रचार किया उससे भाजपा के पक्ष में माहौल तेजी से बनता चला जा रहा था। भाजपा को राज्य के पश्चिमी क्षेत्र जंगल महल इलाके और उत्तरी बंगाल में जबरदस्त सफलता मिली है। राजधानी कोलकाता जहाँ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के रोड शो के दौरान तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हिंसा की थी वहां से भाजपा उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाई। भाजपा के कार्यकर्ताओं की जिस तरह चुनावों से पहले, चुनावों के दौरान और अब चुनाव परिणामों के बाद भी हत्याओं का दौर जारी है उससे प्रदेश की जनता में एक साफ संदेश जा रहा है कि वाम हिंसा खत्म करने का वादा कर सत्ता में आई तृणमूल कांग्रेस शासन के दौरान राजनीतिक हिंसा की घटनाएं बढ़ गयी हैं। लोकतंत्र में विचारधारा का विरोध चुनाव प्रक्रिया में भाग लेकर होता है ना कि गोली मारकर।

 सफल प्रशासक सिद्ध नहीं हो सकीं ममता बनर्जी 

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की राजनीति में जो सबसे बड़ी खामी देखने को मिल रही है वह यह है कि भाजपा के तेजी से बढ़ते ग्राफ की वजह से उनकी एक ही चिंता रह गयी है ‘भाजपा रोको’। ऐसे में राज्य प्रशासन निष्क्रिय-सा नजर आने लगा है। ना बंगाल में नये निवेश आ रहे हैं, ना ही वहां की सामाजिक स्थितियों में कोई सुधार नजर आ रहा है। राज्य के अधिकांश इलाकों में आपको आज भी पिछड़ापन और गरीबी के हालात ही नजर आयेंगे। लोगों को बड़ा लाभ देने वाली कई केंद्रीय योजनाओं को बंगाल में लागू नहीं किया गया है। ऊपर से चिटफंड घोटाले में राज्य की सत्ताधारी पार्टी के लोगों का नाम आने से पार्टी की भ्रष्टाचार विरोधी छवि एकदम खत्म हो गयी है। ममता बनर्जी केंद्रीय मंत्री के रूप में भी ज्यादा सफल नहीं रही थीं। मुख्यमंत्री के रूप में भी वह अपने राज्य को विकास के पथ पर ज्यादा आगे नहीं ले जा सकी हैं।

तृणमूल कांग्रेस कार्यालय में देखने को मिला कि आगंतुकों को शक की नजर से देखा जाता है कि कहीं आने वाला व्यक्ति भाजपा का कोई एजेंट तो नहीं। जाहिर है शक की बीमारी का कोई इलाज है ही नहीं। 

यह बंगाल में घर वापीसी के फेस 1 की एक्सटैन्शन है: विजय वर्गीय

तृणमूल काँग्रेस के विघटन की खबरें तो उसी दिन से आने लगीं थीं जिस दिन EXIT POLL के नतीजे आए थे। फिर 23 तारीख को तृणमूल का तारीख़ी सफर शुरू हुआ। चुनावों के दौरान कैलाश विजय वर्गीय बंगाल के प्रभारी थे, यहाँ उनकी टीम में मुकुल राय ने बड़ी महती भूमिका निभाई है. टीएमसी और कोमम्युनिस्ट पार्टी से लगातार आ रहे सांसदों से जहां ममता बेनर्जी सांसत में हैं वहाँ इस बात का भी डर है कि कहीं बंगाल राजनीति में आ रहे बदलाव के साथ साथ भाजपा भी टीएमसी और सीपीआई कि गुंडई राह पर न चल पड़े।

नई दिल्ली: लोककसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद तृणमूल कांग्रेस विधायकों व नेताओं का पाला बदलने का सिलसिला जारी है. पार्टी के दिल्ली कार्यालय में बीजेपी के केंद्रीय प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय और बीजेपी के नेता मुकुल राय की उपस्थिति में बीरभूम जिले के लाभपुर के विधायक मनीरूल इस्लाम, पूर्व विधायक गदाधर हाजरा, तृणमूल कांग्रेस के बीरभूम जिले के मोहम्मद यासिफ इकबाल व निमई दास बीजेपी में शामिल हो गए.

उल्लेखनीय है कि मंगलवार को नई दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय में तृणमूल कांग्रेस के बीजपुर के विधायक शुभ्रांशु राय और विष्णुपुर के विधायक तुषारकांति भट्टाचार्य और माकपा के हेमताबाद के विधायक देवेंद्रनाथ राय ने भाजपा का झंडा थाम लिया था. 

View image on Twitter

Trinamool Congress MLA Manirul Islam joins Bharatiya Janata Party in Delhi. TMC’s Gadadhar Hazra, Mohd Asif Iqbal and Nimai Das also join BJP.3,7654:25 PM – May 29, 20191,112 people are talking about thisTwitter Ads info and privacy

मुकुल राय की बड़ी भूमिका!

तृणमूल कांग्रेस में सेंध लगाने में मुकुल राय की भूमिका मानी जा रही है . राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी के शानदार प्रदर्शन में मुकुल राय प्रमुख शिल्पकारों में रहे हैं . बीजेपी ने  लोकसभा चुनाव में 18 सीटें जीती जबकि तृणमूल कांग्रेस की सीटों की संख्या घटकर 22 पर आ गई .

मुकुल रॉय ने दिल्ली में दावा किया कि भगवा पार्टी का निकट भविष्य में 60 नगर पालिकाओं पर नियंत्रण हो सकता है.  उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि अगले दो-तीन महीनों में भाजपा राज्य में 55-60 नगर पालिकाओं पर नियंत्रण हासिल कर लेगी.’

बंगाल में चुनावी हिंसा के शिकार कार्यकर्ताओं के परिवारों को प्रधान मंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में आने का न्योता

बीजेपी के रिकॉर्ड के मुताबिक 16-06-2013 को नृपेन मंडल नाम के कार्यकर्ता की हत्या हुई थी. बीजेपी के रिकॉर्ड के मुताबिक 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद भी 2 कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई. भाजपा ने चुनावों के दौरान मारे गए अपने कार्यकर्ताओं के परिवारों को शपथ ग्रहण समारोह में बुला कर न केवल बंगाल के कार्यकर्ता का मनोबल ऊंचा किया है बल्कि यह साफ संदेश भी दिया है कि नेतृत्व सदैव अपने कर्मठ कार्यर्ताओं के साथ खड़ा है।

नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव 2019 में प्रचड़ जीत हासिल करने के बाद बीजेपी, नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियों में जुट गई है. केंद्र की सत्ता में दूसरी पारी खेलने से पहले बीजेपी ने मास्टरस्ट्रोक खेलते हुए पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा में मारे गए बीजेपी कार्यकर्ताओं के परिवार वालों को शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है.

बीजेपी के दो कार्यकर्ताओं की हुई थी हत्या
बीजेपी के रिकॉर्ड के मुताबिक 16-06-2013 को नृपेन मंडल नाम के कार्यकर्ता की हत्या हुई थी. बीजेपी के रिकॉर्ड के मुताबिक 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद भी 2 कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई. इनके नाम चंदन साव और शांतू घोष है. पार्टी की ओर से कहा गया है कि वह इन दोनों ही कार्यकर्ताओं के परिवारवालों को दिल्ली के संसद भवन में 30 मई को आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने का आग्रह किया है  

शपथ ग्रहण समारोह में जाने के लिए उत्साहित हैं
बीजेपी की ओर से मिले शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने का निमंत्रण पत्र मिलने के बाद कार्यकर्ताओं के परिवारवालों में थोड़ी सी खुशी देखी जा रही है. मिदनापुर हिंसा में मारे गए बीजेपी कार्यकर्ताओं के परिजन (जो राजनीतिक हिंसा में पश्चिम बंगाल में मारे गए थे) ने पीएम नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया. स्वर्गीय मनु हांसदा के बेटे का कहना है, “मेरे पिता को टीएमसी के गुंडों ने मार डाला. हम खुश हैं कि हम दिल्ली जा रहे हैं. हमारे इलाके में अब शांति है.”

भारत के लिए मोदी ईश्वरीए चमत्कार से कम नहीं : शिव राज सिंह चौहान

NDA 347 UPA 92 Others 102

विधान सभा में NOTA दबाने वाले मतदाताओं ने इस बार अपनी गलती न केवल स्वीकारी अपितु प्र्याश्चित स्वरूप सूद समेत लोक सभा सीटों के रूप में शिवराज मामा की झोली भर दी है। शिवराज चौहान ने कहा, “राष्ट्रीय अध्यक्ष (अमित शाह) शुरू से कह रहे थे कि हमारा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन बाकी है. पश्चिम बंगाल, ओडिशा अभी बाकी है. राष्ट्रीय अध्यक्ष जो कहते हैं, वह करके दिखाते हैं, अब परिणाम भी वैसे आ रहे हैं.”

भोपाल: लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) के शुरुआती रुझान और नतीजे 2019 (Lok Sabha Election Results 2019) आने लगे हैं. ताजा रुझानों में मध्य प्रदेश की 28 सीटों पर बीजेपी और एक सीट पर कांग्रेस को बढ़त मिली हुई है. मध्य प्रदेश की कई सीटों पर बीजेपी प्रत्याशी करीब एक लाख वोटों की बढ़त बनाए हुए हैं. चुनावी रुझानों में दिख रही प्रचंड ‘मोदी लहर’ के बीच मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश की जनता के लिए ईश्वरीय चमत्कार बताया है. 

लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिली सफलता पर अपनी प्रतिक्रिया में शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा, “इस चुनाव से देश में नई राजनीति का उदय हुआ है. क्षेत्रवाद, जातिवाद और पंथवाद इस चुनाव से मिट गया. सारा देश एक साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पीछे खड़ा हो गया.” उन्होंने आगे कहा, “पीएम मोदी जनता की श्रद्धा हैं, आस्था हैं और ईश्वरीय चमत्कार हैं. सबका साथ-सबका विकास उनका मूल मंत्र है और सारा देश उनके पीछे खड़ा हो गया.”

कांग्रेस द्वारा ‘चौकीदार चोर है’ का नारा दिए जाने के सवाल पर चौहान ने कहा, “चुनाव में कांग्रेस ने बचकानी हरकतें कीं, राहुल बाबा को परिपक्व होना चाहिए, जिस तरह से वह गालियां देते रहे, चौकीदार चोर है के नारे लगवाते रहे. वहीं दूसरी ओर जनता कसम खाती रही कि पीएम मोदी के बारे में ऐसा कह रहे हैं, इसका हम बदला लेंगे और वह चुनावी नतीजों में दिख रहा है.” भाजपा को पश्चिम बंगाल और ओडिशा में मिली सफलता के सवाल पर चौहान ने कहा, “राष्ट्रीय अध्यक्ष (अमित शाह) शुरू से कह रहे थे कि हमारा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन बाकी है. पश्चिम बंगाल, ओडिशा अभी बाकी है. राष्ट्रीय अध्यक्ष जो कहते हैं, वह करके दिखाते हैं, अब परिणाम भी वैसे आ रहे हैं.”

In Andhra YSR Congress set for landslide win

NDA 344 UPA 88 Others 110

The man behind 3rd front looses his CM-ship may resign today

The first Assembly elections of the residual Andhra Pradesh five years after the bifurcation was held on April 11. The ruling Telugu Desam Party is pitted against the Y.S. Jagan Mohan Reddy-led YSR Congress. Telugu superstar Pawan Kalyan is also making his political debut this time.

The southern State sends 25 MPs to the Lok Sabha. Chief Minister N. Chandra Babu Naidu is one of the key regional leaders trying to unite the Opposition parties against the National Democratic Alliance. Today’s results will decide if Mr. Naidu will return as the the king of Andhra Pradesh or will go on to become the kingmaker.

गृह मंत्रालय की केंद्र शासित प्रदेशों और राज्यों को चौकन्ना रहने के आदेश

कुशवाहा, महागठबंधन के नेताओं ओर आम आदम पार्टी के भारद्वाज द्वारा नतीजे अनुरूप न आने पर गृह युद्ध छिड़ने की धमकी दिये जाने पर, गृह मंत्रालय ने अनुकूल नतीजे न मिलने पर हिंसा भड़काने को आतुर दलों का नाम लिए बिना एक अलर्ट जारी किया है। मंत्रालय का कहना है कि कुछ पक्षों द्वारा किए गए हिंसा भड़काने के आह्वान को देखते हुए यह कदम उठाया गया है.

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के लिए मतगणना से एक दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हिंसा की आशंका के मद्देनजर बुधवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अलर्ट कर दिया. मंत्रालय का कहना है कि कुछ पक्षों द्वारा किए गए हिंसा भड़काने के आह्वान को देखते हुए यह कदम उठाया गया है. 

मंत्रालय ने एक बयान में यह भी कहा कि उसने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कानून एवं व्यवस्था तथा शांति बनाये रखने के लिए कहा है.

बयान में कहा गया है,‘गृह मंत्रालय ने राज्य के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों को कल मतगणना के सिलसिले में देश के अलग..अलग हिस्सों में हिंसा भड़कने की आशंका के संबंध में अलर्ट किया है.’  मंत्रालय ने कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को साथ ही यह भी कहा गया है कि वे स्ट्रांग रुम और मतगणना स्थलों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठायें.

इसमें कहा गया है,‘यह विभिन्न पक्षों की ओर से मतगणना वाले दिन हिंसा भड़काने और बाधा उत्पन्न करने के लिए किए गए आह्वान और दिये गए बयानों के संबंध में किया गया है.’’ 

एक अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों को सूचना मिली है कि कुछ संगठन और व्यक्तियों ने, विशेष तौर पर उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार और त्रिपुरा में, कुछ बयान दिये हैं जिससे हिंसा उत्पन्न होने की आशंका है और इससे मतगणना प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हो सकती है.’’ 

लोकसभा चुनाव सात चरणों में 11 अप्रैल से 19 मई तक हुए थे. मतगणना गुरुवार को होगी.

पश्चिम बंगाल ममता बनर्जी के रवैये के चलते मोदी को 300 पार ले जाएगा: मोदी

Demokraticfront Bureau  

कल की अमित शाह की रैली पर हुए हमले के बाद भाजपा का रुख ममता के प्रति कड़ा हो गया है। अमित शाह ने आज पत्रकार वार्ता में अपने बंगाल से जान बचाने की बात कह कर एक सियासी भूचाल ला दिया है। भाजपा के दिग्गज नेताओं ने आज दिल्ली में मौन रह कर धारणा किया तो जवाब में ममता ने भी कोलकाता में पैदल मार्च निकाला। लेकिन प्रधान मंत्री ने आज ममता को उनके रवैये के प्रति चेताते हुए कहा की पश्चिम बंगाल ही मोदी को 300 पार ले जाएगा।

पीएम मोदी ने कहा, दीदी, सत्ता तो सेवा का माध्यम होती हैं. आप सत्ता और जनता को अपना गुलाम समझने की भूल कर रही हो.’

नई दिल्ली/कोलकोता: पीएम नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल को आपातकाल के दौर में ले आई हैं. 

पीएम मोदी ने कहा, दीदी, सत्ता तो सेवा का माध्यम होती हैं. आप सत्ता और जनता को अपना गुलाम समझने की भूल कर रही हो.’ उन्होंने कहा, ‘दीदी, जनता को धोखा आप दो, चिटफंड के नाम पर गरीबों का पैसा आप लूटों, भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए धरने पर आप बैठों और जब पश्चिम बंगाल की जनता आपसे हिसाब मांगे तो आप गालियां देने पर उतर आईं, हिंसा और आगजनी करने लगीं.

ममता मोदी की जनसभाओं में उमड़ी भीड़ को लेकर त्रस्त है

पीएम मोदी ने कहा, ‘मैं भाजपा के और पश्चिम बंगाल के उन साथियों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं जिनकी पिछले कुछ दिनों में टीएमसी के गुंडों ने हत्या की है। जो घायल हैं, उनके मैं जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं।’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘लोकतंत्र के लिए आपका ये बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा. पश्चिम बंगाल में गणतंत्र को फिर से स्थापित करने के लिए आपका होंसला और इच्छशक्ति पूरा देश बड़े आदर के साथ देख रहा है.’  

‘दीदी के गुंडे विनाश पर उतर आए हैं’  
पीएम ने कहा, ममता दीदी के गुंडे, गोलियां और बम लेकर विनाश करने पर उतर गए हैं, लेकिन लोकतंत्र के प्रति श्रद्धा को लेकर बंगाल के मेरे भाई-बहन डटकर खड़े हैं. आपका यही हौसला, आपका यही जोश ममता दीदी की इस अत्याचारी सत्ता को एक न एक दिन जड़ से उखाड़ देगा. 

‘ममता दीदी मत भूलिए कि ये 21वीं सदी का भारत है’ 
पीएम मोदी ने कहा कि दीदी आपकी बौखलाहट और बंगाल का जनसमर्थन देख कर मैं आपसे कह रहा हूं कि अब बंगाल हमें पूर्ण बहुमत से आगे 300 सीटें पार करवा कर रहेगा. उन्होंने कहा, ‘ममता दीदी मत भूलिए कि ये 21वीं सदी का भारत है अगर पश्चिम बंगाल की जनता आपको सातवें आसमान पर बिठा सकती है तो यही जनता आपको वापस जमीन पर भी गिरा सकती है.’

मैं आज किस्मत से जिंदा हूँ ममता ने तो मरवा ही दिया होता: अमित शाह

Demokraticfront.com Bureau  

कल अमित शाह की कोलकाता रैली में टीएमसी गुंडों द्वारा किए गए हमले से ममता बनर्जी की बोखलाहट सामने आती है। ए ओर जहां रैली पर टीएमसी के लोग ईंट पत्थरों से हमला कर रहे थे तो दूसरी ओर भाजपा कार्यकर्ताओं पर बंगाल पुलिस लाठियाँ भाँज रही थी। हमला इतना तीव्र था की कार्यकर्ताओं को संभालने का मौका भी नहीं मिला। आज अमित शाह की पत्रकारवार्ता सुनते हुए सुदर्शन फ़ाकिर 2 पंक्तियाँ याद आ गईं:

पत्थर के ख़ुदा, पत्थर के सनम पत्थर के ही इन्सा पाए हैं
तुम शहर-ए-मोहब्बत कहते हो हम जान बचा-कर आए हैं

कल के रैली पर हमले में एक बात तो साफ हो गयी कि रैली में भड़की भगदड़ कि आड़ में भाजपा प्रमुख पर हमला हो सकतीथा दैवयोग से वह बच गए। पर जो अधिक अचरज वाली बात है वह है विपक्ष का इस हमले पर मौन रहना। मानो सम्पूर्ण विपक्क्ष मानो इस हादसे कि इंतज़ार में था और अब निराश है। यही दुर्दैव यदि विपक्ष के किसी छुटभैये नेता के साथ भी हा होता तो अब तक सभी ओर से लोकतन्त्र पर विधवा विलाप आराम्भ हो गया होता।

नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव 2019 के आखिरी चरणों में पश्चिम बंगाल का रण एक बार फिर से हिंसक हो गया है. मंगलवार को कोलकाता में हुए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के रोड शो में जमकर बवाल हुआ, हिंसा हुई और आगजनी भी हुई. आज दिल्ली में अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और जमकर ममता बनर्जी पर हमला बोला. 

हकीकत को बताने के लिए आया हूं: शाह
अमित शाह ने कहा कि बंगाल में जो घटनाएं हुई हैं, उसी की हकीकत बताने आया हूं. देश में कहीं पर भी हिंसा नहीं हो रही है, लेकिन सिर्फ बंगाल में हो रही हैं. शाह ने कहा कि BJP तो पूरे देश में चुनाव लड़ रही है, लेकिन हिंसा सिर्फ पश्चिम बंगाल में हो रही है. अमित शाह ने कहा कि वह बड़ी मुश्किल से बचकर पश्चिम बंगाल से दिल्ली वापस आ पाए हैं. उन्होंने कहा कि अगर उनके पास सीआरपीएफ की सुरक्षा नहीं होती तो उनका बच पाना नामुमकिन था.

अमित शाह की प्रेस कॉन्फ्रेंस की मुख्य बातें

– हम 300 से ज्यादा सीटें जीत रहे हैं. पश्चिम बंगाल में हम 23 से ज्यादा सीटें जीत रहे हैं 
– ममता दीदी आपकी एफआईआर दर्ज की है, आपकी एफआईआर से हम नहीं डरते, मेरे 60 से ज्यादा कार्यकर्ताओं की जान आपके गुंडों ने ले ली है, हम डरते नहीं
– ममता दीदी जितना भी हिंसा का कीचड़ फैलाओगी कमल उतना ही खिलेगा  
– पर्यवेक्षकों ने कहा है कि निष्पक्ष चुनाव के लिए गुंडों को पकड़ना जरूरी है, लेकिन बंगाल में ऐसा नहीं हो रहा है
– सिर्फ बंगाल में 60 कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है
– अगर इसी प्रकार से बंगाल के अंदर चुनाव कराना है तो निष्पक्षता पर सवाल उठाता है
– पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग मूकदर्शक बना हुआ है. चुनाव आयोग बंगाल के अंदर एक भी जगह हिस्ट्री शीटरों की गिरफ्तारी को लेकर चुप है

– मैं मानता हूं कि वोट बैंक की राजनीति करने के लिए इतने प्रतिष्ठित व्यक्ति के पुतले को तोड़ना बताता है कि टीएमसी की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है
– कॉलेज के कमरे किसने खोले? कॉलेज पर किसका प्रशासनिक कब्जा है?
– ममता दीदी के कार्यकर्ताओं ने तोड़ी ईश्वरचंद्र विद्यासागर जी की प्रतिमा 
– बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि पश्चिम बंगाल में हिंसा का कारण टीएमसी है. क्योंकि बीजेपी हिंसा करती तो हर राज्य में होती.
– केवल बंगाल में नहीं होती. टीएमसी केवल 42 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. बीजेपी पूरे देश में चुनाव लड़ रही है.
– कल बीजेपी का रोड शो था. रोड शो से तीन घंटे पहले ही हमारे पोस्टर बैनर को हटाने का काम किया गया है. पुलिस मूक दर्शक बनकर खड़ी रही. 
– रोड शो के जरिए पीएम मोदी के पोस्टर फाड़े गए

भाजपा कि सभाओं में पहुंचे इस आपार जनसमूह से घबराई ममता

पुलिस ने अमित शाह के खिलाफ दर्ज की दो FIR
बुधवार को कोलकाता पुलिस ने अमित शाह के खिलाफ 2 एफआईआर दर्ज की है. जोड़ासांको और एमहर्स्ट स्ट्रीट थाने में यह एफआईआर दर्ज की गई है. ऐसा बताया जा रहा है कि यह दोनों एफाआईआर टीएमसी की छात्र ईकाई की शिकायत पर दर्ज की गई है. वहीं टीएमसी का आरोप है कि बीजेपी कार्यकर्ताओं ने समाजसेवी और दार्शनिक ईश्वर चंद विद्यासागर की मूर्ति तोड़ दी है. टीएमसी ने आज इसकी शिकायत करने के लिए चुनाव आयोग से मुलाकात का समय मांगा है.

न खाता न बही जो कहे ममता वही सही

Demokraticfront Panchkla Bureau  :

ममता बेनेर्जी की एक तस्वीर (मीम) क्या सोशल मीडिया पर वायरल हुई की बंगाल ई सियासत में भूकंप आ गया। प्रियंका शर्मा को 14 दिनों की हिरासत में भए दिया गया। कहा गया कि ममता कि इस तस्वीर के कारण उनकि छवि को बहुत धक्का लगा है। ममता के इस कृत्य के बाद तो मानो उन्की ऐसी आई तस्वीरें सोशल मीडिया में दिखने लगीं जो शायद पहली तस्वीर से भी आधिक मज़ाक उड़ाने वालीं थीं।लेकिन हैरानगी वाली बात यह है कि वह अभिव्यक्ति कि आज़ादी वाला नारी सम्मान वाला गिरोह अहीन नहीं डीह पड़ा। ईसका सीधा सीधा मतलब है कि भाजपा को समर्थन देने वालों में अथवा राष्ट्र कि बात करने वालों को अभिव्यति कि आज़ादी नहीं है। वैसे भी ममता की फोटो का meme बनाने की आवश्यकता नहीं है।

कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की विरूपित तस्वीर कथित रूप से सोशल मीडिया पर साझा करने के आरोप में गिरफ्तार भाजपा की महिला कार्यकर्ता प्रियंका शर्मा की रिहाई हो गई है. रिहाई के बाद प्रियंका ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद मुझे 18 घंटे तक जेल में रखा गया, जो कि तृणमूल कांग्रेस की मनमानी को दर्शाता है. 

प्रियंका ने कहा कि पश्चिम बंगाल की सरकार लोगों के साथ गलत कर रही है. उन्होंने कहा, मैं मांफी नहीं मांगूगी, मैंने केस किया और मैं इसके लिए लडूंगी.

जबरन लिखवाया गया माफीनामा
मीडिया को संबोधित करते हुए प्रियंका ने कहा कि सुधारक गृह से रिहाई के दौरान उनसे जबरन माफी नामा लिखवाया गया है. उन्होंने कहा कि जेलर ने मुझे जेल के अंदर धक्का दिया. प्रियंका शर्मा ने दावा किया कि जिस दौरान वह सुधारक गृह में थी, इस दौरान उनके परिवार के सदस्यों और वकील को नहीं मिलने दिया गया. उन्होंने कहा कि रिहाई से कुछ वक्त पहले मुझसे माफीनामे पर जबरन हस्ताक्षर करवाए गए.

कोर्ट ने दिया था तुरंत रिहाई का आदेश
बता दें कि 14 मई को कोर्ट में सुनवाई के दौरान, पश्चिम बंगाल सरकार को तुरंत प्रियंका को रिहा करने का आदेश दिया था. न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अवकाश कालीन पीठ ने भाजपा युवा मोर्चा की नेता प्रियंका शर्मा को जमानत देते हुए कहा था कि जेल से रिहाई के वक्त् उन्हें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की विरूपित तस्वीर कथित रूप से साझा करने ने के लिये लिखित में माफी मांगनी होगी. पीठ ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी वहां खत्म हो जाती है जब वह दूसरे के अधिकारों का अतिक्रमण कर रही हो.

प्रियंका शर्मा ने शेयर की थी ममता की विवादित तस्वीर
बीजेपी युवा मोर्चा की नेता प्रियंका शर्मा ने फेसबुक पर एक ऐसी फोटो कथित रूप से साझा की थी जिसमें न्यूयॉर्क में ‘मेट गाला’ समारोह में अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ाकी तस्वीर में फोटोशॉप के जरिए ममता का चेहरा लगाया गया था.प्रियंका शर्मा की गिरफ्तारी के बाद बीजेपी और सोशल मीडिया के अन्य यूजर ने इसका जोरदार विरोध किया है. 

इस वजह से मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
प्रियंका शर्मा को तृणमूल कांग्रेस के नेता विभास हाजरा की शिकायत पर पश्चिम बंगाल पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 500 (मानहानि) और सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत 10 मई को गिरफ्तार किया था. पश्चिम बंगाल में स्थानीय अदालतों में 14 मई तक पूर्ण हड़ताल होने के कारण ही बीजेपी की गिरफ्तार इस कार्यकर्ता को अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा. इसके बाद पीठ इस मामले की मंगलवार को सुनवाई के लिये तैयार हो गई थी.  

हिंदू विरोध से जीत के दिवास्वप्न दखने वाले एक और नेता कमल हस्सन

कई राष्ट्रिय पुरसकारों से सम्मानित एक दिग्गज अभिनेता कमाल हस्सन ने एक मंच से अपने सालों से अर्जित ज्ञान को बघारा। विस्मय है कि इतने सूझवान नेता को हत्या और आतंक में भेद करने लायक सामर्थ्य नहीं है। यह उनकी राजनैतिक विवशता थी क्योंकि वह मुस्लिम बहुल इलाके में चुनावी रेल कर रहे थे ओर सामने गांधी कि प्रतिमा भी थी। बाद में उन्होने इसी बात का बहुत भोथरा स्पष्टीकरण देने का भी प्रयास किया जिससे उनकी मनो:स्थिति का पता चलता है। मक्कल नीधि मैयम (एमएनएम) के संस्थापक कमल हासन ने यह कहकर नया विवाद खड़ा कर दिया है कि आजाद भारत का पहला ‘‘आतंकवादी हिन्दू’’ था. वह महात्मा गांधी की हत्या करने वाले, नाथूराम गोडसे के संदर्भ में बात कर रहे थे. हस्सन मोदी विरोध कि राजनीति करने मैदान में उतरे हैं और उन्हे लगता है मोदि विरोध ही उनकी चुनावी वैतरणी पार लगायेगा।

सनद रहे नाथुराम गोडसे ने महात्मा गांधी कि हत्या कि थी, नाथुराम को इतिहास एक हत्यारे के रूप में जानता है न कि एक आतंकी के रूप में आज कमल हस्सन स्वयं को इतिहास आरों ओर अदालतों से अधिक श्रेष्ठ जताने कि चेष्टा कर रहे हैं। वह यह बताते दिख रहे हैं कि उस समय के लोगों को हत्या ओर आतंक के बीच ठीक उसी तरह फर्क नहीं पता था जैसे आज काँग्रेस को हत्या ओर शहादत के बीच फर्क नहीं मालूम

अरवाकुरिचि (तमिलनाडु): मक्कल नीधि मैयम (एमएनएम) के संस्थापक कमल हासन ने यह कहकर नया विवाद खड़ा कर दिया है कि आजाद भारत का पहला ‘‘आतंकवादी हिन्दू’’ था. वह महात्मा गांधी की हत्या करने वाले, नाथूराम गोडसे के संदर्भ में बात कर रहे थे. रविवार की रात एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए हासन ने कहा कि वह एक ऐसे स्वाभिमानी भारतीय हैं जो समानता वाला भारत चाहते हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘मैं ऐसा इसलिए नहीं बोल रहा हूं कि यह मुसलमान बहुल इलाका है, बल्कि मैं यह बात गांधी की प्रतिमा के सामने बोल रहा हूं. आजाद भारत का पहला आतंकवादी हिन्दू था और उसका नाम नाथूराम गोडसे है. वहीं से इसकी (आतंकवाद) शुरुआत हुई.’’ महात्मा गांधी की 1948 में हुई हत्या का हवाला देते हुए हासन ने कहा कि वह उस हत्या का जवाब खोजने आये हैं.

Kamal Haasan during campaigning in Aravakurichi assembly constituency, Tamil Nadu, yesterday: “I am not saying this because many Muslims are here. I’m saying this in front of Mahatma Gandhi’s statue. First terrorist in independent India is a Hindu, his name is Nathuram Godse.” pic.twitter.com/LSDaNfOVK01,70210:13 AM – May 13, 2019Twitter Ads info and privacy1,697 people are talking about this

कमल हासन इससे पहले भी दक्षिणपंथी चरमपंथ पर निशाना साध चुके हैं. करीब डेढ़ साल पहले इस संबंध में उन्‍होंने एक विवादित लेख भी इस विषय पर लिखा था. उसमें उन्‍होंने लिखा था कि दक्षिणपंथी समूहों ने हिंसा का दामन इसलिये थामा क्योंकि उनकी पुरानी ”रणनीति” ने काम करना बंद कर दिया है. हसन ने तमिल पत्रिका ‘आनंद विकटन’ के अंक में अपने स्तंभ में आरोप लगाया था कि दक्षिणपंथी संगठनों ने अपने रुख में बदलाव किया है, हालांकि उन्होंने इसमें किसी का नाम नहीं लिया है.

कमाल हसन के इस वक्तव्य का विवेक ओबेरॉय ने खुल कर विरोध जताया है।