ममता के चलते डाक्टरों की देशव्यापी हड़ताल

पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी और डॉक्‍टरों के बीच हुए विवाद की आंच पूरे देश में फैल गई है. पश्चिम बंगाल के डॉक्‍टरों के साथ हुई मारपीट के बाद देशभर के डॉक्‍टर उनके समर्थन में आ गए हैं. इसके तहत राजधानी दिल्‍ली, मध्‍य प्रदेश, महाराष्‍ट्र और उत्‍तर प्रदेश के अधिकांश सरकारी और निजी डॉक्‍टर आज हड़ताल करेंगे. साथ ही कुछ मरीजों के इलाज के दौरान ही विरोध प्रदर्शन करेंगे. सनाद रहे कोलकाता के सरकारी अस्‍पताल सागर दत्‍ता मेडिकल कॉलेज और अस्‍पताल के 3 असिस्‍टेंट प्रोफेसर, 1 प्रोफेसर और 4 रेजिडेंट डॉक्‍टरों ने पद से इस्‍तीफा दे दिया है.

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टरों ने दोपहर दो बजे तक काम पर लौटने के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश को नहीं माना और कहा कि सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा संबंधी मांग पूरी होने तक हड़ताल जारी रहेगी. वहीं मुख्यमंत्री ने प्रदर्शनकारियों पर बरसते हुए विपक्षी बीजेपी और सीपीएम पर उन्हें भड़काने तथा मामले को सांप्रदायिक रंग देने का आरोप लगाया.

डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से कई सरकारी अस्पतालों एवं मेडिकल कॉलेजों अस्पतालों में तीसरे दिन भी आपातकालीन वार्ड, ओपीडी सेवाएं, पैथोलॉजिकल इकाइयां बंद रही. वहीं निजी अस्पतालों में भी चिकित्सकीय सेवाएं बंद रहीं. डॉक्टर कोलकाता में एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक मरीज की मौत के बाद भीड़ द्वारा अपने दो सहकर्मियों पर हमले के मद्देनजर प्रदर्शन कर रहे हैं. भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने घटना के खिलाफ तथा हड़ताली डॉक्टरों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए शुक्रवार को ‘अखिल भारतीय विरोध दिवस’ घोषित किया है.

विपक्ष ने गतिरोध के लिए बनर्जी पर हमला किया है और बीजेपी ने उनपर ‘हिटलर’ की तरह काम करने का आरोप लगाया. जब मुख्यमंत्री दोपहर में सरकारी एसएसकेएम अस्पताल पहुंची तो डॉक्टरों ने ‘हमें इंसाफ चाहिए’ के नारे लगाए. उन्होंने कहा, “मैं आंदोलन की निंदा करती हूं. कनिष्ठ चिकित्सकों का आंदोलन सीपीएम और बीजेपी का षड्यंत्र है.”  

बनर्जी के पास स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का भी प्रभार है. उन्होंने चिकित्सकों को चार घंटे के भीतर काम पर लौटने को कहा था लेकिन बाद में समय-सीमा में संशोधन करके इसे अपराह्न दो बजे कर दिया. उन्होंने ऐसा नहीं करने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी और कहा कि उन्हें छात्रावास खाली करने होंगे. बनर्जी की समय सीमा के बावजूद डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल जारी रखी. डॉक्टरों की एक टीम ने इस मुद्दे पर राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी से मुलाकात की. राज्यपाल ने भी उनसे हड़ताल खत्म करने की अपील की.

त्रिपाठी से भेंट के बाद राजभवन के बाहर एक जूनियर डॉक्टर ने कहा, “मांग पूरी होने तक हम अपना आंदोलन जारी रखेंगे. हमारी मांगे साधारण हैं…उचित सुरक्षा मिले और सभी अस्पताल में सशस्त्र पुलिस बल तैनात हों तथा एनआरएस अस्पताल में शनिवार को हुए हमले में शामिल अपराधियों को गैर जमानती धाराओं में गिरफ्तार किया जाए.”

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने जो कहा, हमें उनसे उसकी उम्मीद नहीं थी. बहरहाल, बनर्जी ने आरोप लगाया कि बाहर के लोग चिकित्सीय कॉलेजों और अस्पतालों में व्यवधान डालने के लिए घुस आए हैं. उन्होंने बीजेपी पर हड़ताल को साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा, “सीपीएम की मदद से बीजेपी हिंदू-मुस्लिम की राजनीति कर रही है. मैं उनके बीच प्रेम को देखकर स्तब्ध हूं.” बनर्जी ने कहा, “बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को साम्प्रदायिक तनाव पैदा करने और फेसबुक पर दुष्प्रचार चलाने के लिए उकसा रहे हैं.’’ 

एक फेसबुक पोस्ट में मुख्यमंत्री ने हड़ताल की वजह से मरीजों की खराब हालात को रेखांकित किया तथा दावा किया कि सरकार डॉक्टरों के साथ सहयोग कर रही है. उन्होंने एनआरएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में दो जूनियर डॉक्टरों को आई चोटों को दुर्भाग्यपूर्ण कहा. बनर्जी ने कहा कि इस बाबत पांच लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और इलाज में लापरवाही की शिकायत पर भी जांच के आदेश दे दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि कैंसर व गुर्दे के मरीज तथा दुर्घटना पीड़ित और दूर दराज से आए बच्चे इलाज नहीं मिलने की वजह से सबसे ज्यादा भुगत रहे हैं.

विपक्षी पार्टियों ने हड़ताली डॉक्टरों को कथित ‘धमकी’ देने के लिए मुख्यमंत्री की आलोचना की और स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर उनका इस्तीफा मांगा. बीजेपी नेता मुकुल रॉय ने आरोप लगाया कि बनर्जी अराजक बन गई हैं और ‘हिटलर’ की तरह काम कर रही है. तृणमूल कांग्रेस प्रमुख पर मामले का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाते हुए माकपा की केंद्रीय कमेटी के सदस्य सुजान चक्रवर्ती ने कहा कि बनर्जी की गतिरोध को खत्म करने में दिलचस्पी नहीं लगती है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सोमेन मित्रा ने भी मुख्यमंत्री की आलोचना करते हुए कहा कि राज्य सरकार को डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए.

स्वास्थ्य राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री बनर्जी पूरी स्थिति पर नजर रखे हुए हैं. मेरे पास डॉक्टरों के इस्तीफे की कोई रिपोर्ट नहीं है.’’

डॉक्टरों की हड़ताल की गूंज दिल्ली तक पहुंच गई हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने बृहस्पतिवार को मरीजों और उनके तीमारदारों से संयम बरतने का अनुरोध किया और घटना की निंदा की. उन्होंने कहा कि कि वह सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के समक्ष डॉक्टरों की सुरक्षा का मुद्दा उठाऐंगे. राष्ट्रीय राजधानी स्थित एम्स के रेजीडेंट डॉक्टरों ने बृहस्पतिवार को सांकेतिक प्रदर्शन करते हुए अपने सिर पर पट्टियां बांधकर काम किया और शुक्रवार को काम का बहिष्कार करने का फैसला किया. इस बीच बनर्जी ने एसएसकेएम अस्पताल के हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टरों पर उनके दौरे के समय अपशब्द बोलने का आरोप लगायाा.

उन्होंने गुरुवार रात को एक बांग्ला समाचार चैनल से बातचीत में कहा, “मैं आपातकालीन विभाग में गयी थी जहां वे मुझसे बात कर सकते थे, लेकिन जब मैं वहां थी तो उन्होंने जिस भाषा का इस्तेमाल किया, वह मुझे अपशब्द बोलने जैसा था.” 

मदरसों पर आजम खान की मोदी सरकार को नसीहत

आजम खान ने आज मोदी सरकार पर फिर से निशाना साधा है, आज उन्हे अपने वोट बैंक में सेंध लगती हुई सी मालूम हो रही है। इनकी राजनैतिक बिसात मुस्लमानों से शुरू होकर वहीं पर सिमट जाती है। कई दशकों तक सत्ता में रहने के बावजूद इनहोने कभी भी मुसलमानों के हक में कोई ठोस कदम नहीं उठाया, उन्हे बहुसंख्यक समाज से डराते रहे ओर पढ़ाई के नाम पर सिर्फ धर्म की पढ़ाई पर ही ज़ोर दिया अत: वह समाज की मुख्य धारा से काटते चले गए, लेकिन इनका वोट बैंक दृढ़ होता गया। आज जब मोदी सरकार अल्पसंख्यकों के लिए कुछ अच्छा करने जा रही है तो यह फिर अपना पुराना राग अलापने लगे हैं। मदरसों के ‘स्टैंडर्ड’ पर खुद कभी कोई काम नहीं किया ठीक ही है ‘पर उपदेश कुशल बहुतेरे’

नई दिल्ली/रामपुर: एक बार फिर से मोदी सरकार के बनने के बाद सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के नए नारे के साथ देश के अल्पसंख्यकों को साथ लेकर चलने के लिए अल्पसंख्यक मंत्रालय ने सक्रियता दिखाते हुए देश के अल्पसंख्यक विद्यार्थियों के लिए अगले पांच वर्ष का खाका खींच दिया है. सरकार ने तय किया है कि देश भर के मदरसों में मुख्यधारा की शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए मदरसा शिक्षकों को विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों से प्रशिक्षण दिलाया जाएगा, ताकि वे मदरसों में मुख्यधारा की शिक्षा-हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, कंप्यूटर आदि दे सकें. सरकार के इस फैसले पर सपा नेता और रामपुर से सांसद आजम खान ने निशाना साधा है. 

सही हो मदरसो का स्टैंडर्ड
उन्होंने कहा कि दो तरह के शिक्षा होती है. मदरसों में मजहबी तालीम दी जाती है. उन्हीं मदरसो में अंग्रेजी, हिन्दी, गणित पढ़ाई जाती है. उन्होंने कहा कि अगर मदद करनी है तो मदरसों का स्टैंडर्ड सही करना होगा. उन्होंने कहा कि झूठ बोलने, ठगी करने या धोखा देने से नुकसान हिन्दुस्तान का होगा.

अल्पसंख्यकों को कहां से देंगे सहूलियत
सपा सांसद ने देश की बेसिक शिक्षा पर निशाना साधते हुए कहा कि जिस मुल्क में हमारी बेसिक शिक्षा अभी भी पेड़ों के नीचे बैठकर पढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि बच्चे घर से टाट-फट्टा लेकर जाते हैं. तो सवाल ये कि सरकार सिर्फ अल्पसंख्यकों को कहां से सहूलियत देगी.

सरकार पर साधा निशाना
रामपुर सांसद आजम खान ने कहा कि आधुनिक मदरसे बनवाइए, उनकी इमारते बनावाइए, तन्खवा दिलवाइए ये अच्छी बात है. लेकिन धोखा मत दीजिए. उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मदरसों को आज तक मिड डे मील से महरूम रखा है और बात आधुनिक मदरसे की करते हैं. वजीफा देने की बात तो कर रहे हैं, लेकिन साथ ही इंस्टीटूशन खत्म कर रह हैं. उन्होंने जौहर यूनिवर्सिटी का जिक्र करते हुए कहा कि ले देकर एक अल्पसंख्यक संस्थान बचा है और बीजेपी सरकार उसके पीछे पड़ी हुई है कि किस तरह उसे बर्बाद किया जाए. 

… तो इन्हें माना जाए लोकतंत्र का दुश्मन
उन्होंने इस दौरान प्रज्ञा ठाकुर और नाथूराम गोडसे के विचारों को बढ़ावा देने वालों पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि मदरसे में नाथूराम गोडसे की फितरत पैदा नहीं की जाती, प्रज्ञा ठाकुर जैसी शखसियत पैदा नहीं की जाती. पहले सरकार को इन्हें रोकना चाहिए. उन्होंने कहा सरकार को ऐलान करना चाहिए कि नाथूराम गोडसे के विचारों को बढ़ावा देनेवालों को लोकतंत्र का दुश्मन माना जाएगा.

क्या लिया मोदी सरकार ने फैसला
आपको बता दें कि अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के नेतृत्व में मंगलवार को दिल्ली के अंत्योदय भवन में मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन की 112वीं गवर्निंग बॉडी और 65वीं आम सभा की बैठक हुई. इस बैठक के बाद मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि मोदी सरकार ने सांप्रदायिकता और तुष्टीकरण की ‘बीमारी’ को खत्म किया है और देश में स्वस्थ समावेशी विकास का माहौल बनाया है. नकवी ने कहा कि सरकार ‘समावेशी विकास, सर्वस्पर्शी विश्वास’ के प्रति प्रतिबद्ध है.

केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि देशभर में बने बड़ी संख्या में मदरसों को औपचारिक शिक्षा और मुख्यधारा की शिक्षा से जोड़ा जाएगा, ताकि मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे भी समाज के विकास में योगदान दे सकें. उन्होंने अल्पसंख्यकों को मिलने वाली स्कॉलरशिप पर कहा है कि केंद्र सरकार पांच करोड़ से ज्यादा गरीब अल्पसंख्यक वर्गों के गरीब छात्र छात्राओं को वजीफा देगी. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अल्पसंख्यक वर्गों के सशक्तिकरण के साथ शैक्षणिक, सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए प्रतिबद्ध है.

गंगा दशहरा 2019

हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार गंगा दशहरा का पर्व 12 जून 2019 यानी बुधवार के दिन मनाया जाएगा। गंगा दशहरा के दिन ही ईक्षवाकू वंश के राजा भागीरथ के प्रयास से मां गंगा धरती पर प्रकट हुई थी। मां गंगा की इस दिन विधिवत पूजा का विधान है। ज्येष्ठ मास की दशमी तिथि के दिन यह पर्व हर्षोल्लास से मनाया जाता है। गंगा दशहरा के दिन दान और स्नान को अधिक महत्व दिया जाता है। अगर आप भी गंगा दशहरा के दिन मां गंगा की पूजा- अर्चना करना चाहते हैं और आपको गंगा की पृथ्वी पर उत्पत्ति, गंगा जल के फायदे और गंगा दशहरा पर स्नान के महत्व के बारे में नहीं पता है तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे तो चलिए जानते हैं गंगा जल के फायदे और गंगा दशहरा पर स्नान के महत्व के बारे में…

गंगा का भूलोक पर उतरना

  • राजा दशरथ के पूर्वजों में राजा सगर हुए थे। सगर के पिता का नाम असित था। वे अत्यंत पराक्रमी थे। हैहय, तालजंघ, शूर और शशबिन्दु नामक राजा उनके शत्रु थे। उनसे युद्ध करते-करते राज्य त्यागकर उन्हें अपनी दो पत्नियों के साथ हिमालय भाग जाना पड़ा। वहां कुछ काल बाद उनकी मृत्यु हो गयी। उनकी दोनों पत्नियां गर्भवती थीं। उनमें से एक का नाम कालिंदी था। कालिंदी की संतान नष्ट करने के लिए उसकी सौत ने उसको विष दे दिया। कालिंदी अपनी संतान की रक्षा के निमित्त भृगुवंशी महर्षि च्यवन के पास गयी। महर्षि ने उसे आश्वासन दिया कि उसकी कोख से एक प्रतापी बालक विष के साथ (स+गर) जन्म लेगा। अत: उसके पुत्र का नाम सगर पड़ा।
  • सगर अयोध्या नगरी के राजा हुए। वे संतान प्राप्त करने के इच्छुक थे। उनकी सबसे बड़ी रानी विदर्भ नरेश की पुत्री केशिनी थी। दूसरी रानी का नाम सुमति था। दोनों रानियों के साथ राजा सगर ने हिमवान के प्रस्त्रवण गिरि पर तप किया। प्रसन्न होकर भृगु मुनि ने उन्हें वरदान दिया कि एक रानी को वंश चलाने वाले एक पुत्र की प्राप्ति होगी और दूसरी के साठ हज़ार वीर उत्साही पुत्र होंगे। बड़ी रानी के एक पुत्र और छोटी ने साठ हज़ार पुत्रों की कामना की। केशिनी का असमंजस नामक एक पुत्र हुआ और सुमति के गर्भ से एक तूंबा निकला जिसके फटने पर साठ हज़ार पुत्रों का जन्म हुआ। असमंजस बहुत दुष्ट प्रकृति का था। अयोध्या के बच्चों को सताकर प्रसन्न होता था। सगर ने उसे अपने देश से निकाल दिया। कालांतर में उसका पुत्र हुआ, जिसका नाम अंशुमान था। वह वीर, मधुरभाषी और पराक्रमी था।
  • राजा सगर ने विंध्य और हिमालय के मध्य यज्ञ किया। सगर के पौत्र अंशुमान यज्ञ के घोड़े की रक्षा कर रहे थे। जब अश्ववध का समय आया तो इन्द्र राक्षस का रूप धारण कर घोड़ा चुरा ले गये। सगर ने अपने साठ हज़ार पुत्रों को आज्ञा दी कि वे पृथ्वी खोद-खोदकर घोड़े को ढूंढ़ लायें। जब तक वे नहीं लौटेंगे, सगर और अंशुमान दीक्षा लिये यज्ञशाला में ही रहेंगे। सगर-पुत्रों ने पृथ्वी को बुरी तरह खोद डाला तथा जंतुओं का भी नाश किया। देवतागण ब्रह्मा के पास पहुंचे और बताया कि पृथ्वी और जीव-जंतु कैसे चिल्ला रहे हैं। ब्रह्मा ने कहा कि पृथ्वी विष्णु भगवान की स्त्री हैं वे ही कपिल मुनि का रूप धारण कर पृथ्वी की रक्षा करेंगे। सगर-पुत्र निराश होकर पिता के पास पहुंचे। पिता ने रुष्ट होकर उन्हें फिर से अश्व खोजने के लिए भेजा। हज़ार योजन खोदकर उन्होंने पृथ्वी धारण करने वाले विरूपाक्ष नामक दिग्गज को देखा। उसका सम्मान कर फिर वे आगे बढ़े। दक्षिण में महापद्म, उत्तर में श्वेतवर्ण भद्र दिग्गज तथा पश्चिम में सोमनस नामक दिग्गज को देखा। तदुपरांत उन्होंने कपिल मुनि को देखा तथा थोड़ी दूरी पर अश्व को चरते हुए पाया। उन्होंने कपिल मुनि का निरादर किया, फलस्वरूप मुनि के शाप से वे सब भस्म हो गये। बहुत दिनों तक पुत्रों को लौटता न देख राजा सगर ने अंशुमान को अश्व ढूंढ़ने के लिए भेजा। वे ढूंढ़ने-ढूंढ़ते अश्व के पास पहुंचे जहां सब चाचाओं की भस्म का स्तूप पड़ा था। जलदान के लिए आसपास कोई जलाशय भी नहीं मिला। तभी पक्षीराज गरुड़ उड़ते हुए वहां पहुंचे और कहा कि ‘ये सब कपिल मुनि के शाप से हुआ है, अत: साधारण जलदान से कुछ न होगा। गंगा का तर्पण करना होगा। इस समय तुम अश्व लेकर जाओ और पिता का यज्ञ पूर्ण करो।’ उन्होंने ऐसा ही किया।
  • सगर के बाद उनके पौत्र अंशुमान राजा हुए थे। अंशुमान अपने पुत्र दिलीप को राज्य-भार सौंप कर गंगा को पृथ्वी पर लाने की चिंता में ग्रस्त थे। उन्होंने घोर तपस्या करते हुए शरीर त्याग किया। राजा दिलीप गंगा को पृथ्वी पर लाने का कोई मार्ग नहीं सोच पाये और बीमार होकर स्वर्ग सिधार गये।
  • भगीरथ पुत्रहीन थे। उन्होंने राज्यभार अपने मन्त्रियों को सौंपा और स्वयं गोकर्ण तीर्थ में जाकर घोर तपस्या करने लगे। ब्रह्मा के प्रसन्न होने पर उन्होंने दो वर माँगे—एक तो यह कि गंगा जल चढ़ाकर भस्मीभूत पितरों को स्वर्ग प्राप्त करवा पायें और दूसरा यह कि उनको कुल की सुरक्षा करने वाला पुत्र प्राप्त हो। ब्रह्मा ने उन्हें दोनों वर दिये, साथ ही यह भी कहा कि गंगा का वेग इतना अधिक है कि पृथ्वी उसे संभाल नहीं सकती। शंकर भगवान की सहायता लेनी होगी। ब्रह्मा के देवताओं सहित चले जाने के उपरान्त भगीरथ ने पैर के अंगूठों पर खड़े होकर एक वर्ष तक तपस्या की। शंकर ने प्रसन्न होकर गंगा को अपने मस्तक पर धारण किया। गंगा को अपने वेग पर अभिमान था। उन्होंने सोचा था कि उनके वेग से शिव पाताल में पहुँच जायेंगे। शिव ने यह जानकर उन्हें अपनी जटाओं में ऐसे समा लिया कि उन्हें वर्षों तक शिव-जटाओं से निकलने का मार्ग नहीं मिला।
  • भगीरथ ने फिर से तपस्या की। शिव ने प्रसन्न होकर उसे बिंदुसर की ओर छोड़ा। वे सात धाराओं के रूप में प्रवाहित हुईं। ह्लादिनी, पावनी और नलिनी पूर्व दिशा की ओर; सुचक्षु, सीता और महानदी सिंधु पश्चिम की ओर बढ़ी। सातवीं धारा राजा भगीरथ की अनुगामिनी हुई। राजा भगीरथ गंगा में स्नान करके पवित्र हुए और अपने दिव्य रथ पर चढ़कर चल दिये। गंगा उनके पीछे-पीछे चलीं। मार्ग में अभिमानिनी गंगा के जल से जह्नुमुनि की यज्ञशाला बह गयी। क्रुद्ध होकर मुनि ने सम्पूर्ण गंगा जल पी लिया। इस पर चिंतित समस्त देवताओं ने जह्नुमुनि का पूजन किया तथा गंगा को उनकी पुत्री कहकर क्षमा-याचना की। जह्नु ने कानों के मार्ग से गंगा को बाहर निकाला। तभी से गंगा जह्नुसुता जान्हवी भी कहलाने लगीं। भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर गंगा समुद्र तक पहुँच गयीं। भगीरथ उन्हें रसातल ले गये तथा पितरों की भस्म को गंगा से सिंचित कर उन्हें पाप-मुक्त कर दिया। ब्रह्मा ने प्रसन्न होकर कहा—“हे भगीरथ, जब तक समुद्र रहेगा, तुम्हारे पितर देववत माने जायेंगे तथा गंगा तुम्हारी पुत्री कहलाकर भागीरथी नाम से विख्यात होगी। साथ ही वह तीन धाराओं में प्रवाहित होगी, इसलिए त्रिपथगा कहलायेगी।’’

गंगा जल के फायदे

1.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गंगा जल के स्पर्श मात्र से ही किसी भी चीज का शुद्धिकरण हो जाता है।
2.गंगा जल कई प्रकार की औषोधियों में भी प्रयोग होता है।
3.शास्त्रों के अनुसार अगर किसी मरते हुए व्यक्ति के गंगा की बूंदे डालने से उसके सभी पाप धूल जाते हैं।
4. गंगा जल का विशेष गुण है। उसका कभी न खराब होना । गंगा जल सालों तक खराब नहीं होता
5.शास्त्रों के अनुसार पूजा में गंगा जल का विशेष प्रयोग किया जाता है।

गंगा दशहरा पर स्नान महत्व

गंगा दशहरा पर स्नान को विशेष महत्व दिया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन पवित्र गंगा जी में डुबकी लगाने से मनुष्य अपने जीवन के सभी पाप और कष्ट से मुक्त हो जाता है। इसके अलावा गंगा दशहरा अगर आपको कोई ऐसा रोग है जो ठीक न हो और वह गंगा दशहरा के दिन कोई रोगी गंगा नदी में स्नान कर लेता है तो उसे उस रोग से मुक्ति मिल जाती है।

गंगा दशहरा पर किया गया स्नान मनुष्य के जन्म – जन्मांतर के पाप को धो देता है। माना जाता है अगर आप गंगा दशहरा के दिन किसी तीर्थ पर जाते हैं तो आपको इस दिन भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होगी।शास्त्रों में एक और चीज वर्णित है कि अगर आप गंगा जी में स्नान नहीं कर पाते तो अपने नहाने के पानी में इस दिन नहाने के पानी में गंगा जल डालकर स्नान कर सकते हैं।

इस दिन किया गया स्नान मनुष्य के जन्मों के पाप को धो देता है। इस दिन अगर आप किसी तीर्थ पर भी जाते हैं तो आपको इसका लाभ अवश्य मिलेगा और अगर आप गंगा जी में स्नान नहीं कर पाते तो अपने नहाने के पानी में इस दिन नहाने के पानी में गंगा जल डालकर स्नान कर सकते हैं।

नतीजों के 21 दिन बाद भी थम नहीं रहीं बंगाल में राजनैतिक हत्याएँ

ममता के बंगाल में “कुछ तो गड़बड़ है” वाले हालात हैं। चुनाव परिणाम आए तरीबन 21 दिन बीत गए हैं परंतु राजनैतिक हत्याओं का दौर अभी खत्म नहीं हो रहा। आए दिन भाजपा कार्यकर्ताओं कि हत्या की या फिर उनके संस्कार को ले कर ख़बरें आती जा रहीं हैं, सूत्रों की मानें तो इन सबे पीछे ममता बेनर्जी का तृणमूल के गुंडों पर उनका वरदहस्त होना और ममता के भड़काऊ भाषण हैं।

हावड़ाः पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसाओं को दौर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. कभी राज्य की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस बीजेपी पर अपने कार्यकर्ताओं की हत्या का आरोप लगाती है तो कभी बीजेपी टीएमसी पर अपने कार्यकर्ताओं की हत्या का आरोप लगाती है. सोमवार को बीजेपी ने दावा किया हावड़ा में उसके एक समर्थक को टीएमसी कार्यकर्ताओं ने सिर्फ इस लिए मार डाला क्योंकि वह जय श्री राम के नारे लगा रहा था. समतुल डोलोई नाम के इस शख्स की  उम्र 43 साल बताई जा रही है. पुलिस ने मौत की पुष्टि की है समतुल डोलोई का शव अमता थाना क्षेत्र के सरपोता गांव में मिला था. हालांकि पुलिस ने मौत के कारणों पर कुछ भी नहीं कहा है. 

स्थानीय सूत्रों के अनुसार डोलोई रविवार रात एक समारोह में गया था लेकिन घर नहीं लौटा. उसका शव सोमवार को मिला जिसके गले में फंदा था. बीजेपी की हावड़ा ग्रामीण इकाई के अध्यक्ष अनुपम मलिक ने दावा किया कि डोलोई उनकी पार्टी का समर्थक था और ‘जय श्री राम’ बोलने पर तृणमूल कांग्रेस के लोगों ने उसकी हत्या कर दी.

ममता के कारण भाजपा बंगाल में हावी: कांग्रेस

पश्चिम बंगाल में एक दम हाशिये पर आ चुकी कांग्रेस को भाजपा के उदय में ममता की कमियाँ दिखाई पड़ रहीं हैं। जहां ममता एक के बाद एक निकाय भाजपा से हारती जा रही है वहीं कांग्रेस भी इस सब ए लिए ममता को दोषी ठहरा रही है। कांग्रेस ने कहा कि ममता बनर्जी ने आम चुनावों में विपक्षी एकता को ‘कमजोर’ किया जिससे भाजपा को फायदा मिला.

कोलकाता: पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष सोमेन मित्र ने राज्य में बीजेपी और आरएसएस के उत्थान के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि अगर उन्होंने ‘पूरी तरह अल्पसंख्यक तुष्टिकरण’ की नीति नहीं अपनाई होती तो बीजेपी को यहां बढ़त हासिल नहीं होती.

मित्र ने कहा कि विपक्षी दलों के नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल करने वाली ममता बनर्जी अपना अस्तित्व बचाने के लिए जूझ रही हैं. उनका इशारा तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के भाजपा में शामिल होने की तरफ था.

सोमेने मित्रा ने कहा कि ममता बनर्जी ने आम चुनावों में विपक्षी एकता को ‘कमजोर’ किया जिससे भाजपा को फायदा मिला.

बंगाल में बीजेपी को मिली बड़ी जीत 
बता दें बंगाल में भाजपा को 42 में से 18 सीटों पर जीत मिली जबकि तृणमूल कांग्रेस को 22 सीटें हासिल हुईं. कांग्रेस को केवल दो सीट मिली जबकि 2014 में पार्टी ने चार सीटों पर जीत दर्ज की थी. बंगाल में 34 वर्षों तक राज करने वाली माकपा एक भी सीट पर जीत दर्ज नहीं कर पाई.

भारी जीत से खुश भाजपा नेताओं का कहना है कि 2021 के विधानसभा चुनावों में वे राज्य में तृणमूल कांग्रेस को उखाड़ फेंकेंगे.

दार्जिलिंग में ममता को मिला एक बड़ा झटका

भाजपा ने बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को एक और झटका दिया है। लोगों का मानना है कि भाजपा एक प्र्भवी विकल्प कि तरह उभर रही है। 32 सदस्यीय दार्जीलिंग नगर निगम में भाजपा अब बहुमत में है। निगम की दो सीटें खाली हैं. तृणमूल यहां पहली बार सत्‍ता में आई थी.

नई दिल्ली: बीजेपी पश्‍च‍िम बंगाल की राजनीत‍ि में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस को हर कदम पर नुकसान पहुंचाती दिख रही है. लोकसभा में तृणमूल से 16 सीटें छीनने के बाद अब बीजेपी नगर पालिका और नगर निगम पर अपनी निगाहें जमा दी हैं. शनिवार को दार्ज‍िलिंग नगर निगम में तृणमूल के 17 पार्षद बीजेपी में शामिल हो गए. इसके साथ ही इस नगर निगम में बीजेपी का कब्‍जा हो गया है. इससे पहले भाटपारा में नगर पालि‍का में भी बीजेपी ने जीत हासि‍ल की थी.

दार्जीलिंग नगर निगम के 17 पार्षद शनिवार को बीजेपी में शामिल हो गए जिससे स्थानीय निकाय में भाजपा को बहुमत मिल गया है. बीजेपी नेता मुकुल रॉय ने पार्षदों को औपचारिक रूप से पार्टी में शामिल कराने के बाद संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी. रॉय ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर जनप्रतिनिधियों और उनके समर्थकों का उत्पीड़न करने के लिए पुलिस के इस्तेमाल का आरोप लगाया.

उन्होंने कहा, ‘राज्य में लोकतंत्र बचाने की हमारी लड़ाई जारी है. लोकसभा चुनाव में जनादेश मुख्यमंत्री के खिलाफ था, लेकिन अब वह बीजेपी कार्यकर्ताओं और समर्थकों को परेशान करने के लिए पुलिस राज का इस्तेमाल कर रही हैं.’ रॉय ने कहा कि 32 सदस्यीय दार्जीलिंग नगर निगम में भाजपा अब बहुमत में है. निगम की दो सीटें खाली हैं.

उन्होंने कहा कि भाजपा आने वाले दिनों में यहां बड़ा प्रदर्शन करेगी. राज्य के पार्टी मामलों के प्रभारी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी बनर्जी पर निशाना साधते हुए उन पर अनेक संस्थाओं पर हमले का आरोप लगाया. दार्जीलिंग से सांसद राजू बिस्ता ने कहा कि राज्य में खासकर उत्तर बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को हुए नुकसान के लिए पुलिस क्षेत्र में बीजेपी के लोगों को परेशान कर रही है.

एक साल पहले हुए निकाय चुनावों में पहली बार ममता बनर्जी की पार्टी को हिल्‍स यानी दार्ज‍िलि‍ंग नगर निगम में कामयाबी मिली थी. इस क्षेत्र में बिमल गुरुंग की गोरखा जनमुक्‍त‍ि मोर्चा का दबदबा रहता है. ये संगठन लंबे समय से अलग प्रदेश गोरखालैंड की मांग पर अड़ा है. बीजेपी इसी के सहयोग से दार्ज‍िलिंग की लोकसभा सीट जीतती आ रही है.

भाटपारा में तृणमूल का सूपड़ा साफ

बैरकपुर : लोकसभा चुनावों से शुरू हुई बीजेपी की लहर पश्चिम बंगाल में थमने का नाम नहीं ले रही है. अब नगरीय निकाय के चुनावों में भी बीजेपी ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को झटके पर झटका दे रही है. मंगलवार को भाटपारा के निकाय चुनाव हुए. यहां पर तो बीजेपी ने तृणमूल कांग्रेस का सफाया ही कर दिया. पूरी नगरपालिका में ममता बनर्जी की पार्टी का एक भी उम्‍मीदवार नहीं जीता. यहां 26 में से 26 उम्‍मीदवार बीजेपी के जीतकर आए.

बीजेपी के नए चेयरमैन सौरव सिंह चुने गए. लोकसभा चुनाव के बाद से ही भाटपारा नगरपालिका पर कब्‍जे को लेकर बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस के बीच जमकर उठापटक चल रही थी. लेकिन चुनाव के बाद आए नतीजों में तृणमूल कांग्रेस औंधे मुंह गिरी है.

अब तक बीजेपी ने पश्‍च‍िम बंगाल कोई भी नगर पालिका पर कब्‍जा नहीं जमाया है. ये पहली नगर पालिका है, जहां बीजेपी ने कब्‍जा जमाया है. भाटपारा विधानसभा में भी बीजेपी उम्‍मीदवार ने ही जीत हासिल की थी. यहां के बैरकपुर क्षेत्र से बीजेपी के टिकट पर अर्जुन सिंह जीतकर आए हैं. वह हाल में ही तृणमूल को छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे. उन्‍होंने बैरकपुर में 3 बार के सांसद दिनेश त्रिवेदी को हराकर बीजेपी को जीत दिलाई है.  

पश्‍च‍िम बंगाल में लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 42 सीटों में से 18 सीट मिली थीं. 2014 में बीजेपी को बंगाल में सिर्फ 2 सीटों पर जीत मिली थी. लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने तृणमूल को बड़ा झटका दे दिया. तृणमूल के साथ साथ सीपीएम के हिस्‍से से भी सीटें लेते हुए बीजेपी ने 18 सीटों पर अपना कब्‍जा जमाया है. इतना ही नहीं लोकसभा चुनावों के साथ हुए 4 सीटों के उपचुनावों में भी बीजेपी ने जीत हासिल की.

अलगाववादी बयानों को लेकर घिरे ओवैसी

मोदी की रहनुमाई में भाजपा की इंकलाबी जीत की आँधी में तिनके की तरह उड़े विपक्ष के एक मुस्लिम अलगाववादी नेता ओवैसी ने मोदी के “सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ के बदले में मक्का मस्जिद में मुस्लिम बिरदरान को भड़काते हुए कहा की ‘मुसलमान यहाँ हिस्सेदार है न कि किरायेदार’ उनके इस बयान से उनकी हताशा ओर निराशा तो नज़र आती ही है साथ ही उनकी कुंठित सोछ जो उनके अपने ही समाज को ले कर है नज़र आती है, गहन निराशा में डूबे ओवैसी एक बार फिर अपने बयानों को लेकर घिर गए हैं।

Madhav Bhandar a file photograph

नई दिल्ली : ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के किरायेदार वाले बयान पर बीजेपी ने पलटवार किया है. बीजेपी नेता माधव भंडारी ने असदुद्दीन ओवैसी पर हमला बोलते हुए कहा- उन्हें सोच समझकर बोलना चाहिए, उनको किसी ने किरायेदार नहीं कहा, लेकिन हिस्सेदारी की भाषा बोलेंगे तो वो 1947 में दे दी, तो मामला ही खत्म हो गया. 

क्या बोले थे ओवैसी
बता दें कि 1 जून को ओवैसी ने बीजेपी की जीत पर तंज कसते हुए कहा था, अगर कोई ये समझ रहा है कि हिंदुस्तान के वजीर-ए-आजम 300 सीट जीतकर हिंदुस्तान पर मनमानी करेंगे तो यह नहीं हो सकेगा.

उन्होंने कहा, वजीर-ए-आजम से हम कहना चाहते हैं, संविधान का हवाला देकर ओवैसी ने कहा कि मैं आपसे लडूंगा, मजलूमों के इंसाफ के लिए. उन्होंने कहा था कि हिंदुस्तान को आबाद रखना है, हम हिंदुस्तान को आबाद रखेंगे, हम यहां पर बराबर के शेहरी है, किरायेदार नहीं है, हिस्सेदार रहेंगे. 

साक्षी महाराज का प्रश्न विवादास्पद कैसे और ममता के कृत्य संवैधानिक कैसे???

जब ममता जय श्री राम बोलने वालों पर लाठीयां भांजवाती है, उन्हे गुंडागर्दी अथवा देशद्रोह जैसे मामलों में फंसवाने की बात करती है और तब भी जब जय श्रीराम बोलने वालों की खाल में भूसा भरवा देने की बात कहती है तब सब कुछ ठीक रहता है और तब भी जब हम सुनते हैं की जय श्री राम असंवैधानी है। बस विवाद तब उत्पन्न होता है जब साक्षी महाराज कहते हैं कि “जय श्रीराम कहने वालों को यातनाएं दी जा रही है. उन्‍हें जेल में भेजा जा रहा है.  क्या ममता हरिण्याक्ष के परिवार से है?” तब यह बयान विवादास्पद हो जाता है।

हरिद्वार : हरिद्वार पहुंचे उन्नाव के बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि बंगाल की जब बात आती है तो त्रेता युग याद आता है. एक राक्षसराज था हिरण्यकश्यप. उसके बेटे ने कह दिया था ”जय श्रीराम” तो बाप ने बेटे को जेल में बंद कर दिया था. बहुत सारी यातनाएं दी थीं और अब वही दोहराया जा रहा है. उन्‍होंने पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि बंगाल में तो ऐसा लगता है कि कहीं हिरण्यकश्यप के ही खानदान की तो नहीं हैं ममता बनर्जी. 

साक्षी महाराज ने कहा कि जय श्रीराम कहने वालों को यातनाएं दी जा रही है. उन्‍हें जेल में भेजा जा रहा है. परिणाम यह हो गया कि यह स्थिति हो गई है कि जय श्रीराम कहने से वो खिसियाने लगी हैं. वह गालियां देने लगी हैं. सड़कों पर उतरने लगी हैं. उसके विरोध में न जाने क्या क्या योजना बनाने लगी है.

उन्होंने कहा कि जिस तरह से पश्चिम बंगाल में इस चुनाव में तमाम विरोधों के बावजूद भारतीय जनता पार्टी को 41 परसेंट वोट मिला है, 18 सीटें हम लेकर आए हैं तो मैं पूरे विश्वास के साथ मां गंगा के तट पर यह कह सकता हूं कि विधानसभा के चुनाव में पश्चिम बंगाल में भाजपा की सरकार बनेगी.

बंगाल में “जय श्री राम” का नारा न केवल असंवैधानिक है आपितु ममता का घोर अपमान है

इधर जब सम्पूर्ण राष्ट्र नयी सरकार के शपथ ग्रहण की खुशी में डूबा था तब भी बंगाल चुनावी हिंसा का साक्षी बना हुआ था। बीरभूम जैसे मुस्लिम बहुल इलाके के नेता जब भाजपा के पाले में चले जाएँ, ममता के समकक्ष जेबी उन 54 परिवारों को बैठाया जाये जिनहोने अपने परिजन बंगाल में हुई चुनावी हिंसा में तृणमूल काँग्रेस के लोगों के हाथों मरते देखा हो तो ममता का पारा चढ़ना स्वाभाविक है। परगना में विजय यात्रा की तयारी कर रहे भाजपा कार्यकर्ताओं पर बम से हमला किया गया, एक भाजपा कार्यकर्ता की मौत हो गयी। वहीं फिर से दंगा भाड़क गया। सूत्रों कि मानें तो ममता वहाँ अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने जा रहीं थीं।

कोलकाता: 

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी गुरुवार को उस समय अपना आपा खो बैठी जब कुछ लोगों के एक समूह ने उनके काफिले के सामने ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए. बनर्जी का काफिला उत्तरी 24 परगना जिले के संकटग्रस्त भाटपारा से गुजर रहा था तभी कुछ लोगों ने ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए जिसके बाद वह एक बार फिर अपना आपा खो बैठीं. तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद अपने पार्टी कार्यकर्ताओं पर हुई ‘हिंसा’ के खिलाफ एक धरने में हिस्सा लेने के लिए नैहाटी जा रही थीं. 

सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में कुछ लोग उस समय ‘‘जय श्री राम’’ के नारे लगाते हुए नजर आ रहे हैं, जब बनर्जी का काफिला भाटपारा क्षेत्र से गुजर रहा था. इस क्षेत्र में चुनाव परिणामों की घोषणा होने के बाद से भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच हिंसा चल रही है. यह क्षेत्र भाजपा के नवनिर्वाचित सांसद अर्जुन सिंह का गढ़ माना जाता है. सिंह ने चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के दिनेश त्रिवेदी को पराजित किया है.

वीडियो में साफ दिख रहा है कि ममता कार से उतरीं और जय श्री राम का नारा लगा रहे लोगों का सामना किया. ममता ने इस पूरी घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह इस तरह की गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं करेंगी. ममता ने कहा, “मैं बंगाल को गुजरात नहीं बनने दूंगी. आप सब मेरी बदौलत जिंदा हैं. मैं आप लोगों को एक मिनट में सबक सिखा सकती हूं. आप लोगों की मेरे काफिले पर हमला करने की हिम्मत कैसे हुई.” उन्होंने खाल उड़ाने की धमकी दे डाली. ममता ने आरोप लगाते हुए कहा, “जय श्री राम का नारा लगाने वाले बाहरी हैं और बीजेपी के लोग हैं. वे अपराधिक पृष्ठभूमि के हैं और मुझे गाली दे रहे हैं. वे बंगाल के नहीं हैं.” 

क्रोधित बनर्जी अपने कार से बाहर आई और उन्होंने अपने सुरक्षा अधिकारियों से इन पुरूषों के नाम लिखने को कहा. उन्हें यह कहते हुए सुना गया, “आप अपने बारे में क्या सोचते हैं? आप अन्य राज्यों से आएंगे, यहां रहें और हमारे साथ दुर्व्यवहार करें. मैं इसे बर्दाश्त नहीं करूंगी. तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे अपमानित करने की? आप सभी के नामों और विवरणों को लिख लिया जाएगा.”

#WATCH North 24 Parganas: West Bengal CM Mamata Banerjee gets off her car and confronts people chanting ‘Jai Shri Ram’ slogans, Banerjee says’These are all outsiders and BJP people, they are criminals and were abusing me. They are not from Bengal.’ pic.twitter.com/haGjQmQYlv

— ANI (@ANI) May 30, 2019

मुख्यमंत्री के अपनी कार में वापस जाने के बाद उन लोगों ने फिर से ‘‘जय श्री राम’’ के नारे लगाए जिस वजह से उन्हें फिर से एक बार अपने वाहन से उतरना पड़ा. इसके बाद नैहाटी में धरने में बैठे लोगों को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा कि भाजपा के कुछ कार्यकर्ता उनकी कार के सामने आए और उन्हें अपशब्द कहने लगे. उन्होंने पूछा, ‘‘क्या यहीं लोकतंत्र है?’’

इससे पहले, चार मई को एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें बनर्जी जय श्री राम का नारा लगा रहे लोगों का सामना करने के लिए अपने वाहन से उतर गईं. बनर्जी के काफिले को रुका देख, लोगों ने भागना शुरू कर दिया. ममता ने उन्हें वापस आने की चुनौती दी थी. चार लोगों को इसी सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था.