समारोह में बीजेपी, कांग्रेस समेत अन्य दलों के कई नेता मौजूद थे. लेकिन यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी इस समारोह से नदारद रहे.
नई दिल्ली : पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न दिया गया है. गुरुवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा. इस समारोह में बीजेपी, कांग्रेस समेत अन्य दलों के कई नेता मौजूद थे. लेकिन यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी इस समारोह से नदारद रहे. इस पर बीजेपी ने कांग्रेस पर निशाना साधा है.
बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि कांग्रेस को हो क्या गया है. हमें समझ में नहीं आ रहा है. प्रणब दा किसी एक पार्टी के नहीं, बल्कि देश के नेता हैं. सारे पार्टी के लोग समारोह में शामिल हुए थे. लेकिन पता नहीं उन्हें (सोनिया-राहुल गांधी को) क्या हो गया है.
वहीं कांग्रेस नेता तारिक अनवर ने कहा कि प्रणब मुखर्जी इसे डिजर्व करते थे. चाहे मंत्री हों या सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में हों, उन्होंने देश की सेवा की है. इसलिए भारत रत्न से नवाजा गया है. सोनिया और राहुल गांधी के समारोह में ना शामिल होने के मामले में उन्होंने कहा कि मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/08/PTI8_8_2019_000132B.jpg500700Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-08-09 06:44:172019-08-09 06:45:40प्रणब दा के सम्मान से सोनिया-रहुल ने बनाई दूरी
ट्रिपल तलाक बिल राज्यसभा में भी पास हो गया है. बिल के पक्ष में 99 जबकि विपक्ष में 84 वोट पड़े. पीएम मोदी ने कहा, ‘एक प्राचीन और मध्यकालिन प्रथा को आखिरकार इतिहास के कूड़ेदान में डाल दिया गया. संसद ने ट्रिपल तलाक खत्म कर दिया है और मुस्लिम महिलाओं के साथ की गई एक एतिहासिक गलती को सुधार दिया है. पीएम मोदी ने कहा कि यह जेंडर जस्टिस की जीत है जो कि आगे समाज में समानता लाएगी. आज भारत खुश है.’
नई दिल्ली: देश के लिए आज ऐतिहासिक दिन है. मोदी सरकार ने मुस्लिम बहनों को रक्षाबंधन का गिफ्ट दिया है. ट्रिपल तलाक बिल राज्यसभा में भी पास हो गया है. बिल के पक्ष में 99 जबकि विपक्ष में 84 वोट पड़े. अब बिल को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. उनके हस्ताक्षर के बाद यह कानून का रूप ले लेगा. एनडीए के 16 सदस्यों ने बिल का बहिष्कार किया और वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. उधर, विपक्ष की ओर से एनसीपी, बसपा, आम आदमी पार्टी के सदस्यों ने बॉयकट किया. एआईएडीएमके और जेडीयू ने सदन से वॉक आउट किया. बीजेडी ने बिल का समर्थन किया. कांग्रेस के 4 सदस्य किसी वजह से सदन में मौजूद नहीं थे. वहीं बीजेपी के दो सांसद सदन में मौजूद नहीं थे.
उधर, राज्यसभा में ट्रिपल तलाक पास होने पर कानून मंत्री रविशंकर ने प्रतिक्रिया देते हुए कह, “यह ऐतिहासिक दिन है. दोनों सदनों ने मुस्लिम महिलाओं को न्याय प्रदान किया है. ये बदलते भारत की शुरुआत है.”
इससे पहले, बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने का प्रस्ताव गिर गया था. तभी तय हो गया था कि यह बिल राज्यसभा में पास हो जाएगा क्योंकि वोटिंग के दौरान संख्याबल यही रहने के आसार थे. थोड़ी देर बाद, बिल पास हो गया. लोकसभा में पास होने के बाद तीन तलाक बिल मंगलवार को राज्यसभा में पेश किया गया था. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दोपहर 12 बजे बिल सदन के पटल पर रखा और कहा कि सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले में इस प्रथा को अवैध ठहराया गया लेकिन उसके बाद भी तीन तलाक की प्रथा जारी है.
अब ट्रिपल तलाक दिया तो क्या होगा?
1. देश में अब ट्रिपल तलाक अपराध होगा. 2. ट्रिपल तलाक देने पर पति को अधिकतम 3 साल की सजा मिल सकती है. 3. पीड़िता या रिश्तेदार अब एफआईआर दर्ज करा सकते हैं.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/07/triple-talaq.jpg498885Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-07-30 16:05:242019-07-30 16:08:29भाजपा ने ‘राज्यसभा’ में भी ट्रिपल तलाक बिल को दिलाई मंजूरी
प्रणब मुखर्जी जुलाई 2012 से जुलाई 2017 तक देश के राष्ट्रपति रहे. इसके पहले उन्होंने वित्त, रक्षा और विदेश जैसे अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी भी संभाली थी 11 दिसम्बर 1935, (पश्चिम बंगाल) को जन्मे प्रणब दा भारत के तेरहवें राष्ट्रपति रह चुके हैं। 26 जनवरी 2019 को प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया है। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे हैं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ने उन्हें अपना उम्मीदवार घोषित किया। सीधे मुकाबले में उन्होंने अपने प्रतिपक्षी प्रत्याशी पी.ए. संगमा को हराया। उन्होंने 25 जुलाई 2012 को भारत के तेरहवें राष्ट्रपति के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली। प्रणब मुखर्जी ने किताब ‘द कोलिएशन ईयर्स: 1996-2012’ लिखी है।
नई दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को 8 अगस्त को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा जाएगा. सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रपति के हाथों प्रणब मुखर्जी को 8 अगस्त को भारत रत्न सम्मान दिया जाएगा. इस साल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के अलावा समाजसेवी नानाजी देशमुख और मशहूर संगीतकार और गायक भूपेन हज़ारिका को भारत रत्न देने का ऐलान किया था. प्रणब मुखर्जी जुलाई 2012 से जुलाई 2017 तक देश के राष्ट्रपति रहे. इसके पहले उन्होंने वित्त, रक्षा और विदेश जैसे अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी भी संभाली थी. साल 2004 से 2012 तक केंद्र में कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार में उन्हें प्रमुख ‘संकटमोचक’ माना जाता था.
कांग्रेस ने प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न देने का स्वागत किया था कांग्रेस नेताओं ने प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न दिए जाने के फ़ैसले का स्वागत किया था. भारत रत्न मिलने के ऐलान के बाद प्रणब मुखर्जी ने अपने संदेश में कहा था कि, “मैं भारत के लोगों के प्रति पूरी विनम्रता और कृतज्ञता की भावना के साथ इस महान सम्मान भारत रत्न को स्वीकार करता हूं. मैंने हमेशा कहा है और मैं दोहराता हूं कि मुझे अपने महान देश के लोगों से उससे कही अधिक मिला है जितना मैंने उन्हें दिया है.”
मुखर्जी 47 वर्ष की उम्र में देश के सबसे कम उम्र के वित्त मंत्री बने मुखर्जी 1982 में 47 वर्ष की उम्र में देश के सबसे कम उम्र के वित्त मंत्री बने थे. वर्ष 2004 से उन्होंने तीन महत्वपूर्ण मंत्रालयों विदेश मंत्रालय, रक्षा और वित्त मंत्रालय का कामकाज संभाला था. ‘प्रणब दा’ के नाम से मशहूर मुखर्जी 2012 से 2017 तक देश के राष्ट्रपति रहे थे. पिछले वर्ष नागपुर में आरएसएस के एक कार्यक्रम में शामिल होने पर मुखर्जी को कुछ लोगों से आलोचना का सामना करना पड़ा था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी थी बधाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा पर खुशी जताते कहा था कि मुखर्जी ने अपने निस्वार्थ कार्यों से देश की विकास यात्रा में मजबूत छाप छोड़ी है. पीएम मोदी ने ट्विटर पर लिखा था, ‘‘प्रणब दा हमारे समय के उत्कृष्ट राजनेता हैं. उन्होंने दशकों तक देश की निस्वार्थ और अथक सेवा की है और देश की विकास यात्रा पर मजबूत छाप छोड़ी है. उनकी बुद्धिमत्ता और मेधा के सानी बहुत कम लोग होंगे. प्रसन्नता है कि उन्हें भारत रत्न देने की घोषणा की गई है.”
राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा था, ‘प्रणब दा, भारत रत्न के लिए बधाई कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न से सम्मानित करने की भारत सरकार की घोषणा के बाद मुखर्जी को बधाई दी थी और कहा था कि उनकी पार्टी को गर्व है कि कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे एक व्यक्ति के योगदान को पहचान और सम्मान दिया गया है.
राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा था, ‘प्रणब दा, भारत रत्न के लिए बधाई. कांग्रेस पार्टी को गर्व है कि जनसेवा एवं राष्ट्र निर्माण में हमारे एक अपने के असीम योगदान को पहचान और सम्मान मिला है.’ उन्होंने भूपेन हजारिका और नानाजी देशमुख को भारत रत्न (मरणोपरांत) दिए जाने की घोषणा पर भी खुशी जताई.”
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/Pranab2.jpg22001458Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-07-29 01:31:162019-07-29 01:31:18“भारत रत्न” से सम्मानित होंगे प्रणब दा
स्पीकर ने विधायकों को फटकार लगाते हुए कहा कि मैं यहां रात 12 बजे तक बैठने के लिए तैयार हूं. आप ऐसा क्यों कर रहे हैं? यह सही नहीं है.
ब्यूरो : विधानसभा की कार्यवाही फिर से शुरू हो गई है. कांग्रेस-JDS विधायकों ने विधानसभा में हंगामा किया. ‘संविधान बचाने की दुहाई’ के नारे लगाए. स्पीकर ने विधायकों की इस हरकत पर फटकार लगाई और कहा कि मैं यहां रात 12 बजे तक बैठने के लिए तैयार हूं. आप ऐसा क्यों कर रहे हैं? यह सही नहीं है.
इससे पहले, कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी से उनके चैंबर में मुलाकात की. कुमारस्वामी के अलावा, कर्नाटक के डिप्टी सीएम जी. परमेश्वर, जेडीएस विधायक सा रा. महेश, कृष्णा गौड़ा और सिद्धारमैया भी इस बैठक में मौजूद रहे. इससे पहले, स्पीकर ने बीजेपी नेताओं के साथ बैठक की थी. उधर, विश्वास मत प्रस्ताव पर चर्चा खत्म होने के बाद वोटिंग पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है. हालांकि स्पीकर आज ही वोटिंग कराने पर अड़े हैं.
इससे पहले, मुख्यमंत्री कुमारस्वामी द्वारा बुधवार तक का समय मांगे जाने पर विधानसभा अध्यक्ष कुमार ने नकार दिया. स्पीकर ने कहा, “जैसा कि शुक्रवार को निर्णय हुआ था मैं आज (सोमवार) विश्वास मत को मतदान के लिए रखूंगा.”
जेडीएस विधायकों ने बागी विधायकों को ‘जीरो ट्राफिक’ की सुविधा देने का आरोप लगाते गृहमंत्री एमबी पाटिल से स्पष्टीकरण मांगा. इस पर पाटिल ने कहा कि बागी विधायकों को ऐसी कोई सुविधा नहीं दी गई थी. पाटिल ने कहा कि राज्यपाल ने बागी विधायकों को सुरक्षा देने के लिए कहा था, हमने वही किया. जीरो ट्राफिक उन्हें प्रदान नहीं किया गया. गृहमंत्री का यह जवाब जेडीएस विधायक एटी रामास्वामी को रास नहीं आया. उन्होंने कहा, “यदि गृहमंत्री सदन के सामने इस तरह से झूठ बोलते हैं तो मैं यहां कैसे ठहर सकता हूं.” यह कहते हुए रामास्वामी सदन से बाहर निकल गए.
गौरतलब है कि 15 बागी विधायकों, जिसमें 12 कांग्रेस व 3 जेडीएस ने सत्र में भाग नहीं लेने का फैसला किया है और दो कांग्रेस विधायक (बी.नाग्रेंद्र व श्रीमंत पाटिल) बेंगलुरू व मुंबई के निजी अस्पताल में भर्ती है. इस तरह 225 सदस्यीय विधानसभा में सहयोगियों का संख्या बल 99 होगा। इसमें विधानसभा अध्यक्ष (कांग्रेस) शामिल हैं. बीजेपी की संख्या दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन के साथ 107 होगी, जो प्रस्ताव के विरोध में होगा.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/07/408501-kumaraswamy-ians.jpg545970Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-07-22 16:02:422019-07-22 16:02:44विश्वास मत पर अभी भी असमंजस की स्थिति
टीएमसी सांसद आज योगी सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि उन्हे न तो सोनभद्र के घायलों से मिलने दिया जा रहा है, न ही सोनभद्र जाने दिया जा रहा है। आज टीएमसी सांसद अचानक ही वाराणसी एयरपोर्ट पर आ पहुंचे, राजनैतिक पर्यटन को रोकने के लिए चाक चोबन्द पुलिस ने उन्हे वहीं पर रोक लिया जिसके लिए उन्होने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। सनद रहे टीएमसी ने चुनावों के दौरान योगी के हेलिकॉप्टर बंगाल में उतरने नहीं दिये थे।
नई दिल्ली : सोनभद्र में हुए 10 लोगों के नरसंहार के बाद वहां पीड़ित परिवारों और घायलों से मुलाकात के लिए नेताओं का पहुंचना जारी है. शुक्रवार को कांग्रेस महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी को सोनभद्र जाने से पुलिस ने रोक दिया. शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के 3 नेता भी सोनभद्र घटना के घायलों और पीड़ित परिवारों से मिलने के लिए जा रहे थे. लेकिन उन्हें वाराणसी एयरपोर्ट पर ही पुलिस ने रोक लिया. उनका दावा है कि पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया है. तीनों नेताओं ने इस घटना की जानकारी ट्विटर पर डाले एक वीडियो में दी है.
टीएमसी के इस तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का आरोप है कि उन्हें पुलिस ने बिना कोई कारण बताए वाराणसी एयरपोर्ट पर सुबह 9:45 बजे से रोका हुआ है. अब वे वहीं पर धरने पर बैठ गए हैं. उन्हें बीएचयू ट्रामा सेंटर और सोनभद्र जाने से रोका जा रहा है.
बता दें कि सोनभद्र में जमीन विवाद में हुए 10 लोगों के नरसंहार के बाद से ही राजनैतिक स्तर पर बवाल मचा है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस घटना के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार बताया. साथ ही उन्होंने इस घटना की जांच के लिए एक कमेटी भी गठित की है. यह कमेटी 10 दिन में अपनी जांच रिपोर्ट सौंपेगी.
दूसरी ओर प्रशासन की ओर से सोनभद्र में 2 महीने के लिए धारा 144 लगा दी गई है. जिले में धारा 144 11 जुलाई से 12 सितंबर तक प्रभावी रहेगी. प्रशासन का कहना है कि बिना उसकी अनुमति के कोई भी सोनभद्र नहीं जा सकेगा.
शुक्रवार को प्रियंका गांधी भी सोनभद्र में पीड़ित परिवारों से मिलने के लिए जा रही थीं. उन्होंने पहले वाराणसी के बीएचयू ट्रामा सेंटर में भर्ती घायलों से मुलाकात की थी. इसके बाद वह सोनभद्र जा रही थीं. लेकिन पुलिस ने उन्हें नारायणपुर में ही रोक दिया था. वह इसके बाद वहां धरने पर बैठ गई थीं. पुलिस इसके बाद उन्हें चुनार गेस्ट हाउस ले गई थी. जहां रात भर प्रियंका गांधी और अन्य कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने धरना दिया.
प्रियंका गांधी का कहना है कि वह सोनभद्र घटना के पीड़ित परिवारों से मिले बिना वापस नहीं जाएंगी. इसके बाद प्रशासन ने उन्हें पीड़ित परिवारों से मिलवा दिया है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/07/trinamool-congress-tmc-delegation-protest_b98c9e08-aab9-11e9-bdb2-acd0277ecbef.jpg540960Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-07-20 14:29:372019-07-20 14:29:40टीएमसी सांसदों को वाराणसी एयर पोर्ट पर रोका गया
सोनभद्र के मामले ने राजनैतिक पर्यटन के द्वार खोल दिये हैं। हाशिये पर आ चुकी कोंग्रेस को पुनर्जीवित करने और प्रियंका को एक सक्षम नेतृत्व साबित करने लिए देश भर से कोङ्ग्रेस्सी नेता सोनभद्र में प्रियंका के हुज़ूर में हाजरी देने को आतुर हैं। उन्हे लगता है की उनके इस प्रयास से जनता कर्नाटका में कोंग्रेस-जेडीएस के नाटक को विस्मृत कर देगी। इधर प्रियंका ने कहा कि वह तब तक धरने पर बैठी रहेंगी जब तक उन्हें सोनभद्र फायरिंग केस के पीड़ितों से नहीं मिलने दिया जाएगा. सनद रहे सोनभद्र जमीन हड़पने आ मामला तो 1955 का है जिसे अब तक की सभी सरकारों ने नज़रअंदाज़ किया, चाहे सोनभद्र का मामला हो या फिर आजम खान के ज़मीन हड़पने का। योगी राज में न्याय मिलने की उम्मीद नरसंहार से तोड़ी जा रही है,
रायपुरः सोनभद्र में एक जमीनी विवाद के चलते हुई फायरिंग में 10 लोगों की हत्या के बाद सियासत तेज हो गई है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका शुक्रवार को यहां मृतकों के परिजनों से मिलने पहुंची थीं, जहां उत्तर प्रदेश प्रशासन ने उन्हें मृतकों के परिवार से मिलने से रोक दिया. ऐसे में प्रियंका गांधी ने मिर्जापुर में ही धरने पर बैठने का ऐलान कर दिया. प्रियंका ने कहा कि वह तब तक धरने पर बैठी रहेंगी जब तक उन्हें सोनभद्र फायरिंग केस के पीड़ितों से नहीं मिलने दिया जाएगा.
ऐसे में अब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं और वह आज कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का समर्थन करने रायपुर से वाराणसी के लिए रवाना होंगे. इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सोनभद्र मामले में राज्यपाल से भी मुलाकात करेंगे. वहीं पीएल पुनिया पहले से ही सोनभद्र में मौजूद हैं, जहां अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी पहुंचने वाले हैं.
बता दें इससे पहले तृणमूल कांग्रेस (TMC) का चार सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल सोनभद्र के लिए रवाना हुआ था, जिन्हें उत्तर प्रदेश पुलिस प्रशासन ने वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर रोक लिया गया था. टीएमसी का यह प्रतिनिधि मंडल डेरेन ओ ब्रायन के नेतृत्व में वाराणसी पहुंचा था, जिन्हें फिलहाल उत्तर प्रदेश पुलिस प्रशासन ने रोक कर रखा है.
प्रियंका वाड्रा के साथ कई दूसरे कांग्रेसी कार्यकर्ता भी धरने पर बैठे हैं और पीड़ितों से मिलने की मांग कर रहे हैं. बता दें सोनभद्र जाने के लिए रवाना हुई प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश प्रशा बीच रास्ते में ही रोक लिया गया, जहां उन्हें मिर्जापुर जिले के चुनार गेस्टहाउस में ठहराया गया है. जहां शनिवार को उन्होंने योगी सरकार पर आरोप लगाया है कि उन्हें पीड़ित परिवार से मिलने नहीं दिया जा रहा है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/07/lpvdnh9s_bhupesh-baghel-pti_625x300_05_May_19-1.jpg400650Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-07-20 13:59:012019-07-20 13:59:04प्रियंका का साथ देने को बिहार के मुख्य मंत्री भी सोनभद्र पहुंचेंगे
कर्नाटक विधानसभा में शुक्रवार को भी बहुमत परीक्षण नहीं हो पाया. दिनभर बहस जारी रही. शाम होते ही जैसे ही येडियरप्पा ने कहा की हम रात 12 बजे तक रुकने को तैयार हैं आप गवर्नर के निर्देश का सम्मान करें स्पीकर ने विधान सभा स्थगित कर दी। स्पीकर का आचरण संदेहास्पद हो रहा है।
बेंगलुरू: कर्नाटक विधानसभा में शुक्रवार को भी बहुमत परीक्षण नहीं हो पाया. दिनभर बहस जारी रही. राज्यपाल वजुभाई वाला की ओर से मुख्यमंत्री एचडी. कुमारस्वामी को कर्नाटक विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए शुक्रवार शाम 6 बजे तक का समय दिया गया था लेकिन कुमारस्वामी निर्धारित समय तक बहुमत साबित नहीं कर सके. बाद में कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष रमेश कुमार ने शुक्रवार को सदन की कार्यवाही 22 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी. स्पीकर ने जब विधानसभा की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित की तब सदन में जो चर्चा हो रही थी, वह इस प्रकार है:
एचके पाटिल (कांग्रेस): हमें इस सदन में सच को सामने लाने की जरूरत है. आप हमसे यहां शाम साढ़े सात बजे या रात साढ़े आठ बजे तक बैठने के लिए कह सकते हैं लेकिन आपको सदन की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित करनी होगी. विधयकों ने दावा किया है कि वे मुंबई सुरक्षा कारणों के चलते गए हैं, हमें उन्हें वापस लाने के लिए मनाना चाहिए. प्रसाशन के वरिष्ठ अधिकारी को मुंबई उनसे मिलने जाना चाहिए. यह सदन की गरिमा का सवाल है. इस सदन के संरक्षक होने के नाते, मैं आपसे यह इस प्रक्रिया को शुरू करने का आग्रह करता हूं.
स्पीकर: मैं यहां साढ़े सात बजे तक बैठ सकता हूं, आप लोग एकमत हो जाएं और मुझे बताएं.
जीटी देवगौड़ा (जेडीएस) : गठबंधन सरकार और इसके सदस्यों के संबंध में सवाल उठाए गए. मधुस्वामी ने कहा है कि हमें इसे अभी समाप्त करना चाहिए लेकिन राज्यपाल ने पूर्व में कभी इस तरह से हस्तक्षेप नहीं किया.
ईश्वर खांद्रे (कांग्रेस) : पूरा देश देख रहा है कि ऑपरेशन लोटस यहां चल रहा है. ऐसी परिस्थिति में, बीजेपी ने कहा है कि बहुमत परीक्षण तत्काल होना चाहिए लेकिन ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर विस्तार से चर्चा होनी चाहिए और इससे देश को एक संदेश दिया जाना चाहिए.
एबी पाटिल: मैं 1998 में सांसद था, तब बाजपेयी जी का फ्लोर टेस्ट 9 दिन चला था. क्या अब नियम बदल गए हैं?
येदियुरप्पा: मैं आपसे अपील करता हूं, गवर्नर ने मुख्यमंत्री से आज शाम तक बहुमत साबित करने के लिए कहा है. हम यहां 12 बजे रात तक बैठे रहेंगे. हम आपको सहयोग देंगे. मैं मुख्यमंत्री से अपील करता हूं कि वे गवर्नर के निर्देश का सम्मान करें.
स्पीकर: मैं अब यहां और नहीं बैठ सकता. सदन सोमवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित किया जाता है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/07/karnataka-legislative-assembly-speaker-ramesh-kumar-interacting_6df0dc74-a277-11e9-88eb-6879d27b9db7.jpg540960Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-07-20 10:32:322019-07-20 11:09:23गवर्नर का नाम आते ही सभा स्थगित कर दी गयी
हिमाचल प्रदेश में एक छोटा सा शहर है ‘कुमारहट्टी’ वहाँ से कुछ बच्चे डगशाई पढ़ने जाते थे, एक बार स्कूल से आते से आते हुए एक बच्चा पिट गया। तो रोते हुए पीटने वाले बच्चे से बोला की तू अब के पीट, तुझे अपने दोस्तों से पिटवाऊंगा, बेचारा फिर पिटा। आगे जाने पर बोला कोने वाली दुकान वाले अंकल से पिटवाऊंगा तू अबके मार, बेचारा फिर पिटा। आखिर में बोला की तूने अबके पीटा तो आंटी के कुत्ते से कटवाऊंगा बेचारा फिर पीट गया। यह कहानी अटपटी ज़रूर है लेकिन दर्शाती है की जिसने पीटना है वह तो पीटेगा ही, चाहे आप लाख धमका लो दलीलें दे लो। काँग्रेस-जेडीएस पीटने वाले हैं और संविधान पिटने वाला। स्पीकर के पद में बहुत ताकत होती है, इतनी कि वह सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को भी अमान्य कर सकता है, कर्नाटका में कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने तय समय सीमा की कोई बंदिश न लगा कर अपनी इज्ज़त बचाई।
माना की स्पीकर के पास बहुत ताकत है पर यह कहाँ लिखा है की राज्यपाल के आदेशों की खिल्ली उड़ाई जाये? कर्णाटक में यही हुआ। राज्यपाल समय देते रहे कॉंग्रेस-जेडीएस राज्यपाल के आदेशों को ‘प्रेमपत्र’ कह कर खिल्ली उड़ाते रहे। राज्यपाल ने केवल समय दिया था की आप शक्ति परिक्ष्ण करवा लो, कॉंग्रेस-जेडीएस ने स्पीकर के साथ मिल कर्नाटक विधान सभा को एक मज़ाक बना कर रख दिया। कुमार स्वामी स्वयं को निर्लिप्त व्यक्ति बताते हैं परंतु सत्ता लोलुप भ्रष्ट नेता की भांति आचरण कर रहे हैं। अलग अलग मुद्दों के साथ सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों को नज़रअंदाज़ कर उन फैसलों को फिर से चुनौती दे रहे हैं। विधान सभा चुनावों में हाशिये पर आए कुमारस्वामी लोक सभा चुनावों में बुरी तरह पिट गए। अपने राजनैतिक भविष्य को भाँपते हुए वह मुख्यामन्त्री की कुर्सी से ऐसे चिपके हैं की न हिल पा रहे हैं न हिलाये जा पा रहे हैं। कर्नाटका का राजनैतिक संकट जल्द ही संवैधानिक संकट बन कर खड़ा हो जाएगा।
बेंगलुरू: कर्नाटक में जारी सियासी संकट और गहरा गया है. अब यह संवैधानिक संकट का रूप लेता जा रहा है. कर्नाटक विधानसभा में शुक्रवार को भी बहुमत परीक्षण नहीं हो पाया. राज्यपाल वजुभाई वाला की ओर से मुख्यमंत्री एचडी. कुमारस्वामी को कर्नाटक विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए शुक्रवार शाम 6 बजे तक का समय दिया गया था लेकिन कुमारस्वामी निर्धारित समय तक बहुमत साबित नहीं कर सके. अंत में, स्पीकर ने सदन को सोमवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया.
कर्नाटक में सियासी नाटक जारी, आज ये तीन संभावनाएं बन सकती हैं: 1. कर्नाटक में आज सबकी निगाहें राज्यपाल पर टिक गई हैं. तीन बार लिखे पत्रों की अवहेलना हुई है. राज्यपाल केंद्र को अपनी रिपोर्ट भेजेंगे. देखना होगा कि केंद्र इस रिपोर्ट पर क्या रुख अपनाता है.
2. सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर की याचिका पर सुनवाई हो सकती है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने शीर्ष अदालत से 17 जुलाई के आदेश पर स्पष्टीकरण की मांग की जिसमें 15 बागी विधायकों को सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेने के विकल्प चुनने की अनुमति प्रदान की गई है. मुख्यमंत्री ने कहा कि शक्ति परीक्षण करने के संबंध में राज्यपाल हस्तक्षेप कर रहे हैं. उधर, कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव ने भी शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और दावा किया कि न्यायालय का 17 जुलाई का आदेश पार्टी के अपने विधायकों को व्हिप जारी करने के अधिकार का हनन करता है.
3. बीजेपी पूरे राज्य में विरोध-प्रदर्शन कर सकती है. बीजेपी विधायकों ने बहुमत परीक्षण में देरी होने पर गुरुवार को विधानसभा में पूरी रात धरना दिया था. बीजेपी नेता येदियुरप्पा लगातार दावा कर रहे हैं कि उनके पास 106 विधायकों का समर्थन है. बीजेपी अपने विरोध-प्रदर्शन का दायरा बढ़ा सकती है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/07/Karnataka-Vidhansabha-Wikimedia-Commans.jpg279750Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-07-20 05:29:572019-07-20 05:30:00सियासी संकट को कॉंग्रेस-जेडीएस ने संवैधानिक संकट बना दिया
लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने कहा, ‘आप यहां पश्चिम बंगाल सरकार की मार्केटिंग करने के लिए नहीं आए हैं. अपना सवाल पूछें.’
नई दिल्ली: आयुष्मान भारत योजना को पश्चिम बंगाल में लागू नहीं कराए जाने के केंद्र सरकार के आरोप पर सदन में राज्य सरकार का बचाव करते तृणमूल कांग्रेस के सांसद को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शुक्रवार को कहा कि वे यहां पश्चिम बंगाल सरकार की ‘मार्केटिंग’ न करें.
प्रश्नकाल के दौरान, जब तृणमूल सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ‘स्वास्थ्य साथी प्रकल्प’ योजना लाई है, जिसके माध्यम से प्रत्येक परिवार को पांच लाख रुपये हर साल दिए जा रहे हैं.
इससे पहले केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल सरकार 2019 में केंद्र की आयुष्मान भारत योजना से पीछे हट गई. बंद्योपाध्याय उनके इसी आरोप का जवाब दे रहे थे.
तृणमूल सांसद ने जैसे ही राज्य सरकार की स्वास्थ्य योजना का नाम लिया, लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने कहा, ‘आप यहां पश्चिम बंगाल सरकार की मार्केटिंग करने के लिए नहीं आए हैं. अपना सवाल पूछें.’
इसके बाद तृणमूल कांग्रेस के सांसद ने मंत्री से यह जानना चाहा कि क्या बंगाल के अलावा किसी और राज्य ने भी 2018 में शुरू हुई आयुष्मान भारत योजना को अपनाने से इनकार किया है? जवाब में हर्षवर्धन ने बताया कि पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, दिल्ली, ओडिशा, राजस्थान और पंजाब ने अभी तक इस योजना को नहीं अपनाया है.
उन्होंने कहा कि यह योजना लोगों की भलाई के लिए लाई गई है और लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकारों को चाहिए कि वे इसमें भागीदारी करें.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/07/sudip-lead-screen-shot-2016-12-26-at-7.17.32-pm_730x419.jpg419730Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-07-19 17:20:132019-07-19 17:20:15लोक सभा स्पीकर ने टीएमसी सांसद को बंगाल की मार्किटिंग करने से रोका
कर्नाटक विधानसभा सोमवार को दो दिनों के लिए स्थगित कर दी गई. अब 18 जुलाई को विधानसभा की बैठक होगी जिसमें मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी सत्तारूढ़ कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार को बचाए रखने के लिए विश्वास मत पेश करेंगे.
बेंगलुरू:
कर्नाटक विधानसभा सोमवार को दो दिनों के लिए स्थगित कर दी गई. अब 18 जुलाई को विधानसभा की बैठक होगी जिसमें मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी सत्तारूढ़ कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार को बचाए रखने के लिए विश्वास मत पेश करेंगे. उधर, सूत्रों के मुताबिक, गठबंधन सरकार के विधायक रिजॉर्ट स्टे से तंग आ चुके हैं. कांग्रेस-जेडीएस विधायक पिछले एक सप्ताह से रिजॉर्ट में हैं.
एक कांग्रेस विधायक ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, “हम पिछले एक सप्ताह से अपने परिवार से दूर हैं. अब हमें फ्लोर टेस्ट तक यानी 3-4 दिन तक रिजॉर्ट में और रहना होगा. हम एक सप्ताह से रिजॉर्ट में रह-रहकर तंग आ चुके हैं. हम कुछ कर नहीं सकते क्योंकि हम पर नजर है.”
कांग्रेस के लगभग 40 विधायक शहर के बाहर क्लार्क्स एक्सोटिका कन्वेंशन रिजॉर्ट में जबकि 60 अन्य विधायक ताज वियांता होटल में हैं ताकि वे बीजेपी के संपर्क में न आ सकें. इसी तरह से, जेडीएस के लगभग 30 विधायकों को 6 जुलाई को गोल्फशायर रिजॉर्ट में शिफ्ट किया गया है.
एक जेडीएस विधायक ने अपना नाम न बताने की शर्त पर बताया, “अपने दोस्तों और परिवार से कई दिनों से रिजॉर्ट में रहना मुश्किल हो रहा है. हम पर हर वक्त नजर रखी जा रही है.”
गठबंधन सरकार का संकट जस का तस 16 विधायकों के इस्तीफे से मुश्किल में फंसी कर्नाटक की कांग्रेस-जेडीएस सरकार का संकट जस का तस बना हुआ है. गठबंधन को हालांकि सोमवार को बीजेपी द्वारा की गई बहुमत पेश करने की मांग से बचने का मौका जरूर मिल गया. सदन में कार्रवाई के दौरान मुख्यमंत्री ने मांग की कि बहुमत परीक्षण को गुरुवार तक के लिए टाल दिया जाए, जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद सदन की कार्रवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी है. इसके साथ ही राज्य की वर्तमान सरकार को थोड़ा और वक्त मिल गया है ताकि वो अपने बागी विधायकों को मना ले.
गौरतलब है कि अध्यक्ष ने अभी तक बागी विधायकों के इस्तीफे स्वीकार नहीं किए हैं, उन्होंने कहा कि उन्हें यह पता लगाने के लिए अध्ययन करने की आवश्यकता होगी कि वे उचित फॉर्मेट में हैं भी या नहीं. बता दें कि 16 बागियों में से 15 ने 10 जुलाई और 13 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में इस्तीफे स्वीकार करने में हो रही देरी के कारण विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश देने की गुहार लगाई थी. इस संबंध में शीर्ष अदालत मंगलवार को फिर से सुनवाई करेगी.
225 सदस्यीय विधानसभा में, कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के पास बसपा व एक क्षेत्रीय पार्टी के एक-एक विधायक और एक निर्दलीय विधायक के समर्थन के साथ अध्यक्ष सहित कुल 118 विधायक हैं. यह आवश्यक बहुमत के निशान से सिर्फ पांच ही अधिक है. अब अगर 16 बागी और दो निर्दलीय सहित सभी 18 विधायक सत्र में शामिल नहीं होते हैं, तो मतदान के लिए सदन की प्रभावी शक्ति 205 ही रह जाएगी, जिसमें भाजपा के 105 सदस्य होंगे. जबकि अध्यक्ष और नामित सदस्य को शामिल नहीं किया जाएगा.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/07/kumarswamy.jpg398806Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-07-15 17:26:312019-07-15 17:26:35कांग्रेस-जेडीएस विधायक ‘रिजॉर्ट स्टे’ से तंग आ चुके हैं
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