ममता के मंत्री पर सीपीआई ने किया हमला एक रिपोर्ट

कोलल्कतता/चंडीगढ़:

पश्चिम बंगाल सरकार में डिप्टी लेबर मंत्री जाकिर हुसैन और कुछ अन्य लोगों पर बुधवार देर रात मुर्शिदाबाद जिले के निमतिता रेलवे स्टेशन में पर जानलेवा हमला हुआ। हमले में मंत्री और कुछ अन्य लोग बुरी तरह घायल हुए हैं। घटना की जाँच कर रहे रेल मंत्रालय के लोगों का कहना है कि इस धमाके के पीछे की वजह तृणमूल कॉन्ग्रेस के कार्यकर्ताओं की आपसी कलह है।

बता दें, जाकिर हुसैन कोलकाता जाने के लिए यहाँ पहुँचे थे। जब वह अपनी ट्रेन का इंतजार कर रहे थे, तभी अज्ञात हमलवारों ने मंत्री पर बम से हमला कर दिया। इस बम ब्लास्ट में हुसैन सहित पार्टी के लगभग 22 कैडर घायल हुए हैं।

घटना में हुसैन का पैर गंभीर रूप से घायल हो गया है। बेहतर इलाज के लिए उन्हें कोलकाता के एक अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया है, जहाँ डॉक्टर गंभीरता से उनके स्वास्थ्य पर नजर बनाए हुए हैं।

सोशल मीडिया पर घटना का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में मंत्री अपने सुरक्षाकर्मियों के साथ स्टेशन की ओर जा रहे थे कि तभी पीछे से अचानक धमाका होता है और चिल्लाने की आवाजें आती हैं।

जाँच कर रहे अधिकारियों ने टीएमसी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता की ओर इशारा करते हुए इस धमाके में आतंकवाद के एंगल को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल पुलिस ने CPI के कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज किया था, जिन्होंने पिछले सप्ताह एक प्रदर्शन किया था। पुलिस की लाठीचार्ज से प्रदर्शनकारियों में से एक की मौत हो गई थी, जिससे इलाके में तनाव पैदा हो गया था। वहीं इस घटना को लेकर CPI ने आज 11 बजे रेल रोको प्रदर्शन का आयोजन भी किया था।

रिपोर्ट के मुताबिक, जाकिर हुसैन ने 2017 में दो टीएमसी सदस्यों के खिलाफ पुलिस शिकायत भी दर्ज की थी, जो उन्हें जान से मारने की धमकी दे रहे थे।

रेलवे ने मामले को लेकर आगे कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार को राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति को और कड़ा करना चाहिए। यह अराजकता ट्रेन संचालन को भी बाधित कर सकती है और परिणामस्वरूप आम जनता को असुविधा हो सकती है।

गौरतलब है कि यह धमाका ऐसे समय में हुआ है जब पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव की तैयारियाँ जोरों शोरों पर है। घटना को लेकर राज्य भाजपा अध्यक्ष ने कहा, “यह घटना इस बात का प्रमाण है कि राज्य में कानून व्यवस्था नहीं है। यहाँ तक ​​कि मंत्री भी सुरक्षित नहीं हैं।”

शुवेंदू अधिकारी, शंकदेब पंडा, शिवाजी सिंहा पर जानलेवा हमला, शिवाजी की हालत गंभीर

कोलकाता के फूलबागान में भाजपा नेता शुवेंदू अधिकारी, शंकदेब पंडा, शिवाजी सिंहा पर कुछ लोगों द्वारा बुधवार (फरवरी 17, 2021) देर रात हमला और पथराव किया गया। इसमें भाजपा नॉर्थ कोलकाता के जिलाध्यक्ष शिबाजी सिंह रॉय गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया है। शुवेंदु अधिकारी और शंकदेब पंडा को भी चोट आई हैं।

  • फूल बागान में आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे थे बीजेपी नेता
  • कार्यक्रम में शंकुदेब पांडा और सुवेंदु अधिकारी भी थे मौजूद
  • हमले में नॉर्थ कोलकाता के जिलाध्यक्ष शिबाजी रॉय हुए घायल
  • बीजेपी ने टीएमसी पर लगाया हमले का आरोप

नयी दिल्ली/कोलकत्ता:

पश्चिम बंगाल में एक बार फिर से बीजेपी के नेता पर हमला हुआ है। नॉर्थ कोलकाता के जिला अध्यक्ष शिबाजी सिंह रॉय को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। कहा जा रहा है कि हमला फूल बागान इलाके में उस समय हुआ जब वह सुवेंदु अधिकारी और शंकुदेब पांडा के साथ वहां मौजूद थे।

बीजेपी जिला अध्यक्ष पर हुए हमले को लेकर बालूरघाट से लोकसभा सांसद डॉ. सुकांता मजूमदार पहुंचे। उन्होंने हमले का आरोप टीएमसी पर लगाया। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था खत्म हो चुकी है। खुलेआम बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं पर जानलेवा हमले हो रहे हैं।

ट्विटर पर पायल मेहता ने घायलों का एक वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा है कि भाजपा नेताओं पर यह हमला टीएमसी के गुंडों द्वारा किया गया।

टीएमसी पर हमले का आरोप

मजूमदार ने इस हमले को लेकर ट्वीट किया, ‘फूलबागान में बीजेपी के एक और नेता पर जानलेवा हमला टीएमसी के गुंडों ने किया। इस बार निशाना बीजेपी के तीन नेता सुवेंदु अधिकारी, शंकुदेब और शिबाजी सिंह रॉय भी थे। हमले में शिबाजी घायल हो गए हैं। बंगाल में कानून व्यवस्था तो कभी थी ही नहीं… और अब तो पूरी तरह से गायब है।’

राज्य के मंत्री जाकिर हुसैन पर भी बम से हमला

बुधवार को पश्चिम बंगाल के श्रम मंत्री जाकिर हुसैन पर भी कुछ अज्ञात हमलावरों ने हमला किया था। बमों से किए गए इस हमले में उन्हें गंभीर चोटें आईं। जाकिर हुसैन पर हमला उस समय किया गया जब वह नीमतीता रेलवे स्टेशन पर कोलकाता के लिए ट्रेन में बैठने जा रहे थे।

राहुल का ग्म्छा और पूर्वोत्तर की राजनीति

असम की राजनीति में मंगलदोई का ज़ीर होना इतना ही ज़रूरी है जितना की महाभारत में कुरुक्षेत्र का।977 के चुनावों में असम में कॉन्ग्रेस को 14 में से 10 सीटें मिली। तीन सीटें जनता पार्टी को मिली थीं। इनमें एक सीट मंगलदोई की थी। इस सीट पर जनता पार्टी के हीरा लाल पटवारी (तिवारी) चुनाव जीते थे। मंगलदोई लोकसभा क्षेत्र में 5,60, 297 मतदाता थे। एक साल बाद हीरा लाल की मौत हो गई तो उपचुनाव कराया गया। महज़ एक साल से थोड़े से अधिक समय में जब मतदाता सूची (वोटर लिस्ट) अपडेट की गई तो मतदाताओं की संख्या 80,000 बढ़ गई! यानी रातों-रात 15% की एकाएक वृद्धि! इनमें से लगभग 70,000 मतदाताओं का मजहब इस्लाम था। तमाम नागरिक समूहों ने इसके विरुद्ध शिकायतें दर्ज कराईं। ऐसे मामलों की संख्या भी लगभग 70 हज़ार थी, इनमें से 26 हज़ार ही टिक पाए। यहीं से भारतीय राजनीति में ‘अवैध बांग्लादेशी’ शब्द आता है, जिसका बड़ा हिस्सा बांग्लादेशी मुस्लिमों का है। भारतवासियों से हारी कॉंग्रेस

घुसपैठियों के सहारे जीती। यह सिलसिला पिछले चुनावों तक जारी रहा, आज घुसपैठिया रोहंगिया हों या बंगलादेशी, कॉंग्रेस गांधी की हो या ममता की इनके साथ खड़ी है। इसीलिए वहाँ एनआरसी। सीएए या एनपीआर लागू न अरने की बात कर वह भारतीय वोटेरलिस्ट में शामिल हुए बांग्लादेशी और रोहांगीयान घुसपैथियों को बचाना चाहते हैं योनि अब नई जीत का आधार वही हैं। मुद्दे की बात यह है कि हिन्दूकिसी भी देश में चाहे कितना भी प्रताड़ित क्यों न हो रहा हो कॉंग्रेस उसे छोड़ अवैध घुसपैठियों को न केवल शरण देने में यकीन रखती ही अपितु उन्हें नागरिक साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ती.

असम/नयी दिल्ली :

कॉन्ग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने असम के शिवसागर में हुई रैली में कहा कि सत्ता में आने पर सीएए लागू नहीं करेंगे। अक्सर अपनी बातों से ज़्यादा हरकतों की वजह से चर्चा में रहने वाले राहुल गाँधी ने इस रैली में असम के एक पारंपरिक गमछे का इस्तेमाल किया, जिससे वह राज्य के लोगों और खुद के बीच ‘कनेक्ट’ स्थापित कर पाएँ (जैसा अमूमन उनसे होता नहीं है)। 

गमछा दिखाते हुए राहुल गाँधी ने कहा कि इस पर सीएए (नागरिकता संशोधन क़ानून) लिखा हुआ है और उस पर क्रॉस का निशान बना हुआ है। इसका मतलब यह है कि चाहे जो हो जाए सीएए लागू नहीं होगा। राहुल गाँधी ने कहा, “हमने ये गमछा पहना है इस पर लिखा है सीएए। इस पर हमने क्रॉस लगा रखा है मतलब चाहे जो हो जाए सीएए नहीं होगा! हम दो हमारे दो…।। अच्छी तरह सुन लो, (सीएए) नहीं होगा, कभी नहीं होगा।” 

सीएए 2019 के दौरान संसद के दोनों सदनों से पारित किया गया था। इस पर अभी अमल किया जाना बाकी है। इस कानून की मदद से पड़ोसी देशों के प्रताड़ित अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को नागरिकता दी जाएगी। इसके लागू होने के बाद पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान, बांग्लादेश के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन और ईसाई लोगों को नागरिकता दी जाएगी।  

लेकिन कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने ताजा बयान से फिर साबित किया है कि उन्हें इस्लामी देशों के प्रताड़ित हिन्दुओं, सिखों, बौद्धों, जैनों, ईसाइयों से कोई मतलब नहीं है। इन देशों में मौजूद अधिकांश लोग दलित समुदाय से आते हैं, जिनके हित की कॉन्ग्रेस हमेशा वकालत करती है। इसका मतलब साफ़ है कि ‘दलितों के अधिकारों’ के लिए लड़ने की बात छलावा मात्र है। दलितों के मुद्दे पर की गई सारी भाषणबाजी सिर्फ राजनीतिक मुनाफ़े के लिए की गई थी। 

असम में सीएए को लेकर पूर्व में काफी विरोध-प्रदर्शन हुए थे। प्रदेश में इस मुद्दे पर लगभग सारे विवाद हल हो चुके हैं। लेकिन आगामी विधानसभा चुनावों में यह बेशक बड़ा मुद्दा होगा।    

दिनेश त्रिवेदी का इस्तीफा, टीएमसी ब्यान बाज़ी पर उतरी

दिनेश त्रिवेदी ने राज्‍यसभा से आज इस्‍तीफा दिया है, लेकिन पार्टी से उनकी नाराजगी काफी पुरानी है. वह यूपीए सरकार में रेल मंत्री, स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण राज्‍य मंत्री का पद भी संभाल चुके हैं.

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

नई दिल्‍ली. 

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगा है. टीएमसी (TMC) के राज्‍यसभा सांसद दिनेश त्रिवेदी (Dinesh Trivedi) ने शुक्रवार को सदन में बजट पर चर्चा के दौरान इस्‍तीफा दे दिया. त्रिवेदी पार्टी के संस्‍थापक सदस्‍य रहे हैं, वह पिछले काफी समय से पार्टी की कार्यशैली से नाराज चल रहे हैं. वह यूपीए सरकार में रेल मंत्री, स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री और परिवार कल्‍याण राज्‍य मंत्री का पद भी संभाल चुके हैं. पार्टी से उनकी नाराजगी और इस्‍तीफे के बीच की कहानी काफी लंबी है.

बता दें कि मनमोहन सिंह के नेतृत्‍व वाली यूपीए सरकार में निदेश त्रिवेदी काफी अहम पद संभाल चुके हैं. उन्‍होंने 2012 में बतौर रेल मंत्री रेल बजट पेश किया था. इस बजट में रेल किराया तो बढ़ाया गया था, लेकिन आधुनिकीकरण और सुरक्षा पर विशेष ध्‍यान दिया था. उस वक्‍त इस बजट को ‘सुधारवादी’ करार दिया गया. लेकिन शायद ममता बनर्जी को यह रास नहीं आया. बजट पेश करने के बाद त्रिवेदी को ममता बनर्जी और पार्टी के कुछ अन्‍य वरिष्‍ठ नेताओं के विरोध का सामना करना पड़ा.

इस बजट पर ममता बनर्जी ने खुलकर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था, ‘रेल बजट बनाते समय दिनेश त्रिवेदी ने उनसे राय नहीं ली, अगर उन्‍होंने ऐसा किया होता तो वह कभी किराया बढ़ाने नहीं देतीं.’ ममता के इस बयान के बाद त्रिवेदी को काफी अपमानित होना पड़ा और मजबूरन उन्‍हें रेल मंत्री के पद से इस्‍तीफा देना पड़ा. उसके बाद टीएमसी के ही मुकुल राय को रेल मंत्री बना दिया गया. उस समय इस्‍तीफा देने के बाद त्रिवेदी ने कहा था कि अगर वह इस्‍तीफा नहीं देते तो सरकार गिर जाती. उन्‍होंने ममता बनर्जी की नाराजगी पर कहा था कि बजट से पहले ही उन्‍हें हटाने की रणनीति बन गई थी. पार्टी के नेता जानते थे कि बजट के बाद उनका इस्‍तीफा ले लिया जाएगा. पार्टी चीफ ने बजट आते ही किराया बढ़ाने के बहाने उन्‍हें हटा दिया.

पहले भी जता चुके हैं ममता बनर्जी से अलग राय

हालांकि यह ऐसा पहला मौका नहीं था जब ममता बनर्जी और दिनेश त्रिवेदी के बीच वैचारिक मतभेद सामने आए हों. शायद आपको याद हो, वर्ष 2012 में ममता का कार्टून बनाने का मामला सुर्खियों में आया था. उस समय कार्टून बनाने वाले प्रोफेसर को गिरफ्तार किया गया था. प्रोफेसर की गिरफ्तारी पर दिनेश त्रिवेदी ने कहा था कि कार्टून से किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए. कार्टून तो लोकतंत्र का अभिन्‍न अंग है.

इस्लाम या ईसाई धर्म में परिवर्तन लेने के पश्चात दलित नहीं ले सकेंगे जातिगत आरक्षण का लाभ

हिन्दू धर्म में वर्ण व्यवस्था है, हिन्द धर्म 4 वर्णों में बंटा हुआ है, ब्राह्मण, क्षत्रिय, वेश्या एवं शूद्र। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात पीढ़ियों से वंचित शूद्र समाज को सामाजिक न्याय दिलाने के लिए संविधान में आरक्षण लाया गया। यह आरक्षण केवल (शूद्रों (दलितों) के लिए था। कालांतर में भारत में धर्म परिवर्तन का खुला खेल आरंभ हुआ। जहां शोषित वर्ग को लालच अथवा दारा धमका कर ईसाई या मुसलिम धर्म में दीक्षित किया गया। यह खेल आज भी जारी है। दलितों ने नाम बदले बिना धर्म परिवर्तन क्यी, जिससे वह स्वयं को समाज में नचा समझने लगे और साथ ही अपने जातिगत आरक्षण का लाभ भी लेते रहे। लंबे समय त यह मंथन होता रहा की जब ईसाई समाज अथवा मुसलिम समाज में जातिगत व्यवस्था नहीं है तो परिवर्तित मुसलमानों अथवा इसाइयों को जातिगत आरक्षण का लाभ कैसे? अब इन तमाम बहसों को विराम लग गया है जब एकेन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद सिंह ने सांसद में स्पष्ट आर दिया कि इस्लाम या ईसाई धर्म स्वीकार करने वाले दलितों के लिए आरक्षण की नीति कैसी रहेगी।

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

इस्लाम या ईसाई धर्म में परिवर्तित होने वाले दलितों को चुनावों में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों से चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं होगी। इसके अलावा वह आरक्षण से जुड़े अन्य लाभ भी नहीं ले पाएँगे। गुरुवार (11 फरवरी 2021) को राज्यसभा में एक प्रश्न का जवाब देते हुए क़ानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने यह जानकारी दी। 

हिन्दू, सिख या बौद्ध धर्म स्वीकार करने वाले अनुसूचित जाति के लोग आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने के योग्य होंगे। साथ ही साथ, वह अन्य आरक्षण सम्बन्धी लाभ भी ले पाएँगे। भाजपा नेता जीवी एल नरसिम्हा राव के सवाल का जवाब देते हुए रविशंकर प्रसाद ने इस मुद्दे पर जानकारी दी। 

आरक्षित क्षेत्रों से चुनाव लड़ने की पात्रता पर बात करते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा, “स्ट्रक्चर (शेड्यूल कास्ट) ऑर्डर के तीसरे पैराग्राफ के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो हिन्दू, सिख या बौद्ध धर्म से अलग है, उसे अनुसूचित जाति का सदस्य नहीं माना जाएगा।” इन बातों के आधार पर क़ानून मंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि इस्लाम या ईसाई धर्म स्वीकार करने वाले दलितों के लिए आरक्षण की नीति कैसी रहेगी। 

क़ानून मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि संसदीय या लोकसभा चुनाव लड़ने वाले इस्लाम या ईसाई धर्म में परिवर्तित होने वाले अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्ति को निषेध करने के लिए संशोधन का प्रस्ताव मौजूद नहीं।    

‘जय श्री राम’ वाले मास्क पहनकर इन्हें बाँटने के लिए बंगाल पुलिस ने अमानिश अय्यर को गिरफ्तार कर लिया है

पश्चिम बंगाल से तृणमूल सासंद (TMC MP) ने कहा है कि जय श्री राम का नारा एक राजनीतिक स्लोगन है, जिसे एक पार्टी फायदा लेने के लिए लगाती है। हम लोग धर्म का उपयोग राजनीतिक के लिए नहीं करते हैं। बताते चलें कि बीते दिनों एक कार्यक्रम में ममता बनर्जी ने जय श्री राम (jai shri ram) के नारे सुनकर मंच पर भड़क गई थीं।

कोलकतता/नयी दिल्ली:

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार का ‘जय श्रीराम’ के नारे से टकराव ख़त्म होने के बजाय चुनाव के नजदीक आते ही और अधिक बढ़ता नजर आ रहा है। अब ममता की पुलिस ने बंगाल में भाजपा नेता अमानिश अय्यर को गिरफ्तार कर लिया है। अमानिश अय्यर का ‘अपराध’ ये है कि वो ‘जय श्री राम’ का मास्क पहनकर ऐसे ही मास्क लोगों में बाँट रहे थे।

भाजपा नेता तजिंदर पाल सिंह बग्गा ने ट्विटर पर इसकी जानकारी देते हुए लिखा है कि ‘जय श्री राम’ वाले मास्क पहनकर इन्हें बाँटने के लिए बंगाल पुलिस ने अमानिश अय्यर को गिरफ्तार कर लिया है। भाजपा नेता अमानिश अय्यर श्रीरामपुर सांगठनिक जिला के महासचिव हैं।

गौरतलब है कि इससे पहले, पश्चिम बंगाल में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के मौके पर विक्टोरिया मेमोरियल में रखे गए एक कार्यक्रम में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मंच पर जाते ही कुछ लोगों ने ‘जय श्री राम’ के नारे लगा दिए थे।

इसे ‘सरकारी कार्यक्रम का अपमान’ बताकर नाराजगी में ममता ने भाषण देने से इनकार करते हुए स्पष्ट संकेत दिया था कि ममता बनर्जी को ‘जय श्री राम’ के नाम से ही समस्या है।

नेहरू के जमाने में बंगाल ईस्ट पाकिस्तान के हिस्से में जा रहा था। पाकिस्तान के दो टुकड़े हुए, तो बंगाल को बचाने का काम श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने किया: जेपी नड्डा

नड्डा ने मालदा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी सरकार पर बड़ा हमला बोला है.  बीजेपी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष ने कहा कि पश्चिम बंगाल के किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के लाभ से वंचित रखा गया. अब जब चुनाव आ गए हैं तो  ममता बनर्जी कह रही हैं कि हम पश्चिम बंगाल के किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि दिलाएंगे. उस पर रोक नहीं लगाएंगे. लेकिन ममता दीदी ‘अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत.

जेपी नड्डा ने ममता बनर्जी पर हमला करते हुए कहा कि ममता सरकार ने किसानों से अन्याय किया. पीएम किसान योजना ममता ने अपने अभियान, ईगो की वजह से लागू नहीं होने दिया. अब यहां जय श्री राम के नारे लगते हैं तो ममता को इतना गुस्सा क्यों आता है. नड्डा ने कहा, 10 जनवरी को कृषक सहयोग और सुरक्षा अभियान की शुरुआत मैंने की थी. हमने कहा था कि लगभग 40 हजार ग्रामसभा में हमारे ये कार्यक्रम होंगे. मुझे खुशी है कि आज 35 लाख किसान इस कृषक सुरक्षा अभियान से जुड़ गए हैं।

DF – कोलकाता/नईदिल्ली:

पश्चिम बंगाल में चुनावी माहौल गरमा गया है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा शुक्रवार को बंगाल में दो कार्यक्रमों में शामिल हुए। पहला कार्यक्रम माल्दा में और दूसरा नादिया के नवद्वीप में हुआ। नवद्वीप में नड्‌डा ने कहा कि नेहरू के जमाने में बंगाल ईस्ट पाकिस्तान के हिस्से में जा रहा था। पाकिस्तान के दो टुकड़े हुए, तो बंगाल को बचाने का काम श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने किया।

नड्डा ने अपने भाषण में कहा, ‘मोदीजी ने बंगाल को हर बार सब कुछ देने की कोशिश की। लेकिन ममता ने क्या किया- हर बार होवे ना होवे ना यानी नहीं हो पाएगा, नहीं हो पाएगा। ममता जी जाएंगी, रास्ते का रोड़ा खत्म होगा और बंगाल की जनता को आयुष्यमान भारत योजना का फायदा मिलेगा। ममता जी जाएंगी और 70 लाख किसानों को सम्मान निधि मिलेगी। हर किसान को 14 हजार रुपए मिलेंगे। यह है परिवर्तन, जिसकी हम बात करते हैं।’

बंगाल में रेप के सबसे ज्यादा मामले: नड्डा
बंगाल में हिंसा का जिक्र करते हुए नड्डा ने कहा, ‘यह सरकार तानाशाही की सरकार है। हमारे 130 लोग मारे गए हैं। यह कैसी सरकार है। इसे जाना होगा। हमारे ऊपर अटैक कर सकते हैं तो हम समझ सकते हैं कि सामान्य आदमी की बंगाल में क्या हालत होगी। रेप के मामले सबसे ज्यादा बंगाल में हैं। राज्य में महिला मुख्यमंत्री हो और महिलाओं का सम्मान न हो, तो हमें परिवर्तन चाहिए।’

संस्कृति की रक्षा ममता के बस की बात नहीं
उन्होंने कहा कि संस्कृति की रक्षा की बात ममता जी करती हैं। यह विवेकानंदजी की धरती है, रविंद्रनाथ जी की धरती है। यहां की संस्कृति ममताजी आप नहीं संभाल सकेंगी। इसकी रक्षा भाजपा के लोग ही कर पाएंगे। आपने मेरे नाम के आगे एक विशेषण लगाया था। वह बताता है कि आपकी संस्कृति कितनी ओछी है।

माल्दा में नड्डा ने किसानों के साथ खाना खाया
​​​​​​​माल्दा में नड्डा ने किसानों के साथ खाना खाया और रोड शो किया। इसमें भारी भीड़ देखी गई। उन्होंने यहां एक रैली में कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने ईगो (अहम) के चलते बंगाल में प्रधानमंत्री किसान निधि योजना को लागू नहीं होने दिया। पर अब कह रही हैं कि वे इसे लागू करेंगी। अब पछताए होत का, जब चिड़िया चुग गई खेत।

रैलीमें नड्डा के भाषण की 2 मुख्य बातें

1. ‘जय श्री राम’ से ममता की नाराजगी क्यों
अब तो बंगाल में जय श्री राम के नारे लग रहे हैं। उन्हें इन नारों पर गुस्सा क्यों आता है? किसानों की सेवा की होती तो ममता जी ये दिन नहीं देखने पड़ते। बंगाल विकास में 24वें स्थान पर खड़ा है। सिंचाई की व्यवस्था नहीं है, अनाज के स्टोरेज की व्यवस्था नहीं है। मेरा आपसे निवेदन है कि ममता जी को टाटा करें। बंगाल की जनता ने उन्हें नमस्ते करने का मन बना लिया है।

2. लोगों से पूछा- सरकार कैसी है
नड्डा ने जनता से पूछा कि टोल चोरी कौन कर रहा है, लोगों ने कहा- तृणमूल। नड्डा ने यह भी कहा कि ये मैं नहीं कह रहा, आप ही लोग कह रहे हैं। बंगाल के किसानों को फायदे के लिए महाराष्ट्र तक ट्रेन दे रहे हैं। आप बंगाल में कमल खिलाइए, उसके बाद बंगाल का जबर्दस्त विकास होगा।

बंगाल चुनाव में किसानों का मुद्दा हावी
बंगाल चुनाव के मद्देनजर भाजपा किसानों का मुद्दा जोर-शोर से उठा रही है। प्रधानमंत्री से लेकर भाजपा का हर बड़ा और छोटा नेता पीएम किसान योजना को लेकर ममता बनर्जी पर निशाना साध रहा है। इसको लेकर गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्‌डा समेत भाजपा के कई बड़े नेता बंगाल यात्रा के दौरान किसानों के घर खाना खा चुके हैं।

पूरे राज्य में 5 रथ यात्राएं निकालेगी भाजपा
भाजपा पूरे राज्य में 5 रथयात्राएं निकालेगी। इस अभियान को भाजपा ने परिवर्तन यात्रा नाम दिया है। इसकी शुरुआत के लिए नवद्वीप को चुना गया है। यह 15वीं शताब्दी के संत चैतन्य महाप्रभु की जन्मस्थली है।

  • भाजपा 5 रथयात्राएं निकालेगी, इसे रुकवाने के लिए PIL दायर; विजयवर्गीय बोले- लोगों के बीच जाना हमारा मूलभूत अधिकार
  • ये 5 रथयात्राएं
  • पहली- 6 फरवरी को नादिया जिले के नवद्वीप से शुरुआत।
  • दूसरी- 11 फरवरी को कूचबिहार में निकाली जाएगी। इसमें गृहमंत्री अमित शाह शामिल होंगे।
  • तीसरी झारग्राम,
  • चौथी काकद्वीप (दक्षिण 24 परगना) और
  • पांचवी रथयात्रा तारापीठ (बीरभूम) में निकाली जाएंगी। अभी इन रथयात्राओं की तारीख नहीं तय हो पाई हैं

पुलिस ने कहा- पब्लिक मीटिंग की इजाजत है, रथयात्रा की नहीं
रथ यात्रा के लिए परमिशन पर शुक्रवार शाम तक संशय बना रहा। भाजपा ने मार्च के लिए मंजूरी मिलने का दावा किया है। वहीं, पुलिस के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि हमने जेपी नड्‌डा की पब्लिक रैली को मंजूरी दी है। रथयात्रा जैसे किसी इवेंट के लिए अनुमति नहीं दी गई है।

घोष बोले- बंगाल में गेम चेंजर होंगी रथयात्राएं
इस हफ्ते की शुरुआत में पश्चिम बंगाल भाजपा ने महीने भर चलने वाले इस आयोजन के लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी थी। इसमें पार्टी के कई बड़े नेताओं के आने का प्रोग्राम है। राज्य सरकार ने इसके लिए स्थानीय जिला प्रशासन से अनुमति लेने के लिए कहा है।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि ये रथयात्राएं पश्चिम बंगाल की राजनीति में गेम चेंजर साबित होंगी। इससे भाजपा के समर्थन में लहर चलेगी और ये TMC सरकार के ताबूत में आखिरी कील बनेंगी। इसी वजह से TMC अनुमति देने में देरी कर रही है।

चुनाव आयोग एक हफ्ते के अंदर राज्य में विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित कर सकता है : ममता बनर्जी

  • पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि चुनाव आयोग एक हफ्ते के अंदर राज्य में विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित कर सकता है।
  • उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि उन्होंने राज्य के लिए बहुत कुछ किया और जो कुछ रहता है, वह चुनाव के बाद किया जाएगा क्योंकि अब चुनाव में ज्यादा समय नहीं बचा है।
  • उन्होंने लोगों से तृणमूल कांग्रेस (TMC) को वोट देने की अपील भी की।

कोलकाता. 

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि भारतीय चुनाव आयोग (अगले सात दिनों में राज्य में अप्रैल मई में होने जा रहे विधानसभा चुनावों की तारीख की घोषणा कर सकता है. बनर्जी ने गुरुवार को कहा कि आयोग अगले सात से आठ दिनों में चुनावी कार्यक्रम की घोषणा कर सकता है. हमारे पास ज्यादा समय नहीं है. बता दें पश्चिम बंगाल की 294 विधानसभा सीट पर इस साल अप्रैल-मई के दरम्यान चुनाव होने वाले हैं. उत्तरी बंगाल के अलीपुरद्वार में जनसभा को संबोधित करते हुए ममता ने ये बात कही.

ममता ने अपने संबोधन में दो बार कहा कि चुनाव आयोग के तारीखों की घोषणा करने में एक हफ्ते से भी कम का समय है. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने उत्तरी बंगाल के लिए कई योजनाओं और विकास परियोजनाओं की घोषणा की है और चुनाव के बाद क्षेत्र के लिए और भी काम किया जाएगा. ममता बनर्जी ने कहा कि “हमने अपने वादों को पूरा किया है. जो भी थोड़ी बहुत कमी रह गई है उसे चुनावों के बाद पूरा किया जाएगा. हमारे पास समय नहीं है. अगले पांच दिनों में चुनाव की तारीखों की घोषणा हो सकती है.”

चुनाव आयोग की टीम कर चुकी है दौरा
बता दें चुनाव आयोग की एक टीम ने जनवरी के तीसरे सप्ताह में पश्चिम बंगाल का दौरा कर चुनावी तैयारियों और कानून व्यवस्था का जायजा लिया था. इससे पहले उप चुनाव अधिकारी सुदीप अधिकारी ने राज्य के दो बार दौरा कर हालातों का जायजा लिया था.

चुनाव आयोग के दल ने राजनीतिक दलों, केंद्रीय और राज्य नियामक एजेंसियों, वरिष्ठ आईएएस और आईपीएस अधिकारियों और राज्य के मुख्य सचिव, गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक सहित राज्य के शीर्ष नौकरशाहों के प्रतिनिधियों के साथ बैठकें की थीं.

पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने मंगलवार को जिलाधिकारियों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस की. जिलों को मतदान केंद्रों और मतदान केंद्रों और मतदान केंद्रों के लिए अपनी आवश्यकताओं का विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है. अधिकारियों को 10 फरवरी तक रिपोर्ट पेश करनी है.

चुनावों की तारीखों की घोषणा से पहिले राजीब बनर्जी ने छोड़ा ममता का साथ

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी सरकार की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. अब वन मंत्री राजीब बनर्जी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.

  • ममता सरकार में एक और मंत्री का इस्तीफा
  • राजीव बनर्जी ने अपना पद छोड़ दिया है
  • राज्यपाल धनखड़ ने स्वीकार किया इस्तीफा

कोलकतता/नईदिल्ली:

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा चुनाव आयोग कभी भी कर सकता है. चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं तृणमूल कांग्रेस से इस्तीफों की रफ्तार भी बढ़ती जा रही है.  ममता सरकार में वन राज्यमंत्री राजीव बनर्जी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. इस्तीफे की चिट्ठी में राजीव बनर्जी ने लिखा कि पश्चिम बंगाल के लोगों की सेवा करना उनके लिए एक गर्वदायी अनुभव रहा . उन्होंने इसके लिए सभी लोगों को धन्यवाद भी दिया. इससे पहले शुभेंदु अधिकारी भी तृणमूल से इस्तीफा दे चुके हैं. लक्ष्मी रत्न शुक्ला ने भी अपना मंत्री पद छोड़ा है.

बता दें कि तृणमूल कांग्रेस के विधायक अरिंदम भट्टाचार्य बुधवार को भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की मौजूदगी में भगवा पार्टी में शामिल हो गए थे. भट्टाचार्य पश्चिम बंगाल में नदिया जिले में शांतीपुर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं. भाजपा में शामिल होते हुए भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि उन्हें तृणमूल कांग्रेस में आजादी से काम नहीं करने दिया जा रहा था और ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी के पास ‘‘पश्चिम बंगाल और राज्य के युवाओं के लिए कोई दृष्टिकोण नहीं है.”

एक दिन पहले ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने कहा था कि जो भाजपा में शामिल होना चाहते हैं वो जा सकते हैं लेकिन उनकी पार्टी, भगवा दल के सामने नहीं झुकेंगी.

पीरजादा अब्बास सिद्दीकी

इससे पहले हुगली जिले में फुरफुरा शरीफ दरगाह के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने आगामी विधानसभा चुनावों से पहले गुरुवार को एक नया राजनीतिक संगठन ‘इंडियन सेकुलर फ्रंट’ (आईएसएफ) बनाने की घोषणा की थी. पीरजादा सिद्दीकी ने कहा कि नव गठित संगठन राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में सभी 294 सीटों पर चुनाव लड़ सकता है.

वाम-कांग्रेस गठबंधन का कर सकते हैं रुख

उन्होंने यह भी कहा कि वाम-कांग्रेस गठबंधन के साथ उनके संगठन के गठजोड़ की संभावना है. राजनीतिक संगठन की शुरूआत के मौके पर सूफी मजार के प्रमुख सिद्दीकी ने कहा, ‘हमने इस पार्टी का गठन यह सुनिश्चित करने के लिए किया है कि संवैधानिक लोकतंत्र की रक्षा हो, सभी को सामाजिक न्याय मिले और हम सभी सम्मान के साथ रहें.’

नेहरू अगर चाहते तो आज नेपाल भी भारत का हिस्सा होता : प्रणब दा

प्रणब दा ने लिखा है कि राज्यसभा में रहते हुए उन्होंने ने विपक्ष के मुलायम सिंह यादव और मायावती जैसे नेताओं से भी संबंध बना के रखा था, यहां तक कि मायावती ने राष्ट्रपति पद के लिए तुरंत ही उनका समर्थन कर दिया था। प्रणब मुखर्जी ने लिखा है कि सोनिया गांधी सही फैसले नहीं कर रही थीं। उन्होंने लिखा है कि अगर वो होते तो विलासराव देशमुख कि जगह शिवराज पाटिल या सुशील कुमार शिदे को केन्द्र में बुला लेते। विदेश मामलों पर अपनी राय रखते हुए प्रणब मुखर्जी ने लिखा है कि प्रधानमंत्री मोदी का अपने शपथग्रहण में SAARC नेताओं को न्यौता देने का फैसला तो अच्छा था मगर मोदी का अचानक लाहौर जाना गलत कदम था भारत-पाकिस्तान रिश्तों में तनाव को देखते हुए ये बिलकुल गलत था।

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

तमाम विवादों के बीच पूर्व राष्ट्रपति, स्वर्गीय प्रणब मुखर्जी की किताब ‘द प्रेसिडेंशियल इयर्स’ प्रकाशित कर दी गई. गौरतलब है कि किताब में कांग्रेस और सोनिया गांधी पर टिप्पणी को लेकर उठे विवाद के बाद प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने किताब पर तब तक रोक लगाने की मांग की थी जब तक कि वो उसे पढ़ नहीं लेते मगर इससे ठीक उलट उनकी बहन और प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने किताब पर रोक लगाने की अपने भाई कि मांग को गलत बताया था

भारत के पूर्व राष्ट्रपति और कॉन्ग्रेस के कद्दावर नेता रहे प्रणब मुखर्जी का पिछले साल ब्रेन सर्जरी के बाद निधन हो गया था। हालाँकि, आखिरी समय में उन्होंने अपने संस्मरण को पूरा किया था। अब उनकी लिखी किताब ‘द प्रेजिडेंशियल ईयर्स’ के सामने आने के बाद इसके कई पहलुओं पर हर तरफ चर्चा भी शुरू हो गई है।

पूर्व राष्ट्रपति ने यह पुस्तक पिछले साल अपने निधन से पहले लिखी थी। मंगलवार (जनवरी 5, 2021) को यह पुस्तक बाजार में आई। उनकी आत्मकथा ‘The Presidential Years’ के अनुसार, कॉन्ग्रेस का अपना करिश्माई नेतृत्व खत्म होने की पहचान नहीं कर पाना 2014 के लोकसभा में उसकी हार के कारणों में से एक रहा।

यह यकीन कर पाना मुश्किल था कि कॉन्ग्रेस सिर्फ 44 सीट जीत सकी

पूर्व राष्ट्रपति ने आत्मकथा में उल्लेख किया है कि 2014 के लोकसभा चुनाव की मतगणना वाले दिन उन्होंने अपने सहायक को निर्देश दिया था कि उन्हें हर आधे घंटे पर रुझानों के बारे में सूचित किया जाए। उन्होंने लिखा है, ‘‘नतीजों से इस बात की राहत मिली कि निर्णायक जनादेश आया, लेकिन किसी समय मेरी अपनी पार्टी रही कॉन्ग्रेस के प्रदर्शन से निराशा हुई।’’ 

उन्होंने पुस्तक में लिखा है, ‘‘यह यकीन कर पाना मुश्किल था कि कॉन्ग्रेस सिर्फ 44 सीट जीत सकी। कॉन्ग्रेस एक राष्ट्रीय संस्था है जो लोगों की जिदंगियों से जुड़़ी है। इसका भविष्य हर विचारवान व्यक्ति के लिए हमेशा सोचने का विषय होता है।’’ 

कॉन्ग्रेस की कई सरकारों में केंद्रीय मंत्री रहे मुखर्जी ने 2014 की हार के लिए कई कारणों का उल्लेख किया है। उन्होंने लिखा है, ‘‘मुझे लगता है कि पार्टी अपने करिश्माई नेतृत्व के खत्म होने की पहचान करने में विफल रही। पंडित नेहरू जैसे कद्दावर नेताओं ने यह सुनिश्चित किया कि भारत अपने अस्तित्व को कायम रखे और एक मजबूत एवं स्थिर राष्ट्र के तौर पर विकसित हो। दुखद है कि अब ऐसे अद्भुत नेता नहीं हैं, जिससे औसत लोगों की सरकार बन गई।’’ 

प्रणब मुखर्जी ने अपनी इस किताब में ये खुलासा भी किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा करने से पहले उनके साथ इस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं की थी, लेकिन इससे उन्हें हैरानी नहीं हुई क्योंकि ऐसी घोषणा के लिए आकस्मिकता जरूरी है।

मैंने जिन दो पीएम के साथ काम किया, उनके लिए प्रधानमंत्री बनने का मार्ग बहुत अलग था

अपनी पुस्तक में प्रणब मुखर्जी ने लिखा, “मैंने जिन दो पीएम के साथ काम किया, उनके लिए प्रधानमंत्री बनने का मार्ग बहुत अलग था। सोनिया गाँधी द्वारा डॉ सिंह को पद की पेशकश की गई थी। दूसरी ओर, नरेंद्र मोदी 2014 में ऐतिहासिक जीत के लिए भाजपा का नेतृत्व करने के बाद लोकप्रिय पसंद के माध्यम से प्रधानमंत्री बन गए।”

प्रणब मुखर्जी ने लिखा है कि कई नेताओं ने उनसे कहा था कि अगर 2004 में वो प्रधानमंत्री बने होते तो 2014 में इतनी करारी हार नहीं मिलती। प्रणब मुखर्जी ने आगे लिखा है कि उनके राष्ट्रपति बनने के बाद कॉन्ग्रेस ने दिशा खो दी थी और सोनिया गाँधी सही फैसले नहीं कर पा रही थी। मनमोहन सिंह का ज्यादा वक्त अपनी सरकार बचाने में गया जिसका बुरा असर सरकार के कामकाज पर पड़ा।

नेहरू अगर चाहते तो आज नेपाल भी भारत का हिस्सा होता

इसके साथ ही उन्होंने अपनी पुस्तक में खुलासा किया कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू अगर चाहते तो आज नेपाल भी भारत का हिस्सा होता, लेकिन उन्होंने इस ऑफर को ठुकरा दिया। इसमें उन्होंने लिखा है कि अगर तब जवाहरलाल नेहरू की जगह पर इंदिरा गाँधी प्रधानमंत्री होतीं, तो वो इस मौके को नहीं छोड़तीं और इसे लपक लेतीं। उन्होंने याद दिलाया है कि इंदिरा ने सिक्किम के मामले में भी ऐसा ही किया था।

प्रणब मुखर्जी की किताब ‘द प्रेजिडेंशियल ईयर्स’ को लेकर उनके बेटे और बेटी में टकराव देखने को मिला। पूर्व राष्ट्रपति के बेटे-बेटी पिछले महीने ही ट्विटर पर उनकी किताब के प्रकाशन को लेकर आपस में भिड़ गए। अभिजीत मुखर्जी ने कहा कि उनके पिता की किताब को उनकी मर्जी के बिना न छापा जाए। वहीं शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि कोई सस्ती लोकप्रियता के लिए उनके पिता की किताब को छपने से न रोके। ऐसा करना पूर्व राष्ट्रपति का अपमान होगा।