नंदीग्राम ही से चुनाव लड़ेंगी ‘दीदी’, यहाँ चुनाव बना साख का सवाल

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़ने का एलान किया है. टीएमसी उम्मीदवारों की जारी लिस्ट में इस बात की घोषणा की गई है. इससे पहले ममता भवानीपुर सीट से चुनाव लड़ती रही हैं. इस बार के चुनाव में वो भवानीपुर सीट से चुनाव नहीं लड़ेंगी. सनद रहे कि नंदीग्राम, नंदीग्राम आंदोलन की नींव रहे श्वेन्दु अधिकारी का गढ़ रहा है। यहाँ अधिकारी बंधुओं का बहुत बोल बाला है। यहाँ से शुवेंदु के भाई और पिता विधायक और सांसद रहे हैं।

कोलकाता/नईदिल्ली:

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर तृणमूल कांग्रेस ने 291 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। बता दें कि पार्टी 291 सीट पर ही चुनाव लड़ेगी। तीन सीटें सहयोगियों के लिए छोड़ी गई हैं। ममता के करीबियों का कहना है कि शुक्रवार को दीदी अपना लकी दिन मानती हैं। इसी वजह से उन्होंने उम्मीदवारों के एलान के लिए इस दिन को चुना। बता दें कि साल 2011 और 2016 में भी ममता बनर्जी ने टीएमसी भवन से ही शुक्रवार के दिन उम्मीदवारों का एलान किया था। ममता बनर्जी ने कहा कि वह नंदीग्राम सीट से ही चुनाव लड़ेंगी। माना जा रहा है कि यहां उनका सीधा मुकाबला सुवेंदु अधिकारी से होगा, लेकिन यह भाजपा के उम्मीदवारों की सूची जारी होने के बाद स्पष्ट होगा। उनकी परंपरागत भवानीपुर सीट से सोवनदेब चट्टोपाध्याय मैदान में उतरेंगे।

जानकारी के मुताबिक, टीएमसी की सूची में 291 उम्मीदवारों के नाम हैं। इनमें 100 नए चेहरों को मौका दिया गया है। वहीं, 50 महिलाओं और 42 मुस्लिमों को भी मैदान में उतारा जा रहा है। ममता बनर्जी ने कहा कि हमने उन उम्मीदवारों को टिकट दिया, जिन्हें जनता पसंद करती है। हालांकि, कुछ लोगों को टिकट नहीं मिला है। कोशिश करूंगी कि उन्हें विधान परिषद चुनाव में मौका दिया जाए। 

ममता ने नंदीग्राम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान कर एक साथ कई रानजीतिक संदेश देने की कोशिशें की है. सिंगूर के साथ नंदीग्राम वो जगह है जहां पर भूमि अधिग्रहण को लेकर भारी विरोध हुआ था और इसका ममता बनर्जी को पश्चिम बंगाल की सत्ता में आने में मदद मिली.

नंदीग्राम पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में इस बार बीजेपी से चुनावी मैदान में उतरने जा रहे शुभेंदु अधिकारी का रानजीतिक गढ़ है. ऐसे में कभी ममता के बेहद करीबी रहे शुभेंदु के चुनाव में आमने-सामने आने के बाद इस सीट पर पूरे देश की निगाहें लग गई हैं. अब देखना दिलचस्प होगा कि शुभेंदु भी इसी सीट से मैदान में उतरते हैं या नहीं.

ममता के लिए नंदीग्राम महत्वपूर्ण

वाम मोर्चे की सरकार की वहां पर कैमिकल फैक्ट्री स्थापना करने की योजना थी और हल्दिया डेवलपमेंट अथॉरिटी की तरफ से साल 2006 में इसका ऐलान भी किया गया था. लेकिन, जबरदस्ती भूअधिग्रहण के खिलाफ भारी तादाद में प्रदर्शन शुरू हो गया था. भूमि उच्छेद प्रतिरोध कमेटी का इसके विरोध में गठन किया गया था और शुभेंदु अधिकारी परिवार ने इसमें अहम भूमिका निभाई थी.

नंदीग्राम क्यों अहम?

नंदीग्राम विधानसभा तामलुक संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है और यह पूर्वी मेदिनीपुर जिले का हिस्सा है. हालांकि, पूर्वी मेदिनीपुर में कुल आबादी की तुलना में मुस्लिम आबादी करीब 14.59 फीसदी है जबकि नंदीग्रीम में मुसलमानों की आबादी करीब 34 फीसदी है. नंदीग्राम में अनुसूचित जाति की आबादी लगभग 14.59 फीसदी है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की तरफ से नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का ऐलान खुले दौर पर वहां के मौजूदा विधायक शुभेंदु अधिकारी को चुनौती देना है, जो नंदीग्राम आंदोलन के महत्वपूर्ण चेहरा थे लेकिन अब विधानसभा चुनाव से पहले वह टीएमसी से पाला बदलते हुए बीजेपी में जाकर मिल चुके हैं.

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