भक्ति – अध्यातम ही नहीं अपितु व्यापार वाणिज्य से भी परिपूर्ण करते हैं शारदीय नवरात्रे

माँ भगवती

धर्म संस्कृति डेस्क, चंडीगढ़:

पित्र पक्ष में अपने पित्रों को तृप्त कर खुशी खुशी विदा करते हैं वहीं से शारदीय नवरात्रों का उल्लास त्योहारों की एक निरंतर लड़ी के आगमन की सूचना भी लाता है। आषाढ़ मास की आखिरी मूलाधार के पश्चात दक्षिणायन होते रश्मीरथी आर्याव्रत की भूमि पर अपनी उग्र उष्णता कम कर सौम्य होते जाते हैं मानों वह भी नवरात्रों में माँ भगवती का स्वागत कर रहे हों।

शारदीय नवरात्रि केवल मात्र शक्ति पूजन ही नहीं है, यह धन – धन्य से परिपूर्ण करने वाला समय है। जहां एक ओर हम माता के नौं रूपों की भक्ति करते हैं वहीं हमरे खलिहानों को भरने का समय भी होता है। नयी फसलें ज्वार , बाजरा , धान , मक्का , मूंग , सोयाबीन , लोबिया , मूंगफली , कपास , जूट , गन्ना , तम्बाकू , आदि से हमारे व्यापार – वाणिज्य में नवप्राणों का उत्सर्ग होता है। नया धान आने से कुटाई छनाई (शेल्लर उद्योग) गतिमान होता है वहीं गुड शक्कर और खांडसेरी की भट्टियाँ भी जल उठतीं हैं। चहुं ओर उल्लास का साम्राज्य दिखाई पड़ता है।

आज अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि (07 अक्तूबर) से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है। शारदीय नवरात्र का व्रत सभी महिलाएं और पुरुष कर सकते हैं। अगर कोई व्यक्ति खुद व्रत ना कर सके तो वह अपनी पुत्र या ब्राम्हण को अपना प्रतिनिधि बनाकर व्रत को पूर्ण करवा सकता है।

टिहरी बांध पर अतिक्रमण को लेकर चल रहा है विवाद, शासन-प्रशासन की नियत पर भी उठे सवाल

डॉ. प्रमोद उनियाल कहते हैं कि टिहरी बांध के कामकाज के लिए एक कंपनी आई थी। उस कंपनी के मजदूरों में कुछ लोग मुस्लिम समुदाय से भी जुड़े थे। ये लोग दोबाटा के पास नमाज पढ़ने लगे। कंपनी चली गई और 2006 में झील का पानी बढ़ गया तो दोबाटा का वह क्षेत्र भी लबालब हो गया। टिहरी बांध से संबंधित कामकाज के लिए दूसरी कंपनी आई। अब इस कंपनी के मुस्लिम श्रमिकों ने खांडखाला के नजदीक नमाज पढ़ने की जगह तलाश ली।

  • ट्विटर पर #RemoveTehriMosque हैशटैग हो रहा है ट्रेंड, लंबे समय से चल रहा विवाद
  • टिहरी बांध पर अतिक्रमण को लेकर चल रहा है विवाद, शासन-प्रशासन पर भी उठे सवाल
  • डॉ. प्रमोद उनियाल ने दी चेतावनी, बोले- नतीजा नहीं निकला तो हम जल्द उठाएंगे कदम

उत्तराखंड ब्यूरो :

उत्तराखंड में टिहरी बाँध के पास लैंड जिहाद का मामला सामने आया है। रिपोर्टों के अनुसार, 2000 के दशक की शुरुआत में खंड-खाला कोटि कॉलोनी में साइट पर एक अवैध मस्जिद बनाई गई थी, जो बाँध के करीब है और तब से हिंदू संगठनों ने इसे हटाने के लिए कई बार कोशिशें की है। हाल ही में, सितंबर 2021 के पहले सप्ताह में, स्थानीय हिंदुओं के एक समूह ने मस्जिद के खिलाफ नए सिरे से विरोध प्रदर्शन शुरू किया और 150 वर्ग मीटर से अधिक भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त करने के प्रयासों को तेज किया।

इतिहास देखें तो असम के दरांग जिले के धोलपुर में गत बृहस्पतिवार (23 सितंबर) को सरकारी जमीन पर से अवैध कब्जा हटाने की प्रक्रिया में जो हिंसा हुई वह पूरी तरह से अप्रत्याशित नहीं थी। इसलिए नहीं कि राज्य सरकार इसके लिए तैयार थी बल्कि इसलिए क्योंकि सरकारी संपत्ति पर से कब्ज़ा हटाने की प्रक्रिया ऐसी ही होती रही है जिसमें हिंसा का एक पूरा सिलसिलेवार इतिहास रहा है और यह किसी एक राज्य तक सीमित नहीं है। रेलवे की जमीन, राज्य सरकारों की जमीन, केंद्र सरकार के किसी विभाग की जमीन हो, ऐसी हिंसा समय-समय पर कई जगहों पर देखने को मिली है। इस बात के भी उदाहरण हैं जब सरकारों या उनके विभागों द्वारा चलाए गए ऐसे बेदखली अभियान असफल भी रहे हैं। 

हिंसा अप्रत्याशित नहीं रही हो पर जो बात ध्यान देने योग्य है वह ये है कि बेदखली के इस अभियान के पहले राज्य सरकार और अवैध कब्ज़ा करने वालों के बीच एक न्यूनतम समझौता हुआ था जिसके अनुसार कब्ज़ा हटाने के परिणामस्वरूप विस्थापितों को राज्य सरकार के नियमों के तहत जमीन दी जानी थी। ऐसे में यह प्रश्न स्वाभाविक है कि पहले से तयशुदा प्रक्रिया के बावजूद असम पुलिस पर इस तरह का हमला क्यों हुआ और इसके पीछे अवैध कब्जाधारकों की क्या मंशा थी? साथ ही यह प्रश्न भी उठता है कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा हिंसा के पीछे जिस षड्यंत्र की बात कर रहे हैं, उसे क्या बिना छानबीन के नजरअंदाज किया जा सकता है? अवैध घुसपैठियों द्वारा इतनी बड़ी सरकारी जमीन और संसाधनों की ऐसी लूट क्या कोई देश चुपचाप सहन कर सकता है? 

असम के बाद ही एक मामला उत्तराखंड में हुआ जिसमें टिहरी बाँध पर बनी एक मस्जिद को हटाने की माँग को लेकर प्रशासन और स्थानीय लोगों में एक झड़प हुई और उसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। थोड़ा पीछे जाएँ तो इस महीने के शुरुआत में दिल्ली के फ्लाईओवर पर एक छोटी सी मस्जिद हटाने की माँग करने वाले स्थानीय लोगों और उस इलाके के पुलिस अफसर के बीच एक झड़प हुई थी और उसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। आज गुरुग्राम में सार्वजनिक जगह पर लगातार नमाज पढ़ने को लेकर स्थानीय लोगों ने यह कहते हुए आपत्ति जताई कि नमाज पढ़ने वालों के जुटने की वजह से इलाके में महिलाओं का आना-जाना दूभर हो गया है। इस तरह की तमाम घटनाएँ आये दिन सोशल मीडिया पर न केवल रिपोर्ट होती हैं बल्कि उन्हें लेकर लोगों की प्रतिक्रियाएँ भी देखने और पढ़ने को मिलती हैं। 

ये घटनाएं हमारे समय का दस्तावेज हैं और हमें किसी तरह का संदेश दे रही हैं। उस संदेश को समझना हमारे लिए चुनौती है पर उससे भी बड़ी चुनौती यह है कि संदेश समझने के बाद हम क्या करते हैं। यदि हम असम की घटना को ही देखें तो यह हमसब के लिए आश्चर्य की बात होगी कि जब देश के छोटे किसानों (करीब 65 प्रतिशत) के पास औसत रूप से एक एकड़ से भी कम जमीन है तब असम के एक जिले में प्रति व्यक्ति करीब 200 बीघे जमीन पर घुसपैठियों ने न केवल अवैध कब्ज़ा कर रखा है बल्कि उसे छोड़ने के एवज में जमीन की माँग भी करते हैं।

इस अवैध कब्ज़े को हटाने के लिए लगभग दो महीने से सरकार और कब्ज़ाधारकों के बीच बातचीत हो रही थी। सबसे बड़ी बात यह है कि ऐसे तमाम अवैध कब्ज़े होंगे जिन्हें हटाने के लिए सरकारों को बड़ी मेहनत करने की आवश्यकता पड़ती है। इसलिए अधिकतर सरकारें इस मेहनत से बचती रहती हैं जिसका परिणाम यह होता है कि अवैध कब्ज़े की जमीन बढ़ती जाती है। 

यही कारण है कि दशकों की यथास्थिति को बदलने की मंशा और वादे करके आई सरकारों के लिए ऐसे अवैध कब्ज़े बहुत बड़ी चुनौती है। यह आम भारतीय के लिए ख़ुशी की बात होनी चाहिए कि वर्तमान की असम और उत्तर प्रदेश सरकार ऐसे अवैध कब्ज़े हटाने का प्रयास तो करती हैं। ऐसा करने के लिए केवल संविधान और कानून लागू करना चुनौती है और इसके लिए जिस नैतिक बल की आवश्यकता है वह अधिकतर राज्य सरकारों और उसके नेतृत्व में नहीं मिलता। दशकों के अल्पसंख्यक तुष्टिकरण का परिणाम यह है कि देश के बहुत बड़े हिस्से पर अवैध कब्जा हो गया है और उसे हटाना केवल सरकारों के लिए कानून व्यवस्था की चुनौती नहीं बल्कि राष्ट्रीय सभ्यता के लिए भी चुनौती है। 

भारतवर्ष पर अवैध कब्ज़े केवल देश के बंटवारे और विस्थापितों का परिणाम नहीं है। यह परिणाम है अवैध घुसपैठ, राजनीतिक तुष्टिकरण और योजनाबद्ध धार्मिक विस्तारवाद का। जब देश के प्रधानमंत्री देश को अपने संबोधन में बताते हैं कि; देश के संसाधनों पर अल्पसंख्यकों का पहला अधिकार है तो वह बात देश के पास बाद में पहुँचती है और कब्ज़ा ग्रुप के पास पहले पहुँचती है। जब अवैध घुसपैठियों को देश के संविधान और कानून के तहत अपराधी नहीं बल्कि वोटर समझा जाता है तो उसके दूरगामी परिणाम होते हैं। जब विपक्ष में रहने वाला नेता अवैध घुसपैठ पर सत्ता में आने के बाद यू-टर्न लेता है तब उससे अवैध कब्ज़ा ग्रुप को बल मिलता है। यथास्थिति को बदलने के लिए प्रयासरत सरकारें क्या कर पाती हैं, इस प्रश्न का उत्तर भविष्य के गर्भ में छिपा है।

उत्तराखंड, गुजरात के बाद क्या अब खट्टर का नंबर है

भारतीय जनता पार्टी ने कई राज्यों में गैर-प्रमुख जातियों के नेताओं को मुख्यमंत्री का पद सौंपा लेकिन हाल में हुए बदलावों को देखकर लगता है कि बीजेपी का हृदय परिवर्तन हो गया है। पिछले कुछ वर्षों में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी द्वारा मुख्यमंत्री को बदला जाना यह बताता है कि पार्टी ने जाति प्रमुख को महत्व देते हुए रणनीति में बदलाव किया है और इसी का कारण है कि विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में चुनाव से पहले वहां की प्रमुख जाति के चेहरों को सीएम की कुर्सी पर बैठाया। उत्तराखंड और कर्नाटक के बाद सबसे ताजा उहादरण गुजरात का है, जहां भाजपा ने बहुसंख्यक और प्रभुत्वशाली पाटीदार समाज की मांग के आगे झुकते हुए मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को पद से हटा दिया और भूपेंद्र पटेल को नया मुख्यमंत्री बनाया।

चंडीगढ़/नयी दिल्ली:

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को गुरुवार को अचानक दिल्ली बुलाया गया, जहां पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की है। मुख्यमंत्री खट्टर पीएम से मिलने उनके आवास पर पहुंचे हैं। दोनों नेताओं के बीच एक घंटे तक बैठक चली है। बताया जा रहा है कि इस दौरान वो गृह मंत्री अमित शाह सहित कई अन्य केंद्रीय मंत्रियों और आरएसएस के कुछ पदाधिकारियों से भी मुलाकात कर सकते हैं। हालांकि और मुलाकातों को लेकर खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इनकार किया है। कयास ऐसे भी लगाए जा रहे हैं कि क्या बीजेपी संगठन गुजरात के बाद अब हरियाणा में बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बारे में खट्टर ने जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी को उनके जन्मदिवस की पूर्व संध्या पर बधाई दी है। हरियाणा सरकार के नए इनीशिएटिव्स को लेकर पीएम मोदी जी से बातचीत हुई है। मेरी फसल मेरा ब्यौरा, मेरा पानी मेरी विरासत, सहित राइट टू सर्विस कमिशन, के सॉफ्टवेयर को लेकर और तमाम नए प्रोजेक्ट्स के बारे में प्रधानमंत्री को जानकारी दी है।

अपने दिल्ली दौरे को लेकर बोले सीएम खट्टर ने कहा कि दिल्ली दौरे पर और कुछ मुलाकातें नहीं हैं। गुड़गांव से होते हुए कल चंडीगढ़ के लिए वापसी होगी। करनाल की घटना और किसान आंदोलन को लेकर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चर्चा हुई है। करनाल की घटना की जानकारी दी है. सुप्रीम कोर्ट ने जो रास्ता छोड़ने की बात की है उसकी कमेटी की जानकारी भी प्रधानमंत्री को दी है।

जानकारों की मानें तो बरोदा उपचुनाव में बीजेपी की हार और इसके अलावा निकाय चुनाव में बीजेपी की सोनीपत और अंबाला में हार हुई. किसान आंदोलन को लेकर हरियाणा बीजेपी बैकफुट पर नजर आई है। इसके अलावा मुख्यमंत्री मनोहर लाल और गृहमंत्री अनिल विज के बीच कई विवाद सामने आए हैं। दोनों के बीच का विवाद हाईकमान तक भी पहुंचा है।

हालांकि इस मुलाकात का एजेंडा सार्वजनिक नहीं हुआ है, चर्चा जोरों पर कि इस बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बदल सकते हैं, इसके साथ ही हरियाणा में मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है। बता दें कि केंद्र सरकार 6 महीने के अंदर तीन बीजेपी शासित राज्यों के 4 मुख्यमंत्रियों को बदल चुकी है. इसकी शुरूआत हुई उत्तराखंड से हुई और बयार चलते-चलते गुजरात तक पहुंची। अब कयास लगाए जा रहे हैं कि ये हरियाणा का नंबर भी आ सकता है।

मुख्यमंत्री के रूप में भाजपा गैर-प्रमुख जाति के नेताओं को चुनने के लिए जानी जाती रही है. फिर चाहे बात हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की हो या फिर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की. इन दोनों नेताओं को नरेंद्र मोदी-अमित शाह नेतृत्व ने जाट और मराठा समुदायों के बाहर से चुना था. जिसमें से खट्टर अभी भी मुख्यमंत्री पद पर विराजमान हैं, हालांकि सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि 2024 में होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा मुख्यमंत्री बदल सकती है और गुजरात के तर्ज पर यहां भी किसी जाति-समुदाय प्रमुख चेहरे को राज्य का सीएम बना सकती है. हालांकि, ये सिर्फ भी कयास भर है.

गढ़वाल सभा के तीन सदस्य निलंबित

-गढ़वाल सभा की बैठक में लिया गया फैसला-छह वर्ष के लिए किया गया सभा से निलंबित

चंडीगढ़:

गढ़वाल सभा चंडीगढ़ के पदाधिकारी और कार्यकारिणी की बैठक में गढ़वाल सभा के तीन सदस्यों को छह वर्ष के लिए सभा से निलंबित कर दिया गया। बीबी बहुगुणा, कुंदन लाल उनियाल, बीएस बिष्ट को निलंबित किया गया है।इस बैठक का आयोजन गढ़वाल सभा चंडीगढ़ के प्रधान बिक्रम सिंह बिष्ट की अध्यक्षता में किया गया  इस बैठक में सभा के अस्सी सदस्य मौजूद थे। 29 अगस्त को आयोजित की गई इस बैठक में सभा के सचिव अरुण प्रकाश भी मौजूद थे। इस बैठक का मुख्य एजेंडा 22 अगस्त को गढ़वाल भवन सेक्टर-29 के गेट पर धरना प्रदर्शन देने वालों के खिलाफ एक्शन लेना था। इस बैठक में बिक्रम सिंह बिष्ट ने स्पष्ट किया कि गेट पर धरना प्रदर्शन करने वाले मुख्य रूप से तीन सदस्य सभा के चुनाव की मांग कर रहे थे जबकि कोर्ट के आदेश के अऩुसार फिलहाल चुनाव नहीं करवाए जा सकते हैं। जिसके बारे में यह सदस्य अन्य सभा के सदस्यों को गुमराह कर रहे थे। इस बारे में उत्तराखंड पर्वतीय सभा के प्रधान सुरेंद्र सिंह रावत ने कहा कि तीन सदस्यों को निलंबित  ही ठीक है।

रुद्र प्रयाग जनकल्याण मंच के प्रधान सरूप सिंह ने कहा कि यदि कोर्ट द्वारा आदेश दिया गया है तो फिर चुनाव कैसे करवाए जा सकते हैं। टिहरी गढ़वाल विकास परिषद रघुवीर सिंह पवार ने कहा कि हरेक सभा की गाइडलाइन होती है, जरूर यह है कि सभा के सदस्यों को मिलकर चलना चाहिए। इस प्रकार की गतिविधियां सभा के विरोध में की जा रही थीं। इस वजह से जो निर्णय लिया गया वह ठीक है। पौड़ी गढ़वाल एकता मंच के प्रधान महेंद्र सिंह रावत और उत्तराखंड जन चेतना मंच दीपक असवाल ने भी सभा के निर्णय का स्वागत किया। 

लखनऊ के चारों तरफ के रास्तों का भी वही हाल होगा जो दिल्ली का हुआ है : टिकैत

किसान आंदोलन की तपिश जल्दी ही दिल्ली-गाजियाबाद से निकलकर यूपी की राजधानी लखनऊ तक पहुंचने वाली है, जी हां ऐसा हो सकता है इस बारे में संयुक्त किसान मोर्चा ने सोमवार को लखनऊ में प्रेस कांफ्रेस कर उत्तर प्रदेश सरकार को चुनौती दी है किसान नेता राकेश टिकैत ने मिशन उत्तर प्रदेश के तहत सरकार के ख‍िलाफ मोर्चा खोलने की बात कही है। राकेश ट‍िकैत ने कहा लखनऊ को भी दिल्ली बना देंगे। लखनऊ के चारों तरफ के रास्तों का भी वही हाल होगा जो दिल्ली का हुआ है। हाल ही में किसान संघों ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि वे स्वतंत्रता दिवस पर भाजपा नेताओं और मंत्रियों को राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराने देंगे।

  • लखनऊ के प्रेस क्लब में संयुक्त किसान मोर्चा की प्रेसवार्ता
  • यूपी और उत्‍तराखंड में आंदोलन शुरू करने जा रहा संयुक्त किसान मोर्चा
  • म‍िशन यूपी और यूके के तहत किसानों की उठाई जाएगी आवाज़

लखनऊ(ब्यूरो):

अभी हाल ही में देश में युद्ध छेड़ने क धमकी देनेवाले किसान नेता राकेश टिकैत ने आज अपने आंदोलन के 8 महीने पूरे होने पर एक बार फिर भाजपा की राज्य सरकारों को धमकाया है। भाजपा नेताओं से मारपीट और उनकी गाड़ियों के साथ तोड़ फोड़ को जायज ठहराने वाले टिकैत ने अब 15 अगस्त पर भजपा नेताओं को तिरंगा नहीं फहराने देंने की बात भी अः है। सूत्रों की मानें तो बीकेयू कृषि क़ानूनों की आड़ में देश में गृह युद्ध की स्थिति लाना चाहता है।

टिकैत ने कहा कि 8 महीने आंदोलन करने के बाद संयुक्त मोर्चा ने फैसला किया है कि उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब और पूरे देश में जाकर किसानों के सामने अपनी बात रखी जाएगी। इसकी तैयारी के लिए 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर में बड़ी पंचायत की जाएगी।

ट्रैक्टर रैली निकालना बुरी बात नहीं

राकेश टिकैत ने हरियाणा में जींद के किसानों की तरफ से 15 अगस्त को ट्रैक्टर रैली निकालने की घोषणा का समर्थन किया है। टिकैत ने कहा कि ट्रैक्टर रैली निकालना कोई बुरी बात नहीं है। जींद के लोग क्रांतिकारी हैं। उन्होंने 15 अगस्त को ट्रैक्टर परेड करने का सही फैसला लिया है। देखते हैं कि संयुक्त किसान मोर्चा आगे क्या फैसला करता है।

उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद, हापुड़ और अमरोहा से किसानों के जत्थे विरोध स्थल पर पहुँचेंगे और 15 अगस्त को सड़कों पर ट्रैक्टर परेड करेंगे। उन्होंने कहा कि ट्रैक्टर परेड को राष्ट्रीय ध्वज के साथ देखना गर्व का क्षण होगा। इसे देशभक्ति की भावना और मजबूत होगी।

बता दें कि हाल ही मे किसान संघों ने ताजा चेतावनी जारी करते हुए कहा था कि वे स्वतंत्रता दिवस पर भाजपा नेताओं और मंत्रियों को राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराने देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि पूरे हरियाणा में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। एक निजी चैनल से बात करते हुए एक किसान नेता ने कहा कि वे राज्य में ट्रैक्टर परेड निकालेंगे और भाजपा नेताओं को काले झंडे दिखाएँगे।

शनिवार (जुलाई 24, 2021) को भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने धमकी देते हुए कहा था, “किसान संसद से किसानों ने गूँगी-बहरी सरकार को जगाने का काम किया है। किसान संसद चलाना भी जानता है और अनदेखी करने वालों को गाँव में सबक सिखाना भी जानता है। भुलावे में कोई न रहे।”

पिछले दिनों भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने समानांतर संसद चलाने की धमकी दी थी। टिकैत ने यह धमकी आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार द्वारा ‘किसानों’ को केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने की अनुमति देने के बाद दी। वहीं, प्रदर्शन स्थल पर तथाकथित किसानों ने विरोध प्रदर्शन कवर करने गए मीडियाकर्मी पर लाठियों से हमला किया गया था।

इससे पहले टिकैत ने सरकार को धमकाया कि अगर इस बार कानून रद्द नहीं किया गया तो किसानों के ट्रैक्टर लाल किले के अलावा संसद का भी रास्ता जानते हैं। इसके अलावा, पंजाब के पटियाला में किसानों ने भारतीय जनता पार्टी के नेताओं पर हमला कर दिया था। भाजपा नेताओं ने पुलिस के इशारे पर किसानों के द्वारा मारपीट करने का आरोप लगाया।

26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली में ही हुआ था बवाल

इस साल 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली की वजह से ही दिल्ली की सड़कों पर किसानों और पुलिसकर्मियों के बीच झड़प हुई थी। इस दौरान कुछ किसान ऐतिहासिक लाल किले में पहुँच गए थे और तिरंगे को गिरा कर वहाँ अपने धर्म का झण्डा लगा दिया था। इसके बाद टकराव बढ़ गया था।

उत्तराखंड कॉंग्रेस में फेरबदल, रावत होंगे मुख्यमंत्री का चेहरा

पंजाब के बाद उत्तराखंड में भी कांग्रेस ने अंदरूनी कलह को दूर करते हुए सियासी संकट का समाधान निकाल लिया। इसके तहत हरीश रावत को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाने की बात तय हो गई। वहीं, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का पद गणेश गोदयाल सौंपा गया। वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को विधायक दल का नेता चुना गया है।

उत्तराखंड (ब्यूरो):

उत्तराखंड से बड़ी खबर सामने आई है। उत्तराखंड कांग्रेस ने गणेश गोदियाल को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया है तो वहीं प्रीतम सिंह को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है। हरीश रावत कैम्पेन कमेटी के अध्यक्ष बनाए गए हैं और भुवन कापड़ी कार्यकरी अध्यक्ष बनाए गए हैं। उत्तराखंड में इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद कांग्रेस में खाली हुई नेता प्रतिपक्ष की सीट पर फैसला नहीं हो पा रहा था।  कांग्रेस के तय कार्यक्रमों को देखकर ऐसा लग रहा है कि नेता प्रतिपक्ष और संगठनात्मक बदलाव पर अभी कुछ समय लग सकता है लेकिन, कांग्रेस ने अपने पत्ते खोल दिए हैं। 

कांग्रेस अध्यक्ष ने उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कार्यकारी अध्यक्ष नेता विधायक दल अध्यक्ष अध्यक्ष संयोजक चुनाव अभियान कमेटी एवं कोषाध्यक्ष को तत्काल प्रभाव से नियुक्त किया है। इसके अतिरिक्त कांग्रेस स्नेह कोर कमेटी समन्वय कमेटी मेनिफेस्टो कमेटी चुनाव प्रबंधन कमेटी पब्लिक आउटरीच कमेटी कार्यक्रम कमेटी पी॰ई॰सी कमेटी एवं मीडिया कमेटी के गठन के प्रस्ताव को भी तुरंत प्रभाव से मंजूरी दी है।

पार्टी ने 72 वर्षीय हरीश रावत को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाने के साथ ही उनके करीबी माने जाने वाले गोदियाल को प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कमान सौंपी है। कांग्रेस ने गोदियाल को अध्यक्ष बनाने के साथ ही जीत राम, भुवन कापड़ी, तिलक राज बेहड और रंजीत रावत को उत्तराखंड इकाई का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है। आर्येंद्र शर्मा को उत्तराखंड कांग्रेस का कोषाध्यक्ष बनाया गया है।  प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रदीप टम्टा को चुनाव प्रचार समिति का उपाध्यक्ष और दिनेश अग्रवाल को इसका संयोजक बनाया गया है।

कांग्रेस के उत्तराखंड प्रभारी देवेंद्र यादव की अगुवाई में कोर कमेटी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के नेतृत्व में समन्वय समिति, पूर्व मंत्री नवप्रभात की अगुवाई में घोषणापत्र समिति, प्रकाश जोशी की अध्यक्षता में चुनाव प्रबंधन समिति, सुमित हृद्येश की अध्यक्षता में प्रचार समिति और कुछ अन्य समितियां गठित की गई हैं।

अखिलेश के बाद मायावती ने आतंकियों की गिरफ्तारी पर राजनीति चमकाई

अखिलेश यादव ने अलकायदा आतंकियों की गिरफ़्तारी पर उन्होंने कहा कि वो न तो यूपी पुलिस और न ही भाजपा की सरकार पर भरोसा कर सकते हैं। बता दें कि मैंगो बेल्ट काकोरी के एक मकान से ATS ने मसरुद्दीन और मिनहाज अहमद नामक दो आतंकियों को दबोचा। ये आतंकी देश के कई हिस्सों में बम ब्लास्ट की योजना बना रहे थे, जिसमें मानव-बम से हमले भी शामिल थे। जहाँ अहमद दुबग्गा का निवासी है, मसरुद्दीन मड़ियाँव में रहता था।

  • यूपी एटीएस और पुलिस ने अलकायदा के दो संदिग्ध आतंकियों को किया गिरफ्तार
  • अखिलेश यादव ने उठाए सवाल की यूपी पुलिस पर नहीं है भरोसा
  • अब मायावती ने भी खड़े किए सवाल, बोलीं- अब तक बेखबर क्यों रही पुलिस
  • मायावती ने कहा कि आतंकी पकड़े जाने की आड़ में राजनीति नहीं होनी चाहिए

लखनऊ/दिल्ली:

बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने संदिग्ध आतंकियों की गिरफ्तारी पर कहा कि इसकी आड़ में राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर दावा सही है तो यह गंभीर मामला है और कार्रवाई जरूर होनी चाहिए।

‘..आड़ में न हो राजनीति’
मायावती ने ट्वीट किया, ‘यूपी पुलिस का लखनऊ में आतंकी साजिश का भंडाफोड़ करने व इस मामले में गिरफ्तार दो लोगों के तार अलकायदा से जुड़े होने का दावा अगर सही है तो यह गंभीर मामला है। इस पर उचित कार्रवाई होनी चाहिए वरना इसकी आड़ में कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए जिसकी आशंका व्यक्त की जा रही है।’

भारत से की जा रही थीं भर्तियां

ADG प्रशांत कुमार ने इस ऑपरेशन के बारे में जानकारी देते हुए कहा, उम्र-अल-मंदी द्वारा अलकायदा  में इंडिया से भर्ती की जा रही थीं। यहां कुछ जिहादी लोगों को चिन्हित किया गया था. लखनऊ में मॉडल खड़ा करने की तैयारी में ये लोग लगे हुए थे। मॉडल के प्रमुख सदस्य मसरुद्दीन और शकील बड़ी साजिश रच रहे थे। एडीजी के मुताबिक 15 अगस्त से पहले उत्तर प्रदेश में विस्फोट (Blast) करने की साजिश रची जा रही थी।

कैसे हत्थे चढ़े आतंकी

यूपी एटीएस की टीम ठाकुरगंज इलाके के फरीदीपुर में पहुंची. वहां पर दो घरों मे सर्च ऑपरेशन किया गया. यूपी एटीएस के साथ लोकल पुलिस भी रेड में शामिल रही. सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आसपास के इलाकों में भी पुलिस तैनात की गई थी।  सूत्रों के मुताबिक छोटे ब्लास्ट की वजह से UP-ATS को इन आतंकियों के बारे में सुराग मिला। आशंका है कि इलाके में कुछ और आतंकी भी छिपे हो सकते हैं। आतंकियों की गिरफ्तारी की सूचना मिलने पर जम्मू-कश्मीर के पुलिस अफसरों ने भी यूपी पुलिस से संपर्क साधा है। इधर यूपी ATS का सर्च ऑपरेशन जारी है।

अखिलेश यादव ने अलकायदा आतंकियों की गिरफ़्तारी पर उन्होंने कहा कि वो न तो यूपी पुलिस और न ही भाजपा की सरकार पर भरोसा कर सकते हैं। बता दें कि मैंगो बेल्ट काकोरी के एक मकान से ATS ने मसरुद्दीन और मिनहाज अहमद नामक दो आतंकियों को दबोचा। ये आतंकी देश के कई हिस्सों में बम ब्लास्ट की योजना बना रहे थे, जिसमें मानव-बम से हमले भी शामिल थे। जहाँ अहमद दुबग्गा का निवासी है, मसरुद्दीन मड़ियाँव में रहता था।

इससे पहले राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने पश्चिम बंगाल और केरल में अलकायदा के मॉड्यूल का खुलासा किया था। केरल के एर्नाकुलम और पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद से इन आतंकियों की गिरफ़्तारी हुई थी। ये लोग कोच्चि नौसेना बेस और शिपयार्ड्स को निशाना बनाने वाले थे। बिहार पुलिस भी लखनऊ में अलकायदा आतंकियों की गिरफ़्तारी के बाद अलर्ट पर है। देश के कई हिस्सों में अलकायदा के स्लीपर सेल मौजूद हैं, इनकी फंडिंग पर रोक लगा कर उनके नेटवर्क को ध्वस्त करना मुख्य चुनौती है।

एक भाजपा सांसद के अलावा कई अन्य भाजपा नेता इन आतंकियों के निशाने पर थे। आसपास के घरों में इन आतंकियों के साथियों के ठिकाने हो सकते हैं, इसीलिए उनकी भी तलाशी हो रही है। सीरियल ब्लास्ट की साजिश पाकिस्तान में रची गई थी और अफगानिस्तान में इस पर ‘रिसर्च’ हुआ था। आसपास के 500 मीटर के दायरे में सारे घरों को खाली करा लिया गया। जल्द ही कई और खुलासे होने की संभावना है।

कश्मीर से उत्तराखंड तक बारिश का कहर

हिमाचल प्रदेश में मानसून का इंतजार कर रहे लोगों के लिए रविवार का दिन शानदार खबर लेकर आया है जहां कई जगहों पर खूब बारिश हुई। लेकिन कई जगहों पर इस कदर तेज बारिश हुई कि तबाही जैसे हालात पैदा हो गए। राज्य के प्रसिद्ध पर्यटन भागसू में रविवार को बादल फट गया जिसके बाद हालात बेकाबू हो गए हैं और सड़क पर खड़ी गाड़ियां ऐसे बहने लगी मानों ताश के पत्ते बह रहे हों। इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो में साफ नजर आ रहा है कि भारी बारिश के बाद सड़कों पर बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं और लोग घरों के अंदर नजर आए।

  • राजस्थान में आकाशीय बिजली गिरने से हुई मौतों पर पीएम मोदी ने दुख जताया।
  • राजस्थान के अलावा आकाशीय बिजली ने यूपी में भी तांडव मचाया है। अलग-अलग जिलों में हुई घटनाओं में करीब 40 लोगों की मौत हो गई।
  • जयपुर में आमेर किले के पास वॉच टावर पर सेल्फी ले रहे लोगों पर गिरी बिजली, 11 की मौत
  • राजस्थान पर टूटा आकाशीय बिजली का कहर, 7 बच्चों सहित 20 से ज्यादा लोगों की मौत, 21 घायल
  • खराब मौसम के बीच बिजली गिरने से उत्तर प्रदेश में कई लोगों की मौत

चण्डीगढ़/जम्मू/हिमाचल/मोहिंदर सिंह द्वारा इनपुट से:

मौसम विज्ञान विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक 13 जुलाई को और 14 से 16 जुलाई तक भारी बारिश हो सकती है। इसे ध्यान में रखते हुए आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत कांगड़ा जिले में सभी विभागों के जिले के अधिकारियों को अलर्ट पर रहने का आदेश दिया गया है।

करीब एक महीने तक शांत रहा मानसून दोबारा एक्टिव हो गया है। राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के कई जिलों में एक-दो दिन से रुक-रुककर बारिश जारी है तो मध्य प्रदेश में 17 जुलाई से भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। बिहार के 14 जिलों में भारी बारिश का यलो अलर्ट जारी किया गया है। यहां 7.5 से 15 मिमी तक बारिश हो सकती है।

हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में और जम्मू-कश्मीर में बादल फटने की घटना सामने आई है। शिमला सहित कई जिलों में रविवार रात से भारी बारिश हो रही है। इस कारण नदी-नाले उफान पर हैं। कई जगह बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है। कुल्लू की सरवरी नदी भी उफान पर है। इससे किनारे पर बसी झुग्गी बस्तियों पर खतरा पैदा हो गया है।

नदी का पानी झुग्गी बस्ती के बीच में बह रहा है। लोगों ने अपनी झुग्गियां खाली करनी शुरू कर दी हैं। नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है। शिमला में भारी बारिश के बाद झाकरी और रामपुर से गुजरने वाला नेशनल हाईवे ब्लॉक हो गया है।

उधर, सेंट्रल कश्मीर के गांदरबल में रविवार देर रात बादल फटने से बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। घरों में पानी घुस गया है। कई दुकानें और सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई हैं। घटना के बाद J&K प्रशासन ने रात में ही राहत और बचाव का काम शुरू कर दिया। प्रशासन का कहना है कि हालात फिलहाल काबू में हैं।

PM मोदी द्वारा मुश्किल के इस क्षण में हिमाचल प्रदेश को प्रदान किए जा रहे सहयोग के लिए समस्त प्रदेशवासियों की ओर से आभार। हिमाचल में भारी बारिश के कारण पेश आई प्राकृतिक आपदा में प्रधानमंत्री जी का सहारा मिलना सभी प्रदेशवासियों के लिए राहत का विषय है:हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री

चार महीने पहले ही सीएम बने तीरथ रावत ने दिया इस्तीफा

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने अपने पद से इस्तीफे की पेशकश की है। इसी के साथ उत्तराखंड में एक बार फिर सियासी भूचाल आ गया है। बुधवार को अचानक दिल्ली पहुंचे तीरथ सिंह रावत की बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद से ही उनके इस्तीफे की अटकलें जोरों पर थीं। शुक्रवार देर शाम उन्होंने जेपी नड्डा के सामने इस्तीफे की पेशकश कर दी। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर वह ऐसी क्या वजह थी जिसके चलते चार महीने पहले ही सीएम बने तीरथ रावत को इस्तीफा देना पड़ गया? जब से उत्तराखंड एक प्रदेश के रूप में अस्तित्व में आया है तभी से राजनैतिक उठा – पटक का सामना कर रहा है। साल 2000 में अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आए उत्तराखंड 20 साल पूरे कर चुका है। दिलचस्प है कि इन बीस सालों में राज्य में सीएम के 9 चेहरे नजर आए। इनके नाम हैं– नित्यानंद स्वामी, भगत सिंह कोश्यारी, एनडी तिवारी, बीसी खंडूरी, रमेश पोखरियाल, विजय बहुगुणा, हरीश रावत, त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत।

डेमोक्रेटिकफ्रंट॰कॉम

हिन्दी के एक दैनिक ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से हटाये जाने के बाद हुए आंतरिक सर्वे में पाया गया कि तीरथ सिंह रावत के चेहरे के सहारे चुनाव जीतना मुश्किल है। फिर पार्टी नेतृत्व को यह डर भी था कि अगर रावत उपचुनाव में हार गये या उनकी तरफ से खाली की गई लोकसभा की पौड़ी गढ़वाल सीट पर हुए उपचुनाव में पार्टी हार गई तो इसका बड़ा सियासी नुक़सान होगा।

ख़बर के अनुसार, पौड़ी गढ़वाल से सांसद तीरथ सिंह रावत को 10 सितंबर तक विधानसभा चुनाव जीतना था। पहले उन्हें सल्ट उपचुनाव लड़ने की सलाह दी गई थी, लेकिन वो तैयार नहीं हुए।

इस बीच राज्य में दो और सीटें (गंगोत्री व हल्द्वानी) खाली हो गईं, जहाँ उपचुनाव होना है।

ख़बर के मुताबिक़, जब मार्च में उत्तराखण्ड के सीएम पद पर त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह तीरथ सिंह रावत को लाया गया था, तो उसके बाद सीटों की भी अदला-बदली होनी थी।तीरथ सिंह रावत की संसदीय सीट पौड़ी से पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को चुनाव लड़ाया जाना था और त्रिवेंद्र सिंह की विधानसभा सीट डोईवाल से तीरथ सिंह को लड़ना था। लेकिन वो भी नहीं हो पाया।

हालांकि, कुछ पर्यवेक्षकों का कहना ये भी था कि राज्य विधानसभा के कार्यकाल का एक साल से भी कम समय बचा है और मुमकिन है कि निर्वाचन आयोग उत्तराखण्ड की रिक्त सीटों पर उपचुनाव कराने का कोई आदेश ही ना दे।

लेकिन शुक्रवार को जब तीरथ सिंह रावत ने अपना इस्तीफ़ा दिया, तो उन्होंने पत्र में लिखा कि संवैधानिक बाध्यता के कारण मैं छह महीने में विधानसभा सदस्य नहीं बन सकता। ऐसे में मैं नहीं चाहता कि पार्टी के सामने कोई संकट उत्पन्न हो. इसलिए मैं सीएम पद से इस्तीफ़ा दे रहा हूँ।

हालांकि, अपने इस्तीफ़े से पहले 22 हज़ार करोड़ के कोविड पैकेज और 22 हज़ार नौकरियों की घोषणा कर, तीरथ सिंह रावत ने सबको चौंका दिया।

उन्होंने जिस अंदाज़ में 114 दिन की अपनी सरकार की उपलब्धियों को गिनाया, उसकी उम्मीद किसी ने नहीं की थी। उन्होंने विदाई से पहले ख़ुद की पीठ थपथपाई और प्रेस के सवालों का जवाब दिये बिना ही, चुपचाप सबको धन्यवाद बोलकर चले गए।

भाजपा और कांग्रेस चाहे जितनी कोशिशें कर लें अरविंद केजरीवाल को बदनाम नहीं कर सकती: योगेश्वर शर्मा

  • योगेश्वर शर्मा ने कहा: राजनीति छोडक़र तीसरी लहर से निबटने का इंतजाम करना चाहिए
  • भाजपा और कांग्रेस देश को गुमराह करने के लिए माफी मांगे

पंचकूला,26 जून:

आम आदमी पार्टी का कहना है कि  केंद्र की भाजपा सरकार और जगह जगह चारों खाने चित्त हो रही कांग्रेस अरविंद केजरीवाल को बदनाम करने की लाख कोशिशें कर लें,सफल नहीं होंगी। पार्टी का कहना है कि दिल्ली के लोग जानते हैं कि केजरीवाल उनके लिए लड़ता है और उनकी खातिर इन मौका प्रस्त पार्टियों के नेताओं की बातें भी सुनता है। यही वजह है कि दिल्ली की जनता ने तीसरी बार भी उन्हें सत्ता सौंपी तथा भाजपा को विपक्ष में बैठने लायक और कांग्रेस को कहीं का नहीं छोड़ा। आने वाले दिनों में यही हाल इन दोनों दलों का पंजाब मेें भी होने वाला है। इसी के चलते अब दोनों दल आम आदमी पार्टी व इसके मुखिया अरविंद केजरीवाल को निशाना बना रहे हैं।  पार्टी का कहना है कि अब तो इस मामले के लिए बनाई गई कमेटी  के अहम सदस्य एवं एम्स के प्रमुख डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि अब तक फाइनल रिपोर्ट नहीं आई है। ऐसे यह कहना जल्दबाजी होगी कि दिल्ली ने दूसरी लहर के पीक के वक्त जरूरी ऑक्सीजन की मांग को चार गुना बढक़र बताया। उन्होंने कहा कि मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है, ऐसे में हमें जजमेंट का इंतजार करना चाहिए। ऐसे में अरविंद केजरीवाल को निशाना बनाने वाले भाजपा एवं कांग्रेस के नेता जनता को गुमराह के करने के लिए देश से माफी मांगे।
 आज यहां जारी एक ब्यान में आप के उत्तरी हरियाणा के सचिव योगेश्वर शर्मा ने कहा कि भाजपा और कांग्रेसी नेताओं को शर्म आनी चाहिए कि वे उस अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगा रहे हैं जो अपने लोगों के लिए दिन रात एक करके काम करता है और उसने कोरोनाकाल में भी यही किया था। उन्होंने कहा कि देश की राजधानी दिल्ली में कोविड की दूसरी लहर जब अपने चरम पर थी तो यहां ऑक्सीजन की मांग में भी बेतहाशा वृद्धि हो गई थी। चाहे सोशल मीडिया देखें या टीवी चैनल हर जगह लोग अप्रैल और मई माह में ऑक्सीजन की मांग कर रहे थे। कई अस्पताल और यहां तक कि मरीजों के तीमारदार भी ऑक्सीजन की मांग को लेकर कोर्ट जा पहुंचे थे। उन्होंने कहा है कि अरविंद केजरीवाल ठीक ही तो कह रहे हैं कि उनका गुनाह यह है कि वह दिल्ली के  2 करोड़ लोगों की सांसों के लिए लड़े और वह भी उस समय जब  भाजपा और कांग्रेस के नेता चुनावी रैली कर रहे थे। तब भाजपा के दिल्ली के सांसद अपने घरों में छिपे बैठे थे। उन्होंने कहा कि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ठीक ही तो दावा किया है कि जिस रिपोर्ट के आधार पर अरङ्क्षवद केजरीवाल को बदनाम किया जा रहा है, वह है ही नहीं। है तो उसे सार्वजनिक करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दरअसल भाजपा का आईटी सैल अरङ्क्षवद केजरीवाल के पंजाब दौरे के बाद से ही बौखलाया हुआ है, क्योंकि पंजाब में उसका आधार खत्म हो चुका है और आप पंजाब के साथ साथ अब गुजरात में भी सफलता के परचम फैला रही है। पंजाब व गुजरात में भाजपा के लोग आप का दामन थाम रहे हैं। ऐसे में उसे व कांग्रेस को आने वाले विधानसभा चुनावों में अगर किसी से खतरा है तो वह अरङ्क्षवद केजरीवाल और उनकी पार्टी आप से है। उन्होंने कहा कि ये पार्टियां और उनके नेता उन लोगों को झूठा बताकर उनका अपमान कर रहे हैं जिन लोगों ने अपनों को खोया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को देश में अपने पोस्टर लगवाने के बजाये कोविड-19 की तीसरी लहर के खतरे से निपटने की तैयारियों पर ध्यान देना चाहिए।  उन्होंने प्रधानमंत्री को सचेत किया के स्वास्थ्य विशेषज्ञ तीसरी लहर की चेतावनी दे रहे हैं, इसलिए यह आराम का वक्त नहीं है, बल्कि सरकार को अग्रिम प्रबंध करने चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा न हो कि जिस तरह केंद्र सरकार के दूसरी लहर से पहले के ढीले व्यवहार के कारण हजारों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी, वैसा ही तीसरी लहर के बाद हो। उन्होंने सरकार को वायरस के बदलते स्वरूप की तुरंत वैज्ञानिक खोज कर विशेषज्ञों की राय के अनुसार सभी इंतजाम करने को कहा। उन्होंने कहा कि अपनी नाकामियों का ठीकरा अरविंद केजरीवाल पर फोडऩे से काम नहीं चलेगा। काम करना होगा क्योंकि देश के लोग देख रहे हैं कि कौन काम कर रहा है और कौन ऐसी गंभीर स्थिति में भी सिर्फ राजनीति कर रहा है।