नशे पर कड़ा प्रहार, 14 दिन में 14 गिरफ्तार

  • पंचकूला के लिए मांगी 2 पुलिस कंपनियां, विधान सभा अध्यक्ष लिखेंगे सीएम को पत्र  
  • नशा तस्करों की संपत्ति जब्त करने के लिए कार्रवाई शुरू
  • 12 आरोपितों के खिलाफ गैर जमानती धाराओं के तहत केस

कोरल ‘प्र्नूर’ डेमोक्रेटिक फ्रंट, पंचकूला, 26 मई :

पंचकूला जिले से नशाखोरी की जड़ें उखाड़ने के लिए हरियाणा विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता के निर्देश पर शुरू की गई नशा उन्मूलन मुहिम ने रंग दिखाना शुरू कर दिया है। इस मुहिम के तहत पुलिस ने बीते 14 दिन में 14 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इतना ही नहीं नशाखोरी के धंधे में संलिप्त लोगों की संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई भी शुरू हो चुकी है। वहीं, दूसरी ओर पुलिस व शिक्षा विभाग नुक्कड़ नाटकों और विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं के माध्यमों से जन-जागरूकता अभियान में जुट गए हैं। अभियान की समीक्षा के लिए विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने वीरवार को विस सचिवालय में शहर के मेयर, जिला उपायुक्त, आला पुलिस अधिकारियों और नशा उन्मूलन कमेटी के साथ बैठक की। बैठक में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने नशा उन्मूलन अभियान के तहत की गई कार्रवाई का ब्योरा पेश किया। उन्होंने विधान सभा अध्यक्ष से पंचकूला में पुलिस बल बढ़ाने की मांग भी की। इसके लिए वे प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखेंगे।

गौरतलब है कि विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने बीती 12 मई को बैठक कर जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारियों को नशा उन्मूलन अभियान शुरू करने के निर्देश दिए थे। 14 दिन बाद 26 मई को अभियान की समीक्षा के लिए बैठक बुलाई गई। पंचकूला पुलिस आयुक्त हनीफ कुरैशी ने बताया कि विधान सभा अध्यक्ष के निर्देश पर शुरू गए इस अभियान के तहत 12 मई के बाद अब तक 12 केस दर्ज कर 14 लोगों की गिरफ्तारी की गई है। इन आरोपितों से 54.57 ग्राम हेरोइन, 3 किलो 960 ग्राम चूरापोस्त, 1 किलो 124 ग्राम गांजा, 520 ग्राम चरस और 358 ग्राम अफीम बरामद की गई है। 14 में से 12 आरोपितों की गिरफ्तारी गैर जमानती धाराओं के तहत की गई है। पंचकूला पुलिस उपायुक्त सुरेंद्र पाल ने बताया कि नशा खोरी में दोषी पाए लोगों की संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई शुरू हो चुकी है। बता दें कि सुरेंद्र पाल के पंचकूला में डीसीपी पदभार संभालने के बाद यह पहली बैठक रही।

पुलिस आयुक्त हनीफ कुरैशी ने कहा कि पंचकूला को चडीगढ़ की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है, लेकिन अभी यहां पुलिस बल चंडीगढ़ के अनुपात में काफी कम है। उन्होंने दोनों शहरों के जनसांख्यिकी आंकड़े पेश करते हुए कहा कि चंडीगढ़ में करीब 12 लाख जनसंख्या पर पुलिस के लिए 244 चार पहिया हल्के वाहन, 480 मोटरसाइकिल और 4138 सिपाही हैं। वहीं पंचकूला की आबादी 6.2 लाख पहुंच चुकी है, लेकिन पुलिस बल के मामले में यह शहर चंडीगढ़ के सामने कहीं भी नहीं टिकता। यहां मात्र 72 चार पहिया छोटे वाहन, 85 मोटरसाइकिल और 674 पुलिस सिपाही हैं। चंडीगढ़ में कुल पुलिस बल 5775  जबकि पंचकूला में 1075 संख्या का है। कुरैशी ने कहा कि पंचकूला प्रदेश की लघु राजधानी के तौर पर प्रयोग हो रहा है, जिसके चलते यहां आए दिन प्रदेश स्तरीय आयोजन तथा अनेक प्रकार के धरने-प्रदर्शन होते हैं। इनकी व्यवस्था संभालने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल लगाना पड़ता है। उन्होंने विधान सभा अध्यक्ष से आग्रह किया कि यहां कम से कम 2 पुलिस कंपनियों की और जरूरत है। विधान सभा अध्यक्ष ने कहा कि वे इसके लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आग्रह करेंगे और पंचकूला में संसाधनों की कमी नहीं रहने दी जाएगी। गौरतलब है कि एक पुलिस कंपनी में एक इंस्पेक्टर, 3 सब-इंस्पेक्टर, 9 हैड कॉन्स्टेबल तथा 72 कॉन्स्टेबल होते हैं।

जिला उपायुक्त महावीर कौशिक ने बताया मुहिम को तेज करने के लिए कई विभागों की समन्वय समिति बना दी गई है। इसमें पुलिस और शिक्षा विभागों के साथ-साथ शहर के गणमान्य नागरिकों और सेवानिवृत अधिकारियों की मदद ली जा रही है। उन्होंने बताया कि जल्द ही शिक्षण संस्थानों की ओर से नाटक तैयार करवाए जाएंगे तथा स्लोगन व पेंटिंग प्रतियोगिताओं के माध्यम से मुहिम को तेज किया जाएगा।

बैठक में उपस्थित मोटिवेशनल स्पीकर विवेक अत्रे ने कहा कि स्कूल और कॉलेजों में शिक्षकों को क्लासरूम में बच्चों को नशाखोरी की समस्या के प्रति आगाह करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षक-अभिभावक बैठकों के दौरान भी इस विषय की गंभीरता के बारे में बात करनी चाहिए। इस जाल में फंसे युवाओं की काउंसिलिंग के भी प्रबंध करने होंगे।

वहीं, विस अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि नशाखोरी समाज की जड़ों को खोखला कर रही है। यह हमारी पीढ़ियों की बर्बादी का रास्ता बना रही है। हम इस समस्या को किसी भी कीमत पर पनपने नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि इस समस्या से निजात पाने के लिए सख्त कार्रवाई के साथ-साथ जागरूकता मुहिम तेज करनी होगी। विस अध्यक्ष ने अधिक से अधिक नुक्कड़ नाटक तैयार करवाने के निर्देश दिए।
विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने पुलिस की ओर से जारी व्हाट्सअप 7087081100 पर आने वाली सूचनाओं का भी ब्योरा लिया। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि लोग इस व्हाट्सअप नंबर पर अनेक गंभीर और उपयोगी सूचनाएं भेज रहे हैं। पुलिस के लिए ये सूचनाएं काफी सहायक साबित हो रही हैं। विस अध्यक्ष ने कहा कि नशाखोरों का सुराग मिलने के बाद उनके मूल स्रोत तक पहुंचना होगा। गुप्ता ने कहा कि इस मामले में पुलिस को पूरी ईमानदारी और कर्तव्यपरायणता की भावना से काम करना होगा।

बैठक में शहर के मेयर कुलभूषण गोयल, नशा उन्मूलन समिति के सदस्य सेवानिवृत आईपीएस अधिकार वीके कपूर, एसीपी राजकुमार कौशिक, एसीपी यातायात राजकुमार सिंह, समिति सदस्य डीपी सोनी और डीपी सिंहल भी उपस्थित रहे।

आठ साल 8 छल बीजेपी विफल : कॉंग्रेस

आज ही के दिन आठ साल पहले  26 मई 2014 को  मोदी युग की शुरुआत हुई थी। महंगाई, भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर चुनाव में उतरी बीजेपी के अगुवाई वाले एनडीए को प्रचंड बहुमत मिला और नरेंद्र मोदी पीएम बने। 26 मई 2014 को पीएम नरेंद्र मोदी ने पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। लोकसभा चुनाव में पेट्रोल-डीजल और एलपीजी की महंगाई के दम पर चली ‘मोदी लहर’ में बीजेपी को फिर से सत्ता मिल गई। तब बीजेपी एलपीजी, पेट्रोल, डीजल, प्याज की महंगाई पर मनमोहन सरकार को घेरती थी और आज विपक्ष मोदी सरकार को  इन्हीं मुद्दों पर घेर रही है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, जयपुर/नयी दिल्ली:  

30 मई 2014 से देश की बागडोर बीजेपी के नेतृत्व में बनी एनडीए (NDA) की सरकार के हाथों में चली गई। 30 मई 2022 को नरेंद्र मोदी सरकार के 8 साल पूरे होने पर भारतीय जनता पार्टी भव्य जश्न की तैयारी कर रही है। इस मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी ने 25 मई को आठवी वर्षगांठ मनाने के लिए रूपरेखा तैयार करने के लिए बैठक बुलाई है। मोदी सरकार (BJP) 30 मई को बतौर केंद्र सरकार 8 साल पूरा करेगी। इस आयोजन के देशभर में मनाया जाएगा। भारतीय जनता पार्टी 30 मई से लेकर 14 जून तक ‘सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण’ की थीम पर कार्यक्रम आयोजित करने जा रही है।

दूसरी ओर कांग्रेस ने मोदी सरकार के 8 साल पूरे होने पर उसे विफल करार देते हुए गुरुवार को 8 साल, 8 छल, बीजेपी विफल बुकलेट जारी की। कांग्रेस महासचिव अजय माकन, रणदीप सुरजेवाला, सचिव प्रणव झा, विनीत पूनिया, संजीव सिंह ने बीजेपी के विफलता का दावा करते हुए बुकलेट का विमोचन किया।

अजय माकन ने कहा, बीजेपी के खाते में 5 हजार करोड़ रुपए आए। लोगों को महंगा पेट्रोल, डीजल बेरोजगारी मिली। कॉरपोरेट टेक्स कम कर दिया। इसकी भरपाई लोगों की जेब पर डाका डाला जा रहा है। माकन ने कहा कि जनता पूछ रही कि किसके अच्छे दिन आये हैं। भाजपा के खाते में 5 हजार करोड़ रुपए आये। इनके अच्छे दिन आए हैं। चुनिंदा लोगों के अच्छे दिन आए।

उन्होंने कहा कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 55 वें पायदान से गिरकर देश 101 पायदान पर आ गया। प्रेस, लोकतंत्र समेत कई अन्य ग्लोबल इंडेक्स में भारत फिसल रहा है। क्या ऐसे ही भारत को विश्व गुरु बनाएंगे।

उन्होंने कहा कि आम जनता पर टैक्स लगाए जा रहे हैं लेकिन कॉरपोरेट टैक्स पर राहत दी जा रही है। सीएमआई के अनुसार आज देश में 48 करोड़ लोग बेरोजगार है। महिलाओं का रोजगार इंडेक्स दस फीसदी कम हुआ है। हेल्थ स्केटर में 3.50 रोजगार है लेकिन पद खाली पड़े हैं। पूरे देश में कुल 62 लाख पद खाली पड़े हैं। इसके लिए सीधे – सीधे केंद्र सरकार जिम्मेदार है।

सुरजेवाला ने कहा कि देश में दंगों में 34 फीसदी का इजानफा हुआ है लेकिन मोदी सरकार इस पर चर्चा नहीं कराना चाहती है बजाए इस पर ध्यान देने के कांग्रेस पर सवाल उठा रही है।

कांग्रेस ने बताए 8 छल

  1. भाजपा है तो महंगाई है- अपने फायदे के लिए टैक्स बढ़ा कर आप जनता की जेब पर डाका डाल रहे हैं।
  2. देश को बेरोजगारी और अनपढ़ता के अंधकार में झोंका: वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट बताती है कि हम बहुत पीछे छूट गए हैं , देश में इस वक्त 48 करोड़ बेरोजगार है, 42 लाख सरकारी रिक्त पद हैं।
  3. अर्थव्यवस्था बेहाल :GDP बेहाल, रुपए में गिरावट आ रही है। जितना हमने 66 साल में कर्ज नहीं लिया, उतना 8 साल में ले लिया. बैंक घोटाले हो रहे हैं। PSU सेल पे , बिजली उत्पादन सेल पे , 25 एयरपोर्ट सेल पे…सभी सरकारी संस्थानों को बेचा जा रहा है।
  4. बीजेपी ने किसानों की आमदनी को दोगुना करने का ऐलान किया था. लेकिन आमदनी तो दो गुना नहीं हुई, लेकिन दर्द सौ गुना दिया।
  5. कांग्रेस के मुताबिक, बीजेपी ने विकास नहीं किया. न ही इनका विकास से नाता है, इन्हें सिर्फ दंगा फैलाना आता है। कांग्रेस के मुताबिक, 8 साल में 3400 धार्मिक दंगे हुए हैं।
  6. बीजेपी ने पिछड़ो को पीछे छोड़ दिया। सरकार ने sc st,OBC से नाता तोड़ लिया है।
  7. कांग्रेस ने बॉर्डर और चीन का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इस सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा पर आंच आ गई है।
  8. कांग्रेस ने कहा, बीजेपी शौर्य के नाम पर वोट मांग रही है. लेकिन सेना के हितों पर चोट की जा रही है।

कपिल सिब्बल हाथ छोड़ कर हुए साइकल सवार, अब रजाया सभा जाने की तैयारी

सुनील जाखड़ बेशकीमती नेता हैं। कांग्रेस को उन्हें गंवाना नहीं चाहिए – नवजोत सिद्धू

सुनील जाखड़ के कांग्रेस छोड़ने के बाद नवजोत सिद्धू ने खुलकर उनकी तारीफ की है। सिद्धू ने कहा – सुनील जाखड़ बेशकीमती नेता हैं। कांग्रेस को उन्हें गंवाना नहीं चाहिए। कोई भी मतभेद हो तो उसे बातचीत से सुलझाया जा सकता है। सिद्धू की यह बातें इसलिए अहम हैं क्योंकि उन पर भी अनुशासनिक कार्रवाई की तलवार लटक रही है। उनके खिलाफ पंजाब प्रधान राजा वड़िंग की सिफारिश पर अनुशासन समिति के पास मामला पहुंच चुका है। इस मामले में सिद्धू पर भी कार्रवाई होनी तय है। कांग्रेस छोड़ने से पहले भी जाखड़ ने सवाल उठाया था कि नवजोत सिद्धू को किस बात का नोटिस दिया गया।

सारिका तिवारी, उदयपुर/चंडीगढ़। डेमोक्रेटिक फ्रंट :

उदयपुर में जारी ‘चिंतन शिविर’ के बीच पंजाब के कद्दावर नेता सुनील जाखड़ के पार्टी छोड़ने का ऐलान कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है। पंजाब प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू अब सुनील जाखड़ को मनाने में जुट गए हैं। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि, मतभेद चाहे कैसे भी हों उन्हें बातचीत से हल किया जा सकता है। नवजोत सिंह सिद्धू ने ट्वीट करते हुए सुनील जाखड़ को कांग्रेस की बड़ी संपत्ति बताया और कहा कि कांग्रेस को सुनील जाखड़ को नहीं खोना चाहिए। वह पार्टी की एक बड़ी संपत्ति है..किसी तरह के मतभेद को बैठकर हल किया जा सकता है।

दरअसल, कांग्रेस के चिंतन शिविर के बीच पंजाब से असंतुष्ट कांग्रेस नेता सुनील जाखड़ ने शनिवार को पार्टी को अलविदा कह दिया। उन्होंने फेसबुक लाइव के जरिए इसकी घोषणा की। जाखड़ ने कांग्रेस आलाकमान पर आरोप लगाया कि कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाए जाने के बाद सीएम की नियुक्ति के मुद्दे पर पंजाब के एक खास नेता की बात सुनी जा रही है।

सुनील जाखड़ ने कहा कि उनके परिवार की तीन पीढ़ियों ने 50 साल तक कांग्रेस की सेवा करने के बाद “पार्टी लाइन पर नहीं चलने” के लिए “पार्टी के सभी पदों को छीन लिए” जाने पर उनका दिल टूट गया था। बता दें कि सुनील जाखड़ के साथ एक लंबी विरासत रही है, उनके पिता बलराम जाखड़ किसान नेता माने जाते थे। ऐसे में दोनों नेता साथ आकर एक नया मोर्चा भी बना सकते हैं। 

नवजोत सिद्धू और सुनील जाखड़ के बीच कुछ दिन पहले 45 मिनट की मुलाकात हुई थी। उस वक्त जाखड़ को नोटिस भी आ चुका था। दोनों के बीच क्या बातचीत हुई, इसको लेकर कोई ब्यौरा नहीं दिया गया। हालांकि, यह चर्चा जरूर रही कि दोनों ने कांग्रेस में अपनी हालत को देखते हुए समर्थकों संग कोई फ्यूचर प्लानिंग की है।

सुनील जाखड़ का परिवार करीब 50 साल से कांग्रेस में है। पिता बलराम जाखड़ के बाद अब उनके विधायक भतीजे संदीप जाखड़ के रूप में तीसरी पीढ़ी कांग्रेस में है। जाखड़ राहुल गांधी के करीबी रहे हैं। इसलिए कैप्टन अमरिंदर सिंह के CM रहते जाखड़ पंजाब कांग्रेस प्रधान थे। कांग्रेस ने उन्हें हटाकर ही नवजोत सिद्धू को प्रधान बनाया था। तब यह माना गया कि हरीश रावत की वजह से संगठन के नेतृत्व में यह बदलाव किया गया।

चिंतन शिविर के बीच कांग्रेस को झटका, सुनील जाखड़ ने छोड़ी पार्टी, बोले- गुड लक एंड गुड बाय

जाखड़ ने कहा कि कांग्रेस को उम्मीद थी कि उत्तराखंड और पंजाब के अंदर पार्टी अच्छा प्रदर्शन करेगी। यहां कांग्रेस की सरकार बनेगी। ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने पूछा कि क्या कोई बताएगा कि उत्तराखंड के CM प्रत्याशी हरीश रावत का एक पैर पंजाब और दूसरा देहरादून में था, क्या सोचकर रावत को प्रभारी बनाकर भेजा गया? क्या रावत की मंशा थी कि हम तो डूबे सनम और तुमको भी ले डूबेंगे। हरीश रावत को किए की सजा मिली।

  • नवजोत सिद्धू को पंजाब कांग्रेस प्रधान बनाने के लिए उन्हें बेवजह एकदम कुर्सी से हटा दिया गया।
  • कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाने के बाद उन्हें CM बनाने की तैयारी थी। हालांकि, अंबिका सोनी के सिख स्टेट सिख CM की बात कहने पर उनका पत्ता कट गया।
  • जाखड़ इस बात से नाराज हैं कि कांग्रेस ने पहली बार पंजाब में हिंदू-सिख की बात की। वह पंजाबी हिंदू हैं और पंजाब में कभी इस तरह का भेदभाव नहीं हुआ।

सारिका तिवारी, उदयपुर/चंडीगढ़, डेमोक्रेटिक फ्रंट :

राजस्थान के उदयपुर में जारी चिंतन शिविर के बीच कांग्रेस को झटका लगा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़ ने पार्टी से अलग होने का फैसला किया है।  उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस पार्टी खटिया पर नजर आ रही है। गुड लक एंड गुड बाय टू कांग्रेस पार्टी। सुनील जाखड़ ने शनिवार को अपने आधिकारिक फेसबुक पेज से लाइव होकर कांग्रेस छोड़ने का ऐलान किया। पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष ने कांग्रेस में जातिगत समीकरण को ध्यान में रखकर की जा रही राजनीति पर सवाल उठाए और आलकमान पर निशाना साधा।

सुनील जाखड़ ने कहा कि उनके परिवार की तीन पीढ़ियों ने 50 साल तक कांग्रेस की सेवा करने के बाद “पार्टी लाइन पर नहीं चलने” के लिए “पार्टी के सभी पदों को छीन लिए” जाने पर उनका दिल टूट गया था।

उन्‍होंंने पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रभारी हरीश रावत पर भी हमला किया और पार्टी में विवाद के दौरान उनकी भूमिका पर भी सवाल उठाए। उन्‍होंने कहा कि खुद को कांग्रेस अनुशासन कमेटी द्वारा मुझे नोटिस देना बहुत ही चोट पहुंचाने वाला है। कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी ने अनुशासन कमेटी की रिपोर्ट पर मुझे पार्टी के सभी पदोंं से हटाने का पत्र जारी किया। यह सिवाय मजाक सिवा कुछ नहीं है। सोनिया बताएं कि मैं किस पद पर था जो मुझे हटाया गया। हकीकत यह है कि मैं पार्टी में किसी पद पर था ही नहीं। 

उन्‍होंने कहा कि उत्‍तर प्रदेश पर कमेटी बनाते जहां विधानसभा चुनाव में करीब 290 सीटों पर कांग्रेस उम्‍मीदवारों को दो हजार से भी कम वोट मिले। इतने वोट तो पंचायत चुनाव में मिल जाते हैं। इसके साथ ही उन्‍होंने कहा कि कांग्रेस में अंबिका सोनी जैसी नेताओं की मंडली काम कर रही है। इनसे सोनिया गांधी को मुक्ति पानी होगी। अंत में उन्‍होंने कांग्रेस को गुड लक के साथ गुडबाय भी कह दिया।  

सुनील जाखड़ ने अपने फेसबुक लाइव को ‘दिल की बात’ का नाम‍ दिया। उन्‍होंने कहा, मुझे पार्टी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया, नोटिस जारी किया गया अनुशासन कमेटी के तारिक अनवर की तरफ से। मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि कांग्रेस पार्टी के बारे में क्या कहूं। तारिक अनवर जिन्होंने 1999 में शरद पवार, पीएस संगमा के साथ नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी बना ली थी। 20 वर्ष बाद 2018 में वह वापस कांग्रेस में आए और वह अनुशासन की बात करने लगे।

उन्‍हाेंने कहा, इससे ज्यादा हैरानी वाली बात यह है कि मेरे खिलाफ नोटिस जारी करवाने में जिस शख्स ने अहम भूमिका अदा की यह वही शख्‍स अंबिक सोनी हैं जो आज पार्टी अध्यक्ष के आंखों के तारा है, जो  1977 में इंदिरा गांधी के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल किया करती थीं। इमरजेंसी के बाद उन्होंने चंडीगढ़ में कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ा।

उन्‍होंने कहा कि आज कांग्रेस चिंतन बैठक कर रही है, लेकिन क्या हकीकत में चिंतन हो रहा है, यह सबसे बड़ा सवाल है। चिंतन बैठक में इस बात को लेकर चिंतन तो हो नहीं रहा है कि उत्तर प्रदेश में 390 सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों को मात्र 2000-2000 वोट क्यों पड़े। इतने वोट तो पंचायत के चुनाव में भी मिल जाते हैं। इसके लिए कौन जिम्मेदार है, इसे लेकर तो चिंतन हो ही नहीं रहा। उत्तराखंड में कांग्रेस क्यों हार गई, उसके पीछे क्या कारण थे, इसके लिए कौन दोषी है, उसे लेकर क्या चिंतन हो रहा है।

जाखड़ ने कहा कि हरीश रावत ने न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि पंजाब में भी कांग्रेस का बेड़ागर्क करके रख दिया।

पंजाब में कांग्रेस 77 सीटों से 18 सीटों पर सिमट गई, कौन थे इसके दोषी, क्या इसे लेकर चिंतत हो रहा है। मुझे पार्टी ने नोटिस दिया की मेरे द्वारा दिए गए बयानों को लेकर शायद, मैं शायद पर इसलिए भी जोर दे रहा हूं कि इतना सबकुछ हो जाने के बाद भी पार्टी को अपने ऊपर भरोसा नहीं है। वह कहती है शायद आपके बयानों की वजह से कांग्रेस हार गई।

जाखड़ ने कहा, अगर पंजाब में मेरे बयानों की वजह से कांग्रेस चुनाव हार गई तो राजस्थान में अशोक गहलोत जोकि न सिर्फ मुख्यमंत्री है और पार्टी के वरिष्ठ नेता है, उनके 18 विधायक मानेसर में क्यों बैठे रहे। वहां, पर तो कांग्रेस की सरकार है, इसके बावजूद गहलोत साहब को अपनी सरकार को बचाए रखने की चिंता सताती रहती है।

उन्‍होंने कहा कि आज मुझे दुख इस बात का है कि कांग्रेस जोकि अपने आप को धर्मनिरपेक्ष पार्टी बताती थी, उसी पार्टी ने पंजाब की धरती पर सिखों को हिंदुओं लड़ाना चाहा और जाति आधारित विभाजन करना चाहा। आज भाजपा आजादी की अमृत महोत्सव मना रही है, जबकि कांग्रेस चिंतन की बजाए चिंता में डूबी जा रही है। मैं पहले भी यह बात कहता रहा हूं आज फिर दोहराता हूं। धर्मनिरपेक्षता की अगर पूरे विश्व में कोई जीती जाती मिसाल है तो वह पंजाब है। हमने भले ही कितने भी दुख झेले लेकिन आपसी भाईचारे को कभी टूटने नहीं दिया गया। जबकि कांग्रेस की एक नेता ने कहा कि अगर पंजाब में किसी हिंदू को मुख्यमंत्री बनाया गया तो आग लग जाएगी।

जाखड़ ने कहा, क्या यह कांग्रेस की सोच थी। मैने तो यही कहा कि यह छोटी सोच रखने वाले बड़े ओहदे पर पहुंचे किसी एक नेता की सोच हो सकती है। जबकि अकाल तख्त के जत्थेदार ने खुद यह बात कही कि व्यक्ति अच्छा होना चाहिए, धर्म उसमें मायने नहीं रखता है। दुख इस बात का है दिल्ली में बैठे एक नेता जिसे पंजाब के कल्चर के बारे में शायद ज्यादा कुछ पता ही नहीं है, ने सिख कौम को यह कह कर अपमानित किया कि अगर पंजाब में कोई हिंदू मुख्यमंत्री बनता है तो आग लग जाएगी। यह पंजाब का अपमान है।

उन्‍‍होंने कहा कि पंजाब , पंजाबियत, सिखों का अपमान करने वाली अंबिका सोनी से सोनिया गांधी पूछेंगी क्या की वो सिख व पंजाब के इतिहास के बारे क्या जानती है। एक पंजाबी होने के नाते यह सबकुछ हो तो मैं चुप नहीं रह सकता था। इसलिए मैंने बोला, कि यह कांग्रेस की नहीं बल्कि एक व्यक्ति की सोच हो सकती है।

जाखड़ ने कहा(, अभी -अभी विधान सभा चुनाव होकर हटी है। यह चुनाव अपने आप में बहुत कुछ कहते है। सिखों ने अकाली दल को वोट नहीं डाली, हिंदुओं ने भाजपा को वोट नहीं डाली, दलितों ने कांग्रेस को वोट नहीं डाली, वोट पड़ी तो बदलाव को। कांग्रेस को इस बात पर चिंतन करना चाहिए।

जाखड़ ने कहा कि कांग्रेस ने मुझे कारण बताओ जारी किया। क्योंकि कांग्रेस अतीत को भूल रही है। मैं इस बात से भी बड़ा हैरान हूं कि मुझे प्रदेश प्रधान के पद यह कहकर हटाया गया कि मेरी कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ काफी बनती है। दूसरा प्रधान यह कह कर लाया गया कि इसकी कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ नहीं बनती है। फिर कैप्टन को हटाया और एससी मुख्यमंत्री बनाया। आखिर कांग्रेस चाहती क्या है। क्या वह नेताओं को आपस में लड़ाना चाहती है या उसने सोचने समझने की शक्ति को आउट सोर्स कर रखा है।

उन्‍होंने कहा कि पानीपत में जब बाबर ने पहली लड़ाई लड़ी तो उसने सबसे पहले हाथी देखे। बाबर युद्ध हार गया लेकिन उसके मन में सवाल था कि यह जानवर कौन सा है। उसने अपने सेनापति से कह कर हाथी मंगवाया और उस पर बैठ गया। बैठने के बाद बाबर ने कहा, लाओ इसकी लगाम दो। जिस पर सेनापति ने कहा, हाथी में लगाम नहीं लगाई जाती, इसे तो महावत ही चलाता है। बाबर हाथी के ऊपर से उतर गया और बोला मैं उसकी सवारी नहीं कर सकता, जिसकी लगाम किसी और के हाथ में है।

उन्‍होंने कहा कि कांग्रेस की हालात भी ऐसे ही बनते जा रहे हैं। जब पार्टी को यह ही नहीं पता कि पूर्व प्रदेश प्रधान या पूर्व सांसद होने के नाते मेरे पास कौन से ओहदे है, तो फिर मुझे उन ओहदों से हटाने का क्या मतलब है। मैं कहता हूं, पार्टी को फैसला लेना चाहिए। अगर पार्टी ने मुझे दोषी मान लिया है तो उसे मुझे तुरंत पार्टी से बाहर करने का फैसला लेना चाहिए। पार्टी यह मानती है कि जिस नेता ने पार्टी की धर्मनिरपेक्ष विचारधारा को मजबूत किया है तो उसे सम्मानित करना चाहिए।

उन्‍होंने कहा कि चिंतन तो इस बात के लिए होना चाहिए,  लेकिन पार्टी सात की आठ कमेटियां बनाकर देश विदेश के मुद्दों पर चिंतन करने में जुटी है। जैसे केंद्र में उनकी सरकार हो। चिंतन इस बात पर होना चाहिए था कि पांच राज्यों में कांग्रेस की हार के कारण क्या थे, इसके जिम्मेदार कौन थे। पंजाब की ही बात कर लें तो पिछले चार विधान सभा चुनाव में शकील अहमद को छोड़ दिया जाए तो अभी तक जितने भी प्रभारी लगते रहे हैं, वह दिल्ली में बैठे एक ही नेता के इशारे पर लगे है।

उन्‍होंने कहा कि अमेरिका की एक कहावत है कारपेट बैगर हिंदी में अगर इसका अनुवाद करे तो दरिद्र बना देना। चार में तीन विधान सभा चुनाव में कांग्रेस को हार मिली। कारपेट बैगर ने पार्टी को वास्वत में दरिद्र बना दिया। मैं यह मुद्दा अपने नहीं बल्कि इसलिए उठा रहा हूं क्योंकि उदयपुर में शायद ही कोई नेता इन ज्वलंत मुद्दों पर चिंतन करने की आवाज उठा पाएगा।

सहारनपुर में LEVI’S कंपनी की डुप्लीकेट जींस बनाने वाले तीन गिरफ्तार

राहुल भारद्वाज, डेमोक्रेटिक फ्रंट, सहारनपुर :

थाना कोतवाली देहात, सहारनपुर पुलिस द्वारा लिवाइस कम्पनी की डुप्लीकेट जींस बनाने वाली फैक्ट्री का भंड़ाफोड, 03 अभियुक्तों को किया गिरफ्तार, कब्जे से लिवाइस कम्पनी की डुप्लीकेट जींस भारी मात्रा में बरामदः-

अवगत कराना है कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, सहारनपुर व पुलिस अधीक्षक नगर, सहारनपुर द्वारा निर्गत आदेशो निर्देशों के अनुपालन में तथा क्षेत्राधिकारी नगर- द्वितीय के निकट पर्यवेक्षण में अभियुक्तो की गिरफ्तारी हेतु चलाये जा रहे अभियान के अन्तर्गत थाना प्रभारी मनोज कुमार कोतवली देहात के कुशल नेतृत्व मे थाना कोतवाली देहात पुलिस द्वारा दिनांक 08.05.22 को आकाश शर्मा फील्ड आफिसर नैत्रिका कम्पनी गुड़गावां के निर्देशन में उ0नि0 नन्दकिशोर शर्मा मय फोर्स को0 देहात के साथ मिलकर थाना क्षेत्र में कृष्णा कलौनी में रेडिमेन्ट कपड़ा उत्पादन फैक्ट्रा व हनुमान नगर में स्थित रेडिमेन्ट कपड़ा उत्पादन फेक्टी व ग्राम नाजिरपुरा में  को चैक किया गया तो कृष्णा कलौनी में फैक्टी मालिक मोनू-द्वारा LEVIS का फर्जी टैग लगाकर जिन्स का निर्माण करा रहे थे जिसके कब्जे से 374 जिन्स व 292 टैग बरामद किये गये । व हनुमान नगर कलौनी में कम्पनी मालिक मन्नान के द्वारा LEVIS का फर्जी टैग लगाकर जिन्स का निर्माण करा रहे थे जिसके कब्जे से 46 जिन्स बरामद किये गये । व ग्राम नाजिरपुरा में कपडा उत्पादन फैक्ट्री मालिक सर्वेश पुत्र नरेश नि0 नाजिरपुरा थाना को0 देहात स0पुर द्वारा LEVIS का फर्जी टैग लगाकर जिन्स का निर्माण करा रहे थे जिसके कब्जे से 99 जिन्स व 217 टैग LEVIS बरामद किये गये । मौके से फैक्ट्री मालिक मौजूद नही मिले । उपरोक्त माल को बरामद कर बरामदी के आधार पर थाना हाजा पर मु0अ0स0 215/22 धारा 420 भादवि व धारा 63/65 कोपीराईट अधिनियम बनाम 1.सर्वेश पुत्र नरेश नि0 नाजिरपुरा थाना को0 देहात स0पुर 2.मोनू पुत्र नामालूम 3. मन्नान पुत्र नामालूम पंजीकृत किया गया । 

गिरफ्तार अभियुक्तों का नाम व पताः- 

  1. सर्वेश पुत्र नरेश नि0 नाजिरपुरा थाना को0 देहात, स0पुर। 
  2. मोनू पुत्र (नामालूम)
  3. मन्नान पुत्र (नामालूम)

बरामदगी का विवरणः- 

1-473 जिन्स LEVIS 

2- 489 टैग LEVIS

गिरफ्तार करने वाली टीमः- 

  1. आकाश शर्मा फील्ड आफिसर नैत्रिका कम्पनी गुड़गावां हरियाणा।
  2. उ0नि0 श्री नन्दकिशोर शर्मा थाना को0देहात, स0पुर ।
  3. 2251 जितेन्द्र थाना को0देहात, स0पुर ।
  4. का0 2168 रोहित थाना को0देहात, स0पुर ।
  5. का0 682 सन्दीप थाना को0देहात, स0पुर ।
  6. का0 67 सुभाष थाना को0 देहात, स0पुर।

पंजाब के अजनाला के 165 साल पुराने मानव कंकाल गंगा के मैदान के शहीदों के

2014 की शुरुआत में पंजाब के अजनाला शहर में एक पुराने कुएं से बड़ी संख्या में मानव कंकाल की खुदाई की गई थी। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि ये कंकाल उन लोगों के हैं जो भारत और पाकिस्तान के विभाजन के दौरान हुए दंगों में मारे गए थे। विभिन्न ऐतिहासिक स्रोतों पर आधारित अन्य प्रचलित मान्यता यह है कि ये भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के 1857 के विद्रोह के दौरान ब्रिटिश सेना द्वारा मारे गए भारतीय सैनिकों के कंकाल हैं। हालांकि, वैज्ञानिक प्रमाणों की कमी के कारण इन सैनिकों की पहचान और भौगोलिक उत्पत्ति पर गहन बहस चल रही है।

कोरल ‘पुरनूर’। डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ :

विभिन्न किंवदंतीयो के आधार पर स्थानीय इतिहासकार की पहल पर 28 फ़रवरी 2014 को पंजाब के अजनाला कस्बे के एक पुराने कुंए से कई मानव कंकालों के अवशेष निकले। कुछ इतिहासकारों का मत है की ये कंकाल भारत पाकिस्तान के बटवारे के दौरान दंगों में मारे गए लोगो के है, जबकि  विभिन्न स्रोतों के आधार पर प्रचलित धारणा है, की ये कंकाल उन भारतीय सैनिकों के है, जिनकी हत्या 1857 स्वतंत्रता संग्राम के विद्रोह के दौरान अंग्रेजों ने कर दी थी। हालाँकि, उन सैनिकों के  भौगोलिक उद्गम पर गहन बहस चल रही है।

 इस विषय की वास्तविकता पता करने के लिए पंजाब विश्वविद्यालय के एन्थ्रोपोलाजिस्ट डॉ जगमिंदर सिंह सेहरावत ने इन कंकालों के डीएनए और आइसोटोप एनालिसिस के लिए सीसीऍमबी हैदराबाद और बीरबल साहनी इंस्टिट्यूट लखनऊ भेजा। वैज्ञानिको की दो अलग अलग टीम ने डीएनए और आइसोटोप एनालिसिस किया और पाया की शहीद  लोग गंगा घाटी क्षेत्र के रहने वाले थे। यह अध्ययन विज्ञानं की पत्रिका फ्रंटियर्स इन जेनेटिक्स में प्रकाशित हुई है।

इस टीम के प्रमुख सदस्य सीसीऍमबी हैदराबाद के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ कुमारसामी थंगराज ने कहा की इस अध्ययन से प्राप्त आंकड़ों से ही शहीद सैनिकों के भौगोलिक उद्गम के बारे में सटीक जानकारी मिली है।

इस शोध में 50 सैंपल डीएनए एनालिसिस और 85 सैंपल आइसोटोप एनालिसिस के लिए इस्तेमाल किये गए। दोनों शोध के तरीको ने बताया की कुंए में मिले हुवे मानव कंकाल पंजाब या पाकिस्तान के रहने वाले लोगो के नहीं थे। डीएनए सीक्वेंस के मेल यूपी, बिहार, और पश्चिम बंगाल के लोगो से मिले, जबकि दांतों के एनामेल के आइसोटोप एनालिसिस ने तस्कीद किया की यह कंकाल गंगा घाटी और ओड़िसा के लोगों का है।

इस शोध से मिले परिणाम ऐतिहासिक साक्ष्य के अनुरूप हैं, जिसमें कहा गया है कि 26 वीं मूल बंगाल इन्फैंट्री बटालियन में बंगाल, ओडिशा, बिहार और उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से के लोग शामिल थे। यह बात इस शोध के पहले लेखक डॉ जगमेंदर सिंह सेहरावत ने कहा।

इस टीम के प्रमुख शोधकर्ता और प्राचीन डीएनए के एक्सपर्ट डॉ नीरज राय ने कहा की इस इस टीम द्वारा किया गया शोध ब्रिटिश राज के खिलाफ अज्ञात शहीदों के संघर्ष के छिपे हुए पहलुओं को उजागर करता है।

बीएचयू जंतु विज्ञान के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे जिन्होंने डीएनए अध्ययन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी, ने जोर देकर कहा की इस अध्ययन के निष्कर्ष भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों के इतिहास में एक और प्रमुख अध्याय जोड़ देंगे।

आज जाएष्ठ मास से ग्रीषम ऋतु आरंभ

ग्रीष्म ऋतु साल का सबसे गर्म मौसम होता है, जिसमें दिन के समय बाहर जाना काफी मुश्किल होता है। इस दौरान लोग आमतौर पर  बाजार देर शाम या रात में जाते हैं। बहुत से लोग गर्मियों में सुबह में टहलना पसंद करते हैं। इस मौसम में धूल से भरी हुई, शुष्क और गर्म हवा पूरे दिन भर चलती रहती है। कभी-कभी लोग अधिक गरमी के कारण हीट-स्ट्रोक, डीहाइड्रेशन (पानी की कमी), डायरिया, हैजा, और अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से भी प्रभावित हो जाते हैं।

राजविरेन्द्र वसिष्ठ, डेमोक्रेटिक फ्रंट, ऋतु वर्णन डेस्क, चंडीगढ़ – वैशाख़ कृष्ण चतुर्थी :

ज्येष्ठ और आषाढ़ ‘ग्रीष्म ऋतु’ के मास हैं। इसमें सूर्य उत्तरायण की ओर बढ़ता है। ग्रीष्म ऋतु प्राणीमात्र के लिए कष्टकारी अवश्य है, पर तप के बिना सुख-सुविधा को प्राप्त नहीं किया जा सकता। यह ऋतु अंग्रेजी कैलेंडर अनुसार मई और जून में रहती है।

मादक वसन्त का अन्त होते ही ग्रीष्म की प्रचंडता आरम्भ हो जाती है। वसन्त ऋतु काम से, ग्रीष्म क्रोध से सम्बन्धित है। ग्रीष्म ऋतु, भारतवर्ष की छह ऋतओं में से एक ऋतु है, जिसमें वातावरण का तापमान प्रायः उच्च रहता है। दिन बड़े हो जाते हैं रातें छोटी।  शीतल सुंगधित पवन के स्थान पर गरम-गरम लू चलने लगती है। धरती जलने लगती है। नदी-तलाब सूखने लगते हैं। कमल कुसुम मुरझा जाते हैं। दिन बड़े होने लगते हैं। सर्वत्र अग्नि की वर्षा होती-सी प्रतीत होती है। शरद ऋतु का बाल सूर्य ग्रीष्म ऋतु को प्राप्त होते ही भगवान शंकर की क्रोधाग्नि-सी बरसाने लगा है। ज्येष्ठ मास में तो ग्रीष्म की अखंडता और भी प्रखर हो जाती है। छाया भी छाया ढूंढने लगती है।

  एक और दोहे में कवि बिहारी कहते हैं कि ग्रीष्म की दोपहरी में गर्मी से व्याकुल प्राणी वैर-विरोध की भावना को भूल जाते हैं। परस्पर विरोध भाव वाले जन्तु एक साथ पड़े रहते हैं। उन्हें देखकर ऐसा प्रतीत होता है मनो यह संसार कोई तपोवन में रहने वाले प्राणियों में किसी के प्रति दुर्भावना नहीं होतीं । बिहारी का दोहा इस प्रकार है –

 गर्मी में दिन लम्बे और रातें छोटी होती हैं। दोपहर का भोजन करने पर सोने व आराम करने की तबियत होती है। पक्की सड़कों का तारकोल पिघल जाता है। सड़कें तवे के समान तप जाती हैं –

ग्रीष्म की प्रचंडता का प्रभाव प्राणियों पर पड़े बिना नहीं रहता। शरीर में स्फूर्ति का स्थान आलस्य ले लेता है। तनिक-सा श्रम करते ही शरीर पसीने से सराबोर हो जाता है। कण्ठ सूखने लगता है। अधिक श्रम करने पर बहुत थकान हो जाती है। इस मौसम में यात्रा करना भी दूभर हो जाता है। यह ऋतु प्रकृति के सर्वाधिक उग्र रुप की द्योतक है।

भारत में सामान्यतया 15 मार्च से 15 जून तक ग्रीष्म मानी जाती है। इस समय तक सूर्य भूमध्य रेखा से कर्क रेखा की ओर बढ़ता है, जिससे सम्पूर्ण देश में तापमान में वृद्धि होने लगती है। इस समय सूर्य के कर्क रेखा की ओर अग्रसर होने के साथ ही तापमान का अधिकतम बिन्दु भी क्रमशः दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ता जाता है और मई के अन्त में देश के उत्तरी-पश्चिमी भाग में 48डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। उत्तर पश्चिमी भारत के शुष्क भागों में इस समय चलने वाली गर्म एवं शुष्क हवाओं को ‘लू’ कहा जाता है। राजस्थान, पंजाब, हरियाणा तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रायः शाम के समय धूल भरी आँधियाँ आती है, जिनके कारण दृश्यता तक कम हो जाती है। धूल की प्रकृति एवं रंग के आधार पर इन्हें काली अथवा पीली आंधियां कहा जाता है। सामुद्रिक प्रभाव के कारण दक्षिण भारत में इन गर्म पवनों तथा आंधियों का अभाव पाया जाता है।

त्योहार- ग्रीष्म माह में अच्छा भोजन और बीच-बीच में व्रत करने का प्रचलन रहता है। इस माह में निर्जला एकादशी, वट सावित्री व्रत, शीतलाष्टमी, देवशयनी एकादशी और गुरु पूर्णिमा आदि त्योहार आते हैं। गुरु पूर्णिमा के बाद से श्रावण मास शुरू होता है और इसी से ऋतु परिवर्तन हो जाता है और वर्षा ऋतु का आगमन हो जाता है।

रीतिकालीन कवियों में सेनापति का ग्रीष्म ऋतु वर्णन अत्यन्त प्रसिद्ध है।–

रासो काव्य रचनाकार ‘अब्दुल रहमान’ द्वारा लिखी गई सन्देश रासक में षड्ऋतुवर्णन ग्रीष्म से प्रारम्भ होता है…

ग्रीष्म शब्द ग्रसन से बना है। ग्रीष्म ऋतु में सूर्य अपनी किरणों द्वारा पृथ्वी के रस को ग्रस लेता है।

भागवत पुराण में ग्रीष्म ऋतु में कृष्ण द्वारा कालिया नाग के दमन की कथा आती है जिसको उपरोक्त आधार पर समझा जा सकता है । भागवत पुराण का द्वितीय स्कन्ध सृष्टि से सम्बन्धित है जिसकी व्याख्या अपेक्षित है।

शतपथ ब्राह्मण में ग्रीष्म का स्तनयन/गर्जन से तादात्म्य कहा गया है जिसकी व्याख्या अपेक्षित है।

जैमिनीय ब्राह्मण 2.51 में वाक् या अग्नि को ग्रीष्म कहा गया है ।

तैत्तिरीय संहिता में ग्रीष्म ऋतु यव प्राप्त करती है। तैत्तिरीय ब्राह्मण में ग्रीष्म में रुद्रों की स्तुति का निर्देश है। तैत्तरीय संहिता में ऋतुओं एवं मासों के नाम बताये गये है,जैसे :- बसंत ऋतु के दो मास- मधु माधवग्रीष्म ऋतु के शुक्र-शुचिवर्षा के नभ और नभस्यशरद के इष ऊर्जहेमन्त के सह सहस्य और शिशिर ऋतु के दो माह तपस और तपस्य बताये गये हैं।

चरक संहिता में कहा गया हैः …… शिशिर ऋतु उत्तम बलवाली, वसन्त ऋतु मध्यम बलवाली और ग्रीष्म ऋतु दौर्बल्यवाली होती है। ग्रीष्म ऋतु में गरम जलवायु पित्त एकत्र करती है। प्रकृति में होने वाले परिवर्तन शरीर को प्रभावित करते हैं। इसलिए व्यक्ति को साधारण रूप से भोजन तथा आचार-व्यवहार के साथ प्रकृति और उसके परिवर्तनों के साथ सामंजस्य स्थापित करना चाहिए । तापमान बढ़ने पर पित्त उत्तेजित होता है तथा शरीर में जमा हो जाता है। व्याधियों से बचाव के लिए ऋतु के अनुकूल आहार तथा गतिविधियों का पालन जरूरी है।

होलिकोत्सव में सरसों के चूर्ण से उबटन लगाने की परंपरा है, ताकि ग्रीष्म ऋतु में त्वचा की सुरक्षा रहे। आदिकाल से उत्तर भारत में जहाँ तेज गर्मी होती है, गरम हवाएँ चलती हैं वहाँ पर त्वाचा की लाली के शमन के लिए प्राय: लोग सरसों के बीजों के उबटन का प्रयोग करते हैं।

नवरात्री दुर्गा पूजा वर्ष में दो बार आती है। यह जलवायु प्रधान पर्व है। अतः एक बार यह पर्व ग्रीष्म काल आगमन में राम नवरात्रि चैत्र (अप्रैल मई) के नाम से जाना जाता है। दूसरी बार इसे दुर्गा नवरात्रि अश्विन(सितम्बर-अकतूबर) मास में मनाया जाता है। यह समय शीतकाल के आरम्भ का होता है। यह दोनो समय ऋतु परिवर्तन के है।

प्रकृति-चित्रण में बिहारी किसी से पीछे नहीं रहे हैं। षट ॠतुओं का उन्होंने बड़ा ही सुंदर वर्णन किया है। ग्रीष्म ॠतु का चित्र देखिए –

कालिदास ने अभिज्ञानशाकुन्तलम् और ऋतुसंहार में ग्रीष्म ऋतु का वर्णन किया है-

अभिज्ञानशाकुन्तलम्- नाटक के प्रारम्भ में ही ग्रीष्म-वर्णन करते हुए लिखा कि वन-वायु के पाटल की सुगंधि से मिलकर सुगंधित हो उठने और छाया में लेटते ही नींद आने लगने और दिवस का अन्त रमणीय होने के द्वारा नाटक की कथा-वस्तु की मोटे तौर पर सूचना दे दी गई है, जो क्रमशः पहले शकुन्तला और दुष्यन्त के मिलन, उसके बाद नींद-प्रभाव से शकुन्तला को भूल जाने और नाटक का अन्त सुखद होने की सूचक है।

ऋतुसंहार में महाकवि कालिदास कहते हैं- प्रथम सर्ग के ग्रीष्म ऋतु के वर्णन में गीतिकार अपनी प्रियतमा को प्यार भरा सम्बोधन कर कहता है। प्रिये देखो, यह घोर गर्मी का मौसम है। इस ऋतु में सूर्य बहुत ही प्रचण्ड हो जाता है, -चन्द्र किरणें सुहानी लगती हैं, जल में स्नान करना भला लगता है। सांयकाल बड़ा रमणीयहो जाता है क्योंकि उस समय सूर्य का ताप नहीं सताता ! काम भावना भी प्रायः शिथिल पड़ जाता है। संभवतः इस सन्दर्भ में युवा कवि की यह सूचना रही हो कि ऋतु राजबसन्त में कामोद्रेक द्विगुणित हो जाता है।

गर्मी की रात में चन्द्र किरणों से रात्रि की कालिमा क्षी हो जाने से चाँदनी राते बहुत ही सुहावनी लगती है। ऐसे ही उष्पकाल में जिन भवनों में जल यन्त्र (फब्बारे) लगे रहते हैं, वे भी अति मनोरम लगते हैं । ठण्डक देने वाले चन्द्रकान्त मणि और सरस चन्दन का सेवन अति सुखकर लगता है। ग्रीष्म की चाँदनी रातों में धवल भवनों की छतों पर सुख से सोई ललनाओं के मुखों की कालि को देखकर चन्द्रमा बहुत ही उत्कण्ठित हो जाता है और रात्रि समाप्ति की वेला में  उनकी सुन्दरता से लजा कर फीका पड़ जाता है।

ग्रीष्म ऋतु में मयूर, सूर्य के आतप से इतने परितप्त हो जाते है कि अपने पंखों की छाया में धूप निवारण के लिए आ छिपे सॉपों को भी नहीं खाते, जबकि यह सर्प उनके भक्ष्य जंगल में फैली हुयी दावाग्नि का भी सरस चित्रण कवि करता है । पर्वत की गुफाओं में हवा का जोर पकड़कर दवानल बढ़ रहा है। सूखे बॉसों में चर-चर की आवाज आ रही है क्योकि जलने से ये शब्द करते है । जो अभभ दूर थी वहीं दावाग्नि सूखे तिनकों में फैलकर बढ़ती ही जाती है । इसी तरह से इधर-उधर घूमने वाले हरेषों को व्याकुल कर देती है। इस तरह से कवि ने प्रथम सर्ग में ग्रीष्म ऋतु का हृदय हारी वर्णन किया है ।

ज्येष्ठ की गर्मी- ज्येष्ठ हिन्दू पंचांग का तीसरा मास है। ज्येष्ठ या जेठ माह गर्मी का माह है। इस महीने में बहुत गर्मी पडती है। फाल्गुन माह में होली के त्योहार के बाद से ही गर्मियाँ प्रारम्भ हो जाती हैं। चैत्र और बैशाख माह में अपनी गर्मी दिखाते हुए ज्येष्ठ माह में वह अपने चरम पर होती है। ज्येष्ठ गर्मी का माह है। इस माह जल का महत्त्व बढ जाता है। इस माह जल की पूजा की जाती है और जल को बचाने का प्रयास किया जाता है। प्राचीन समय में ऋषि मुनियों ने पानी से जुड़े दो त्योहारों का विधान इस माह में किया है-

ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को गंगा दशहरा

ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को निर्जला एकादशी

इन त्योहारों से ऋषियों ने संदेश दिया कि गंगा नदी का पूजन करें और जल के महत्त्व को समझें। गंगा दशहरे के अगले दिन ही निर्जला एकादशी के व्रत का विधान रखा है जिससे संदेश मिलता है कि वर्ष में एक दिन ऐसा उपवास करें जिसमें जल ना ग्रहण करें और जल का महत्त्व समझें। ईश्वर की पूजा करें। गंगा नदी को ज्येष्ठ भी कहा जाता है क्योंकि गंगा नदी अपने गुणों में अन्य नदियों से ज्येष्ठ(बडी) है। ऐसी मान्यता है कि नर्मदा और यमुना नदी गंगा नदी से बडी और विस्तार में ब्रह्मपुत्र बड़ी है किंतु गुणों, गरिमा और महत्त्व की दृष्टि से गंगा नदी बड़ी है। गंगा की विशेषता बताता है ज्येष्ठ और ज्येष्ठ के शुक्ल पक्ष की दशमी गंगा दशहरा के रूप में गंगा की आराधना का महापर्व है।

निर्जला एकादशी- भीषण गर्मी के बीच तप की पराकाष्टा को दर्शाता है यह व्रत। इसमें दान-पुण्य एवं सेवा भाव का भी बहुत बड़ा महत्व शास्त्रों में बताया गया है।  ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी निर्जला एकादशी कहलाती है। अन्य महीनों की एकादशी को फलाहार किया जाता है, परंतु इस एकादशी को फल तो क्या जल भी ग्रहण नहीं किया जाता। यह एकादशी ग्रीष्म ऋतु में बड़े कष्ट और तपस्या से की जाती है। अतः अन्य एकादशियों से इसका महत्व सर्वोपरि है। इस एकादशी के करने से आयु और आरोग्य की वृद्धि तथा उत्तम लोकों की प्राप्ति होती है। महाभारत के अनुसार अधिक माससहित एक वर्ष की छब्बीसों एकादशियां न की जा सकें तो केवल निर्जला एकादशी का ही व्रत कर लेने से पूरा फल प्राप्त हो जाता है।

वृषस्थे मिथुनस्थेऽर्के शुक्ला ह्येकादशी भवेत्‌

ज्येष्ठे मासि प्रयत्रेन सोपाष्या जलवर्जिता।

नवतपा- नवतपा को ज्येष्ठ महीने के ग्रीष्म ऋतु में तपन की अधिकता का द्योतक माना जाता है। सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करने के साथ नवतपा शुरू हो जाता है। शुक्ल पक्ष में आर्द्रा नक्षत्र से लेकर 9 नक्षत्रों में 9 दिनों तक नवतपा रहता है। नवतपा में तपा देने वाली भीषण गर्मी पड़ती है। नवतपा में सूर्यदेव लोगों के पसीने छुड़ा देते हैं। पारा एक दम से 48 डिग्री पर पहुंच जाता है। जबकि न्यूनतम तापमान 32 डिग्री तक रहता है। लेकिन नवतपा के बाद एक अच्छी खबर आती है आर्द्रा के 10 नक्षत्रों तक जिस नक्षत्र में सबसे अधिक गर्मी पड़ती है, आगे चलकर उस नक्षत्र में 15 दिनों तक सूर्य रहते हैं और अच्छी वर्षा होती है।

राग दीपक- ग्रीष्म की जलविहीन शुष्क ऋतु में भी कलाकार की रचनाधर्मिता जागृत रहती है। संगीतकार इस उष्ण वातावरण को राग दीपक के स्वरों में प्रदर्शित करता है तो चित्रकार रंग तथा तूलिका के माध्यम से राग दीपक को चित्र में साकार करता है। भारतीय मान्यताओं के अनुसार राग के गायन के ऋतु निर्धारित है । सही समय पर गाया जाने वाला राग अधिक प्रभावी होता है । राग और उनकी ऋतु इस प्रकार है –

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तानसेन और राग दीपक- परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है। ग्रीष्म की तपन के पश्चात आकाश में छाने लगते हैं – श्वेत-श्याम बादलों के समूह तथा संदेश देते हैंजन-जन में प्राणों का संचार करने वाली बर्षा ऋतु के आगमन का। आकाश में छायी श्यामल घटाओं तथा ठंडी-ठंडी बयार के साथ झूमती आती है जन-जन को रससिक्त करतीजीवन दायिनी वर्षा की प्रथम फुहार। वर्षा की सहभागिनी ग्रीष्म की उष्णता आकाश से जल बिंदुओं के रूप में पुन: धरती पर अवतरित होती है किंतु अपने नवीन मनमोहक रूप में। उष्ण वातावरण के कारण घिर आये मेघ तत्पश्चात जीवनदान करती वर्षा का प्रसंग एक किवदंती में प्राप्त होता है जिसके अनुसार बादशाह अकबर ने दरबार में गायक तानसेन से ग्रीष्म ऋतु का राग दीपक‘ सुनने का अनुरोध किया। तानसेन के स्वरों के साथ वातावरण में ऊष्णता व्याप्त होती गयी। सभी दरबारीगण तथा स्वयं तानसेन भी बढ़ती गरमी को सहन नहीं कर पा रहे थे। लगता थाजैसे सूर्य देव स्वयं धरती पर अवतरित होते जा रहे हैं। तभी कहीं दूर से राग मेघ के स्वरों के साथ मेघ को आमंत्रित किया जाने लगा। जल वर्षा के कारण ही गायक तानसेन की जीवन रक्षा हुई। 

आयुर्वेद के अनुसार ग्रीष्म ऋतु में कौन सा पकवान और मिष्ठान लाभदायक होता है…

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वसंत ऋतु की समाप्ति के बाद ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है। अप्रैल, मई तथा जून के प्रारंभिक दिनों का समावेश ग्रीष्म ऋतु में होता है। इन दिनों में सूर्य की किरणें अत्यंत उष्ण होती हैं। इनके सम्पर्क से हवा रूक्ष बन जाती है और यह रूक्ष-उष्ण हवा अन्नद्रव्यों को सुखाकर शुष्क बना देती है तथा स्थिर चर सृष्टि में से आर्द्रता, चिकनाई का शोषण करती है। इस अत्यंत रूक्ष बनी हुई वायु के कारण, पैदा होने वाले अन्न-पदार्थों में कटु, तिक्त, कषाय रसों का प्राबल्य बढ़ता है और इनके सेवन से मनुष्यों में दुर्बलता आने लगती है। शरीर में वातदोष का संचय होने लगता है। अगर इन दिनों में वातप्रकोपक आहार-विहार करते रहे तो यही संचित वात ग्रीष्म के बाद आने वाली वर्षा ऋतु में अत्यंत प्रकुपित होकर विविध व्याधियों को आमंत्रण देता है। आयुर्वेद चिकित्सा-शास्त्र के अनुसार ‘चय एव जयेत् दोषं।’ अर्थात् दोष जब शरीर में संचित होने लगते हैं तभी उनका शमन करना चाहिए। अतः इस ऋतु में मधुर, तरल, सुपाच्य, हलके,जलीय, ताजे, स्निग्ध, शीत गुणयुक्त पदार्थों का सेवन करना चाहिए। जैसे कम मात्रा में श्रीखंड, घी से बनी मिठाइयाँ, आम, मक्खन, मिश्री आदि खानी चाहिए। इस ऋतु में प्राणियों के शरीर का जलीयांश कम होता है जिससे प्यास ज्यादा लगती है। शरीर में जलीयांश कम होने से पेट की बीमारियाँ, दस्त, उलटी, कमजोरी, बेचैनी आदि परेशानियाँ उत्पन्न होती हैं। इसलिए ग्रीष्म ऋतु में कम आहार लेकर शीतल जल बार-बार पीना हितकर है।

आहारः ग्रीष्म ऋतु में साठी के पुराने चावलगेहूँदूधमक्खनगुलाब का शरबत, आमपन्ना से शरीर में शीतलतास्फूर्ति तथा शक्ति आती है। सब्जियों में लौकीगिल्कीपरवलनींबूकरेलाकेले के फूलचौलाईहरी ककड़ीहरा धनिया,पुदीना और फलों में द्राक्षतरबूजखरबूजाएक-दो-केलेनारियलमौसमीआमसेबअनारअंगूर का सेवन लाभदायी है। इस ऋतु में तीखे, खट्टे, कसैले एवं कड़वे रसवाले पदार्थ नहीं खाने चाहिए। नमकीन, रूखा, तेज मिर्च-मसालेदार तथा तले हुए पदार्थ, बासी एवं दुर्गन्धयुक्त पदार्थ, दही, अमचूर, आचार, इमली आदि न खायें। गरमी से बचने के लिए बाजारू शीत पेय (कोल्ड ड्रिंक्स), आइस क्रीम, आइसफ्रूट, डिब्बाबंद फलों के रस का सेवन कदापि न करें। इनके सेवन से शरीर में कुछ समय के लिए शीतलता का आभास होता है परंतु ये पदार्थ पित्तवर्धक होने के कारण आंतरिक गर्मी बढ़ाते हैं। इनकी जगह कच्चे आम को भूनकर बनाया गया मीठा पनापानी में नींबू का रस तथा मिश्री मिलाकर बनाया गया शरबतजीरे की शिकंजीठंडाईहरे नारियल का पानीफलों का ताजा रसदूध और चावल की खीरगुलकंद आदि शीत तथा जलीय पदार्थों का सेवन करें। इससे सूर्य की अत्यंत उष्ण किरणों के दुष्प्रभाव से शरीर का रक्षण किया जा सकता है।

‘सती अनुसूया’ जयंती

भगवान विष्णु के अवतार दत्तात्रेय के जन्म के बारे में कथा के अनुसार सती अनुसूया की कोख से ब्रह्मा जी के अंश से चंद्रमा, विष्णु जी के अंश से दत्तात्रेय और शिव जी के अंश से दुर्वासा मुनि ने जन्म लिया था।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, धर्म डेस्क, चंडीगढ़ – 20 अप्रैल :

सती अनुसुया को पतिव्रता धर्म के लिए जाना जाता है। इस वर्ष इनकी जयंती 20 अप्रैल 2022 को मनाई जाएगी। देवी अनुसुईया की पवित्रता और उनका साध्वी रुप सभी विवाहित महिलाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत रहा है। देवी अनुसुईया जयंती के अवसर पर मंदिरों में विशेष पूजा आरती की जाती है। विवाहित महिलाएं इस दिन के व्रत का पालन कर, सती अनुसुईया के दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लेती है। देवी अनुसुईया प्रसन्न होकर अपने भक्तों के दुख दूर करती हैं और उन्हें अखंड सौभाग्यवती होने का वर देती है। भारत वर्ष के उतराखंड राज्य में देवी अनुसुईया का एक प्रसिद्ध व प्राचीन मंदिर है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह वहीं स्थान है जहां माता देवी की परीक्षा त्रिदेवों ने ली थी। माता अनुसुईया के जन्मदिवस के अवसर पर स्त्रियां अपने वैवाहिक स्त्री धर्म का पालन करते हुए सती अनुसुईयां जयंती का पूजन करती है।

यह माना जाता है कि उत्तराखंड में स्थित माता अनुसुईया के मंदिर में रात्रि में जप और जागरण करने की परंपरा है। इस मंदिर में निसंतान दंपत्ति जप और जागरण कर पूजा अर्चना कर संतान कामना करते है। यह जप-तप, अनुष्ठान शनिवार की रात्रि में करने का प्रावधान है। इस मंदिर को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है कि इस मंदिर में त्रिदेव माता की परीक्षा लेने के लिए बालक रुप में आए थे और तीनों देवों ने देवी से भोजन कराने की प्रार्थना की। देवी ने अपने सतीत्व से त्रिदेवों को पहचान लिया, इससे त्रिदेव असली रुप में आ गए। माता अनुसुईया से भगवान शिव दुर्वासा के रुप में मिले थे।

दक्ष प्रजापति की चौबीस कन्याओं में से एक थी अनुसूया जो मन से पवित्र एवं निश्छल प्रेम की परिभाषा थीं इन्हें सती साध्वी रूप में तथा एक आदर्श नारी के रूप में जाना जाता है. अत्यन्त उच्च कुल में जन्म होने पर भी इनके मन में कोई अंह का भाव नहीं था.

इनका संपूर्ण जीवन ही एक आदर्श रहा है. पौराणिक तथ्यों के आधार की यदि बात की जाए तो माता सीता जी भी इनके तेज से बहुत प्रभावित हुई थी तथा उनसे प्राप्त भेंट को सहर्ष स्वीकार करते हुए नमन किया. अनुसूया जी का विवाह ब्रह्मा जी के मानस पुत्र परम तपस्वी महर्षि अत्रि जी के साथ हुआ था. अपने सेवा तथा समर्पित प्रेम से इन्होंने अपने पति धर्म का सदैव पालन किया.

कहा जाता है कि देवी अनसुया बहुत पतिव्रता थी जिस कारण उनकी ख्याती तीनों लोकों में फैल गई थी. उनके इस सती धर्म को देखकर देवी पार्वती, लक्ष्मी जी और देवी सरस्वती जी के मन में द्वेष का भाव जागृत हो गया था. जिस कारण उन्होंने अनसूइया कि सच्चाई एवं पतीव्रता के धर्म की परिक्षा लेने की ठानी तथा अपने पतियों शिव, विष्णु और ब्रह्मा जी को अनसूया के पास परीक्षा लेने के लिए भेजना चाहा.

भगवानों ने देवीयों को समझाने का पूर्ण प्रयास किया किंतु जब देवियां नहीं मानी तो विवश होकर तीनो देवता ऋषि के आश्रम पहुँचे. वहां जाकर देवों ने सधुओं का वेश धारण कर लिया और आश्रम के द्वार पर भोजन की मांग करने लगे. जब देवी अनसूया उन्हें भोजन देने लगी तो उन्होंने देवी के सामने एक शर्त रखी की वह तीनों तभी यह भोजन स्वीकार करेंगे जब देवी निर्वस्त्र होकर उन्हें भोजन परोसेंगी. इस पर देवी चिंता में डूब गई वह ऎसा कैसे कर सकती हैं. अत: देवी ने आंखे मूंद कर पति को याद किया इस पर उन्हें दिव्य दृष्टि प्राप्त हुई तथा साधुओं के वेश में उपस्थित देवों को उन्होंने पहचान लिया. तब देवी अनसूया ने कहा की जो वह साधु चाहते हैं वह ज़रूर पूरा होगा किंतु इसके लिए साधुओं को शिशु रूप लेकर उनके पुत्र बनना होगा.साधुओं का अपमान न हो इस डर से घबराई अनुसूइया ने पति का स्मरण कर कहा कि यदि मेरा पतिव्रत्य धर्म सत्य है तो ये तीनों साधु 6 मास के शिशु हो जाएं। इस बात को सुनकर त्रिदेव शिशु रूप में बदल गए जिसके फलस्वरूप माता अनसूइया ने देवों को अनुसूइया ने माता बनकर त्रिदेवों को स्तनपान  भोजन करवाया. इस तरह तीनों देव माता के पुत्र बन कर रहने लगे.

इस पर अधिक समय बीत जाने के पश्चात भी त्रिदेव देवलोक नहीं पहुँचे तो पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती जी चिंतित एवं दुखी हो गई  तब नारद ने त्रिदेवियों को सारी बात बताई। त्रिदेवियां ने अनुसूइया से क्षमा याचना की। तब अनुसूइया ने त्रिदेव को अपने पूर्व रूप में ला दिया। प्रसन्नचित्त त्रिदेवों ने देवी अनुसूइया को उनके गर्भ से पुत्र रूप में जन्म लेने का वरदान दिया। तब ब्रह्मा अंश से चंद्र, शंकर अंश से दुर्वासा व विष्णु अंश से दत्तात्रेय का जन्म हुआ।

इस पर तीनों देवियों ने सती अनसूइया के समक्ष क्षमा मांगी एवं अपने पतियों को बाल रूप से मूल रूप में लाने की प्रार्थना की ऐस पर माता अनसूया ने त्रिदेवों को उनका रूप प्रदान किया और तभी से वह मां सती अनसूइया के नाम से प्रसिद्ध हुई. स्त्रियां मां सती अनसूया से पतिव्रता होने का आशिर्वाद पाने की कामना करती हैं. प्रति वर्ष सती अनसूइया जी जयंती का आयोजन किया जाता है. इस उत्सव के समय मेलों का भी आयोजन होता है. रामायण में इनके जीवन के विषय में बताया गया है जिसके अनुसार वनवास काल में जब राम, सीता और लक्ष्मण जब महर्षि अत्रि के आश्रम में जाते हैं तो अनुसूया जी ने सीता जी को पतिव्रत धर्म की शिक्षा दी थी

कांग्रेस की कलह फिर सामने आई, विश्वबंधु राय ने सोनिया गांधी को भेजा पत्र

महाराष्ट्र के कांग्रेस विधायकों का कहना है कि गठबंधन सरकार की तो छोड़िये यदि हमारे मंत्री ही हमारी नहीं सुनेंगे तो आगामी चुनावों में पार्टी कैसे अच्छा प्रदर्शन कर पाएगी। इकॉनामिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार इन विधायकों ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर तुरंत दखल देने की मांग की है, ताकि चीजें बिगड़ने से पहले संभल जाए। विधायकों ने कहा कि कांग्रेस के मंत्री हमारी चिंताओं पर ध्यान नहीं दे रहे हैं और वे हमसे तालमेल नहीं बना रहे हैं। 

  • विधानसभा में कांग्रेस के 44 विधायक हैं, इनमें से 25 विधायकों ने नाराजगी जताई है
  • कांग्रेस के लिए यह खतरे का संकेत माना जा रहा है, नाराज विधायकों ने सोनिया गांधी को लेटर लिखा है
  • इन 14 के अलावा 30 विधायक हैं, उनमें से 25 विधायकों ने नाराजगी जताई है

मुंबई/नयी दिल्ली(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट :

महाराष्‍ट्र  कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं है। राज्‍य के विधायकों की नाराजगी और उनके कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी  से मिलने का समय मांगे जाने के बाद अब ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सदस्य विश्वबंधु राय ने भी सोनिया गांधी को पत्र लिखा है। उन्‍होंने राज्‍य में कांग्रेस की स्थिति को लेकर संज्ञान लेने का आग्रह किया है। उन्‍होंने कहा कि जैसा नुकसान पार्टी को पंजाब में हुआ, वैसा ही महाराष्‍ट्र में होने वाला है। महाराष्‍ट्र प्रभारी पार्टी के अंदरूनी असंतोष से अनजान रहते हैं। एनसीपी के साथ-साथ हमारे मंत्रियों से भी कई विधायक नाराज चल रहे हैं।

कॉन्ग्रेस के 25 विधायकों ने महाराष्ट्र सरकार में अपनी ही पार्टी के मंत्रियों के खिलाफ शिकायत करने के लिए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गाँधी से मिलने का समय माँगा है। इन कॉन्ग्रेस विधायकों का कहना है कि पार्टी के मंत्री भी उनकी बात नहीं सुनते। उनकी चिंताओं का जवाब नहीं देते हैं। विधायकों ने सोनिया गाँधी को भेजे पत्र में उनसे हस्तक्षेप करने और चीजों को सही करने का आग्रह किया है।

कुछ विधायकों ने ET से कहा है कि महाविकास अघाड़ी सरकार के मंत्री, विशेष रूप से कॉन्ग्रेस के मंत्री, उनकी बात नहीं सुन रहे हैं। उनमें से एक ने कहा, “अगर मंत्री विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों में काम को लागू करने के अनुरोधों की अनदेखी करते हैं, तो पार्टी चुनावों में अच्छा प्रदर्शन कैसे करेगी?”

पार्टी में कोऑर्डिनेशन की कमी का संकेत देते हुए विधायकों ने कहा कि उन्हें पिछले सप्ताह ही पता चला कि कॉन्ग्रेस के प्रत्येक मंत्री को पार्टी विधायकों से जुड़े मसलों का तरीके से समाधान करने की जिम्मेदारी दी गई है। इसके तहत हर मंत्री के जिम्मे तीन पार्टी विधायक आते हैं। एक कॉन्ग्रेस विधायक ने कहा, “हमें इसके बारे में तब पता चला जब एचके पाटिल ने हाल ही में एक बैठक की थी। इसमें बताया गया कि कॉन्ग्रेस मंत्रियों को तीन-तीन विधायक आवंटित किए गए हैं। राज्य मे एमवीए की सरकार बनने के कुछ महीने बाद ही ऐसा किया गया था। लेकिन हमें इसके बारे में सरकार बनने के ढाई साल बाद पता चल रहा है। अब भी कोई नहीं जानता कि कौन सा मंत्री हमसे जुड़ा हुआ है।”

इसके अलावा कॉन्ग्रेस के विधायकों का यह भी कहना है कि इस तरह की परिस्थिति के कारण राज्य में पार्टी एनसीपी से भी पिछड़ रही है। विधायकों ने चिट्ठी में लिखा है कि एनसीपी के नेता और उद्धव सरकार में डिप्टी सीएम अजित पवार लगातार अपनी पार्टी के विधायकों से मिलते हैं, उनकी बात सुनते हैं और योजनाओं के लिए धन की व्यवस्था भी कराते हैं। उन्होंने ये भी लिखा है कि एनसीपी लगातार कॉन्ग्रेस पर निशाना साधती है। अगर अभी कदम नहीं उठाया गया, तो कॉन्ग्रेस बाकी राज्यों की तरह महाराष्ट्र में हाशिए पर चली जाएगी। विधायकों ने कहा कि पंजाब में पार्टी की हार के बाद तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए। अगर पार्टी का महाराष्ट्र में ऐसा ही रवैया रहता है तो पंजाब जैसा परिणाम आ सकता है। बता दें कि हालिया विधानसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस को पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में करारी हार मिली है।