नेताजी, पटेल और आंबेडकर के सम्मान से कांग्रेस को क्यों ऐतराज है: शाहनवाज हुसैन


शाहनवाज हुसैन ने कहा, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल, बाबा साहब भीमराव आंबेडकर जैसे महापुरूषों का सम्मान किए जाने का तो कांग्रेस को स्वागत करना चाहिए


मोदी सरकार पर इतिहास को फिर से लिखने का प्रयास करने के कांग्रेस के आरोप पर पलटवार करते हुए बीजेपी ने सोमवार को कहा कि नेताजी, सरदार पटेल, बाबा साहब आंबेडकर जैसे महापुरूषों के सम्मान पर विपक्षी दल को ऐतराज क्यों हो रहा है?

बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद शाहनवाज हुसैन ने कहा, ‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल, बाबा साहब भीमराव आंबेडकर जैसे महापुरूषों का सम्मान किए जाने का तो कांग्रेस को स्वागत करना चाहिए. लेकिन उसे इस पर ऐतराज है, क्यों?’

उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार इतिहास को फिर से लिखने का प्रयास नहीं कर रही है, बल्कि इन महापुरूषों के साथ जो नाइंसाफी हुई, जिस प्रकार इन्हें कांग्रेस ने भुलाने का काम किया, उसे दूर करते हुए उन्हें सम्मान देने का प्रयास किया जा रहा है.

हुसैन ने कहा कि 75 साल में पहली बार, अखंड भारत की पहली सरकार को सम्मानपूर्वक, समारोह में याद किया गया. कांग्रेस पर निशाना साधते हुए बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि नेताजी की तरह ही सरदार पटेल और बाबा साहब आंबेडकर का योगदान भुलाने की कोशिश की गई. 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की याद में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का अनावरण किया जा रहा है.

स्वतंत्रता संग्राम में आरएसएस के योगदान पर कांग्रेस द्वारा सवाल उठाने के विषय पर हुसैन ने कहा कि कांग्रेस के लिए एक ही परिवार का योगदान मायने रखता है जबकि आजादी की लड़ाई में नागरिक होने के नाते अनेकानेक लोगों ने योगदान दिया और देश से मोहब्बत रखने वाला संगठन होने के नाते संघ ने भी योगदान दिया.

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने बीजेपी नीत केंद्र सरकार पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की धरोहर हथियाने के लिए ‘षडयंत्रपूर्ण प्रयास’ करने का आरोप लगाते हुए रविवार को कहा था कि बीजेपी इतिहास फिर से लिखने के लिए व्याकुल है.

कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि ‘व्याकुल बीजेपी इतिहास फिर से लिखने की कोशिश कर रही है और सरदार पटेल एवं जवाहरलाल नेहरू के बीच तथा नेताजी सुभाष चंद्र बोस एवं नेहरू के बीच एक काल्पनिक प्रतिद्वंद्विता पैदा कर रही है. इसने शुभ अवसरों का इस्तेमाल ओछे राजनीतिक हथकंडों के लिए किया है.’

इससे पहले आजाद हिंद सरकार की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर रविवार को आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि यह दुखद है कि एक परिवार को बड़ा बताने के लिए, देश के अनेक सपूतों के योगदान को भी भुलाने का प्रयास किया गया.

कांग्रेस राहुल के प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी से भागी क्यूँ?


पीएम पद की उम्मीदवारी को लेकर यूपीए के भीतर ही राहुल के नेतृत्व को लेकर हिचकिचाहट दिखाई दे रही थी


साल 2019 के लोकसभा चुनाव में छह महीनों का ही वक्त बाकी रह गया है. लेकिन अबतक कांग्रेस एक पहेली को सुलझा नहीं सकी है. ये पहेली पीएम पद की उम्मीदवारी को लेकर है. कांग्रेस का असमंजस अलग-अलग मौकों पर दिखाई देता है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की पीएम पद की उम्मीदवारी को लेकर कांग्रेस की कभी हां, कभी ना जारी है. एक बार फिर कांग्रेस के बयान से सवाल उठ गया है कि पीएम मोदी के खिलाफ ताल ठोकने वाले, एकता का दावा करने वाले और समान विचारधारा वाले संभावित महागठबंधन का चेहरा कौन होगा? अगर राहुल नहीं तो फिर कौन?

दरअसल, कांग्रेस ने पीएम पद की उम्मीदवारी से हाथ खींच लिए हैं.पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा है कि कांग्रेस साल 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को पीएम पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश नहीं करेगी.

पी. चिदंबरम कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं. राहुल की गठित नई कांग्रेस वर्किंग कमेटी की टीम में भी वो मौजूद हैं. उनका ये खुलासा कांग्रेस के भीतर की आम सहमति है. इस पर शक नहीं किया जा सकता है और न ही इसे चिदंबरम का निजी बयान मानकर खारिज किया जा सकता है. जैसा कि कांग्रेस नेता शशि थरूर के बयानों के बाद अक्सर होता है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कांग्रेस की रणनीति में आए इस यू-टर्न के पीछे टर्निंग प्वाइंट क्या है?

पहले तो एक तरफ नवगठित सीडब्लूसी की बैठक में ये फैसला लिया जाता है कि राहुल ही पार्टी की तरफ से पीएम पद के उम्मीदवार होंगे तो अब कांग्रेस ही पीएम पद की उम्मीदवारी पर पैंतरा बदल लेती है.

क्या इसकी वजह वही है जो कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद बता रहे हैं? सलमान खुर्शीद कह रहे हैं कि कांग्रेस के लिए अकेले चुनाव जीत पाना मुश्किल है. इसी वजह से कांग्रेस महागठबंधन बनाने के लिए कोई भी रोड़ा सामने नहीं आने देना चाहती है.

दरअसल, पीएम पद की उम्मीदवारी को लेकर यूपीए के भीतर ही राहुल के नेतृत्व को लेकर हिचकिचाहट दिखाई दे रही थी. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने राहुल की दावेदारी पर सवाल उठाते हुए कहा था कि विपक्ष में ममता बनर्जी, शरद पवार, मायावती जैसे नेता भी हैं जो पीएम मैटेरियल हैं.

राहुल की पीएम पद की दावेदारी पर टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने भी कुछ  प्रतिक्रिया नहीं दी थी. वहीं बीएसपी के तमाम नेता अपनी अध्यक्ष बहनजी मायावती को गठबंधन का पीएम चेहरा बताते हैं. जबकि समाजवादी पार्टी सवाल उठा चुकी है कि गठबंधन बनने से पहले कांग्रेस कैसे पीएम उम्मीदवार की दावेदारी कर सकती है?

दरअसल, कांग्रेस का जनाधार क्षेत्रीय पार्टियों ने इस हद तक कम कर दिया है कि कई राज्यों में कांग्रेस दो से चार नंबर पर खिसक चुकी है. उन राज्यों में कांग्रेस देश की सबसे बड़ी पार्टी और राष्ट्रीय पार्टी होने का दंभ नहीं भर सकती है. यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में क्षत्रपों की वजह से कांग्रेस सरेंडर की मुद्रा में है. यहां क्षत्रपों का सीधा मुकाबला बीजेपी से है जबकि कांग्रेस रेस में भी नहीं है.

चिदंबरम खुद ये मानते हैं कि पिछले दो दशकों में क्षेत्रीय पार्टियों ने राष्‍ट्रीय पार्टियों के वोट बैंक में सेंधमारी खुद की स्थिति मजबूत की है. हालात ये हैं कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों का संयुक्‍त वोट शेयर भी 50 फीसदी से कम है. ऐसे में क्षेत्रीय पार्टियों के साथ कांग्रेस का गठबंधन चुनाव में चमत्कार कर सकता है और इसी आस में कांग्रेस पीएम पद का त्याग दिखा रही है.

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सत्ता से हटाने का कांग्रेस का एक सूत्रीय एजेंडा है. कांग्रेस किसी भी कीमत पर और किसी भी कुर्सी की कुर्बानी के जरिए बीजेपी को सत्ता से बेदखल करना चाहती है. अकेले चुनाव जीतना कांग्रेस के लिए ‘मिशन इंपॉसिबल’ है. कांग्रेस के पास क्षेत्रीय पार्टियों की बैसाखियों का ही सहारा है. कांग्रेस ये नहीं चाहती है कि पीएम पद की उम्मीदवारी को लेकर महागठबंधन में टूट हो.तभी चिदंबरम ने राहुल की दावेदारी पर कांग्रेस का रुख साफ कर इस अध्याय को विराम देने की कोशिश की है.

हालांकि, इससे सीधे तौर पर बीजेपी को ही कांग्रेस पर हमला करने का मौका मिलेगा. बीजेपी चिदंबरम के बयान को भुनाते हुए प्रचार कर सकती है कि यूपीए के बाद अब खुद कांग्रेस को भी पीएम मोदी के सामने राहुल की दावेदारी की योग्यता को लेकर संशय है.

दरअसल, बीजेपी की विपक्ष के संभावित महागठबंधन पर बारीक नजर है. बीजेपी संभावित महागठबंधन के मायने जानती है. खासतौर से यूपी और बिहार जैसे राज्यों में विपक्षी गठबंधन अगर कामयाब हुआ तो बीजेपी को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है. यूपी की 80 और बिहार की 40 सीटें बीजेपी के लिए साल 2019 में बेहद जरूरी हैं.ऐसे में बीजेपी कोई मौका नहीं छोड़ती जिससे महागठबंधन को घेरा न जाए.

यूपी में उपचुनावों के दौरान एसपी-बीएसपी का गठबंधन और बिहार में विधानसभा चुनाव के वक्त आरजेडी-जेडीयू गठबंंधन ने बीजेपी की नींद उड़ाने का काम किया था. बीजेपी ये कतई नहीं चाहेगी कि उसके खिलाफ किसी भी तरह का कोई गठबंधन तैयार हो जो कि सोशल इंजीनियरिंग और जाति समीकरणों के जरिए बीजेपी के वोटबैंक में सेंध लगा सके. यही वजह है कि  बीजेपी बार बार कांग्रेस की कोशिशों को कमजोर करने के लिए हमले करते रहती है.

कर्नाटक चुनाव प्रचार के दौरान जब राहुल ने कहा कि वो पीएम बनने के लिए तैयार हैं तो बीजेपी ने संभावित महागठबंधन को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि कांग्रेस के युवराज पीएम बनने के लिए इस कदर आतुर हैं कि वो महागठबंधन की सहयोगी पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं की भी कुर्सी के लिए अनदेखी कर रहे है. बीजेपी ने इस बयान से उन सहयोगियों को साधने की कोशिश की जो कांग्रेस के साथ जाने का मन बना रहे थे. बाद में यूपीए के सहयोगी एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने कहा था कि चुनाव बाद ही तय होगा कि गठबंधन की तरफ से पीएम पद का उम्मीदवार कौन होगा.

दरअसल, पीएम पद की उम्मीदवारी एक ऐसा मसला है जिसे लेकर कांग्रेस के सामने एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई है. बीजेपी के आक्रमक रवैये और यूपीए के सहयोगियों और क्षेत्रीय पार्टियों के दबाव के चलते ही कांग्रेस अपने सुर बदलने को मजबूर हुई है. तभी पहले राहुल गांधी किसी गैर कांग्रेसी को पीएम बनाने के लिए सहमत दिखे तो अब पीएम पद के पेंच को ही पचड़ा बनने से रोकने के लिए राहुल की दावेदारी को खारिज कर दिया.

अब देखना ये है कि कांग्रेस के इस कदम के बाद निर्जीव पड़े संभावित महागठबंधन में कितनी जान आती है. क्योंकि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में गठबंधन को लेकर बीएसपी और कांग्रेस में तलवारें खिंच चुकी हैं. ऐसे में अगर एक क्षेत्रीय दल महागठबंधन से छिटकता है तो दूसरे दलों को भी दोबारा सोचने का बहाना मिलेगा.

लेकिन चिदंबरम के इस बयान से बीजेपी के हौसले जरूर बुलंद हो सकते हैं क्योंकि कहीं न कहीं ये इशारा भी है कि मुकाबले से पहले ही कांग्रेस हथियार डालने की मुद्रा में दिखाई दे रही है. दरअसल, जिन मुद्दों को लेकर अबतक मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस ने हमले किए उनको लेकर आम जनता या फिर सहयोगी दलों की तरफ से ऐसी कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई जिससे कांग्रेस बीजेपी पर दबाव बना पाने में सफल हो सकी.

उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सभापति रमेश यादव के छोटे पुत्र अभिजीत उर्फ विवेक की संदिग्ध हालत में मौत


पुलिस के एक प्रवक्ता ने बताया कि यह कुदरती मौत नहीं लग रही थी.

मृत्यु का कारण पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आने के बाद ही पता चला की यह हत्या गला दबा कर की गयी थी


उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सभापति रमेश यादव के छोटे पुत्र अभिजीत उर्फ विवेक की संदिग्ध हालत में मौत हो गई. विवेक उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित अपने सरकारी आवास में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाए गए. पुलिस सूत्रों के मुताबिक विधान परिषद सभापति के बेटे अभिजीत यादव (22) का शव लखनऊ के हजरतगंज क्षेत्र स्थित दारुल शफा में यादव के सरकारी आवास में मिला.

दारुल शफा के डी ब्लॉक स्थित रुम नंबर 28 में विवेक का शव पाया गया. विवेक की मृत्यु की खबर उनके परिजनों ने दी थी. परिवार ने बताया कि विवेक रात ग्यारह बजे के करीब घर आया था और मां को सीने में दर्द की शिकायत की. इसके बाद मां ने उसके सीने पर मालिश की और सुला दिया. अगले दिन सुबह जब वो बहुत देर तक नहीं उठा तो मां उसे जगाने गई. वहां उन्होंने देखा कि विवेक के शरीर में कोई हरकत नहीं हो रही. फिर उन्होंने भाई को बुलाया.

पुलिस को मौत कुदरती नहीं लग रही:

उन्होंने विवेक की जांच करने के बाद बताया कि वो मर चुका है. फिर पुलिस को सूचना दी गई. हालांकि पुलिस के एक प्रवक्ता ने बताया कि यह कुदरती मौत नहीं लग रही है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला है कि अभिजीत की मौत गला दबाने से हुई है. पुलिस को शव के गले पर निशान नजर आ रहे थे.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना पर दुख जाहिर करते हुए मृतक की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की है.

नेशनल हेराल्ड केस: स्वामी का जवाब- मुझे ट्वीट करने का पूरा अधिकार है


मुझे ट्वीट याद नहीं है. मैंने अनगिनत ट्वीट किए हैं. और यह नहीं पता कि वोरा ने जिन ट्वीट्स का जिक्र किया है वो मेरे ही हैं


बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने शनिवार को दिल्ली की एक अदालत में नेशनल हेराल्ड मामले में अपने ट्वीट्स के जरिए कार्यवाही को प्रभावित करने की कोशिशों के आरोपों को खारिज कर दिया है. इसके साथ ही कहा कि कांग्रेस ने जिन ट्वीट्स के बारे में कहा है वैसा कोई भी सोशल मीडिया पोस्ट मुझे याद नहीं आता.

स्वामी, कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा की उस याचिका का जवाब दे रहे थे, जिसमें वोरा ने अदालत से नेशनल हेराल्ड मामले में स्वामी के ट्वीट करने पर रोक लगाने के आदेश की मांग की थी. नेशनल हेराल्ड केस में मोतीलाल वोरा, पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी के साथ आरोपी हैं.

बीजेपी ने एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल को बताया कि वोरा ने जिन ट्वीट्स के बारे में कहा है उन्हें शक है कि उनके साथ छेड़छाड़ की गई होगी. लेकिन साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि मुझे ट्वीट करने का पूरा अधिकार है. स्वामी ने कहा कि मुझे ट्वीट याद नहीं है. मैंने अनगिनत ट्वीट किए हैं. और यह नहीं पता कि वोरा ने जिन ट्वीट्स का जिक्र किया है वो मेरे ही हैं.

ट्वीट कोई सबूत नहीं:

स्वामी ने आगे कहा कि ‘कानून के तहत ट्वीट स्वीकार्य नहीं है. और न ही किसी आवेदन के लिए उन्हें सबूत के रूप में गिना जा सकता है. अगर मुझे नहीं पता कि सबूत क्या हैं, तो फिर मैं आगे कैसे आगे बढ़ूंगा? मुझे ट्वीट करने का पूरा अधिकार है. लेकिन आप जिस सबूत का दावा कर रहे हैं वो सबूत नहीं हैं क्योंकि वे प्रमाणित नहीं हैं.’

उन्होंने आगे तर्क दिया कि उनके ट्वीट अपमानजनक हैं इसका कोई सबूत नहीं है और इसलिए, वोरा के आवेदन को ‘खारिज’ कर दिया जाना चाहिए. भले ही ट्वीट सही हैं तब भी ये साबित करने के लिए वो ट्वीट अपमानजनक हैं कोई सबूत नहीं है. यह भ्रष्टाचार का मामला है. इसमें सार्वजनिक हित शामिल है.

वही वोरा के वकील आर एस चीमा ने कहा कि स्वामी ने आरोपों से लिखित तौर पर इंकार नहीं किया है. और जब हमने आरोप लिखित तौर पर दिए थे तब भी उन्होंने लिखित तौर पर आरोपों से इंकार नहीं किया था. यह कोर्ट की अवमानना है.

कोर्ट ने मामले में फैसला 17 नवंबर तक के लिए सुरक्षित कर लिया है.

रीवा सोलंकी जडेजा बनीं करनी सेना की गुजरात महिला मोर्चा की प्रमुख


करणी सेना ने जडेजा की पत्नी को गुजरात महिला मोर्चा का प्रमुख बनाया है और जडेजा खुद राजपूत हैं


भारतीय क्रिकेट टीम के ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा की पत्‍नी रीवा सोलंकी करणी सेना में शामिल हो गई हैं. सेना ने उन्हें गुजरात महिला मोर्चा का प्रमुख बनाया है. रीवा को यह जिम्‍मेदारी देने की घोषणा महिपाल सिंह मकराणा ने की है, जो कि करणी सेना के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष हैं.

करणी सेना राजस्‍थान के राजपूतों का एक संगठन है, जिसके संस्‍थापक/सरंक्षक लोकेंद्र सिंह कालवी हैं. यह (करणी सेना) पिछले साल पद्मावत फिल्‍म के विरोध की वजह से सुर्खियों में आई थी और तब से इसका उबार जारी है.

टीम इंडिया के क्रिकेटर रवींद्र जडेजा भी राजपूत हैं और उनका विवाह अप्रैल 2016 में पेशे से मकैनिकल इंजीनियर रीवा सोलंकी से हुआ, जो कि राजकोट के राजपूत परिवार से संबंध रखती हैं. जबकि रीवा के पिता वहां के रसूखदार बिजनेसमैन हैं.

हालांकि कुछ महीने पहले रीवा राजकोट में पुलिसकर्मी के साथ झगड़े को लेकर सुर्खियों में थीं. खबरों के मुताबिक रीवा की बीएमडब्‍ल्‍यू कार पुलिस वाले से टकरा गई थी और इसके बाद उसने रीवा से हाथा पाई कर दी थी. हालांकि मामला हाई-प्रोफाइल होने के कराण गुजरात पुलिस ने पुलिसकर्मी को तुरंत गिरफ्तार करके मामले की जांच शुरू कर दी थी.

6 दिसम्बर से भव्य राम मंदिर का निर्माण आरंभ होगा: वेदांती

राम जन्मभूमि न्यास समिति के वरिष्ठ सदस्य और पूर्व सांसद रामविलास वेदांती ने शुक्रवार को दावा किया कि अयोध्या मे विवादित भूमि पर इसी साल छह दिसम्बर से भव्य राममंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के राममंदिर निर्माण के लिए कानून बनाने जाने की पहल का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि पांच अक्टूबर को साधु संतों के ऐलान के बाद आरएसएस प्रमुख का बयान स्वागत योग्य है। कभी दो सीटों वाली भारतीय जनता पार्टी आज देश की सबसे अधिक सांसदों वाली पार्टी तो है ही, साथ ही दुनिया मे सबसे लोकप्रिय पार्टी होने का तमगा भाजपा के पास ही है। देश मे आज 20 राज्यों में भाजपा की सरकार है।

शिवसेना प्रमुख उद्वव ठाकरे के नंबवर मे अयोध्या मे राममंदिर निर्माण की दिशा में शिलान्यास करने के ऐलान पर वेदांती ने कहा कि भाजपा के अलावा कोई भी दल राममंदिर का निर्माण करने का पक्षधर नहीं है।

उन्होंने कहा कि देश का मुसलमान चाहता है कि अयोध्या में भव्य रामलला इन मंदिर बने। सुन्नी वक्फ बोर्ड के लोग चाहते हैं, शिया वक्फ बोर्ड के लोग चाहते हैं, केवल 20 प्रतिशत लोग नहीं चाहते और वह ऐसे लोग हैं जो पाकिस्तान से सम्मानित किए जाते हैं। पाकिस्तान की मंशा है कि भारत का हिंदू और मुसलमान आपस में इसी तरह से लड़ता और भिडता रहे।

फैजाबाद के पूर्व सांसद ने कहा कि भारत के हिंदू और मुसलमानों को आपस में लडाने के लिए पाकिस्तान पैसा भेजता है। अरबों डालर रुपया भारत में इसी बाबत भेजा जाता है ताकि देश का मुसलमान और हिंदू आपस में लड़ते रहे।

उन्होंने कहा कि 2018 के आखिर मे अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण का शुभारंभ किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के रहते श्रीराम मंदिर का निर्माण नहीं होगा तो फिर कब होगा।

आज देश मे प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, देश के 20 राज्यों में भाजपा की सरकार होना इस बात का सबूत है कि हर कोई राममंदिर निर्माण मे अपनी अपनी हिस्सेदारी रखना चाहता है। हमारे पक्ष ने साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए धार्मिक ग्रंथों तथा पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट प्रस्तुत की तो वाल्मीकि रामायण के अनुरूप मंदिर माना।

वेदांती ने बाबर के वंशज प्रिंस के दावे को खारिज करते हुए कहा कि प्रिंस झूठ बोलते हैं। उन्होंने जमीन का मालिकाना हक पर सवाल उठाते हुए कहा कि अयोध्या की जमीन सरकारी दस्तावेज में दशरथ के नाम पर दर्ज हुआ करती थी जो आज राजाराम के नाम पर दर्ज है। इस बात का सबूत अदालत मे प्रस्तुत किए जा चुके हैं।

अब हिन्दू कांग्रेस्सियों ने बढ़ाया आज़ाद का दर्द


अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के संस्थापक सर सैयद अहमद खान की जयंती के अवसर पर लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए आजाद ने कहा, अब हिंदू उन्हें प्रचार के लिए नहीं बुलाते

आज़ाद शायद हिन्दू कांग्रेसी बोलना चाहते थे, क्योंकि भाजपा, शिवसेना, बसपा, आआपा, या दक्षिण भारतीय राजनैतिक दलों के हिन्दू तो उन्हे बुलाएँगे ही क्यूँ कर। 

दूसरे आज़ाद का मुस्लिम यूनिवरसिटि में दिया यह बयान उनकी धार्मिक संलिप्तता को भी दर्शाता है.


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के एक बयान पर विवाद खड़ा हो गया है. आजाद ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि अब उन्हें हिंदू भाई प्रचार के लिए नहीं बुलाते. पहले उन्हें चुनाव प्रचार करने का खूब निमंत्रण मिलता था. उन्होंने कहा, ऐसा इसलिए हो रहा है कि उनके मन में डर बैठ गया है कि मेरे आने से हिंदू वोट कट जाएंगे.

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के संस्थापक सर सैयद अहमद खान की जयंती के अवसर पर लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए आजाद ने कहा कि अब वक्त बदल गया है. लोग बंट रहे हैं, परिवार आपस में बंट रहे हैं. उन्होंने कहा कि मैंने पाया है कि बीते चार सालों में अपने कार्यक्रमों में बुलाने वाले 95 प्रतिशत हिंदू भाई और नेता अब घटकर मात्र 20 फीसदी ही रह गए हैं.

आजाद ने कहा, जब युवा कांग्रेस में थे तब से ही अंडमान-निकोबार से लेकर लक्षद्वीप तक, देशभर के कोने में प्रचार के लिए जाते थे. तब उन्हें अपने कार्यक्रम में बुलाने वाले 95 फीसदी हिंदू भाई हुआ करते थे जबकि मुसलमानों की संख्या सिर्फ 5 फीसदी ही रहती थी. अपने बयान के जरिए उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के समय में हिंदू-मुसलमानों के बीच दूरियां बढ़ी हैं और माहौल खराब हुआ है.

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के बयान पर बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि यह हिंदुओं को कम कर आंकने की कांग्रेस की साजिश है. कांग्रेस के बुरे दिन आ गए हैं, उन्हें अब कोई नहीं बुला रहा है.

फ़ैज़ाबाद = श्री अयोध्या जी ??


विश्व हिंदू परिषद और राम जन्मभूमि न्यास फैजाबाद जिले और अयोध्या जिले को मिलाकर उसको ‘श्री अयोध्या’ का नया नाम देने की मांग उठा रहे हैं


इलाहाबाद का नाम बदलने के बाद जल्द ही उत्तर प्रदेश के कुछ और शहरों का भी नाम बदला जा सकता है. इस कड़ी में अगला नंबर फैजाबाद का हो सकता है. विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और राम जन्मभूमि न्यास फैजाबाद और अयोध्या को मिलाकर उसको ‘श्री अयोध्या’ का नया नाम देने की मांग कर रहे हैं.

वीएचपी के प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा, योगी आदित्यनाथ सरकार का इलाहाबाद शहर का नाम बदलकर प्रयागराज करने का फैसला स्वागतयोग्य है. सरकार को जनभावनाओं का ख्याल रखना चाहिए और फैजाबाद का भी नाम बदलकर श्री अयोध्या रख देना चाहिए.’

उन्होंने कहा कि योगी सरकार, जिसने पिछले साल अयोध्या फैजाबाद नगर निगम का गठन किया था, उसे यहां के साधु-संतों की मांग का ख्याल रखते हुए आने वाली दीवाली के ‘दीपोत्सव’ उत्सव के दौरान शहर का नाम बदल देना चाहिए.

वीएचपी के सेंट्रल एडवायजरी बोर्ड के सदस्य पुरुषोत्तम सिंह ने भी ऐसी ही इच्छी जताई. उन्होंने कहा, ‘जब इलाहाबाद का नाम प्रयागराज बदल सकता है तो फिर फैजाबाद को अयोध्या क्यों नहीं हो सकता? फैजाबाद जिले और अयोध्या जिले को मिला देना चाहिए और उसका नया नाम अयोध्या कर देना चाहिए’

योगी सरकार के मंत्रिमंडल ने मंगलवार को सर्वसम्मति से इलाहाबाद का नाम बदलकर उसे प्रयागराज कर दिया. डेढ़ वर्ष पूर्व सत्ता में आने के बाद से सरकार ने यह तीसरा बड़ा नाम बदला है.

बीजेपी सरकार ने इससे पहले दो रेलवे स्टेशनों का नाम बदला था- पहला आगरा के पास फराह और दूसरा मुगलसराय जंक्शन. मुगलसराय जंक्शन का नाम पार्टी के संस्थापकों में से एक दीन दयाल उपाध्याय के नाम पर रखा गया है.

कन्हैया पर दो दिनों में मारपीट, दंगा भड़काने ओर हत्या के प्रयास की दो प्राथमिकियां दर्ज़


सन 2011 से जेएनयू से अफ्रीका पर पीएचडी कर रहे कन्हैया, अब सीपीआई द्वारा महागठबंधन के बेगुसराय से चुनावी उम्मीदवार। 

बिहार को जेएनयू समझने वाले कन्हैया क्या जानबूझ कर ब्राह्मणों को अपनी हिंसा का शिकार बनाते हैं, सोनू कुमार भारद्वाज ओर डॉविश्वनाथ पांडे, दो ही दिनों में दो पुलिस प्राथमिकियों का सामना करना पड़ गया।

कन्हैया का व्यवहार हस्पताल, प्रशासन ओर पुलिस सभी के लिए मुसीबत बन रहा है। स्वस्थ्य मंत्री ने भी इसकी तसदीक की है। 

अब पुलिस कन्हैया को बेल मिलने तक उसकी तालाश जारी रखेगी। 


पटना में ऑल इंडिया इंस्‍टीच्‍यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्‍स) में मारपीट की एफआइआर के बाद जवाहरलाल नेहरू विवि छात्र संघ के पूर्व अध्‍यक्ष कन्‍हैया कुमार फिर नई मुसीबत में हैं। ताजा मामला बेगूसराय के भगवानपुर बाजार स्थित दुर्गा मंदिर के समीप दुर्गा पूजा समिति के सदस्‍यों से मारपीट का है।

मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार की देर शाम जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के समर्थकों एवं स्थानीय पूजा समिति के कार्यकर्ताओं के बीच जमकर मारपीट हुई। मारपीट में पूजा समिति के दो कार्यकर्ताओं के सिर फट गए। उग्र लोगों ने कन्हैया के काफिले में शामिल आधा दर्जन वाहनों के शीशे तोड़ दिए। दोनों ओर से अलग-अलग थानों में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।

दुर्गा पूजा समिति सदस्‍यों से मारपीट

कन्हैया की मंसूरचक में सभा थी। वे वाहनों के काफिले के साथ सभा कर अपने गांव बीहट लौट रहे थे। रास्ते में भगवानपुर बाजार स्थित बाइक शोरूम के प्रथम तल पर संचालित एक निजी कोचिंग संस्थान के संचालक से मिलने के लिए कन्हैया रुक गए। उनके काफिले की सारी गाडिय़ां सड़क पर रुक गईं। इससे जाम लग गया।

इसपर बगल में सजे दुर्गा पूजा पंडाल समिति के कार्यकर्ताओं ने गाडिय़ों को साइड करने को कहा। इसी पर दोनों पक्षों में विवाद शुरू हो गया। देखते-देखते मारपीट शुरू हो गई।

जमकर चले लाठी-डंडे, दो के सिर फटे

कन्हैया के समर्थकों ने गाड़ी में मौजूद लाठी-डंडों से पूजा समिति के कार्यकर्ताओं पर हमला बोल दिया। पूजा समिति के सदस्य दहिया निवासी सानू कुमार भारद्वाज एवं एक अन्य कार्यकर्ता के सिर फट गए। आधा दर्जन अन्य कार्यकर्ताओं को भी चोटें आईं। यह देख लोगों का आक्रोश फूट पड़ा और उन्होंने आधा दर्जन वाहन क्षतिग्रस्त कर दिए। इसके बाद दोनों पक्षों में जमकर लाठियां चलीं।

कन्हैया व उनके समर्थक बवाल बढ़ते देख वहां से निकल बरौनी थाने जा पहुंचे। भगवानपुर थानाध्यक्ष दीपक कुमार ने बताया कि घायल पूजा समिति के कार्यकर्ताओं का उपचार कराया जा रहा है। घायलों के आवेदन पर कन्हैया और उनके समर्थकों पर  प्राथमिकी दर्ज की गई है। दूसरी ओर, बरौनी थाना अध्यक्ष गजेंद्र सिंह ने बताया कि कन्हैया ने भी जानलेवा हमले की शिकायत दर्ज कराई है।

एसएचओ दीपक कुमार ने बताया, ‘147, 149, 307, 504, 295 समेत कई अन्य धाराओं में कन्हैया कुमार के खिलाफ सोनू कुमार ने मुकदमा दर्ज कराया है। हम इस कोशिश में जुटे हुए हैं कि जल्द से जल्द कन्हैया कुमार का पता कर उनको गिरफ्तार किया जा सके।’

बता दें कि सोमवार को पटना एम्स प्रशासन ने आरोप लगाया था कि कन्हैया और उनके समर्थकों ने जूनियर डॉक्टरों से हाथापाई की। इस मामले में भी फुलवारी शरीफ पुलिस स्टेशन में कन्हैया समेत एआईएसएफ नेता सुशील कुमार के खिलाफ नामजद और 80-100 अज्ञात समर्थकों के खिलाफ एम्स प्रशासन ने एफआईआर दर्ज कराई है।

 

यह है पूरा मामला

 

पटना स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) प्रशासन ने अस्पताल परिसर में घुस कर डॉक्टरों के साथ धक्कामुक्की करने और सुरक्षा गार्ड्स के साथ हाथापाई करने का आरोप लगाते हुए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ अध्यक्ष के पूर्व छात्र कन्हैया कुमार  के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है.

कन्हैया  अपने समर्थकों के साथ रविवार को ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन के नेता सुशील कुमार को देखने पटना एम्स पहुंचे थे. बताया जा रहा है कि वहां ऑर्थोपेडिक्स विभाग में डॉक्टरों से उनकी झड़प हो गई. खास तौर पर डॉक्टर विश्वनाथ पांडे ने कन्हैया पर बदतमीजी करने का आरोप लगाया. कन्हैया पर गार्डों के साथ बकझक करने का भी आरोप लगाया गया है.

इस बीच बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कन्हैया कुमार को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि “अस्पताल में उनकी शरारतें नहीं चलेंगी. उन्होंने कहा, कन्हैया को बता देना चाहता हूं कि बिहार दिल्ली का जेएनयू नहीं हैं जहां कुछ भी कर के चले जाइएगा. मैंने एम्स के निदेशक से कहा है कि जल्दी मामले की रिपोर्ट दें. कन्हैया पर कड़ी कार्रवाई होगी.”


मंगल पांडे ने कहा कि कन्हैया उपद्रवी तत्व है, उसकी पहचान उसी तरीके की है. उन्होंने कहा, “मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि अगर बिहार के अंदर सरकारी असप्ताल मे हंगामा करेंगे तो कानून अपना काम करेगा. अस्पताल में डॉक्टरों ने उनके साथ सही सलूक किया है. जब तक पुलिस आती तब तक कन्हैया भाग गए थे.”

बता दें कि कन्हैया कुमार सीपीआई के टिकट पर बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.

आशीष पांडे : लुक आउट नोटिस जारी ओर हथियारों के लाइसेन्स भी कैंसिल

 

दिल्ली पुलिस ने आरके पुरम स्थित फाइव स्टार हयात होटल में गुंडागर्दी करने वाले पूर्व बीएसपी सांसद राकेश पांडे के बेटे आशीष पांडे के खिलाफ देश भर के एयरपोर्ट पर लुकआउट नोटिस जारी किया है. साथ ही उत्तर प्रदेश-नेपाल सीमा पर भी अलर्ट जारी किया गया है.

मंगलवार को आशीष के हयात होटल में सरेआम हथियार लहराने वाला वीडियो सामने आने के बाद उसकी गिरफ्तारी के लिए दिल्ली पुलिस की दो टीमें लगातार छापेमारी कर रही हैं.

इसके अलावा पुलिस ने उसके हथियारों की जानकारी जुटाने के बाद उसके आर्म्स लाइसेंस कैंसिल कराने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है.

पुलिस ने इस मामले की जानकारी छुपाने के लिए हयात होटल के खिलाफ भी केस दर्ज किया है. बताया जा रहा है कि पुलिस ने घटना के वक्त आरोपी के साथ मौजूद एक व्यक्ति के साथ इस मामले में पूछताछ की है

बता दें कि दिल्ली में हयात होटल के एंट्रेस गेट पर हथियार लहराने पर बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के पूर्व सांसद राकेश पांडे के बेटे आशीष पांडे के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने मामला दर्ज किया है. आशीष पांडे के खुलेआम हथियार लहराने और एक महिला को धमकी देने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था.

यह घटना 13 और 14 अक्टूबर की दरम्यानी रात हुई थी. जब आशीष अपनी कुछ महिला मित्रों के साथ पार्टी करने होटल गया था. यहां उसका वहां आए एक अन्य कपल से किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया जिसमें उसने अपनी पिस्तौल निकालकर सरेआम उन्हें धमकी दी.

आरोपी आशीष पांडेय लखनऊ का रहने वाला है और उसके चाचा पवन पांडे और बड़ा भाई रितेश पांडेय वर्तमान में बीएसपी का विधायक है.

 

बहुजन समाजवादी पार्टी का पल्ला झाड़ना:

बहुजन समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद के बेटे पर मंगलवार को दिल्ली में हयात रीजेंसी होटल के बाहर मेहमानों पर बंदूक तानने और उन्हें धमकी देने के लिए केस दर्ज कर लिया गया. उधर पार्टी ने इस घटना से खुद को दूर कर लिया है. वरिष्ठ बीएसपी नेता सुधींद्र भदोरिया ने कहा कि आरोपी, आशीष पांडे, न तो पार्टी का नेता हैं और न ही बीएसपी का सदस्य है. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद राजनीतिक प्रतिक्रियाएं तेज हो गईं.

भदोरिया ने कहा- ‘वह चाहे जो भी है. उचित जांच होनी चाहिए और कार्रवाई की जानी चाहिए. इस घटना का बीएसपी के साथ कोई संबंध नहीं है. वह न तो नेता है और न ही बीएसपी का सदस्य है.’

घटना रविवार तड़के दिल्ली के आरके पुरम स्थित हयात होटल में हुई थी. दिल्ली पुलिस ने लखनऊ के रहने वाले आशीष पांडे के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया था. आरोपी आशीष पांडे का भाई रितेश पांडे उत्तर प्रदेश विधानसभा में विधायक है. दिल्ली पुलिस ने कहा कि आर्म्स एक्ट और विभिन्न आईपीसी तहत एफआईआर दर्ज कर ली गई है.

हयात रीजेंसी ने जांच में सहयोग का आश्वासन दिया:

होटल के अधिकारियों ने मंगलवार को कहा कि वे पुलिस के साथ पूरी तरह से सहयोग कर रहे हैं और घटना को गंभीरता से ले रहे हैं. होटल ने आज जारी एक बयान में कहा, ‘दिल्ली के हयात रीजेंसी में हुई इस घटना को हम पूरी गंभीरता से ले रहै हैं और स्थानीय पुलिस अधिकारियों के साथ काम कर रहे हैं.’

पीड़ित ने क्या कहा:

एक टीवी चैनल द्वारा संपर्क करने पर एक पीड़ित ने कहा कि ‘आरोपी बंदूक लेकर उनकी तरफ आया और उन्हें गालियां देने लगा. होटल के लोग वहां थे और उन्होंने बीच बचाव करने की कोशिश की. लेकिन वो भी ज्यादा कुछ कर नहीं पाए क्योंकि वो भी डरे हुए थे.’

राजनीति तेज:

आम आदमी पार्टी ने इस घटना पर मौका लपकते हुए केंद्र को घेर लिया और कहा कि दिल्ली पुलिस को नियंत्रित करने वाली केंद्र सरकार शहर में कानून व्यवस्था को बनाए रखने में पूरी तरह विफल रही है.

बीजेपी दिल्ली इकाई के प्रमुख मनोज तिवारी ने कहा कि घटना में उचित जांच की जानी चाहिए. सीसीटीवी फुटेज के रूप में घटना के सबूत मौजूद हैं. गृह राज्य मंत्री किरेन रिजजू ने कहा कि पुलिस ने मामले में कार्रवाई शुरू कर दी है. उन्होंने ट्वीट किया कि- ‘दिल्ली पुलिस ने इस घटना पर कार्रवाई शुरू कर दी है. आर्म्स एक्ट और आईपीसी के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. मजबूत और उचित कार्रवाई की जाएगी. इसके साथ ही दूसरे लोगों की पहचान की जा रही है.’

वहीं कांग्रेस नेता और सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा( are you serious, वाले) ने घटना के बाद शहर में कानून और व्यवस्था की स्थिति पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा कि, ‘मैं अपने बच्चों और हमारे शहर के लोगों की सुरक्षा के लिए बहुत डरा हुआ हूं.’

उधर पीड़ित के पिता कांग्रेस पार्टी के पूर्व विधायक कंवर करन सिंह ने कहा है कि बीएसपी सांसद द्वारा बंदूक दिखाए जाने की वजह से उनका बेटा बहुत डर गया था इसलिए पुलिस के पास शिकायत लेकर नहीं गया.

विवाद क्यों हुआ:

होटल के सुरक्षा कर्मचारियों ने पुलिस को बताया कि आरोपी और पीड़ित होटल के नाइट क्लब में पार्टी कर रहे थे. दोनों ही पक्षों के बीच वाशरूम का इस्तेमाल करने के लिए बहस शुरु हुई. घटना के वक्त पीड़ित और आरोपी पक्ष दोनों ही शराब के नशे में थे. आरोपी के साथ आई एक महिला ने पीड़ितों से दुर्व्यवहार किया और उन्हें ‘ट्रांसजेंडर’ कहा. इसी पर बात बढ़ गई और यहां तक आ पहुंची.

पुलिस के अनुसार आरोपी के बंदूक की डिटेल निकाल ली गई है और उसके लाइसेंस को रद्द करने की प्रक्रिया शुरु कर दी गई है. हालांकि आरोपी अभी तक पुलिस के चंगुल से फरार है. शुरु में आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के खंड बाद में घटना की शिकायत दर्ज होने के बाद जोड़े गए. हालांकि घटना की शिकायत भी तब दर्ज कराई गई जब वायरल वीडियो के आधार पर पुलिस ने होटल से संपर्क किया. होटल के सहायक सुरक्षा प्रबंधक ने सोमवार को शिकायत दर्ज कराई.

संयुक्त पुलिस आयुक्त (नई दिल्ली) अजय चौधरी ने कहा कि यह घटना 14 अक्टूबर को 3.40 बजे तड़के हुई थी. ‘उस दिन न तो पीड़ित और न ही होटल के कर्मचारियों द्वारा कोई शिकायत दर्ज कराई गई.’ उन्होंने कहा कि तीनों पक्षों – पीड़ित, होटल अधिकारियों और आरोपी की तरफ से लापरवाही बरती गई है.

होटल प्रबंधन की इस लापरवाही को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है और पूछा है कि उनकी लापरवाही को देखते हुए क्यों न उनका लाइसेंस रद्द कर दिया जाए.