अयोध्या मामले पर जनवरी 2019 तक टली सुनवाई इसके राजनैतिक मायने


अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अब सुनवाई को जनवरी 2019 तक के लिए टाल दिया है.


अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अब सुनवाई को जनवरी 2019 तक के लिए टाल दिया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक जनवरी में ही तय होगा कि इस मामले की नियमित सुनवाई होगी या नहीं. इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस के कौल और जस्टिस के एम जोसेफ की बेंच में हो रही है जिनकी तरफ से यह फैसला आया है.

इससे पहले 27 सितंबर को सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने 1994 के अपने फैसले पर पुनर्विचार से इनकार कर मस्जिद को इस्लाम का आंतरिक हिस्सा मानने से इनकार कर दिया था. उस वक्त इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर कर रहे थे. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 27 सितंबर को अपने फैसले में 2:1 से आदेश दिया था कि अयोध्या मामले की सुनवाई सबूतों के आधार पर होगी. 27 सितंबर के फैसले के बाद 29 अक्टूबर की तारीख तय की गई थी जिसके बाद अब वर्तमान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने जनवरी तक सुनवाई को टाल दिया है.

गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 सितंबर, 2010 को दिए अपने फैसले में 2:1 के बहुमत से अयोध्या की उस 2.77 एकड़ जमीन को तीनों पक्षों सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला में बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया था. इसे फैसले के खिलाफ ही सुप्रीम कोर्ट में सभी पक्षों की तरफ से याचिका दायर की गई है, जिस पर सुनवाई की जानी है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करेगी सरकार ?

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ऐसे वक्त में आया है जबकि संघ परिवार की तरफ से फिर से मंदिर निर्माण को लेकर सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है. मोदी सरकार मंदिर निर्माण को लेकर पहले से ही अपना स्टैंड साफ कर चुकी है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार किया जाएगा या फिर आपसी समहति से ही बीच का रास्ता निकालकर वहां मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त होगा. सरकार के सूत्रों के मुताबिक, सरकार अभी भी अपने उसी स्टैंड पर कायम रहेगी.

लेकिन, इस बीच संघ परिवार का दबाव सरकार पर आने वाला है. संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत की तरफ से इस मामले में कानून बनाने की मांग कर दी गई है. दूसरी तरफ विश्व हिंदू परिषद यानी वीएचपी ने साधु-संतों के साथ मिलकर अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने को लेकर जनजागरण अभियान पहले ही शुरू कर रखा है. संतों की उच्चाधिकार समिति की बैठक में वीएचपी नेताओं और साधु-संतों ने भव्य मंदिर निर्माण को लेकर सांसदों का उनके संसदीय क्षेत्र में घेराव करने और संसद मे कानून बनाने की मांग को लेकर सांसदों के अलावा हर राज्य में राज्यपालों से मिलकर ज्ञापन सौंपने का कार्यक्रम है. साधु-संत प्रधानमंत्री से मिलकर भी राम मंदिर निर्माण के लिए सरकार की पहल की मांग करने वाले हैं.

बीजेपी के फायरब्रांड नेताओं की बयानबाजी

संघ परिवार के मुखिया की तरफ से जल्द राम मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाने की मांग करने के बाद बीजेपी के भीतर भी उन नेताओं को खुलकर अपनी बात रखने का मौका मिल गया है जो राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे हैं या जो खुलकर हिंदुत्व के मुद्दों को उठाते रहे हैं.

बीजेपी नेता और पूर्व सांसद विनय कटियार ने राम मंदिर आंदोलन मामले में देरी के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि कांग्रेस नहीं चाहती कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राम मंदिर पर कोई फैसला आए जिसके चलते इतनी देरी हो रही है.

उधर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि हिंदुओं का सब्र अब टूट रहा है. उन्होंने कहा, ‘मुझे भय है कि हिंदुओं का सब्र टूट गया तब क्या होगा?’

विनय कटियार औऱ गिरिराज सिंह के बयान से साफ है कि बीजेपी के भीतर एक बड़ा तबका है जो इस मुद्दे पर संघ परिवार और साधु-संतों की लाइन पर चल रहा है. बीजेपी का यह धड़ा हर हाल में अध्यादेश लाकर या फिर कानून बनाकर राम मंदिर का रास्ता साफ करना चाहता है. लेकिन, फिलहाल सरकार के लिए यह सबसे बड़ी मुश्किल है कि इस मुद्दे पर कानून या अध्यादेश का रास्ता अख्तियार करे.

अब क्या होगा फैसले का असर ?

सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी संगठन और सरकार इस मुद्दे पर काफी संभलकर चल रहे हैं. पांच सालों के अपने काम-काज और बेहतर प्रशासन के मुद्दे पर चुनावी मैदान में उतरने की सोंच रहे सरकार के लोगों को उम्मीद थी कि अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला चुनाव से पहले आ जाता है तो उन्हें इसका सीधा सियासी फायदा हो सकता है. बीजेपी के रणनीतिकारों को उम्मीद थी कि चुनाव से पहले इस मुद्दे पर फैसला चाहे जो भी हो उस पर हो रहे सियासी ध्रुवीकरण का फायदा उन्हें ही मिलेगा

बीजेपी नेताओं के बयानों से इसकी झलक भी मिल रही थी. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी राम मंदिर पर बयान आया लेकिन, उसके बाद उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का यह बयान माहौल को ज्यादा गरमाने वाला था जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का फैसला राम मंदिर के विपरीत आने पर भी कानून बनाकर अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की बात की थी.

 

बीजपी नेताओं और संघ परिवार की तरफ से यूपी समेत देश भर में जो माहौल बनाया जा रहा था उसी का परिणाम था कि अचानक राष्ट्रीय स्तर पर यह मसला फिर से उछलने लगा. लेकिन, कोर्ट के फैसले ने उनकी रणनीति पर फिलहाल पानी फेर दिया है.

दूसरी तरफ, कांग्रेस भले ही राम मंदिर मुद्दे पर अदालत के फैसले को मानने की ही बात कर रही थी, लेकिन, वो नहीं चाहती थी कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला चुनावों से पहले हो. कांग्रेस को इस बात का एहसास है कि लोकसभा चुनाव से पहले अयोध्या मुद्दे पर अगर फैसला आ जाता तो फिर फैसला जो भी हो, उस पर नुकसान कांग्रेस को ही होता. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी दोनों ही सूरत में अयोध्या मसले को अपने हिसाब से भुनाने और ध्रुवीकरण की राजनीति करने में माहिर है, लिहाजा फायदा उसे ही मिलता.

मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल ने भी दलील देकर 2019 के लोकसभा चुनावों तक अयोध्या मामले को टालने की अपील की थी. उसके बाद से ही बीजेपी और संघ परिवार की तरफ से कांग्रेस पर हमला किया जा ता रहा है.

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कांग्रेस के सॉफ्ट हिंदुत्व को काट पाएगी बीजेपी ?

दूसरी तरफ, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस वक्त चुनावों से पहले सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर हैं. कभी शिवभक्त तो कभी रामभक्त बनकर राहुल गांधी लगातार अपने-आप को ‘हिंदू’ के तौर पर पेश कर रहे हैं. अगर चुनाव से पहले राम मंदिर पर कोई फैसला आता है तो फिर कांग्रेस अध्यक्ष के हिंदुत्व कार्ड की हवा निकल जाएगी और बीजेपी पूरा फायदा ले लेगी. यही डर कांग्रेस को था, लेकिन, सूत्रों के मुताबिक, अब सुनवाई टलने से अंदर खाने कांग्रेस खेमे में खुशी ही है. सूत्रों की मानें तो सर्वोच्च नयायालय में एक कांग्रेसी डीएनए से सराबोर है जो कपिल सिबल के प्रत्येक आदेश का अक्षरश: पालन करेगा और उन्हे फायदा पंहुचाएगा,  भाजपा इस मामले में कुछ भी नहीं कर सकती। राम मंदिर मुद्दे पर उनकी हवा निकाल गयी है।

हालांकि संघ परिवार की तरफ से अभी भी अध्यादेश या कानून के जरिए राम मंदिर मुद्दे पर आगे बढ़ने के लिए दबाव बनाया जाएगा. कुछ लोगों का तर्क यह भी है कि अध्यादेश या कानून पर समर्थन और विरोध की सूरत में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का भी हिंदुत्व कार्ड फ्लॉप हो जाएगा, लेकिन, सरकार इस संवेदनशील मसले पर अध्यादेश शायद ही लाए. ऐसे में संघ परिवार और साधु-संतों का आंदोलन चलता रहेगा जिसके जरिए 2019 तक इस मसले को जिंदा करने की कोशिश की जाती रहेगी.

To build Ram Mandir, BJP should do what Indira Gandhi did!

Despite the Allahabad High Court giving its  verdict in 2010 that the Babri structure was built over the ruins of an existing temple ( believed to be  that of  Maryada Purushottam  Rama’s at the Janmasthan),   the Babri Masjid Action Committee  incited and supported  by the  “eminent” Marxist historians and “secular”  warriors of the  JNU, AMU etc,  the matter had been taken to the Supreme Court which seems to be  avoiding a verdict .  Even if Supreme Court gives a verdict in favour of  Rama Mandir the irredentist will take to some other  artifice to not allow the construction of  the temple.  However, the  temple can be  constructed if  the present government  takes a lesson from Indira Gandhi and  implements  her method.

When 14 banks were nationalised, they went to the Supreme Court which gave a judgement that nationalisation was  ultra-vires . Indira Gandhi got an ordinance signed by the President and took over the banks.  She then wanted to abolish the privy purses which required  an amendment to the Constitution. The amending bill was passed  in the  Lok Sabha but was defeated  by one  vote in Rajya Sabha.  Indira Gandhi  dissolved the  Lok Sabha and went for the  mid-term polls.  By her oratory espousing the cause of the  poor and socialism for which the abolition of the  privy purses and other  poor –oriented  measures were necessary, she got a thumping  majority  in the midterm elections in 1972.  She  amended the Constitution and  the  privy purses were  abolished.

If The BJP and the government  led by it are to be proved  sincere in their commitment to the  re-construction of the Rama temple on the  Janmasthan in Ayodhya, Indiraji’s way is the only recourse they should take to ie, issue an ordinance; if it is struck by the  Supreme Court, dissolve Lok Sabha, go for early election with Ram Mandir as the  prime issue; win it and let the  Mandir be constructed and  close this  matter ones for all.

Supreme Court adjourns Ayodhya dispute matter, 3-judge bench led by CJI Gogoi says date of hearing will be fixed in January


70 years, 2 minutes, indefinite date of January 2019

Why if one sees Congress Connection in SC

Sibal is obeyed today

When parties indicate urgency and an early hearing, CJI-led Bench clarifies that it cannot really say when hearing will begin.


A three-judge Bench of the Supreme Court, led by Chief Justice of India (CJI) Ranjan Gogoi, on Monday posted the Ayodhya title suit appeals in January before an appropriate Bench to fix a date for hearing the case.

When parties indicated urgency and an early hearing, the CJI-led Bench clarified that it cannot really say when hearing would begin. It left it to the discretion of the “appropriate Bench” before which the matter would come up on January.

“We have our own priorities… whether hearing would take place in January, March or April would be decided by an appropriate Bench,” the CJI said.

The CJI repeated that all the court was ordering was that the appeals would come up in January first week before a Bench “not for hearing but for fixing the date of hearing”.

On September 27, a three-judge Bench of the court led by then Chief Justice Dipak Misra, in a majority opinion, decided against referring the question ‘whether offering prayers in a mosque is an essential part of Islam’ to a seven-judge Constitution Bench.

With this, the court had signalled that it would decide the appeals like any other civil suit, based on evidence, and pay little heed to arguments about the “religious significance” of the Ayodhya issue and the communal strife it has led to over the past many years.

The Misra Bench’s judgment, authored by Justice Ashok Bhushan on the Bench, directed the hearing in the appeals to start from October 29. This last paragraph in the September 27 judgment led to questions whether the court would deliver a judgment in the appeals before the May 2019 general election.

These appeals are against the September 30, 2010 verdict of the Allahabad High Court to divide the disputed 2.77 acre area among the Sunni Waqf Board, the Nirmohi Akhara and Ram Lalla. The Bench had relied on Hindu faith, belief and folklore.

Lord Ram’s birthplace

The High Court concluded that Lord Ram, son of King Dashrath, was born within the 1,482.5 square yards of the disputed Ramjanmabhoomi-Babri Masjid premises over 900,000 years ago during the Treta Yuga. One of the judges said the “world knows” where Ram’s birthplace was while another said his finding was an “informed guess” based on “oral evidences of several Hindus and some Muslims” that the precise birthplace of Ram was under the central dome.

The final hearings in the Ayodhya appeals began before the Misra Bench, also comprising Justice S. Abdul Nazeer, on December 5 last.

The day happened to be the eve of the 25th anniversary of the demolition of the 15th century Babri Masjid by kar sevaks on December 6, 1992. The appeals were taken up after a delay of almost eight years. They remained shelved through the tenures of eight Chief Justices of India from 2010.

However, the Muslim appellants, a cross-section of Islamic bodies like the Sunni Wakf Board and individuals, had drawn the Bench’s attention to certain paragraphs in a 1994 five-judge Constitution Bench judgment in the Dr Ismail Faruqui case. One of these paragraphs stated that “a mosque is not an essential part of the practice of the religion of Islam and namaz [prayer] by Muslims can be offered anywhere, even in open”.

Mosque and Islam

“So is the mosque not an essential part of Islam? Muslims cannot go to the garden and pray,” their lawyer and senior advocate Rajeev Dhavan had asked the court. He asked the Bench to freeze the Ayodhya appeals’ hearing till this question is referred and decided by a seven-judge Bench.

In their majority view, Chief Justice (retired) Misra and Justice Bhushan refused to send the question to a seven-judge Bench. Their opinion said the observations were made in the context of the Faruqui case which was about public acquisition of places of religious worship. It should not be dragged into the Ayodhya appeals. The minority decision authored by Justice Nazeer dissented with the majority on the Bench, and said this observation about offering prayer in a mosque influenced the Allahabad High Court in 2010. He questioned the haste of the court.

During the maiden Supreme Court hearing of the Ayodhya appeals last year, senior advocate Kapil Sibal suggested to the court to post the Ayodhya hearings after July 15, 2019.

Along with Mr. Sibal, senior advocate Dushyant Dave and Mr. Dhavan argued that the Ayodhya dispute was not just another civil suit. The case covered religion and faith and dates back to the era of King Vikramaditya. It is probably the most important case in the history of India which would “decide the future of the polity”. The appeals would have the court decide “whether this is a country where a mosque can be destroyed”.

“These appeals go to the very heart of our secular and democratic fabric,” Mr. Dhavan had submitted.

Mr. Sibal had alleged the government was using the judiciary to realise its agenda for a Ram mandir assured in the ruling BJP’s 2014 election manifesto.

विश्व हिंदू परिषद मन्दिरों का सरकारीकरण नहीं समाजीकरण चाहता है — सुरेंद्र जैन

मन्दिरों की व्यवस्था के नाम पर अव्यवस्था आज हिन्दू समाज के लिए बहुत ही दुर्भाग्य की बात है। सरकार द्वारा अधिकृत मन्दिरों को हिन्दू समाज को सौंपा जाए जिससे कि आस्था और संस्कृति को ठेस लगने से बचाया जाए। ऐसे ही विचार आज विश्व हिंदू परिषद के केन्द्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ सुरेंद्र जैन ने एक प्रेसवार्ता में रखे।

डॉ जैन के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल आज परिषद के दूसरे चरण के कार्यक्रम के तहत हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य से मिले और राम मंदिर निर्माण को लेकर हरियाणा की जनता की भावनाओं से अवगत करवाया।

प्रयागराज में 31 जनवरी और 1 फरवरी को धर्म संसद का आयोजन किया जाएगा जिसमें मन्दिर निर्माण पर विचार विमर्श किया जाएगा । इस संसद में सन्तों द्वारा लिया गया निर्णय सर्वमान्य होगा।

भाजपा द्वारा राम मन्दिर को चुनावी मुद्दा बनाये जाने पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए द सुरेंद्र जैन ने कहा कि इस सामाजिक और धार्मिक मुद्दे को कांग्रेस ने ही सर्वप्रथम राजनैतिक रंग दिया है।

उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद ही नहीं बल्कि भरोसा है कि मौजूदा केंद्रीय सरकार और संसद में विधेयक लाएगी और राम मन्दिर का निर्माण कार्य आरम्भ करवाए गी ।

क्योंकि सरकार में शामिल लोग वही है जो कि राम मन्दिर निर्माण पर कन्धे से कन्धा मिला कर परिषद के साथ रहे
हालांकि न्यायपालिका से उन्हे उम्मीद थी कि इस केस की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति अपनी सेवानिवृति से पहले इस मामले में निर्णय लेते परन्तु किसी कारण ऐसा नहीं हो सका।

परन्तु हिन्दू अनन्तकाल तक निर्णय की प्रतीक्षा नहीं कर सकता। इसलिए जल्दी ही निर्णय लिया जाएगा । वर्ष 1950 से न्यायपालिका के माध्यम से भी संघर्ष जारी है। इतना ही नहीं हिन्दू समाज ने 1528 से 76 बार राम जन्मभूमि को मुक्त करवाने हेतु संघर्ष किया 77वें संघर्ष में 1992 में राम जन्म भूमि को मुक्त करवाया गया इसके बावजूद राम लला अभी तक टेण्ट में विराजमान हैं जिससे कि जनता की भावनाएं विद्वेलित होती हैं।

समय समय पर देश के प्रधानमंत्रियों से भी बातचीत चलती रही हर बार केवल आश्वासन ही मिल।

भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने वाले मुस्लिमों को डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम की बजाए बाबर के साथ जोड़ते हैं जो कि एक विदेशी हमलावर था। किसी भी विदेशी हमलावर द्वारा किये गए निर्माण को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा नहीं दिया जा सकता

राम मन्दिर निर्माण के समर्थन में नवम्बर और दिसम्बर के महीनों में परिषद के प्रतिनिधि मंडल हर क्षेत्र के स्थानीय सांसद से मिलकर उनसे आग्रह करेंगे कि संसद में इस मामले में कानून बनाने में आगे बढ़ें । इसके अतिरिक्त सभी मतों के साधुसंतों से भी आग्रह किया जाएगा कि वे अपने सम्बन्धित धर्म स्थलों पर अपनी पद्धति के अनुसार मन्दिर निर्माण कार्य की सफलता के लिए अनुष्ठान करें।

विहिप के पूर्व अध्यक्ष डॉ प्रवीण तोगड़िया के विषय मे बात करते हुए उन्होंने बताया कि संगठन से अलग होने का उनका व्यक्तिगत निर्णय था इसमें संगठन की कोई भूमिका नहीं।

प्रेसवार्ता में सन्त समाज से महामंडलेश्वर शाश्वतनन्द , महामंडलेश्वर दिव्यानन्द , साध्वी अमृता, सन्त रवि शाह, आदि भी उपस्थित रहे

स्वामी सानंद (जी डी अग्रवाल) के बलिदान की स्मृति में और संत गोपाल दास के तप के लिए सामूहिक प्रार्थना

गंगा-भक्त स्वामी सानंद (जी डी अग्रवाल)

गंगा की आस्था-पवित्रता बनाए रखने के लिए गंगा-भक्त स्वामी सानंद (जी डी अग्रवाल) ने 111 दिन अनशन के बाद शरीर का त्याग कर दिया. गंगा भक्त के इस बलिदान के स्मृति में और संत गोपाल दास (121वां दिन अनशन) के तप के लिए 21 अक्टूबर दिन रविवार को उत्तर प्रदेश के अधिकांश जिलों में सामूहिक प्रार्थना, यज्ञ-हवन, आरती, सभा इत्यादि का आयोजन हो रहा है. लखनऊ में भी गांधी प्रतिमा हज़रतगंज पर शाम 4 से 6 सामूहिक प्रार्थना किया गया. इसमें शहर के दर्जनों गणमान्य नागरिक शामिल हुए.

आलोक ने कहा कि गंगा केवल नदी नहीं है यह भारतीय सभ्यता संस्कृति का तप है, मूल है जो आस्था पर टिकी है. गंगा पर संकट का मतलब पूरी भारतीय सभ्यता संस्कृति पर संकट से है. अतहर ने गंगा पर जी डी अग्रवाल का बलिदान बेकार नहीं जाएगा. पूरा समाज एकजुट होकर जी डी अग्रवाल की इच्छा को पूरा करेगा. संतोष परिवर्तक ने गंगा और उसके लिए हो रहे बलिदानों पर स्वलिखित कविता सुनाई. कार्यक्रम में लाल बहादुर राय, इमरान, नायब इमाम टीले वाली मस्जिद, उषा विश्वकर्मा, आफरीन, मोहित, प्रदीप पाण्डेय, हरिभान यादव इत्यादि लोग शामिल हुए.

ऐसा लगता है कि सरकार ने तय कर लिया है कि वह प्रत्यक्ष उदाहरण से अंग्रेजी राज के जुल्मों की याद दिलाएगी। चंडीगढ़ पीजीआई में भी संथारा की घोषणा कर चुके संत गोपाल दास जी पर प्रशासन के अत्यचार जारी हैं। 18 अक्टूबर की आधी रात में पीजीआई पहुंचाए गए संत गोपालदास जी ने फिर से एलोपैथिक ट्रीटमेंट न लेने का अपना प्रण दोहराया साथ ही कहा कि यदि सरकार को बहुत जरूरी लगे तो यूनानी या आयुर्वेद चिकित्सा कर सकती है। उनकी देखभाल के लिए बनी पीजीआई मेडिकल टीम ने इस सब पर अपनी रिर्पोट बनाते हुए सन्त जी को दिल्ली एम्स रेफर करने की सलाह दी। लेकिन पीजीआई के निदेशक ने इसकी अनुमति नहीं दी। इसके बाद चंडीगढ़ प्रशासन एक बड़े अमले के साथ पीजीआई पहुंचा, सन्त जी के सहयोगियों को बाहर किया और फोर्स फीडिंग शुरू कर दी। सन्त जी ने यथाशक्ति इसका विरोध करते हुए अपनी नाक में ठूंसी गई नली निकाल कर बाहर फेंक दी। इसके बाद प्रशासन ने उनके दोनों हाथ ही बांध दिये। अस्पताल में उपस्थित सूत्रों के अनुसार सन्त जी के साथ पहले से ही हरिद्वार से चार पुलिस कर्मियों की ड्यूटी थी अब चंडीगढ़ पुलिसकर्मियों की ड्यूटी भी लगा दी है। एक 40 किलो वजनी कृशकाय हो चुके सन्त के साथ यह व्यवहार सरकार के डर की गहराई ही दर्शाता है। -राजेश बहुगुणा

Promoting Hindi language is my duty: Pankaj Tripathi

Pankaj-Tripathi


Generally, I don’t use common Hindi words while communicating. I use a bit difficult Hindi words on set.


Pankaj Tripathi says he is a Hindi cinema actor so, promoting the Hindi language is his duty.

“Being a responsible citizen of India and coming from a Hindi medium school, I believe it’s my responsibility and duty to teach and correct Hindi. While shooting for Shakeela biopic, my director Indrajit Lankesh used to tell me to speak in Hindi with him so that his Hindi could improve,” Pankaj said in a statement.

“Generally, I don’t use common Hindi words while communicating. I use a bit difficult Hindi words on set. Crew members often used to ask me the meaning of those Hindi words. They were excited to learn meaning of new Hindi words. It wasn’t difficult communicating with Bengaluru crew members on sets of Shakeela biopic. I am a Hindi cinema actor, promoting Hindi language is my duty,” he added.

The film is based on South Indian glamour actress Shakeela.

भाजपा के स्टार प्रचारकों की सूची में आडवाणी नहीं


बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में होने वाले प्रचार के लिए 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की है, इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से लेकर कई केंद्रीय मंत्री, सांसद बीजेपी के पक्ष में समर्थन जुटाएंगे


चुनावों के मद्देनजर अब हर पार्टी कमर कस कर तैयार हो गई है. जीत के लिए सभी पार्टियों ने पुरजोर मेहनत करना शुरू कर दिया है. पार्टी अपने स्टार प्रचारकों की मदद से चुनाव में अपना परचम लहराने की कोशिश करती है और ऐसे में साल 2013 के चुनावों तक अटल-आडवाणी कमल निशान मांग रहा है हिंदुस्तान, का नारा लगाने वाली बीजेपी ने इस चुनाव में लालकृष्ण आडवाणी को अपने स्टार प्रचारकों की सूची में भी शामिल नहीं किया है.

बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में होने वाले प्रचार के लिए 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की है. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से लेकर कई केंद्रीय मंत्री, सांसद बीजेपी के पक्ष में समर्थन जुटाएंगे. हालांकि बीजेपी की इस लिस्ट में पार्टी के मार्गदर्शक मंडल के नेता लालकृष्ण आडवाणी को जगह नहीं मिली है. आपको बता दें कि इससे पहले भी यूपी विधानसभा चुनाव प्रचार में लालकृष्ण आडवाणी को जगह नहीं दी गई थी. यूपी विधानसभा चुनाव में लालकृष्ण आडवाणी के साथ साथ विनय कटियार, ओम प्रकाश सिंह, सूर्यप्रताप शाही, लक्ष्मीकांत बाजपेई, रमापति राम त्रिपाठी के नाम भी हटा दिए गए थे. गवर्नर होने के चलते सूची से बाहर हुए कल्याण सिंह की जगह उनके बेटे राजबीर सिंह को दे दी गई थी.

अन्य स्टार प्रचारकों में केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, नितिन गडकरी, शिवराज सिंह चौहान, उमा भारती, स्मृति इरानी, धर्मेंद्र प्रधान, जुएल उरांव, रविशंकर प्रसाद, जेपी नड्डा, योगी आदित्यनाथ, रघुवर दास, देवेंद्र फडनवीस, डॉ. रमन सिंह, डॉ. अनिल जैन, सौदान सिंह, सरोज पांडेय, मनोज तिवारी, विष्णुदेव साय, अर्जुन मुंडा, बृजमोहन अग्रवाल, अभिषेक सिंह, दिनेश कश्यप, रमेश बैस, धरमलाल कौशिक, हुकुमचंद नारायण यादव, रामकृपाल सिंह, हेमा मालिनी, पवन साय, रामप्रताप सिंह, चंदुलाल साहू, कमलभान सिंह, लखनलाल साहू, कमलादेवी पाटले, रणविजय सिंह जूदेव, रामविचार नेताम और फग्गन सिंह कुलस्ते शामिल हैं.

CM Raman touched the feet of ‘Yogi’ after filing his nomination


Chhattisgarh Chief Minister Raman Singh filed his nomination papers from Rajnandgaon Assembly constituency on Tuesday, 23 October, in the presence of Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath.


Chhattisgarh Chief Minister Raman Singh filed his nomination papers from Rajnandgaon Assembly constituency on Tuesday, 23 October, in the presence of Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath.

Singh, who is seeking a fourth consecutive term, was also accompanied by his wife, party in-charge for Chhattisgarh Anil Jain and several other leaders and party workers.

According to reports, the 66-year-old Chief Minister touched the feet of the Uttar Pradesh CM who is not only 20 years his junior by age but also has less experience in politics.

Adityanath arrived in Chhattisgarh to canvass support for BJP candidates after cancelling the weekly meeting of the Uttar Pradesh cabinet. He has been extensively campaigning for the saffron camp in election campaigns ever since his elevation as Chief Minister in March 2017.

Singh has contested from Rajanandgaon constituency in the last two elections. Before that, he contested and won from Dongargaon assembly constituency in Rajnandgaon district in the 2004 elections.

Ahead of filing nominations, Singh told reporters, “I have full faith on the strength of party workers and booth-level workers. The BJP has dedicated this election to Atal ji and each party worker has vowed to form the government for the fourth consecutive term with a thumping majority in the state”.

Commenting on Karuna Shukla, niece of former prime minister late Atal Bihari Vajpayee who has been pitted by Congress against Singh, the CM merely said that the Congress “did not get any local candidate”.

On the other hand, Shukla said that Singh has not done anything for the people in Rajnandgaon.

“Dr Raman Singh has served as CM Chhattisgarh for 15 yrs and as the MLA of Rajnandgaon from last 10 yrs but he didn’t do anything for the betterment of people there. So the Congress president sent me to fight for the people of Rajnandgaon,” Shukla was quoted as saying by ANI.

The last day of filing of nominations for the first phase of state assembly polls to be held on November 12 is 23 October. The second phase of the polls for the 90-member Chhattisgarh Assembly will be held on 20 November.

The votes will be counted on 11 December.

Yet to find a person who ‘takes’ blood soaked napkin to ‘offer’ to anyone: Smriti Irani


Hours after triggering a controversy with her comment on the issue of allowing menstruating women entry into the Sabarimala temple, Union Textiles Minister Smriti Irani took to Twitter to present her case.

Stating that she is a practicing Hindu married to a Zoroastrian, Irani said she respects the stand by the Zoroastrian priests not to allow any non-Parsi woman entry into a fire temple.

“As a practising Hindu married to a practising Zoroastrian I am not allowed to enter a fire temple to pray. I respect that stand by the Zoroastrian community / priests and do not approach any court for a right to pray as a mother of 2 Zoroastrian children. Similarly Parsi or non Parsi menstruating women irrespective of age DO NOT go to a Fire Temple,” she wrote in a series of tweets.

Irani stressed that everything other than the statement she made in the tweets are “propaganda or agenda”.

“These are 2 factual statements. Rest of the propaganda / agenda being launched using me as bait is well just that … bait,” the minister added.

Commenting on her remark that people do not take sanitary napkins soaked in menstrual blood into a friend’s home, Irani said that she is yet to find anyone who would do that.

“As far as those who jump the gun regarding women visiting friend’s place with a sanitary napkin dipped in menstrual blood — I am yet to find a person who ‘takes’ a blood soaked napkin to ‘offer’ to any one let alone a friend,” wrote Irani.

Before signing off, Irani claimed that the criticism coming her way due to the remarks made by her fascinates her that she is not free to air her own point of view as long as it is not the ‘liberal’ point of view.

“But what fascinates me though does not surprise me is that as a woman I am not free to have my own point of view. As long as I conform to the ‘liberal’ point of view I’m acceptable. How Liberal is that ??” tweeted Irani.

 

Smriti Z Irani

@smritiirani

Since many people are talking about my comments — let me comment on my comment.

As a practising Hindu married to a practising Zoroastrian I am not allowed to enter a fire temple to pray.

Smriti Z Irani

@smritiirani

I respect that stand by the Zoroastrian community / priests and do not approach any court for a right to pray as a mother of 2 Zoroastrian children. Similarly Parsi or non Parsi menstruating women irrespective of age DO NOT go to a Fire Temple.

Smriti Z Irani

@smritiirani

These are 2 factual statements. Rest of the propaganda / agenda being launched using me as bait is well just that … bait.

Smriti Z Irani

@smritiirani

As far as those who jump the gun regarding women visiting friend’s place with a sanitary napkin dipped in menstrual blood — I am yet to find a person who ‘takes’ a blood soaked napkin to ‘offer’ to any one let alone a friend.

Smriti Z Irani

@smritiirani

As far as those who jump the gun regarding women visiting friend’s place with a sanitary napkin dipped in menstrual blood — I am yet to find a person who ‘takes’ a blood soaked napkin to ‘offer’ to any one let alone a friend.

Smriti Z Irani

@smritiirani

But what fascinates me though does not surprise me is that as a woman I am not free to have my own point of view. As long as I conform to the ‘liberal’ point of view I’m acceptable. How Liberal is that ??

The minister, who is a member of the Rajya Sabha from Gujarat, also posted a link to the video from the event where she commented on the Sabarimala temple issue.

The Bharatiya Janata Party (BJP) leader had earlier today commented on the on the entry of women within a particular age group in the Sabarimala temple at the Young Thinkers’ Conference organised by the British Deputy High Commission and the Observer Research Foundation in Mumbai.

“It is plain common sense. Would you take sanitary napkins soaked in menstrual blood into a friend’s home? You will not. And do you think it is respectful to do the same thing when you walk into the house of God? So that is the difference. That is my personal opinion,” Irani said, adding that she cannot comment on the Supreme Court verdict because she is a serving cabinet minister.

Her remarks were criticised by many.

Delhi Commission for Women Chairperson Swati Maliwal slammed Irani for her “shameful comment”.

“Shameful comment by Smriti Irani. Is menstruating woman only a sanitary pad 4 this lady? When she has periods, doesn’t she go out of her house? Doesn’t go 2 her friend’s place? Without periods, can there be babies? Horrible words reinforcing patriarchy & misogyny by a Minister!” she wrote on Twitter.

Congress national spokesperson Priyanka Chaturvedi questioned Irani for the remark.

“Forget the places of worship for a minute but as per this shocker of a statement from you should menstruating women be sent to a kaal kothri the days that she bleeds, Ms Irani? You endorse the age old taboos associated to periods? Shame!” wrote Chaturvedi on Twitter.

When Michael Safi, the South Asia correspondent of The Guardian, quoted the Union minister on the Sabarimala issue, Irani called it “fake news” and said that she will post a video soon.

‘इमोश्नल ब्लैक मेलर” – “प्रियंका वाड्रा लापता”, रायबरेली में बंटे पोस्टर

रायबरेली में 'प्रियंका वाड्रा लापता' के लगे पोस्टर, बताया 'इमोशनल ब्लैकमेलर'


इन पोस्टरों में प्रियंका से यह सवाल भी पूछा गया कि, आप रायबरेली कब आएंगी? क्योंकि इस दौरान यहां कई बड़े हादसे हुए जिसमें प्रियंका वाड्रा नजर नहीं आईं


अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में अभी भले कुछ महीने शेष हैं, लेकिन यूपी के रायबरेली में ‘पोस्टर पॉलिटिक्स’ की शुरुआत हो गई है. कांग्रेस के गढ़ रायबरेली में प्रियंका गांधी वाड्रा के लापता होने के पोस्टर लगाए गए हैं. इसमें कांग्रेस की स्टार प्रचारक प्रियंका को ‘इमोशनल ब्लैकमेलर’ बताया गया है. यही नहीं पोस्टर में प्रियंका से सवाल भी पूछा गया है कि आप रायबरेली कब आएंगी? क्योंकि इस बीच रायबरेली में कई बड़े हादसे हुए जिसमें प्रियंका नजर नहीं आई.

ANI UP

@ANINewsUP

‘Priyanka Vadra missing’ posters put up by unidentified people in Raebareli

कांग्रेस ने यहां जगह-जगह प्रियंका वाड्रा के लापता होने के पोस्टर लगाए हैं. साथ ही लोगों को पैम्पलेट्स भी बांटे गए हैं. यह पोस्टर रायबरेली में त्रिपुला चौराहे से लेकर हरदासपुर तक और शहर में कई जगह लगाए गए हैं. इन पोस्टरों में मैडम प्रियंका गांधी लापता लिखा है. पोस्टर में हरचंपुर रेल हादसा, ऊंचाहार दुर्घटना और रालपुर हादसे में प्रियंका के न आने पर तंज कसा गया है. यह भी लिखा गया है कि नवरात्र, दुर्गापूजा और दशहरा में तो नहीं दिखाई दी. अब क्या ईद में दिखेंगी मैडम वाड्रा?

प्रियंका गांधी को विषय बनाकर लगाए गए पोस्टरों से रायबरेली में राजनीतिक चर्चाओं का बाजार गर्म है. हालांकि कांग्रेस का इस पर अभी तक कोई बयान नहीं आया है. कांग्रेस जिलाध्यक्ष वी.के शुक्ला ने कहा है कि ऐसी गंदी हरकत करने वालों को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा