यूपी में भाजपा के खिलाफ महागठबंधन कांग्रेस मुक्त होगा: सपा

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष के इस बयान को मध्‍य प्रदेश में पार्टी के एकमात्र विधायक को कमलनाथ मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करने से कांग्रेस के खिलाफ पैदा हुई नाराजगी के रूप में देखा जा रहा है

2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले महागठबंधन में दरार दिखने लगा है. समाजवादी पार्टी (एसपी) के अध्‍यक्ष अखिलेश यादव ने बीजेपी के खिलाफ उत्‍तर प्रदेश में बनने वाले गठबंधन के गैर-कांग्रेस होने की बात कही है.

अखिलेश ने बुधवार को कहा, ‘बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन खड़ा करने में सभी पार्टियों को साथ लाने का प्रयास किया जा रहा है. मैं तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर को इस दिशा में प्रयास के लिए बधाई देता हूं. वो इसके लिए जुटे हैं. मैं उनसे मिलने हैदराबाद जाऊंगा.

उन्होंने यह भी कहा कि हम कांग्रेस का भी धन्यवाद देना चाहेंगे कि मध्य प्रदेश में हमारे विधायक को मंत्री नहीं बनाया. हम कांग्रेस और बीजेपी दोनों को धन्यवाद देते हैं कि उन्होंने कम से कम समाजवादियों का रास्ता साफ कर दिया. जबकि एसपी का विधायक मध्‍य प्रदेश में कांग्रेस को समर्थन दे रहा था.

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष के इस बयान को मध्‍य प्रदेश में पार्टी के एकमात्र विधायक को कमलनाथ मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करने से कांग्रेस के खिलाफ पैदा हुई नाराजगी के रूप में देखा जा रहा है.

बता दें कि 11 दिसंबर को आए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों में कांग्रेस 114 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. वहीं बीजेपी के खाते में 109 सीटें आई थी.

बहुमत से दूर कांग्रेस को बाद में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के 2, समाजवादी पार्टी के 1 और 4 निर्दलीय विधायकों ने सरकार बनाने के लिए समर्थन दिया था. जिसके बाद कांग्रेस को कुल 121 विधायकों का समर्थन हासिल है.


“Khan sahab learn something from us about inclusive politics & minority rights,” Owaisi

Unlike Pakistan, India has seen multiple Presidents from oppressed communities, says Mr. Owaisi

Member of Parliament and All India Majlis-e-Ittehadul Muslimeen (AIMIM) president Asaduddin Owaisi hit out at Pakistan Prime Minister Imran Khan over the latter’s remark that he would show the Narendra Modi government “how to treat minorities”.

In a tweet on Sunday, Mr. Owaisi said Mr. Khan should instead take a lesson from India’s inclusive politics and minority right.

“According to the Pakistani Constitution, only a Muslim is qualified to be President. India has seen multiple Presidents from oppressed communities. It’s high time Khan sahab learns something from us about inclusive politics & minority rights,” he said.

Addressing an event in Lahore on Saturday, Mr. Khan referred to actor Naseeruddin Shah’s remarks on mob violence in India and said, “We will show the Modi government how to treat minorities. Even in India, people are saying that minorities are not being treated as equal citizens.”

सम्मान चाहिए पर विकल्प भी खुले हैं चराग पासवान


पासवान ने राहुल की जीत पर कहा, अगर आप किसी की आलोचना करते हैं और वही अच्छा परफॉर्म करे तो उसकी तारीफ करनी चाहिए

कुशवाहा कि तर्ज़ पर यदि सम्मान जनक सीटों का फैसला समय रहते नहीं होता तो विकल्प उनके लिए भी खुले हैं. पासवान को चुनावी मौसम का विशेषज्ञ बताया जाता है, यदि वह NDA छोड़ना चाहते हैं तो वाकई मौसम बदल रहा है.


लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तारीफ की है. उन्होंने कहा, ‘राहुल गांधी में निश्चित ही सकारात्मक बदलाव आया है. कांग्रेस पार्टी को काफी समय बाद जीत हासिल हुई है.’

पासवान ने राहुल की जीत पर कहा, ‘अगर आप किसी की आलोचना करते हैं और वही अच्छा परफॉर्म करे तो उसकी तारीफ करनी चाहिए. उन्होंने मुद्दों को सही तरह से चुना.’

चिराग ने कहा, ‘जिस तरह कांग्रेस ने किसानों और बेरोजगारों की समस्याओं का मुद्दा उठाया, वह बहुत सही समय पर किया गया फैसला था. हम केवल धर्म और मंदिर के पेचीदे मामले में ही उलझे रहे.’

पासवान ने कहा, ‘मैं सरकार से मांग करता हूं कि आने वाले समय में हमें एक बार फिर विकास के मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए.’

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को शानदार जीत मिली है.

टाइगर अभी जिंदा है : शिवराजसिंह चौहान


शिवराज सिंह से महिलाएं और बच्चे लिपट कर रो पड़े


आज शिवराज सिंह चौहान अपने विधानसभा क्षेत्र बुधनी पहुंचे जहां वह अपने क्षेत्र के लोगों का आभार प्रगट करने गए. वहां उन्हें मिलने कई औरतों का हुजूम भी मिलने पहुंचा. सभी औरतें शिवराज से बहुत भावपूर्ण ढंग से मिलीं.

बच्चे शिवराज सिंह चौहान को इन्हीं महिलाओं के कारण मामा शिवराज  कह कर बुलाते हैं. माहौल तब और भी ग़मगीन हो गया जब यही महिलायें पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से लिपट कर रो पड़ीं. उन्हें शिवराज के पुन: मुख्यमंत्री न बनने का दुःख साल रहा था.

वहीँ कई महिलायें तो यह कहतीं भी ही सुनीं गयीं कि भैया अब हमारा क्या होगा?

तब भर्राए गले शिव राज सिंह ने कहा, “मैं हूँ न, टाइगर अभी जिंदा है.”

लोक सभा चुनाव अभी दूर हैं, कांग्रेस भी मामा शिवराज कि मातृशक्ति को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी अब देखना है कि मातृशक्ति शिवराज को पुन: अपने आशीर्वाद से कैसे सराबोर करतीं हैं.

Why are they [the government and the BJP) running away from a debate in Parliament,” Rahul


“We promised to waive loans in 10 days. In two States, we did it in six hours,” he tells reporters outside the Parliament hall.


Congress president Rahul Gandhi on Tuesday said he would not let Prime Minister Narendra Modi sleep until all farms loans were waived.

The government had turned a blind eye to “loans given to 15 top industrialists of the country, including Reliance Group chairman Anil Ambani,” but made no effort to alleviate the woes of farmers in the last four years, he said.

“We promised to waive loans in 10 days. In two States, we did it in six hours,” Mr. Gandhi told reporters outside the Parliament hall.

He alleged that the “loans of friends of Mr. Modi and BJP president Amit Shah” had been waived. About Rs. 3.5 lakh crore was waived for 15 corporates, including for Mr. Anil Ambani. Poor people and small shopkeepers were on one side and the group of industrialists on the other. The Congress and all other Opposition parties would stand by the poor and others, he said.

Terming demonetisation the world’s biggest scam, he accused the government of having stolen from the public, shopkeepers and farmers.

‘More typos coming now’

“There will be many more typos coming now,” he said when asked about the government’s claim on the “error” in the affidavit given to the Supreme Court on the Rafale issue.

“We will force a joint parliamentary committee on the Rafale issue. Why are they [the government and the BJP) running away from a debate in Parliament,” he said.

राहुल पर भरोसा करने वाले अब भी समझ लें “धोखा स्वभाव है इनका!” कैलाश विजयवर्गीय


कांग्रेस द्वारा राफेल के मुद्दे को बार-बार उठाया गया, जिसके जवाब में बीजेपी ने अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद उस पर पलटवार किया है


पिछले कुछ समय से एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनी राफेल डील को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया है. कोर्ट ने इस मामले में जांच की मांग वाली सारी याचिकाएं खारिज कर दी हैं. केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बड़ी राहत मिली है. कांग्रेस द्वारा राफेल के मुद्दे को बार-बार उठाया गया, जिसके जवाब में बीजेपी ने अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद उस पर पलटवार किया है.

बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने झूठ फैलाया है, उसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि जिस राफेल डील के झूठ पर सवार होकर राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार किया. सुप्रीम कोर्ट ने इस ढकोसले को सिरे से खारिज कर दिया है. अगर राफेल पर फैसला कुछ दिन पहले आया होता तो चुनाव परिणाम कुछ और ही होते. राहुल पर भरोसा करने वाले अब भी समझे ले, धोखा इनका स्वभाव है.


Kailash Vijayvargiya

@KailashOnline

जिस के झूठ पर सवार हो
राहुल गांधी ने पूरा चुनाव प्रचार किया
मा. ने इस ढकोसले को सिरे से खारिज कर दिया.. कुछ दिन पहले आया होता, तो चुनाव परिणाम कुछ और ही होते!

राहुल पर भरोसा करने वाले अब भी समझ लें
“धोखा स्वभाव है इनका!”


राफेल डील पर उठाए जा रहे सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस पर कोई संदेह नहीं है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि राफेल डील की खरीद प्रक्रिया में कोई कमी नहीं है. साथ ही कोर्ट ने कहा कि कीमत देखना कोर्ट का काम नहीं है. कोर्ट के इस फैसले को कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. दरअसल कांग्रेस लगातार मोदी सरकार का घेराव करते हुए राफेल डील में भ्रष्टाचार होने का आरोप लगाती आई है.

सुप्रीम कोर्ट में अदालत की निगरानी में इस डील को लेकर जांच किए जाने की मांग वाली याचिकाएं दाखिल की गई थी. इसके पहले 14 नवंबर को हुई सुनवाई में इसपर फैसला सुरक्षित रख लिया गया था.

Modi’s Party Is Trounced in India’s ‘Semifinal’ Elections

Curtsy The New Yorks Time (By Jeffrey Gettleman, Kai Schultz and Suhasini Raj)


Is India’s prime minister, Narendra Modi, in trouble?

“This has been a very intriguing election,” said Seshadri Chari, a member of the B.J.P.’s national executive committee. “Modi is going to be personally worried.”


With his white beard and booming speeches (and supposedly 56-inch chest), Mr. Modi swept into power four years ago by promoting a populist brand of politics that mixed brawny Hindu nationalist views with lofty economic promises.

But on Tuesday, his party, the Bharatiya Janata Party, got walloped according to elections results just released from races held across five states.

The party, widely known by the initials B.J.P., suffered its worst defeat in recent years, losing more than 100 legislative seats, a result that shook the political establishment and left many wondering if Mr. Modi is in danger of losing next year’s national election.

The elections were held over the past several weeks, but results were not announced until Tuesday. Indian pundits described the races, held in the states of Rajasthan, Madhya Pradesh, Mizoram, Chhattisgarh and Telangana, as the “semifinals” of Indian politics. In just a few months, this country of 1.3 billion people who speak dozens of languages and live across an incredibly varied landscape from Himalayan mountaintops to tropical isles is set to hold national parliamentary elections.

It appears that Mr. Modi, who seemed so invincible not long ago, may be vulnerable as his brand loses its luster. At the same time, the leading opposition party, the Indian National Congress, once considered comatose, has suddenly woken up.

“The competition is neck to neck,” said Narendra Kumar, a political scientist at Jawaharlal Nehru University in New Delhi, the capital.

Indian voters are famous for passionately embracing a party or politician in one election and then enthusiastically voting them out in the next.

Among the complaints against Mr. Modi: He has ignored farmers. He cannot deliver on his party’s promises, including creating one million jobs a month, which economists said was impossible. The cost of living has sharply increased. And, not least, the B.J.P. has been criticized as too soft on violent Hindu extremists, including mobs that have lynched people for slaughtering cows, a revered animal in Hinduism.

“The common man does not support mob lynchings,” said Anil Verma, the head of the Association for Democratic Reforms, a nonpartisan organization in New Delhi.

Analysts say more Indians are growing upset with Mr. Modi’s party for not cracking down on the mobs, who often twist Hindu nationalist messages espoused by B.J.P. leaders and use them to justify violence. Vigilantes have killed dozens of people, most of them Muslim or lower caste Hindus, in the name of protecting cows.

“Indians by and large are not happy with the killing of their fellow men,” Mr. Kumar said. “That should be a message for the prime minister before the 2019 elections.”

The five states that just held elections — mostly rural and representing India’s heartland — are considered a bellwether. But experts have warned against extrapolating too much from these state races to national elections, noting that Mr. Modi still commands a loyal following in many quarters.

He is seen as a champion of a bigger, stronger India, whose economy is now sixth-largest in the world. (A decade ago, it was not even in the top 10.) He also remains a compelling orator, able to stir crowds with his booming baritone voice. Mr. Modi rose to power by embracing Hindu nationalist politics, and his base remains firmly behind him because they see him as a protector of their values.

Most experts say that if the next election were purely a popularity contest between Mr. Modi and Rahul Gandhi, the leader of the Indian National Congress and scion of a long political dynasty, it would be Mr. Modi’s to lose.

But Indian elections do not work that way. The country is a parliamentary system, and local issues affect the national bottom line. Political alliances are crucial, and this could be a problem for Mr. Modi.

Most analysts expect Mr. Modi’s party to lose many seats next year; the question is whether he will be able to win a thin majority in Parliament.

On Tuesday, the Indian National Congress was on track to pick up more than 100 of the 678 total seats across the five states.

And something even bigger may be happening. Across India, economic worries are becoming a pressing issue that Mr. Modi will have trouble sweeping away. He raised high expectations, promising to attract huge China-style export factories and create millions of high-paying jobs.

India’s annual growth rate has been over 7 percent, but Mr. Modi has not turned India into the next China. The amount of red tape in India remains stultifying, and many parts of the country’s manufacturing sector, such as textiles, have suffered widespread layoffs.

Millions of farmers are on the brink of crisis, facing rising fertilizer and electricity costs and lower prices for their produce. Experts say their distress is driven by too much competition, strict export rules and inadequate government purchases. One farmer who said he received less than the equivalent of $20 for 1,600 pounds of onions sent the money to Mr. Modi to make a point.

“Modi will definitely be hurt in the parliamentary elections next year — even more so if the opposition can sharpen the focus of the campaign to stress farm distress,” said Arati Jerath, a columnist who writes about politics for some of India’s biggest newspapers.

Other sources of discontent are a new tax system put in place under Mr. Modi and his decision in 2016 to suddenly replace most of the country’s currency, which was supposed to crack down on money laundering but led to severe cash shortages.

Even so, Tuesday’s election results were not all good news for the Indian National Congress. Once a powerful brand in the northeast, the party lost its majority in the last state it controlled in that region, Mizoram.

But the results in India’s agrarian, Hindi-speaking cow belt, where the B.J.P. has dominated or been highly competitive for the past decade and a half, must have been even more deflating to Mr. Modi and his team.

His party’s headquarters in New Delhi appeared deserted on Tuesday, while wild celebrations broke out at those of the Indian National Congress.

Even Mr. Modi’s usually super-confident allies admitted to being concerned.

“This has been a very intriguing election,” said Seshadri Chari, a member of the B.J.P.’s national executive committee. “Modi is going to be personally worried.”

जो वाड्रा हित कि बात करेगा वही राजस्थान पर राज करेगा

 


राजस्थान में ‘कौन बनेगा मुख्यमंत्री’ पर पेंच फंसा हुआ है।


राजस्थान में मुख्यमंत्री पद के 2 दावेदार हैं सचिन पाइलट और अशोक गहलोत दोनों ही का अपना अपना जनाधार और अपना अपना समर्थक दल है, वह दल अपने अपने कुनबे के ही पात्र को मुख्यमंत्री पद पर देखना चाहते हैं। कांग्रेस में मुख्य मंत्री पद पर कौन सुशोभित होगा यह विधायक दल से प्रमुख परिवार द्वारा कहलवा दिया जाएगा।

आज दोपहर ही से मुख्यमंत्री पद के लिए माथापच्ची हो रही है। कांग्रेस का मुख्य परिवार अपने अपने विचारों को आस में बाँट रहे हैं। सभी हैरान हो रहे हैं की सोनिया राहुल का आपस में विचार विमर्श करना तो ठीक और समझ में आने वाला है प्रतु प्रियंका वाडरा के आने के बाद सुगबुगाहट बढ़ गयी है। अब तो वहाँ उपसिथित लोग भी प्रियंका के आने का औचित्य समझने में लग गए हैं।

जहां राहुल गांधी सचिन पाइलट को राजस्थान का मुख्य मंत्री देखना चाहते हैं और वहीं दूसरी ओर सोनिया गांधी गहलोत को राजस्थान का मुख्य मंत्री पद देना चाहते हैं। प्रियंका का आगमन भी यही संदेश देता है कि श्रीमती रोबर्ट वाड्रा वहाँ अपने निजी स्वार्थ हेतु उपस्थित हुईं हैं।

असल में तीन राज्यों के चुनाव परिणाम के साथ ही आल कमान जागृत हो उठा था, कांग्रेस के सभी दिग्गज नेता हों या फिर साधारण कार्यकर्ता उन्हे आला कमान कि बात को ही ब्रहम वाक्य मानना होता है। यही परंपरा है ।

अब बात करें मुख्यमंत्री पद कि, तो गहलोत कांग्रेस के प्रथम परिवार के मुख्य मंत्री के रूप में पहली पसंद हैं राहुल को छोड़ कर। श्रीमति वाड्रा को यकीन है कि उनके परिवार पर छाए ईडी के बादल छांट सकते हैं। सनद रहे कि वाड्रा पर कई करोड़ के जमीनी घोटाले में फंसे हुए ईडी कि गिद्ध दृष्टि पद रही है। उसके बचाव का एक ही उपाय है कि अहमद पटेल गुट के व्यक्ति को ही मुख्य मंत्री पद सौंपा जाये।

मध्य प्रदेश में कमल खिला


राहुल गांधी ने ट्विटर पर कैप्शन लिखा है कि दो सबसे शक्तिशाली योद्धा धैर्य और समय हैं


कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात के बाद एक ट्वीट किया है जो एमपी में सीएम पद के लिए चल रही चर्चा पर सबकुछ बयां कर रही है. इस तस्वीर के साथ उन्होंने कैप्शन लिखा है कि दो सबसे शक्तिशाली योद्धा धैर्य और समय हैं.

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक मध्यप्रदेश में कमलनाथ सीएम हो सकते हैं. हालांकि राजस्थान में अभी तक सीएम पद के लिए रेस चल रही है. अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सस्पेंस अब तक बरकरार है.

राहुल गांधी से मीटिंग के बाद कमलनाथ ने कहा, ‘मैं भोपाल जा रहा हूं. विधायकों के साथ बैठक के बाद सीएम का ऐलान होगा.’

वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, ‘यह कोई दौड़ नहीं है. यह कुर्सी की बात नहीं है. हम मध्य प्रदेश के लोगों की सेवा के लिए हैं. मैं भोपाल जा रहा हूं और आज आपको फैसले की जानकारी मिल जाएगी.’

राजस्थान में सीएम पद के लिए चर्चाओं पर कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने कहा, ‘मैं समर्थकों से शांति बनाए रखने की अपील करता हूं. हमने बहुत मेहनत की और जो भी फैसला आएगा, हम उसे मानेंगे. राहुल जी सभी नेताओं से बात कर रहे हैं.’

दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष हो सकते हैं


चुनावी जीत के साथ ही जो राजनीतिक हालात बने हैं वे भी बयां कर रहे हैं कि कमलनाथ के साथ सिंह को भी समानांतर पावर के साथ देखा जा रहा है


अब इस बात के राजनीतिक कयास शुरू हो गए हैं कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस के चाणक्य साबित हुए दिग्विजय सिंह क्या प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बन सकते हैं. कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनते ही ये पद खाली होगा. 2019 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए सिंह इस पद के लिए सबसे प्रबल दावेदार दिखाई दे रहे हैं.

पिछले तीन दिन का घटनाक्रम भी इस बात के साफ संकेत दे रहा है कि दिग्विजय सिंह किसी पद पर नहीं रहते हुए भी एक समानांतर पावर में आ गए हैं. भावी मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ उनका समन्वय और मध्यप्रदेश में दस साल मुख्यमंत्री रहने के कारण वो प्रशासनिक जमावट से लेकर कई मामलों में अहम रोल निभा रहे हैं.

टकराहट नहीं

राजस्थान में मुख्यमंत्री पद को लेकर जितनी टकराहट है वैसा माहौल मध्यप्रदेश में नहीं है. इसका एकमात्र कारण कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का एक होना है. 90 से ज्यादा विधायक इन दोनों के समर्थक हैं.

कांग्रेस के स्टार कैंपेनर ज्योतिरादित्य सिंधिया इस दौड़ में पीछे रह गए हैं. कांग्रेस हलकों में चर्चा है कि कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनते ही पहला फैसला प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर करना होगा. मुख्यमंत्री रहते हुए वे एक साथ दो पद पर काबिज नहीं हो सकते.

2019 की चुनौती

चार महीने बाद ही लोकसभा का चुनाव है. जो कांग्रेस के लिए सबसे ज्यादा चुनौती वाला है. फिलहाल यहां की 29 में से 26 सीट बीजेपी के पास हैं. विधानसभा चुनाव का रिजल्ट बता रहा है कि कांग्रेस ने करीब 14 सीट को कवर कर लिया है.

2019 में भी कांग्रेस इतनी ताकत झोंकती है तो बीजेपी का किला ढहाना उसके लिए मुश्किल नहीं है. हालात बता रहे हैं कि ऐसे में कमलनाथ किसी रबर स्टेंप अध्यक्ष के साथ संगठन चलाने का जोख़िम नहीं ले सकते

रबर स्टेंप नहीं चल सकता

अरुण यादव, अजय सिंह, सुरेश पचौरी के नाम भी अध्यक्ष पद की दौड़ में हो सकते हैं. लेकिन इनकी संभावना कम नज़र आती है.

2019 के मद्देनजर कांग्रेस को ऐसे अध्यक्ष की ज़रूरत होगी जो सभी गुटों पर अपना प्रभाव और दमखम रखता हो. वहां दिग्विजय सिंह जैसे कद्दावर नेता का नाम ही सामने आ रहा है.

सिंह की राय खास

चुनावी जीत के साथ ही जो राजनीतिक हालात बने हैं वे भी बयां कर रहे हैं कि कमलनाथ के साथ सिंह को भी समानांतर पावर के साथ देखा जा रहा है. कई मुद्दों पर कमलनाथ स्वयं सिंह से राय लेने या मिलने के लिए कह रहे हैं.

खास तौर पर प्रशासनिक मामलों में सिंह की राय को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. टीम कमलनाथ में कौन अधिकारी होंगे इसका फैसला सिंह की सहमति के साथ होता दिखाई दे रहा है.

प्रदेश से दूर रहे

कमलनाथ मध्यप्रदेश से सांसद रहे, केंद्र में मंत्री रहे लेकिन मध्यप्रदेश में उनकी इस तरह मौजूदगी या दखल कभी नहीं रहा. दिग्विजय सिंह का दस साल तक मुख्यमंत्री रहते हुए संपर्क और कई पुराने अधिकारियों के साथ उनके अनुभव को देखते हुए वे उनके साथ हर बात साझा कर रहे हैं.