रेलवे में नई यातायात नियंत्रण प्रणाली शुरू करने के लिए मॉर्डनाइजेशन प्रोजेक्ट शुरू किया

भारतीय रेलवे ने करीब 78 हजार करोड़ रुपए की लागत से सबसे बड़ा मॉर्डनाइजेशन प्रोजेक्ट शुरू किया.

नई दिल्ली:

 भारतीय रेलवे की मानें तो 2024 तक रेलवे की तस्वीर बदल जाएगी. न सिर्फ ट्रेनों की रफ्तार बढ़ जाएगी, बल्कि ट्रेन दुर्घटनाएं रोकने में भी मदद मिलेगी. रेलवे के मुताबिक इस अभियान पर भले ही भारी-भरकम बजट खर्च हो रहा हो, लेकिन रेलवे के आधुनिकीकरण के लिए बदलते वक्त के साथ यह बेहद जरूरी है.

रेलवे का कहना है कि ऐसे वक्त में जब देश हाई स्पीड ट्रेन चलाने की योजना को कारगर करने के लिए तेजी से कदम बढ़ा रहा है. इस तरह का मॉर्डनाइजेशन बेहद जरूरी है. खासतौर पर सिग्नलिंग सिस्टम में यही वजह है कि अब रेलवे ने इस योजना पर काम करना शुरू कर दिया है. रेलवे की योजना के मुताबिक, मार्च से 640 किलोमीटर रेल मार्ग पर सिग्नल सिस्टम को मॉडर्न बनाने का पायलट प्रोजेक्ट शुरू हो जाएगा .

पूरा नेटवर्क होगा कंप्यूटरीकृत

इसके बाद से देश के समूचे सिग्नलिंग सिस्टम पर काम किया जाएगा और उसको 2024 तक अपडेट करके पूरे नेटवर्क को कंप्यूटरीकृत कर दिया जाएगा. इससे ट्रेन दुर्घटनाएं भी पूरी तरह से रोकने में मदद मिलेगी, क्योंकि सब कुछ कंप्यूटर आधारित हो जाएगा. मानवीय दखल की इसमें कोई गुंजाइश नहीं होगी, क्योंकि देखा गया है कि अधिकतर ट्रेन हादसे सिग्नलिंग की वजह से ही होते हैं. सिग्नलिंग में सुधार से ट्रेन की रफ्तार बढ़ाने में मदद मिलेगी. इससे क्षमता भी बढ़ेगी और लेट लतीफ ट्रेनों का समय पर परिचालन सुनिश्चित हो पाएगा.

आईसीटी का प्रयोग होगा

इसके साथ ही नई ट्रेनों को चलाने में मदद मिलेगी. घने कोहरे बारिश और खराब मौसम में ट्रेनों की रफ्तार बनी रहेगी और यात्री समय से अपने गंतव्य तक पहुंच सकेंगे. पहली बार है कि दुनिया के सबसे आधुनिक तकनीकी को एक साथ मिलाकर भारतीय रेलवे में प्रयोग कर रहा है. इसमें चार सबसे व्यस्त रेल मार्गों पर यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम यानी आईसीटी का प्रयोग होगा.

मॉडर्न तकनीकी से लैस किया जाएगा

रेलवे का कहना है कि इन तमाम तकनीकी का प्रयोग करके रेलवे को मॉडर्न तकनीकी से लैस किया जाएगा. सिग्नलिंग सिस्टम इतना बेहतर हो जाएगा कि ट्रेन जो भी औसतन 100 से 120 की स्पीड पर चलती है वह गाड़ी 160 की स्पीड पर ट्रैक पर दौड़ सकेगी.

रेल नेटवर्क में से एक की बने

रेलवे का इरादा दुनिया की सबसे बेहतरीन से बेहतरीन तकनीकी का एक साथ समावेश करके हर लिहाज से भारतीय रेलवे को बेहतर बनाना है, जिससे भारतीय रेलवे की तस्वीर दुनिया के सबसे बेहतर रेल नेटवर्क में से एक की बने.

दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भारतीय रेलवे हर दिन ऑस्ट्रेलिया की आबादी से ज्यादा यात्रियों को एकदिन में सफर कराती है. यानी भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक है. भारतीय रेलवे का नेटवर्क यही वजह है कि इसके मॉर्डनाइजेशन पर भी एक बड़ा बजट खर्च होता है. अभी तो सिर्फ सिग्नलिंग के मॉर्डनाइजेशन का काम रेलवे ने शुरू किया है, लेकिन रेलवे का मानना है कि इससे भारतीय रेलवे की तस्वीर बदल जाएगी.

‘नागरिकता संशोधन बिल’ पर राज्य सभा में भाजपा का ‘एसिड टेस्ट’

सारिका तिवारी, चंडीगढ़ – 11 दिसंबर:

Sarika Tiwari Editor, demokratikfront.com

लोकसभा से नागरिकता संशोधन बिल पास होने के बाद बुधवार को बिल राज्यसभा में पेश होगा. राज्यसभा में इस वक़्त 240 सांसदों की संख्या है, क्योंकि राज्यसभा में 5 सीटें खाली पड़ी हुई हैं. इस हिसाब से 121 सांसदों के समर्थन के बाद ही ये बिल राज्यसभा में पास हो सकता है. बीजेपी के पास इस वक़्त राज्यसभा में 83 सांसद हैं यानि कि बीजेपी को 38 अन्य सांसदों की आवश्यकता पड़ेगी.

नागरिकता संशोधन विधेयक को सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी बुधवार को राज्य सभा में दो बजे पेश कर सकती है.

इससे पहले सरकार ने इस विधेयक को लोकसभा में आसानी से पास करवा लिया. लोकसभा में बीजेपी के पास खुद अकेले दम पर बहुमत है. इस विधेयक पर वोटिंग के दौरान बीजेपी के 303 लोकसभा सदस्यों समेत कुल 311 सासंदों का समर्थन हासिल हुआ. अब राज्यसभा में इस विधेयक को रखा जाना है. जहां से पास होने की स्थिति में ही यह क़ानून की शक्ल लेगा. बीजेपी ने 10 और 11 दिसंबर को अपनी पार्टी के राज्यसभा सांसदों के लिए व्हिप जारी किया है.

साभार ANI

लेकिन सत्ताधारी पार्टी के लिए राज्यसभा की डगर लोकसभा जितनी आसान नहीं है.

क्या है राज्यसभा का गणित?

राज्यसभा में कुल 245 सांसद होते हैं. हालांकि वर्तमान सांसदों की संख्या 240 है.

राज्यसभा में इस वक़्त 240 सांसदों की संख्या है, क्योंकि राज्यसभा में 5 सीटें खाली पड़ी हुई हैं. इस हिसाब से 121 सांसदों के समर्थन के बाद ही ये बिल राज्यसभा में पास हो सकता है. बीजेपी के पास इस वक़्त राज्यसभा में 83 सांसद हैं यानि कि बीजेपी को 38 अन्य सांसदों की आवश्यकता पड़ेगी. लेकिन बीजेपी के लिए चिंता की बात इसलिए नहीं नज़र आ रही है क्योंकि बीजेपी के सहयोगी दलों के साथ साथ कुछ अन्य दल नागरिकता संशोधन बिल पर सरकार के साथ नज़र आ रहे हैं. AIADMK(11), JDU (6), SAD (3), निर्दलीय व अन्य समेत 13 सांसदों का समर्थन बीजेपी को राज्यसभा में मिल सकता है. इस तरह बिल के समर्थन में 116 सांसद नज़र आ रहे हैं. 

इन पार्टियों के अलावा सरकार के साथ बीजेडी (7), YSRCP (2), TDP (2) सांसदों के साथ नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन कर सकती हैं. कुल मिलाकर 127 सांसदों के साथ यह बिल पास कराने में सरकार सफल हो सकती है. 

शिवसेना ने लोकसभा में इस बिल का समर्थन किया था लेकिन राज्यसभा में शिवसेना के 3 सांसद क्या इस बिल का समर्थन करेंगे या नहीं, इस पर सस्पेंस बरक़रार है. 

वहीं अगर विपक्ष की रणनीति पर नज़र डालें तो वह इस मुद्दे पर एकजुटता दिखाने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस के राज्यसभा में 46 सांसद है और वह इस बिल के ख़िलाफ़ ज़्यादा से ज़्यादा मतदान कराना चाहती है. मंगलवार को कांग्रेस नेताओं ने संसद भवन में अन्य विपक्षी दलों के साथ बातचीत भी की है. नागरिकता संशोधन बिल पर राज्यसभा में डीएमके (5), RJD (4), NCP (4), KC(M)-1, PMK(1), IUML(1), MDMK (1), व अन्य 1 सांसद ख़िलाफ़ वोट करेंगे. यानि इस तरह से यूपीए का आँकड़ा 64 सांसदों का पहुँचता है. 

लेकिन यूपीए के साथ साथ कई अन्य विपक्षी दल भी इस बिल के ख़िलाफ़ राज्यसभा में वोट करेंगे, जिसे लेकर समाजवादी पार्टी समेत कई दलों ने अपने सांसदों को व्हिप भी जारी किया है. TMC(13), Samajwadi Party (9), CPM(5), BSP (4), AAP (3), PDP (2), CPI (1), JDS (1), TRS (6) जैसे राजनीतिक दलों के सांसद इस बिल के ख़िलाफ़ हैं. यूपीए के अतिरिक्त कई विपक्षी दलों के 44 सांसद भी इस बिल के ख़िलाफ़ वोट कर सकते हैं.

नागरिकता संशोधन विधेयक के प्रस्तावित संशोधनों के ख़िलाफ़ राज्यसभा में विपक्ष दो सूत्रीय रणनीति पर काम करेगा.

लोकसभा में यह पास हो चुका है लेकिन इस मामले के जानकारों के मुताबिक अगर यह विधेयक राज्यसभा में पास भी हो गया तो विपक्ष इसकी समीक्षा प्रवर समिति (सेलेक्ट कमेटी) से करवाने के लिए दबाव डालेगा. कांग्रेस, डीएमके और वाम दलों ने इसे लेकर अपने अपने मसौदे तैयार किए हैं. ये पार्टी इस बात पर तर्क करेंगी कि चूंकि यह विधेयक भारत की नागरिकता क़ानूनों की नींव में भारी बदलाव करेगा लिहाजा इसे समीक्षा के लिए एक सेलेक्ट कमेटी को भेजना चाहिए.

क्या होती है सेलेक्ट कमेटी?

संसद के अंदर अलग-अलग मंत्रालयों की स्थायी समिति होती है, जिसे स्टैंडिंग कमेटी कहते हैं. इससे अलग जब कुछ मुद्दों पर अलग से कमेटी बनाने की ज़रूरत होती है तो उसे सेलेक्ट कमेटी कहते हैं. इसका गठन स्पीकर या सदन के चेयरपर्सन करते हैं. इस कमेटी में हर पार्टी के लोग शामिल होते हैं और कोई मंत्री इसका सदस्य नहीं होता है. काम पूरा होने के बाद इस कमेटी को भंग कर दिया जाता है.

क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक?

नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill) को संक्षेप में CAB भी कहा जाता है और यह बिल शुरू से ही विवाद में रहा है.

इस विधेयक में बांग्लादेश, अफ़गानिस्तान और पाकिस्तान के छह अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई और सिख) से ताल्लुक़ रखने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव है. मौजूदा क़ानून के मुताबिक़ किसी भी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता लेने के लिए कम से कम 11 साल भारत में रहना अनिवार्य है. लेकिन इस विधेयक में पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों के लिए यह समयावधि 11 से घटाकर छह साल कर दी गई है.

इसके लिए नागरिकता अधिनियम, 1955 में कुछ संशोधन किए जाएंगे ताकि लोगों को नागरिकता देने के लिए उनकी क़ानूनी मदद की जा सके. मौजूदा क़ानून के तहत भारत में अवैध तरीक़े से दाख़िल होने वाले लोगों को नागरिकता नहीं मिल सकती है और उन्हें वापस उनके देश भेजने या हिरासत में रखने के प्रावधान है.

नागरिकता संशोधन बिल आज दोपहर 2 बजे राज्य सभा में पेश होगा

नागरिकता संशोधन बिल पर राज्यसभा में समर्थन को लेकर शिवसेना ने सस्पेंस बढ़ा दिया है. शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा है कि राज्यसभा में कल आएगा, लोकसभा में जो हुआ वो भूल जाइए. बता दें कि शिवसेना ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन किया है.

नई दिल्ली(ब्यूरो):

नागरिकता संशोधन बिल 2019 (CAB) लोकसभा से पारित होने के बाद बुधवार (11 दिसंबर) को राज्यसभा में दोपहर 2 बजे पेश किया जाएगा. विपक्ष ने इस बिल का विरोध तेज कर दिया है. कांग्रेस ने अपनी सभी जिला इकाइयों को देशभर में प्रदर्शन करने को कहा है तो वहीं सरकार राज्यसभा में इस बिल को पास कराने के लिए प्रतिबद्ध दिख रही है. सरकार की तरफ से राज्यसभा के लिए पूरा होमवर्क किया गया है और तमाम पार्टियों से समर्थन लेकर संख्या बल जुटाने की कोशिश हो रही है. 

यूएस की संस्था ने किया बिल का विरोध

लोकसभा में पास हुए इस बिल का अमेरिका (यूएस) के इंटरनेशनल कमीशन ऑन रिलीजन फ्रीडम ने भी विरोध किया है. कमीशन ने तो यहां तक कहा है कि लोकसभा के बाद यदि सरकार इस को राज्यसभा में पास कराती है तो यूएस को इस मामले में विरोध करना चाहिए. इसको नागरिकता अधिकारों का उल्लंघन बताया है, लेकिन यूएस के इस कमीशन की तरफ से की गई टिप्पणी को भारतीय विदेश मंत्रालय ने सिरे से खारिज कर दिया है.

भारतीय विदेश मंत्रालय ने साफ कहा है की यूएस के इंटरनेशनल कमीशन ऑन रिलीजन फ्रीडम की यह टिप्पणी गैर जिम्मेदाराना और अस्वीकार्य है कमीशन का नजरिया भारत को लेकर खास मानसिकता से ग्रसित है.

भारत सरकार ने कहा आतंरिक मामलों में कोई दखल ना दे

भारत ने यह बिल अपने देश में जो दूसरे देश से पीड़ित लोग पलायन करके आये हैं, उनको नागरिकता देने के लिए भारत सरकार लाई है एक तरह से इस बिल का स्वागत किया जाना चाहिए, लेकिन यूएस कमीशन विरोध कर रहा है. वैसे भी भारत के आंतरिक मामलों में दखल भी है जिसको भारतीय विदेश मंत्रालय ख़ारिज करता है भारतीय विदेश मंत्रालय ने कमीशन की इस टिप्पणी को सिरे से खारिज कर दिया है. लोकसभा में सरकार ने 311 का संख्या बल जुटाकर इस बिल को भारी बहुमत से पारित करा लिया था और विपक्ष में महज 80 वोट पड़े. लोकसभा में शिवसेना जेडीयू बीजेपी जैसी पार्टियों ने सरकार के समर्थन में वोट किया था लेकिन अब राज्यसभा में शिवसेना के तेवर बदल गए हैं

दोपहर 2:00 बजे राज्यसभा में आएगा बिल

लेकिन सरकार की तरफ से दूसरी पार्टियों से बात की जा रही है और सरकार का अपना कैलकुलेशन है कि वह राज्यसभा में इस बिल को आसानी से पास करा लेगी वाईएसआर कांग्रेस के साथ ही एआईएडीएमके ने भी इस बिल का राज्यसभा में समर्थन करने का ऐलान किया है दोपहर 2:00 बजे बुधवार को राज्यसभा में यह बिल पेश होगा और इस बिल की बहस के लिए 6 घंटे का वक्त सभापति की तरफ से रखा गया है विपक्ष के तमाम विरोध के बावजूद सरकार इस पर अडिग है कि वह राज्यसभा में इस बिल को पास कराएगी गृह मंत्री अमित शाह की तरफ से विपक्ष के तमाम सवालों का लोकसभा में जवाब दिया गया था.

नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों की तरफ से जो चिंता जताई गई थी उसको भी एड्रेस किया गया सरकार का साफ तौर पर कहना है कि यह बिल  किसी धर्म के खिलाफ नहीं है ना ही धार्मिक आधार पर है इस बिल का मकसद सिर्फ और सिर्फ पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान में जो अल्पसंख्यक सताए गए हैं वहां पर माइनोरटी में है खासतौर से हिंदू जो दशकों से पीड़ित रहे हैं वह विस्थापन करके आये  हैं और कई वर्षों से रह रहे हैं उनको नागरिकता प्रदान करना ही इस बिल का मकसद है.

सरकार को दूसरे दलों से समर्थन की उम्मीद

राज्यसभा में NDA के पास 106 का आंकड़ा है और दूसरे सहयोगी पार्टी के सहारे बहुमत का आकड़ा जुटाने का भरोसा है. किस पार्टी का सरकार को समर्थन मिलता है और कौन विरोध करती है इसकी तस्वीर बुधवार को साफ होगी लेकिन मोदी सरकार को पूरा भरोसा है लोकसभा की तरह ही राज्यसभा में बहुमत से इस बिल को पास कराने लेगी.

शिवसेना के बदले सुर, AIADMK ने किया सपोर्ट

लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन करने वाली शिवसेना के सुर अब बदलते दिख रहे हैं. विधेयक के राज्यसभा में पेश होने से पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा है कि इसपर पर्याप्त चर्चा होनी चाहिए. नागरिकता संशोधन बिल पर राज्यसभा में समर्थन को लेकर शिवसेना ने सस्पेंस बढ़ा दिया है. शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा है कि राज्यसभा में कल आएगा, लोकसभा में जो हुआ वो भूल जाइए. बता दें कि शिवसेना ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन किया है. हालांकि AIADMK ने घोषणा की है कि वह नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन करेगी.

106 दिन जेल में रहने से चिदम्बरम अपने पुराने बयान भी भूले

वित्तमंत्री ने राज्यसभा में कहा कि 2012 में जब महंगाई अपने चरम पर थी तो तब के एक वित्त मंत्री ने कहा था, ‘जब शहरी मध्यम वर्ग मिनरल वॉटर का बॉटल 15 रुपये में खरीद सकता है, आइसक्रीम 20 रुपये में खरीद सकता है तो महंगाई पर इतना शोर क्यों मचाते हैं.’

नई दिल्ली(ब्यूरो):

प्याज को लेकर केंद्र सरकार पर किए जा रहे हमलों का वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को जवाब दिया है. निर्मला सीतारमण ने 106 दिनों बाद जेल से बाहर आए पूर्व गृह और वित्त मंत्री पी चिदंबरम का नाम लिए बगैर उनपर निशाना साधा है. उन्होंने चिदंबरम के पुराने बयान को आधार बनाकर कांग्रेस पर पलटवार किया है. वित्तमंत्री ने राज्यसभा में कहा कि 2012 में जब महंगाई अपने चरम पर थी तो तब के एक वित्त मंत्री ने कहा था, ‘जब शहरी मध्यम वर्ग मिनरल वॉटर का बॉटल 15 रुपये में खरीद सकता है, आइसक्रीम 20 रुपये में खरीद सकता है तो महंगाई पर इतना शोर क्यों मचाते हैं.’

सीतारमण ने गुरुवार को जवाब दिया है. निर्मला सीतारमण ने 106 दिनों बाद जेल से बाहर आए पूर्व गृह और वित्त मंत्री पी चिदंबरम का नाम लिए बगैर उनपर निशाना साधा है. उन्होंने चिदंबरम के पुराने बयान को आधार बनाकर कांग्रेस पर पलटवार किया है. वित्तमंत्री ने राज्यसभा में कहा कि 2012 में जब महंगाई अपने चरम पर थी तो तब के एक वित्त मंत्री ने कहा था, ‘जब शहरी मध्यम वर्ग मिनरल वॉटर का बॉटल 15 रुपये में खरीद सकता है, आइसक्रीम 20 रुपये में खरीद सकता है तो महंगाई पर इतना शोर क्यों मचाते हैं.’

यहां आपको बता दें कि साल 2012 में तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा था, ‘धान, गेहूं और गन्ने के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि हो रही है, जिसका असर जरूरी चीजों की कीमतों पर दिख रहा है. जब शहरी मध्यम वर्ग मिनरल वॉटर का एक बॉटल 15 रुपये में और 20 रुपये में आइसक्रीम खरीद सकता है तो वह महंगाई को लेकर इतना ज्यादा शोर क्यों मचा रहा है.’

चिदंबरम ने सीतारमण पर किया था हमला

इससे पहले पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने गुरुवार को आर्थिक सुस्ती के लिए मोदी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था का अक्षम प्रबंधक है. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के प्याज पर दिए बयान के लिए भी निशाना साधा और कहा कि ‘यह सरकार की सोच को दर्शाता है.’ सीतारमण ने बुधवार को संसद में कहा था कि वह प्याज और लहसुन नहीं खाती हैं.

उन्होंने देरी से प्याज आयात पर भी निशाना साधते हुए कहा, ‘उन्हें पहले ही इसके लिए योजना बनानी चाहिए थी. इसे अब आयात करने का क्या मतलब है.’ चिदंबरम ने साथ ही कहा कि उनकी पार्टी नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध करती है.

जेल से बाहर आने के बाद अपने पहले प्रेस कांफ्रेंस में चिदंबरम ने कहा कि आर्थिक सुस्ती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी साधे हुए हैं. उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री अर्थव्यवस्था पर असामान्य रूप से चुप्पी साधे हुए हैं. उन्होंने इसपर अनाप-शनाप बयानबाजी के लिए इसे अपने मंत्रियों के भरोसे छोड़ दिया है.’ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘यह गलत है. सरकार गलत है और वे गलत हैं, क्योंकि उन्हें कुछ खबर नहीं है.’

चिदम्बरम की जमानत याचिका मंजूर, काँग्रेस में खुशी की लहर, आखिर एक और बेल पर

छोटे से छोटे सदस्य / कार्यकर्ता से लेकर पार्टी अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी तक ने ट्वीट कर जताई खुशी. कल करेंगे प्रैसवार्ता

पी चिदंबरम को ज़मानत मिल गई है . लेकिन वो अकेले नहीं हैं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई नेता ऐसे हैं, जो इस वक्त ज़मानत पर हैं. इनमें कार्ति चिदंबरम, भुपेंद्र सिंह हुड्डा, राज बब्बर, शशि थरूर , दिग्विजय सिंह, वीरभद्र सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू जैसे नेता शामिल हैं.

106 दिनों के बाद आखिर बुधवार को तिहाड़ जेल की चार दिवारी से पी. चिदम्बरम बाहर आ गए. सुप्रीम कोर्ट से पी. चिदंबरम को सशर्त जमानत मिल गई और चिदंबरम की रिहाई से मानो कांग्रेस में आ गई हो जान. इससे पहले कांग्रेस में नहीं दिखी इतनी खुशी! चिदंबरम की रिहाई पर कांग्रेस में जश्न सा माहौल क्या है, आखिर इस खुशी का राज ?

नयी दिल्ली(ब्यूरो)

पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम 106 दिनों के बाद आज जमानत पर जेल से बाहर आ गए. वो जब जेल से बाहर निकले तो ऐसा लग रहा था जैसे वो भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेकर बाहर निकल रहे हो. उनका स्वागत फूल मालाओं से किया गया चिदंबरम भी गाड़ी पर खड़े होकर ऐसे हाथ हिला रहे थे मानो सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें निर्दोष बताकर बा इजज्त बरी कर दिया हो.

देश के लोग कानून नहीं मानते और देश के नेता भ्रष्टाचार को बुरा नहीं मानते. आज जब कांग्रेस के नेता और देश के पूर्व वित्त मंत्री ज़मानत पर जेल से बाहर आए तो उनका स्वागत कुछ ऐसे हुआ जैसे वो देश का स्वंतंत्रता संग्राम जीत कर आए हो. आज हम भ्रष्टाचार को समाज में मिली इस स्वीकृति का भी विश्लेषण करेंगे.

भ्रष्टाचार अब हमारे देश में एक Status Symbol बन गया है. ढोल नगाड़े बजाकर भ्रष्टाचारियों का स्वागत करना, उन्हें फूल माला पहनाना, उनके स्वागत में मिठाईयां बांटना अब हमारे देश में सामान्य बात हो गई है. इसे आप New Normal Of Indian Society भी कह सकते हैं. पहले आप ये देखिए कि कैसे कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने भ्रष्टाचार के आरोपी पी. चिदंबरम का स्वागत उन्हें हार पहनाकर और मिठाइयां बांट कर किया. 

पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम 106 दिनों के बाद आज जमानत पर जेल से बाहर आ गए. वो जब जेल से बाहर निकले तो ऐसा लग रहा था जैसे वो भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेकर बाहर निकल रहे हो. उनका स्वागत फूल मालाओं से किया गया चिदंबरम भी गाड़ी पर खड़े होकर ऐसे हाथ हिला रहे थे मानो सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें निर्दोष बताकर बा इजज्त बरी कर दिया हो. जमकर नारेबाज़ी और फूलो की बरसात के बीच पी चिदंबरम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने 10 जनपथ चले गए. अब आप सोचिए कि अगर भ्रष्टाचार में फंसे एक नेता का जेल से बाहर आने पर ऐसा स्वागत होता है तो ईमानदार और सज्जन पुरुषों का स्वागत कैसे होता होगा.

इन तस्वीरों को देखकर आपको तीन बातें समझनी चाहिए. पहली बात ये है कि हमारे देश में अब भ्रष्टाचार किसी को बुरा नहीं लगता और ऐसा लगता है कि भ्रष्टाचार की व्याख्या नए सिरे से करने की ज़रूरत है . क्योंकि हमारे देश में गोपाल कांडा जैसे दागी नेता विधायक बन जाते हैं. भ्रष्टाचार के आरोपी अजित पवार को बीजेपी डिप्टी सीएम बना देती है. भ्रष्टाचार और हत्या जैसे गंभीर अपराधों के आरोपी चुनाव जीतकर विधायक या सांसद बन जाते हैं. यानी अब भ्रष्टाचार की परिभाषा बदलनी होगी.

दूसरी बात ये है कि अब राजनेता ही नहीं हमारे देश की जनता भी भ्रष्टाचार को बुरा नहीं मानती है. भ्रष्टाचारियों को समाज पूरी तरह स्वीकार कर लेता है और उनसे जुड़े किस्से कहानियों को ऐसे पेश किया जाता है जैसे किसी महापुरुष की जीवनी सुनाई जा रही हो और तीसरी बात ये है कि अब राजनीति के तहत की गई बदले की कार्रवाई और भ्रष्टाचार के असली मामलों के बीच भेद खत्म हो चुका है . जिस भी नेता पर भी भ्रष्टाचार के आरोप हैं. वो कहता है कि उसे बदले की कार्रवाई के तहत फंसाया गया है. ये देश विरोधी ताकतों की साजिश है. पुराने ज़मान में भ्रष्ट नेता ये कहते थे कि ये विदेश ताकतों की साजिश है लेकिन अब इन्हें सांप्रदायिक ताकतों का किया धरा बताने लगते है . और  भ्रष्टाचार के आरोपी जेल से बाहर ऐसे निकलते हैं. जैसे वो कोई स्वतंत्रता सेनानी हो.

राजनीति में अब भ्रष्टाचार स्टेटस सिंबल बनता जा रहा है. नेता अब अपने उपर लगे आरोपों को ग्लैमराइज़ करने लग हैं. यही नहीं चुनाव के समय यही नेता VICTIM कार्ड भी खेलते हैं. 2015 से लेकर अब तक जितने भी चुनाव बिहार में हुए, RJD के अध्यक्ष लालू यादव ने अपने ऊपर लगे आरोपों को राजनैतिक प्रतिशोध बता कर सहानभूती बटोरने की कोशिश की. BSP अध्यक्ष मायावती, एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार और झारखंड मुक्ति मोर्चा के शिबू सोरेन ने भी यही Victim Card खेला. आज चिदंबरम के स्वागत की तस्वीर देख कर आप ये सवाल भी पूछ सकते हैं कि हमारे देश में नैतिकता को लेकर कोई कानून क्यों नहीं बनता ? ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं, जब दागी नेता चुनाव लड़ते हैं, और चुनाव जीतकर संसद या विधानसभाओं में पहुंच जाते हैं . नैतिक रूप से अयोग्य होने के बावजूद भी ये नेता हमारे लोकतंत्र में योग्य साबित हो जाते हैं .

हम आपको ऐसे नेताओं के कुछ उदाहरण दिखाते हैं:

अतुल राय इस समय उत्तर प्रदेश के घोसी से बहुजन समाज पार्टी के सांसद हैं. उनके ऊपर बलात्कार का आरोप है और वो इस वक्त जेल में बंद हैं. गोपाल कांडा इस समय हरियाणा के सिरसा से विधानसभा के सदस्य हैं. उन पर एक महिला को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है और वो विधायक हैं. मुख्तार अंसारी मऊ के विधायक हैं. उन पर हत्या, अपहरण और दूसरे गंभीर आरोप हैं . वो भी इस समय जेल में बंद हैं. कुलदीप सिंह सेंगर उत्तर प्रदेश के उन्नाव से विधायक हैं . उन पर बलात्कार और हत्या की साजिश में शामिल रहने के आरोप हैं. ये भी इस समय जेल में बंद है. नैतिकता का कोई कानून होता, तो शायद ये सभी नेता संसद या विधानसभा के लिए नहीं चुने जाते, लेकिन हमारे संविधान बनाने वालों ने शायद इस दिन की कल्पना ही नहीं की थी.

पी चिदंबरम को ज़मानत मिल गई है . लेकिन वो अकेले नहीं हैं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई नेता ऐसे हैं, जो इस वक्त ज़मानत पर हैं. इनमें कार्ति चिदंबरम, भुपेंद्र सिंह हुड्डा, राज बब्बर, शशि थरूर , दिग्विजय सिंह, वीरभद्र सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू जैसे नेता शामिल हैं.

जेल में रहते हुए ही इलाज होगा पी चिदंबरम का, नहीं जाएंगे प्राइवेट वार्ड

सारिका तिवारी, चंडीगढ़:

– हाईकोर्ट ने चिदंबरम को जेल से प्राइवेट वार्ड में स्थानांतरित करने की याचिका अस्वीकार कर दी।:
– बोर्ड ने रिपोर्ट में कहा कि वर्तमान मामले में निजी वार्ड में प्रवेश की आवश्यकता नहीं है।
– गत 30 नवम्बर को विशेष सीबीआई कोर्ट, दिल्ली द्वारा उनकी न्यायिक हिरासत 13 नवंबर तक बढ़ा दी गई थी।

हाईकोर्ट ने चिदंबरम को जेल से प्राइवेट वार्ड में स्थानांतरित करने की याचिका अस्वीकार कर दी। दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को आदेश दिया कि पी चिदंबरम को एम्स में स्टरलाइज़्ड (जीवाणुरहित) निजी वार्ड में भर्ती करने की आवश्यकता नहीं है। अदालत ने आगे तिहाड़ अधीक्षक को चिदंबरम के लिए साफ और स्वच्छ वातावरण सुनिश्चित करने के लिए कई दिशा-निर्देश दिए। पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री इस समय INX मीडिया मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में ईडी द्वारा दर्ज मामले में तिहाड़ जेल में बंद हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत के समक्ष मेडिकल रिपोर्ट पेश की और कहा कि चिदंबरम की आज सुबह मेडिकल बोर्ड द्वारा जांच की गई। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने जेल अधीक्षक को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि चिदंबरम के आसपास का परिवेश साफ और स्वच्छ हो, उन्हें घर का बना खाना और साफ मिनरल वाटर उपलब्ध कराया जाए। उन्होंने मच्छरदानी और मास्क भी आवेदक को मुहैया कराने के निर्देश दिए। अदालत ने उनके रक्तचाप और साप्ताहिक ओपीडी चेक अप की नियमित निगरानी का भी निर्देश दिया।

एम्स में गठित बोर्ड के एक प्रतिनिधि डॉक्टर ने अदालत के समक्ष रिपोर्ट पेश की, जिसमें चिदंबरम के निजी वार्ड में प्रवेश पर राय का उल्लेख किया गया था। बोर्ड ने रिपोर्ट में कहा कि वर्तमान मामले में निजी वार्ड में प्रवेश की आवश्यकता नहीं है। चिदंबरम को साफ और स्वच्छ वातावरण, मच्छरों से सुरक्षा, स्वच्छ मिनरल जल और घर का पका हुआ भोजन चाहिए। इसके अलावा, उन्हें मास्क दिया जाना चाहिए और उनके कमरे को दिन में दो बार साफ किया जाना चाहिए।

बोर्ड ने चिदंबरम के साप्ताहिक रक्त परीक्षण, ओपीडी के दौरे और स्टेरॉयड के मौखिक सेवन की भी सलाह दी थी। बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, गंभीर रूप से बीमार रोगियों के लिए स्टरलाइज़्ड निजी वार्ड की सिफारिश की जाती है और आवेदक की स्थिति उसी के लिए योग्य नहीं होती है। आवेदक की जांच के बाद, बोर्ड ने चिदंबरम के इन विटल्स को सामान्य स्तर पर होने का उल्लेख किया।

गुरुवार को अदालत ने निर्देश दिया था कि एम्स में एक बोर्ड का गठन किया जाना चाहिए और डॉक्टर नागेश्वर रेड्डी इसका एक हिस्सा होना चाहिए। बोर्ड को तब एम्स के स्टरलाइज़्ड निजी वार्ड में चिदंबरम के प्रवेश पर अपनी रिपोर्ट देनी थी।

नादान बच्चों की जिंदगी लीलते खुले पड़े बोर

सारिका तिवारी, चंडीगढ़ – 31 अक्टूबर:

बोरवेल दुर्घटना के कारण तमिलनाडु में दो वर्षीय सुजीत विल्सन और पंजाब के फ़तह सिंह की दुखद मौत एक आंख खोलने वाली घटनाएं हैं। लेकिन सम्बन्धित विभागों और प्राधिकरणों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता जो कि बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
इस तरह की घटनाएं अभी भी जारी हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने लगभग नौ साल पहले दिशा-निर्देश जारी किए थे।
शीर्ष अदालत द्वारा स्वत संज्ञान लिए गए एक मामले में बोरवेल में गिरने और ट्यूबवेल में गिरने के कारण छोटे बच्चों के साथ होने वाली घातक दुर्घटनाओं की रोकथाम के उपायों पर फिर से विचार किया गया था।

तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस.एच. कपाड़िया और जस्टिस के.एस. राधाकृष्णन और जस्टिस स्वतंत्र कुमार की पीठ ने विभिन्न राज्यों में कई मामलों पर ध्यान दिया था, जहां बच्चे बोरवेल और ट्यूबवेल या खाली पड़े कुओं में गिर गए थे। उसी के अनुसार , अदालत ने 6 अगस्त 2010 को इस तरह के हादसों को रोकने के लिए तत्काल उपाय करने के लिए निर्देश दिए थे। परन्तु ऐसी दर्दनाक हादसों का सिलसिला रुक नहीं रहा।
बोरवेल दुर्घटनाओं का सिलसिला भले ही सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जारी निर्देश को नौ साल बीत चुके हों, लेकिन इस तरह की घातक घटनाएं थमी नहीं हैं। ताजा घटना सुजीत विल्सन की हाल ही में हुई मौत है, जिसके मृत शरीर को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में खुले छोड़ दिए गए बोरवेल से 80 घंटे तक नॉन स्टॉप रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने के बाद निकाला गया था। विल्सन अपने परिवार के फॉर्म में खेलते समय एक खुले बोरवेल में गिर गया था और वह 88 फीट की गहराई पर 80 घंटे से अधिक समय तक उसमें फंसा रहा। इस घटना के साथ कई अन्य घटनाओं को भी रोका जा सकता था,अगर संबंधित अधिकारियों ने उन दिशानिर्देशों का पालन किया होता, जो सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए थे। विशेष रूप से खुले बोरवेल के संबंध में।

अदालत ने निर्देश दिया था कि

1. इनको नीचे से लेकर जमीनी स्तर तक मिट्टी/रेत/बोल्डर/ कंकड़/ ड्रिल कटिंग आदि द्वारा भरा जाना चाहिए। इसके अलावा, ग्राउंड वाटर /पब्लिक हेल्थ/म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन/ प्राइवेट कॉन्ट्रैक्टर आदि के संबंधित विभाग से उपरोक्त प्रभाव या काम के लिए एक प्रमाण पत्र प्राप्त किया जाना चाहिए।
2. संबंधित एजेंसी /विभाग की कार्यकारिणी इन अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए ऐसे खुले कुओं का समय-समय पर औचक निरीक्षण करें।
3. ऐसे सभी खुले बोरवेलों की जानकारी राज्य के जिला कलेक्टर/ खंड विकास कार्यालय में रखी जाए। बोरवेल के निर्माण और उसके बाद के रखरखाव के संबंध में, अदालत ने निर्देश दिया था कि-

1. एक भूमि मालिक, बोरवेल का निर्माण करने के लिए कोई भी कदम उठाने से कम से कम 15 दिन पहले लिखित में क्षेत्र के संबंधित अधिकारियों ,जिनमें जिला कलेक्टर / जिला मजिस्ट्रेट /ग्राम पंचायत के सरपंच/ किसी अन्य सांविधिक प्राधिकारी या भूजल / सार्वजनिक स्वास्थ्य/नगर निगम के संबंधित अधिकारी, को सूचित करें।
2. निर्माण के समय, कांटेदार तार की बाड़ या किसी अन्य उपयुक्त अवरोध को कुएं या बोरवेल के चारों ओर लगाया जाना चाहिए। इसके अलावा, ड्रिलिंग एजेंसी और कुएं के मालिक के विवरण के साथ कुएं या बोरवेल के पास एक साइनबोर्ड लगाया जाना चाहिए।
3. कुएं या बोरवेल के आवरण के चारों ओर 0.50Û0.50Û0.60 मीटर ( जमीनी स्तर से 0.30 मीटर ऊपर और जमीन के स्तर से 0.30 मीटर नीचे) वाले सीमेंट प्लेटफॉर्म का निर्माण किया जाना चाहिए।
4. कुएं या बोरवेल को अच्छी तरह से ढ़कने के लिए वेल्डिंग स्टील प्लेट का प्रयोग किया जाना चाहिए या बोल्ट और नट्स के साथ आवरण पर पाइप की एक मजबूत कैप लगाई जानी चाहिए।
5. एक विशेष स्थान पर ड्रिलिंग संचालन का काम पूरा होने पर, ड्रिलिंग को शुरु करने से पहले जमीन की जैसी स्थिति थी,उसे बहाल करना चाहिए, मिट्टी के गड्ढों और चैनलों को भरना होगा।
6. पंप की मरम्मत के मामले में, नलकूप या ट्यूबवेल को खुला नहीं छोड़ा जाना चाहिए।

इसके अतिरिक्त, यह निर्देश दिए गए थे कि

1. उपरोक्त दिशानिर्देशों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए जिला कलेक्टर को सशक्त बनाया जाना चाहिए।
2. जिला प्रशासन/वैधानिक प्राधिकारी के साथ निजी एजेंसियों सहित सभी ड्रिलिंग एजेंसियों का पंजीकरण अनिवार्य होना चाहिए।
3. जिला/ब्लॉक/ ग्रामवार स्तर पर खोदे गए बोरवेल की स्थिति- उपयोग में आने वाले बोरवेल या कुओं की संख्या, खुले बोरवेलों की संख्या जो खुले पाए गए हैं, परित्यक्त बोरवेलों की संख्या जिनको भूमि स्तर तक ठीक से भर दिया गया है और ऐसे बोरवेल जो अभी जमीनी स्तर तक भरे जाने हैं उनकी संख्या, को जिला स्तर पर बनाए रखी जानी चाहिए।…

अब देश में होंगे 28 राज्य और 9 केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर अब राज्य नहीं

इतिहास के पटल पर आज 31 अक्तूबर का दिन खास तौर पर दर्ज़ हो गया जब आज आधी रात से  जम्मू कश्मीर का राज्य के रूप में अस्तित्व समाप्त हो गया ।

यह पहला मौका है जब एक राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बदल दिया गया हो। आज आधी रात से फैसला लागू होते ही देश में राज्यों की संख्या 28 और केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या नौ हो गई है।

आज जी सी मुर्मू और आर के माथुर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के प्रथम उपराज्यपाल के तौर पर बृहस्पतिवार को शपथ लेंगे।

श्रीनगर और लेह में दो अलग-अलग शपथ ग्रहण समारोहों का आयोजन किया जाएगा। जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल दोनों को शपथ दिलाएंगी।

सरकार ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को दिए गए विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का फैसला किया था, जिसे संसद ने अपनी मंजूरी दी। इसे लेकर देश में खूब सियासी घमासान भी मचा। 

भाजपा ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में जम्मू-कश्मीर को दिया गया विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने की बात कही थी और मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के 90 दिनों के भीतर ही इस वादे को पूरा कर दिया। इस बारे में पांच अगस्त को फैसला किया गया।


सरदार पटेल की जयंती पर बना नया इतिहास 


सरदार पटेल को देश की 560 से अधिक रियासतों का भारत संघ में विलय का श्रेय है। इसीलिए उनके जन्मदिवस को ही इस जम्मू कश्मीर के विशेष अस्तित्व को समाप्त करने के लिए चुना गया।
देश में 31 अक्टूबर का दिन राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाएगा। आज पीएम मोदी गुजरात के केवडिया में और अमित शाह दिल्ली में अगल-अलग कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे। कश्मीर का राज्य के रूप में अस्तित्व समाप्त हो गया। इसके साथ ही दो केंद्रशासित प्रदेशों का दर्जा मध्यरात्रि से प्रभावी हो गया है। नए केंद्र शासित प्रदेश के रूप में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अस्तित्व में आए हैं।

 जम्मू और कश्मीर में आतंकियों की बौखलाहट एक बार फिर सामने आई है. आतंकियों ने कुलगाम में हमला किया है, जिसमें 5 मजदूरों की मौत हो गई है. जबकि एक घायल है. मारे गए सभी मजदूर कश्मीर से बाहर के हैं. जम्मू और कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद से घाटी में ये सबसे बड़ा आतंकी हमला है. आतंकियों की कायराना हरकत से साफ है कि वे कश्मीर पर मोदी सरकार के फैसले से बौखलाए हुए हैं और लगातार आम नागरिकों को निशाना बना रहे हैं.

जम्मू और कश्मीर पुलिस ने कहा कि सुरक्षा बलों ने इस इलाके की घेराबंदी कर ली है और बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चल रहा है. अतिरिक्त सुरक्षा बलों को बुलाया गया है. माना जा रहा है कि मारे गए मजदूर पश्चिम बंगाल के थे.

ये हमला ऐसे समय हुआ है जब यूरोपियन यूनियन के 28 सांसद कश्मीर के दौरे पर हैं. सांसदों के दौरे के कारण घाटी में सुरक्षा काफी कड़ी है. इसके बावजूद आतंकी बौखलाहट में किसी ना किसी वारदात को अंजाम दे रहे हैं. डेलिगेशन के दौरे के बीच ही श्रीनगर और दक्षिण कश्मीर के कुछ इलाकों में पत्थरबाजी की घटनाएं सामने आईं.

जम्मू एवं से अनुच्छेद-370 हटने के बाद यूरोपीय संघ के 27 सांसदों के कश्मीर दौरे को लेकर कांग्रेस सहित विपक्षी दलों द्वारा सवाल उठाने पर भारतीय जनता पार्टी ने जवाब दिया है. पार्टी का कहना है कि कश्मीर जाने पर अब किसी तरह की रोक नहीं है. देसी-विदेशी सभी पर्यटकों के लिए कश्मीर को खोल दिया गया है, और ऐसे में विदेशी सांसदों के दौरे को लेकर सवाल उठाने का कोई मतलब नहीं है.

भाजपा प्रवक्ता शहनवाज हुसैन ने कहा, ‘कश्मीर जाना है तो कांग्रेस वाले सुबह की फ्लाइट पकड़कर चले जाएं. गुलमर्ग जाएं, अनंतनाग जाएं, सैर करें, घूमें-टहलें. किसने उन्हें रोका है? अब तो आम पर्यटकों के लिए भी कश्मीर को खोल दिया गया है.’शहनवाज हुसैन ने कहा कि जब कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटा था, तब शांति-व्यवस्था के लिए एहतियातन कुछ कदम जरूर उठाए गए थे, मगर हालात सामान्य होते ही सब रोक हटा ली गई. उन्होंने कहा, ‘अब हमारे पास कुछ छिपाने को नहीं, सिर्फ दिखाने को है.’

भाजपा प्रवक्ता ने कहा, ‘जब कश्मीर में तनाव फैलने की आशंका थी, तब बाबा बर्फानी के दर्शन को भी तो रोक दिया गया था. यूरोपीय संघ के सांसद कश्मीर जाना चाहते थे. वे पीएम मोदी से मिले तो अनुमति दी गई. कश्मीर को जब आम पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है तो विदेशी सांसदों के जाने पर हायतौबा क्यों? विदेशी सांसदों के प्रतिनिधिमंडल के कश्मीर जाने से पाकिस्तान का ही दुष्प्रचार खत्म होगा.’

आठ दिन और छ्ह फैसले

सारिका तिवारी, चंडीगढ़ 31-अक्टूबर:

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई नवंबर की 17 तारीख को रिटाइर हो रहे हैं  उन्हें छह महत्त्वपूर्ण मामलों में फैसला सुनाना है। सुप्रीम कोर्ट में इस समय दिवाली की छुट्टियां चल रही हैं और छुट्टियों के बाद अब काम 4 नवंबर को शुरू होगा।

अयोध्या बाबरी मस्जिद मामला, राफल समीक्षा मामला , राहुल पर अवमानना मामला, साबरिमाला , मुख्य न्यायाधीश पर यौन उत्पीड़न का मामला और आर टी आई अधिनियम पर फैसले आने हैं।

अयोध्या-बाबरी मस्जिद का मामला इन सभी मामलों में सर्वाधिक चर्चित है अयोध्या-बाबरी मस्जिद का मामला। पांच जजों की संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई पूरी कर चुकी है और 16 अक्टूबर को अदालत ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा। इस पीठ की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ही कर रहे हैं। इस विवाद में अयोध्या, उत्तर प्रदेश में स्थित 2 .77 एकड़ विवादित जमीन पर किसका हक़ है, इस बात का फैसला होना है। हिन्दू पक्ष ने कोर्ट में कहा कि यह भूमि भगवान राम के जन्मभूमि के आधार पर न्यायिक व्यक्ति है। वहीं मुस्लिम पक्ष का कहना था कि मात्र यह विश्वास की यह भगवान राम की जन्मभूमि है, इसे न्यायिक व्यक्ति नहीं बनाता। दोनों ही पक्षों ने इतिहासकारों, ब्रिटिश शासन के दौरान बने भूमि दस्तावेजों, गैज़ेट आदि के आधार पर अपने अपने दावे पेश किये है। इस सवाल पर कि क्या मस्जिद मंदिर की भूमि पर बनाई गई? आर्किओलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट भी पेश की गई।

 रफाल समीक्षा फैसला मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में एसके कौल और केएम जोसफ की पीठ के 10 मई को रफाल मामले में 14 दिसंबर को दिए गए फैसले के खिलाफ दायर की गई समीक्षा रिपोर्ट पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। यह मामला 36 रफाल लड़ाकू विमानों के सौदे में रिश्वत के आरोप से संबंधित है। इस समीक्षा याचिका में याचिकाकर्ता एडवोकेट प्रशांत भूषण और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने मीडिया में लीक हुए दस्तावेजों के आधार पर कोर्ट में तर्क दिया कि सरकार ने फ्रेंच कंपनी (Dassault) से 36 फाइटर जेट खरीदने के सन्दर्भ में महत्वपूर्ण सूचनाओं को छुपाया है। कोर्ट ने इस मामले में उन अधिकारियों के विरुद्ध झूठे साक्ष्य देने के सन्दर्भ में कार्रवाई भी शुरू की जिन पर यह आरोप था कि उन्होंने मुख्य न्यायाधीश को गुमराह किया है। 10 अप्रैल को अदालत ने इस मामले में द हिन्दू आदि अखबारों में लीक हुए दस्तावेजों की जांच करने के केंद्र की प्रारंभिक आपत्तियों को दरकिनार कर दिया था। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने दलील दी थी कि ये दस्तावेज सरकारी गोपनीयता क़ानून का उल्लंघन करके प्राप्त किए गए थे, लेकिन पीठ ने इस प्रारंभिक आपत्तियों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि साक्ष्य प्राप्त करने में अगर कोई गैरकानूनी काम हुआ है तो यह इस याचिका की स्वीकार्यता को प्रभावित नहीं करता।

राहुल गांधी के “चौकीदार चोर है” बयान पर दायर अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा रफाल सौदे की जांच के लिए गठित मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने राहुल गांधी के खिलाफ मीनाक्षी लेखी की अवमानना याचिका पर भी फैसला सुरक्षित रखा। राहुल गांधी ने रफाल सौदे को लक्ष्य करते हुए यह बयान दिया था कि “चौकीदार चोर है।” कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी इस टिपण्णी के लिए माफी मांग ली थी।

सबरीमाला समीक्षा फैसला सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने सबरीमाला मामले में याचिकाकर्ताओं को एक पूरे दिन की सुनवाई देने के बाद समीक्षा याचिका पर निर्णय को फरवरी 6 को सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गोगोई की अध्यक्षता में न्यायमूर्ति खानविलकर, न्यायमूर्ति नरीमन, न्यायमूर्ति चंद्रचूड और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की संविधान पीठ ने इस मामले में याचिकाकर्ताओं की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले में ट्रावनकोर देवस्वोम बोर्ड, पन्दलम राज परिवार और कुछ श्रद्धालुओं ने 28 दिसंबर 2018 को याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में सभी उम्र की महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश की इजाजत दे दी थी। याचिकाकर्ताओं ने इस मामले में अपनी दलील में यह भी कहा था कि संवैधानिक नैतिकता एक व्यक्तिपरक टेस्ट है और आस्था के मामले में इसको लागू नहीं किया जा सकता। धार्मिक आस्था को तर्क की कसौटी पर नहीं कसा जा सकता। पूजा का अधिकार देवता की प्रकृति और मंदिर की परंपरा के अनुरूप होना चाहिए। यह भी दलील दी गई थी कि फैसले में संविधान के अनुच्छेद 17 के तहत ‘अस्पृश्यता’ की परिकल्पना को सबरीमाला मंदिर के सन्दर्भ में गलती से लाया गया है और इस क्रम में इसके ऐतिहासिक सन्दर्भ को नजरअंदाज किया गया है।

मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय आरटीआई के अधीन सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने 4 अप्रैल को सीजेआई कार्यालय के आरटीआई अधिनियम के अधीन होने को लेकर दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल ने दिल्ली हाईकोर्ट के जनवरी 2010 के फैसले के खिलाफ चुनौती दी थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि सीजेआई का कार्यालय आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 2(h) के तहत ‘सार्वजनिक प्राधिकरण’है। वित्त अधिनियम 2017 की वैधता पर निर्णय ट्रिब्यूनलों के अधिकार क्षेत्र और स्ट्रक्चर पर डालेगा प्रभाव राजस्व बार एसोसिएशन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 10 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रखा। इस याचिका में वित्त अधिनियम 2017 के उन प्रावधानों को चुनौती दी गई है, जिनकी वजह से विभिन्न न्यायिक अधिकरणों जैसे राष्ट्रीय हरित अधिकरण, आयकर अपीली अधिकरण, राष्ट्रीय कंपनी क़ानून अपीली अधिकरण के अधिकार और उनकी संरचना प्रभावित हो रही है। याचिकाकर्ता की दलील थी कि वित्त अधिनियम जिसे मनी बिल के रूप में पास किया जाता है, अधिकरणों की संरचना को बदल नहीं सकता।

यौन उत्पीडन मामले में सीजेआई के खिलाफ साजिश मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के खिलाफ यौन उत्पीडन के आरोपों की साजिश की जांच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज न्यायमूर्ति एके पटनायक ने की और जांच में क्या सामने आता है, इसका इंतज़ार किया जा रहा है। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, आरएफ नरीमन और दीपक गुप्ता की पीठ ने न्यायमूर्ति पटनायक को एडवोकेट उत्सव बैंस के दावों के आधार पर इस मामले की जांच का भार सौंपा था। उत्सव बैंस ने कहा था कि उनको किसी फ़िक्सर, कॉर्पोरेट लॉबिस्ट, असंतुष्ट कर्मचारियों ने सीजेआई के खिलाफ आरोप लगाने के लिए एप्रोच किया था। ऐसा समझा जाता है कि न्यायमूर्ति पटनायक ने इस जांच से संबंधित अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी है।


देश न छोड़ कर जाने की शर्त पर मिली चिदम्बरम को जमानत

INX Media Case: पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम को सीबीआई वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने देश नहीं छोड़ने के शर्त पर जमानत दी है.

  1. सुप्रीम कोर्ट ने पी चिदंबरम को दी जमानत
  2. देश न छोड़कर जाने की रखी शर्त
  3. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को रद्द किया

डेमोक्रेटिकफ्रंट ब्यूरो, नई दिल्ली – 22 अक्टूबर, 2019

आईएनएक्स मीडिया केस में पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के केस में पी चिदंबरम को एक लाख के निजी मुचलके पर जमानत मिली है. इस बेल के बाद भी चिदंबरम तिहाड़ जेल में रहेंगे, क्योंकि वह 24 अक्टूबर तक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कस्टडी में है.

सीबीआई कोर्ट ने आईएनएक्स मीडिया मामले में सोमवार को चिदंबरम के खिलाफ चार्जशीट का संज्ञान लिया था. कोर्ट ने पूर्व मंत्री को 24 अक्टूबर को पेश होने का आदेश दिया है. अदालत ने इसके आलावा आरोपपत्र में नामित सभी आरोपियों के खिलाफ समन जारी किया है. हालांकि उनकी पेशी की तिथि का बाद में ऐलान किया जाएगा.

सीबीआई ने शुक्रवार को चिदंबरम, उनके बेटे कार्ति व अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था. आरोपपत्र में एजेंसी ने पीटर मुखर्जी, कार्ति चिदंबरम, पी चिदंबरम, कार्ति के अकाउंटेंट भास्कर, कुछ नौकरशाह समेत 14 लोगों के नाम शामिल किए हैं . एजेंसी ने आईएनएक्स मीडिया, चेस मैनेजमेंट और एएससीएल कंपनियों के नाम भी अपने आरोपपत्र में शामिल किए हैं.

जेल में ही बीतेगी दिवाली!

पी चिदंबरम को दिवाली तक ही रहना होगा. दिवाली से पहले 24 अक्टूबर तक ईडी की हिरासत में पी चिदंबरम रहेंगे. अगले सात दिनों के लिए हिरासत बढ़ाने की मांग ईडी करने वाली है. अगर तीन दिनों के लिए हिरासत बढ़ाई जाएगी तो चिदंबरम को जेल में ही रहना होगा.

कब क्या हुआ?

20 अगस्त को दिल्ली हाई कोर्ट ने पी चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी. इसी के साथ सीबीआई को चिदंबरम के लिए गैरजमानती वारंट कोर्ट से मिल गया था. 21 अगस्त को सीबीआई ने पी चिदंबरम को उनके जोर बाग स्थित आवास से गिरफ्तार किया था. 22 अगस्त को सीबीआई ने कोर्ट में उन्हें पेश किया था. सीबीआई ने कोर्ट से 5 दिन की एजेंसी कस्टडी मांगी थी.

ईडी को मिली हिरासत

5 सितंबर को स्पेशल कोर्ट ने पी चिदंबरम को 14 दिन के लिए सीबीआई की हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया. 30 सितंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने पी चिदंबरम की जमानत याचिका खारिज कर दी. 15 अक्टूबर को स्पेशल कोर्ट ने ईडी को इजाजत दी कि एजेंसी तिहाड़ जेल में पी चिदंबरम से पूछताछ कर सकती है, साथ ही अगर जरूरत पड़ी तो हिरासत में ले सकती है.

24 अक्टूबर को होगी कोर्ट में पेशी

17 अक्टूबर को कोर्ट ने ईडी को पी चिदंबरम की कस्टडी रिमांड 24 अक्टूबर तक दे दी. 18 अक्टूबर को सीबीआई ने चार्जशीट तैयार की जिसमें 13 अन्य के खिलाफ आईएनएक्स मीडिया केस में आरोपी बनाया गया . 21 अक्टूबर को कोर्ट सीबीआई कोर्ट ने चार्जशीट स्वीकार कर ली और पी चिदंबरम को समन भेजा. 24 अक्टूबर को कोर्ट में पी चिदंबरम को पेश होना होगा.

क्या है मामला?

वित्त मंत्री के अपने कार्यकाल के दौरान आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) से मंजूरी देने में कथित अनियमितता में संलिप्तता को लेकर चिदंबरम को 21 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था, तब से वे न्यायिक हिरासत में हैं.