कर्नाटक के मंत्री डीके शिवकुमार ने बीजेपी पर कांग्रेस विधायकों की खरीद फरोख्त का आरोप लगाया. डीके शिवकुमार ने मुख्यमंत्री कुमारस्वामी पर भी बीजेपी का पक्ष लेने का आरोप जड़ दिया.
बेंगलुरू : कर्नाटक की कांग्रेस जेडीएस सरकार पर खतरा मंडरा रहा है. कांग्रेस के ही मंत्री ने दावा किया है कि उनकी ही पार्टी के तीन विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं. जो इस समय मुंबई में मौजूद हैं. कर्नाटक के जल संसाधन मंत्री डी के. शिवकुमार ने रविवार को कहा कि राज्य की गठबंधन (कांग्रेस- जेडीएस) सरकार को गिराने के लिए भाजपा का ‘ऑपरेशन लोटस’ वास्तव में चल रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के तीन विधायक मुंबई के एक होटल में भाजपा के कुछ नेताओं के साथ डेरा डाले हुए है.
कांग्रेस नेता शिवकुमार ने कहा, ‘राज्य में विधायकों की खरीद फरोख्त जारी है. हमारे तीन विधायक भाजपा के कुछ विधायकों और नेताओं के साथ मुंबई के एक होटल में हैं. वहां क्या कुछ हुआ है उन्हें कितनी रकम की पेशकश की गई है, उससे हम अवगत हैं.’ गौरतलब है कि 2008 में कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा नीत सरकार की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए भाजपा द्वारा कई विपक्षी विधायकों को कथित प्रलोभन दिए जाने को ‘ऑपरेशन लोटस’ के नाम से जाना जाता है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/01/talk1.jpg450900Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-01-13 18:50:272019-01-13 18:50:30कर्नाटक सरकार के 3 एमएलए भाजपा के साथ :डी के शिवकुमार
पाकिस्तान में करोड़ों रुपये मूल्य की अपनी संपत्ति छोड़कर पंजाब पहुंचे 50 वर्षीय सरन सिंह ने कहा कि पाकिस्तान में उनके साथ दोयम दर्ज का व्यवहार किया जाता था. नरेन्द्र मोदी सरकार के नागरिकता संशोधन विधेयक से सुरवीर सिंह और पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान के हजारों शरणार्थियों के मन में आस की उम्मीद फिर से जगी है
नई दिल्ली: अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न से परेशान होकर भागे सुरवीर सिंह को पहचान और आजीविका के दो पाटों के बीच पिसना पड़ रहा है. अपनी मातृभूमि भारत की नागरिकता के लिए आवश्यकताओं को पूरा करने और एक स्थिर नौकरी पाने के लिए उनकी दुविधा 27 साल बाद भी दूर होने का नाम नहीं ले रही है. चार सदस्यों के अपने परिवार के साथ अमृतसर में रहने वाले 33 वर्षीय सिंह ने कहा कि उसे अपनी मातृभूमि में रहने के लिए हर दूसरे महीने सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ते है. वर्ष 1992 में उसके माता-पिता के भारत आने का फैसला लेने से पहले सुरवीर सिंह का परिवार अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत में रहता था.
सोवियत संघ की वापसी और मुजाहिदीन के आगमन के बाद हिंदुओं और सिखों के अफगानिस्तान छोड़ने की एक लहर सी चली थी. परिवार का एकमात्र कमाने वाला होने के नाते सुरवीर सिंह कई तरह की नौकरियां करके अपनी आजीविका कमाते हैं. हालांकि उनका परिवार उसी समय भारत आया था और उनके परिवार के प्रत्येक व्यक्ति के पास अलग-अलग तारीखों में जारी किये गये वीजा और शरणार्थी प्रमाण पत्र हैं.
सिंह ने कहा कि क्योंकि उनकी नागरिकता का आवेदन नौकरशाही के चक्रव्यूह में फंस गया है और उन्हें अपने कागजातों को बनाये रखने के लिए नियमित रूप से सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने की आवश्यकता पड़ती है. उन्होंने कई राजनीतिक नेताओं से भारतीय नागरिकता हासिल करने की गुहार लगाई है लेकिन उन्हें आश्वासनों के अलावा कुछ नहीं मिला है. सुरवीर सिंह ने कहा,‘‘हर 12 महीनों में कागजातों की अवधि समाप्त होने के बाद, मुझे हर दो या तीन महीनों में इनके नवीनीकरण के लिए अपने परिवार के एक सदस्य के साथ नई दिल्ली जाना पड़ता है. ’’
उन्होंने कहा कि नौकरी तलाशना पहले से ही बहुत मुश्किल है क्योंकि कोई भी शरणार्थियों को रोजगार नहीं देना चाहता है. यहां तक कि अगर किसी को नौकरी मिलती है तो अक्सर उन्हें कम भुगतान किया जाता है और हर दूसरे महीने नई दिल्ली जाने की आवश्यकता की वजह से नियोक्ता नाराज हो जाते है और वे ऐसे कर्मचारियों की तलाश करते है जिन्हें कम छुट्टी की जरूरत होती है. हालांकि नरेन्द्र मोदी सरकार के नागरिकता संशोधन विधेयक से सुरवीर सिंह और पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान के हजारों शरणार्थियों के मन में आस की उम्मीद फिर से जगी है.
यह प्रस्तावित विधेयक नागरिकता कानून 1955 में संशोधन के लिए लाया गया है. इस विधेयक के कानून बनने के बाद, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के मानने वाले अल्पसंख्यक समुदायों को 12 साल के बजाय छह साल भारत में गुजारने पर और बिना उचित दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता मिल सकेगी. सुरवीर सिंह ने कहा,‘‘मैं सरकार से इस विधेयक को जल्द से जल्द पारित करने का आग्रह करता हूं. ’’ उनकी तरह ही सरन सिंह ने कहा कि वह एक गरिमापूर्ण जीवन चाहते है.
पाकिस्तान में करोड़ों रुपये मूल्य की अपनी संपत्ति छोड़कर 1999 में अपने परिवार के साथ पंजाब पहुंचे 50 वर्षीय सरन सिंह ने कहा कि पाकिस्तान में उनके साथ दोयम दर्ज का व्यवहार किया जाता था. वह पाकिस्तान की खैबर एजेंसी में रहते थे जहां आतंकवाद और धार्मिक उत्पीड़न जोरों पर था. उन्होंने कहा कि आतंकवादी प्राय: उन्हें बाध्य किया करते थे कि यदि वे जीवित रहना चाहते हैं तो उनका परिवार इस्लाम कबूल कर ले.
इसलिए कई महिलाओं का अपहरण कर लिया गया और उन्हें जबरन इस्लाम कुबूलवाया गया. सरन ने कहा,‘‘कोई भी हमारी बेटियों और बेटों से शादी नहीं करना चाहता क्योंकि जब उन्हें पता चलता है कि हम पाकिस्तान से है तो वे हमे संदेह की नजर से देखते है. लोग कहते हैं कि आपके पास भारतीय नागरिकता नहीं है, अगर सरकार आपको निर्वासित करने का फैसला करती है तो क्या होगा? शादी का क्या होगा?’’
उन्होंने कहा,‘‘हम पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न से बचकर अपनी मातृभूमि भारत पहुंचे लेकिन यहां हम लाल फीताशाही और नौकरशाही की बाधा में फंस गये. कभी-कभी अधिकारी हमें अपने पाकिस्तानी पासपोर्ट को नवीनीकृत करने के लिए कहते हैं जिसके लिए हमें पाकिस्तान जाने और जारी किए गए कागजात प्राप्त करने के लिए अपने जीवन को जोखिम में डालना पड़ता है. ’’
सरन ने कहा,‘‘जब हम पाकिस्तान में रह रहे थे तो स्थानीय लोगों का कहना था कि आप पाकिस्तानी नहीं हूं क्योंकि आप हिंदू और सिख हो और आपको अपने देश जाना चाहिए. भारत में रहने के दौरान लोग कहते हैं कि आप पाकिस्तान से हो. ’’ उन्होंने सरकार से उन्हें जल्द से जल्द नागरिकता दिये जाने का अनुरोध किया.
सरन ने कहा,‘‘हमें अपने दैनिक जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है क्योंकि किसी भी काम के लिए आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र की जरूरत होती है. ’’ उन्होंने दावा किया कि कागजातों के नहीं होने के कारण कई शरणार्थी अपने बच्चों को शिक्षित भी नहीं कर पाते है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/01/55891b417c034.jpg480800Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-01-13 18:34:572019-01-13 18:35:00नागरिकता संशोधन विधेयक से पाक हिंदुओं सिखों में बंधी सम्मानजनक जीवन की आस।
सपा-बसपा के गठबंधन को लेकर आजाद ने कहा- हमने गठबंधन नहीं तोड़ा, हम सबसे बात करने के लिए तैयार थे
उन्होंने कहा- 2009 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उप्र में नम्बर 1 पार्टी बनी थी, इस बार दोगुनी सीटें जीतेंगे
राहुल गांधी ने शनिवार को कहा था- हम यूपी में पूरे दम से लड़ेंगे
माया अखिलेश तो वैसे भी अमेठी रायबरेली में चुनाव नहीं लड़ते, उनका सीट छोडना न छोडना एक बराबर है।
कांग्रेस 80 सीटों पर इस लिए लड़ रही है क्योंकि अखिलेश माया का पता ही नहीं कि वह चुनाव लड़ भी रहे हैं कि नहीं।
समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन में शामिल न होने के बाद कांग्रेस ने अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है. रविवार को पार्टी प्रदेश मुख्यालय पर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी गुलाम नबी आजाद, प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर समेत प्रदेश के शीर्ष नेताओं ने बैठक की. इस दौरान गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हम कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में पूरी शक्ति से अपनी विचारधारा का पालन करते हुए यह चुनाव लोकसभा लड़ेंगे और भारतीय जनता पार्टी को पराजित करेंगे. हम उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. हमारी तैयारी पूरी है. नतीजे चौंकाने वाले होंगे.
उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया जानती है कि संसद की लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस के बीच है. हम उन दलों का समर्थन जरूर लेंगे जो हमारी मदद करेंगे. इस लड़ाई में हम उन तमाम दलों का सम्मान करते हैं जो इस लड़ाई में आगे बढ़ेंगे. बीजेपी और कांग्रेस के बीच सिद्धांतों की लड़ाई है. यह कोई व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है यह भारत को एक रखने की लड़ाई है. देश मजबूत तब होगा जब सरकार पर सभी समुदाय, सभी वर्गों का विश्वास और भरोसा हो. पार्टी वह होती है जो अपनी पार्टी का नुकसान झेल ले, लेकिन राष्ट्र का नुकसान ना झेले.
गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस के इतिहास को बताते हुए कहा कि लोगों ने कुर्बानियां देकर भारत को स्वतंत्र कराया है. आजादी के बाद पहली कांग्रेस सरकार ने सबसे पहला काम सैकड़ों टुकड़ों में बंटे देश को इकट्ठा करके भारत बनाने का किया. पंडित नेहरू की सरकार ने संविधान बनाया और सभी धर्मों को बराबर अधिकार दिए. उन्होंने कहा कि हमने आजादी से पहले भी किसानों, दलितों, गरीबों, महिलाओं के लिए काम किया और आजादी के बाद भी हमने उन्हें बुनियादी सुविधाओं के साथ सामाजिक अधिकार दिया.
सवाल: मायावती ने कहा कि कांग्रेस के साथ गठबंधन करना बेकार है? गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हर आदमी का अपना विचार होता है और मैं किसी का विचार नहीं बदल सकता हूं। यह बात हमारे संविधान में भी है कि हर आदमी को विचार रखने की छूट है। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी का इतिहास रहा है और अगर किसी की पार्टी का है तो वह भी बताएं। वह बताएं कि वर्ष 85 से उनकी पार्टी कहां थी और उनका क्या योगदान है।
सवाल: क्या शिवपाल और अजित सिंह के साथ गठबंधन करेंगे? गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हमारी पार्टी तीन-चार सालों से कह रही है बीजेपी को हराने के लिए जो दल हमारे साथ आना चाहता है उसका स्वागत है। उन्होंने कहा कि कोई पार्टी गठबंधन में आना चाहती है तो उसका स्वागत है। एलान के बाद पार्टियां खुद से आती है और ये बातें मीडिया से नहीं होती है।
सवाल: क्या माया और अखिलेश चुनाव लड़ेंगे तो कांग्रेस उम्मीदवार उतारेगी? गुलाम नबी आजाद ने कहा कि रायबरेली औँर अमेठी में सपा-बसपा वैसे भी उम्मीदवार नहीं उतारती है। उन्होंने कहा कि अभी तो यह भी नहीं पता है कि मायावती और अखिलेश यादव लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे या नहीं।
सवाल: आपको तीसरे मोर्चो की संभवाना लगती है और ऐसा हुआ तो प्रधानमंत्री कौन होगा? गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पहले बीजेपी चुनाव हार जाए फिर दखेंगे। उन्होंने कहा कि अगर कोई चेहरा प्रधानमंत्री के समकक्ष होगा तो फिर देखेंगे।
सवाल: मायावती ने कहा है कि अगर EVM पर सवाल उठे तो आंदोलन करेंगे? इसमें आपका क्या स्टैंड है? गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हम कई साल कह रहे हैं और ईवीएम में शिकायतें मिल रही है। हम शिकायत लेकर चुनाव आयोग के पास भी गए। हमारी तो मांग है कि 30 प्रतिशत चुनाव बैलेट पेपर से होने चाहिए।
भाजपा पर किसानों का उत्थान न करने का आरोप लगाते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने जो वादे किए थे, वह हमने पूरे किए. कर्नाटक, पंजाब, मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में किसानों का कर्ज माफ किया.
एक बात तो तय है कि सभी दल पूरे दम खम से अपनी अपनी लड़ाई लड़ेंगे लेकिन ज्यों ही नतीजे आएंगे तो यही एक दूसरे के खिलाफ लड़ने वाले चुनाव पश्चात गठबंधन बना लेंगे। यही इनकी सच्चाई है ओर यही इनकी नीयति
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/01/akh.jpeg347618Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-01-13 10:07:412019-01-13 10:07:4380 के 80 पर लड़ेगी कांग्रेस
इतिहास ने कितने ही ऐसे नामों को संजोया जो हमें हमारे होने पर मान करवाते हैं। एक इतिहास है जो किताबों में लिखा गया और पाठशालाओं में हमने पढ़ा, और एक इतिहास वो जो लोगों के दिलों में रचा बसा, दादी नानी की कहानियों में, गावों से शहरों तक आये लोक गीतों में झूमता-डोलता है। कितने ही वीर सूरमा, कितने प्यार के परवाने, कितने भक्ति में डूबे दीवाने, कितने हंसी-ठट्ठा करते-कराते शेख़चिल्ली, कितने दानी धीर-वीर, सदियों से दिनों-दिन बदलते समाज के ढाँचे में लगे ईंट-पत्थर के समान उसकी सांस्कृतिक इमारत को बुलंद रखे हुए, बने हैं इन्हीं गीतों-कहानियों के ज़रिये हमारी आत्मा के प्रबल सम्बल। जिस समाज की कहानियाँ जितनी पुरानी हैं, उतनी ही गहरी है उसके शीलाचार, शिष्टाचार एवं सिद्धांतों की नींव। समय की आँधियाँ उस समाज के लोगों की प्रतीक्षित परीक्षाएं ही तो हैं। अपने बड़े-पुरखों की कहानियों में रचित जिजीविषा से प्रेरित वह समाज नयी कहानियाँ रचता है, परन्तु कभी समाप्त नहीं होता, बल्कि नया इतिहास बनाता है – पुरानी कहानियाँ-गीत संजोता है, और नए नए विचार गुनता है।
ऐसी ही भाग्यशाली शगुनों के ख़ुशी-भरे नाच-गानों में संजोयी एक खूबसूरत कहानी है, वीर सूरमा ‘दुल्ला भट्टी’ की जो लोहड़ी (मकर संक्रांति) के शुभ त्यौहार के दिन उत्तर भारत में घर-घर में न सिर्फ़ गायी जाती है, अपितु नाची भी जाती है। राय अब्दुल्लाह खान लोक-वाणी में ‘दुल्ला भट्टी’ नाम से प्रचलित हैं। हम में से कितनों की ज़बान पर यह नाम बिना इसकी सही जानकारी के लोहड़ी त्यौहार के प्रचलित लोक गीत में थिरकता है कि यह एक श्रद्धांजलि है एक ऐतिहासिक राजपूत वीर को जिसने सम्राट अक़बर के समय छापामार युद्ध किये, और आततायियों की सतायी कितनी ही स्त्रियों के जीवन पुनः बसाये।
पंजाब में फ़ैसलाबाद के पास के संदलबार इलाक़े में जन्मे दुल्ले की माँ का नाम लड्डी और पिता का नाम फ़रीद खान था, दादा थे संदल खान। ‘संदलबार’ (संदल की बार) का इलाका उन्ही संदल खान के नाम से पड़ा, रावी और चनाब नदियों के बीच का यह इलाक़ा अब पाकिस्तान में है और यहीं मिर्ज़ा-साहिबां की अमर प्रेमगाथा भी प्रसिद्ध हुई। दुल्ला के दादे-नाने यहीं संदलबार में पिंडी भट्टियाँ के राजपूत शासक थे। मुग़लों के शासन काल में पिंडी भट्टियां के राजपूत लड़ाकों नें विद्रोह करते हुए कर देना बंद कर दिया व मुगल सैनिकों से छापामार युद्धों की शुरुआत की। इस विद्रोह को डर से कुचलने के लिए पकड़े गए विद्रोहियों को मारकर उनकी मृत लाशों की चमड़ी उधड़वा, उनमें भूसा भर कर गावों के बाहर लटकाया गया, इन्हीं में दुल्ले के पिता और दादा भी थे। पंजाबी लोकगीतों ‘दुल्ले दी वार’ और ‘सद्दां’ में दुल्ले की यह गाथा मिलती है । इस शहादत के बारे में ‘सद्दां’ में ऐसे लिखा गया है –
दुल्ला, जिसका कि जन्म इस घटना के बाद हुआ, ओजस्वी अनख वाली राजपूत माँ का पुत्र था जिसके बारे में एक कहानी यह भी है कि अक़बर का पुत्र सलीम भी उसी समय के दौरान पैदा हुआ किन्तु वह एक कमज़ोर शिशु था, और अक़बर की आज्ञा से पिंडी भट्टियां की लड्डी को सलीम को दूध पिलाने की दाई रखा गया। क़रीब 12-13 वर्ष तक सलीम और दुल्ला इकट्ठे पले-बढ़े, एक ही दाई माँ की परवरिश में। लड्डी को जब उसकी इस सेवा से निवृत किया गया, और जब वह वापिस पिंडी भट्टियाँ आयी तो उसने दुल्ले को उसके पिता-दादा की शूरवीरता की कहानियाँ सुनाई, और उनके हश्र की भी। ज़ाहिर है कि उन दोनों के वापिस आने पर गाँव के बड़े-बूढ़ों की जुबां पर भी यही वीर-गाथाएं दिन-रात थिरकती रहती होंगी। दुल्ला ने अपने अंदर के दावानल को मुगलों की ताक़त के ख़िलाफ़ पूरे वेग से लगा दिया। दुल्ला ने फिर से अपने लोगों को इकट्ठा कर एक बार पुनः विद्रोह को जमाया, छापामार युद्ध किये, राजसी टोलों को लूट कर, लूट के धन को जनता में बांटा, संदलबार में लोगों ने फिर से ‘कर’ देना बंद कर दिया। कहानी है कि विद्रोह इस हद तक बढ़ा और फैला कि मुगलों को अपनी शहंशाही राजधानी दो दशकों तक लाहौर बनानी पड़ी।
यह राजपूत वीर सूरमा न सिर्फ़ राज-विद्रोह के लिए लोगों के मन में बसा, बल्कि इसने उस समय के समाज में हो रही स्त्रियों की दुर्दशा के ख़िलाफ़ ऐसे कदम उठाये जो कि उसको एक अनूठे समाज सुधारक की श्रेणी में ला खड़ा करते हैं। पंजाब की सुन्दर हिन्दू लड़कियां जिन्हें ज़बरन उठा लिया जाता था और मध्यपूर्वी देशों में बेच दिया जाता या शाही हरम के लिए या मुग़ल ज़मींदारों के लिए, दुल्ले ने उनको न सिर्फ़ आततायियों से छुटकारा दिलवाया बल्कि उनके एक नयी रीति से विधिपूर्वक विवाह भी रचाये। सोचिये, हम बात कर रहे हैं सोहलवीं सदी की – जिन लड़कियों को छुड़वाया गया, उनके दामन दाग़दार, इज्ज़त रूठी हुई , आबरू के आँचल कमज़ोर, झीने और ज़ार ज़ार थे। ऐसे में अत्याचारियों से छुड़वा कर उनको उनके घर वापिस ले जाना कैसे सम्भव हुआ होगा? कौन-सा समाज ऐसी कुचली हुई दुखी आत्माओं के लिए भूखे भूतों का जंगल नहीं है? ये सभी माँएं, बहनें, बेटियां उन सभी रिश्तों को खो तब किस हश्र के हवाले थी? लेकिन दुल्ले ने उसी समाज में से ऐसे ऐसे सुहृदय पुरुष ढूँढ निकाले जिन्होंने इन स्त्रियों को सम्बल दिया, घर-परिवार व सम्मान दिया और विवाहसूत्र में उनके साथ बंध गये।
ये सभी बनी दुल्ले की बेटियां – किसी पंडित के न मिलने पर हिन्दू विवाह की रीति निभाने के लिए शायद ‘राइ अब्दुल्लाह खान’ उर्फ़ मुसलमान राजपूत दुल्ला भट्टी ने स्वयं ही अग्नि के आस पास फेरे दिलवा, आहुति डाल उनके विवाह करवाये, न जाने कितनी ऐसी बेटियों का कन्यादान दिया, उनका दहेज बनाया जो एक सेर शक्कर के साथ उनको दिया जाता और इन विवाहों की ऐसी रीति बना दी कि दुल्ले के करवाये इन्ही विवाहों की गाथा आज हम लोहड़ी के दिन ‘जोड़ियां जमाने’ के लिए गाते हैं, विवाहों में समन्वय और ख़ुशी के संचार के लिए अग्नि पूजा करके गाते और मनाते हैं। –
12000 सैनिकों की सेना से युद्ध के बावजूद जांबाज़ दुल्ला को पकड़ न पाने पर धोखे से उसे या ज़हर दे कर मार देने का उल्लेख है, या बातचीत का झांसा दे दरबार बुला कर गिरफ़्तार कर जनता के सामने कोतवाली में फांसी दिए जाने का। धरती के इस सच्चे सपूत के जनाज़े में सूफ़ी संत शाह हुसैन ने भाग लिया और अंतिम दफ़न का काम पूर्ण किया, दुल्ला भट्टी की क़ब्र मियानी साहिब कब्रिस्तान (लाहौर, पंजाब, पाकिस्तान) में है। आज भी इस दरगाह पर फूल चढ़ते हैं।
उत्तर भारत में लोहड़ी का त्यौहार जो मकर संक्रांति की पूर्व संध्या का उत्सव है दुल्ले की याद की अमरता से जुड़ा है। अब जब हर साल लोहड़ी पर अग्नि में आशीर्वाद के लिए मूंगफली और फुल्ले डालें, उसके फेरे लें और “सुन्दर मुंदरिये” पर नाचते गाते बच्चों के थाल भरेंगे तो मन में इस अनूठे समाज सुधारक वीर सूरमा दुल्ला भट्टी को भी याद कर नमन करें और स्वयं भी अच्छे कर्म करने का संकल्प लें।
************************************************************************ लोकगाथाओं के सही सही काल का पता लगाना अक्सर मुश्किल होता है। समय की अनेकानेक परतों से गुज़रती यह गाथाएं कहीं कहीं कल्पनाशील अतिश्योक्तियों से पूर्ण भी होती हैं। मैं कोई शोधकर्ता नहीं, किन्तु जीवन और संस्कृति के प्रति जिज्ञासु ज़रूर हूँ। राय अब्दुल्लाह खान भट्टी की इस कथा के जालघर पर कोई २-४ वर्णन मिलते हैं। सन १९५६ में “दुल्ला भट्टी” नामक एक पंजाबी चलचित्र में भी यह कहानी दर्शायी गयी है। मेरा यह लेख इन्ही सूत्रों से प्रेरित है, हाँ, इसमें मामूली सी कल्पना की छौंक मेरी भी है, जो बस इस जोशभरी कहानी को जान लेने के बाद आयी एक स्वाभाविक उत्सुकता है जिसको सांझा करना सही समझती हूँ। कहीं उल्लेख है कई स्त्रियों के विवाह का, कहीं सिर्फ़ एक का, कहीं बताया है के ‘सुन्दर मुंदरिये’ गीत दुल्ले ने ही गाया। कहीं अक़बर की राजधानी दिल्ली से लाहौर ले जाने की बात है – जो कि लिखित इतिहास के अनुसार न कभी दिल्ली थी और न ही कभी लाहौर! तो ख़ैर, लेख लिखते समय मेरे लिए शायद यह एक बहुत ही बड़ी बात थी कि जिस गीत को मैं बचपन से गाती आ रही हूँ लोहड़ी पर वह उस वीर सुरमा की शौर्य गाथा है न कि कोई शादी का ‘दूल्हा’!! मेरा बाल-मन बस उछल उठा ‘दुल्ला भट्टी’ के कारनामों को पढ़ के और देख के, और अब आप से सांझा कर के। साभार: विभा चसवाल
लोहड़ी के लोक गीत
सुन्दर मुंदरिये,— हो तेरा कौन विचारा,— हो दुल्ला भट्टीवाला, —हो दुल्ले धी व्याही, —-हो सेर शक्कर पायी,— हो कुड़ी दा लाल पताका,—- हो कुड़ी दा सालू पाटा,—- हो सालू कौन समेटे,—- हो मामे चूरी कुट्टी, —-हो, जिमींदारां लुट्टी, —- हो ज़मींदार सुधाये, —-हो गिन गिन पोले लाए, — हो इक पोला घट गया! —-हो ज़मींदार वोहटी ले के नस गया—-हो इक पोला होर आया —-हो ज़मींदार वोहटी ले के दौड़ आया—-हो सिपाही फेर के ले गया,—–हो सिपाही नूं मारी इट्ट —-हो भावें रो ते भावें पिट्ट। —-हो
साहनूं दे लोहड़ी, तेरी जीवे जोड़ी! साहनूं दे दाणे तेरे जीण न्याणे!!
‘पा नी माई पाथी तेरा पुत्त चढ़ेगा हाथी हाथी उत्ते जौं तेरे पुत्त पोते नौ! नौंवां दी कमाई तेरी झोली विच पाई टेर नी माँ टेर नी लाल चरखा फेर नी! बुड्ढी साह लैंदी है उत्तों रात पैंदी है अन्दर बट्टे ना खड्काओ सान्नू दूरों ना डराओ! चार क दाने खिल्लां दे पाथी लैके हिल्लांगे कोठे उत्ते मोर सान्नू पाथी देके तोर!
जहां से लोहड़ी मिल जाती थी वहाँ कंघा बी कंघा एह घर चंगा
और जहां से ना मिले
हुक्का बी हुक्का एह घर भुक्खा
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/01/15_59_126282610lohri-1-ll-1.jpg400600Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-01-13 06:01:242019-01-13 06:01:27लोहड़ी पर्व: राय अब्दुल्लाह खान जिसकी स्मृति में हम नाचते गाते हैं
न्यायमूर्ति जी. के. इलान्तिरैयन ने नलिनी चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें चार हफ्ते की अंतरिम जमानत दी
मद्रास उच्च न्यायालय ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी को शारदा चिट फंट मामले में सीबीआई की गिरफ्तारी से शनिवार को अंतरिम सुरक्षा दे दी. उन्हें यह सुरक्षा तब तक दी गई है जब तक उन्हें पश्चिम बंगाल में एक अदालत से अग्रिम जमानत नहीं मिल जाती.
न्यायमूर्ति जी. के. इलान्तिरैयन ने नलिनी चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए अंतरिम आदेश पारित किया. उन्होंने नलिनी को चार हफ्ते की अंतरिम जमानत दी और उन्हें यहां एगमोर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष आत्मसमर्पण करने और जमानत देने के निर्देश दिए. इसके बाद उन्हें पश्चिम बंगाल में अदालत का रुख करने और नियमित अग्रिम जमानत हासिल करने के निर्देश दिए गए.
वहीं विशेष लोक अभियोजक (प्रवर्तन निदेशालय) जी. हेमा ने याचिका का विरोध किया और दलील दी कि अदालत को नलिनी की याचिका पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह मामला उसके अधिकार क्षेत्र का नहीं है. ईडी ने धन शोधन निरोधक कानून के तहत इस मामले में प्रवर्तन मामला प्राथमिकी रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज की थी.
सरकार ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ के लिए केंद्रीय एजेंसियों का कर रही है दुरुपयोग
वरिष्ठ वकील नलिनी ने गिरफ्तारी की आशंका से यह याचिका दायर की. इससे एक दिन पहले सीबीआई ने कोलकाता की एक कोर्ट में उनके खिलाफ आरोपपत्र दायर किया जिसमें कहा गया है कि उन्होंने शारदा समूह की कंपनियों से 1.4 करोड़ रुपए प्राप्त किए. ये कंपनियां चिटफंड घोटाले में शामिल हैं.
नलिनी ने अपनी याचिका में कहा कि यह राशि पॉजीटिव टीवी के संबंध में मनोरंजन सिंह की तरफ से शारदा रियलिटी लिमिटेड ने वैध भुगतान किया था. उन्होंने कहा कि कथित चिटफंड घोटाले के संबंध में शारदा समूह के मालिक सुदिप्तो सेन और उनकी कंपनियों के खिलाफ सीबीआई के पूर्व आरोपपत्रों में उनका नाम नहीं है.
नलिनी की ओर से पेश वकील ने कहा,‘पूर्ववर्ती आरोपपत्र के विपरीत 11 जनवरी को सीबीआई ने आईपीसी के तहत साजिश समेत अन्य अपराधों के लिए पश्चिम बंगाल के समक्ष छठा पूरक आरोपपत्र दायर किया जिसमें घोटाले में उनके शामिल होने का आरोप लगाया गया.’
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ के कारण उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ झूठ मामले दायर करके केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है. सीबीआई ने आरोप लगाया था कि नलिनी ने सेन और अन्य आरोपियों के साथ मिलकर शारदा समूह की कंपनियों के फंड का गबन करने और धोखाधड़ी करने की साजिश रची.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/01/104598-tqkidfgsjs-1541144348.jpg6301200Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-01-12 19:07:582019-01-12 19:08:00नलिनी चिदम्बरम को शारदा चिटफंड मामले में मद्रास उच्च न्यायालय से 4 हफ्तों की अग्रिम जमानत
नई दिल्ली: हिंदू धर्म के प्रमुख त्यौहारों में से एक मकर संक्रांति पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन भगवान सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसलिए इसे मकर संक्रांति कहा जाता है. हिंदू धर्म में सूर्य की पूजा की जाती है और उन्हें सूर्य देवता के रूप में पूजा जाता है, जो पृथ्वी पर सभी जीवित प्राणियों का पोषण करते हैं. इस बार मकर मकर संक्रांति के पर्व पर एक खास योग बन रहा है. साल 2019 में मकर संक्रांति सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाया जायेगा.
खत्म होगा मलमास सूर्य के मकर राशि में आने से मलमास समाप्त होगा, जिससे मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाएंगे. सूर्य जब मकर, कुंभ, मीन, मेष, वृष और मिथुन राशि में सूर्य रहता है, तब ये ग्रह उत्तरायण होता है. जब सूर्य शेष राशियों कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक और धनु राशि में रहता है, तब दक्षिणायन होता है.
ऐसे करें पूजा मकर संक्रांति पर सुबह जल्दी उठें और स्नान करें. संभव हो तो तीर्थ स्नान पर स्नान करें, इससे पुण्य की प्राप्ति होती है. स्नान के बाद तांबे के लोटे में लाल फूल और चावल डालकर सूर्य को जल चढ़ाएं. मंदिर में गुड़ और काले तिल का दान करें. ये शुभ होता है. भगवान को गुड़-तिल के लड्डू का भोग लगाएं और भक्तों को प्रसाद वितरित करें.
आदित्य ह्रदय स्तोत्र का करें पाठ ज्योतिष के अनुसार, सूर्य के मकर राशि में प्रवेश पर उसकी किरणों से अमृत की बरसात होने लगती है. इस दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं. इसलिए मकर संक्रांति पर सूर्य की पूजा का विशेष महत्व है. ऐसे में अगर भाषा व उच्चारण शुद्ध हो तो आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ अवश्य करें क्योंकि यह एक बहुत ही फलदायक रहेगा.
इस मंत्र का करें जाप सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम: का जाप 108 बार करें, लाभ होगा.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/01/makara_sankranti_2019.jpg427730Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-01-12 18:32:142019-01-12 18:32:16मकर संक्रांति को प्रात: आदित्य ह्रदय स्तोत्र का करें पाठ
कोलकाता: तृणमूल को छोड़ बीजेपी में शामिह हुए पश्चिम बंगाल के बिष्णुपुर बाहुबली सांसद सौमित्र ख़ान की शर्त को बीजेपी द्वारा मान लिया गया है और उन्हें उन्हीं के गढ़ बिष्णुपुर से लोकसभा प्रत्याशी के रूप में उतारने का फैसला किया है. बीजेपी सूत्रों द्वारा ही इसका खुलासा हुआ है. बता दें, सौमित्र ख़ान बुधवार को ही बीजेपी में शामिल हुए हैं.
तृणमूल से निकलने के बाद बाहुबली सांसद सौमित्र ख़ान के राजनैतिक भविष्य को लेकर राजनैतिक माहौल में सरगर्मियां तेज़ हो गईं थी. जिसके बाद बीजेपी में शामिल होने से पहले सौमित्र ने दो शर्ते रखी थीं. पहली शर्त ये थी की उन्हें बिष्णुपुर से लोकसभा का टिकट दिया जाए और दूसरी शर्त यह थी की युवा बीजेपी मोर्चा का अध्यक्ष उन्हें बनाया जाए. हालांकि, सौमित्र की दूसरी शर्त को बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने मानने से इंकार कर दिया है लेकिन उनकी पहली शर्त मान ली गई है.
2019 के लोकसभा चुनाव में बिष्णुपुर से सौमित्र ख़ान का नाम तय हो गया है. बीजेपी ने ख़ान को अपने चुनावी क्षेत्र में संपर्क बढ़ाने के लिए कहा है जिसके चलते कहा जा सकता है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में सौमित्र ख़ान बिष्णुपुर से चुनाव लड़ने के लिए तत्पर हैं. अब सिर्फ घोषणा होने का इंतजार है. मंगलवार रात से सौमित्र खबरों में थे कि उनकी हत्या की साजिश रची जा रही है और उनके सहायक का अपहरण करने की कोशिश की जा रही है. जिसके चलते उन्होंने एक फेसबुक लाइव भी किया था और उसके बाद बुधवार को वह बीजेपी में शामिल हो गए.
तृणमूल कांग्रेस से बीजेपी में शामिल होते ही सौमित्र ने तृणमूल पर आरोपों की झड़ी लगा दी. बुधवार दोपहर को बीजेपी सदर दफ्तर में बैठकर उन्होंने आरोप लगाते हुए बंगाल में कहा, ‘अभी दीदी-भतीजे का राज चल रहा है. युवाओ के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है’ और इसके बाद से ही तृणमूल युवा कांग्रेस के अध्यक्ष तथा डायमंड हारबर से सांसद अभिषेक बनर्जी ने सौमित्र ख़ान को चैलेंज दे दिया और कहा अगर हिम्मत है तो चुनाव में जीत कर दिखाएं. इसके जवाब में सौमित्र ख़ान ने कहा की बिष्णुपुर की जनता ही इसका फैसला करेगी.
ख़ान ने कांग्रेस से की थी राजनीतिक जीवन की शुरुआत सौमित्र ख़ान ने अपने राजनितिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से की थी जिसके बाद वो तृणमूल में शामिल हो गए और विधायक भी बने. फिर तृणमूल की तरफ से उन्हें लोकसभा की टिकट भी मिला और साल 2014 में बांकुड़ा के बिष्णुपुर लोकसभा से वह पहली बार सांसद बने लेकिन सूत्रों की माने तो पिछले कुछ दिनों से ही सौमित्र और तृणमूल के बीच सम्बन्धो में खटास आ गई थी. बीजेपी में शामिल होने के लिए चुपके चुपके बातचीत भी चल रही थी और अंत में बुधवार को उन्होंने तृणमूल को छोड़ BJP का हाथ थाम लिया.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/01/110198-xwudmmipxm-1547029639.jpg6301200Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-01-12 18:22:172019-01-12 18:22:20बिष्णुपुर से लोक सभा प्रत्याशी होंगे सौमित्र खान
लखनऊ : यूपी की राजनीति में शनिवार का दिन बड़ा अहम रहा. अब तक एक दूसरे की विरोधी रही बसपा और सपा ने अगले चुनावों में गठबंधन का निर्णय किया है. इसके लिए दोनों दलों के नेताओं ने लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात की घोषणा की. दोनों पार्टियां यूपी में 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगीं. 4 सीटें उन्होंने अभी छोड़ रखी हैं. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में दोनों के निशाने पर बीजेपी और पीएम मोदी रहे. लेकिन मायावती ने एक समय इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव पर भी इशारों इशारों में हमला किया.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने साझा प्रेस कांफ्रेंस में अखिलेश के चाचा शिवपाल की पार्टी का मजाक उडाते हुये कहा कि ‘भाजपा का पैसा बेकार हो जायेगा क्योंकि वह ही शिवपाल की पार्टी चला रही है.’ दरअसल ये कहा जाता है कि शिवपाल की पार्टी को बीजेपी का समर्थन हासिल है. जब मायावती अपने अंदाज में शिवपाल पर चुटकी ले रही थीं, उस समय अखिलेश मंद मंद मुस्करा रहे थे.
प्रसपा ने भाजपा के आरोप को बताया निराधार प्रगतिशील समाजवादी पार्टी ने शनिवार को इस आरोप को ‘झूठा एवं निराधार’ बताया कि भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्रसपा प्रमुख शिवपाल सिंह यादव को आर्थिक सहयोग दिया जा रहा है. प्रसपा के मुख्य प्रवक्ता सी पी राय ने एक बयान जारी कर कहा, ‘ मायावती द्वारा यह आरोप लगाया गया कि भाजपा द्वारा शिवपाल यादव को आर्थिक सहयोग दिया जा रहा है, यह आरोप झूठा एवं निराधार है.’
उन्होंने कहा, ‘यह सभी को पता है कि कौन लोग आर्थिक भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और कौन सी पार्टी में टिकट बेचे जाते हैं.’ राय ने कहा कि प्रसपा पर भाजपा से मिले होने का आरोप लगाया गया है, यह आरोप पूर्णतया तथ्यहीन व बेबुनियाद हैं. आम जनमानस और मीडिया को यह पता है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा के साथ मिलकर बार-बार किसने सरकार बनाई है.
उन्होंने कहा कि अखिलेश का जब जन्म भी नहीं हुआ था, उसके पहले से ही उत्तर प्रदेश में शिवपाल भाजपा और साम्प्रदायिक शक्तियों के खिलाफ सबसे मुखर रहे हैं. राय ने कहा कि अखिलेश को यह समझना चाहिए कि इसके पूर्व भी मायावती पिछड़ों, दलितों और मुसलमानों का वोट लेकर भाजपा की गोद में बैठ चुकी हैं. ऐसे में कहीं ऐसा न हो कि इतिहास फिर से स्वयं को दोहराए और मायावती चुनाव के बाद भाजपा से जा मिलें.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/01/shivpal_2019011217445652_650x.jpg438650Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-01-12 18:08:282019-01-12 18:08:31चाचा यादव पर बोलो बुआ तो बअउआ मुसकुराते रहे
हालांकि एसपी-बीएसपी के इस गठबंधन में दो सीटें छोटी पार्टियों के लिए छोड़ी गई हैं. जबकि अमेठी और रायबरेली की दो सीटें कांग्रेस पार्टी के लिए छोड़ना तय किया गया है. हालांकि कांग्रेस इस गठबंधन में शामिल नहीं है.
बीएसपी-एसपी गठबंधन पर चहुं ओर से प्रतिक्रियाएँ आ रहीं हैं कांग्रेस की ओर से आने वाली प्रतिक्रियाएँ संभावित ही हैं। बसपा सुप्रीमो ने जहां अपनि पत्रकार वार्ता में कांग्रेस पर दोषारोपण करते हुए कई बातें कहीं और अपना विरोध जताया वहीं उन्होने अमेठी और रायबरेली की सीट पीआर गठबंधन द्वारा की भी प्रत्याशी न उतरे जाने की बात कह अपने गठबंधन के कुछ रोशदान खुले रखने की ओर संकेत दिया है। जहां आज कांग्रेस के दिग्गजों में भरी निराशा व्याप्त थी वहीं राहुल गांधी के शब्द बहुत नपे तुले और संजीदा थे।
एसपी और बीएसपी लोकसभा चुनाव 2019 में गठबंधन के तहत उत्तर प्रदेश की 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. दोनों पार्टियों ने लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन का ऐलान किया है. इस गठबंधन पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि एसपी और बीएसपी जो करना चाहते हैं, उन्हें वो करने का अधिकार है.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी यूएई के दौरे पर है. दुबई में उन्होंने कहा ‘कांग्रेस पार्टी के पास उत्तर प्रदेश के लोगों को देने के लिए बहुत कुछ है. बीएसपी और एसपी के नेताओं के प्रति मेरे मन में अगाध श्रद्धा है, वे जो करना चाहते हैं उन्हें करने का अधिकार है.’
राहुल गांधी ने कहा ‘बीएसपी और एसपी ने एक राजनीतिक निर्णय लिया है. यह हम पर है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी को कैसे मजबूत किया जाए. हम अपनी पूरी क्षमता के साथ लड़ेंगे.’
दुबई में पाकिस्तान को लेकर राहुल गांधी ने कहा ‘मैं पाकिस्तान के साथ शांतिपूर्ण संबंध के समर्थन में हूं, लेकिन मैं पाकिस्तानी के जरिए निर्दोष भारतीयों पर की जा रही हिंसा को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करूंगा.’
दूसरी तरफ एसपी-बीएसपी के गठबंधन में दो सीटें छोटी पार्टियों के लिए छोड़ी गई हैं. जबकि अमेठी और रायबरेली की दो सीटें कांग्रेस पार्टी के लिए छोड़ना तय किया गया है. हालांकि कांग्रेस इस गठबंधन में शामिल नहीं है.
वहीं इस गठबंधन में कांग्रेस को शामिल नहीं किए जाने के बारे में मायावती ने कहा कि कांग्रेस के सालों के शासन के दौरान गरीबी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार में इजाफा हुआ. उन्होंने कहा कि सरकार बदलती है लेकिन नीतियां नहीं बदलती. पहले भी रक्षा सौदे में भ्रष्टाचार होता था और अब भी हो रहा है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/01/akh.jpeg347618Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-01-12 17:51:442019-01-12 17:51:46बीएसपी और एसपी के नेताओं के प्रति मेरे मन में अगाध श्रद्धा है, वे जो करना चाहते हैं उन्हें करने का अधिकार है: राहुल गांधी
भले ही माया- अखिलेश का गठबंधन हो गया हो परंतु इतिहास गवाह है की राष्टवादी ताकतों को रोकने के लिए और सत्ता प्राप्ति हेतु कांग्रेस चुनाव पश्चात भी गठजोड़ कर सकती है, जनता को पुन: चुनाव में न धकेलने की बात कह कर।
2019 के लोकसभा चुनावों के लिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी में गठबंधन का ऐलान हो चुका है. अखिलेश यादव और मायावती ने 2019 के रण को जीतने के लिए एक दूसरे पर भरोसा दिखाया है. हालांकि, महीनों से खबरें महागठबंधन की भी थीं. लेकिन दोनों पार्टियों ने कांग्रेस को किनारे लगा दिया और अब एक साथ मैदान में कूद रही हैं, जाहिर है कांग्रेस अलग-थलग पड़ गई है.
एसपी-बीएसपी गठबंधन पर कांग्रेस को लगता है कि अगले चुनावों में उसे नजरअंदाज करना बड़ी भूल होगी. पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संभावित गठबंधन पर सवाल पूछे जाने पर शुक्रवार को कहा कि ‘भले ही हमारा मुश्किल वक्त चल रहा है, लेकिन हमें नजरअंदाज करना बड़ी भूल होगी.’
सूत्रों के मुताबिक, सिंघवी ने कहा कि सभी विपक्षी पार्टियों का सबसे बड़ा उद्देश्य केंद्र में बीजेपी और उसकी तानाशाही सरकार को हटाना होना चाहिए. उन्होंने आगे ये भी जोड़ा कि चूंकि सबका यही मानना है तो उन्हें लगता है कि भविष्य में उनका सामंजस्यपूर्ण गठबंधन जरूर होगा.
इसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता राजीव बक्शी ने भी कहा कि पार्टी लोकसभा चुनावों में अकेले ही लड़ने को तैयार थी. उन्होने कहा कि ‘हमारे पास लोकसभा में अकेले 45 सीटें हैं, जो किसी भी क्षेत्रीय पार्टी से ज्यादा हैं.’ उन्होंने ये भी कहा कि लोकसभा चुनावों में महागठबंधन किसी राष्ट्रीय चेहरे के इर्द-गिर्द होना चाहिए.
बता दें कि हाल ही में मायावती और अखिलेश ने दिल्ली में मुलाकात की थी, जिसके बाद इन संभावनाओं को तूल मिल गया था कि एसपी और बीएसपी लोकसभा चुनावों में गठबंधन कर रही हैं.
इसके बाद शुक्रवार को खबर आई कि माया और अखिलेश शनिवार को दोपहर 12 बजे जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले हैं. इसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि इस पीसी में गठबंधन का ऐलान हो सकता है.
वहीं ये भी कहा जा रहा है कि दोनों पार्टियों के बीच सीट शेयरिंग पर बात बन गई है. खबर है कि दोनों पार्टियां 38-38 सीटों पर कैंडीडेट खड़ा करेंगी. खबर ये भी है कि वो राहुल गांधी और सोनिया गांधी के गढ़ अमेठी और रायबरेली पर अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारेंगी और न ही अपना दल के उम्मीदवार के खिलाफ अपना उम्मीदवार खड़ा करेंगी.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/01/abhishek-manu-singhvi.jpg543960Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-01-12 17:14:572019-01-12 17:16:29‘भले ही हमारा मुश्किल वक्त चल रहा है, लेकिन हमें नजरअंदाज करना बड़ी भूल होगी.’अभिषेक मनु सिंघवी
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