U.S. cuts military training with Pak


Pakistani officials openly threat ‘America’ that the move will push their military to further look to ‘China or Russia’ for training


President Donald Trump’s administration has quietly started cutting scores of Pakistani officers from coveted training and educational programmes that have been a hallmark of bilateral military relations for more than a decade, U.S. officials say.

The move, which has not been previously reported, is one of the first known impacts from Mr. Trump’s decision this year to suspend U.S. security assistance to Pakistan to compel it to crack down on Islamic militants.

The Pentagon and the Pakistani military did not comment directly on the decision or the internal deliberations, but officials from both countries privately criticised the move.

U.S. officials, speaking on the condition of anonymity, said they were worried the decision could undermine a key trust-building measure. Pakistani officials warned it could push their military to further look to China or Russia for leadership training.

The effective suspension of Pakistan from the U.S. government’s International Military Education and Training programme (IMET) will close off places that had been set aside for 66 Pakistani officers this year, a State Department spokesperson said. The places will either be unfilled or given to officers from other countries.

Dan Feldman, a former U.S. special representative for Afghanistan and Pakistan, called the move “very short-sighted and myopic”. “This will have lasting negative impacts limiting the bilateral relationship well into the future,” Mr. Feldman said.

Long term dividends

The State Department spokesperson, speaking on the condition of anonymity, said the IMET cancellations were valued at $2.41 million so far. At least two other programmes have also been affected, the spokesperson said.

It is unclear precisely what level of military cooperation still continues outside the IMET programme, beyond the top level contacts between U.S. and Pakistani military leaders.

The U.S. military has traditionally sought to shield such educational programmes from political tensions, arguing that the ties built by bringing foreign military officers to the U.S pay long-term dividends.

For example, the U.S. Army’s War College in Carlisle, Pennsylvania, which would normally have two Pakistani military officers per year, boasts graduates including Lieutenant General Naveed Mukhtar, the current director-general of Pakistan’ powerful spy agency, the Inter-Services Intelligence agency (ISI).

The War College, the U.S. Army’s premier school for foreign officers, says it has hosted 37 participants from Pakistan over the past several decades. It will have no Pakistani students in the upcoming academic year, a spokeswoman said.

Pakistan has also been removed from programmes at the U.S. Naval War College, Naval Staff College and courses including cyber security studies.

Indian terrorists nee separatists are peaceful citizens of Britain


When asked about the citiznship of SFJ an American group, and invities from all over the world, whether they are citizens of England, there was a huge skip


Citizens in the United Kingdom have the right to peaceful protest, said the spokesperson of the U.K. High Commission to India. The response from the U.K. authorities came a day after India said the pro-Khalistan rally planned in London on August 12 aims to undermine the country’s territorial integrity.

The spokesperson said the British police had all necessary powers to deal with any concerns regarding the rally. “People in the U.K. have a right to protest and to demonstrate their views, provided they act within the law. Should a protest contravene the law, the police have comprehensive powers to deal with activities that spread hate or deliberately raise tensions through violence or public disorder. This does not negate the right to peaceful protest,” said a U.K. diplomatic source.

On Thursday, the Ministry of External Affairs said the proposed rally, which will be held three days before Independence Day celebrations in India, is being organised by separatists.

The London rally is expected to push the idea of an online referendum in 2020 largely among the diaspora Sikhs seeking the creation of the free state of Khalistan. On Friday, a large protest was organised by the Anti-Terrorist Front outside the U.K. High Commission here against the rally.

बेगानी शादी में केजरीवाल फूफा


  • आम आदमी पार्टी के संभावित महागठबंधन से अलग होना भले ही राजनीति की कोई बड़ी घटना न हो लेकिन ये उतार-चढ़ाव मोदी सरकार के खिलाफ लामबंद होने वाले विपक्षी दलों की एकता की कलई खोलने का काम जरूर कर रहे हैं

  • सनद रहे यह वही केजरीवाल हैं जो कांग्रेस के खिलाफ इलैक्शन लड़ते हैं ओर फिर उसी कांग्रेस्स की सहायता से दिल्ली में सरकार बनाते हैं 

  • जिस कांग्रेस के खिलाफ इनहोने जंतर मंत्र पर अपनी लड़ाई का बिगुल ठोका था उसी कांग्रेस्स के साथजंतर मंत्र में मंच सांझा कर तूतनी फूंकते हैं 

  • जिस कांग्रेस के खिलाफ यह भ्रष्टाचार का आरोप लगते हैं उसी के साथ बहुमत को धता बता कर सत्ता पे काबिज कांग्रेस को कर्नाटक में मंच से बधाई देते हैं 

  • पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त, बहुत बार गुलाटी मारी जाएगी बहुत फिरकियाँ लीं जाएंगी

  • यह लड़की की शादी में रूठे फूफा हैं जिनहे पता है कि अब अगली पीढ़ी का फूफा आ रहा है ओर यही आखिर वक्त है नखरे दिखा लो.


संसद में विपक्षी एकता का एक और शक्ति परीक्षण धराशायी हो गया. अविश्वास प्रस्ताव में हार से हुई किरकिरी के बाद राज्यसभा के उप-सभापति चुनाव में भी हार का मुंह देखना पड़ा. सियासी गलियारों में सुगबुगाहट है कि विपक्ष ने एनडीए को कड़ी टक्कर देने का मौका गंवा दिया. सवाल कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की रणनीति और सक्रियता पर उठ रहे हैं लेकिन एक अजीब सा सवाल आम आदमी पार्टी भी उठा रही है.

आम आदमी पार्टी ने राज्यसभा में उप-सभापति चुनाव में कांग्रेस का समर्थन नहीं किया. इसकी वजह है ‘झप्पी पॉलिटिक्स.’ AAP की शिकायत है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने फोन कर के समर्थन नहीं मांगा. राहुल के ‘इग्नोरेंस’ को आम आदमी पार्टी ने दिल पे ले लिया है. आम आदमी पार्टी के सांसद संजय  सिंह का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी संसद में पीएम मोदी को गले लगा सकते हैं लेकिन AAP के संयोजक अरविंद केजरीवाल को समर्थन के लिए फोन नहीं लगा सकते.

आम आदमी पार्टी का आरोप है कि एनडीए की तरफ से बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने अरविंद केजरीवाल से फोन कर समर्थन मांगा था लेकिन केजरीवाल ने समर्थन देने से इनकार कर दिया. जबकि राहुल ने एक बार भी फोन करना जरूरी नहीं समझा. अगर राहुल वोट के लिए समर्थन मांगते तो अरविंद केजरीवाल समर्थन जरूर देते.

फोन कॉल की तकरार में फंसा महागठबंधन

राहुल से आम आदमी पार्टी की ये शिकायत शादी-ब्याह के मौके पर रिश्तेदारों के रूठने की याद दिलाती है. अमूमन शादी ब्याह के मौके पर फूफाजी नाराज हो जाते हैं. पूरी शादी में उनकी एक ही शिकायत होती है कि किसी भी बड़े या छोटे काम के लिए ‘उनसे किसी ने कहा ही नहीं’. साल 2019 के चुनावी मंडप में भी विपक्षी रिश्तेदारों के बीच हालात कमोबेश वैसे ही हैं. कोई रूठा हुआ है, किसी को मनाया जा रहा है, तो कोई खुद को ही दूल्हा समझ रहा है.

फोन करके राहुल ने तवज्जो क्यों नहीं दी? अक्सर होता ये आया है कि फोन करके समर्थन मांगने वाली पार्टी ही खुद तब नाराज हुई है जब उसे समर्थन नहीं मिला लेकिन यहां मामला उलटा है. आम आदमी पार्टी इसलिए नाराज है क्योंकि कांग्रेस की तरफ से कोई कॉल नहीं आई. कॉल नहीं आई तो वोट का इस्तेमाल नहीं हो सका. वोट धरे रह गए और चोट गहरा गई. तभी आम आदमी पार्टी राज्यसभा में चुनाव के वक्त ‘मौका-ए-वोटिंग’ से गायब हो गई. कांग्रेस चुनाव हार गई. हाथ आया बड़ा मौका ‘हाथ’ से फिसल गया.

वोट के लिए समर्थन न मांगना तक तो ठीक था लेकिन इसके बाद कांग्रेस ने जिस तरह से आम आदमी पार्टी पर ‘संसद’ का गुस्सा उतारा वो वाकई किसी को भी तिलमिला कर रख दे. कांग्रेस के बड़े नेताओं ने आम आदमी पार्टी पर अवसरवादिता की राजनीति का आरोप लगाया. ये तक याद दिलाया कि अगर साल 2013 में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को समर्थन नहीं दिया होता तो आज AAP इतिहास बन गई होती.

कांग्रेस का यही रवैया AAP के संयोजक अरविंद केजरीवाल को खल गया. तभी उन्होंने आनन-फानन में संभावित महागठबंधन से अलग होने का एलान करके कांग्रेस से हिसाब बराबर कर डाला. अरविंद केजरीवाल ने एलान कर दिया कि वो बीजेपी के खिलाफ बनने वाले संभावित महागठबंधन का हिस्सा नहीं होंगे.

आप को हल्के में लेना बड़ी भूल

केजरीवाल का ये एलान-ए-जंग कांग्रेस को झटका देने के लिए काफी है. भले ही आप के पास सांसदों की संख्या की ताकत न हो लेकिन सौदेबाजी की सियासत के दौर में AAP भी अहमियत रखती है. दिल्ली में लोकसभा की 7 और पंजाब में 13 सीटों के दंगल को देखते हुए भविष्य में  AAP को नजरअंदाज करने की भूल नहीं की जा सकती. महागठबंधन से अलग हो कर आम आदमी पार्टी दूसरे क्षेत्रीय दलों को भी ये संदेश दे रही है कि वो भी महागठबंधन पर पुनर्विचार करें.

कांग्रेस की बेरुखी की वजह से ही आम आदमी पार्टी कह रही है कि एनडीए के खिलाफ विपक्षी एकता के लिए खुद राहुल गांधी ही सबसे बड़ा रोड़ा हैं तो बीजेपी के लिए पूंजी भी.

कुछ ही दिन पहले जंतर-मंतर पर विपक्षी एकता के प्रतीकात्मक प्रदर्शन के तौर पर इकट्ठे हुए सियासी नेताओं में अरविंद केजरीवाल भी मौजूद थे. वहीं कर्नाटक के सीएम की ताजपोशी के वक्त भी आम आदमी पार्टी ने मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी एकता का झंडा उठाया था. इसके बावजूद कांग्रेस की बेरुखी के चलते आम आदमी पार्टी की हालत सियासत के बाजार में उस दुकानदार जैसी हो गई जहां उसके माल का खरीदार सिर्फ कांग्रेस थी और कांग्रेस की ही वजह से उसका माल बिक न सका.

केजरीवाल का महागठबंधन से तौबा क्यों?

अब केजरीवाल के महागठबंधन से अलग होने के फैसले को आसानी से समझा जा सकता है. केजरीवाल के सामने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने से ज्यादा जरूरी अपना गढ़ बचाना है. विपक्षी एकता और महागठबंधन के नाम पर इकट्ठा हो रही पार्टियों के पास दो दशक से ज्यादा पुराना राजनीतिक अनुभव और इतिहास है. इन पार्टियों का अपना कोर वोटर है और जमा हुआ आधार है. इनके मुकाबले आम आदमी पार्टी का वजूद बेहद छोटा है. आम आदमी पार्टी तभी राष्ट्रीय राजनीति के महामुकाबले में ‘बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना’ नहीं बनना चाहती है.

खुद केजरीवाल बोल चुके हैं कि वो न तो पीएम कैंडिडेट हैं और न ही वो महागठबंधन का हिस्सा बनेंगे. आम आदमी पार्टी को अपनी सीमाएं और संभावनाएं मालूम हैं. तभी वो मोदी विरोध की राजनीति में कांग्रेस विरोध की राजनीति को दफन नहीं करना चाहती. ये विडंबना ही है कि जिस जंतर-मंतर पर आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के खिलाफ शंखनाद किया था, सत्ता में आने के लिए उसी कांग्रेस से समर्थन लिया और अब मोदी सरकार के खिलाफ उसी कांग्रेस के साथ जंतर-मंतर पर एक मंच साझा किया.

साल 2019 के महामुकाबले में बड़ों की लड़ाई के बीच केजरीवाल अपना दुर्ग नहीं हारना चाहेंगे. बीजेपी और कांग्रेस के विरोध में हासिल हुए वोटबेस को केजरीवाल कांग्रेस के साथ खड़े हो कर गंवाना भी नहीं चाहेंगे. तभी केजरीवाल ने साल 2019 में अपने दम पर चुनाव लड़ने का एलान कर दांव चला है. आम आदमी पार्टी ये जानती है कि उसके पास साल 2019 में खोने को कुछ भी नहीं और पाने को बहुत कुछ होगा.

इधर, कांग्रेस की कमजोरी भी संसद में खुलकर दिख रही है. उप-सभापति पद के लिए कांग्रेस विपक्षी एकता के नाम पर दूसरे दलों में से एक नाम तक नहीं चुन सकी. ऐसा माना जा रहा है कि अगर उप-सभापति पद के लिए कांग्रेस की बजाए दूसरे दल के नेता को उम्मीदवार बनाया जाता तो कहानी दूसरी हो सकती थी.

यहां चूक गए कांग्रेस के ‘युवराज’

वहीं राहुल पर ये भी सवाल उठ रहे हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उप- सभापति पद के उम्मीदवार के लिए बिहार के सीएम नीतीश कुमार की तरह दूसरी पार्टियों से समर्थन के लिए सहयोग नहीं मांगा. आम आदमी पार्टी, पीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस की गैरमौजूदगी से साबित होता है कि राहुल ने इनसे संपर्क साधने की कोशिश नहीं की.वहीं एनडीए के नाराज सहयोगी अकाली दल और शिवसेना को भी कांग्रेस मोदी विरोध के नाम पर साथ नहीं ला सकी.

ऐसे में सवाल उठता है कि जब उप-सभापति पद पर विपक्ष में आम राय कायम नहीं हो सकी है तो फिर सीटों के बंटवारे और पीएम पद पर कैसे बात बनेगी?

बहरहाल, आम आदमी पार्टी के संभावित महागठबंधन से अलग होना भले ही राजनीति की कोई बड़ी घटना न हो लेकिन ये उतार-चढ़ाव मोदी के खिलाफ लामबंद होने वाले विपक्षी दलों की कलई खोलने का काम जरूर कर रहे हैं. साल 2019 से पहले संभावित महागठबंधन का ‘महाट्रेलर’ संसद में दो अहम मौकों पर दिख चुका है. अविश्वास प्रस्ताव और राज्यसभा में उप-सभापति के चुनाव में विपक्ष का भटकाव और बिखराव साफ दिखता है.

पार्षद राजबाला के इशारे पर नगर निगम दस्ते की ओल्ड बुक मार्केट पर अनुचित कार्यवाही

 

फोटो राकेश शाह

राकेश शाह

चंडीगढ़ 10 अगस्त, 2018:

आज ओल्ड/न्यू बुक मार्किट विरोध स्वरूप बन्द रही जिसके कारण बहुत से विद्यार्थियों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा। पंजाब विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग की छात्रा हरनूर ने डेमोक्रेटिक फ्रण्ट को बताया कि अपने पाठ्यक्रम की किताबों के लिए वह इन्हीं दुकानों पर निर्भर हैं क्योंकि यहाँ उन्हें कम कीमत पर किताबें मिल जाती हैं पर आज दुकाने बन्द देख कर उन्हें बहुत निराशा हुई। संदीप जो कि सेक्टर 11 के राजकीय कालेज के छात्र हैं ने कहा कि वह पिछले दो वर्षों से यहीं से किताबें खरीद रहे हैं। उन्होंने कहा कि किताबों की कीमत बहुत ज़्यादा होने की वजह से सभी विद्यार्थी नई किताबें नहीं खरीद सकते। इनके अलावा बहुत से ऐसे ही विद्यार्थी आज निराश हो कर यहाँ से वापिस गए।

फोटो राकेश शाह

दुकानें बन्द होने और धरने पर बैठने का कारण पूछने पर सम्बन्धित दुकानदारों ने बताया कि नगर निगम द्वारा उनके काउंटरों को अतिक्रमण बता कर हटा दिया गया। आरोप है कि पूर्व महापौर और वर्तमान पार्षद राज बाला मलिक के इशारे पर निगम कर्मियों द्वारा यह कार्यवाही की गई। उनका आरोप है कि इसी मार्किट के एक व्यक्ति सुनील जो कि बूथ नम्बर 2 में दुकान चलाते हैं के कहने पर पार्षद ने यह काम करवाया है। दुकानदारों का आरोप है कि समय समय पर सुनील जो कि इस मार्किट के प्रधान रहे हैं इस बार हुए चुनावों में मौजूदा प्रधान से काफी ज़्यादा वोटों से हार गए। कहा जाता है कि इसी बात से राजबाला मलिक इस मार्किट से नाराज हैं।
नगर निगम द्वारा कल की गई कार्यवाही में दुकान नम्बर 2 को छोड़ कर सभी काउन्टर हटा दिए गए।
दुसरी और जब डेमोक्रेटिक फ्रण्ट ने सुनील कुमार और पार्षद राजबाला से बात करने के लिए उनके फोन पर सम्पर्क किया परन्तु वह बात करने के लिए उपलब्ध नहीं थे।

फोटो राकेश शाह

आज धरने के समर्थन में कांग्रेस के नेता प्रदीप छाबड़ा भी पहुंचे और दुकानदारों का साथ देने का  आश्वासन दिया
आपको बता दें कि पार्षद राजबाला मलिक भाजपा में आने से पहले काँग्रेस की ओर से महापौर रही हैँ।

Punjab Government today gives order for transfer of 16 IAS & 17 PCS Officers.

Chandigarh, August 10, 2018:

The Punjab Government today issued transferred and posting orders of 16 IAS and 17 PCS officers with immediate effect.

Disclosing this official spokesperson the Punjab Government said that among the IAS officers Mr. Manikant Prasad Singh Additional Chief Secretary has been transferred and posted as Additional Chief Secretary cum Financial Commissioner, Revenue and Rehabilitation and in addition ACS cum Financial Commissioner Taxation, Mrs. Vini Mahajan as ACS Housing and Urban Development and in  addition ACS Industries and commerce and in addition ACS Information Technology and in addition ACS Investment Promotion, Mr. Sanjay Kumar as Principal Secretary Sports and Youth Services and in addition Principal Secretary Planning, Mr. Roshan Sunkaria as Principal Secretary Welfare of SCs and BCs and in addition Financial Commissioner Forests and Wild life, Mr. R. Venkat Ratnam as Principal Secretary Labour, Mr. Rakesh Kumar Verma as Principal Secretary Science Technology and Environment, Mr. Raj Kamal Chaudhuri as Secretary Expenditure (Department of Finance) and in addition Secretary Removal of Grievances and in addition Secretary Governance Reforms and in addition Secretary Punjab State Governance Reforms Commission, Mr. Harjeet Singh as Member Secretary Punjab State Commission for Backward Classes and in addition Commissioner Gurudware Elections, Punjab and in addition Commissioner Faridkot Division, Faridkot, Mr. Baldeo Purushartha as Secretary Lokpal and in addition Commissioner Jalandhar Division, Jalandhar, Mrs. Tanu Kashyap as Joint Development Commissioner Integrated Rural Development and in addition Commissioner NREGA and in addition Member Secretary Punjab State Women Commission and in addition Special Secretary Rural Development and Panchayats and in addition Mission Director Mahatma Gandhi Sarbat Vikas Yojna, Mr. Daljit Singh Mangat as Special Secretary Planning and in addition Special Secretary Water Resources, Mr. Praneet as Deputy Commissioner Bathinda and in addition Chairman Improvement Trust Bathinda, Ms. Gurneet Tej as Special Secretary Housing and Urban Development and in addition Director Town and  Country Planning, Mr. Tejinder Singh Dhaliwal as State Transport Commissioner, Punjab and in addition Deputy Commissioner Gurudwara Elections Punjab and in addition Special Secretary Science Technology and Environment, Mr. Devinder Pal Singh Kharbanda as Director Industries and Commerce and in addition Managing Director, Punjab Small Industries Export Corporation Limited and in addition Managing Director Punjab Financial Corporation and the Services of Mrs. Aashika Jain has been placed at the disposal of Department of Local Government for posting as Joint Commissioner, Municipal Corporation Jalandhar.

Spokesperson further said that among the PCS officers who were transferred included Mrs. Hargunjit Kaur who has been transferred and posted as Additional Secretary Personnel and in addition Additional Managing Director, Punjab State Industrial Development Corporation Limited, Mrs. Neeru Katyal Gupta as Additional Deputy Commissioner jagraon, Services of Mrs. Amarbir Kaur Bhullar has been placed at the disposal of the Department of Food, Civil Supplies and Consumer Affairs for posting as General Manager (Personnel and Admin) PUNSUP, Mr. Paramdeep Singh as Sub Divisional Magistrate Faridkot and in addition Sub Divisional Magistrate Kotakpura, Mrs. Rajdeep Kaur as Deputy Secretary Employment Generation and Training and in addition Additional Director Employment Generation and Training, Mr. Harjeet Singh Sandhu as Sub Divisional Magistrate Budhlada, Ms. Anupreet Kaur as Sub Divisional Magistrate Patti and in addition Sub Divisional Magistrate Bhikhiwind, Mr. Surinder Singh as Sub Divisional Magistrate Tarn Taran and in addition Sub Divisional Magistrate Khadoor Sahib, Services of Mrs. Arina Duggal has been placed at the disposal of the department of School Education for posting as Secretary, Punjab School Education Board and in addition Land Acquisition Collector, Greater Mohali Area Development Authority, Services of Mr. Rajiv Kumar Verma has been placed at the disposal of the department of Local Government for posting as Joint Commissioner, Municipal Corporation Jalandhar and in addition Sub Divisional Magistrate Nakodar, Services of Mr. Nitish Singla has been placed at the disposal of the department of Local Government for posting as Joint Commissioner Municipal Corporation Amritsar, Mr. Satwant Singh has been posted as Land Acquisition Collector, Improvement Trust Ludhiana, Mr. Narinder Singh-II as Sub Divisional Magistrate Zira, Ms. Harkirat Kaur Channe as Assistant Commissioner (Grievances) Patiala and in addition Deputy Director (Admn) Department of Water Supply and Sanitation (Hq) Patiala, Mr. Amit Gupta as Sub Divisional Magistrate Ferozepur, Mr. Ashok Kumar as Sub Divisional Magistrate Dera Baba Nanak and in addition Sub Divisional Magistrate Kalanaur and Mr. Arashdeep Singh Lobana has been transferred and posted as Assistant Commissioner (Grievances) Pathankot and in addition Assistant Commissioner (General) Pathankot.

 

Britain still on divide and rule policy against India

 

New Delhi, Aug 10, Demokratic Front – 

Ahead of a pro-Khalistan rally scheduled in London on August 12, India on Thursday said it is for Britain to decide whether to allow an event that seeks to promote violence and secessionism.

“We have drawn their (Britain’s) attention to the fact that the event in London is a separatist activity, which impinges on India’s territorial integrity,” External Affairs Ministry spokesperson Raveesh Kumar said.

“We have said that it seeks to propagate violence, secessionism and hatred. ”

“And of course, we expect them (Britain) to take into account the larger perspective of the relationship when they take a decision in such matters.”

Sikhs for Justice (SFJ), a human rights advocacy group with radical leaning, has announced that it will hold what it calls a “London Declaration” on an independence referendum for the Indian state of Punjab at Trafalgar Square in London on August 12.

Last month, India issued a demarche to Britain.

Following reports that similar events were being planned in other European countries as well as Canada and the US, Kumar said that Indian missions had been directed to take this up with the respective countries.

“We are aware that something similar is being planned in some other locations as well and we have written to our missions to take it up with the foreign offices of the respective countries,” he said.

अब मोबाइल एप्प से दिखाएंगे वाहन के कागजात ओर डीएल


परिवहन विभाग ने डिजिटल व्यवस्था को प्रोत्साहित करते हुए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार द्वारा विकसित डिजी-लॉकर सुविधा रखने की अधिसूचना जारी की है

बता दें कि चंडीगढ़ ओर बहुत से शहरों में यह सुविधा पहिले से ही उपलब्ध है


आई टी एक्ट और मोटर वेहिकल एक्ट,1988 के एक  प्रावधान के तहत अब आपको बतौर यात्री ड्राइविंग लाइसेंस(डीएल) और वाहन निबंधन प्रमाणपत्र (आरसी) की हार्ड कॉपी साथ रखने की जरूरत नहीं है.

सड़क परिवहन मंत्रालय ने ट्रैफिक पुलिस और राज्य परिवहन विभाग से जांच के लिए ड्राइविंग लाइसेंस और रेजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की हार्ड कॉपी होने की अनिवार्यता पर रोक लगा दी है.

मंत्रालय ने विभाग से कहा है कि वह इसकी जगह सरकार द्वारा शुरू की गई डिजी-लॉकर व्यवस्था को लोगों के बीच लोकप्रिय बनाने में हमारी मदद करें. परिवहन विभाग ने डिजिटल व्यवस्था को प्रोत्साहित करते हुए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार द्वारा विकसित डिजी-लॉकर सुविधा रखने की अधिसूचना जारी की है.

सरकार द्वारा शुरू की गई डिजी-लॉकर या एम परिवहन एप के जरिए लोग अपने असली कागजों की इलेक्ट्रॉनिक प्रति को मूलप्रति के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे लोगों को हर जगह अपने असली कागजात कैरी करने से छुटकारा मिल जाएगा और वो आसानी से इनको एक एप में रख सकते हैं. इसका एक और फायदा यह भी होगा कि पूर्व में जैसे यात्री हर जगह अपने असली कागजात लेकर चला करते थे, तो इससे उसके खो जाने का डर भी ज्यादा रहता था. अब आप बिना किसी चिंता के अपने सारे जरूरी कागजातों को डिजी-लॉक के जरिए सेफ और सुरक्षित रख सकते हैं.

इस एप को ऐसे करें डाउनलोड :

– फोन में गूगल प्ले स्टोर से डिजी लॉकर मोबाइल एप को इंस्टॉल करें.

– इसे अपने आधार से लिंक करें.

– एप में ड्राइविंग लाइसेंस नंबर डालें

– फिर जरूरत अनुसार नाम, जन्मतिथि और पिता का नाम साझा करें.

– सिस्टम आपकी अन्य जानकारियां सर्च कर लेगा और सही जानकारी मैच होने पर आपके डॉक्यूमेंट लोड हो जाएंगे.

भाग कर शादी करने वालों को कोर्ट की निर्देशिका


पति अपनी पत्नियों के नाम से करें कम से कम 50 हजार से लेकर 3 लाख रुपए का फिक्स्ड डिपोजिट


पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने घर से भागकर शादी करने वाले जोड़ों के लिए एक खास निर्देश जारी किया है. कोर्ट ने कहा है कि ऐसे जोड़े जो अपने घरवालों की मर्जी के खिलाफ जाकर शादी करते हैं, उन्हें लेकर अक्सर हमारे पास यह शिकायत आती है कि शादी के कुछ महीने या सालों बाद पति पत्नी को अकेला छोड़कर भाग जाता है. लड़की अकेली रह जाती है.

किसी किसी मामले में उसके साथ छोटे-छोटे बच्चे भी होते हैं. ऐसे में महिला असहाय या लाचार ना रह जाए, यह सुनिश्चित करते हुए हाई कोर्ट ने पतियों को अपनी पत्नी के नाम से कम से कम 50 हजार से लेकर 3 लाख रुपए का फिक्स्ड डिपोजिट करने का आदेश दिया है. यह आदेश उन्हीं जोड़ो पर लागू होता है जो परिवार और समाज के खिलाफ जाकर शादी करते हैं और पुलिस सुरक्षा के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हैं.

 

बता दें कि औसतन हर रोज 20-30 जोड़े हाईकोर्ट का रुख करते हैं. इन मामलों में दो अलग-अलग जातियों से ताल्लुक रखने वाले लोग एक-दूसरे के प्यार में पड़ जाते हैं. फिर घर, बिरादरी और समाज के लोग जब इनकी शादी के खिलाफ हो जाते हैं तो इनके पास भागने के अलावा कोई चारा नहीं बचता. ऐसे में ये भाग तो जाते हैं पर इज्जत और प्रतिष्ठा में अंधे घर-परिवार और समाज के लोग इनकी जान के पीछे पड़ जाते हैं और कुछ इसी तरह अपनी जान को बचाने के लिए ये जोड़े पुलिस सुरक्षा के लिए कोर्ट का रुख करते हैं.

पूर्व में तो कोर्ट ऐसे मामलों में केवल पुलिस को सुरक्षा देने का आदेश दे देती थी. लेकिन इधर कुछ दिनों से वह फिक्स्ड डिपोजिट करवाने का निर्देश भी देने लगी है.

पी.बी बजनथारी ने 27 जुलाई से लेकर अब तक कुल 4 मामलों में ऐसे निर्देश दे दिए हैं.


चलते चलते: 

अरे भाई लोग कैसे भाग कर शादी कर लेते हैं, हम को तो बिस्तर से उतर कर चार्जर लेने में ही मौत आ जाती है।

 

India-UK relations getting strained over ‘Pro-Khalistan’ rally


 

 

India is believed to be quite upset with the United Kingdom for its refusal to ban a ‘pro-Khalistan’ rally to be held at Trafalgar Square in London on 12 August.

External Affairs Ministry spokesperson Raveesh Kumar on Thursday confirmed that India had conveyed to the UK Government in unequivocal terms that the proposed rally was a ‘‘separatist activity which impinges on India’s territorial integrity’’. It has also been pointed out to the UK authorities that the rally sought to propagate violence, secessionism and hatred.

‘’We also expect them (UK) to take into account the larger perspective about the relationship when they take a decision in such matters,’’ the spokesperson added.

It is understood that India not only wrote to the UK but also held meetings at various levels with British officials to prevail upon them to prevent the rally from taking place.

However, the UK Government rejected India’s request, saying, ‘’People in the UK have a right to protest provided that they are within the law.’’

However, New Delhi was also been assured that should a protest contravene the law of the land, police have comprehensive powers to deal with activities that spread hate or deliberately raise tensions through violence and public disorder.

But India is not convinced with the argument advanced by the UK authorities.

On record however, the MEA spokesperson did not agree with a suggestion that there had been a downslide in India-UK relations in view of the 12 August rally as well as other developments like New Delhi’s pending requests with London for the extradition of Indian fugitives Vijay Mallya and Nirav Modi.

The proposed rally has been organised by the US-based separatist group, Sikhs for Justice, to call for a “referendum” on creation of ‘Khalistan’. It is said to have received support from elements in Pakistan as well.

The MEA spokesperson said the government was aware that such anti-India rallies were proposed to be organised by secessionists in some other countries as well. New Delhi had written to its missions in some countries to take up the matter with their host governments.

Legal notice to Majithia for “defaming” Zee News editor, seeks Rs 100 Cr as damages


Zee Media sends legal notice to Majihtia for defaming its editor, seeks Rs 100 crore as damages


Zee Media Corporation Limited (ZMCL) has sent a legal notice to Shiromani Akali Dal (SAD) leader Bikram Singh Majithia for his alleged defamatory allegation against TV channel’s Punjab, Haryana and Himachal editor Dinesh Sharma.

In the legal notice sent on behalf of the ZMCL, Supreme Court lawyer Petal Chandhok asked Majithia to tender an unconditional written apology and publicly withdraw the false allegation against his client.

While talking to mediapersons at Hoshiarpur on August 2, Majithia had reportedly alleged that Sharma had demanded Rs 20 crore from him before 2017 Punjab assembly elections for favourable reportage. However, Sharma had denied having made such an offer.

The ZMCL counsel has also sought an assurance from Majithia that he will not repeat such defamatory act in future, failing which they will seek Rs 100 crore on account of damages suffered by his client.