स्पीकर को आज सर्वोच्च न्यायालय में सौंपनी होगी फैसले की प्रति

कर्णाटक के स्पेकर येन केन प्रकारेण अपने दल काँग्रेस की सरकार बचाने की जुगत में हैं। वह हर संभव कोशिश में हैं की किसी तरह सत्र मानसून सत्र निकाल जाये, परांतु ऐसा होता प्रतीत नहीं होता। जितना सत्ता पाक्स देरी कर रहा है उतने ही और नेता बागी हो रहे हैं। स्पीकर ने कहा था कि कोर्ट इस तरह का आदेश पारित नहीं कर सकता.स्पीकर की तत्काल सुनवाई की मांग गुरुवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दी थी. परसों ही 3 और विधायकों ने त्यागपत्र दिये थे जिससे बागी हुए विधायकों की संख्या बढ़ कर 16 हो गयी है।

नई दिल्लीः कर्नाटक के 10 बागी विधायकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा.चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ मामले की सुनवाई करेगी.गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों को शाम छह बजे तक स्‍पीकर के सामने पेश होने कहा था. साथ ही स्‍पीकर को कोर्ट ने निर्देश दिया था कि उसके बाद वह इस्‍तीफे पर फैसला लें और फैसले की कॉपी कोर्ट में सौंपे. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के डीजीपी से बागी विधायकों को सुरक्षा देने को कहा था.उधर, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कर्नाटक विधानसभा स्पीकर ने शीर्ष अदालत से अपने आदेश को वापस लेने की मांग की थी.

स्पीकर ने कहा था कि कोर्ट इस तरह का आदेश पारित नहीं कर सकता.स्पीकर की तत्काल सुनवाई की मांग गुरुवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दी थी. हालांकि कोर्ट ने स्पीकर को याचिका दायर करने की इजाजत दे दी थी. 

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इससे पहले बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर स्पीकर के फैसले पर सवाल उठाए थे.विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार इस्तीफे को खारिज कर दिया था.इसके खारिज करने की वजह इस्तीफा तय फॉर्मेट में नहीं होना बताया गया था. स्पीकर ने इन विधायकों को अब दोबारा इस्तीफा सौंपने के लिए कहा था. इस्तीफों के खारिज होने के बाद गठबंधन सरकार अल्पमत में आने से बच गई है और उसे थोड़ी राहत मिली थी.

आपको बता दें कि बागी विधायकों के इस्तीफों के बाद सदन में गठबंधन सरकार के विधायक घटकर 103 हो गए हैं. जबकि भाजपा के पास 105 विधायक हैं और दो निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन है जिन्होंने सोमवार को गठबंधन से समर्थन वापस ले लिया था. सभी बागी विधायकों ने महाराष्ट्र में किसी गुप्त जगह पर डेरा डालकर रखा है.कांग्रेस के कई शीर्ष नेता और इसके संकटमोचक डीके शिवकुमार बागी नेताओं के साथ लगातार संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन वह अभी तक कामयाब नहीं हो पाए है.कांग्रेस को उम्मीद हैं की वह बागी विधायकों से बात कर उन्हें मना लेंगे और वापस पार्टी में शामिल करने में सफल होंगे.


कर्णाटक स्पीकर ने कहा की सर्वोच्च न्यायालय तय नहीं करेगा की कब और क्या फैसला लेना है

कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर रमेश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट को अपने उस आदेश पर रोक लगाने की मांग की है, जिसमें गुरुवार सुबह सुप्रीम कोर्ट की ओर से विधायकों के इस्‍तीफे के मामले पर आज ही फैसला लेने को कहा था. 

बेंगलुरू:  कर्नाटक के बागी कांग्रेस और जेडीएस विधायक गुरुवार को विधासभा अध्यक्ष से मिलने पहुंचे. विधायकों से मुलाकात के बाद स्पीकर रमेश कुमार ने कहा कि मेरा काम किसी को बचाना या हटाना नहीं है. सुनवाई में देरी के आरोप से दुखी हूं. स्पीकर ने कहा – 8 विधायकों का इस्तीफा सही प्रारूप में नहीं था. मुझसे किसी विधायक ने मिलने का वक्त नहीं मांगा.’ 

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष के सामने पेश होने के लिए कहा था. इससे पहले अब कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया. अध्यक्ष ने न्यायालय द्वारा उन्हें 10 बागी विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लेने के आदेश को रोकने की अपील की है. 

अध्यक्ष ने कहा कि इस तरह का निर्देश सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी नहीं किया जा सकता है. उन्होंने अपने आवेदन पर तत्काल सुनवाई की मांग भी की. अध्यक्ष ने कहा कि उनके संवैधानिक कर्तव्यों और विधानसभा के नियमों ने उन्हें यह सत्यापित करने के लिए बाध्य किया कि विधायकों द्वारा दिए गए इस्तीफे के पीछे मूल कारण क्या हैं. क्या ये स्वैच्छिक हैं या इनके पीछे किसी का दबाव है. उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि यह पता लगाने के लिए उस निश्चित समय-सीमा के अंदर जांच पूरी नहीं की जा सकती है जिसे शीर्ष अदालत ने तय किया है.

पीठ का मामले पर तत्काल सुनवाई से इनकार
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया.  लेकिन, अदालत ने अध्यक्ष के आवेदन को दायर  करने की अनुमति देते हुए यह संकेत दिया कि मामले को 10 बागी विधायकों की याचिका के साथ सुनवाई के लिए लिया जाएगा.

अध्यक्ष की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील ए. एम. सिंघवी और देवदत्त कामत ने अदालत के सामने तर्क दिया कि अध्यक्ष संवैधानिक रूप से अयोग्यता की कार्यवाही  पहले करने के लिए बाध्य हैं. प्रधान न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने जवाब दिया कि उसने पहले ही सुबह आदेश पारित कर दिया था कि यह फैसला अध्यक्ष को करना है कि इस पर क्या कार्रवाई की जानी है. हम आपको कल (शुक्रवार को) सुनेंगे.

गोवा में कॉंग्रेस विलुप्त

काँग्रेस को सिर्फ सत्ता लोलुपता और ऐय्याशियों ने डुबोया है, काँग्रेस सत्ता से दूर शायद रह भी ले परंतु कोंग्रेसी नहीं रह सकते। आज जिस प्रकार से भाजपा में शामिल होने की होड़ मची है सासे यही साबित होता है की येन केन प्रकारेण कोई पद, कोई कुर्सी या महकमा हाथ लग जाये। मोदी के नेतृत्व में भाजपा की प्रचंड जीत और सर्वोपरो अमेठी से राहुल गांधी की शर्मनाक हार का असर कॉंग्रेस पर इतना पड़ा की वह 2024 के लिए भी परेशान हो गए। आज गोवा में कॉंग्रेस विल्प्त हो गयी। गोवा विधानसभा के डिप्टी स्पीकर माइकल लोबो ने इस मामले पर कहा कि कांग्रेस के 10 विधायक बीजेपी में शामिल हुए हैं. यह उनके कुल विधायकों की संख्या का दो-तिहाई है.

नई दिल्ली: कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस की गठबंधन सरकार पर सियासी संकट गहरा रहा है. वहीं, इन सबके बीच कांग्रेस के लिए गोवा राज्य से भी बुरी खबर सामने आ रही है. गोवा में कांग्रेस के 10 विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. इन विधायकों में चंद्रकांत कावलेकर भी शामिल हैं, जो विपक्ष के नेता थे. कांग्रेस के 10 विधायकों के बीजेपी में शामिल होने पर गोवा के सीएम प्रमोद सावंत ने कहा कि कांग्रेस के विधायकों के अपने विपक्षी नेता के साथ बीजेपी में शामिल होने से हमारी संख्या 27 हो गई है. सभी विधायक बिना किसी शर्त के बीजेपी में शामिल हुए हैं.

गोवा विधानसभा के डिप्टी स्पीकर माइकल लोबो ने इस मामले पर कहा कि कांग्रेस के 10 विधायक बीजेपी में शामिल हुए हैं. यह उनके कुल विधायकों की संख्या का दो-तिहाई है. कांग्रेस विधायकों का विलय नियमानुसार हुआ है. वहीं, गोवा विधानसभा के स्पीकर राजेश पाटनेकर ने कहा कि आज कांग्रेस के 10 विधायकों ने मुझे पत्र देकर बीजेपी में शामिल होने की जानकारी दी. दूसरा पत्र मुझे गोवा के सीएम प्रमोद सावंत की ओर से मिला, जिसमें बीजेपी का संख्याबल बढ़ने की बात कही गई थी. मैंने दोनों पत्र स्वीकार कर लिए हैं.  

वहीं, कांग्रेस का साथ छोड़ बीजेपी में शामिल हुए विपक्ष के नेता चंद्रकांत कावलेकर ने कहा कि अगर विधानसभा क्षेत्र में कोई विकास नहीं होगा तो लोग हमें दोबारा कैसे चुनेंगे. कांग्रेस ने जो भी वादें किए थे, उन्हें पूरा नहीं किया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास गोवा में सरकार बनाने के कई मौके थे, लेकिन वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं में एकता की कमी के कारण यह नहीं हो पाया. उन्होंने कहा कि यह कभी हो भी नहीं पाएगा इसलिए हमनें बीजेपी में शामिल होने का निर्णय लिया है. 

कावलेकर ने कहा कि गोवा के सीएम प्रमोद सावंत अच्छा काम कर रहे हैं इसलिए हम 10 विधायकों ने बीजेपी में शामिल होने का फैसला किया है. मैं विपक्ष का नेता होने के बावजूद अपने विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्य नहीं करवा पा रहा था. उन्होंने कहा कि राज्य की सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद कुछ लोगों के कारण हम सरकार नहीं बना सके. बीजेपी में शामिल होने वाले नेताओं में बाबू कावलेकर, बाबुश मोनसेराट, उनकी पत्नी जेनिफर मोनसेरेट, टोनी फर्नांडिस, फ्रांसिस सिल्वेरा आदि हैं.  

गुलाम नबी आज़ाद impact: 2 और कोंग्रेसी विधायकों ने त्यागपत्र सौंपा

आज़ाद के आने का असर यह हुआ कि 2 और विधायकों ने त्यागपत्र सोंप दिये

रेड्डी ने पार्टी के राज्य नेतृत्व पर उनकी उपेक्षा करने और उन्हें मंत्री बनाने में उनकी वरिष्ठता को नजरअंदाज करने का आरोप लगाते हुए अपना इस्तीफा वापस लेने से इंकार कर दिया है.  कांग्रेस के संकटमोचन राज्य सभा सांसद और पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद आज बेंगलोर में हुंकार भर रहे थे। वह आत्मविश्वास से लबरेज भाजपा ओ धोबी पछाड़ देने के लिए और काँग्रेस को कर्णाटक संकट से उबारने गए थे। वह जब राज्यपाल के संदिग्ध आचरण पर पत्रकारों से बातचीत करने में मशगूल थे तब कॉंग्रेस के 2 और नेताओं ने अपना इस्तीफा दे दिया इस्तीफा देने वालों की संख्या ग्लाम नबी आज़ाद के जाने के बाद अब 16 हो गयी है। आज़ाद राज्यपाल पर आलोकतांत्रिक तरीके से काम करने का इल्ज़ाम लगा रहे थे। तब स्पीकर काँग्रेस सरकार बचाने की जगत में इस्तीफ़ों में खामियाँ नियालने में तुले थे। कॉंग्रेस भाजपा पर खरीद फ़रोहत के इल्ज़ाम लगा रही थी तो दूसरी ओर वह बागी विधायकों को मंत्री पद दे कर खरीदना चाहती है। जहां कॉंग्रेस राज्यपाल पर दोषारोपण करती है वहीं स्पीकर की भूमिका सीधे सीधे एक तरफा दीख पड़ती है। वैसे त्यागपत्रों का सिलसिला अभी तो शुरू हुआ है आगे आगे और भी राज्यपालों की भूमिका को संदिग्ध कहा जाने वाला है।

बेंगलुरू: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पार्टी के संकटमोचक गुलाम नबी आजाद ने जनता दल (सेक्युलर) के साथ अपनी गठबंधन सरकार को बचाने के लिए कर्नाटक के बागी विधायकआर. रामालिंगा रेड्डी से आग्रह किया कि वह अपना इस्तीफा वापस ले लें. यह जानकारी बुधवार को पार्टी ने आधिकारिक तौर पर दी है. पार्टी आलाकमान की सलाह पर, आजाद पार्टी के दर्जन भर उन बागी विधायकों को रोकने के लिए मंगलवार रात बेंगलुरू रवाना हुए थे, जिन्होंने अपनी 13 महीने पुरानी सरकार में अविश्वास जाहिर करते हुए छह जुलाई को इस्तीफा दे दिया था. इनमें रेड्डी भी शामिल हैं.

पार्टी की राज्य इकाई के प्रवक्ता रवि गौड़ा के अनुसार, आजाद ने दिन में पहले रेड्डी से फोन पर बात की और उन्हें अपना इस्तीफा वापस लेने और गठबंधन सरकार को बचाने में मदद करने के लिए कहा है. गौड़ा ने कहा कि आजाद ने रेड्डी से राज्य के एक अतिथि गृह में मिलने के लिए भी कहा, जहां वह रह रहे हैं. उन्होंने रेड्डी से यह भी कहा कि वह शहर में उनके घर पर उनसे मिलकर गठबंधन सरकार पर आए संकट पर चर्चा करने के लिए भी तैयार हैं.

हालांकि, रेड्डी ने पार्टी के राज्य नेतृत्व पर उनकी उपेक्षा करने और उन्हें मंत्री बनाने में उनकी वरिष्ठता को नजरअंदाज करने का आरोप लगाते हुए अपना इस्तीफा वापस लेने से इंकार कर दिया. गौरतलब है कि 66 वर्षीय रेड्डी आठ बार के दिग्गज कांग्रेसी विधायक हैं. आजाद ने सुबह नाश्ते पर हुई एक बैठक में पार्टी के स्थानीय नेताओं राज्य के प्रभारी के. सी. वेणुगोपाल, कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धारमैया, उप-मुख्यमंत्री जी. परमेश्वरा, राज्य इकाई के अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव, वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और राज्यसभा सदस्य बी. के. हरिप्रसाद के साथ संकट पर चर्चा की.

बाद में आजाद ने पत्रकारों से बातचीत में उन राज्यों के राज्यपालों पर आरोप लगाए कि जहां हाल तक कांग्रेस सत्ता में रही है, वहां के राज्यपालों ने भजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के इशारे पर काम करते हुए लोकतंत्र को नष्ट किया. उन्होंने कहा कि केंद्र में भाजपा की सरकार और राज्यों में राज्यपाल जिस तरह से काम कर रहे हैं, उससे लोग आंदोलित हैं. इस देश में लोकतंत्र खत्म हो रहा है. एक के बाद एक राज्य में विपक्षी सरकारें गिराई जा रही हैं और राजग सरकार उनका (राज्यपाल) उपयोग बोली लगाने में कर रही है.

इस दौरान आजाद ने राज्यपालों और केंद्र सरकार के “अलोकतांत्रिक” तरीकों के खिलाफ अपनी आवाज उठाने की अपील भी की. उन्होंने यहां तक कहा कि कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला राज्य की गठबंधन सरकार को गिराने में भाजपा की मदद कर रहे हैं. 

हारने के बाद पहली बार अमेठी आए राहुल

राहुल गांधी अपनी पुश्तैनी सीट ‘अमेठी’ गँवाने के बाद पहली बार यहाँ आए। यहाँ आ कर उन्होने अपनी हार की समीक्षा नहीं की, उन्होने अमेठी जो की उनकी परंपरागत और पुश्तैनी सीट रही है वहाँ हुई शर्मनाक हार के कारणों का विश्लेषण अपने कार्यकर्ताओं के साथ सांझा नहीं किया आपितु उन्हे यह बताया की वह ताल ठोकते रहें रहुल तो अब वायनाड में सक्रिय रहेंगे। उनके हस्पताल के बाहर लगे पोस्टर पर भी उन्होने कोई टिप्पणी नहीं की।

अमेठी: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लोकसभा चुनाव में अपने परिवार की परंपरागत सीट अमेठी से पराजित होने के बाद बुधवार को पहली बार यहां पहुंचे. राहुल ने इस दौरान निर्मला शैक्षिक संस्थान में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की. बैठक में शामिल रहे कार्यकर्ताओं के मुताबिक, राहुल गांधी ने कहा कि वह अमेठी नहीं छोड़ेंगे, और वह लगातार यहां आते रहेंगे. उन्होंने कहा कि उनकी बहन प्रियंका वाड्रा भी यहां आती रहेंगी. राहुल ने कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाया और कहा कि वे हार से निराशा न हों, और क्षेत्र में जाकर पार्टी को मजबूत करें. उन्होंने आगे कहा कि अब वह वायनाड से सांसद हैं, इसलिए ज्यादा समय उन्हें वहां देना होगा.

फिर भी यहां के कार्यकर्ताओं को जब भी उनकी जरूरत होगी, वह हर समय उनके साथ खड़ा रहेंगे. इस दौरान, कार्यकर्ताओं के साथ राहुल की बैठक में प्रवेश न मिलने पर नाराज कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने गेट के बाहर जिलाध्यक्ष योगेंद्र मिश्र के खिलाफ नारेबाजी की.

इस बीच, अमेठी में जगह-जगह पोस्टर लगाए गए हैं, जिसमें संजय गांधी अस्पताल को लेकर राहुल गांधी से जवाब मांगा गया है. पोस्टर में लिखा है, “न्याय दो न्याय दो, मेरे परिवार को न्याय दो, दोषियों को सजा दो, इस अस्पताल में जिंदगी बचाई नहीं गंवाई जाती है. सुबह से ही यह पोस्टर अमेठी में चर्चा का विषय है.

करनाटक के नाटक का आज हो सकता है पटाक्षेप

सरकार को समर्थन दे रहे 2 निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी को समर्थन देने का ऐलान कि‍या है. वहीं कांग्रेस के निलंबि‍त विधायक रोशन बेग इस्‍तीफा देकर बीजेपी में शा‍मि‍ल होंगे. गठबंधन सरकार की हालत सोमवार को तब और ज्यादा नाजुक हो गई, जब लघु उद्योग मंत्री एच नागेश ने मंत्री पद से इस्तीफा देकर 13 महीने पुरानी गठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया, उनके साथ क्षेत्रीय पार्टी केपीजेपी (कर्नाटक प्रज्ञावंतारा जनता पक्ष) के आर. शंकर ने भी मंत्रिपद से इस्तीफा दे दिया है सूत्रों की मानें तो शंकर भी नागेश की राह पर हैं और भाजपा को समर्थन दे सकते हैं। जहां जेडीएस और काँग्रेस इस संकट के लिए भजपा को दोषी मान रही है वहीं जानकारों की मानें तो सारा खेल काँग्रेस का रचाया हुआ है। सत्ता से बाहर हुए मल्लिकार्जुन खडगे को कर्णाटक के मुख्य मंत्री बनाए जाने की कवायद में सिद्धरमाइया ने अपना हित ऊपर रख लिया, बागी विधायक सिद्धरमिया के खेमे से हैं।

बेंगलुरु: कर्नाटक में चल रहे सियासी नाटक से मंगलवार को पर्दा उठ सकता है.आज राज्य की कांग्रेस और जेडीएस सरकार की किस्‍मत का फैसला आज हो जाएगा. कांग्रेस-जेडीएस के 11 विधायकों के इस्‍तीफे स्‍वीकार होते हैं या नहीं, इस पर आज स्पीकर फैसला लेंगे. बता दें इन सभी विधायकों गोवा भेजा गया है. उधर बेंगलुरु में बैठे तीन विधायकों ने इस सरकार की मुसीबतें बहुत बढ़ा दी हैं. इनमें दो निर्दलीय वि‍धायक हैं. सरकार को समर्थन दे रहे 2 निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी को समर्थन देने का ऐलान कि‍या है. 

बेंगलुरु में आज बीजेपी विधायक दल की बैठक होनी है. वहीं निलंबित कांग्रेस विधायक रोशन बेग आज बीजेपी में शामिल होंगे. इससे पहले कांग्रेस विधायक अरव‍िंद स‍िंह इस्‍तीफा दे चुके हैं. वहीं एक और विधायक प्रताप गौड़ा बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने की बात कह चुके हैं.

वहीं आज कांग्रेस विधायक दल की बैठक भी होने जा रही है. बैठक में शामिल होने के लिए कांग्रेस ने सभी विधायकों को सर्कुलर जारी कर चेतावनी दी है. पार्टी ने कहा है कि बैठक में शामिल नहीं होने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. विधायक दल की बैठक में सिद्धारमैया भी शामिल होंगे. बताया जा रहा है कि कर्नाटक कांग्रेस प्रभारी केसी वेणुगोपाल भी और कर्नाटक कांग्रेस प्रमुख दिनेश गुंडू राव भी शामिल होंगे. 

कर्नाटक में जारी सियासी संकट के बीच मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्‍वामी ने कहा कि राज्य सरकार आसानी से चलेगी. वहीं, कुमारस्वामी के इस बयान पर बीएस येदियुरप्पा ने पलटवार किया है. येदियुरप्पा ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा कि दो निर्दलीय विधायकों ने राज्यपाल से मुलाकात की है. साथ ही उन्होंने पत्र लिखकर बीजेपी को समर्थन देने की बात कही है. विधानसभा में अब हमारी संख्या 107 हो गई है. उन्होंने कुमारस्वामी पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने बहुमत खो दिया है, इसके बावजूद वो इस तरह की बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कर्नाटक की जनता हर चीज समझ रही है. हम देखो और इंतजार करो की नीति पर चल रहे हैं.

कांग्रेस से निलंबित चल रहे विधायक रौशन बेग ने न्यूज एजेंसी एएनआई पर बड़ा बयान दिया है. विधायक रोशन बेग ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी ने जिस तरह से मेरे साथ बर्ताव किया है, उससे मैं आहत हूं, उन्होंने कहा कि मैं अपने विधायक पद से इस्तीफा दे दूंगा और बीजेपी में शामिल हो जाऊंगा.

कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार असंतुष्ट विधायकों से मिलने के लिए मुंबई के लिए रवाना हो गए हैं. न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, कर्नाटक सरकार में मंत्री और कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार नाराज चल रहे विधायकों से मिलने के लिए मुंबई के सोफीटेल होटल पहुंचेंगे. वहीं, बताया जा रहा है कि कर्नाटक के निर्दलीय विधायक आर शंकर ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है.  खबर है कि आर शंकर भी मुंबई जाकर नाराज विधायकों से बात कर सकते हैं.

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने सोमवार को पार्टी विधायकों की बैठक से पहले बड़ा बयान दिया था. येदियुरप्पा ने कहा कि बीजेपी विधायकों की बैठक होने वाली है और हम इसमें उचित निर्णय लेंगे. उन्होंने कहा कि मंगलवार को बीजेपी कार्यकर्ता प्रदर्शन करेंगे, क्योंकि कांग्रेस और जेडीएस के गठबंधन की सरकार ने बहुमत खो दिया है. उन्होंने कहा कि हमारी मांग होगी कि सीएम कुमारस्वामी तत्काल इस्तीफा दें और कर्नाटक की जनता भी यही चाहती है.

येदियुरप्पा ने कहा कि कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन की सरकार ने बहुमत खो दिया है. इस स्थिति में उनके पास सरकार को चलाने का कोई नैतिक आधार नहीं है. उन्होंने कहा कि गठबंधन सरकार के अल्पमत में आने के कारण ही हम मुख्यमंत्री से इस्तीफा मांग रहे हैं.

कर्नाटक में संकट में चल रही जेडीएस और कांग्रेस की गठबंधन सरकार की हालत सोमवार को तब और ज्यादा नाजुक हो गई, जब लघु उद्योग मंत्री एच नागेश ने मंत्री पद से इस्तीफा देकर 13 महीने पुरानी गठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया. राज्यपाल वजुभाई वाला को लिखे पत्र में नागेश ने कहा, “मैंने आज (मुख्यमंत्री) एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाले मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दे दिया है.” नागेश ने शहर के मध्य स्थित राजभवन में वाला को अपना इस्तीफा सौंपा. उन्होंने पत्र में यह भी कहा है कि वह 13 महीने पुरानी सरकार से अपना समर्थन वापस ले रहे हैं.

नागेश ने पत्र में लिखा, “इस पत्र के माध्यम से आपको यह भी सूचित करना चाहूंगा कि मैं कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस ले रहा हूं.” नागेश ने राज्यपाल से यह भी कहा है कि वह कोलार जिले की मुलबगल (अनुसूचित जाति) विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक के तौर पर निर्वाचित हुए थे.

नागेश को बमुश्किल एक महीने पहले ही 34 सदस्यीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था. उनके साथ क्षेत्रीय पार्टी केपीजेपी (कर्नाटक प्रज्ञावंतारा जनता पक्ष) के आर. शंकर को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था, ताकि दिसंबर से ही बगावत पर उतारू कांग्रेस के लगभग दर्जन भर विधायकों की धमकी से उत्पन्न खतरे से गठबंधन सरकार को बचाया जा सके. 

नगर निकाय मंत्री शंकर ने भी कांग्रेस के अन्य 20 मंत्रियों के साथ अपना इस्तीफा कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धारमैया को सौंप दिया, ताकि दर्जन भर बागी विधायकों के इस्तीफा वापस लेने और उन्हें मंत्री बनाए जाने का रास्ता साफ हो सके, और गठबंधन सरकार को 12 जुलाई से शुरू हो रहे 10 दिवसीय मॉनसून सत्र से पहले गिरने से बचाया जा सके. यह दूसरा मौका है, जब नागेश और रन्नेबेन्नूर सीट से विधायक शंकर ने गठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापस लिया है. इससे पहले उन्होंने 22 दिसंबर को मंत्री पद से हटाए जाने के बाद 15 जनवरी को सरकार से समर्थन वापस ले लिया था.

कांग्रेस ने कर्नाटक में सरकार के संकट के लिए भाजपा पर आरोप लगाया है. कांग्रेस विधायक डीके सुरेश ने संवाददाताओं से कहा, “राज्य में इस राजनीतिक संकट के पीछे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय नेताओं का हाथ है. वे किसी भी राज्य में कोई सरकार या किसी विपक्षी दल की सरकार नहीं चाहते हैं. वे लोकतंत्र को खत्म कर रहे हैं.” भाजपा के नेताओं ने इस आरोप पर पलटवार किया है. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा, “कर्नाटक में राजनीतिक संकट से भाजपा का कोई लेना-देना नहीं है.”

कर्नाटक सरकार पर संकट गहराया

कर्नाटक की जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार गिरने की कगार पर है. बागी कांग्रेस विधायक रोशन बेग ने बीजेपी में शामिल होने का ऐलान किया है. वह अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं. ये पूरा राजनीतिक घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है जब राज्य में 12 जुलाई से मानसून सत्र होना है. दोनों दलों के नेता सरकार बचाने का पूरा प्रयास कर रहे हैं. देखना होगा कि उन्हें इसमें कहां तक सफलता मिलती है. 

बेंगलुरू: कर्नाटक की जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार गिरने की कगार पर है. कांग्रेस के 22 मंत्रियों और जनता दल-सेकुलर (जेडीएस) के सभी नौ मंत्रियों ने अपना इस्तीफा दे दिया है. सोमवार को यह संकट और बढ़ गया जब निर्दलीय नागेश ने लघु उद्योग मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया  और मुख्यमंत्री एच.डी.कुमारस्वामी की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया. नागेश के साथ क्षेत्रीय पार्टी के पीजेपी के आर.शंकर ने भी अपना समर्थन वापस ले लिया है. रही सही कसर बागी कांग्रेस विधायक रोशन बेग ने पूरी कर दी है. बेग ने बीजेपी में शामिल होने का ऐलान किया है. वह अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं.

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उधर, कर्नाटक बीजेपी प्रमुख बीएस येदियुरप्पा ने पार्टी को विधानसभा में समर्थन मिलने की बात कही है. येदियुरप्पा का कहना है कि विधानसभा में अब बीजेपी की सदस्य संख्या 107 हो गई है. उन्होंने कुमारस्वामी से इस्तीफे की मांग की है. यह समस्या शनिवार को शुरू हुई जब सरकार पर अविश्वास जताते हुए कांग्रेस के 10 व जेडीएस के तीन विधायकों ने इस्तीफा दे दिया. शनिवार को इस्तीफा देने वाले कांग्रेस के ज्यादातर विधायकों ने कर्नाटक छोड़ दिया है और वे मुंबई में ठहरे हैं.

सूत्रों के मुताबिक, इस्तीफा देने वाले विधायक मंगलवार को बेंगलुरू लौटकर स्पीकर से मुलाकात कर सकते हैं. इस्तीफा का दौर शुरू होने से पहले गठबंधन के पास 118 विधायकों का समर्थन था जो कि 113 के बहुमत के आंकड़े से 5 ज्यादा था. 

नजरें विधानसभा अध्यक्ष पर टिकीं 
विधायकों और मंत्रियों के इस्तीफे के बाद सभी की नजरें विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार पर टिकी हैं. उन्हें इन इस्तीफों पर अभी निर्णय लेना है. उधर, कर्नाकट कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव ने स्पीकर से बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने की अपील की है. मजेदार बात यह है कि ये पूरा राजनीतिक घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है जब राज्य में 12 जुलाई से मानसून सत्र होना है. दोनों दलों के नेता सरकार बचाने का पूरा प्रयास कर रहे हैं. देखना होगा कि उन्हें इसमें कहां तक सफलता मिलती है. 

कर्णाटक संकट : इस्तीफ़ों की राजनीति

शनिवार को सत्‍तारूढ़ कांग्रेस-जेडीएस के जिन 11 विधायकों ने एक साथ इस्‍तीफा दिया है, वे सब अलग-अलग कारणों से अपनी संबंधित पार्टियों से नाराज रहे हैं. कांग्रेस से इस्‍तीफा देने वाले ज्‍यादातर बागी विधायक पूर्व मुख्‍यमंत्री सिद्धारमैया के करीबी हैं. इस कारण सरकार पर मंडराते संकट के लिए परोक्ष रूप से सिद्धारमैया को जिम्‍मेदार ठहराया जा रहा है.

बेंगलुरू: शनिवार को कर्नाटक की सत्‍तारूढ़ कांग्रेस-जेडीएस सरकार के जिन 11 विधायकों ने एक साथ इस्‍तीफा दिया है, वे सब अलग-अलग कारणों से अपनी संबंधित पार्टियों से नाराज रहे हैं. त्‍यागपत्र देने वाले कांग्रेस पार्टी के विधायकों की संख्‍या 9 है और सबकी नाराजगी गठबंधन सरकार की कार्यशैली से है. इनमें से ज्‍यादातर विधायकों की शिकायत इस बात से है कि मंत्रीपद के लिए उनकी अनदेखी की गई. कांग्रेस से इस्‍तीफा देने वाले ज्‍यादातर बागी विधायक पूर्व मुख्‍यमंत्री सिद्धारमैया के करीबी हैं. इस कारण सरकार पर मंडराते संकट के लिए परोक्ष रूप से सिद्धारमैया को जिम्‍मेदार ठहराया जा रहा है.

रामलिंगा रेड्डी
इसमें सबसे बड़ा नाम रामलिंगा रेड्डी का है जो सिद्धारमैया सरकार में गृह मंत्री रह चुके हैं. उनको इस बार मंत्री पद नहीं दिया गया. रामलिंगा रेड्डी के साथ कम से कम तीन विधायक हैं जो रामलिंगा रेड्डी के गुट के हैं जो इस समय रामलिंगा रेड्डी के साथ हैं. सूत्रों के हवाले से ये भी खबर है कि यदि कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम सिद्धारमैया को मुख्‍यमंत्री बनाया जाता है तो इस धड़े को वापस लाया जा सकता है.

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रमेश जरकेहोली
वहीं कांग्रेस के दूसरे धड़े का नेतृत्व रमेश जरकेहोली कर रहे हैं. गोकाक से विधायक रमेश से मंत्री पद छीन कर उनके सगे भाई सतीश जरकेहोली को दे दिया गया था. रमेश तब से ही पार्टी से नाराज चल रहे हैं और लगातार इस्तीफा देने की धमकी देते रहे हैं. इस समय में उनके साथ 4 अन्‍य बागी विधायक हैं और माना जा रहा है कि इस्तीफा स्‍वीकार होने के बाद ये गुट भाजपा में शामिल हो सकता है.

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एच विश्वनाथ
जेडीएस के तीन विधायकों का नेतृत्‍व एच विश्वनाथ कर रहे हैं. एक दौर में सिद्धारमैया को कांग्रेस पार्टी में शामिल कराने का श्रेय विश्वनाथ को जाता है पर जैसे-जैसे सिद्धारमैया कांग्रेस में मजबूत होते गये, वैसे-वैसे विश्वनाथ की अनदेखी करते रहे. नाराज विश्वनाथ जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) में शामिल हो गए. जेडीएस ने उनको प्रदेश अध्यक्ष तो बनाया पर इसके बावजूद अध्यक्ष के रूप में उन्हें न तो कोऑर्डिनेशन कमेटी में शामिल किया गया और ना ही मंत्री पद दिया गया. विश्वनाथ इन सबके पीछे सिद्धारमैया को दोषी मानते हैं. यही वजह है कि वो भी अपने समर्थक विधायकों के साथ इस सरकार को गिराना चाहते हैं.  

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दलगत स्थिति
इस सियासी उठापटक के बीच यदि विधानसभा की दलगत स्थिति को देखा जाए तो स्‍पीकर को मिलाकर कुल 225 सीटें हैं. इस लिहाज से बहुमत का आंकड़ा 113 सीटों का होगा.
यदि इसमें से स्पीकर को हटा दें तो कुल सीटें 224 होंगी.

मौजूदा स्थिति
BJP-105
कांग्रेस-79
जेडीएस-37
BSP-1
निर्दलीय -1
नॉमिनेटेड-1( वोट का अधिकार नहीं)

उल्‍लेखनीय है कि कांग्रेस के 78 में से अब तक 9 विधायक इस्तीफा दे चुके हैं. ( इनमें से आनंद सिंह पहले ही इस्‍तीफा दे चुके हैं, बाकी 8 ने शनिवार को इस्‍तीफा दिया). दूसरी तरफ JDS के 37 में से 3 विधायकों ने इस्‍तीफा दिया.

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सूत्रों के मुताबिक बागी तेवर अपनाने वाले ज्‍यादातर कांग्रेसी विधायक पूर्व मुख्‍यमंत्री सिद्धारमैया के करीबी हैं. इन वजहों से कयास लगाए जा रहे हैं कि इस पूरे घटनाक्रम के पीछे कहीं उनका हाथ तो नहीं है? सिद्धारमैया कांग्रेस विधायक दल के नेता हैं और कर्नाटक कांग्रेस के सबसे मजबूत नेता माने जाते हैं, दूसरी ओर एक मत यह भी है की कॉंग्रेस का इतिहास है की वह राजनैतिक अस्थिरता पैदा करने में माहिर रही है। इस बार यह खेल मल्लिकार्जुन खडगे के लिए खेला जा रहा है। कहा जाता है की मल्लिकार्जुन खडगे की अकूत संपत्ति पर कहीं जांच न बैठ जाये इसीलिए उन्हे सत्ता में बनाए रखना ज़रूरी हो गया है, वैसे भी काँग्रेस सत्ता से दूर नहीं रहना चाहते।

बेंगलुरू: 11 कांग्रेस-जेडीएस विधायकों के इस्‍तीफे के बाद एचडी कुमारस्‍वामी के नेतृत्‍व में कर्नाटक की गठबंधन सरकार के अस्तित्‍व पर संकट मंडरा रहा है. सूत्रों के मुताबिक बागी तेवर अपनाने वाले ज्‍यादातर कांग्रेसी विधायक पूर्व मुख्‍यमंत्री सिद्धारमैया के करीबी हैं. इन वजहों से कयास लगाए जा रहे हैं कि इस पूरे घटनाक्रम के पीछे कहीं उनका हाथ तो नहीं है? सिद्धारमैया कांग्रेस विधायक दल के नेता हैं और कर्नाटक कांग्रेस के सबसे मजबूत नेता माने जाते हैं. इससे पहले भी गठबंधन सरकार के समक्ष राजनीतिक अस्थिरता आती रही है तो जेडीएस उसके पीछे परोक्ष रूप से सिद्धारमैया को जिम्‍मेदार ठहराते रहे हैं.

इस बीच जेडीएस सत्‍ता को बचाने की पूरी कोशिशों में लगी है. सूत्रों के मुताबिक कहा जा रहा है कि इस कवायद में यदि मुख्‍यमंत्री का पद जेडीएस के हाथों से निकलकर कांग्रेस के पास चला जाए तो इस फॉर्मूले पर भी जेडीएस नेता सहमत हो सकते हैं. इस संदर्भ में ही जेडीएस के बड़े नेता और चामुंडेश्‍वरी से विधायक जीटी देवगौड़ा ने कहा, ‘सिद्धारमैया को मुख्‍यमंत्री बनाने पर कोई आपत्ति नहीं’ है. उन्‍होंने कहा कि इस सिलसिले में जेडीएस-कांग्रेस की समन्‍वय समिति का फैसला मंजूर होगा.

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गौरतलब है कि चामुंडेश्वरी, सिद्धारमैया की पारंपरिक सीट मानी जाती रही है लेकिन विधानसभा चुनाव में जीटी देवगौड़ा ने सिद्धारमैया को हराया था. देवगौड़ा ने ये भी कहा कि यदि पार्टी ने कहा तो वह अपनी सीट से इस्‍तीफा देने को भी तैयार हैं.

जीटी देवगौड़ा, जेडीएस पार्टी के शीर्ष नेतृत्‍व यानी एचडी देवगौड़ा परिवार के काफी करीबी हैं. एचडी देवगौड़ा परिवार और सिद्धारमैया के बीच बिल्‍कुल नहीं बनती. पहले सिद्धारमैया जेडीएस में ही थे लेकिन जब एचडी देवगौड़ा के बेटे एचडी कुमारस्‍वामी ने पार्टी की कमान संभाली तो सिद्धारमैया पार्टी में हाशिए पर चले गए. बाद में वह पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए. उसके बाद देवगौड़ा परिवार और सिद्धारमैया के रिश्‍ते कभी सहज नहीं रहे. उसकी बानगी इस बात से भी समझी जा सकती है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में जेडीएस ने सिद्धारमैया की सीट चामुंडेश्‍वरी से अपने मजबूत नेता जीटी देवगौड़ा को उतार दिया. जीटी देवगौड़ा जीत गए लेकिन कुमारस्‍वामी और सिद्धारमैया के रिश्‍ते तल्‍ख हो गए.

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कांग्रेस विधायक दल की बैठक
इस बीच बागियों के इस्‍तीफे के मद्देनजर मंगलवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक होने जा रही है. बैठक में शामिल होने के लिए कांग्रेस ने सर्कुलर जारी किया है. इसमें सभी विधायकों को कांग्रेस ने चेतावनी देते हुए कहा है कि बैठक में शामिल नहीं होने पर कड़ी कार्रवाई संभव है. विधायक दल की बैठक में सिद्धारमैया शामिल होंगे. इसमें कर्नाटक कांग्रेस प्रभारी केसी वेणुगोपाल और कर्नाटक कांग्रेस प्रमुख दिनेश गुंडू राव भी शामिल होंगे.

कांग्रेस अब मुंबई में बैठे रूठे विधायकों को मंत्री पद का ऑफर देकर उन्‍हें वापस बुला सकती है

कांग्रेस अब मुंबई में बैठे रूठे विधायकों को मंत्री पद का ऑफर देकर उन्‍हें वापस बुला सकती है. कई विधायक लंबे समय से मंत्री बनाए जाने की मांग कर रहे हैं. अब सोमवार को जी परमेश्‍वर ने सरकार में शामिल सभी कांग्रेस के मंत्र‍ियों को ब्रेकफास्‍ट पर बुलाया है. सूत्रों के अनुसार, वह मंत्र‍ियों से इस्‍तीफा देने को कह सकते हैं. दरअसल कहा जा रहा है कि कांग्रेस अपने मंत्र‍ियों से इस्‍तीफा देकर मुंबई में रूठकर बैठे विधायकों को मंत्री पद का ऑफर देकर वापस बुला सकती है

बेंगलुरु/नई दिल्‍ली: कर्नाटक सरकार पर मंडरा रहे खतरे के बादल और गहरे होते जा रहे हैं. रविवार को मुख्‍यमंत्री एचडी कुमारस्‍वामी अमेरिका से बेंगलुरु पहुंचे. यहां पर उन्‍होंने अपनी पार्टी के विधायकों के साथ होटल में मीटिंग की. कर्नाटक के उपमुख्‍यमंत्री और कांग्रेस नेता जी परमेश्‍वर के साथ भी उनकी मीटिंग हुई, लेकिन कोई स्‍पष्‍ट नतीजा नहीं निकला है. उधर मुंबई गए 10 विधायकों ने बेंगलुरु लौटने से इनकार कर दिया है. वह इस्‍तीफे पर अड़े हैं. अब सोमवार को जी परमेश्‍वर ने सरकार में शामिल सभी कांग्रेस के मंत्र‍ियों को ब्रेकफास्‍ट पर बुलाया है. सूत्रों के अनुसार, वह मंत्र‍ियों से इस्‍तीफा देने को कह सकते हैं.

दरअसल कहा जा रहा है कि कांग्रेस अपने मंत्र‍ियों से इस्‍तीफा देकर मुंबई में रूठकर बैठे विधायकों को मंत्री पद का ऑफर देकर वापस बुला सकती है. इस संकट के पीछे सबसे बड़ा कारण असंतोष है. कई विधायक लंबे समय से मंत्री बनाए जाने की मांग कर रहे थे. जब उनकी बात नहीं सुनी गई तो विद्रोह भड़क गया.

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कर्नाटक कांग्रेस ने विधायकों की मंगलवार को बैठक बुलाई
कर्नाटक कांग्रेस ने पार्टी के नौ बागी विधायकों के शनिवार के इस्तीफे के बाद इस संकट से निपटने के लिए नौ जुलाई को अपने सभी 78 विधायकों की बैठक बुलाई है. इससे पहले कांग्रेस के विधायक आनंद सिंह (विजयनगर) ने एक जुलाई को इस्तीफा दे दिया था, जिसे मिलाकर बागी विधायकों की संख्या 10 हो गई है.

कांग्रेस प्रवक्ता रवि गौड़ा ने कहा, “कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेता सिद्धारमैया ने सभी विधायकों को निर्देश दिया है कि वे मंगलवार (नौ जुलाई) को सुबह 9.30 बजे विधानसभा भवन के कॉन्फ्रेंस हॉल में सभी मुद्दों पर चर्चा करें, जिसमें शनिवार को इस्तीफा देने वालों की चिंताएं भी शामिल हैं.”

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सीएलपी बैठक आयोजित करने का निर्णय पार्टी की राज्य इकाई के नेताओं की बैठक में लिया गया, जिसमें सिद्धारमैया, उपमुख्यमंत्री जी. परमेस्वरा, पार्टी की राज्य इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष ईशर कंद्रे और पार्टी के कर्नाटक प्रभारी के.सी. वेणुगोपाल शामिल रहे. गौड़ा ने कहा, “पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव और मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे वरिष्ठ पार्टी नेता भी बैठक में भाग लेंगे.”

विधानसभा अध्यक्ष के.आर. रमेश कुमार मंगलवार को ही विधायकों के त्याग-पत्रों पर गौर करेंगे. विधायकों ने कुमार की अनुपस्थिति में अपने इस्तीफे उनके निजी सचिव को सौंप दिए थे. इनमें नौ कांग्रेस और तीन जनता दल (सेक्युलर) के विधायकों के इस्तीफे हैं.