भगवंत मान मेरे पिता शराब पीकर गुरुद्वारा जाते हैं, बनने वाले हैं बाप : सीरत कौर

शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने बीते कल को सीरत कौर का वीडियो प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दिखाया है। इस वीडियो में सीरत कौर को अपने पिता भगवंत मान के विरूद्ध आरोप लगाते देखा जा सकता है। सीरत कौर ने कहा है कि भगवंत मान ने उन्हें और उनके भाई की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया। वीडियो में सीरत कौर ने पूछा, “यदि कोई व्यक्ति मां बाप की जिम्मेदारी को पूरा नहीं कर सकता तो उसे पंजाब को चलाने की जिम्मेदारी कैसे सौंपी जा सकती है।”

सारीका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, पंचकुला – 11 दिसम्बर  :

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की बेटी सीरत कौर मान ने अपने पिता पर बेहद संगीन आरोप लगाए हैं। सीरत ने एक वीडियो जारी कर अपने पिता के बारे में कहा कि मुझे पता चला है कि मेरे पिता की दूसरी पत्नी प्रेगनेंट हैं। वह तीसरी बार बाप बनने वाले हैं। सीरत ने कहा कि मेरे पिता शराब पीकर गुरुद्वारे जाते हैं।

विवादास्पद वीडियो में सीरत कौर को अपने पिता भगवंत मान के खिलाफ आरोप लगाते देखा जा सकता है। सीरत ने कहा कि भगवंत मान ने उन्हें और उनके भाई की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया है। वीडियो में सीरत ने पूछा, “यदि कोई व्यक्ति माता-पिता की जिम्मेदारियों को पूरा नहीं कर सकता है, तो उसे पंजाब को चलाने की जिम्मेदारी कैसे सौंपी जा सकती है?”

वीडियो में सीरत कौर ने बताया कि उनके पिता तीसरे बच्चे के बाप बनने वाले हैं। उन्होंने बताया कि यह जानकारी उन्हें पिता के आसपास के लोगों से मिली है। सीरत ने कहा कि उनके पिता की पत्नी डॉ. गुरप्रीत कौर ने उन्हें और उनके भाई को दरकिनार कर दिया है। डॉ. गुरप्रीत कौर गर्भवती हैं। सीरत ने सवाल किया कि जिस व्यक्ति ने अपने दो जवान बच्चों को छोड़ दिया है उसे तीसरा बच्चा पैदा क्यों पैदा करना चाहिए?

सीरत ने बताया कि उन्होंने अपने पिता के नाम से खुद को अलग कर लिया है। बिक्रम सिंह मजीठिया ने वीडियो को लेकर कहा कि जो लोग अपने बच्चों की देखभाल नहीं कर सकते उनपर राज्य के हितों के लिए काम करने का भरोसा नहीं किया जा सकता है।

मध्य प्रदेश के प्रिय ‘मामा’ को हटा संघ के प्रिय ‘मोहन’ बने मुख्य मंत्री अब ‘मामा’ के भविष्य पर क्या फैसला होगा।

मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के नाम का एलान कर दिया गया है। सोमवार को भोपाल में हुई विधायक दल की बैठक में मोहन यादव के नाम पर मुहर लगाई गई। शिवराज सिंह चौहान अब केंद्र की राजनीति में शिफ्ट होंगे? उन्हें केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी लोकसभा चुनाव से पहले दी जा सकती है। यह जिम्मेदारी सरकार में होगी। नरेंद्र सिंह तोमर के इस्तीफे के बाद कृषि मंत्रालय खाली है। अटकलें हैं कि शिवराज सिंह चौहान को केंद्र में नरेंद्र सिंह तोमर की जगह मिल सकती है। नरेंद्र सिंह तोमर एमपी विधानसभा के अध्यक्ष बन गए हैं। हालांकि सवाल है कि शिवराज सिंह चौहान इसके तैयार होंगे या नहीं?

सारीका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, पंचकुला – 11 दिसम्बर  :

मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में बेहद शानदार जीत हासिल करने के बाद भारतीय जनता पार्टी पर सबसे बड़ा और सबसे मुख्य सवाल यह था की अब इन राज्यों की बागडोर किसके हाथ में सौंपी जाएगी और कौन होगा नया मुख्यमंत्री। इतने दिन के इंतजार और सोच विचार के बाद अब एक एक करके भाजपा अपने पत्ते खोल रही है, और मुख्यमंत्री की घोषणा कर रही है।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। मोहन यादव के नाम की घोषणा के बाद उन्होंने राज्यपाल से मिलकर इस्तीफा सौंप दिया है। इसके बाद उनके भविष्य को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। अब शिवराज सिंह चौहान क्या करेंगे। उन्हें जब इस बात का अंदेशा हो गया था कि अब वह सीएम नहीं होंगे तो कुछ दिनों पहले कहा था कि मैं दिल्ली नहीं जाऊंगा। अब आलाकमान ने फैसला ले लिया है। इसके बाद उनके भविष्य को लेकर चर्चा शुरू हो गई है।

हालांकि यह भी अटकलें हैं कि उन्हें किसी राज्य का राज्यपाल बनाकर राजनीतिक पारी को विराम दिया जा सकता है। वहीं, इसके लिए शिवराज सिंह चौहान तैयार होंगे। यह मुश्किल है। शिवराज सिंह चौहान नतीजों के बाद से ही मध्य प्रदेश में एक्टिव हो गए हैं। वह लगातार मिशन-29 के लिए जुट गए हैं। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा है कि मैं मध्य प्रदेश को नहीं छोड़ रहा हूं। मध्य प्रदेश से आगामी विधानसभा चुनाव में 29-29 सीटें जीतकर मोदी जी के गले में डालूंगा।

वहीं, एक चर्चा यह भी है कि उन्हें संगठन में कोई बड़ी भूमिका दी जा सकती है। 2018 के विधानसभा चुनाव में जब उनकी हार हुई थी तो पार्टी ने उन्हें उपाध्यक्ष बनाया था। इसके बाद उन्हें सदस्यता अभियान का राष्ट्रीय प्रभारी बनाया गया था। उस समय भी शिवराज सिंह चौहान वहां नहीं जाना चाहते थे लेकिन पार्टी के फैसले के खिलाफ भी नहीं जा सके थे।

गौरतलब है कि अब सबकी निगाहें दिल्ली पर टिकी है कि शिवराज सिंह चौहान के भविष्य पर क्या फैसला होगा। वहीं, भोपाल में अपने लिए उन्होंने सीएम रहते हुए दूसरा घर तैयार करवा लिया था। साथ ही अपनी लाडली बहनों को भी संकेत दे दिए थे कि मैं जब चला जाऊंगा तब बहुत याद आऊंगा। अब शिवराज सिंह चौहान चले गए हैं और लाडली बहनों को एक सप्ताह पहले सातवीं किस्त की राशि मिली है। ऐसे में उनके अगले कदम पर लोगों की निगाहें टिकी हैं।

जोरम पीपुल्स मूवमेंट ने मिजोरम में मारी बाजी

मिजोरम में मतगणना रविवार को मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के साथ होनी थी। हालांकि, राजनीतिक दलों, गैर सरकारी संगठनों, चर्च और छात्र संगठनों की अपील के बाद निर्वाचन आयोग ने इसे स्थगित कर दिया क्योंकि रविवार का दिन ईसाई बहुल मिजोरम के लोगों के लिए विशेष महत्व रखता है। मिजोरम विधानसभा के लिए मतदान सात नवंबर को हुआ था और राज्य के 8.57 लाख मतदाताओं में से 80 प्रतिशत से अधिक ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था।

  1. 15 सीटों पर जोरम पीपुल्स मूवमेंट प्रत्याशियों की जीत
  2. मतगणना केंद्रों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम।
  3. ZPM ने छुआ बहुमत का आंकड़ा

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़- 04 दिसम्बर  :

मिजोरम विधानसभा चुनाव के लिए मतगणना शुरू हो गई है। आज होने वाली मतगणना के लिए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किये गये हैं। इस बार चुनाव में सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ), जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने की उम्मीद है। मिजोरम विधानसभा चुनाव के सोमवार को जारी मतगणना के शुरुआती रुझान में विपक्षी जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) ने राज्य में सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) पर बढ़त बना ली है। 

मिजोरम विधानसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती शुरू हो चुकी है। मिजोरम की 40 विधानसभा पर 7 नवंबर को चुनाव संपन्न हुए थे। हालांकि, पहले मिजोरम में मतगणना 3 दिसंबर को होनी थी, लेकिन चुनाव आयोग ने 4 दिसंबर तक के लिए मतगणना को स्थगित कर दिया था।

बता दें कि मिजोरम की 40 विधानसभा सीटों पर मिजो नेशनल फ्रंट, जोरम पीपुल्स मूवमेंट, कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला है।

पार्टियां-                  सीटों पर बढ़त 

मिजो नेशनल फ्रंट-         11

जोरम पीपुल्स मूवमेंट-     27

बीजेपी-                         02

कांग्रेस-                          01

चुनाव आयोग के अनुसार, जोरम पीपुल्स मूवमेंट ने 15 सीटों पर जीत दर्ज कर ली है। मिजो नेशनल फ्रंट तीन सीटों पर बाजी मार ली है। वहीं, 1 सीट पर भाजपा जीत चुकी

जब भाजपा की बनेगी सरकार तो कौन होगा मुख्यमंत्री?

छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना में आज नतीजे आ रहे हैं। तीनों राज्यों में बीजेपी को प्रचंड जीत मिली है। मध्यप्रदेश में बीजेपी पहले से ही सरकार में थी। वहीं, छत्तीसगढ़ और राजस्थान को वह कांग्रेस से छीनने में सफल रही। 2018 में कांग्रेस ने हिंदी बेल्ट के इन तीनों राज्यों में जीत हासिल की थी। ऐसे में कांग्रेस के लिए ये नतीजे बड़ा झटका माना जा रहा है। हालांकि, चुनाव नतीजे जीतने के बाद बीजेपी बड़ा सरप्राइज दे सकती है। माना जा रहा है कि ती तीनों राज्यों में जनता को नए सीएम दिख सकते हैं। 

  1. मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा की लहर चली।
  2. नए सीएम देकर भाजपा इस चुनावी जीत से भी बड़ा सरप्राइज देने की तैयारी में है।

सारीका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 03 दिसम्बर   :

छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के रुझानों में भाजपा तीन राज्यों में बम्पर सीटें पाती दिख रही है। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा की लहर चली है। तीनों जगह भाजपा अप्रत्याशित जीत हासिल करती दिख रही है। इस बीच भाजपा इस चुनावी जीत से भी बड़ा सरप्राइज देने की तैयारी में है।

मध्यप्रदेश में शिवराज के साथ चार और नाम

मध्यप्रदेश में भाजपा को 164 सीटों के साथ जैसी बड़ी जीत मिली है, उसके हिसाब से शिवराज सिंह ही पार्टी की सबसे पहली पसंद हैं। हालांकि, पहले पार्टी ने कोई चेहरे घोषित नहीं किया था, लेकिन यहां चार और नाम अभी सीएम पद की रेस में हैं, जिसमें नरेंद्र सिंह तौमर, कैलाश विजयवर्गीय, वीडी शर्मा और प्रह्लाद पटेल का नाम शामिल है। हालांकि, भाजपा हमेशा की तरह कोई और चेहरा लाकर सभी को चौंका सकती है। 

राजस्थान को भी मिल सकता नया सीएम

राजस्थान  में भी भाजपा बड़ी जीत की ओर है। यहां पार्टी को 199 में से 115 सीटें मिलती दिख रही है। राजस्थान में भी पार्टी किसी नए चेहरे को सीएम बना सकती है। सीएम की कुर्सी की रेस में वसुंधरा राजे सिंधिया, केंद्रीय विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, दीया कुमारी, बाबा बालकनाथ, राज्यवर्धन सिंह राठौर और लोकसभा स्पीकर ओम बिरला का नाम शामिल माना जा रहा है। 

छत्तीसगढ़ को मिल सकता है कोई जमीनी नेता

छत्तीसगढ़ में भाजपा किसी नए जमीनी नेता को सीएम पद सौंप सकती है। हालांकि, पार्टी पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को भी एक बार फिर मौका दे सकते हैं। इस सूची में भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरोज पांडेय और पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का नाम शामिल है।

“सनातन का श्राप ले डूबा…” :  आचार्य प्रमोद कृष्णम

छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम अब सामने आने लगे है। ये चुनाव परिणाम जहां बीजेपी के लिए खुशी लेकर आए है। तो वहीं, 3 राज्यों में कांग्रेस के हाथ निराशा लगी है। कांग्रेस पार्टी की इस हार पर पार्टी के ही दिग्गज नेता ने खरी-खरी सुनाई। यदि आचार्य कि बात माने तो तेलंगाना मैं कोंग्रेस् इस लिये जीती क्योंकि वहाँ पर सनातन विरोधि ही मतदाता हैं ।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, पंचकुला – 03 दिसम्बर  :

मध्यप्रदेश, राजस्थान, छतीसगढ़ और तेलंगाना चुनाव का रिजल्ट धीरे-धीरे सामने आने लगे हैं। रुझानों के अनुसार इन चारों राज्यों में से 3 में बीजेपी को बड़ी बढ़त मिलती दिख रही है और तीनों राज्यों में बीजेपी सरकार बनाने की ओर बढ़ रही है। हालांकि तेलंगाना में कांग्रेस ने बढ़त ले रखी है। वहीं चुनाव में बीजेपी को मिलती जीत और कांग्रेस को 3 राज्यों में मिली हार के बाद अलग – अलग नेताओं की प्रतिक्रिया भी सामने आने लगी है। कांग्रेसी नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने चुनाव परिणाम पर प्रतिक्रिया देते हुए हार के लिए अपनी ही पार्टी को जिम्मेदार ठहराया है। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने सोशल साइट X पर एक पोस्ट किया है। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने पोस्ट कर लिखा – सनातन का “श्राप” ले डूबा।

कांग्रेसी नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा है कि सनातन का विरोध देश में किसी को स्वीकार नहीं है। कांग्रेस यदि सनातन का विरोध करती रहेगी तो वह हारती रहेगी। उन्होंने कहा“ कांग्रेस सनातन धर्म का लगातार विरोध कर रही है।वह हिंदू धर्म के खिलाफ चुनावी मैदानमें है। जातीय राजनीति को मुद्दा बनाया जा रहा है, जो देश के लोगों को स्वीकार नहीं है।“

इतना ही नहीं, उन्होंने कह कि जब तक कांग्रेस पार्टी सनातन का विरोध करती रहेगी, तब तक हारती रहेगी। कांग्रेस को देश में चुनाव जीतने के लिए महात्मा गांधी के रास्ते पर चलना होगा, जबकि कांग्रेस काल मार्क्‍स के रास्ते पर चल रही है। उसे अपनी परिपाटी बदली होगी।

वहीं पूर्व क्रिकेटर वेंकटेंश प्रसाद ने भी सनातन धर्म का विरोध करने वालों पर कॉन्ग्रेस को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर ट्वीट किया, “सनातन धर्म को गालियाँ देने वालों का बुरा नतीजा भुगतना पक्का था। प्रचंड जीत के लिए भाजपा को बहुत-बहुत बधाई। प्रधानमंत्री के अद्भुत नेतृत्व का एक और प्रमाण नरेंद्र मोदी जी और अमित शाह और जमीनी स्तर पर पार्टी कैडर के शानदार काम का नतीजा है ये चुनाव परिणाम।”

हिंदी बेल्ट के तीनों राज्यों में बनेंगी भाजपा की सरकारें : सर्वे एजेन्सी, चण्डीगढ़

चण्डीगढ़ की सर्वे एजेन्सी का दावा : हिंदी बेल्ट के तीनों राज्यों में बनेंगी भाजपा की सरकारें

चण्डीगढ़ नगर निगम चुनावों के एग्जिट पोल में लगभग सटीक नतीजे दिखा कर चर्चा में आयी थी पब्लिक व्यूज़ एन्ड मीडिया रिसर्च एजेन्सी

चण्डीगढ़ :

बीते वीरवार को पांच राज्यों के एग्जिट पोल्स विभिन्न मीडिया माध्यमों ने प्रसारित-प्रकाशित किए जिनमें लगभग सभी ने छत्तीसगढ़ तथा मध्यप्रदेश में राज एवं राजस्थान में रिवाज बरक़रार रहने का पूर्वानुमान दर्शाया जबकि कहीं-कहीं मध्यप्रदेश में कांटे की टक्कर भी बताई जा रही है। इसी बीच चण्डीगढ़ की एक सर्वे एजेन्सी ने भी हिंदी बेल्ट के इन तीनों राज्यों में एग्जिट पोल्स करवाए जिनमें दावा किया गया है कि छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश एवं राजस्थान में भाजपा आसान या पूर्ण बहुमत के साथ सरकारें बनाने जा रही है। 

पब्लिक व्यूज़ एन्ड मीडिया रिसर्च नामक इस एजेन्सी के सर्वे में छतीसगढ़ की 90 सीटों में से भाजपा को 47, कांग्रेस को 38 व अन्य को 05 सीटें मिलती दिखाई गईं  हैं जबकि मध्यप्रदेश कि 230 सीटों में भाजपा को 148, कांग्रेस को 68 व अन्य को 20 सीटें तथा राजस्थान की 200 सीटों में से भाजपा को 122, कांग्रेस को 78 व अन्य को 9 सीटें मिलने का पूर्वानुमान दर्शाया गया है। 

एजेन्सी के निदेशक व एनालिसिस्ट जगदीश गुप्ता ने उक्त आंकड़े जारी करते हुए हुए कहा कि ये पूर्वानुमान सिर्फ 5 फ़ीसदी ऊपर-नीचे रह सकता है। 

हालांकि तीन दिसम्बर को दोपहर तक अन्य सर्वे एजेंसियों के साथ-साथ इस एजेंसी द्वारा भी जारी आंकड़ों की असलियत सबके सामने होगी परन्तु यहां ये उल्लेखनीय है कि वर्ष 2021 में हुए चण्डीगढ़ नगर निगम के चुनावों में इस पब्लिक व्यूज़ एन्ड मीडिया रिसर्च एजेन्सी ने एग्जिट पोल कराया था जिसमें कांग्रेस को 14, भाजपा को 12 व आप पार्टी को 8 सीटें मिलती दिखाई गईं थीं जबकि असल नतीजों में कांग्रेस को 8, भाजपा को 12 व आप पार्टी को 14 सीटें मिली थीं यानि भाजपा की सीटों का आंकड़ा तो बिल्कुल सही रहा जबकि कांग्रेस आप के आंकड़ों में अदला-बदली हो गई।

इसके बाद पंजाब विधानसभा के चुनाव में इस सर्वे एजेंसी ने अन्य एग्जिट पोल्स के विपरीत दावा किया था कि आम आदमी पार्टी पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़कर 100 का आंकड़ा पार कर जाएगी, जो कि बिल्कुल सही रहा।

इसी प्रकार दिल्ली नगर निगम चुनाव में भी सभी एग्जिट पोल्स ने दावा किया था कि भाजपा 20 सीटों पर सिमट जाएगी जबकि इस सर्वे एजेंसी ने दावा किया था कि भाजपा 100 आंकड़ा पार कर कांटे की टक्कर देगी। तब भाजपा ने 116 सीटें लेकर सबको चौंका दिया था।

राउज एवेन्यू अदालत ने संजय सिंह की न्यायिक हिरासत 10 नवम्बर तक बढ़ा दी

दिल्ली आबकारी नीति मामले में आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया। जहां अदालत ने उनकी न्यायिक हिरासत बढ़ा दी। पेशी के बाद कोर्ट से बाहर निकलते समय संजय सिंह ने कहा – अगर मोदी जी की जांच हो जाए तो उन्हें जिंदगी भर जेल में रहना पड़ेगा। मोदी जी एक भ्रष्ट नेता है, वे अडाणी के साथ मिलकर भ्रष्टाचार करते हैं। आबकारी नीति केस की चार्जशीट में संजय सिंह का भी नाम है. इस केस में मनीष सिसोदिया फरवरी से ही जेल में हैं।

अगर मोदी जी की जांच हो जाए तो उन्हें जिंदगी भर जेल में रहना पड़ेगा : संजय सिंह

अगर मोदी जी की जांच हो जाए तो उन्हें जिंदगी भर जेल में रहना पड़ेगा : संजय सिंह

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़- 27अक्टूबर :

दिल्ली आबकारी नीति मामले में गिरफ्तार आम आदमी पार्टी (आआपा) के नेता संजय सिंह की न्यायिक हिरासत शुक्रवार (27 अक्टूबर) को राउज एवेन्यू कोर्ट ने 10 नवंबर तक बढ़ा दी। उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत अवधि समाप्त होने के बाद कोर्ट में पेश किया गया था।

कोर्ट में सुनवाई के लिए पेश होने से पहले आआपा सांसद ने कहा कि सत्ता में बैठे लोगों के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी। आम आदमी पार्टी ने नेता का दावा है कि उन्हें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की साजिश के तहत​ गिरफ्तार कराया गया है।

संजय सिंह को जमानत न मिलने से केवल उनकी ही मुश्किलें नहीं बढ़ी हैं, बल्कि इससे आम आदमी पार्टी की लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर भी असर पड़ रहा है। संजय सिंह मनीष सिसोदिया के जेल जाने के बाद वे अरविंद केजरीवाल के सबसे खास सहयोगी बनकर उभरे थे। वे न केवल केजरीवाल के साथ आम आदमी पार्टी की ओर से सभी महत्वपूर्ण बैठकों में हिस्सा ले रहे थे, बल्कि इंडिया गठबंधन में अन्य सहयोगी दलों से तालमेल बैठाने में भी भूमिका निभा रहे थे। लेकिन संजय सिंह के लगातार जेल में रहने से आम आदमी पार्टी की इन तैयारियों को झटका लगा है।

पीएम मोदी पर हमला

पिछली सुनवाई के दौरान संजय सिंह ने अदालत के सामने आरोप लगाया था कि उन्हें राजनीतिक कारणों से परेशान किया जा रहा है। अदालत ने उनकी इस टिप्पणी पर कड़ा रुख अपनाया और कहा कि वे अदालत में राजनीतिक बयानबाजी न करें। अन्यथा अगली बार से उन्हें ऑनलाइन माध्यम से ही पेश होने के लिए कहा जायेगा। लेकिन आज जब संजय सिंह अदालत में पेशी के लिए आये, उन्होंने एक बार फिर राजनीतिक हमला किया। उन्होंने कहा कि यदि भाजपा नेताओं की जांच हो जाये, तो उन्हें आजीवन जेल में रहना पड़ जाए।

चुनाव आयोग ने 5 राज्यों में चुनाव की तारीखों का ऐलान किया

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि कुल 16.14 करोड़ मतदाता इन चुनावों में अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे। इनमें 8.2 करोड़ पुरुष मतदाता, 7.8 करोड़ महिला मतदाता होंगे। इस बार 60.2 लाख नए मतदाता पहली बार वोट डालेंगे। खास बात यह भी है कि 60.2 लाख नए मतदाता पहली बार वोट डालेंगे। इनकी उम्र 18 से 19 साल के बीच है। 15.39 लाख वोटर ऐसे हैं, जो 18 साल पूरे करने जा रहे हैं और जिनकी एडवांस एप्लीकेशन प्राप्त हो चुकी हैं।

चुनाव आयोग ने 5 राज्यों में चुनाव की तारीखों का ऐलान किया

  1. चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया है
  2. छत्तीसगढ़ में दो चरणों में चुनाव होंगे
  3. 03 दिसंबर को एक साथ सभी राज्यों के नतीजे सामने आएंगे

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़ – 09अक्टूबर :

निर्वाचन आयोग ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव की तारीखें का ऐलान कर दिया। चुनाव आयोग ने सोमवार दोपहर प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया कि मध्य प्रदेश में 17 नंवबर, राजस्थान में 23 नवंबर, छत्तीसगढ़ में 7 और 17 नवंबर और मिजोरम 7 नवंबर और तेलंगाना में 30 नवंबर को मतदान होगा। वहीं 3 दिसबंर को इन सभी 5 राज्यों में वोटरों की गिनती के साथ नतीजे साफ हो जाएंगे।

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि इन चुनावों में कुल 16.14 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे, जिनमें 8.2 करोड़ पुरुष मतदाता और 7.8 करोड़ महिला मतदाता होंगे। इस बार 60.2 लाख नए मतदाता पहली बार वोट डालेंगे।

मिजोरम में 7 नवंबर को चुनाव होंगे। छत्तीसगढ़ में 7 नवंबर और 17 नवंबर को 2 चरण में चुनाव होंगे। वहीं मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को ही सभी सीटों पर चुनाव करा लिए जाएँगे। जहाँ तक राजस्थान की बात है, वहाँ 23 नवंबर को एक ही चरण में चुनाव संपन्न कराया जाएगा। वहीं तेलंगाना में सबसे अंत में 30 नवंबर को चुनाव होंगे। सभी राज्यों में 3 दिसंबर को मतगणना होगी।

इस दौरान चुनाव आयोग ने बताया कि जिन 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, वो एक तरह से इस देश का छठा भाग है। 8.2 करोड़ पुरुष और 7.8 करोड़ महिला वोटर वोट डालने वाले हैं। सबसे ज़्यादा मध्य प्रदेश में 5.60 करोड़ वोटर हैं। दिव्यांग वोटरों और 80 वर्ष से ज़्यादा उम्र के बुजुर्गों के लिए न सिर्फ बूथों पर विशेष व्यवस्था की जाएगी, बल्कि वो घर से भी वोट कर पाएँगे। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि महिलाओं, समलैंगिकों, युवा वोटरों, जनजातीय समाज और दिव्यांगों – इन सबके मताधिकार की जागरूकता के लिए विशेष अभियान चलाया गया।

चुनाव आयोग ने 75 जनजातीय समाजों की बात करते हुए बताया कि अंतिम व्यक्ति तक वोट डालने की सुविधा पहुँचाई जाएगी, उन्हें पोलिंग स्टेशन पर लाया जाएगा। इस बार 60 लाख ऐसे वोटर होंगे, जो पहली बार वोट डालेंगे। 15.39 लाख वोटर ऐसे हैं जो जनवरी 2023 के बाद 18 वर्ष की उम्र को पूरा कर रहे हैं और नए संशोधन के तहत वो मताधिकार का इस्तेमाल करने के योग्य हैं। 2900 से अधिक पोलिंग स्टेशनों पर युवा कर्मचारियों को तैनात किया जाएगा।

चुनाव आयोग ने बताया कि पूरे देश में वोटरों को जोड़ने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। 5 राज्यों में 57.89 लाख नए वोटर जोड़े गए हैं। पाँचों राज्यों में 1.77 लाख पोलिंग बूथ हैं। हाउस टू हाउस सर्वे चल रहे है, किसी को वोटर लिस्ट में नाम जोड़वाना हो या कोई बदलाव कराना हो तो 17 अक्टूबर, 2023 से लेकर 30 नवंबर, 2023 तक वोटर लिस्ट में वो ऐसा करने में सक्षम होंगे। इनमें से 1.01 लाख वेब कास्टिंग की सुविधा से लैस होंगे। 17,734 मॉडल पोलिंग स्टेशन होंगे। 8192 को महिलाओं द्वारा मैनेज किया जाएगा और 621 दिव्यांग कर्मचारियों द्वारा प्रबंधित किए जाएँगे।

कई राज्यों में ऐसे पोलिंग स्टेशन बनाए गए हैं, जो सुदूर इलाकों में हैं और लोगों को ज़्यादा दूर चलना नहीं पड़ेगा। cVIGIL मोबाइल एप के जरिए 100 मिनट में शिकायतों पर प्रतिक्रिया देने का वादा भी किया गया है। किसी उम्मीदवार की आपराधिक पृष्ठभूमि है तो उनकी पार्टी को बताना पड़ेगा कि उसे क्यों चुना गया, साथ ही प्रत्याशी को भी 3 बार अख़बार और टीवी के जरिए अपने बारे में सब कुछ बताना होगा। राजनीतिक दलों के खर्चों, आय और ऑडिट के लिए डिजिटल टूल विकसित किया गया है।

जो पोलिंग कर्मचारी हैं, जो पोस्टल बैलेट घर ले जा सकते थे और मतगणना तक कभी भी अपना वोट भेज सकते थे, लेकिन अब वोटर फैसिलिटेशन सेंटर पर वोट डालेंगे और फिजिकल रूप से उनके वोट कलेक्ट किए जाएँगे।

दिल्ली शराब घोटाले में AAP सांसद संजय सिंह गिरफ्तार

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि ईडी भाजपा के दाहिने हाथ की तरह काम कर रही है। ये सरकार की नाकामी को छिपाने की कोशिश से ज्यादा कुछ नहीं है। मुफ्ती ने कहा कि ईडी का इस्तेमाल विपक्षी नेताओं को डराने में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एक दिन पहले दिल्ली में मीडिया हाउस पर भी छापेमारी की थी। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को ED ने अरेस्ट कर लिया है। उनके दिल्ली वाले घर पर बुधवार सुबह 7 बजे ED की टीम पहुंची थी। 10 घंटे तक चली इस छापेमारी के बाद गिरफ्तार हुई।

करीब 10 घंटे की पूछताछ के बाद सांसद संजय सिंह को ईडी ने गिरफ्तार किया

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, पंचकुला/न्यि दिल्ली – 04 अक्टूबर :

दिल्ली शराब नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने बुधवार सुबह आम आदमी पार्टी से राज्यसभा सांसद संजय सिंह के दिल्ली आवास पर छापा मारा। यह तलाशी शराब घोटाला मामले में हुई। दोपहर के बाद ईडी ने संजय सिंह को गिरफ्तार लिया। करीब 10 घंटे पूछताछ के बाद ईडी ने यह कार्रवाई की है। इससे पहले इसी मामले में सांसद के कई अन्य करीबी लोगों के परिसरों की तलाशी ली गई थी। संजय सिंह की गिरफ्तारी की खबर सामने आने के बाद आम आदमी पार्टी में हलचल मच गई है।

इसी साल जनवरी में ED ने अपनी चार्जशीट में संजय सिंह का नाम जोड़ा था। इसको लेकर संजय सिंह ने काफी हंगामा मचाया था। संजय सिंह ने दावा किया कि ईडी ने उनका नाम गलती से जोड़ दिया है। जिस पर ED ने जवाब दिया कि उनकी चार्जशीट में संजय सिंह का नाम चार जगह लिखा गया है। इनमें से तीन जगह नाम सही लिखा गया है। सिर्फ एक जगह टाइपिंग की गलती हो गई थी. जिसके बाद ED ने संजय सिंह को मीडिया में बयानबाजी न करने की सलाह दी थी, क्योंकि मामला कोर्ट में लंबित है।

दिल्ली शराब नीति केस में ED की दूसरी सप्लीमेंट्री चार्जशीट 2 मई को जारी की गई थी। इसमें में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा का भी नाम सामने आया था। हालांकि, उन्हें आरोपी नहीं बनाया गया है।

दिल्ली में पुरानी आबकारी नीति के तहत L1 और L10 लाइसेंस रिटेल वेंडर को दिया जाता था। 17 नवंबर 2021 को शराब के लिए नई आबकारी नीति लागू होने तक 849 शराब की दुकानें थीं. इनमें से 60% दुकानें सरकारी और 40% निजी थीं।

नई नीति के तहत दिल्ली में शराब की सरकारी दुकानों को बंद कर दिया गया। नई नीति को लागू करने के लिए दिल्ली को 32 जोन में बांटा गया था. हर जोन में 27 शराब की दुकानें थीं। इन दुकानों का मालिकाना हक जोन को जारी किए गए लाइसेंस के तहत दिया गया था। हर वार्ड में 2 से 3 वेंडर को शराब बेचने की अनुमति दी गई।

उपराज्यपाल और दिल्ली के CM को सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार सिसोदिया ने उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना शराब नीति में बदलाव किया. आरोप है कि इससे शराब ठेकेदारों को फायदा पहुंचा। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि इससे मिले कमीशन का इस्तेमाल आम आदमी पार्टी ने पंजाब विधानसभा चुनाव में किया। नई शराब नीति में तमाम खामियों के बाद चार महीन के भीतर ही नई शराब नीति को वापस ले लिया गया था।

CBI ने 26 फरवरी को लंबी पूछताछ के बाद सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया था

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की तरफ से सीबीआई से इस मामले की जांच कराने की सिफारिश की गई थी। इसके बाद ही इस पॉलिसी को रद्द कर दिया गया था। इसके बाद ईडी ने धन शोधन रोकथाम कानून (PMLA Act)के तहत मामला दर्ज किया. ईडी मनीष सिसोदिया के केस की भी मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से जांच कर रही है।

AAP सांसद संजय सिंह की गिरफ्तारी पर उनके साथी और सांसद राघव चड्ढा ने कहा, “लगभग पिछले 15 महीनों से BJP आप कार्यकर्ताओं पर शराब घोटाले का आरोप लगा रही है। कुछ लोगों को गिरफ्तार करने के बाद जांच के बहाने 1000 जगहों पर छापेमारी हुई। किसी भी एजेंसी को एक भी पैसा नहीं मिला… यह हताश बीजेपी है, जो आगामी चुनाव हारने वाली है। इसलिए डर के मारे ऐसा कर रही है। जिसके कारण आज हमारी पार्टी के सदस्य संजय सिंह के घर पर ईडी ने छापा मारा है। मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहूंगा…ईडी को एक भी पैसा नहीं मिला…उन्हें कोई सबूत नहीं मिला क्योंकि जब कोई घोटाला ही नहीं हुआ, तो क्या मिलेगा।” 
 

दिल्ली शराब नीति मामले में आप नेता संजय सिंह की गिरफ्तारी पर दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा, “आज एक बात साफ हो गई है कि सच्चाई छिप नहीं सकती…संजय सिंह के बाद अरविंद केजरीवाल हैं।”

आप सांसद संजय सिंह की गिरफ्तारी पर कांग्रेस नेता मीम अफजल ने कहा, “…यह इस सरकार की प्रवृत्ति के अनुरूप है। जो लोग बोलेंगे और सवाल उठाएंगे वे सलाखों के पीछे जाएंगे…मुझे संजय सिंह की गिरफ्तारी बड़ी बात नहीं लगती। जिस तरह से वह संसद के अंदर और बाहर बोलते हैं, इंटरव्यू देते हैं और पीएम और अन्य नेताओं को खुली चुनौती देते हैं – यह तय था कि उन्हें जेल जाना होगा। बीजेपी इन दिनों इसी परंपरा का पालन कर रही है…”

पितरों के प्रति श्रद्धा का अनुष्ठान

पितरों के प्रति श्रद्धा का अनुष्ठान

धार्मि​क मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष में किए गए इन कार्यों से पितरों को शांति मिलने के साथ ही वंशजों का पितृ दोष दूर होता है। यही नहीं पितरों का आर्शीवाद भी प्राप्त होता है। पितृ पक्ष में वंशजों के लिए अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म करने का विधान है।

श्राद्ध पक्ष हमारी श्रद्धा का पक्ष

अश्वनी कुमार तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, पटना – 28   सितम्बर :

श्राद्ध करने की 6 बड़े फायदे होते हैं !

तुलसी से पिण्डार्चन किए जाने पर पितरगण प्रलयपर्यन्त तृप्त रहते हैं। तुलसी की गंध से प्रसन्न होकर गरुड़ पर आरुढ़ होकर विष्णुलोक चले जाते हैं।

 पितर प्रसन्न तो सभी देवता प्रसन्न !

 श्राद्ध से बढ़कर और कोई कल्याणकारी कार्य नहीं है और वंशवृद्धि के लिए पितरों की आराधना ही एकमात्र उपाय है…

 आयु: पुत्रान् यश: स्वर्ग कीर्तिं पुष्टिं बलं श्रियम्।

पशुन् सौख्यं धनं धान्यं प्राप्नुयात् पितृपूजनात्।। (यमस्मृति, श्राद्धप्रकाश)

 यमराजजी का कहना है कि

  • श्राद्ध-कर्म से मनुष्य की आयु बढ़ती है।
  • पितरगण मनुष्य को पुत्र प्रदान कर वंश का विस्तार करते हैं।
  • परिवार में धन-धान्य का अंबार लगा देते हैं।
  • श्राद्ध-कर्म मनुष्य के शरीर में बल-पौरुष की वृद्धि करता है और यश व पुष्टि प्रदान करता है।
  • पितरगण स्वास्थ्य, बल, श्रेय, धन-धान्य आदि सभी सुख, स्वर्ग व मोक्ष प्रदान करते हैं।
  • श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करने वाले के परिवार में कोई क्लेश नहीं रहता वरन् वह समस्त जगत को तृप्त कर देता है।

 श्राद्ध कर्म क्यों ?

पूर्वजों द्वारा पितर श्रेणी धारण कर लेने की अवस्था में उनकी शांति तथा तृप्ति के लिए श्राद्ध-कर्मों का विधान है। ब्रह्म पुराण ने श्राद्ध की परिभाषा यह दी है – ‘जो कुछ उचित काल, पात्र एवं स्थान के अनुसार विधि द्वारा पितरों को लक्ष्य करके श्रद्धापूर्वक ब्राह्मणों को दिया जाता है, वह श्राद्ध कहलाता है।’

मिताक्षरा (याज्ञ. 1/217) ने श्राद्ध को इस तरह परिभाषित किया है – ‘पितरों का उद्देश्य करके (उनके कल्याण के लिए) श्रद्धापूर्वक किसी वस्तु का अथवा उनसे सम्बंधित किसी द्रव्य का त्याग श्राद्ध है।’

तीन पूर्व पुरुषों के पिण्डदान का सिद्धांत यह बताता है कि तीनों पूर्वजों की आत्माएं पचास अथवा सौ वर्षों के उपरान्त भी वायु में संतरण करते हुए चावल के पिण्डों की सुगंधि अथवा सारतत्व वायव्य शरीर द्वारा ग्रहण करने में समर्थ होती हैं। याज्ञवल्क्य स्मृति (1/269), मार्कण्डेय पुराण (29/38), मत्स्य पुराण (19/11-12) एवं अग्नि पुराण (163/41-42) में उल्लेख है कि पितामह (पितर) श्राद्ध में दिए गए पिण्डों से स्वयं संतुष्ट होकर अपने वंशजों को जीवन, संतति, संपत्ति, विद्या, स्वर्ग, मोक्ष आदि सभी सुख तथा राज्य देते हैं।

मत्स्य पुराण (19/3-9) में एक प्रश्न के उत्तर में कहा गया है कि पिता, पितामह एवं प्रपितामह, वैदिक उक्तियों के अनुसार क्रमशः वस्तुओं, रुद्रों एवं आदित्यों के समान रूप माने गए हैं। वे नाम एवं गोत्र, उच्चरित मन्त्र एवं श्रद्धा से अर्पित आहुतियों को समस्त पितरों के पास ले जाते हैं। यदि किसी के पिता (अपने सत्कर्मों के कारण) देवता हो गए हैं, तो श्राद्ध में दिया गया भोजन अमृत हो जाता है और वह उनके देवत्व की स्थिति में उनका अनुसरण करता है। यदि वे दैत्य हो गए हैं, तो वह उनके पास भांति-भांति आनन्दों के रूप में पहुंचता है। यदि वे पशु हो गए हैं, तो वह उनके लिए घास रूप में उपस्थित हो जाता है और यदि वे सर्प हो गए हैं, तो श्राद्ध-भोजन वायु बन कर उनकी सेवा करता है।

डॉ. पाण्डुरंग वामन काणे ने ‘धर्मशास्त्र का इतिहास’ (पृष्ठ 1199) में पुनर्जन्म एवं कर्म-विपाक सिद्धांत के आधार पर श्राद्ध-कर्म को अनुपयोगी बताने वालों को ग़लत ठहराते हुए लिखा है – ‘प्रतीत होता है कि (श्राद्ध द्वारा) पूर्वज-पूजा प्राचीन प्रथा है तथा पुनर्जन्म एवं कर्म-विपाक के सिद्धांत अपेक्षाकृत पश्चात्कालीन हैं और हिन्दू धर्म ने, जो व्यापक है (अर्थात सभी को स्वयं में समेट लेता है) पुनर्जन्म आदि के सिद्धांत ग्रहण करते हुए भी श्राद्धों की परम्परा को ज्यों का त्यों रख लिया है। एक प्रकार से श्राद्ध-संस्था अति उत्तम है। इससे व्यक्ति अपने उन पूर्वजों का स्मरण कर लेता है, जो जीवितावस्था में अपने प्रिय थे।’