सोनिया दरबार में सिंधिया की पेशी न होने पर सिंधिया की सफाई

आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के बीच होने वाली बैठक टलने की खबरों के बीच सिंधिया की तरफ से सफाई आई है। इस बारे में सिंधिया ने कहा, ‘मैंने सोनिया गांधी से मिलने के लिए समय नहीं मांगा था, ऐसी खबरें गलत थीं, मैं महाराष्ट्र चुनाव पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं।’

नई दिल्ली: 

कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को मंगलवार को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से  मिलने का मिलने वक्त नहीं मिल पाया. सूत्रों का कहना है कि मंगलवार को महाराष्ट्र स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक है जिसे काफी अहम माना जा रहा है.

बता दें मध्य प्रदेश कांग्रेस में घमासान मचा है. मध्य प्रदेश कांग्रेस की कलह पार्टी हाईकमान के लिए चिंता का सबब बनी हुई है. कुछ दिनों पहले सोनिया ने प्रदेश नेताओं को निर्देश दिया था कि अगर किसी को किसी भी नेता या सरकार से कोई दिक्कत है तो वो पार्टी के अंदर उचित फोरम पर उठाए,उसकी समस्या का निदान ज़रूर होगा. अगर उचित फोरम बात न सुनी जाए तो पार्टी अध्यक्ष को भी मामलों से अवगत करा सकते हैं. सोनिया गांधी ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ से भी चर्चा की है. 

सिंधिया को सोनिया द्वारा समय न दिये जाने पर सिंधिया की सफाई कुछ इस तरह से सामने आई है:

राज्य में लगभग डेढ़ दशक बाद सत्ता में आई कांग्रेस नए अध्यक्ष की तलाश कर रही है. प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ वर्तमान में मुख्यमंत्री भी हैं और वे विधानसभा चुनाव के बाद से कई बार पार्टी हाईकमान के सामने नया अध्यक्ष बनाने का अनुरोध कर चुके हैं. इतना ही नहीं, वह अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की पेशकश भी कर चुके हैं. इसके बाद से ही नए अध्यक्ष को लेकर पार्टी में मंथन का दौर जारी है.

कांग्रेस के भीतर चल रही खींचतान का ही नतीजा है कि एक साथ 10 से ज्यादा नेताओं के नाम पार्टी अध्यक्ष की दौड़ में शामिल हो गए हैं. इनमें प्रमुख रूप से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, पूर्व मंत्री मुकेश नायक, वर्तमान मंत्री उमंग सिंघार के नाम शामिल हैं. इसके अलावा ओमकार सिंह, मरकाम कमलेश्वर पटेल, सज्जन वर्मा, बाला बच्चन, पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन और पूर्व महिला अध्यक्ष शोभा ओझा के नाम की चर्चा भी जोरों पर है.

विवादित बयानों के चलते दिग्विजय सिंह को कानूनी कार्यवाही झेलनी पड़ सकती है

हिन्दू आतंकवाद, आरएसएस की शाखाएँ आतंकी कैंप इत्यादि इत्यादि। यह फेरहिस्ट बहुत लंबी है। यूपीए के शासन काल में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए भी दिग्विजय सिंह ने हिंदू विरोधी बातें कह कर एक धर्म विशेष को खुश करने की राजनीति की थी। उसी दौर की फसल थी कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा यह कहना की भारत में प्राकृतिक संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है। यह सब तुष्टीकरण की राजनीति है जिससे पीछा छुड़ाना काँग्रेस के बस से बाहर होता जा रहा है। अभी हाल ही में दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया था कि बजरंग दल और बीजेपी के आईटी सेल के पदाधिकारी द्वारा ISI से पैसे लेकर पाकिस्तान के लिए जासूसी करते हुए मध्य प्रदेश पुलिस ने पकड़ा है.

संभल/दिल्ली:

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह हमेशा ही अपने विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में बने रहते हैं. दिग्विजय सिंह द्वारा बीजेपी और बजरंग दल के सदस्यों पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से पैसे जासूसी के हालिया आरोपों के बाद से ही उनकी लगातार आलोचना हो रही है. इन सबके बीच उत्तर प्रदेश के संभल में दिग्विजय सिंह के इस बयान को लेकर मुकदमा दर्ज कराया गया है. संभल की चंदौसी कोलतवाली में बीजेपी के नगर महामंत्री सतीश अरोड़ा ने यह केस दर्ज कराया है. 

गौरतलब है कि दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया था कि बजरंग दल और बीजेपी के आईटी सेल के पदाधिकारी द्वारा से पैसे लेकर पाकिस्तान के लिए जासूसी करते हुए मध्य प्रदेश पुलिस ने पकड़ा है. दिग्विजय सिंह ने ट्विटर लिखा कि मैंने यह आरोप लगाया है, जिस पर मैं आज भी क़ायम हूं. वहीं, एक अन्य बयान में दिग्विजय सिंह ने कहा था कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए मुस्लिमों से ज्यादा से गैर मुसलमान जासूसी कर रहे हैं. दिग्विजय सिंह ने यह बयान मध्य प्रदेश के भिंड में दिया था. 

उनके इस बयान के बाद बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक सोहन सोलंकी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि हम दिग्विजय सिंह के बयान की निंदा करते हैं उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे और मानहानि का दावा भी करेंगे. वहीं, टेरर फंडिंग के आरोपी सतना के बलराम के मामले में बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक सोहन सोलंकी ने कहा कि बलराम बजरंग दल का कार्यकर्ता न कभी था और ना ही कार्यकर्ता है और ना ही उसका परिवार बजरंग दल से जुड़ा है. बजरंग दल का बलराम से कोई लेना देना नही है.

सिंधिया ने पार्टी अन्तरिम चीफ को दिया अल्टिमेटम

दावा किया जा रहा है कि अपने अल्‍टीमेटम में उन्‍होंने सोनिया गांधी से कहा है कि अगर उन्‍हें मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष नहीं बनाया गया, तो वह इस्तीफा दे देंगे और पार्टी भी छोड़ देंगे.

ग्‍वालियर :

मध्‍य प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में शुक्रवार को एक खबर तेजी से चल रही है. इसके मुताबिक कहा जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस की अंतरिम अध्‍यक्ष सोनिया गांधी को अल्टीमेटम दिया है. दावा किया जा रहा है कि अपने अल्‍टीमेटम में उन्‍होंने सोनिया गांधी से कहा है कि अगर उन्‍हें मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष नहीं बनाया गया, तो वह इस्तीफा दे देंगे और पार्टी भी छोड़ देंगे.

इस पूरे प्रकरण में मध्‍य प्रदेश सरकार की कमलनाथ सरकार के कैबिनेट मंत्री और सिंधिया समर्थक प्रद्धुमन सिंह तोमर ने कहा है कि यह केवल अफवाह है, सिंधिया जी पद की लालसा में कभी नहीं रहते है. वह सिर्फ समाजसेवा के लिए राजनीति करते हैं. कुछ लोग हैं, जो ऐसी अफवाह फैला रहे हैं, लेकिन कांग्रेस के लोगों की भावना है कि सिंधिया जी को प्रदेशाध्यक्ष बनाया जाए.

प्रद्धुमन सिंह का कहना है उनके समर्थक उन्हें प्रदेशाध्यक्ष बनाने की मांग कर रहे हैं. आपको बता दें कि पिछले दो-तीन दिन से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर सिसासी घमासान मचा हुआ है. इस बीच कमलनाथ खुद आज सोनिया गांधी से इसी मसले को लेकर मिले हैं. 

कमलनाथ सरकार में 3 महीने से तनख्वाह न मिलने से परेशान सिपाही ने जज के घर लगाया फंदा

रायसिंह कुछ दिनों से परेशान चल रहा था उसकी गोहद में काुछ खेती की जमीन है जिस पर कब्जा हो गया है और पिछले तीन महिने से वेतन नहीं मिलने से भी वह रायसिंह तनाव से गुजर रहा था

ग्वालियर.

जज जाकिर हुसैन के बंगले पर पदस्थ होमगार्ड सैनिक ने जज के बंगले पर ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है। होमगार्ड सैनिक ने आत्महत्या ऑन ड्यूटी की है। वर्दी पहने हुए उसकी लाश बंगले के अंदर लटकी हुई मली है। मृतक गार्ड का नाम सौनिक रायसिंह यादव निवासी बरोली मौ तहसील जिला भिण्ड बताया जा रहा है। पिछले 25 साल मृतक पुलिस विभाग में होमगार्ड नौकरी कर कर रहा था। घटना की जानकारी मिलते ही सीएसपी मुनीस राजौरिया, टीआई नरेश यादव, महेश शर्मा घटनास्थल पर पहुंचे साथ ही जज भी मौके पर पहुंचे उसके बाद मृतक के परिवार के लोगों को घटना की जानकारी दी गई।

सुबह बंगले में माली आया तो शव लटका हुआ था

स्टेशन के पास बाल भवन के पीछे बने सरकार बंगला नं. 47 पर तैनात होमगार्ड के जवान रायसिंह यादव (52) ने जज के बंगले में फांसी के फंदे पर लटक कर जान दे दी। रायसिंह ने शुक्रवार रात 9 बजे ड्यूटी पर आया था उसकी ड्यूटी रात 9 से सुबह 6 बजे तक की थी। सुबह जब बंगले का माली आया तो उसने रायसिंह को लटका हुआ पाया तो तुरंत यह खबर जज जाकिर हुसैन को दी।

लाश की तलाशी ली जिसमें सुसाइड नोट मिला

जज ने घटना की जानकारी यूनिवर्सिटी पुलिस को दी इसके बाद तुरंत थाना के टीआई बंगले पर पहुंचे तो देखा की रायसिंह यादव का शव फंदे पर लटका हुआ है। पुलिस ने फोरेंसिक एक्सपर्ट को बुलाया और लाश की तलाशी ली जिसमें पुलिस को एक सुसाइड नोट मिला है लेकिन पुलिस ने सोसाइड में क्या लिखा है यह नहीं बताया। लाश को फंदे से उतार कर पीएम के लिए भिजवाया गया। मृतक जवान के परिवार को घटना की जानकारी दी गई। मृतक जवान के तीन बच्चे है।

माली ने किया खुलासा, खेती की जमीन है जिस पर कब्जा हो गया

पुलिस ने माली से घटना के बारे में पूछा तो उसने बताया कि मेनें तो सुबह रायसिंह की लाश देखी और सभी को सूचित किया। रायसिंह कुछ दिनों से परेशान चल रहा था उसकी गोहद में काुछ खेती की जमीन है जिस पर कब्जा हो गया है और पिछले तीन महिने से वेतन नहीं मिलने से भी वह रायसिंह तनाव से गुजर रहा था। यूनिवर्सिटी थाना प्रभारी ने कहा कि मामला आत्महत्या का लग रहा है बताया गया है कि रायसिंह मानसिंक रूप से परेशान चल रहा था।

मध्य प्रदेश: मुख्यमंत्री विवाह व निकाह योजना का बजट खत्म

  • मुख्यमंत्री विवाह व निकाह योजना का बजट खत्म, इमरजेंसी फंड से मांगे 100 करोड़ रु.
  • देवउठनी के बाद होने वाली शादियों का पैसा द्वितीय अनुपूरक में मिलेगा

भोपाल.

मध्य प्रदेश की राज्य सरकार के पास अब मुख्यमंत्री कन्या विवाह व निकाह योजना में शादी रचाने वाले नए जोड़ों को देने के लिए भी पैसा नहीं है। हालत यह है कि एक अप्रैल से अब तक मुख्यमंत्री कन्या विवाह व निकाह योजना में 22 हजार 500 शादियां हो चुकी हैं, लेकिन किसी के भी खाते में 51 हजार रुपए नहीं पहुंचे, क्याेंकि इस साल स्कीम में जितना भी पैसा था, वह 31 मार्च 2019 से पहले हुई 18 हजार शादियों पर खर्च कर दिया गया। इन हालातों के मद्देनजर सामाजिक न्याय विभाग ने वित्त विभाग से कहा है कि वह इमरजेंसी फंड से राशि जारी करे, ताकि कन्या के खाते में 51 हजार रुपए दिए जा सकें। विभाग ने आकस्मिक निधि से 100 करोड़ रुपए मांगे।


यह स्थिति तो अभी है, लेकिन दीपावली के बाद देव उठनी से शादी समारोह और सामूहिक विवाह सम्मेलन फिर शुरू हो जाएंगे। इससे पहले निकाह भी हो सकते हैं, ऐसे में कन्या को देने के लिए बजट नहीं है। विभाग उम्मीद कर रहा है कि द्वितीय अनुपूरक में राशि का प्रावधान होने के बाद परेशानी नहीं रहेगी। विभाग के संचालक कृष्ण गोपाल तिवारी का कहना है कि अभी बजट के अभाव में बेटियों को राशि नहीं मिल पाई है। प्रमुख सचिव को इस बारे में पत्र लिखा गया है। विभाग के प्रमुख सचिव जेएन कंसोटिया का कहना है कि दुल्हनों को विभाग द्वारा दी वाली राशि जल्दी खातों में ट्रांसफर कर दी जाएगी। प्रदेश के कुछ जिलों झाबुआ, छिड़वाड़ा, जबलपुर के आसपास के जिलों को बजट दे दिया गया है। जल्दी सभी जिलों को दे दिया जाएगा।

यहां बता दें कि कांग्रेस ने मप्र में सत्ता वापसी करने के बाद कन्या विवाह व निकाह की राशि 28 हजार (3 हजार रुपए स्मार्ट फोन के मिलाकर) से बढ़ाकर 51 हजार रुपए की है। सामूहिक विवाह सम्मेलन में शादी करने पर तीन हजार रुपए आयोजकों को दिए जाते हैं, जबकि 48 हजार रुपए कन्या के खाते में जाते हैं। 

कमल नाथ का भांजा रतुल पुरी गिरफ्तार

रतुल मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के भांजे हैं.

नई दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को 354 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में उद्योगपति रतुल पुरी को मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया. रतुल मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के भांजे हैं.

CBI ने 17 अगस्त को ही 354 करोड़ के बैंक फ्राड में मामला दर्ज कर छापेमारी की थी. उसी के बाद ED ने कल PMLA के तहत मामला दर्ज किया था और रतुल पुरी को गिरफ्तार कर लिया गया. रतुल पुरी को कल देर रात गिरफ्तार किया गया.


भाजपा का दामन थाम सकते हैं एनसीपी-काँग्रेस के कई नेता

हाल ही में एनसीपी प्रमुख शरद पवार के बेहद करीबी पूर्व मंत्री मधुकरराव पिचड समेत 3 एनसीपी विधायक पार्टी छोडकर बीजेपी में शामिल हुए थे. शरद पवार ने कहा कि राजनीति में बुरा वक्त आता रहता है. लेकिन, उसकी फिक्र के बजाय उससे लड़ने और उबरने की हिम्मत की जरुरत होती है. वहीं, कांग्रेस विधायक भाई जगताप का कहना है कि आया राम-गया राम राजनीति में चलता रहता है.

मुंबई: महाराष्ट्र मे कांग्रेस और एनसीपी की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं. दोनों ही पार्टियों के कई नेता पार्टी छोड़ बीजेपी और शिवसेना का दामन थामने की तैयारी में हैं. बीजेपी ने दावा दोहराया है कि दोनों दलों के करीब पचास विधायक सत्तारुढ़ दलों में जल्द शामिल हो रहे हैं. उधर कांग्रेस के नेता संजय निरुपम ने भी खुलासा किया है कि कांग्रेस के कुछ नेता बीजेपी मेँ शामिल होने की तैयारी में हैं. वहीं, पार्टी मेँ बगावत बढ़ऩे का खतरा भांपकर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने शनिवार को मुंबई में पार्टी के नेताओं के साथ बैठक की और पार्टी को सियासी झटकों से उबारने की तरकीबें तलाशी. 

एनसीपी प्रमुख शरद पवार अपनी पार्टी मेँ फूटते बगावत के सुरों को दबाने की तरकीबें तलाशने मे जुटे हैं. पार्टी नेताओं के दूसरे दलों का दामन थामने से रोकने की कवायद में पवार ने शनिवार सुबह मुंबई मेँ अपने घर पर पार्टी नेताओं की बैठक बुलाई और विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी मेँ फूटते बागी सुर को दबाने की कोशिश की. पिछले ही दिनों पवार के बेहद करीबी पूर्व मंत्री मधुकरराव पिचड समेत 3 एनसीपी विधायक पार्टी छोडकर बीजेपी में शामिल हुए थे. वहीं, कई और नेता पार्टी छोड़ने की तैयारी में हैं. 

एनसीपी से ज्यादा बुरा हाल कांग्रेस पार्टी का है. महाराष्ट्र कांग्रेस पार्टी के कई विधायक बीजेपी और शिवसेना में जाने की तैयारी में हैं. मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम ने ट्वीट कर खुद इस बात का खुलासा किया है कि कांग्रेस में कई लोग बीजेपी में शामिल होने की कोशिश में लगे हैं. निरुपम ने दावा किया कि लोकसभा चुनाव से पहले भी उनकी पार्टी के नेता पार्टी छोड़ बीजेपी मेँ प्रवेश की जुगत मेँ लगे थे. वहीं, एनसीपी में मची भगदड़ और बिखराव पर शरद पवार बार-बार ये कहते नहीं थक रहे हैं कि पार्टी इन सियासी झटकों से जल्द एकबार फिर उबरेगी.   

शरद पवार ने कहा कि राजनीति में बुरा वक्त आता रहता है. लेकिन, उसकी फिक्र के बजाय उससे लड़ने और उबरने की हिम्मत की जरुरत होती है. वहीं, कांग्रेस विधायक भाई जगताप का कहना है कि आया राम-गया राम राजनीति में चलता रहता है. उधर, महाराष्ट्र सरकार के कैबिनेट मंत्री गिरीशमहाजन ने कहा कि कांग्रेस और एनसीपी के पचास से ज्यादा विधायक बीजेपी में शामिल होने वाले हैं.
 
288 विधायकों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में एनसीपी और कांग्रेस के विधायकों की फौज हर दिन घटती जा रही है. आये दिन दोनो पार्टियों के विधायक सत्तारुढ़ दलों का दामन थाम रहे हैं. सूबे में काग्रेस को हाल में तगडा झटका तब लगा था, जब महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल ने पार्टी छोड़ बीजेपी का दामन थामा. इसके साथ ही विखे पाटिल, देवेंद्र फडणनवीस की कैबिनेट में हाउसिंग मिनिस्टर भी बन बैठे. उसके बाद से ही कांग्रेस विधायकों की बीजेपी में शामिल होने की होड़ मच गई. बताया जा रहा है कि मुंबई से एक कांग्रेस विधायक और नासिक जिले से एक कांग्रेस विधायक जल्द पार्टी छोडने की तैयारी में है.

एनसीपी को भी जोर के सियासी झटके लगे हैं. एनसीपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री मधुकरराव पिचड और उनके विधायक बेटे वैभव पिचड, पूर्व मंत्री गणेश नाइक के बेटे संदीप नाईक, पूर्व मंत्री सचिन अहीर, सातारा से एनसीपी विधायक शिवेँद्र राजे और मुंबई से कांग्रेस के विधायक कालीदास कोलंबकर पिछले दिनों ही सत्तारुढ़ दलों का दामन थाम चुके हैँ. इन नेताओं के पार्टी मे शामिल होने से बीजेपी ने सूबे के उन इलाकों मे अपनी सियासी जमीन और मजबूत कर ली है. जहां पार्टी थोडी कमजोर थी. महाराष्ट्र में अक्तूबर महीने में विधानसभा के चुनाव हैं और चुनाव से पहले एनसीपी और कांग्रेस की नीँद उड़ी हुई है.

यूपीए के दौरान सुषमा की आवाज़ दबाने के कई प्रयास हुए

यह घटना दर्शाती है कि किस तरह कॉंग्रेस और उनसे संबन्धित राजनेताओं ने लोकतंतरीय प्रणालियों का मज़ाक बना रखा था। UPA के शासन काल में लोकसभा में पहले ही से तय था कि भाजपा की मुखर आवाज़ों को कैसे दबाना है। सुषमा जी की आवाज़ को यूपीए के लोग चाह कर भी दबा न पाये। राजनैतिक द्वेष की पराकाष्ठा तो यह थी कि सुषमा जी को निशाने पर लेते हुए ही दिग्विजय सिंह ने भाजपा को नचनियों की पार्टी कहा था।

नई दिल्ली: यह घटना मई 2013 की है. उस समय केंद्र मोदी कांग्रेस नेतृत्व वाली UPA-2 की सरकार थी. सुषमा स्वराज उस समय नेता विपक्ष थीं. बता दें, 6 मिनट के भाषणा के दौरान लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार ने उन्हें 60  बार टोका. इसके बाद उन्होंने फैसला किया कि वह स्पीकर के बुलाये मीटिंग का बायकॉट करेंगी. 6 मिनट के भाषण में शुरुआती तीन मिनट तक वह बिना किसी रुकावट के बोल रही थीं. जैसे ही उन्होंने UPA के कार्यकाल में हुए स्कैम के बारे में बोलना शुरू किया, कांग्रेस के सांसदों ने सदन में हंगामा शुरू कर दिया. मुश्किल से वह एक मिनट और बोल पाई होंगी कि स्पीकर मीरा कुमार ने उन्हें भाषण समाप्त करने को कहा. लेकिन, वह नहीं रुकीं. 

दरअसल, ऑल पार्टी मीटिंग में पहले ही फैसला कर लिया गया था कि स्वराज और अन्य नेता को बजट के बारे में बोलने के लिए आधे घंटे का वक्त मिलेगा. लेकिन, जैसे ही सुषमा स्वराज ने घोटाले का जिक्र किया स्पीकर मीरा कुमार के मुंह से केवल तीन शब्द निकल रहे थे, “Alright”, “Thank you”, “Okay”, वह लगातार ये तीन शब्द बोल रही थीं और स्वराज को भाषणा खत्म करने को बोल रही थीं.

मीरा कुमार और सुषमा स्वराज के बीच टकराव की शुरुआत 2011 में हुई. स्पीकर मीरा कुमार ने लोकसभा सेक्रेटरी जनरल पद के लिए टीके विश्वनाथन के कार्यकाल को एक साल के लिए बढ़ा दिया था. सुषमा स्वराज ने इसका विरोध किया. उन्होंने कहा कि इस तरह बाहर के लोगों को सेक्रेटरी जनरल बनाने से लोकसभा स्टॉफ का मनोबल टूटता है. यह परंपरा ठीक नहीं है. कुल मिलाकर स्वराज एक ऐसी राजनेता थी, जो मुखर थीं और गलत  के खिलाफ हमेशा आवाज उठाया. उन्होंने जब कभी आवाज उठाया विपक्ष की बोलती बंद हो जाती थी.

यूएपीए बिल राज्यसभा में पास

  • गैर-कानूनी गतिविधि निवारण संशोधन (यूएपीए) विधेयक, 2019 बिल राज्यसभा में भी पास हुआ
  • इसमें गैर-कानूनी गतिविधियों में शामिल व्यक्ति को आतंकी घोषित करने का प्रावधान, विपक्षी दल इसके विरोध में
  • गृह मंत्री अमित शाह ने कहा- कब तक संगठनों पर प्रतिबंध लगाएंगे, एक के बाद दूसरा सामने आ जाता है
मैं भरोसा दिलाता हूं कि आप कुछ नहीं करोगे तो कुछ नहीं होगा : अमित शाह

नई दिल्ली. आतंकी गतिविधियों में संलिप्त लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए मोदी सरकार संशोधित यूएपीए बिल लेकर आई है। शुक्रवार को यह विधेयक राज्यसभा में भी पास हो गया। चर्चा के दौरान कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने विधेयक में संशोधन का विरोध किया। दिग्विजय सिंह ने भाजपा पर आतंकवाद से समझौता करने का आरोप लगाया। गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें जवाब देते हुए कहा, ”दिग्विजय सिंह जी कह रहे हैं कि मुझे ही आतंकी घोषित कर दो। आपका गुस्सा जायज है, वे क्योंकि अभी-अभी चुनाव हारे हैं। लेकिन मैं भरोसा दिलाता हूं कि आप कुछ नहीं करोगे तो कुछ नहीं होगा।”

संशोधित बिल में सरकार ने गैर-कानूनी गतिविधियों में शामिल व्यक्ति विशेष को आतंकी घोषित करने का प्रावधान शामिल किया है। दिग्विजय ने कहा कि हमें भाजपा की मंशा पर संदेह है। कांग्रेस ने कभी आतंकवाद से समझौता नहीं किया, इसीलिए यह कानून लेकर आए थे। आतंकवाद से समझौता करने वाले आप लोग हैं। भाजपा सरकार ने ही पहले रुबैया सईद और फिर मसूद अजहर को छोड़ा था।

कानून का दुरुपयोग के आरोप लगाने से पहले अपना इतिहास देखिए

गृह मंत्री ने कहा, ”इमरजेंसी के दौरान क्या हुआ था? मीडिया पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया और विपक्ष के सभी नेताओं को जेल में डाल दिया था। 19 महीने तक देश में लोकतंत्र को खत्म कर दिया गया और अब आप (कांग्रेस) हम पर कानून के दुरुपयोग का आरोप लगा रहे हैं। कृपया अपना इतिहास भी देख लीजिए। जब हम विपक्ष में थे तो 2004, 2008 और 2013 में हमने यूपीए सरकार के यूएपीए बिल को समर्थन दिया था। क्योंकि हमें लगता था कि आतंकवाद से लड़ने के लिए यह जरूरी था।”

हम सिर्फ व्यक्ति को आतंकी घोषित करने के विरोध में: कांग्रेस

कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा, ”अगर विधेयक के संशोधन को देखें तो लगता है कि यह एनआईए को ताकतवर बनाएगा। लेकिन इसमें किसी व्यक्ति का नाम आतंकी की सूची में हटाने और जोड़ने का प्रावधान है। हम इसी का विरोध कर रहे हैं न कि गैर-कानूनी गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए बने कानून का। 2008 में जब मैंने गृह मंत्री की जिम्मेदारी संभाली तो आतंकवाद का सामना करने के लिए तीन स्तंभ- एनआईए, नेटग्रिड और एनसीटीसी बनाए थे। आज हमारे पास सिर्फ एक स्तंभ है। आपने एनआईए को छोड़कर बाकी दो के लिए क्या किया?”

कब तक संगठनों पर ही रोक लगाते रहेंगे: गृह मंत्री

अमित शाह ने चिदंबरम को जवाब दिया, ”आपने पूछा कि आतंकी गतिविधियों में लिप्त संगठनों पर प्रतिबंध है तो किसी व्यक्ति को विशेष को आतंकी घोषित करने की क्या जरूरत है। हमने संशोधन में ऐसा प्रावधान रखा है क्योंकि एक संगठन पर रोक लगाई जाती है तो कुछ व्यक्तियों के द्वारा दूसरा खड़ा कर दिया जाता है। कब तक हम संगठनों पर ही रोक लगाते रहेंगे?

एनआईए को पहले से ज्यादा अधिकार, इसलिए विरोध

बिल में नए प्रावधान जोड़े गए हैं। इसमें सबसे बड़ा प्रावधान यह है कि एनआईए अब आतंकी के समर्थकों को भी आतंकी घोषित कर उनकी संपत्ति जब्त कर सकेगी। यही नहीं, अब आतंकी संगठन के साथ-साथ उस व्यक्ति को भी आतंकी घोषित किया जा सकेगा, जो किसी न किसी रूप से आतंक को बढ़ावा दे रहा होगा। उसकी संपत्ति जब्त करने के लिए एनआईए को उससे संबंधित राज्य की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी।

किसी व्यक्ति को आतंकी घोषित करने के 4 आधार होंगे

1. जो व्यक्ति आतंकी घटना को अंजाम देगा या इसमें सहयोग देगा।
2. जो व्यक्ति किसी आतंकी घटना की तैयारी कर रहा होगा।
3. जो देश में आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले कृत्य करेगा।
4. जो व्यक्ति किसी भी तरह से आतंकवाद से जुड़ा हुआ पाया जाएगा।

विपक्ष ने लोकसभा में चर्चा के दौरान वॉकआउट किया था

लोकसभा में 24 जुलाई को बिल पर बहस के दौरान विपक्ष ने इसे स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजनी की मांग करते हुए वॉकआउट किया था। चर्चा के दौरान गृह मंत्री ने कहा था कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई सरकार लड़ती है। कौन-सी पार्टी सत्ता में हैं और बिल कौन लेकर आया, उससे फर्क नहीं पड़ना चाहिए। आतंकवाद के खात्मे के लिए कड़े कानून की जरूरत है। कांग्रेस सरकार बिल लाती है तो सही, लेकिन हम संशोधन कर रहे हैं तो इसमें गलत क्या है? हम आतंकवाद को खत्म करना चाहते हैं, संशोधित कानून से राज्यों की शक्ति कम नहीं होगी। यह कानून 1967 में कांग्रेस सरकार लेकर आई। इसके बाद आप ही ने इसमें तीन संशोधन किए।

कार्ति ओर पी चिदम्बरम की गिरफ्तारी पर रोक 9 अगस्त तक बढ़ी

कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए अब तक सरकारी अनुमति न लेने पर जांच एजेंसी सीबीआई और ईडी को फटकार लगाई थी. इस अग्रिम जमानत का ईडी और सीबीआई विरोध कर रही है. ईडी और सीबीआई का कहना है कि उसे जांच आगे बढ़ाने और आरोपियों से पूछताछ करने के लिए हिरासत चाहिए ऐसे में आरोपियों की गिरफ्तारी पर लगी रोक को हटाया जाए

नई दिल्लीः एयरसेल-मैक्सिस डील मामले में दिल्ली की राॅउज एवेन्यू कोर्ट ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम की गिरफ्तारी पर अब रोक 9 अगस्त तक बढ़ा दी है.गुरुवार को सुनवाई के दौरान चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि कार्ति को सीबीआई और ईडी जब भी पूछताछ के लिए बुलाएगी वो जाएंगे. पी चिदम्बरम और कार्ति चिदम्बरम दोनों सांसद है. दोनों के खिलाफ कभी भी साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ का मामला नहीं आया है.

आपको बता दें कि कोर्ट इस समय कार्ति और पी चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा है और इस अग्रिम जमानत का ईडी और सीबीआई विरोध कर रही है. ईडी और सीबीआई का कहना है कि उसे जांच आगे बढ़ाने और आरोपियों से पूछताछ करने के लिए हिरासत चाहिए ऐसे में आरोपियों की गिरफ्तारी पर लगी रोक को हटाया जाए.

कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए अब तक सरकारी अनुमति न लेने पर जांच एजेंसी सीबीआई और ईडी को फटकार लगाई थी.कोर्ट ने जांच एजेंसियों को फटकार लगाते हुए कहा था कि अगर मामले की अगली सुनवाई तक चार्जशीट में दर्ज नामों के खिलाफ सरकार से कार्रवाई के लिए इजाज़त नहीं मिली तो अदालत जांच एजेंसियों की तरफ से दायर चार्जशीट पर संज्ञान नहीं लेगी.पिछली सुनवाई में पी चिदंबरम पर मुकद्दमा चलाने के लिए केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी थी.

पी चिदंबरम और कार्ति चिदंबरम सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ ईडी और सीबीआई की ओर से दायर चार्जशीटपर पटियाला हाउस कोर्ट को संज्ञान लेना है. ईडी और सीबीआई ने कार्ति और पी चिदंबरम के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी.

एयरसेल-मैक्सिम केस में दायर हुई थी चार्जशीट

एयरसेल-मैक्सिस मामले में सीबीआई ने पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम को आरोपी बनाते हुए उनके खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी.चार्जशीट में कहा गया था कि पी. चिदंबरम ने वित्त मंत्री रहते हुए अपनी पावर का गलत इस्तेमालकिया.उनकेखिलाफ आईपीसी की धारा 120B और पीसी एक्ट की धारा 7, 1213 (2) के तहत चार्जशीट दाखिल की गई है.दरअसल, इस मामले में कुल 18 लोगों को आरोपी बनाते हुए उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी.जबकि ईडी ने कार्ति चिदंबरम के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी.