पहले 15 करोड़ अब ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ AIMIM हर कदम बे-नकाब होती हुई

राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा कहाँ हैं? वास्तविक रूप में इनके हाथ में संविधान है, दिल में वारिस पठान है, आज ये स्पष्ट हो गया है, क्योंकि इनमें से एक भी व्यक्ति निकलकर कोई वारिस पठान पर सफाई नहीं मांग रहा है. संबित पात्रा ने कहा, “जब मंच के पीछे पाकिस्तान को ऑक्सीजन देने की बात होती है, और मंच के आगे संविधान और तिरंगा पकड़ने का नाटक किया जाता है, तो कभी-कभी हकीकत मुंह से निकल जाती है.”

चंडीगढ़ :

 नागरिकता संशोधन के खिलाफ लड़ाई ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ तक पहुंच गई है. जो लड़ाई जिन्ना वाली आजादी से शुरू हुई थी वो चिकन नेक काटने से होते हुए छीन कर लेंगे आजादी के बाद अब पाकिस्तान जिंदाबाद तक पहुंच गई है. मंच भी वही था जहां से 15 करोड़ वाली धमकी दी गई थी, जहां से हिंदुओं को हिलाने की धमकी दी गई थी. जहां से 15 करोड़ को 100 करोड़ वाला दंगा प्लान बताया गया था उसी मंच के पाकिस्तान जिंदाबाद का वायरस मुल्क में फैलाने की कोशिश की गई. सवाल ये है कि ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ वाला वायरस हिदुस्तान में कब तक बर्दाश्त करेगा. 

हालांकि, ओवैसी ने तुरंत मंच पर ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ कहने वाली लड़की को रोका लेकिन सवाल अभी भी वहीं बना हुआ है. देशद्रोह के लिए जिस मंच से उकसाया और भड़काया जाएगा, उस मंच से ऐसी ही चीजें निकलकर आना स्वाभाविक है. बीजेपी ने आरोप लगाया है कि मंच के पीछे पाकिस्तान को ऑक्सीजन दी जाती है, इसलिए तिरंगे और देशभक्ति वाली एक्टिंग ज्यादा समय तक नहीं चल पाई और सच्चाई सामने आ गई. 

बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “कहां हैं राहुल गांधी? कहां हैं प्रियंका जी? वास्तविक रूप में इनके हाथ में संविधान है, दिल में वारिस पठान है, आज ये स्पष्ट हो गया है, क्योंकि इनमें से एक भी व्यक्ति निकलकर कोई वारिस पठान पर सफाई नहीं मांग रहा है. पात्रा ने कहा, “जब मंच के पीछे पाकिस्तान को ऑक्सीजन देने की बात होती है, और मंच के आगे संविधान और तिरंगा पकड़ने का नाटक किया जाता है, तो कभी-कभी हकीकत मुंह से निकल जाती है.” 

उधर, कांग्रेस नेता हुसैन दलवई का कहना है कि जिन्ना इस तरह से ही बातें करते थे और उनको इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि इस देश में जिन्ना अभी पैदा नहीं होगा. ना जिन्ना को हिंदू मानेगा ना मुसलमान मानेगा. केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “जो लोग देशद्रोही नारे लगा रहे हैं, क्योंकि उनको कुछ राजनीतिक पार्टियों का समर्थन मिल रहा है.” शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत का कहना है कि आपके मंच पर ऐसी व्यक्ति आती है और नारे देती है उसका मतलब आपने इस देश में ज़हर घोल दिया है.

उद्धव को घर और घाट दोनों के लाले पड़े

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे को अपने ही लिए हुए फैसले वापिस लेने पड़ रहे हैं। यह सारा मामला राज ठाकरे की महारैली के बाद शुरू हुआ जब महाराष्ट्र में लाखों की संख्या में लोग राज ठाकरे की मनसे में जाने को उद्द्यत हो उठे और तो और शिव सेना के कई विधायकों तक को राज ठाकरे में बाला साहब की छवि दिखाई पड़ी। कमजोर पड़ती शिवसेना पर भला हावी होने का मौका एनसीपी और काँग्रेस क्यों छोड़ते। उधर उद्धव ने स्वयं को राष्ट्रवादी दिखाते हुए कुछ फैसले कॉंग्रेस और एनसीपी के खिलाफ जा कर लिए। अब ज्यों ही उनहोंने बांह मरोड़ी उद्धव ने एनआईए जांच का फैसला पलटने की बात कही, और अब एनपीआर भी खतरे के निशान के ऊपर बह रहा है।

मुंबई: 

महाराष्ट्र में तीन दलों की ठाकरे सरकार में एनपीआर के मुद्दे पर दो फाड़ हो गए हैं. शिवसेना NPR को जनगणना बताते हुए समर्थन करती दिख रही है, वहीं महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार की दो प्रमुख पार्टियां एनसीपी और कांग्रेस NPR को महाराष्ट्र में लागू करने के हक में नहीं हैं. NPR में केंद्र सरकार की प्रश्नों की सूची पर कांग्रेस और एनसीपी को आपत्ति है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने NPR पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा है कि NPR मतलब जनगणना है. इससे डरने की जरूरत नहीं है. वहीं गठबंधन सरकार की प्रमुख पार्टी एनसीपी, NPR का विरोध कर रही है. 

एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कई प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी सीएए और एनपीआर के मसले पर शिवसेना और एनसीपी की अलग राय होने की बात मानी है. NPR के बहाने अब कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना में मतभिन्नता सामने आई है. महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग के दौरे पर गए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा है कि हमारी सरकार में दरार डालने और सरकार को अस्थिर करने का प्रयास किया जा रहा है. CAA, NRC और NPR के मुद्दे को आगे किया जाता है. आप इस पर ध्यान ना दें. मैंने इस मुद्दे पर अपनी भूमिका स्पष्ट की है. मेरी भूमिका यानी सरकार की भूमिका. CAA लागू हुआ है, हमें इससे कोई परेशानी नहीं होने वाली है. 

ठाकरे ने कहा, ‘मैं आंगणेवाडी से गणपतीपुले पहुंचा तो वहां कुछ मुस्लिम समाज के लोग मुझे मिलने आए थे. मैंने उन्हें बताया कि NRC यहां नहीं आएगा लेकिन NPR से डरने की आवश्यकता नहीं है. NPR जनगणना है. जो हर 10 साल में होती है और वह जरूरी है. NRC और NRP अलग हैं. किसी भी नागरीक का हक छीना नहीं जाएगा, इसलिए डरें नहीं.’

जब मंगलवार को शरद पवार से CAA और NPR के मुद्दे पर सीएम उद्धव के रुख पर सवाल पूछा गया तो पवार ने माना कि CAA और NPR पर उद्धव और उनके विचार अलग हैं और हम मुख्यमंत्री को समझाएंगे. वहीं कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री बालासाहेब थोरात का कहना है कि, CAA, NRC और NPR का कांग्रेस पार्टी विरोध करती है. इस पर हमारी भूमिका स्पष्ट है, समाज में भेद निर्माण करने वाले प्रयास का हम विरोध करते हैं. हमारे सहयोगी दलों से चर्चा करके हम अपनी भूमिका उन्हें समझाएंगे.

राजनीतिक विश्लेषक राहुल पांडे के मुताबिक, ‘तीनों पार्टियों के कॉमन मिनिमम प्रोग्राम में CAA, NRC और NPR को लेकर एकराय नहीं है. मुख्यमंत्री होने के नाते CAA को उद्धव ने समर्थन दिया है और NPR को वह जनगणना के तौर पर देखते हैं. वहीं कांग्रेस और एनसीपी CAA ,NCR और NPR को एक नजरिये से ही देखते हैं. हालांकि कई मुद्दो में अलग अलग राय हो सकती है लेकिन सरकार गिराने की नौबत नहीं आएगी.’ 

उद्धव का NPR लागू करने का बयान क्या जुमला ही रह जाएगा?

महाराष्ट्र में NPR लागू होगा कह कर उद्धव ठाकरे फंस गए लगता है. कांग्रेस आवर एनसीपी कि बैसाखियों पर टिकी उद्धव ठाकरे कि सरकार कि दुविधा है कि जब तक कांग्रेस आलाकमान कि मंजूरी नहीं मिल जाती तब तक उद्धव का हर बयान जुमला ही रहेगा. वैसे भी भीमा कोरेगांव कि जांच को लेकर एनसीपी उनसे नाराज़ है आवर अब वह NPR लागू करवा कर कांग्रेस कि नाराजगी मोल नहीं लेना चाहेंगे. उद्धव ने सिर्फ बयान दिया था कोई अधिसूचना जारी नहीं कि थी जो शायद अब हो भी न.

उद्धव ठाकरे का कहना है कि एनपीआर अगर आमतौर पर हर दस साल में हो तो यह जनगणना जैसा ही है. इसे प्रदेश में लागू करने में हर्ज नहीं है. हालांकि एनपीआर के संबंध में महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने अभी तक अधिसूचना जारी नहीं की है. वहीं मुंबई स्थित केंद्रीय जनगणना कार्यालय एनपीआर लागू करने की पूरी तैयारी कर चुका है. इस मामले में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि हमारी पार्टी संसद और संसद के बाहर सीएए का विरोध कर चुकी है और हमारी भूमिका कायम है.  

चंडीगढ़: 

महाराष्ट्र में राष्ट्रीय जनसंख्या सूची यानी एनपीआर (NPR) लागू करने की सरकारी अमले की तैयारियों पर ब्रेक लग सकता है. इसको लेकर महाराष्ट्र की उद्धव सरकार में सहयोगी दलों के बीच तनातनी बढ़ने के बाद मामला ठंडे बस्ते में जाता नजर आ रहा है.

एनपीआर लागू करने को लेकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की सरकार मुश्किल में फंस गई है. एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार द्वारा सीएए और एनपीआर पर विरोध जताने के बाद अब प्रदेश सरकार NPR लागू करने को लेकर दुविधा में है, कि आखिर वो क्या करे. सीएम उद्धव ठाकरे एनपीआर और सीएए के हक में हैं. लेकिन गठबंधन वाली राज्य सरकार इसे लागू करने पर आखिरी फैसला अभी तक नहीं ले पाई है. 

गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 1 मई से 15 जून तक सूचनाएं इकट्ठा करने की अधिसूचना जारी की है और महाराष्ट्र के सरकारी अफसरों ने सूबे में इसकी तैयारी भी कर ली है. हालांकि सीएम उद्धव ठाकरे की हरी झंडी मिलनी अभी बाकी है.  

इस मामले में महाराष्ट्र सरकार के मंत्री असलम शेख का कहना है कि महाराष्ट्र में एनपीआर लागू नहीं होगा. कांग्रेस का कहना है कि एनपीआर के प्रावधानों पर उसका विरोध है और इस संबंध में उसके सभी मंत्री ठाकरे सरकार से बात करेंगे और इसे लागू नहीं होने देंगे. अब इस मामले में गठबंधन सरकार में तनातनी मच गई है.

यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र में एक मई से NPR लागू हो जाएगा

उद्धव ठाकरे का कहना है कि एनपीआर अगर आमतौर पर हर दस साल में हो तो यह जनगणना जैसा ही है. इसे प्रदेश में लागू करने में हर्ज नहीं है. हालांकि एनपीआर के संबंध में महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने अभी तक अधिसूचना जारी नहीं की है. वहीं मुंबई स्थित केंद्रीय जनगणना कार्यालय एनपीआर लागू करने की पूरी तैयारी कर चुका है. इस मामले में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि हमारी पार्टी संसद और संसद के बाहर सीएए का विरोध कर चुकी है और हमारी भूमिका कायम है.  

बता दें कि सूबे में एनपीआर लागू करने की तैयारी में मुंबई में प्रधान जनगणना अधिकारी के कार्यालय में बीती 6 फरवरी को एक उच्च स्तरीय बैठक हुई, जिसमें प्रदेश भर के सभी जिलों के कलेक्टर भी शामिल हुए थे. 

महाराष्ट्र सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग की प्रधान सचिव और केंद्र व राज्य कार्यालय की समन्वयक वल्सा नायर और जनगणना कार्यवाही संचालनालय की संचालक रश्मि झगडे भी इस बैठक में मौजूद रहीं. अफसरों के मुताबिक सरकारी कर्मचारी और अफसर घर-घर जाकर पहली मई से 15 जून के बीच एनपीआर के लिए जानकारी इकट्ठा करेंगे. और अगले साल 9 फरवरी से 28 फरवरी के बीच देशभर में जनगणना होनी है.
 
केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत रजिस्ट्रार जनरल ऐंड सेंसस कमिश्नर ने देशभर में अप्रैल से सितंबर तक जनसंख्या सूची को अपडेट करने के लिए एनपीआर लागू करने का निर्णय लिया है. इसके लिए केंद्र सरकार ने 7 जनवरी को अधिसूचना जारी की थी. वहीं अब महाराष्ट्र बीजेपी के नेता राम कदम का कहना है कि अगर ठाकरे सीएए और एनपीआर के खिलाफ नहीं है तो इसे लागू करें और यू टर्न ना लें. 
  
वहीं एनपीआर लागू करने को लेकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी के बड़े नेताओं ने सीधा बयान नहीं जारी किया है. लेकिन कांग्रेस और एनसीपी के मंत्रियों द्वारा पूछे जाने पर उनसे ये कहा गया है कि एनपीआर लागू करने को लेकर अभी फैसला नहीं किया है. अब इस मुद्दे पर सहयोगी दल ठाकरे सरकार ने नाराज दिख रहे हैं.

यह बभी पढ़ें: एल्गार परिषद् कि जांच NIA को सोंपोए जाने पर शरद पवार नाराज़

इससे पहले पुणे के भीमाकोरेगांव मामले की जांच केंद्र की जांच एजेंसी एनआईए को सौंपने के सीएम उद्धव ठाकरे के फैसले पर शरद पवार नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. अब एनपीआर पर भी ठाकरे सरकार मुश्किल में है. 

भाजपा ने 3 प्रदेश प्रमुखों को बदला

बीजेपी की तरफ से जारी बयान के अनुसार, मध्य प्रदेश बीजेपी के नए अध्यक्ष खजुराहो के सांसद विष्णु दत्त शर्मा को बनाया गया है, जबकि केरल बीजेपी का अध्यक्ष के. सुरेन्द्रन को बनाया गया है. वहीं सिक्किम में दल बहादुर चौहान को फिर से प्रदेश बीजेपी का नया अध्यक्ष बनाया गया है.

नई दिल्ली: बीजेपी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के पदभार ग्रहण करने के साथ ही तेजी से राज्यों में भी प्रदेश अध्यक्षों के चयन का काम शुरू हो गया है. इसी कड़ी में नड्डा ने शनिवार को तीन प्रदेशों में अध्यक्षों की नियुक्ति कर दी.

बीजेपी की तरफ से जारी बयान के अनुसार, मध्य प्रदेश बीजेपी के नए अध्यक्ष खजुराहो के सांसद विष्णु दत्त शर्मा को बनाया गया है, जबकि केरल बीजेपी का अध्यक्ष के. सुरेन्द्रन को बनाया गया है. वहीं सिक्किम में दल बहादुर चौहान को फिर से प्रदेश बीजेपी का नया अध्यक्ष बनाया गया है.

सबसे चौंकाने वाला फैसला मध्यप्रदेश को लेकर किया गया है, जहां राकेश सिंह की जगह पर खजुराहो के सांसद विष्णुदत्त शर्मा को बीजेपी अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. शर्मा मूलत: मध्यप्रदेश के मुरैना जिले के निवासी हैं. उन्हें वी.डी. शर्मा के नाम से भी जाना जाता है. वह 32 वर्षों से लगातार सक्रिय राजनीति में है.

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से राजनीति शुरू करने के बाद विष्णुदत्त शर्मा को संगठन में अनेक पद मिले. मौजूदा समय में वह पार्टी के प्रदेश महामंत्री हैं. प्रदेश की राजनीति में उन्हें बड़ा चेहरा माना जाता है. संघ से भी उनका जुड़ाव रहा है.

विष्णुदत्त शर्मा के बारे में बताया जाता है कि वह संघ और बीजेपी संगठन से जुड़े जमीनी नेता हैं. विष्णुदत्त शर्मा 1987 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में शामिल हुए. 1995 से उन्होंने पूर्ण रूप से राजनीति में कदम रखा. इससे पहले 1993 से 1994 तक वह मध्यप्रदेश में सचिव रहे.

विष्णुदत्त शर्मा 2001 से 2007 तक मध्यप्रदेश एबीवीपी राज्य संगठन सचिव रहे. इस दौरान विष्णुदत्त शर्मा एबीवीपी के राष्ट्रीय सचिव भी रहे. वह 2007 से 2017 तक मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के क्षेत्रीय संगठन सचिव रहे. 2007 से 2009 तक विष्णुदत्त शर्मा एबीवीपी के राष्ट्रीय महासचिव भी रहे.

दल बहादुर

सिक्किम में एक बार फिर दल बहादुर चौहान को बीजेपी अध्यक्ष बनाया गया है. दल बहादुर को सिक्किम बीजेपी में सबसे बड़ा नाम माना जाता है. वहीं केंद्र में मुरलीधरन के मंत्री बनने के बाद बीजेपी केरल में एक ऐसे नेता की तलाश में थी, जिनकी राज्य में पहचान हो. के. सुरेन्द्रन संघ से जुड़े रहे हैं और उनकी पहचान एक फायरब्रांड नेता की रही है.

एल्गार परिषद् कि जांच NIA को सोंपोए जाने पर शरद पवार नाराज़

  • एल्गार परिषद केस की जांच पर सवाल
  • शरद पवार ने उद्धव सरकार को निशाने पर लिया
  • केंद्रीय एजेंसी एनआईए कर रही है जांच

यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है। पुलिस का दावा है कि इस वजह से अगले दिन जिले में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़की। पुणे पुलिस का दावा है कि सम्मेलन को माओवादियों का समर्थन था।

नयी दिल्ली (ब्यूरो):

महाराष्ट्र के एल्गार परिषद केस की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनसीपी) को सौंप दी गई है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार ने इस फैसले को लेकर उद्धव ठाकरे सरकार की आलोचना की है। कोल्हापुर में पत्रकारों से बातचीत में शरद पवार ने कहा कि केंद्र सरकार ने मामले की जांच पुणे पुलिस से लेकर एनआईए को सौंपकर ठीक नहीं किया क्योंकि कानून-व्यवस्था राज्य सरकार का विषय है।

एनसीपी चीफ शरद पवार ने कहा, ‘मामले की जांच एनआईए को सौंपकर केंद्र सरकार ने ठीक नहीं किया और इससे भी ज्यादा गलत बात यह हुई कि राज्य सरकार ने इसका समर्थन किया।’ गौरतलब है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शिवसेना के नेतृत्व वाले महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार की सहयोगी है और इसके नेता अनिल देशमुख राज्य के गृहमंत्री हैं।

पुणे की कोर्ट ने एनआईए कोर्ट को सौंपा केस

इससे पहले एल्गार परिषद मामले की सुनवाई कर रही पुणे की एक अदालत ने एक आदेश पारित करते हुए यह मुकदमा मुंबई की विशेष एनआईए अदालत को सौंप दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एस आर नवंदर ने यह आदेश पारित किया। अदालत ने आदेश दिया कि मामले से जुड़े रेकॉर्ड और कार्यवाही मुंबई की विशेष एनआईए अदालत को सौंप दी जाए। अदालत द्वारा आदेश पारित किए जाने से पहले अभियोजन पक्ष ने कहा कि उन्हें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की उस याचिका पर कोई आपत्ति नहीं है, जिसमें मामला ट्रांसफर किए जाने का अनुरोध किया गया है।

अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘इस प्रकार यह स्पष्ट है कि राज्य जांच एजेंसी यह जांच एनआईए को सौंप रही है। दो दिन पहले उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने कहा था कि इस मामले की जांच एनआईए द्वारा अपने हाथों में लिए जाने पर उसे कोई आपत्ति नहीं है। आदेश में राज्य पुलिस को निर्देश दिया गया था कि वह मामले की जांच से जुड़े सभी दस्तावेज एनआईए को सौंप दे। न्यायाधीश ने यह आदेश भी दिया कि सभी आरोपियों को 28 फरवरी को या उससे पहले मुंबई में विशेष एनआईए अदालत के समक्ष पेश किया जाए।

पहले महाराष्ट्र सरकार ने किया था विरोध

पुणे की अदालत ने कहा कि कानून की नजर में यह मामले का ट्रांसफर नहीं है बल्कि अधिकार क्षेत्र की कमी के कारण मामले को उचित अदालत में भेजना है। केंद्र ने पिछले महीने मामले की जांच पुणे पुलिस से एनआईए को ट्रांसफर कर दिया था और शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस सरकार ने इस कदम की आलोचना की थी। एनआईए ने जनवरी के आखिरी सप्ताह में अदालत से अनुरोध किया था।

आपको बता दें कि यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है। पुलिस का दावा है कि इस वजह से अगले दिन जिले में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़की। पुणे पुलिस का दावा है कि सम्मेलन को माओवादियों का समर्थन था। जांच के दौरान पुलिस ने माओवादी संपर्क के आरोप में वामपंथी झुकाव वाले कार्यकर्ताओं सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, महेश राउत, शोमा सेन, अरुण फरेरा, वर्नन गोंसाल्विस, सुधा भारद्वाज और वरवारा राव को गिरफ्तार किया। एनआई ने एल्गार परिषद मामले में 11 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

महाराष्ट्र में एक मई से NPR लागू हो जाएगा

सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे राज्य में 1 मई से एनपीआर की प्रक्रिया शुरू करना चाहते हैं. वहीं कांग्रेस और एनसीपी इस पूरी कवायद का खुलेआम विरोध कर रही है.

नई दिल्ली(ब्यूरो):

महाराष्ट्र में एक मई से राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) लागू हो जाएगा. इसी बीच महाराष्ट्र में सत्ताधारी गठबंधन महाविकास अघाडी के साझेदारों शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के बीच तनातनी बढ़ती दिख रही है. मुख्यमंत्री एवं शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने आपत्तियों को दरकिनार करते हुए राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर पर आगे बढ़ने का फैसला लिया है.

ये फैसला ऐसे समय पर लिया गया है जब देश भर में एनपीआर, नागरिक संशोधन अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है.

राज्य सरकार के एनपीआर लागू करने के फैसले को लेकर सहयोगी दलों के बीच तनातनी देखने को मिल रही है. राज्य में एनपीआर लागू करने को लेकर शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के महाविकास अघाड़ी में तनातनी नजर आ रही है.

एनसीपी के वरिष्ठ नेता माजिद मेमन ने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि पार्टी एनपीआर का समर्थन नहीं करती. शरद पवार ने भी इसे लेकर आपत्तियां जताई है. इस मामले में ऐसा ही फैसला लिया जाएगा, जो तीनों पार्टियों को स्वीकार्य हो.’

हालांकि ये पहला मौका नहीं, जब महाराष्ट्र के सत्ताधारी गठबंधन में इस तरह मतभेद दिखे हों. इस पहले एनसीपी चीफ शरद पवार ने एल्गार परिषद मामले की जांच महाराष्ट्र पुलिस से लेकर एनआईए को सौंपे जाने को लेकर उद्धव ठाकरे सरकार की शुक्रवार को आलोचना की थी.

शरद पवार ने कहा, ‘मामले की जांच एनआईए को सौंपकर केन्द्र सरकार ने ठीक नहीं किया और इससे भी ज्यादा गलत बात यह हुई कि राज्य सरकार ने इसका समर्थन किया.’

सीएए, एनपीआर और एनआरसी को लेकर हो रहे देशव्यापी विरोध के बावजूद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक मई से 15 जून तक एनपीआर के तहत सूचनाएं इकट्ठा करने की अधिसूचना जारी की है.

महाराष्ट्र में एनपीआर को लागू करना उद्धव ठाकरे सरकार के लिए आसान नहीं होगा. महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की महाअघाड़ी गठबंधन की सरकार है. कांग्रेस शुरू से ही CAA, NRC और NPR का खुलकर विरोध कर रही है. एनसीपी ने अभी इस मामले में अपना रुख साफ नहीं किया है.

दूसरी तरफ शिवसेना के सांसद अनिल देसाई भी साफ कह चुके हैं कि उद्धव ठाकरे ने कहा था कि एनपीआर जनगणना जैसी है. वैसे भी जनगणना हर 10 साल में होती ही है तो इसमें किसी को क्या आपत्ति है.

नकुल्नाथ के पैसों से नहीं, जनभागीदारी से बनेगी छत्रपति शिवाजी कि प्रतिमा: शिवराज

मध्य प्रदेश में जब से कांग्रेस सत्ता में आई है तभी से राष्ट्रीय गौरव, अस्मिता एवं राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान जारी है. सनद रहे पहले कमलनाथ ने वन्देमातरम पर रोक लगवाई थी, फिर चंद्रशेखा आज़ाद कि मूर्ती हटाने का फैसला लिया गया और अब शिवाजी कि मूर्ती गिरा दी गयी. कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ ने अपने पैसों से शिवाजी कि आदमकद मूर्ती स्थापित करने कि बात कही मानो चोरी पकड़ी गयी और अब मामला बढ़ने पर सफाई देते नहीं बन रहा था.

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

छिंदवाड़ा में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति को लेकर जमकर सियासत गरमा गई है। राजनैतिक दलों के बीच बयानबाजी का दौर तेजी से चल रहा है। अब पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का बयान सामने आया है। शिवराज का कहना है कि आज “मैं छिंदवाड़ा जिले के सौसर जा रहा हूं। कांग्रेस का शगल बन गया है महापुरुषों का अपमान करना। वही सांसद नकुलनाथ द्वारा शिवाजी की मूर्ति का खर्चा उठाने को लेकर कहा कि तुम्हारे पैसे से क्यों लगेगी प्रतिमा । सामर्थ्य है सौसर की जनता में, राष्ट्रभक्त वहां अभी जिंदा है। छत्रपति शिवाजी महाराज के भक्त भी जिंदा है। जनभागीदारी से प्रतिमा लगेगी। मैं लगा दूंगा इस दंभ को भी चूर-चूर करेंगे।”

आज भोपाल में मीडिया से चर्चा के दौरान शिवराज ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज जो राष्ट्र के गौरव हैं हमारी प्रेरणा हैं जिन्होंने हिंदी स्वराज की स्थापना की ।देश के करोड़ों करोड़ लोग उनको अपना आराध्य मानते हैं। ऐसे राष्ट्रपुरूष शिवाजी महाराज का अपमान यह कांग्रेस सरकार कर रही है। उनकी प्रतिमा को जेसीबी से अपमानजनक तरीके से हटाया गया गिराने की कोशिश की गई। मैं सौसर की जनता को प्रणाम करता हूं कि आधी रात के बाद लगभग 3:00 बजे जनता इकट्ठी हो गई और कहा कि यदि छत्रपति शिवाजी महाराज गिरेंगे तो हमारी छाती के ऊपर गिरेंगे। कांग्रेस का शगल बन गया है महापुरुषों का अपमान करना, यहां भोपाल में चंद्रशेखर आजाद जी की प्रतिमा को हटाने का फैसला किया गया। ये आजाद जी का अपमान है ।

शिवराज यहीं नही रुके। आगे कहा कि वीर सावरकर का अपमान रोज कांग्रेस के द्वारा किया जा रहा है। डॉक्टर अंबेडकर का अपमान कांग्रेस ने कई बार किया है। ऐसे महापुरुष जिनके कारण यह राष्ट्र खड़ा हुआ है, उनको अपमानित करने का क्रम इस सरकार में जारी है। यह हम कदापि नहीं होने देंगे।

“राष्ट्रपुरुषों का यह अपमान हिंदुस्तान सहन नहीं करेगा। बात की जा रही है कि हम अपने पैसों से लगा देंगे। पैसों का अहंकार दिखाना, दंभ भरना, पहले प्रतिमा गिराना, यह दंभ और अहंकार हम सहन नहीं करेंगे। महापुरुषों के अपमान को हम खड़े रहकर नहीं देख सकते। जिन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का अपमान किया है उनके खिलाफ कार्यवाही की जाए। तुम्हारे पैसे से क्यों लगेगी प्रतिमा। सामर्थ्य है सौसर की जनता में, राष्ट्रभक्त वहां अभी जिंदा है। छत्रपति शिवाजी महाराज के भक्त भी जिंदा है। जनभागीदारी से प्रतिमा लगेगी।”

अरबी भाषा को पढ़ाना और धार्मिक पुस्तकें बांटना सरकार का काम नहीं है: हिमंत बिस्व सरमा

एक ओर जहां केजरिवाल, ममता बनर्जी, जगन रेड्डी, केरल सरकार और तो और ठाकरे मुस्लिम तुष्टीकरण से, मौलवियों इत्यादियों को मोटी तनख़्वाहें बाँट – बाँट कर, मदरसों को मुफ्त किताबें कापियाँ दे कर अपनी सरकरें बना/बचा रहे हैं और स्वयं को सेकुलर कह रहे हैं वहीं असम के शिक्षा मंत्री हेमंत बीस्व सरमा ने सही मायने में धर्मनिरपेक्षता की मिसाल दी है। उन्होने सरकारी सहायता से चलने वाले मदरसों और संस्कृत विद्यालयों को बंद कर वहाँ नियमित विद्यालयों को आरंभ करने की बात कही है।

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

असम के शिक्षा मंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने एक बड़ा फैसला लेते हुए राज्य के सरकारी सहायता से चलने वाले सभी मदरसों को बंद करने का फैसला लिया है। असम सरकार ने साफ तौर पर कहा है कि उसने ऐसा धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देने के लिए किया है। इसी के साथ असम सरकार के शिक्षा मंत्री ने कहा है कि राज्य में अरबी भाषा पढ़ाना और धार्मिक पुस्तकें बांटना सरकार का काम नहीं है।

असम के शिक्षा मंत्री सरमा ने इसपर कहा,

“हम राज्य के सभी सरकारी मदरसों को बंद कर रहे हैं, क्योंकि हमें लगता है कि अरबी भाषा को पढ़ाना और धार्मिक पुस्तकें बांटना सरकार का काम नहीं है। अगर किसी को ऐसा करना है तो वह अपने पैसे से कर सकता है, इसके लिए सरकार कोई फंड जारी नहीं करेगी”।

सरकार ने मदरसों के साथ-साथ सरकारी पैसे पर चलने वाले कुछ संस्कृत स्कूलों को भी बंद कर दिया है और इन सब को नियमित स्कूलों में बदल दिया जाएगा।

हिमंत बिस्व सरमा ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा “राज्य में अभी 1200 मदरसा और लगभग 200 ऐसे संस्कृत स्कूल हैं जो बिना किसी बोर्ड के चल रहे हैं। समस्या यह है कि इन मदरसों में पढ़ने वालों छात्रों को भी अन्य नियमित स्कूलों के छात्रों की तरह ही समान डिग्री दी जाती है। इसीलिए अब सरकार ने इन सब मदरसों और संस्कृत स्कूलों को नियमित करने का फैसला लिया है”।

यह फैसला न सिर्फ राज्य सरकार के हित में है बल्कि इससे छात्रों का भविष्य भी सुरक्षित हो सकेगा, क्योंकि एक स्वतंत्र बोर्ड के तहत आने के कारण अब छात्रों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा मिल सकेगी और साथ ही ऐसे स्कूलों की जवाबदेही भी तय हो सकेगी। इसके अलावा राज्य सरकार ने ऐसा करके अपने यहां धर्मनिरपेक्षता को भी बढ़ावा दिया है। सालों तक देश में सेक्यूलरिज़्म के नाम पर मुस्लिमों का तुष्टीकरण करने की राजनीति की जाती रही है जिसे अब राज्य की भाजपा सरकार ने नकार दिया है।

सरकार एक सेक्युलर बॉडी होती है, जिसके लिए सभी धर्म एक समान होते हैं। ऐसे में सरकार किसी एक धर्म के प्रचार के लिए पैसे नहीं खर्च कर सकती। इसीलिए सरकार ने अपने पैसों पर चलने वाले मदरसों को लेकर यह फैसला लिया है। जिसे अपने धर्म का प्रचार अपने पैसे से करना है, उसका स्वागत है लेकिन सरकार की ओर से उन्हें एक भी रुपया नहीं दिया जाएगा।

सरकार का यह फैसला स्वागत योग्य है और असम सरकार ने देश की उन सरकारों के लिए एक उदाहरण पेश किया है जो सिर्फ अपनी राजनीति को चमकाने के लिए मुस्लिमों का तुष्टीकरण करती हैं। असम सरकार ने सही मायनों में एक सेक्युलर सरकार होने का प्रमाण दिया है।

कॉंग्रेस कि हार पर सिंदीया ने उठाए गंभीर सवाल

दिल्ली के चुनावों में ज़मानत ज़ब्त कारवा चुकी कॉंग्रेस की खुशी किसी भी तरह से समझ नहीं आ रही। चिदम्बरम और सिब्बल इस शर्मनाक हार में भी काँग्रेस की जीत देख रहे हैं, कि भाजपा एक बार फिर दिल्ली की गद्दी से 5 साल के लिए दूर हो गयी। मानो “रब्बा मेरा खसम चक लै, सौत दियाँ चूड़ियाँ टुट्टण, मैं भांवें रंडी हो जांवां”। आज भी कॉंग्रेस आत्ममंथन कि बात नहीं कर रही बल्कि स्वर्गवासी शीला जी पर ठीकरा फोड़ रही है और आपस सिर फुट्टौव्वल में लगी है, शर्मिष्ठा मुखर्जी के पश्चात सिंधिया ने भी काँग्रेस के इस नितांत निराशावादी प्रदर्शन पर प्रश्न उठाए हैं।

नई दिल्ली: 

दिल्ली में लगातार 15 साल तक सत्ता संभालने वाली कांग्रेस को 2015 की ही तरह इस बार भी एक भी सीट नहीं मिली है. इसको लेकर पार्टी में सिर-फुटौव्वल शुरू हो गई है. हार को लेकर पार्टी के नेता एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहे हैं तो कभी रणनीति को लेकर सवाल उठा रहे हैं. गुरुवार को कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दिल्ली की हार को पार्टी के लिए निराशाजनक बताया है.

मध्य प्रदेश के पृथ्वीपुर पहुंचे सिंधिया ने कांग्रेस के खराब प्रदर्शन पर कहा, ”यह हमारी पार्टी के लिए बहुत निराशाजनक है. एक नई विचारधारा और एक नई कार्यप्रणाली की तत्काल जरूरत है. देश बदल गया है, इसलिए हमें देश के लोगों के साथ नए तरीके से सोचने और जुड़ने का विकल्प चुनना होगा.”

बता दें कि विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद दिल्ली कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने इस हार की जिम्मेदारी ली थी.

पीसी चाको का इस्तीफा

उधर, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी रहे पीसी चाको ने दिल्ली में कांग्रेस की हार के लिए पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को जिम्मेदार ठहरा दिया. विवाद बढ़ता देख पीसी चाको ने पार्टी के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेते हुए दिल्ली के प्रदेश प्रभारी के पद से इस्तीफा दे दिया. उनका इस्तीफा भी पार्टी ने स्वीकार कर लिया है.

शीला दीक्षित पर आरोप

चाको ने समाचार एजेंसी ANI से कहा, “कांग्रेस पार्टी का पतन 2013 में शुरू हुआ था, जब शीला जी मुख्यमंत्री थीं. नई पार्टी AAP ने कांग्रेस का समूचा वोट बैंक कब्जा लिया. हम उसे कभी वापस हासिल नहीं कर सके. वह आज भी AAP के ही पास है.”

देवड़ा ने चाको को लताड़ा

15 सालों तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं दिवंगत शीला दीक्षित पर आरोप लगाने के बाद कांग्रेस के कई नेताओं ने चाको पर भी हमला बोल दिया. कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा समेत कई नेताओं ने चाको के बयान को आपत्तिजनक बताया है.

देवड़ा का Tweet

देवड़ा ने अपने ट्वीट में लिखा, “शीला दीक्षित जी असाधारण राजनीतिज्ञ और प्रशासक थीं. मुख्यमंत्री के तौर पर उनके कार्यकाल के दौरान दिल्ली में कहीं ज्यादा बदलाव हुए. कांग्रेस भी बहुत मजबूत हुई. उनकी मौत के बाद उनको हार के लिए दोषी ठहराना दुर्भाग्यपूर्ण है. उनकी पूरी जिंदगी कांग्रेस और दिल्ली के लोगों को समर्पित रही.”  

शर्मिष्ठा मुखर्जी का सवाल

इससे पहले, शर्मनाक हार से निराश दिल्ली कांग्रेस की नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने पूछा, क्या कांग्रेस ने बीजेपी को हराने का ठेका दूसरी पार्टियों को दिया है. कांग्रेस में जारी इस संग्राम के बीच कांग्रेस नेताओं का कहना है कि चुनाव में उनकी दुर्गति इसलिए हुई क्योंकि वह अपनी बात लोगों तक ठीक तरीके से नहीं पहंचा पाए.”

AAP की जीत

गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में बंपर जीत हासिल की है. आम आदमी पार्टी को 70 में से 62 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल हुई है. पिछली विधानसभा में आम आदमी पार्टी 70 में से 67 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. वहीं भारतीय जनता पार्टी ने इस बार 8 विधानसभा सीटें जीती हैं. पिछली विधानसभा में बीजेपी के चार विधायक थे. कांग्रेस पार्टी पिछली बार की तरह इस बार भी अपना खाता खोलने में नाकाम रही. कांग्रेस का कोई उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत सका. इसके साथ ही कांग्रेस को मिलने वाले वोटों के प्रतिशत में भी भारी कमी दर्ज की गई है.

आज का राशिफल

Aries

06 फरवरी 2020: कुछ कामों में रुकावटें आ सकती हैं. मेहनत ज्यादा हो सकती है. जॉब स्विच करने का मन बना सकते हैं, लेकिन सोच-समझकर फैसला लें. किसी काम या बात में जल्दबाजी करने से नुकसान हो सकता है. सेहत को लेकर सावधान रहें. आज आप नया व्हीकल या मोबाइलखरीदने का मन बना सकते हैं. पैसे और सेविंग के मामले में दूर स्थान के किसी व्यक्ति से सलाह ले सकते हैं. निवेश या खर्चे को लेकर भी बातचीत हो सकती है. पार्टनर का मूड अच्छा रहेगा. दाम्पत्य जीवन भी सुखमय रखेगा.

Taurus

06 फरवरी 2020: बिजनेस में फायदा हो सकता है. नौकरीपेशा लोगों की पदोन्नति हो सकती है. साथ काम करने वालों से सहयोग मिलेगा. जीवनसाथी से मदद मिलने के योग बन रहे हैं. अविवाहित लोगों की लव लाइफ अच्छी हो सकती है. आपके कामकाज के तरीको में बदलाव हो सकता हैजिससे आपको फायदा होगा. इसके साथ ही कामकाज की टेंशन कम हो सकती है. करियर में आगे बढ़ने के कुछ अच्छे मौके मिल सकते हैं. आमदनी बढ़ने की भी संभावना है.

Gemini

06 फरवरी 2020:  सितारों की स्थिति आपके लिए खास हो सकती है. आज आप सक्रिय रहेंगे. ऑफिस में नया काम या नई जिम्मेदारी भी आपको मिल सकती है. रुके हुए काम पूरे हो सकते हैं. कुछ नए लोग आपसे जुड़ सकते हैं. लव पार्टनर की मदद से धन लाभ के योग हैं. आपको भावनात्मक सहयोग मिल सकता है. सामाजिक और सामूहिक कामों के लिए लोगों से मुलाकात हो सकती है. ताजगी और स्फूर्ति महसूस होगी. सेहत में सुधार होने के योग हैं.

Cancer

06 फरवरी 2020: आप ऑफिस में कुछ लोगों को इम्प्रेस कर सकते है. जॉब बदलने या एक्स्ट्रा इनकम के लिए भी विचार कर सकते हैं. इसमें आपको किस्मत का साथ मिल सकता है. नई शुरुआत करने में भी सफल हो सकते हैं. रुका हुआ पैसा मिलने की संभावना है. अचानक फायदा हो सकता है. बिजनेस में नए सौदे हो सकते हैं. आत्मविश्वास बढ़ सकता है. पारिवारिक सुख और संतोष रहेगा. दुर्घटना या चोट लगने के योग बन रहे हैं. आपको संभलकर रहना होगा.

Leo

06 फरवरी 2020: अधिकारियों से सहयोग कम ही मिल पाएगा और आपको बिजनेस में सावधान रहना होगा. ऑफिस और बिजनेस में जो काम हाथ में लेंगे, उसमें सफलता की संभावना कम है. बिजनेस के मामलों में किसी अनुभवी की सलाह जरूर लें. जल्दबाजी न करें. अकेलेपन से बचें. अधूरे काम निपटाने में आपको परेशानियां आ सकती हैं. आज मिलने वाले पैसों को आने वाले समय के लिए बचा कर रखें. जीवनसाथी के साथ यात्रा हो सकती है या किसी प्रोग्राम की प्लानिंग बन सकती है.

Virgo

06 फरवरी 2020: आज बिजनेस और नौकरी के बड़े मामलों पर कुछ फैसले हो सकते हैं या प्लानिंग भी बन सकती हैं. पैसों की स्थिति में सुधार हो सकता है. आमदनी बढ़ाने और खर्चों में कटौती करने पर विचार कर सकते हैं. आज आप नौकरी या कारोबार से जुड़ा कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं. जीवनसाथी से गिफ्ट मिल सकता है. प्रेमियों के लिए समय अच्छा हो सकता है. महत्वपूर्ण लोगों से मुलाकात हो सकती है. नौकरी में बदलाव और पदोन्नति की संभावना है. आज आप किसी को बिना मांगे राय देने से बचें. आपकी सेहत में पहले से थोड़ा सुधार भी हो सकता है.

Libra

06 फरवरी 2020: कुछ रुके हुए काम पूरे हो सकते हैं. नौकरी और बिजनेस में समय पर सहयोग नहीं मिलने से परेशानी हो सकती है. कुछ लोग आपके काम का विरोध भी कर सकते हैं. इसके अलावा आप कुछ नया और ज्यादा करने की सोच सकते हैं. आने वाले कुछ दिनों में बड़े काम करने कीयोजना बना सकते हैं. जीवनसाथी से मदद और समर्थन मिल सकता है. आज आपको विवाह प्रस्ताव भी मिल सकते हैं. शादीशुदा लोगों के लिए दिन ठीक कहा जा सकता है.

Scorpio

06 फरवरी 2020: बिजनेस में फायदे के योग हैं. नौकरीपेशा लोगों के लिए समय ठीक है. रुके हुए काम निपट जाएंगे. पुरानी परेशानियां सुलझ सकती हैं. दुश्मनों पर जीत मिलने के योग हैं. नए काम करने का मन बनेगा. कुछ बड़ी जिम्मेदारियां भी पूरी हो सकती हैं. कुछ अच्छे मौके मिल सकतेहैं. व्यापारिक फैसले सोच-समझकर लें. कोई बड़ा फायदा भी होने के योग बन रहे हैं. कई तरह की जिम्मेदारियां आप पर हो सकती हैं. आज आप कहीं घूमने भी जा सकते हैं. पार्टनर से भी आपको मदद मिल सकती है. सेहत के मामले में सावधान रहें.

Sagittarius

06 फरवरी 2020: नौकरीपेशा लोगों के काम में रुकावटें आ सकती है. बिजनेस करने वाले लोग सावधान रहें. कानूनी मामले उलझ सकते हैं. फालतू कामों में समय खराब होने के योग हैं. स्थान में बदलाव संबंधी कोई प्लान बन सकता है. कामकाज के सिलसिले में कहीं बाहर जाना पड़ सकता है.आपकी लव लाइफ में कुछ बदलाव होने के योग बन रहे हैं. इस राशि के अविवाहित लोगों के लिए समय अच्छा हो सकता है. सेहत के मामलों में भी संभलकर रहें.

Capricorn

06 फरवरी 2020: पुरानी परेशानियां खत्म होने के योग बन रहे हैं. मकर राशि वालों के लिए स्थिति अनुकूल हो सकती है, रुके हुए कामों को पूरा करने की कोशिश करें. बिजनेस और नौकरी में नए आइडिया मिल सकते हैं. आपका एनर्जी लेवल बढ़ सकता है. किसी पर आंख बंद कर के भरोसा नकरें. पार्टनर से अनबन हो सकती है. वाणी पर नियंत्रण रखें. सेहत के मामले में दिन ठीक है. बीमारी में राहत मिल सकती है.

Aquarius

06 फरवरी 2020: करियर के लिए कुंभ राशि वाले लोगों के लिए दिन अच्छा कहा जा सकता है. ऑफिस में साथ वाले लोगों से मदद मिल सकती है. कुछ अच्छे और बड़े बदलाव होने की संभावना बन रही है. ऑफिस और बिजनेस में अनुभवी लोगों से सलाह मिल सकती है. धन लाभ हो सकता है.प्रॉपर्टी के मामलों में भी समय अच्छा कहा जा सकता है. महत्वपूर्ण लोगों से मुलाकात होने के योग हैं. लव लाइफ के लिए भी दिन अच्छा हो सकता है. सेहत का ध्यान रखें.

Pisces

06 फरवरी 2020: अचानक फायदा मिलने के योग हैं. पार्टनर भी आपकी मदद करेगा तो धन लाभ हो सकता है. पुराना कर्जा खत्म हो सकता है. फालतू खर्चों पर कंट्रोल हो सकता है. नए इनकम सोर्स मिलने के भी योग हैं. ऑफिस में नया काम या नई जिम्मेदारी मिल सकती है. आप कोई भी बातसावधानी से बोलें. सेहत को लेकर सावधान रहें. मौसमी बीमारियों से भी परेशानी हो सकती है.