युवा भारत एक खानदान की पांचवी पीढ़ी को नहीं चाहता: रामचन्द्र गुहा

इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने इसके साथ ही कहा कि राहुल गांधी के पास भारतीय राजनीति में ‘कठोर परिश्रमी और खुद मुकाम बनाने वाले’ नरेंद्र मोदी के सामने कोई मौका नहीं है.

नयी दिल्ली(ब्यूरो). 

इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने शुक्रवार को कहा कि केरल के लोगों ने ‘खानदान की पांचवी पीढ़ी’ के राहुल गांधी को संसद के लिए चुनकर विनाशकारी काम किया है. गुहा ने इसके साथ ही कहा कि कांग्रेस नेता के पास भारतीय राजनीति में ‘कठोर परिश्रमी और खुद मुकाम बनाने वाले’ नरेंद्र मोदी के सामने कोई मौका नहीं है. गुहा ने कहा कि कांग्रेस का स्वतंत्रता संग्राम के समय ‘महान पार्टी’ से आज ‘दयनीय पारिवारिक कंपनी’ बनने के पीछे एक वजह भारत में हिंदुत्व और अंधराष्ट्रीयता का बढ़ना है.

केरल साहित्य महोत्सव के दूसरे दिन ‘राष्ट्र भक्ति बनाम अंधराष्ट्रीयता’ विषय पर आयोजित सत्र में गुहा ने कहा, ‘मैं निजी तौर पर राहुल गांधी के खिलाफ नहीं हूं. वह सौम्य और सुसभ्य व्यक्ति हैं, लेकिन युवा भारत एक खानदान की पांचवी पीढ़ी को नहीं चाहता. अगर आप मलयाली 2024 में दोबारा राहुल गांधी को चुनने की गलती करेंगे तो शायद नरेंद्र मोदी को ही बढ़त देंगे.’ सत्र में मौजूद केरलावासियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा केरल ने भारत के लिए कई बेहतरीन काम किए हैं, लेकिन आपने संसद के लिए राहुल गांधी को चुनकर एक विनाशकारी कार्य किया है.

राहुल गांधी को 2019 के लोकसभा चुनाव में गांधी परिवार के गढ़ उत्तर प्रदेश के अमेठी में हार मिली थी जबकि केरल के वायनाड से उन्हें जीत मिली थी. उन्होंने कहा, ‘नरेंद्र मोदी की असली बढ़त यह है कि वह राहुल गांधी नहीं हैं. उन्होंने खुद यह मुकाम हासिल किया है. उन्होंने 15 साल तक राज्य को चलाया है और उनमें प्रशासनिक अनुभव है. वह उल्लेखनीय रूप से कठिन परिश्रम करते हैं और कभी यूरोप जाने के लिए छुट्टी नहीं लेते. मेरा विश्वास कीजिए, मैं यह सब गंभीरता से कह रहा हूं.’ उन्होंने कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी पर भी निशाना साधा और ‘मुगल वंश के आखिरी’ दौर से उनकी स्थिति की तुलना की

Nellai Kannan a veteran Congressman wants Shah and Modi killed by Muslims

Kannan, besides making derogatory remarks against the Prime Minister and the Home Minister while addressing a meeting held against the Citizenship Amendment Act at Muslim-dominated Melapalayam on Sunday (29 December) had incited the people to ‘murder the leaders’: A Dhayasankar

2nd January 2020:

Nellai Kannan, a veteran Congress leader known for his rabble rousing speeches, waded in to yet another controversy as a video of a speech delivered by him at a gathering of Muslims saying, “Why Muslims have not yet killed Prime Minister Narendra Modi and Home Minister Amit Shah,” went viral .

Kannan made these remarks while addressing an anti-Citizenship Amendment Act (CAA) rally organised by radical Islamist outfit Social Democratic Party of India (SDPI) in Tirunelveli. His remark was lustily cheered by the hundreds of Muslims who had gathered for the protest.

Kannan also went on to say “If his (Amit Shah’s) story is finished then the story of the PM would also be over. I was expecting something to happen, but no Muslim is doing it.”

Kannan has been associated with Congress party for several decades. He contested twice as Congress candidate in assembly polls but lost. In 1989, the Congress fielded him as a candidate from Tirunelveli constituency but he lost to veteran DMK leader A L Subramanian. Kannan was fielded again in 1996 as ADMK-Congress candidate in Chepauk seat in Chennai city against DMK chief M Karunanidhi but he suffered a crushing defeat. Kannan briefly supported and campaigned for ADMK in 2006 assembly election as he was denied a seat.

This incendiary remark made at the SDPI rally drew widespread condemnation. Tamil Nadu Bharatiya Janata Party General Secretary K S Narendran filed a complaint against  Nellai Kannan who attempted to incite violence with his indirect call to ‘murder Amit Shah’.

Professor Srinivasan, Official Spokesperson, State Secretary – Tamil Nadu BJP told Times Now, that strong action should be taken against Kannan. “Nellai Kannan who is seen as Congressperson in public perception instigates violence against our Honourable Home minister. People of Tamil Nadu are shocked. TN police should take strong action against Nellai Kannan,” he said in a tweet.

In the petition submitted to Tirunelveli Commissioner of Police Deepak M Damor, BJP’s district president A Dhayasankar said Kannan, besides making derogatory remarks against the Prime Minister and the Home Minister while addressing a meeting held against the Citizenship Amendment Act at Muslim-dominated Melapalayam on Sunday (29 December) had incited the people to ‘murder the leaders’.

कोलकाता उच्च न्यायालय ने TMC के CAA / NRC विरोधी विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगा दिया

नई दिल्ली: 

एनआरसी और सीएए का विरोध कर रहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कलकत्ता हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार के सीएए और एनआरसी लागू नहीं करने के विज्ञापनों पर रोक लगा दी है. बता दें ममता बनर्जी ने टीवी चैनलों नागरिकता कानून नहीं लागू करने का विज्ञापन दिया था.

बता दें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने सीएए और एनआरसी की मुखर विरोधी रही हैं. सोमवार (16 दिसंबर) को सीएए व एनआरसी के खिलाफ मध्य कोलकाता इलाके से चले एक लंबे जुलूस का नेतृत्व किया. जुलूस में हजारों लोगों ने भाग लिया.

ममता ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर की गतिविधि व नए नागरिकता कानून (सीएए) के राज्य में क्रियान्वयन को अनुमति नहीं देने को लेकर लोगों को संकल्प दिलाया.

संकल्प में कहा गया था, “हम सभी नागरिक हैं. हमारा आदर्श सभी धर्मो में सौहार्द है. हम किसी को बंगाल नहीं छोड़ने देंगे. हम शांति के साथ व चिंता मुक्त होकर रहेंगे. हम बंगाल में एनआरसी व सीएए को अनुमति नहीं देंगे. हमें शांति बनाए रखना है.”

इस मौके पर ममता ने कहा था, “एकजुट भारत के लिए बंगाल एकजुट खड़ा है. हम एनआरसी, सीएए नहीं चाहते, हम शांति चाहते हैं. यही हमारा नारा है. लोकतांत्रिक व शांतिपूर्ण आंदोलन से देशभर के लोगों द्वारा विरोध दर्ज कराने के लिए हम इसमें शामिल हैं.”

हिंसात्मक प्रदर्शनों से CAA का क्या बिगड़ेगा

पिछले तीन दिनों से नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हो रही हिंसा की तस्वीरें इस बात का प्रमाण हैं कि हमारे देश में कुछ लोग संविधान की रक्षा के नाम पर संविधान की ही धज्जियां उड़ा रहे हैं. प्रधान मंत्री कहते हैं कि बिना वजह खौफ का माहौल बनाया जा रहा है ताकि मुसलमानों को डराया जा सके, जबकि सच यह है कि हिंसक प्रदर्शन, आगजनी, मारकाट तोडफोड सिर्फ समुदाय विशेष इलाकों में हो रही है।यदि डरा हुआ समुदाय विशेष यह सब कर सकता है तो सोचो निडर होकर वह क्या करेगा?

चंडीगढ़::

एक बहुत मशहूर कहावत है, ‘हाथ कंगन को आरसी क्या?’. पिछले तीन दिनों से नागरिकता संशोधन कानून(CAA) के विरोध में हो रही हिंसा की तस्वीरें इस बात का प्रमाण हैं कि हमारे देश में कुछ लोग संविधान की रक्षा के नाम पर संविधान की ही धज्जियां उड़ा रहे हैं. लेकिन इन सारे प्रमाणों के बावजूद हमारे देश के कुछ लोग हैं जो इन तस्वीरों को सच मानने के लिए तैयार ही नहीं है. ऐसे ही लोगों की पैरवी करने वालों को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है.

शनिवार को जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में विरोध प्रदर्शनों के नाम पर हिंसा हुई थी. इस हिंसा के खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई की, कुछ प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया और कुछ के खिलाफ FIR दर्ज की गई. मंगलवार को पुलिस की इस कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. याचिकाकर्ताओं ने उपद्रवी छात्रों की गिरफ्तारी का विरोध किया और दलील दी कि छात्रों को गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों की गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों की तरफ से पेश हुए याचिका-कर्ताओं से ये भी पूछा कि अगर कोई कानून तोड़ता है तो पुलिस को क्या करना चाहिए? पुलिस को हिंसा करने वालों के खिलाफ FIR दर्ज करने से कैसे रोका जा सकता है?

जैसे ही इस मामले पर सुनवाई खत्म हुई, उसके थोड़ी देर बाद ही दिल्ली के जाफराबाद इलाके में हिंसा भड़क गई. हज़ारों की भीड़ ने प्रदर्शन के नाम पर पत्थरबाज़ी की और दिल्ली पुलिस पर हमला भी किया.

वहीं दूसरी तरफ देश के बुद्धिजीवी, अंग्रेज़ी बोलने वाले सेलिब्रिटिज़ और कई फिल्‍म स्‍टार छात्रों की हिंसा को अभिव्यक्ति की आज़ादी कह रहे हैं. दावा कर रहे हैं कि छात्र संविधान को बचाने के लिए ये सब कर रहे हैं…लेकिन आप ज़रा सोचिए कि क्या संविधान बचाने के नाम पर संविधान को तोड़ने की जो कोशिश हो रही है..उसे जायज़ कह सकते हैं?

बसों को तोड़ना..रेल की पटरियां उखाड़ना..यात्रियों को डराना और पुलिस पर हमला करना..क्या ये हरकतें संविधान बचाने के लिए की जा रही हैं?

इस वक्त हमारा देश एक दो-राहे पर खड़ा है. एक तरफ वो लोग हैं जो देश को हिंसा की आग में झोंक देना चाहते हैं और दूसरी तरफ वो लोग हैं जो देश को इस आग से बचाना चाहते हैं . फैसला आपको करना है कि आप किस तरफ खड़े होना चाहते हैं.

भारतीय राजनीति की विडंबना ये है कि यहां के नेता, सुप्रीम कोर्ट की बात भी सुनने को तैयार नहीं हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर, बिना वजह खौफ का माहौल बनाया जा रहा है ताकि मुसलमानों को डराया जा सके. सुप्रीम कोर्ट ने उपद्रवी छात्रों पर कार्रवाई को सही बताया है लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस और दूसरे विरोधी दलों के नेता इस मामले पर राष्ट्रपति से मिलने पहुंच गए. कांग्रेस समेत 13 राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की और उनसे नागरिकता कानून मामले में दखल देने की अपील की. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने तो यहां तक कहा कि केंद्र सरकार लोगों की आवाज़ दबा रही है.

यानी इन नेताओं को सुप्रीम कोर्ट के फैसलों से भी संतुष्टि नहीं मिलती है और ये लोग देश के राष्ट्रपति से लोकतंत्र बचाने की अपील करने लगते हैं..हो सकता है कि ये लोग राष्ट्रपति की बातों से भी असंतुष्ट होकर किसी दिन संयुक्त राष्ट्र चले जाएं.

छीन कर आज़ादी मांगने वालों पर हमारा विश्‍लेषण पढ़कर आप समझ गए होंगे कि कैसे हमारे देश में संविधान बचाने के नाम पर संविधान तोड़ने वालों को शाबाशी दी जाती है. हमें याद रखना रखना चाहिए कि लोकतंत्र में कोई भी चीज़ छीन कर नहीं ली जा सकती…यहां तक कि आज़ादी भी नहीं.

(ज़ी न्यूज़ कि इनपुट से)

क्या बंगाल में हो रहे हिंसक प्रदर्शनों को सीएम ममता बेनर्जी का समर्थन है ?

“लड़के हैं, गलती हो ही जाती है” यह वक्तव्य तो सभी को याद होगा ऐसे ही कई वक्तव्य भारत के सत्तासुख लोलुप नेताओं के मुंह से निकलते रहते हैं। कल ही बंगाल में प्रदर्शन के दौरान पुलिस पर फैंके गए बम से पुलिस उपायुक्त (मुख्यालय) अजीत सिंह यादव घायल हो गए जिस पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी ने कहा कि यह मामूली सी घटना है। वैसे भी ममता बेनर्जी की मानें तो पुलिस उपायुक्त यादव राज्य के अधीन आते हैं अत: केंद्र का उनसे कोई लेना देना नहीं

चौंकाने वाली बात यह है कि इस प्रदर्शन में खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी शामिल हो चुकी हैं. इस वजह से राज्यपाल जगदीप धनखड़ भी कह चुके हैं कि संवैधानिक पद पर होते हुए सीएम ममता बनर्जी का किसी विरोध प्रदर्शन में शामिल होना असंवैधानिक है. अत: यह विरोध प्रदर्शन राज्य प्रायोजित है, फिर वह चाहे रेलवे में कि जा रही तोडफोड है या फिर बम फेंकेने जैसी घटनाएँ सभी को मुख्य मंत्री ममता बेनर्जी का वरद हस्त प्राप्त है।

नयी दिल्ली(ब्यूरो)

 नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), 2019 के विरोध में मंगलवार को हो रहे प्रदर्शन को खदेड़ने गई पुलिस पर बम फेंका गया है. इस हमले में हावड़ा के पुलिस उपायुक्त (मुख्यालय) अजीत सिंह यादव घायल हो गए हैं. पश्चिम बंगाल में कई जगहों पर पिछले चार दिनों से विरोध प्रदर्शन का दौर चल रहा है. चौंकाने वाली बात यह है कि इस प्रदर्शन में खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी शामिल हो चुकी हैं. इस वजह से राज्यपाल जगदीप धनखड़ भी कह चुके हैं कि संवैधानिक पद पर होते हुए सीएम ममता बनर्जी का किसी विरोध प्रदर्शन में शामिल होना असंवैधानिक है.

बंगाल के कुछ हिस्सों में इंटरनेट सेवा बंद
पश्चिम बंगाल सरकार ने रविवार को राज्य के कुछ हिस्सों में नए नागरिक कानून (सीएए) को लेकर हो रहे हिंसक विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर इंटरनेट सेवा बंद कर दी है. इसकी घोषणा करते हुए राज्य सरकार ने बताया कि मालदा, मुर्शिदाबाद और हावड़ा जिले में इंटरनेट सेवा बंद की गई है.

वहीं सूत्रों ने बताया कि उत्तरी 24 परगना के बशीरहाट और बारासात सब-डिविजनों और दक्षिणी 24 परगना जिले के बारुइपुर और कनिंग सब डिविजन में भी इंटरनेट सेवा बंद की गई है. पुलिस का कहना है कि इन क्षेत्रों में हिंसा की छिटपुट घटना जारी है.

सीएम ने विरोध प्रदर्शनों को बताया ‘छिटपुट घटनाएं’

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सीएए 2019 के विरोध में प्रदेश में प्रदर्शन के दौरान हुई व्यापक हिंसा को छिटपुट घटनाएं बताया है. उन्होंने रेलवे परिसरों पर तोड़फोड़ तथा आग लगाने की घटनाओं के लिए केंद्र को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि वे क्षेत्र रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के अधिकार में आते हैं ना कि राज्य पुलिस के अधिकार में.

ममता बनर्जी ने इससे पहले सोमवार को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और सीएए के विरोध में कोलकाता के बीच से भारी विरोध रैली निकाली थी और लोगों को राज्य में एनआरसी की कोई गतिविधि नहीं लागू करने और नागरिकता कानून लागू नहीं होने देने की शपथ दिलाई थी. उन्होंने कहा, ‘हमारा नारा है ‘बंगाल में नो सीएबी, नो एनआरसी’.’

बंगाल के कुछ हिस्सों में इंटरनेट सेवा बंद

पश्चिम बंगाल सरकार ने रविवार को राज्य के कुछ हिस्सों में नए नागरिक कानून (सीएए) को लेकर हो रहे हिंसक विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर इंटरनेट सेवा बंद कर दी है. इसकी घोषणा करते हुए राज्य सरकार ने बताया कि मालदा, मुर्शिदाबाद और हावड़ा जिले में इंटरनेट सेवा बंद की गई है.

वहीं सूत्रों ने बताया कि उत्तरी 24 परगना के बशीरहाट और बारासात सब-डिविजनों और दक्षिणी 24 परगना जिले के बारुइपुर और कनिंग सब डिविजन में भी इंटरनेट सेवा बंद की गई है. पुलिस का कहना है कि इन क्षेत्रों में हिंसा की छिटपुट घटना जारी है.

दिल्ली के मुस्लिम बहुल इलाकों में हिंसक प्रदर्शनों से जीवन अस्तव्यस्त

  • सीलमपुर और जाफराबाद इलाके में नागरिकता कानून के विरोध में हिंसक प्रदर्शन, जमकर तोड़फोड़
  • प्रदर्शनकारियों ने जाफराबाद में तीन बसों पर किया हमला, पुलिस पर भी पथराव
  • स्थिति बिगड़ते देखकर पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे, आसपास के थानों से बुलाई पुलिस
  • वेलकम, जाफराबाद और मौजपुर-बाबरपुर, गोकुलपुर, शिवविहार और जौहरी एन्क्लेव मेट्रो के एंट्री और एक्जिट गेट भी बंद कर दिया गया:

दिल्ली के जाफराबाद इलाके में नागरिकता कानून के विरोध में प्रदर्शन हिंसक हो गया। प्रदर्शनकारियों ने जाफराबाद इलाके में 3 बसों पर पथराव किया और पुलिस की बाइक भी जला दी।

नई दिल्ली(ब्यूरो):

दिल्ली के जामिया के बाद अब सीलमपुर इलाके में नागरिकता कानून के विरोध में हिंसक प्रदर्शन हुआ। प्रदर्शनकारियों ने डीटीसी की तीन बसों में जमकर तोड़फोड़ की। प्रदर्शन के दौरान लोगों ने पुलिस पर जमकर पथराव किया। इसमें कुछ पुलिसकर्मी घायल भी हुए हैं। हालात पर काबू पाने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। प्रदर्शन के कारण सात मेट्रो स्टेशन के एंट्री और एग्जिट गेट बंद कर दिए गए। हालांकि शाम करीब पौने 5 बजे सीलमपुर मेट्रो स्टेशन को खोल दिया गया। इसके बाद शाम करीब 6 बजे सभी मेट्रो स्टेशनों के गेट खोल दिए गए।

दिल्ली पुलिस ने कहा, हालात काबू में

दिल्ली पुलिस के पीआरओ एमएस रंधावा ने बताया है कि सीलमपुर में हालात नियंत्रण में हैं। हम लगातार निगरानी रख रहे हैं। जिस जगह घटना घटी, उस इलाके की सीसीटीवी फुटेज भी खंगाली जा रही है। साथ-साथ विडियो रिकॉर्डिंग जारी है। हिंसा में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। उधर, सीलमपुर की घटना पर दिल्ली पुलिस के जॉइंट कमिश्नर आलोक कुमार ने कहा है कि कोई भी गोली नहीं चली है, पुलिस ने केवल आंसू गैस का इस्तेमाल किया है। हिंसा में कुछ पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। 2 बसों, 1 रैपिड ऐक्शन फोर्स की बस और कई बाइकों को नुकसान पहुंचा है।

सीलमपुर में क्या हुआ, समझें पूरी घटना

प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया। कम से कम दो मोहल्लों से धुएं का गुबार उठता दिखा। पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने यातायात पुलिसकर्मियों की दो बाइकों को जला दिया। साथ ही इलाके में एक पुलिस बूथ को भी नुकसान पहुंचाया गया। हिंसा के बाद से भारी संख्या में पुलिसकर्मियों को वहां तैनात किया गया। इस संबंध में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि सीलमपुर टी प्वाइंट पर लोग इकट्ठा हुए थे और दोपहर करीब 12 बजे विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ।

दर्शनकारी सीलमपुर से जाफराबाद की ओर बढ़ रहे थे। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक प्रदर्शन दोपहर 12 बजे के करीब शुरू हुए थे। प्रदर्शनकारियों ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और सरकार के विरोध में नारे लगाए। सीलमपुर चौक पर सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को आगे बढ़ने से रोकने की कोशिश की तब उनके बीच संघर्ष हुआ।

प्रदर्शन में शामिल मोहम्मद सादिक ने समाचार एजेंसी भाषा को बताया कि उनका यह विरोध जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में छात्रों पर पुलिस की कार्रवाई तथा देश में एनआरसी लागू करने के लिए तैयार की जा रही पृष्ठभूमि के खिलाफ है। कासिम नामक एक अन्य व्यक्ति ने कहा, ‘देश में एनआरसी लागू नहीं होना चाहिए। हमारा विरोध इसी बात को लेकर है। पृष्ठभूमि तैयार की जा रही है ताकि एनआरसी को देशभर में लागू किया जाए।’

बंद करने पड़े 7 मेट्रो स्टेशन

इससे पहले सीलमपुर में नागरिकता कानून पर हिंसक प्रदर्शन के कारण वेलकम, जाफराबाद, मौजपुर-बाबरपुर, सीलमपुर और गोकुलपुर, शिवविहार और जौहरी एन्क्लेव मेट्रो स्टेशन बंद कर दिए गए। सीलमपुर से प्रदर्शनकारियों का मार्च शुरू हुआ था जो जाफराबाद इलाके में पहुंचकर हिंसक हो गया। शाम करीब 6 बजे सभी मेट्रो स्टेशनों के गेट खोल दिए गए।

दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने जारी की अडवाइजरी

इससे पहले इलाके में प्रदर्शन के बाद दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने अडवाइजरी जारी की। सीलमपुर से जाफराबाद जानेवाली 66 फीट रोड पर आवागमन को पूरी तरह से बंद कर दिया गया। स्थिति बिगड़ती देखकर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए आंसू गैस के गोले भी दागे।

जामिया बवाल का विडियो, पुलिस कर रही पत्थरबाजी रोकने की अपील

बता दें कि रविवार को जामिया में भी नागरिकता कानून के विरोध में प्रदर्शन हिंसक हो गया था। इसके बाद पुलिस को भी बल प्रयोग करना पड़ा। दिल्ली पुलिस का आज एक विडियो भी जारी किया गया है जिसमें पुलिस पत्थरबाजी नहीं करने की अपील जामिया प्रदर्शन के दौरान कर रही है। जामिया में नागरिकता कानून के विरोध में हिंसक प्रदर्शन के दिन का एक नया विडियो सामने आया है। विडियो में दिल्ली पुलिस के जॉइंट सीपी प्रदर्शनकारियों से पत्थर नहीं चलाने के लिए लगातार अपील करते दिख रहे हैं।

अमित शाह की दो टूक: भारतीय जनता पार्टी की सरकार सभी शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देकर रहेगी

गृहमंत्री शाह ने स्पष्ट कहा, नागरिकता संशोधन एक्ट जरा भी वापस नहीं होगा, कोई संभावना नहीं.दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मैं छात्रों से कहना चाहता हूं कि साइट पर पूरा एक्ट पड़ा हुआ है जिसे वे पढ़ सकते हैं यदि इसमें कोई प्रावधान के अंदर किसी को अन्याय होने वाला दिखाई दे तो हमें बताएं.

नई दिल्ली: 

नागरिकता (संशोधन) कानून के खिलाफ हो रहे हिंसक विरोध के बावजूद गृहमंत्री अमित शाह ने दो टूक कह दिया है कि चाहे कितना भी राजनीतिक विरोध होता रहे, लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सरकार सभी शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देकर रहेगी.  

शाह ने कहा, ”शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी. वह भारत के नागरिक बनेंगे और सम्मान के साथ रहेंगे. मैं कहना चाहता हूं कि आपको जो राजनीतिक विरोध करना है वो करो, भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार इसके लिए दृढ़ संकल्पित है.”

गृहमंत्री ने स्पष्ट किया कि नागरिकता संशोधन बिल में कहीं पर भी किसी की नागरिकाता वापस लेने का प्रावधान है ही नहीं, इसमें नागरिकता देने का प्रावधान है. पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक प्रताड़ना का शिकार होकर यहां पर आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता मिलेगी.

मैं इसका विश्वास दिलाता हूं
शाह ने कहा, ”जो इस देश का नागरिक है, उसे डरने की जरूरत नहीं है, इस देश के नागरिक एक भी मुसलमान के साथ अन्याय नहीं होगा, मैं इसका विश्वास दिलाता हूं.” 

इसका विरोध न करें
अमित शाह ने कहा, ”मेरा सभी विरोध करने वालों को चैलेंज है कि आप देश की जनता के सामने कहिए कि आप पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश के जो मुसलमान भारत आना चाहते हैं उसे भारत को स्वीकार कर लेना चाहिए. अगर नहीं कह सकते तो इसका विरोध न करें.”

किसी छात्र पर कार्रवाई नहीं की गई
एक सवाल के जवाब में शाह ने कहा कि देश में 400 से ज्यादा विश्वविद्यालय है, उनमें से 5 में प्रोटेस्ट हो रहा है जिनमे जामिया मिलिया, JNU , लखनऊ  और AMU शामिल है. बाकी सब में अपप्रचार चल पड़ा कि बच्चों के खिलाफ कार्रवाई की गयी, किसी छात्र पर कार्रवाई नहीं की गई. उन्होंने यह भी बताया कि पूर्वोत्तर में धीरे धीरे शांति हो रही है, तीन दिन से वहां कोई हिंसा नहीं हुई है.

अयोध्या मामले में फैसला कल सुबह 10:30 बजे, सारे देश में सुरक्षा के कड़े इंतेज़ाम

अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट कल सुबह यानी 9 नवंबर को फैसला सुनाएगा. पांच जजों की पीठ यह फैसला सुनाएगी.
सूत्रों ने कहा कि न्यायाधीशों ने राज्य के अधिकारियों से पूछा कि कानून और व्यवस्था को बनाए रखने और इसे मजबूत करने के लिए क्या उन्हें किसी भी तरह की मदद की जरूरत है?

चंडीगढ़: 

अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट कल सुबह यानी 9 नवंबर को फैसला सुनाएगा. पांच जजों की पीठ यह फैसला सुनाएगी. अयोध्या मामले में सुनवाई पूरी हो चुकी है. इस मामले में 40 दिनों तक नियमित सुनवाई हुई है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ यह फैसला सुनाएगी. यह भारत का सबसे पुराना मामला है. अयोध्या मामले में पक्षकार और पंच निर्वाणी अणी अखाड़े के परमाध्यक्ष श्रीमहंत धर्मदास ने कहा, ‘माहौल कोई बिगाड़ ही नहीं सकता है, हम लोग अयोध्यावासी सब मिलकर राम मंदिर का निर्माण करेंगे. इस पर कोई विचार न करे कोर्ट क्या कह रहे हैं. लड़ना होगा तो हम ही लड़ेंगे. यहां पर जो हो, एक धार्मिक व्यवस्था को जो व्यापार नहीं मिल रहा है उसपर ध्यान ना दें.’

वहीं इस मामले में मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा, ‘हमारी अपील है, लोग शांति बनाए रखें. हम लोग साथ होंगे आज हम पूरी दुनिया को संदेश दे रहे हैं. हम भारत के वासी हैं, जो फैसला कोर्ट करेगा वह हम मानेंगे. हम हिन्दुस्तान को बड़ा देखना चाहते हैं. हमारे यहां कोई विवाद नहीं है, किसी के खिलाफ कोई मुकदमा नहीं, तमाम साधू और मुस्लिम साथ दिखाई पड़ते हैं. पूरी दुनिया देख रही है हम एक हैं. यहां जात नहीं पूछी जाती है, यहां इंसानियत देखी जाती है, ये हमारे घर भी आते हैं और हम भी जाते हैं हम शान्ति चाहते हैं. सब रख रखाव सरकार के हाथ में है.’

यहां आपको बता दें कि अयोध्या जमीन विवाद के फैसले से पहले एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के साथ अति गोपनीय बैठक की. ऐसा मना जा रहा है कि बैठक में प्रदेश में कानून-व्यवस्था का न्यायाधीश ने जायजा लिया. सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी, डीजीपी ओम प्रकाश सिंह और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई के साथ अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही पीठ के पांच न्यायाधीशों में से अन्य दो न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे और न्यायमूर्ति अशोक भूषण भी मौजूद रहे.

अयोध्या मामले पर फैसला कभी भी आ सकता है, इसलिए बैठक में राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पर केंद्रित चर्चा की गई. एक सूत्र ने कहा, ‘न्यायधीशों और राज्य अधिकारियों के बीच बैठक सुबह 11.30 बजे शुरू हुई और दोपहर 1 बजे खत्म हुई.’

सूत्रों ने कहा कि न्यायाधीशों ने राज्य के अधिकारियों से पूछा कि कानून और व्यवस्था को बनाए रखने और इसे मजबूत करने के लिए क्या उन्हें किसी भी तरह की मदद की जरूरत है?

अब देश में होंगे 28 राज्य और 9 केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर अब राज्य नहीं

इतिहास के पटल पर आज 31 अक्तूबर का दिन खास तौर पर दर्ज़ हो गया जब आज आधी रात से  जम्मू कश्मीर का राज्य के रूप में अस्तित्व समाप्त हो गया ।

यह पहला मौका है जब एक राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बदल दिया गया हो। आज आधी रात से फैसला लागू होते ही देश में राज्यों की संख्या 28 और केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या नौ हो गई है।

आज जी सी मुर्मू और आर के माथुर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के प्रथम उपराज्यपाल के तौर पर बृहस्पतिवार को शपथ लेंगे।

श्रीनगर और लेह में दो अलग-अलग शपथ ग्रहण समारोहों का आयोजन किया जाएगा। जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल दोनों को शपथ दिलाएंगी।

सरकार ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को दिए गए विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का फैसला किया था, जिसे संसद ने अपनी मंजूरी दी। इसे लेकर देश में खूब सियासी घमासान भी मचा। 

भाजपा ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में जम्मू-कश्मीर को दिया गया विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने की बात कही थी और मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के 90 दिनों के भीतर ही इस वादे को पूरा कर दिया। इस बारे में पांच अगस्त को फैसला किया गया।


सरदार पटेल की जयंती पर बना नया इतिहास 


सरदार पटेल को देश की 560 से अधिक रियासतों का भारत संघ में विलय का श्रेय है। इसीलिए उनके जन्मदिवस को ही इस जम्मू कश्मीर के विशेष अस्तित्व को समाप्त करने के लिए चुना गया।
देश में 31 अक्टूबर का दिन राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाएगा। आज पीएम मोदी गुजरात के केवडिया में और अमित शाह दिल्ली में अगल-अलग कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे। कश्मीर का राज्य के रूप में अस्तित्व समाप्त हो गया। इसके साथ ही दो केंद्रशासित प्रदेशों का दर्जा मध्यरात्रि से प्रभावी हो गया है। नए केंद्र शासित प्रदेश के रूप में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अस्तित्व में आए हैं।

 जम्मू और कश्मीर में आतंकियों की बौखलाहट एक बार फिर सामने आई है. आतंकियों ने कुलगाम में हमला किया है, जिसमें 5 मजदूरों की मौत हो गई है. जबकि एक घायल है. मारे गए सभी मजदूर कश्मीर से बाहर के हैं. जम्मू और कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद से घाटी में ये सबसे बड़ा आतंकी हमला है. आतंकियों की कायराना हरकत से साफ है कि वे कश्मीर पर मोदी सरकार के फैसले से बौखलाए हुए हैं और लगातार आम नागरिकों को निशाना बना रहे हैं.

जम्मू और कश्मीर पुलिस ने कहा कि सुरक्षा बलों ने इस इलाके की घेराबंदी कर ली है और बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चल रहा है. अतिरिक्त सुरक्षा बलों को बुलाया गया है. माना जा रहा है कि मारे गए मजदूर पश्चिम बंगाल के थे.

ये हमला ऐसे समय हुआ है जब यूरोपियन यूनियन के 28 सांसद कश्मीर के दौरे पर हैं. सांसदों के दौरे के कारण घाटी में सुरक्षा काफी कड़ी है. इसके बावजूद आतंकी बौखलाहट में किसी ना किसी वारदात को अंजाम दे रहे हैं. डेलिगेशन के दौरे के बीच ही श्रीनगर और दक्षिण कश्मीर के कुछ इलाकों में पत्थरबाजी की घटनाएं सामने आईं.

जम्मू एवं से अनुच्छेद-370 हटने के बाद यूरोपीय संघ के 27 सांसदों के कश्मीर दौरे को लेकर कांग्रेस सहित विपक्षी दलों द्वारा सवाल उठाने पर भारतीय जनता पार्टी ने जवाब दिया है. पार्टी का कहना है कि कश्मीर जाने पर अब किसी तरह की रोक नहीं है. देसी-विदेशी सभी पर्यटकों के लिए कश्मीर को खोल दिया गया है, और ऐसे में विदेशी सांसदों के दौरे को लेकर सवाल उठाने का कोई मतलब नहीं है.

भाजपा प्रवक्ता शहनवाज हुसैन ने कहा, ‘कश्मीर जाना है तो कांग्रेस वाले सुबह की फ्लाइट पकड़कर चले जाएं. गुलमर्ग जाएं, अनंतनाग जाएं, सैर करें, घूमें-टहलें. किसने उन्हें रोका है? अब तो आम पर्यटकों के लिए भी कश्मीर को खोल दिया गया है.’शहनवाज हुसैन ने कहा कि जब कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटा था, तब शांति-व्यवस्था के लिए एहतियातन कुछ कदम जरूर उठाए गए थे, मगर हालात सामान्य होते ही सब रोक हटा ली गई. उन्होंने कहा, ‘अब हमारे पास कुछ छिपाने को नहीं, सिर्फ दिखाने को है.’

भाजपा प्रवक्ता ने कहा, ‘जब कश्मीर में तनाव फैलने की आशंका थी, तब बाबा बर्फानी के दर्शन को भी तो रोक दिया गया था. यूरोपीय संघ के सांसद कश्मीर जाना चाहते थे. वे पीएम मोदी से मिले तो अनुमति दी गई. कश्मीर को जब आम पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है तो विदेशी सांसदों के जाने पर हायतौबा क्यों? विदेशी सांसदों के प्रतिनिधिमंडल के कश्मीर जाने से पाकिस्तान का ही दुष्प्रचार खत्म होगा.’

आठ दिन और छ्ह फैसले

सारिका तिवारी, चंडीगढ़ 31-अक्टूबर:

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई नवंबर की 17 तारीख को रिटाइर हो रहे हैं  उन्हें छह महत्त्वपूर्ण मामलों में फैसला सुनाना है। सुप्रीम कोर्ट में इस समय दिवाली की छुट्टियां चल रही हैं और छुट्टियों के बाद अब काम 4 नवंबर को शुरू होगा।

अयोध्या बाबरी मस्जिद मामला, राफल समीक्षा मामला , राहुल पर अवमानना मामला, साबरिमाला , मुख्य न्यायाधीश पर यौन उत्पीड़न का मामला और आर टी आई अधिनियम पर फैसले आने हैं।

अयोध्या-बाबरी मस्जिद का मामला इन सभी मामलों में सर्वाधिक चर्चित है अयोध्या-बाबरी मस्जिद का मामला। पांच जजों की संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई पूरी कर चुकी है और 16 अक्टूबर को अदालत ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा। इस पीठ की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ही कर रहे हैं। इस विवाद में अयोध्या, उत्तर प्रदेश में स्थित 2 .77 एकड़ विवादित जमीन पर किसका हक़ है, इस बात का फैसला होना है। हिन्दू पक्ष ने कोर्ट में कहा कि यह भूमि भगवान राम के जन्मभूमि के आधार पर न्यायिक व्यक्ति है। वहीं मुस्लिम पक्ष का कहना था कि मात्र यह विश्वास की यह भगवान राम की जन्मभूमि है, इसे न्यायिक व्यक्ति नहीं बनाता। दोनों ही पक्षों ने इतिहासकारों, ब्रिटिश शासन के दौरान बने भूमि दस्तावेजों, गैज़ेट आदि के आधार पर अपने अपने दावे पेश किये है। इस सवाल पर कि क्या मस्जिद मंदिर की भूमि पर बनाई गई? आर्किओलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट भी पेश की गई।

 रफाल समीक्षा फैसला मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में एसके कौल और केएम जोसफ की पीठ के 10 मई को रफाल मामले में 14 दिसंबर को दिए गए फैसले के खिलाफ दायर की गई समीक्षा रिपोर्ट पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। यह मामला 36 रफाल लड़ाकू विमानों के सौदे में रिश्वत के आरोप से संबंधित है। इस समीक्षा याचिका में याचिकाकर्ता एडवोकेट प्रशांत भूषण और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने मीडिया में लीक हुए दस्तावेजों के आधार पर कोर्ट में तर्क दिया कि सरकार ने फ्रेंच कंपनी (Dassault) से 36 फाइटर जेट खरीदने के सन्दर्भ में महत्वपूर्ण सूचनाओं को छुपाया है। कोर्ट ने इस मामले में उन अधिकारियों के विरुद्ध झूठे साक्ष्य देने के सन्दर्भ में कार्रवाई भी शुरू की जिन पर यह आरोप था कि उन्होंने मुख्य न्यायाधीश को गुमराह किया है। 10 अप्रैल को अदालत ने इस मामले में द हिन्दू आदि अखबारों में लीक हुए दस्तावेजों की जांच करने के केंद्र की प्रारंभिक आपत्तियों को दरकिनार कर दिया था। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने दलील दी थी कि ये दस्तावेज सरकारी गोपनीयता क़ानून का उल्लंघन करके प्राप्त किए गए थे, लेकिन पीठ ने इस प्रारंभिक आपत्तियों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि साक्ष्य प्राप्त करने में अगर कोई गैरकानूनी काम हुआ है तो यह इस याचिका की स्वीकार्यता को प्रभावित नहीं करता।

राहुल गांधी के “चौकीदार चोर है” बयान पर दायर अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा रफाल सौदे की जांच के लिए गठित मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने राहुल गांधी के खिलाफ मीनाक्षी लेखी की अवमानना याचिका पर भी फैसला सुरक्षित रखा। राहुल गांधी ने रफाल सौदे को लक्ष्य करते हुए यह बयान दिया था कि “चौकीदार चोर है।” कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी इस टिपण्णी के लिए माफी मांग ली थी।

सबरीमाला समीक्षा फैसला सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने सबरीमाला मामले में याचिकाकर्ताओं को एक पूरे दिन की सुनवाई देने के बाद समीक्षा याचिका पर निर्णय को फरवरी 6 को सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गोगोई की अध्यक्षता में न्यायमूर्ति खानविलकर, न्यायमूर्ति नरीमन, न्यायमूर्ति चंद्रचूड और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की संविधान पीठ ने इस मामले में याचिकाकर्ताओं की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले में ट्रावनकोर देवस्वोम बोर्ड, पन्दलम राज परिवार और कुछ श्रद्धालुओं ने 28 दिसंबर 2018 को याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में सभी उम्र की महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश की इजाजत दे दी थी। याचिकाकर्ताओं ने इस मामले में अपनी दलील में यह भी कहा था कि संवैधानिक नैतिकता एक व्यक्तिपरक टेस्ट है और आस्था के मामले में इसको लागू नहीं किया जा सकता। धार्मिक आस्था को तर्क की कसौटी पर नहीं कसा जा सकता। पूजा का अधिकार देवता की प्रकृति और मंदिर की परंपरा के अनुरूप होना चाहिए। यह भी दलील दी गई थी कि फैसले में संविधान के अनुच्छेद 17 के तहत ‘अस्पृश्यता’ की परिकल्पना को सबरीमाला मंदिर के सन्दर्भ में गलती से लाया गया है और इस क्रम में इसके ऐतिहासिक सन्दर्भ को नजरअंदाज किया गया है।

मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय आरटीआई के अधीन सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने 4 अप्रैल को सीजेआई कार्यालय के आरटीआई अधिनियम के अधीन होने को लेकर दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल ने दिल्ली हाईकोर्ट के जनवरी 2010 के फैसले के खिलाफ चुनौती दी थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि सीजेआई का कार्यालय आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 2(h) के तहत ‘सार्वजनिक प्राधिकरण’है। वित्त अधिनियम 2017 की वैधता पर निर्णय ट्रिब्यूनलों के अधिकार क्षेत्र और स्ट्रक्चर पर डालेगा प्रभाव राजस्व बार एसोसिएशन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 10 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रखा। इस याचिका में वित्त अधिनियम 2017 के उन प्रावधानों को चुनौती दी गई है, जिनकी वजह से विभिन्न न्यायिक अधिकरणों जैसे राष्ट्रीय हरित अधिकरण, आयकर अपीली अधिकरण, राष्ट्रीय कंपनी क़ानून अपीली अधिकरण के अधिकार और उनकी संरचना प्रभावित हो रही है। याचिकाकर्ता की दलील थी कि वित्त अधिनियम जिसे मनी बिल के रूप में पास किया जाता है, अधिकरणों की संरचना को बदल नहीं सकता।

यौन उत्पीडन मामले में सीजेआई के खिलाफ साजिश मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के खिलाफ यौन उत्पीडन के आरोपों की साजिश की जांच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज न्यायमूर्ति एके पटनायक ने की और जांच में क्या सामने आता है, इसका इंतज़ार किया जा रहा है। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, आरएफ नरीमन और दीपक गुप्ता की पीठ ने न्यायमूर्ति पटनायक को एडवोकेट उत्सव बैंस के दावों के आधार पर इस मामले की जांच का भार सौंपा था। उत्सव बैंस ने कहा था कि उनको किसी फ़िक्सर, कॉर्पोरेट लॉबिस्ट, असंतुष्ट कर्मचारियों ने सीजेआई के खिलाफ आरोप लगाने के लिए एप्रोच किया था। ऐसा समझा जाता है कि न्यायमूर्ति पटनायक ने इस जांच से संबंधित अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी है।