पहले 15 करोड़ अब ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ AIMIM हर कदम बे-नकाब होती हुई

राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा कहाँ हैं? वास्तविक रूप में इनके हाथ में संविधान है, दिल में वारिस पठान है, आज ये स्पष्ट हो गया है, क्योंकि इनमें से एक भी व्यक्ति निकलकर कोई वारिस पठान पर सफाई नहीं मांग रहा है. संबित पात्रा ने कहा, “जब मंच के पीछे पाकिस्तान को ऑक्सीजन देने की बात होती है, और मंच के आगे संविधान और तिरंगा पकड़ने का नाटक किया जाता है, तो कभी-कभी हकीकत मुंह से निकल जाती है.”

चंडीगढ़ :

 नागरिकता संशोधन के खिलाफ लड़ाई ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ तक पहुंच गई है. जो लड़ाई जिन्ना वाली आजादी से शुरू हुई थी वो चिकन नेक काटने से होते हुए छीन कर लेंगे आजादी के बाद अब पाकिस्तान जिंदाबाद तक पहुंच गई है. मंच भी वही था जहां से 15 करोड़ वाली धमकी दी गई थी, जहां से हिंदुओं को हिलाने की धमकी दी गई थी. जहां से 15 करोड़ को 100 करोड़ वाला दंगा प्लान बताया गया था उसी मंच के पाकिस्तान जिंदाबाद का वायरस मुल्क में फैलाने की कोशिश की गई. सवाल ये है कि ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ वाला वायरस हिदुस्तान में कब तक बर्दाश्त करेगा. 

हालांकि, ओवैसी ने तुरंत मंच पर ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ कहने वाली लड़की को रोका लेकिन सवाल अभी भी वहीं बना हुआ है. देशद्रोह के लिए जिस मंच से उकसाया और भड़काया जाएगा, उस मंच से ऐसी ही चीजें निकलकर आना स्वाभाविक है. बीजेपी ने आरोप लगाया है कि मंच के पीछे पाकिस्तान को ऑक्सीजन दी जाती है, इसलिए तिरंगे और देशभक्ति वाली एक्टिंग ज्यादा समय तक नहीं चल पाई और सच्चाई सामने आ गई. 

बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “कहां हैं राहुल गांधी? कहां हैं प्रियंका जी? वास्तविक रूप में इनके हाथ में संविधान है, दिल में वारिस पठान है, आज ये स्पष्ट हो गया है, क्योंकि इनमें से एक भी व्यक्ति निकलकर कोई वारिस पठान पर सफाई नहीं मांग रहा है. पात्रा ने कहा, “जब मंच के पीछे पाकिस्तान को ऑक्सीजन देने की बात होती है, और मंच के आगे संविधान और तिरंगा पकड़ने का नाटक किया जाता है, तो कभी-कभी हकीकत मुंह से निकल जाती है.” 

उधर, कांग्रेस नेता हुसैन दलवई का कहना है कि जिन्ना इस तरह से ही बातें करते थे और उनको इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि इस देश में जिन्ना अभी पैदा नहीं होगा. ना जिन्ना को हिंदू मानेगा ना मुसलमान मानेगा. केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “जो लोग देशद्रोही नारे लगा रहे हैं, क्योंकि उनको कुछ राजनीतिक पार्टियों का समर्थन मिल रहा है.” शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत का कहना है कि आपके मंच पर ऐसी व्यक्ति आती है और नारे देती है उसका मतलब आपने इस देश में ज़हर घोल दिया है.

भाजपा ने 3 प्रदेश प्रमुखों को बदला

बीजेपी की तरफ से जारी बयान के अनुसार, मध्य प्रदेश बीजेपी के नए अध्यक्ष खजुराहो के सांसद विष्णु दत्त शर्मा को बनाया गया है, जबकि केरल बीजेपी का अध्यक्ष के. सुरेन्द्रन को बनाया गया है. वहीं सिक्किम में दल बहादुर चौहान को फिर से प्रदेश बीजेपी का नया अध्यक्ष बनाया गया है.

नई दिल्ली: बीजेपी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के पदभार ग्रहण करने के साथ ही तेजी से राज्यों में भी प्रदेश अध्यक्षों के चयन का काम शुरू हो गया है. इसी कड़ी में नड्डा ने शनिवार को तीन प्रदेशों में अध्यक्षों की नियुक्ति कर दी.

बीजेपी की तरफ से जारी बयान के अनुसार, मध्य प्रदेश बीजेपी के नए अध्यक्ष खजुराहो के सांसद विष्णु दत्त शर्मा को बनाया गया है, जबकि केरल बीजेपी का अध्यक्ष के. सुरेन्द्रन को बनाया गया है. वहीं सिक्किम में दल बहादुर चौहान को फिर से प्रदेश बीजेपी का नया अध्यक्ष बनाया गया है.

सबसे चौंकाने वाला फैसला मध्यप्रदेश को लेकर किया गया है, जहां राकेश सिंह की जगह पर खजुराहो के सांसद विष्णुदत्त शर्मा को बीजेपी अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. शर्मा मूलत: मध्यप्रदेश के मुरैना जिले के निवासी हैं. उन्हें वी.डी. शर्मा के नाम से भी जाना जाता है. वह 32 वर्षों से लगातार सक्रिय राजनीति में है.

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से राजनीति शुरू करने के बाद विष्णुदत्त शर्मा को संगठन में अनेक पद मिले. मौजूदा समय में वह पार्टी के प्रदेश महामंत्री हैं. प्रदेश की राजनीति में उन्हें बड़ा चेहरा माना जाता है. संघ से भी उनका जुड़ाव रहा है.

विष्णुदत्त शर्मा के बारे में बताया जाता है कि वह संघ और बीजेपी संगठन से जुड़े जमीनी नेता हैं. विष्णुदत्त शर्मा 1987 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में शामिल हुए. 1995 से उन्होंने पूर्ण रूप से राजनीति में कदम रखा. इससे पहले 1993 से 1994 तक वह मध्यप्रदेश में सचिव रहे.

विष्णुदत्त शर्मा 2001 से 2007 तक मध्यप्रदेश एबीवीपी राज्य संगठन सचिव रहे. इस दौरान विष्णुदत्त शर्मा एबीवीपी के राष्ट्रीय सचिव भी रहे. वह 2007 से 2017 तक मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के क्षेत्रीय संगठन सचिव रहे. 2007 से 2009 तक विष्णुदत्त शर्मा एबीवीपी के राष्ट्रीय महासचिव भी रहे.

दल बहादुर

सिक्किम में एक बार फिर दल बहादुर चौहान को बीजेपी अध्यक्ष बनाया गया है. दल बहादुर को सिक्किम बीजेपी में सबसे बड़ा नाम माना जाता है. वहीं केंद्र में मुरलीधरन के मंत्री बनने के बाद बीजेपी केरल में एक ऐसे नेता की तलाश में थी, जिनकी राज्य में पहचान हो. के. सुरेन्द्रन संघ से जुड़े रहे हैं और उनकी पहचान एक फायरब्रांड नेता की रही है.

अरबी भाषा को पढ़ाना और धार्मिक पुस्तकें बांटना सरकार का काम नहीं है: हिमंत बिस्व सरमा

एक ओर जहां केजरिवाल, ममता बनर्जी, जगन रेड्डी, केरल सरकार और तो और ठाकरे मुस्लिम तुष्टीकरण से, मौलवियों इत्यादियों को मोटी तनख़्वाहें बाँट – बाँट कर, मदरसों को मुफ्त किताबें कापियाँ दे कर अपनी सरकरें बना/बचा रहे हैं और स्वयं को सेकुलर कह रहे हैं वहीं असम के शिक्षा मंत्री हेमंत बीस्व सरमा ने सही मायने में धर्मनिरपेक्षता की मिसाल दी है। उन्होने सरकारी सहायता से चलने वाले मदरसों और संस्कृत विद्यालयों को बंद कर वहाँ नियमित विद्यालयों को आरंभ करने की बात कही है।

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

असम के शिक्षा मंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने एक बड़ा फैसला लेते हुए राज्य के सरकारी सहायता से चलने वाले सभी मदरसों को बंद करने का फैसला लिया है। असम सरकार ने साफ तौर पर कहा है कि उसने ऐसा धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देने के लिए किया है। इसी के साथ असम सरकार के शिक्षा मंत्री ने कहा है कि राज्य में अरबी भाषा पढ़ाना और धार्मिक पुस्तकें बांटना सरकार का काम नहीं है।

असम के शिक्षा मंत्री सरमा ने इसपर कहा,

“हम राज्य के सभी सरकारी मदरसों को बंद कर रहे हैं, क्योंकि हमें लगता है कि अरबी भाषा को पढ़ाना और धार्मिक पुस्तकें बांटना सरकार का काम नहीं है। अगर किसी को ऐसा करना है तो वह अपने पैसे से कर सकता है, इसके लिए सरकार कोई फंड जारी नहीं करेगी”।

सरकार ने मदरसों के साथ-साथ सरकारी पैसे पर चलने वाले कुछ संस्कृत स्कूलों को भी बंद कर दिया है और इन सब को नियमित स्कूलों में बदल दिया जाएगा।

हिमंत बिस्व सरमा ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा “राज्य में अभी 1200 मदरसा और लगभग 200 ऐसे संस्कृत स्कूल हैं जो बिना किसी बोर्ड के चल रहे हैं। समस्या यह है कि इन मदरसों में पढ़ने वालों छात्रों को भी अन्य नियमित स्कूलों के छात्रों की तरह ही समान डिग्री दी जाती है। इसीलिए अब सरकार ने इन सब मदरसों और संस्कृत स्कूलों को नियमित करने का फैसला लिया है”।

यह फैसला न सिर्फ राज्य सरकार के हित में है बल्कि इससे छात्रों का भविष्य भी सुरक्षित हो सकेगा, क्योंकि एक स्वतंत्र बोर्ड के तहत आने के कारण अब छात्रों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा मिल सकेगी और साथ ही ऐसे स्कूलों की जवाबदेही भी तय हो सकेगी। इसके अलावा राज्य सरकार ने ऐसा करके अपने यहां धर्मनिरपेक्षता को भी बढ़ावा दिया है। सालों तक देश में सेक्यूलरिज़्म के नाम पर मुस्लिमों का तुष्टीकरण करने की राजनीति की जाती रही है जिसे अब राज्य की भाजपा सरकार ने नकार दिया है।

सरकार एक सेक्युलर बॉडी होती है, जिसके लिए सभी धर्म एक समान होते हैं। ऐसे में सरकार किसी एक धर्म के प्रचार के लिए पैसे नहीं खर्च कर सकती। इसीलिए सरकार ने अपने पैसों पर चलने वाले मदरसों को लेकर यह फैसला लिया है। जिसे अपने धर्म का प्रचार अपने पैसे से करना है, उसका स्वागत है लेकिन सरकार की ओर से उन्हें एक भी रुपया नहीं दिया जाएगा।

सरकार का यह फैसला स्वागत योग्य है और असम सरकार ने देश की उन सरकारों के लिए एक उदाहरण पेश किया है जो सिर्फ अपनी राजनीति को चमकाने के लिए मुस्लिमों का तुष्टीकरण करती हैं। असम सरकार ने सही मायनों में एक सेक्युलर सरकार होने का प्रमाण दिया है।

क्या बंगाल बिहार में भी होगा शाहीन बाग वाला प्रयोग?

चुनाव परिणाम आते ही दिल्ली में शाहीन बाग की राजनीति का पटाक्षेप हो गया। धरना उठा लिया गया। शाहीन बाग भाजपा के विपक्षी दलों द्वारा प्रायोजित था। अब चूंकि यह प्रयोग सफल रहा विपक्षी दल इसे अपने अपने क्षेत्र में चुनावों के दौरान आजमाएंगे। और ध्रुवीकरण में सफल भी होंगे। अब भाजपा को इस नए अस्त्र की काट तालाशनी होगी, जो फिलवक्त भाजपा के चाणक्यों के पास नहीं है। अब इसी अस्त्र का किस प्रकार और कहाँ प्रयोग होगा यह तो समय ही बताएगा परंतु यह तय है की इसका प्रयोग होगा ज़रूर।

इस समय राष्ट्रीय राजनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोई विकल्प नहीं है और उनके खिलाफ मुकाबले के लिए विपक्ष के पास कोई बड़ा चेहरा भी नहीं है. विपक्ष में एक तरफ शरद पवार, ममता बनर्जी, एम के स्टालिन और चंद्रबाबू नायडू जैसे नेता हैं तो दूसरी ओर राहुल गांधी और सोनिया गांधी जिनका महत्व लगातार कम हो रहा है. ऐसी स्थिति में अरविंद केजरीवाल विपक्ष के पोस्टर ब्वॉय बनने का दावा कर सकते हैं. अरविंद केजरीवाल ये कह सकते हैं कि देश की राजनीति में मोदी का विजय रथ रोकने की क्षमता उन्हीं में है. उन्होंने दिल्ली की लड़ाई में मोदी को लगातार दो बार हराया है.

Ravirendra-Vashisht
राजविरेन्द्र वशिष्ठ, संपादक
demoraticfront.com

देश में फिर से ‘मोदी बनाम ऑल’ की जंग शुरू हो गई है. विपक्ष आम आदमी पार्टी (AAP) की जीत में अपनी जीत देख रहा है. विपक्ष को मोदी का विकल्प केजरीवाल में दिख रहा है. दिल्ली में AAP की जीत पर शिवसेना बीजेपी पर निशाना साधा है. सामना में लिखा है कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह की हवाबाज नीति नाकाम हो गई. दिल्ली-मुंबई में AAP-शिवसेना का सीएम होना बीजेपी के लिए कलेजा चीरने वाला है. वहीं कांग्रेस के नेता कुछ इस अंदाज में बधाई दे रहे है जैसे कि आम आदमी पार्टी नहीं कांग्रेस जीती हो. मोदी के खिलाफ विपक्ष  ‘हसीन सपने’ देख रहा है. 

एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा, “दिल्ली में पूरा देश बसा है. अब उनको परिवर्तन के लिए एक नया कोई रास्ता चाहिए ये बात देश के सामने उन्होंने दिखाया है. ये जो नतीजे हैं इससे देश में आगे जब चुनाव आएगा, तब क्या होगा इसकी एक झलक इससे साफ हो रही है.” नेता कांग्रेस पीएल पुनिया ने कहा, “बीजेपी और उनकी राजनीति को हराया जा सकता है. अच्छी तरह से ये एक संकेत है.” 

इस समय राष्ट्रीय राजनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोई विकल्प नहीं है और उनके खिलाफ मुकाबले के लिए विपक्ष के पास कोई बड़ा चेहरा भी नहीं है. विपक्ष में एक तरफ शरद पवार, ममता बनर्जी, एम के स्टालिन और चंद्रबाबू नायडू जैसे नेता हैं तो दूसरी ओर राहुल गांधी और सोनिया गांधी जिनका महत्व लगातार कम हो रहा है. ऐसी स्थिति में अरविंद केजरीवाल विपक्ष के पोस्टर ब्वॉय बनने का दावा कर सकते हैं. अरविंद केजरीवाल ये कह सकते हैं कि देश की राजनीति में बीजेपी का विजय रथ रोकने की क्षमता उन्हीं में है. उन्होंने दिल्ली की लड़ाई में बीजेपी को दो बार हराया है. आने वाले समय में हो सकता है कि अरविंद केजरीवाल खुद को एक राष्ट्रीय नेता और आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी बताकर दूसरे राज्यों में भी प्रचार करें. अरविंद केजरीवाल जानते हैं कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विकल्प बनना है तो उन्हें राष्ट्रवाद और हिंदुत्व अपनाना ही होगा. 

अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के चुनाव में सॉफ्ट हिंदुत्व का भी सहारा लिया. चुनाव-प्रचार के दौरान उन्होंने हनुमान चालीसा का पाठ किया था तो आज जीत के बाद उन्होंने मंदिर जाकर हनुमान जी के दर्शन किए. इसके जरिए उन्होंने ये जताने की कोशिश की है कि वो सॉफ्ट हिंदुत्व का एक मजबूत चेहरा भी बन सकते हैं. यानी अरविंद केजरीवाल अपनी ऐसी छवि बनाने की कोशिश में हैं जिसमें विकास, राष्ट्रवाद और सॉफ्ट हिंदुत्व तीनों हो.

आआपा की जीत के साथ भाजपा ने खोया एक और राज्य

हार हार होती है, हार को स्वीकार करना आपकी मजबूरी है आपकी रणनीति का आपकी क्षमताओं की विफलता का लौह स्तंभ है उसे आप कैसे भी शब्दों का मुल्ल्म्मा चढ़ा लें दिल्ली से भाजपा आने वाले 5 सालों के लिए बाहर है। जिस मक़ाम के लिए भाजपा पिछले 22 सालों से प्रयासरत है उसे आम आदमी पार्टी लगातार तीसरी बार जीती, अरविंद केरिवल तीसरी बार लगातार मुख्यमन्त्री बने लगातार तीसरी बार आम आदमी पार्टी की रणनीति वही थी देश के बांटने वालों का, टुकड़े – टुकड़े गैंग का रक्षण और शाहीन बाग का प्रायोजित कार्यक्रम। जिसे दिल्ली का उप मुख्यमंत्री खुद कहता है की वह शाहीन बाग में बैठे लोगों का समर्थन करता है।

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की जीत के कारणों का विश्लेषण हो रहा है मीडिया का 1 वर्ग दावा कर रहा है कि केजरीवाल को उसके कामों की कारण सफलता मिली है लेकिन सच्चाई यह है कि केजरीवाल की सांप्रदायिक राजनीति की जीत है। ऐसा कहने के पीछे कुछ ठोस कारण भी हैं। दरअसल पिछले 5 साल में केजरीवाल ने जो राजनीति की उसमें हिंदुओं को मुफ्त बिजली और मुफ्त पानी मिला लेकिन दूसरी तरफ मुसलमानों को वह मिला जो वह चाहते रहे यही कारण है कि एक बार इस बार मुस्लिम इलाकों में आम आदमी पार्टी को लगभग 100 फ़ीसदी वोट मिले हैं। यह तो साफ था के बीजेपी को मुस्लिम वोट नहीं मिलने वाले लेकिन उन्होंने कांग्रेस को भी झटका दे दिया और लगभग सारे वोट आम आदमी पार्टी के खाते में गए इसका कारण समझने के लिए पिछले 5 साल के केजरीवाल के कामों पर नजर डालनी होगी।

मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति

अरविंद केजरीवाल की यह नीति पहली बार तब खुलकर सामने आई थी जब मार्च 2016 में दिल्ली के विकासपुरी इलाके में डेंटिस्ट डॉक्टर पंकज नारंग कि उनके घर में घुसकर परिवार के सामने हत्या कर दी गई हत्या रे पड़ोस की झुग्गी बस्ती में रहने वाले बंगलादेशी मुसलमान थे। लिहाजा अरविंद केजरीवाल ने उनके परिवार से मिलना तो दूर इस हत्याकांड के विरोध में एक औपचारिक बयान देना तक जरूरी नहीं समझा ऐसा करके उसने दिल्ली में जगह-जगह पहले बंगलादेशी मुसलमानों और उनकी सरपरस्ती कर रहे कट्टरपंथियों को एक संदेश दे दिया इसके बाद ऐसे मुद्दों पर उनका यह रवैया लगभग हर समय बना रहा केजरीवाल ने मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए जो दूसरा सबसे बड़ा दांव खेला था मस्जिद को उठाना हर महीने की सैलरी इमाम ही नहीं मस्जिद के अन्य कर्मचारी के वेतन का भी ऐलान किया गया। इसके अलावा नोटबंदी और सर्जिकल स्ट्राइक पर भी केजरीवाल कहीं ना कहीं मुस्लिम समुदाय और पाकिस्तान परस्ती वाला रहा दूसरी और हिंदू समुदाय इसी बात से खुश होता रहा क बिजली का बिल आधा हो गया और पानी मुफ्त।

हिंदू मुफ्त खोरी के चक्कर में भ्रमित रहा

केजरीवाल ने वोटिंग से ठीक पहले हनुमान मंदिर जाकर दर्शन किए उसे पता था कि हिंदुओं को भ्रमित करने के लिए उसका यह दाव काफी था इतने भर से कई लोगों को यकीन हो गया कि वह हिंदू विरोधी एजेंडे पर काम नहीं करेगा और इसीलिए शाहीन बाग और बाकी गलत काम भुला दिया गए। इसके अलावा केजरीवाल ने दिल्ली में अपना इकोसिस्टम बनाने में भी जोरदार कामयाबी हासिल की जानते हैं। ऐसे कुछ और कारण:

  • केजरीवाल ने दिल्ली में सबसे कम समय में अपना इकोसिस्टम बनाया
  • अपने लोगों को हर जगह बिठाया
  • सरकारी सिस्टम से लेकर मीडिया तक में हर चैनल और अखबार में
  • एलपी कवर करने वाले उनका कार्य करता ही है।
  • एलपी कवर करने वाले रिपोर्टरों को मालामाल किया गाड़ी फ्लाइट सब कुछ दिया
  • एपीके लोग दिल्ली में कॉलेजों स्कूलों अस्पतालों में की कमेटी में बिठाए गए
  • फुल पेज विज्ञापनों से पूरे 5 साल मीडिया का मुँह बंद किया।
  • इसमें वह भी शामिल हैं जिन्हें हम राष्ट्रवादी चैनल या अखबार समझते हैं।
  • जिन रिपोर्टरों ने एपी के खिलाफ कुछ किया उन्हें नौकरी से निकलवा या
  • गंदे पानी का मामला सामने आया तो चैनलों ने केजरीवाल को क्लीन चिट भी
  • एलजी और केंद्र के झगड़ों में भी केजरीवाल को पीड़ित के तौर पर दिखाया गया
  • विपक्षी होने के बावजूद मीडिया ने बीजेपी के खिलाफ दुष्प्रचार किया।
  • कल चल एकेडमी और इवेंट के नाम पर कलाकारों की ब्रिगेड तैयार की गई
  • ट्रैफिक और डीटीसी मार्शल जैसे काम देकर कार्यकर्ताओं को उपकृत किया गया
  • जनता को मुफ्त बिजली पानी और इलाज के नाम पर खरीद लिया गया।
  • व्यापारियों से 200000 का चंदा लेकर टैक्स चोरी की खुली छूट प्रदान की गई
  • आरडब्ल्यूए के पदाधिकारियों को भी अलग-अलग तरीके से उपकृत किया गया।

चीनी नागरिकों को मिलने वाली ई-वीज़ा सुविधा निरस्त: एमईए

भारतीय विदेश मंत्रालय ने कोराना वायरस से प्रभावित चीन के शहर वुहान से भारतीयों को सुरक्षित निकालने के अभियान में चीन सरकार की तरफ से मिले सहयोग के लिए उसकी तारीफ की है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने जानकारी दी कि भारत ने दो उडा़नों के जरिये चीन से 640 भारतीयों और मालदीव के 7 नागरिकों को सुरक्षित निकाला है. एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि अगर कुछ ऐसी स्थितियां बनती हैं तो भारत सरकार चीन में फंसे पाकिस्तानी छात्रों की भी मदद पर विचार कर सकती है.

नई दिल्ली: 

कोरोना वायरस (Coronavirus) के प्रकोप की वजह से भारत ने चीन के नागरिकों को दी जाने वाली ई-वीजा की सुविधा निरस्त कर दी है. साथ ही मौजूदा ई-वीजा भी अमान्य कर दिए गए हैं. इसके अलावा वुहान में फंसे पाकिस्तानी लोगों की मदद करने का संकेत दिया है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि सामान्य वीजा जो जारी किए गए हैं, वे भी अधिक वैध नहीं हैं. हालांकि, जो लोग बहुत मजबूरी के चलते भारत आना चाहते हैं, वे वीजा जारी करने के लिए हमारे दूतावास या नजदीकी वाणिज्य दूतावास से संपर्क कर सकते हैं.

राजनयिकों के लिए ई-वीजा उपलब्ध
रवीश कुमार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि कुछ श्रेणियों के लिए भारत का ई-वीजा उपलब्ध है. राजनयिक उस श्रेणी में नहीं आते हैं, क्योंकि उनका वीजा दूतावास के जरिए एक लगाया जाता है. इसलिए, यह फैसला राजनयिक प्रक्रिया को प्रभावित नहीं कर सकता है.

पाकिस्तानी छात्रों की मदद पर विचार
विदेश मंत्रालय कहा कि चीन में पाकिस्तानी छात्रों के वीडियो पर भारत से मदद मांगी है. हमें पाकिस्तान सरकार से इसके बारे में कोई अनुरोध नहीं मिला है. लेकिन, अगर ऐसी स्थिति पैदा होती है और हमारे पास संसाधन हैं तो हम इस पर विचार करेंगे.

उड़ानों पर पाबंदी नहीं
वहीं, भारत-चीन के बीच उड़ानों की रोक को लेकर रवीश ने कहा, ”मुझे किसी भी कमर्शियल उड़ान के संचालन पर भारत सरकार की तरफ से लगाए गए किसी प्रतिबंध की जानकारी नहीं है. एयरलाइंस अपने स्वयं के आकलन के आधार पर निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं.

आज का राशिफल

Aries

03 फरवरी 2020:  दोस्तों और भाइयों से सहयोग मिलेगा. नए काम शुरू होंगे और सोचे हुए काम भी पूरे होंगे. काम भी पूरे हो सकते हैं. संपत्ति के कामकाज पर ध्यान देंगे. आपका पराक्रम बढ़ सकता है. सौदेबाजी में बहुत अच्छी सफलता भी मिलने के योग हैं. आपका दिन परिवार, निजी जीवन और पैसों के मामले में ही बीत सकता है. जरूरी कामों की योजना बन सकती है. अपनी जिम्मेदारियों पर पूरा ध्यान दें. पार्टनर के लिए समय निकालें. सेहत के मामले में सावधानी जरूर रखें.

Taurus

03 फरवरी 2020:  किसी नकारात्मक मामले में फंसे तो आप कोई महत्वपूर्ण मौका भी गंवा सकते हैं. आज आप न कोई फैसला लें, न ही कोई निष्कर्ष निकालें. स्वभाव में तेजी या थोड़ा उलझने का अंदाज रहेगा. दिन आपके लिए थोड़ी सावधानी भरा रहेगा. आप सोच-समझकर बोलें. आज आपदूसरे की बात भी सुनने का ध्यान रखें. पार्टनर के साथ वाहन चलाते समय सावधानी रखें. सेहत ठीक-ठाक ही रहेगी. अच्छा भोजन भी मिलेगा.

Gemini

03 फरवरी 2020:  नए काम और नई बिजनेस डील सामने आ सकती है.परेशानियों से निपटने के लिए दिन अच्छा रहेगा. कोई नया ऑफर भी मिल सकता है. सोचे हुए काम शुरू कर दें, आपके काम जल्दी ही पूरे हो जाएंगे.रोजमर्रा के काम पूरे होने में कोई रुकावट नहीं आएगी. आप आगे भीबढ़ेंगे. महत्वपूर्ण मीटिंग और काम करने के लिए दिन शुभ है. समस्याएं भी जल्दी ही खत्म हो जाएंगी.

Cancer

03 फरवरी 2020:  लव लाइफ में गलतफहमियां हो सकती हैं. किसी मामले में लापरवाही न करें. जॉब और बिजनेस में लापरवाही या जल्दबाजी न करें. सोचे हुए काम पूरे होने में थोड़ा समय लग सकता है. आज किसी भी काम में आपको मेहनत ज्यादा करनी पड़ सकती है. कर्क राशि वाले लोगआज सेहत के मामले में लापरवाह न रहें.

Leo

03 फरवरी 2020:  आज आपके सोचे हुए कुछ काम पूरे नहीं हो पाएंगे. कई तरह के विचारों में आज आप उलझ सकते हैं. आप पैसे संभाल कर रखें. लेन-देन और निवेश के मामले में सोच-समझकर रहें. मन में कोई समस्या या परेशानी रहेगी. कड़वी बातें न करें. आज कोई प्लान न बनाएं, पुरानेकाम निपटा लें. संभलकर रहें. काम में मन नहीं लगने से परेशानी बढ़ सकती है. सेहत के मामले में दिन अच्छा है.

Virgo

03 फरवरी 2020:  बिजनेस में कुछ नई योजनाओं पर काम शुरू हो सकता है. पार्टनर से सहयोग और सुख मिलेगा. लव लाइफ के लिए दिन अच्छा रहेगा. आज सोचे हुए कुछ काम पूरे हो जाएंगे. आपकी मुलाकात महत्वपूर्ण लोगों से हो सकती है. अचानक कोई तरीका आपके दिमाग में आसकता है. आज अपने काम पर ध्यान दें. अधूरे काम समय पर निपट सकते हैं. धैर्य रखें. आपकी सेहत अच्छी रहेगी. मन भी प्रसन्न रहेगा.

Libra

03 फरवरी 2020:  दिन आपके लिए अच्छा है. आप परिस्थितियों का फायदा उठाकर अपने काम पूरे कर सकते हैं. कामकाज में भी आपका मन लगेगा.आज आपको अचानक कुछ अच्छे अवसर मिल सकते हैं. आप उनका फायदा उठाने के लिए तैयार रहें. अचानक मन में बदलाव आ सकते हैंजो कि आपके लिए फायदेमंद रहेंगे. जीवनसाथी से संबंधों में अनुकूलता रहेगी. दिन आपके लिए अच्छा है. पार्टनर से सरप्राइज मिलने के योग हैं. आपकी सेहत अच्छी रहेगी.

Scorpio

03 फरवरी 2020:  नौकरी और बिजनेस में अचानक फैसले लेने पड़ेंगे. नुकसान भी हो सकता है. कन्फ्यूजन बढ़ सकता है. किसी अनचाहे नुकसान के लिए तैयार रहें. फालतू खर्चा भी होने के योग हैं. कार्यक्षेत्र में परेशानी और असुविधा हो सकती है. कोई परेशानी भरी स्थिति है, तो आप उससेबहुत सावधानी से ही निपटें. परेशान करने वाले लोग आज आपके आसपास ही रहेंगे. न चाहते हुए भी दो तरफा बातें करनी पड़ सकती है. सेहत में उतार-चढ़ाव आ सकता है.

Sagittarius

03 फरवरी 2020:  आर्थिक मामले सुलझ जाएंगे. दाम्पत्य जीवन सुखद हो सकता है. आप समझौते और विनम्रता से उलझे हुए मामले निपटा सकते हैं. रूटीन कामों से धन लाभ हो सकता है. कर्जा लेने का मन बना सकते हैं. आपकी बड़ी परेशानियां भी खत्म हो सकती है. संतान से सहयोग मिलसकता है. नए लोगों से मुलाकात हो सकती है. नौकरी- धंधे की रुकावटें खत्म हो जाएंगी. सेहत के मामले में आपको सावधान रहना होगा.

Capricorn

03 फरवरी 2020:  आज आपको दिनभर सावधान रहना होगा. कुछ लोग अपने स्वार्थ के कारण आपके ही लिए परेशानी खड़ी करने की कोशिश करेंगे, सावधान रहें. आपके मन में उथल-पुथल हो सकती है. पुरानी बातों में आज आप उलझे हुए रहेंगे. किसी समस्या का समाधान हाथों-हाथ नहीं होगा. कुछ खास काम आज अधूरे रह सकते हैं. काम में आपका मन नहीं लगेगा. बिजनेस में नए एग्रीमेंट अभी न करें तो ही अच्छा है. सेहत के मामले में दिन ठीक-ठाक रहेगा.

Aquarius

03 फरवरी 2020:  ऑफिस में खुद को नियंत्रण में रखें. पद लाभ का योग बन रहा है. कार्यक्षेत्र की परेशानियां खत्म हो सकती हैं. आज आपकी योजनाएं सफल हो सकती हैं. आगे के कामों की योजनाएं बनाना आज आपके लिए बहुत आसान रहेगा. रुके हुए काम पूरे करने के लिए दिन अच्छा है.आपको योग्यता और अनुभव से काम करना होगा. आपकी समस्याएं निपट सकती हैं. सेहत के मामले में संभलकर रहें. रक्त विकार होने के योग हैं.

Pisces

03 फरवरी 2020:  बिजनेस में कुछ नया करने के चक्कर में आपकी परेशानी बढ़ सकती है. मन में जो उठापटक चल रही है उस वजह से आज काम में कहीं मन नहीं लगेगा. आज आप नौकरी और बिजनेस में जल्दबाजी न करें. जोखिम लेने से भी बचें. किसी बात को लेकर प्रोफेशनल लाइफ मेंआपकी टेंशन बढ़ सकती है. किए गए काम का कोई रिजल्ट न मिलें तो परेशान न हों. सेहत के मामले में दिन ज्यादा अच्छा नहीं है. भोजन समय पर कर लें.

युवा आक्रोश रैली में राहुल गांधी गरजे

28 जनवरी, जयपुर (ब्यूरो) : 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को जयपुर में ‘युवा आक्रोश रैली’ को संबोधित किया। राहुल के भाषण का पूरा फोकस युवाओं और देश में बढ़ती बेरोजगारी पर रहा। करीब 24 मिनट की स्पीच में राहुल ने 29 बार युवा शब्द का इस्तेमाल किया। वहीं, 18 बार नरेंद्र मोदी, 6 बार बेरोजगारी, 3 बार जीडीपी और जीएसटी शब्द का जिक्र किया। सीएए, एनआरसी और एनपीआर पर सिर्फ एक बार बोले।

नेशनल रजिस्टर ऑफ अनइंप्लॉयमेंट लॉन्च किया

संबोधन से पहले राहुल गांधी ने एनआरयू यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ अनइंप्लॉयमेंट लॉन्च किया। उन्होंने कहा कि एक ऐसा रजिस्टर बनना चाहिए, जिसमें तमाम बेरोजगारों का नाम दर्ज हो। इसे हम पीएम के पास लेकर जाएं और बताएं कि आपने युवाओं से वादा किया था और अब तक कितने बेरोजगार घूम रहे हैं। उन्होंने युवाओं को आगे बढ़ने का विजन भी दिया।

‘मेइ इन चाइना की जगह हर जगह नजर आएगा मेड इन इंडिया’

राहुल ने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री मोदी पर भी युवाओं का जिक्र करते हुए हमला किया। उन्होंने कहा, ‘मैं चेलेंज देता हूं पीएम मोदी किसी भी यूनिवर्सिटी में चले जाएं। और युवाओं से सवाल पूछवाकर देख लें। और मोदी जवाब दें। वे नहीं दे सकते हैं। राहुल के भाषण में युवाओं से जुड़ी प्रमुख बातें-

  • ‘अमेरिका के पास बड़े-बड़ हथियार हैं, एयरफोर्स है, सऊदी के पास तेल है। हमारे पास सबसे अच्छे युवा हैं। जो पूरी दुनिया को बदल सकते हैं।’
  • ‘आज हर जगह मेड इन चाइना दिखता है। अगर देश के युवा अपनी शक्ति पहचाने तो हर जगह मेड इन इंडिया दिखाई देगा।’
  • ‘आज हमारे युवा पीएम से सवाल करते हैं कि आप बताएं देश की इमेज क्यों खराब की? आपने युवाओं के लिए क्या किया तो युवाओं पर ही गोली चलाई जाती है।’
  • ‘नरेंद्र मोदी ने गरीबों और युवाओं का पैसा छीनकर 15 सबसे अमीर लोगों को दे दिया।’
  • ‘आज हिंदुस्तान का युवा कॉलेज-स्कूल में जाकर पढ़ता है। पढ़ाई के बाद आपको हिंदुस्तान में रोजगार नहीं मिल सकता। पिछले साल हिंदुस्तान में 1 करोड़ युवाओं ने रोजगार खोया है।’
  • ‘एनआरसी, सीएए और एनपीआर की बात होती है। लेकिन जो सबसे बड़ी समस्या है। युवाओं को दुख होता है हमारे पीएम रोजगार पर एक शब्द नहीं बोलते हैं।’

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राहुल गाँधी को इस प्रकार तीसरी बार लॉन्च किया जा रहा है। यही कारण है कि गहलोत सरकार अपनी तरफ से किसी प्रकार की कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती। राज्य सरकार की पूरी मशीनरी ने राहुल गाँधी को बतौर युवा नेता पेश करने के लिए अपना दम-खम लगा दिया गया है। उनकी छवि निर्माण के लिए आज़ राजस्थान मुख्यमंत्री गहलोत एक सभा भी करने वाले हैं।

राहुल गाँधी की युवा आक्रोश रैली में भीड़ जुटाने के लिए गहलोत सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है। कॉलेजों में नोटिस जारी करके छात्रों को इस रैली में शामिल होने का फरमान सुनाया गया है। रैली के दौरान कक्षाएँ नहीं होंगी 

राजस्थान के जयपुर के अलबर्ट हॉल में आज ( जनवरी 28, 2020) राहुल गाँधी की युवा आक्रोश रैली के लिए पूरा इंतजाम हो चुका है। खबर है कि रैली में भीड़ जुटाने के लिए गहलोत सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है। राजस्थान के कॉलेजों में नोटिस जारी करके छात्रों को इस रैली में शामिल होने का फरमान सुनाया गया है। इस नोटिस में कहा गया कि रैली के दौरान कक्षाएँ नहीं होंगी।

गौरतलब है कि अभी तक जहाँ राजनेताओं की रैलियों में इकट्ठा होने वाली भीड़ पर तरह-तरह के सवाल उठते रहे हैं, वहीं गहलोत सरकार के इस नए कारनामे का पर्दाफाश होने के बाद विपक्ष में बैठी भाजपा को नया हथियार मिल गया है। सिर्फ भाजपा ही नहीं बल्कि आम जनता भी अपने बच्चों पर इस तरह के राजनीतिक हथकंडे थोपने को लेकर राज्य सरकार के प्रति गुस्से में है।

टाइम्स नाऊ की खबर के अनुसार जयपुर के ज्ञानदीप महाविद्यालय के प्रिंसिपल द्वारा जारी किए गए नोटिस में साफ-साफ लिखा है कि महाविद्यालय के छात्र 9 बजे वहाँ इकट्ठा होंगे और उसके बाद गाड़ी उन्हें अल्बर्ट हॉल तक लेकर जाएगी।

बता दें राहुल गाँधी को इस प्रकार तीसरी बार लॉन्च किया जा रहा है। यही कारण है कि गहलोत सरकार अपनी तरफ से किसी प्रकार की कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती। राज्य सरकार की पूरी मशीनरी ने राहुल गाँधी को बतौर युवा नेता पेश करने के लिए अपना दम-खम लगा दिया गया है। उनकी छवि निर्माण के लिए आज़ राजस्थान मुख्यमंत्री गहलोत एक सभा भी करने वाले हैं।

खबरों के अनुसार राहुल गाँधी आज अल्बर्ट हॉल में युवाओं को संबोधित करते हुए बेरोजगारी, महंगाई और आर्थिक मंदी को लेकर केंद्र सरकार को घेरने वाले हैं। रैली में उनका फोकस युवाओं पर ही रहेगा। यूथ कॉन्ग्रेस के कार्यकर्ता एनआरयू (नेशनल रजिस्टर ऑफ अनइंप्लॉयमेंट) राहुल के सामने लॉन्च करेंगे। इसके अलावा राहुल सीएए, एनआरसी और एनपीआर के मुद्दे पर भी अपनी बात रख सकते हैं।

जब छोटे-छोटे पड़ोसी मुल्कों में हैं नागरिकता रजिस्टर कानून! भारत में ही NRC का विरोध क्यों?

भारत में अवैध घुसपैठिए से किसको फायदा हो रहा है, ये घुसपैठिए किसके वोट बैंक बने हुए हैं। अभी हाल में पश्चिम बंगाल में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने दावा किया कि बंगाल में तकरीबन 50 लाख मुस्लिम घुसपैठिए हैं, जिनकी पहचान की जानी है और उन्हें देश से बाहर किया जाएगा। बीजेपी नेता के दावे में अगर सच्चाई है तो पश्चिम बंगाल में मौजूद 50 घुसपैठियों का नाम अगर मतदाता सूची से हटा दिया गया तो सबसे अधिक नुकसान किसी का होगा तो वो पार्टी होगी टीएमसी को होगा, जो एनआरसी का सबसे अधिक विरोध कर रही है और एनआरसी के लिए मरने और मारने पर उतारू हैं।

नयी दिल्ली

असम एनआरसी के बाद पूरे भारत में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) बनाने की कवायद भले ही अभी पाइपलाइन में हो और इसका विरोध शुरू हो गया है, लेकिन क्या आपको मालूम है कि भारत के सरहद से सटे लगभग सभी पड़ोसी मुल्क मसलन पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका जैसे देशों में नागरिकता रजिस्टर कानून है।

पाकिस्तान में नागरिकता रजिस्टर को CNIC, अफगानिस्तान में E-Tazkira,बांग्लादेश में NID, नेपाल में राष्ट्रीय पहचानपत्र और श्रीलंका में NIC के नाम से जाना जाता है। सवाल है कि आखिर भारत में ही क्यों राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC)कानून बनाने को लेकर बवाल हो रहा है। यह इसलिए भी लाजिमी है, क्योंकि आजादी के 73वें वर्ष में भी भारत के नागरिकों को रजिस्टर करने की कवायद क्यों नहीं शुरू की गई। क्या भारत धर्मशाला है, जहां किसी भी देश का नागरिक मुंह उठाए बॉर्डर पार करके दाखिल हो जाता है या दाखिल कराया जा रहा है।

भारत में अवैध घुसपैठिए से किसको फायदा हो रहा है, ये घुसपैठिए किसके वोट बैंक बने हुए हैं। अभी हाल में पश्चिम बंगाल में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने दावा किया कि बंगाल में तकरीबन 50 लाख मुस्लिम घुसपैठिए हैं, जिनकी पहचान की जानी है और उन्हें देश से बाहर किया जाएगा। बीजेपी नेता के दावे में अगर सच्चाई है तो पश्चिम बंगाल में मौजूद 50 घुसपैठियों का नाम अगर मतदाता सूची से हटा दिया गया तो सबसे अधिक नुकसान किसी का होगा तो वो पार्टी होगी टीएमसी को होगा, जो एनआरसी का सबसे अधिक विरोध कर रही है और एनआरसी के लिए मरने और मारने पर उतारू हैं।

बीजेपी नेता के मुताबिक अगर पश्चिम बंगाल से 50 लाख घुसैपठियों को नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया तो टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के वोट प्रदेश में कम हो जाएगा और आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कम से कम 200 सीटें मिलेंगी और टीएमसी 50 सीटों पर सिमट जाएगी। बीजेपी नेता दावा राजनीतिक भी हो सकता है, लेकिन आंकड़ों पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि उनका दावा सही पाया गया है और असम के बाद पश्चिम बंगाल दूसरा ऐसा प्रदेश है, जहां सर्वाधिक संख्या में अवैध घुसपैठिए डेरा जमाया हुआ है, जिन्हें पहले पश्चिम बंगाल की वामपंथी सरकारों ने वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया।

ममता बनर्जी अब भारत में अवैध रूप से घुसे घुसपैठियों का पालन-पोषण वोट बैंक के तौर पर कर रही हैं। वर्ष 2005 में जब पश्चिम बंगला में वामपंथी सरकार थी जब ममता बनर्जी ने कहा था कि पश्चिम बंगाल में घुसपैठ आपदा बन गया है और वोटर लिस्ट में बांग्लादेशी नागरिक भी शामिल हो गए हैं। दिवंगत अरुण जेटली ने ममता बनर्जी के उस बयान को री-ट्वीट भी किया, जिसमें उन्होंने लिखा, ‘4 अगस्त 2005 को ममता बनर्जी ने लोकसभा में कहा था कि बंगाल में घुसपैठ आपदा बन गया है, लेकिन वर्तमान में पश्चिम बंगाल में वही घुसपैठिए ममता बनर्जी को जान से प्यारे हो गए है।

क्योंकि उनके एकमुश्त वोट से प्रदेश में टीएमसी लगातार तीन बार प्रदेश में सत्ता का सुख भोग रही है। शायद यही वजह है कि एनआरसी को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सबसे अधिक मुखर है, क्योंकि एनआरसी लागू हुआ तो कथित 50 लाख घुसपैठिए को बाहर कर दिया जाएगा। गौरतलब है असम इकलौता राज्य है जहां नेशनल सिटीजन रजिस्टर लागू किया गया। सरकार की यह कवायद असम में अवैध रूप से रह रहे अवैध घुसपैठिए का बाहर निकालने के लिए किया था। एक अनुमान के मुताबिक असम में करीब 50 लाख बांग्लादेशी गैरकानूनी तरीके से रह रहे हैं। यह किसी भी राष्ट्र में गैरकानूनी तरीके से रह रहे किसी एक देश के प्रवासियों की सबसे बड़ी संख्या थी।

दिलचस्प बात यह है कि असम में कुल सात बार एनआरसी जारी करने की कोशिशें हुईं, लेकिन राजनीतिक कारणों से यह नहीं हो सका। याद कीजिए, असम में सबसे अधिक बार कांग्रेस सत्ता में रही है और वर्ष 2016 विधानसभा चुनाव में बीजेपी पहली बार असम की सत्ता में काबिज हुई है। दरअसल, 80 के दशक में असम में अवैध घुसपैठिओं को असम से बाहर करने के लिए छात्रों ने आंदोलन किया था। इसके बाद असम गण परिषद और तत्कालीन राजीव गांधी सरकार के बीच समझौता हुआ। समझौते में कहा गया कि 1971 तक जो भी बांग्लादेशी असम में घुसे, उन्हें नागरिकता दी जाएगी और बाकी को निर्वासित किया जाएगा।

लेकिन इसे अमल में नहीं लाया जा सका और वर्ष 2013 में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। अंत में अदालती आदेश के बाद असम एनआरसी की लिस्ट जारी की गई। असम की राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर सूची में कुल तीन करोड़ से अधिक लोग शामिल होने के योग्य पाए गए जबकि 50 लाख लोग अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाए, जिनमें हिंदू और मुस्लिम दोनों शामिल हैं। सवाल सीधा है कि जब देश में अवैध घुसपैठिए की पहचान होनी जरूरी है तो एनआरसी का विरोध क्यूं हो रहा है, इसका सीधा मतलब राजनीतिक है, जिन्हें राजनीतिक पार्टियों से सत्ता तक पहुंचने के लिए सीढ़ी बनाकर वर्षों से इस्तेमाल करती आ रही है। शायद यही कारण है कि भारत में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर जैसे कानून की कवायद को कम तवज्जो दिया गया।

असम में एनआरसी सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद संपन्न कराया जा सका और जब एनआरसी जारी हुआ तो 50 लाख लोग नागरिकता साबित करने में असमर्थ पाए गए। जरूरी नहीं है कि जो नागरिकता साबित नहीं कर पाए है वो सभी घुसपैठिए हो, यही कारण है कि असम एनआरसी के परिपेच्छ में पूरे देश में एनआरसी लागू करने का विरोध हो रहा है। लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि भारत में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर नहीं होना चाहिए। भारत में अभी एनआरसी पाइपलाइन का हिस्सा है, जिसकी अभी ड्राफ्टिंग होनी है। फिलहाल सीएए के विरोध को देखते हुए मोदी सरकार ने एनआरसी को पीछे ढकेल दिया है।

पूरे देश में एनआरसी के प्रतिबद्ध केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि 2024 तक देश के सभी घुसपैठियों को बाहर कर दिया जाएगा। संभवतः गृहमंत्री शाह पूरे देश में एनआरसी लागू करने की ओर इशारा कर रहे थे। यह इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि देश के विकास के लिए बनाए जाने वाल पैमाने के लिए यह जानना जरूरी है कि भारत में नागरिकों की संख्या कितनी है। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में, वहां के सभी वयस्क नागरिकों को 18 वर्ष की आयु तक पहुंचने पर एक यूनिक संख्या के साथ कम्प्यूटरीकृत राष्ट्रीय पहचान पत्र (CNIC) के लिए पंजीकरण करना होता है। यह पाकिस्तान के नागरिक के रूप में किसी व्यक्ति की पहचान को प्रमाणित करने के लिए एक पहचान दस्तावेज के रूप में कार्य करता है।

इसी तरह पड़ोसी मुल्क अफगानिस्तान में भी इलेक्ट्रॉनिक अफगान पहचान पत्र (e-Tazkira) वहां के सभी नागरिकों के लिए जारी एक राष्ट्रीय पहचान दस्तावेज है, जो अफगानी नागरिकों की पहचान, निवास और नागरिकता का प्रमाण है। वहीं, पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश, जहां से भारत में अवैध घुसपैठिए के आने की अधिक आशंका है, वहां के नागरिकों के लिए बांग्लादेश सरकार ने राष्ट्रीय पहचान पत्र (NID) कार्ड है, जो प्रत्येक बांग्लादेशी नागरिक को 18 वर्ष की आयु में जारी करने के लिए एक अनिवार्य पहचान दस्तावेज है।

सरकार बांग्लादेश के सभी वयस्क नागरिकों को स्मार्ट एनआईडी कार्ड नि: शुल्क प्रदान करती है। जबकि पड़ोसी मुल्क नेपाल का राष्ट्रीय पहचान पत्र एक संघीय स्तर का पहचान पत्र है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति के लिए विशिष्ट पहचान संख्या है जो कि नेपाल के नागरिकों द्वारा उनके बायोमेट्रिक और जनसांख्यिकीय डेटा के आधार पर प्राप्त किया जा सकता है।

पड़ोसी मुल्क श्रीलंका में भी नेशनल आइडेंटिटी कार्ड (NIC) श्रीलंका में उपयोग होने वाला पहचान दस्तावेज है। यह सभी श्रीलंकाई नागरिकों के लिए अनिवार्य है, जो 16 वर्ष की आयु के हैं और अपने एनआईसी के लिए वृद्ध हैं, लेकिन एक भारत ही है, जो धर्मशाला की तरह खुला हुआ है और कोई भी कहीं से आकर यहां बस जाता है और राजनीतिक पार्टियों ने सत्ता के लिए उनका वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करती हैं। भारत में सर्वाधिक घुसपैठियों की संख्या असम, पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड में बताया जाता है।

भारत सरकार के बॉर्डर मैनेजमेंट टास्क फोर्स की वर्ष 2000 की रिपोर्ट के अनुसार 1.5 करोड़ बांग्लादेशी घुसपैठ कर चुके हैं और लगभग तीन लाख प्रतिवर्ष घुसपैठ कर रहे हैं। हाल के अनुमान के मुताबिक देश में 4 करोड़ घुसपैठिये मौजूद हैं। पश्चिम बंगाल में वामपंथियों की सरकार ने वोटबैंक की राजनीति को साधने के लिए घुसपैठ की समस्या को विकराल रूप देने का काम किया। कहा जाता है कि तीन दशकों तक राज्य की राजनीति को चलाने वालों ने अपनी व्यक्तिगत राजनीतिक महत्वाकांक्षा के कारण देश और राज्य को बारूद की ढेर पर बैठने को मजबूर कर दिया। उसके बाद राज्य की सत्ता में वापसी करने वाली ममता बनर्जी बांग्लादेशी घुसपैठियों के दम पर मुस्लिम वोटबैंक की सबसे बड़ी धुरंधर बन गईं।

भारत में नागरिकता से जुड़ा कानून क्या कहता है?

नागरिकता अधिनियम, 1955 में साफ तौर पर कहा गया है कि 26 जनवरी, 1950 या इसके बाद से लेकर 1 जुलाई, 1987 तक भारत में जन्म लेने वाला कोई व्यक्ति जन्म के आधार पर देश का नागरिक है। 1 जुलाई, 1987 को या इसके बाद, लेकिन नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2003 की शुरुआत से पहले जन्म लेने वाला और उसके माता-पिता में से कोई एक उसके जन्म के समय भारत का नागरिक हो, वह भारत का नागरिक होगा। नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2003 के लागू होने के बाद जन्म लेने वाला कोई व्यक्ति जिसके माता-पिता में से दोनों उसके जन्म के समय भारत के नागरिक हों, देश का नागरिक होगा। इस मामले में असम सिर्फ अपवाद था। 1985 के असम समझौते के मुताबिक, 24 मार्च, 1971 तक राज्य में आने वाले विदेशियों को भारत का नागरिक मानने का प्रावधान था। इस परिप्रेक्ष्य से देखने पर सिर्फ असम ऐसा राज्य था, जहां 24 मार्च, 1974 तक आए विदेशियों को भारत का नागरिक बनाने का प्रावधान था।

क्या है एनआरसी और क्या है इसका मकसद?

एनआरसी या नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन बिल का मकसद अवैध रूप से भारत में अवैध रूप से बसे घुसपैठियों को बाहर निकालना है। बता दें कि एनआरसी अभी केवल असम में ही पूरा हुआ है। जबकि देश के गृह मंत्री अमित शाह ये साफ कर चुके हैं कि एनआरसी को पूरे भारत में लागू किया जाएगा। सरकार यह स्पष्ट कर चुकी है कि एनआरसी का भारत के किसी धर्म के नागरिकों से कोई लेना देना नहीं है इसका मकसद केवल भारत से अवैध घुसपैठियों को बाहर निकालना है।

एनआरसी में शामिल होने के लिए क्या जरूरी है? एनआरसी के तहत भारत का नागरिक साबित करने के लिए किसी व्यक्ति को यह साबित करना होगा कि उसके पूर्वज 24 मार्च 1971 से पहले भारत आ गए थे। बता दें कि अवैध बांग्लादेशियों को निकालने के लिए इससे पहले असम में लागू किया गया है। अगले संसद सत्र में इसे पूरे देश में लागू करने का बिल लाया जा सकता है। पूरे भारत में लागू करने के लिए इसके लिए अलग जरूरतें और मसौदा होगा।

एनआरसी के लिए किन दस्तावेजों की जरूरत है?

भारत का वैध नागरिक साबित होने के लिए एक व्यक्ति के पास रिफ्यूजी रजिस्ट्रेशन, आधार कार्ड, जन्म का सर्टिफिकेट, एलआईसी पॉलिसी, सिटिजनशिप सर्टिफिकेट, पासपोर्ट, सरकार के द्वारा जारी किया लाइसेंस या सर्टिफिकेट में से कोई एक होना चाहिए। चूंकि सरकार पूरे देश में जो एनआरसी लाने की बात कर रही है, लेकिन उसके प्रावधान अभी तय नहीं हुए हैं। यह एनआरसी लाने में अभी सरकार को लंबी दूरी तय करनी पडे़गी। उसे एनआरसी का मसौदा तैयार कर संसद के दोनों सदनों से पारित करवाना होगा। फिर राष्ट्रपति के दस्तखत के बाद एनआरसी ऐक्ट अस्तित्व में आएगा। हालांकि, असम की एनआरसी लिस्ट में उन्हें ही जगह दी गई जिन्होंने साबित कर दिया कि वो या उनके पूर्वज 24 मार्च 1971 से पहले भारत आकर बस गए थे।

क्या NRC सिर्फ मुस्लिमों के लिए ही होगा?

किसी भी धर्म को मानने वाले भारतीय नागरिक को CAA या NRC से परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है। एनआरसी का किसी धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। यह भारत के सभी नागरिकों के लिए होगा। यह नागरिकों का केवल एक रजिस्टर है, जिसमें देश के हर नागरिक को अपना नाम दर्ज कराना होगा।

क्या धार्मिक आधार पर लोगों को बाहर रखा जाएगा?

यह बिल्कुल भ्रामक बात है और गलत है। NRC किसी धर्म के बारे में बिल्कुल भी नहीं है। जब NRC लागू किया जाएगा, वह न तो धर्म के आधार पर लागू किया जाएगा और न ही उसे धर्म के आधार पर लागू किया जा सकता है। किसी को भी सिर्फ इस आधार पर बाहर नहीं किया जा सकता कि वह किसी विशेष धर्म को मानने वाला है।

NRC में शामिल न होने वाले लोगों का क्या होगा?

अगर कोई व्यक्ति एनआरसी में शामिल नहीं होता है तो उसे डिटेंशन सेंटर में ले जाया जाएगा जैसा कि असम में किया गया है। इसके बाद सरकार उन देशों से संपर्क करेगी जहां के वो नागरिक हैं। अगर सरकार द्वारा उपलब्ध कराए साक्ष्यों को दूसरे देशों की सरकार मान लेती है तो ऐसे अवैध प्रवासियों को वापस उनके देश भेज दिया जाएगा।

आभार, Shivom Gupta