Father Kuriakose, who testified against Bishop Franco Mulakkal, found dead in church room in Punjab

ather Kuriakose Kattuthara, who was found dead on Monday.


He had alleged that he was constantly threatened by church officials for supporting the nun, who had alleged that she was raped by the bishop.


Father Kuriakose Kattuthara, who testified against Bishop Franco Mulakkal in the case of alleged rape of a nun in Kerala, died under mysterious circumstances on Monday morning.

According to his relatives, he was found dead in a room attached to a church at Dasuya in Punjab.

“The 62-year-old Father Kuriakose used to live at St. Paul’s Church in Dasuya and he was found unconscious today (Monday) morning in his room. Later, he was taken to hospital where he was declared dead,” said Daljit Singh Khakh, Deputy Superintendent of Police, Hoshiarpur.

Mr. Khakh added that ”no injuries have been found on the body, he had vomited on bed and tablet of blood pressure were found near him. A panel of doctors will conduct the postmortem examination, following which the cause of death could be ascertained.”

The relatives have filed a complaint with Alappuzha District police chief. S. Surendran, demanding a detailed probe into the death of the 67-year-old priest, who hailed from Pallippuram near Cherthala in Alappuzha..

Fr. Kattuthara had alleged that he was constantly threatened by church officials for supporting the nun belonging to the Missionaries of Jesus under the Jalandhar diocese.

Bishop Mulakkal was arrested on September 21on a case registered by the Kuravilangad police in Kottayam district. He was granted bail by the Kerala High Court on October 15 under stringent conditions.

The nun had alleged that she had been raped by the bishop from May 5, 2014 to May 6, 2016 on 14 occasions in a room attached to the St. Francis Mission Home, Kuruvilangad.

ओमान चांडी पर अप्राकृतिक दुष्कर्म का आरोप, केस दर्ज

10/21/2018, 7:18:08 AM नई दिल्ली:

केरल पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी के खिलाफ अप्राकृतिक दुष्कर्म का मामला दर्ज किया है। पूर्व सीएम चांडी के खिलाफ ये आरोप एक ​महिला ने लगाए हैं। महिला का आरोप है कि चांडी ने ये कुकर्म उसके कारोबार को बढ़ावा देने के बदले में किया था। केरल पुलिस की क्राइम ब्रांच ने शनिवार देर रात को इस बात की पुष्टि कर दी कि वह चांडी के खिलाफ आपराधिक मामले की जांच कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री पर आरोप है कि उन्होंने सौर ऊर्जा निवेश धोखाधड़ी मामले में आरोपी रही महिला के साथ तिरुवनंतपुरम स्थित अपने आधिकारिक आवास क्लिफ हाउस में साल 2013 में रेप किया था।

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार (20 अक्टूबर) को तिरुवनंतपुरम में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में दाखिल प्राथमिकी में क्राइम ब्रांच ने आरोप लगाया कि पूर्व सीएम चांडी ने महिला के साथ अप्राकृतिक संबंध बनाए थे। ये संबंध महिला के कारोबार को बढ़ावा देने के बदले बनाए गए थे। हालांकि प्राथमिकी को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। प्राथमिकी के तथ्य भी अभी तक गोपनीय ही हैं।

क्राइम ब्रांच में की गई अपनी शिकायत में पीड़िता महिला का आरोप है कि वह चांडी से निजी तौर पर इसलिए मिलने गई थी ताकि वह उसके सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट को अपना राजनीतिक संरक्षण दें। इससे निजी निवेशक उसके प्रोजेक्ट की तरफ आकर्षित होंगे। महिला ने बताया सीएम के स्टाफ के कुछ लोगों ने उसे सीएम से मिलवाया था। महिला का आरोप है कि उसके कारोबार को बढ़ावा देने के लिए पूर्व सीएम चांडी ने उससे अप्राकृतिक यौन संबंध बनाए थे।

बता दें कि उच्च स्तरीय शिवरंजन क​मिशन ने हाल ही में केरल की राजनीति में भूचाल ला देने वाले सोलर घोटाले की जांच शुरू की थी। कमिशन ने सितंबर 2017 में पाया कि साल 2013 में केरल में राजनीति के शीर्ष पर बैठे लोगों ने आरोप लगाने वाली महिला के साथ उसके कारोबार को बढ़ावा देने के लिए यौन संबंध बनाए थे। कमिशन ने यह भी पाया कि भ्रष्टाचार निरोध अधिनियम के तहत यौन संबंध के बदले पक्षपात करना भी अनैतिक कृत्य के दायरे में आता है। कमिशन ने सिफारिश की थी कि आरोप लगाने वाली महिला के द्वारा लगाए गए आरोपों के आधार पर उसका शोषण करने वाले सभी लोगों के खिलाफ जांच की जाए।

मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने 26 सितंबर को दाखिल की गई जी. शिवरंजन कमिशन की 1073 पेज की रिपोर्ट को विधानसभा का विशेष सत्र बुलवाकर पटल पर रखवाया था। इस मामले में कांग्रेस नीत विपक्ष का बढ़ता दबाव और प्रदर्शन भी इसका एक कारण था। बाद में एक प्रेस वार्ता में उन सभी के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया जिन्होंने पीड़िता का कथित तौर पर यौन शोषण किया था। पीड़िता महिला ने युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के लगभग सभी बड़े नेताओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं।

जानिये और समझिये कि सबरीमला मंदिर क्यों सबकी आंखों में खटक रहा है?

दिनेश पाठक अधिवक्ता, राजस्थान उच्च न्यायालय, जयपुर। विधि प्रमुख विश्व हिन्दु परिषद

केरल में सबरीमला के मशहूर स्वामी अयप्पा मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के नाम पर चल रहे विवाद के बीच लगातार यह सवाल उठ रहा है कि आखिर इस मंदिर में ऐसा क्या है कि ईसाई और इस्लाम धर्मों को मानने वाले तथाकथित एक्टिविस्ट भी कम से कम एक बार यहां घुसने को बेताब हैं।
इस बात को समझने के लिये हमें केरल के इतिहास और यहां इस्लामी और राज्य में बीते 4-5 दशक से चल रही ईसाई धर्मांतरण की कोशिशों को भी समझना होगा।
मंदिर में प्रवेश पाने के पीछे नीयत धार्मिक नहीं, बल्कि यहां के लोगों की सदियों पुरानी धार्मिक आस्था को तोड़ना है, ताकि इस पूरे इलाके में बसे लाखों हिंदुओं को ईसाई और इस्लाम जैसे अब्राहमिक धर्मों में लाया जा सके।
केरल में चल रहे धर्मांतरण अभियानों में सबरीमला मंदिर बहुत बड़ी रुकावट बनकर खड़ा है।
पिछले कुछ समय से इसकी पवित्रता और इसे लेकर स्थानीय लोगों की आस्था को चोट पहुंचाने का काम चल रहा था।
लेकिन हर कोशिश नाकाम हो रही थी।
लेकिन आखिरकार महिलाओं के मुद्दे पर ईसाई मिशनरियों ने न सिर्फ सबरीमला के अयप्पा मंदिर बल्कि पूरे केरल में हिंदू धर्म के खात्मे के लिए सबसे बड़ी चाल चल दी है।

सबरीमला के इतिहास को समझिये…

1980 से पहले तक सबरीमला के स्वामी अयप्पा मंदिर के बारे में ज्यादा लोगों को नहीं पता था। केरल और कुछ आसपास के इलाकों में बसने वाले लोग यहां के भक्त थे।
70 और 80 के दशक का यही वो समय था जब केरल में ईसाई मिशनरियों ने सबसे मजबूती के साथ पैर जमाने शुरू कर दिये थे।
उन्होंने सबसे पहला निशाना गरीबों और अनुसूचित जाति के लोगों को बनाया।
इस दौरान बड़े पैमाने पर यहां लोगों को ईसाई बनाया गया। इसके बावजूद लोगों की मंदिर में आस्था बनी रही।
इसका बड़ा कारण यह था कि मंदिर में पूजा की एक तय विधि थी जिसके तहत दीक्षा आधारित व्रत रखना जरूरी था।
सबरीमला उन मंदिरों में से है जहां पूजा पर किसी जाति का विशेषाधिकार नहीं है किसी भी जाति का हिंदू पूरे विधि-विधान के साथ व्रत का पालन करके मंदिर में प्रवेश पा सकता है।
सबरीमला में स्वामी अयप्पा को जागृत देवता माना जाता है।
यहां पूजा में जाति विहीन व्यवस्था का नतीजा है कि इलाके के दलितों और आदिवासियों के बीच मंदिर को लेकर अटूट आस्था है।
मान्यता है कि मंदिर में पूरे विधि-विधान से पूजा करने वालों को मकर संक्रांति के दिन एक विशेष चंद्रमा के दर्शन होते हैं जो लोग व्रत को ठीक ढंग से नहीं पूरा करते उन्हें यह दर्शन नहीं होते।
जिसे एक बार इस चंद्रमा के दर्शन हो गए माना जाता है कि उसके पिछले सभी पाप धुल जाते हैं।

सबरीमला से आया सामाजिक बदलाव…

सबरीमला मंदिर की पूजा विधि देश के बाकी मंदिरों से काफी अलग और कठिन है।
यहां दो मुट्ठी चावल के साथ दीक्षा दी जाती है इस दौरान रुद्राक्ष जैसी एक माला पहननी होती है।
साधक को रोज मंत्रों का जाप करना होता है।
इस दौरान वो काले कपड़े पहनता है और जमीन पर सोता है।
जिस किसी को यह दीक्षा दी जाती है उसे स्वामी कहा जाता है।
यानी अगर कोई रिक्शावाला दीक्षा ले तो उसे रिक्शेवाला बुलाना पाप होगा इसके बजाय वो स्वामी कहलायेगा।
इस परंपरा ने एक तरह से सामाजिक क्रांति का रूप ले लिया।
मेहनतकश मजदूरी करने वाले और कमजोर तबकों के लाखों-करोड़ों लोगों ने मंदिर में दीक्षा ली और वो स्वामी कहलाये।
ऐसे लोगों का समाज में बहुत ऊंचा स्थान माना जाता है।
यानी यह मंदिर एक तरह से जाति-पाति को तोड़कर भगवान के हर साधक को वो उच्च स्थान देने का काम कर रहा था जो कोई दूसरी संवैधानिक व्यवस्था कभी नहीं कर सकती है।

ईसाई मिशनरियों के लिये मुश्किल

सबरीमला मंदिर में समाज के कमजोर तबकों की एंट्री और वहां से हो रहे सामाजिक बदलाव ने ईसाई मिशनरियों के कान खड़े कर दिये उन्होंने पाया कि जिन लोगों को उन्होंने धर्मांतरित करके ईसाई बना लिया वो भी स्वामी अयप्पा में आस्था रखते हैं और कई ने ईसाई धर्म को त्यागकर वापस सबरीमला मंदिर में ‘स्वामी’ के तौर पर दीक्षा ले ली।
यही कारण है कि ये मंदिर ईसाई मिशनरियों की आंखों में लंबे समय से खटक रहा था।
अमिताभ बच्चन, येशुदास जैसे कई बड़े लोगों ने भी स्वामी अयप्पा की दीक्षा ली हझ।
इन सभी ने भी मंदिर में रहकर दो मुट्ठी चावल के साथ दीक्षा ली है इस दौरान उन्होंने चप्पल पहनना मना होता था और उन्हें भी उन्हीं रास्तों से गुजरना होता था जहां उनके साथ कोई रिक्शेवाला, कोई जूते-चप्पल बनाने वाला स्वामी चल रहा होता था।
नतीजा यह हुआ कि ईसाई संगठनों ने सबरीमला मंदिर के आसपास चर्च में भी मकर संक्रांति के दिन फर्जी तौर पर ‘चंद्र दर्शन’ कार्यक्रम आयोजित कराए जाने लगे।
ईसाई धर्म के इस फर्जीवाड़े के बावजूद सबरीमला मंदिर की लोकप्रियता दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती रही थी।
नतीजा यह हुआ कि उन्होंने मंदिर में 10 से 50 साल तक की महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को मुद्दा बनाकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाल दी।
यह याचिका कोर्ट में एक हिंदू नाम वाले कुछ ईसाइयों और एक मुसलमान की तरफ से डलवाई गई।

1980 में सबरीमला मंदिर के बागीचे में ईसाई मिशनरियों ने रातों रात एक क्रॉस गाड़ दिया था।
फिर उन्होंने इलाके में परचे बांट कर दावा किया कि यह 2000 साल पुराना सेंट थॉमस का क्रॉस है इसलिये यहां पर एक चर्च बनाया जाना चाहिये।
उस वक्त आरएसएस के नेता जे शिशुपालन ने इस क्रॉस को हटाने के लिए आंदोलन छेड़ा था और वो इसमें सफल भी हुये थे।
इस आंदोलन के बदले में राज्य सरकार ने उन्हें सरकारी नौकरी से निकाल दिया था।

केरल में हिंदुओं पर सबसे बड़ा हमला

केरल के हिंदुओं के लिए यह इतना बड़ा मसला इसलिये है क्योंकि वो समझ रहे हैं कि इस पूरे विवाद की जड़ में नीयत क्या है।
राज्य में हिंदू धर्म को बचाने का उनके लिये यह आखिरी मौका है।
केरल में गैर-हिंदू आबादी तेज़ी के साथ बढ़ते हुए 35 फीसदी से भी अधिक हो चुकी है।
अगर सबरीमला की पुरानी परंपराओं को तोड़ दिया गया तो ईसाई मिशनरियां प्रचार करेंगी कि भगवान अयप्पा में कोई शक्ति नहीं है और वो अब अशुद्ध हो चुके हैं।
ऐसे में ‘चंद्र दर्शन’ कराने वाली उनकी नकली दुकानों में भीड़ बढ़ेगी।
नतीजा धर्मांतरण के रूप में सामने आएगा।
यह समझना बहुत मुश्किल नहीं है क्योंकि जिन तथाकथित महिला एक्टिविस्टों ने अब तक मंदिर में प्रवेश की कोशिश की है वो सभी ईसाई मिशनरियों की करीबी मानी जाती हैं।
जबकि जिन हिंदू महिलाओं की बराबरी के नाम पर यह अभियान चलाया जा रहा है वो खुद ही उन्हें रोकने के लिये मंदिर के बाहर दीवार बनकर खड़ी हैं।

दिनेश पाठक

There should be no interference in temple traditions, says Rajinikanth


On #MeToo movement, he says it is “beneficial” for women, but cautions that “it should not be misused and should [be] used properly.”


Actor Rajinikanth on Saturday said there should be no “interference” in temple traditions that were being followed for a long time.

This his first response to the recent Supreme Court order allowing entry of women of all ages into the Sabarimala shrine of Lord Ayyappa in Kerala and the subsequent protests.

Mr. Rajinikanth, however, said there was no second opinion on equality for women in every sphere.

“But when you talk about a temple, every temple has its time honoured rituals, besides traditions being followed for a long time. My humble opinion is that no one should interfere in that,” he told reporters in Chennai.

While noting that the top court verdict should be “respected”, the 67-year-old actor indicated that caution should be exercised when it came to matters of religion and related rituals.

Kerala has been witnessing protests against the entry of girls and women of menstrual age into the Sabarimala temple since the government said it would abide by the ruling of the apex court.

The agitation has intensified since the shrine was opened for the five-day monthly pooja on October 17.

On September 28, a five-judge Constitution bench of the Supreme Court, headed by then Chief Justice of India Dipak Misra, lifted the centuries-old practice of not allowing women of menstrual age into the shrine.

On the #MeToo movement that has seen several women levelling sexual harassment charges against men including celebrities and political personalities, Mr. Rajinikanth said it was “beneficial” for women.

However, “it should not be misused and should [be] used properly,” he cautioned.

Chinmayi’s charge against Vairamuthu

On national award-winning lyricist Vairamuthu being accused of sexual harassment, the actor said the poet had denied the charges made by singer Chinmayi Sripaada.

Former Union Minister MJ Akbar, film personalities like Alok Nath, Subhash Ghai, Rajat Kapoor and Vairamuthu have been accused of sexual harassment by a number of women under the #MeToo movement.

To a question on the launch of his proposed party, Mr. Rajinikanth said 90 per cent of the work was over and that he would make an announcement at the right time.

Sabrimala Row: Hindu organisations condemn Kerela police


“The way sanctity, religious belief, and the serenity of Sabarimala have been attacked shows the real face of CPI-M,” the two organisations said in a joint statement.


Joining voices with the Vishwa Hindu Parishad (VHP), two Hindu organisations, namely Sanatan Dharm Pratinidhi Sabha and Delhi Sant Mahamandal on Saturday denounced the alleged action of the Kerala Police on the devotees of Sabarimala temple.

They also alleged that the real face of the CPI-M has been exposed.

“The way sanctity, religious belief, and the serenity of Sabarimala have been attacked shows the real face of CPI-M,” the two organisations said in a joint statement.

On Friday, the VHP had also condemned the action of the Kerala Police over the devotees.

Sanatan Dharm Pratinidhi Sabha and Delhi Sant Mahamandal alleged that the Kerala Police lathi-charged the devotees.

“However, despite the brute force of administration, Kerala government could not force the Hindu devotees to submit. This is a victory of faith and devotion,” they said.

The organisations also thanked the devotees saying “they were trying to save the tradition of Sabarimala.”

“The role of the CPI-M has always remained under question on the issue of saving the rights of women,” said the two outfits attacking the Communist Party of India-Marxist (CPI-M).

They pointed out that the Hindu community has never been anti-women.

“But there has been a tradition of temples and one has to respect that. And due to these different traditions, India has unity in diversity,” they said.

लिंगायत समुदाय को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देने की सिफारिश कर एक ‘बड़ी गलती’ की थी: शिवकुमार


पिछली सिद्धरमैया सरकार ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में लिंगायत कार्ड खेला था, जिसके बाद कांग्रेस को कई सीटों का नुकसान उठाना पड़ा


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं कर्नाटक के जल संसाधन मंत्री डी. के. शिवकुमार ने स्वीकार किया है कि उनकी पार्टी ने मई में हुए विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लिंगायत समुदाय को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देने की सिफारिश कर एक ‘बड़ी गलती’ की थी. शिवकुमार ने दशहरा सम्मेलन में लोगों से माफी मांगते हुए कहा कि धर्म के नाम पर राजनीति अस्वीकार्य है.

पिछली सिद्धरमैया सरकार ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में लिंगायत कार्ड खेला था, जिसके बाद कांग्रेस को कई सीटों का नुकसान उठाना पड़ा. शिवकुमार के इस खुले कबूलनामे ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में विपक्षी बीजेपी को एक संभावित हथियार दे दिया है.

भगवा पार्टी ने सिद्धरमैया नीत सरकार पर राजनीतिक फायदे के लिए समाज को बांटने का आरोप लगाया था. शिवकुमार ने कहा, ‘कर्नाटक में हमारी सरकार ने एक बड़ी गलती की थी. मैं नहीं कहूंगा कि हमने यह नहीं किया था. राजनीति और सरकार में मौजूद हम लोगों को धर्म और जाति से जुड़े विषयों में कभी हाथ नहीं डालना चाहिए. हमारी सरकार ने यह अपराध किया.’

कांग्रेस का खराब प्रदर्शन दर्शाता है कि हमारे इस कदम को नहीं पसंद किया गया

उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का खराब प्रदर्शन इस बात का सबूत है कि लोगों ने इस कदम को पसंद नहीं किया. बाद में  बेंगलुरू में शिवकुमार ने कहा कि बतौर मंत्री उन्हें लगता है कि उन्हें अपना विचार जाहिर करना चाहिए. ‘मुझे लगता है कि मुझे इस मुद्दे पर अपने दिमाग से कहना चाहिए.’

उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें सलाह दी थी कि सरकार को इस विषय में दखल नहीं देना चाहिए. वहीं, लिंगायतों को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देने की सिफारिश करने के लिए अग्रिम मोर्चे पर रहे कांग्रेस नेता एवं पूर्व मंत्री एमबी पाटिल ने कहा कि वह पार्टी में इस विषय को उठाएंगे.

उन्होंने कहा, ‘मैं जानता हूं कि किस संदर्भ में उन्होंने यह कहा। हम पार्टी के अंदर इस विषय पर चर्चा करेंगे.’ बाबलेश्वर सीट से विधायक पाटिल ने दावा किया कि चुनाव में कोई नुकसान नहीं हुआ. शिवकुमार खुद वोक्कालिंगा समुदाय से आते हैं.

लश्कर के पैसे से मस्जिद? NIA कर रहा जांच, कहीं टेरर फंडिंग का नया मॉड्यूल तो नहीं


हरियाणा में पलवल के गांव उटावड़ में आतंकवादी फंड से मरकज नामक मस्जिद बनाई जा रही है. इस मामले में नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) की टीम ने सलमान नाम के एक युवक और उसके दो साथियों के साथ दिल्ली से गिरफ्तार किया है. सलमान को मस्जिद का संचालक बताया जा रहा है उटावड़ की इस मस्जिद के निर्माण में आतंकी हाफिज सईद की ओर से फंडिंग की भी खबर है.


नरेश शर्मा भारद्वाज, नयी दिल्ली:

पलवल के उटावड़ गांव में कथित तौर पर लश्कर-ए-तैयबा के पैसे मस्जिद बनाए जाने के मामले में एक बड़ी साजिश का ऐंगल दिख रहा है। इस ममले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (FII) के टेरर फंडिंग मॉड्यूल की जांच कर रही है। FII ने कथित तौर पर मस्जिद के निर्माण के लिए पैसे दिए थे। एक बड़ी आशंका यह भी खड़ी हो गई है कि इसी मॉड्यूल पर पूरे देश में एक बड़े नेटवर्क की मदद से टेरर फंडिंग तो नहीं की जा रही है। एनआईए इस दिशा में भी जांच कर रही है।

एनआईए यह भी जांच कर रही है कि कहीं दूसरे भारतीय जो दुबई जा रहे हैं या वहां काम कर रहे हैं, किसी ऐसे पाकिस्तानी के संपर्क में तो नहीं हैं जो FIF के लिए काम तो नहीं कर रहा। इसकी जांच की जा रही है कि भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए कहीं FIF इस रास्ते तो टेरर फंडिंग नहीं करा रहा। उटावड़ मामले में मुख्य आरोपी मोहम्मद सलमान दुबई की अपनी दो यात्राओं के दौरान पाकिस्तानी बिजनसमैन कामरान के संपर्क में आया था।

कामरान FIF के डेप्युटी चीफ के संपर्क में था। यह शख्स लश्कर-ए-तैयबा के चीफ हाफिज सईद का सहयोगी था, जो हवाला के जरिये भारत में टेरर फंड भेज रहा था। सलमान के अलावा एनआईए ने 25 सितंबर को दिल्ली में दो और हवाला कूरियर्स, मोहम्मद सलीम और सज्जाद अब्दुल वानी को गिरफ्तार किया था। सलीम दिल्ली के दरियागंज का और वानी श्रीनगर का रहने वाला था। श्रीनगर में वानी के घर पर रेड भी मारी गई।

पूछताछ में वानी ने बताया कि वह किसी हिलाल अहमद के लिए फंड लेकर आया था। इसके बाद एनआईए ने लाजपत नगर में हिलाल के ऑफिस और आवास पर छापा मारकर 18 लाख रुपये कैश,6 मोबाइल फोन, सिम और कुछ संदिग्ध दस्तावेज बरामद किए थे। वहीं सलमान ने पूछताछ में बताया कि FIF से मिले फंड का इस्तेमाल कर उसने उटावड़ में मस्जिद बनाने के लिए किया। एनआईए ने बाद में मस्जिद में सर्च कर वे डॉक्युमेंट निकाले जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि करीब 2 से ढाई करोड़ में से 70 लाख रुपये मस्जिद बनाने में इस्तेमाल हुए।

FIF से यह पैसा हवाला रूट के जरिए आया था

FIF से यह पैसा हवाला रूट के जरिए आया था। इसकी मॉडस ऑपरेंडी स्पष्ट थी। कामरान ने FIF के फंड को हवाला के जरिए भारत पहुंचाने के लिए सलमान को तैयार किया। जांच कर रही टीम के एक सदस्य ने बताया कि अब इसका पता लगाया जा रहा है कि भारत में ऐसा ही कोई दूसरा शख्स तो इस तरह की गतिविधियों में नहीं लगा हुआ है।

एक अधिकारी ने बताया कि एनआईए ने 25 सितंबर को दरियागंज, निजामुद्दीन और कूचा घासीराम समेत कई जगहों पर छापेमारी की। इस कार्रवाई में 1.5 करोड़ रुयपे कैश, 43 हजार रुपये की नेपाली करंसी, 14 मोबाइल फोन, 5 पेन ड्राइव और कई संदिग्ध दस्तावेज बरामद किए हैं। उन्होंने बताया कि एनआईए इन दस्तावेजों की पड़ताल कर रही है।

आपको बता दें कि एनआईए की जांच में कहा गया है कि हरियाणा के पलवल में स्थित एक मस्जिद के निर्माण के लिए लश्कर-ए-तैयबा ने फंड जारी किया था। यह मस्जिद पलवल जिले के उत्तावर गांव में है जिसका नाम खुलाफा-ए-रशीदीन है। हालांकि, गांव के प्रधान ने जांच रिपोर्ट को नकारा है

BJP’s long march ends with resolve to continue campaign against Sabarimala verdict


LDF plans campaign highlighting constitutional responsibility to implement Supreme Court ruling.


A long march taken out by the BJP-led National Democratic Alliance from Pandalam, opposing the Supreme Court verdict allowing entry of women of all ages into the Sabarimala hill shrine, concluded here on Monday.

Though the BJP leaders have been reiterating that the party would not resort to violence to push its demand, any bid by Sangh Parivar organisations to stop women pilgrims from entering the shrine on Thursday could lead to a showdown. Also the issue would come in handy for the BJP as well as the Congress-led United Democratic Front to lash the Left Democratic Front government.

The BJP leaders plan to meet soon to discuss the future course of action, which means the party would like to keep the issue alive till the Lok Sabha election due early next year.

The government has clarified that it would offer protection to all pilgrims, including women and also that it is committed to protecting the ritualistic tradition of Sabarimala and other places of worship.

NDA leaders leading the long march in Thiruvananthapuram on Monday on the Sabarimala issue.

 

The ruling LDF government is embarking on a campaign of its own from Tuesday.

Public meetings are to be held, with Chief Minister Pinarayi Vijayan and other leaders participating. The campaign will highlight the government’s constitutional responsibility to implement the verdict and explain the proposal it has submitted to the Supreme Court to constitute a panel comprising experts in rituals and eminent citizens to study the issue before taking a call.

The government also plans to expose the ‘contradictory positions’ adopted by the national leaders of the BJP and the RSS on the issue. It is confident of mobilising public opinion to match or even outdo the protests launched by the NDA and the UDF.

Clearing the post flood debris in Pamba and its precincts itself was a tough ordeal for the temple board. Caught in the row, it could not mobilise all its resources to put in place infrastructure facilities for debutante pilgrims as planned earlier. But it would do its best to provide all facilities to the pilgrims, sources said.

The Pandalam Palace as well as the Ayyappa Seva Sanghom and such others who focus on the service of the pilgrims have reiterated that they would not foment trouble. But women from different parts of the State collectively and individually have expressed their resolve to have `darshan’ and if the Sangh Parivar organisations decide to block them at Nilakkal, the base camp, it would lead to a commotion.

AIIEA gave a call for one day salary in Kerala relief fund

 

LIC Employees and Officers contribution towards Kerala Flood Relief of Rs 7,00,00,000 (SEVEN CRORE RUPEES) handed over to Chief Minister of Kerala Pinarayi Vijayan today by Chairman of LIC, alongwith Managing Director, Zonal Manager and others.
AIIEA gave a call for one day salary in this regard..

★LONG LIVE INSURANCE EMPLOYEES UNITY WITH TOILING & DISTRESSED PEOPLE OF KERALA★

पंचकुला वासी अभी भी केरला के दु:ख में भागीदार हैं: ज्ञान चंद गुप्ता

पंचकूला 12 अक्तूबर:
पंचकूला के विधायक एवं मुख्य सचेतक ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि केरला बाढ पीडि़तों की मदद के लिए पंचकूला के नागरिक अब भी बढ़ चढ़ कर भाग ले रहे हैं ताकि पीडि़तों को हर सम्भव सहायता प्रदान कर उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाया जा सके।
श्री गुप्ता उनके निवास पर शक्ति स्नेह मन्दिर वैष्णव दरबार धर्मार्थ ट्रस्ट माता मनसा देवी सैक्टर 5 द्वारा 51 हजार रुपए की राशि का चैक बाढ पीडि़तों की सहायतार्थ ले रहे थे। ट्रस्ट ने इस राशि का चैक मुख्यमंत्री सहायता फण्ड में जमा करवाने के लिए मुख्य सचेतक को भेंट किया। उनके साथ ट्रस्ट के प्रधान धर्मसिंह, सचिव अशोक सूद, उमेश सूद सहित कई गणमान्य नागरिक भी मौजूद थे।
विधायक ने कहा कि प्रदेश ही नहीं बल्कि देश, विदेश के किसी भी क्षेत्र में विशेषकर प्राकृतिक आपदा में हरियाणा के लोग दिल खोलकर मदद करते हैं तथा अन्य विपतियों में भी प्रदेश का नागरिक कभी गुरेज नहीं करता। उन्होंने कहा कि हरियाणा के नागरिक जिस प्रकार हर क्षेत्र में बुलन्दियों को छू रहा है, वहीं राहत एवं मदद के लिए भी सदैव तत्पर रहता है। पंचकूला के  नागरिकों ने केरला बाढ  पीडि़तों की मदद के लिए पहले भी लाखों रुपए की राशि एंव दैनिक खाद्य सामग्री व दैनिक जीवन में उपयोग किया जाने वाला सामान दान स्वरूप  भेजा है।