कैप्टन का ब्यान, उसके मायने और नतीजे

पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा कि इस्तीफे पर अड़े रहने का राहुल का निर्णय पार्टी के लिए एक बड़ी निराशा और झटका है, जिससे केवल कोई युवा नेतृत्व ही उबार सकता है.  कैप्टन के ब्यान के बाद कॉंग्रेस में होड़ लगी है कि “कौन बनेगा नया अध्यक्ष”? माने क्या लिए गए कि एक राजवंश से किसी दूसरे राजवंश को कांग्रेस की कमान सोंप दी जाये। इसी सिलसिले में पायलट, सिंधिया, मिलिंद इत्यादि के नाम सामने आने लग पड़े। होना यह चाहिए था कि कॉंग्रेस जिसे मोदी से टक्कर लेनी है उस कॉंग्रेस को किसी साधारण पृषठ्भूमी से होनहार युवा नेता का चयन करना चाहिए और यदि वह दक्षिण भारतीय होने के साथ साथ हिन्दी भाषी हो तो सोने पे सुहागा होगा। लेकिन होगा क्या, यह सब जानते हैं। काँग्रेस फिर से एक नया मनमोहन सिंह चुनेंगे जो 10 जनपथ द्वारा नियंत्रित किया जा सके।

चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने शनिवार को इस बात की वकालत की कि राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफे के बाद पार्टी की कमान किसी युवा नेता को सौंप देनी चाहिए.

देश में बड़ी और बढ़ती युवा आबादी की ओर इशारा करते हुए, मुख्यमंत्री ने कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) से राहुल की जगह किसी करिश्माई अगली पीढ़ी के नेता की तलाश करने का आग्रह किया, जिसकी पूरे भारत में स्वीकार्यता हो और जमीनी स्तर पर अपनी मौजदूगी से लोगों को उत्साहित कर सके.

‘युवा नेता लोगों की आकांक्षाओं से अधिक प्रभावी ढंग से जुड़ सकेगा’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘राहुल ने युवा नेतृत्व के पार्टी की बागडोर लेने और इसे और अधिक ऊंचाइयों पर पहुंचाने का मार्ग दिखाया था.’ उन्होंने कहा कि भारत की सबसे बड़ी युवा आबादी के मामले में दुनिया में अग्रणी बनने के साथ स्वाभाविक है कि एक युवा नेता लोगों की इच्छाओं और आकांक्षाओं से अधिक प्रभावी ढंग से जुड़ सकेगा और उन्हें समझ सकेगा. 

सिंह ने एक बयान में कहा कि पार्टी नेतृत्व में किसी भी बदलाव से 65 प्रतिशत आबादी के 35 वर्ष की उम्र का होने के साथ भारत की सामाजिक वास्तविकता को प्रतिबिंबित करना चाहिए.  उन्होंने कहा कि इस्तीफे पर अड़े रहने का राहुल का निर्णय पार्टी के लिए एक बड़ी निराशा और झटका है, जिससे केवल कोई युवा नेतृत्व ही उबार सकता है. 

‘सिर्फ एक युवा नेता ही पार्टी को फिर से उभार सकता है’ 
उन्होंने कहा कि सिर्फ एक युवा नेता ही पार्टी को फिर से उभार सकता है. उन्होंने कहा कि पार्टी का नेतृत्व ऐसा होना चाहिए कि वह राष्ट्र की उभरती आकांक्षाओं के प्रति अपनी दूरदृष्टि  का अहसास दिखाए.

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘एक युवा नेता, एक दूरदर्शी दृष्टिकोण के साथ, न केवल भारत की युवा आबादी के बड़े हिस्से के साथ अच्छे से जुड़ सकेगा, बल्कि पार्टी को नए सिरे से सोच के साथ विकसित करेगा, राष्ट्र को सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रतिगामी और विभाजनकारी नीतियों से अलग करने की सख्त आवश्यकता है.’

सिंह ने कहा कि पार्टी के अनुभवी दिग्गज नेताओं के मार्गदर्शन में, एक युवा नेता, एक दूरदर्शी दृष्टिकोण और आधुनिक दृष्टिकोण के साथ, एक नए भारत के जन्म का मार्ग प्रशस्त करेगा..अधिक जीवंत, गतिशील और प्रगतिशील.

उन्होंने कहा कि समय आ गया है जब वरिष्ठ नेता नए नेताओं के लिए रास्ता साफ करें, जिसके बिना कांग्रेस आज की चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना नहीं कर सकती है.

कर्णाटक संकट: सत्तारूढ़ दल के 11 विधायकों ने दिया इस्तीफा

कर्नाटक में शनिवार को अचानक घटे राजनीतिक घटनाक्रम में सत्तारुढ कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के 12 विधायकों के अध्यक्ष के एन रमेश को इस्तीफा भेजने से राज्य की कुमारस्वामी सरकार के लिए गहरा संकट उत्पन्न हो गया है।

बेंगलुरु: कर्नाटक में मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की अगुवाई वाली कांग्रेस+जेडीएस की सरकार गिर सकती है. शनिवार को कांग्रेस और जेडीएस के 11 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है. राज्य विधानसभा के स्पीकर रमेश कुमार ने कहा कि कांग्रेस और जेडीएस के 11 विधायकों का इस्तीफा उनके दफ्तर में आया है. उन्होंने कहा कि वे रविवार को छुट्टी पर हैं और सोमवार को वह विधानसभा स्थित अपने दफ्तर पहुंचने के बाद ही पूरी स्थिति स्पष्ट कर पाएंगे. उधर कांग्रेस विधायक बीसी पाटिल ने दावा किया है कि दोनों दलों के 14 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है.

स्पीकर रमेश कुमार ने कहा कि उन्हें आज अपनी बेटे को लेने जाना था, इसलिए वह दफ्तर से जल्दी घर आ गए थे. उन्होंने अपने दफ्तर के कर्मचारियों को कहा है कि वह विधायकों का इस्तीफा कबूल कर लें और उन्हें इसकी पावती दे दें. स्पीकर अब सोमवार को दफ्तर जाएंगे तब डिटेल में बातें बता पाएंगे. उन्होंने कहा कि मुझे दफ्तर से सूचना मिली है कि 11 विधायकों का इस्तीफा आ चुका है.

दावा किया जा रहा है कि इन विधायकों ने इस्तीफा दिया है.-:
1. प्रताप गोड़ा पाटील, कांग्रेस (Pratapgowda patil)
2. शिवराम हेबार, कांग्रेस (Shivaram Hebbar)
3. रमेश जारखोली, कांग्रेस (Ramesh jarkiholi)
4. गोपालाह, जेडीएस (Gopalaiah)
5. महेश कुमाति हाली, कांग्रेस (Mahesh Kumati Halli)
6. एच विश्वनाथ, जेडीएस (H Vishwanath)
7. नारायण गोड़ा कांग्रेस (Narayan Gowda)
8. बीसी पाटील, कांग्रेस (B c patil)
9. रामलिंगा रेड्डी, कांग्रेस (Ramalinga reddy)
10. सोम्या रेड्डी, कांग्रेस (Sowmya reddy)
11 . बी सुरेश, कांग्रेस (Byrsthi Suresh)
12. मुनिरथना, कांग्रेस (Munirathna)

कांग्रेस के संकटमोचक के साथ गए 4 विधायक
उधर, बताया जा रहा है कि कर्नाटक में कांग्रेस के संकटमोचक माने जाने वाले डीके शिवकुमार के साथ कांग्रेस के चार विधायक जाते हुए दिखे हैं. रामलिंगा रेड्डी (Ramlinga Reddy ), एसटी सोमशेखर (S T Somshkher), मुन्नी रत्ना (Munni Rathna) और बायरत्ती बिस्वराज (Bayratti Basawraj) डीके शिवकुमार के साथ जाते हुए देखे गए हैं. 

बीजेपी के प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा ने कहा कि कर्नाटक में अनैतिक गठबंधन की सरकार चल रही है. पहले से आशंका थी कि वहां यह सरकार ज्यादा दिन नहीं चल पाएगी. बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है. वहीं कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा कि बीजेपी की सरकारों को गिराने की फितरत रही है. बीजेपी की मौजूदा सरकार गोवा में भी इसी तरह से सरकार बनाई है.

विजय नगर से कांग्रेस विधायक आनंद सिंह पिछले सप्ताह ही विधानसभा से इस्तीफा दे चुके हैं। सूत्रों के अनुसार दो निर्दलीय विधायक जिन्हें हाल ही में मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था उन्होंने भी मंत्रिमंडल में इस्तीफा देने निर्णय लिया है और भारतीय जनता पार्टी के 105 सदस्यों को अपना समर्थन देने का फैसला किया है।

कर्नाटक विधानसभा की 225 सीटें है। जिसमें कांग्रेस के पास 78, जद(एस) के पास 37, दो निर्दलीय और बहुजन समाज पार्टी के पास एक सीट है।

Sabarimala pilgrim chants are ‘noise pollution’ : Kerala Govt.

With inputs from Ravi Bharti Gupta

The Kerala Forest Department in its ecotourism development report to the Centre has termed Sabarimala pilgrim chants as ‘noise pollution’ and listed out the environmental ‘hazards’ caused by the pilgrimage.

The Travancore Devaswom Board, which manages the holy Hindu shrine, has taken strong exception of the report, with its president A Padmakumar terming the statements as a mockery of the pilgrimage itself, as reported by a national daily

The report by the Forest Department reads, “The major hazards caused by the movement of pilgrims include collection of firewood from the forest, cutting poles for constructing sheds, littering of biodegradable plastic waste, noise pollution by chanting religious slogans, creating trekking tracks through trampling resulting in soil erosion, lighting at night during trekking to the temple, temporary camps, and halting places.”

The report further says that the Forest Department ‘seldom controls the pilgrimage activities’ despite affecting the ecological sanctity of the area.

Padmakumar has also alleged that the report is an attempt by the Forest Department to sabotage the pilgrimage instead of cooperating with the Board to facilitate it.

गुजरात की राज्य सभा सीटों पर चुनाव से पहले कॉंग्रेस ने अपने विधायकों को भेजा माउंट आबू

नई दिल्‍ली: गुजरात में पांच जुलाई को दो सीटों के लिए होने जा रहे राज्‍यसभा चुनाव के मद्देनजर विपक्षी कांग्रेस को क्रॉस वोटिंग की आशंका है. इसलिए पार्टी गुजरात के अपने सभी विधायकों को आज शाम बजे गुजरात से राजस्‍थान के माउंट आबू भेजने जा रही है. वर्कशॉप के नाम पर इन विधायकों को वहां रखा जाएगा. उधर पार्टी ने गुजरात राज्यसभा चुनाव की रणनीति बनाने की जिम्मेदारी राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत को दी है. सूत्रों के मुताबिक इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुजरात प्रभारी राजीव सातव से चर्चा भी की है. सूत्रों के मुताबिक सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद अशोक गहलोत राजीव सातव से मिले हैं.

इस बीच कांग्रेस के बागी विधायक अल्‍पेश ठाकोर ने दावा किया है कि 18 विधायक कांग्रेस को छोड़ना चाहते हैं. अल्‍पेश ठाकोर ने इसके साथ ही कहा कि वह माउंट आबू नहीं जाएंगे.

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उल्‍लेखनीय है कि गुजरात विधानसभा में कांग्रेस के 71 विधायक हैं. भाजपा नेताओं अमित शाह और स्‍मृति ईरानी के लोकसभा चुनाव जीतने और राज्‍यसभा से इस्‍तीफा देने के कारण ये सीटें खाली हुई हैं.  इन सीटों के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गुजरात के ओबीसी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष जुगलजी ठाकोर ने ठाकोर ने नामांकन दाखिल किया है.

ठाकोर उत्तर गुजरात के मेहसाणा जिले से हैं, जहां से नरेंद्र मोदी भी हैं. ठाकोर राज्य में ओबीसी समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं. विदेश सचिव के रूप में सेवाएं दे चुके एस जयशंकर को पीएम मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया है और उन्‍हें विदेश मंत्री बनाया गया है. राज्‍यसभा चुनावों में संख्‍याबल के लिहाज से देखा जाए तो भाजपा का पलड़ा भारी दिख रहा है.

राज्यसभा में स्थिति मजबूत करेगा एनडीए
इस बीच राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) इस सप्ताह के अंत में चार और सदस्यों को शामिल कर राज्यसभा में अपनी स्थिति मजबूत करेगा. यह तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के चार और भारतीय राष्ट्रीय लोक दल (आईएनएलडी) के एक सदस्य के शामिल होने के बाद होगा. इसके साथ, राजग के पास 115 सांसद होंगे.

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ये सदस्य बिहार, गुजरात और ओडिशा से हैं. बिहार में, लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) को जगह मिलेगी. गुजरात में भाजपा के खाते में दो और ओडिशा में एक सीट जुड़ जाएगी. भारतीय जनता पार्टी उच्च सदन में 75 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है. कांग्रेस 48 सदस्यों वाली सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है और समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस 13-13 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी गैर-कांग्रेस-गैर भाजपा पार्टी हैं.

24 जुलाई को तमिलनाडु से पांच सीटें खाली होंगी. ये सीपीआई के डी. राजा और अन्नाद्रमुक के के.आर. अर्जुनन, डॉ. आर. लक्ष्मणन, डॉ. वी. मैत्रेयन और टी. रथिनवेल हैं. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के विपरीत, राजग इस बार राज्यसभा में कम बाधाओं की उम्मीद कर रहा है. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर राज्यसभा में अपने भाषण में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि विधेयकों को मंजूरी देने में बाधा डालकर लोगों के जनादेश को नहीं दबाया जाना चाहिए.

ए जे एल मामले में सरकार ने अपना जवाब दाखिल किया

नई दिल्ली: नेशनल हेराल्ड के प्रकाशक एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल कर दिया है. सरकार ने कहा है कि एजेएल की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. ऐसे में अदालत को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और इसे खारिज कर देना चाहिए. हलफनामे में केंद्रीय शहरी एवं आवास मामलों के मंत्रालय ने दिल्ली के आईटीओ स्थित हेराल्ड हाउस को खाली करने के अपने आदेश को सही बताया. 

मंत्रालय ने याचिका में दिए गए आधारों को बताया गलत, कहा पिछले दस साल से हेराल्ड हाउस में कोई प्रेस नहीं चल रही है और सार्वजनिक परिसर अधिनियम का उल्लंघन है. साथ ही लीज पर मुहैया करायी गई संपत्ति का दुरुपयोग है. जवाब में सरकार ने कहा है कि सोनिया गांधी,राहुल गांधी, मोतीलाल वोहरा और ऑस्कर फर्नाडिज द्वारा सौ फीसद शेयर को स्थानांतरित किया जाना भी एजेएल द्वारा किया गया उल्लंघन है. राजनीतिक पार्टी का बैकग्राउंड होने की वजह से भवन को खाली कराने का आदेश जारी किए जाने का आरोप गलत है. 

पांच अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने एजेएल मामले में बड़ी राहत दी है. शीर्ष कोर्ट ने दिल्ली के आईटीओ स्थित हेराल्ड हाउस खाली करने के आदेश पर रोक लगा दी थी. साथ ही एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चार हफ्तों जवाब दाखिल करने को कहा था जिस पर केंद्र ने जवाब दिया है. इससे पहले नेशनल हेराल्ड अखबार की प्रकाशक कंपनी एजेएल ने दिल्ली हाईकोर्ट के हेराल्ड हाउस खाली करने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. दिल्ली हाईकोर्ट ने 28 फरवरी को लीज की शर्तें तोड़ने का दोषी पाते हुए एजेएल को दिल्ली के आईटीओ स्थित हेराल्ड हाउस खाली करने का आदेश दिया था. मंत्रालय ने गतवर्ष ३० अक्टूबर को हाउस खाली कराने का नोटिस दिया था. 

एजेएल ने एकल न्यायाधीश के 21 दिसंबर के आदेश को खिलाफ अपील दायर की थी, जिसने शहरी विकास मंत्रालय के खिलाफ दायर एजेएल की याचिका खारिज कर दी थी. शहरी विकास मंत्रालय ने 30 अक्टूबर, 2018 को कहा था कि एजेएल की 56 साल पुरानी लीज समाप्त हो चुकी है. इसलिए उसे परिसर खाली करना होगा.

राहुल ने ट्विट्टर पर डाला 4 पन्नों का शिकायत पत्र

राहुल गांधी ने ट्विट्टर पर 4 पन्नों का शिकायति पत्र डाला है जिसकी शुरुआत उन्होने अपने इस्तीफे को दोहराते हुए की है। शेष पत्र में उन्होने भाजपा आरएसएस को कोसा है। एक बात और जो राहुल ने नहीं लिखी कि वह जनता के फैसले को स्वीकार नहीं कर पा रहे। राहुल की नज़र में भाजपा की जीत जनादेश नहीं अपितु वोटों की लूट खसूट है।

नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को घोषणा की कि उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है और उन्हें लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन के लिए दोषी ठहराया जाना चाहिए, क्योंकि पार्टी 542 में से केवल 52 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई. राहुल ने ट्विटर पर एक खुले पत्र में सार्वजनिक रूप से कहा कि भाजपा की व्यापक जीत ने यह साबित कर दिया है कि देश के संस्थागत ढांचे पर कब्जा करने का आरएसएस का लक्ष्य अब पूरा हो गया है.

राहुल ने अपने ट्विटर अकाउंट के जरिए कहा, “‘कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर मैं 2019 के चुनाव के नुकसान के लिए जिम्मेदार हूं. हमारी पार्टी के भविष्य के विकास के लिए जवाबदेही महत्वपूर्ण है. यही कारण है कि मैं कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहा हूं.”

राहुल ने चार पेज का एक पत्र भी लिखा जिसमें उन्होंने कहा, “पार्टी के पुनर्निर्माण के लिए कठोर निर्णयों की आवश्यकता होती है और 2019 की विफलता के लिए कई लोगों को जवाबदेह बनाना होगा.” अपने पत्र में राहुल ने कहा, “आरएसएस भाजपा के वैचारिक माता-पिता, देश के संस्थागत ढांचे पर कब्जा करने में सफल रहे. उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाने की मांग की.”

राहुल ने कहा, “हमने चुनाव किसी राजनीतिक पार्टी के खिलाफ नहीं लड़ा बल्कि हमने भारतीय राज्य की पूरी मशीनरी से लड़ाई लड़ी, जिसका हर संस्थान विपक्ष के खिलाफ था. इससे अब साबित हो गया है कि हमारी संस्थागत तटस्थता अब भारत में मौजूद नहीं है.” राहुल ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की सांस नहीं रोकती है. उन्होंने कहा कि कोई भी राशि या प्रचार कभी भी सच्चाई की रोशनी को नहीं छिपा सकता है.  

राहुल ने अपनी चिट्ठी में जो लिखा, उसका टेक्स्ट कुछ इस प्रकार है:

“मेरा संघर्ष कभी भी राजनीतिक सत्ता के लिए साधारण लड़ाई नहीं रहा. मुझे भाजपा के प्रति कोई घृणा या क्रोध नहीं है, लेकिन मेरे शरीर में मौजूद रक्त की हर बून्द सहज रूप से भारत के उनके विचार का प्रतिरोध करती है. यह प्रतिरोध इसलिए पैदा होता है, क्योंकि मेरे होने की अनुमति एक भारतीय विचार से मिलती है और जो हमेशा उनके साथ सीधे टकराव में रहा है. यह कोई नई लड़ाई नहीं है; यह हजारों वर्षों से हमारी धरती पर छाई हुई है. जहां वे मतभेद देखते हैं, मैं समानता देखता हूं. जहां वे घृणा से देखते हैं, मैं प्रेम से देखता हूं. जहाँ वे डरते हैं, मैं गले लगाता हूं.

किसी भी तरह से मैं इस लड़ाई से पीछे नहीं हट रहा हूं. मैं कांग्रेस पार्टी का एक निष्ठावान सिपाही और भारत का एक समर्पित बेटा हूं और अपनी अंतिम सांस तक उनकी सेवा और सुरक्षा करता रहूंगा.

हमने एक मजबूत और गरिमापूर्ण चुनाव लड़ा. हमारा अभियान भारत के सभी लोगों, धर्मों और समुदायों के लिए भाईचारे, सहिष्णुता और सम्मान में से एक था. मैंने व्यक्तिगत रूप से प्रधान मंत्री, आरएसएस और उन सभी संस्थानों से लड़ाई लड़ी है, जिन पर उन्होंने कब्जा कर रखा है. मैंने संघर्ष किया क्योंकि मैं भारत से प्यार करता हूं और भारत ने जिन आदर्शों का निर्माण किया था, उनकी रक्षा के लिए मैंने संघर्ष किया. कई बार, मैं पूरी तरह से अकेला खड़ा था और मुझे इस पर बहुत गर्व है. मैंने अपने कार्यकर्ताओं और पार्टी के सदस्यों, पुरुषों और महिलाओं की भावना और समर्पण से बहुत कुछ सीखा है, जिन्होंने मुझे प्यार और शालीनता के बारे में सिखाया है.

एक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए किसी देश के संस्थानों की निष्पक्षता की आवश्यकता होती है; एक चुनाव बिना मध्यस्थों के निष्पक्ष नहीं हो सकता – एक स्वतंत्र प्रेस, एक स्वतंत्र न्यायपालिका और एक पारदर्शी चुनाव आयोग जो उद्देश्यपूर्ण और तटस्थ हो. न ही एक चुनाव स्वतंत्र हो सकता है, अगर एक पार्टी का वित्तीय संसाधनों पर पूर्ण एकाधिकार हो.

हमने 2019 के चुनाव में हमारी लड़ाई एक राजनीतिक पार्टी से नहीं थी. बल्कि, हमने पूरी सरकारी मशीनरी से लड़ाई लड़ी, जिसका हर संस्थान विपक्ष के खिलाफ था. अब यह स्पष्ट हो गया है कि हमारी संस्थागत तटस्थता अब अस्तित्व में नहीं है. हमारे देश की संस्थागत संरचना पर कब्जा करने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के घोषित उद्देश्य अब पूरे हो गए हैं. हमारा लोकतंत्र बुनियादी रूप से कमजोर हुआ है. एक वास्तविक खतरा यह है कि अब से, चुनाव भारत के भविष्य को तय करने के बजाय औपचारिकता मात्र रह जाएंगे.

सत्ता पर कब्जा करने से भारत के लिए अकल्पनीय स्तर की हिंसा और दर्द होगा. किसानों, बेरोजगार युवाओं, महिलाओं, आदिवासियों, दलितों और अल्पसंख्यकों को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है. हमारी अर्थव्यवस्था और राष्ट्र की प्रतिष्ठा पर प्रभाव विनाशकारी होगा. प्रधानमंत्री की जीत उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की गंभीरता को कम नहीं करती है; कोई भी धन राशि और प्रचार कभी भी सच्चाई की रोशनी को छिपा नहीं सकता है. भारतीय राष्ट्र को अपनी संस्थाओं को पुनः प्राप्त करने और पुनर्जीवित करने के लिए एकजुट होना चाहिए. इस पुनर्जीवन का माध्यम कांग्रेस पार्टी होगी.

इस महत्वपूर्ण लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, कांग्रेस पार्टी को खुद को मौलिक रूप से बदलना होगा. आज भाजपा भारतीय लोगों की आवाज को व्यवस्थित रूप से कुचल रही है. इन आवाजों का बचाव करना कांग्रेस पार्टी का कर्तव्य है. भारत कभी भी एक आवाज नहीं रहा है. यह हमेशा आवाज़ों का एक समूह रहा है. यही भारत माता का सच्चा सार है.

देश और विदेश में, उन हजारों भारतीयों को धन्यवाद, जिन्होंने मुझे पत्र और समर्थन के संदेश भेजे हैं. मैं अपनी पूरी ताकत से कांग्रेस पार्टी के आदर्शों के लिए लड़ता रहूंगा. जब भी उन्हें मेरी सेवाओं या सुझाव की आवश्यकता होगी, मैं पार्टी के लिए उपलब्ध हूं. जो लोग कांग्रेस की विचारधारा का समर्थन करते हैं, विशेष रूप से हमारे समर्पित और प्यारे कार्यकर्ताओं के लिए, मुझे अपने भविष्य और आपके प्रति अत्यंत प्रेम पर पूर्ण विश्वास है. यह भारत में एक आदत है कि कोई भी शक्तिशाली सत्ता से चिपका रहता है, सत्ता का बलिदान नहीं करता. लेकिन हम एक गहरी वैचारिक लड़ाई और सत्ता की इच्छा का त्याग किए बिना अपने विरोधियों को परास्त नहीं कर पाएंगे. मैं एक कांग्रेसी पैदा हुआ था, यह पार्टी हमेशा मेरे साथ रही है और लहू के हर एक कतरे की तरह मेरे जीवन का अमिट हिस्सा है और हमेशा रहेगी.” 


केरल में भाजपा का सूर्योदय

केरल में पिछले वर्ष हुए कई छात्र संघ के चुनावों में भाजपा की छात्रसंघ इकाई ने मोर्चा मार लिया था, इस बार केरल के निकाय चुनावों में मिली अप्रत्याशित जीत से भाजपा अभिभूत है। बंगाल में लोक सभा निकाय चुनावों में विजय प्राप्ति के पश्चात यह दूसरा राज्य है जहां से भाजपा के लिए सुहानी खबर आई है।

तिरुअनंतपुरम: लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद केरल में सीपीएम के नेतृत्व वाले एलडीएफ ने स्थानीय निकाय के उपचुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया है. स्थानीय निकाय की 44 सीटों पर हुए उपचुनाव में एलडीएफ ने 22 सीटें अपनी झोली में डाली हैं. एलडीएफ ने छह सीटों को कांग्रेस नीत यूडीएफ से छीन लिया लेकिन वह सात सीटें यूडीएफ के हाथों हार भी गया. ये उपचुनाव गुरुवार को हुए थे.

इस उपचुनाव में बीजेपी के लिए भी खुशखबरी है. पार्टी ने पांच सीटों पर कब्जा जमाया है. यूडीएफ को 17 सीटें मिली हैं. राज्य में सत्तारूढ़ एलडीएफ का लोकसभा चुनाव में सफाया हो गया था और उसे 20 संसदीय सीटों में से एक सीट मिली थी. यूडीएफ ने 19 सीटें जीती थी. 

ये चुनाव 33 पंचायत वार्ड, छह ब्लॉक पंचायत वार्ड और पांच नगर पालिका वार्ड में हुए थे. 2015 में, एलडीएफ ने 591 में से 549 ग्राम पंचायत वार्ड, 152 ब्लॉक पंचायत वार्ड में से 90 में जीत हासिल की थी. इतना ही नहीं एलडीएफ ने 14 जिला पंचायतों में से 7 पर कब्जा जमाया था. नगरपालिका की बात करें तो पार्टी ने 87 नगरपालिकाओं में 44 पर फतह हासिल की थी.  

इस जीत से उत्साहित सीपीआई के राज्य सचिव कानम राजेंद्रन ने कहा हमारी पार्टी ने साबित कर दिया है कि केवल एक चुनाव में मिली हार से हमें खारिज नहीं किया जा सकता. इसी बीच, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष पीएस श्रीधरन पिल्लई ने कहा कि कई क्षेत्रों में बीजेपी का वोट शेयर बढ़ा है. यह दिखाता है कि राज्य के लोगों में पार्टी की स्वीकार्यता बढ़ रही है. पिल्लई ने आगे कहा, “बीजेपी की जीत दिखाती है कि केरल के लोगों के बीच पीएम नरेंद्र मोदी की स्वीकार्यता बढ़ी है और लोग उनसे प्रभावित हैं.”

राहुल जी, यही नव भारत है, जहां कुत्ते भी आपसे अधिक बुद्धिमान हैं : परेश रावल

लोक सभा च्नावोन में मिली करारी हार से राहुल का उबरना कठिन लग रहा है। वह आए दिन अपने अंदाज़ से भारत की लोक तांत्रिक व्यवस्था का मज़ाक दाते दिखाई पड़ते हैं ओर फिर न्के नेता उनके बचाव में आ जाते हैं, लेकिन रहल हैं के मानते ही नहीं।

नई दिल्ली: राहुल गांधी का योग दिवस पर किए गए तंज पर विवाद बढ़ता जा रहा है. योग दिवस के मौके पर राहुल गांधी ने सेना के जवानों और कुत्तों के जरिए योग करते हुए तस्वीरें ट्वीट की थी. इस पर बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. इस तस्वीर में जवानों के साथ सेना के कुत्ते भी योग करते नजर आ रहे हैं. इस पर राहुल गांधी ने तंज कसा था.

इसके बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि सेना का अपमान करना कांग्रेस की परंपरा रही है. कांग्रेस का हाथ नकारात्मकता के साथ. उनके अलावा केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी राहुल गांधी के बयान पर निराशा जताते हुए कहा, भगवान उन्हें सदबुद्धि दे.

Congress stands for negativity.
Today, their negativity was seen in their clear support to the medieval practice of Triple Talaq. Now, they mock Yoga Day and insult our forces (yet again!) Hoping the spirit of positivity will prevail. It can help overcome toughest challenges. https://twitter.com/rahulgandhi/status/1142019983485988864 …Rahul Gandhi✔@RahulGandhiNew India.21.5K6:39 PM – Jun 21, 2019Twitter Ads info and privacy7,346 people are talking about this

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर सबसे तीखा हमला बीजेपी के पूर्व सांसद और फिल्म अभिनेता परेश रावल ने किया. उन्होंने कहा, हां राहुल गांधी जी ये न्यू इंडिया है. यहां पर कुत्ते आपसे ज्यादा स्मार्ट हैं.

Yes it’s a NEW INDIA Rahul ji where even dogs are smarter than you . @RahulGandhi27K4:42 PM – Jun 21, 2019Twitter Ads info and privacy8,038 people are talking about this

योग दिवस पर पूरी दुनिया समेत देश के ज्यादातर हिस्सों में योगा दिवस पर कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड के रांची में योग कार्यक्रम में हिस्सा लिया था. खुद कांग्रेस शासित कई राज्यों में योग दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किए गए थे.

एक और ख़बर जो ख़बर न बन सकी

1951 में कांग्रेस सरकार ने “हिंदू धर्म दान एक्ट” पास किया था। इस एक्ट के जरिए कांग्रेस ने राज्यों को अधिकार दे दिया कि वो किसी भी मंदिर को सरकार के अधीन कर सकते हैं।
इस एक्ट के बनने के बाद से आंध्र प्रदेश सरकार नें लगभग 34,000 मंदिर को अपने अधीन ले लिया था। कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु ने भी मंदिरों को अपने अधीन कर दिया था। इसके बाद शुरू हुआ मंदिरों के चढ़ावे में भ्रष्टाचार का खेल। उदाहरण के लिए तिरुपति बालाजी मंदिर की सालाना कमाई लगभग 3500 करोड़ रूपए है। मंदिर में रोज बैंक से दो गाड़ियां आती हैं और मंदिर को मिले चढ़ावे की रकम को ले जाती हैं। इतना फंड मिलने के बाद भी तिरुपति मंदिर को सिर्फ 7 % फंड वापस मिलता है, रखरखाव के लिए।

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री YSR रेड्डी ने तिरुपति की 7 पहाड़ियों में से 5 को सरकार को देने का आदेश दिया था। इन पहाड़ियों पर चर्च का निर्माण किया जाना था। मंदिर को मिलने वाली चढ़ावे की रकम में से 80 % “गैर हिंदू” कामों के लिए किया जाता है।

तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक हर राज्य़ में यही हो रहा है। मंदिर से मिलने वाली रकम का इस्तेमाल मस्जिदों और चर्चों के निर्माण में किया जा रहा है। मंदिरों के फंड में भ्रष्टाचार का आलम ये है कि कर्नाटक के 2 लाख मंदिरों में लगभग 50,000 मंदिर रखरखाव के अभाव के कारण बंद हो गए हैं।
दुनिया के किसी भी लोकतंत्रिक देश में धार्मिक संस्थानों को सरकारों द्वारा कंट्रोल नहीं किया जाता है, ताकि लोगों की धार्मिक आजादी का हनन न होने पाए। लेकिन भारत में ऐसा हो रहा है। सरकारों ने मंदिरों को अपने कब्जे में इसलिए किया क्योंकि उन्हे पता है कि मंदिरों के चढ़ावे से सरकार को काफी फायदा हो सकता है।

लेकिन, सिर्फ मंदिरों को ही कब्जे में लिया जा रहा है। मस्जिदों और चर्च पर सरकार का कंट्रोल नहीं है। इतना ही नहीं, मंदिरों से मिलने वाले फंड का इस्तेमाल मस्जिद और चर्च के लिए किया जा रहा है।

इन सबका कारण अगर खोजे तो 1951 में पास किया हुआ कॉंग्रेस का वो बिल है। हिन्दू मंदिर एक्ट की पुरजोर मांग करनी चाहिए जिससे हिन्दुओ के मंदिरों का प्रबंध हिन्दू करे ।गुरुद्वारा एक्ट की तर्ज पर हिन्दू मंदिर एक्ट बनाया जाए।

राजीव कुमार सैनी,
एडवोकेट हाई कोर्ट इलाहाबाद
स्वयंसेवक
संयोजक , भाजपा विधि प्रकोष्ठ, हाई कोर्ट इलाहाबाद इकाई, प्रयागराज

दार्जिलिंग में ममता को मिला एक बड़ा झटका

भाजपा ने बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को एक और झटका दिया है। लोगों का मानना है कि भाजपा एक प्र्भवी विकल्प कि तरह उभर रही है। 32 सदस्यीय दार्जीलिंग नगर निगम में भाजपा अब बहुमत में है। निगम की दो सीटें खाली हैं. तृणमूल यहां पहली बार सत्‍ता में आई थी.

नई दिल्ली: बीजेपी पश्‍च‍िम बंगाल की राजनीत‍ि में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस को हर कदम पर नुकसान पहुंचाती दिख रही है. लोकसभा में तृणमूल से 16 सीटें छीनने के बाद अब बीजेपी नगर पालिका और नगर निगम पर अपनी निगाहें जमा दी हैं. शनिवार को दार्ज‍िलिंग नगर निगम में तृणमूल के 17 पार्षद बीजेपी में शामिल हो गए. इसके साथ ही इस नगर निगम में बीजेपी का कब्‍जा हो गया है. इससे पहले भाटपारा में नगर पालि‍का में भी बीजेपी ने जीत हासि‍ल की थी.

दार्जीलिंग नगर निगम के 17 पार्षद शनिवार को बीजेपी में शामिल हो गए जिससे स्थानीय निकाय में भाजपा को बहुमत मिल गया है. बीजेपी नेता मुकुल रॉय ने पार्षदों को औपचारिक रूप से पार्टी में शामिल कराने के बाद संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी. रॉय ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर जनप्रतिनिधियों और उनके समर्थकों का उत्पीड़न करने के लिए पुलिस के इस्तेमाल का आरोप लगाया.

उन्होंने कहा, ‘राज्य में लोकतंत्र बचाने की हमारी लड़ाई जारी है. लोकसभा चुनाव में जनादेश मुख्यमंत्री के खिलाफ था, लेकिन अब वह बीजेपी कार्यकर्ताओं और समर्थकों को परेशान करने के लिए पुलिस राज का इस्तेमाल कर रही हैं.’ रॉय ने कहा कि 32 सदस्यीय दार्जीलिंग नगर निगम में भाजपा अब बहुमत में है. निगम की दो सीटें खाली हैं.

उन्होंने कहा कि भाजपा आने वाले दिनों में यहां बड़ा प्रदर्शन करेगी. राज्य के पार्टी मामलों के प्रभारी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी बनर्जी पर निशाना साधते हुए उन पर अनेक संस्थाओं पर हमले का आरोप लगाया. दार्जीलिंग से सांसद राजू बिस्ता ने कहा कि राज्य में खासकर उत्तर बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को हुए नुकसान के लिए पुलिस क्षेत्र में बीजेपी के लोगों को परेशान कर रही है.

एक साल पहले हुए निकाय चुनावों में पहली बार ममता बनर्जी की पार्टी को हिल्‍स यानी दार्ज‍िलि‍ंग नगर निगम में कामयाबी मिली थी. इस क्षेत्र में बिमल गुरुंग की गोरखा जनमुक्‍त‍ि मोर्चा का दबदबा रहता है. ये संगठन लंबे समय से अलग प्रदेश गोरखालैंड की मांग पर अड़ा है. बीजेपी इसी के सहयोग से दार्ज‍िलिंग की लोकसभा सीट जीतती आ रही है.