नई दिल्ली : राष्ट्रपति की ओर से रविवार को पांच राज्यपालों की नियुक्ति और तबादले किए गए हैं. इनमें आरिफ मोहम्मद खान को केरल का नया राज्यपाल नियुक्त किया गया है. केरल का राज्यपाल नियुक्त किए जाने पर आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि ये देशसेवा का अच्छा मौका है. मुझे भारत जैसे देश में जन्म लेने पर गर्व है.
कलराज मिश्र को राजस्थान का नया राज्यपाल नियुक्त किया गया है. अब तक वह हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल की जिम्मेदारी निभा रहे थे. बंडारू दत्तात्रेय को हिमाचल प्रदेश का नया राज्यपाल बनाया गया है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/09/aarif.jpg545970Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-09-01 18:09:092019-09-01 18:09:135 राज्यपालों की नियुक्तियाँ तबादले
आज के दौर में प्लास्टिक की समस्या पर्यावरण के लिए विनाशकारी साबित हो रही है। प्लास्टिक से पशु और जलीय जीवन दोनों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।। सबसे मुश्किल की बात ये है कि प्लास्टिक को इस्तेमाल के बाद काम में लाना काफी मुश्किल होता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, लगभग आठ मिलियन टन प्लास्टिक हमारे महासागरों में सालाना प्रवेश करता है। एक तरफ जहां पूरा देश प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या से जूझ रहा है वहीं केरल बर्बाद प्लास्टिक से सड़क बनाकर इसका सही इस्तेमाल कर रहा है।
केरल ने 9,700 टन प्लास्टिक कचरे से 246 किलोमीटर लंबी सड़क बना डाली है। इसमें प्लास्टिक की बोतलें, डायपर, पॉलीथीन इत्यादि शामिल है। इन सड़कों का निर्माण 2014 में शुरू किए गए राज्य के सुचित्वा मिशन के तहत किया गया। इस योजना का उद्देश्य केरल को एक स्वच्छ और हरित राज्य बनाना है।
इस पहल के बारे में बात करते हुए सुचित्वा मिशन के रेनजिथ अब्राहम ने पत्रकारों से कहा, ‘केरल हमेशा से कचरा प्रबंधन में आगे रहा है। पिछले साल 1 नवंबर को केरल के स्थापना दिवस के दौरान राज्य ने भारत का पहला कचरा मुक्त राज्य बनने का इरादा किया था जिसमें एक वर्ष में केरल को कचरा मुक्त बनाने की शपथ ली गई थी। तब से लेकर अब तक केरल में अपशिष्ट उत्पादन को कम करने के लिए बहुत सारी पहल की गई हैं।’
सबसे पहले केरल में राजगिरी कॉलेज में प्लास्टिक कचरे का उपयोग करके 500 मीटर सड़क पॉलीमराइज्ड किया गया था। प्लास्टिक कचरे में प्लास्टिक की बोतलें, पैकेजिंग सामग्री, कैप, और अन्य फेंक दिए गए आइटम शामिल थे। यह अभियान सफल हुआ तो इसे पूरे राज्य में लागू करने का फैसला किया गया। इसके लिए ग्राम पंचायत अध्यक्ष से लेकर नगर निगम तक को प्रेरित किया गया। पंचायत समिति ने तकनीकी ज्ञान हासिल करने के लिए लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की सहायता ली।
इस विचार को मंजूरी मिलने के बाद पंचायत ने सड़कों को बनाने के लिए प्लास्टिक का उपयोग शुरू किया। इसके लिए, हर दिन 500 किलोग्राम प्लास्टिक को छीलने की क्षमता वाले एक प्लास्टिक श्रेडर को स्थापित किया गया। कटा हुआ प्लास्टिक कचरा पीडब्ल्यूडी को बेचा जाता है, जो सड़क निर्माण के लिए इसका उपयोग करता है। अभी 800 किलोग्राम प्लास्टिक को 20 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेचा गया है।
रेन्जिथ आगे बताते हैं, ‘इसके साथ ही, सरकार ने राज्य में ‘कदम्बश्री’ मूवमेंट भी शुरू किया, जहाँ कर्मचारी हर पखवाड़े घर-घर जाकर गैर-पुनर्नवीनीकरण प्लास्टिक एकत्र करते हैं। राज्य सरकार ने प्लास्टिक श्रेडिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में भी निवेश किया है और राज्य में लगभग 418 रिसोर्स रिकवरी फैसिलिटीज का निर्माण किया है ताकि कचरे को अच्छी तरह से अलग किया जा सके और गैर-रिसाइकिल योग्य कचरे को आसानी से इकट्ठा किया जा सके।
राज्य सरकार ने प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रत्येक ब्लॉक/ गांव/ ग्राम पंचायत से महिला सदस्यों को रखने का नियम बनाया है। इन्हें हरित कर्म सेना (ग्रीन वारियर्स) के रूप में जाना जाता है। वे प्लास्टिक कचरे को इकट्ठा करने और एकत्र कचरे को अलग करने के लिए डोर-टू-डोर से अभियान चलाते हैं। इस तरह की पहल के साथ प्लास्टिक को प्रभावी ढंग से रीसाइक्लिंग करके प्लास्टिक कचरे से निपटने के लिए केरल देश के अन्य राज्यों के लिए एक उदाहरण साबित हो रहा है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/08/jusco-roads-2_1430292026.jpg481725Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-08-31 04:49:102019-08-31 04:49:13वेस्ट प्रबंधन: एरल में प्लास्टिक की सड़कें
पीएम मोदी के शब्द चुनौती पर प्रतिक्रिया देते हुए थरूर ने श्रृंखलाबद्ध कई ट्वीट किए, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मनोरमा न्यूज कॉनक्लेव में अपने एक भाषण का अंत हर दिन मातृभाषा को छोड़कर एक अन्य भारतीय भाषा के शब्द सीखने का सुझाव देकर किया. मैं हिंदी के अलावा बाकी भाषाओं में आने का स्वागत करता हूं और प्रसन्नतापूर्वक इस भाषा की चुनौती को आगे बढ़ाऊंगा.’
नई दिल्ली:
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भाषा की चुनौती स्वीकार कर ली और ‘बहुवचनम’ शब्द ट्वीट किया, जिसका अर्थ मलयालम में बहुलवाद है. थरूर का ट्वीट पीएम मोदी के तुरंत बाद आया. पीएम मोदी ने वीडियो कांफ्रेस के जरिए बात करते हुए शुक्रवार को कहा, ‘हमें कम से कम एक शब्द को देश में बोले जाने वाली 10-12 भाषाओं में लिख कर शुरुआत करनी चाहिए.’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इस तरह से एक व्यक्ति एक साल में 300 से ज्यादा नए शब्द सीख सकता है.’
पीएम मोदी के शब्द चुनौती पर प्रतिक्रिया देते हुए थरूर ने श्रृंखलाबद्ध कई ट्वीट किए, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मनोरमा न्यूज कॉनक्लेव में अपने एक भाषण का अंत हर दिन मातृभाषा को छोड़कर एक अन्य भारतीय भाषा के शब्द सीखने का सुझाव देकर किया. मैं हिंदी के अलावा बाकी भाषाओं में आने का स्वागत करता हूं और प्रसन्नतापूर्वक इस भाषा की चुनौती को आगे बढ़ाऊंगा.’
उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री की भाषा की चुनौती के जवाब में मैं रोजाना अंग्रेजी, हिंदी और मलयालम में एक शब्द ट्वीट करूंगा. अन्य लोग इसे दूसरी भाषाओं में कर सकते हैं. यहां पहला है, प्लुरलिज्म (अंग्रेजी), बहुलवाद (हिंदी), बहुवचनम (मलयालम).’ एक घंटे बाद थरूर ने बहुलवाद के मलयालम में दो और अर्थ सुझाए. थरूर कई मौके पर ट्विटर उपयोगकर्ताओं को शब्दकोश के इस्तेमाल के लिए प्रेरित करते हैं.
थरूर ने हाल में पूर्व वित्तमंत्री पी.चिदंबरम के समर्थन में ट्वीट करते हुए कहा था, ‘यह आपके चरित्र के लिए सम्मान की बात है कि साहस व विश्वास के साथ अत्याचार के समक्ष खड़े हैं. मेरा मानना है कि अंत में न्याय की जीत होगी. तब तक के लिए हमें दुर्भावना से ग्रसित लोगों को दूसरों को दुख में देखकर खुश होने का मौका देना होगा.’
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/08/Shashi-feature-866x487.jpg487866Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-08-31 02:37:282019-08-31 02:37:30शशि थुरूर ने स्वीकारी प्रधान मंत्री मोदी की चुनौती
निर्वाचन प्रतीक (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के मुताबिक किसी राजनीतिक पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा तभी मिलता है जब उसके उम्मीदवार लोकसभा या विधानसभा चुनाव में चार या अधिक राज्यों में कम से कम छह प्रतिशत वोट हासिल करें. ऐसी पार्टी के लोकसभा में भी कम से कम चार सांसद होने चाहिए. साथ ही कुल लोकसभा सीटों की कम से कम दो प्रतिशत सीट होनी चाहिए और इसके उम्मीदवार कम से कम तीन राज्यों से आने चाहिए.
नई दिल्ली :
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) से राष्ट्रीय पार्टी का तमगा छिन सकता है. आज तीनों पार्टियों पर चुनाव आयोग अपना फैसला सुना सकता है. पिछले दिनों चुनाव आयोग ने तीनों पार्टिय़ों को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा था कि इनके प्रदर्शन के आधार पर क्यों न इनका राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खत्म कर दिया जाए.
निर्वाचन प्रतीक (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के मुताबिक किसी राजनीतिक पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा तभी मिलता है जब उसके उम्मीदवार लोकसभा या विधानसभा चुनाव में चार या अधिक राज्यों में कम से कम छह प्रतिशत वोट हासिल करें. ऐसी पार्टी के लोकसभा में भी कम से कम चार सांसद होने चाहिए. साथ ही कुल लोकसभा सीटों की कम से कम दो प्रतिशत सीट होनी चाहिए और इसके उम्मीदवार कम से कम तीन राज्यों से आने चाहिए.
मौजूदा वक्त में ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), बीएसपी, सीपीआई, माकपा, कांग्रेस, एनसीपी और नेशनल पीपल्स पार्टी ऑफ मेघायल को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त है. हालिया लोकसभा चुनाव में एनसीपी, तृणमूल कांग्रेस, भाकपा का प्रदर्शन इस कसौटी पर अच्छा नहीं माना जा रहा है, इसलिए इन पर राष्ट्रीय दर्जा खत्म होने का खतरा मंडरा रहा है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/08/article-TMC-NCP-और-CPI-960x540.jpg540960Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-08-14 04:35:322019-08-14 04:35:35टीएमसी, एनसीपी और सीपीआई खो सकतीं हैं राष्ट्रिय दल का ओहदा
केलु वायनाड संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के तहत आने वाली मंथावडी विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. गांधी की चिट्ठी की प्रतिकृया स्वरूप केलु ने पूछा “वायनाड के 2009 में निर्वाचन क्षेत्र बनने के बाद से यहां कांग्रेस के ही सांसद बनते रहे हैं. गांधी से मेरा विनम्र आग्रह है कि वह अपनी पार्टी के सहयोगियों से पूछें कि इस दौरान वे पुल बनवाने के लिए क्या रहे थे?”
वायनाड: वायनाड लोकसभा क्षेत्र के सांसद राहुल गांधी द्वारा जिला कलेक्टर एआर अजय कुमार को लिखा गया पत्र मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के विधायक ओआर केलू को नागवार गुजरा है. दरअसल, राहुल गांधी ने कालिंदी नदी पर एक स्थायी पुल के निर्माण के लिए कलेक्टर से अनुरोध किया था, जिस पर केलू की तीखी प्रतिक्रिया आई है. केलू वायनाड संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के तहत आने वाली मंथावडी विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. गांधी ने बुधवार को कलेक्टर को पत्र लिखकर नेत्तारा जनजातीय कॉलोनी के 150 से अधिक निवासियों के लिए एक पुल के निर्माण का अनुरोध किया.
केलू ने आईएएनएस से कहा, “राहुल गांधी के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए मैं उन्हें बताना चाहूंगा कि उन्हें वायनाड के संपूर्ण विकास के लिए केंद्र का पूरा समर्थन सुनिश्चित करना चाहिए.” केलू ने कहा, “गांधी को पुल जैसी चीजें विधायक पर छोड़ देनी चाहिए, जो पिछले दो वर्षों से इस पुल के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. वायनाड के 2009 में निर्वाचन क्षेत्र बनने के बाद से यहां कांग्रेस के ही सांसद बनते रहे हैं. गांधी से मेरा विनम्र आग्रह है कि वह अपनी पार्टी के सहयोगियों से पूछें कि इस दौरान वे पुल बनवाने के लिए क्या रहे थे.”
उन्होंने कहा कि 2018 में निधन से पहले एमआई शनावाज यहां से करीब दो कार्यकाल के लिए कांग्रेस के लोकसभा सदस्य थे. इस दौरान केलू ने वायनाड से होकर गुजरने वाली रेलवे लाइन और ऐसे ही अन्य कई बड़े स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की नसीहत देते हुए पुल का मुद्दा विधायक पर छोड़ने की बात कही. एक दशक से अधिक समय से नेत्तारा क्षेत्र के आदिवासी लकड़ी के पुल का उपयोग कर रहे हैं, जो हर मॉनसून में बह जाता है. इसके बाद एक नया पुल बनने तक वे फंसे रहते हैं.
केलू ने कहा, “मुझे 150 मीटर लंबे पुल और 1.5 किमी लंबी सड़क के लिए वार्षिक बजट में से 10 करोड़ रुपये का आवंटन मिला है. मैं इसके लिए लगभग दो साल से काम कर रहा हूं. हम पुल के लिए प्रशासनिक मंजूरी की उम्मीद कर रहे हैं और इसके लिए छह महीने में काम भी शुरू हो जाएगा.” वायनाड के जिला कलेक्टर अजय कुमार ने आईएएनएस को बताया कि उन्होंने गांधी के पत्र को इंजीनियरिंग अधिकारी को भेज दिया है. उन्होंने कहा, “मैंने उन्हें एक रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है. रिपोर्ट मिलने के बाद इसे आगे की प्रक्रिया के लिए बढ़ा दिया जाएगा.”
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/05/rahul-gandhi_730x419.jpg419669Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-08-04 15:08:392019-08-04 15:10:25सांसद राहुल को विधायक केलू ने घेरा
गैर-कानूनी गतिविधि निवारण संशोधन (यूएपीए) विधेयक, 2019 बिल राज्यसभा में भी पास हुआ
इसमें गैर-कानूनी गतिविधियों में शामिल व्यक्ति को आतंकी घोषित करने का प्रावधान, विपक्षी दल इसके विरोध में
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा- कब तक संगठनों पर प्रतिबंध लगाएंगे, एक के बाद दूसरा सामने आ जाता है
नई दिल्ली. आतंकी गतिविधियों में संलिप्त लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए मोदी सरकार संशोधित यूएपीए बिल लेकर आई है। शुक्रवार को यह विधेयक राज्यसभा में भी पास हो गया। चर्चा के दौरान कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने विधेयक में संशोधन का विरोध किया। दिग्विजय सिंह ने भाजपा पर आतंकवाद से समझौता करने का आरोप लगाया। गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें जवाब देते हुए कहा, ”दिग्विजय सिंह जी कह रहे हैं कि मुझे ही आतंकी घोषित कर दो। आपका गुस्सा जायज है, वे क्योंकि अभी-अभी चुनाव हारे हैं। लेकिन मैं भरोसा दिलाता हूं कि आप कुछ नहीं करोगे तो कुछ नहीं होगा।”
संशोधित बिल में सरकार ने गैर-कानूनी गतिविधियों में शामिल व्यक्ति विशेष को आतंकी घोषित करने का प्रावधान शामिल किया है। दिग्विजय ने कहा कि हमें भाजपा की मंशा पर संदेह है। कांग्रेस ने कभी आतंकवाद से समझौता नहीं किया, इसीलिए यह कानून लेकर आए थे। आतंकवाद से समझौता करने वाले आप लोग हैं। भाजपा सरकार ने ही पहले रुबैया सईद और फिर मसूद अजहर को छोड़ा था।
कानून का दुरुपयोग के आरोप लगाने से पहले अपना इतिहास देखिए
गृह मंत्री ने कहा, ”इमरजेंसी के दौरान क्या हुआ था? मीडिया पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया और विपक्ष के सभी नेताओं को जेल में डाल दिया था। 19 महीने तक देश में लोकतंत्र को खत्म कर दिया गया और अब आप (कांग्रेस) हम पर कानून के दुरुपयोग का आरोप लगा रहे हैं। कृपया अपना इतिहास भी देख लीजिए। जब हम विपक्ष में थे तो 2004, 2008 और 2013 में हमने यूपीए सरकार के यूएपीए बिल को समर्थन दिया था। क्योंकि हमें लगता था कि आतंकवाद से लड़ने के लिए यह जरूरी था।”
हम सिर्फ व्यक्ति को आतंकी घोषित करने के विरोध में: कांग्रेस
कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा, ”अगर विधेयक के संशोधन को देखें तो लगता है कि यह एनआईए को ताकतवर बनाएगा। लेकिन इसमें किसी व्यक्ति का नाम आतंकी की सूची में हटाने और जोड़ने का प्रावधान है। हम इसी का विरोध कर रहे हैं न कि गैर-कानूनी गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए बने कानून का। 2008 में जब मैंने गृह मंत्री की जिम्मेदारी संभाली तो आतंकवाद का सामना करने के लिए तीन स्तंभ- एनआईए, नेटग्रिड और एनसीटीसी बनाए थे। आज हमारे पास सिर्फ एक स्तंभ है। आपने एनआईए को छोड़कर बाकी दो के लिए क्या किया?”
कब तक संगठनों पर ही रोक लगाते रहेंगे: गृह मंत्री
अमित शाह ने चिदंबरम को जवाब दिया, ”आपने पूछा कि आतंकी गतिविधियों में लिप्त संगठनों पर प्रतिबंध है तो किसी व्यक्ति को विशेष को आतंकी घोषित करने की क्या जरूरत है। हमने संशोधन में ऐसा प्रावधान रखा है क्योंकि एक संगठन पर रोक लगाई जाती है तो कुछ व्यक्तियों के द्वारा दूसरा खड़ा कर दिया जाता है। कब तक हम संगठनों पर ही रोक लगाते रहेंगे?
एनआईए को पहले से ज्यादा अधिकार, इसलिए विरोध
बिल में नए प्रावधान जोड़े गए हैं। इसमें सबसे बड़ा प्रावधान यह है कि एनआईए अब आतंकी के समर्थकों को भी आतंकी घोषित कर उनकी संपत्ति जब्त कर सकेगी। यही नहीं, अब आतंकी संगठन के साथ-साथ उस व्यक्ति को भी आतंकी घोषित किया जा सकेगा, जो किसी न किसी रूप से आतंक को बढ़ावा दे रहा होगा। उसकी संपत्ति जब्त करने के लिए एनआईए को उससे संबंधित राज्य की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी।
किसी व्यक्ति को आतंकी घोषित करने के 4 आधार होंगे
1. जो व्यक्ति आतंकी घटना को अंजाम देगा या इसमें सहयोग देगा। 2. जो व्यक्ति किसी आतंकी घटना की तैयारी कर रहा होगा। 3. जो देश में आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले कृत्य करेगा। 4. जो व्यक्ति किसी भी तरह से आतंकवाद से जुड़ा हुआ पाया जाएगा।
विपक्ष ने लोकसभा में चर्चा के दौरान वॉकआउट किया था
लोकसभा में 24 जुलाई को बिल पर बहस के दौरान विपक्ष ने इसे स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजनी की मांग करते हुए वॉकआउट किया था। चर्चा के दौरान गृह मंत्री ने कहा था कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई सरकार लड़ती है। कौन-सी पार्टी सत्ता में हैं और बिल कौन लेकर आया, उससे फर्क नहीं पड़ना चाहिए। आतंकवाद के खात्मे के लिए कड़े कानून की जरूरत है। कांग्रेस सरकार बिल लाती है तो सही, लेकिन हम संशोधन कर रहे हैं तो इसमें गलत क्या है? हम आतंकवाद को खत्म करना चाहते हैं, संशोधित कानून से राज्यों की शक्ति कम नहीं होगी। यह कानून 1967 में कांग्रेस सरकार लेकर आई। इसके बाद आप ही ने इसमें तीन संशोधन किए।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/08/9161c5866b668ba0cdafd40156f1f7f1.jpg356632Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-08-03 13:32:392019-08-03 13:32:42यूएपीए बिल राज्यसभा में पास
तलाक – ए- बिद्दत आज कि मौजूदा सरकार के लिए एक बड़ा सवाल है। लोक सभा के पश्चात जहां भाजपा के सहयोगी दल भी इससे किनारा कर चुके हैं वहीं राज्यसभा में इसे पास करवाना भाजपा के लिए जंजाल बन चुका है। बीजेपी की तरफ से जारी व्हिप में कहा गया है कि, मंगलवार को दोनों सदनों के सदस्य मौजूद रहेंगे और सरकार द्वारा पेश किए गए विधेयकों का समर्थन करेंगे.
नई दिल्ली: मुस्लिम समाज में एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) पर रोक लगाने के उद्देश्य से लाये गए ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक’को सरकार मंगलवार को राज्यसभा में पेश करेगी. तीन तलाक बिल को लोकसभा में पहले से मंजूरी मिल गई है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने बिल को लेकर सभी सांसदों को मंगलवार को सदन में पूरे समय मौजूद रहने के निर्देश दिए हैं. इसके लिए बीजेपी ने सोमवार को एक 3 लाईन का व्हिप जारी किया है. जारी व्हिप में कहा गया है कि, मंगलवार को दोनों सदनों के सदस्य मौजूद रहेंगे और सरकार द्वारा पेश किए गए विधेयकों का समर्थन करेंगे.
राज्यसभा में बिल रोकना चाहती है सपा
वहीं राज्यसभा में समाजवादी पार्टी इस बिल का विरोध करने के लिए पहले से ही अपने सभी सांसदों को सदन में पूरे समय मौजूद रहने के निर्देश दिए है. इसके लिए सपा ने शुक्रवार को 3 लाईन का व्हिप जारी किया था. राज्यसभा में सपा के चीफ़ व्हिप रवि वर्मा ने सभी सांसदों को कहा था कि, अगले हफ्ते कई महत्वपूर्ण बिल राज्यसभा में आने वाले हैं, इसलिए सभी सांसदों की मौजूदगी अनिवार्य है. इस समय राज्यसभा में सपा के 12 सांसद हैं.
सपा सूत्रों के अनुसार, पार्टी ट्रिपल तलाक बिल को राज्यसभा में रोकना चाहती है. इसीलिए ये व्हिप सपा ने जारी किया है. गुरूवार को लोकसभा में ट्रिपल तलाक बिल पास हो गया है, जिसे कानूनी मान्यता के लिए राज्यसभा से पास होना अनिवार्य है. लेकिन राज्यसभा में एनडीए के पास बहुमत नहीं होने के कारण यह बिल अटक सकता है. हालांकि बीजेपी की कोशिश है कि फ्लोर मैनेजमेंट के माध्यम से इस बार ट्रिपल तलाक बिल राज्यसभा से पास कराया जाए.
कई दल कर चुके हैं वॉकआउट
आपको बता दें कि कांग्रेस, टीएमसी, आरजेडी, सपा और बसपा जैसी प्रमुख पार्टियां ट्रिपल तलाक बिल के ख़िलाफ़ हैं. वहीं बीजेपी की सहयोगी जेडीयू भी ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर लोकसभा से वॉकआउट कर चुका है. ऐसी स्थिति में राज्यसभा में विपक्षी एकता कितनी कारगर साबित होती है, ये तो ट्रिपल तलाक बिल राज्यसभा में पेश होने के बाद ही पता चल पाएगा.
बिल पर पूरे देश की है निगाहें
जब यूएपीए बिल और ट्रिपल तलाक बिल पर पूरे देश की निगाहें हैं. इस दौरान देखने वाली बात यह होगी कि केंद्र सरकार इसे राज्यसभा में पास कराने में सफल हो पाएगी या नहीं.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/07/triple-talaq.jpg498885Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-07-30 02:12:422019-07-30 02:12:443 तलाक: राज्य सभा में, भाजपा ने जारी किया व्हिप
देवबन्द के उलेमाओं ने सरकार के उस आदेश का स्वागत किया है जिसमें सड़क पर नमाज ना पढ़ने के लिए कहा गया है. उलेमाओं का कहना है कि ये सरकार का एक अच्छा कदम है इसका स्वागत होना चाहिए. चाहे हिंदू हो या मुसलमान दोनों को ही सड़क पर कोई भी धार्मिक आयोजन नहीं करना चाहिए.
उलेमाओं ने कहा कि कुछ मुट्ठी भर लोग देश का माहौल खराब करना चाहते थे लेकिन उप जिलाधिकारी के आदेश के बाद अब ये नहीं होगा. हालांकि उलेमा ने इसपर सफाई भी दी. उन्होंने कहा कि डीएम अलीगढ़ ने जो अपना बयान जारी किया है उसमें कहा कि सड़क पर कोई भी धार्मिक काम नहीं होगा, जैसे नमाज पढ़ी जाती है, या हमारे हिंदू भाई कोई और प्रोग्राम करते हैं. तो हम डीएम साहब के इस आदेश का समर्थन करते हैं.
इत्तेहाद उलेमा ए हिन्द के उलेमा मुफ्ती असद ने आगे कहा कि इस वक्त में मुल्क के हालात ऐसे हैं कि कुछ फिरका परस्त लोग देश का माहौल बिगाड़ने की कोशिश में लगे हैं. सड़क पर कोई भी धार्मिक काम या कोई हमारे हिंदू भाई प्रोग्राम करते हैं और फिरका परस्त उसको बिगाड़ने का काम करते हैं. तो उससे मुल्क का माहौल खराब होता है. तो डीएम साहब ने जो आदेश जारी किया है हम इसका समर्थन करते हैं
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/07/5184807326_77c6f11568.jpg334500Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-07-27 15:07:042019-07-27 15:07:07सड़क पर कोई नमाज़ नहीं पढ़ेगा: उलेमा देवबंद
रामकथा ने केवल भारत को ही नहीं एशिया के अन्य देशों को भी प्रेरित किया है। एक सहस्ताब्दी पूर्व भारतीय संस्कृति दक्षिण-पूर्वी एशिया में पहुँची और तभी से रामायण वहाँ के जन-जीवन में रस-बस गई। थाईलैंड, मलेशिया, कम्बोडिया, बर्मा, लओस आदि में रामकथा का प्रर्याप्त प्रचार है।
थाईलैंड और कम्बोडिया में रामकिर्ती प्रसिद्ध है। यहाँ रामलीला का आयोजन नृत्य-नाटक के रुप में होता है। इंडोनेशिया की रामलीला का आयोजन रंग-बिरंगे नृत्य के रुप में होता है। यहाँ रामायण की जनप्रिय ककाविन कवित्ते है जिनसे रामलीला के मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किए जाते हैं। नृत्य जावा व बाली द्वीपों में काफी प्रसिद्ध हैं। करीब सौ व्यक्तियों द्वारा खुली रंगशाला में खेला जाने वाला सुग्रीव वानर नृत्य भी अत्यन्त आकर्षक होता है। वायंगकुलैत नामक छायानृत्य काफी लोकप्रिय है जिसमें रामकथा के पात्र चमड़े के वस्र पहन कर नृत्य करते हैं।
नेपाल में रामलीला का आयोजन काफी बड़े पैमाने पर होता है। नेपाल में रामलीला मनोरंजन के लिए नहीं होता बल्कि धार्मिकता की भावना से की जाती है। नेपाली भाषा में अनूदित “भानु रामायण” पर आधारित रामकथा को प्रत्येक वर्ष पंचमी तिथि पर जानकी मंदिर में अनुप्राणित किया जाता है, क्योंकि लोगों का विश्वास है कि यहाँ सीता-राम का विवाह हुआ था।
श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने स्वीकारा रामायण कांक्लेव का आमंत्रण आगामी जनवरी माह में हिंदुस्तान में आयोजित होने जा रहे अंतरराष्ट्रीय रामायण कांक्लेव का आमंत्रण गत 21 जुलाई को श्रीलंका में आयोजित समारोह में श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने स्वीकार किया कांक्लेव के मुख्य प्रवक्ता महेंद्र चौधरी ने बताया की उपरोक्त समारोह में तकरीबन 10 से 12 देशों के वर्तमान व पूर्व राष्ट्राध्यक्ष सहित कई विद्वान व राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय कलाकार हिस्सा लेंगे इसी क्रम में श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति श्री महिंदा राजपक्षे ने कार्यक्रम हेतु अपनी सहमति प्रदान की।
उपरोक्त कार्यक्रम के अंतर्गत नेपाल भूटान सिंगापुर मलेशिया थाईलैंड मारीशस फिजी दुबई इत्यादि देशों के शीर्ष लोगों को आमंत्रित करने का क्रम शुरू हो गया है कांक्लेव के निर्देशक दुष्यंत सिंह के अनुसार समूची रामचरितमानस को एक विशेष तरह के संगीत में संगीतबद्ध कर उसका अंतरराष्ट्रीय फिल्मांकन किया जाएगा एवं उसका बृहद प्रचार प्रसार व प्रदर्शन राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया जाएगा। उपरोक्त संगीत में ही रचना में देश विदेश के दिग्गज कलाकार अपना स्वर देंगे।
रूचिन त्यागी के अनुसार जनवरी माह में तीन दिवसीय रामायण कांक्लेव में देश-विदेश से आ रहे महानुभाव प्रभु श्री राम व रामचरितमानस के ऊपर अपने विचार रखेंगे व उपरोक्त कार्यक्रम के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभु श्री राम के भक्तों को जोड़ने के साथ साथ पर्यटन के क्षेत्र में भी एक वृहद रामायण कारी डोर की परिकल्पना को पंख लगेंगे आयोजकों के अनुसार उपरोक्त कार्यक्रम में भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी व महामहिम राष्ट्रपति महोदय श्री रामनाथ कोविंद जी व प्रभु श्री राम की जन्म स्थली अयोध्या का प्रतिनिधित्व कर रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी आमंत्रण के साथ साथ कार्यक्रम हेतु आशीर्वाद लिया जाएगा उपरोक्त कार्यक्रम की तैयारियां जोर शोर से जारी हैं व आयोजकों के अनुसार सन 2020 का कदाचित वैश्विक तौर पर यह सबसे बड़ा आयोजन होगा
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/07/IMG-20190725-WA0198.jpg8531280Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-07-26 12:13:502019-07-26 13:08:15पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने स्वीकारा रामायण कांक्लेव का आमंत्रण
रावण जब माता सीता का अपहरण कर श्रीलंका पहुंचा तो सबसे पहले सीता जी को इसी जगह रखा था। इस गुफा का सिर कोबरा सांप की तरह फैला हुआ है। गुफा के आसपास की नक्काशी इस बात का प्रमाण है। इसके बाद जब माता सीता ने महल मे रहने से इंकार कर दिया तब उन्हें अशोक वाटिका में रखा गया। सीता अशोक के जिस वृक्ष के नीचे बैठती थी वो जगह सीता एल्या के नाम से प्रसिद्ध है। 2007 में श्रीलंका सरकार एक रिसर्च कमेटी ने भी पुष्टि की, कि सीता एल्या ही अशोक वाटिका है। बाद में हनुमान जी के लंका जलाने से भयभीत रावण ने सीता जी को अशोक वाटिका से हटा कर कोंडा कट्टू गाला में रखा था। पुरातत्व विभाग को यहां कई ऐसी गुफाएं मिली है जो रावण के महल तक जाती थी।
रामायण मे वर्णन है जब हनुमान जी ने सीता जी को खोजने के लिए समुद्र पार किया था तब उन्होंने विशाल रूप धारण किया था। जिसके चलते जब वो श्रीलंका पहुंचे तो उनके पैर के निशान वहां बन गए। जो आज भी मौजूद हैं।
श्रीलंका मे उस स्थान पर जहां लक्ष्मण मूर्छित होकर गिरे थे और उन्हे संजीवनी दी गई थी वहां हिमालय की दुर्लभ जड़ी-बूटियों के अंश मिले हैं। दावा है कि इन जड़ी-बूटियों का श्रीलंका में पाया जाना रामायण काल की वास्तविकता को प्रमाणित करता है।
रामायण के सुंदर कांड अध्याय में लिखा है लंका की रखवाली के लिए विशालकाय हाथी करता था। जिन्हें हनुमान जी ने अपने एक प्रहार से धराशाही किया था। पुरातत्व विभाग को श्रीलंका में ऐसे ही हाथियों के अवशेष मिले हैं जिनका आकार वर्तमान हाथियों से बहुत ज्यादा है।
पुरातत्व विभाग को श्रीलंका में एक महल मिला है जिसे रामायण काल का बताया जाता है। रामायण लंका दहन का वर्णन है जब हनुमान जी ने पूरी लंका मे अपनी पूंछ से आग लगा दी थी। जलने के बाद उस जगह की की मिट्टी काली हो गई थी, इस बात के प्रमाण भी यहां से मिलते हैं। यहीं से थोड़ी दूर पर रावण एल्ला नाम से एक झरना है, जो 82 फीट की ऊंचाई से गिरता है। राम द्वारा रावण का वध करने के पश्चात विभीषण को लंका का राजा बनाया गया था। विभीषण ने अपना महल कालानियां में बनाया था। यह कैलानी नदी के किनारे स्थित था। नदी के किनारे पुरातत्व विभाग को उस महल के अवशेष मिले हैं।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/07/विशालकाय-हाथी.jpg400650Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-07-26 11:56:062019-07-26 12:14:47श्रीलंका में रामायण के प्रमाण
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