लक्षद्वीप का राजनैतिक संकट गहराया

पिछले साल दिसंबर में लक्षद्वीप का कमान प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को दिया गया। इसके बाद उन्होंने लक्षद्वीप पशु संरक्षण विनियमन, लक्षद्वीप असामाजिक गतिविधियों की रोकथाम विनियमन, लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन और लक्षद्वीप पंचायत कर्मचारी नियमों में संशोधन के मसौदे लेकर आए। इसमें एंटी-गुंडा एक्ट और दो से अधिक बच्चों वालों को पंचायत चुनाव लड़ने से रोकने का भी प्रावधान है।

पंचकुला/केरल :

भारत में कोरोना की दूसरी लहर के बीच तौक्ते तूफान ने बर्बादी मचाई और अब यास तूफान तबाही मचा रहा है। इन सबके बीच केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप में विवादों का तूफान सामने आया है। अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांति के लिए जाना जाने वाला लक्षद्वीप इस समय एक राजनीतिक विवाद को लेकर चर्चा में है। केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को हटाने की मांग करने वाले #SaveLakshadweep हैशटैग वाले सैकड़ों पोस्ट से सोशल मीडिया भरा पड़ा है। स्थानीय स्तर पर भी राजनीतिक लोगों से लेकर निवासी भी प्रशासन के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। दरअसल, प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को लक्षद्वीप में कोरोना संक्रमण मामलों में आए उछाल के लिए दोषी ठहराया जा रहा है. उन पर भारत के सबसे छोटे केंद्र शासित प्रदेश में सामाजिक तनाव पैदा करने का भी आरोप है।

आइए जानते हैं वो 10 वजहें जिनकी वजह से लक्षद्वीप में ये विवादों का सियासी तूफान आया है।

कोरोना का हॉट स्पॉट बना लक्षद्वीप

भारत में कोरोना महामारी की पहली लहर के दौरान लक्षद्वीप कोविड-19 के ग्रीन जोन में था प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल द्वारा क्वारंटीन और यात्रा नियमों में ढील की वजह से लक्षद्वीप को कोविड-19 के लिए ‘हाइएस्ट पॉजिटिविटी’ वाली जगह बना दिया है लक्षद्वीप में कोविड-19 के 7,000 से अधिक मामले हैं लक्षद्वीप ने इस साल 18 जनवरी को अपने पहले कोविड-19 मामलों की जानकारी दी, जब 14 व्यक्तियों की कोरोना वायरस संक्रमण की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी 2011 की जनगणना के अनुसार लक्षद्वीप की जनसंख्या 65,000 से भी कम है लक्षद्वीप में कोरोना का पॉजिटिविटी रेट ज्यादातर 10 से कम रहा है हालांकि, कभी-कभी यह कुछ दिनों के में 20 फीसदी को पार कर जाता है

पूर्व प्रशासक दिवंगत दिनेश्वर शर्मा के प्रशासनकाल में क्वारंटीन के नियमों का सख्ती से पालन किया गया था वहीं, अब यात्रियों को लक्षद्वीप पहुंचने के लिए केवल कोरोना वायरस की निगेटिव रिपोर्ट की जरूरत होती है इस पर प्रफुल्ल खोड़ा पटेल का कहना है कि लक्षद्वीप की अर्थव्यवस्था के मुख्य आधार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यह बदलाव लाए गए थे

लक्षद्वीप पशु संरक्षण नियम 2021

प्रफुल्ल खोड़ा पटेल ने लक्षद्वीप पशु संरक्षण नियम 2021 प्रावधान प्रस्तावित किया है जिसके अंतर्गत गाय, सांड और बैल की हत्या पर प्रतिबंध लग जाएगा इस प्रस्ताव का जमकर विरोध किया जा रहा है और प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि प्रफुल्ल खोड़ा पटेल आरएसएस के बीफ बैन के एजेंडे को लागू कर रहे हैं हालांकि, भारत में बीफ में ज्यादातर भैंस का मांस होता है

लक्षद्वीप की आबादी में लगभग 97 फीसदी मुसलमान हैं और इनमें अधिकतर अनुसूचित जनजाति के हैं लक्षद्वीप की जनजातीय आबादी लगभग 95 फीसदी है प्रदर्शनकारियों का कहना है कि बीफ उनके नियमित आहार का हिस्सा है प्रफुल्ल खोड़ा पटेल का समर्थन करने वाले राज्य को गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने वाले संवैधानिक प्रावधान का हवाला देते हैं

मिड-डे मील से मांसाहार को हटाना

प्रफुल्ल खोड़ा पटेल ने लक्षद्वीप के स्कूलों में मध्याह्न भोजन यानी मिड-डे मील से मांसाहारी भोजन को हटा दिया है इस निर्णय का भी जमकर विरोध हो रहा है प्रदर्शनकारियों का कहना है कि बच्चों के खाने से मांसाहार को नही हटाना चाहिए 

शराब की बिक्री और बार की अनुमति

प्रफुल्ल खोड़ा पटेल ने केंद्र शासित प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के तरीके के तौर पर लक्षद्वीप में बार की अनुमति देने का प्रस्ताव रखा है गुजरात की तरह ही लक्षद्वीप में भी शराब की बिक्री और खपत पर प्रतिबंध लगाने वाला एक निषेध कानून है दिलचस्प बात यह है कि संविधान भारत में शराबबंदी का प्रावधान करता है इस कदम का स्थानीय निवासियों और राजनीतिक नेताओं द्वारा जोरदार विरोध किया जा रहा है यहां शराब का विरोध चौंकाने वाला है क्योंकि लक्षद्वीप की अधिकांश आबादी मलयालम भाषी है और देश में सबसे अधिक शराब खपत करने वाले राज्यों में सामिल केरल के साथ गहरे संबंध रखती है

असामाजिक गतिविधि विनियमन विधेयक

विवादों के इस तूफान में लक्षद्वीप प्रशासन द्वारा प्रस्तावित असामाजिक गतिविधि विनियमन विधेयक भा अहम है प्रस्तावित कानून में किसी संदिग्ध को हिरासत में लेने के लिए कोर्ट द्वारा जारी वारंट की जरूरत नही होगी प्रदर्शनकारियों ने इसे ‘गुंडा एक्ट’ करार दिया और विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि लक्षद्वीप में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार देश की सबसे कम अपराध दर है प्रफुल्ल खोड़ा पटेल का तर्क है कि लक्षद्वीप में ड्रग्स से संबंधित अपराधों में बढ़ोत्तरी देखी गई है

कर्नाटक को कार्गो का डायवर्जन

प्रफुल्ल खोड़ा पटेल के नेतृत्व पर ये भी आरोप लगाए जा रहे हैं कि वह केरल के साथ लक्षद्वीप के संबंधों को बाधित कर रहे हैं साथ ही भाजपा शासित राज्य कर्नाटक को फायदा पहुंचा रहे हैं दरअसल, पहले लक्षद्वीप के लिए आने वाले कार्गो को केरल के बेपोर बंदरगाह पर डॉक किया जाता था केरल के साथ द्वीप के निवासियों के मजबूत सांस्कृतिक संबंध हैं प्रफुल्ल खोड़ा पटेल पर आरोप है कि उन्होंने भाजपा शासित राज्य को लाभ पहुंचाने और केरल के साथ लक्षद्वीप के संबंधों को बाधित करने के लिए कार्गो को कर्नाटक के मैंगलोर बंदरगाह पर भेजा

लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण

इन सभी मुद्दों में सबसे विवादास्पद लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन 2021 है, जिसे प्रफुल्ल खोड़ा पटेल द्वारा प्रस्तावित किया गया है अगर इसे लागू किया जाता है, तो यह प्रशासक के तौर पर सरकार को मजबूत करेगा दरअसल, इसके अंतर्गत लक्षद्वीप में ‘खराब लेआउट या पुराने’ बुनियादी ढांचे के रूप में पहचाने जाने वाले किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए विकास प्राधिकरणों का गठन करने की प्रशासक को शक्ति मिलती है केवल छावनी क्षेत्रों को ही इस नियम के दायरे से बाहर रखा गया है प्रदर्शनकारियों द्वारा इस विधेयक का विरोध किया जा रहा है प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया है कि इस कानून का उद्देश्य ‘रियल इस्टेट हितों’ को साधना और अनुसूचित जनजाति के लोगों की छोटी जमीनों को हड़पना है

लक्षद्वीप पंचायत कर्मचारी नियम

केंद्र शासित प्रदेश में लक्षद्वीप पंचायत कर्मचारी नियम प्रस्तावित किया गया है इस नियम के अनुसार, दो से अधिक बच्चों वाले लोगों को पंचायत चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं होगा प्रदर्शनकारियों का कहना है कि लक्षद्वीप की कुल प्रजनन दर 1.6 है यह कानून कई प्रमुख नेताओं को अयोग्य घोषित करने के लिए लाया गया है

संविदा नौकरियों को खत्म करना

प्रदर्शनकारियों का ये भी आरोप है कि लक्षद्वीप में विभिन्न विभागों में संविदा कर्मचारी के तौर पर काम करने वाले लोगों को भी हटाया जा रहा है प्रफुल्ल खोड़ा पटेल पर आरोप है कि पर्यटन विभाग, आंगनवाड़ी, शिक्षण संस्थानों समेत कई विभागों से लोगों को बड़ी संख्या में बर्खास्त किया जा रहा है

सड़कों का चौड़ीकरण

प्रफुल्ल खोड़ा पटेल ने लक्षद्वीप में सड़कों के चौड़ीकरण और हाइवे निर्माण के आदेश भी दिए हैं प्रदर्शनकारी और नेता इसका भी विरोध कर रहे हैं दरअसल, लक्षद्वीप में सबसे बड़ा बसा हुआ द्वीप एंड्रोथ केवल 4.9 वर्ग किमी में फैला है जिसका घनत्व 2,312 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है सबसे कम घने द्वीप बितरा में 271 लोग 0.10 वर्ग किमी क्षेत्र में रहते हैं प्रदर्शनकारी का कहना है कि इतनी छोटी जमीन पर किस तरह से हाइवे या मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट बनाए जा सकते हैं?

2 – DG कोरोना के खिलाफ DRDO का नया हथियार

कोरोना वायरस के खिलाफ भारत की जंग लगातार जारी है. इस बीच रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन की ओर से शुभ समाचार देश को मिला है और डीआरडीओ ने एंटी-कोविड मेडिसन, 2 डीजी (2-DG) लॉन्च कर दी है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सोमवार को दिल्ली में एक कार्यक्रम में 2 डीजी की पहली खेप को रिलीज की।

नई दिल्ली(ब्यूरो): 

कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में निर्णायक भूमिका निभाने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की ओर से एंटी-कोविड मेडिसिन, 2 डीजी (2-DG) लॉन्च कर दी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने इस दवा की पहली खेप को रिलीज की।

पाउडर फॉर्म में उपलब्ध है दवा

डीआरडीओ के अनुसार, ‘2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज’ दवा को इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज (INMAS) द्वारा हैदराबाद की डॉक्टर रेड्डी लैब के साथ मिलकर तैयार किया है। हाल ही में क्लीनिकल-ट्रायल में पास होने के बाद ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने इस दवा को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। बताया जा रहा है कि ये दवाई सैशे में उपलब्ध होगी. यानी मरीजों को इसे पानी में घोलकर पीना होगा।

इस दवा से ऑक्सीजन लेवल रहेगा मेंटेन

अधिकारियों का कहना है कि ग्लूकोज पर आधारित इस दवा के सेवन से कोरोना मरीजों को ऑक्सजीन पर ज्यादा निर्भर नहीं होना पड़ेगा। साथ ही वे जल्दी स्वस्थ हो जाएंगे। क्लीनिक्ल-ट्रायल के दौरान भी जिन कोरोना मरीजों को ये दवाई दी गई थी, उनकी RT-PCR रिपोर्ट जल्द निगेटिव आई है। उन्होंने बताया कि ये दवा सीधा वायरस से प्रभावित सेल्स में जाकर जम जाती है और वायरस सिंथेसिस व एनर्जी प्रोडक्शन को रोककर वायरस को बढ़ने से रोक देती है। इस दवा को आसानी से उत्पादित किया जा सकता है. यानी बहुत जल्द इसे पूरे देश में उपलब्ध कराया जा सकेगा।

देशभर में कोरोना के 24 घंटे में 281386 नए केस आए सामने

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, पिछले 24 घंटे में भारत में 2 लाख 81 हजार 286 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए है, जबकि इस दौरान 4106 लोगों की जान गई। इसके बाद भारत में कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 2 करोड़ 49 लाख 65 हजार 463 हो गई है, जबकि 2 लाख 74 हजार 390 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। आंकड़ों के अनुसार, देशभर में पिछले 24 घंटे में 3 लाख 78 हजार 741 लोग ठीक हुए, जिसके बाद कोविड-19 से ठीक होने वाले लोगों की संख्या 2 करोड़ 11 लाख 74 हजार 76 हो गई है। इसके साथ ही देशभर में एक्टिव मामलों में भी गिरावट आई है और देशभर में 35 लाख 16 हजार 997 लोगों का इलाज चल रहा है।

डीआरडीओ के वैज्ञानिक डॉक्टर अनंत नारायण ने बताया, ‘सीसीएमबी हैदराबाद में हमने इसका पहला टेस्ट किया था, उसके बाद हमने ड्रग कंट्रोल से कहा कि क्लीनिकल ट्रायल की मंजूरी दें। ट्रायल में हमने देखा है कि कोरोना पेशेंट को काफी फायदा हुआ. टेस्टिंग के बाद फेज 2 सही से किया और फेज 3 में हमने बहुत बड़े पैमाने पर प्रयोग किया।’

डीआरडीओ ने डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज के साथ मिल बनाई दवा

कोरोना की इस दवा को डीआरडीओ के Institute of Nuclear Medicine and Allied Sciences यानी INMAS ने हैदराबाद स्थित डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज के साथ मिलकर तैयार किया है।

इस दवा से 7 दिन में ठीक हो जाएंगे मरीज

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि 2-डीजी एक जेनेरिक मॉलीक्यूल है और ग्लुकोज से मिलती जुलती है, इसलिए इसका उत्पादन आसान होगा और ये दवा देश में बड़े पैमाने पर उपलब्ध कराई जा सकेगी। डॉक्टर अनंत नारायण ने कहा, ‘इस ड्रग को हम जल्द से जल्द मार्किट में लाने का काम कर रहे है. यह दवा पाउडर के रूप में आता है पानी में घोल कर दिया जाता है। इसको दिन में 2 बार सुबह-शाम देने के बाद मरीज लगभग सात दिन में लोग ठीक हो रहे है।

ऑक्सीजन की किल्लत से मिलेगी राहत

इस दवा के बाजार में आने से एक और बड़ी राहत मिलेगी. अभी जो ऑक्सीजन की मारा-मारी है, दावा है कि इस दवा के मिलने के बाद ये समस्या बहुत हद तक कम होगी साथ ही ये दवा कोविड से संक्रमित मरीजों की अस्पताल में दाखिले की संख्या को भी कम करेगी. यानी मरीज घर पर रहकर ही डॉक्टर की सलाह से ये दवा लेकर ठीक हो जाएंगे।

इस्लाम या ईसाई धर्म में परिवर्तन लेने के पश्चात दलित नहीं ले सकेंगे जातिगत आरक्षण का लाभ

हिन्दू धर्म में वर्ण व्यवस्था है, हिन्द धर्म 4 वर्णों में बंटा हुआ है, ब्राह्मण, क्षत्रिय, वेश्या एवं शूद्र। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात पीढ़ियों से वंचित शूद्र समाज को सामाजिक न्याय दिलाने के लिए संविधान में आरक्षण लाया गया। यह आरक्षण केवल (शूद्रों (दलितों) के लिए था। कालांतर में भारत में धर्म परिवर्तन का खुला खेल आरंभ हुआ। जहां शोषित वर्ग को लालच अथवा दारा धमका कर ईसाई या मुसलिम धर्म में दीक्षित किया गया। यह खेल आज भी जारी है। दलितों ने नाम बदले बिना धर्म परिवर्तन क्यी, जिससे वह स्वयं को समाज में नचा समझने लगे और साथ ही अपने जातिगत आरक्षण का लाभ भी लेते रहे। लंबे समय त यह मंथन होता रहा की जब ईसाई समाज अथवा मुसलिम समाज में जातिगत व्यवस्था नहीं है तो परिवर्तित मुसलमानों अथवा इसाइयों को जातिगत आरक्षण का लाभ कैसे? अब इन तमाम बहसों को विराम लग गया है जब एकेन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद सिंह ने सांसद में स्पष्ट आर दिया कि इस्लाम या ईसाई धर्म स्वीकार करने वाले दलितों के लिए आरक्षण की नीति कैसी रहेगी।

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

इस्लाम या ईसाई धर्म में परिवर्तित होने वाले दलितों को चुनावों में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों से चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं होगी। इसके अलावा वह आरक्षण से जुड़े अन्य लाभ भी नहीं ले पाएँगे। गुरुवार (11 फरवरी 2021) को राज्यसभा में एक प्रश्न का जवाब देते हुए क़ानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने यह जानकारी दी। 

हिन्दू, सिख या बौद्ध धर्म स्वीकार करने वाले अनुसूचित जाति के लोग आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने के योग्य होंगे। साथ ही साथ, वह अन्य आरक्षण सम्बन्धी लाभ भी ले पाएँगे। भाजपा नेता जीवी एल नरसिम्हा राव के सवाल का जवाब देते हुए रविशंकर प्रसाद ने इस मुद्दे पर जानकारी दी। 

आरक्षित क्षेत्रों से चुनाव लड़ने की पात्रता पर बात करते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा, “स्ट्रक्चर (शेड्यूल कास्ट) ऑर्डर के तीसरे पैराग्राफ के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो हिन्दू, सिख या बौद्ध धर्म से अलग है, उसे अनुसूचित जाति का सदस्य नहीं माना जाएगा।” इन बातों के आधार पर क़ानून मंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि इस्लाम या ईसाई धर्म स्वीकार करने वाले दलितों के लिए आरक्षण की नीति कैसी रहेगी। 

क़ानून मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि संसदीय या लोकसभा चुनाव लड़ने वाले इस्लाम या ईसाई धर्म में परिवर्तित होने वाले अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्ति को निषेध करने के लिए संशोधन का प्रस्ताव मौजूद नहीं।    

राहुल गांधी पहुंचे ‘बैलों को यातना’ का खेल देखने

तमिलनाडु के मदुरई के अवनीयापुरम में जल्लीकट्टू का खेल आरंभ हो चुका है। इस प्रतियोगिता में 200 से अधिक बैल हिस्सा ले रहे हैं। वहीं कोविड-19 को देखते हुए, राज्य सरकार ने निर्देश दिया है कि किसी कार्यक्रम में खिलाड़ियों की संख्या 150 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। साथ ही दर्शकों की तादाद सभा के 50 फीसद से अधिक नहीं होनी चाहिए। बता दें कि प्रति वर्ष इस खूनी खेल में कई लोग बुरी तरह जख्मी भी हो जाते हैं, तो कई की जान भी जाती है। साल 2019 में इसी वक़्त शुरू हुये पोंगल महोत्सव में राज्य के विभन्न हिस्से में आयोजित जलीकट्टू के दौरान यहां दिल का दौरा पड़ने की वजह से एक दर्शक की मौत हो गई थी। इसके अलावा बैलों को काबू करने वाले 40 से अधिक व्यक्ति जख्मी हो गए थे। उस वक़्त समारोह में कुल 729 बैलों का उपयोग किया गया था।

चेन्नई/नयी दिल्ली :

तमिलनाडु के मदुरई के अवनीयापुरम में जलीकट्टू का खेल शुरू हो चुका है। कॉन्ग्रेस ने जिस खेल को कभी ‘बर्बर’ बताकर भाजपा पर इसके राजनीतिकरण का आरोप लगाया था, उसी जलीकट्टू का मजा लेने कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी अवनियापुरम के इस कार्यक्रम में पहुँच चुके हैं।

राहुल गाँधी शायद ये भूल गए कि उन्हीं की पार्टी के कई वरिष्ठ नेता और यहाँ तक कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस जलीकट्टू को ‘हिंसक’ और पशुओं पर अत्याचार वाला खेल बता चुके हैं। यही नहीं, साल 2016 के कॉन्ग्रेस के चुनावी घोषणापत्र में जलीकट्टू को प्रतिबंधित करना भी शामिल था।

सोशल मीडिया पर राहुल गाँधी की जलीकट्टू में शामिल होने को लेकर जमकर खिंचाई हो रही है। वर्ष 2016 में, कॉन्ग्रेस ने जल्लीकट्टू को ‘बर्बर’ हरकत कहते हुए भाजपा पर इसे समर्थन देकर राजनीति करने का आरोप लगाया था।

वहीं, शशि थरूर ने तो जनवरी, 2016 में भाजपा को घेरते हुए पशु कल्याण बोर्ड से आग्रह कर लिया था कि वो ‘बैलों को यातना’ देने वाले इस खेल पर एक्शन ले।

कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने बृहस्पतिवार (जनवरी 14, 2021) को जलीकट्टू में शामिल होने के बाद बयान दिया, “मैं यहाँ आया हूँ क्योंकि मुझे लगता है कि तमिल संस्कृति, भाषा और इतिहास भारत के भविष्य के लिए आवश्यक हैं और इसका सम्मान करने की आवश्यकता है।”

राहुल गाँधी ने कहा कि तमिल संस्कृति को देखना काफी प्यारा अनुभव था और उन्हें ये देखकर बेहद खुशी हुई कि जलीकट्टू को व्यवस्थित और सुरक्षित तरीके से आयोजित किया जा रहा है। राहुल ने कहा कि वो उन लोगों को संदेश देने के लिए गए हैं, जो ये सोचते हैं कि वो तमिल संस्कृति को खत्म कर देंगे।

कॉन्ग्रेस पार्टी की जमीन पर संगठन के तौर पर मौजूदगी ही नहीं है : चिदंबरम

चिदंबरम ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि पार्टी को बिहार में इतनी ज्यादा सीटों पर चुनाव नहीं लड़ना चाहिए था. कांग्रेस के पास गिरती अर्थव्यवस्था और कोरोनावायरस संकट के मुद्दे थे, लेकिन पार्टी उसपर भी कैंपेनिंग करके अच्छी मौजूदगी नहीं जता पाई, इस पर सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि ‘मुझे गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक के उपचुनावों की चिंता ज्यादा है. यह नतीजे दिखाते हैं कि या तो पार्टी की जमीन पर संगठन के तौर पर मौजूदगी ही नहीं है, या फिर बहुत ज्यादा कम हुई है।’ उन्होंने कहा, ‘बिहार में, आरजेडी-कांग्रेस के पास जीतने का मौका था। जीत के इतने करीब होने के बावजूद हम क्यों हारे, इस पर बहुत ही गहराई से विचार करने की जरूरत है। याद कीजिए, कांग्रेस को राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड जीते हुए बहुत ज्यादा वक्त नहीं हुआ है।’

चंडीगढ़/नयी दिल्ली :

हाल ही में हुए बिहार विधानसभा चुनावों और कई राज्यों के उपचुनावों में लचर प्रदर्शन के बाद कॉन्ग्रेस पार्टी को अपने ही दिग्गज नेताओं से तीखी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। इस कड़ी में कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल के बाद अब यूपीए सरकार में वित्त मंत्री रहे पी चिदंबरम ने बयान दिया है। उन्होंने कॉन्ग्रेस के नीतिगत ढाँचे की आलोचना करते हुए कहा कि पार्टी के प्रदर्शन में पिछले कुछ समय से लगातार गिरावट ही आई है। उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस को इतना साहसी बनना होगा कि गिरावट के उन कारणों को पहचाने और उन पर काम करे। 

कॉन्ग्रेस नेता पी चिदंबरम की तरफ से यह प्रतिक्रिया बिहार विधानसभा और मध्य प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश उपचुनाव में दयनीय प्रदर्शन के बाद सामने आई है। चिदंबरम ने कहा कि कॉन्ग्रेस ने अपनी संगठनात्मक क्षमता से ज़्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा। एक दैनिक को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कॉन्ग्रेस के प्रदर्शन पर खुल कर आलोचना की। चिदंबरम ने कहा कि उपचुनाव इस बात प्रमाण हैं कि कॉन्ग्रेस की संगठनात्मक दृष्टिकोण से कोई पकड़ नहीं रह गई है। इतना ही नहीं जिन राज्यों में उपचुनाव हुए हैं उनमें कॉन्ग्रेस कमज़ोर ही हुई है। 

सनद रहे :

महागठबंधन की हार अपना नज़रिया रखते हुए कॉन्ग्रेस नेता ने कहा कि महागठबंधन के जीतने की उम्मीदें थीं फिर भी हम जीतते जीतते हार गए। इन तमाम आलोचनात्मक दलीलों के बाद कॉन्ग्रेस पार्टी के लिए आशावादी नज़र आते हुए उन्होंने कहा कि कुछ ही समय पहले कॉन्ग्रेस ने हिन्दी बेल्ट 3 राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के चुनावों में जीत हासिल की थी। 

इसके बाद एआईएमआईएम और सीपीआई (एमएल) का उल्लेख करते हुए चिदंबरम ने कहा कि छोटे दल अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं क्योंकि इनकी ज़मीनी स्तर पर पकड़ बेहद मजबूत है। कॉन्ग्रेस, राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन की सबसे कमज़ोर कड़ी साबित हुई है। पार्टी को तमाम तरह के बदलावों की ज़रूरत है और ऐसे बदलाव नहीं होने की सूरत में राजनीतिक नुकसान बढ़ता ही जाएगा। 

पार्टी की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया आई:

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने एक निजी चैनल से बातचीत में वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल के हाल के विवादित बयान पर नाराज़गी जताते हुए कहा ”जिन नेताओं को लगता है की कांग्रेस उनके लिए सही पार्टी नहीं है वे नई पार्टी बना सकते हैं. अगर वे चाहें तो किसी दूसरी पार्टी को ज्वाइन कर सकते हैं. कांग्रेस में रहकर इस तरह की लज्जाजनक बयानबाज़ी से पार्टी की विश्वसनीयता कमज़ोर होती है.” अधीर रंजन चौधरी ने आगे कहा “कपिल सिब्बल पार्टी की स्थिति से नाखुश हैं. क्या वे बिहार या उत्तर प्रदेश गए थे चुनाव अभियान में? बिना ज़मीन पर पार्टी के लिए काम किए बगैर इस तरह के बयान देने का कोई मतलब नहीं है.”  

अंत में कॉन्ग्रेस नेता ने कहा कि पार्टी ने अपनी संगठनात्मक क्षमता से ज़्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा। यह एक बड़ा कारण था कि कॉन्ग्रेस इतनी कम सीटों पर जीत हासिल हुई जबकि भाजपा और उसके सहयोगी दल पिछले 20 वर्षों से चुनाव जीत रहे हैं। पार्टी को सिर्फ 45 उम्मीदवार उतारने चाहिए थे, शायद तब बेहतर नतीजे हासिल होते। इसके ठीक पहले कॉन्ग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने भी संगठन के शीर्ष नेतृत्व पर कई सवाल खड़े किए थे। 

उनका कहना था कि हार दर हार के बाद पार्टी के नेतृत्व ने इस प्रक्रिया को अपनी नियति मान कर स्वीकार कर लिया। कपिल सिब्बल के इस बयान पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सलमान खुर्शीद ने आलोचना की थी। इन्होंने यहाँ तक कह दिया था कि पार्टी के भीतर रह कर पार्टी को नुकसान पहुँचाने वाले नेता खुद बाहर चले जाएं। इसके अलावा लोकसभा में कॉन्ग्रेस के नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन ने भी कपिल सिब्बल के बयान पर प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था कि कपिल सिब्बल को पार्टी छोड़ ही देनी चाहिए।     

चित्रदुर्ग में Rustom 2 ने 16,000 फीट की ऊंचाई पर आठ घंटे की उड़ान भरी

वायु सेना के ड्रोन (मानव रहित टोही विमान) रुस्तम-दो की मारक क्षमता अब अचूक हो गई है। रुस्तम न सिर्फ अब दिन और रात में बराबर दुश्मन पर निगाह बनाए रखेगा, बल्कि जरूरत पडऩे पर उस पर अचूक निशाना भी साध सकेगा। यह संभव हो पाया है यंत्र अनुसंधान एवं विकास संस्थान (आइआरडीई) के लॉन्ग व मीडियम रेंज इलेक्ट्रो ऑप्टिकल सिस्टम की मदद से। 

चित्रदुर्ग:

 रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने शुक्रवार को स्वदेशी प्रोटोटाइप ड्रोन रूस्तम -2 (Rustom 2) की फ्लाइट टेस्टिंग की. कर्नाटक के चित्रदुर्ग में Rustom 2 ने 16,000 फीट की ऊंचाई पर आठ घंटे की उड़ान भरी. इस प्रोटोटाइप के साल 2020 तक अंत तक 26000 फीट और 18 घंटे की स्थिरता हासिल करने की उम्मीद है. डीआरडीओ ने इस तरह का ड्रोन सेना की मदद करने के लिए बनाया है. इसका इस्तेमाल दुश्मन की तलाश करने, निगरानी रखने, टारगेट पर सटीक निशाना लगाने और सिग्नल इंटेलिजेंस में होता है. बता दें कि अमेरिका आतंकियों पर हमला करने के लिए ऐसे ड्रोन का अक्सर इस्तेमाल करता रहता है. इससे पहले साल 2019 के सितंबर में इसका ट्रायल फेल हो गया था. चित्रदुर्ग में ही एक टेस्टिंग के दौरान यह क्रैश हो गया था.

डीआरडीओ ने उम्मीद जाहिर की है कि रुस्तम 2 भारतीय वायु सेना और नौसेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले इजरायली हेरॉन अनमैन्ड एरियल व्हीकल वाहन का मुकाबला करेगा. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर 1959 के कार्टोग्राफिक दावे के आधार पर लद्दाख में भारतीय क्षेत्र पर कब्जे की कोशिश के बाद रुस्तम -2 प्रोग्राम को शुरू किया गया. PLA के पास विंग लूंग-II आर्म्ड ड्रोन हैं. चीन ने उनमें से चार को CPEC गलियारे और ग्वादर बंदरगाह की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान को दे दिया है.

हालांकि रुस्तम -2 को भारतीय सेना में शामिल होने से पहले ट्रायस और टेस्टिंग से गुजरना होगा. रक्षा मंत्रालय वर्तमान में इजरायल एयरोस्पेस उद्योग (IAI) के साथ बातचीत कर रहा है, ताकि न केवल हेरोन ड्रोन के मौजूदा बेड़े को अपग्रेड किया जा सके, बल्कि मिसाइल और लेजर गाइडेड बमों के साथ हवा से सतह पर मार करने के काबिल बनाया जा सके.

हिन्दुस्तान टाइम्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित साउथ ब्लॉक के अधिकारियों के अनुसार, रक्षा अधिग्रहण समिति (डीएसी) द्वारा मंजूरी दिए जाने के बाद हेरोन ड्रोन का तकनीकी अपग्रेडेशन और आर्मिंग कॉन्ट्रैक्टिंग नेगोशिएटिंग कमिटी लेवल के पास है. परियोजना को सुरक्षा समिति (CCS) की कैबिनेट समिति के स्तर पर मंजूरी दी जाएगी.

रुस्तम का दूसरा नाम है – तापस
इस विमान को तापस बीएच-201 भी कहते हैं. रुस्तम 2 को डीआरडीओ ने पूरी तरह स्वदेशी तौर पर विकसित किया है. ये ऐसा ड्रोन है, जो दुश्मन की निगरानी करने, जासूसी करने, दुश्मन ठिकानों की फोटो खींचने के साथ दुश्मन पर हमला करने में भी सक्षम है. अमेरिका आतंकियों पर हमले के लिए ऐसे ड्रोन का इस्तेमाल करता रहा है. उसी तर्ज पर डीआरडीओ ने सेना में शामिल करने के लिए ऐसे ड्रोन बनाए हैं.

रुस्तम 2 ने फरवरी 2018, उसके बाद जुलाई में सफल परीक्षण उड़ान भरी थी. डीआरडीओ ने कहा था कि 2020 तक ये ड्रोन सेना में शामिल होने के लिए तैयार होंगे. रुस्तम- 2 अमेरिकी ड्रोन प्रिडेटर जैसा है. प्रिडेटर ड्रोन दुश्मन की निगरानी से लेकर हमला करने में सक्षम है.

उड़ान के दौरान ज्यादा शोर नहीं करता रुस्तम-2 यूएवी 
रुस्तम-2 को डीआरडीओ के एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट इसटैब्लिसमेंट (ADE) ने HAL के साथ पार्टनरशिप करके बनाया है. इसका वजन करीब 2 टन का है. विमान की लंबाई 9.5 मीटर की है. रुस्तम-2 के पंखे करीब 21 मीटर लंबे हैं. ये 224 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से उड़ान भर सकता है.

रुस्तम-2 कई तरह के पेलोड्स ले जाने में सक्षम है. इसमें सिंथेटिक अपर्चर राडार, इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सिस्टम और सिचुएशनल अवेयरनेस पेलोड्स शामिल हैं. रुस्तम-2 मे लगे कैमरे 250 किलोमीटर तक की रेंज में तस्वीरें ले सकते हैं. रुस्तम-2 यूएवी उड़ान के दौरान ज्यादा शोर नहीं करता है.

तबलीगी जमात को औरंगाबाद हाइ कोर्ट से राहत, एफ़आईआर रद्द, ओवैसी ने भाजपा पर साधा निशाना

मोदी सरकार ने कोरोना पर अपनी विफलता छुपाने के लिए तबलीगी जमात को ‘बलि का बकरा’ बनाया और मीडिया ने इस पर प्रॉपेगेंडा चलाया। बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात मामले में देश और विदेश के जमातियों के खिलाफ दर्ज FIR को रद्द कर दिया है। इस एक फैसले ने तबलिगी जमात के प्रति लोगों को अपने विचार बदलने पर मजबूर किया हो ऐसा नहीं है, हाँ मुसलमानों के एक तबके में राहत है और खुशी की लहर है। इस फैसले का मोदी सरकार के तथाकथित @#$%$ मीडिया वाली बात सच साबित होती दिखती है।

महाराष्ट्र(ब्यूरो):

बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात मामले में देश और विदेश के जमातियों के खिलाफ दर्ज FIR को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में तबलीगी जमात को ‘बलि का बकरा’ बनाया गया। कोर्ट ने साथ ही मीडिया को फटकार लगाते हुए कहा कि इन लोगों को ही संक्रमण का जिम्मेदार बताने का प्रॉपेगेंडा चलाया गया। वहीं कोर्ट के इस फैसले के बाद असदुद्दीन ओवैसी ने बीजेपी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि इस प्रॉपेगेंडा से मुस्लिमों को नफरत और हिंसा का शिकार होना पड़ा।

देश में जब दिल्ली के निज़ामुद्दीन में स्थित तबलीग़ी जमात के बने मरकज़ में फंसे लोगों की ख़बर निकल कर सामने आई और तबलीगी जमात में शामिल छह लोगों की कोविड-19 से मौत का मामला सामने आया, तब से ही भारतीया मीडिया ने तबलीग़ी जमात की आड़ में देश के मुस्लमानों पर फेक न्यूज़ की बमबारी कर दी । मीडिया ने चंद लम्हों में इसको हिंदू-मुस्लिम का मामला बना कर परोसना शुरू कर दिया । सरकार से सवाल पूछने के बजाए नेशनल चैनल पर अंताक्षरी खेलने वाली मीडिया को जैसे ही मुस्लमानों से जुड़ा कोई मामला मिला उसने देश भर के मुस्लमानों की छवि को धूमिल करना शुरू कर दिया । कोरोनावायरस जैसी जानलेवा बीमारी को भारत में फैलाने का ज़िम्मेदार मुस्लमानों को ठहराना शुरू कर दिया। : नेहाल रिज़वी

कोर्ट ने शनिवार को मामले पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘दिल्ली के मरकज में आए विदेशी लोगों के खिलाफ प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बड़ा प्रॉपेगेंडा चलाया गया। ऐसा माहौल बनाने की कोशिश की गई, जिसमें भारत में फैले Covid-19 संक्रमण का जिम्मेदार इन विदेशी लोगों को ही बनाने की कोशिश की गई। तबलीगी जमात को बलि का बकरा बनाया गया।’

हाई कोर्ट बेंच ने कहा, ‘भारत में संक्रमण के ताजे आंकड़े दर्शाते हैं कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ ऐसे ऐक्शन नहीं लिए जाने चाहिए थे। विदेशियों के खिलाफ जो ऐक्शन लिया गया, उस पर पश्चाचाताप करने और क्षतिपूर्ति के लिए पॉजिटिव कदम उठाए जाने की जरूरत है।

वहीं हैदराबाद से सांसद और AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कोर्ट के इस फैसले की सराहना करते हुए इसे सही समय पर दिया गया फैसला करार दिया। ओवैसी ने ट्वीट कर कहा, ‘पूरी जिम्मेदारी से बीजेपी को बचाने के लिए मीडिया ने तबलीगी जमात को बलि का बकरा बनाया। इस पूरे प्रॉपेगेंडा से देशभर में मुस्लिमों को नफरत और हिंसा का शिकार होना पड़ा।’

दंगाईयों से ही वसूली जाएगी नुकसान की भरपाई

कर्नाटक के मंत्री का यह बयान बेंगलुरु हिंसा के संदर्भ में आया है. इस हिंसा के दौरान एक ईशनिंदा करने वाली सोशल मीडिया पोस्ट के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए 50 से 60 हजार की उग्र भीड़ ने कर्नाटक के कुछ इलाकों में मंगलवार रात सांप्रदायिक हिंसा को अंजाम दिया था.“सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि हिंसा के दौरान क्षतिग्रस्त हुई सार्वजनिक संपत्ति की भरपाई उन व्यक्तियों द्वारा किया जाना चाहिए जिन्होंने नुकसान पहुँचाया है। हम तुरंत कार्रवाई करने जा रहे हैं। हम व्यक्तियों की पहचान कर रहे हैं और नुकसान का आकलन कर रहे हैं। इसके बाद दंगाइयों द्वारा नुकसान की वसूली की जाएगी।”

कर्नाटक/ नयी दिल्ली :

कर्नाटक के गृह मंत्री बसवराज बोम्मई ने बुधवार (अगस्त 12, 2020) को कहा कि राज्य सरकार बेंगलुरु हिंसा की घटना में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। बोम्मई ने एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा कि सार्वजनिक संपत्ति और वाहनों को नुकसान की भरपाई क्षति पहुँचाने वाले दंगाइयों को करना होगा।

मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए, कर्नाटक के गृह मंत्री ने कहा, “मैं संपत्ति की वसूली को लेकर एक महत्वपूर्ण घोषणा करना चाहता हूँ कि सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि हिंसा के दौरान क्षतिग्रस्त हुई सार्वजनिक संपत्ति की भरपाई उन व्यक्तियों द्वारा किया जाना चाहिए जिन्होंने नुकसान पहुँचाया है। हम तुरंत कार्रवाई करने जा रहे हैं। हम व्यक्तियों की पहचान कर रहे हैं और नुकसान का आकलन कर रहे हैं। इसके बाद दंगाइयों द्वारा नुकसान की वसूली की जाएगी।”

उन्होंने पुष्टि की कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक बुलाई है, जहाँ आगजनी में लिप्त लोगों से नुकसान की वसूली के बारे में अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

मंत्री ने कहा, “मैं लोगों को चेतावनी देना चाहता हूँ कि जो लोग कानून को हाथ में ले रहे हैं उन्हें सबक सिखाया जाएगा। (बेंगलुरु हिंसा) के पीछे की साजिश का पर्दाफाश किया जाएगा।”

बता दें कि इससे पहले बेंगलुरु दक्षिण के सांसद (बीजेपी) तेजस्वी सूर्या ने इस बाबत कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को पत्र लिखा था। पत्र में तेजस्वी सूर्या ने येदियुरप्पा से उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ की तरह दंगे में हुई व्यापक क्षति की भरपाई दंगाइयों की संपत्ति जब्त करके करने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा था कि सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की वसूली दंगाइयों की संपत्ति जब्त करके करें।

भाजपा सांसद ने अपने पत्र को ट्विटर पर पत्र शेयर किया, जिसमें उन्होंने येदियुरप्पा से योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार के उदाहरण का पालन करने का आग्रह किया, जिसमें उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को दोहराया नहीं जाएगा।

उत्तर प्रदेश के सीएम ने आगजनी में शामिल दंगाइयों की संपत्तियों को कैसे कुर्क किया, इसका उदाहरण देते हुए तेजस्वी ने कहा कि हिंसा के आरोपित व्यक्तियों की होर्डिंग्स लगाई गई और अकेले लखनऊ में 50 लोगों को 1.55 करोड़ रुपए की वसूली नोटिस जारी किए गए। उन्होंने दंगाइयों से सख्ती से निपटने का अनुरोध किया।

सीएम येदियुरप्पा को तेजस्वी सूर्या का लिखा गया पत्र

बता दें कि मंगलवार (अगस्त 11, 2020) की रात पूर्वी बेंगलुरु केजी हल्ली, डीजे हल्ली और पुल्केशी नगर में अल्लाह-हो-अकबर और नारा-ए-तकबीर के नारों के बीच हिंसा फैल गई। 1000 से भी अधिक की मुस्लिम भीड़ ने अल्लाह-हो-अकबर और नारा-ए-तकबीर के नारों के बीच पुलिस स्टेशन को जला डाला। यह दंगे पैगंबर मुहम्मद पर कथित रूप से आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट को लेकर भड़के थे।

1000 से भी अधिक की मुस्लिम भीड़ ने स्थानीय विधायक अखंड श्रीनिवास मूर्ति के घर को घेर लिया और तोड़फोड़ शुरू कर दी। सबसे पहले तो केजी हल्ली पुलिस स्टेशन के सामने एक हज़ार से ज्यादा की संख्या में मुसलमान इकट्ठे हो गए और कॉन्ग्रेस विधायक अखंड श्रीनिवास मूर्ति के रिश्तेदार नवीन की गिरफ्तारी की माँग करने लगे। इसके बाद उन्होंने विरोध प्रदर्शन और नारेबाजी शुरू कर दी। इसी तरह विधायक के आवास के बाहर भी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। उनके घर के बाहर गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया। कई घण्टों तक आगजनी चली।

पुलिस स्टेशन के बाहर मजहबी नारेबाजी हुई, पत्थरबाजी की गई और गाड़ियों को फूँक दिया गया। पूर्वी भीमाशंकर के डीसीपी को डंडों और पत्थरों से निशाना बनाया गया। वहीं डीजे हल्ली में पुलिस की एक गाड़ी को आग के हवाले कर दिया गया। रात के करीब 10:30 बजे अतिरिक्त पुलिस बल की टुकड़ियाँ आईं। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने हवाई फायरिंग की। यहाँ तक कि पुलिस को थाने के भीतर घुसने के लिए भी मुस्लिम भीड़ ने जगह नहीं दी।

The Quick brown fox नहीं यह है एक वर्णमाला का सम्पूर्ण वाक्य ‘क:खगीघाङ्चिच्छौजाझाञ्ज्ञोटौठीडढण:।’

अजय नारायण शर्मा ‘अज्ञानी’, चंडीगढ़:

संस्कृत भाषा का कोई सानी नहीं है। यह अत्यंत वैज्ञानिक व विलक्षण भाषा है जो अनंत संभावनाएं संजोए है।

अंग्रेजी में
A QUICK BROWN FOX JUMPS OVER THE LAZY DOG
यह एक प्रसिद्ध वाक्य है। अंग्रेजी वर्णमाला के सभी अक्षर इसमें समाहित हैं। किन्तु इसमें कुछ कमियाँ भी हैं, या यों कहिए कि कुछ विलक्षण कलकारियाँ किसी अंग्रेजी वाक्य से हो ही नहीं सकतीं। इस पंक्ति में :-

1) अंग्रेजी अक्षर 26 हैं और यहां जबरन 33 का उपयोग करना पड़ा है। चार O हैं और A,E,U,R दो-दो हैं।
2) अक्षरों का ABCD.. यह स्थापित क्रम नहीं दिख रहा। सब अस्तव्यस्त है।

अब संस्कृत में चमत्कार देखिये!

क:खगीघाङ्चिच्छौजाझाञ्ज्ञोटौठीडढण:।
तथोदधीन पफर्बाभीर्मयोSरिल्वाशिषां सह।।

अर्थात्– पक्षियों का प्रेम, शुद्ध बुद्धि का, दूसरे का बल अपहरण करने में पारंगत, शत्रु-संहारकों में अग्रणी, मन से निश्चल तथा निडर और महासागर का सर्जन करनहार कौन? राजा मय कि जिसको शत्रुओं के भी आशीर्वाद मिले हैं।

आप देख सकते हैं कि संस्कृत वर्णमाला के सभी 33 व्यंजन इस पद्य में आ जाते हैं। इतना ही नहीं, उनका क्रम भी यथायोग्य है।

एक ही अक्षर का अद्भुत अर्थ विस्तार।
माघ कवि ने शिशुपालवधम् महाकाव्य में केवल “भ” और “र”, दो ही अक्षरों से एक श्लोक बनाया है-

भूरिभिर्भारिभिर्भीभीराभूभारैरभिरेभिरे।
भेरीरेभिभिरभ्राभैरूभीरूभिरिभैरिभा:।।

अर्थात् धरा को भी वजन लगे ऐसे वजनदार, वाद्य यंत्र जैसी आवाज निकालने वाले और मेघ जैसे काले निडर हाथी ने अपने दुश्मन हाथी पर हमला किया।

किरातार्जुनीयम् काव्य संग्रह में केवल “न” व्यंजन से अद्भुत श्लोक बनाया है और गजब का कौशल प्रयोग करके भारवि नामक महाकवि ने कहा है –

न नोननुन्नो नुन्नोनो नाना नाना नना ननु।
नुन्नोSनुन्नो ननुन्नेनो नानेना नन्नुनन्नुनुत्।।

अर्थ- जो मनुष्य युद्ध में अपने से दुर्बल मनुष्य के हाथों घायल हुआ है वह सच्चा मनुष्य नहीं है। ऐसे ही अपने से दुर्बल को घायल करता है वो भी मनुष्य नहीं है। घायल मनुष्य का स्वामी यदि घायल न हुआ हो तो ऐसे मनुष्य को घायल नहीं कहते और घायल मनुष्य को घायल करें वो भी मनुष्य नहीं है।

अब हम एक ऐसा उदहारण देखेंगे जिसमे महायमक अलंकार का प्रयोग किया गया है। इस श्लोक में चार पद हैं, बिलकुल एक जैसे, किन्तु सबके अर्थ अलग-अलग –

विकाशमीयुर्जगतीशमार्गणा विकाशमीयुर्जगतीशमार्गणाः।
विकाशमीयुर्जगतीशमार्गणा विकाशमीयुर्जगतीशमार्गणाः।।

अर्थात् – अर्जुन के असंख्य बाण सर्वत्र व्याप्त हो गए जिनसे शंकर के बाण खण्डित कर दिए गए। इस प्रकार अर्जुन के रण कौशल को देखकर दानवों को मारने वाले शंकर के गण आश्चर्य में पड़ गए। शंकर और तपस्वी अर्जुन के युद्ध को देखने के लिए शंकर के भक्त आकाश में आ पहुँचे।

संस्कृत की विशेषता है कि संधि की सहायता से इसमें कितने भी लम्बे शब्द बनाये जा सकते हैं। ऐसा ही एक शब्द इस चित्र में है, जिसमें योजक की सहायता से अलग अलग शब्दों को जोड़कर 431 अक्षरों का एक ही शब्द बनाया गया है। यह न केवल संस्कृत अपितु किसी भी साहित्य का सबसे लम्बा शब्द है। (चित्र संलग्न है…)

संस्कृत में यह श्लोक पाई (π) का मान दशमलव के 31 स्थानों तक शुद्ध कर देता है।

गोपीभाग्यमधुव्रात-श्रुग्ङिशोदधिसन्धिग।
खलजीवितखाताव गलहालारसंधर।।

pi=3.1415926535897932384626433832792

श्रृंखला समाप्त करने से पहले भगवन श्री कृष्णा की महिमा का गान करने वाला एक श्लोक प्रस्तुत है जिसकी रचना भी एक ही अक्षर से की गयी है।

दाददो दुद्ददुद्दादी दाददो दूददीददोः।
दुद्दादं दददे दुद्दे दादाददददोऽददः॥

यहाँ पर मैंने बहुत ही काम उदाहरण लिए हैं, किन्तु ऐसे और इनसे भी कहीं प्रभावशाली उल्लेख संस्कृत साहित्य में असंख्य बार आते हैं। कभी इस बहस में न पड़ें कि संस्कृत अमुक भाषा जैसा कर सकती है कि नहीं, बस यह जान लें, जो संस्कृत कर सकती है, वह कहीं और नहीं हो सकता।

कांग्रेस के बागी: सचिन आखिरी नहीं

  • राजस्थान में संकट में आई गहलोत की सरकार
  • कांग्रेस में उभर रहा युवा नेताओं का असंतोष
  • सिंधिया और हिमंता बिस्वा की राह पर पायलट

डेमोक्रेटिकफ्रंट॰कॉम सिंधिया के इस्तीफ़े को कांग्रेस के लिए ख़तरे की घंटी बताया था। उस समय भी कहा गया था कि, “ऐसा नहीं है कि सिंधिया से पहले कोई कांग्रेस नेता बीजेपी में शामिल नहीं हुआ. असम के हिमंता बिस्वा सरमा को देखिए. कांग्रेस ने उन्हें तवज्जो नहीं दी और अब वो बीजेपी में जाकर चमक रहे हैं. अब सिंधिया के इस्तीफ़े से कांग्रेस के अन्य युवा नेताओं के भी ऐसा क़दम उठाने की आशंका है.”

आज हम फिर दोहराते हैं कि सचिन आखिरी नहीं हैं, मिलिंद देवड़ा, आरपीएन सिंह और जितिन प्रसाद जैसे युवा नेताओं को पार्टी ने कोई अहम भूमिका नहीं दी है. ऐसे में उनमें असंतोष आना स्वाभाविक है। कांग्रेस के कई नेता बीच-बीच में पार्टी की अप्रभावी कार्यशैली और नेतृत्व की कमी का मुद्दा उठाते रहते हैं। ज़ाहिर है, कांग्रेस के अपने नेताओं में भी कम असंतोष नहीं है।

Sachin Pilot , Jyotiraditya Scindia , RPN Singh Milind Deora Jitin Prasada during the swearing-in ceremony for the new ministers at Rashtrapati Bhavan on October 28, 2012 in New Delhi, India

सारिका तिवारी, चंडीगढ़ – 13 जुलाई :

सियासत में हमेशा ओल्ड गार्ड के साथ युवा जोश के सामंजस्य को कामयाबी की सबसे मजबूत कड़ी समझा जाता है. ये फॉर्मूला कई मौकों पर कारगर होते हुए भी देखा गया है. मौजूदा वक्त में राजनीतिक संकट से जूझ रही कांग्रेस के लिए भी अनुभव और युवा सोच ने मिलकर जीत की कई कहानियां लिखी हैं, लेकिन अब हालात ऐसे हो गए हैं कि युवा चेहरे ही पार्टी के साथ-साथ दिग्गज नेताओं की चूलें हिला रहे हैं.

ताजा उदाहरण सचिन पायलट का है. राजेश पायलट जैसे कांग्रेसी दिग्गज के बेटे सचिन पायलट 26 साल की उम्र में कांग्रेस से सांसद बने तो 35 साल की उम्र में उन्हें केंद्रीय कैबिनेट में जगह दी गई. इसके बाद 2014 में जब उनकी उम्र 37 साल थी तो पार्टी ने राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कमान उनके हाथों में सौंप दी.

सचिन पायलट ने जी-तोड़ मेहनत की. पूरे प्रदेश में घूमकर तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार को एक्सपोज किया और अपने संगठन को मजबूती से आगे बढ़ाया. ये वो वक्त था जब अशोक गहलोत दिल्ली में राहुल गांधी के साथ देश की राजनीतिक बागडोर संभाले हुए थे. सचिन पायलट की मेहनत रंग लाई और 2018 में राजस्थान की जनता ने वसुंधरा सरकार उखाड़ फेंकी और कांग्रेस को सत्ता सौंप दी. हालांकि, जब जीत का सेहरा बंधने का नंबर आया तो अशोक गहलोत का तजुर्बा और प्रदेश व पार्टी में उनकी पकड़ सचिन पायलट की पांच साल की मेहनत पर भारी पड़ गई. तमाम खींचतान के बाद सचिन पायलट उपमुख्यमंत्री पद पर राजी हुए, लेकिन दोनों में तालमेल नहीं बैठ पाया. अब बात यहां तक पहुंच गई है कि सचिन पायलट बगावत पर उतर आए हैं और गहलोत सरकार संकट में आ गई है.

सिंधिया ने दिखाई कांग्रेस को जगह

इसी साल मार्च महीने में जब देश में कोरोना वायरस का संक्रमण अपने पैर पसार रहा था और देश होली के जश्न में डूबा हुआ था, मध्य प्रदेश और देश की राजनीति का बड़ा फेस माने जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस को ऐसा गम दिया कि पार्टी को सरकार से हाथ धोना पड़ा. पिता माधवराव सिंधिया की मौत के बाद सिंधिया ने 2001 में कांग्रेस ज्वाइन की और चुनाव-दर चुनाव गुना लोकसभा से जीतते चले गए. 2007 में केंद्र की मनमोहन सरकार में सिंधिया को मंत्री बनाकर बड़ा तोहफा दिया गया. लेकिन 2018 में जब मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत मिलने के बाद पार्टी नेतृत्व ने कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाया तो सिंधिया के अरमान टूट गए. इसका नतीजा ये हुआ कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी का साथ देकर कमलनाथ की सरकार 15 महीने के अंदर ही गिरा दी.

हिमंता बिस्वा सरमा ने नॉर्थ ईस्ट से बाहर कराया

सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के लिए उन राज्यों में चुनौती बनकर उभरे जहां मुख्य विरोधी बीजेपी हमेशा से मजबूत रही है. लेकिन पार्टी के एक और युवा चेहरे रहे हिमंता बिस्वा सरमा ने कांग्रेस को जो नुकसान पहुंचाया वो ऐतिहासिक है. हिमंता बिस्वा सरमा कभी दिल्ली में बैठे कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व तक पहुंच रखते थे. लेकिन 2015 में उन्होंने कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया. 1996 से 2015 तक हिमंता बिस्वा कांग्रेस में रहे और असम की कांग्रेस सरकार में मंत्रीपद भी संभाला.

कांग्रेस से हिमंता बिस्वा सरमा इतने नाराज हो गए कि उन्होंने बीजेपी में जाने का फैसला कर लिया. उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर उस वक्त गंभीर आरोप भी लगाए. इसके बाद 2016 असम विधानसभा चुनाव लड़ा और कैबिनेट मंत्री बने. इतना ही नहीं बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने हिमंता बिस्वा सरमा को नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (NEDA) का संयोजक भी बना दिया. NEDA, नॉर्थ ईस्ट भारत के कई क्षेत्रीय दलों का एक गठबंधन है. नेडा के संयोजक रहते हुए हिमंता बिस्वा सरमा बीजेपी के लिए सबसे बड़े संकटमोचक के तौर पर उभरकर सामने आए. नॉर्थ ईस्ट की राजनीति में शून्य कही जाने वाली बीजेपी ने असम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर जैसे राज्यों में सरकार बनाकर कांग्रेस का सफाया कर दिया. इसके अलावा नॉर्थ ईस्ट के अन्य राज्यों की सत्ता में भी बीजेपी का दखल बढ़ गया. हिमंता बिस्वा सरमा ने नॉर्थ ईस्ट की राजनीति में बीजेपी की बढ़त बनाने में अहम भूमिका अदा की.

इस तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जहां कमलनाथ जैसे दिग्गज को कुर्सी से हटाने का काम किया, वहीं सचिन पायलट अब कांग्रेस के जमीनी नेताओं में शुमार अशोक गहलोत के लिए परेशानी का सबब बन गए हैं. वहीं, हिमंता बिस्वा सरमा लगातार कांग्रेस को बड़ा आघात पहुंचा रहे हैं. यानी कांग्रेस के ये तीन युवा चेहरे रहे आज देश की इस सबसे पुरानी पार्टी के बड़े-बड़े दिग्गजों को सियासी धूल चटा रहे हैं.