ममता के कारण रद्द हुई भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों की बैठक


सूत्रों के मुताबिक, ये मीटिंग पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की वजह से कैंसिल हुई


लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र बीजेपी के खिलाफ सभी विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए 22 नवंबर को प्रस्तावित मीटिंग कैंसिल कर दी गई है. सूत्रों के मुताबिक, ये मीटिंग पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की वजह से कैंसिल हुई.

दरअसल, आंध्र प्रदेश के सीएम और तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) प्रमुख चंद्रबाबू नायडू लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी विरोधी दलों को एक साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें ममता बनर्जी का साथ काफी अहम बताया जा रहा है. लेकिन, अभी तक ममता ने इस मीटिंग के लिए सहमति नहीं जताई है. सूत्रों के मुताबिक, आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू पहले ममता बनर्जी से मुलाकात करेंगे. इसके बाद मीटिंग की अगली तारीख तय होगी.

कौन-कौन सी पार्टियां हो सकती हैं शामिल?

सूत्रों के अनुसार, बैठक में शामिल होने के लिए कांग्रेस, टीडीपी, आम आदमी पार्टी, जेडीएस, एनसीपी और टीएमसी मान गए हैं. वहीं यह भी कहा जा रहा है कि मायावती ने बैठक में शामिल होने के लिए हामी नहीं भरी है. बैठक में एंटी बीजेपी फ्रंट को मजबूत करने पर जोर दिया जाएगा.

गहलोत से मिलकर लिया था 22 नवंबर को बैठक का फैसला

सभी दलों को करीब लाने का जिम्मा इस बार तेलुगू देशम पार्टी और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने लिया है. इससे पहले उन्होंने अमरावती में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत से भी मुलाकात की थी. इस मुलाकात में यह तय हुआ था कि बीजेपी के खिलाफ विपक्ष के सभी बड़े दल 22 नवंबर को दिल्ली में बैठक करेंगे. इस बैठक में नोटबंदी, सीबीआई आदि मुद्दों पर भी चर्चा होनी थी.

केवल इतना ही नहीं नायडू विपक्ष के कई नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं. यह बैठक ठीक ममता के उस फैसले के बाद आयोजित की गई है, जिसमें उन्होंने आंध्र प्रदेश की तरह ही अपने राज्य में भी मामलों की जांच के लिए सीबीआई के प्रवेश पर पाबंदी लगाई थी

मोदी को घेरने के लिए होने वाली विपक्ष की बैठक क्यों टली?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने की कोशिश में लगे विपक्षी दलों की तरफ से बुलाई गई बैठक स्थगित कर दी गई है. सीएनएन न्यूज 18 के मुताबिक, विपक्षी कुनबे की एकता दिखाने वाली यह बैठक 22 नवंबर को बुलाई गई थी, जिसे टालना पड़ा है.

सूत्रों के मुताबिक, महागठबंधन की इस बैठक को लेकर एसपी, बीएसपी और टीएमसी बहुत उस्साहित नहीं दिख रहे थे. इन सभी पार्टी को ऐसा लग रहा है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले ऐसा करना फायदेमंद नहीं है. हो सकता है कि इनकी तरफ से अपनी शक्ति का आकलन भी किया जा रहा हो, या फिर अपने से ज्यादा कांग्रेस की शक्ति का आकलन करने की कोशिश हो रही हो, जिसके बाद कांग्रेस से डील करना ज्यादा आसान होगा.

दरअसल, कांग्रेस की मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सीधी लड़ाई बीजेपी से है. लेकिन, इन राज्यों में एसपी, बीएसपी भी अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं. कांग्रेस और बीजेपी दोनों के खिलाफ चुनाव लड़ रही इन पार्टियों को लग रहा है कि अगर राष्ट्रीय स्तर पर एक मंच पर आकर लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ रणनीति बनाई गई तो इसका सीधा असर पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में दिख सकता है. भले ही एसपी, बीएसपी का इन राज्यों में बड़ा स्टेक नहीं है, फिर भी, कांग्रेस के साथ इस वक्त राष्ट्रीय स्तर पर नजदीकी उनकी प्रदेश चुनाव में संभावनाओं को पूरी तरह खत्म कर सकती है.

अगर बात एसपी की करें तो पिछले साल यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ चुकी एसपी अबकी बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से हाथ मिलाने से पहले फूंक-फूंक कर कदम रखना चाह रही है. दूसरी तरफ, बीएसपी ने मध्यप्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के बजाए अलग से मैदान में ताल ठोंक दी है. बीएसपी सुप्रीमो मायावती की तरफ से उस वक्त बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस के खिलाफ भी काफी तल्ख तेवर देखा गया था. ऐसे में मायावती नहीं चाहेंगी कि विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के साथ आने का कोई संदेश जनता के बीच जाए. मायावती की कांग्रेस को लेकर तल्खी विपक्षी कुनबे के कांग्रेस के नेतृत्व में आगे बढ़ने की संभावना को फिलहाल खारिज करती दिख रही है.

उधर टीएमसी का रुख लगभग वैसा ही है. ममता बनर्जी ने भी कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों को साथ लाने की पहल काफी पहले शुरू की थी. लेकिन, उनकी पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, ममता भी विधानसभा चुनाव के बाद ही विपक्षी खेमे की बड़ी बैठक बुलाए जाने के पक्ष में हैं. लिहाजा महागठबंधन की 22 नवंबर की प्रस्तावित बैठक को टाला जा रहा है.

हालांकि महागठबंधन की बैठक टलने की खबर उसी दिन सामने आई जिस दिन आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात होनी थी. नरेंद्र मोदी और बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खड़ा करने में लगे आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और टीडीपी के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू सोमवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी से मिले.

चंद्रबाबू नायडू से बैठक के बाद ममता बनर्जी ने सकारात्मक लहजे में कहा कि ‘महागठबंधन’ का चेहरा हर व्यक्ति होगा. ममता बनर्जी के कहने का मतलब था कि इस गठबंधन में जो भी दल शामिल होंगे उन सभी के नेता महागठबंधन के चेहरे होंगे. मुलाकात के बाद ममता बनर्जी ने ट्वीट कर चंद्रबाबू नायडू को धन्यवाद भी दिया.

नायडू-ममता की मुलाकात को विपक्ष के नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है. क्योंकि ममता तो पहले से ही ऐसा कर रही हैं, अब नायडू ने एनडीए छोड़कर बाहर निकलने के बाद तो विपक्षी कुनबे की एकता बनाने का बीड़ा उठा लिया है.

दिल्ली से लेकर कोलकाता तक चंद्रबाबू नायडू दौड़ लगा रहे हैं. अभी कुछ दिन पहले ही नायडू ने दिल्ली आकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की. उसके बाद नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला और एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार से भी मुलाकात की थी.

कभी तीसरे मोर्चे में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके चंद्रबाबू नायडू ने सभी क्षेत्रीय क्षत्रपों को साध कर अब तीसरा मोर्चा बनाने के बजाए कांग्रेस के साथ विपक्षी एकता की कसरत शुरू कर दी है. लेकिन, महागठबंधन की प्रस्तावित बैठक का टलना यह दिखा रहा है कि सबको साध कर कांग्रेस के साथ एक मंच पर लाना इतना आसान नहीं है.

ऐसा करना इसलिए भी मुश्किल है क्योंकि इन सभी क्षेत्रीय दलों के नेताओं की अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा इतनी है कि उनकी तरफ से कांग्रेस और राहुल गांधी के नेतृत्व को स्वीकार नहीं किया जा रहा है. इसके अलावा इन सभी क्षेत्रीय क्षत्रपों की आपस की खींचतान भी महागठबंधन की गांठ को और पेचीदा बना देते हैं. ऐसे में नायडू की हैदराबाद से दिल्ली और कोलकाता तक भी दौड़ के बावजूद सबकुछ विधानसभा चुनाव के परिणाम पर आकर टिक गया है. विधानसभा का चुनाव परिणाम ही लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी रणनीति तय करेगा.

“If they think so then definitely it must be true”.Rajnikanth


The actor clarified on Tuesday after confusion erupted over his comments on Rajiv case convicts release and about the anti-BJP front.


A day after seemingly endorsing that BJP is a “dangerous party”, actor Rajinikanth on Tuesday hints that Prime Minister Narendra Modi is powerful than the opposition.

On Monday, a journalist had cited the opposition’s alliance against the BJP and asked if the party was such a dangerous political entity. To this, Mr Rajinikanth, who is nurturing political ambitions, said, “If they think so then definitely it must be true”.

However, addressing journalists outside his Poes Garden bungalow in Chennai on Tuesday, the actor clarified his stand thus: “The question (put to me) was about opposition parties considering the BJP as a dangerous party. When opposition parties think that BJP is a dangerous party, then BJP is a dangerous party for them only no? Whether BJP is a dangerous party or not will be decided by the people.”

Going beyond, he posed: “If 10 people join to fight one person (Modi), then who is more powerful…is it those 10 persons or that one person? You decide for yourself.”

Asked whether he considered Prime Minister Narendra Modi to be powerful, he said “I cannot say this more clearly,” and reiterated his point on the analogy of the 10 versus one.

Asked about his stand on the BJP, he said he cannot reveal it now, as he has not come into “full time politics” as of now.

‘Release on humanitarian grounds’

The actor also clarified that his response to a question on the proposal for premature release of the seven convicts in the former Prime Minister Rajiv Gandhi assassination case was being misconstrued. Some people were trying to create an impression that he did not know anything on the issue.

Mr Rajinikanth said the question posed to him on Monday was “about the seven people” without identifying them. “So I asked which seven people? The question was not clear,” he said adding that he was not such a fool to be ignorant of the seven life convicts.

“They (the seven convicts) have undergone punishment for the past 28 years. Enough. It is my opinion that they should be released on humanitarian grounds,” he said.

Mr. Rajinikanth said that he had spoken to one of the convicts Perarivalan over the phone for 10 minutes when he was out on parole. “See…If I know something, I will say ‘I know’. When I don’t know, I will say ‘I don’t know’. There’s nothing to be ashamed about (not knowing something),” the actor said.

Only Karnataka leader to make a mark in BJP’s central politics


Alternative power centre in BJP state unit lost in his death


The 59-year-old Ananth Kumar, who died on the earlier hours of Monday, was the only politician from Karnataka who could make it big in the Bharatiya Janata Party’s Central political scape at a very young age.

In fact, he was the youngest minister in Atal Bihari Vajpayee’s Cabinet when he got the ministerial opportunity for the first time in 1998. He held various prominent portfolios such as Civil Aviation, Tourism, Sports & Youth Affairs, Culture, Urban Development and Poverty Alleviation.

In the Narendra Modi Cabinet, he handled portfolios such as Parliamentary Affairs and Chemicals & Fertilizers.

Kumar was elected to the Lok Sabha from Bengaluru South for six consecutive times since 1996. His proximity to veteran leader L.K. Advani increased his political clout in Central politics.

He began his political career from the Sangh Parivar’s student wing of Akhil Bharatiya Vidyarti Parishad (ABVP). He attracted the attention of national leaders by raising to the ranks of National Secretary of ABVP. In 1987, he entered the mainstream BJP fold and even served as president of the BJP Yuva Morcha’s state unit.

A crafty politician, Kumar played a crucial role in the development of BJP in the State by wooing prominent politicians such as former chief minister S. Bangarappa from other parties when he was the Party’s State president. The party which was stuck at a numerical strength of around 40 MLAs for quite sometime, increased its tally to become a single largest party under his leadership.

He has been credited with working for strengthening the party along with B.S. Yeddyurappa in the State. Kumar and Mr. Yeddyurappa formed the two supporting pillars of the party in Karnataka for a long time. Both were being seen as two different power centres in the Party’s State unit. There was always an undercurrent of animosity between the two groups though publicly they appeared friendly.

Now, with Kumar’s death many leaders in the party feel that the leadership equilibrium is lost in Party’s Karnataka unit.

Kumar was supported by his wife Tejaswini, who earned public goodwill through her NGO Adamya Chetana which is known for serving mid-day meals to schoolchildren.

Undefeated Veteran looses battle against Cancer at 59


Karnataka has announced holiday for all schools and colleges on Monday, as a mark of respect for the leader.


Union Minister for Parliamentary Affairs, and Chemicals and Fertilizers H.N. Ananth Kumar, also a senior BJP leader from the State passed away at a private hospital in Bengaluru in the wee hours of Monday. He was 59.

According to the hospital, Mr Kumar was diagnosed with lung cancer at an advanced stage in June. He underwent initial treatment in Sri Shankara Cancer Hospital and Research Centre and then went to the US for further treatment.  He returned 25 days ago and continued treatment in the hospital.

Hospital Managing Trustee B N Srinath told media persons that he battled cancer fiercely, however, the infection had spread to other organs and he succumbed to the disease. He breathed his last around 2 am on Monday. His wife Tejashwini and both daughters were beside him.

Former Chief Minister B.S. Yeddyurappa pays his last respects to Union Minster H.N. Ananth Kumar at his residence at Basavanagudi in Bengaluru on Monday

Mr. Kumar’s body will be kept for public viewing at National College Grounds, Basavanagudi at 11 am and he will be cremated on Tuesday. Prime minister Narendra Modi is expected to pay his respects and participate in the funeral.

The State government has announced holiday for all schools and colleges on Monday, as a mark of respect for the leader. The State will observe three-day mourning and accord state funeral.

A six-time member of parliament from Bengaluru South Lok Sabha seat, Mr. Kumar was representing it continuously since 1996.

An RSS worker, Mr. Kumar was arrested during Emergency.

He held civil aviation, urban development and tourism portofolios in Atal Bihari Vajpayee cabinet during 1999-2004. He was State president of BJP during 2004 Assembly elections when the party for the first time emerged as the single largest party in the State. He was a national General Secretary of BJP for nine years.

Mr. Kumar and former Chief Minister B.S. Yeddyurappa were two prominent leaders credited with building the BJP in Karnataka. Mr. Yeddyurappa, in a condolence message, said that he had lost “a personal friend” and Mr. Kumar had gone away at a young age leaving him alone.

Relatives and friends pay their last respects to Union Minster H.N. Ananth Kumar at his residence at Basavanagudi in Bengaluru on Monday.

Relatives and friends pay their last respects to Union Minster H.N. Ananth Kumar at his residence at Basavanagudi in Bengaluru on Monday.

PM condoles demise

Prime Minister Narendra Modi and Defence Minister Nirmala Sitharaman condoled the demise of Mr. Kumar.

“Extremely saddened by the passing away of my valued colleague and friend, Shri Ananth Kumar Ji. He was a remarkable leader, who entered public life at a young age and went on to serve society with utmost diligence and compassion. He will always be remembered for his good work,” Mr. Modi tweeted.

“Deep sense of grief on hearing that Shri @AnanthKumar_BJP is no more with us. Served @BJP4India @BJP4Karnataka all along. Bengaluru was in his head and heart, always. May God give his family the strength to bear with this loss,” Ms. Sitharaman tweeted.

Gaja Cyclone to intensify into severe cyclonic storm by November 12


Coastal areas of north Tamil Nadu would experience moderate rainfall and heavy rainfall in isolated places from the night of November 14, the Met office said.


A deep depression in the Bay of Bengal has intensified into a cyclonic storm and is likely to cross the North Tamil Nadu and South Andhra Pradesh coast between Cuddalore and Sriharikota on November 15, regional weather office in Chennai said on November 11.

The cyclone, named Gaja, which lay around 860 km northeast of Chennai and moving at a speed of 12 kmph is likely to intensify into a severe cyclonic storm within the next 24 hours, a bulletin issued at 4 p.m. said.

Gales reaching 80-90 km per hour was likely over Tamil Nadu, Pudducherry and Andhra Pradesh.

Speaking to reporters, Area Cyclone Warning Centre Director S. Balachandran said coastal areas of north Tamil Nadu would experience moderate rainfall and heavy rainfall in isolated places from the night of November 14. “On November 15, many places will receive moderate rainfall and isolated places will get heavy rainfall.”

Fishermen have been advised not to venture into the sea from November 12 and those already in deep sea have been asked to return.

The India Meteorological Department however said the storm is likely to weaken gradually while crossing towards North Tamil Nadu and South Andhra Pradesh coasts as a cyclonic storm during forenoon of November 15.

Listing out measures taken to face the cyclone, Revenue Administration Commissioner K. Satyagopal told reporters in Tirunelveli that medical teams were on stand by in all districts.

सीएम, डिप्टी सीएम का समारोह में शामिल न होना समुदाय का अपमान: सैत


हर साल की तरह इस साल भी टीपू सुल्तान की जयंती मनाई गई. बीजेपी के लगातार विरोध के बावजूद इस साल विधानसभा में इसका आयोजन हुआ


कर्नाटक सरकार ने टीपू सुल्तान जयंती समारोह का आयोजन किया. इसे लेकर बीजेपी और कांग्रेस- जेडीएस गठबंधन के बीच ठन गई है. एक तरफ जहां बीजेपी राष्ट्रविरोधी होने का आरोप लगा रही है. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस बीजेपी पर देशभक्तों के प्रति बेरुखी का आरोप लगा रही है. कर्नाटक विधानसभा में आज टीपू सुल्तान की जयंती मनाई गई. लेकिन खुद सीएम कुमारस्वामी इस समारोह में मौजूद नहीं थे. इसे लेकर भी विवाद हो गया है.

सीएम की गैरमौजूदगी को लेकर कांग्रेस के एमएलए तनवीर सैत ने कहा कि- ‘मुझे जानकारी दी गई है कि कर्नाटक सीएम एचडी कुमारस्वामी स्वास्थ्य कारणों से कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके. उप मुख्यमंत्री जी परमेश्वरा भी समारोह में शामिल नहीं हो पाए. इसमें कोई शक नहीं कि यह समुदाय का अपमान है.’

सैत की इस प्रतिक्रिया पर कर्नाटक के मंत्री डी शिवकुमार ने सफाई दी कि- ‘यह अपमान नहीं है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री दोनों ही दूसरे कामों में व्यस्त हैं. हम भी सरकार का हिस्सा हैं. मैं अपने दोस्त तनवीर सैत की बात से सहमत नहीं हूं.’

वहीं कार्यक्रम के आयोजन पर बीजेपी ने राज्य सरकार पर हमला बोला है. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा- टीपू सुल्तान नफरत का प्रतीक था. उसकी जयंती मनाना आश्चर्य की बात है. हम कांग्रेस से पूछना चाहते हैं कि चर्च और मंदिरों को गिराने वाला और हजारों ईसाईयों और हिंदूओं की हत्या करने वाले की प्रशंसा राज्य सरकार एक सरकारी आयोजन कर उसकी प्रशंसा कैसे कर रही है?

कर्नाटक सरकार ने 2015 में ही टीपू सुल्तान जयंती को राज्य स्तर पर मनाने का फैसला किया था. 5 बार के लोकसभा सांसद हेगड़े सत्ताधारी कांग्रेस सरकार के आलोचक रहे हैं. वह 2015 से ही टीपू जयंती कार्यक्रम की आलोचना करते रहे हैं. बीजेपी ने राज्य सरकार पर मुसलमानों के तुष्टिकरण आरोप लगाया. राज्य सरकार ने बीजेपी को सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने से बाज आने की सलाह दी थी.हर साल टीपू सुल्तान की जयंती मनाने को लेकर कांग्रेस बीजेपी के बीच राजनीति अपने चरम पर होती है. तीखी नोंकझोंक और आरोपों प्रत्यारोपों का सिलसिला भी लगातार चलता है. बीजेपी टीपू कन्नड भाषा और हिंदू विरोधी बताकर उनका विरोध करती है.

प्रधानमंत्री मोदी के लिए बिगड़े कांग्रेस के बोल

 

Congress leader and former Karnataka Minister TB Jayachandra says ‘Prime Minister Modi had said (during demonetization) that give me 15 days or you can burn me alive. Now the time has come to do exactly that. If he has any self respect then he should quit and go.’

संजय निरूपम ने नोटेबन्दी पर प्रधानमंत्री मोदी के लिए कहा,”क्या मोदी की पदाइश के लिए भी कॉंग्रेस जिम्मेदार है?”

Two offices of NSS, an organisation representing the upper-class Nair community, was attacked in Kerala on Wednesday


Nair Service Society (NSS) taluk union had conducted a rath yatra two days back in protest against women entry in Sabarimala.


Two offices of Nair Service Society (NSS), an organisation representing the upper-class Nair community, was attacked in Kerala on Wednesday for taking a stand against the Supreme Court’s verdict on Sabarimala.

Miscreants threw stones at NSS Karayogam building at Paravur in Kollam damaging the glass panes.

NSS taluk union had conducted a rath yatra two days back in protest against women entry in Sabarimala. NSS local leaders say this could be the cause of the attack. Police have registered a case and started investigation into the incident.

In another act of vandalism, NSS Karayogam office at Kudassanadu in Alappuzha was attacked and black flags were hoisted at the office there and a school run by NSS on Wednesday early morning.

A wreath was also laid offering condolence to NSS general secretary R Sukumaran Nair. The NSS leadership claims that the attacks were carried out as a vengeance.

गठबंधन के लिए ‘बूस्टर डोज’, बीजेपी के लिए चिंता और चिंतन का वक्त


जहां तक बीजेपी का सवाल है, तो पार्टी अध्यक्ष अमित शाह चिंतित होंगे. कांग्रेस-जेडीएस के गठबंधन ने दिखाया है कि लोक सभा चुनाव में वे कितना नुकसान पहुंचा सकते हैं


2019 लोक सभा चुनाव से पहले कांग्रेस-जनता दल (एस) को जबरदस्त मानसिक फायदा हुआ है. उन्होंने शनिवार को पांच सीटों के उप चुनाव में चार सीटें जीतने में कामयाबी पाई है. हालांकि तीन विधान सभा सीटों पर नतीजे उम्मीद के मुताबिक रहे हैं और बीजेपी ने शिमोगा सीट बरकरार रखने में कामयाबी पाई है. लेकिन बेल्लारी लोक सभा सीट पर करारी हार से बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को चिंता होनी चाहिए.

राज्य बीजेपी अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा के पुत्र बीएस राघवेंद्र शिमोगा सीट से जीते. उन्होंने 57 हजार वोटों से जीत पाई, जो बहुत बड़ा अंतर नहीं है. उन्होंने जेडीएस के उम्मीदवार मधु बंगारप्पा को हराया. शुरुआत में यहां कड़ा संघर्ष नजर आ रहा था. लेकिन दस राउंड के बाद राघवेंद्र ने मुकाबला अपने पक्ष में कर लिया. येदियुरप्पा यहां से 2014 का चुनाव 3.30 लाख वोटों के अंतर से जीते थे. तब कांग्रेस और जेडीएस अलग-अलग चुनाव लड़े थे.

बीजेपी ने उम्मीदवार चुनने में गड़बड़ी की

जेडीएस ने रामनगरम विधानसभा और मांड्या लोक सभा सीटें बरकरार रखीं. वोक्कालिगा में उनकी मजबूत पकड़ है. यहां उन्होंने प्रभावशाली तरीके से जीत दर्ज की. इसकी वजह महज ये नहीं है कि पहली बार कांग्रेस का साथ मिला है. बल्कि यह भी है कि बीजेपी ने उम्मीदवार के चयन को लेकर काफी गड़बड़ियां कीं.

मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की पत्नी अनिता कुमारस्वामी के लिए तो जीत एक तरह का वॉकओवर रही. बीजेपी के प्रत्याशी एल. चंद्रशेखर एक तरह से चुनाव के समय कांग्रेस से ‘इंपोर्ट’ हुए थे. उन्होंने चुनाव से दो दिन पहले रिटायर होने का ऐलान किया और कांग्रेस में ‘घर वापसी’ कर ली.

इस क्षेत्र में वोटिंग प्रतिशत कम रहा. सिर्फ 54 फीसदी वोट पड़े. अनिता कुमारस्वामी को सवा लाख वोट मिले. विपक्षी उम्मीदवार या यूं कहें कि चंद्रशेखर की गैर मौजूदगी में कमल के फूल को 15 हजार वोट मिले. इसे अलग तरीके से भी देख सकते हैं. पिछली बार बीजेपी को सिर्फ चार हजार वोट मिले थे. इस लिहाज से उनका प्रदर्शन सुधरा है.

मांड्या लोक सभा सीट से जेडीएस के एलआर शिवराम गौड़ा ने 2.89 लाख वोट से जीत दर्ज की. बीजेपी के डॉ. सिद्धलिंगैया को 2.05 लाख वोट मिले, जो क्षेत्र में उनका श्रेष्ठतम प्रदर्शन है.

जामखंडी विधानसभा सीट कांग्रेस के आनंद न्यामगौड़ा के हाथ लगी. उन्हें अपने पिता सिद्दू न्यामगौड़ा की सड़क दुर्घटना में मौत के बाद चुनाव के लिए उतारा गया था. सहानभूति लहर की वजह से जीत का अंतर भी बढ़ा. वो 39 हजार सीट से बीजेपी के श्रीकांत कुलकर्णी के खिलाफ जीते. कुलकर्णी मई 2018 में हुए चुनाव में सिद्दू के खिलाफ दो हजार वोट से हारे थे.

बेल्लारी सीट पर बीजेपी को झटका

बेल्लारी लोक सभा सीट ने बीजेपी को सबसे जोरदार झटका दिया. बीजेपी उम्मीदवार जे. शांता को वीएस उग्रप्पा के खिलाफ 2.87 लाख वोट से हार मिली. शांता के बड़े भाई श्रीरामुलु ने 2014 में सीट 1.3 लाख वोट से जीती थी. उन्होंने छह महीने पहले विधान सभा में चुने जाने के बाद इस्तीफा दे दिया था. यहां पर चुनाव को उनके और जनार्दन रेड्डी के बीच जंग के तौर पर देखा जा रहा था. रेड्डी का बेल्लारी पर दबदबा रहा है.

खदान घोटाले में फंसने के बाद जनार्दन रेड्डी को बीजेपी से निकाल दिया था. लेकिन उन्होंने पार्टी के साथ अपना जुड़ाव दिखाना जारी रखा. चुनाव अभियान के दौरान रेड्डी ने कुछ विवादास्पद बयान दिए थे. हालांकि वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले की वजह से बेल्लारी नहीं जा पाए थे. सुप्रीम कोर्ड ने उनके खिलाफ चल रहे मामलों का निपटारा होने तक उन पर जिले में जाने को लेकर रोक लगाई हुई है.

नतीजों से खुश कुमारस्वामी ने कहा कि जेडीएस और कांग्रेस का गठबंधन आने वाले लोक सभा चुनाव तक चलता रहेगा. उन्होंने भरोसा जताया कि राज्य की 28 में से 24 सीटें उनके गठबंधन को मिलेंगी.

जीत के कुछ ही समय बाद कांग्रेस के नेता इस कामयाबी का श्रेय लेने के लिए एक दूसरे से होड़ लगाते दिखने लगे. बेल्लारी में चुनाव प्रभारी डीके शिवकुमार ने दावा किया कि उग्रप्पा उनकी पसंद थे. उन्होंने कहा कि वाल्मीकि समुदाय से किसी को चुने जाने ने पार्टी को फायदा पहुंचाया है.

अमित शाह की बढ़ी चिंता

पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया पीछे नहीं रहे. उन्होंने कहा कि वो पहले ही भविष्यवाणी कर चुके थे कि बेल्लारी में कांग्रेस को दो लाख से ज्यादा वोटों से जीत मिलेगी. उन्होंने जेडीएस के साथ अपनी साझेदारी को कायम रखने की बात को भी दोहराया.

जहां तक बीजेपी का सवाल है, तो पार्टी अध्यक्ष अमित शाह चिंतित होंगे. कांग्रेस-जेडीएस के गठबंधन ने दिखाया है कि लोक सभा चुनाव में वे कितना नुकसान पहुंचा सकते हैं. उन्हें गंभीरता से पार्टी के अंदर समन्वय की कमी पर भी विचार करना होगा. यहां येदियुरप्पा अपने साथ किसी को लेकर चलने में नाकाम नजर आ रहे हैं. लेकिन यह भी सबको पता है कि लोक सभा चुनाव बहुत दूर नहीं हैं. कर्नाटक बीजेपी में अभी किसी का कद येदियुरप्पा जैसा नहीं है, जो उनकी जगह ले सके. बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को वैकल्पिक रणनीति बनाने में काफी मशक्कत करनी पड़ेगी, ताकि वे राज्य में पार्टी की उम्मीदों को बेहतर कर सकें.