ममता का सत्ताग्रह

courtesy zee news

सबसे पहले ये समझिए कि इस सीबीआई vs ममता विवाद की जड़ क्या है ? आपको पश्चिम बंगाल के सारदा और Rose Valley घोटाले याद होंगे, जिनमें ममता बनर्जी की पार्टी के कई नेता फंसे हुए हैं. ये घोटाले करीब 19 हज़ार 500 करोड़ रुपये के हैं. इसमें 17 लाख से भी ज़्यादा लोगों का पैसा फंसा हुआ है. 

इन्हीं घोटालों के संबंध में CBI कोलकाता के मौजूदा पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से पूछताछ करना चाहती है. इसके लिए राजीव कुमार को कई बार Summon किया गया, लेकिन वो नहीं आए. कल शाम को CBI के अफसरों की एक टीम राजीव कुमार से पूछताछ करने के लिए उनके घर जाना चाहती थी. लेकिन कोलकाता पुलिस ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया. काफी देर तक ये ड्रामा होता रहा. इसके बाद कोलकाता पुलिस, CBI के करीब 25 अधिकारियों को लेकर थाने चली गई. और दो घंटे तक उन्हें हिरासत में रखा. 

इसके बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने CBI के खिलाफ कल रात 9 बजे से कोलकाता में धरना शुरू कर दिया. और इस धरने में उनके साथ कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार भी शामिल हैं. ये धरना इस वक़्त भी जारी है. ममता बनर्जी की उम्र 64 वर्ष है, लेकिन इस उम्र में भी अपने राजनीतिक धरने के लिए उनके पास ऊर्जा की कोई कमी नहीं है.
 
ममता बनर्जी ने पूरे घटनाक्रम को राजनीतिक रंग दे दिया. और ये आरोप लगाए कि CBI केन्द्र सरकार के इशारे पर काम कर रही है. और देश का संघीय ढांचा खतरे में है. इसके साथ ही ममता बनर्जी के इस धरने के खिलाफ देश भर की विपक्षी पार्टियां इक्कठी हो गईँ. ममता बनर्जी के धरने को चंद्रबाबू नायडू, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव समेत बहुत से नेताओं का समर्थन मिल गया है. राहुल गांधी, पहले ममता बनर्जी का विरोध करते थे, उन पर सवाल उठाते थे. लेकिन अब उन्होंने यू-टर्न ले लिया है. आगे हम इस पर भी विस्तार से बात करेंगे. 

एक मुख्यमंत्री के तौर पर ममता बनर्जी के जितने भी काम थे, वो आज उन्होंने इसी धरना स्थल से किए. ममता बनर्जी ने इसी धरना स्थल पर कैबिनेट की मीटिंग की, किसानों की रैली को संबोधित किया और पुलिसवालों को कुछ अवॉर्ड्स भी दिए. यानी ममता बनर्जी ने पूरी तैयारी की हुई है और वो इस धरने को एक तरह की राजनीतिक Vacation बनाना चाहती हैं?

हालांकि राजनीतिक लाभ के लिए देश की संस्थाओं की हत्या करना बहुत ख़तरनाक है. और जब भी ऐसा होता है, तो देश विखंडित हो जाता है. और देश के छोटे छोटे राज्य भी.. संविधान के नैतिक दायित्वों का उल्लंघन करने लगते हैं. ज़रा सोचिए कि क्या अब भारत में वो समय आ गया है जब पश्चिम बंगाल जाने के लिए वीज़ा लगेगा? वहाँ ना तो भारत का पासपोर्ट चलेगा और न ही भारत की नागरिकता मान्य होगी ? अगर यही फॉर्मूला देश के दूसरे राज्यों में चल निकला, तो कुछ दिन बाद मायावती,लालू यादव और चंद्रबाबू नायडू सहित विपक्षी दलों के तमाम नेता अपना अलग देश बना लेंगे. और वो परिस्थिति भारत की अखंडता के लिए शुभ नहीं होगी. 
 
बड़ा सवाल ये है कि देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी CBI को किसी राज्य में पूछताछ और कार्रवाई करने का अधिकार है या नहीं ? अगर किसी राज्य में कोई घोटाला हुआ है, तो वहां जांच के लिए CBI नहीं जाएगी तो कौन जाएगा? क्या ममता बनर्जी अपने नेताओं और पुलिस अधिकारियों पर लगे आरोपों की जांच, अपनी ही पुलिस से करवाना चाहती हैं? वैसे CBI को ये जांच सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सौंपी गई थी, तो क्या ये भी मान लिया जाए कि ममता बनर्जी को इस देश के सुप्रीम कोर्ट पर भी विश्वास नहीं है? 

अगर कल को ममता बनर्जी की तरह ही देश के हर राज्य का मुख्यमंत्री ये कह दे कि उसे CBI पर विश्वास नहीं है और अगर CBI उसके राज्य में कोई कार्रवाई करेगी, तो वो CBI के अफसरों को गिरफ्तार करवा देगा, तो फिर क्या होगा? क्या ये देश के संघीय ढांचे के साथ छेड़छाड़ नहीं होगी? इस तरह तो मायावती, लालू यादव और चंद्रबाबू नायडू सहित विपक्षी दलों के तमाम नेता, अपनी मनमानी करके.. एक तरह से अपना अलग देश बना लेंगे. और वो परिस्थिति भारत की अखंडता के लिए शुभ नहीं होगी. 

CBI के अधिकारियों को हिरासत में लेने के पीछे कोलकाता पुलिस का पहला तर्क ये था कि इन अधिकारियों के पास कोई वॉरंट या कागज़ नहीं थे. जबकि हमारे पास CBI की वो पत्र मौजूद है, जो पुलिस कमिश्नर के घर जाने से पहले CBI के अधिकारियों ने पुलिस को लिखा था. 
 
ये पत्र CBI ने कल कोलकाता पुलिस को लिखी थी. इस चिट्ठी में CBI ने सुरक्षा की मांग की है. CBI ने लिखा है कि उसे कोलकाता पुलिस के कमिश्नर राजीव कुमार के घर पर एक Secret Operation करना है, इसलिए उन्हें सुरक्षा दी जाए. ये चिट्ठी CBI के पुलिस इंस्पेक्टर प्रसेनजीत मुखर्जी की तरफ से लिखी गई है. 
 
अब आपको ये बताते हैं कि कोलकाता पुलिस ने CBI के अधिकारियों के साथ कैसा व्यवहार किया ? आज पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने केन्द्रीय गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट सौंपी है और इस रिपोर्ट में बहुत बड़े खुलासे हुए हैं. पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि पश्चिम बंगाल पुलिस और राज्य सरकार ने कानून व्यवस्था की गंभीर समस्या पैदा कर दी है. रिपोर्ट में लिखा है कि ना सिर्फ CBI के अधिकारियों को रोका गया, बल्कि पश्चिम बंगाल पुलिस ने उनके मोबाइल फोन और कागज़ात भी छीन लिए. CBI के बहुत से अधिकारियों, और यहां तक कि महिला अधिकारियों के साथ भी बुरा व्यवहार किया गया. और उन्हें थाने में अवैध हिरासत में रखा गया. 

रिपोर्ट में लिखा है कि ना सिर्फ CBI के अफसरों को बल्कि CBI के Joint डायरेक्टर पंकज श्रीवास्तव के परिवार को भी परेशान किया गया. पश्चिम बंगाल पुलिस ने पंकज श्रीवास्तव के घर की घेराबंदी कर दी थी और इस दौरान उनकी पत्नी और बेटी को परेशान किया गया. हमने कल रात से अब तक के इस घटनाक्रम पर एक रिपोर्ट तैयार की है. ये एक हाई वोल्टेज राजनीतिक ड्रामा था. इसके हर एक पहलू के बारे में आपको पता होना चाहिए.

अब आपको उस व्यक्ति के बारे में बताते हैं, जिसकी वजह से पश्चिम बंगाल में राजनीति की आग लगी हुई है. और ममता बनर्जी और CBI के बीच ये पूरा हंगामा हुआ है. ये व्यक्ति हैं कोलकाता पुलिस के कमिश्नर राजीव कुमार जो ममता बनर्जी के साथ धरने पर बैठे हुए हैं. आपके मन में भी ये सवाल ज़रूर आ रहा होगा कि इन घोटालों में राजीव कुमार की क्या भूमिका है? 

राजीव कुमार की उम्र 53 वर्ष है. वो 1989 बैच के IPS अफसर हैं. IPS का मतलब होता है – Indian Police services. यानी भारतीय पुलिस सेवा. लेकिन उनका जो आचरण है वो इससे मेल नहीं खाता. वो ममता बनर्जी के साथ धरने पर बैठकर भारत की नहीं बल्कि ममता बनर्जी की सेवा कर रहे हैं. 

राजीव कुमार चिट फंड घोटालों के लिए राज्य सरकार की तरफ से बनाई गई Special Investigation Team यानी SIT के प्रमुख थे. उन्होंने 2013 में सारदा और Rose Valley घोटाले की जांच की थी. लेकिन 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने ये दोनों मामले CBI को सौंप दिए. बाद में CBI ने आरोप लगाया कि राजीव कुमार ने कई Documents, Pen Drive और जांच से जुड़े Mobile Phones उसे नहीं सौंपे. इस बारे में राजीव कुमार को कई बार समन भेजा गया लेकिन वो CBI के सामने पेश नहीं हुए. CBI के मुताबिक इन्‍हीं सबूतों के सिलसिले में उसके अधिकारी रविवार रात राजीव कुमार के आवास पर गए थे.
  
इस पूरे घटनाक्रम के पीछे दो बड़े घोटाले छिपे हुए हैं. जिनका नाम है सारदा चिटफंड घोटाला और Rose Valley घोटाला. और जब तक आपको इन घोटालों की जानकारी नहीं होगी, आपको इस केस की गंभीरता का पता नहीं चलेगा. आप ये नहीं समझ पाएंगे कि ममता बनर्जी किस तरह भ्रष्टाचारियों को बचा रही हैं? पूरे देश में ममता बनर्जी की राजनीति की बात हो रही है. Mamta vs Modi जैसी राजनीतिक शब्दावली का प्रयोग हो रहा है. लेकिन कोई भी उन लोगों की बात नहीं कर रहा जिन्होंने घोटाले में अपना सब कुछ गंवा दिया.

सारदा घोटाले में देश के कई राज्यों के लाखों गरीबों के जीवन भर की कमाई, कुछ ताकतवर लोगों ने लूट ली, और अपनी जेबें भर लीं. गरीबों की कमाई से इन ताकतवर लोगों ने जमकर अय्याशी की…टीवी चैनल खोले…बेहिसाब पैसा जुटाया….और गरीबों को धोखा दे दिया. इसमें सत्ता के तंत्र से लेकर मीडिया तक, सब शामिल रहे.
 
सारदा ग्रुप ने पश्चिम बंगाल, ओडिशा सहित देश के कई राज्यों में करीब 17 लाख लोगों से करोड़ों रुपये जुटाए. Ponzi Schemes के ज़रिए लोगों को बड़े मुनाफे का लालच दिया गया और बाद में इन योजनाओं के Agents ने दुकानें बंद कर ली. 2013 में सारदा ग्रुप का घोटाला सामने आया और ये घोटाला करीब ढाई हज़ार करोड़ रुपये का बताया गया. सारदा ग्रुप के 17 लाख निवेशक थे, और घोटाला सामने आने के बाद पूरे बंगाल में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए. यहां तक कि सारदा ग्रुप की स्कीम में पैसा लगाने वाले करीब 311 एजेंटों और लोगों ने खुदकुशी भी कर ली. वर्ष 2013 में घोटाला सामने आने के बाद इसके मुख्य आरोपी और सारदा ग्रुप के चेयरमैन सुदीप्तो सेन को गिरफ्तार किया गया. 

सारदा ग्रुप के ज़रिए जिन लोगों ने अपनी जेबें भरीं और जिनका नाम इस घोटाले में आया…उनमें से कई मंत्री और सांसद भी थे, जिन्हें सीबीआई ने गिरफ्तार भी किया था लेकिन इनमें से ज़्यादातर आरोपी ज़मानत पर बाहर आ चुके हैं. इस लिस्ट में तृणमूल कांग्रेस के निलंबित सांसद कुणाल घोष, ममता बनर्जी सरकार के पूर्व परिवहन मंत्री मदन मित्रा, तृणमूल कांग्रेस के पूर्व सांसद श्रृंजॉय बोस, पश्चिम बंगाल के पूर्व डीजीपी और तृणमूल कांग्रेस के नेता रजत मजूमदार और तृणमूल कांग्रेस के सांसद तापस पॉल हैं. इसके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के नेता मतंग सिंह भी जेल से बाहर आ चुके हैं . यानी इस घोटाले में बहुत बड़े बड़े लोगों के नाम शामिल हैं. अब आपको Rose Valley घोटाले के बारे में बताते हैं. 
 
ये घोटाला भी सारदा घोटाला की तरह ही हुआ था. ये करीब 17 हज़ार करोड़ रुपये का घोटाला है. इस घोटाले में लोगों से किश्तों में पैसे लिए जा रहे थे. और उन्हें ये भरोसा दिया जा रहा था कि उन्हें मकान दिए जाएंगे और विदेश यात्राएं करवाई जाएंगी. निवेशकों के पास ये भी विकल्प था कि अगर वो चाहें तो सारी किश्त जमा होने के बाद अच्छे खासे ब्याज़ पर अपने पैसे वापस भी ले सकते हैं. इसका मास्टरमाइंड था गौतम कुंडू जो इस Rose Valley Group का चेयरमैन था. लेकिन पैसा जमा होने के बाद लोगों को ना तो पैसे मिले और ना ही विदेश यात्राएं. केन्द्र सरकार ने दखल दिया. और निवेशकों को उनका पैसा लौटाने का आदेश दिया. लेकिन इस स्कीम में पैसा लगाने वाले लोगों को उनका पैसा आज तक वापस नहीं मिला. 
 
हमने आज ऐसे बहुत से लोगों से बात की है, जिन्हें आज भी अपना पैसा वापस मिलने की आस है. सबसे बड़ा विरोधाभास ये है कि इस पूरे मामले में ममता बनर्जी, सारदा और Rose Valley घोटाले के पीड़ितों के साथ अन्याय कर रही हैं. CBI इस मामले के दोषियों पर कार्रवाई करना चाहती है. लेकिन ममता बनर्जी CBI की कार्रवाई के खिलाफ़ ही धरना दे रही हैं और इसे सत्याग्रह बता रही हैं. जबकि असलियत में ये सत्याग्रह नहीं, बल्कि सत्ताग्रह है. 

आंध्रा में कांग्रेस मूर्छित अवस्था में: किशोर चंद्र देव

नयी दिल्ली, तीन फरवरी:

पूर्व केंद्रीय मंत्री वी किशोर चंद्र देव ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उनका आरोप है कि कांग्रेस आंध्र प्रदेश में ‘‘मूर्छित’’ अवस्था में है और संगठन में नयी जान फूंकने के लिए पार्टी ने पिछले चार साल में कोई कदम

नई दिल्ली : 

सत्तारूढ़ बीजेपी को हटाकर केंद्र की कुर्सी पर काबिज होने की पुरजोर कोशिश में जुटी कांग्रेस को लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बड़ा झटका लगा है. पूर्व केंद्रीय मंत्री वी किशोर चंद्र देव (V Kishore Chandra Deo) ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि कांग्रेस आंध्र प्रदेश में ‘मूर्छित’अवस्था में है और संगठन में नई जान फूंकने के लिए पार्टी ने पिछले चार साल में कोई कदम नहीं उठाया है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को लिखे दो वाक्य के पत्र में देव (V Kishore Chandra Deo) ने कहा कि वह पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं. देव पिछले करीब 45 साल से कांग्रेस के सदस्य थे. हाल में उन्हें पार्टी की नवगठित आदिवासी शाखा ‘अखिल भारतीय आदिवासी कांग्रेस’ का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. साल 2011 में वह मनमोहन सिंह सरकार में केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री रह चुके हैं.
वह आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के प्रमुख नेता रहे हैं. वी किशोर चंद्र देव (V Kishore Chandra Deo) ने कहा कि पार्टी नेतृत्व ने तो मेरी ओर से जाहिर की गई चिंताएं और मेरे सुझाव भी नहीं पढ़े, ऐसे में उन पर अमल की बात क्या करूं. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उस पार्टी को छोड़ने का फैसला करना काफी तकलीफदेह है जिसकी सेवा मैंने 45 साल तक की है. उन्होंने कहा कि वह आने वाले दिनों में अपने भविष्य की रणनीति तय करेंगे. हालांकि उन्होंने राजनीति छोड़न से इनकार किया है.

आपको बता दें कि पिछले हफ्ते ही पश्चिम बंगाल में भी कांग्रेस को बड़ा झटका लगा था. माल्दा (उत्तर) से पार्टी सांसद मौसम बेनजीर नूर ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मौजूदगी में तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया था. दिवंगत कांग्रेस नेता एबीए गनी खान चौधरी की भतीजी नूर ने राज्य सचिवालय ‘नबन्ना’ में ममता बनर्जी से मुलाकात की, जिसके बाद उनके टीएमसी में शामिल होने की घोषणा की ग

रोज वैली और शारदा चिटफंड मामला क्या है जानें

रोज वैली और शारदा चिटफंड मामले में कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से पूछताछ के लिए सीबीआई उनकी तलाश कर रही है. सीबीआई सूत्रों के मुताबिक उनकी गिरफ्तारी भी तय हो चुकी है. सीबीआई सूत्रों का कहना है कि चिटफंड मामले में राजीव कुमार शक के घेरे में हैं. पूछताछ के लिए उन्होंने कुमार को दो बार समन भी भेजा, लेकिन वो जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं.

रोज वैली और शारदा चिटफंड मामले में फरार पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के निवास पर सीबीआई के 40 अधिकारियों की एक टीम पहुंची थी. दरअसल, रोज वैली स्कैम 15000 करोड़ रुपए और शारदा चिट फंड में 2500 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है.

रोज वैली घोटाला

रोज वैली घोटाले पर काफी वक्त से हड़कंप मचा हुआ है. इसमें कई बड़े नेताओं का नाम भी शामिल होने की बात सामने आ चुकी है. रिपोर्ट्स के मुताबिक लोगों को बड़े-बड़े सपने दिखाकर चूना लगाने वाले इस समूह के पैर राजनीति, रियल एस्टेट और फिल्म जगत तक पसरे हुए थे. दरअसल, रोज वैली चिटफंड घोटाले में रोज वैली ग्रुप ने लोगों 2 अलग-अलग स्कीम का लालच दिया और करीब 1 लाख निवेशकों को करोड़ों का चूना लगा दिया था. आशीर्वाद और होलिडे मेंबरशिप स्कीम के नाम पर ग्रुप ने लोगों को ज्यादा रिटर्न देने का वादा किया. जिसके बाद लोगों ने भी इनकी बातों में आकर इसमें निवेश कर दिया. ग्रुप एमडी शिवमय दत्ता इस घोटाले के मास्टरमाइंड बताए जाते हैं.

शारदा चिटफंड घोटाला

पश्चिम बंगाल की एक चिटफंड कंपनी शारदा ग्रुप ने लोगों को लुभावने ऑफर देकर चूना लगा दिया. शारदा चिटफंड ने लालच दिया कि सागौन से जुड़े बॉन्ड्स में निवेश कर 34 गुना ज्यादा रिटर्न हासिल किया जा सकेगा. इसके लिए 25 साल का लॉकिंग पीरयड बताया गया था. मसलन, अगर आप 1 लाख रुपए का निवेश करते हैं तो 25 साल बाद आपको 34 लाख रुपए मिलते. हालांकि ये बस एक लोगों को लालच देकर ठगी करने का पैंतरा था. वहीं आलू के बिजनेस में 15 महीनों के भीतर ही रकम डबल करने का सपना भी इस ग्रुप ने दिखाया. लालच में आकर 10 लाख लोगों ने निवेश किया और आखिर में कंपनी पैसों के साथ फरार हो गई.

वहीं इन चिटफंड घोटालों की जांच करने वाली पश्चिम बंगाल पुलिस की SIT टीम का नेतृत्व 2013 में राजीव कुमार ने किया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक सीबीआई सूत्रों का कहना है कि एसआईटी जांच के दौरान कुछ खास लोगों को बचाने के लिए घोटालों से जुड़े कुछ अहम सबूतों के साथ या तो छेड़छाड़ हुई थी या फिर उन्हें गायब कर दिया गया था. इसी सिलसिले में सीबीआई कुमार से पूछताछ करने चाहती है. राजीव कुमार पश्चिम बंगाल कैडर के 1989 बैच के आईपीएस ऑफिसर हैं. रोज वैली और शारदा चिटफंड मामले में सीबीआई ने अब तक 80 चार्जशीट फाइल की हैं जबकि एक हजार करोड़ से ज्यादा रुपए रिकवर कर लिए गए हैं.

अयोध्या गोलीकांड: तत्कालीन एसएचओ का दावा, ‘मौत का आंकड़ा कम दिखाने को दफनाई गईं कारसेवकों की लाशें’

साभार अर्श अग्रवाल के फकेबुक वाल से

जिस देश में देश द्रोहीयों, आतंकवादियों, दहशतगर्दों ज्धन्य अपराध करने वालों को मौत की सज़ा देने के बाद उचित संस्कार की परंपरा रही है वहीं तत्कालीन मुलायम सरकार ने कारसेवकों को उचित अंतिम संस्कार की बात तो दूर उनकी पहचान तक को खत्म कर दिया। हिन्दू कारसेवकों को उनकी पहचान के साथ दफना दिया गया। यह खुलासा एक निजी टीवी चैनल पर तत्कालीन एसएचओ बहादुर सिंह ने किया ।

अयोध्या गोलीकांड में कारसेवकों की मौत को लेकर आंकड़ों पर हमेशा संशय रहा है। हालांकि एक निजी टीवी चैनल से बातचीत में तत्कालीन एसएचओ और राम जन्मभूमि थाने के प्रभारी वीर बहादुर सिंह ने बताया है कि मौत का आंकड़ा कम दिखाने के लिए कई कारसेवकों की लाशों को दफनाया गया था।


अयोध्‍या गोलीकांड के बारे में एक टीवी चैनल ने बड़े खुलासे का दावा किया तत्कालीन एसएचओ ने बताया कि कारसेवकों के मौत का आंकड़ा ज्‍यादा उन्‍होंने कहा कि आंकड़े नहीं पता हैं, लेकिन काफी संख्या में लोग मारे गए थे

अयोध्या में 1990 में यूपी की मुलायम सिंह सरकार के दौरान कारसेवकों पर पुलिस की गोलीबारी के मामले में एक टीवी चैनल ने बड़े खुलासे का दावा किया है। चैनल ने अपने स्टिंग में एक तत्कालीन अधिकारी से बात की। रामजन्मभूमि थाने के तत्कालीन एसएचओ वीर बहादुर सिंह ने बताया कि कारसेवकों के मौत का जो आंकड़ा बताया गया था, उससे ज्यादा कारसेवकों की मौत हुई थी।
राम जन्मभूमि थाने के तत्कालीन एसएचओ वीर बहादुर सिंह ने इस टीवी चैनल से बातचीत में बताया, ‘घटना के बाद विदेश तक से पत्रकार आए थे। उन्हें हमने आठ लोगों की मौत और 42 लोगों के घायल होने का आंकड़ा बताया था। हमें सरकार को रिपोर्ट भी देनी थी तो हम तफ्तीश के लिए श्मशान घाट गए, वहां हमने पूछा कि कितनी लाशें हैं जो दफनाई जाती हैं और कितनी लाशों का दाह संस्कार किया गया है, तो उसने बताया कि 15 से 20 लाशें दफनाई गई हैं। हमने उसी आधार पर सरकार को अपना बयान दिया था। हालांकि हकीकत यही थी कि वे लाशें कारसेवकों की थीं। उस गोलीकांड में कई लोग मारे गए थे। आंकड़े तो नहीं पता हैं, लेकिन काफी संख्या में लोग मारे गए थे।’
टीवी चैनल के इस सवाल पर कि कई लोग अपनों के बारे में पूछते हुए अयोध्या तक आए होंगे, उन्हें क्या बताया जाता था। पूर्व एसएचओ ने बताया, ‘हम उन्हें बताते थे कि ये लाशें (जिन्हें दफनाया गया है) उनके परिवार के सदस्यों की नहीं हैं।’
मुलायम सिंह यादव भी कई मौकों पर इस गोलीकांड को सही ठहराते रहे हैं। उन्होंने हमेशा कहा है, ‘हमने देश की एकता के लिए गोली चलवाई थी। आज जो देश की एकता है उसी वजह से है। हमें इसके लिए और भी लोगों को मारना पड़ता तो सुरक्षाबल मारते।’
क्या हुआ था 30 अक्टूबर 1990 के दिन?
बता दें कि वीएचपी के आह्वान पर साल 1990 के अक्टूबर महीने में लाखों कारसेवक अयोध्या में इकट्ठा हुए थे। उद्देश्य था कि विवादित स्थल पर मस्जिद को तोड़कर मंदिर का निर्माण किया जाए। जब हजारों की संख्या में लोग विवादित स्थल के पास की एक गली में इकट्ठा हुए उसी वक्त सामने से पुलिस और सुरक्षाबलों ने गोली चला दी। इसमें कई लोग गोली से तो कई लोग भगदड़ से मारे गए और घायल हुए। हालांकि मौतों के आंकड़े कभी स्पष्ट नहीं हुए, ऐसे में तत्कालीन अधिकारी का यह खुलासा हैरान करने वाला है।

एच डी देवेगौडा ने कांग्रेस से जताई नाराजगी

कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के पिता और पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा ने कांग्रेस पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि मुझे पीड़ा है, आज एचडी कुमारस्वामी को सीएम बने 6 महीने हो गए. इन 6 महीनों में सब कुछ हो गया लेकिन मैंने अपना मुंह नहीं खोला लेकिन अब मैं चुप नहीं रह सकता.

उन्होंने कहा, ‘क्या यह गठबंधन सरकार चलाने का तरीका है, जहां आपको अपने सहयोगी से यह अनुरोध करना पड़े कि असंसदीय भाषा का इस्तेमाल न करें.’ देवगौड़ा ने ये बातें बुधवार को कहीं.

पत्रकारों के मुताबिक उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस के साथ मैं दोस्ती नहीं खराब करना चाहता लेकिन अगर ओछी बातों को करने वालों को नहीं रोका गया तो हालात बेकाबू हो जाएंगे. कांग्रेस आलाकमान इस बात को समझ ले.’ देवगौड़ा ने ये बातें कांग्रेस नेता सिद्धारमैया की मौजूदगी में कहीं.

देवगौड़ा ने कहा कि उन्होंने सिद्धारमैया के सीएम रहते कभी उन पर विवादित कमेंट नहीं किए लेकिन कुछ कांग्रेस विधायक एचडी कुमारस्वामी पर टिप्पणी करते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि जेडीएस अपने सहयोगी दल के साथ अच्छा व्यवहार करती है लेकिन कांग्रेसी नेताओं को हम पर बयानबाजी नहीं करना चाहिए.

गौरतलब है कि पूर्व सीएम सिद्धारमैया की मौजूदगी में एक कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस के कुछ नेताओं ने कुमारस्वामी की आलोचना की थी जिससे कुमारस्वामी नाराज हो गए थे और उन्होंने सीएम पद छोड़ने की धमकी दी थी.

कर्नाटक में सब ठीक नहीं है

बेंगलुरू: कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के बीच तल्खी और बढ़ गई है. बुधवार को मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने फिर से धमकी दी कि अगर कांग्रेस के नेता उन पर आक्षेप लगाते रहे तो वह इस्तीफा दे देंगे. उन्होंने कहा, “हां, मैंने कहा था कि अगर कांग्रेस के नेता मुझे निशाना बनाते रहे तो मैं पद छोड़ दूंगा.”  

जेडीएस के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “अगर वे (कांग्रेस के नेता) फिर से इस तरह के बयान देंगे तो मैं कितने दिन तक यह सब बर्दाश्त करता रहूंगा. सत्ता तो अल्पकालिक है. जो स्थायी है, वह आप (पार्टी कार्यकर्ता) हैं और इस राज्य की साढ़े छह करोड़ जनता है.” 

इससे पहले, 28 जनवरी को कुमारस्वामी ने कांग्रेस के एक विधायक की टिप्पणी से आहत होकर इस्तीफा देने की धमकी दी थी जिसके बाद गठबंधन सहयोगी ने मामले को शांत किया. सम्मेलन को संबोधित करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस सुप्रीमो एचडी देवगौड़ा ने भी कहा कि कुछ कांग्रेसी नेता की ओर से निशाना बनाए जाने से मुख्यमंत्री आहत हुए हैं. उन्होंने 2006-2007 में सिद्धरमैया के मुख्यमंत्री बनने की कथित महात्वाकांक्षा का भी हवाला दिया. 

कर्नाटक संकट: कांग्रेस विधायकों के बीच हुई मारपीट-हाथापाई, अस्पताल में भर्ती एक MLA

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक रिसॉर्ट में कांग्रेस विधायकों के बीच झड़प की बात का तब पता चला जब एक विधायक आनंद सिंह को बेंगलुरु के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया. हालांकि कांग्रेस ने इन खबरों का खंडन किया है

बेंगलूर: कर्नाटक के राजनीतिक घटनाक्रम ने उस वक्त अजीबोगरीब मोड़ ले लिया जब कांग्रेस के विधायक जे एन गणेश की झड़प अपनी ही पार्टी के विधायक आनंद सिंह से हो गई. इस बीच, कांग्रेस ने पार्टी विधायक दल की अहम बैठक में हिस्सा नहीं लेने वाले अपने चार विधायकों को नोटिस जारी किया है. कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि पार्टी के दोनों विधायकों के बीच झड़प की घटना शनिवार की रात शहर के उस रिजॉर्ट में हुई जहां कांग्रेस के विधायक शुक्रवार से ही जमे हुए हैं. मुख्य विपक्षी भाजपा की ओर से कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिराने की कथित कोशिशों के कारण इन विधायकों को रिजॉर्ट में रखा गया है.

उन्होंने बताया कि बल्लारी जिले के कम्पली विधानसभा क्षेत्र से विधायक जे एन गणेश के साथ हुई झड़प के बाद इसी जिले के होसपेट से विधायक आनंद सिंह को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. दोनों के बीच तीखी बहस हुई और फिर हाथापाई हो गई. इस बीच, रविवार को अपने चार विधायकों को भेजे गए नोटिस में कांग्रेस ने जानना चाहा है कि शुक्रवार को हुई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में हिस्सा नहीं लेने पर उनके खिलाफ दल-बदल निरोधक कानून के तहत कार्रवाई क्यों नहीं की जाए.

कांग्रेस ने अपने शक्ति प्रदर्शन के उद्देश्य से विधायक दल की बैठक की थी. बहरहाल, अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि आंनद सिंह की ‘‘आंखें काली पड़ गई हैं और उन्हें काफी चोट आई है.’’ उनके मुताबिक, आनंद ने छाती में बेचैनी की शिकायत की थी, लेकिन अब वह ‘‘ठीक’’ हैं और वॉर्ड में हैं. गणेश कांग्रेस के उन ‘असंतुष्ट’ विधायकों में शामिल बताए जाते हैं जो कथित तौर पर भाजपा में शामिल होने की योजना बना रहे पार्टी के असंतुष्ट विधायकों के संपर्क में हैं. कांग्रेस प्रवक्ता एवं निजामाबाद के पूर्व सांसद मधु गौड़ याक्षी ने बताया, ‘‘यह निजी मामला था, जिले से जुड़ा था. वे कारोबार में एक साथ हैं.

इस झड़प का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है. वे एक ही जिले के हैं और उनके कारोबारी रिश्ते हैं. यह (झगड़ा) उसी से जुड़ा है. इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है.’’ याक्षी ने बताया कि उनकी मौजूदगी में दोनों विधायकों ने रात में खाना खाया और उस समय सब कुछ अच्छा था, लेकिन जैसे ही वह वहां से गए तो दोनों के बीच झगड़ा हो गया. बिदाड़ी पुलिस थाने ने संपर्क किए जाने पर बताया कि उसे इस बाबत अब तक कोई शिकायत नहीं मिली है. अस्पताल के बाहर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं.

कांग्रेस विधायक रघुनाथ ने कहा, ‘‘हमें अस्पताल के भीतर नहीं जाने दिया गया.’’ कांग्रेस पर निशाना साधते हुए भाजपा ने ट्वीट किया, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केपीसीसी, इगलटन रिजॉर्ट में झगड़ा रोकने में नाकाम रही. हम उम्मीद करते हैं कि आनंद सिंह का इलाज कराया जा रहा होगा और हम उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हैं.’’

भाजपा ने कहा, ‘‘दुर्भाग्यवश अब दिनेश गुंडू राव (प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष) भाजपा पर भी ठीकरा नहीं फोड़ सकते, क्योंकि विधायक तो उनकी निगरानी में इगलटन में ठहरे हुए हैं. अब आप कौन सा बहाना बनाएंगे?’’ 
बहरहाल, कांग्रेस नेता एवं कर्नाटक सरकार में वरिष्ठ मंत्री डी के शिवकुमार ने इन खबरों को खारिज किया कि आनंद सिंह पर हमला हुआ.

उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस के सारे विधायक एकजुट हैं. शिवकुमार ने कहा, ‘‘किसी ने गुमराह किया है. कोई हमला नहीं हुआ. (सिंह के सिर पर) बोतले मारने की कोई घटना नहीं हुई. यह फर्जी खबर है. हर कोई साथ है. पूरी कांग्रेस एकजुट है.’’ कर्नाटक में भाजपा के वरिष्ठ नेता आर अशोक ने कहा कि कांग्रेस आनंद सिंह को मीडिया के सामने पेश करे और पुलिस इस मामले में कानूनी कार्रवाई शुरू करे.

कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि पार्टी ने जिन विधायकों को नोटिस भेजा उनमें रमेश जरकीहोली, बी नागेंद्र, उमेश जाधव और महेश कुमताहल्ली शामिल हैं. इन चारों ने कांग्रेस विधायक दल की बैठक में हिस्सा नहीं लिया था. विधायक दल की बैठक में इन चारों कांग्रेस विधायकों की गैर-मौजूदगी से राज्य की सात महीने पुरानी कांग्रेस-जेडीएस सरकार को फिलहाल कोई खतरा नहीं है. पार्टी ने चारों विधायकों को स्पष्टीकरण देने को कहा है. कांग्रेस के 80 में से 76 विधायकों ने बैठक में हिस्सा लिया था.

सीबीआई,ईडी और आयकर विभागों को इस्तेमाल कर भाजपा कर्नाटक हथियाना चाहती है

मल्लिकार्जुन जी जिन विभागों की बात कर रहे हैं वह सभी विभाग भ्रष्टाचार, अनाचार करने वाले लोगों और उनके कार्यों पर रोकथाम के लिए हैं, मज़ेदार बात यह है की इस विभाग की नज़र हमेशा विपक्ष के काले कारनामों पर होती है और सत्ता जाते ही अपने पुराने आकाओं के प्रति लाम बंद हो जातीं हैं। अब प्रश्न है कि क्या खडगे जी कि पार्टी इसी प्रकार अपने विरोधियों को त्रस्त करती थी?दूसरे जब आप सभी लोगों कि छवि ईमानदारी कि है तो फिर आपको घबराहट कैसी?

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया कि वह कर्नाटक में उनकी पार्टी के विधायकों को ‘काबू में करने’ का प्रयास कर रहे हैं. इसके साथ ही खड़गे ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार को अस्थिर करने के बीजेपी के कथित प्रयास में सीबीआई, ईडी और आयकर विभाग का उपयोग उन विधायकों को ‘आतंकित’ करने के लिए किया जा रहा है.

खडगे ने एक कार्यक्रम में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘वे सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर छापों के द्वारा हमारे विधायकों को धमकी देने जैसी कई चीजों की कोशिश कर रहे हैं.’

उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी हमारे विधायकों पर नियंत्रण करने का प्रयास कर रहे हैं. लोकसभा में कांग्रेस के नेता खड़गे ने कहा कि कांग्रेस के कार्यकर्ता ‘मजबूत और प्रतिबद्ध’ हैं तथा वे किसी दबाव में नहीं आएंगे.

उन्होंने गठबंधन सरकार को गिराने के बीजेपी के कथित प्रयास ‘ऑपरेशन लोटस’ को रेखांकित करने के लिए एक घटना का जिक्र किया. खड़गे ने कहा कि वह, मोदी, प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी 16 जनवरी की शाम को गांधी शांति पुरस्कार पर फैसला करने के लिए एकत्र हुए थे. उन्होंने कहा कि जब वे लोग बैठे थे, प्रधानमंत्री ने उनसे कर्नाटक के घटनाक्रम के बारे में पूछा.

खड़गे ने कहा, ‘मैंने उनसे कहा कि मैं नहीं आप बेहतर जानते हैं कि आप क्या कर रहे हैं. मोदी ने कहा कि सूचना है कि बीजेपी के विधायकों को दल बदलने के लिए लालच दिया गया है.’

‘मैंने जवाब दिया कि आपके लोग और आपकी सरकार यह कर रही है. तब उन्होंने कहा कि आपके लोग (कांग्रेस विधायक) यहां-वहां घूम रहे हैं.’

सीबीआई घटनाक्रम के बारे में खड़गे ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने चयन समिति को विश्वास में लिए बिना ही अवैध रूप से आलोक वर्मा को एजेंसी प्रमुख के पद से हटा दिया था. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने अगले सीबीआई निदेशक का चयन करने के लिए 24 जनवरी को एक बैठक बुलाई है.

खड़गे ने कहा, ‘जब मैंने नोटिस दिया (सीबीआई निदेशक के चयन के लिए), तब 24 जनवरी को एक बैठक बुलाई गई है. मुझे पता है कि इसका परिणाम क्या होगा क्योंकि उन्हें बहुमत मिला है और वे जो चाहते हैं करेंगे.’

हम किसी भी कीमत पर इस सरकार को अस्थिर नहीं करेंगे. कांग्रेस और जेडीएस को चिंता करने की जरूरत नहीं है: बीएस येदियुरप्पा

 कांग्रेस खेमे में मचे सियासी घमासान के बीच बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बीएस येदुरप्पा ने पार्टी के सभी विधायकों को बेंगलुरु वापस आने के लिए कहा है.

नई दिल्ली : कर्नाटक में 2 निर्दलीय विधायकों के सरकार से समर्थन वापस लेने का बाद मचा सियासी घमासान थमता हुआ नजर नहीं आ रहा है. कांग्रेस खेमे में मचे सियासी घमासान के बीच बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बीएस येदुरप्पा ने पार्टी के सभी विधायकों को बेंगलुरु वापस आने के लिए कहा है. इसी के साथ कर्नाटक की सियासत के नाटक का फिलहाल अंत माना जा रहा है. कर्नाटक में ड्रामे की शुरुआत से ही बीजेपी के सभी विधायक गुरुग्राम के एक रिजॉर्ट में ठहरे हुए थे.

गुरुग्राम हैं कई विधायक
बता दें कि निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद बीजेपी के कई विधायक एनसीआर के गुरुग्राम में रह रहे थे. येदुरप्पा के बेंगलुरु वापस बुलाए जाने के पीछे कहा जा रहा है कि यह किसी सियासी गठजोड़ हो सकता है. कयास लगाए जा रहे हैं कि येदुरप्पा बेंगलुरु में रविवार को विधायकों के साथ बैठक कर कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं.

कांग्रेस-जेडीएस को चिंता की आवश्यकता नहीं- येदुरप्पा
कर्नाटक के पूर्व सीएम और बीजेपी नेता  बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि गुरुग्राम में मौजूद हमारे सभी विधायक बेंगलुरु लौट रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम राज्य का दौरा करेंगे और सूखे की स्थिति का विश्लेषण करेंगे. हम किसी भी कीमत पर इस सरकार को अस्थिर नहीं करेंगे. कांग्रेस और जेडीएस को चिंता करने की जरूरत नहीं है.

कांग्रेस विधायक दल की बैठक में नहीं पहुंचे 4 विधायक
इससे पहले शुक्रवार को कर्नाटक में सत्तारुढ़ ग‍ठबंधन में दरार उजागर करते हुए चार नाराज कांग्रेसी विधायक यहां पार्टी विधायक दल (सीएलपी) की बैठक में शामिल नहीं हुए. यह बै‍ठक भाजपा द्वारा कथित तौर पर एच डी कुमारस्वामी सरकार को हटाने के लिए की जा रही कोशिशों के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा था. 

सत्ता पर पड़ेगा असर!
आंकड़ों के लिहाज से चार विधायकों की गैरमौजूदगी से सात महीने पुरानी कांग्रेस-जद(एस) ग‍ठबंधन सरकार को तत्काल कोई खतरा नहीं है लेकिन इससे यह संकेत मिलता है कि अब भी असंतोष झेल रही कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं है. सीएलपी नेता सिद्धरमैया ने बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि कांग्रेस अनुपस्थित विधायकों रमेश जारकीहोली, बी नगेंद्र, उमेश जाधव और महेश कुमाताहल्ली को नोटिस जारी करेगी. हाल ही में कैबिनेट फेरबदल में मंत्रीपद से हटाए जाने के बाद से जारकीहोली बेहद नाखुश थे. 

‘‘जब बहनजी ने उन्हें छोड़ दिया, तब यह स्वभाविक है कि वह दीदी (ममता) को याद करेंगे.’’ स्मृति ईरानी

‘‘विपक्षी दल बार – बार कह रहे हैं कि वे बीजेपी से अकेले नहीं लड़ सकते और इससे उनकी नाकामी उजागर होती है.’
मोदी ने अक्सर ही इस बात पर जोर दिया है कि देश को एक मजबूत सरकार चाहिए, ना कि एक मजबूर सरकार. 

नई दिल्लीः तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी की विपक्षी दलों की रैली का समर्थन करने को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर शुक्रवार को बीजेपी ने तंज कसते हुए कहा कि यह स्वभाविक है कि ‘बहनजी’ के छोड़ने के बाद वह ‘दीदी’ को याद करेंगे. 

कोलकाता के ऐतिहासिक ब्रिगेड परेड मैदान में आज बीजेपी के खिलाफ होने वाली इस रैली में 20 से अधिक विपक्षी दलों के नेताओं के शरीक होने की उम्मीद है. बीजेपी की इस टिप्पणी में संभवत: बहनजी का जिक्र बसपा प्रमुख मायावती और दीदी का जिक्र पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए किया गया है.

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि रैली से भगवा पार्टियों के प्रतिद्वंद्वियों के बारे में यह खुलासा होता है कि वे अपने बूते मुकाबला नहीं कर सकते हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या ममता को राहुल के समर्थन पत्र से विपक्ष की मजबूती प्रदर्शित होती है, स्मृति ने जवाब दिया, ‘‘जब बहनजी ने उन्हें छोड़ दिया, तब यह स्वभाविक है कि वह दीदी (ममता) को याद करेंगे.’’ 

उन्होंने उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा के हाल ही में गठबंधन की घोषणा किए जाने की ओर संभवत: इशारा करते हुए यह कहा. दरअसल, उप्र में दोनों दलों (सपा और बसपा) ने गठबंधन में कांग्रेस को शामिल नहीं किया है. केंद्रीय मंत्री ने भरोसा जताया कि लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन करेंगे. उन्होंने कहा कि उन्होंने (मोदी ने) अक्सर ही इस बात पर जोर दिया है कि देश को एक मजबूत सरकार चाहिए, ना कि एक मजबूर सरकार. 

उन्होंने रैली का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘विपक्षी दल बार – बार कह रहे हैं कि वे बीजेपी से अकेले नहीं लड़ सकते और इससे उनकी नाकामी उजागर होती है.’