सुखोई पर आरूढ़ ब्राहमोस 300 किलोमीटर दूर ही से लक्ष्य भेद लेगी

वायुसेना को मिली बड़ी ताक़त. सुखोई 30 से ब्रह्मोस मिसाइल ने ज़मीनी निशाने को तबाह किया. जल, थल ओर नभ सभी पर ब्रह्मोस की पहुँच से भारतीय सेना का बल बढ़ा। अब भारतीय वायुसेना के विमान भारतीय सीमा ही में रह कर शत्रु का विनाश कर सकते हैं। इस भागीरथ प्रयास में HAL ने भी महती भूमिका निभाई है।

नई दिल्‍ली: भारतीय वायुसेना ने पहली बार सुखोई-30 लड़ाकू विमान से ब्रह्मोस मिसाइल को जमीनी टार्गेट पर कामयाबी से इस्तेमाल किया. सुखोई से फायर की गई ब्रह्मोस ने अपने निशाने पर अचूक निशाना लगाया और उसे पूरी तरह तबाह कर दिया. ब्रह्मोस को सुखोई के जरिए 22 नवंबर 2017 को समुद्र में निशाने के तौर पर इस्तेमाल होने वाले एक जहाज पर फायर किया जा चुका है. लेकिन ज़मीनी निशाने पर कामयाबी से हमला एक बड़ी उपलब्धि है. यानि अब भविष्य में बालाकोट जैसे किसी ठिकाने को तबाह करने के लिए फ़ाइटर एयरक्राफ्ट भेजने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी. बल्कि उसे 300 किमी दूर से ही ब्रह्मोस के ज़रिए तबाह किया जा सकेगा.

भारतीय वायुसेना लंबे अरसे से ब्रह्मोस को सुखोई 30 से फायर करने के लिए काम कर रही है. ब्रह्मोस भारत और रूस के सहयोग से बनाई गई है, जिसे पहले जमीन से फायर करने के लिए बनाया गया था. बाद में इसे नौसेना के जंगी जहाजों में भी लगाया गया, लेकिन किसी फाइटर एयरक्राफ्ट से फायर करने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ी.

पहले रूस से सहयोग मांगा गया, लेकिन लागत बहुत ज्यादा बढ़ जाने की वजह से वह योजना ठंडे बस्ते में चली गई. बाद में हिंदुस्तान एयरनॉटिक्स लिमिटेड ने इसकी ज़िम्मेदारी ली. इसके लिए सुखोई-30 में कुछ बदलाव करने पड़े और ब्रह्मोस मिसाइल में भी बदलाव किए गए. फाइटर एयरक्राफ्ट से फ़ायर करने के लिए मिसाइल का वजन घटाकर 2.5 टन किया गया.

22 नवंबर 2017 को समुद्र में जहाज पर फायर करने के बाद ज़मीनी निशाने पर सटीक फायर करने के लिए भी दो साल तैयारी की गई. जमीन पर फायर करने के लिए मिसाइल को ज्यादा सटीक होना चाहिए. ताकि न केवल निशाने को तबाह किया जा सके बल्कि आसपास किसी किस्म के नुकसान को भी टाला जा सके. सुखोई-30 से ब्रह्मोस की कामयाबी से वायुसेना की मारक क्षमता में जबरदस्त बढ़ोत्तरो होगी. ब्रह्मोस की 300 किमी की रेंज में फ़ायटर एयरक्राफ्ट की रेंज भी मिल जाने से अब दुश्मन के बहुत दूर के ठिकाने भी अब वायुसेना की मार में होंगे. ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल है, जिसकी रफ्तार 2.8 मैक है. यानि ये आवाज़ की रफ्तार से ढाई गुना रफ्तार से हमला करेगी.

लोकसभा नतीजों के बाद गिर जाएगी कर्नाटक सरकार

एक्जिट पोल में पूर्वानुमान जताया गया है कि भाजपा कर्नाटक में 28 सीटों में से 21 पर जीत दर्ज करेगी। भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में इस दक्षिणी राज्य में 17 सीटें जीती थीं। सत्ताधारी गठबंधन सहयोगियों को यह भी आशंका है कि भाजपा लोकसभा चुनाव के बाद ‘‘आपरेशन लोटस’’ के जरिये कुछ असंतुष्ट विधायकों को अपने पाले में कर सकती है जिससे सरकार अस्थिर हो जाएगी। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सदानंद गौड़ा ने यह भी कहा कि उसके बाद राज्य में नई सरकार के गठन के लिए मंच तैयार होगा.

बेंगलुरु:  केंद्रीय मंत्री डी. वी. सदानंद गौड़ा ने बुधवार को दावा किया कि लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद कर्नाटक में कांग्रेस..जेडीएस गठबंधन सरकार गिर जाएगी और एच. डी. कुमारस्वामी 24 मई की सुबह तक ही मुख्यमंत्री रहेंगे. कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री गौड़ा ने यह भी कहा कि उसके बाद राज्य में नई सरकार के गठन के लिए मंच तैयार होगा. 

उन्होंने कहा,‘कुमारस्वामी कल शाम तक ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहेंगे. कल शाम या अगले दिन सुबह तक, क्योंकि यदि रात में उन्हें नींद नहीं आए…इसलिए परसों सुबह कुमारस्वामी शत प्रतिशत पद से हट जाएंगे.’ बीजेपी नेता ने कहा,‘नई सरकार के गठन के लिए मंच तैयार होगा.’ 

गठबंधन सरकार को लेकर जारी है अटकलों का दौर 
इसको लेकर अटकलें हैं कि लोकसभा चुनाव में प्रतिकूल परिणाम का कर्नाटक में गठबंधन सरकार की स्थिरता पर प्रभाव होगा. एक्जिट पोल में पूर्वानुमान जताया गया है कि कांग्रेस..जेडीएस गठबंधन के लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन कर सकता है.

दोनों पार्टियों ने गठबंधन कर लोकसभा चुनाव लड़ा था जबकि जमीनी स्तर, विशेष तौर मैसुरू क्षेत्र में असंतोष था क्योंकि वहां दोनों एक-दूसरे को प्रतिद्वंद्वी मानते हैं.

एक्जिट पोल में बीजेपी की जीत का अनुमान 
एक्जिट पोल में पूर्वानुमान जताया गया है कि बीजेपी कर्नाटक में 28 सीटों में से 21 पर जीत दर्ज करेगी.  बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में इस दक्षिणी राज्य में 17 सीटें जीती थीं.

सत्ताधारी गठबंधन सहयोगियों को यह भी आशंका है कि बीजेपी लोकसभा चुनाव के बाद ‘‘आपरेशन लोटस’’ के जरिये कुछ असंतुष्ट विधायकों को अपने पाले में कर सकती है जिससे सरकार अस्थिर हो जाएगी.

के सुधाकरन के बगावती तेवरों का क्या असर होगा कर्नाटक सरकार

रौशन बेग के बाद अब कांग्रेसी विधायक के सुधाकर ने बुधवार को सवाल उठाया कि ईवीएम में कथित हेरफेर का मुद्दा क्यों लोकसभा चुनावों पर एग्जिट पोल के अनुमान आने के बाद उठाया जा रहा है. सुधाकर के अनुसार जब एक्ज़िट पोल के नतीजों पर चर्चा करनी चाहिए थी, उन पर विमर्श होना चाहिए था जबकि सभी ईवीएम को ले कर उलझे पड़े हैं। और उन्होने अपने अंदाज़ – ए- बयां से कर्नाटक की सरकार को भी चेताया।

बेंगलुरु:

लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे कल यानि 23 मई को घोषित हो जाएंगे. लेकिन, कर्नाटक में इससे पहले ही कांग्रेस को लगातार झटके मिल रहे हैं. दरअसल, राज्य में कांग्रेस और जेडीएस के गठबंधन की सरकार चल रही है. इन सबके बीच कांग्रेस विधायक के सुधाकर ने कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन को अपवित्र करार दे दिया है. उन्होंने कहा कि मैं पहले दिन से कह रहा हूं कि यह गठबंधन गलत नीतियों पर हुआ है. सुधाकर ने कहा कि यह गठबंधन चुनावी जरुरतों को पूरा करने के लिए किया गया है.     

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Dr K Sudhakar, Congress MLA: This is the stand that I took when this alliance was formed. I said on on the day 1 that Congress-JD(S) alliance was purely based on electoral requirements. It is a very unholy alliance, this is what I have been saying since day 1. #Karnataka8236:16 PM – May 22, 2019257 people are talking about this

इससे पहले कांग्रेस के विधायक रोशन बेग ने भी कांग्रेस के प्रादेशिक नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाए थे. वहीं, अब कांग्रेसी विधायक सुधाकर ने बुधवार को सवाल उठाया कि ईवीएम में कथित हेरफेर का मुद्दा क्यों लोकसभा चुनावों पर एग्जिट पोल के अनुमान आने के बाद उठाया जा रहा है. सुधाकर का रुख कांग्रेस के रुख के विपरीत है जो गुरुवार को होने वाले मतदान से पहले ईवीएम में कथित छेड़छाड़ की आशंका को लेकर दूसरे विपक्षी दलों के सुर में सुर मिला रही है.

कांग्रेस विधायक की यह टिप्पणी पार्टी के वरिष्ठ विधायक रोशन बेग की उस टिप्पणी के एक दिन बाद आई है जिसमें उन्होंने राज्य नेतृत्व पर तीखा हमला करते हुए प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव को ‘‘फ्लॉप शो’’ करार दिया था और पार्टी महासचिव के सी वेणुगोपाल को ‘मसखरा’ बताया.

इस दक्षिणी राज्य में कांग्रेस-जेडीएस के बीच हुए गठबंधन को लेकर अपनी शिकायतों को मुखरता से व्यक्त करने वाले सुधाकर ने मंगलवार रात ट्वीट कर कहा कि एग्जिट पोल और ईवीएम से छेड़छाड़ दो अलग-अलग चीजें हैं. चिक्काबल्लापुरा के विधायक ने ट्वीट किया, “व्यक्तिगत रूप से मैं थोड़ा भ्रमित हूं कि क्यों ईवीएम में छेड़छाड़ का मुद्दा एग्जिट पोल के नतीजों पर चर्चा के दौरान बातचीत में लाया जा रहा है.” “जबकि वास्तव में एग्जिट पोल के नतीजे चुनावों के बाद मतदाताओं की भावना का संकेत देते हैं.”

बाद में पत्रकारों से बात करते हुए सुधाकर ने स्पष्ट किया कि उन्होंने सिर्फ यह कहा था कि एग्जिट पोल का ईवीएम में छेड़छाड़ से कुछ लेना देना नहीं है. उन्होंने कहा, “मैंने सिर्फ एग्जिट पोल के बारे में बात की क्योंकि कुछ लोगों की उन्हें लेकर अलग राय है. मैंने कहा कि इसका ईवीएम से छेड़छाड़ को लेकर कुछ लेना देना नहीं है…क्योंकि एग्जिट पोल चुनाव के दिन किये जाते हैं.”

प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने मुझे कारण बताओ नोटिस भेजा है. लेकिन, मैं इसे पढ़ने की भी जहमत नहीं उठाऊंगा : रोशन बेग

अभ हाल ही में कांग्रेस नेता रौशन बेग ने मीडिया को संबोधित करते हुए यहां कहा, ‘‘यदि राजग सरकार में लौटता है तो मैं विनम्रता से मुस्लिम भाइयों से अनुरोध करता हूं कि वे परिस्थिति से समझौता करें.’’ यह पूछे जाने पर कि क्या इसका मतलब मुसलमानों को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से हाथ मिला लेना चाहिये, बेग ने कहा कि यदि जरूरत पड़ती है तो जरूर. कांग्रेस ने राज्य में सिर्फ एक मुसलमान को टिकट दिया है.

नई दिल्ली: कर्नाटक में कांग्रेस के नेता और विधायक रोशन बेग पार्टी द्वारा नोटिस दिए जाने पर एक बार फिर से भड़क गए. रोशन बेग ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने मुझे कारण बताओ नोटिस भेजा है. लेकिन, मैं इसे पढ़ने की भी जहमत नहीं उठाऊंगा क्योंकि मुझे पता है कि ये आदेश उन लोगों द्वारा ही दिया गया है, जिनकी अक्षमताओं को मैंने बताया था. दरअसल, रोशन बेग ने मंगलवार को कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दिनेश गुंडु राव, पूर्व सीएम सिद्धारमैया और राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल पर गंभीर आरोप लगाए थे.

रोशन बेग के बयान के बाद कांग्रेस महासचिव वेंकटराव वाई घोरपड़े ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया है. गौरतलब है कि कांग्रेस नेता रोशन बेग के पार्टी छोड़ने को लेकर लगातार अटकलें लगाई जा रही हैं. उन्‍होंने सोमवार को कांग्रेस पर मुस्लिमों को नजरअंदाज करने आरोप भी लगाया था. उन्‍होंने कहा था, ‘कर्नाटक में कांग्रेस ने ईसाइयों को एक भी सीट नहीं दी, मुस्लिमों को सिर्फ एक सीट पर टिकट दिया गया. उनको नजरअंदाज किया गया है. मैं इस सबको लेकर परेशान हूं. हमारा इस्‍तेमाल किया गया है.’ बेग से जब यह पूछा गया था कि क्‍या आने वाले कुछ दिनों में आप कांग्रेस छोड़ सकते हैं? तो उनका कहना था कि अगर आवश्‍यक हुआ तो जरूर ऐसा होगा.

अब उनकी व्यथा का विश्लेषण करते हैं, बेग अपनी पार्टी यानि कांग्रेस के बड़े नेता और मुस्लिम चेहरा हैं। बार बार पिछले 55 सालों का हिसाब मांग रहे लोगों की आवाज़ सुन उन्हे झटका लगा, दीख पड़ा की म्सलमान पिछले 70 सालों से मात्र एक “वोट बैंक” बन कर रह गया है। उन्हे कभी सांप्रदायिक ताकतों का डर दिखाया जाता है तो कभी खुद उन पर सांप्रदायिक होने का आरोप लगा दिया जाता है। आज़ादी के बाद ही से कांग्रेस ने तुष्टिकरण की राजनीति के चलते उनका इस्तेमाल तो बहुत किया लेकिन उन्हे उनके हक कभी न दिए। आज हिंदुस्तान की सबसे तेज़ बढ़ती आबादी यदि है तो वह मुसलमानों की है। और दलितों के बाद यदि कोई पिछड़ा वर्ग है तो वह भी मुसलमानों का है। कांग्रेस ने हमेशा भाजपा का डर दिखाया जो पिछले 5 सालों में खत्म तो नहीं हुआ हाँ कम ज़रूर हो गया है। अब बेग साहब कहते हैं की कांग्रेस के साथ जुड़े रह कर धोखा खाने से बेहतर उस कमल को थाम लो जो मुसलमानों के साथ तुष्टीकरण की नीति नहीं अपनाता, जब बैंक खाते खुलते हैं तो वह जात पात देख कर नहीं खुलते, जनधन योजना सिर्फ कुछ हिंदुओं तक सीमित नहीं है उसी तरह भाजपा झूठी उम्मीद भी नहीं बँधाती।

रविवार को एग्जिट पोल के आंकड़ों में कांग्रेस को झटका लगने के बाद रोशन बेग ने सोमवार को ही कांग्रेस छोड़ने संबंधी बात का हवा दी थी. उन्‍होंने मुस्लिमों से अपील की थी अगर एनडीए सत्‍ता में वापस आता है तो हालातों से समझौता कर लें. ऐसे हालात में मुस्लिम बीजेपी और एनडीए से हाथ मिला लें. हम किसी एक पार्टी के लिए वफादार नहीं रह सकते.

हिंदू विरोध से जीत के दिवास्वप्न दखने वाले एक और नेता कमल हस्सन

कई राष्ट्रिय पुरसकारों से सम्मानित एक दिग्गज अभिनेता कमाल हस्सन ने एक मंच से अपने सालों से अर्जित ज्ञान को बघारा। विस्मय है कि इतने सूझवान नेता को हत्या और आतंक में भेद करने लायक सामर्थ्य नहीं है। यह उनकी राजनैतिक विवशता थी क्योंकि वह मुस्लिम बहुल इलाके में चुनावी रेल कर रहे थे ओर सामने गांधी कि प्रतिमा भी थी। बाद में उन्होने इसी बात का बहुत भोथरा स्पष्टीकरण देने का भी प्रयास किया जिससे उनकी मनो:स्थिति का पता चलता है। मक्कल नीधि मैयम (एमएनएम) के संस्थापक कमल हासन ने यह कहकर नया विवाद खड़ा कर दिया है कि आजाद भारत का पहला ‘‘आतंकवादी हिन्दू’’ था. वह महात्मा गांधी की हत्या करने वाले, नाथूराम गोडसे के संदर्भ में बात कर रहे थे. हस्सन मोदी विरोध कि राजनीति करने मैदान में उतरे हैं और उन्हे लगता है मोदि विरोध ही उनकी चुनावी वैतरणी पार लगायेगा।

सनद रहे नाथुराम गोडसे ने महात्मा गांधी कि हत्या कि थी, नाथुराम को इतिहास एक हत्यारे के रूप में जानता है न कि एक आतंकी के रूप में आज कमल हस्सन स्वयं को इतिहास आरों ओर अदालतों से अधिक श्रेष्ठ जताने कि चेष्टा कर रहे हैं। वह यह बताते दिख रहे हैं कि उस समय के लोगों को हत्या ओर आतंक के बीच ठीक उसी तरह फर्क नहीं पता था जैसे आज काँग्रेस को हत्या ओर शहादत के बीच फर्क नहीं मालूम

अरवाकुरिचि (तमिलनाडु): मक्कल नीधि मैयम (एमएनएम) के संस्थापक कमल हासन ने यह कहकर नया विवाद खड़ा कर दिया है कि आजाद भारत का पहला ‘‘आतंकवादी हिन्दू’’ था. वह महात्मा गांधी की हत्या करने वाले, नाथूराम गोडसे के संदर्भ में बात कर रहे थे. रविवार की रात एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए हासन ने कहा कि वह एक ऐसे स्वाभिमानी भारतीय हैं जो समानता वाला भारत चाहते हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘मैं ऐसा इसलिए नहीं बोल रहा हूं कि यह मुसलमान बहुल इलाका है, बल्कि मैं यह बात गांधी की प्रतिमा के सामने बोल रहा हूं. आजाद भारत का पहला आतंकवादी हिन्दू था और उसका नाम नाथूराम गोडसे है. वहीं से इसकी (आतंकवाद) शुरुआत हुई.’’ महात्मा गांधी की 1948 में हुई हत्या का हवाला देते हुए हासन ने कहा कि वह उस हत्या का जवाब खोजने आये हैं.

Kamal Haasan during campaigning in Aravakurichi assembly constituency, Tamil Nadu, yesterday: “I am not saying this because many Muslims are here. I’m saying this in front of Mahatma Gandhi’s statue. First terrorist in independent India is a Hindu, his name is Nathuram Godse.” pic.twitter.com/LSDaNfOVK01,70210:13 AM – May 13, 2019Twitter Ads info and privacy1,697 people are talking about this

कमल हासन इससे पहले भी दक्षिणपंथी चरमपंथ पर निशाना साध चुके हैं. करीब डेढ़ साल पहले इस संबंध में उन्‍होंने एक विवादित लेख भी इस विषय पर लिखा था. उसमें उन्‍होंने लिखा था कि दक्षिणपंथी समूहों ने हिंसा का दामन इसलिये थामा क्योंकि उनकी पुरानी ”रणनीति” ने काम करना बंद कर दिया है. हसन ने तमिल पत्रिका ‘आनंद विकटन’ के अंक में अपने स्तंभ में आरोप लगाया था कि दक्षिणपंथी संगठनों ने अपने रुख में बदलाव किया है, हालांकि उन्होंने इसमें किसी का नाम नहीं लिया है.

कमाल हसन के इस वक्तव्य का विवेक ओबेरॉय ने खुल कर विरोध जताया है।

कांग्रेस शासित प्रदेश में दलितों को “न्याय” नहीं

बलात्कार पर राजनीति कोइ अच्छी बात नहीं लेकिन अशोक गहलोत ने चुनावों तक मामला दर्ज़ ही न होने देने की चाल चल कर राजनीति को हवा दे दी। हर जगह अवार्ड वापीसी गैंग, दलित प्रेमी नेताओं को ढूंढा जाने लगा। च्ंकि यह मामला राजस्थान का था जहां कांग्रेस की सरकार है कोई भी सामने नहीं आया, यहाँ तक कि आतिशी कि झूठी शियायात पर हायतौबा मचाने वाला महिला कमीशन अथवा ह्यूमन राइट्स अमिशन को भी कांग्रेस सरकार में दलित मनुष्य नहीं लगे। आ जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मायावती जो हमेशा केएचडी को दलितों का झंडाबरदार मानतीं हैं से ने दलित प्रेम ए बारे मेन पूछा तो यह सभी खोये हुए लोग बरसाती मेंढ़कों कि तरह निकलने लग पड़े।

देवरिया/कुशीनगर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि बसपा अध्यक्ष मायावती को अगर अलवर में हुए सामूहिक बलात्कार काण्ड से वाकई पीड़ा हो रही है, तो वह राजस्थान सरकार से समर्थन वापस लें. पीएम मोदी ने देवरिया और कुशीनगर में हुए चुनावी रैलियों में कहा कि राजस्थान की सरकार बसपा के सहयोग से चल रही है. वहां की कांग्रेस सरकार दलित बेटी से सामूहिक बलात्कार का मामला दबाने में लगी है. बहनजी (बसपा प्रमुख मायावती) राजस्थान में आपके समर्थन से सरकार चल रही है. वहां दलित बेटी से बलात्कार हुआ है. आपने उस सरकार से समर्थन वापस क्यों नहीं लिया? घड़ियाली आंसू बहा रही हो.’ 

उन्होंने कहा कि आपके (मायावती) साथ गेस्ट हाउस कांड पर पूरे देश को पीड़ा हुई थी. आज अलवर कांड पर आपको पीड़ा क्यों नहीं हो रही है. अगर हो रही है तो बयानबाजी करने की बजाय राजस्थान सरकार से समर्थन वापस लीजिये.’ मोदी ने रैली में मौजूद लोगों से पूछा ‘आतंकवादियों को घर में घुसकर मारा गया. आपको गर्व हुआ कि नहीं हुआ. माथा ऊंचा हुआ कि नहीं हुआ. सीना चौड़ा हुआ कि नहीं हुआ. ये चुनाव देश में एक बुलंद सरकार देने का चुनाव है. 21वीं सदी में भारत का विश्व में क्या स्थान हो, उसके लिये यह चुनाव है. यही कारण है कि देश आज राष्ट्र के हितों को सर्वोपरि रखने वाली सरकार केन्द्र में चाहता है.’ 

पीएम मोदी ने कहा कि आतंक से निपटना सपा, बसपा के बस की बात ही नहीं है और बाजार में प्रधानमंत्री के जितने चेहरे घूम रहे हैं. उनमें हिम्मत के साथ सीना तानकर आतंकवाद के खिलाफ कौन लड़ सकता है. सपा, बसपा और कांग्रेस वाले ऐसे लोग हैं, जो गली के गुंडे तक पर लगाम नहीं लगा पाते, ये आतंकवाद पर कैसे लगाम लगाएंगे.

पीएम ने कहा कि मैं अति पिछड़ी जाति में पैदा हुआ लेकिन देश को दुनिया में सबसे आगे ले जाने के लिये जी-जान से जुटा हुआ हूं. जो लोग मोदी की जाति जानना चाहते हैं, वे कान खोलकर सुन लें. मोदी की एक ही जाति है गरीब. ये लोग मोदी का नहीं, बल्कि गरीबी की जाति का सर्टिफिकेट मांग रहे हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि सपा, बसपा के लोगों ने गरीबों को लूट कर बड़े—बड़े महल खड़े कर लिये लेकिन मैंने कभी जोड़-तोड़ करके अमीर बनने का सपना नहीं देखा और ना ही अपने परिवार वालों को दिखाया है. जब 20-25 साल बाद मेरा शरीर कमजोर हो जाएगा तब मुझे रहने के लिये किराये का कमरा ढूंढना पड़ेगा.

उन्होंने सपा और बसपा के बीच नाराजगी पनपने का दावा करते हुए कहा कि बहनजी सपा के कार्यकर्ताओं से नाराज हैं इसलिए उनको माइक पर सलाह देती हैं कि बसपा वालों से सपा को सीखने की जरूरत है. स्वार्थ का साथ ज्यादा नहीं चलता है. मैं सोचता हूं कि 23 मई को बहनजी के समर्थकों का क्या होगा, तब उनकी दोस्ती चूर-चूर हो जाएगी. तब बबुआ के कार्यकर्ता बुआ के कार्यकर्ताओं से ऐसी दुश्मनी निकालेंगे कि बहनजी भी कुछ नहीं कर पाएंगी.’ मोदी ने कहा कि विपक्षी दल लोकसभा चुनाव में चारों खाने चित हो जाएंगे क्योंकि लोगों ने एक मजबूत और ईमानदार सरकार बनाने की ठान ली है.

प्रियंका वाड्रा द्वारा अपमानित नीलम मिश्रा ने दल बल सहित छोड़ी कांग्रेस

एक होती है नूरा कुश्ती इस कुश्ती में दो भिड़ने वाले पहलवान आपस ही में तय कर लेते हैं की कोई भी चित्त नहीं होगा या फिर कौन चित्त होगा। हम नूरा कुश्ती पहले भी समाजवादी परिवार में होती देख चुके हैं। अब गठबंधन और कांग्रेस में भी नूरा कुश्ती ही चल रही है। अभी हाल ही में बदोही में भी यही कुश्ती एक बार फिर दोहराई गयी, जहां जिले की कांग्रेस अध्यक्ष नीलम मिश्रा ने कांग्रेस छोड़ दी ओर गठबंधन के उम्मीदवार के हित में जुट गयी। इसे कहते हैं तेल गिरा तो कड़ाही में। एक ओर बात जो सामने आ रही है वह है नामदारों का अपने कार्यर्ताओं के प्रति रवैया। अभी सैम पित्रोदा के दिल्ली में सिक्ख कत्लेआम पर दिये गए ब्यान “हुआ तो हुआ” थमा नहीं की प्रियंका वादरा आ महिलाओं के लिए दिया गया यह बयान। जानते हैं पूरा मामला

भदोही: लोकसभा चुनाव 2019  के छठवें चरण में रविवार को सात राज्यों की 59 सीटों पर मतदान हुआ. इस दौरान उत्तर प्रदेश के भदोही जिले की कांग्रेस अध्यक्ष नीलम मिश्रा ने पूर्वी यूपी की प्रभारी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा पर गंभीर आरोप लगाते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. नीलम मिश्रा ने आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस ने भदोही से एक बाहरी व्यक्ति को प्रत्याशी बनाया है. इस बारे में जब हमने प्रियंका गांधी से बात की तो उन्होंने कई अपमानजनक बातें कहीं.  

आरोप है कि शुक्रवार को यहां हुई चुनावी सभा के बाद उन्होंने प्रियंका से शिकायत की थी कि भदोही से पार्टी के प्रत्याशी रमाकांत यादव लगातार जिला कांग्रेस कमेटी की उपेक्षा कर रहे हैं। यहां तक कि रैली में पार्टी पदाधिकारियों को घुसने तक नहीं दिया जा रहा है। 

इसपर प्रियंका गांधी ने कथित रुप से नीलम मिश्रा क सबके सामने डांटना शुरु कर दिया और कहा कि ‘अगर आप लोग अपमानित महसूस कर रहे हैं तो करते रहिए’। 

नीलम मिश्रा ने बताया कि उन्होंने कांग्रेस पार्टी से शनिवार को इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने कहा कि भदोही से रमाकांत यादव को उम्मीदवार बनाया गया है. वह बाहरी व्यक्ति हैं और हाल ही में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं. उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए बहुत बड़ा झटका था. नीलम ने दावा किया कि इस बारे में एक बैठक के दौरान हमने प्रियंका गांधी से बात करने की कोशिश भी की थी. लेकिन, प्रियंका गांधी नाराज हो गईं और हमारे लिए कई अपमानजनक बातें कहीं.   

बताते चलें कि रमाकांत यादव को चुनाव आयोग का नोटिस भी मिल चुका है. चुनाव आयोग ने अपने आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में जनता को बताने के लिए कहा था, जिसके लिए उम्मीदवारों को छोटे या बड़े अखबारों में इसे प्रकाशित करवाना था, लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार रमाकांत यादव ने इसकी अनदेखी की थी. मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला निर्वाचन आयोग ने यादव को नोटिस भेजा था

All the Islamic extremists involved in the Easter suicide bombings are either killed or arrested : Wickremaratne

“All explosives possessed by the terrorist group has been seized. Almost everyone identified with the group have been arrested. Two of their bomb experts have died in the clashes. The police can happily announce that everyone with direct links have been either arrested or killed by now,” Wickremaratne said

All the Islamic extremists involved in the Easter suicide bombings are either killed or arrested, Sri Lankan police and military chiefs have claimed, assuring that the country is now safe and can get back to normalcy.

The tri-forces commanders and the police chief, addressing a press conference on Monday night, said the security of the country following the April 21 bombings that left 257 people dead has been ensured with adequate measures and steps have been taken to implement a special security plan.

Acting Inspector General of Police (IGP) Chandana Wickremaratne said that all those directly linked to the attacks on three churches and three luxury hotels have been arrested or were killed.

He also said that all the explosives believed to be linked to local Islamist outfit National Thowheeth Jama’ath (NTJ), blamed for the attacks, have been found.

“All explosives possessed by the terrorist group has been seized. Almost everyone identified with the group have been arrested. Two of their bomb experts have died in the clashes. The police can happily announce that everyone with direct links have been either arrested or killed by now,” Wickremaratne said.

Wickramaratne did not say how many people have been arrested over the bombings, but police spokesman Ruwan Gunasekera on Monday said that 73 people, including nine women, were arrested and being questioned by the CID and the Terrorist Investigation Department (TID).

The police spokesman also said the Criminal Investigation Department (CID) identified more than Rs 140 million cash and other assets worth over Rs 7 billion belonging to the NTJ.

The Islamic State terror group claimed the attacks, the island nation’s worst, but the government blamed ISIS-linked local Islamist extremist group NTJ.

Wickramaratne, who was named acting police chief last week after President Maithripala Sirisena suspended his predecessor over his failure to act on intelligence warnings about the attacks, said the country can now get back to normalcy with the lifting of curfews imposed after the attacks.

Wickramaratne urged the public not to be misled by unverified reports.

The government reopened schools on Monday, but attendance dropped to below 10 per cent in many places with parents still fearing attacks.

Wickremeratne said a joint security operation with schools authorities are underway. He pointed to unverified security fears spread through social media as the cause for unfounded security concerns.

Army chief Lt Gen Mahesh Senanayake said the military has taken steps to ensure national security under the emergency regulations.

He said that over the past two weeks normalcy was returning to the country and the public must not be misled by false claims.

All security measures to ensure safety in the country has been taken. The security forces were empowered by the emergency regulations since the attacks,” Lt Gen Senanayake said.

The Army chief urged the public to return to their day to day activities.

The tourism industry leaders have urged the government to make strong measures to enable the industry to revive following the Easter Sunday attacks on three leading hotels.

The suicide bombers attacked breakfast rooms of the Shangri La, The Cinnamon Grand and the Kingsbury Hotels.

The attacks in which 44 foreigners including 11 Indians were killed prompted adverse travel advisories.

At the moment most bookings are cancelled, with less than 10 per cent of occupancy we are in trouble,” Hoteliers Association president Sanath Ukawatta said.

The government has already decided on a package of concessions to the tourism industry which contributes 5 per cent of the island’s GDP.

The Tourism Authority said the total number of tourist arrivals during April was 166,975. This is a year on year decline of 7.5 per cent as the arrivals were 180,429 in April 2018.

विजय माल्या के हाथों से सीपीएल की टीम Barbados Tridents का मालिकाना हक जाएगा

बारबाडोस: भारत से भाग कर ब्रिटेन में रह रहे कारोबारी विजय माल्या (Vijay Mallya) के हाथों से कैरेबियन प्रीमियर लीग (सीपीएल) की टीम बारबाडोस ट्रीडेंट्स (Barbados Tridents) का मालिकाना हक जाएगा. लीग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) डेमियन ओ डोनोहोए ने कहा कि टीम के मालिकाना हक को स्थानांतरित करने के लिए कई लोगों से बात चल रही है. आईपीएल (IPL) की तर्ज पर शुरू हुई कैरेबियन लीग (Caribbean Premier League) में छह टीमें खेलती हैं.

क्रिकइंफो की रिपोर्ट के मुताबिक, बारबाडोस ट्रीडेंट्स टीम के नए मालिक के नाम का ऐलान 22 मई को लंदन में होने वाले प्लेयर ड्राफ्ट से पहले घोषित कर दिया जाएगा. माल्या ने बारबाडोस ट्रीडेंट्स की टीम को 2016 में खरीदा था. इस टीम के खिलाड़ियों को पिछले सीजन की फीस और अनुबंध राशि अब तक नहीं मिली है. पिछला सीजन सितंबर 2018 में खत्म हुआ था. माल्या इस समय बैंक धोखाधाड़ी के चलते देश से भाग कर ब्रिटेन में पनाह लिए हुए है. माल्या के पास इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की टीम रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू का मालिकाना हक भी है. 

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कैरेबियन लीग के सीईओ डोनोहोए ने गुयान क्रोनिकल से बातचीत में कहा, ‘यह हमारे लिए सबसे बड़ा सिर दर्द है. लेकिन बारबाडोस से संबंधित यह मुद्दा अगले दो-तीन सप्ताह में सुलझा लिया जाएगा. हम इसके मालिकाना हक में बदलाव करेंगे. उम्मीद है कि अगले दो सप्ताह में हम ऐसा कर पाएंगे.’ हाल ही में बाराबाडोस ट्रीडेंट्स के मार्की प्लेयर ड्वेन स्मिथ ने खिलाड़ियों को पैसे नहीं मिलने के मामले में सीपीएल की आलोचना की थी. 

कैरेबियन प्रीमियर लीग में से एक टीम ट्रिनबेगो नाइटराइडर्स (Trinbago Knight Riders) है. इसका मालिकाना हक कोलकाता नाइटराइडर्स के मालिक शाहरुख खान, जूही चावला की कंपनी रेड चिलीज एंटरटेनमेंट (Red Chillies Entertainment) के पास है. 

जापान में नेस वाडिया को मादक पदार्थ रखने के जुर्म में 2 साल की सज़ा

नेस वाडिया हमेशा से ख़बरों में बने रहे हैं तकरीबन गलत कारणों से। इस बार वह 25ग्राम ‘कैनबिस रेसिन’ नामक मादक पदार्थ के कारण। पहले वह अपनी महिला मित्र ओर बॉलीवुड अदाकारा प्रीति जिंटा के साथ दुर्व्यवहार और मारपीट के आरोपों में कोर्ट तक जा चुके हैं। नेस को अपने 283 साल परने व्यापारी घराने का अपने पिता के बाद वारिस माना जा रहा था लेकिन सन 1736 में स्थापित इस समूह का यह अधिकार 2011 में जेह वाडिया को दे दिया गया। नेस को एक कम महत्वपूर्ण लेकिन मुनाफेदार कंपनी ‘बॉम्बे बूमराह’ का निदेशक बनाया गया जहां वह अपने प्राश्रिमिक को लेकर सरकार के आगे अनुचित गुहार लगते रहे हैं।

नई दिल्ली: वाडिया समूह के वारिस तथा आईपीएल टीम किंग्स-XI के मालिक नेस वाडियाको जापान की एक अदालत ने कथित रूप से मादक पदार्थ रखने के आरोप में दो साल की सजा सुनाई है. ‘द फाइनेंशियल टाइम्स’ की रिपोर्ट में कहा गया है कि वाडिया वहां छुट्टियां बिताने गये थे और उन्हें मार्च के शुरू में उत्तरी जापान के होकाइडो द्वीप के न्यू चिटोस हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया. वाडिया की जेब से 25 ग्राम मादक पदार्थ ‘कैनबिस रेसिन’ मिला था. इस खबर पर वाडिया समूह के प्रवक्ता ने कहा कि नेस वाडिया भारत में हैं.

प्रवक्ता ने कहा कि यह फैसला स्पष्ट है. यह सजा निलंबित है.  ऐसे में फिलहाल नेस वाडिया को समूह के भीतर और बाहर अपनी जिम्मेदारियां निभाने में कोई दिक्कत नहीं आएगी. खबरों में कहा गया है कि सापोरो जिला अदालत ने वाडिया को दो साल की सजा सुनवाई है. सजा को हालांकि पांच साल के लिए निलंबित रखा गया है.

वाडिया को 20 मार्च को सजा सुनाई गई.  उससे पहले वह हिरासत में रहे. हालांकि, हिरासत की अवधि के बारे में पता नहीं चला है. नेस वाडिया समूह की प्रमुख कंपनियों बांबे डाइंग, बांबे बुरमाह ट्रेडिंग कॉरपोरेशन आदि में निदेशक हैं.