कर्णाटक संकट : इस्तीफ़ों की राजनीति

शनिवार को सत्‍तारूढ़ कांग्रेस-जेडीएस के जिन 11 विधायकों ने एक साथ इस्‍तीफा दिया है, वे सब अलग-अलग कारणों से अपनी संबंधित पार्टियों से नाराज रहे हैं. कांग्रेस से इस्‍तीफा देने वाले ज्‍यादातर बागी विधायक पूर्व मुख्‍यमंत्री सिद्धारमैया के करीबी हैं. इस कारण सरकार पर मंडराते संकट के लिए परोक्ष रूप से सिद्धारमैया को जिम्‍मेदार ठहराया जा रहा है.

बेंगलुरू: शनिवार को कर्नाटक की सत्‍तारूढ़ कांग्रेस-जेडीएस सरकार के जिन 11 विधायकों ने एक साथ इस्‍तीफा दिया है, वे सब अलग-अलग कारणों से अपनी संबंधित पार्टियों से नाराज रहे हैं. त्‍यागपत्र देने वाले कांग्रेस पार्टी के विधायकों की संख्‍या 9 है और सबकी नाराजगी गठबंधन सरकार की कार्यशैली से है. इनमें से ज्‍यादातर विधायकों की शिकायत इस बात से है कि मंत्रीपद के लिए उनकी अनदेखी की गई. कांग्रेस से इस्‍तीफा देने वाले ज्‍यादातर बागी विधायक पूर्व मुख्‍यमंत्री सिद्धारमैया के करीबी हैं. इस कारण सरकार पर मंडराते संकट के लिए परोक्ष रूप से सिद्धारमैया को जिम्‍मेदार ठहराया जा रहा है.

रामलिंगा रेड्डी
इसमें सबसे बड़ा नाम रामलिंगा रेड्डी का है जो सिद्धारमैया सरकार में गृह मंत्री रह चुके हैं. उनको इस बार मंत्री पद नहीं दिया गया. रामलिंगा रेड्डी के साथ कम से कम तीन विधायक हैं जो रामलिंगा रेड्डी के गुट के हैं जो इस समय रामलिंगा रेड्डी के साथ हैं. सूत्रों के हवाले से ये भी खबर है कि यदि कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम सिद्धारमैया को मुख्‍यमंत्री बनाया जाता है तो इस धड़े को वापस लाया जा सकता है.

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रमेश जरकेहोली
वहीं कांग्रेस के दूसरे धड़े का नेतृत्व रमेश जरकेहोली कर रहे हैं. गोकाक से विधायक रमेश से मंत्री पद छीन कर उनके सगे भाई सतीश जरकेहोली को दे दिया गया था. रमेश तब से ही पार्टी से नाराज चल रहे हैं और लगातार इस्तीफा देने की धमकी देते रहे हैं. इस समय में उनके साथ 4 अन्‍य बागी विधायक हैं और माना जा रहा है कि इस्तीफा स्‍वीकार होने के बाद ये गुट भाजपा में शामिल हो सकता है.

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एच विश्वनाथ
जेडीएस के तीन विधायकों का नेतृत्‍व एच विश्वनाथ कर रहे हैं. एक दौर में सिद्धारमैया को कांग्रेस पार्टी में शामिल कराने का श्रेय विश्वनाथ को जाता है पर जैसे-जैसे सिद्धारमैया कांग्रेस में मजबूत होते गये, वैसे-वैसे विश्वनाथ की अनदेखी करते रहे. नाराज विश्वनाथ जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) में शामिल हो गए. जेडीएस ने उनको प्रदेश अध्यक्ष तो बनाया पर इसके बावजूद अध्यक्ष के रूप में उन्हें न तो कोऑर्डिनेशन कमेटी में शामिल किया गया और ना ही मंत्री पद दिया गया. विश्वनाथ इन सबके पीछे सिद्धारमैया को दोषी मानते हैं. यही वजह है कि वो भी अपने समर्थक विधायकों के साथ इस सरकार को गिराना चाहते हैं.  

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दलगत स्थिति
इस सियासी उठापटक के बीच यदि विधानसभा की दलगत स्थिति को देखा जाए तो स्‍पीकर को मिलाकर कुल 225 सीटें हैं. इस लिहाज से बहुमत का आंकड़ा 113 सीटों का होगा.
यदि इसमें से स्पीकर को हटा दें तो कुल सीटें 224 होंगी.

मौजूदा स्थिति
BJP-105
कांग्रेस-79
जेडीएस-37
BSP-1
निर्दलीय -1
नॉमिनेटेड-1( वोट का अधिकार नहीं)

उल्‍लेखनीय है कि कांग्रेस के 78 में से अब तक 9 विधायक इस्तीफा दे चुके हैं. ( इनमें से आनंद सिंह पहले ही इस्‍तीफा दे चुके हैं, बाकी 8 ने शनिवार को इस्‍तीफा दिया). दूसरी तरफ JDS के 37 में से 3 विधायकों ने इस्‍तीफा दिया.

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सूत्रों के मुताबिक बागी तेवर अपनाने वाले ज्‍यादातर कांग्रेसी विधायक पूर्व मुख्‍यमंत्री सिद्धारमैया के करीबी हैं. इन वजहों से कयास लगाए जा रहे हैं कि इस पूरे घटनाक्रम के पीछे कहीं उनका हाथ तो नहीं है? सिद्धारमैया कांग्रेस विधायक दल के नेता हैं और कर्नाटक कांग्रेस के सबसे मजबूत नेता माने जाते हैं, दूसरी ओर एक मत यह भी है की कॉंग्रेस का इतिहास है की वह राजनैतिक अस्थिरता पैदा करने में माहिर रही है। इस बार यह खेल मल्लिकार्जुन खडगे के लिए खेला जा रहा है। कहा जाता है की मल्लिकार्जुन खडगे की अकूत संपत्ति पर कहीं जांच न बैठ जाये इसीलिए उन्हे सत्ता में बनाए रखना ज़रूरी हो गया है, वैसे भी काँग्रेस सत्ता से दूर नहीं रहना चाहते।

बेंगलुरू: 11 कांग्रेस-जेडीएस विधायकों के इस्‍तीफे के बाद एचडी कुमारस्‍वामी के नेतृत्‍व में कर्नाटक की गठबंधन सरकार के अस्तित्‍व पर संकट मंडरा रहा है. सूत्रों के मुताबिक बागी तेवर अपनाने वाले ज्‍यादातर कांग्रेसी विधायक पूर्व मुख्‍यमंत्री सिद्धारमैया के करीबी हैं. इन वजहों से कयास लगाए जा रहे हैं कि इस पूरे घटनाक्रम के पीछे कहीं उनका हाथ तो नहीं है? सिद्धारमैया कांग्रेस विधायक दल के नेता हैं और कर्नाटक कांग्रेस के सबसे मजबूत नेता माने जाते हैं. इससे पहले भी गठबंधन सरकार के समक्ष राजनीतिक अस्थिरता आती रही है तो जेडीएस उसके पीछे परोक्ष रूप से सिद्धारमैया को जिम्‍मेदार ठहराते रहे हैं.

इस बीच जेडीएस सत्‍ता को बचाने की पूरी कोशिशों में लगी है. सूत्रों के मुताबिक कहा जा रहा है कि इस कवायद में यदि मुख्‍यमंत्री का पद जेडीएस के हाथों से निकलकर कांग्रेस के पास चला जाए तो इस फॉर्मूले पर भी जेडीएस नेता सहमत हो सकते हैं. इस संदर्भ में ही जेडीएस के बड़े नेता और चामुंडेश्‍वरी से विधायक जीटी देवगौड़ा ने कहा, ‘सिद्धारमैया को मुख्‍यमंत्री बनाने पर कोई आपत्ति नहीं’ है. उन्‍होंने कहा कि इस सिलसिले में जेडीएस-कांग्रेस की समन्‍वय समिति का फैसला मंजूर होगा.

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गौरतलब है कि चामुंडेश्वरी, सिद्धारमैया की पारंपरिक सीट मानी जाती रही है लेकिन विधानसभा चुनाव में जीटी देवगौड़ा ने सिद्धारमैया को हराया था. देवगौड़ा ने ये भी कहा कि यदि पार्टी ने कहा तो वह अपनी सीट से इस्‍तीफा देने को भी तैयार हैं.

जीटी देवगौड़ा, जेडीएस पार्टी के शीर्ष नेतृत्‍व यानी एचडी देवगौड़ा परिवार के काफी करीबी हैं. एचडी देवगौड़ा परिवार और सिद्धारमैया के बीच बिल्‍कुल नहीं बनती. पहले सिद्धारमैया जेडीएस में ही थे लेकिन जब एचडी देवगौड़ा के बेटे एचडी कुमारस्‍वामी ने पार्टी की कमान संभाली तो सिद्धारमैया पार्टी में हाशिए पर चले गए. बाद में वह पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए. उसके बाद देवगौड़ा परिवार और सिद्धारमैया के रिश्‍ते कभी सहज नहीं रहे. उसकी बानगी इस बात से भी समझी जा सकती है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में जेडीएस ने सिद्धारमैया की सीट चामुंडेश्‍वरी से अपने मजबूत नेता जीटी देवगौड़ा को उतार दिया. जीटी देवगौड़ा जीत गए लेकिन कुमारस्‍वामी और सिद्धारमैया के रिश्‍ते तल्‍ख हो गए.

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कांग्रेस विधायक दल की बैठक
इस बीच बागियों के इस्‍तीफे के मद्देनजर मंगलवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक होने जा रही है. बैठक में शामिल होने के लिए कांग्रेस ने सर्कुलर जारी किया है. इसमें सभी विधायकों को कांग्रेस ने चेतावनी देते हुए कहा है कि बैठक में शामिल नहीं होने पर कड़ी कार्रवाई संभव है. विधायक दल की बैठक में सिद्धारमैया शामिल होंगे. इसमें कर्नाटक कांग्रेस प्रभारी केसी वेणुगोपाल और कर्नाटक कांग्रेस प्रमुख दिनेश गुंडू राव भी शामिल होंगे.

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कर्नाटक के मुख्‍यमंत्री एचडी कुमारस्‍वामी ने कहा है कि हम इस मामले को जल्‍दी सुलझा लेंगे. सरकार चलती रहेगी. वहीं नागेश ने राजभवन जाकर राज्‍यपाल वजूभाई वाला को अपना इस्‍तीफा पत्र सौंपा. नागेश ने अपने पत्र में लिखा है कि मैं कर्नाटक की कुमारस्‍वामी सरकार से समर्थन वापस लेता हूं. भविष्‍य में अगर बीजेपी की ओर से ऑफर मिलता है तो मैं बीजेपी सरकार को सपोर्ट करने को तैयार हूं. 

नई दिल्‍ली : कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस सरकार को बचाने की कवायद जोरों पर है. कर्नाटक के मुख्‍यमंत्री एचडी कुमारस्‍वामी ने कहा है कि हम इस मामले को जल्‍दी सुलझा लेंगे. सरकार चलती रहेगी. इससे पहलेे कर्नाटक के मंत्री और निर्दलीय विधायक नागेश ने मंत्री पद से इस्‍तीफा दे दिया है. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक कर्नाटक सरकार में शामिल सभी जेडीएस और कांग्रेस के मंत्रियों ने पद से इस्‍तीफा दे दिया है. कहा जा रहा है कि अब कैबिनेट का पुनर्गठन होगा. कांग्रेस के मंत्रियों की संख्‍या 21 है. इसकी पुष्टि नेे भी सिद्धारमैया ने की है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कहा है कि कर्नाटक में जो कुछ भी हो रहा है, उसमें बीजेपी का हाथ नहीं है. हमारी पार्टी खरीद-फरोख्‍त नहीं करती है.

वहीं नागेश ने राजभवन जाकर राज्‍यपाल वजूभाई वाला को अपना इस्‍तीफा पत्र सौंपा. नागेश ने अपने पत्र में लिखा है कि मैं कर्नाटक की कुमारस्‍वामी सरकार से समर्थन वापस लेता हूं. भविष्‍य में अगर बीजेपी की ओर से ऑफर मिलता है तो मैं बीजेपी सरकार को सपोर्ट करने को तैयार हूं. 

इस्‍तीफा देने के बाद नागेश विशेष विमान से मुंबई के लिए रवाना हो गए हैं. बता दें कि इस्‍तीफा दे चुके कांग्रेस-जेडीएस के असंतुष्‍ट विधायक मुंबई में ही मौजूद हैं. उन्‍हें वहां एक होटल में ठहराया गया है.

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सोमवार सुबह कर्नाटक सरकार में शामिल सभी कांग्रेस मंत्रियों को डिप्‍टी सीएम जी परमेश्‍वर ने अपने घर पर ब्रेकफास्‍ट पर बुलाया था. सूत्रों के अनुसार जी परमेश्‍वर की ओर से सभी कांग्रेस मंत्रियों को इस्‍तीफा देने के लिए कहा जाना था. ताकि कांग्रेस-जेडीएस के असंतुष्‍ट विधायकों को मंत्री पद ऑफर किया जा सके. इसी क्रम में कांग्रेस सांसद डी के सुरेश ने दावा किया था कि कर्नाटक सरकार में शामिल सभी कांग्रेस मंत्री इस्‍तीफा देने जा रहे हैं. 

बीजेपी नेता शोभा करंदलजे ने सोमवार को बीएस येदियुरप्‍पा के आवास पहुंचकर मुलाकात की. इसके बाद उन्‍होंने कहा कि कर्नाटक के मुख्‍यमंत्री एचडी कुमारस्‍वामी को भी सीएम पद से इस्‍तीफा दे देना चाहिए. वह बहुमत खो रहे हैं. कांग्रेस विधायकों ने इस्‍तीफा दे दिया है. वे कर्नाटक में दूसरी सरकार के लिए रास्‍ता बना रहे हैं. उन्‍होंने कहा कि नागेश का बीजेपी में स्‍वागत है. बीजेपी कांग्रेस और जेडीएस के असंतुष्‍ट विधायकों के साथ किसी तरह के संपर्क में नहीं है.

नागेश समेत कुल 13 विधायकों ने इस्‍तीफा दे दिया है. इसके साथ ही बागी विधायकों की कुल संख्‍या बढ़कर 14 (एक विधायक ने पहले ही इस्‍तीफा दे दिया था) हो गई है. अब इस तरह विधानसभा में संख्‍याबल के लिहाज से देखें तो एक तरह से टाई मैच हो गया है. ऐसा इसलिए क्‍योंकि यदि ये इस्‍तीफे स्‍वीकार हो जाते हैं तो विधानसभा में सदस्‍यों की संख्‍या 210 रह जाएगी.

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बीजेपी के पास 105 विधायक हैं और इस सूरतेहाल में उसके पास बहुमत के लिए 1 वोट की कमी होगी. ऐसे मौके पर स्‍पीकर का वोट अहम हो जाएगा. इसलिए माना जा रहा है कि बीजेपी अभी देखो और इंतजार करो की रणनीति पर काम कर रही है. 

मुख्‍यमंत्री एचडी कुमारस्‍वामी रविवार देर शाम अमेरिका से बेंगलुरु पहुंचे. उन्‍होंने जेडीएस के विधायकों के साथ अहम मीटिंग की. उन्‍होंने उपमुख्‍यमंत्री और कांग्रेस नेता जी परमेश्‍वर के साथ भी बैठक की. सूत्रों के अनुसार कांग्रेस और जेडीएस के इस्‍तीफा दे चुके विधायकों को मनाने के लिए अब उन्‍हें मंत्री पद का ऑफर देने पर विचार हो रहा है. 

जी परमेश्‍वर के आवास पर ब्रेकफास्‍ट के लिए पहुंचे मंत्रियों में यूटी खादर, शिवशंकर रेड्डी, वेंकटरमनप्‍पा, जयमला, एमबी पाटिल, कृष्‍णा गौड़ा, राजशेखर पाटिल, डीके शिवकुमार शामिल हैं. कांग्रेस नेता सिद्धारमैया भी जी परमेश्‍वर के घर पर मौजूद रहे.

9 जुलाई को कर्नाटक कांग्रेस दल की बैठक भी बुलाई गई है. इस बैठक को लेकर कांग्रेस ने सभी विधायकों को सर्कुलर जारी किया है. इसमें पार्टी की ओर से चेतावनी दी गई है कि जो भी विधायक इस बैठक में शामिल नहीं होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

उधर मुंबई गए 10 विधायकों ने बेंगलुरु लौटने से इनकार कर दिया है. दरअसल कहा जा रहा है कि कांग्रेस अपने मंत्र‍ियों से इस्‍तीफा लेकर मुंबई में रूठकर बैठे विधायकों को मंत्री पद का ऑफर देकर वापस बुला सकती है. इस संकट के पीछे सबसे बड़ा कारण असंतोष है. कई विधायक लंबे समय से मंत्री बनाए जाने की मांग कर रहे थे. जब उनकी बात नहीं सुनी गई तो विद्रोह भड़क गया. वहीं विधानसभा स्‍पीकर की ओर से इन विधायकों के इस्‍तीफे की जांच मंगलवार को की जानी है.

कर्नाटक कांग्रेस ने पार्टी के नौ बागी विधायकों के शनिवार के इस्तीफे के बाद इस संकट से निपटने के लिए नौ जुलाई को अपने सभी 78 विधायकों की बैठक बुलाई है. इससे पहले कांग्रेस के विधायक आनंद सिंह (विजयनगर) ने एक जुलाई को इस्तीफा दे दिया था, जिसे मिलाकर बागी विधायकों की संख्या 10 हो गई है.

कांग्रेस प्रवक्ता रवि गौड़ा ने कहा, “कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेता सिद्धारमैया ने सभी विधायकों को निर्देश दिया है कि वे मंगलवार (नौ जुलाई) को सुबह 9.30 बजे विधानसभा भवन के कॉन्फ्रेंस हॉल में सभी मुद्दों पर चर्चा करें, जिसमें शनिवार को इस्तीफा देने वालों की चिंताएं भी शामिल हैं.”

कांग्रेस अब मुंबई में बैठे रूठे विधायकों को मंत्री पद का ऑफर देकर उन्‍हें वापस बुला सकती है

कांग्रेस अब मुंबई में बैठे रूठे विधायकों को मंत्री पद का ऑफर देकर उन्‍हें वापस बुला सकती है. कई विधायक लंबे समय से मंत्री बनाए जाने की मांग कर रहे हैं. अब सोमवार को जी परमेश्‍वर ने सरकार में शामिल सभी कांग्रेस के मंत्र‍ियों को ब्रेकफास्‍ट पर बुलाया है. सूत्रों के अनुसार, वह मंत्र‍ियों से इस्‍तीफा देने को कह सकते हैं. दरअसल कहा जा रहा है कि कांग्रेस अपने मंत्र‍ियों से इस्‍तीफा देकर मुंबई में रूठकर बैठे विधायकों को मंत्री पद का ऑफर देकर वापस बुला सकती है

बेंगलुरु/नई दिल्‍ली: कर्नाटक सरकार पर मंडरा रहे खतरे के बादल और गहरे होते जा रहे हैं. रविवार को मुख्‍यमंत्री एचडी कुमारस्‍वामी अमेरिका से बेंगलुरु पहुंचे. यहां पर उन्‍होंने अपनी पार्टी के विधायकों के साथ होटल में मीटिंग की. कर्नाटक के उपमुख्‍यमंत्री और कांग्रेस नेता जी परमेश्‍वर के साथ भी उनकी मीटिंग हुई, लेकिन कोई स्‍पष्‍ट नतीजा नहीं निकला है. उधर मुंबई गए 10 विधायकों ने बेंगलुरु लौटने से इनकार कर दिया है. वह इस्‍तीफे पर अड़े हैं. अब सोमवार को जी परमेश्‍वर ने सरकार में शामिल सभी कांग्रेस के मंत्र‍ियों को ब्रेकफास्‍ट पर बुलाया है. सूत्रों के अनुसार, वह मंत्र‍ियों से इस्‍तीफा देने को कह सकते हैं.

दरअसल कहा जा रहा है कि कांग्रेस अपने मंत्र‍ियों से इस्‍तीफा देकर मुंबई में रूठकर बैठे विधायकों को मंत्री पद का ऑफर देकर वापस बुला सकती है. इस संकट के पीछे सबसे बड़ा कारण असंतोष है. कई विधायक लंबे समय से मंत्री बनाए जाने की मांग कर रहे थे. जब उनकी बात नहीं सुनी गई तो विद्रोह भड़क गया.

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कर्नाटक कांग्रेस ने विधायकों की मंगलवार को बैठक बुलाई
कर्नाटक कांग्रेस ने पार्टी के नौ बागी विधायकों के शनिवार के इस्तीफे के बाद इस संकट से निपटने के लिए नौ जुलाई को अपने सभी 78 विधायकों की बैठक बुलाई है. इससे पहले कांग्रेस के विधायक आनंद सिंह (विजयनगर) ने एक जुलाई को इस्तीफा दे दिया था, जिसे मिलाकर बागी विधायकों की संख्या 10 हो गई है.

कांग्रेस प्रवक्ता रवि गौड़ा ने कहा, “कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेता सिद्धारमैया ने सभी विधायकों को निर्देश दिया है कि वे मंगलवार (नौ जुलाई) को सुबह 9.30 बजे विधानसभा भवन के कॉन्फ्रेंस हॉल में सभी मुद्दों पर चर्चा करें, जिसमें शनिवार को इस्तीफा देने वालों की चिंताएं भी शामिल हैं.”

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सीएलपी बैठक आयोजित करने का निर्णय पार्टी की राज्य इकाई के नेताओं की बैठक में लिया गया, जिसमें सिद्धारमैया, उपमुख्यमंत्री जी. परमेस्वरा, पार्टी की राज्य इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष ईशर कंद्रे और पार्टी के कर्नाटक प्रभारी के.सी. वेणुगोपाल शामिल रहे. गौड़ा ने कहा, “पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव और मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे वरिष्ठ पार्टी नेता भी बैठक में भाग लेंगे.”

विधानसभा अध्यक्ष के.आर. रमेश कुमार मंगलवार को ही विधायकों के त्याग-पत्रों पर गौर करेंगे. विधायकों ने कुमार की अनुपस्थिति में अपने इस्तीफे उनके निजी सचिव को सौंप दिए थे. इनमें नौ कांग्रेस और तीन जनता दल (सेक्युलर) के विधायकों के इस्तीफे हैं.

कैप्टन का ब्यान, उसके मायने और नतीजे

पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा कि इस्तीफे पर अड़े रहने का राहुल का निर्णय पार्टी के लिए एक बड़ी निराशा और झटका है, जिससे केवल कोई युवा नेतृत्व ही उबार सकता है.  कैप्टन के ब्यान के बाद कॉंग्रेस में होड़ लगी है कि “कौन बनेगा नया अध्यक्ष”? माने क्या लिए गए कि एक राजवंश से किसी दूसरे राजवंश को कांग्रेस की कमान सोंप दी जाये। इसी सिलसिले में पायलट, सिंधिया, मिलिंद इत्यादि के नाम सामने आने लग पड़े। होना यह चाहिए था कि कॉंग्रेस जिसे मोदी से टक्कर लेनी है उस कॉंग्रेस को किसी साधारण पृषठ्भूमी से होनहार युवा नेता का चयन करना चाहिए और यदि वह दक्षिण भारतीय होने के साथ साथ हिन्दी भाषी हो तो सोने पे सुहागा होगा। लेकिन होगा क्या, यह सब जानते हैं। काँग्रेस फिर से एक नया मनमोहन सिंह चुनेंगे जो 10 जनपथ द्वारा नियंत्रित किया जा सके।

चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने शनिवार को इस बात की वकालत की कि राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफे के बाद पार्टी की कमान किसी युवा नेता को सौंप देनी चाहिए.

देश में बड़ी और बढ़ती युवा आबादी की ओर इशारा करते हुए, मुख्यमंत्री ने कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) से राहुल की जगह किसी करिश्माई अगली पीढ़ी के नेता की तलाश करने का आग्रह किया, जिसकी पूरे भारत में स्वीकार्यता हो और जमीनी स्तर पर अपनी मौजदूगी से लोगों को उत्साहित कर सके.

‘युवा नेता लोगों की आकांक्षाओं से अधिक प्रभावी ढंग से जुड़ सकेगा’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘राहुल ने युवा नेतृत्व के पार्टी की बागडोर लेने और इसे और अधिक ऊंचाइयों पर पहुंचाने का मार्ग दिखाया था.’ उन्होंने कहा कि भारत की सबसे बड़ी युवा आबादी के मामले में दुनिया में अग्रणी बनने के साथ स्वाभाविक है कि एक युवा नेता लोगों की इच्छाओं और आकांक्षाओं से अधिक प्रभावी ढंग से जुड़ सकेगा और उन्हें समझ सकेगा. 

सिंह ने एक बयान में कहा कि पार्टी नेतृत्व में किसी भी बदलाव से 65 प्रतिशत आबादी के 35 वर्ष की उम्र का होने के साथ भारत की सामाजिक वास्तविकता को प्रतिबिंबित करना चाहिए.  उन्होंने कहा कि इस्तीफे पर अड़े रहने का राहुल का निर्णय पार्टी के लिए एक बड़ी निराशा और झटका है, जिससे केवल कोई युवा नेतृत्व ही उबार सकता है. 

‘सिर्फ एक युवा नेता ही पार्टी को फिर से उभार सकता है’ 
उन्होंने कहा कि सिर्फ एक युवा नेता ही पार्टी को फिर से उभार सकता है. उन्होंने कहा कि पार्टी का नेतृत्व ऐसा होना चाहिए कि वह राष्ट्र की उभरती आकांक्षाओं के प्रति अपनी दूरदृष्टि  का अहसास दिखाए.

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘एक युवा नेता, एक दूरदर्शी दृष्टिकोण के साथ, न केवल भारत की युवा आबादी के बड़े हिस्से के साथ अच्छे से जुड़ सकेगा, बल्कि पार्टी को नए सिरे से सोच के साथ विकसित करेगा, राष्ट्र को सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रतिगामी और विभाजनकारी नीतियों से अलग करने की सख्त आवश्यकता है.’

सिंह ने कहा कि पार्टी के अनुभवी दिग्गज नेताओं के मार्गदर्शन में, एक युवा नेता, एक दूरदर्शी दृष्टिकोण और आधुनिक दृष्टिकोण के साथ, एक नए भारत के जन्म का मार्ग प्रशस्त करेगा..अधिक जीवंत, गतिशील और प्रगतिशील.

उन्होंने कहा कि समय आ गया है जब वरिष्ठ नेता नए नेताओं के लिए रास्ता साफ करें, जिसके बिना कांग्रेस आज की चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना नहीं कर सकती है.

सदस्यता अभियान के पहले ही दिन भाजपा के हाथ लगी बड़ी कामयाबी

बीजेपी के सदस्यता अभियान के पहले दिन दक्षिण भारत के दो बड़े चेहरों ने पार्टी का दामन थाम लिया. इनमें एक एन भास्करा राव हैं और दूसरी हैं अंजू बॉबी जॉर्ज.

नई दिल्ली: 

लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी प्रचंड बहुमत के साथ केंद्र में दोबारा सत्ता पर काबिज हुई. केंद्र में सरकार बनने के एक महीने के भीतर ही बीजेपी ने 2019 के लिए सदस्यता अभियान की शुरुआत करने की घोषणा कर दी थी. वहीं, बीजेपी की ओर से शनिवार को इस सदस्यता अभियान की शुरूआत की गई. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्विटर पर पार्टी के इस अभियान की जानकारी देते हुए कहा कि जन संघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर ‘संगठन पर्व-सदस्यता अभियान’ 2019 की शुरुआत करने का निर्णय किया है. दरअसल, अमित शाह शनिवार को हैदराबाद पहुंचे और तेलंगाना के रंगारेड्डी जिले में उन्होंने बीजेपी के सदस्यता अभियान की शुरुआत की.

वहीं, बीजेपी को सदस्यता अभियान के पहले ही दिन बड़ी कामयाबी मिली है. दरअसल, बीजेपी के सदस्यता अभियान के पहले दिन दक्षिण भारत के दो बड़े चेहरों ने पार्टी का दामन थाम लिया. इनमें एक एन भास्करा राव हैं और दूसरी हैं अंजू बॉबी जॉर्ज. बता दें कि अमित शाह के रंगारेड्डी में हुए कार्यक्रम में आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन भास्करा राव बीजेपी में शामिल हुए. वहीं, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की उपस्थिति में एथलीट अंजू बॉबी जॉर्ज ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की. अंजू बॉबी जॉर्ज वह शख्सियत हैं, जिन्होंने भारत को एथलेटिक्स में पहला अंतर्राष्ट्रीय मेडल दिलाया था. उन्होंने 2003 में पेरिस में हुई वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था.

काँग्रेस के कर्नाटक संकट के पीछे कहीं सिद्दरमइया ही न हों

कर्नाटक सरकार पर संकट के पीछे कांग्रेस के ही एक बड़े नेता और पूर्व मुख्‍यमंत्री सिद्धारमैया की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं. खुद बीजेपी के नेता और केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है कि इस संकट के लिए सिद्धारमैया जिम्‍मेदार हैं.

नई दिल्‍ली: कांग्रेस और जेडीएस की कर्नाटक में 14 माह पुरानी सरकार खतरे में दिख रही है. दोनों दलों के कुल 14 विधायकों ने इस्‍तीफा दे दिया है. 13 विधायकों ने शनिवार को इस्‍तीफा दिया. इससे पहले एक विधायक अरविंद सिंह पहले ही इस्‍तीफा दे चुके हैं. ऐसे में दोनों दल मिलकर अब बहुमत के आंकड़े से दूर हो गए हैं. अगर इन विधायकों का इस्‍तीफा स्‍वीकार हो जाता है तो सरकार का गिरना तय है. हालांकि कांग्रेस इस संकट के लिए बीजेपी को जिम्‍मेदार बता रही है.

अभी तक जो संकेत मिले हैं, उसमें इस संकट के पीछे कांग्रेस के ही एक बड़े नेता और पूर्व मुख्‍यमंत्री सिद्धारमैया की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं. खुद बीजेपी के नेता और केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है कि इस संकट के लिए सिद्धारमैया जिम्‍मेदार हैं. उन्‍होंने तो इस पूरे घटनाक्रम के पीछे सिद्धारमैया को मास्‍टरमाइंड बताया.

प्रह्लाद जोशी ने कहा, सिद्धारमैया नहीं चाहते कि राज्‍य की राजनीति में एचडी देवेगौड़ा के परिवार से कोई भी आगे बढ़े और राजनीति में अपने पैर जमाए. इसके अलावा वह नहीं चाहते कि कांग्रेस में कोई दूसरी लीडरशिप भी खड़ी हो. जोशी ने कहा, सिद्धारमैया को कांग्रेस के जी परमेश्‍वर जैसे नेताओं से भी खतरा महसूस हो रहा है. इसीलिए वह शुरुआत से ही इस सरकार को अस्‍थ‍िर कर रहे हैं.

जेडीएस से ही कांग्रेस में आए हैं सिद्धारमैया
सिद्धारमैया ने अपनी राजनीति जेडीएस के नेता के तौर पर शुरू की थी. लेकिन बाद में देवेगौड़ा से अनबन के कारण वह कांग्रेस में आ गए. 2013 में कांग्रेस ने जब कर्नाटक में सत्‍ता हासिल की तो वह सिद्धारमैया को मुख्‍यमंत्री बनाया.

कुरबा समुदाय से आते हैं सिद्धारमैया 
कर्नाटक की राजनीति में सिद्धारमैया कुरबा समुदाय से आते हैं. ऐसे में कांग्रेस उनके सहारे राज्‍य की पिछड़ी जातियों को साधती है. कर्नाटक में दो जातियां सबसे प्रभावी हैं. इनमें लिंगायत वोटर्स बीजेपी समर्थक माने जाते हैं तो वोक्‍कालिगा जेडीएस का समर्थन करते हैं.

कांग्रेस विधायक करते रहे सिद्धारमैया को सीएम बनाने की मांग 
कर्नाटक में 2018 में जब चुनाव हुए तो सिद्धारमैया को पूरा यकीन था कि वह चुनाव जीत जाएंगे. लेकिन हुआ इसके ठीक उलट. चुनाव प्रचार के दौरान उन्‍होंने सबसे ज्‍यादा हमला जेडीएस और देवेगौड़ा परिवार पर किया. जब सरकार बनाने की बात आई तो कांग्रेस ने कुमारास्‍वामी को मुख्‍यमंत्री बना दिया. ऐसे में सिद्धारमैया इस सरकार से पूरी तरह से खुश नहीं थे. आए दिन कांग्रेस के विधायक उन्‍हें सीएम बनाने की मांग करते रहे हैं.

कर्णाटक में बन सकती है भाजपा की सरकार: सदानंद्गौड़ा

आज जब असंतुष्ट विधायक इस्तीफा देने पहुंचे तब स्पीकर बेटे को लेने जाने का बहाना बना कर निकल लिए।  कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी देश से बाहर हैं. बताया जा रहा है कि कुमारस्वामी के रविवार को कर्नाटक लौटने की उम्मीद है.

बेंगलुरु: कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन की सरकार के अल्पमत में आने की संभावना बढ़ गई है. दरअसल, शनिवार को कांग्रेस और जेडीएस के 11 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है. इन विधायकों में कांग्रेस के 8 और जेडीएस के 3 विधायक शामिल हैं. न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, केंद्रीय मंत्री सदानंद गौड़ा इस मामले पर कहा है कि विधायकों को लगा होगा कि यह पार्टी छोड़ने का सबसे सही समय है. विधायकों को महसूस हुआ होगा कि अपने विधानसभा क्षेत्र और राज्य की भलाई के लिए उनका अपने पद पर बने रहना सही नहीं है. इसके चलते विधायकों ने इस्तीफा दिया होगा.

सदानंद गौड़ा ने कर्नाटक में बीजेपी की सरकार बनाने के सवाल पर कहा कि प्रदेश में राज्यपाल सबसे बड़ा आधिकारिक पद है. अगर वह संवैधानिक जनादेश के आधार पर हमें बुलाते हैं, तो हम सरकार बनाने के लिए तैयार हैं. हम राज्य में सबसे बड़ी पार्टी हैं और हमारे साथ 105 विधायक हैं. बता दें कि राज्य विधानसभा के स्पीकर रमेश कुमार ने कहा है कि कांग्रेस और जेडीएस के 11 विधायकों का इस्तीफा उनके दफ्तर में आया है. वह फिलहाल छुट्टी पर हैं और इस मामले पर सारी जानकारी सोमवार को ऑफिस जाने पर ही दे सकेंगे. 

कर्नाटक में सरकार बनने पर सीएम के सवाल पर सदानंद गौड़ा मे कहा कि अगर राज्य में बीेजेपी की सरकार बनती है, तो बीएस येदियुरप्पा मुख्यमंत्री होंगे. वहीं, कांग्रेस और जेडीएस विधायकों के इस्तीफे के बाद कर्नाटक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल दिल्ली से बेंगलुरु के लिए रवाना हो गए हैं. वहीं, कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी देश से बाहर हैं. बताया जा रहा है कि कुमारस्वामी के रविवार को कर्नाटक लौटने की उम्मीद है.

दावा किया जा रहा है कि इन विधायकों ने इस्तीफा दिया है.-:
1. प्रताप गोड़ा पाटील, कांग्रेस (Pratapgowda patil)
2. शिवराम हेबार, कांग्रेस (Shivaram Hebbar)
3. रमेश जारखोली, कांग्रेस (Ramesh jarkiholi)
4. गोपालाह, जेडीएस (Gopalaiah)
5. महेश कुमाति हाली, कांग्रेस (Mahesh Kumati Halli)
6. एच विश्वनाथ, जेडीएस (H Vishwanath)
7. नारायण गोड़ा कांग्रेस (Narayan Gowda)
8. बीसी पाटील, कांग्रेस (B c patil)
9. रामलिंगा रेड्डी, कांग्रेस (Ramalinga reddy)
10. सोम्या रेड्डी, कांग्रेस (Sowmya reddy)
11 . बी सुरेश, कांग्रेस (Byrsthi Suresh)
12. मुनिरथना, कांग्रेस (Munirathna)

कर्णाटक संकट: सत्तारूढ़ दल के 11 विधायकों ने दिया इस्तीफा

कर्नाटक में शनिवार को अचानक घटे राजनीतिक घटनाक्रम में सत्तारुढ कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के 12 विधायकों के अध्यक्ष के एन रमेश को इस्तीफा भेजने से राज्य की कुमारस्वामी सरकार के लिए गहरा संकट उत्पन्न हो गया है।

बेंगलुरु: कर्नाटक में मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की अगुवाई वाली कांग्रेस+जेडीएस की सरकार गिर सकती है. शनिवार को कांग्रेस और जेडीएस के 11 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है. राज्य विधानसभा के स्पीकर रमेश कुमार ने कहा कि कांग्रेस और जेडीएस के 11 विधायकों का इस्तीफा उनके दफ्तर में आया है. उन्होंने कहा कि वे रविवार को छुट्टी पर हैं और सोमवार को वह विधानसभा स्थित अपने दफ्तर पहुंचने के बाद ही पूरी स्थिति स्पष्ट कर पाएंगे. उधर कांग्रेस विधायक बीसी पाटिल ने दावा किया है कि दोनों दलों के 14 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है.

स्पीकर रमेश कुमार ने कहा कि उन्हें आज अपनी बेटे को लेने जाना था, इसलिए वह दफ्तर से जल्दी घर आ गए थे. उन्होंने अपने दफ्तर के कर्मचारियों को कहा है कि वह विधायकों का इस्तीफा कबूल कर लें और उन्हें इसकी पावती दे दें. स्पीकर अब सोमवार को दफ्तर जाएंगे तब डिटेल में बातें बता पाएंगे. उन्होंने कहा कि मुझे दफ्तर से सूचना मिली है कि 11 विधायकों का इस्तीफा आ चुका है.

दावा किया जा रहा है कि इन विधायकों ने इस्तीफा दिया है.-:
1. प्रताप गोड़ा पाटील, कांग्रेस (Pratapgowda patil)
2. शिवराम हेबार, कांग्रेस (Shivaram Hebbar)
3. रमेश जारखोली, कांग्रेस (Ramesh jarkiholi)
4. गोपालाह, जेडीएस (Gopalaiah)
5. महेश कुमाति हाली, कांग्रेस (Mahesh Kumati Halli)
6. एच विश्वनाथ, जेडीएस (H Vishwanath)
7. नारायण गोड़ा कांग्रेस (Narayan Gowda)
8. बीसी पाटील, कांग्रेस (B c patil)
9. रामलिंगा रेड्डी, कांग्रेस (Ramalinga reddy)
10. सोम्या रेड्डी, कांग्रेस (Sowmya reddy)
11 . बी सुरेश, कांग्रेस (Byrsthi Suresh)
12. मुनिरथना, कांग्रेस (Munirathna)

कांग्रेस के संकटमोचक के साथ गए 4 विधायक
उधर, बताया जा रहा है कि कर्नाटक में कांग्रेस के संकटमोचक माने जाने वाले डीके शिवकुमार के साथ कांग्रेस के चार विधायक जाते हुए दिखे हैं. रामलिंगा रेड्डी (Ramlinga Reddy ), एसटी सोमशेखर (S T Somshkher), मुन्नी रत्ना (Munni Rathna) और बायरत्ती बिस्वराज (Bayratti Basawraj) डीके शिवकुमार के साथ जाते हुए देखे गए हैं. 

बीजेपी के प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा ने कहा कि कर्नाटक में अनैतिक गठबंधन की सरकार चल रही है. पहले से आशंका थी कि वहां यह सरकार ज्यादा दिन नहीं चल पाएगी. बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है. वहीं कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा कि बीजेपी की सरकारों को गिराने की फितरत रही है. बीजेपी की मौजूदा सरकार गोवा में भी इसी तरह से सरकार बनाई है.

विजय नगर से कांग्रेस विधायक आनंद सिंह पिछले सप्ताह ही विधानसभा से इस्तीफा दे चुके हैं। सूत्रों के अनुसार दो निर्दलीय विधायक जिन्हें हाल ही में मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था उन्होंने भी मंत्रिमंडल में इस्तीफा देने निर्णय लिया है और भारतीय जनता पार्टी के 105 सदस्यों को अपना समर्थन देने का फैसला किया है।

कर्नाटक विधानसभा की 225 सीटें है। जिसमें कांग्रेस के पास 78, जद(एस) के पास 37, दो निर्दलीय और बहुजन समाज पार्टी के पास एक सीट है।

गुजरात की राज्य सभा सीटों पर चुनाव से पहले कॉंग्रेस ने अपने विधायकों को भेजा माउंट आबू

नई दिल्‍ली: गुजरात में पांच जुलाई को दो सीटों के लिए होने जा रहे राज्‍यसभा चुनाव के मद्देनजर विपक्षी कांग्रेस को क्रॉस वोटिंग की आशंका है. इसलिए पार्टी गुजरात के अपने सभी विधायकों को आज शाम बजे गुजरात से राजस्‍थान के माउंट आबू भेजने जा रही है. वर्कशॉप के नाम पर इन विधायकों को वहां रखा जाएगा. उधर पार्टी ने गुजरात राज्यसभा चुनाव की रणनीति बनाने की जिम्मेदारी राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत को दी है. सूत्रों के मुताबिक इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुजरात प्रभारी राजीव सातव से चर्चा भी की है. सूत्रों के मुताबिक सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद अशोक गहलोत राजीव सातव से मिले हैं.

इस बीच कांग्रेस के बागी विधायक अल्‍पेश ठाकोर ने दावा किया है कि 18 विधायक कांग्रेस को छोड़ना चाहते हैं. अल्‍पेश ठाकोर ने इसके साथ ही कहा कि वह माउंट आबू नहीं जाएंगे.

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उल्‍लेखनीय है कि गुजरात विधानसभा में कांग्रेस के 71 विधायक हैं. भाजपा नेताओं अमित शाह और स्‍मृति ईरानी के लोकसभा चुनाव जीतने और राज्‍यसभा से इस्‍तीफा देने के कारण ये सीटें खाली हुई हैं.  इन सीटों के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गुजरात के ओबीसी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष जुगलजी ठाकोर ने ठाकोर ने नामांकन दाखिल किया है.

ठाकोर उत्तर गुजरात के मेहसाणा जिले से हैं, जहां से नरेंद्र मोदी भी हैं. ठाकोर राज्य में ओबीसी समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं. विदेश सचिव के रूप में सेवाएं दे चुके एस जयशंकर को पीएम मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया है और उन्‍हें विदेश मंत्री बनाया गया है. राज्‍यसभा चुनावों में संख्‍याबल के लिहाज से देखा जाए तो भाजपा का पलड़ा भारी दिख रहा है.

राज्यसभा में स्थिति मजबूत करेगा एनडीए
इस बीच राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) इस सप्ताह के अंत में चार और सदस्यों को शामिल कर राज्यसभा में अपनी स्थिति मजबूत करेगा. यह तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के चार और भारतीय राष्ट्रीय लोक दल (आईएनएलडी) के एक सदस्य के शामिल होने के बाद होगा. इसके साथ, राजग के पास 115 सांसद होंगे.

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ये सदस्य बिहार, गुजरात और ओडिशा से हैं. बिहार में, लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) को जगह मिलेगी. गुजरात में भाजपा के खाते में दो और ओडिशा में एक सीट जुड़ जाएगी. भारतीय जनता पार्टी उच्च सदन में 75 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है. कांग्रेस 48 सदस्यों वाली सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है और समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस 13-13 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी गैर-कांग्रेस-गैर भाजपा पार्टी हैं.

24 जुलाई को तमिलनाडु से पांच सीटें खाली होंगी. ये सीपीआई के डी. राजा और अन्नाद्रमुक के के.आर. अर्जुनन, डॉ. आर. लक्ष्मणन, डॉ. वी. मैत्रेयन और टी. रथिनवेल हैं. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के विपरीत, राजग इस बार राज्यसभा में कम बाधाओं की उम्मीद कर रहा है. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर राज्यसभा में अपने भाषण में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि विधेयकों को मंजूरी देने में बाधा डालकर लोगों के जनादेश को नहीं दबाया जाना चाहिए.