कई महीनों से हवाला केस के आरोप में जांच चल रही थी, ED ने गिरफ्तार किया

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता सत्येंद्र जैन को ED ने गिरफ्तार कर लिया है। सूत्रों ने बताया कि ईडी ने केजरीवाल सरकार में मंत्री सत्येंद्र जैन को हिरासत में लिया और इसके बाद मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पूछताछ की। इसके कुछ देर बार उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

नयी दिल्ली(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट:

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को हवाला मामले में ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है। ईडी की इस कार्रवाई से दिल्ली की केजरीवाल सरकार का बड़ा झटका लगा है।  सत्येंद्र जैन ने गिरफ्तारी के मामले पर भारतीय जनता पार्टी पर तीखा हमला किया है। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा को लगता है कि हम भी पंजाब के मुख्यमंत्री की तरह चन्नी जी की तरह डर जायेंगे तो वो गलत हैं। मैं चुनौती देता हूं भाजपा को कि वह ईडी (ED) के साथ-साथ सीबीआई (CBI), इनकम टैक्स (Income Tax) सबको भेज दें, हम किसी से नहीं डरते।

इससे पहले सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने पंजाब से चुनाव प्रचार के बाद लौटते ही केंद्र सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि हमें सूत्रों से पता चला है कि भाजपा सरकार हमारे स्वास्थ्य मंत्री को गिरफ्तार करवा सकती है। सीएम अपने डिजिटल प्रेसवार्ता में कहे कि यह गिरफ्तारी पांच राज्यों में चुनावों के मद्देनजर हो सकती है। हालांकि सत्येंद्र जैन ने भी अपनी गिरफ्तारी को लेकर केंद्र सरकार पर हमला किया है।

केजरीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार ईडी के साथ-साथ और भी एजेंसी भेजना चाहे जैसे सीबीआई और इनकम टैक्स आदि तो इनको भी भेज सकती है. वह और लोगों को भी गिरफ्तार करना चाहे केवल सत्येंद्र जैन ही नहीं आम आदमी पार्टी के किसी अन्य व्यक्ति को भी गिरफ्तार करना चाहे तो कर सकते हैं. क्योंकि हमने कोई गलत काम किया नहीं है हम सब के ऊपर पहले रेड हो चुकी है. केजरीवाल ने कहा कि हमारे 21 विधायकों को गिरफ्तार किया जा चुका है. उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के ऊपर भी रेड डाली जा चुकी है. सत्येंद्र जैन के मामले में भी क्या होगा. उनकी गिरफ्तारी की जाएगी पांच 10 दिन में उनकी बेल हो जाएगी और वह बाहर आ जाएंगे जेल से बाहर आ जाएंगे. केजरीवाल ने कहा कि हम चन्नी जी की तरह रोएंगे नहीं हम चन्नी जी की तरह बौखलाएंगे नहीं. हमने कोई गलत काम नहीं किया इसलिए हमें इसका कोई डर नहीं है. केवल सत्येंद्र जैन क्यों आप मेरे पास भी आइए.

बता दें कि पांच राज्यों में चुनाव से पहले बीते कुछ दिनों से केंद्रीय एजेंसियां जैसे ईडी और इनकम टैक्स वाले एक्टिव हैं। यूपी में हाल के दिनों में ही ईडी की रेड मीडिया की काफी सुर्खियों में रही जिसके कारण समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने केंद्र पर जमकर हमला किया। वहीं पंजाब में सीएम चन्नी के रिश्तेदार के घर भी छापे में करोड़ों रुपये में मिले जिसके बाद से ही भाजपा पर अन्य दलों ने हमला कर दिया है। सभी दलों का यही कहना है कि चुनावी मौसम में यह केंद्रीय एजेंसियां सरकार के कहने पर अन्य दलों को परेशान कर रही हैं वहीं सरकार ने ऐसे आरोपों से इनकार किया है।

बंगाल में अब मुख्य मंत्री होंगी विश्वविद्यालयों की कुलपति

बंगाल में सीएम ममता और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच विवाद नया नहीं है। कई मुद्दों पर दोनों के बीच तनातनी की स्थिति बनी हुई है। ममता राज्यपाल पर सीधे केंद्र के आदेश थोपने का आरोप लगाती हैं। वहीं, राज्यपाल कहते हैं कि वह जो भी कार्य करते हैं वह संविधान के मुताबिक होता है। चाहे बात विधानसभा का सत्र बुलाने की हो या किसी नए विधायक को शपथ दिलाने की, बंगाल में तकरीबन हर मामले पर सियासी विवाद पैदा हो जाता है। चुनाव बाद राज्य में में हुई हिंसा को लेकर भी सीएम और राज्यपाल में टकराव हुआ था। 

नई दिल्ली:

पश्चिम बंगाल में सरकार और राज्यपाल के बीच विवाद जगजाहिर है, लेकिन अब राज्य सरकार और गवर्नर के बीच विवाद और बढ़ता जा रहा है। अब ममता बनर्जी सरकार ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ के खिलाफ एक और दांव चल दिया है। राज्य सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए मुख्यमंत्री को राज्यपाल की जगह विश्वविद्यालय का कुलपति बनाए जाने का निर्णय लिया है। प्रदेश के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

विधानसभा में पेश किया जाएगा बिल

शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने कहा कि कैबिनेट की बैठक में फैसला लिया गया है कि राज्य सरकार द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों में कुलपति अब गर्वनर न होकर मुख्यमंत्री होंगी। उन्होंने जल्द ही विधानसभा में कानून में बदलाव करके इसे लागू कर दिया जाएगा। आपको बता दें कि इससे पहले राज्य सरकार द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों में कुलपति राज्यपाल होते थे और वही विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति करते थे.

ममता बनर्जी की सरकार का कहना था कि कुलपति की नियुक्तियों के लिए राज्यपाल के पास नाम भेजे जाते हैं लेकिन मंजुरी नहीं मिलती है। अब विधानसभा में एक नया बिल लाया जाएगा। इसके बाद कानून में संशोधन किया जाएगा। इसी तरह का फैसला तमिलनाडु की सरकार ने भी लिया था। तमिलनाडु में विधानसभा में बिल पेश करके राज्यपाल से कुलपतियों की नियुक्ति का अधिकार छीन लिया गया था।

तमिलनाडु के सीएम ने उदाहरण दिया था कि पीएम मोदी के गृह राज्य गुजरात में भी कुलपतियों की नियुक्ति राज्यपाल नहीं बल्कि राज्य सरकार करती है। उन्होंने कहा था कि कर्नाटक सहित अन्य कई राज्यों में भी ऐसा ही होता है। 

आठ साल 8 छल बीजेपी विफल : कॉंग्रेस

आज ही के दिन आठ साल पहले  26 मई 2014 को  मोदी युग की शुरुआत हुई थी। महंगाई, भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर चुनाव में उतरी बीजेपी के अगुवाई वाले एनडीए को प्रचंड बहुमत मिला और नरेंद्र मोदी पीएम बने। 26 मई 2014 को पीएम नरेंद्र मोदी ने पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। लोकसभा चुनाव में पेट्रोल-डीजल और एलपीजी की महंगाई के दम पर चली ‘मोदी लहर’ में बीजेपी को फिर से सत्ता मिल गई। तब बीजेपी एलपीजी, पेट्रोल, डीजल, प्याज की महंगाई पर मनमोहन सरकार को घेरती थी और आज विपक्ष मोदी सरकार को  इन्हीं मुद्दों पर घेर रही है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, जयपुर/नयी दिल्ली:  

30 मई 2014 से देश की बागडोर बीजेपी के नेतृत्व में बनी एनडीए (NDA) की सरकार के हाथों में चली गई। 30 मई 2022 को नरेंद्र मोदी सरकार के 8 साल पूरे होने पर भारतीय जनता पार्टी भव्य जश्न की तैयारी कर रही है। इस मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी ने 25 मई को आठवी वर्षगांठ मनाने के लिए रूपरेखा तैयार करने के लिए बैठक बुलाई है। मोदी सरकार (BJP) 30 मई को बतौर केंद्र सरकार 8 साल पूरा करेगी। इस आयोजन के देशभर में मनाया जाएगा। भारतीय जनता पार्टी 30 मई से लेकर 14 जून तक ‘सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण’ की थीम पर कार्यक्रम आयोजित करने जा रही है।

दूसरी ओर कांग्रेस ने मोदी सरकार के 8 साल पूरे होने पर उसे विफल करार देते हुए गुरुवार को 8 साल, 8 छल, बीजेपी विफल बुकलेट जारी की। कांग्रेस महासचिव अजय माकन, रणदीप सुरजेवाला, सचिव प्रणव झा, विनीत पूनिया, संजीव सिंह ने बीजेपी के विफलता का दावा करते हुए बुकलेट का विमोचन किया।

अजय माकन ने कहा, बीजेपी के खाते में 5 हजार करोड़ रुपए आए। लोगों को महंगा पेट्रोल, डीजल बेरोजगारी मिली। कॉरपोरेट टेक्स कम कर दिया। इसकी भरपाई लोगों की जेब पर डाका डाला जा रहा है। माकन ने कहा कि जनता पूछ रही कि किसके अच्छे दिन आये हैं। भाजपा के खाते में 5 हजार करोड़ रुपए आये। इनके अच्छे दिन आए हैं। चुनिंदा लोगों के अच्छे दिन आए।

उन्होंने कहा कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 55 वें पायदान से गिरकर देश 101 पायदान पर आ गया। प्रेस, लोकतंत्र समेत कई अन्य ग्लोबल इंडेक्स में भारत फिसल रहा है। क्या ऐसे ही भारत को विश्व गुरु बनाएंगे।

उन्होंने कहा कि आम जनता पर टैक्स लगाए जा रहे हैं लेकिन कॉरपोरेट टैक्स पर राहत दी जा रही है। सीएमआई के अनुसार आज देश में 48 करोड़ लोग बेरोजगार है। महिलाओं का रोजगार इंडेक्स दस फीसदी कम हुआ है। हेल्थ स्केटर में 3.50 रोजगार है लेकिन पद खाली पड़े हैं। पूरे देश में कुल 62 लाख पद खाली पड़े हैं। इसके लिए सीधे – सीधे केंद्र सरकार जिम्मेदार है।

सुरजेवाला ने कहा कि देश में दंगों में 34 फीसदी का इजानफा हुआ है लेकिन मोदी सरकार इस पर चर्चा नहीं कराना चाहती है बजाए इस पर ध्यान देने के कांग्रेस पर सवाल उठा रही है।

कांग्रेस ने बताए 8 छल

  1. भाजपा है तो महंगाई है- अपने फायदे के लिए टैक्स बढ़ा कर आप जनता की जेब पर डाका डाल रहे हैं।
  2. देश को बेरोजगारी और अनपढ़ता के अंधकार में झोंका: वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट बताती है कि हम बहुत पीछे छूट गए हैं , देश में इस वक्त 48 करोड़ बेरोजगार है, 42 लाख सरकारी रिक्त पद हैं।
  3. अर्थव्यवस्था बेहाल :GDP बेहाल, रुपए में गिरावट आ रही है। जितना हमने 66 साल में कर्ज नहीं लिया, उतना 8 साल में ले लिया. बैंक घोटाले हो रहे हैं। PSU सेल पे , बिजली उत्पादन सेल पे , 25 एयरपोर्ट सेल पे…सभी सरकारी संस्थानों को बेचा जा रहा है।
  4. बीजेपी ने किसानों की आमदनी को दोगुना करने का ऐलान किया था. लेकिन आमदनी तो दो गुना नहीं हुई, लेकिन दर्द सौ गुना दिया।
  5. कांग्रेस के मुताबिक, बीजेपी ने विकास नहीं किया. न ही इनका विकास से नाता है, इन्हें सिर्फ दंगा फैलाना आता है। कांग्रेस के मुताबिक, 8 साल में 3400 धार्मिक दंगे हुए हैं।
  6. बीजेपी ने पिछड़ो को पीछे छोड़ दिया। सरकार ने sc st,OBC से नाता तोड़ लिया है।
  7. कांग्रेस ने बॉर्डर और चीन का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इस सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा पर आंच आ गई है।
  8. कांग्रेस ने कहा, बीजेपी शौर्य के नाम पर वोट मांग रही है. लेकिन सेना के हितों पर चोट की जा रही है।

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चिंतन शिविर पर प्रशांत किशोर का तंज, कहा- गुजरात-हिमाचल में भी होगी हार

उदयपुर चिंतन शिविर कॉन्ग्रेस नेताओं ने पार्टी में व्यापक बदलाव को लेकर सहमति दी है। इसमें राहुल गाँधी को एक बार फिर पार्टी का नेतृत्व सौंपने की माँग उठी। बताया जा रहा है कि जो नेता पहले उनके अध्यक्ष बनाए जाने के खिलाफ थे, वे भी अब समर्थन राहुल गाँधी कर कर रहे हैं। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि दो राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव राहुल गाँधी के नेतृत्व में ही कॉन्ग्रेस लड़ सकती है। कांग्रेस के इसी चिंतन शिवर पर प्रशांत किशोर ने ट्वीट किया है। प्रशांत किशोर ने शुक्रवार को ट्वीट कर लिखा है कि मुझे बार-बार उदयपुर चिंतन शिविर के परिणाम पर टिप्पणी करने के लिए कहा गया. उन्होंने लिखा है कि चिंतन शिविर सार्थकता हासिल करने में नाकाम रहा है। उन्होंने आगे लिखा है कि मेरे विचार से यह यथास्थिति को लम्बा खींचने और कांग्रेस नेतृत्व को कुछ और समय देने के अलावा कुछ नहीं है।

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/ नयी दिल्ली :

प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के चिंतन शिविर को असफल करार दिया है। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि उदयपुर चिंतन शिविर से पार्टी को कुछ भी हासिल नहीं हुआ है। इस शिविर से कांग्रेस नेतृत्व यानी गांधी परिवार को वजूद बचाने का और वक्त मिल गया है। साथ ही प्रशांत किशोर ने गुजरात और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की हार की भी भविष्यवाणी की है।

PK ने ट्वीट करके कहा- मुझे बार-बार उदयपुर चिंतन शिविर पर टिप्पणी करने के लिए कहा गया है, लेकिन मेरे हिसाब से उदयपुर चिंतन शिविर कोई भी सार्थक उद्देश्य पूरा करने में फेल रहा है। इस शिविर से सिर्फ कांग्रेस लीडरशिप को थोड़ा और समय मिल गया है, कम से कम गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावों तक के लिए। बता दे, PK ने अप्रैल में कांग्रेस में जान फूंकने के लिए एक 600 पन्नों का प्रेजेंटेशन दिया था।

PK ने अपने फॉर्मूले में क्या बताया था :

  • प्रेसिडेंट और वर्किंग कमेटी समेत हर पोस्ट के लिए कार्यकाल तय हो। 15 हजार जमीनी नेताओं के साथ 1 करोड़ कार्यकर्ता मुस्तैदी से काम करें।
  • देश के अलग अलग हिस्सों में करीब 200 प्रभावी लोगों, एक्टिविस्ट्स और सिविल सोसायटी के लोगों का ग्रुप बनाया जाए।
  • कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट कमजोर है। इसे मजबूत करने की जरूरत है। जिला स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक नए सिरे से कांग्रेस कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट का पुनर्गठन हो।
  • सोनिया कांग्रेस प्रेसिडेंट बनें। एक वर्किंग प्रेसिडेंट या वाइस प्रेसिडेंट गांधी परिवार से बाहर का होना चाहिए। राहुल गांधी को पार्लियामेंट्री बोर्ड का चीफ बनाया जाए।
  • वन पोस्ट-वन पर्सन का फॉर्मूला सख्ती से लागू हो। अगर, ऐसा होता तो, गांधी परिवार को भी कांग्रेस में अहम पद छोड़ना पड़ता।

कांग्रेस ने उदयपुर में 3 दिन तक चिंतन शिविर आयोजित किया था, जिसमें 400 से ज्यादा शीर्ष नेता शामिल हुए थे। शिविर में कांग्रेस ने वन फैमिली-वन टिकट, संगठन में युवाओं को आरक्षण, देशभर में पदयात्रा निकालने जैसे कई अहम फैसले लिए थे। इस दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि हम फिर जनता के बीच जाएंगे, उससे अपने रिश्ते मजबूत करेंगे और ये काम शॉर्टकट से नहीं होगा। ये काम कड़ी मेहनत से होगा।

गुजरात में विधानसभा की 182 सीटें हैं। यहां भाजपा के पास 111 और कांग्रेस के पास केवल 63 सीटें हैं। प्रदेश में 27 सालों से कांग्रेस सत्ता से दूर है। पिछले दिनों कांग्रेस के आदिवासी नेता रहे विधायक अश्विन कोतवाल और युवा नेता हार्दिक पटेल जैसे कई बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है, जिसके बाद कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। गुजरात में चुनावी लड़ाई चेहरों पर लड़ी जाती है लेकिन कांग्रेस के पास कोई चेहरा नहीं है।

हिमाचल प्रदेश में कुल 68 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें भाजपा के पास 44 और कांग्रेस के पास केवल 21 सीटें हैं। प्रदेश की सियासत में विधानसभा चुनाव में 1985 के बाद से कोई पार्टी अपनी सरकार रिपीट नहीं कर पाई है। एक बार कांग्रेस तो एक बार बीजेपी चुनाव जीतती आई है। 2012 के बाद हिमाचल में कांग्रेस सत्ता से दूर है।

राज्य में कांग्रेस ने प्रदेश में छह बार के सीएम रहे दिवंगत वीरभद्र सिंह की पत्नी सांसद प्रतिभा को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर नया कार्ड खेला है, लेकिन पंजाब-हरियाणा की तरह यहां भी गुटबाजी कम नहीं है। कांग्रेस को इस बात पर ध्यान देना होगा कि पंजाब की परछाई हिमाचल पर न पड़े।

प्रशांत किशोर ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था, “मैं कॉन्ग्रेस के नेताओं में एक समस्या देखता हूँ। वे मानते हैं कि हमने देश में लंबे समय तक शासन किया है और जब लोग नाराज होंगे तो अपने आप वर्तमान सरकार को उखाड़ फेंकेंगे और फिर हम सत्ता में वापस आ जाएँगे। वे कहते हैं कि आप क्या जानते हैं, हम सब कुछ जानते हैं और लंबे समय तक सरकार में रहे हैं।”

बता दें कि प्रशांत किशोर ने 2 मई अपने सुराज अभियान को लेकर ट्विटर पर लिखा था, “लोकतंत्र का एक सार्थक भागीदार बनने और जन-समर्थक नीतियों को आकार देने में मदद करने की मेरी खोज ने बीते 10 सालों में उतार-चढ़ाव देखे हैं। अब मैं नया पन्ना पलटने जा रहा हूँ। अब मुद्दों और जन सुराज के मार्ग को बेहतर ढंग से समझने के लिए ‘रियल मास्टर्स’ यानी जनता के पास जाने का समय आ गया है, शुरुआत बिहार से होगी।”

इसके साथ ही 5 मई को उन्होंने कहा था कि वह बिहार के लोगों के साथ पहले 3-4 महीने संवाद स्थापित करेंगे और फिर 2 अक्टूबर से पश्चिम चंपारण से पदयात्रा शुरू करेंगे। उन्होंने कहा था कि इस दौरान वे समाज के विभिन्न तबके के लोगों से मुलाकात स्थिति को समझने का प्रयास करेंगे। इसके बाद राजनीतिक पार्टी बनाने पर विचार किया जाएगा।

सुनील जाखड़ भाजपा में शामिल बोले : पंजाब में कांग्रेस ने एके-47 से ज्यादा नुकसान किया

पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ बीजेपी में शामिल हो गए हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में जाखड़ ने बीजेपी जॉइन की। इस मौके पर जेपी नड्डा ने कहा कि जाखड़ ने साढ़े तीन दशक राजनीति में अपना स्थान बनाया, एलओपी भी रहे, प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। पार्टी से अलग एक छवि बनाई। पिछले दिनों कांग्रेस के चिंतन शिविर के दौरान सुनील जाखड़ ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया था। उनके भाजपा में कांग्रेस शामिल होने के बाद कांग्रेस के असंतुष्ट खेमे को तोड़ना भाजपा के आसान हो जाएगा। चूंकि असंतुष्ट कांग्रेसियों को भाजपा में लाने के लिए जाखड़ अहम भूमिका निभा सकते हैं। उनके भाजपा में शामिल होने के बाद पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर के साथ तालमेल बिठाकर वह पंजाब में नए राजनीतिक समीकरण भी तैयार कर सकते हैं क्योंकि उनके कैप्टन के साथ कांग्रेस के दौरान अच्छे संबंध रहे हैं।

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक्फ़्रोंत, नई दिल्ली/चंडीगढ़ : 

पंजाब में कभी कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे सुनील जाखड़ ने अब बीजेपी का दामन थाम लिया है। इस नई सियासी पारी की शुरुआत करते हुए सुनील जाखड़ ने कांग्रेस पर हमला बोला। उन्होंने कहा , “मेरे परिवार की तीन पीढ़ियों ने 50 साल से कांग्रेस को अपनी सेवाएं दीं. लेकिन आज मैंने राष्ट्रवाद, एकता और पंजाब के भाईचारे के लिए ये रिश्ता तोड़ दिया।”

सुनील जाखड़ ने कहा,“मैं पंजाब के भाईचारे के लिए लड़ रहा हू। . जो काम बंदूक से निकली गोली नहीं कर सकती है वह काम कांग्रेस की जुबान ने यह कहते हुए कर दिया कि, एक खास समुदाय का व्यक्ति मुख्यमंत्री नहीं चुना जा सकता है। उन्होंने न सिर्फ हिन्दु भाइयों का अपमान किया बल्कि सिख भाइयों को भी अपमानित किया।”

उन्होंने कहा कि पंजाब में दंगों के वक्त भी हिंदू-सिख भाईचारा कभी नहीं टूटा। मेरी जिंदगी का यही मूल मंत्र भी था। जाखड़ ने कहा कि मुझे दुख इस बात का है कि मुझे इस बात के लिए कटघरे में खड़ा किया गया कि मैंने पंजाब को जाति, धर्म और परसेंटेज के आधार पर न बांटने की बात कही। जाखड़ ने कहा कि मैंने रिश्तों को उसूलों की तरह निभाया है। जब पार्टी अपने सिद्धांत से ही हट जाए तो इसके बारे में सोचना पड़ता है।

सुनील जाखड़ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खूब तारीफ की। उन्होंने कहा कि मैं डेढ़ साल संसद में रहा। प्रधानमंत्री मोदी करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन के लिए पंजाब आए थे। तब उनके साथ लंगर छका और बातचीत का मौका मिला। अब उन्होंने लाल किले पर हिंद की चादर श्री गुरू तेग बहादुर जी का 400वां प्रकाश पर्व बनाया।

सुनील जाखड़ ने आरोप लगाया था कि कैप्टन अमरिंदर सिंह को कुर्सी से हटाने के बाद ज्यादातर विधायक उनके पक्ष में थे। इसके बावजूद उन्हें CM नहीं बनाया गया। इसके पीछे की वजह सोनिया गांधी की नजदीकी अंबिका सोनी हैं। जिन्होंने कहा कि पंजाब में सिख CM ही होना चाहिए। इससे पहले जाखड़ को हटाकर कांग्रेस ने नवजोत सिद्धू को प्रधान बना दिया था। इसके बाद नाराज होकर जाखड़ ने एक्टिव पॉलिटिक्स से किनारा कर लिया था।

सुनील जाखड़ को कांग्रेस ने अनुशासनहीनता का नोटिस भेजा था। कांग्रेस ने कहा कि चुनाव से पहले उनके बयानों से पार्टी को बहुत नुकसान हुआ। हालांकि, जाखड़ ने इस नोटिस का जवाब नहीं दिया। जाखड़ ने कहा कि कांग्रेस हाईकमान को उनसे बात करनी चाहिए थी। इसके बजाय उन्हें नोटिस थमा दिया गया।

सुनील जाखड़ ने कांग्रेस छोड़ने से पहले पार्टी नेताओं पर बड़े आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व चापलूसों से घिरा हुआ है। राहुल गांधी फैसले नहीं लेते। उन्हें दोस्त और दुश्मन की पहचान करनी चाहिए। जाखड़ ने अंबिका सोनी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पंजाब में ज्यादातर कांग्रेस इंचार्ज सोनी की ही कठपुतली बनकर काम करते रहे। जाखड़ ने कांग्रेस के उदयपुर चिंतन शिविर पर भी सवाल उठाए थे।

सुनील जाखड़ पंजाब कांग्रेस के प्रमुख हिंदू नेता थे। वह अबोहर के गांव पंचकोसी के रहने वाले हैं। उनके पिता बलराम जाखड़ भी कांग्रेस के दिग्गजों में शामिल थे। उनका परिवार तीन पीढ़ियों से कांग्रेस से जुड़ा रहा। जाखड़ 2002 में पहली बार अबोहर शहर से विधायक चुने गए थे। वह यहां से 3 बार विधायक बने। इसके बाद वह 2012 से 2017 तक पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे। सुनील जाखड़ ने BJP का गढ़ माने जाने वाली गुरदासपुर लोकसभा सीट से 2017 में बड़े अंतर से जीत हासिल की थी। कैप्टन जब 2017 के बाद CM बने तो जाखड़ पंजाब कांग्रेस के प्रधान रहे।

कांग्रेस हिंदुओं से जुड़े मुद्दों पर कुछ नहीं बोलती है : हार्दिक पटेल

हार्दिक पटेल ने कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद पार्टी पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि कांग्रेस में 3 साल उन्होंने अपना वक्त बर्बाद किया। हार्दिक पटेल ने कहा, मैंने अपने राजनीतिक जीवन के 3 साल कांग्रेस में बर्बाद किए। अगर मैं कांग्रेस में नहीं होता तो गुजरात के लिए बेहतर काम कर सकता था। न तो मुझे पार्टी में रहते हुए काम करने का मौका मिला और न ही कांग्रेस ने मुझे कोई काम दिया।

  • कांग्रेस हिंदुओं से जुड़े मुद्दों पर कुछ नहीं बोलती है
  • जातिगत राजनीति पर बहुत जोर देती है
  • अगर पीएम गुजरात से हैं, तो कॉंग्रेस अडानी या अंबानी को हर बार गाली नहीं दे सकते
  • बड़े नेता एसी कमरों में बैठकर मेरे प्रयासों में बाधा डालने की कोशिश करते हैं

अहमदाबाद:

 कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद हार्दिक पटेल  के भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही हैं, लेकिन गुरुवार को उन्होंने कहा कि, फिलहाल बीजेपी ज्वाइन के बारे में अभी तक मैंने कोई फैसला नहीं लिया है। लेकिन गुजरात की जनता से कांग्रेस को वोट नहीं देने को कहा है। हार्दिक ने आरोप लगाया कि कांग्रेस हिंदुओं से जुड़े मुद्दों पर कुछ नहीं बोलती है और जातिगत राजनीति पर बहुत जोर देती है।

पत्रकारों से बातचीत के दौरान, हार्दिक पटेल ने कहा कि, कांग्रेस कभी भी हिंदुओं से संबंधित मुद्दों पर कुछ नहीं बोलती है, चाहे नागरिकता संशोधन अधिनियम हो या वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में पाए जाने वाले ‘शिवलिंग’ का मुद्दा हो। इसके अलावा गुजरात कांग्रेस जाति-आधारित राजनीति में ज्यादा दिलचस्पी रखती है. मैंने कांग्रेस में अपने 3 साल बर्बाद कर दिए।

कांग्रेस के नेतृत्व पर सवाल उठाने के साथ ही वह कांग्रेस की नीतियों को भी कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। कांग्रेस के अडानी और अंबानी को निशाना बनाने के मुद्दे पर हार्दिक पटेल ने कहा कि, ‘एक व्यापारी अपनी मेहनत से ही ऊपर उठता है। आप अडानी या अंबानी को हर बार गाली नहीं दे सकते। अगर पीएम गुजरात से हैं, तो अंबानी और अडानी पर इस पर अपना गुस्सा क्यों निकालते हैं? यह सिर्फ लोगों को गुमराह करने का एक तरीका था।

हार्दिक पटेल ने बुधवार को कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। कांग्रेस से इस्तीफा देते हुए हार्दिक पटेल ने कांग्रेस पार्टी पर जमकर हमला किया है। हार्दिक बीते कुछ वक्त से कांग्रेस नेताओं से नाराज चल रहे थे और उनके पार्टी छोड़ने की अटकलें पहले से लगाई जा रही थीं।

गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान पटेल ने पार्टी को काम करने के तरीके पर भी घेरा। उन्होंने कहा, ‘7-8 लोग 33 साल से कांग्रेस को चला रहे हैं। मेरे जैसे कार्यकर्ता हर रोज 500-600 किमी की यात्रा करते हैं। अगर मैं लोगों के बीच जाता हूं और उनके हालात जानने की कोशिश करता हूं, तो यहां बड़े नेता एसी कमरों में बैठकर मेरे प्रयासों में बाधा डालने की कोशिश करते हैं।’

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प्राचीन गुग्गा माडी मंदिर में लखदाता पीर का वार्षिक  उत्सव का आयोजन

  • उत्सव में भजन, कीर्तन व प्रवचन से निहाल हुए श्रद्धालु
  • प्राचीन गुग्गा माडी मंदिर में लखदाता पीर का वार्षिक  उत्सव का आयोजन
  • उत्सव में भजन, कीर्तन व प्रवचन से निहाल हुए श्रद्धालु

चंडीगढ़ 19 मई 2022: 

सेक्टर 36 बी में स्थित प्राचीन गुग्गा माडी मंदिर में लखदाता पीर के वार्षिक उत्सव मंदिर के गद्दीनशीन महंत, विश्वकर्मा समाज, चंडीगढ़ के शंकराचार्य व सूर्यवंशी अंतर्राष्ट्रीय अखाड़़ा के जगतगुरू जयकृष्ण नाथ तथा मंदिर की सह-संचालिकाविश्वकर्मा महिला मंडल की महामंडलेश्वर माता सुरिंद्रा देवी के सानिध्य में आयोजित किया गया। इस अवसर पर उत्सव में शामिल हुए दूर-दर्राज से आये श्रद्धालु भगवान के मधुर भजन, कीर्तन व प्रवचन सुनकर निहाल हो गये।

उत्सव का शुभारंभ भव्य हवन के साथ किया गया जिसके पश्चात विधि-विधान के साथ ध्वजारोहण किया गया। कार्यक्रम के दौरान शहर की विभिन्न भजन मंडलियों ने अपने भजनों के द्वारा प्रभु नाम का आनंद बरसाया। जबकि दूसरी और मंदिर की सह-संचालिका व विश्वकर्मा महिला मंडल की महामंडलेश्वर माता सुरिद्रा देवी ने भगवान विश्वकर्मा व गणेश वंदना से उत्सव को प्रारंभ करते हुए मधुर भजनों से संगत को निहाल किया । इसके साथ म्यूजिक पर कुमार साहिल एंड पार्टी द्वारा भजनों में चार चांद लगाने में पूर्ण सहयोग दिया। इसी कड़ी में राम दरबार के बिट्टू कव्वाल, साहिल एंड पार्टी ने भी भक्तों का समा बांधा। अंत में संगत और आए हुए समस्त संत समाज को सम्मानित करते हुए सभी का श्रीमती सीमा रानी द्वारा धन्यवाद किया गया ।

इस अवसर पर मंदिर के गद्दीनशीन महंत, विश्वकर्मा समाज, चंडीगढ़ के शंकराचार्य व सूर्यवंशी अंतर्राष्ट्रीय अखाड़़ा के जगतगुरू जयकृष्ण नाथ जी ने प्रभु नाम की महत्ता समझाते हुए उत्सव में शामिल हुए श्रद्धालुओं को प्रभु नाम में मन से जुड़े रहने को प्रेरित किया और धर्म के मार्ग पर चलते हुए और संसार के साथ अलौकिक जगत का मार्ग भी सुगम बनाए रखने पर प्रवचन देते हुए उत्सव को प्रारंभ किया। वहीं माता सुरिंद्रा देवी ने अपनी मधुर वाणी से संगत को ईमानदारी और सत्यनिष्ठ रहकर धर्म की शिक्षा पर जोर दिया। योगी सूरज नाथ जी ने संगत को संतो के साथ जुड़े रहने के साथ साथ नाम सिमरन सत्संग जनसेवा में लगे रहने को प्रेरित करते हुए अपनी वाणी द्वारा वातावरण को शुद्धता व शांति प्रदान की। अंबाला से आए हुए स्वामी ज्ञान नाथ जी ने संगत को प्रभु से आत्मा को जोड़ने की शिक्षा दी। महामंडलेश्वर राजनाथ जी, ने संत समाज के साथ संगत को जुड़ कर रहने का संदेश दिया। गंगा नाथ जी के अलावा अन्य संत समाज भी सम्मेलन में उपस्थित हुए।।जिनका सम्मान किया गया।

गुजरात, पंजाब के बाद क्या हरियाणा में कांग्रेस की तीसरी विकट गिरने वाली है

हरियाणा कांग्रेस में एक बार फिर से बगावत के सुर सामने आ रहे हैं। पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई ने अपने बगावती तेवर से कांग्रेस पार्टी को सकते में डाल दिया है। एचपीसीसी के आला अधिकारियों में जगह न मिलने से बिश्नोई नाराज हैं. उनका हरियाणा कांग्रेस के साथ टकराव बना हुआ है। कई मौके ऐसे आए, जब कभी कुलदीप तो कभी उनके बेटे भव्य बिश्नोई के भगवा रंग में रंग जाने की खबरें उड़ीं, लेकिन राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी कुलदीप ने अपने समर्थकों को विश्वास में लिए बिना कोई कदम आगे नहीं बढ़ाया। अब, राजनीतिक कयास और भी अधिक तेज हो गए, जब कुलदीप ने सीएम से मुलाकात कर आने के तुरंत बाद हिसार में रविवार को सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों के अपने खास समर्थकों की बैठक बुलाई।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल से कांग्रेस नेता कुलदीप बिश्नोई ने की मुलाकात। गुजरात, पंजाब के बाद क्या हरियाणा में कांग्रेस की तीसरी विकट गिरने वाली है

  1. सुनील जाखड़
  2. हार्दिक पटेल
  3. कुलदीप बिश्नोई

कोरल ‘पुरनूर’, डेमोक्रेटिक फ्रंट, प्पंचकुला :

कांग्रेस केंद्रीय कार्यसमिति सदस्य एवं आदमपुर से विधायक कुलदीप बिश्नोई ने गुरुवार को चंडीगढ़ आवास पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने आदमपुर में विकास परियोजनाओं बारे उनके साथ विस्तार से चर्चा की। हरियाणा कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि इस बात के संकेत हैं कि अगर बिश्नोई को नहीं मनाया गया, तो वह ऐसा कदम भी उठा सकते हैं, जिससे कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। जिससे अक्टूबर 2024 में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

पंजाब की तरह हरियाणा कांग्रेस की आंतरिक कलह से जूझ रही है। हरियाणा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कुलदीप बिश्नोई बागी तेवर अपना रखे हैं। कहा जा रहा है कि बिशनोई हरियाणा के नए प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव खुश नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष उदय भान हुड्डा के खेमे के माने जाते हैं। दिल्ली में राहुल गांधी, भूपिंदर सिंह हुड्डा और उदय भान ने अपनी नई टीम के साथ मुलाकात की है।

नाराजगी का आलम यह है कि बिश्नोई इस घोषणा के बाद से पार्टी के कार्यक्रमों में भाग नहीं भी नहीं ले रहे हैं। 4 मई को पार्टी मुख्यालय में आयोजित उस कार्यक्रम में भी वह शामिल नहीं हुए जिसमें उदय भान और हरियाणा कांग्रेस के चार कार्यकारी अध्यक्षों को नई जिम्मेदारी दी गई थी।

हरियाणा कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष का पद मिलाने का दर्द आदमपुर से कांग्रेस विधायक कुलदीप बिश्नोई की जुबां पर आखिरकार आ ही गया। कुलदीप बिश्नोई ने शुक्रवार को एक ट्वीट लिखा कि थोड़ा डूबूंगा, मगर मैं फिर तैर आऊंगा, ऐ जिंदगी, तू देख मैं फिर जीत जाऊंगा। अध्यक्ष न बन पाने के कारण उनका यमुनानगर में होने वाला जन जागरण अभियान भी स्थगित हो गया है। कुलदीप के समर्थक निराश होकर उनके नए संदेश का इंतजार कर रहे हैं।

कुलदीप बिश्नोई द्वारा लिखा गया ट्वीट।

हरियाणा कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष का पद कुलदीप बिश्नोई को न मिलने पर उनके समर्थकों में रोष था, लेकिन बुधवार को कुलदीप ने ट्वीट करके संयम बरतने के लिए कहा है। कुलदीप ने ट्वीट किया कि साथियों, आप सबके संदेश सोशल मीडिया पर पढ़ रहा हूं। आपका अपार प्यार देखकर अत्यंत भावुक हूं, लेकिन मेरी सब से प्रार्थना है कि जब तक मैं राहुल जी से जवाब न मांग लूं, हमें कोई कदम नहीं उठाना है। अगर मेरे प्रति आपके मन में स्नेह है तो संयम रखें।

कुलदीप का पहला ट्वीट

आदमपुर से विधायक बिश्नोई हाल के दिनों में अपने गृह क्षेत्र और उसके आसपास जनसभाएं कर रहे हैं। अपने निर्वाचन क्षेत्र में से संबंधित मुद्दों को उठाने के लिए भाजपा नेता और सीएम मनोहर लाल खट्टर से भी मुलाकात की है। हरियाणा कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि इस बात के संकेत हैं कि अगर बिश्नोई को नहीं मनाया गया तो वह ऐसा कदम भी उठा सकते हैं जिससे कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। जिससे अक्टूबर 2024 में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

बिश्नोई गैर-जाट नेता के तौर पर जाने जाते जबकि राज्य कांग्रेस में भूपेंद्र हुड्डा, उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा और रणदीप सिंह सुरजेवाला जैसे जाट नेताओं का वर्चस्व है। वहीं भान दलित समुदाय से संबेध रखते हैं। बिश्नोई अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के संरक्षक भी हैं। 25 अप्रैल को हिसार में अपने समुदाय की एक बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि उनके आलोचकों के साथ उनके राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन सामाजिक मतभेद नहीं।

बिश्नोई को उम्मीद थी कि नई टीम में उन्हें जगह मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और शायद इसी वजह से वो नाराज भी है। कुलदीप ने राहुल गांधी से मिलने के लिए समय भी मांगा है, लेकिन यह मीटिंग अभी तक नहीं हो पाई है। नई टीम की घोषणा के तुरंत बाद, बिश्नोई ने कहा था कि वह राहुल गांधी से मिलने के बाद अपने भविष्य को लेकर कोई अगला कदम उठाएंगे। बिश्नोई हुड्डा के आलोचक रहे हैं। 2007 में तत्कालीन सीएम हुड्डा से खींचतान के बाद उनको पार्टी से बाहर कर दिया गया था।

बिश्नोई की नाराजगी के बारे में पूछे जाने पर हरियाणा के एआईसीसी प्रभारी विवेक बंसल ने कहा- “यह सब जल्द ही सुलझा लिया जाएगा, मैं बिश्नोई के संपर्क में हूं।” बंसल ने यह भी कहा कि आने वाले दिनों में कांग्रेस की जिला और ब्लॉक इकाइयों के गठन के लिए इन स्तरों पर संगठनात्मक चुनाव कराना पार्टी की प्राथमिकता होगी।

इससे पहले पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रमुख सुनील जाखड़ ने पिछले शनिवार को नाटकीय अंदाज में पार्टी से नाता तोड़ लिया था। उन्होंने ये इस्तीफा तब दिया जब उदयपुर में कांग्रेस का चिंतन शिविर चल रहा था। उसी तरह चिंतन शिविर में शामिल न होते हहुए गुजरात के कार्यकारिणी प्रदेशाध्यक्ष ‘हार्दिक पटेल ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया था। अब तीसरी ‘विकेट’ के गिरने की भी उम्मीद जाग रही है।

कांग्रेस को गुजरात से पंजाब तक झटके देगी भाजपा, आज ‘दिग्गज हिंदू नेता’ सुनील जाखड़ भाजपा में हो सकते हैं शामिल

सुनील जाखड़ ने बीते शनिवार को ही पार्टी को गुड बाय कह दिया था। सुनील जाखड़ कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व से तब से ही नाराज चल रहे थे, जब राहुल गांधी की ‘मंजूरी’ के बावजूद वह पंजाब के मुख्यमंत्री इसलिए नहीं बन पाए, क्योंकि वह हिंदू थे। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी ने अंतिम समय पर यह कह कर स्थिति बदल दी, “अगर किसी हिंदू को मुख्यमंत्री बनाया गया तो पंजाब में आग लग जाएगी।” भाजपा नेता पूर्व विधायक फतेहजंग सिंह बाजवा ने कहा , “जाखड़ बड़े लीडर हैं। अगर हाईकमान राजी हो तो हम ऐसे नेताओं का बांहें फैलाकर स्वागत करेंगे। उन्होंने कहा कि कमजोर हाईकमान की वजह से सुनील जाखड़ के साथ यह व्यवहार किया गया। उन्हें सस्पेंड करने और पदों से हटाने की बात कही गईजाखड़ परिवार ने 50 साल तक इस पार्टी को खून पसीने से सींचा है। जाखड़ का पार्टी छोड़ना कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी है। पहले हम 23 सीटों पर लड़ते थे, अब 73 पर लड़े और आगे 117 पर लड़ेंगे, इसलिए अच्छे नेताओं का स्वागत करेंगे।”

सारिका इवरी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ :  

कांग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ आज भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं। बताया जा रहा है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जाखड़ को पार्टी की सदस्यता दिलवाएंगे। जानकारी के अनुसार, जाखड़ के भाजपा में शामिल होने का फैसला कल ही हो गया था। कांग्रेस को गुड बाय कहने वाले जाखड़ ने बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ दिल्ली में मुलाकात की थी। जाखड़ इन दिनों दिल्ली में ही हैं।  उनके अलावा गुजरात के कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रहे हार्दिक पटेल के भी भाजपा में जाने की अटकलें हैं। इस तरह भाजपा की ओर से कांग्रेस को गुजरात से पंजाब तक झटके दिए जा सकते हैं। पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ लंबे समय से कांग्रेस से नाराज चल रहे थे। इसके अलावा पार्टी ने उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए सभी पदों से हटा दिया था। उन पर पार्टी लाइन से अलग बयान देने के आरोप लगे थे, जिसके बाद हाईकमान ने यह कार्रवाई की थी।

इसके बाद सुनील जाखड़ ने फेसबुक लाइव कर भावुक भाषण देते हुए कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से ही इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस में पंजाब के लोगों को नजरअंदाज किया जा रहा है और बाहर के ही कुछ लोग इसे चला रहे हैं। हाईकमान पर तंज कसते हुए सुनील जाखड़ ने कहा था कि सोनिया गांधी जी पंजाब को बख्श दीजिए। इसके साथ राजनीति करना सही नहीं है। उन्होंने कांग्रेस की महिला नेता अंबिका सोनी पर भी इशारों में ही जमकर हमला बोला था।

सुुनील जाखड़ को कांग्रेस के दिग्गज हिंदू नेताओं में गिना जाता था, जो पंजाब में उसका दशकों से हिस्सा रहे हैं। उनके पिता बलराम जाखड़ भी कांग्रेस में थे और किसानों के बीच उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती थी। दरअसल कैप्टन अमरिंदर सिंह को कुर्सी से हटाने के बाद ज्यादातर विधायक उनके पक्ष में थे। इसके बावजूद उन्हें सीएम नहीं बनाया गया। इसके पीछे की वजह सोनिया गांधी की नजदीकी अंबिका सोनी हैं। जिन्होंने कहा, “अगर किसी हिंदू को मुख्यमंत्री बनाया गया तो पंजाब में आग लग जाएगी, पंजाब में सिख सीएम ही होना चाहिए।” इसीलिए चुनावों से पहले जाखड़ को हटाकर कांग्रेस ने नवजोत सिद्धू को प्रधान बना दिया था। इसके बाद नाराज होकर जाखड़ ने एक्टिव पॉलिटिक्स से किनारा कर लिया था।

सुनील जाखड़ को कांग्रेस ने अनुशासनहीनता का नोटिस भेजा था। कांग्रेस ने कहा कि चुनाव से पहले उनके बयानों से पार्टी को बहुत नुकसान हुआ। हालांकि जाखड़ ने इस नोटिस का जवाब नहीं दिया। जाखड़ ने कहा कि कांग्रेस हाईकमान को उनसे बात करनी चाहिए थी। इसके बजाय उन्हें नोटिस थमा दिया गया।

सुनील जाखड़ ने कांग्रेस छोड़ने से पहले पार्टी नेताओं पर बड़े आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व चापलूसों से घिरा हुआ है। राहुल गांधी फैसले नहीं लेते। उन्हें दोस्त और दुश्मन की पहचान करनी चाहिए। जाखड़ ने अंबिका सोनी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पंजाब में ज्यादातर कांग्रेस इंचार्ज सोनी की ही कठपुतली बनकर काम करते रहे। जाखड़ ने कांग्रेस के उदयपुर चिंतन शिविर पर भी सवाल उठाए थे।