Glorious Independence Day
Let’s pray together for our Matribhumi
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The run-up to the polls in Gujarat saw a massive rejig of Goods and Services Tax (GST) rates across the board as disenchantment with the regime was at a peak. Ahead of the Assembly polls in three BJP-ruled States — Madhya Pradesh, Rajasthan and Chattisgarh — some relief for Micro Small and Medium Enterprises (MSMEs) is likely. A possible exemption from filing for firms with a turnover of up to ₹5 crore is said to be in the offing.
Senior sources in the GST Council told mediamen that during the last meeting of the Council, it was decided that rate cuts etc. were not the route to take to give relief to the MSME sector; instead exemptions from the GST ambit for firms with a turnover of upto ₹5 crore could be the way to go.
“Several States, specifically Gujarat and Delhi, have asked that exemptions be given for MSMEs with a turnover of upto ₹5 crore, whereas some other States have asked [that] the limit be for firms of upto ₹1.5 lakh,” said a source.
The decision may be announced in the next meeting of the Council on September 28 in Goa — close to polling in the three States, scheduled for the end of the year. Union Minister Arun Jaitley is expected to be back at the helm of affairs at the Finance Ministry by then. At the last meeting of the Council, Finance Minister Piyush Goyal had said all suggestions from various States should be collated and considered.
Madhya Pradesh with 26.74 lakh firms and Rajasthan with 26.87 lakh have a huge MSME presence and the any relief to the sector, currently dissatisfied with cumbersome filing procedures, would be politically important.
“Rate cuts in the context of MSMEs have been dismissed as not workable and these cuts will affect not just these units but bigger suppliers etc. Exemptions from tax and filing procedures will have a more direct impact in terms of giving relief,” said a member of the GST Council.
सीबीआई ने 14,000 करोड़ रुपये के पीएनबी घोटाले में जो आरोपपत्र दायर किया था उसमें अनंतसुब्रमण्यम को भी आरोपी बनाया गया था। हालांकि, वह बैंक की कर्मचारी बनी हुई थीं। वह सोमवार को ही सेवानिवृत्त हो रही थीं, लेकिन उन्हें सेवाओं से बर्खास्त कर दिया गया।
अनंतसुब्रमण्यम पीएनबी में दो बार नेतृत्व वाली भूमिका में रहीं। वह अगस्त, 2015 से मई, 2017 के दौरान प्रमुख के पद पर रहीं। उसके बाद वह इलाहाबाद बैंक में चली गईं। वह जुलाई, 2011 से नवंबर, 2013 के दौरान भी पीएनबी की कार्यकारी निदेशक रहीं।
भारत के लिए इस पल को ऐतिहासिक माना जा सकता है. संयुक्त राष्ट्र संघ ने 22 जुलाई से साप्ताहिक आधार पर हिंदी समाचार बुलेटिन का प्रसारण शुरू किया है. फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर प्रसारण किया जा रहा है. प्रयोग सफल रहने पर इसके नियमित किया जाएगा.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ख़ुद यह जानकारी सार्वजनिक की है. मीडिया के प्रतिनिधियों से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की अधिकृत भाषा का दर्ज़ा दिलाने की कोशिशें लगातार की जा रही हैं. उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा प्रसारित हिंदी समाचार बुलेटिन 10 मिनट का है. इस बुलेटिन के प्रसारण की ज़िम्मेदारी भारत सरकार उठा रही है. इस पर आने वाला ख़र्च भी वही वहन कर रही है.
उन्हाेंने बताया कि हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की अधिकृत भाषा बनाने का जहां तक सवाल है तो इस वैश्विक संस्था के 193 में 129 सदस्य देशों ने इसका समर्थन किया है. भारत ने संयुक्त राष्ट्र को यह भरोसा भी दिया है कि हिंदी को अधिकृत भाषा का दर्ज़ा देने पर आने वाला पूरा खर्च भारत सरकार उठाने के लिए तैयार है. भारत की तरह जर्मनी और जापान भी जर्मन और जापानी भाषाओं को संयुक्त राष्ट्र की अधिकृत भाषा का दर्ज़ा दिलाने और उस पर आने वाला खर्च उठाने को तैयार हैं.
President Donald Trump’s administration has quietly started cutting scores of Pakistani officers from coveted training and educational programmes that have been a hallmark of bilateral military relations for more than a decade, U.S. officials say.
The move, which has not been previously reported, is one of the first known impacts from Mr. Trump’s decision this year to suspend U.S. security assistance to Pakistan to compel it to crack down on Islamic militants.
The Pentagon and the Pakistani military did not comment directly on the decision or the internal deliberations, but officials from both countries privately criticised the move.
U.S. officials, speaking on the condition of anonymity, said they were worried the decision could undermine a key trust-building measure. Pakistani officials warned it could push their military to further look to China or Russia for leadership training.
The effective suspension of Pakistan from the U.S. government’s International Military Education and Training programme (IMET) will close off places that had been set aside for 66 Pakistani officers this year, a State Department spokesperson said. The places will either be unfilled or given to officers from other countries.
Dan Feldman, a former U.S. special representative for Afghanistan and Pakistan, called the move “very short-sighted and myopic”. “This will have lasting negative impacts limiting the bilateral relationship well into the future,” Mr. Feldman said.
Long term dividends
The State Department spokesperson, speaking on the condition of anonymity, said the IMET cancellations were valued at $2.41 million so far. At least two other programmes have also been affected, the spokesperson said.
It is unclear precisely what level of military cooperation still continues outside the IMET programme, beyond the top level contacts between U.S. and Pakistani military leaders.
The U.S. military has traditionally sought to shield such educational programmes from political tensions, arguing that the ties built by bringing foreign military officers to the U.S pay long-term dividends.
For example, the U.S. Army’s War College in Carlisle, Pennsylvania, which would normally have two Pakistani military officers per year, boasts graduates including Lieutenant General Naveed Mukhtar, the current director-general of Pakistan’ powerful spy agency, the Inter-Services Intelligence agency (ISI).
The War College, the U.S. Army’s premier school for foreign officers, says it has hosted 37 participants from Pakistan over the past several decades. It will have no Pakistani students in the upcoming academic year, a spokeswoman said.
Pakistan has also been removed from programmes at the U.S. Naval War College, Naval Staff College and courses including cyber security studies.
नयी दिल्ली :
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने गुजरात में नर्मदा के मुहाने पर स्थापित की जा रही सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 फुट ऊंची प्रतिमा ‘स्टेच्यू आॅफ यूनिटी’ के लिये सरकारी कंपनियों की ओर से सामाजिक कार्पोरेट उत्तरदायित्व (सीएसआर) के तहत धनराशि उपलब्ध कराने को गलत बताया है तथा इसे निर्धारित प्रावधानों का उल्लंघन करार दिया है।
कैग की संसद में पेश एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च 2017 को समाप्त हुए वित्त वर्ष में प्रतिमा और संबंधित स्थल का निर्माण करने के लिए पांच केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों ने 146.83 करोड़ रुपए की धन राशि सीएसआर के तहत उपलब्ध कराई है। इनमें से तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम ने 50 करोड रुपए, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम निगम लिमिटेड ने 25 करोड़ रुपए, भारत पेट्रोलियम निगम लिमिटेड ने 25 करोड़ रुपए, इंडियन आॅयल निगम लिमिटेड ने 21.83 करोड़ रुपए, और ऑयल इंडिया लिमिटेड ने 25 करोड़ रुपए की राशि दी है।
रिपोर्ट के अनुसार सभी कंपनियों ने इस सीएसआर राशि को ‘राष्ट्रीय ऐतिहासिक परिसंपत्तियों, कला तथा संस्कृति का संरक्षण’ के तहत दर्शाया है। कैग का कहना है कि इस परियोजना में कंपनियों के योगदान को कंपनी अधिनियम 2013 की सातवीं अनुसूची के अनुसार सीएसआर नहीं माना जा सकता क्योंकि यह ऐतिहासिक परिसंपत्ति नहीं है।
गुजरात सरकार ने सरदार पटेल की याद में प्रतिमा बनाने के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट संगठन की स्थापना की है। इस संगठन ने ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ परियोजना की शुरुआत की। अक्टूबर 2018 तक पूर्ण होने के लक्ष्य के साथ 2989 करोड़ रुपए की इस परियोजना का ठेका अक्टूबर 2014 में लार्सन एंड टूब्रो को दिया गया।
भारत सरकार के विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राज कुमार सिंह ने कहा कि भारत के सतत विकास के लिए उद्योग जगत और सरकार को निश्चित रूप से आपस में भागीदारी करनी चाहिए। राज कुमार सिंह नीति आयोग, भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और संयुक्त राष्ट्र (यूएन) द्वारा 8 अगस्त को नई दिल्ली में आयोजित सरकार-उद्योग जगत साझेदारी सम्मेलन के दौरान सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) पर नीति आयोग और सीआईआई की साझेदारी के शुभारंभ के अवसर पर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि सतत विकास के लिए तीन चीजों की सबसे अधिक अहमियत है, जिनमें ऊर्जा, जल और पुनरुत्पादक (सर्कुलर) अर्थव्यवस्था/हरित उद्योग शामिल हैं। ‘2022 एजेंडे’ का उल्लेख करते हुए उन्होंने विश्वास जताया कि भारत वर्ष 2022 से पहले भी स्वच्छ ऊर्जा के अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है। उन्होंने सभी से अनुरोध किया कि वे पर्यावरण के प्रति सजग एवं जवाबदेह बनें।
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने अपने संबोधन में ऐसे समय में भारत में तेज गति से हो रहे शहरीकरण पर प्रकाश डाला, जब कई देश जैसे कि अमेरिका और यूरोप पहले ही इस प्रक्रिया से लगभग पूरी तरह गुजर चुके है। अमिताभ कांत ने देश की आबादी का उल्लेख करते हुए कहा कि सतत रूप से विकास करने का एकमात्र तरीका यही है कि प्रौद्योगिकी का समुचित उपयोग किया जाए। इसके तहत नवीन एवं नवीनकरणीय ऊर्जा का उपयोग करने, अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) को बढ़ावा देने, इलेक्ट्रिक वाहनों, हाइड्रोजन कारों, इत्यादि की मांग बढ़ाने के लिए नवाचार करने और विश्व भर के लोगों के लिए विभिन्न समस्याओँ का स्थानीय समाधान ढूंढ़ने पर विशेष जोर दिया गया।
इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र के स्थानीय समन्वयक यूरी अफानासीव ने कहा कि भारत की प्रकृति, इतिहास एवं आबादी के स्वरूप को देखते हुए यहां की परिस्थितियां टिकाऊ एवं पुनरुत्पादक अर्थव्यवस्था के लिए ऐसे ठोस समाधान ढूंढ़ने की दृष्टि से अनुकूल हैं जिनकी पुनरावृत्ति पूरी दुनिया कर सकती है।
सीआईआई के अध्यक्ष एवं भारती एंटरप्राइजेज लिमिटेड के उपाध्यक्ष राकेश भारती मित्तल ने विशेष जोर देते हुए कहा कि सीआईआई 2018-19 की वर्तमान थीम ‘भारत का अभ्युदयः उत्तरदायी, समावेशी, सतत’ वास्तव में सतत विकास एजेंडे के अनुरूप है।
भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक चन्द्रजीत बनर्जी ने कहा कि सीआईआई के 9 उत्कृष्ट केन्द्र काफी हद तक सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के अनुरूप हैं।
सीआईआई और नीति आयोग ने आपस में तीन वर्षों के लिए साझेदारी की है और इस संबंध में एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं। इस साझेदारी के तहत विशिष्ट गतिविधियों पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है जिनका उद्देश्य इन्हें विकसित करना है-
1. एसडीजी में योगदान हेतु कारोबारियों और उद्योगों के लिए विजन एवं कार्यकलाप एजेंडा
2. वार्षिक स्थिति रिपोर्ट
3. क्षेत्र विशिष्ट सर्वोत्तम प्रथाओं से जुड़े दस्तावेज।
इस अवसर पर नीति आयोग के सलाहकार डॉ• अशोक कुमार जैन ने इस साझेदारी के बारे में विस्तार से बताया और अभिनव पहलों के लिए सीआईआई की सराहना की।
सीआईआई ने ‘एसडीजी की प्राप्ति हेतु पूरी दुनिया के लिए भारतीय समाधान’ नामक रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में प्रत्येक एसडीजी और कारोबारी निहितार्थों के बारे में विस्तार से बताया गया है। इस रिपोर्ट में उदाहरण देते हुए यह बताया गया है कि किस तरह से कंपनियों ने अपनी कारोबारी रणनीति में एसडीजी से जुड़ी रूपरेखा को शामिल किया है और इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कंपनियों ने किस तरह से ठोस प्रयास किए हैं।
सम्मेलन में अनेक प्रतिष्ठित प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय, विद्युत मंत्रालय, नवीन एवं नवीनकरणीय ऊर्जा मंत्रालय और पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारीगण तथा तेलंगाना, आंध्र प्रदेश एवं गुजरात जैसे अनेक राज्यों के सरकारी प्रतिनिधि शामिल हैं।
नई दिल्ली:
पाकिस्तान में भले ही नई सरकार बनने जा रही हो, पर आतंकवाद को लेकर उसकी नीतियों में बदलाव के संकेत नहीं दिख रहे हैं. एक तरफ पूर्व क्रिकेटर इमरान खान 14 या 15 अगस्त को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं. वहीं, भारतीय खुफिया एजेंसियों ने आगाह किया है कि स्वतंत्रता दिवस पर पाकिस्तानी आतंकी भारतीय सेना के शिविरों पर बड़े हमले की साजिश रच रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक मल्टी-एजेंसी कोऑर्डिनेशन सेंटर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 15 अगस्त को सेना के शिविरों पर बड़ा हमला हो सकता है.
रिपोर्ट के मुताबिक आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के 20 से ज्यादा आतंकी हमले के लिए तैयार हैं. पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी (ISI) को जैश-ए-मोहम्मद पर पूरा भरोसा है. इस बाबत दो रिपोर्ट हैं कि नियंत्रण रेखा (LoC) पर चूरा के पास कुछ आतंकी मौजूद हैं, जिन्हें टंगधार क्षेत्र में स्थित सेना के कैंप पर हमले के लिए भेजा गया है.
खबर है कि कुछ आतंकी सीमा पार कर गए हैं और फिलहाल वे रेकी कर रहे हैं. यह बात सेटेलाइट फोन से पकड़ में आई है. दूसरी रिपोर्ट जैश-ए-मोहम्मद को लेकर है. जैश आतंकियों को बारामुला इलाके में हमले के लिए रवाना किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक पट्टन और बारामुला टाउन के बीच के इलाके में उन्हें हमले के लिए कहा गया है.
बताया जा रहा है कि हमले के लिए ये आतंकी जम्मू-कश्मीर के एक स्थानीय व्यक्ति की भी मदद ले रहे हैं. पुंछ, राजौरी में भी घुसपैठ या हमले का खतरा है.
क्या है आतंकी अलर्ट
1. पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में खोली नामक जगह से जैश के 5 आतंकी टंगधार में सेना के शिविरों पर हमले की साजिश रच रहे हैं.
2. आर्मी के कैंपों पर हमले से पहले आतंकियों को रेकी करने के लिए कहा गया है.
3. जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों को उत्तरी कश्मीर में केंद्रीय सुरक्षा बलों पर हमले के लिए भेजा गया है.
4. लश्कर के 6 आतंकी एक गाइड के साथ खोजाबंडी में टेरर लॉन्चपैड पर मौजूद हैं.
5. पुंछ के दूसरी तरफ से 3 आतंकी भारत में घुसने की फिराक में हैं.
Nirankari Mata Savinder Hardev ji passes away after a prolong illness at 5:15 pm in New Delhi. She was 61. Born on 2nd January 1957 to Sh. Manmohan Singh and Smt. Amrit Kaur and later was adopted by Sh. Gurumukh Singh and Mrs Madan Kaur ji.
She got her education at convent of Christian and Mary Mussoorie As a better half of Baba Hardev Singh she supported him in prachar and welfare in india and abroad.
She was the 5th Saduru of nirankari mission
She is survived by three daughters. Samta, Renuka and Sudeeksha
Sadguru Sudiksha ji is the 6th head of Nirankari Mission
The body of Mata ji will be plaed for last ‘darshans’ in Samagam ground no. 8 till 7th of August, 2018, the cremation will be held at Nigam Bodh Ghat on 8th August at 12 noon in electrical crematorium. The mission sources told.
The Shradhaanjli samaroh will take place in samagam ground the same day at 2:00 pm
Calling Imran Khan an “ideal puppet” of the military establishment in Pakistan, ex-wife Reham Khan alleged that the Pakistan Tehreek-e-Insaf (PTI) chief had benefited from “rigged” elections. In an interview to The Hindu over the telephone from London, Ms. Khan said Mr. Khan would carry out foreign policy, including with India, according to the wishes of the military if he becomes Prime Minister, as he is expected to do after his party won 115 of the 272 seats in the elections held in Pakistan on July 25.
In her book about Mr. Khan, Ms. Khan has pulled no punches, portraying the former cricketer as a libertarian, unstable and power-hungry politician. Rejecting calls to tone down her criticism of Mr. Khan, and unfavourable comparisons to his first wife, British heiress Jemima, who congratulated Mr. Khan on Twitter, Ms. Khan, said she refused to “justify the indefensible”.
I knew that this would be the result. But I also knew that if elections were fair and free, there is no chance he would have won.
It is impossible that the party did well in so many places, including Khyber Pakhtunkhwa (KPK), where the PTI government was unpopular. In other places like Lahore and Karachi, what is unbelievable is that serious and experienced candidates have been defeated by unknown novices from the PTI.
Absolutely. If you remember, in 2013, Imran Khan said that Nawaz Sharif was the establishment’s protege too, so he understands that is what it takes. I think this time the military establishment wanted to show their power … very purposefully in their support for Imran Khan. They were upset when Nawaz Sharif started to assert himself, especially on the India policy and the China Pakistan Economic Corridor, and that is when they let him go. Imran is the ideal puppet. He has no knowledge of a lot of complex issues, and he will be willing to follow their line.
As a wife, you see and hear things. Imran always spoke about his links with the military. In 2008, he may have boycotted out of pique, out of feeling upset that they didn’t support him, but when I knew him, he always boasted about their support. He was always so sure that he would become Prime Minister that I think this plan to put Imran Khan in power came two or three years ago.
Yes, he has spent a lot of time in India and has many friends in India. This is why I feel he should not have been critical of India in his campaign. It is all so hypocritical. Let us imagine he actually wants healthy relations with India, and means it when he spoke of more trade ties.
But what did he do to the Sharifs when they wanted to increase business ties with India? He called them gaddars (traitors).
He stopped the MFN (Most Favoured Nation) status being given to India. He has no ideology, so you can expect him to do only what he is told to do, whether it is in India or Pakistan.
Yes, people have said the book was sponsored by the PML-N (Pakistan Muslim League-Nawaz), which is just not true. I only know the Sharifs through my time as a journalist, when I interviewed them. It would be flattering for me to think I could have had any impact on the campaign. I was told very clearly that this would happen in the elections, but I wrote my book anyway. I will not be dictated to by these forces. If people say I should be like Jemima, and be ladylike and graceful, then I don’t agree. I think you have to speak up, especially if you are a woman and you watch other women being treated badly.
I don’t want to be like Jemima for sure. I married Imran Khan when he was not winning elections. I am a Pakistani, a self-made woman, an anti-social nerd, and I am not a socialite like her. I am actually quite relieved that I didn’t have to stand beside Imran Khan while he touted blasphemy laws, and his party targeted minorities. I wouldn’t want to justify the indefensible.
I think I need to write another book just about how difficult it was to get my book out and how many people tried to block me. My staff were intimidated, offered bribes and told very clearly that anyone who stood in Imran Khan’s way would be blown up (udaa diye jaayenge). They also called my friends and made them tell me, “You are a woman, you have two daughters, and none of you will be safe.” So I felt it best to leave at that time [in February].
(Laughs) I can’t live without Pakistan; so, yes, I will return. My children have declared me psychotic and crazy as a result, but I do wish to go back.
On politics, I don’t think I have it in me to withstand the kind of targeting one faces and the depths one has to go to.
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