पंचांग, 15 जुलाई 2023
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 15 जुलाई 2023 :
नोटः आज शनि प्रदोष व्रत तथा श्रावण शिवरात्रि व्रत है।
श्रावण शिवरात्रि व्रत : सावन को हिंदू समुदाय द्वारा वर्ष का सबसे भाग्यशाली महीना माना जाता है। सावन शिवरात्रि सावन महीने का सबसे पवित्र दिन है क्योंकि यह ब्रह्मांड की दो शक्तिशाली शक्तियों – भगवान शिव और माँ पार्वती – के मिलन का प्रतीक है। कहा जाता है कि इसी दिन भगवान शिव ने देवी पार्वती से विवाह किया था।
शनि प्रदोष व्रत : शनि प्रदोष का व्रत रखने से शिव जी प्रसन्न होते हैं और शनि दोष दूर होता है। शनि प्रदोष के दिन शुभ मुहूर्त में शिव जी की पूजा करने से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है और सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। प्रदोष व्रत वाले दिन पूजा के लिए प्रदोष काल यानी शाम का समय शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि शनि प्रदोष के दिन शिव की पूजा करने वाले लोगों को मृत्यु के भय और बीमारियों से मुक्ति मिलती है। उन्हें सांसारिक ख़ज़ाना भी प्रदान किया जाएगा।
विक्रमी संवत्ः 2080,
शक संवत्ः 1945,
मासः श्रावण (प्रथम शुद्ध),
पक्षः कृष्ण पक्ष,
तिथिः त्रयोदशी रात्रि काल 08.33 तक है,
वारः शनिवार।
विशेषः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। शनिवार को देशी घी,गुड़, सरसों का तेल का दानदेकर यात्रा करें।
नक्षत्रः मृगशिरा रात्रि काल 12.23 तक है,
योगः वृद्धि रात्रि काल 08.21 तक,
करणः गर,
सूर्य राशिः मिथुन, चंद्र राशिः वृष,
राहु कालः प्रातः 9.00 बजे से प्रातः 10.30 तक,
सूर्योदयः 05.37, सूर्यास्तः 07.19 बजे।