भारत सरकार के विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राज कुमार सिंह ने कहा कि भारत के सतत विकास के लिए उद्योग जगत और सरकार को निश्चित रूप से आपस में भागीदारी करनी चाहिए। राज कुमार सिंह नीति आयोग, भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और संयुक्त राष्ट्र (यूएन) द्वारा 8 अगस्त को नई दिल्ली में आयोजित सरकार-उद्योग जगत साझेदारी सम्मेलन के दौरान सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) पर नीति आयोग और सीआईआई की साझेदारी के शुभारंभ के अवसर पर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि सतत विकास के लिए तीन चीजों की सबसे अधिक अहमियत है, जिनमें ऊर्जा, जल और पुनरुत्पादक (सर्कुलर) अर्थव्यवस्था/हरित उद्योग शामिल हैं। ‘2022 एजेंडे’ का उल्लेख करते हुए उन्होंने विश्वास जताया कि भारत वर्ष 2022 से पहले भी स्वच्छ ऊर्जा के अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है। उन्होंने सभी से अनुरोध किया कि वे पर्यावरण के प्रति सजग एवं जवाबदेह बनें।
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने अपने संबोधन में ऐसे समय में भारत में तेज गति से हो रहे शहरीकरण पर प्रकाश डाला, जब कई देश जैसे कि अमेरिका और यूरोप पहले ही इस प्रक्रिया से लगभग पूरी तरह गुजर चुके है। अमिताभ कांत ने देश की आबादी का उल्लेख करते हुए कहा कि सतत रूप से विकास करने का एकमात्र तरीका यही है कि प्रौद्योगिकी का समुचित उपयोग किया जाए। इसके तहत नवीन एवं नवीनकरणीय ऊर्जा का उपयोग करने, अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) को बढ़ावा देने, इलेक्ट्रिक वाहनों, हाइड्रोजन कारों, इत्यादि की मांग बढ़ाने के लिए नवाचार करने और विश्व भर के लोगों के लिए विभिन्न समस्याओँ का स्थानीय समाधान ढूंढ़ने पर विशेष जोर दिया गया।
इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र के स्थानीय समन्वयक यूरी अफानासीव ने कहा कि भारत की प्रकृति, इतिहास एवं आबादी के स्वरूप को देखते हुए यहां की परिस्थितियां टिकाऊ एवं पुनरुत्पादक अर्थव्यवस्था के लिए ऐसे ठोस समाधान ढूंढ़ने की दृष्टि से अनुकूल हैं जिनकी पुनरावृत्ति पूरी दुनिया कर सकती है।
सीआईआई के अध्यक्ष एवं भारती एंटरप्राइजेज लिमिटेड के उपाध्यक्ष राकेश भारती मित्तल ने विशेष जोर देते हुए कहा कि सीआईआई 2018-19 की वर्तमान थीम ‘भारत का अभ्युदयः उत्तरदायी, समावेशी, सतत’ वास्तव में सतत विकास एजेंडे के अनुरूप है।
भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक चन्द्रजीत बनर्जी ने कहा कि सीआईआई के 9 उत्कृष्ट केन्द्र काफी हद तक सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के अनुरूप हैं।
सीआईआई और नीति आयोग ने आपस में तीन वर्षों के लिए साझेदारी की है और इस संबंध में एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं। इस साझेदारी के तहत विशिष्ट गतिविधियों पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है जिनका उद्देश्य इन्हें विकसित करना है-
1. एसडीजी में योगदान हेतु कारोबारियों और उद्योगों के लिए विजन एवं कार्यकलाप एजेंडा
2. वार्षिक स्थिति रिपोर्ट
3. क्षेत्र विशिष्ट सर्वोत्तम प्रथाओं से जुड़े दस्तावेज।
इस अवसर पर नीति आयोग के सलाहकार डॉ• अशोक कुमार जैन ने इस साझेदारी के बारे में विस्तार से बताया और अभिनव पहलों के लिए सीआईआई की सराहना की।
सीआईआई ने ‘एसडीजी की प्राप्ति हेतु पूरी दुनिया के लिए भारतीय समाधान’ नामक रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में प्रत्येक एसडीजी और कारोबारी निहितार्थों के बारे में विस्तार से बताया गया है। इस रिपोर्ट में उदाहरण देते हुए यह बताया गया है कि किस तरह से कंपनियों ने अपनी कारोबारी रणनीति में एसडीजी से जुड़ी रूपरेखा को शामिल किया है और इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कंपनियों ने किस तरह से ठोस प्रयास किए हैं।
सम्मेलन में अनेक प्रतिष्ठित प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय, विद्युत मंत्रालय, नवीन एवं नवीनकरणीय ऊर्जा मंत्रालय और पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारीगण तथा तेलंगाना, आंध्र प्रदेश एवं गुजरात जैसे अनेक राज्यों के सरकारी प्रतिनिधि शामिल हैं।