पंचकुला के सेक्टर 15 में ओन लाइन ठगी, ठग दिल्ली से गिरफ्तार

खबर और फोटो RK

पंचकूला के सेक्टर 15 में आया ऑनलाइन ठगी का मामला पंचकूला के सेक्टर 15 में आया ऑनलाइन ठगी का मामला। सेक्टर 15 की रहने वाली निधि ने सेक्टर 14 के पुलिस स्टेशन में करवाया मामला दर्ज। आरोपी को किया दिल्ली से गिरफ्तार। पुलिस का कहना कि आरोपी ने 15 से 18 शहरों में अलग-अलग जगह से की है ऑनलाइन ठगीया। आज किया जायेगा कोर्ट में पेश

22nd September to observe as “Car Free Day” : Traffic Police Chandigarh

20.9.2018

“Car Free Day” is observed worldwide on 22nd September. Every year, one day is set aside so that instead of cars people use bicycles, public transport or walking to move around. “Car Free Day” is observed with an aim to make people realize that life is possible without dependence on cars, side-by-side leading to good health and peer bonding.

Chandigarh Traffic Police in association with various cycling groups of the city and members of IMA, Chandigarh is going to organize a Cycle Rally (entry free) on 22.9.2018 at 7.00 AM from Sukhna Lake, Chandigarh to avoid air pollution, noise pollution and traffic congestion in public interest.  The aim of this event is to build a better, healthier, connected community by encouraging city residents to pedal for short distances and experience the City Beautiful together in a way that is just not possible in a car.

All citizens of Chandigarh are requested to take part in this Cycle Rally to be held on 22.9.2018 at 7.00 AM from Sukhna Lake, Chandigarh. This 9 KM long cycle rally will start from Sukhna Lake and will be passing through various sectors of the city using cycle tracks and will finally culminate at IMA, Sector 35, Chandigarh. Participants are encouraged to wear the everyday working dress for taking part in this event to experience whether it is possible to move without cars.

Why no noise over cattle smugglers attacking gaurakshaks, asks Mohan Bhagwat


He also emphasised that those genuinely involved in the service of the cow, including Muslims who maintain cow shelters, should not be linked to lynching incidents


In the midst of a raging controversy over lynchings by cow vigilantes, RSS chief Mohan Bhagwat on Wednesday said that there were “double standards” over violence in the name of a cow with nobody making any “noise” about cattle smugglers attacking the gaurakshaks.

He also emphasised that those genuinely involved in the service of the cow, including Muslims who maintain cow shelters, should not be linked to lynching incidents.

“The cattle smugglers attack. There is noise over lynching but when cow smugglers attack and indulge in violence, there is no noise over it. We should abandon these double standards,” Bhagwat said in response to a query at a question-answer session at the concluding day of the outreach event here.

He said that indulging in violence or taking law in one’s hands over any issue, including the cow, was “inappropriate” and a “crime” which needs to be punished but stressed that “gau raksha toh honi chahiye” (cow must be protected).

“Cow must be protected. It is also in the Directive Principles of the Constitution. So it must be acted upon. But cow protection cannot be done only through law. The cow protectors must keep the cows. If they leave the cows in the open, it will lead to nuisance. And it will also raise questions on the faith about cow protection. Therefore, cow should be preserved,” he said.

He said that serving the cow reduces criminal tendencies in the person.

Bhagwat said that awareness about the utility of cow had been increasing.

“Several people are running good gaushalas in the country. And there are many Muslims among them. The entire Jain community is committed towards gauraksha. So they should not be associated with lynching,” he said.

Triple Talaq now a penal offence, Ordinance cleared


The ‘Muslim Women Protection of Rights on Marriage Bill’ was cleared by the Lok Sabha and is pending in the Rajya Sabha where the government lacks numbers


The Union Cabinet on Wednesday approved an ordinance making triple talaq a penal offence. Law Minister Ravi Shankar Prasad gave the information to the media after the cabinet meeting.

The ‘Muslim Women Protection of Rights on Marriage Bill’ was cleared by the Lok Sabha and is pending in the Rajya Sabha where the government lacks numbers.

“I have said this before, the issue of triple talaq has nothing to do with faith, mode of worship or religion. It is a pure issue of gender justice, gender dignity and gender equality,” Prasad told reporters after the meet.

“Twenty two countries regulated triple talaq, but gender justice was given complete go-by in India due to vote bank politics. Such a barbaric inhuman, triple talaq curse was not allowed to be ended by a Parliamentary law because of ambiguity and vacillation of the Congress party for pure vote bank politics,” he added.

The minister urged the leaders of other parties to help in passage of triple talaq bill in the Rajya Sabha.

“Appeal to Sonia Gandhi, Mayawati and Mamata Banerjee to help in passage of triple talaq bill in name of gender justice. There was urgency, compelling necessity for ordinance on triple talaq as practice was continuing unabated,” he said.

In 2017, the Supreme Court had banned the practice, in which Muslim men could get instant divorce by saying the word “talaq” thrice.

हमारा संविधान इस प्राचीन राष्ट्र की साझा सहमति का दस्तावेज है: मोहन भागवत


बंधुत्व का वैचारिक अधिष्ठान हिन्दुत्व है

महिलाएं न देवी हैं, न दासी, वे राष्ट्र के विकास में पुरूषोंकी बराबर की साझीदार और हिस्सेदार हैं

देशभक्ति, पूर्वजों का गौरव और अपनी संस्कृति से प्रेम हिन्दुत्व की पहचान है


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक प. प. श्री मोहनराव भागवत ने हिन्दुत्व की संकल्पन को स्पष्ट करते हुए कहा, कि हिन्दुत्व अर्थात पावन जीवन मूल्यों का समुच्चय, यह इस देश का आधार और प्राण है, इसी के आधार पर समतायुक्त, शोषणमुक्त समाज का निर्माण संघ का लक्ष्य है. उन्होंने कहा, कि संघ का लक्ष्य हिन्दू राष्ट्र को परम वैभव की स्थिति में ले जाना है. संघ की दृष्टि में भारत का वह हर व्यक्ति हिन्दू है जो देश से प्रेम करता है, अपने पूर्वजों पर गर्व करता है और अपनी संस्कृति पर अभिमान करता है.,भले ही वह वह इस संस्कृति को भारतीय कहता हो, कहता हो, आर्य कहता हो या सनातन कहता हो।

प. प. श्री भागवत ने यह बात विज्ञान भवन में कही. वह भविष्य का भारत संघ का दृष्टिकोण विषय पर आयोजित व्याख्यानमाला के दूसरे दिन प्रबुद्ध वर्ग को संबोधित कर रहे थे. श्री भागवत ने संघ के लक्ष्य को स्पष्ट करते हुए कहा, कि एक समर्थ्य, शक्तिशाली और संपन्न भारत विश्व के प्रत्येक कमजोर समाज का संबल होगा. यह सामर्थ्यशील होगा साथ ही अनुशासन और एकात्मता से प्रेरित भी होगा.

 

श्री मोहनराव भागवत ने कहा, कि संघ का विचार हिन्दुत्व का विचार है. यह पुरातन विचार और सबका माना हुआ सर्वसम्मत विचार है. इसलिए हम अपने पुरूखों के बताए मार्ग पर चल रहे हैं. अगर प्रश्न हो, कि हिन्दुत्व क्या है तो कहना पड़ेगा, कि सबके कल्याण में अपना कल्याण, ऐसा जीवन जीने का अनुशासन देने वाला हिन्दुत्व  है और यह सभी विविधताओं को स्वीकार करता है.

 

राष्ट्र के उत्थान के लिए सामाजिक पूंजी की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए श्री मोहनराव भागवत ने जापान का उदाहरण दिया और कहा, कि संघ अनुशासित सामाजिक जीवन और समाजहित को सर्वोपरि मानता है. देश के लिए कोई भी साहस करने, कोई भी त्याग करने और देश का हर काम उत्कृष्ट रूप से करने से ही एक शक्ति संपन्न राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है. स्वयंसेवकों को केन्द्रित करते हुए उन्होंने कहा, कि स्वयंसेवक समाज के लिए आवश्यक कार्यों को अपने हाथ में लेते हैं और अपनी क्षमता और इच्छानुसार विभिन्न क्षेत्र में काम करते हैं. संघ के साथ उनका परस्पर विचार-विमर्श होता है लेकिन वे स्वावलंबी और स्वायत्त रूप से कार्य करते हैं.

हिंदू राष्ट्र के बारे में बताते हुए श्री मोहन भागवत ने कहा की संघ का काम बंधुभाव के लिए है और इस बंधुभाव के लिए एक ही आधार है विविधता में एकता. वह विचार देनेवाला हमारा शाश्वत विचार दर्शन है। उसको दुनिया हिंदुत्व कहती है , इसलिए हम कहते हैं कि हमारा हिंदू राष्ट्र है.  हिंदू राष्ट्र है इसका मतलब इसमें मुसलमान नहीं चाहिए , ऐसा बिल्कुल नहीं होता . जिस दिन यह कहा जाएगा कि यहां मुसलमान नहीं चाहिए,  उस दिन वह हिंदुत्व नहीं रहेगा वह तो विश्व कुटुंब की बात करता है.

संघ और राजनीति के संबंधों को स्पष्ट करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक ने कहा, कि संघ ने जन्म से ही निश्चित किया है, कि राजनीति से हमारा संगठन दूर रहेगा. संघ का कोई भी पदाधिकारी किसी भी राजनीतिक दल में पदाधिकारी नहीं बनेगा. संघ का काम संपूर्ण समाज को जोड़ना है, राज कौन करे, इसका चुनाव जनता करती है. किंतु राष्ट्र हित में राज्य कैसा चले, इसके बारे में हमारा मत है और इसके लिए हम लोकतांत्रिक रीति से प्रयास भी करते हैं. संघ राजनीति से दूर रहता है. लेकिन इसका अर्थ यह नहीं, कि संघ घुसपैठियों के बार में न बोले. इस तरह के प्रश्न राष्ट्रीय प्रश्न हैं. राजनीति की उसमें प्रमुख भूमिका है, परंतु प्रश्नों के सुलझने और न सुलझने का परिणाम पूरे देश पर होता है. इसलिए ऐसे विषयों पर संघ सदैव से अपना मत रखता आया है. उन्होंने कहा, कि कुछ लोग बोलते हैं, कि दूसरे दलों में स्वयंसेवक ज्यादा क्यों नहीं हैं ? यह हमारा प्रश्न नहीं है. क्यों दूसरे दलों में जाने की उनकी इच्छा नहीं होती यह उनको विचार करना है. हम किसी भी स्वयंसेवक को किसी विशेष दल में कार्य करने को नहीं कहते.

 

श्री भागवत ने महिलाओं को केन्द्रित करते हुए कहा, कि हमारी संस्कृति में महिलाओं को देवी माना गया है. लेकिन असल में उनकी हालत देखते हैं, तो ठीक नहीं दिखायी देती. हमारा मानना है, कि समाज का एक हिस्सा होने के नाते महिलाएं समाज जीवन के सभी प्रयासों में बराबरी की हिस्सेदार हैं और जिम्मेदार भी. इसलिए उनके साथ समान व्यवहार होना चाहिए. आज कई क्षेत्रों में महिलाएं पुरूषों से अच्छा काम कर रही हैं.  इसलिए महिला और पुरूष परस्पर एक-दूसरे के पूरक हैं.

कर्नाटक के मंत्री डीके शिवकुमार और अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का एक मामला दर्ज


जांच एजेंसी ने शिवकुमार, नयी दिल्ली स्थित कर्नाटक भवन में कर्मचारी हनुमनथैया और अन्य के खिलाफ धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज किया है


प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कर्नाटक के मंत्री डीके शिवकुमार और अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का एक मामला दर्ज किया है. अधिकारियों ने बताया कि यह मामला कथित कर चोरी और हवाला लेनदेन मामले के आधार पर दर्ज किया गया है.

अधिकारियों ने बताया कि जांच एजेंसी ने शिवकुमार, नयी दिल्ली स्थित कर्नाटक भवन में कर्मचारी हनुमनथैया और अन्य के खिलाफ धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज किया है.

कथित कर चोरी और करोड़ों रूपए के हवाला लेनदेन के मामले में इस साल की शुरुआत में आयकर विभाग ने बेंगलुरू की एक विशेष अदालत में उनके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था. यह मामला उसी आरोप पत्र के आधार पर दर्ज किया गया है.

आरोपियों को जल्दी ही समन भेजा जा सकता है:

आरोपियों के बयान दर्ज करने के लिए एजेंसी उन्हें जल्द ही समन भेज सकती है. आयकर विभाग ने शिवकुमार और उनके सहयोगी एसके शर्मा पर तीन अन्य लोगों की मदद से आय से अधिक धन नियमित तौर पर हवाला माध्यमों के जरिए लाने – ले जाने का आरोप लगाया है.

अन्य आरोपी- सचिन नारायण, अंजनेय हनुमनथैया और एन राजेंद्र हैं.

आयकर विभाग ने आरोप लगाया कि सभी पांचों आरोपियों ने कर चोरी की साजिश रची.

विभाग ने कहा कि बीते अगस्त में नयी दिल्ली और बेंगलुरू में छापेमारी के दौरान करीब 20 करोड़ रूपए की अवैध संपत्ति बरामद की गई, जिसका शिवकुमार से सीधा संबंध है.

प्रधान मंत्री के काशी भाषण से सांसदों में हडकंप


उत्तर प्रदेश एक बार फिर बीजेपी समेत अन्य राजनीतिक दलों के चुनावी उपक्रम का साक्षी बन रहा है


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वाराणसी में गणितीय अंकों के हिसाब से यह कौन सा दौरा था इस बात के आकलन में समय न व्यर्थ करते हुए अगर इस दौरे और मंगलवार के भाषण को आगामी लोकसभा चुनावों में टिकट पाने की योग्यता का विवरण रूपी आयोजन कहा जाय तो शायद अतिश्योक्ति नहीं होगी.

सोमवार को अपना जन्मदिन काशी में मनाने के बाद मंगलवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के एम्फीथियेटर मैदान में जनसमूह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने जो बातें कहीं, उसे भले ही एक सांसद द्वारा अपने लोकसभा क्षेत्र में कराए गए कार्यों का इकरारनामा माना जा रहा हो लेकिन भाषण के प्रमुख बिंदुओं की तह में प्रदेश के अन्य सांसदों के लिये एक संदेश भी है जो शायद रिपोर्ट कार्ड की शक्ल में किन्हीं महत्वपूर्ण फाइलों में कहीं दर्ज हो चुका है. भाषण के कुछ अंशों का इशारा शायद इस तरफ भी है कि जिन सांसदों ने अपने क्षेत्रों में अनुकूल कार्य नहीं किया है उन्हें दोबारा मौका नहीं दिया जाएगा.

बहरहाल, उत्तर प्रदेश के सभी बीजेपी सांसदों को आने वाले परिवर्तन को समझने के निमित्त प्रधानमंत्री के सोमवार के वाराणसी अभिभाषण के कुछ अंशों को कई बार सुनना चाहिए. क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सांसद के रूप में अपने लोकसभा क्षेत्र के कार्यों का विवरण देने के क्रम में उपस्थित जनसमूह का न सिर्फ भोजपुरी में अभिवादन किया बल्कि बड़ी ही साफगोई से अपनी प्राथमिकताओं को क्रमवार तरीके से रख कर चुनावी अनुष्ठान की आधारशिला रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी. उन्होंने अपने लोकसभा क्षेत्र में हुए बिजली, पानी, और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं के कार्यों का उल्लेख किया और साथ ही भविष्य की योजनाओं का खाका खींच कर आने वाले चुनावों से संबंधित वायदे भी किए.

क्या किया, कैसे किया और आगे क्या करेंगे

सबसे पहले भूमिगत तारों की योजना आईपीडीएस की चर्चा करते हुए कहा, ‘काशी को भोले के भरोसे पहले छोड़ दिया गया था पर अब काशी बदल रही है. हमने ठाना था काशी में विकास करना है. सांसद बनने से पहले भी मैंने यह सोचा था कि काशी में लटकते बिजली के तार कब हटेंगे. आज बहुत बड़ा हिस्सा मुक्त हो गया है.’ लेकिन इसके साथ ही नगर में विकास कार्यों के नाम पर चल रहे कुछ अभियान से पनपे अवसाद के डैमेज कंट्रोल से भी नहीं चूके और उन्होंने कहा, ‘साथियों मैं जब भी यहां आता हूं तो एक बार जरूर याद दिलाता हूं कि काशी में जो भी बदलाव ला रहे है, वो यहां की परंपरा और प्राचीनता को बनाते हुए कर रहे हैं. 4 साल पहले बदलाव के इस संकल्प को लेकर निकले थे तब और अब में अंतर नजर आता है.’

सोमवार के भाषण में उन्होंने भोजपुरी मिश्रित काशिका में कहा, ‘काशी के लोग बहुत प्यार देहलन, आप लोगन के बेटा हई हम, बार-बार काशी आवे का मन करेला. हर-हर महादेव.’ इसके बाद उन्होंने बीएचयू की शान में कसीदे पढ़ते हुए कहा, ‘आप सभी का स्नेह आशीर्वाद मुझे हर पल प्रेरित करता है, बीएचयू को 21 वीं सदी का नॉलेज सेंटर बनाने के लिए कई प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई है. अटल इनोवेशन सेंटर में देश भर से 80 स्टार्ट अप के आयडिया यहां चुके हैं और 20 तो यहां से जुड़ चुके हैं.’

आगामी चुनावों के मद्देनजर अपनी भविष्य की योजनाओं का विवरण देने के क्रम में उन्होंने सड़क निर्माण में सहयोग के बाबत योगी सरकार की सराहना करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हुए कहा, ‘वाराणसी को पूर्वी भारत के गेटवे के तौर पर विकसित करने का प्रयास हो रहा है. आज काशी एलईडी की रोशनी से जगमगा रही है. 4 साल पहले जो काशी आया था वो आज काशी को देखता है तो उसे बदलाव नजर आता है. यह कि रिंग रोड की फाइल दबी हुई थी, 2014 के बाद हमने फाइल निकलवाई और योगी जी की सरकार बनने के बाद बहुत तेजी से सड़क बनने का काम हो रहा है. काशी रिंग रोड के निर्माण से आस-पास के कई जिलों को भी लाभ होने वाला है. वाराणसी-हनुमना, वाराणसी-सुल्तानपुर, वाराणसी-गोरखपुर मार्ग को बनाने में हजारों करोड़ रुपया खर्च किया जा रहा है.’

चर्चा में रहा आगामी प्रवासी भारतीय सम्मेलन

प्रधानमंत्री ने जनवरी में प्रस्तावित प्रवासी भारतीय सम्मेलन के सफल आयोजन के संकल्प को भी दोहराने में देर न करते हुए कहा, ‘पिछले 4 साल में कई देशों के राजनायकों का अद्भुत स्वागत वाराणसी ने किया है, जनवरी में दुनिया भर के प्रवासी भारतीयों का कुम्भ काशी में लगने वाला है सरकार अपने स्तर पर काम कर रही है पर आपका सहयोग भी चाहिए, काशी के हर मोहल्ले चौराहे पर बनारस का रस हमें दिखाना होगा. जो लोग काशी आएंगे वो ऐसा अनुभव लेकर जायें कि वो दुनिया भर में काशी के ब्रांड एम्बेसडर बन जाएं.’

इरादों- वादों में गंगा, घाट और बहुत कुछ

गंगा सफाई के बाबत भी उन्होंने अपने वादे को दोहराते हुए कहा, ‘गंगा की सफाई के लिए गंगोत्री से लेकर काशी तक काम चल रहा है, इसके लिए 21 हजार करोड़ की स्वीकृति दी जा चुकी है और काशी में 600 करोड़ की परियोजना की स्वीकृति दी जा चुकी है. सीवर और पेय जल की कमियां सुधारी जा रही हैं. इसके अलावा उन्होंने रेल नेटवर्क और वाराणसी के पर्यटन उद्योग के विकास पर सामूहिक प्रकाश डालते हुए कहा, ‘वाराणसी से अनेक नई रेल गाड़ियों की शुरुआत पिछले 4 सालों में की गई है, बनारस के रेल संपर्क बहुत मजबूत हो रहा है. शहर के सौंदर्य से भी पहचाना जा रहा है, यहां के घाट भी रोशनी से नहा रहे हैं. क्रूज की भी सवारी यहां की जा रही है. वाराणसी के टॉउन हाल का जीर्णोद्धार किया जा रहा है एवं सारनाथ में लाइट ऐंड साउंड की व्यवस्था की जा रही है. बनारस और पूर्वी भारत के बुनकर और शिल्पकार मिट्टी को सोना में बनाने का काम कर रहे हैं.

महामना मालवीय और लाल बहादुर शास्त्री का भी उल्लेख

प्रधानमंत्री ने प्रस्तावित गैस पाइपलाइन योजना का उल्लेख करते हुए कहा, ‘काशी अब देश के उन चुनिंदा शहरों में शामिल है जहां गैस पाइप लाइन से पहुंच रही है. इसके अलावा उज्ज्वला योजना के जरिये 60 हजार लोगों को एलपीजी सिलिंडर मिला है. इसके बाद वे फिर योगी आदित्यनाथ की तरफ मुखातिब होकर उन्होंने कहा, ‘यूपी में बीजेपी में सरकार बनने के बाद काम मे तेजी आई है, इसलिए योगी जी और उनकी टीम को बधाई देता हूं. वेद के ज्ञान से लेकर 21 वी सदी के विज्ञान को जोड़ा गया है मालवीय जी का सपना था कि सबको प्राचीन से लेकर अत्याधुनिक शिक्षा मिले उसे बीएचयू पूरा कर रहा है.’

इसके बाद वे चिकित्सा सेवाओं पर हुए कार्यों का विवरण देने के क्रम में देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘आज काशी पूर्वी भारत का हब बन रहा है. मेडिकल की दृष्टि में भी ये पूर्वी भारत का हब बनता जा रहा है. 54 साल पहले लाल बहादुर शास्त्री ने नेत्र विभाग का उद्घाटन किया था और अब मुझे क्षेत्रीय नेत्र संस्थान बनाने का मौका मिला है इससे मोतियाबिंद से लेकर आंख की गम्भीर बीमारियों से बहुत कम पैसे में छुटकारा मिलेगा.’

इसके बाद के अंश जिसके राजनैतिक निहितार्थ निकाले जाने चाहिये वो कुछ इस प्रकार है…

‘नई काशी और नए भारत के निर्माण में अपना योगदान दें. मैंने भले ही पीएम पद का दायित्व निभाया है पर मैं एक सांसद के नाते क्या किया इसका भी जिम्मेदार हूं. 4 साल में क्या किया, यह बताने की कोशिश की है, आप मेरे मालिक हैं, आप मेरे हाई कमान हैं, भारत माता की जय.’

दरअसल भाषण के इस अंश को अगर एक विषय से जोड़कर देखा जाय तो उत्तर प्रदेश के राजनीतिक शक्ति स्थलों और सत्ता के गलियारों में यह बात आजकल आम है कि बीजेपी आगामी चुनावों के मद्देनजर प्रदेश की कई लोक सभा सीटों में अपने प्रत्याशी बदलने के मूड में है.

प्रदेश भर में सबसे अधिक परिवर्तन पूर्वांचल में देखने को मिलेंगे इस बात की चर्चा भी गाहे-बगाहे होने लगी है. हालांकि पार्टी की ओर से बीजेपी सांसदों के टिकट काटे जाने या बदले जाने के बाबत कोई औपचारिक बयान अब तक नहीं जारी हुआ है लेकिन अंदरखाने में यह बात आम है कि प्रधानमंत्री और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की कसौटी पर खरे न उतरने वाले लोक सभा सदस्यों को इस बार बैठा दिया जाएगा. ऐसे में प्रदेश की कई सीटों से नए-नए आवेदकों द्वारा दिल्ली लखनऊ के राजनीतिक मठाधीशों के समक्ष पेशबन्दी जोर-शोर से चल रही है.

अमित शाह और उत्तर प्रदेश 

पिछले कुछ महीनों में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में कई बार प्रवास किया है. इन दौरों के बाद करीब 35 से 50 मौजूदा पार्टी सांसदों के टिकट काटे जाने की चर्चाएं हर तरफ हो रही हैं. इन चर्चाओं के आलोक में बीजेपी के सभी 68 सांसदों की धड़कनें तेज हो गई हैं. गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से भाजपा के 71 और सहयोगी दल अपना दल के दो सांसद जीते थे.

इनमें गोरखपुर, फूलपुर और कैराना लोकसभा सीट के उपचुनाव हार जाने के बाद मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश में भाजपा के 68 सांसद ही रह गए हैं. पिछले दो महीनों में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष काशी, अवध और गोरखपुर के क्षेत्रीय संगठनों के साथ लोकसभा चुनाव की रणनीति तैयार करने के क्रम में कई बैठकें कर चुके हैं. इसके अलावा उन्होंने ब्रज क्षेत्र, कानपुर क्षेत्र और पश्चिम क्षेत्र के संगठनों के साथ भी बैठक की है.

बन चुके हैं रिपोर्ट कार्ड

सूत्रों की मानें तो बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने यूपी में अपनी पार्टी के सभी 68 सांसदों के रिपोर्ट कार्ड तैयार कर लिए हैं, और इनमें से आधे से अधिक सांसदों के चार साल के कामकाज को निराशाजनक बताया गया है. इन सांसदों के बारे में नेतृत्व को यह ताकीद की गई है कि दोबारा इन्हें प्रत्याशी बनाया गया तो क्षेत्रीय जनता इन्हें जिताकर संसद नहीं भेजेगी. इस सूचि में से कुछ सांसद दलित और पिछड़े वर्ग से भी संबंधित हैं और कुछ ऐसे सांसद भी हैं जो बीजेपी के खिलाफ ही बगावत का बिगुल फूंक चुके हैं. इनके अलावा कुछ सांसदों के आचरण से सबंधित शिकायतें भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं बीजेपी अध्यक्ष के पास हैं.

इनके स्थान पर उन सीटों पर चुनाव मैदान में उतारने के लिए नए चेहरों की तलाश भी की जा रही है. टिकट कट जाने के अंदेशे में चार साल तक अपने संसदीय क्षेत्र में काम न करने वाले सांसदों ने संघ से लेकर प्रदेश व क्षेत्रीय संगठनों के बड़े पदाधिकारियों की चौखटों पर गणेश परिक्रमा करनी शुरू कर दी है.

उत्तर प्रदेश एक बार फिर बीजेपी समेत अन्य राजनीतिक दलों के चुनावी उपक्रम का साक्षी बन रहा है, ऐसे में कांग्रेस का सिकुड़ना, शिवपाल यादव का नया मोर्चा, अमर सिंह का राजनीतिक पुनर्जागरण, मायावती की खामोशी और अखिलेश की रक्षात्मक शैली के दूसरी तरफ बीजेपी के खेमे में एक साथ कई हांडियां आग पर चढ़ी हुई हैं.

देखना होगा कि इनमें से कौन सी हांडी में दाल पकती है और कौन सी हांडी में खिचड़ी, लेकिन तब तक इन सभी हाण्डियों में पानी खौल रहा है, पानी के उबाल मारने के बाद ही शायद तस्वीर साफ हो लेकिन तब तक सिर्फ चिन्ह की भाषा समझने में ही राजनीतिक यथार्थ का चित्रण संभव है.

कांग्रेस को मिजोरम में अनुशासनात्मक कार्रवाई की चुकानी पड़ सकती है बड़ी कीमत


मिजोरम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम जाहिर नहीं किए जाने की शर्त पर कहा, ‘मिजोरम कांग्रेस आखिरकार अपनी ही हरकतों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘कांग्रेस-मुक्त भारत’ के सपने को पूरा करेगी, जो काफी दुर्भाग्यपूर्ण है.  मुख्यमंत्री के फरमान के आगे राहुल जी भी कुछ नहीं कर सकते.’


ऐसा लगता है कि कांग्रेस शासित राज्य मिजोरम भी असम की राह पर चल पड़ा है. इस राज्य में कुछ ही महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं. मिजोरम प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने सोमवार दोपहर को अपने उपाध्यक्ष और राज्य के गृह मंत्री रहे आर लालजिरलियाना को कथित ‘पार्टी विरोध गतिविधियों’ के कारण निष्कासित कर दिया. इस कदम से राज्य में पार्टी के भीतर बढ़ रहे मतभेद सामने आ गए हैं. साथ ही, पार्टी संगठन में चल रहे मौजूदा विवाद को निपटाने में कांग्रेस नेतृत्व की अक्षमता का भी जाहिर होती है.

मिजोरम में कांग्रेस के सामने असम जैसी ही स्थिति

मिजोरम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के चेयरमैन सी लालपियानथन्गा ने नोटिस जारी करते हुए लालजिरलियाना को निष्कासित कर दिया. कांग्रेस महासचिव और पार्टी में उत्तर-पूर्वी राज्यों के प्रभारी (असम को छोड़कर) लुइजिन्हो फलेरो ने फ़र्स्टपोस्ट को बताया, ‘मिजोरम में आगामी विधासभा चुनाव से पहले यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. इस बारे में फैसला मिजोरम प्रदेश कांग्रेस कमेटी की तरफ से लिया गया है. कमेटी ने एक सप्ताह पहले लालजिरलियाना को कारण बताओ नोटिस जारी कर उनसे स्पष्टीकरण मांगा था.’

लालजिरलियाना के ऑफिस ने भी पत्रकारों से फोन पर बातचीत में इस खबर की पुष्टि की है. निकाले जाने के बाद अगर लालजिरलियाना आखिरकार विपक्षी पार्टी मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) में शामिल होते हैं तो यह कुछ वैसा ही होगा, जैसा असम में हुआ. असम में हेमंत बिस्वा शर्मा कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. लालजिरलियाना मिजोरम कांग्रेस के सबसे लोकप्रिय और ताकतवर नेताओं में से एक रहे हैं.

हेमंत बिस्वा सरमा

असम की तरुण गोगोई सरकार में मंत्री रह चुके और उस वक्त कांग्रेस के लोकप्रिय नेता रहे हेमंत बिस्वा ने गोगोई से मतभेदों के बाद पार्टी छोड़ दी थी. तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में उन्होंने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और राज्य नेतृत्व की जमकर आलोचना की थी. शर्मा ने चिट्ठी में राज्य नेतृत्व पर मनमाना रवैया अपनाने और मुद्दों को निपटाने को लेकर उदासीन रवैया अख्तियार करने का आरोप लगाया था.

मुख्यमंत्री से नहीं बनने के कारण लालजिरलियाना को निकाला गया !

मिजोरम कांग्रेस पार्टी सूत्रों के मुताबिक, मिजोरम के मुख्यमंत्री ललथनहवला और लालजिरलियाना के बीच टकराव चल रहा है और पार्टी नेतृत्व ने इसे सुलझाने की दिशा में किसी तरह की दिलचस्पी नहीं दिखाई. ललथनहवला मिजोरम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी हैं.

मिजोरम कांग्रेस पार्टी के एक सूत्र ने बताया, ‘इस मामले में कांग्रेस पार्टी की पूरी तरह से उदासीनता रही और पार्टी ने कभी इस मुद्दे को निपटाने के बारे में नहीं सोचा. लालजिरलियाना की नाराजगी की शुरुआत लंबे समय से सैतुअल को जिला बनाने की उनकी मांग पर किसी तरह का जवाब नहीं मिलने से शुरू हुई, जो उनके विधानसभा क्षेत्र तवा से जुड़ा शहर है. राहुल गांधी से लेकर सीएम ललथनहवला तक और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अन्य नेताओं ने भी इस संबंध में वादा किया था, लेकिन बाद में मुख्यमंत्री अपना वादे से पीछे हट गए. कांग्रेस नेतृत्व ने इन शीर्ष नेताओं को दिल्ली बुलाकर दिक्कतों को दूर करने का कभी प्रयास नहीं किया.’

मिजोरम के गृह मंत्री (लालजिरलियाना) ने जब 14 सितंबर को अपने पद से इस्तीफा दिया, तो उस वक्त पार्टी और राज्य सरकार में तनाव चरम पर पहुंच गया था. लालजिरलियाना ने अपने इस्तीफा पत्र में कहा था कि उनसे किए गए वादे पूरे नहीं किए गए और इसके विरोध में उन्होंने इस्तीफा दिया है.

लजिरलियाना 1998 से लगातार चार बार अपने विधानसभा क्षेत्र से चुने गए हैं. पार्टी सूत्रों ने बताया, ‘मिजोरम के सैतुअल में चुनाव प्रचार के दौरान उस वक्त कांग्रेस के उपाध्यक्ष पद पर मौजूद राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री की मौजूदगी में वादा किया था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो लालजिरलियाना की अलग जिले की मांग को पूरा किया जाएगा. हालांकि, दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ. ललथनहवला ने इसे रोक दिया. इससे मिजोरम के लोगों में संदेश गया है कि मुख्यमंत्री के फरमान के आगे राहुल जी भी कुछ नहीं कर सकते.’

राज्य में विपक्षी मोर्चे के लिए अच्छे दिनों की आहट

इस बीच, खबर है कि एमएनएफ ने अपने चुनाव अभियान में कहा है कि अगर मोर्चा सत्ता में आता है तो वह सैतुअल को जिले का दर्जा प्रदान करेगा. मिजोरम कांग्रेस के भीतर एक तबके का मानना है कि कांग्रेस के वफादार लालजिरलियाना को हटाया जाना पार्टी के लिए आत्मघाती कदम जैसा होगा. इस तबके के मुताबिक, इस फैसले से आखिरकार एमएनएफ के अच्छे दिनों की वापसी का मार्ग प्रशस्त होगा.

सूत्रों ने यह भी बताया कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व मिजोरम में मौजूदा स्थिति में फेरबदल नहीं करना चाहता है. यह पार्टी की अक्षमता और अकुशलता की तरफ इशारा करता है. कांग्रेस पार्टी अपने स्थानीय नेतृत्व को बड़ी गलती करने की इजाजत दे रही है.

मिजोरम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम जाहिर नहीं किए जाने की शर्त पर कहा, ‘मिजोरम कांग्रेस आखिरकार अपनी ही हरकतों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘कांग्रेस-मुक्त भारत’ के सपने को पूरा करेगी, जो काफी दुर्भाग्यपूर्ण है. लालजिरलियाना बेहद लोकप्रिय नेता हैं और यह बात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष को हजम नहीं हुई. वित्तीय दिक्कतों का बहाना बनाकर उन्होंने हमारे उपाध्यक्ष की मांग को रोक दिया और उसे ‘पार्टी विरोधी गतिविधि’ बताया. अनुशासन समिति ने सीधा ललथनहवला के निर्देश का पालन किया और लालजिरलियाना को निष्कासित कर दिया.’

जेएनयू में कुछ ताकतें भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ रही हैं: निर्मला सीतारमण


‘‘पिछले कुछ सालों में (जेएनयू में) जो चीजें हुई हैं, वे वास्तव में उत्साहजनक नहीं हैं.’’


रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को आरोप लगाया कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में कुछ ताकतें हैं, जो भारत के खिलाफ “युद्ध छेड़ रही हैं”. उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को संस्थान के छात्र संघ के निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ भी देखा गया है.

उनकी इस टिप्पणी के कुछ दिन पहले ही वामपंथी समूहों ने जेएनयू छात्र संघ चुनावों में सभी चार प्रमुख पद जीते हैं. आरएसएस समर्थित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और वामपंथी आल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) के सदस्यों के बीच झड़पें भी हुई हैं.

निर्मला ने कहा, ” कुछ ऐसी ताकतें हैं जो भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ रही हैं और वे छात्र संघ के निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ भी देखे जाते हैं. इससे मैं असहज महसूस करती हूं.’’

भारतीय महिला प्रेस क्लब में एक कार्यक्रम के दौरान जेएनयू की पूर्व छात्र निर्मला सीतारमण से विश्वविद्यालय के घटनाक्रम के बारे में सवाल किया गया था.

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले कुछ सालों में (जेएनयू में) जो चीजें हुई हैं, वे वास्तव में उत्साहजनक नहीं हैं.’’

रक्षा मंत्री ने कहा, “पुस्तिकाएं कहती हैं कि वे भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ रहे हैं. उनकी विवरणिकाएं (ब्रोशर) ऐसा कहती हैं. जेएनयूएसयू का नेतृत्व करने वाले या जेएनयूएसयू सदस्य खुले तौर पर ऐसी ताकतों के साथ शामिल होते हैं, इसलिए भारत विरोधी कहने में आपको संकोच करने की आवश्यकता नहीं है.”

अफजल गुरू की फांसी के खिलाफ जेएनयू परिसर में नौ फरवरी, 2016 को आयोजित एक कार्यक्रम में कथित तौर पर राष्ट्रविरोधी नारे लगाए गए थे. इसके बाद राष्ट्रवाद पर देशव्यापी बहस के केंद्र में जेएनयू आ गया था

शिवभक्ति में डूबने के बाद अब बिहार में ‘सवर्ण’ बनी कांग्रेस? नाराजगी भुनाने की कोशिश!


लंबे इंतजार के बाद बिहार में कांग्रेस ने अपनी टीम का ऐलान कर दिया है.टीम के ऐलान करते वक्त सवर्ण समुदाय को साधने की पूरी कोशिश की गई है. सवर्ण समुदाय में भी ब्राह्मण, भूमिहार, राजपूत के अलावा दलित और मुस्लिम के पुराने गठजोड़ को फिर से अपने साथ लाने की कोशिश कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तरफ से की गई है.


 

लंबे इंतजार के बाद बिहार में कांग्रेस ने अपनी टीम का ऐलान कर दिया है. मदनमोहन झा को कांग्रेस ने बिहार की कमान सौंपी है. मदनमोहन झा मौजूदा वक्त में एमएलसी हैं और इसके पहले नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. उनके हाथों में कांग्रेस ने बिहार की कमान सौंपकर बिहार में ब्राह्मण समुदाय को साधने की कोशिश की है. कांग्रेस को लगता है कि मदनमोहन झा के नाम पर एक बार फिर उसका पुराना वोटबैंक उसके साथ आ सकता है.

मदन मोहन झा को बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष नियुक्त करने के अलावा कांग्रेस ने जिन चार कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति की है, उनमें भी दो सवर्ण समुदाय से ही हैं. पुराने कांग्रेसी नेता श्याम सुंदर सिंह धीरज और समीर कुमार सिंह को कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है. श्याम सुंदर सिंह धीरज भूमिहार जाति से आते हैं जबकि समीर बहादुर सिंह राजपूत हैं.

इसके अलावा कांग्रेस ने दलित समुदाय से आने वाले डॉ. अशोक कुमार और मुस्लिम समुदाय के कौकब कादरी को भी कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है. डॉ. अशोक कुमार मौजूदा वक्त में एमएलए हैं और एक साल पहले नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. जबकि कौकब कादरी कांग्रेस अध्यक्ष के पद से अशोक चौधरी की छुट्टी के बाद से ही एकमात्र कार्यकारी अध्यक्ष के पद पर तैनात हैं.

कांग्रेस में एक और बड़ी नियुक्ति हुई है. बिहार में चुनाव कैंपेन कमिटी के अध्यक्ष के तौर पर राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह को जिम्मेदारी सौंपी गई है. अखिलेश प्रसाद सिंह भूमिहार जाति से आते हैं. कुछ वक्त पहले ही उन्हें राज्यसभा का सांसद बनाया गया था. कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ में भी अखिलेश प्रसाद सिंह शामिल थे. लेकिन, अब उन्हें महज चुनाव कैंपेन कमिटी की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

टीम के ऐलान करते वक्त सवर्ण समुदाय को साधने की पूरी कोशिश की गई है. सवर्ण समुदाय में भी ब्राह्मण, भूमिहार, राजपूत के अलावा दलित और मुस्लिम के पुराने गठजोड़ को फिर से अपने साथ लाने की कोशिश कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तरफ से की गई है.

दरअसल, कांग्रेस को लगता है कि जिस तरह से सवर्ण समुदाय बीजेपी से एससी-एसटी एक्ट के मुद्दे को लेकर नाराज है, उसका फायदा उसे मिल सकता है. दूसरी तरफ, बिहार में जेडीयू, बीजेपी, आरएलएसपी और एलजेपी समेत एनडीए के घटक दल पिछड़े और दलित तबके की राजनीति पर ज्यादा जोर दे रहे हैं. इसके अलावा महागठबंधन के दल आरजेडी और हम भी पिछड़े और दलित समुदाय की राजनीति पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. यहां तक कि आरजेडी के अलावा जेडीयू ने भी सवर्ण गरीबों के आरक्षण को खारिज कर दिया है.

ऐसे में कांग्रेस के रणनीतिकारों को अपने लिए पैर जमाने का मौका दिख रहा है. कांग्रेस को लगता है कि सवर्णों में उपेक्षा का भाव पैदा हो रहा है और यही वक्त सवर्णों को अपने पाले में करने का है.

हालाकि, कांग्रेस के नवनियुक्त कार्यकारी अध्यक्ष समीर कुमार सिंह जाति की राजनीति से इनकार करते हैं. फर्स्टपोस्ट से बातचीत के दौरान समीर कुमार सिंह कहते हैं, ‘कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी के प्रति वफादारी और अनुभव को ध्यान में रखकर फैसला किया है.’ उनका कहना है, ‘टीम में ऐसे पुराने कांग्रेसियों को रखा गया है जिनके पास 35 से 40 साल का अनुभव हो. समीर सिंह कहते हैं, ‘पार्टी में कोई गुटबाजी नहीं है. ऐसे में हम सफल होकर अध्यक्ष राहुल गांधी की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे.’

राहुल गांधी के साथ समीर सिंह

गौरतलब है कि समीर कुमार सिंह पहले भी 2008 में पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष रह चुके हैं. समीर सिंह के पिता राजेंद्र प्रसाद सिंह बिहार सरकार में मंत्री रह चुके हैं जबकि उनके दादा बनारसी प्रसाद सिंह तीन बार सांसद रह चुके हैं. इसके अलावा मोकामा के रहने वाले श्याम सुंदर सिंह धीरज भी पुराने कांग्रेसी नेता हैं.

बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी की 23 सदस्यीय कार्य समिति और 19 सदस्यीय सलाहकार समिति का भी गठन कर दिया गया है. इसमें भी सभी तबके को साधने की कोशिश की गई है.

दलित समुदाय से आने वाले अध्यक्ष अशोक चौधरी के कांग्रेस छोड़कर जेडीयू में शामिल होने के बाद से ही कांग्रेस अपनी टीम नहीं बना पा रही थी. पिछड़े समुदाय के सदानंद सिंह पहले से ही कांग्रेस विधायक दल के नेता हैं. ऐसे में अब नई टीम में ब्राम्हण अध्यक्ष के अलावा कार्यकारी अध्यक्ष भूमिहार, राजपूत, दलित और मुस्लिम बनाकर कांग्रेस ने सबको साधने की कोशिश की है. लेकिन, नजर सवर्ण पर सबसे ज्यादा है.