अमृतसर में बड़ा ट्रेन हादसा, कुचलती चली गई ट्रेन, बिखरती रहीं लाशें

रावण दहन कार्यक्रम में भगदड़, मरने वालों की संख्या 50 के ऊपर, मृतकों में बच्चे भी शामिल

पंजाब सरकार का ऐलान, मृतकों के परिजनों को पांच लाख, घायलों का होगा फ्री इलाज, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह घटनास्थल पर रवाना

मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने इस्राइल दौरा किया रदद्

अमृतसर:

दशहरा के अवसर पर जहां लोग रावण दहन देखने के लिए दूर-दूर से जोड़ा फाटक के पास पहुंच रहे थे, वहीं पर एक बड़ा ट्रेन हादसा होने से करीब 50 लोगों के मारे जाने की आशंका है। हालांकि अपुष्ट समाचारों के अनुसार मृतकों की संख्या सैकड़ों तक बताई जा रही है। ताजा मिले समाचारों के अनुसार अमृतसर के जोड़ा फाटक के पास दशहरा उत्सव मनाया जा रहा था, जिस समय पुतलों को आग लगाई गई, तो मौके पर मची भगदड़ के बीच लोग रेलवे ट्रैक पर आ गए। इसी बीच रेलगाड़ी आ गई, जिस कारण सैकड़ों लोग रेलगाड़ी की चपेट में आ गए। आशंका जताई जा रही है, इस हादसे में 200 के करीब लोग मारे गए हैं। लेकिन फिलहाल अभी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। हावड़ा मेल और एक डीएमयू ट्रेन के एकाएक आने से ये हादसा हुआ।

मौके पर रेलवे के आलाधिकारी पुलिसबल के साथ पहुंच चुके है। बचाव कार्य जारी है। घायलों को 108 एंबुलेस के जरिए अस्पताल पहुंचाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि यह ट्रेन पठानकोट से अमृतसर आ रही थी। वहीं रेलवे के आलाधिकारी एनडीआरएफ की टीम के साथ मौके पर पहुंचकर राहत बचावकार्य शुरू कर दिया है।

भगदड़ उस समय मची जब दशहरा कार्यक्रम के दौरान रावण का अधजला रावण पुतला नीचे गिर गया। इससे बचने के लिए वहां लोगों में भगदड़ मच गई। भगदड़ के दौरान बचने के लिए रेलवे ट्रेक की तरफ भागे, लेकिन इसी दौरान सामने से आ रही ट्रेन भीड़ पर चढ़ गई, जब तक लोग संभल पाते तब तक ट्रेन कई लोगों को काल का ग्रास बना चुकी थी।

Indian Railways issues helpline numbers for the Amritsar train accident: Helpline telephone numbers are:

Amritsar Railway helpline number: 0183- 2223171 / 0183 2564485.

Manawala Railway station- 73325

BSNL – 0183-2440024

Power Cabin ASR-Rly – 72820

BSNL – 0183-2402927; Vijay Sahota

SSE: 7986897301

Vijay Patel (SSE): 7973657316

दिल्ली से भी रेलवे अधिकारी घटनास्थल के लिए रवाना हो गए हैं। जबकि रेलवे ने हैल्पलाइन नंंबर भी जारी कर दिए हैं। घटनास्थल से हृदय विदारक तस्वीरें आ रही हैं, जिन्हें देखा नहीं जा सकता। रेलवे ट्रैक के आसपास लाशें बिखरी पड़ी हैं, जो हादसे भयावहता जाहिर करती हैं।

अब हिन्दू कांग्रेस्सियों ने बढ़ाया आज़ाद का दर्द


अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के संस्थापक सर सैयद अहमद खान की जयंती के अवसर पर लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए आजाद ने कहा, अब हिंदू उन्हें प्रचार के लिए नहीं बुलाते

आज़ाद शायद हिन्दू कांग्रेसी बोलना चाहते थे, क्योंकि भाजपा, शिवसेना, बसपा, आआपा, या दक्षिण भारतीय राजनैतिक दलों के हिन्दू तो उन्हे बुलाएँगे ही क्यूँ कर। 

दूसरे आज़ाद का मुस्लिम यूनिवरसिटि में दिया यह बयान उनकी धार्मिक संलिप्तता को भी दर्शाता है.


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के एक बयान पर विवाद खड़ा हो गया है. आजाद ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि अब उन्हें हिंदू भाई प्रचार के लिए नहीं बुलाते. पहले उन्हें चुनाव प्रचार करने का खूब निमंत्रण मिलता था. उन्होंने कहा, ऐसा इसलिए हो रहा है कि उनके मन में डर बैठ गया है कि मेरे आने से हिंदू वोट कट जाएंगे.

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के संस्थापक सर सैयद अहमद खान की जयंती के अवसर पर लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए आजाद ने कहा कि अब वक्त बदल गया है. लोग बंट रहे हैं, परिवार आपस में बंट रहे हैं. उन्होंने कहा कि मैंने पाया है कि बीते चार सालों में अपने कार्यक्रमों में बुलाने वाले 95 प्रतिशत हिंदू भाई और नेता अब घटकर मात्र 20 फीसदी ही रह गए हैं.

आजाद ने कहा, जब युवा कांग्रेस में थे तब से ही अंडमान-निकोबार से लेकर लक्षद्वीप तक, देशभर के कोने में प्रचार के लिए जाते थे. तब उन्हें अपने कार्यक्रम में बुलाने वाले 95 फीसदी हिंदू भाई हुआ करते थे जबकि मुसलमानों की संख्या सिर्फ 5 फीसदी ही रहती थी. अपने बयान के जरिए उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के समय में हिंदू-मुसलमानों के बीच दूरियां बढ़ी हैं और माहौल खराब हुआ है.

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के बयान पर बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि यह हिंदुओं को कम कर आंकने की कांग्रेस की साजिश है. कांग्रेस के बुरे दिन आ गए हैं, उन्हें अब कोई नहीं बुला रहा है.

बेल मिलने कि सूरत में हाथ आया पिस्टल पांडे

 

दिल्ली के एक पांच सितारा होटल हयात रीजेंसी में गुंडई करने के आरोप में आशीष पांडे पर दिल्ली पुलिस का शिकंजा कस गया है. बृहस्पतिवार को पटियाला कोर्ट से एक दिन की रिमांड मिलने के बाद दिल्ली पुलिस आशीष पांडे को हर उस जगह ले कर जा रही है, जहां पर आशीष घटनावाली रात गया था. दिल्ली पुलिस की शुरुआती जांच में पता चला है कि आशीष पांडे काफी रंगीन मिजाज का शख्स है. आशीष के पास इस वक्त हथियारों के तीन लाइसेंस हैं. दिल्ली पुलिस आशीष के साथ उस रात होटल में मौजूद तीन लड़कियों के बारे में भी पता कर लिया है.

दिल्ली पुलिस की शुरुआती पुछताछ में आशीष ने बताया है कि घटनावाली रात उसके बीएमडब्ल्यू गाड़ी में आगे वाली सीट पर बैठी लड़की पामेला रूज थी. पामेला पंजाबी है पर ब्रिटिश नागरिकता हासिल कर रखी है. पामेला दुबई में भी काफी मशहूर है. पामेला एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी के साथ जुड़ी है. पामेला अक्सर दुबई आती-जाती रहती है. उसका इंडिया में भी अक्सर आना-जाना होता है. आशीष ने बताया कि पामेला के अलवा एक और लड़की ब्रिटिश है जबकि एक लड़की दुबई की है. तीनों लड़कियां पामेला के साथ ही भारत आई थीं.

पामेला के बारे में कहा जाता है कि सोशल साइट्स पर जाकर कोई भी शख्स उससे दोस्ती कर सकता है. दोस्त बनने के बाद पामेला को दुनिया के किसी भी कोने में बुला भी सकता है. पामेला को कहीं भी बुलाने के लिए उसकी कीमत अदा करनी पड़ती है. पामेला ट्विटर पर भी काफी एक्टिव है. भारत के कई वीवीआईपी को पामिला फॉलो करती है. ऐसा कहा जा रहा है कि आशीष पांडे ने भी उस रात लगभग 15 लाख रुपए पामेला और उसके दोस्त पर उड़ाए थे.

बता दें कि आशीष पांडे बृहस्पतिवार को ही दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में सरेंडर किया था. पिछले कई दिनों से आशीष पांडे दिल्ली पुलिस और यूपी पुलिस को चकमा दे रहा था. आशीष ने कोर्ट में सरेंडर करने से पहले एक वीडियो जारी कर आरोप लगाया था कि उनका मीडिया ट्रायल किया जा रहा है. आशीष का कहना है कि होटल में उस रात जो स्थिति पैदा हुई उसके लिए वह जिम्मेदार नहीं हैं. बीएसपी नेता का बेटा होने के कारण उन्हें निशाना बनाया जा रहा है. आशीष पांडे बीएसपी के पूर्व सांसद राकेश पांडे का बेटा है.

बुधवार को ही पटियाला हाउस कोर्ट ने आशीष के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी किया था. बीते 13 अक्टूबर की रात को दिल्ली के होटल हयात में आशीष पांडे ने खुलेआम पिस्तौल लहरा कर एक जोड़े को धमकाया था. इस घटना का वीडियो कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद दिल्ली पुलिस हरकत में आई थी. दिल्ली पुलिस और यूपी एसटीएफ की कई टीमें कई दिनों से आशीष पांडे की तलाश में छापेमारी कर रही थी, लेकिन आशीष पांडे लगातार अपना लोकेशन बदल कर पुलिस को चकमा दे रहा था.

आशीष को रिमांड पर लेने के तुरंत बाद ही दिल्ली पुलिस आर के पुरम थाना ले कर गई है. जहां उसकी अभी भी पूछताछ चल रही है. दिल्ली पुलिस को शुरुआती पूछताछ में पता चला है कि 13 अक्टूबर की रात को होटल में आयोजित एक क्लब पार्टी में कुछ लड़कियों के साथ आशीष पहुंचा था.

दिल्ली पुलिस अब पीड़ित शख्स के साथ भी आशीष का आमना-सामना कराने जा रही है. आशीष को होटल हयात लेकर भी जाया गया है, जहां पर फिर से वह सीन दोहराने की बात चल रही है. घटनावाली रात को होटल में मौजूद कुछ बाहरी लोगों को भी होटल हयात बुलाया गया है. साथ ही होटल स्टाफ के साथ भी आशीष को बिठा कर पूछताछ की जा रही है. दिल्ली पुलिस यह पता करने में लगी हुई है कि आखिर में उस रात ऐसा क्या हुआ जिसके कारण आशीष होटल के बाथरूम से लेकर होटल के गेट तक पीड़ित शख्स के साथ उलझता रहा.

दिल्ली पुलिस की शुरुआती पूछताछ में तीनों महिला मित्रों के बारे में जानकारी देने से इंकार कर रहा था, लेकिन दिल्ली पुलिस की सख्ती के बाद आशीष ने पूरी जानकारी बताई. हालांकि, दिल्ली पुलिस के अधिकारी अभी मीडिया को पूरी बात नहीं बता रही. दिल्ली पुलिस अब जानने की कोशिश में लगी हुई है कि आशीष के साथ और कौन-कौन से लोगों से उन तीनों लड़कियों ने मुलाकात की थी? तीनों लड़कियां भारत छोड़ चुकी हैं. दिल्ली पुलिस उन लड़कियों के लोकेशन बारे में पता कर रही है. दिल्ली पुलिस के सूत्रों का कहना है कि अगर जरूरत पड़ी तो विदेश मंत्रालय से भी इस मामले में मदद ली जाएगी.

आशीष पांडे पूरे नाटकीय घटनाक्रम के बाद बृहस्पतिवार को पटियाला कोर्ट में सरेंडर किया था. सरेंडर करने से पहले आशीष ने अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए एक वीडियो जारी किया था. आशीष का कहना था कि उन्हें वांछित आतंकी की तरह दिखाया जा रहा है और पुलिस पूरे देश में उनकी तलाश कर रही है. आशीष के मुताबिक, ‘मेरे खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया है. अगर आप सीसीटीवी फुटेज देखें तो मालूम चलेगा कि उस रात लेडीज टॉयलेट में कौन गया था और किसने-किसको धमकाया था. मैं सुरक्षा के लिए अपने साथ बंदूक रखता हूं. मैंने इसका इस्तेमाल धमकाने के लिए नहीं किया. मैंने हमेशा इसे पीछे रखा. मैंने उस लड़की को भी कुछ नहीं कहा, उसने ही मुझे धक्का दिया और भद्दे इशारे किए. मुझे कानून में विश्वास है और इसीलिए मैंने सरेंडर का फैसला लिया है. मेरा कोई आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं है.’

आशीष पांडे की तलाश में दिल्ली पुलिस के साथ-साथ यूपी पुलिस की भी कई टीमें पिछले कई दिनों से दिल्ली से लेकर लखनऊ तक खाक छान रही थी. दिल्ली पुलिस ने गौरव कंवर नाम के एक शख्स के सोशल मीडिया पर शिकायत करने के बाद आशीष के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी. गौरव कंवर और उनके एक मित्र से ही आशीष पांडे की 13 अक्टूबर की रात को होटल हयात में कहासूनी हुई थी.

दिल्ली पुलिस आशीष के पुराने इतिहास को खंगालने में जुटी हुई है. दिल्ली पुलिस को पता चला है कि आशीष साल 2016 में भी लखनऊ पुलिस के कब्जे में आया था. लखनऊ के गोमती नगर में आशीष ने अपनी मर्सिडीज गाड़ी से रेनेसां होटल के सामने एक गाड़ी को टक्कर मारी थी. आशीष पांडे अपने रसूख के कारण उस समय लखनऊ पुलिस के चंगुल से किसी तरह बच कर निकल गया था.

बता दें कि आशीष पांडे बीएसपी के पूर्व सासंद राकेश पांडे का बेटा है. आशीष के चाचा पवन पांडे भी शिवसेना के एमएलए रह चुके हैं. आशीष के सबसे छोटे चाचा कृष्ण कुमार पांडे भी कांग्रेस के नेता हैं. आशीष का छोटा भाई रितेश पांडे यूपी के जलालपुर से बीएसपी का एमएलए है.

16 सिरों वाला रावण नहीं जला पाएगी दिल्ली कांग्रेस

पुलिस ने गुरुवार को दिल्ली कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को विशेष रूप से डिजाइन किए गए पुतले को दशहरा पर जलाने से रोक दिया. इस पुतले में 16 सिर थे और इसके केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रतीकों को लगाया गया था.

कांग्रेस कार्यकर्ता दिल्ली में अवैध कमर्शियल जगहों की सीलिंग पर अपना विरोध दर्ज कराने के लिए 50 फुट के पुतले को जलाना चाहते थे.

पुतले के 16 सिर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के अलावा केजरीवाल के कैबिनेट सहयोगियों और दिल्ली के सात बीजेपी सदस्यों के प्रतीक थे.

दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष अजय माकन ने पुलिस कार्रवाई को अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का ‘दमन और गला घोंटने वाला’ बताया. माकन ने कहा, ‘प्रधानमंत्री हों या मुख्यमंत्री, अगर वे रावण की तरह काम करते हैं तो उनके पुतले जलाए जाएंगे.’

शाहदरा इलाके में श्यामलाल कॉलेज के पास बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किए गए जहां दिल्ली कांग्रेस के सदस्यों ने ‘रावण दहन’ का आयोजन किया था.

पार्टी नेताओं ने कहा कि पुलिसकर्मियों ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के पुतले जलाने पर आपत्ति जताई. उन्होंने हमारे विरोध के बावजूद इसे हटा दिया.

माकन ने कहा कि केंद्र की बीजेपी सरकार और दिल्ली में सत्तारूढ़ आप सीलिंग अभियान के कारण लोगों को हो रही समस्याओं का हल खोजने में पूरी तरह नाकाम रही हैं. उन्होंने कहा कि न्याय युद्ध जारी रहेगा.

मोदी हटाओ, चाहे जैसे भी

अमित मालवीय


अमित मालवीय ने कहा है कि इस एड कैंपेन से साफ है कि कांग्रेस प्रधानमंत्री मोदी को देश से हटाना चाहती है और वह पाकिस्तान को सपोर्ट कर रही है

पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने भी कुछ दिन पहले ब्यान दिया था, “राहुल आने वाले प्रधान मंत्री हैं हमें उनकी इज्जत करनी चाहिए”

मणिशंकर तो खुलेआम पाकिस्तान कि सहायता से निज़ाम बदलना चाहते हैं गोया कि उन्हे देश अवाम ओर लोकतन्त्र पर उन्हे कोई भरोसा नहीं रह गया

सिद्धू पाकिस्तान में जनरल बाजवा को जादू कि झप्पी देते दीखते हैं। 


बीजेपी के राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी प्रमुख अमित मालवीय ने अपने ट्विटर अकाउंट पर कांग्रेस के एक एड कैंपेन की पोस्ट शेयर की है. इस एड कैंपेन में कांग्रेस फेसबुक विज्ञापन के जरिए पाकिस्तान में पीएम मोदी को हटाए जाने का नारा लगाती नजर आ रही है. कांग्रेस के इस फेसबुक एड में लिखा है- देश बचाओ, मोदी हटाओ. अमित मालवीय ने इस एड कैंपेन का वीडियो भी शेयर किया है. उन्होंने वीडियो में ये विस्तार से दिखाया है कि किस तरह पाकिस्तान में कांग्रेस पार्टी मोदी हटाओ देश बचाओ का एड चला रही है.

Amit Malviya

@amitmalviya

Official Congress page sponsoring ads on Facebook in Pakistan to remove Modi!

अमित मालवीय ने कहा है कि इस एड कैंपेन से साफ है कि कांग्रेस प्रधानमंत्री मोदी को देश से हटाना चाहती है और वह पाकिस्तान को सपोर्ट कर रही है. उन्होंने बताया कि इस एड कैंपेन के फोटोज और वीडियो कांग्रेस के ऑफिशियल फेसबुक पेज पर चल रहे हैं. फेसबुक के नए नियमों के अनुसार अब हर कोई इस एड को देख सकता है. ऐसे में क्या इस तरह का विज्ञापन दिखाना सही है. अमित मालवीय ने कहा कि अगर कोई राजनीतिक पार्टी इस तरह के विज्ञापन दिखाती है तो इससे किस तरह का संदेश फैलता है.

Amit Malviya

@amitmalviya

Video recording of Congress’s official page where it can be seen that they are running ‘मोदी हटाओ’ campaign in Pakistan.

कांग्रेस के लिए अपना गुस्सा जताते हुए उन्होंने कहा कि मणिशंकर पाकिस्तान गए और कहा कि इन्हें हटाएं हमें लाएं. इसके बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने पाकिस्तान जाकर आर्मी चीफ को गले लगाया था और अब पार्टी के ऑफिशियल फेसबुक पेज पर इस तरह का विज्ञापन चल रहा है.

गिल्ड अकबर के खिलाफ, चाहता है मानहानि का मुक़द्दमा वापिस हो


गिल्ड चाहता हैं की अकबर का मान भले ही न रहे पर मान हानी का मुक़द्दमा वापिस हो, सच्चों को डर किस बात का?


द एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया यौन शोषण के आरोपों में घिरे पूर्व संपादक और एनडीए सरकार में मंत्री एमजे अकबर के खिलाफ खड़ा हो गया है. गिल्ड ने अकबर पर यौन शोषण के आरोप लगाने वाली महिला पत्रकारों को कानूनी मदद देने का ऑफर दिया है. वहीं अकबर पर सबसे पहले आरोप लगाने वाली जर्नलिस्ट प्रिया रमानी, जिन पर मंत्री ने मानहानि का केस कर दिया, उसे वापस लेने को भी कहा है.

गुरुवार को गिल्ड एमजे अकबर के हाथों कथित रूप से यौन शोषण से गुजर चुकी महिला पत्रकारों के समर्थन में उतरा. गिल्ड ने अकबर से प्रिया रमानी के खिलाफ दायर किए मानहानि मुकदमे को वापस भी लेने को कहा.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, गिल्ड ने एक बयान जारी कर कहा कि ‘केंद्रीय मंत्री के पद से एमजे अकबर का इस्तीफा इन महिला पत्रकारों के साहस और न्यूजरूम में जेंडर इक्वलिटी की लड़ाई की जीत है. हम उम्मीद करते हैं कि एमजे अकबर भी अपना मानहानि का मुकदमा वापस लेकर ऐसी ही सहृदयता दिखाएंगे.’

गिल्ड ने कहा कि चूंकि एक भारतीय नागरकि होने के चलते वो केस करने के लिए आजाद हैं लेकिन उनके जैसे एक वरिष्ठ एडिटर का आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर करना विडंबना ही है, वो भी तब जब वो गिल्ड के हेड भी रह चुके हैं.

गिल्ड ने कहा कि लेकिन अगर फिर भी अकबर ये केस वापस नहीं लेते या दूसरी महिलाओं पर भी केस करते हैं तो गिल्ड उनकी मदद करना चाहता है. अगर उन्हें किसी भी तरह की कानूनी सलाह या मदद की जरूरत होगी तो गिल्ड उनकी मदद करेगा.

बता दें कि गुरुवार को दिल्ली की एक कोर्ट ने मानहानि केस की सुनवाई की अगली तारीख 31 अक्टूबर को होगी.

प्रथम भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी अंतरराष्ट्रीय महिला (सीनिअर) तथा पुरुष अंडर-15 क्रिकेट चैम्पियनशिप 20 से 24 नवंबर तक होगा आयोजन

पंचकूला/ Chandigarh:

प्रथम भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी अंतरराष्ट्रीय महिला (सीनिअर) तथा पुरुष अंडर-15 क्रिकेट चैम्पियनशिप का आयोजन 20 से 24 नवंबर तक पंचकूला के सैक्टर 3 स्थित ताऊ देवी लाल क्रिकेट स्टेडियम में किया जाएगा।

इस संबंध में जानकारी देते हुए कालका की विधायक लतिका शर्मा तथा हरियाणा स्पोर्ट्स वैलफेयर एसोसिएशन (रजि.) के सचिव अमरजीत कुमार ने बताया कि इस चैम्पियनशिप में पड़ोसी देश बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, अफगानिस्तान सहित भारत की टीमें भाग लेंगी। उन्होंने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने राष्ट्र को दिए सराहनीय योगदान दिया तथा वे सभी राजनीतिक पार्टियों के पसंदीदा नेता थे। उनके सराहनीय योगदान तथा सभी राजनीतिक पार्टियों, खेल प्रेमियों, देश वासियों व दुनिया भर के लोगों में लोकप्रिय नेता होने के कारण इस ट्रॉफी का नाम भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी ट्रॉफी रखा गया है।

सचिव अमरजीत कुमार ने बताया कि इस भारतीय रूरल प्रीमियर इंटरनैशनल गर्ल्स (सीनिअर) तथा बॉयज अंडर-15 क्रिकेट लीग डे/नाइट चैम्पियनशिप में पड़ोसी देशों बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, अफगानिस्तान सहित भारत की 8 टीमें भाग लेंगी। लतिका शर्मा तथा अमरजीत कुमार ने बताया कि दूसरी गर्ल्स इंटरनैशनल रूरल लीग क्रिकेर चैम्पियनशिप आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य सरकार द्वारा चलाये गए बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ अभियान को आगे बढ़ाते हुए उसके साथ बेटी खिलाओ को भी प्रोत्साहित करना है। अमरजीत कुमार ने बताया कि इस रूरल प्रीमियर लीग का उद्देश्य ग्रामीण युवाओं की प्रतिभा को मंच प्रदान करने के साथ-साथ युवाओं में बढ़ रही नशे की लत से भी उन्हें छुटकारा दिलवाना है ताकि वे नशे को छोड़ खेलों की ओर अग्रसर हों। उन्होंने बताया कि आयोजन समिति की और से खिलाड़ियों को रहने, आने-जाने की टॉप क्लास सुविधायें उपलब्ध करवाई जाएंगी। इसके अलावा प्रतियोगिता के अंत मे हरियाणा स्पोर्ट्स वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से ट्रॉफी तथा एकल पुरस्कार प्रदान किये जायेंगे, इसमें मैन आफ द मैच, बेस्ट बैट्समैन, बेस्ट बॉलर, बेस्ट आफ आल टूर्नामेंट और बेस्ट विकेट कीपर को पुरस्कृत किया जाएगा। चैम्पियनशिप के सारे मैच अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम चंडीगढ़ (यू.टी.), पंचकूला (हरियाणा) में खेले जाएंगे।

अरे! कहाँ गायब हो गए “पाण्डेय जी”


पुलिस सूत्र जहां कह रहे हैं कि आरोपी आशीष पांडे की गिरफ्तारी जल्द हो जाएगी वहीं मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि वो शुक्रवार को पटियाला हाउस कोर्ट में सरेंडर कर देगा


बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के पूर्व सांसद राकेश पांडे के बेटे आशीष पांडे के खिलाफ दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया है. बीते 13 अक्टूबर की आधी रात को दिल्ली के फाइव स्टार हयात होटल में आशीष पांडे ने खुलेआम पिस्तौल लहरा कर एक जोड़े को धमकाया था. इस घटना का वीडियो मंगलवार को सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद दिल्ली पुलिस हरकत में आई थी. दिल्ली पुलिस और यूपी एसटीएफ की कई टीमें इस समय भी आशीष पांडे की तलाश में दिन-रात एक किए हुए हैं. गोंडा, बस्ती, अंबेडकरनगर से लेकर नेपाल बॉर्डर तक आशीष पांडे की तलाश की जा रही है. फरार आशीष पांडे लगातार अपना लोकेशन बदल रहा है.

आशीष पांडे की तलाश में दिल्ली पुलिस के साथ यूपी पुलिस की भी कई टीमें लगी हुई हैं. दिल्ली पुलिस ने कुंवर गौरव सिंह नाम के शख्स के बयान के आधार पर मामला दर्ज कर लिया है. कुंवर गौरव सिंह और उनकी एक मित्र से ही आशीष पांडे की 13 अक्टूबर की रात कहा-सुनी हुई थी. गौरव ने सोशल मीडिया पर आकर एक बयान जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि गुलाबी पतलून पहने एक शख्स ने उन्हें होटल हयात में जान से मारने की धमकी दी थी.

पीड़ित कुंवर गौरव सिंह ने बताया क्या हुआ था उस रात

गौरव अपने साथ घटी घटना का वर्णन करते हुए कहते हैं, ‘13 अक्टूबर की रात को मैं अपने एक दोस्त के साथ खाना खाने गया था. जब हमलोग खाना खाने बैठे तो मेरी दोस्त ने कहा कि मुझे अच्छा महसूस नहीं हो रहा है. वो उठकर वॉमटिंग (उल्टी) करने वॉशरूम की तरफ चल दी. उसने मुझे भी वॉशरूम (बाथरूम) के गेट तक साथ चलने को कहा. मैं लेडिज़ बाथरूम के गेट पर ही खड़ा था तभी 3 लड़कियां वहां पर आईं. वो तीनों शराब के नशे में मुझे गाली देने लगीं. मैंने तब भी चुप रहना ही मुनासिब समझा और होटल स्टॉफ से अपने दोस्त को मदद करने को कहा. उन तीनों लड़कियों ने बाथरूम के अंदर मेरे दोस्त के साथ भी गाली-गलौच और बदतमीजी की. इससे वो काफी डर गई. मेरी दोस्त स्टॉफ की मदद से किसी तरह वॉशरूम से बाहर निकली. मैंने देखा वो बुरी तरह रो रही है.

कुछ देर बाद हमलोगों ने होटल से जाने का फैसला किया. लेकिन वो लोग होटल के गेट पर भी मेरा इंतजार कर रहे थे. उन लोगों ने एक बार फिर से मुझे और मेरी दोस्त को गाली देना शुरू कर दिया. लड़कियों के साथ एक युवक हमें धमकाने लगा. वो बार-बार जान से मारने की धमकी दे रहा था. मैं लड़ाई करने के मूड में नहीं था. गेट पर खड़े होटल के स्टॉफ ने मुझे बचाया. इस घटना के बाद मैं अपनी जिदगी के लिए काफी डर गया हूं. मैं अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित हूं.’

कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो वायरल हुआ था. इसके वायरल होने के बाद ही दिल्ली पुलिस हरकत में आई. आशीष पांडे की तलाश में यूपी और दिल्ली पुलिस की कई टीमें लगातार दबिश में लगी हुई हैं. दिल्ली पुलिस द्वारा आशीष पांडे की मोबाइल लोकेशन लगातार मॉनीटर की जा रही है. गिरफ्तारी से बचने के लिए वो लगातार अपना लोकेशन बदल रहा है. अभी तक आशीष का लोकेशन लखनऊ, बस्ती और अंबेडकरनगर के पास था. बुधवार सुबह 11 बजे भी उसका लोकेशन अंबेडकरनगर में था. जिसके बाद से उसने उसने अपना मोबाइल नंबर बंद कर रखा है. मंगलवार को मामला सामने आने के बाद दिल्ली पुलिस ने आशीष पांडे के घर छापा भी मारा था. पुलिस ने घरवालों से आशीष के बारे में पूछताछ कर जानकारी हासिल करने की कोशिश की थी.

आशीष के पुराने इतिहास को खंगालने में जुटी है दिल्ली पुलिस 

इसके अलावा दिल्ली पुलिस आशीष के पुराने इतिहास को खंगालने में जुटी हुई है. दिल्ली पुलिस को पता चला है कि आशीष वर्ष 2016 में भी लखनऊ पुलिस के कब्जे में आया था. लखनऊ के पॉश गोमतीनगर में आशीष ने अपनी महंगी मर्सिडीज़ गाड़ी से रेनेसां होटल के सामने एक गाड़ी को टक्कर मार दी थी. मगर तब आशीष पांडे अपने रसूख के दम पर लखनऊ पुलिस के चंगुल से किसी तरह बचकर निकल गया था.

मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि यूपी के डीजीपी के निर्देश पर आशीष पांडेय की तलाश में यूपी एसटीएफ की कई टीमें तैनात की गई हैं. राज्य के कई जिलों में आशीष की तलाश में यह टीमें छापा मार रही हैं. लेकिन अभी तक  पुलिस को उसे गिरफ्तार करने में कामयाबी नहीं मिली है.

एक तरफ पुलिस सूत्र कह रहे हैं कि आशीष की गिरफ्तारी जल्द ही हो जाएगी तो दूसरी तरफ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में आशीष के हवाले से कहा जा रहा है कि वो सरेंडर करेगा. ऐसा कहा जा रहा है कि आशीष शुक्रवार को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में आत्मसमर्पण कर देगा.

मंगलवार को वीडिया सामने आने के बाद ही दिल्ली पुलिस आशीष पांडे को गिरफ्तार करने के लिए लखनऊ पहुंची थी. लखनऊ में आशीष के 5 ठिकानों पर दिल्ली पुलिस की टीम ने छापा भी मारा था, लेकिन वो कहीं नजर नहीं आया. दिल्ली पुलिस ने आशीष पांडे की तलाश में मंगलवार रात देश भर के एयरपोर्ट पर लुकआउट नोटिस जारी किया था.

इस घटना पर काफी बारीकी से नजर रख रहे दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी फ़र्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हुए कहते हैं, ‘देखिए दिल्ली पुलिस और यूपी पुलिस के काम करने का स्टाइल काफी अलग है. मैं यह नहीं कह रहा हूं कि यूपी पुलिस इस समय राजनीतिक दबाव में काम कर रही है. यूपी पुलिस का काफी सहयोग मिल रहा है. हमलोग खुद इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं. अगर आगे जरुरत पड़ी तो परिवार के अन्य सदस्यों के साथ उस रात आशीष के साथ मौजूद तीनों लड़कियों से भी दिल्ली पुलिस पूछताछ कर सकती है. दिल्ली में सरेआम इस तरह से पिस्टल दिखा कर आप खौफ पैदा नहीं कर सकते चाहे आप कितने ही रसूखदार क्यों न हों? मैं अभी सिर्फ इतना ही कह सकता हूं कि आशीष जल्द ही हमारे शिकंजे में होगा.’

काफी रसूखदार है आरोपी आशीष पांडे का परिवार

बता दें कि आशीष पांडे बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के पूर्व सासंद राकेश पांडे का बेटा है. आशीष के चाचा पवन पांडे भी शिवसेना के एमएलए रह चुके हैं. आशीष के सबसे छोटे चाचा कृष्ण कुमार पांडे कांग्रेस के नेता हैं. आशीष का छोटा भाई रितेश पांडे वर्तमान में यूपी के जलालपुर से बीएसपी का विधायक है.

कहा जा रहा है कि दिल्ली पुलिस आशीष के राजनीतिक रसूख को देखते हुए फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. आशीष के फेसबुक प्रोफाइल में भी दिखता है कि वो काफी रंगीन मिजाज का शख्स है. ऐसा प्रतीत होता है कि वो हथियारों का बहुत शौकीन है या फिर हथियारों की कोई दुकान चलाता है.

दुर्गा पुजारियों से दबंगाई और डॉक्टरों से मारपीट इसी के सहारे कम्यूनिस्ट पार्टी में जीवन फूंकेंगे कन्हैया


  • कन्हैया को कम्यूनिस्ट पार्टी की खून खराबे की राजनीति बहुत भाति है, वह पूरे बिहार को अपनी इसी राजनीति की चपेट में देखना चाहते हैं

  • दुर्गा पूजा के पंडाल में लोगों से मार पीट ओर एम्स मे डॉक्टरों से दबंगाई लाल बनाम भगवा की लड़ाई बनाते जा रहे हैं कन्हैया

  • कन्हैया पार्टी के भीतर अपनी साख बढ़ाने और मोदी विरोधियों को लामबंद करने के लिए राजनीतिक स्टंट अपनाने से बाज नहीं आ रहे


कन्हैया एक बार फिर सुर्खियो में हैं और वजह है बेगूसराय में उनके समर्थकों द्वारा दुर्गा पूजा आयोजन समिति के लोगों का पीटा जाना. स्थानीय पत्रकारों के मुताबिक कन्हैया बेगूसराय के मंसूरचक से सभा कर लौट रहे थे और रास्ते में उनका काफीला एक ऐसी जगह पर रुका जहां पास में दुर्गा पूजा का पंडाल लगा था. वक्त आरती का था इसलिए लोगों की भीड़ ठसाठस थी. वैसे भी बिहार में दशहरा बेहद धूमधाम से मनाया जाता है और आम लोग सड़कों पर दुर्गा पूजा पंडाल देखने परिवार के साथ आते हैं.

कन्हैया के काफिले में कई गाड़ियां थीं जिनमें उनके समर्थक मौजूद थे. गाड़ी बीच सड़क पर रोके जाने की वजह से आयोजन समिति के लोगों ने ऐतराज जताया. उस दरम्यान कन्हैया पास के एक कोंचिग संस्थान के डायरेक्टर से मुलाकात कर रहे थे. मामूली कहासुनी हुई और कन्हैया समर्थकों ने आयोजन समिति के लोगों को पीट दिया. बाद में लोकल लोगों की नाराजगी को देखते हुए कन्हैया और उनकी टोली को भागना पड़ा.

स्थानीय लोगों के मुताबिक ये कोई राजनीतिक लड़ाई थी ही नहीं. ये महज कन्हैया के लोगों की दबंगई थी कि उन्हें सड़क के किनारे गाड़ी लगाने के लिए क्यूं कहा जा रहा है. हो सकता है आयोजन समिति के लोगों के कहने के तरीके में थोड़ी तल्खी हो लेकिन उनकी तल्खी का जवाब उन्हें पीटकर दिया गया.

स्थानीय पत्रकार सत्येन्द्र कुमार कहते हैं, ‘कन्हैया के काफिले की गाड़ी तोड़ी गई, ये स्थानीय लोगों के गुस्से का इजहार था लेकिन बेरहमी से मारपीट को अंजाम कन्हैया के लोगों ने ही दिया ये साफ प्रतीत होता है.

वहीं प्रसार भारती के संवाददाता रह चुके अमरेन्दर कुमार कहते हैं, ‘मामले दोनों तरफ से दर्ज किए गए हैं जबकि घायल पूजा समिति के लोग हुए हैं. कन्हैया की गाड़ी को लोगों ने गुस्से में तोड़ा है. कन्हैया के लोग पूजा आयोजन समिति के लोगों को मारकर भाग रहे थे. इसलिए इसे कोई राजनीतिक रंग देना सोची समझी रणनीति है.’

कुछ दिन पहले पटना के एम्स में भी डॉक्टर्स ने कन्हैया और उनके समर्थकों पर बदसलूकी और मारपीट का आरोप लगाया था जब कि कन्हैया और उनके समर्थकों ने इसे बीजेपी द्वारा प्रायोजित करार देकर मामले को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की थी. दोनों घटनाओं पर गौर फरमाया जाए तो साफ दिखता है कि कन्हैया यूनिवर्सिटी पॉलिटिक्स वाली तल्खी राजनीति के असली मैदान में भी बरकरार रखना चाहते हैं.

Kanhaiya Kumar

ध्यान रहे कन्हैया बखूबी जानते हैं कि उनकी हर गतिविधि को मीडिया खूब उठाएगा, इसलिए हर बात पर बीजेपी पर ठीकरा फोड़ने का कोई मौका वो गंवाते नहीं हैं. बेगूसराय कम्यूनिस्टों का गढ़ रहा है. एक जमाने में उसे मिनी मॉस्को भी कहा जाता था. कन्हैया महागठबंधन के उम्मीदवार होंगे, ऐसा लगभग सुनिश्चित माना जा रहा है. इसलिए कन्हैया हर मौके को बीजेपी बनाम कन्हैया बना देने का कोई कसर छोड़ते नहीं हैं.

वैसे उनकी पार्टी के भीतर लोकसभा में उनको टिकट दिए जाने को लेकर बेहद नाराजगी है. कई जमीनी कार्यकर्ता उन्हें ऊपर से थोपा हुआ करार देकर चुनाव में मजा चखाने की बात भी कर रहे हैं. पार्टी कार्यकर्ताओं में इस बात को लेकर भी नाराजगी है कि सालों से राजनीतिक जमीन पर पसीना बहाने वाले स्थानीय नेताओं को दरकिनार कर कन्हैया को ऊपर से थोपा जा रहा है. ये कम्यूनिस्ट कल्चर के खिलाफ है और स्थानीय कम्यूनिस्ट नेता और पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह, दिग्गज नेता राजेन्द्र सिंह और रामरतन सिंह सरीखे नेता का अपमान भी.

कन्हैया बेगूसराय संसदीय क्षेत्र में पार्टी की अंदरूनी राजनीति से भी बखूबी परिचित हैं. इसलिए हर मौके पर बीजेपी के खिलाफ लड़ने में अपने को अग्रसर दिखा वो पार्टी के अंदर और बाहर एक लंबी लकीर खींचने का कोई मौका हाथ से जाने देना नहीं चाहते. यही वजह है कि पटना एम्स के डॉक्टर्स और गार्डस और पूजा समिति के लोग जिसमें बीजेपी जेडीयू और कम्यूनिस्ट सबके लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. उसे कन्हैया बनाम भगवा बना दिया गया.

युवाओं को लुभाने के लिए आक्रामकता का सहारा

कन्हैया जानते हैं कि कम्यूनिस्ट पार्टी का जहां एक समय बोलबाला था, वहां जमींदोज हो चुकी पार्टी को जिंदा करने के लिए आक्रामकता बेहद जरूरी है. जो युवा 90 के दशक में मंडल के बाद कम्यूनिस्ट पार्टी से मुंह मोड़ चुके थे उन्हें साथ लाने के लिए एससी/एसटी पर बीजेपी के रवैये को लेकर अगड़ी जाति के युवाओं में नाराजगी को भुनाने को कोई मौका गंवाते नहीं हैं.

वहीं पिछड़ों और दलित का दिल जीतने के लिए एक सप्ताह पहले कन्हैया ने एक सभा की जिसमें जिग्नेश मेवाणी के साथ बीजेपी के खिलाफ जमकर आग उगली. पिछड़ा खास कर यादव जाति के लोगों को लुभाने के लिए वो लालू को निर्दोष भी बताते हैं.

कन्हैया ने इतिहास को दोहराने की भी कोशिश की और जिस जगह का चुनाव किया उसका नाम बखरी है. यहां से कॉमरेड चंद्रशेखर ने 60 के दशक में कांग्रेस के खिलाफ बिगुल फूंक कर उसकी जड़ें हिला दी थी लेकिन पिछले लोकसभा में सीपीआई ने जेडीयू के साथ मिलकर चुनाव लड़ा फिर भी उसे तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा था. इससे जनाधार की असली हकीकत पता की जा सकती है. इतना ही नहीं 2015 के विधानसभा चुनाव में बेगूसराय संसदीय क्षेत्र की 6 विधानसभा सीटों पर दूसरे या तीसरे नंबर पर रहना उसके खिसकते जनाधार की हकीकत को बखूबी बयां करता है. जाहिर है हाशिए पर जा चुकी पार्टी में जान फूंकने के लिए कन्हैया युवाओं को अपनी आक्रामकता से लुभाना चाहते हैं और लालू और जिग्नेश मेवाणी का साथ दिखाकर वो दलित और पिछड़े खासकर यादवों और मुसलमानों का समर्थन हासिल कर बाजी जीतने का दांव भी खेल रहे हैं.

1980 के दशक के खूनी खेल में न तब्दील जाए ये आक्रामकता?

murder husband

राजनीति क्या करवट लेगी ये कोई नहीं जानता क्योंकि बेगूसराय में राजनीतिक खूनी खेल का दौर तब से खत्म हुआ है जबसे कम्यूनिस्ट मोटे तौर पर बेहद कमजोर हुए हैं. 60 के दशक में पार्टी का नेतृत्व कॉमरेड चंद्रशेखर और कॉमरेड ब्रह्म देव के हाथों था. जिनकी सादगी और जोरदार भाषणों से कम्यूनिस्ट पार्टी की जड़ें मजबूत हो रही थीं. चंद्रशेखर के पिता कांग्रेस सरकार में दिग्गज मंत्री थे लेकिन बेटे चंद्रशेखर ने कांग्रेस का विरोध कर बेगूसराय के गांव और खेत-खलिहानों के मजदूरों के लिए संघर्ष करना जरूरी समझा. लोगों की नजरों में चंद्रशेखर की छवी बेहद लोकप्रिय नेता के रूप में थी.

इसलिए 60 और 70 के दशक में कम्यूनिस्ट पार्टी का झंडा घर-घर में लहराने लगा लेकिन इस दौर में भी कांग्रेसी नेता के मर्डर के आरोप में चंद्रशेखर सिंह और सूर्यनारायण सिंह नामजद हुए थे.

80 के दशक में कम्यूनिस्ट दफ्तर पर पुलिस की रेड हुई. जिसमें उस समय के एक बाहुबली कारबाइन जैसे हथियार के जखीरे के साथ धरे गए थे. कम्यूनिस्ट पार्टी की मिलिटेंट विंग इतनी पावरफुल थी कि उससे बचने के लिए काग्रेस को बाहुबलियों का सहारा लेना पड़ता था. घात प्रतिघात का एक लंबा दौर चला. विधायक सहित योगी सिंह और इंद्रदेव सिंह तक की हत्या हुई. योगी सिंह और इंद्रदेव सिंह मिलिटेंट विंग के नेता थे. इनकी हत्या कांग्रेस समर्थित बाहुबली किशोर सिंह के द्वारा की गई.

किशोर जेल में बंद थे और उनकी हत्या अस्सी के दशक में जेल को तोड़कर की गई. इस हत्या में जो लोग नामजद हुए थे वो बेगूसराय की कम्यूनिस्ट पार्टी के बड़े नेता थे. इतना ही नहीं अस्सी के दशक में एक खूनी खेल सीपीआई और सीपीएम के बीच भी हुआ, जिसमें तीन दर्जन से ज्यादा हत्याएं हुई लेकिन 90 के दशक में समाजवादी पार्टियों और बीजेपी के मजबूत हो जाने से राजनीतिक हिंसा का दौर थम सा गया. 90 के बाद शांति हुई. अब राजनीतिक हत्याओं का दौर खत्म हो चुका है.

लेकिन जमीदोज हो चुकी कम्यूनिस्ट पार्टी को किसी चमत्कार की तलाश है. कम्यूनिस्ट पार्टी लोकसभा में भी बेहद खराब प्रदर्शन से हतोत्साहित है. पार्टी के भीतर कलह है और पुराने नेता और पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह और राजेन्द्र सिंह आमने-सामने हैं. पिछले लोकसभा में पार्टी जब तीसरे नंबर पर आई तो इसके लिए एक दूसरे पर आरोप मढ़ने में मीडिया का भी सहारा लिया गया. जाहिर है पार्टी को पुनर्जीवित करना कन्हैया के लिए एक चुनौती है. खासकर तब जब पार्टी के कार्यकर्ता उनकी उम्मीदवारी को लेकर भी शीर्ष नेतृत्व से नाराज हैं.

इसलिए कन्हैया पार्टी के भीतर अपनी साख बढ़ाने और मोदी विरोधियों को लामबंद करने के लिए राजनीतिक स्टंट अपनाने से बाज नहीं आ रहे लेकिन ये स्टंट मंसूरचक की घटना के बाद महज राजनीतिक ही रहे यही बेहतर होगा

Mr. Akbar resigned from his post as Union Minister


Finally the mission of #MeToo V/s M J Akbar part one is over with his resignation, the smiles on the faces of Congressmen and opposition is clear as the agenda fits its shoe. Media trials will continue to over power the trial.

A source from “The Congress” on the condition of anonymity said,”This is just an election stunt, believe me, once elections are over no one is going to carry forward this gimmick”


On Wednesday, Minister of State for External Affairs M.J. Akbar resigned amid allegations of sexual harassment levelled against him by several women journalists.

The accusers came out with stories of his alleged harassment during his days as a journalist and editor. Here are the reactions on Twitter:

Journalist Priya Ramani tweeted shortly after his resignation. Mr. Akbar had filed a criminal defamation complaint against her.

“As women we feel vindicated by MJ Akbar’s resignation. I look forward to the day when I will also get justice in court #MeToo”

Swati Maliwal, Chairperson, Delhi Council for Women, tweeted:

“Finally MJ Akbar has resigned. Shame on him for having delayed it for so long. The credit for the resignation goes not to the Centre or MJ Akbar but directly to the #MeToo campaign. Esp to those brave women who reported the assault & those women and men who stood by them.”

Mumbai Mirror editor Meenal Bhagal had also alleged assault by Mr. Akbar, tweeted:

“A very big thanks to everyone who backed each of us. #MJAkbar.”

Congress spokesperson Priyanka Chaturvedi tweeted:

“The resignation of MoS External Affairs MJ Akbar after serious charges were levelled against him by senior women journalists who worked with him is a vindication of the power of truth even if it began with one brave person speaking up. I salute these women who stood their ground despite the brazen stance of the GoI, silence of the PM who speaks about women empowerment, the arrogant misuse of power by deploying a battery of lawyers against one woman and allowing the accused to continue in his role. The women of the country are saying the time for this is up&threat to silence voices can no longer be the norm or acceptable.”

Suparna Sharma, resident editor of The Asian Age newspaper which Mr. Akbar once edited, told PTI:

“It is a big moment for us. In a sense, I feel vindicated. Though the step should have been taken as soon as he landed in Delhi, but now, at least, there will not be a power imbalance and it will not be a fight between the government and Ramani.”

Kavita Krishnan, Secretary, All India Progressive Women’s Association, tweeted:

“So now, finally MJ Akbar had to resign thanks to the sheer numbers of women coming up to out him as a predator! Bravo women. You finally made it too costly for Modi to keep Akbar on as Minister.”

Nirupama Menon Rao, former Indian Foreign Secretary, tweeted:

“So glad that Minister MJ Akbar has resigned his post. His continuation was untenable and indefensible. A big shoutout to all the brave women journalists who called him out for his alleged, sickening and exploitative behaviour towards them. #Metoo #LetTheWomenBeHeard”

Aam Aadmi Party (AAP) spokesperson Dilip Pandey, told PTI: “Mere resignation by Akbar is not sufficient considering gravity of allegations against him. Criminal proceedings must be started against him. We salute the courage of the 20 brave women who boldly faced Akbar’s intimidation and forced him to resign as a minister of government of India. His resignation completely exposes the BJP that came to power with the slogan of ‘Chaal, Charita and Chehra’(behaviour, character and personality).”

Indira Jaisingh, lawyer and activist, tweeted:

“To all the women who stood testimony to the gross violations of human rights by MJ Akbar, to all the women Ministers who stood their ground and demanded his resignation, in the face of opposition from their Cabinet colleagues, I salute you.”