Two offices of NSS, an organisation representing the upper-class Nair community, was attacked in Kerala on Wednesday


Nair Service Society (NSS) taluk union had conducted a rath yatra two days back in protest against women entry in Sabarimala.


Two offices of Nair Service Society (NSS), an organisation representing the upper-class Nair community, was attacked in Kerala on Wednesday for taking a stand against the Supreme Court’s verdict on Sabarimala.

Miscreants threw stones at NSS Karayogam building at Paravur in Kollam damaging the glass panes.

NSS taluk union had conducted a rath yatra two days back in protest against women entry in Sabarimala. NSS local leaders say this could be the cause of the attack. Police have registered a case and started investigation into the incident.

In another act of vandalism, NSS Karayogam office at Kudassanadu in Alappuzha was attacked and black flags were hoisted at the office there and a school run by NSS on Wednesday early morning.

A wreath was also laid offering condolence to NSS general secretary R Sukumaran Nair. The NSS leadership claims that the attacks were carried out as a vengeance.

Aim to formalise economy, not ban cash: Jaitley on demonetisation anniversary


On 8 November 2016, Prime Minister Narendra Modi announced the biggest-ever demonetisation exercise India has ever seen by abruptly withdrawing Rs 500 and Rs 1,000 notes from public use.

RBI data shows cash in circulation grew 9.5% from pre-demonetisation levels


On the second anniversary of demonetisation, Finance Minister Arun Jaitley defended the move, saying that it was an essential step to induce people to move away from anonymous and receipt-less cash payments to digital transactions. This, even as the latest RBI data shows currency in circulation rose to ₹19.6 lakh crore as of October 26, 2018, a 9.5% growth from two years ago.

“India was a cash dominated economy,” Mr Jaitley said in a written statement. “Cash involves anonymity in transactions. It bypasses the banking system and enables its possessors to evade tax.  Demonetisation compelled holders of cash to deposit the same in the banks. The enormity of cash deposited and identified with the owner resulted in suspected 17.42 lakh account holders from whom the response has been received online through non-invasive method.”

This increased push towards digitisation achieved significant success, the Finance Minister said. According to him, the Unified Payment Interface, launched in 2016, saw the value of transactions on it grow from ₹50 crore in October 2016 to ₹59,800 crore in September 2018.

The Bharat Interface for Money (BHIM) app for UPI transactions currently has 1.25 crore users and the share of BHIM transactions in overall UPI transactions was about 48% in June 2017, Mr.Jaitley added.

“The RUPAY Card is used both at the Point of Sale (PoS) and for e-commerce,” Mr. Jaitley said. “Its transactions have increased from ₹800 crore before demonitisation to ₹5730 crore in September 2018 for PoS and from ₹300 crore to ₹2,700 billion in e-commerce. Today Visa and Mastercard are losing market share in India to indigenously developed payment system of UPI and RUPAY Card whose share have reached 65% of the payments done through debit and credit cards.”

Incidentally, MasterCard reportedly wrote to the U.S. government in June saying that the Indian government was using nationalism to promote the use RuPay cards and that the country’s protectionist policies were hurting foreign payment companies.

Widening tax base

“The impact of demonetisation has been felt on collection of personal income tax,” Mr Jaitley said. “Its collections were higher in Financial Year 2018-19 (till 31-10-2018) compared to the previous year by 20.2%. Even in the corporate tax the collections are 19.5% higher.”

“Similarly, in the year 2017-18, the tax returns filed reached 6.86 crore, an increase of 25% over the previous year,” he added. “This year, as on October 31, 2018, already 5.99 crore returns have been filed which is an increase of 54.33% compared to the previous year till this date. The new filers added this year are 86.35 lakh.”

Economic Affairs Secretary Subhash Chandra Garg said demonetisation and GST reflect long-term vision of the government and its ability to undertake massive structural reforms.

Tax filers under both direct and indirect taxes are close to getting doubled. Digital payments have risen sharply and become common place. Fake notes are out, Mr. Garg tweeted.

दिवाली से ऐन पहले पाकिस्तानी बैंक हैक

 

पाकिस्तान के सभी बैंक हैकर्स के निशाने पर आ गए हैं. डौन के मुताबिक फेडरल इनवेस्टीगेशन एजेंसी के साइबर क्राइम प्रमुख ने यह जानकारी दी है कि पाकिस्तान के लगभग सभी बैंकों को हैक कर लिया गया है.

उन्होंने बताया कि सिक्योरिटी ब्रीच के तहत हैकर्स ने बैंकों को निशाना बनाया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ग्राहकों के करोड़ों रुपयों पर हैकर्स ने अपना हाथ साफ कर दिया.

जांच एजेंसियां अब इस मामले को सुलझाने में लगी हैं. अधिकारियों का कहना है कि यह साइबर हमला सीमा पार से हो सकता है. हालांकि अभी तक इस बात का खुलासा नहीं हो पाया है कि बैंकों से कुल कितनी राशि हैकर्स ने उड़ाई है.

गठबंधन के लिए ‘बूस्टर डोज’, बीजेपी के लिए चिंता और चिंतन का वक्त


जहां तक बीजेपी का सवाल है, तो पार्टी अध्यक्ष अमित शाह चिंतित होंगे. कांग्रेस-जेडीएस के गठबंधन ने दिखाया है कि लोक सभा चुनाव में वे कितना नुकसान पहुंचा सकते हैं


2019 लोक सभा चुनाव से पहले कांग्रेस-जनता दल (एस) को जबरदस्त मानसिक फायदा हुआ है. उन्होंने शनिवार को पांच सीटों के उप चुनाव में चार सीटें जीतने में कामयाबी पाई है. हालांकि तीन विधान सभा सीटों पर नतीजे उम्मीद के मुताबिक रहे हैं और बीजेपी ने शिमोगा सीट बरकरार रखने में कामयाबी पाई है. लेकिन बेल्लारी लोक सभा सीट पर करारी हार से बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को चिंता होनी चाहिए.

राज्य बीजेपी अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा के पुत्र बीएस राघवेंद्र शिमोगा सीट से जीते. उन्होंने 57 हजार वोटों से जीत पाई, जो बहुत बड़ा अंतर नहीं है. उन्होंने जेडीएस के उम्मीदवार मधु बंगारप्पा को हराया. शुरुआत में यहां कड़ा संघर्ष नजर आ रहा था. लेकिन दस राउंड के बाद राघवेंद्र ने मुकाबला अपने पक्ष में कर लिया. येदियुरप्पा यहां से 2014 का चुनाव 3.30 लाख वोटों के अंतर से जीते थे. तब कांग्रेस और जेडीएस अलग-अलग चुनाव लड़े थे.

बीजेपी ने उम्मीदवार चुनने में गड़बड़ी की

जेडीएस ने रामनगरम विधानसभा और मांड्या लोक सभा सीटें बरकरार रखीं. वोक्कालिगा में उनकी मजबूत पकड़ है. यहां उन्होंने प्रभावशाली तरीके से जीत दर्ज की. इसकी वजह महज ये नहीं है कि पहली बार कांग्रेस का साथ मिला है. बल्कि यह भी है कि बीजेपी ने उम्मीदवार के चयन को लेकर काफी गड़बड़ियां कीं.

मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की पत्नी अनिता कुमारस्वामी के लिए तो जीत एक तरह का वॉकओवर रही. बीजेपी के प्रत्याशी एल. चंद्रशेखर एक तरह से चुनाव के समय कांग्रेस से ‘इंपोर्ट’ हुए थे. उन्होंने चुनाव से दो दिन पहले रिटायर होने का ऐलान किया और कांग्रेस में ‘घर वापसी’ कर ली.

इस क्षेत्र में वोटिंग प्रतिशत कम रहा. सिर्फ 54 फीसदी वोट पड़े. अनिता कुमारस्वामी को सवा लाख वोट मिले. विपक्षी उम्मीदवार या यूं कहें कि चंद्रशेखर की गैर मौजूदगी में कमल के फूल को 15 हजार वोट मिले. इसे अलग तरीके से भी देख सकते हैं. पिछली बार बीजेपी को सिर्फ चार हजार वोट मिले थे. इस लिहाज से उनका प्रदर्शन सुधरा है.

मांड्या लोक सभा सीट से जेडीएस के एलआर शिवराम गौड़ा ने 2.89 लाख वोट से जीत दर्ज की. बीजेपी के डॉ. सिद्धलिंगैया को 2.05 लाख वोट मिले, जो क्षेत्र में उनका श्रेष्ठतम प्रदर्शन है.

जामखंडी विधानसभा सीट कांग्रेस के आनंद न्यामगौड़ा के हाथ लगी. उन्हें अपने पिता सिद्दू न्यामगौड़ा की सड़क दुर्घटना में मौत के बाद चुनाव के लिए उतारा गया था. सहानभूति लहर की वजह से जीत का अंतर भी बढ़ा. वो 39 हजार सीट से बीजेपी के श्रीकांत कुलकर्णी के खिलाफ जीते. कुलकर्णी मई 2018 में हुए चुनाव में सिद्दू के खिलाफ दो हजार वोट से हारे थे.

बेल्लारी सीट पर बीजेपी को झटका

बेल्लारी लोक सभा सीट ने बीजेपी को सबसे जोरदार झटका दिया. बीजेपी उम्मीदवार जे. शांता को वीएस उग्रप्पा के खिलाफ 2.87 लाख वोट से हार मिली. शांता के बड़े भाई श्रीरामुलु ने 2014 में सीट 1.3 लाख वोट से जीती थी. उन्होंने छह महीने पहले विधान सभा में चुने जाने के बाद इस्तीफा दे दिया था. यहां पर चुनाव को उनके और जनार्दन रेड्डी के बीच जंग के तौर पर देखा जा रहा था. रेड्डी का बेल्लारी पर दबदबा रहा है.

खदान घोटाले में फंसने के बाद जनार्दन रेड्डी को बीजेपी से निकाल दिया था. लेकिन उन्होंने पार्टी के साथ अपना जुड़ाव दिखाना जारी रखा. चुनाव अभियान के दौरान रेड्डी ने कुछ विवादास्पद बयान दिए थे. हालांकि वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले की वजह से बेल्लारी नहीं जा पाए थे. सुप्रीम कोर्ड ने उनके खिलाफ चल रहे मामलों का निपटारा होने तक उन पर जिले में जाने को लेकर रोक लगाई हुई है.

नतीजों से खुश कुमारस्वामी ने कहा कि जेडीएस और कांग्रेस का गठबंधन आने वाले लोक सभा चुनाव तक चलता रहेगा. उन्होंने भरोसा जताया कि राज्य की 28 में से 24 सीटें उनके गठबंधन को मिलेंगी.

जीत के कुछ ही समय बाद कांग्रेस के नेता इस कामयाबी का श्रेय लेने के लिए एक दूसरे से होड़ लगाते दिखने लगे. बेल्लारी में चुनाव प्रभारी डीके शिवकुमार ने दावा किया कि उग्रप्पा उनकी पसंद थे. उन्होंने कहा कि वाल्मीकि समुदाय से किसी को चुने जाने ने पार्टी को फायदा पहुंचाया है.

अमित शाह की बढ़ी चिंता

पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया पीछे नहीं रहे. उन्होंने कहा कि वो पहले ही भविष्यवाणी कर चुके थे कि बेल्लारी में कांग्रेस को दो लाख से ज्यादा वोटों से जीत मिलेगी. उन्होंने जेडीएस के साथ अपनी साझेदारी को कायम रखने की बात को भी दोहराया.

जहां तक बीजेपी का सवाल है, तो पार्टी अध्यक्ष अमित शाह चिंतित होंगे. कांग्रेस-जेडीएस के गठबंधन ने दिखाया है कि लोक सभा चुनाव में वे कितना नुकसान पहुंचा सकते हैं. उन्हें गंभीरता से पार्टी के अंदर समन्वय की कमी पर भी विचार करना होगा. यहां येदियुरप्पा अपने साथ किसी को लेकर चलने में नाकाम नजर आ रहे हैं. लेकिन यह भी सबको पता है कि लोक सभा चुनाव बहुत दूर नहीं हैं. कर्नाटक बीजेपी में अभी किसी का कद येदियुरप्पा जैसा नहीं है, जो उनकी जगह ले सके. बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को वैकल्पिक रणनीति बनाने में काफी मशक्कत करनी पड़ेगी, ताकि वे राज्य में पार्टी की उम्मीदों को बेहतर कर सकें.

Congress was unkind to me, says ex-Mizoram Speaker Hiphei

Former Mizoram Speaker Hiphei addresses a press conference in Aizawl


Hiphei believes that he has nothing to loose as Congress was unkind to him.


Aizawl: 

Mizoram Speaker Hiphei jumping ship to the Bharatiya Janata Party (BJP) ahead of the Assembly elections comes as latest blow to the Congress in the North East state. Hiphei resigned from his post as well as from the Congress primary membership on Monday, citing dissatisfaction with the party for ignoring his candidature for the polls from the Palak constituency.

The 81-year-old political figure said he decided to quit came after Mizoram Congress president and Chief Minister Lal Thanhawla failed to give a “green signal” for his candidature. “The Congress was very unkind to me. Thanhawla and other party leaders not only failed to approve my name but also told me to resign,” he claimed.

“The Mara Autonomous District Congress Committee nomination board recommended my name three times and All India Congress Committee (AICC) agreed that I would be the official Congress candidate for Palak constituency. But I was kept in the dark. The state Congress failed to officially release a list of candidate several days after the AICC approved my name,” Hiphei said.

While Hiphei has a positive outlook about his decision to join the saffron party, the Congress believes that this might be the beginning of the end of his political career. Mizoram Pradesh Congress Committee spokesperson Lallianchhunga said Hiphei’s steadfast loyalty to the Congress had contributed towards his stellar political career, which included his work as a two-time Rajya Sabha MP from 1990 to 1996 and 1996 to 2002.

Lallianchhunga is also confident that Hiphei’s resignation was unlikely to impact Congress’ chances in the state as he had been under the scanner for a long time. He said the Congress had been suspicious of Hiphei’s link with the BJP — considered communal and anti-Christian party by Mizos — after he sold his building to the party a few years ago.

However, political observers in Mizoram likely rightly believe that Hiphei’s decision will affect the Congress’ prospects in the state not only because he is an influential mass leader, but also as Hiphei was the fifth Congress legislator to resign from the Mizoram legislature since September. The others were R Lalzirliana, Lalrinliana Sailo, Dr BD Chakma and Hmingdailova Khiangte.


Hiphei will now contest the Mizoram elections on 28 November from Palak constituency on a BJP ticket. Expressing confidence about the BJP winning the Assembly polls, he said: “The people of Palak sympathise with me. I have received strong support from the people and I am confident that I will win the polls on this new ticket.”


He added that the Congress is likely to be defeated due to the internal differences and squabbles in the grand old party.

The seven-time Congress legislator who was once a staunch BJP critic said he was happy to join the saffron party as he did not come across any anti-Christian elements in its ideology. “Prime Minister Narendra Modi has nearly completed his tenure but during these five years, the BJP government did not amend our constitution to alter the secular feature. The party completely believes in secularism and the BJP-led government would not pose any threat to the Mizos and their religion,” he said.

After joining the BJP in the presence of party leader Himanta Biswa Sarma, who is also the convenor of the North East Democratic Alliance, Hiphei said he had joined the BJP as he wanted to contribute towards the development of Mizoram.

Hiphei, also known as ‘Father of Mara” (a native tribe in Mizoram), was dropped from the Congress’ list of candidates for the upcoming Assembly elections. The party had replaced him as its candidate from Palak with former legislator and Congress general secretary KT Rokhaw for the seat.

PTV ने इमरान खान की फजीहत की


चीन की राजधानी बीजिंग में जब इमरान भाषण दे रहे थे तब पाकिस्तान टेलीविजन कॉरपोरेशन यानी पीटीवी ने कुछ ऐसा कर दिया जिसकी उम्मीद नहीं थी


कई बार दिल की बात जुबान से निकल जाती है. कुछ ऐसा ही पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम इमरान खान के साथ हुआ. इमरान खान इन दिनों चीन के दौरे पर गए हुए हैं. चीन की राजधानी बीजिंग में जब इमरान भाषण दे रहे थे तब पाकिस्तान टेलीविजन कॉरपोरेशन यानी पीटीवी ने कुछ ऐसा कर दिया जिसकी उम्मीद नहीं थी.

चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के सेंट्रल पार्टी स्कूल में  इमरान खान के भाषण के LIVE के दौरान स्क्रीन पर पीटीवी ने तीर बनाकर शहर के नाम की जानकारी देने की कोशिश की. लेकिन हुआ कुछ उलटा. पीटीवी ने तीर का निशान तो बनाया लेकिन Beijng की जगह Begging लिख दिया. वैसे दिलचस्प है कि इमरान खान के चीन जाने का मकसद वित्तीय मदद मांगना भी था. आर्थिक तंगी से गुजर रहे पाकिस्तान के लिये आर्थिक पैकेज सुनिश्चित करने के इरादे से चीन की आधिकारिक यात्रा पर गये खान रविवार को बीजिंग स्थित सेंट्रल पार्टी स्कूल में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.

curtsey PTV

अपनी इस गलती के लिए पीटीवी ने माफी भी मांग ली है. लेकिन जब तक पीटीवी यह गलती सुधारती तब तक यह वीडियो वायरल हो चुका था. यह शब्द करीब 20 सेकेंड तक स्क्रीन पर दिखता रहा, जिसे बाद में बदल दिया गया.

‘पीटीवी न्यूज’ के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने ट्वीट किया, ‘चीन की यात्रा पर गए प्रधानमंत्री के संबोधन के आज सीधे प्रसारण के दौरान वर्तनी से संबंधित गलती हुई. यह गलती करीब 20 सेकंड तक बनी रही, जिसे बाद में हटा लिया गया. इस घटना पर हमें खेद है. संबंधित अधिकारियों के खिलाफ नियम के तहत कार्रवाई शुरू कर दी गई है.’

पूर्व केन्द्रीय मंत्री की टिप्पणियां बेहद गैरजिम्मेदाराना और बहुत भड़काऊ हैं: रविशंकर प्रसाद


भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सोमवार को कांग्रेसी नेता पी चिदंबरम पर राम मंदिर की पहल और सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा का मजाक बनाने का आरोप लगाया


भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सोमवार को कांग्रेसी नेता पी चिदंबरम पर राम मंदिर की पहल और सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा का मजाक बनाने का आरोप लगाया. बीजेपी ने कहा कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री की टिप्पणियां बेहद गैरजिम्मेदाराना और बहुत भड़काऊ हैं. केन्द्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह पाखंड का आदर्श मामला है कि जहां एक ओर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मंदिरों का दौरा करते हैं और खुद को ‘शिव भक्त’ बताते हैं, वहीं उनकी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता इस तरह की टिप्पणियां कर रहे हैं.

प्रसाद ने कांग्रेस पर ऐसे समय हमला बोला है जब चिदंबरम ने ट्वीट करके मोदी सरकार को निशाना बनाया है. कांग्रेसी नेता ने ट्वीट किया था, ‘पांच साल की शुरुआत होने पर, वादा विकास, नौकरी और हर नागरिक के बैंक खाते में धन का वादा किया गया. कुछ भी हासिल नहीं हुआ, पांच साल खत्म होने पर, नया वादा विशाल मंदिरों, बड़ी प्रतिमाओं और बेरोजगारी भत्ते का है.’

प्रसाद ने कहा कि चिदंबरम जाहिर तौर पर राम मंदिर की पहल और पटेल के ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ का मजाक बना रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘कृपया इसे बंद कीजिए. भावनाओं से मत खेलिए.’ प्रसाद ने राहुल गांधी से इस मुद्दे पर अपनी राय स्पष्ट करने को कहा. प्रसाद ने मांग की कि वह और उनकी मां सोनिया गांधी इस मुद्दे पर खेद जताएं. उन्होंने कहा कि पटेल का इससे बड़ा अपमान नहीं हो सकता.

उन्होंने पूछा कि कांग्रेस ने उनकी एक प्रतिमा पर इस तरह की प्रतिक्रिया क्यों दी जबकि सैकड़ों योजनाएं, पुरस्कार, छात्रवृत्ति आदि नेहरू-गांधी परिवार के नाम पर चल रही हैं. प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस ने पटेल की विरासत को मिटाने का काम किया और बीजेपी को गर्व है कि उनकी याद में सबसे बड़ी प्रतिमा मोदी सरकार में बनाई गई. उन्होंने मोदी और नाजी तानाशाह एडोल्फ हिटलर की तुलना करने वाले कांग्रेसी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान पर आपत्ति जताई.

उन्होंने कहा कि यह पार्टी की हताशा और आगामी चुनावों में दिखती हार के कारण हो रहा है. खड़गे पर कटाक्ष करते हुए प्रसाद ने कहा कि वह अपनी पार्टी के सत्तारूढ परिवार की अनुमति के बना एक कदम नहीं रख सकते जबकि बीजेपी लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर चल रही है.

‘अरिहंत का सुरक्षित एवं सफल गश्त अभियान देश के लिए धनतेरस का तोहफा है और सवा सौ करोड़ भारतीयों के लिए सुरक्षा की गारंटी है.’ प्रधान मंत्री मोदी


पीएम ने कहा, यह हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है और भारत के दुश्मन इसे चुनौती की तरह लें और कोई दुस्साहस करने की कोशिश न करें


देश की पहली परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत के सोमवार को अपना पहला गश्त अभियान पूरा करने के मौके पर पीएम मोदी ने शुभकामनाएं दीं. उन्होंने कहा, ‘यह देश के लिए धनतेरस का तोहफा है और सवा सौ करोड़ भारतीयों के लिए सुरक्षा की गारंटी है.’

पीएम ने कहा, ‘यह हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है और भारत के दुश्मन इसे चुनौती की तरह लें और कोई दुस्साहस करने की कोशिश न करें.’ पीएम ने इसे न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग का जवाब बताया. उन्होंने कहा, ‘अरिहंत का मतलब होता है कि दुश्मन को नष्ट कर देना.’

पीएम ने कहा, ‘अरिहंत से जुड़ी टीम को बहुत-बहुत बधाई. यह भविष्य के भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. भारत किसी को छेड़ता नहीं लेकिन कोई भारत को छेड़े तो उसे छोड़ता नहीं है. हमारा परमाणु प्रसार किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं है लेकिन सुरक्षा का उपकरण है.’

पीएम ने यह भी कहा, ‘देश की सुरक्षा, शांति और स्थिरता के लिए परमाणु क्षमता बहुत महत्व रखती है. पूरी दुनिया को इस बात का भरोसा है कि भारत एक जिम्मेदार परमाणु हस्ती है.’

भारत की इस सफलता पर पीएम मोदी ने कहा, ‘आज का दिन ऐतिहासिक है क्योंकि परमाणु त्रिभुज की स्थापना सफल हो गई. अब यह पूरी दुनिया में शांति और स्थिरिता बनाए रखने में अहम भूमिका निभाएगा.’

Imran’s China visit


WHEN Prime Minister Imran Khan chose to travel to China over staying in Pakistan as mobs and violent protesters took to the streets across this country, PTI officials defending the foreign trip amidst domestic chaos argued that the economy was in dire straits and urgent assistance was needed. The implication was that Prime Minister Khan was required to go to China to secure quick money, loans, assistance and investments to shore up the Pakistani economy and state finances.


Imran Khan is back from his first official visit to China. Imran’s nervousness was apparent in his first interview to the Chinese media in which he repeated himself several times over, and he certainly did not come across as the head of a sovereign state. For a person of Imran Khan’s temperament, a visit primarily structured around a begging bowl couldn’t have been all that pleasant. For that is what it was in reality. Worse still, it was something which could hardly be hidden from the public gaze.

First, in the matter of the urgent need to get financial assistance, his meeting with Premier Li Keqiang was not propitious. Xinhua quoted him at a press conference as saying that China was willing to provide assistance to Pakistan “within our capability”, a statement unlikely to provide any relief to his guest. The same tone echoed in the followingmeeting with vice-foreign minister Kong Xuanyou where it was said that China had “made it clear in principle that (it) will provide necessary support and assistance to Pakistan in tiding over the current economic difficulties”.

It was also made clear that the actual amount of “assistance” will be discussed in subsequent meetings. Not a word about the rumoured $6 Billion Package, which was doing the rounds in the Pakistan media. The mood in Beijing was well encapsulated by Cheng Xiaohe, deputy director of the Centre for International Strategic Studies at Renmin University in The South China Morning Post He rather tartly noted while China was willing to assist Pakistan, it was finally Islamabad’s responsibility to take care of its own people. Coming to the crux of the matter, he observed that China had a liquidity problem due to its trade war with the US. Therefore Pakistan “must seek all kinds of assistance”. That’s as crisp as it gets.

Second is the issue of the nature and goals of Chinese loans and project assistance. Imran is no fool, and even before his election to the top post, the newly-elected prime minister had been stressing that Chinese assistance must also address the basic concerns of the people in terms of cheap housing, basic utilities and other aspects. In this he may get some reprieve.

The joint statement stated “Chinese assistance will also be directed towards agriculture, education, health, poverty alleviation, safe drinking water, and vocational training”. Even that quote has unwieldy strings attached. The “agriculture” aspect is entirely aimed at achieving Chinese goals. Remember the “CPEC Master Plan leaked mid last year, which indicated that Chinese enterprises would operate their otwn farms across thousands of acres in Pakistan, with an end to end plan ranging from seeds, logistics and market. That’s not assistance. That’s a take over.

Third, is the most ticklish aspect of a “re-negotiation” of Chinese loans that Imran and his team have been batting for. Nothing at all emerged on that front, and presumably, is going to be part of future discussions. The boiler plate joint statement did have some effusive language on Pakistan’s search for peace, and appreciated Pakistan’s “engagement” and “adherence” to the guidelines of the Nuclear Suppliers Group. No promise of membership as claimed by Indian media. Worse, the rest of the statement essentially commits Pakistan to the Chinese view on the Iran-US nuclear deal, and demanded ( as before ) a greater Chinese role in SAARC. None of this addresses Pakistan’s immediate concerns.

In conclusion therefore, Imran returned home empty handed. As the The Dawn observed, it is surprising that a prime minister should visit an important ally with expectations that were clearly belied by reality. Normally, a dozen preparatory meetings should have laid the ground for such a visit and its expected outcomes. Instead, it appeared that the prime minister was negotiating his own way out of debt, that too at a time when his country was virtually on fire due to the antics of an extreme right wing group bent on violence. Somewhere, somebody blundered.

For India or for anyone with an interest in South Asian stability, there are some aspects of interest. One aspect is that US-China trade confrontation has led to a state where China is reluctant to extend even minimal aid ( not assistance, which has conditions) to a valuable ally. Trade sanctions are therefore clearly biting. That’s interesting to say the least.

A second aspect is that Pakistan will have now have to rely on the IMF for its largest ever loan package. While this is certain to bite, it is less dangerous than a Pakistan virtually bought up by China. That’s not in anyone’s best interests, least of all Islamabad itself. A third aspect is that the “higher than a mountain, and deeper than the seas” friendship between the two countries seems to have come up against the earthy taste of reality.

Beijing is clearly not falling over itself to oblige Pakistan in terms of generous aid or social projects to any great degree. That last aspect will play itself out to the full only in the coming months. Wait and watch. This is only likely to get more interesting.

59 मिंट में पा सके हैं 1 करोड़ का ओद्योगिक लोन


इसके लिए एक स्पेशल पोर्टल भी लॉन्च किया गया है. जिसके मदद से आसानी आप एक घंटे से भी कम समय में लोन पा सकते हैं 


प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के लिए 59 मिनट में 1 करोड़ का लोन देने की घोषणा की है. इस बीच पीएम मोदी ने ईज ऑफ डुइंग बिजनेस रैंकिंग में भारत की उछाल की भी तारीफ की.

इसके लिए एक स्पेशल पोर्टल भी लॉन्च किया गया है. जिसके मदद से आसानी आप एक घंटे से भी कम समय में लोन पा सकते हैं. लोन लेने के लिए आपका छोटा या मध्यम उद्योग का जीएसटी रजिस्ट्रेशन होना चाहिए. पीएम ने कहा कि पहली बार लोन लेने पर GST रजिस्टर्ड MSMEs पर ब्याज दर में 2 प्रतिशत की छूट दी जाएगी. पहली बार लोन लेने पर इसकी ब्याज दर 3 प्रतिशत होगी इसके बाद यह 5 प्रतिशत हो जाएगा. केंद्र सरकार ने MSMEs को बूस्ट करने के लिए 12 अहम फैसले लिए हैं.

यह जरूरी है कि वो सभी कंपनियां जिनकी टर्नओवर 500 करोड़ से ज्यादा है वह TReDS प्लेटफॉर्म यानी व्यापार प्राप्तियां ई-छूट प्रणाली में शामिल हों. ताकि MSMEs को कैश फ्लो में कोई परेशानी ना उठानी पड़े.

इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा, मैं 59 मिनट में लोन अप्रूव करने वाली यह पोर्टल आपको समर्पित कर रहा हूं. यह अभी से ही एमएसएमई बिजनेसमैन को फायदा पहुंचाने लगी है.

पीएम ने कहा, यह हमारे लिए गर्व की बात है कि भारत ने इज ऑफ डूइंग बिजनेस में 77 वें नंबर पर अपनी जगह बना ली है. 4 साल पहले जब हमारी सरकार सत्ता में नहीं थी तो हम 142 वें रैंक पर थे. वो दिन ज्यादा दूर नहीं जब हम अपनी जगह टॉप 50 में बना लेंगे.