इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ एथिक्स का स्थापना दिवस : सिविल समाज के लिए एक वरदान
डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, चंडीगढ़ – 06 जून :
इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ एथिक्स का स्थापना दिवस मनाया जा रहा है। यह जानकारी देते हुए अकादमी के प्रधान डॉ. जरनैल सिंह आनंद ने बताया कि इस अकादमी की स्थापना आजाद फाउंडेशन द्वारा की गई है. अकादमी की उपाध्यक्ष डॉ. माया हर्मन सेकुलिच हैं, जो सर्बिया की एक महान लेखिका हैं। इसके अलावा, इस अकादमी में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के नायक शामिल हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक क्षेत्र में नाम कमाया है। मरीना पतीसी, रेजिना रेस्टा, इटली से डॉ. क्लाउडिया पिसिनो मारिया टेरेसा, कनाडा से रावल आई एम जेम्स, मैसेडोनिया से लजुबोमिर मिहाजलोव्स्की, न्यूजीलैंड से लेस्ली बुश, हंगरी से इस्तवान तारसाज़ी, ऑस्ट्रेलिया से बजराम रेडजेपाजिक और भारत के महान लेखक डॉ. अनंत कुमार गिरि, डॉ. सतीश कपूर, भगीरथ चौधरी, अरिंदम रॉय, जम्मू विश्वविद्यालय से डॉ. कुलभूषण राजदान, चंडीगढ़ विश्वविद्यालय से डॉ. तनु गुप्ता, हिम्मत सिंह आईपीएस, डॉ. दलविंदर सिंह ग्रेवाल, विनोद खन्ना, बाला चंद्रन नायर, तारिक मोहम्मद राज बाबू गंधम आदि शामिल हैं।
डॉ. आनंद ने कहा कि उद्घाटन कार्यक्रम में प्रो. रणधीर गौतम, डॉ. प्रणीत जग्गी, डॉ. मौली जोसेफ [स्वागत भाषण] के अलावा डॉ. माया हरमन सेकुलिक, [एथिक्स एंड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस] डॉ. रावल आईएम जेम्स [कनाडा] [ द एथिकल इम्पेरेटिव] ] और डॉ. स्वराज राज [एथिक्स: इंटेलेक्चुअल पर्सपेक्टिव] विषय पर विचार-विमर्श करेंगे। स्थापना दिवस भाषण डॉ. आनंद द्वारा दिया जाएगा और कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यकार डॉ. बासुदेब चक्रवर्ती करेंगे।
डॉ. आनंद ने कहा कि अकादमी की स्थापना नागरिक समाज के लिए एक वरदान साबित होगी क्योंकि “हम एक बेहतर समाज के सपने को साकार करने की कोशिश कर रहे हैं। गुरु नानक देव जी ने कहा था कि सत्य संसार में सबसे ऊंचा है, लेकिन सच्चा आचरण उससे भी ऊंचा है।
डॉ. आनंद ने कहा कि इस एकेडमी में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी ट्रेंड देखने को मिल रहा है। यूनेस्को से संपर्क करने का प्रयास किया जा रहा है। आजाद फाउंडेशन का सपना है कि दुनिया में एक एथिक्स यूनिवर्सिटी की स्थापना की जाए ताकि जीवन और वास्तविक मूल्यों के बारे में अत्यंत सावधानी से बात की जा सके। डॉ. आनंद ने आज की शिक्षा की ओर इशारा करते हुए कहा कि इसमें नैतिकता कहां है? क्या हम अपने छात्रों को मानव नहीं बनाना चाहते हैं? सरकारें वेल्थ को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ती लेकिन क्या इतना काफी है? क्या नौकरी काफी है? क्या मनुष्य केवल रोटी पर और रोटी के लिए जीवित रहता है? बड़े सवाल हैं और नैतिकता अकादमी इन सवालों का जवाब दे रही है।