कहीं सिंधिया पायलट की राह न हों लें छत्तीसगढ़ के सिंहदेव

रविरेन्द्र वशिष्ठ, चंडीगढ़:

राजस्‍थान के डिप्‍टी सीएम सचिन पायलट की नाराजगी बरकरार है. इसी वजह से वह सोमवार सुबह 10.30 बजे होने वाली कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं होंगे. जबकि पायलट के नजदीकी लोगों ने कहा कि 30 विधायकों के उनके समर्थन में आने से सरकार अल्पमत में है.

राजस्थान की कॉन्ग्रेस सरकार पर संकट के बादल घने होने के साथ ही एक बार फिर छत्तीसगढ़ को लेकर भी अटकलों का बाजार गर्म है। वैसे मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ की कॉन्ग्रेस सरकारों की आतंरिक कलह से अकाल मौत के कयास उस दिन ही लगने शुरू हो गए थे, जब 2018 के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद तीनों राज्यों के लिए राहुल गाँधी ने मुख्यमंत्री फाइनल किया था। वैसे बात करें तो नाम सोनिया और प्रियंका ने चुने थे राहुल तो अपने युवा साथियों के पक्ष में थे लेकिन सोनिया राहुल के समकक्ष किसी भी युवा को एक सक्षम प्रशासक के तौर पर स्थापित होते नहीं देख सकतीं।

जिस तरह मध्य प्रदेश में ज्योतिदारित्य सिंधिया अपनी उपेक्षा से आहत थे, उसी तरह राजस्थान में भी सचिन पायलट को अपनी मेहनत की मलाई अशोक गहलोत को सौंपा जाना खटक रहा था। छत्तीसगढ़ में टीएस सिंहदेव को खुद के छले जाने का अहसास हो रहा था। पहल सिंधिया ने की। अब लपटें पायलट के खेमे से निकल रही है और सोशल मीडिया में सिंहदेव के भी जल्द धधकने के दावे किए जा रहे हैं।

यह सच है कि सियासी बाजियाँ सोशल मीडिया के पोस्ट के हिसाब से नहीं चली जातीं। लेकिन, यह भी उतना सच है कि सियासी गलियारों में अटकलों का बाजार तभी गर्म होता है, जब खिचड़ी पक रही होती है। हालाँकि सिंहदेव अभी भी इन दावों को खारिज कर रहे हैं। पहले भी खारिज किया था।

मध्य प्रदेश में सिंधिया की बगावत के बाद उन्होंने कहा भी था, “लोग दावे करते रहें लेकिन मैं भाजपा में शामिल नहीं होऊँगा। सौ जीवन मिलने के बाद भी मैं उस विचारधारा से कभी नहीं जुड़ूँगा। जो व्यक्ति मुख्यमंत्री नहीं बन पाने के कारण भाजपा में शामिल होता है, उसे कभी सीएम नहीं बनना चाहिए।”

लेकिन, हम सब जानते हैं कि नेता बयानों के हिसाब से नहीं चलते। वे फैसले अपने सियासी भविष्य को देखकर करते हैं। कॉन्ग्रेस में ये बगावत मुख्यमंत्री बनने की भी नहीं है। यदि ऐसा होता तो शिवराज की जगह सिंधिया को मध्य प्रदेश का सीएम होना था।

असल में यह आत्मसम्मान बचाने की लड़ाई है। हाईकमान लगातार इनकी उपेक्षा कर रहा है। पार्टी जिस तरीके से चलाई जा रही उससे इनकी असहमति है। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने से लेकर चीन से सीमा विवाद तक के मसलों पर पार्टी स्टैंड ने कई नेताओं को असहज कर रखा है। सबसे बड़ी बात अपने-अपने राज्य के डिप्टी सीएम होने के बावजूद न तो पायलट की सरकार में सुनी जाती है और न सिंहदेव की।

लिहाजा इनके पास विकल्प सीमित हैं। या तो अपनी ही सरकार में उपेक्षित बने रहे या फिर उस रास्ते चलें जो सिंधिया ने चुना। राजस्थान में सियासी घटनाक्रम जिस तरह से चल रहे हैं उससे स्पष्ट है कि पायलट ने फैसला कर लिया है।

खबरों के अनुसार, राजस्थान के कॉन्ग्रेस के 24 विधायक हरियाणा और दिल्ली स्थित होटलों में पहुँच गए हैं। भयभीत राज्य सरकार ने सभी सीमाओं को सील कर दिया है। ऊपरी तौर पर तो कहा जा रहा है कि ये कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए ये फैसला लिया गया है, लेकिन इसे कॉन्ग्रेस के भीतर भारी अंदरूनी फूट को दबाने और विधायकों को बाहर जाने से रोकने के प्रयासों के रूप में देखा जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि अधिकतर कॉन्ग्रेस विधायकों का फोन स्विच ऑफ है।

इधर मुख्यमंत्री गहलोत ने भी आज रात पार्टी विधायकों और मंत्रियों की बैठक बुलाई। पायलट के अहमद पटेल से भी मिलने की खबरे हैं। ऐसे में पूरी राजनीतिक तस्वीर स्पष्ट होने में मध्य प्रदेश की तरह ही कुछ वक्त लग सकता है।

यहाँ यह भी गौर करने वाली बात है कि पायलट ने अचानक से सियासी पारा तब चढ़ाया है, जब प्रदेश सरकार को गिराने की कथित साजिशों के मद्देनजर पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने उन्हें और गहलोत को बयान जारी करने का नोटिस भेजा है। साथ ही कुछ कॉल रिकॉर्ड भी हैं जो बताते हैं कि कॉन्ग्रेस में खेमेबंदी जोरों पर है।

ऐसे ही एक कॉल के दौरान बातचीत में यह बात सामने आई कि महेन्द्रजीत सिंह मालवीय पहले उप मुख्यमंत्री के साथ थे, अब उन्होंने पाला बदल लिया है। ऐसे में पायलट को यह भी चिंता सता रही होगी कि अब और देरी करने पर गहलोत एक-एक कर उनके समर्थकों को तोड़ उन्हें अलग-थलग कर सकते हैं।

पर उनके इस कदम ने छत्तीसगढ़ कॉन्ग्रेस की आंतरिक कलह को भी चर्चा में ला दिया है। सिंहदेव ने बीते महीने ही विधानसभा चुनाव के वक्त जारी कॉन्ग्रेस के जन-घोषणा पत्र में किए गए वादे पूरे नहीं होने को लेकर सरकार से नाराज होने के संकेत दिए थे। उन्होंने ट्वीट कर कहा था, “सभी बेरोज़गार शिक्षा कर्मियों, विद्या मितान, प्रेरकों एवं अन्य युवाओं की पीड़ा से मैं बहुत दुखी और शर्मिंदा हूँ।”

यही कारण है कि सोशल मीडिया में उनको लेकर भी पोस्ट की भरमार है। जैसा कि जशपुर के रहने वाले विवेकानंद झा लिखते हैं, “माना कि ठाकुर के हाथ नजर नहीं आते। पर ये हाथ न होते तो जय-वीरू जेल से आजाद न होते। सूत्रों की मानें तो ठाकुर भी जल्द ज्वाइन करेंगे जय-वीरू को।”

ठाकुर यानी टीएस सिंहदेव। वे सरगुजा के राजा भी हैं। मुख्यमंत्रियों का ऐलान करते हुए राहुल गाँधी ने सिंधिया और पायलट को भविष्य बताकर संकेत दिया था कि आगे उन्हें भी मौका मिल सकता है। पर 67 साल के सिंहदेव को लेकर ऐसा कोई भरोसा उन्होंने भी नहीं दिया था। सो, सिंहदेव भी जानते ही होंगे कि उनके पास सिंधिया और पायलट के उलट मौके भी सीमित ही हैं।

अल्कालांबा ने महाराष्ट्र सरकार को चेताया

“देशभर के कार्यकर्ता अर्नब गोस्वामी द्वारा कॉन्ग्रेस अध्यक्षा सोनिया गाँधी जी पर दिए गए ब्यान को लेकर बेहद आहत हैं, अगर समय रहते महाराष्ट्र ने उचित क़ानूनी कार्यवाही नहीं की तो मैं यह चेतावनी दे रही हूँ कि फिर कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं को सड़कों पर उतर आने से कोई नहीं रोक पाएगा।” यह बोल हैं काँग्रेस से आआपा में गयी और वहाँ मन माफिक रेवड़ियाँ न मिलने पर वापिस काँग्रेस में लौटी अल्का लांबा का, जिनहे अब कॉंग्रेस दरबार में अपनी हाजिरी लगानी है।

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

टीवी एडिटर अर्णव गोस्वामी के खिलाफ दिल्ली कांग्रेस (Congress) नेता अलका लांबा (Alka Lamba) ने मोर्चा खोल लिया है। नेशनल टेलिविजन पर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने और हिंसा भड़काने के आरोप मेें अर्णव गोस्वामी की गिरफ्तारी की मांग की जा रही है। 

अलका लांबा ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर लिखा है कि अगर अर्णव गोस्वामी (Arnab Goswami) को साम्प्रदायिक हिंसा भड़काने और कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी जी को लेकर की गई टिप्पणी पर गिरफ्तार नहीं किया जाता, तो भारतीय युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को बिना सोचे सड़कों पर उतर जाना चाहिए। वरना करोना से पहले यह नफरत कर ज़हर देश को मार डालेगा। 

उद्धव ठकारे को लांबा ने दी ये चेतावनी

लाबां ने अपने एक अन्य ट्वीट महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से गोस्वामी की खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांगी की है। उन्होंने ट्वीट में लिखा है कि देशभर के कार्यकर्ता अर्णव गोस्वामी द्वारा कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी जी पर दिए गए ब्यान को लेकर बेहद आहत हैं, अगर समय रहते महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री  ने उचित कानूनी कार्यवाही नहीं की तो मैं यह चेतावनी दे रही हूं कि फिर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को सड़को पर उतर आने से कोई नहीं रोक पायेगा।

छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री ने दर्ज कराई शिकायत

बता दें कि छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस विधायक ने अर्णव गोस्वामी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। इस बात ती जानकारी उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर दी है। उन्होंने लिखा है कि मैंने रिपब्लिक टीवी चैनल के एडिटन इन चीफ अर्णव गोस्वामी के खिलाफ रायपुर में अभी-अभी शिकायत दर्ज की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि अर्नब गोस्वामी ने जानबूझकर विभिन्न समुदायों के बीच नफरत फैलाने और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने के लिए अपने चैनल पर भड़काऊ बयान दिया। सनद रहे की छत्तीसगढ़ में कॉंग्रेस की सरकार है। महाराष्ट्र में अर्नब के खिलाफ अभी कुछ कहा नहीं जा सकता कारण महाराष्ट्र सरकार पहले ही 2 संतों की हत्या के आरोप में घिरी हुई है।

संतों की हत्या पर कॉंग्रेस की चुप्पी उजागर क्या की की अर्नब पर टूट पड़े कांग्रेसी और दरबारी पत्रकार

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी माँग की है कि अर्नब गोस्वामी पर कार्रवाई की जाए। उन्होंने सांसद राजीव चंद्रशेखर से अर्नब को बर्खास्त करने की माँग की। चंद्रशेखर ने उन्हें करारा जवाब देते हुए कहा कि अर्नब को कोई नहीं निकाल सकता, उन्होंने ये सब अपनी मेहनत से ख़ुद पाया है और ‘रिपब्लिक’ के ओनर वही हैं।

कॉन्ग्रेस नेता ‘रिपब्लिक टीवी’ के संस्थापक-संपादक अर्नब गोस्वामी के पीछे हाथ धो के पड़ गए हैं। उन्होंने महाराष्ट्र स्थित पालघर में साधुओं की भीड़ द्वारा निर्मम हत्या को लेकर सवाल क्या पूछ दिया, कॉन्ग्रेस के दरबारी नेताओं का गैंग उनके पीछे ही पिल पड़ा। उनके ख़िलाफ़ पार्टी ने एफआईआर तक दर्ज कराने का निर्णय लिया। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने तो एक वीडियो क्लिप शेयर कर के पूर्व प्रधानमंत्री द्वय इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी की हत्या की बात उठाई। हालाँकि, ऐसा उन्होंने क्या किया, ये समझ से परे है।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी माँग की है कि अर्नब गोस्वामी पर कार्रवाई की जाए। उन्होंने सांसद राजीव चंद्रशेखर से अर्नब को बर्खास्त करने की माँग की। चंद्रशेखर ने उन्हें करारा जवाब देते हुए कहा कि अर्नब को कोई नहीं निकाल सकता, उन्होंने ये सब अपनी मेहनत से ख़ुद पाया है और ‘रिपब्लिक’ के ओनर वही हैं।

लॉकडाउन में खाली बैठे कॉन्ग्रेस समर्थकों ने भी अर्नब गोस्वामी पर निशाना साधने में अपना समय खपाया और कॉन्ग्रेस आलाकमान को ख़ुश करने के लिए तरह-तरह के तिकड़म आजमाते नज़र आए। कॉन्ग्रेस की सोशल मीडिया सेल में कार्यरत गौरव पांडी ने अर्नब गोस्वामी पर पालघर में साधुओं की हत्या को सांप्रदायिक रंग देने का आरोप लगाया। उन्होंने एक वीडियो बना कर उन पर निशाना साधा।

यूथ कॉन्ग्रेस के सोशल मीडिया हैंडल ने अपनी पार्टी की अध्यक्ष को ‘महान’ बताने के लिए उनके एक बयान को आधार बनाया। सोनिया गाँधी ने कहा था कि वो इसी देश में अपनी अंतिम साँस लेगी और यूथ कॉन्ग्रेस ने इस बयान को चलाते हुए अर्नब को आड़े हाथों लिया। पार्टी ने लिखा कि आज कॉन्ग्रेस का नायकत्व, अदम्य साहस, इच्छाशक्ति और त्याग से परिपूर्ण देशभक्त के पास है, जो एक गर्व की बात है।

दरबारी पत्रकारों में भी हलचल ही मच गई। पत्रकार विजेता सिंह ने दावा किया कि ये भारत सरकार के ब्रॉडकास्ट नियमों का खुला उल्लंघन है। साथ ही उन्होंने एमआईबी इंडिया को टैग कर के इस पर जवाब माँगा। साथ ही पूछा कि इस पर क्या कार्रवाई की गई है?

राजदीप सरदेसाई ने भी अर्नब गोस्वामी द्वारा एडिटर्स गिल्ड से लाइव शो के दौरान इस्तीफा दिए जाने की बात करते हुए उन पर निशाना साधा। राजदीप ने बिना नाम लिए कहा कि अर्नब ने पिछले 12 सालों में एडिटर्स गिल्ड की एक भी बैठक में हिस्सा नहीं लिया है। साथ ही उन्होंने दावा किया कि जब मीडिया व पत्रकारों पर हमले हो रहे थे, तब भी अर्नब गोस्वामी उनके पक्ष में खड़े नहीं हुए, जो उनकी ‘मीडिया की स्वतंत्रता’ के प्रति ‘प्रतिबद्धता’ को बताता है।

सोनिया गाँधी को लेकर क्या कहा था अर्नब गोस्वामी ने?

अर्नब ने आचार्य प्रमोद कृष्णन से कहा कि अगर किसी पादरी की हत्या होती तो आपकी पार्टी और आपकी पार्टी की ‘रोम से आई हुई, इटली वाली’ सोनिया गाँधी बिलकुल चुप नहीं रहतीं। अर्नब ने दावा किया कि मॉब लिंचिंग पर सोनिया गाँधी आज चुप हैं तो इसका मतलब है कि वो मन ही मन में खुश भी हैं। मॉब लिंचिंग पर सोनिया गॉंधी की चुप्पी को लेकर अर्नब ने कहा:

“सोनिया गाँधी तो खुश हैं। वो इटली में रिपोर्ट भेजेंगी कि देखो, जहाँ पर मैंने सरकार बनाई है, वहाँ पर हिन्दू संतों को मरवा रही हूँ। वहाँ से उन्हें वाहवाही मिलेगी। लोग कहेंगे कि वाह, सोनिया गाँधी ने अच्छा किया। इनलोगों को शर्म आनी चाहिए। क्या उन्हें लगता है कि हिन्दू चुप रहेंगे? आज प्रमोद कृष्णन को बता दिया जाना चाहिए कि क्या हिन्दू चुप रहेंगे? पूरा भारत भी यही पूछ रहा है। बोलने का समय आ गया है।”

बता दें कि अर्नब गोस्वामी ने हाल ही में एक लाइव शो के दौरान ही एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया से त्यागपत्र दे दिया था। अर्नब ने अपने इस्तीफे के लिए एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के गिरते हुए मूल्यों को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने व्यक्तिगत पूर्वग्रहों के लिए नैतिकता से समझौता किया है। उन्होंने कहा कि वह काफी लंबे वक्त से एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के सदस्य हैं। लेकिन अब यह मात्र कुछ लोगों का समूह है, जिनमें फेक खबरों को फेक कहने का दम नहीं है।

क्या झारखंड में ‘एड-हॉक अंजुमन इस्लामि’ के इशारे पर होते हैं तबादले ?

झारखंड में जब से कॉन्ग्रेस-झामुमो गठबंधन की सरकार बनी है उस पर राज्य में मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप लग रहे हैं। लोहरदगा में ही इस साल 23 जनवरी को सीएए के समर्थन में निकाले गए जुलूस पर मुस्लिमों द्वारा हमला किया गया था। जिसमें नीरज प्रजापति की मौत हो गई थी। नीरज प्रजापति के सर पर लोहे की रॉड से हमला किया गया था। सीएए के समर्थन में रैली निकाल रहे लोगों पर पूर्व-नियोजित तरीके हमला किया गया था। मुसलमानों ने अपने घरों की छतों से ईंट-पत्थर फेंककर हमला किया था।

कॉंग्रेस और मुस्लिम तुष्टीकरण का चोली दमन का साथ है। झारखंड हो राजस्थान हो या हो महाराष्ट्र जहां भी कॉंग्रेस सरकार है वहाँ मुस्लिम तुष्टीकरण ज़ोरों पर है। जहां सभी देशों में कोरोना संक्रमित मृतकों के शवों को जलाया जा रहा है, वहीं भारत में मुस्लिम तुष्टीकरण के चलते उन्हे दफनाना ही होगा भले ही बाद में संक्रामण भयावह तरीके से फैले। काँग्रेस और इनके घटक दल भाजपा के उदय के पश्चात मुस्लिम तुष्टीकरण में अधिक प्रबलता से आगे आए हैं। शाहीन बाग हो या फिर तबलीगी मरकज़, जेएनयू हो या एएमयू, देवबंद हो जामिया सब में से यदा कडा भारत विरोध स्वर सुनाई पड़ते हैं लेकिन आज तक कॉंग्रेस और घटक दलों ने इसकी भर्त्सनानहीं की, उल्टे उनके साथ खड़े दिखाई पड़े। आज कॉंग्रेस अपने लुप्त होते जनाधार को बंगलादेशी घुसपैथियों और रोहिङ्ग्याओन में तलाश रह है और पूरे ममत्व के साथ उनका पोषण कर रही है।

पिछले दिनों झारखंड के लोहरदगा में रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमानों के छिपी होने की बात सामने आई थी। इस संबंध में रिपोर्ट देने वाले विशेष शाखा (खुफिया विभाग) के डीएसपी जितेंद्र कुमार का तबादला कर दिया गया है। उनकी जगह इमदाद अंसारी लेंगे। उन्हें लातेहार से यहॉं भेजा गया है।

जितेंद्र, इमदाद सहित कुल चार डीएसपी का तबादला हुआ है। लेकिन, जितेंद्र कुमार को पलामू भेजे जाने के पीछे राजनीतिक वजहें बताई जा रही है। दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर के अनुसार उन्होंने एडीजी (विशेष शाखा) को सौंपी रिपोर्ट में लोहरदगा के विभिन्न इलाकों के 13 लोगों पर रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमानों को संरक्षण देने का आरोप लगाया था। इस रिपोर्ट से पूरे प्रदेश में हलचल मची थी।

लोहरदगा की एड-हॉक अंजुमन इस्लामिया ने राज्य के डीजीपी को पत्र लिखकर इस रिपोर्ट पर सवाल उठाए थे। 11 अप्रैल को लिखे पत्र में रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कार्रवाई की मॉंग की गई थी। अंजुमन इस्लामिया के कंवेनर हाजी शकील अहमद की तरफ से लिखे पत्र में कहा गया था कि आजादी के बाद से ही लोहरदगा जिला में बांग्लादेश, पाकिस्तान या रोहिंग्या मुसलमानों का कोई वजूद नहीं है। विशेष शाखा की रिपोर्ट में जिस स्थान का जिक्र है, वहाँ भी ऐसे नागरिक नहीं हैं। रिपार्ट में जिन व्यक्तियों को संरक्षक बताया गया है, वे समाज के प्रतिष्ठित लोग हैं। एक साजिश के तहत उन्हें बदनाम करने की कोशिश की गई है।

पत्र में दैनिक जागरण में 11 अप्रैल को प्रकाशित एक रिपोर्ट का भी हवाला दिया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में अवैध रूप से छिपकर रह रहे म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों की झारखंड के भी कई हिस्सों में उपस्थिति और सक्रियता के प्रमाण मिले हैं। पिछले दिनों तबलीगी जमात की तलाश में हुई छापेमारी के दौरान धनबाद के बैंक मोड़ इलाके से तीन रोहिंग्या मुसलमानों को भी पकड़ा गया था, वहीं लोहरदगा में भी कई रोहिंग्या के छिपकर रहने की खबर मिली थी।

इसके साथ ही लोहरदगा के ऐसे 13 लोगों का नाम व पता के सामने आने का भी जिक्र किया गया है, जिनके ऊपर रोहिंग्या व बांग्लादेशी घुसपैठियों को छिपाने का आरोप है। लोहरदगा के जिन मुहल्लों में बांग्लादेशी व रोहिंग्या मुसलमानों के रहने की सूचना पुलिस तक पहुँची है, उनमें ईदगाह मुहल्ला, राहत नगर, इस्लाम नगर, जूरिया, सेन्हा के चितरी, कुड़ू के जीमा व बगडु के हिसरी आदि गाँव के नाम शामिल हैं।

गौरतलब है कि झारखंड में जब से कॉन्ग्रेस-झामुमो गठबंधन की सरकार बनी है उस पर राज्य में मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप लग रहे हैं। लोहरदगा में ही इस साल 23 जनवरी को सीएए के समर्थन में निकाले गए जुलूस पर मुस्लिमों द्वारा हमला किया गया था। जिसमें नीरज प्रजापति की मौत हो गई थी। नीरज प्रजापति के सर पर लोहे की रॉड से हमला किया गया था। सीएए के समर्थन में रैली निकाल रहे लोगों पर पूर्व-नियोजित तरीके हमला किया गया था। मुसलमानों ने अपने घरों की छतों से ईंट-पत्थर फेंककर हमला किया था।

नीरज प्रजापति की पत्नी ने सीएम हेमंत सोरेन से मदद की गुहार लगाई थी, लेकिन व्यस्त सीएम ने उन्हें मुआवजे का कोई आश्वासन नहीं दिया और प्रशासन ने नीरज की शव यात्रा में सिर्फ 35 लोग को जाने की अनुमति दी थी। साथ ही शमशान जाने के रास्ते को भी बदल दिया था, क्योंकि रास्ते में एक मस्जिद थी।  

सरकार ने मुआवजा देने से इनकार कर दिया तो पत्रकारों के प्रयासों के बाद जनता ने अब तक लगभग 32.5 लाख रुपए का सहयोग किया है। इसमें से 11.4 लाख रुपए क्राउडकैश के जरिए जुटाए गए, जबकि बाकी धनराशि लोगों ने दिवंगत नीरज की पत्नी के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किया।

राज्यों ने लॉकडाउन समय में वृद्धि का प्रस्ताव दिया

सरकार का सोचना है कि इससे स्कूल और कालेज एक तरह से गर्मियों की छुट्टियों को मिलाकर जून के अंत तक बंद रहेंगे। गर्मियों की छुट्टी आम तौर पर मई के मध्य से शुरू हो जाती हैं। जीओएम ने सिफारिश की है कि सभी धार्मिक संगठनों को कोरोना वायरस को रोकने के एहतियाती कदम के तहत 15 मई तक गतिविधियां शुरू करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। जीओएम का गठन देश में कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न स्थिति की समीक्षा करने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुझाव देने के लिए किया गया है।

नई दिल्ली:

भारत में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच देश में लॉकडाउन की समयावधि बढ़ाई जाएगी या नहीं इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों और लेफ्टिनेंट गवर्नर से संवाद के बाद फैसला लेंगे। मिली जानकारी के अनुसार शनिवार को मुख्यमंत्रियों, प्रशासकों और लेफ्टिनेंट गवर्नर्स से प्रधानमंत्री मोदी वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिए संवाद स्थापित करेंगे।

मुख्यमंत्रियों के साथ पिछली बैठक में पीएम मोदी ने लॉकडाउन हटाने को लेकर सुझाव मांगे थे, जिससे गरीब और प्रवासी श्रमिकों की परेशानी खत्म हो सके। सरकार चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन खत्म करना चाहती है। केंद्र सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि केंद्र उन जगहों से प्रतिबंध हटाने को तैयार है, जहां कोविड -19 के मामले नहीं आ रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि कई सचिवों के साथ ही नीति आयोग के शीर्ष अधिकारियों का मानना है कि 15 अप्रैल के बाद भी पूर्ण रूप से लॉकडाउन के चलते अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान होगा। वे उन क्षेत्रों में प्रतिबंध खत्म करने के पक्ष में हैं जो ‘रेड जोन’ नहीं हैं।

बता दें कि मौजूदा लॉकडाउन की अवधि 21 दिन की है जो 14 अप्रैल की मध्य रात्रि खत्म हो जाएगी। इससे पहले कई राज्यों ने अपनी चिंता जाहिर की है। बुधवार सुबह 9 बजे स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी किये गये आंकड़ों के अनुसार देश भर में 5194 मामले दर्ज किये गये जिसमें से 4643 केस एक्टिव हैं और 401 मरीज अस्पताल से डिस्चार्ज किये जा चुके हैं। वहीं 149 लोगों की मौत हो चुकी है साथ ही 1 मरीज विदेश शिफ्ट हो चुका है।

बता दें Covid19 से निपटने के लिए गठित मंत्रियों के समूह (GoM) ने 15 मई तक सभी शैक्षणिक संस्थाओं को बंद रखने और लोगों की सहभागिता वाली सभी धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगाने की सिफारिश की है। मंत्री समूह का कहना है कि सरकार चाहे 21 दिनों के लॉकडाउन (Lockdown In India) को आगे बढ़ाये या नहीं, लेकिन शैक्षणिक तथा धार्मिक गतिविधियों पर 15 मई तक रोक लगानी चाहिए। आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। हालांकि देश के कुछ राज्यों ने लॉकडाउन बढ़ाने के संकेत दिए हैं, लेकिन इसपर अभी फैसला नहीं लिया गया है. राजस्थान, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, छत्तीसगढ़ लॉकडाउन बढ़ाने के पक्ष में है. महाराष्ट्र ने भी लॉकडाउन बढ़ाने के संकेत दिए हैं, पर कैबिनेट की बैठक में इसपर कोई ठोस फैसला नही हुआ.

मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लॉकडाउन बढ़ाने का संकेत देते हुए कहा, ‘हमारे लिए जनता की जिंदगी महत्वपूर्ण है. इसलिए #Lockdown और सह लेंगे, अर्थव्यवस्था बाद में भी खड़ी कर लेंगे, लेकिन लोगों की जिंदगी चली गई तो वापस कैसे ले आयेंगे? इसलिए अगर जरूरत पड़ी तो लॉकडाउन को आगे भी बढ़ायेंगे. परिस्थितियां देखकर फैसला करेंगे.’

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश सरकार ने भी लॉकडाउन बढ़ाए जाने की संभावना से इंकार नहीं किया है. ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा, ‘संवेदनशीलता बढ़ने के कारण 14 अप्रैल के बाद भी लॉकडाउन खुल पाएगा या नहीं, यह अभी कहा नहीं जा सकता है. इस पर कुछ भी कहना, अभी संभव नहीं होगा, क्योंकि लॉकडाउन से जितनी भी व्यवस्था बनाकर केसों को नियंत्रित किया गया है, अगर 1 भी केस प्रदेश में रह जाता है तो लॉकडाउन को खोलना उचित नहीं होगा. लॉकडाउन खुलने से पुनः वही स्थिति आ सकती है.’

तेलंगाना

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने पीएम मोदी से अपील करते हुए कहा है, ‘जून के पहले सप्ताह तक बढ़ाएं लॉकडाउन, वरना कंट्रोल संभव नहीं. तत्काल सभी सीएम से बात करके लॉकडाउन बढ़ाने को लेकर फैसला करना चाहिए.’ 

पुडुचेरी

पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणस्वामी ने कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में यदि केंद्र सरकार ने लॉकडाउन की अवधि 14 अप्रैल से आगे बढ़ाया तो उनकी सरकार केंद्र सरकार के इस फैसले का समर्थन करेगी.

छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने पीएम मोदी से अपील करते हुए लिखा है कि यदि 14 अप्रैल से अंतर्राज्यीय आवागमन प्रारंभ किया जाता है तो उसके पहले कोविड-19 का प्रसार रोकने के ठोस उपाय सुनिश्चित किए जाने चाहिए. उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि लॉक डाउन समाप्त होने से पहले इस संबंध में व्यापक विचार विमर्श होना चाहिए.

हरियाणा

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा, ‘हम केंद्र सरकार द्वारा जारी निर्दशों का पालन करेंगे. जैसा हम देख रहे हैं कि कोरोना वायरस की बीमारी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, ऐसे में यह अभी कुछ भी कह पाना संभव नहीं है कि हम लॉकडाउन खत्म करेंगे या आगे बढ़ाएंगे.’

महाराष्ट्र

महाराष्ट्र सरकार ने भी इस बात के संकेत दिए हैं कि राज्य में लॉकडाउन की अवधि बढ़ाई जा सकती है, हालांकि अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है. महाराष्ट्र कैबिनेट की बैठक में लोकडाउन को लेकर कोई ठोस फैसला नहीं हो सका. सरकार आनेवाले दिनों में स्थिति का जायझा लेकर कोई भी फैसला करेगी. कैबिनेट बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि अगर पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़ी तो राज्य में लॉकडाउन रखा जाएगा.’

राजस्थान

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, ‘राज्य में एक साथ लॉकडाउन नहीं खुलेगा. राजस्थान में 40 जगहों पर कर्फ्यू है. जो भी होगा वो फेज वाइज होगा. इस मुद्दे पर जो भी फैसला लिया जाएगा, वो चर्चा के बाद ही लिया जाएगा.’

दिल्ली

ऐसी खबरें हैं कि दिल्ली में लॉकडाउन की अवधि बढ़ाई जा सकती है, हालांकि आधिकारिक तौर पर इस मुद्दे पर कुछ भी नहीं कहा गया है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अनुसार, ‘कोरोना को अकेले कोई ठीक नहीं कर सकता है. आज सारी सरकारें टीम की तरह काम कर रही हैं. राजनीति से ऊपर उठकर काम कर रही हैं. सारी राज्य सरकारों को मिलकर काम करना होगा.’

सूत्रों ने बताया कि सरकार का सोचना है कि इससे स्कूल और कालेज एक तरह से गर्मियों की छुट्टियों को मिलाकर जून के अंत तक बंद रहेंगे। गर्मियों की छुट्टी आम तौर पर मई के मध्य से शुरू हो जाती हैं। जीओएम ने सिफारिश की है कि सभी धार्मिक संगठनों को कोरोना वायरस को रोकने के एहतियाती कदम के तहत 15 मई तक गतिविधियां शुरू करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। जीओएम का गठन देश में कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न स्थिति की समीक्षा करने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुझाव देने के लिए किया गया है।

मोदी के आवाहन पर भारत ने दिखाई एकता, की दीपावली

कोरोना के खिलाफ जंग में पीएम मोदी की अपील के बाद देशवासी आज रात 9 बजे 9 मिनट दीया, कैंडल, मोबाइल फ्लैश और टार्च जलाकर एकजुटता का परिचय देंगे. लोग दीया जलाने की तैयारी कर लिए हैं.

नई दिल्ली: 

कोरोना वायरस के खिलाफ पूरे देश ने एकजुट होकर प्रकाश पर्व मनाया. पीएम मोदी की अपील पर एकजुट होकर देश ने साबित कर दिया कि कोरोना के खिलाफ हिंदुस्तान पूरी ताकत से लड़ेगा. देश के इस संकल्प से हमारी सेवा में 24 घंटे, सातों दिन जुटे कोरोना फाइटर्स का भी हौसला लाखों गुना बढ़ गया. गौरतलब है कि पूरी दुनिया कोरोना महामारी की चपेट में हैं. अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित देश कोरोना के आगे बेबस और लाचार नजर आ रहे हैं लेकिन भारत के संकल्प की वजह से देश में कोरोना संक्रमण विकसित देशों के मुकाबले कई गुना कम है.

Live Updates- 

  • कोरोना के खिलाफ एकजुट हुआ भारत, प्रकाश से जगमगाया पूरा देश
  • पीएम मोदी की अपील पर हिंदुस्तान ने किया कोरोना के खिलाफ जंग का ऐलान
  • कोरोना के खिलाफ जापान में जला पहला दीया,
  • कुछ देर बाद 130 करोड़ हिंदुस्तानी लेंगे एकजुटता का संकल्प

अमित शाह ने जलाए दीये

दिल्ली: गृह मंत्री अमित शाह ने अपने आवास पर सभी लाइट बंद करने के बाद मिट्टी के दीपक जलाए. 

योगी आदित्यनाथ ने जलाया दीया

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने दीया जलाकर एकता की पेश की मिसाल. दीए की रोशनी से बनाया ऊं.

अनुपम खेर ने जलायी मोमबत्ती

अनुप खेर ने दीया जलाकर दिया एकता का संदेश

बता दें कि पीएम मोदी ने शुक्रवार को अपील की थी कि पूरे देश के लोग रविवार रात 9 बजे घर की बत्तियां बुझाकर अपने कमरे में या बालकनी में आएं और दीया, कैंडिल, मोबाइल और टॉर्च जलाकर कोरोना के खिलाफ जंग में अपनी एकजुटा प्रदर्शित करें.

चीनी वॉर का तीसरा चरण “अब कोरोना नहीं वामपंथी स्लीपर सेल सक्रिय हो चुका है”

अब कोरोना नहीं वामपंथी स्लीपर सेल सक्रिय हो चुका है।
इन्होंने ही अफवाह फैलाई कि लोकडाउन 3 से 6 माह चल सकता है। मजदूरों का पलायन और उस पर टीवी चैनल्स के समाचार, गरीबों की चिंता, भूख का व्यापार…
केजरीवाल ने दिल्ली दंगों की ही तरह लम्बी ओढ़ ली है। पर्दे के पीछे टुकड़े गैंग सक्रिय हैं।
बसों में भरकर मजदूर यूपी बॉर्डर पर छोड़े जा रहे हैं।
मित्र पुष्पेंद्र सिंह लिखते हैं।
,,,6 हफ्ते गुजर गए,,,
800 के आस-पास कोरोना संक्रमित,,, लगभग 20 की मौत उसमें भी 80% की मुख्य वजह कोरोना नहीं,,,ऊपर से 135 करोड़ की आबादी का देश,,,
ये तो चीन निर्मित “बायलोजिकल हथियार” की घोर बेइज्जती थी देवभूमि भारत में,,
जहाँ एक तरफ कुछ दिनों तक चीनी वायरस चीनी वायरस चिल्लाने वाला सुपर पावर अमेरिका सरेंडर कर शैतान जिंगपिंग की तारीफ़ पर उतर आया तो वहीं दूसरी तरफ कोरोना के कहर के कराह रहा पूरा यूरोप भारी खरीददारी कर रहा था चीन से,,,
परंतु ये क्या,,,
दुनिया की सबसे बड़ी मार्केट घांस नहीं डाल रही थी,,, शैतान चीन के माथे पर चिंता की लकीरें स्पष्ट दिखने लगीं,,, उसे लगा कि उसका मिशन सिंहासन (((कोरोना))) तो फेल ही हो जायेगा यदि भारत उसकी शरण में नहीं आया तो,,,
वहीं दूसरे ही स्टेज में एक दिन का जनता कर्फ्यू फिर 21 दिनों का लाकडाऊन कर पूरा देश अपने नायक के पीछे चल रहा था,,,
अतंत: चालाक चीन ने अपना आखिरी पासा फेंका,,, और भारत की सबसे कमजोर नस को दबा दिया,,,
जी हां,,,
उसने खोला अपने खजाने का मुंह और खरीद लिया देश के कुछ बड़े देशद्रोही पत्तलकारों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कुछ चैनलों को,,,
जगा दिया वामपंथ के स्लीपर सेल्स को,,,पहले 21 दिनों तक गरीब दिहाड़ी मजदूर कैसे रहेंगे,,,का रोना रोया जाना शुरू किया गया फिर एक-दो परिवारों की पैदल यात्रा का 24 घंटे एैसे कवरेज किया जाने लगा कि जैसे पूरा देश ही पैदल चल पड़ा,,,
फिर धर्म के नाम पर एक संप्रदाय विशेष को मोर्चे पर लगा दिया गया,,, अब ये चाल सफल होती दिख रही है,,, कुछ झूठे नक्सली नेता आम मजदूरों को भड़का कर की 6 महीने का कर्फ्यू लगने वाला है ,,,बसों से दूसरे प्रदेश की सीमाओं तक लाखों मजदूरों को छोड़ने लगे,,,और सफल कर दिया शैतान की चालों को,,,
देश को बैठा दिया जाग्रित ज्वालामुखी के मुहाने पर,,,
वहीं पैदल मार्च करने वालों के लिए कुछ लोगों की छाती में दूध उतर आया जो सोशल मीडिया पर सिर्फ विरोध के नाम पर विरोध करते रहते हैं,,,
जब देश युद्ध या किसी बड़े संकट में फंसता है तो हर नागरिक युद्ध का हिस्सा होता है,,, हर नागरिक को परेशानी उठानी पड़ती है,,, हर नागरिक को त्याग करना पड़ता है,,, युद्ध सिर्फ सेनायें ही नहीं लड़ती हैं,,,
परंतु गद्दारों और बिकाऊ लोगों की प्रचुर उत्पादकता से गमगीन ये देश एैसी परिस्थिति का हर समय से ही सामना करता आया है,,,
सुनों हम फिर भी जीत जायेंगे,,,हमने विश्व विजेता सिकंदर को उल्टे पांव वापस किया है,,,हम शैतान चीन की हर चाल का जबाब देंगे वो भी भरपूर,,,
परंतु देश के अंदर ही कुछ लोग और संस्थायें एक बार फिर सड़कों पर नंगी हो रही हैं जिन्हें देखना और सुनना बहुत कष्टदायक है,,,!!!

हे_राम

प्रवासी मजदूरों के दिल्ली से पलायन पर सीसोदिया ने भाजपा पर किया हमला

नई दिल्ली:

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भाजपा पर कोरोना वायरस महामारी को लेकर ओछी राजनीति करने का आरोप लगाया।

सिसोदिया की यह तीखी प्रतिक्रिया उन खबरों के बाद आई है जिनमें कहा गया है कि प्रवासी मजदूरों की बड़ी संख्या अपने गृहराज्यों की बसों में सवार होने के लिए आनंद विहार पहुंची है।

सिसोदिया ने ट्वीट किया,
‘मुझे बहुत दुःख है कि कोरोना वायरस महामारी के बीच भाजपा नेता ओछी राजनीति पर उतर आए हैं। योगी आदित्यनाथ जी की सरकार ने आरोप लगाया है कि अरविंद केजरीवाल जी ने बिजली-पानी का कनेक्शन काट दिया इसलिए लोग दिल्ली से जा रहे हैं। यह गम्भीरता से एक होकर देश को बचाने का समय है, घटिया राजनीति का नहीं।‘

उन्होंने कहा, ‘आज दिल्ली की सीमा पर जो लोग हैं वो केवल दिल्ली से नहीं बल्कि हरियाणा, पंजाब, राजस्थान तक से आए लोग हैं। जो भी इस वक्त दिल्ली में है, उसे छत देने और खाना देने की ज़िम्मेदारी हमारी है ताकि कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ प्रधानमंत्री मोदी जी का बंद सफल हो सके।‘

प्रवासी मजदूरों की मूवमेंट के दृष्टिगत रिलीफ़ कैंप स्थापित करके उनके खाने-पीने और रहने की व्यवस्था की जाए : खट्टर

चंडीगढ़, 29 मार्च:

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भारी संख्या में प्रवासी मजदूरों की मूवमेंट के दृष्टिगत सभी अंतर्राज्यीय और अंतर-जिला सीमाएं सील करने के निर्देश देते हुए कहा कि जो जहां है, उसे वहीं रोक कर रखा जाए और जाने की अनुमति हरगिज न दी जाए।
        मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आज यहां वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सम्बंधित जिला उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए कि ऐसे लोगों के लिए वहीं पर रिलीफ़ कैंप स्थापित करके उनके खाने-पीने और रहने की व्यवस्था की जाए और यदि फिर भी कोई जबरदस्ती करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए।
        मुख्यमंत्री ने कहा कि इन रिलीफ कैंपों के लिए नोडल अधिकारी भी नियुक्त किए जाएं जो इनके खाने-पीने और स्वास्थ्य इत्यादि का ध्यान रखेंगे। इन कैंपों में सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष ध्यान रखा जाए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी मुख्य मार्गों के साथ-साथ ऐसे रिलीफ कैंप स्थापित किए जाएं और लोगों को रास्तों पर रहने की अनुमति बिल्कुल नहीं दी जाए। इसके अलावा, जिला स्तर पर कॉल सेंटर भी स्थापित किए जाएं।
        श्री मनोहर लाल ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि आपदा के इस समय के दौरान  सहायता के लिए विभिन्न समाजसेवी संस्थाओं को भी जोड़ा जाए। उनके लोगों को जिम्मेदारी देकर उन्हें कार्य करने दिया जाए। उन्होंने कहा कि राधा स्वामी सत्संग समेत अनेक सामाजिक संस्थाओं ने हर तरह की मदद की पेशकश की है, ऐसे में लोगों को रखने के लिए इनके भवनों का उपयोग किया जा सकता है। हर ऐसे आश्रय स्थल पर एक अधिकारी नियुक्त किया जाना चाहिए जो लोगों के खाने-पीने समेत विभिन्न जरूरतों का ध्यान रख सके। हर आश्रय पर सरकार की और से स्वास्थ्य तथा सफ़ाई सुविधा का प्रबंध सरकार की और से होना चाहिए। गर्म भोजन की व्यवस्था जहां तक सम्भव हो किसी स्थानीय गैर-सरकारी संस्था को देनी चाहिये।
        इसके अलावा, जो बुजुर्ग या असहाय व्यक्ति अकेले रह रहे हैं, उनका ध्यान रखने की भी व्यवस्था की जानी चाहिए।

कोरोना से घबरा कर होली फीकी न करें

होली जरूर मनाएं, लेकिन घर पर ही मनाएं। मोहल्लों और गांवों में एकत्रित होकर समूह में न मनाएं। रंगों के इस त्योहार के समय कोरोना अब महामारी बन चुका है। इससे बचाव के लिए जरूरी है कि भीड़ वाले जगहों पर न जाएं। क्योंकि किसी एक को संक्रमण होने पर कई दूसरे लोग इसकी गिरफ्त में आ सकते हैं। बेहतर होगा कि होली भी समूह में मनाने से बचें। हैप्पी होली।

चंडीगढ़:

आज होली है। फागुन के इस महीने में रंगों के इस त्योहार में हर कोई सराबोर होने को आतुर है, लेकिन एहतियात भी जरूरी है। चीन से पैदा हुआ कोरोना अंटार्कटिका को छोड़ सारे महाद्वीपों को अपने जद में ले चुका है। इंसानों से इंसानों में इसके वायरस का तेजी से संक्रमण हो रहा है। तभी तो विश्व स्वास्थ्य संगठन समेत तमाम स्वास्थ्य संस्थाएं सामूहिक जुटान न करने की सलाह दे रहे हैं। उनकी इसी सलाह पर प्रधानमंत्री मोदी के बाद एक-एक करके कई मशहूर हस्तियों ने होली न खेलने का निर्णय लिया। जनमानस के लिए तो साल भर का यह त्योहार है। वे भला होली से दूर क्यों रहें। विशेषज्ञ भी कहते हैं कि होली जमकर खेलिए, लेकिन एहतियात बरतना न भूलिए।

यह बात सही है कि विशेष परिस्थितियों में कोरोना सामान्य फ्लू की तुलना में दस गुना घातक है, लेकिन अगर व्यक्ति का प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत है तो इसका वायरस लाचार हो जाता है। स्वस्थ जीवनशैली और खानपान से कोई भी अपने शरीर की प्रतिरक्षा इकाई को इस वायरस की कवच बना सकता है। बुजुर्गो और किसी अन्य रोग से ग्रसित व्यक्ति को खास एहतियात की दरकार होगी। होली की मस्ती में यह न भूलें कि कोरोना अब विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा महामारी घोषित की जा चुकी है। लिहाजा जमकर गुलाल उड़ाएं, रंगों की फुहारें छोड़ें, लेकिन अत्यधिक भीड़ में जाने से परहेज करें। कोरोना का वायरस हवा में तैरते अति सूक्ष्म कणों के साथ आंखों यहां तक कि फेस मास्क को भी भेदने की साम‌र्थ्य रखता है। सिर्फ खांसी या छींक के साथ निकलने वाले बड़े कणों को ही मास्क रोकने में सक्षम है। इसलिए सावधान रहिए, लेकिन होली के उल्लास को कम मत होने दीजिए।

विशेषज्ञ बोल

होली जरूर मनाएं, लेकिन घर पर ही मनाएं। मोहल्लों और गांवों में एकत्रित होकर समूह में न मनाएं। रंगों के इस त्योहार के समय कोरोना अब महामारी बन चुका है। इससे बचाव के लिए जरूरी है कि भीड़ वाले जगहों पर न जाएं। क्योंकि किसी एक को संक्रमण होने पर कई दूसरे लोग इसकी गिरफ्त में आ सकते हैं। बेहतर होगा कि होली भी समूह में मनाने से बचें। हैप्पी होली।