रेलगाड़ियां बन्द करने की बजाय फेरे कम करने का अग्रिम सुझाव

पिछले महीने तक लग रहा था कि महामारी से तबाह हुई भारत की अर्थव्यवस्था संभल रही है। इस रिकवरी को देखते हुए कई अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) ने वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की विकास दर 10 से 13 प्रतिशत के बीच बढ़ने की भविष्वाणी की थी। लेकिन अप्रैल में कोरोना वायरस की दूसरी भयावह लहर के कारण न केवल इस रिकवरी पर ब्रेक लगा है बल्कि पिछले छह महीने में हुए उछाल पर पानी फिरता नज़र आता है। रेटिंग एजेंसियों ने अपनी भविष्यवाणी में बदलाव करते हुए भारत की विकास दर को दो प्रतिशत घटा दिया है। अब जबकि राज्य सरकारें लगभग रोज़ नए प्रतिबंधों की घोषणाएं कर रही हैं तो अर्थव्यवस्था के विकास में बाधाएं आना स्वाभाविक है। बेरोज़गारी बढ़ रही है, महंगाई के बढ़ने के पूरे संकेत मिल रहे हैं और मज़दूरों का बड़े शहरों से पलायन भी शुरू हो चुका है।

करणीदान सिंह, श्रीगंगानगर:

भारत एक बार फिर कोरोना संक्रमण की गिरफ़्त में आ गया। कोरोना संक्रमण की यह दूसरी लहर बहुत ज़्यादा ख़तरनाक साबित हो रही है और इसने भारत के शहरों को बुरी तरह जकड़ लिया है। कोरोना की इस दूसरी लहर में मध्य अप्रैल तक हर दिन संक्रमण के लगभग एक लाख मामले आने लगे। रविवार को भारत में कोरोना संक्रमण के 2,70,000 केस दर्ज किए गए थे और 1600 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी थी. एक दिन में यह संक्रमण और मौतों का सबसे बड़ा रिकॉर्ड था।

ऐसे में रेल परिवहन पर बड़ा असर पड़ रहा है। प्रवासी श्रमिकों की घर वापीसी ने यह मुश्किलें और भी बढ़ा दी है। कोरोना संक्रमण को देखते हुए रेलवे ने कई रेलगाड़ियों की आवाजाही बंद करने के सुझाव/ निर्देश दिये हैं।

कोरोना की दूसरी लहर का रेल यात्रीभार पर काफी असर महसूस किया जा रहा हैं। जेडआरयूसीसी सदस्य भीम शर्मा ने रेलवे अधिकारियों को अग्रिम सुझाव भेजा हैं कि किसी भी ट्रेन को पूर्णतः बंद करने की बजाय उसके फेरों में कमी करके संचालन जारी रखा जाना चाहिये। अगर किसी दैनिक ट्रैन का यात्रीभार कम आंका जा रहा हैं तो उसे त्रि-साप्ताहिक या द्वि साप्ताहिक के रूप में चलाया जाना चाहिये। किसी भी ट्रेन का संचालन पूरी तरह से बन्द करना उचित नही होगा।

किरण बेदी के हटते ही कॉंग्रेस ने बांटे लड्डू

राहुल गांधी के दौरे से ए दिन पहले पुडुचेरी में कॉंग्रेस की सरकार अल्पमत में आ गयी है। काँग्रेस राज्यपाल के नाम पर किरन बेदी का इस्तीफा मांगे उससे पहले ही राष्ट्रपति महोदय ने किरण बेदी को राज्यपाल के पद से मुक्त कर दिया, खबर मिलते ही कॉंग्रेस खेमे में एक लहर दौड़ पड़ी और वह लड्डू बांटने लगे। लेकिन मज़े की बात यह है की भाजपा के इस मास्टर स्ट्रोक को कॉंग्रेस न तो समझ पाई न ही उसे पास इसका कोई तोड़ है। किरण बेदी को हटा कर भाजपा ने कॉंग्रेस से एक चुनावी मुद्दा छीन लिया। पुद्द्चेरी में राज्य पाल किरण बेदी एक बड़ा चुनावी मुद्दा थीं। जो अब नहीं रहीं। कॉंग्रेस लड्डुओं ए स्वाद में यहाँ चूक गयी। अब नयी राज्यपाल का अतिरिक्त भार तमिल साई सुंडेरराजन को दिया गया है जो पहले तमिल नाडु में भाजपा की प्रदेशाध्यक्ष हुआ करतीं थीं। सनद रहे की पुद्दुचेरी में तमिल नडू की राजनीति का पूरा पूरा असर रहता है। विश्लेषकों की मानें तो भाजपा के 14 विधाया हैं कॉंग्रेस से छटके 4 विधाया भी भाजपा का दमन थाम सकते हैं। उपचुनाव जो जल्दी ही होने वाले हैं, के पश्चात भाजपा की सरकार बनना तय माना जा रहा है। उधर किरण बेदी यदि चुनाव लड़तीं हैं तो भाजपा उनका स्वागत करेगी। वैसे किरण बेदी को ले कर भाजपा के पास और भी विकल्प है, वह किरण को बतौर राज्यपाल पंजाब, हरियाणा महाराष्ट्र भी भेज सकती है।

सरिया तिवारी, पुड्डुचेरी/चंडीगढ़ :

पुडुचेरी में हाल के दिनों में कॉन्ग्रेस विधायकों के इस्तीफे के बाद वहाँ की कॉन्ग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई है। ऐसा लग रहा है कि केंद्र शासित प्रदेश का राजनीतिक ड्रामा अप्रैल में होने वाले विधानसभा चुनावों तक यूँ ही चलता रहेगा। अब केंद्र सरकार ने उप-राज्यपाल किरण बेदी को अपने पद से हटा दिया है। उनकी जगह तेलंगाना की राज्यपाल तमिलसाई सुंदरराजन को पुडुचेरी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।

तमिलसाई पहले तमिलनाडु में भाजपा की प्रदेश अध्यक्ष हुआ करती थीं। मंगलवार (फरवरी 16, 2021) की रात राष्ट्रपति भवन की इस अधिसूचना के बाद घटनाक्रम तेज़ी से बदलने लगा। राष्ट्रपति भवन ने कहा है कि जब तक पुडुचेरी के उप-राज्यपाल के रूप में अगली नियुक्ति नहीं की जाती, तमिलसाई सुंदरराजन अतिरिक्त प्रभार संभालती रहेंगी। भाजपा के एक यूनिट के कुछ नेताओं ने भी किरण बेदी के कामकाज से आपत्ति जताई थी।

किरण बेदी को मई 2016 में उप-राज्यपाल बनाया गया था, ऐसे में उनका कार्यकाल पूरा होने को मात्र 3 महीने ही बचे हुए थे। कॉन्ग्रेस पार्टी ने लगातार पुडुचेरी में ये बात फैलाई थी कि किरण बेदी के कामकाज से जनता नाराज़ है और वो चुनी हुई सरकार के ऊपर हावी हैं। स्थानीय भाजपा यूनिट ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को 3 बार याचिका भेज कर किरण बेदी को हटाने की माँग की थी।

किरण बेदी ने पुडुचेरी में ट्रैफिक नियमों में सख्ती की थी और हेलमेट न पहनने पर भारी जुर्माने का प्रावधान किया था। गरीबों को अनाज के बदले ‘डायरेक्ट बेनेफिर ट्रांसफर (DBT)’ पर जोर दिया गया था। प्रदेश सरकार ने जब सरकारी स्कूल के बच्चों को प्रदेश के इंजीनियरिंग/मेडिकल कॉलेजों में 10% आरक्षण देने का फैसला लिया तो किरण बेदी ने इसे नकार दिया था। कॉन्ग्रेस इन बातों से नाराज थी।

किरण बेदी के हटाए जाने की खबर के साथ ही प्रदेश भर में कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं ने पटाखे फोड़ कर अपनी ख़ुशी जताई। कॉन्ग्रेस के दफ्तरों में जश्न मनाया गया। खुद मुख्यमंत्री वेलु नारायणसामी ने नेताओं के बीच मिठाई बाँट कर जश्न मनाया।

सीएम नारायणसामी ने कुछ दिनों पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से किरण बेदी को हटाने की माँग की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि बेदी प्रदेश सरकार की विकास और जन-कल्याणकारी योजनाओं पर ब्रेक लगा रही हैं।

वी नारायणसामी ने इस फैसले के तुरंत बाद एक प्रेस बैठक बुलाई और उसमें कहा कि ये न सिर्फ कॉन्ग्रेस पार्टी, बल्कि पुडुचेरी की जनता की भी जीत है। उन्होंने कहा कि सरकारी कामकाज में किरण बेदी के लगातार हस्तक्षेप के बाद जनता के अधिकार सुरक्षित नहीं रह गए थे। उन्होंने कहा कि पुडुचेरी की जनता ने किरण बेदी को ‘एक बड़ा सबक सिखाया’ है। किरण बेदी अब तक इस मामले में खामोश ही हैं।

किरण बेदी के हटाए जाने की खबर के साथ ही प्रदेश भर में कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं ने पटाखे फोड़ कर अपनी ख़ुशी जताई। कॉन्ग्रेस के दफ्तरों में जश्न मनाया गया। खुद मुख्यमंत्री वेलु नारायणसामी ने नेताओं के बीच मिठाई बाँट कर जश्न मनाया।

सीएम नारायणसामी ने कुछ दिनों पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से किरण बेदी को हटाने की माँग की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि बेदी प्रदेश सरकार की विकास और जन-कल्याणकारी योजनाओं पर ब्रेक लगा रही हैं।

वी नारायणसामी ने इस फैसले के तुरंत बाद एक प्रेस बैठक बुलाई और उसमें कहा कि ये न सिर्फ कॉन्ग्रेस पार्टी, बल्कि पुडुचेरी की जनता की भी जीत है। उन्होंने कहा कि सरकारी कामकाज में किरण बेदी के लगातार हस्तक्षेप के बाद जनता के अधिकार सुरक्षित नहीं रह गए थे। उन्होंने कहा कि पुडुचेरी की जनता ने किरण बेदी को ‘एक बड़ा सबक सिखाया’ है। किरण बेदी अब तक इस मामले में खामोश ही हैं।

एक और अटकल ये लगाई जा रही है कि किरण बेदी सक्रिय राजनीति में वापसी कर सकती हैं, इसीलिए उन्हें हटाया गया है। पिछले साढ़े 4 वर्षों से भी अधिक समय के अपने कार्यकाल में उन्होंने पुडुचेरी में बतौर उप-राज्यपाल प्रतिदिन जनसंपर्क को प्राथमिकता दी है। ये बात नारायणसामी के प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भी गूँजी। नारायणसामी ने कहा कि अगर वो भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में आती हैं तो उनका स्वागत है।

नारायणसामी ने कहा कि हमने न जाने कितने ही उपवास किए और धरने दिए, तब जाकर केंद्र सरकार की अब नींद खुली है। उन्होंने कहा कि अब पुडुचेरी की जनता खुश है। हालाँकि, कॉन्ग्रेस पार्टी ने इसे भाजपा का ड्रामा बताते हुए कहा कि पार्टी को पता था कि अगर बेदी इस पद पर रहतीं तो भाजपा को वोट नहीं मिलते। अब सभी की नजरें राहुल गाँधी पर हैं, जो 4 दिनों के चुनावी कैम्पेन के लिए आज पुडुचेरी पहुँच रहे हैं। कॉन्ग्रेस की सोशल मीडिया संयोजक ने बेदी और संघ/भाजपा के लिए काम करने के आरोप लगाए।

बता दें कि पुडुचेरी में कॉन्ग्रेस की सरकार अल्पमत में आ गई है क्योंकि पार्टी के एक विधायक ने इस्तीफा दे दिया है। मुख्यमंत्री वेलु नारायणसामी (Velu Narayanasamy) सरकार ने एक विधायक के जाने से बहुमत खो दिया है। विधायक ए जॉन कुमार ने मंगलवार (फरवरी 16, 2021) को विधानसभा से अपना इस्तीफा स्पीकर वीपी शिवाकोलुन्थु को सौंप दिया है। कॉन्ग्रेस यहाँ DMK (द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) के साथ गठबंधन बना कर सत्ता में है।

इस्लाम या ईसाई धर्म में परिवर्तन लेने के पश्चात दलित नहीं ले सकेंगे जातिगत आरक्षण का लाभ

हिन्दू धर्म में वर्ण व्यवस्था है, हिन्द धर्म 4 वर्णों में बंटा हुआ है, ब्राह्मण, क्षत्रिय, वेश्या एवं शूद्र। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात पीढ़ियों से वंचित शूद्र समाज को सामाजिक न्याय दिलाने के लिए संविधान में आरक्षण लाया गया। यह आरक्षण केवल (शूद्रों (दलितों) के लिए था। कालांतर में भारत में धर्म परिवर्तन का खुला खेल आरंभ हुआ। जहां शोषित वर्ग को लालच अथवा दारा धमका कर ईसाई या मुसलिम धर्म में दीक्षित किया गया। यह खेल आज भी जारी है। दलितों ने नाम बदले बिना धर्म परिवर्तन क्यी, जिससे वह स्वयं को समाज में नचा समझने लगे और साथ ही अपने जातिगत आरक्षण का लाभ भी लेते रहे। लंबे समय त यह मंथन होता रहा की जब ईसाई समाज अथवा मुसलिम समाज में जातिगत व्यवस्था नहीं है तो परिवर्तित मुसलमानों अथवा इसाइयों को जातिगत आरक्षण का लाभ कैसे? अब इन तमाम बहसों को विराम लग गया है जब एकेन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद सिंह ने सांसद में स्पष्ट आर दिया कि इस्लाम या ईसाई धर्म स्वीकार करने वाले दलितों के लिए आरक्षण की नीति कैसी रहेगी।

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

इस्लाम या ईसाई धर्म में परिवर्तित होने वाले दलितों को चुनावों में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों से चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं होगी। इसके अलावा वह आरक्षण से जुड़े अन्य लाभ भी नहीं ले पाएँगे। गुरुवार (11 फरवरी 2021) को राज्यसभा में एक प्रश्न का जवाब देते हुए क़ानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने यह जानकारी दी। 

हिन्दू, सिख या बौद्ध धर्म स्वीकार करने वाले अनुसूचित जाति के लोग आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने के योग्य होंगे। साथ ही साथ, वह अन्य आरक्षण सम्बन्धी लाभ भी ले पाएँगे। भाजपा नेता जीवी एल नरसिम्हा राव के सवाल का जवाब देते हुए रविशंकर प्रसाद ने इस मुद्दे पर जानकारी दी। 

आरक्षित क्षेत्रों से चुनाव लड़ने की पात्रता पर बात करते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा, “स्ट्रक्चर (शेड्यूल कास्ट) ऑर्डर के तीसरे पैराग्राफ के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो हिन्दू, सिख या बौद्ध धर्म से अलग है, उसे अनुसूचित जाति का सदस्य नहीं माना जाएगा।” इन बातों के आधार पर क़ानून मंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि इस्लाम या ईसाई धर्म स्वीकार करने वाले दलितों के लिए आरक्षण की नीति कैसी रहेगी। 

क़ानून मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि संसदीय या लोकसभा चुनाव लड़ने वाले इस्लाम या ईसाई धर्म में परिवर्तित होने वाले अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्ति को निषेध करने के लिए संशोधन का प्रस्ताव मौजूद नहीं।    

नयी उम्मीदें जगा कर दतिया फ़िल्म महोत्सव सम्पन्न

माँ पीताम्बरा की विश्व प्रसिद्ध नगरी दतिया, मध्य प्रदेश  में 31 जनवरी से 1 फ़रवरी 2021 तक चलने वाले दतिया फ़िल्म महोत्सव का शुभारंभ  मध्य प्रदेश के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ। महोत्सव में फिल्म जगत से जुड़ी कई महत्तवपूर्ण हस्तियों ने शिरकत की। दतिया नगर वासियों के लिए ये गर्व का विषय है कि नगर के लोकप्रिय विधायक एवं मध्यप्रदेश के  गृह मंत्री के अथक प्रयासों से नगर का नाम हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है।

शमीम शेख, DF – दतिया :

गृह मंत्री जी के आदेश से डॉ. बालकृष्ण कुशवाहा द्वारा गहोई वाटिका में फिल्म महोत्सव का आयोजन कर बुंदेलखंड क्षेत्र के हर ज़िले से फ़िल्म कलाकारों को आमंत्रित कर गृहमंत्री जी द्वारा उनका सम्मान किया गया। साथ ही साथ  गृहमंत्री जी ने  बॉलीवुड के कलाकारों  और फिल्म महोत्सव के आयोजकों को ये भरोसादिलाया कि दतिया में वह सारी व्यवस्थाएं की जाएंगी जिससे दतिया के ऐतिहासिक जीवन को फिल्मी पर्दे पर बख़ूबी दर्शाया जा सके और स्थानीय कलाकारों के लिए इस तरह के आयोजन लगातार किए जाएंगे जिससे उन्हें अपनी कला का प्रदर्शन करने के अधिक अवसर प्राप्त हों। 

मुंबई से आए हुए कलाकारों में मुकेश बच्चन ( दूरदर्शन निदेशक, मुंबई)  आरिफ़ शहडोली ( सब टीवी चिड़िया घर फेम) , अज़ीम शेख़( सोनी टीवी क्राइम पेट्रोल- सी आई डी फेम)  , देवदत्त बुधौलिया (फिल्म धड़कोला, भू माफिया फेम), अभिनेत्री शालू गोस्वामी , गीतकार दुष्यंत कुमार, आदित्य एन शर्मा, टीवी शो सब झोल झाल है के  निर्देशक परेश मसीह,अभिनेता नीतेश सिंघल ,शरद सिंह, आलोक त्रिपाठी, राजेंद्र सिंह पटेल आदि ने नव कलाकारों का मार्गदर्शन किया। मुकेश बच्चन ने जहां एक ओर स्टानिस्लावस्की और मेइस्नर के अभिनय सिद्धांतों की व्याख्या की, वहीं दूसरी ओर क्राइम पेट्रोल अभिनेता अज़ीम शेख़ ने अपनी दमदार संवाद द्वारा  सहज अभिनय के महत्त्व पर ज़ोर दिया। रंगकर्मी अभिनेता आरिफ़ शहडोली और देवदत्त बुधौलिया ने फिल्म और नाटक की अभिनय विधा के महत्त्वपूर्ण अंतर पर प्रकाश डाला । महोत्सव में आरीफ शहडोली द्वारा संकलित बुन्देलखण्ड फ़िल्म उद्योग निर्देशिका का विमोचन भी हुआ जिसकी सहायता से बुन्देलखण्ड के कलाकारों को भविष्य में आवश्यकता होने पर संपर्क किया जा सकेगा ।


महोत्सव का मुख्य आकर्षण रही निर्देशक – लेखक अवि संधू निर्देशित एवं अज़ीम शेख़, सिराज आलम, नईम शेख़ अभिनीत लघु फ़िल्म ‘ शिकार ‘।गृहमंत्री जी द्वारा फ़िल्म शिकार के पोस्टर लॉच के बाद आयोजकों द्वारा फिल्म शिकार का प्रदर्शन किया गया।  जिसके लिए निर्देशक अवि संधू को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के पुरस्कार से सम्मनित किया गया।

गृहमंत्री जी ने सभी कलाकारों को उनके आने वाले प्रोजेक्ट के लिए शुभकामनाएं दी।

क्या कोरोना वैक्सीन को लेकर कॉंग्रेस भ्रमित है?

कॉंग्रेस दिग्भ्रमित है। कॉंग्रेस के नेताओं को कहीं भी कुछ समझ नहीं आ रहा है। कोरोना महामारी के आरंभ ही से कॉंग्रेस के आला नेताओं के ब्यान आते रहे हैं जिनहे वह(कॉंग्रेस कार्यकर्ता) अपनी पार्टी लाइन या यूं कहें कि वह एक आदेश मान कर उसके प्रचार प्रसार की अंधी दौड़ में कूद पड़ते हैं। भारत में जैसे जैसे कोरोना से लड़ाई तेज़ होती गयी वहीं कॉंग्रेस की जुबानी जंग भी तेज़ हो गयी। कल तक विदेशी दावा निर्माताओं से दवा अथवा टीका न खरीदने का इल्ज़ाम लगाने वाली कॉंग्रेस स्वदेशी दवाई पर हतप्रभ थी। जब भारत में टिककरण आरंभ हो गया तब कॉंग्रेस के इल्ज़ाम बदल गए। और अब ब्राज़ील में दवाई भेजे जाने को लेकर आक्षेप लगाए जा रहे हैं। कांग्रेस ने मुफ्त वैक्सीन के सवाल पर केंद्र सरकार को घेरा है। कांग्रेस ने कहा है कि मोदी सरकार को ये बताना चाहिए कि देश में कितने लोगों को फ्री में टीका दिया जाएगा। इतना ही नहीं कांग्रेस ने बाजार में उपलब्ध होने वाले टीके की कीमत पर भी सवाल उठाए।

चंडीगढ़/नयी दिल्ली:

कांग्रेस ने ब्राजील  (Brazil) को कोरोना की वैक्सीन (Covid-19 Vaccine) बेचे जाने को लेकर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि जब देशवासियों को अब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं लगी है तो फिर ब्राजील को वैक्सीन निर्यात क्यों किया जा रहा है। बता दें कि सरकार ने ब्राजील को कोरोना की 20 लाख डोज़ भेजने का फैसला किया है। पिछले हफ्ते ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो (Jair Bolsonaro) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को चिट्ठी लिखकर भारत बायोटेक- एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन की 20 लाख डोज तत्काल देने का अनुरोध किया था।

सुरजेवाला ने कहा, ‘अभी भारत की जनता को ही वैक्सीन पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाई है तो इसका निर्यात क्यों किया जा रहा है। सवाल ये है भारत की पूरी जनसंख्या को टीका लगाए जाने से पहले वैक्सीन के निर्यात की अनुमति क्यों दी गई? सरकार को ‘सभी के लिए कोरोना वैक्सीन’ मोदी सरकार की नीति होनी चाहिए।’

मुश्किल में ब्राजील

बता दें कि अमेरिका के बाद ब्राजील में कोरोना के सबसे ज्यादा केस सामने आए हैं। ब्राजील में कोरोना से अबतक 2 लाख से लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि इस बीमारी की चपेट में 80 लाख से लोग आ चुके हैं। राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो ने पत्र लिखकर नरेंद्र मोदी से कहा है कि ब्राजील पर टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत करने का दबाव बढ़ता जा रहा है।

मुफ्त वैक्सीन पर सवाल

कांग्रेस ने मुफ्त वैक्सीन के सवाल पर केंद्र सरकार को घेरा है। कांग्रेस ने कहा है कि मोदी सरकार को ये बताना चाहिए कि देश में कितने लोगों को फ्री में टीका दिया जाएगा। इतना ही नहीं कांग्रेस ने बाजार में उपलब्ध होने वाले टीके की कीमत पर भी सवाल उठाए। रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘हमने 2011 में देश को पोलियो मुक्त बनाया है। आज से पहले टीकाकरण कभी प्रचार का माध्यम नहीं बना। टीकाकरण आपदा का अवसर नहीं हो सकता है।’

होशियारपुर के जलालपुर गाँव में 6 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म और जला कर हत्या के दोनों आरोपी गिरफ्तार

देश में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार थमने का नाम नहीं ले रहे. अब पंजाब के होशियारपुर जिले से एक मासूम बच्ची के साथ बलात्कार के बाद हत्या का मामला सामने आया है. जानकारी के मुताबिक, होशियारपुर के टांडा स्थित एक गांव में छह साल की एक बच्ची के साथ कथित तौर पर रेप किया गया, उसकी हत्या की गई और फिर शव को आग लगा दिया गया. बच्ची का आधजला शव बरामद हुआ है. पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.

होसियारपुर/चंडीगढ़:

पंजाब के होशियारपुर जिले के जलालपुर गाँव में 6 साल की बच्ची के साथ दो लोगों ने बलात्कार किया और उसे जिंदा जला दिया। पुलिस को बच्ची की अधजली लाश टांडा के जलालपुर गाँव स्थित एक घर में मिली।

आरोपित और उसके दादा को 6 साल की मासूम के साथ बलात्कार करने और उसकी हत्या करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। 15 वर्षीय आरोपित गुरप्रीत सिंह और उसके दादा सुरजीत सिंह को हत्या, बलात्कार और आईपीसी की अन्य संबंधित धाराओं और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के आरोपों में गिरफ्तार किया गया है।

मृतक पीड़िता एक प्रवासी मजदूर की बच्ची थी। ये परिवार इसी गाँव में रह रहा था। मृतक बच्ची के पिता ने आरोप लगाए हैं कि गुरप्रीत कथित तौर पर उनकी लड़की को अपने घर ले गया जहाँ उसने उसका बलात्कार किया।

बताया जा रहा है कि आरोपित गुरप्रीत और उसके दादा सुरजीत, दोनों ने मिलकर बच्ची की हत्या कर दी और फिर उसकी लाश को जला दिया। पुलिस की तरफ से जानकारी दी गई है कि बच्ची की अधजली लाश आरोपितों के घर से बरामद हुई है।

मृतका के पिता के अनुसार, बच्ची का बलात्कार करने के बाद, गुरप्रीत और सुरजीत दोनों ने कथित तौर पर उसकी हत्या कर दी और उसके शरीर को आग लगा दी।

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने ट्विटर पर इस घटना पर दुख और दुख व्यक्त किया है। अमरिंदर सिंह ने कहा कि दोषियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और उन्होंने डीजीपी को निर्देश दिया कि वे सुनिश्चित करें कि उचित जाँच के साथ कार्रवाई की जाए। साथ ही, उन्होंने अदालतों से निवेदन किया कि वे तत्परता से मामले की सुनवाई करें और दोषी को कठोर सजा दें।

अनुसूचित जाति आयोग ने लिया स्वत संज्ञान

रिपोर्ट्स के अनुसार, पंजाब राज्य अनुसूचित जाति आयोग की अध्यक्ष तेजिंदर कौर ने इस घटना का स्वत: संज्ञान लिया और होशियारपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) से 26 अक्टूबर तक एक विस्तृत रिपोर्ट माँगी है।

प्रधान मंत्री को गुस्सा क्यों आता है??

कृषि कानून को लेकर पंजाब समेत विभिन्न जगहों पर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियां कृषि कानून को ‘किसान विरोधी’ करार देते हुए सरकार की आलोचना कर रही हैं. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सोमवार को ट्रैक्टर जलाकर विरोध प्रदर्शित किया गया. विरोध प्रदर्शन करने वाले पंजाब यूथ कांग्रेस के बताए जा रहे हैं. पीएम मोदी ने इस घटना को लेकर किसी पार्टी का नाम लिए बिना विपक्ष पर निशाना साधते हुए किसानों को अपमानित करने का आरोप लगाया. पीएम मोदी ने कहा, “आज जब केंद्र सरकार, किसानों को उनके अधिकार दे रही है, तो भी ये लोग विरोध पर उतर आए हैं. ये लोग चाहते हैं कि देश का किसान खुले बाजार में अपनी उपज नहीं बेच पाए. जिन सामानों की, उपकरणों की किसान पूजा करता है, उन्हें आग लगाकर ये लोग अब किसानों को अपमानित कर रहे हैं.” पीएम मोदी ने कहा कि पिछले महीने ही अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमिपूजन किया गया है। ये लोग पहले सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर का विरोध कर रहे थे, फिर भूमिपूजन का विरोध करने लगे। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से कृषि कानूनों के अजीबोगरीब विरोध के परिप्रेक्ष्य में कहा कि हर बदलती हुई तारीख के साथ विरोध के लिए विरोध करने वाले ये लोग अप्रासंगिक होते जा रहे हैं।

  • सरकार ने चारों दिशाओं में एक साथ काम आगे बढ़ाया : PM
  • ये लोग अपने जांबाजों से ही सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांग रहे थे : मोदी
  • आज तक इनका कोई बड़ा नेता स्टैच्यू ऑफ यूनिटी नहीं गया : प्रधानमंत्री

चंडीगढ़ – 29 सितंबर:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड में नमामि गंगे प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन करने के बाद अपने सम्बोधन में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि क़ानूनों को लेकर कॉन्ग्रेस को आईना दिखाया और जनता को समझाया कि कैसे वो हर उस चीज का विरोध करते हैं, जिसे जनता की भलाई के लिए लाया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दौरान राम मंदिर और योग दिवस को भी याद किया, जिसका कॉन्ग्रेस ने विरोध किया था।

पीएम मोदी ने कहा कि भारत की पहल पर जब पूरी दुनिया अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रही थी, तो भारत में ही बैठे ये लोग उसका विरोध कर रहे थे। उन्होंने याद दिलाया कि जब सरदार पटेल की सबसे ऊँची प्रतिमा का अनावरण हो रहा था, तब भी ये लोग इसका विरोध कर रहे थे। पीएम नरेंद्र मोदी ने बताया कि आज तक इनका कोई बड़ा नेता स्टैच्यू ऑफ यूनिटी नहीं गया है। सरदार वल्लभभाई पटेल कॉन्ग्रेस के ही नेता थे।

कॉन्ग्रेस पार्टी अक्सर योग दिवस का मजाक बनाती रही है। जिस चीज ने दुनिया भर में भारत को नई पहचान दी, पार्टी उसका विरोध करती है। राहुल गाँधी ने सेना की ‘डॉग यूनिट’ के एक कार्यक्रम की तस्वीर शेयर कर के इसे ‘न्यू इंडिया’ बताते हुए न सिर्फ योग का बल्कि सेना का भी मजाक उड़ाया था। तभी पूर्व-सांसद और अभिनेता परेश रावल ने कहा था कि ये कुत्ते राहुल गाँधी से ज़्यादा समझदार हैं। सेना के डॉग्स के योगासन का मजाक बनाने वाले राहुल गाँधी की खूब किरकिरी हुई थी।

इसी तरह कॉन्ग्रेस ने अपनी ही पार्टी के नेता सरदार वल्लभभाई पटेल की ‘स्टेचू ऑफ यूनिटी’ का विरोध किया, जिसके कारण न सिर्फ भारत का मान बढ़ा बल्कि केवडिया और उसके आसपास के क्षेत्रों में विकास के साथ-साथ रोजगार के नए अवसर आए। कॉन्ग्रेस पार्टी ने इस स्टेचू के निर्माण को ‘चुनावी नौटंकी’ और ‘राजद्रोह’ करार दिया था। राहुल गाँधी ने दावा कर दिया था कि सरदार पटेल के बनाए सभी संस्थाओं को मोदी सरकार बर्बाद कर रही है।

पीएम मोदी ने मंगलवार (सितम्बर 29, 2020) को कहा कि पिछले महीने ही अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमिपूजन किया गया है। ये लोग पहले सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर का विरोध कर रहे थे, फिर भूमिपूजन का विरोध करने लगे। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से कृषि कानूनों के अजीबोगरीब विरोध के परिप्रेक्ष्य में कहा कि हर बदलती हुई तारीख के साथ विरोध के लिए विरोध करने वाले ये लोग अप्रासंगिक होते जा रहे हैं।

कॉन्ग्रेस पार्टी कृषि कानूनों के विरोध के लिए एक ट्रैक्टर को 20 सितम्बर को अम्बाला में जला रही है तो फिर 28 सितम्बर को उसी ट्रैक्टर को दिल्ली के इंडिया गेट के पास राजपथ पर जला कर सुर्खियाँ बटोर रही है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह धरना दे रहे हैं। सोनिया गाँधी राज्यों को क़ानून बना कर केंद्र के क़ानूनों को बाईपास करने के ‘फर्जी’ निर्देश दे रही है। जबकि अधिकतर किसानों ने भ्रम और झूठ फैलाए जाने के बावजूद इन क़ानूनों का स्वागत किया है।

राम मंदिर मुद्दे की याद दिलाना भी आज के परिप्रेक्ष्य में सही है क्योंकि इसी कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 2009 में सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट देकर कहा था कि भगवान श्रीराम का कोई अस्तित्व नहीं है। वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेता और अधिवक्ता कपिल सिब्बल तो राम मंदिर की सुनवाई टालने के लिए सारे प्रयास करते रहे। वहीं दिसंबर 2017 में पीएम नरेंद्र मोदी ने उनसे पूछा था कि कॉन्ग्रेस बाबरी मस्जिद चाहती है या राम मंदिर?

इसी कॉन्ग्रेस ने जब राम मंदिर के शिलान्यास के बाद जनता के मूड को भाँपा तो वो राम मंदिर के खिलाफ टिप्पणी करने से बचने लगी। कोई पार्टी नेता इसके लिए राजीव गाँधी को क्रेडिट देने लगा। प्रियंका गाँधी बयान जारी कर के इसका समर्थन करने लगीं। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल रामायण कॉरिडोर बनाने लगे। कमलनाथ हनुमान चालीसा पढ़ने लगे। तभी तो आज पीएम ने कहा – ये विरोध के लिए विरोध करते हैं

प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि चार साल पहले का यही तो वो समय था, जब देश के जाँबाजों ने सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए आतंक के अड्डों को तबाह कर दिया था। लेकिन ये लोग अपने जाँबाजों से ही सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत माँग रहे थे। सर्जिकल स्ट्राइक का भी विरोध करके, ये लोग देश के सामने अपनी मंशा, साफ कर चुके हैं। देखा जाए तो एक तरह से सारे विपक्षी दलों ने सर्जिकल स्ट्राइक का विरोध किया था।

नवम्बर 2016 में मोदी सरकार ने भारतीय सेना को सर्जिकल स्ट्राइक के लिए हरी झंडी दिखा कर इतिहास को बदल दिया। पहली बार भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाक़े में घुस कर आतंकियों को मारा लेकिन राहुल गाँधी इसे ‘खून की दलाली’ बताते हुए कहते रहे कि सरकार ‘सैनिकों के खून’ के पीछे छिप रही है। कॉन्ग्रेस पार्टी के लोग सबूत माँगने में लगे थे। कइयों ने तो पाकिस्तान वाला सुर अलापना शुरू कर दिया था।

पीएम मोदी ने कहा कि देश ने देखा है कि कैसे डिजिटल भारत अभियान ने, जनधन बैंक खातों ने लोगों की कितनी मदद की है। जब यही काम हमारी सरकार ने शुरू किए थे, तो ये लोग इनका विरोध कर रहे थे। देश के गरीब का बैंक खाता खुल जाए, वो भी डिजिटल लेन-देन करे, इसका इन लोगों ने हमेशा विरोध किया। उन्होंने कहा कि आज जब केंद्र सरकार, किसानों को उनके अधिकार दे रही है, तो भी ये लोग विरोध पर उतर आए हैं।

बकौल पीएम मोदी, ये लोग चाहते हैं कि देश का किसान खुले बाजार में अपनी उपज नहीं बेच पाए। जिन सामानों की, उपकरणों की किसान पूजा करता है, उन्हें आग लगाकर ये लोग अब किसानों को अपमानित कर रहे हैं। बता दें कि किसानों को सरकार के साथ-साथ प्राइवेट कंपनियों को अपनी उपज बेचने के लिए मिली आज़ादी का विरोध समझ से परे है। इसके लिए सीएए विरोध जैसा माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है।

अमित शाह बता चुके हैं कि जिस पार्टी ने अपनी सरकार रहते अनाजों की खरीद में भी अक्षमता दिखाई लेकिन मोदी सरकार ने इस मामले में रिकॉर्ड बनाया, इसके बावजूद वो किसानों को भ्रमित करने में लगे हुए हैं। एमएसपी के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है, उलटा उसे बढ़ाया गया है। बावजूद इसके किसानों को भाजपा के खिलाफ ऐसे ही भड़काया जा रहा है, जैसे लॉकडाउन में मजदूरों को भड़काया गया था।

पीएम मोदी ने ये भी याद दिलाया कि भारतीय वायुसेना के पास राफेल विमान आये और उसकी ताकत बढ़ी, ये उसका भी विरोध करते रहे। उन्होंने कहा कि वायुसेना कहती रही कि हमें आधुनिक लड़ाकू विमान चाहिए, लेकिन ये लोग उनकी बात को अनसुना करते रहे। हमारी सरकार ने सीधे फ्रांस सरकार से राफेल लड़ाकू विमान का समझौता कर लिया तो, इन्हें फिर दिक्कत हुई। आज अम्बाला से लद्दाख तक वायुसेना का परचम लहरा रहा है।

राफेल मुद्दे पर ज्यादा कुछ याद दिलाने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि पूरा 2019 का लोकसभा चुनाव ही इसी पर लड़ा गया था। जहाँ एक तरफ कॉन्ग्रेस पोषित मीडिया संस्थानों द्वारा एक के बाद एक झूठ फैलाया जा रहा था, वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट और कैग से क्लीन-चिट मिलने के बावजूद राफेल को लेकर झूठ फैलाया गया। वही कॉन्ग्रेस अब राफेल का नाम नहीं लेती क्योंकि जब 5 राफेल की पहली खेप भारत आए तो जनता के उत्साह ने सब साफ़ कर दिया। 2019 का लोकसभा चुनाव हारे, सो अलग।

कॉंग्रेस शासित प्रदेश केंद्र के कृषि बिलों को निष्क्रिय करने हेतु अपने बिल लाएँ : सोनिया गांधी

कॉंग्रेस कृषि बिलों को लेकर आर पार की लड़ाई को उतर चुकी है। देश में जहां भी भाजपा की सरकारें हैं वहाँ तो प्रदर्शन हो ही रहे हैं कॉंग्रेस अपनी पार्टी द्वारा शासित प्रदेशों में भी हर प्रकार से धरणे प्रदर्शन कर रही है यह, कवायद उप्चुनावों तक ही रहती है या फिर आगे भी जाएगी यह देखना होगा। दूसरी ओर ऐसा लगता है कि भाजपा ने अपने हाथों ही से किसान बिल ला कर सत्ता की चाबी कॉंग्रेस के हाथ में दे दी। अब उपचुनावों के नतीजे ही भाजपा के आगे की राह तय करेंगे जो कि आसान नहीं जान पड़ती। सनद रहे कि देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को कृषि और किसानों से जुड़े बिलों को मंजूरी दे दी है। मगर, विपक्ष अब भी कृषि विधेयकों को वापस लेने की मांग पर डटा हुआ हैं। इस बीच कांग्रेस ने कांगेस शासित प्रदेशों में कृषि संबंधी कानूनों को अप्रभावी बनाने के लिए एक रणनीति पर विचार किया है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कांग्रेस शासित राज्यों की सरकारों से कहा है कि वे अपने यहां अनुच्छेद 254(2) के तहत बिल पास करने पर विचार करें जो केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि विधेयकों को निष्क्रिय करता हो।

चंडीगढ़ (ब्यूरो):

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी शासित राज्यों को इस कानून को निष्प्रभावी बनाने के लिए कानूनी उपाय ढूंढने के लिए कहा है। वहीं केरल से कांग्रेस के एक सांसद ने नये किसान कानून के तमाम प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुये सोमवार को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है। कांग्रेस के तमाम बड़े नेता इसे लेकर केंद्र पर निशाना साध रहे हैं।

देश के अलग अलग हिस्सों में कृषि कानूनों के खिलाफ कांग्रेस कार्यकर्ता जहां प्रदर्शन कर रहे हैं वहीं पार्टी के बड़े नेता मुखर हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इसे किसानों के लिए मौत का फरमान बताया है। वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ऐलान किया कि हम केंद्र सरकार के नए कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। कृषि एक राज्य का विषय है। कृषि बिल हमें बिना पूछे पारित कर दिया गया है। यह पूरी तरह असंवैधानिक है।

उधर, कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने भी मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि कृषि कानून को लेकर जब आप अपनी मंत्री को नहीं समझा पाए तो किसानों को क्या समझाएंगे। सचिन पायलट ने सवालिया लहजे में कहा, इस कानून की मांग किसने की थी? या तो किसान कहते कि हमारी ये मांग है तो आप उसकी मांग को पूरा करते। जब आप अकाली दल की कैबिनेट मंत्री को समझा नहीं पाए। आप किसानों को क्या समझा पाएंगे।

‘कृषि कानूनों को निष्प्रभावी बनाने के लिए खोजें उपाय’

एक तरफ जहां विरोध प्रदर्शन जारी है वहीं कानूनी तोड़ ढूंढने की कवायद भी जारी है। सोनिया गांधी ने कांग्रेस शासित प्रदेशों की सरकारों से कहा कि वे केंद्र सरकार के ‘कृषि विरोधी’ कानून को निष्प्रभावी करने के लिए अपने यहां कानून पारित करने की संभावना पर विचार करें। पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी बयान के अनुसार, सोनिया ने कांग्रेस शासित प्रदेशों को नसीहत दी है कि वे संविधान के अनुच्छेद 254 (ए) के तहत कानून पारित करने के संदर्भ में गौर करें।

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वेणुगोपाल ने कहा कि यह अनुच्छेद इन ‘कृषि विरोधी एवं राज्यों के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप करने वाले’ केंद्रीय कानूनों को निष्प्रभावी करने के लिए राज्य विधानसभाओं को कानून पारित करने का हक देता है।

वेणुगोपाल ने दावा किया, ‘‘राज्य के इस कदम से कृषि संबंधी तीन कानूनों के अस्वीकार्य एवं किसान विरोधी प्रावधानों को दरकिनार किया जा सकेगा। इन प्रावधानों में न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी को समाप्त करने और कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी) को बाधित करने का प्रावधान शामिल है। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस शासित प्रदेशों की ओर से कानून पास करने के बाद वहां किसानों को उस घोर अन्याय से मुक्ति मिलेगी जो मोदी सरकार और बीजेपी ने उनके साथ किया है।” गौरतलब है कि वर्तमान में पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पुडुचेरी में कांग्रेस की सरकारें हैं। जबकि महाराष्ट्र और झारखंड में वह गठबंधन सरकार का हिस्सा है।

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केरल से कांग्रेस के सांसद ने नये किसान कानून को न्यायालय में दी चुनौती

वहीं केरल से कांग्रेस के सांसद ने नये किसान कानून के तमाम प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुये सोमवार को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की। त्रिशूर संसदीय क्षेत्र से सांसद टीएन प्रथपन ने याचिका में आरोप लगाया है कि कृषक (सशक् तिकरण व संरक्षण) कीमत आश् वासन और कृषि सेवा पर करार , कानून, 2020, संविधान के अनुच्छेद 14 (समता) 15 (भेदभाव निषेध) और अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन करता है।

याचिका में इस कानून को निरस्त करने का अनुरोध करते हुये कहा गया है कि यह असंवैधानिक, गैरकानूनी और शून्य है। इस कानून को रविवार को ही राष्ट्रपति ने अपनी संस्तुति प्रदान की है। प्रतापन ने अधिवक्ता जेम्स पी थॉमस के माध्यम से दायर याचिका में कहा है कि भारतीय कृषि का स्वरूप टुकड़ों वाला है जिसमें छोटी छोटी जोत वाले किसान है। यही नहीं, भारतीय कृषि की कुछ अपनी अंतर्निहित कमजोरियां हैं जिन पर किसी का वश नहीं है। इन कमजोरियों में भारतीय खेती का मौसम पर निर्भर रहना, उत्पादन को लेकर अनिश्चित्ता और बाजार की अस्थिरता है। इन समस्याओं की वजह से खेती निवेश और उपज के प्रबंधन दोनों ही मामलों में बहुत ही जोखिम भरी है। याचिका में कहा गया है कि भारतीय किसान की खेती मौसम पर निर्भर रहती है और वह अपनी आमदनी बढ़ाने के लिये अपनी उपज के मुद्रीकरण के बारे में नहीं सोच सकता है। इसमें कहा गया है कि इसकी बजाये, कृषि उपज विपणन समिति प्रणाली को सुदृढ़ करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य के प्रबंधन को प्रभावी तरीके से लागू किया जाना चाहिए।

बता दें कि हाल ही में संपन्न मानसून सत्र में संसद ने कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को मंजूरी दी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को इन विधेयकों को स्वीकृति प्रदान कर दी, जिसके बाद ये कानून बन गए।

सरकार का दावा है कि नये कानून में कृषि करारों पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क का प्रावधान किया गया है। इसके माध्यम से कृषि उत् पादों की बिक्री, फार्म सेवाओं, कृषि का कारोबार करने वाली फर्म, प्रोसेसर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों के साथ किसानों को जुड़ने के लिए सशक्त करता है। यही नहीं, यह कानून करार करने वाले किसानों को गुणवत्ता वाले बीज की आपूर्ति सुनिश्चित करना, तकनीकी सहायता और फसल स्वास्थ्य की निगरानी, ऋण की सुविधा और फसल बीमा की सुविधा सुनिश्चित करता है।

कार्टून सांझा करने पर नौसेना अधिकारी से की शिव सेना के गुंडों ने की मारपीट

आज तो हद ही हो गयी जब मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार शिव सेना के गुंडों ने एक पूर्व नोसेना के अधिकारी के साथ मार पीट की। उनकी गलती रौंगटे खड़े कर देने वाली है। एक कार्टूनिस्ट के बेटे के कार्टून को व्हाट्साप पर सांझा किया था। पुराने कार्टूनिस्ट बाबा साहब के बेटे उद्धव ठाकरे का। जिस महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे ‘जी’ को ‘तू’ कहने पर कंगना रानौत पर एफ़आईआर हो सकती है, कंगना के समर्थन में पोस्ट डालने वाले को पकड़ने के लिए महाराष्ट्र पुलिस कोलकता तक जा सकती है उस महाराष्ट्र में खास कर म्ंबा देवी की नाक के नीचे मुंबई में कोई उद्धव का कार्टून…. । पिटाई तो होनी ही थी, हुई।

चंडीगढ़ :

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का व्यंग्यात्मक कार्टून ह्वाट्सएप के जरिए साझा करने से नाराज शिवसेना के दो शाखा प्रमुखों ने अपने पांच-छह समर्थकों के साथ सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारी पर उनके घर में घुसकर हमला कर दिया। भाजपा विधायक अतुल भातखलकर का आरोप है कि उनके विधानसभा क्षेत्र में स्थित ठाकुर कांप्लेक्स रहने वाले मदन शर्मा पर शिवसैनिकों ने हमला किया और उनकी जान लेने की कोशिश की। शर्मा की आंख पर गंभीर चोट लगी है। साथ ही उनके पेट और पीठ पर भी काफी चोट आई है।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का कार्टून सोशल मीडिया में फॉरवर्ड करने पर मुंबई में शिवसेना कार्यकर्ताओं ने सेवानिवृत्त नेवी ऑफिसर मदन शर्मा पर हमला बोला। इस बात की जानकारी भाजपा विधायक अतुल भटखल्कर ने शुक्रवार (सितंबर 11, 2020) को घटना का वीडियो साझा करते हुए दी। भाजपा नेता ने बताया कि शिवसेना के 6-7 ‘गुंडों’ ने पूर्व नेवी अधिकारी मदन शर्मा पर हमला किया।

कांदिवली से भाजपा विधायक ने टाइम्स नाऊ से बात करते हुए कहा कि स्थानीय ‘शाखा प्रमुख’ ने पूर्व नेवी अधिकारी को संपर्क किया और उन्हें उनकी बिल्डिंग से नीचे आने को बोला। जैसे ही वो अपनी बिल्डिंग से नीचे उतरे, करीब 8 लोगों ने उन्हें सिर्फ़ इसलिए मारना शुरू कर दिया क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर उद्धव ठाकरे का कार्टून व्हॉट्सएप पर फॉरवर्ड किया था।

इस हमले में पूर्व नेवी अधिकारी की आँख बुरी तरह जख्मी हो गई। उसमें पड़ा लाल निशान तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है। भाजपा विधायक ने कहा, “मैं महाराष्ट्र सीएम, जो शिवसेना के प्रमुख हैं, उनसे कहना चाहता हूँ कि महाराष्ट्र के नागरिक उनकी गुंडागर्दी से डरते नहीं हैं और किसी कीमत पर वह शांत नहीं रहेंगे।”

टाइम्स नाऊ की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व नेवी अधिकारी की बेटी ने उनसे बात करते हुए बताया कि उनके पिता को व्हॉट्सएप पर एक मैसेज मिला था जिसे उन्होंने आगे फॉरवर्ड कर दिया। इसके बाद से ही उन्हें कई फोन आने लगे और कॉल पर नीचे बुलाया जाने लगा। पूर्व अधिकारी की बेटी के मुताबिक, जब उनके पिता उतर कर नीचे गए तो उन पर हमला हुआ।

पीड़ित पूर्व नौसेना अधिकारी ने भी मीडिया को बताया कि उन्हें मैसेज फॉरवर्ड करने के बाद से ही कॉल आ रहे थे और बार-बार उनसे नीचे उतर कर आने को कहा जा रहा था। उनके मुताबिक, जैसे ही वो नीचे उतरे, लोगों ने उन्हें मारना शुरू कर दिया। उन्होंने यह भी दावा किया कि बाद में पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने आई थी। मगर वह अपने घर से बाहर ही नहीं निकले। उन्होंने कहा कि अब इस मामले में उनकी मदद भाजपा विधायक अतुल भटखल्कर और रानी द्विवेदी कर रहे हैं। वरना वो जेल में होते।

रिपब्लिक टीवी की खबर के अनुसार, पूर्व अधिकारी का इलाज इस समय शताब्दी अस्पातल में चल रहा है। महाअघाड़ी सरकार के रवैए से नाराज होकर और असंतुष्टि जताते हुए पूर्व नेवी अधिकारी कहते हैं कि राज्य में में राष्ट्रपति शासन लागू हो जाना चाहिए।

बता दें कि इस मामले के संबंध में पूर्व अधिकारी की बेटी ने संत नगर पुलिस थाने में अपनी शिकायत दर्ज करवाई है (कुछ रिपोर्ट्स में कांदिवली थाना बताया जा रहा है)। उन्होंने उद्धव ठाकरे पर गुंडों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है। इसके अलावा यह भी कहा है कि इतना सब के बावजूद पुलिस उनके पिता को गिरफ्तार करना चाहती है।

उल्लेखनीय है कि यह मामला सोशल मीडिया पर आने के बाद एक बार फिर से शिवसेना पर ऊँगलियाँ उठनी शुरू हो गई है। देवांग दवे ने लिखा, “सेवानिवृत्त नेवी अधिकारी मदन शर्मा को पीटना, जिन्होंने देश की रक्षा में सालों साल सीमा पर गुजारे, सिर्फ़ शिवसेना की मानसिकता का परिचायक है।”

वहीं, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस घटना को बेहद दुखद और हैरान करने वाला बताया है। उन्होंने लिखा, “बेहद दुखद और हैरान करने वाली घटना। सेवानिवृत्त नेवी अधिकारी को बस इसलिए गुंडों ने पीटा क्योंकि उन्हें व्हॉट्सएप पर मैसेज फॉरवर्ड किया था। उद्धव ठाकरे कृपया ये गुंडाराज रोक दो। हम इन गुंडों के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई की माँग करते हैं।”

गौरतलब है कि आज शिवसैनिकों ने उद्धव ठाकरे का कार्टून फॉरवर्ड करने के नाम पर पूर्व नेवी अधिकारी को पीटा है। लेकिन उद्धव के पिता और शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे खुद कार्टूनिस्ट थे।

प्रदेश प्रभारी प्रियंका वाड्रा पर आरोप लग रहे हैं कि वह यूपी कांग्रेस को ‘बर्बाद’ करने में लगी हैं

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी कांग्रेस अब नए सिरे से संगठन को चार्ज करने में जुट गई है। पार्टी के उभरते शक्ति केंद्रों से तालमेल बिठाने में नाकाम कांग्रेस नेताओं को नई संरचना से बाहर कर पार्टी नेतृत्‍व ने साफ संकेत दे दिए हैं कि जो संघर्ष के लिए तैयार नहीं हैं उन्‍हें चिठ़ठी लेखक ही बनकर रहना होगा। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के बड़े धड़े को लगता है कि दिल्ली में सोनिया-राहुल के पास इतना समय ही नहीं है कि वह यूपी कांग्रेस का विवाद सुलझा पाएं। कई नेता यह आरोप भी लगा रहे हैं कि प्रदेश का नेतृत्व प्रियंका वाड्रा के हाथों में आने के बाद से पार्टी में बातचीत के दरवाजे बंद हो गए हैं। दरअसल, जब से प्रियंका वाड्रा ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी के रूप में कमान संभाली है, तब से कांग्रेस के पुराने और सोनिया-राहुल के वफादार नेताओं को साइड लाइन किए जाने का खेल चल रहा है।

उप्र(ब्यूरो):

पार्टी के प्रति समर्थित आम कांग्रेसी दुखी और हाशिये पर नजर आ रहा है।

दिल्ली से लेकर उत्तर प्रदेश तक कांग्रेस में जारी कलह-कलेश थमने का नाम नहीं ले रहा है। कांग्रेस में नये-पुराने नेताओं के बीच अंतर्कलह मची है तो सोनिया और राहुल गांधी के समर्थक भी ‘टकराव’ की मुद्रा में हैं। सोनिया पुराने नेताओं की वफादारी की कायल हैं तो राहुल गांधी को युवा पीढ़ी के नेताओं पर ज्यादा भरोसा है। गांधी परिवार की खींचतान में बड़े-बड़े कांग्रेसी नेता गुटबाजी में लगे हैं तो पार्टी के प्रति समर्थित आम कांग्रेसी दुखी और हाशिये पर नजर आ रहा है। दिल्ली में जहां सोनिया-राहुल गांधी के बीच का सियासी मनमुटाव कांग्रेस के लिए मुसीबत का सबब बना हुआ है तो वहीं उत्तर प्रदेश में प्रदेश प्रभारी प्रियंका वाड्रा पर आरोप लग रहे हैं कि वह यूपी कांग्रेस को ‘बर्बाद’ करने में लगी हैं।

गत दिनों कांग्रेस के 23 दिग्गज नेताओं द्वारा सोनिया गांधी को पार्टी की दिशा-दशा सुधारने के लिए पत्र लिखने के बाद उनके साथ दिल्ली में जैसा दुर्व्यवहार हुआ, वह किसी से छिपा नहीं है, लेकिन हद तो तब हो गई जब इन नेताओं के खिलाफ कांग्रेस की राज्य इकाइयों में भी विद्रोह की चिंगारी को जबर्दस्ती सुलगा दिया गया। इसी के चलते सोनिया को पत्र लिखने वालों में से एक उत्तर प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितिन प्रसाद को प्रदेश कांग्रेस की राज्य और जिला इकाइयों द्वारा बार-बार अपमानित किया गया। जितिन प्रसाद को अपमानित कराए जाने के पीछे प्रियंका वाड्रा का नाम सामने आ रहा है। सोनिया को लिखे पत्र की आड़ लेकर यूपी कांग्रेस में यहां के भी पुराने नेताओं के खिलाफ विरोध की चिंगारी पनपने लगी है। इस चिंगारी को प्रियंका द्वारा खूब हवा दी जा रही है। वर्ना जितिन प्रसाद सहित कुछ और पुराने दिग्गज कांग्रेसियों को अपमानित करने का सिलसिला ऐसे ही नहीं चलता रहता। कांग्रेस में पत्र प्रकरण धमाके के बाद उत्तर प्रदेश कांग्रेस में काफी दिनों से चल रही बदलाव की बयार ने और भी स्पीड पकड़ ली है। यह बदलाव संगठन में चेहरों के साथ ही पार्टी के तौर-तरीकों में भी देखने को मिल रहा है, जिन पुराने कांग्रेसियों को यह बदलाव रास नहीं आ रहे हैं, उन्होंने पार्टी से दूरी बना ली है।

प्रियंका के आने के बाद संगठन में ऐसे नेताओं को आगे किया जा रहा है, जिनकी सियासी जमीन ही नहीं है।

दरअसल, जब से प्रियंका वाड्रा ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी के रूप में कमान संभाली है, तब से कांग्रेस के पुराने और सोनिया-राहुल के वफादार नेताओं को साइड लाइन किए जाने का खेल चल रहा है। सबसे पहले प्रियंका ने पार्टी के प्रदेश नेतृत्व में बदलाव किया। उसके बाद प्रदेश से लेकर जिला संगठन इकाइयों में भी अपनी पसंद के लोग रखना शुरू कर दिया। यूपी कांग्रेस में सभी महत्वपूर्ण पदों पर प्रियंका की विचारधारा के लोगों को तरजीह देने का आरोप लम्बे समय से लग रहा है। कहा यह भी जा रहा है कि प्रियंका के आने के बाद संगठन में ऐसे नेताओं को आगे किया जा रहा है, जिनकी सियासी जमीन ही नहीं है। इसीलिए कांग्रेस का जनाधार खिसकता जा रहा है।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के बड़े धड़े को लगता है कि दिल्ली में सोनिया-राहुल के पास इतना समय ही नहीं है कि वह यूपी कांग्रेस का विवाद सुलझा पाएं। प्रदेश कांग्रेस के कई नेता यह आरोप भी लगा रहे हैं कि प्रदेश का नेतृत्व प्रियंका के हाथों में आने के बाद से पार्टी में बातचीत के दरवाजे बंद हो गए हैं। मौजूदा संगठन से किसी भी तरह की शिकायत पर शीर्ष नेतृत्व को न तो बताया जा सकता है और न ही उन्हें भरोसे में लेकर स्थितियों के बदलाव की उम्मीद की जा सकती है, जो नेता गांधी परिवार की विचारधारा से हटकर पार्टी हित में कुछ बोल देता है तो उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। यूपी में एक एक बाद एक नेताओं के खिलाफ लगातार हो रहीं कार्रवाइयां भी इसी का हिस्सा हैं। पहले पार्टी से दस वरिष्ठ नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया गया।

इसी तरह से रायबरेली सदर के पूर्व विधायक दिवंगत अखिलेश सिंह की विधायक पुत्री अदिति सिंह के प्रकरण में भी उनकी बात सुने बिना लखनऊ से लोगों को उनके आवास पर प्रदर्शन के लिए भेज दिया गया। जितिन प्रसाद के मामले में भी प्रियंका और पूर्व सांसद जफर अली नकवी के इशारे पर उनके खिलाफ नारेबाजी हुई। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद को लखीमपुर खीरी में विरोध का सामना करना पड़ा। सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले नेताओं में जितिन प्रसाद का भी नाम था। इसी के बाद उनके खिलाफ पार्टी में जहर उगला जाने लगा। हद तो तब हो गई जब कांग्रेस की लखीमपुर जिला इकाई ने जितिन प्रसाद को पार्टी से निष्कासित करने का प्रस्ताव पास कर दिया। इतना बड़ा कदम जिला इकाई बिना हाईकमान के इशारे से कर ही नहीं सकती थी। प्रस्ताव पर जिलाध्यक्ष प्रहलाद पटेल और लखीमपुर खीरी के अन्य पदाधिकारियों ने हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने जितिन प्रसाद सहित सोनिया गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठाने वाली चिट्ठी पर जिन नेताओं के हस्ताक्षर हैं सभी के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए इन नेताओं को पार्टी से बाहर निकालने को कहा गया था।

धीरज गुर्जर और प्रियंका गांधी जो भी करवा दें ठीक है

जितिन प्रसाद को पार्टी से बाहर किए जाने के लखीमपुर-खीरी की जिला के प्रस्ताव को ज्यदा गंभीरता से नहीं लिया जाता, यदि एक ऐसा ऑडियो वायरल न होता, जिसमें जिलाध्यक्ष प्रहलाद पटेल कांग्रेस के एक कार्यकर्ता से बात कर रहे हैं, वह कह रहे हैं कि उनको ऐसी कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया गया था। वायरल ऑडियो में वह किसी कार्यकर्ता से कहते सुने जाते हैं, ‘धीरज गुर्जर और प्रियंका गांधी जो भी करवा दें ठीक है। धीरज गुर्जर ने प्रस्ताव भेजा…। हमने कहा कि हम हस्ताक्षर नहीं कर पाएंगे…। कुछ लाइन इसमें से हटाई जाएं, लेकिन ऊपर से तलवार लटकी थी। हम भी क्या करते…। इस तरह की गंदगी कांग्रेस में रहेगी तो कांग्रेस कहां खड़ी हो पाएगी।’

अब कांग्रेस में पूर्व पीएम वीपी सिंह सरीखे नेताओं की जयंती मनाई जाने लगी है

खैर, वायरल ऑडियो की अभी पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन उत्तर प्रदेश में पिछले 31 साल से सत्ता से बाहर कांग्रेस इस तरह से सत्ता में वापसी की उम्मीद करेगी तो यह बेईमानी होगी। खासकर प्रियंका को सबको साथ लेकर चलना होगा और यह भी ध्यान रखना होगा कि कांग्रेस अपनी विचारधारा से नहीं भटके। आश्चर्य होता है कि अब कांग्रेस में पूर्व पीएम वीपी सिंह सरीखे नेताओं की जयंती मनाई जाने लगी है, जिन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी की छवि को धूमिल करके ही सत्ता हासिल की थी। राजीव गांधी के समय खरीदी गईं बोफोर्स तोप में, घोटाले का आरोप लगाकर वीपी सिंह ने राजीव की छवि को काफी नुकसान पहुंचाया था। इसके बाद वर्षों तक भारतीय जनता पार्टी भी इसे भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा सियासी मुद्दा बनाए रखने में कामयाब रही थी। इसीलिए वीपी सिंह की जयंती मनाए जाने को लेकर कांग्रेस के भीतर ही एक वर्ग में नाराजगी पनपने लगी। नाराज नेताओं का आरोप है कि कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के लिए जो खुद पार्टी छोड़कर अलग हुआ, उसकी जयंती पार्टी दफ्तर में कांग्रेस नेता कैसे मना सकते हैं?

इसी तरह से हिन्दू-देवी-देवताओं के लिए अनाप-शनाप टिप्पणी के चलते विवादित रहे पेरियार और फिलस्तीनी मुक्ति संगठन के प्रमुख रह चुके यासिर अराफात की जयंती भी हाल ही में पार्टी कार्यालय में मनाई गई। इस तरह के आयोजनों पर प्रदेश कांग्रेस के पुराने नेताओं ने तमाम तरह के सवाल खड़े किए हैं। उनका आरोप है कि प्रदेश संगठन में जो नए चेहरे शामिल किए गए हैं, उनकी वामपंथी विचारधारा को पार्टी पर थोपा जा रहा है। इसी तरह से हाल ही में सर्वसमाज के आंदोलनों में कांग्रेसियों द्वारा गले में नीला पटका डालकर आंदोलन करने को भी पार्टी के पुराने नेता पचा नहीं पाए थे। तब लखनऊ में हुए प्रदर्शन के बाद पार्टी के कई नेताओं ने इस पर सवाल खड़े किए थे। नाराज नेताओं का तर्क था कि कोई भी पार्टी झंडे और पोस्टरों से पहचानी जाती हैं। अब ऐसे में नीला पटका पहन कर आंदोलन करने से लोगों के बीच आखिर क्या संदेश दिया जा रहा है।

बहरहाल, सोनिया को वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के पत्र लिखे जाने के ‘धमाके’ के बाद उत्तर प्रदेश में पार्टी पूरी तरह से दो खेमों के बंटी नजर आ रही है। राज्य में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का एक खेमा है जो संगठन को मजबूत करने की बात कर रहा है तो दूसरा खेमा जिसकी पहचान गांधी परिवार के लिए कठपुतली के रूप में काम करने वाली है, वह संगठन को मजबूत करने की बात करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर अड़ा है। इसीलिए कुछ गांधी परिवार के समर्थक नेता जितिन के खिलाफ जहर उगल रहे हैं तो पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष निर्मल खत्री ने गुलाम नबी आजाद पर गंभीर आरोप लगाया है कि जब-जब वह यूपी कांग्रेस के प्रभारी बने तब-तब कांग्रेस का बंटाधार हो गया। यूपी के ही एक और नेता सलमान खुर्शीद भी सोनिया को पत्र लिखने वालों के खिलाफ बयानबाजी करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। इसी तरह से उत्तर प्रदेश कांग्रेस नेता और पूर्व विधान परिषद सदस्य नसीब पठान ने वरिष्ठ पार्टी नेता गुलाम नबी आजाद को पार्टी से बाहर निकाल देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि गुलाम को पार्टी से आजाद कर दो। नसीब ने कहा कि पार्टी ने आजाद को बहुत कुछ दिया, किंतु उन्होंने वफादारी नहीं की।

लब्बोलुआब यह है कि आज की तारीख में राष्ट्रीय कांग्रेस की तरह ही उत्तर प्रदेश कांग्रेस भी साफ तौर पर दो खेमों में बंटी साफ नजर आ रही है। दोनों खेमों के नेता अपने हिसाब से बयानबाजी कर रहे हैं, जिससे पार्टी को सबसे अधिक नुकसान हो रहा है। लेकिन पार्टी के भीतर बारीकी से झांका जाए तो पार्टी में एक धड़ा ऐसा भी नजर आता है जो किसी तरह की गुटबाजी में विश्वास नहीं रखता है और पार्टी के मौजूदा हालात से काफी दुखी है। इस धड़े के नेताओं की मानें तो पार्टी को युवा आगाज की जितनी जरूरत है, उतनी ही आवश्यकता इस बात की है कि पार्टी के दिग्गज नेताओं के अनुभव का पूरा फायदा उठाया जाए।

साभार – अजय कुमार