NCP की महिला ने PM Modi को लेकर कहा ‘मोदी को अंगार लगा सुलगा डालो’

सोशल मीडिया पर अभी एक वीडियो वायरल हुआ है। यह वीडियो बुर्का या हिजाब के समर्थन में पुणे में शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी द्वारा आयोजित एक ‘विरोध’ प्रदर्शन का है. इसमें एक महिला को कहते हुए सुना जा सकता है कि “कर्नाटक में चार दिन से स्कूल, कॉलेज सब बंद हो गए हैं। बहुत बड़ी परेशानी है। वीडियो में जिहादी महिला बोल रही हैं कि मोदी कायदा-कानून के नाम पर अचानक कुछ भी निकाल लेता है। इस मोदी को सब अंगार लगा कर सुलगा डालो। महाराष्ट्र के RSS के सह संयोजक पीयूष जगदीश कश्यप ने पीएम के खिलाफ अपमानजनक और धमकी भरी टिप्पणी करने वाली महिला के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, महाराष्ट्र(ब्यूरो) :

कर्नाटक में पिछले काफी दिनों से हिजाब विवाद को लेकर बवाल मचा हुआ है। इस चर्चित विवाद का मामला कोर्ट में चल रहा है। वहीं हिजाब विवाद पर कुछ जिहादी जुबानों ने जहर उगलना शुरू कर दिया है। आपको बता दें कि इस मामले से संबधित एक वीडियो सामने आ रही है। वीडियों में जिहादी सोच का प्रदर्शन करने वाली महिला देश के प्रधानमंत्री की हत्या पर बोल रही है।

एक महिला को कहते हुए सुना जा सकता है, “कर्नाटक में चार दिन से स्कूल, कॉलेज सब बंद हो गए हैं। बहुत बड़ी परेशानी है। यह अचानक कुछ भी निकालता है मोदी कायदा-कानून। ये मोदी को सब अंगार लगा कर सुलगा डालो।”

अब इस मामले में केस दर्ज कराया गया है। यह केस महाराष्ट्र के RSS के सह संयोजक पीयूष जगदीश कश्यप ने करवाई है। उन्होंने पीएम के खिलाफ अपमानजनक और धमकी भरी टिप्पणी करने के लिए महिला के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। सायबर पुलिस स्टेशन में दर्ज अपनी शिकायत में उन्होंने कहा कि महिला ने पीएम मोदी के खिलाफ धमकी भरा और अपमानजक शब्द का इस्तेमाल किया। 

जगदीश ने अपनी शिकायत में उस वीडियो का यूट्यूब लिंक और सीडी भी उपलब्ध कराई है। हालाँकि अब वह वीडियो प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध नहीं है। RSS कार्यकर्ता ने कहा कि इस तरह की भाषा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उस पोस्ट के खिलाफ भी नफरत पैदा करती है। उन्होंने कहा कि वीडियो देख कर साफ तौर पर उसका इरादा पता चलता है कि वह जनता के बीच पीएम मोदी की अच्छी छवि को धूमिल करना चाहती है। उनका कहना है कि इससे जनता के बीच गलत संदेश जाएगा और वह भी इसी तरह की व्यवहार कर सकते हैं।

बता दें कि गुरुवार (10 फरवरी 2022) को राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी ने कर्नाटक में बुर्का (जिसे लोग हिजाब भी कह रहे हैं, जबकि दोनों में अंतर है) पहनने वाली मुस्लिम लड़कियों के समर्थन में महाराष्ट्र के पुणे जिले में प्रदर्शन किया। एनसीपी की पुणे इकाई के अध्यक्ष प्रशांत जगताप ने भगवा दुपट्टा डाले उन लड़कों पर निशाना साधा, जिन्होंने बुर्के का विरोध किया था। 

उन्होंने कहा, “कर्नाटक के उडुपी में एक मुस्लिम लड़की का कुछ दिन पहले कई दक्षिणपंथी युवकों ने पीछा किया था। इस घटना से भारतीयों के सिर शर्म से झुक गए हैं।” मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, जगताप ने शिक्षण संस्थानों में धर्म और राजनीति लाने के लिए भाजपा सरकार की भी आलोचना की। हालाँकि बीजेपी सरकार की आलोचना करते हुए वह यह भूल गए कि कर्नाटक में बुर्का विवाद की शुरुआत सबसे पहले आठ मुस्लिम लड़कियों ने की थी, जिन्होंने कॉलेज की यूनिफॉर्म के नियमों का पालन करने से इनकार कर दिया था।

नोट: भले ही इस विरोध प्रदर्शन को ‘हिजाब’ के नाम पर किया जा रहा हो, लेकिन मुस्लिम छात्राओं को बुर्का में शैक्षणिक संस्थानों में घुसते हुए और प्रदर्शन करते हुए देखा जा सकता है। इससे साफ़ है कि ये सिर्फ गले और सिर को ढँकने वाले हिजाब नहीं, बल्कि पूरे शरीर में पहने जाने वाले बुर्का को लेकर है। हिजाब सिर ढँकने के लिए होता है, जबकि बुर्का सर से लेकर पाँव। कई इस्लामी मुल्कों में शरिया के हिसाब से बुर्का अनिवार्य है। कर्नाटक में चल रहे प्रदर्शन को मीडिया/एक्टिविस्ट्स भले इसे हिजाब से जोड़ें, ये बुर्का के लिए हो रहा है।

मौलाना तौकीर रजा का हिंदू विरोधी भाषण वायरल, भाजपा ने कांग्रेस को घेरा और कॉंग्रेस ने इन्हे अपना लिया

मौलाना तौकीर रजा कहते हैं, ‘जिस दिन मेरा नौजवान मेरे कंट्रोल से बाहर आ गया। जिस दिन मेरा कंट्रोल इन नौजवानों से खत्म हो गया….. मैं कहता हूं कि पहले मैं लड़ूंगा बाद में तुम्हारा नंबर आएगा… मैं हिंदू भाइयों से खासतौर से कहना चाहता हूं कि मुझे उस वक्त से डर लगता है जिस दिन नौजवान कानून अपने हाथ में ले लेगा। जिस दिन ये नौजवान बेकाबू हो गया और कानून अपने हाथ में लेने को मजबूर हो गया तो तुम्हें हिंदुस्तान में कहीं पनाह नहीं मिलेगी… हिंदुस्तान का नक्शा बदल जाएगा। हम तो पैदाइशी लड़ाके हैं।’

डेमोक्रेटिक फ्रंट, लखनऊ(ब्यूरो) :

उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इत्तेहादुल मिल्लत काउंसिल के मौलाना तौकीर रजा खान और कांग्रेस के साथ आने पर बीजेपी ने कड़ी आपत्ति जताई है। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच प्रतिस्पर्धा चल रही है कि हिंदुओं के खिलाफ ज्यादा घृणा कौन उगल सकता है और हिंदुओं के खिलाफ बोलने वालों को कौन सी पार्टी प्रश्रय दे सकती है। कल (सोमवार को कांग्रेस के यूपी प्रदेश अध्यक्ष की मौजूदगी में मौलाना तौकीर रजा खान ने कांग्रेस को अपना समर्थन दिया।

बरेली के ‘आला हजरत शरीफ’ के तौकीर रजा खान ने कॉन्ग्रेस पार्टी को समर्थन देने का ऐलान किया है। हिन्दुओं के खिलाफ ज़हर उगलने के बाद वो सुर्ख़ियों में आए थे। उत्तर प्रदेश में कॉन्ग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के इस बात का ऐलान किया कि मौलाना तौकीर रजा खान ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी को समर्थन दिया है। साथ ही प्रियंका गाँधी के साथ तौकीर रजा व अन्य मुस्लिम नेताओं की एक तस्वीर भी वायरल हुई है।

कॉन्ग्रेस पार्टी के अनुसार, तौकीर रजा ने उत्तर प्रदेश में ‘अमन-चैन’ के लिए गैर-भाजपा सरकार की वकालत की और मुस्लिमों से कहा कि वो अपने वोट को बँटने नहीं दें। तौकीर रजा ने कहा, ”मैं उत्तर प्रदेश से प्यार करने वाले सभी हिंदू, मुस्लिम, सिख ईसाई और खासकर मुस्लिमों से अपील करता हूँ कि अगर राज्य में शांति कायम रखनी है तो किसी भी कीमत पर अपने वोट को तकसीम (बँटने) नहीं होने देना है। कॉन्ग्रेस की हिमायत में वोट करना है।”

तौकीर रजा ने कहा कि कॉन्ग्रेस के साथ जब भी मुस्लिम और दलित खड़े हुए हैं, तब-तब पार्टी ने सरकार बनाई है। उन्होंने कहा कि इस बार भी ‘इंशाअल्लाह’ हम सरकार बनाने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि गैर-भाजपा सरकार के लिए क़ुरबानी भी दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि वो अपनी पार्टी की क़ुरबानी देकर कॉन्ग्रेस के साथ आए हैं। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने निशाना साधते हुए पूछा कि क्या प्रियंका गाँधी से इसी मुलाकात के बाद मौलाना तौकीर रजा ने कहा की हमारे लड़ाको ने अगर कानून अपने हाथ में ले लिया तो हिन्दुओं को देश में रहने की जगह नहीं मिलेगी और हिंदुस्तान का नक्शा बदल देंगे?

कॉन्ग्रेस पार्टी ने प्रियंका गाँधी के साथ उनकी तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा, “बीते दिनों आला हज़रत बरेली शरीफ के मौलाना तौकीर रज़ा खान साहब (राष्ट्रीय अध्यक्ष, इत्तेहाद मिल्लत कौंसिल) की कॉन्ग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी जी से मुलाकात हुई थी। उन्होंने उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी से चुनाव ना लड़ाने का फैसला करते हुए अपनी पार्टी का पूरा समर्थन कॉन्ग्रेस पार्टी और कॉन्ग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों को दिया है। पाँचों राज्य में हो रहे चुनाव में भी उन्होंने अपने समर्थकों को कॉन्ग्रेस के समर्थन के लिए कहा है।”

बता दें कि भड़काऊ भाषण देते हुए तौकीर रजा ने कहा था कि जिस दिन मुस्लिम कानून हाथ में ले लेंगे, उस दिन हिंदुओं को पूरे देश में कहीं पनाह नहीं मिलेगा। रजा ने कहा था, “अगर ये गुस्सा फुट पड़ा, जिस दिन मेरा नौजवान मेरे कंट्रोल से बाहर आ गया उस दिन….. । लोग मुझे कहते हैं कि तुम तो बुजदिल हो गए हो, तो मैं कहता हूँ कि पहले मैं मरूँगा, उसके बाद तुम्हारा नंबर आएगा। मैं अपने हिंदू भाइयों से खासतौर पर कहता हूँ कि मुझे उस वक्त से डर लगता है, जिस दिन मेरा ये नौजवान कानून अपने हाथ में ले लेगा उस दिन हिंदुस्तान में तुम्हें रहने की कहीं जगह नहीं मिलेगी।”

ग्वालियर में हिंदू महासभा ने छत्तीसगढ़ की कॉंग्रेस सरकार को चेतावनी दी और गांधी के हत्यारे की पुण्यतिथि मनाई

दत्तात्रेय सदाशिव परचुरे मोहनदास गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे का साथी था। परचुरे ने ही गवालियर में स्थित अपने घर में नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को शरण दी थी। परचुरे ने मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या के लिए गोडसे और नारायण आप्टे को पिस्टल उपलब्ध कराई थी। इसके ही आरोप में डॉक्टर दत्तात्रेय को आजीवन कारावास हुआ था। हिंदू महासभा की तरफ से छत्तीसगढ़ सरकार को चेतावनी के बाद आज ग्वालियर में महात्मा गांधी के हत्यारे दत्तात्रेय सदाशिव परचुरे की जयंती मनाई। छतीसगढ़ में सरकार कॉंग्रेस की है जिनहोने म्हात्मा गांधी को अपशब्द बोलने पर एक संत को गिरफ्तार कर लिया था।

दत्तात्रेय सदाशिव परचुरे(सबसे दायें), नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे

डेमोक्रेटिकफ्रंट॰कॉम, नयी दिल्ली/मध्य प्रदेश :

दत्तात्रेय सदाशिव परचुरे महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे के साथी थे। परचुरे ने ही ग्वालियर में स्थित अपने घर में गोडसे और आप्टे को शरण दी थी। इन दोनों को महात्मा गांधी की हत्या के लिए पिस्टल भी उसी ने उपलब्ध कराई थी। इसी आरोप में परचुरे को आजीवन कारावास की सजा मिली थी।छत्तीसगढ़ सरकार को चेतावनी के बाद आज ग्वालियर में महात्मा गांधी के हत्यारे दत्तात्रेय सदाशिव परचुरे की जयंती मनाई गई। यह आयोजन हिंदू महासभा की तरफ से किया गया। हिंदू महासभा ने दत्तात्रेय सदाशिव परचुरे की 37वीं पुण्यतिथि के अवसर पर उनकी तस्वीर का अनावरण किया है। इस मौके पर हिंदू महासभा के प्रदेश पदाधिकारी से लेकर सभी कार्यकर्ता मौजूद रहे। कार्यक्रम पूर्व घोषित होने के बावजूद पुलिस प्रशासन की तरफ से इसे रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इस मौके पर हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयवीर भारद्वाज ने कहाकि देश का विभाजन मोहनदास करमचंद गांधी ने किया था। इसके चलते 50 लाख हिंदू बेघर हो गए और 10 हिंदुओं का कत्लेआम हो गया।

शहर के बीचों-बीच स्थित हिंदू महासभा कार्यालय में शुक्रवार दोपहर को प्रदेश के सभी हिंदू महासभा के पदाधिकारी और कार्यकर्ता एकजुट हुए। इसके बाद यहां विधिवत बापू के हत्यारे गोडसे, नारायण आप्टे और दत्तात्रेय सदाशिव परचुरे की तस्वीर लगाई गई। इसके बाद पूजा-अर्चना कर आरती उतारी गई। इस दौरान अंबाला की जेल से लाई गई मिट्टी से बापू के तीनों हत्यारों की तस्वीर का अभिषेक किया।

पूजा-अर्चना के दौरान बापू के हत्यारों की अमर होने की आवाज गूंज रही थी। हिंदू महासभा के लोग बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे नारायण आप्टे और परचुरे के अमर रहने के जयकारे लग रहे थे। इसके साथ ही हिंदू महासभा के लोगों ने उनकी आरती भी उतारी। सबसे खास बात यह है हिंदू महासभा का यह कार्यक्रम पहले से ही घोषित था। कल महासभा के लोगों ने खुद शहर में बीच चौराहे पर चुनौती दी थी कि वह बापू के हत्यारों की पुण्यतिथि मनाएंगे। लेकिन इसके बावजूद आज पुलिस प्रशासन बेखबर नजर आया। 

दत्तात्रेय सदाशिव परचुरे बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे का साथी था। परचुरे ने ही ग्वालियर में स्थित अपने घर में नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को शरण दी थी। परचुरे ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के लिए नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को पिस्टल उपलब्ध कराई थी। इसके आरोप में ही डॉ दत्तात्रेय सदाशिव परचुरे को आजीवन कारावास हुआ था।

देश में हिंदू महासभा का गढ़ ग्वालियर रहा है। बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे ने ग्वालियर के हिंदू महासभा कार्यालय में कई दिन गुजारे हैं। नाथूराम गोडसे ने जिस बंदूक से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या की थी वह बंदूक भी यहीं से खरीदी थी। उसने इसे चलाने की ट्रेनिंग भी यहीं से ली थी।

छठ पूजा की एलजी द्वार अनुमत, कड़े नियमों का करना होगा पालन मनीष सीसोदिया की चेतावनी

मुस्लिम तुष्टिकरण और क्षेत्रवाद की राजनीति करने वाली केजरीवाल सरकार ईद – बकरीद पर खुद ही से फैसले दे देती है, वहीं जब हिन्दू जनता जब छट पूजा की अनुमति मांगती है तो हिन्दू विरोध के चलते पहले माना कर देती है ओर फिर टालने के लिए अनुमति मांगने का बहाना बना उपराज्यपाल के पास भेज देती है। उपराज्यपाल अनिल बैजल की अध्यक्षता में दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की एक अहम बैठक के बाद उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि दिल्ली में छठ पूजा को सार्वजनिक रूप से मनाने की अनुमति मिलेगी। एलजी द्वारा अनुमति देने के पश्चात भी केजरीवाल सरकार इसे अपनी तरफ सेहिंदुओं पर एहसान जता रही है। यह सरकार द्वारा पहले से तय किए गए स्थानों पर बहुत सख्त प्रोटोकाल के साथ किया जाएगा। COVID प्रोटोकाल के पालन के साथ सार्वजनिक स्थानों पर बेहद सीमित संख्या में लोगों को अनुमति दी जाएगी। इसके साथ 1 नवंबर से दिल्ली में सभी स्कूलों को खोलने पर भी सहमति बनी है। कोई हैरानगी नहीं मुसलिम बहुल इलाके में प्राचीन शिव मंदिर को कर कोर्ट में हलफनामा दे कर उसकी हमेशा के लिए सीलिंग करवा देती है।

दिल्ली में घोर प्रदूषण से ग्रस्त यमुना जी के घाट पर छट पूजा को मजबूर दिल्ली वासी

नयी दिल्ली(ब्यूरो) :

भाजपा और हिंदुओं के लगातार विरोध प्रदर्शन और पूर्वांचल वासियों के प्रतिरोध के आगे आम आदमी पार्टी सरकार को झुकना पड़ा है। दिल्ली सरकार ने छठ महापर्व मनाने की अनुमति दे दी है। दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ‘दिल्ली आपदा की बैठक के बाद कहा कि त्योहारों का मौसम आ रहा है और खास कर छठ पूजा को लेकर लोगों की संवेदनाएँ थीं, इसीलिए निर्णय लिया गया है कि छठ पूजा कराने की अनुमति दिल्ली में दी जाएगी।

हालाँकि, उन्होंने इस दौरान ये भी कहा कि काफी कड़े दिशानिर्देशों के साथ दिल्ली सरकार द्वारा तय की गई पूर्व-निर्धारित जगहों पर सीमित संख्या में ही लोगों को शामिल होने की अनुमति दी जाएगी। उन्होंने कहा कि इस दौरान मास्क सहित कोरोना के सभी दिशानिर्देशों का पालन कराया जाएगा। उन्होंने दिल्ली वासियों से बहुत अच्छे से और सावधानी से छठ मनाने की अपील करते हुए कहा,”छठी मैया सबका कल्याण करें।” दिल्ली के डिप्टी सीएम ने इसे एक महत्वपूर्ण त्योहार बताया।

याद दिला दें कि हाल ही में भाजपा ने छठ के आयोजन पर लगे प्रतिबंधों को हटाने के लिए दिल्ली की AAP सरकार के विरुद्ध तगड़ा विरोध प्रदर्शन किया था, जिसमें पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी को गहरी चोटें आई थीं। उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। भाजपा ने छठ के आयोजन पर प्रतिबंधों का विरोध करते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की थी। दिल्ली सरकार ने इसका ठीकरा केंद्र के सिर फोड़ दिया था, जिसके बाद सवाल पूछे गए थे कि क्या ईद पर छूट देने के लिए केंद्र की सलाह ली गई?

भाजपा नेता तजिंदर पाल सिंह बग्गा ने सिसोदिया के केंद्र को भेजे गए पत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, “मनीष सिसोदिया जी, ईद पर बाजार मनसुख भाई से पूछ के खोला था? नाटक मत करो, आपके चेहरे नंगे हो चुके है।” वहीं दिल्ली भाजपा के उपाध्यक्ष सुनील यादव ने कहा था, “बकरीद और ईद पर जब दिल्ली सरकार ने छूट दी थी तब केंद्र सरकार को क्यों नहीं लिखा केजरीवाल जी? केजरीवाल और सिसोदिया, दोनों ने हजारों बच्चों को स्टेडियम में बुलाकर मेंटोर प्रोग्राम लॉन्च किया, तब क्यों ना लिए दिशानिर्देश केंद्र से?”

बता दें कि 30 सितंबर, 2021 को जारी किए गए एक आदेश में DDMA ने कोरोना संक्रमण का हवाला देते हुए हुए नदी के किनारे, घाटों और मंदिरों सहित सभी सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा के आयोजनों पर रोक लगा दी थी। वहीं केंद्र सरकार द्वारा राजधानी दिल्ली में छठ पूजा में हिस्सा लेने वाले 10,000 लोगों के लिए मंगलवार से एक स्पेशल कोविड-19 टीकाकरण अभियान शुरू करने की घोषणा की गई है, जिसकी शुरुआत केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी बुराड़ी के पास स्थित कादीपुर में करेंगे।

परगट के यहाँ सिद्धू की बैठक, आखिर यह चल क्या रहा है?

कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठ महिला नेता ने कहा कि पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी नवजोत सिंह सिद्धू से मिलना भी नहीं चाहते। सोनिया गांधी का भी समय नहीं मिल पा रहा था। यह सब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने आसान कराया। वरिष्ठ नेता ने कहा कि हमें पता है कि गलत हो गया, लेकिन अब यहां सुधार थोड़ा मुश्किल है। क्योंकि अब सब हाईकमान के स्तर पर होना है। कांग्रेस को छोड़कर दूसरी पार्टी में गई एक नेता का कहना है कि वह मेरा पुराना घर हो गया। मुझे इस बारे में कुछ नहीं बोलना है। लेकिन इसी तरह के निर्णय पार्टी की धार को कमजोर कर देते हैं। जहां निर्णय लेना होता है, वहां लिया नहीं जाता। जहां गैरजरूरी है, वहां कुछ भी हो जाता है। मेरे विचार में पार्टी को इस तरह की स्थितियों से सबक लेना चाहिए।

पंजाब(ब्यूरो) :

अब सिद्धू क्या करेंगे? पंजाब प्रदेश कॉंग्रेस का प्रधान बनने से पहले ही मुख्यमंत्री कैप्टन से रार रखने वाले सिद्धू ने अब पंजाब प्रदेश के प्रभारी और कॉंग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत से भी ठन गयी है। पंजाब कॉंग्रेस के कैप्टन विरोधी गुट के कुछ नेता हरीश रावत से मिलने देहरादून पहुंचे थे। जो रावत को नागवार गुजरा। फिर सिद्धू पंजाब में रावत और अन्य अधिकारियों के साथ बैठक को छोड़ सीधे दिल्ली हाइकमान से मिलने पहञ्चे, जहां उन्हे कोई भाव नहीं दिया गया यहाँ तक की आलाकमान और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी समय नहीं दिया। प्रियंका वादरा का वरधस्त होने के बावजूद सिद्धू दिल्ली से बैरंग लौटे। कॉंग्रेस के भीतरी सूत्रों क माने तो इस सब के पीछे हरीश रावत की नाराजगी बताई जा रही है जिसे सिद्ध बारंबार नज़रअंदाज़ कर रहे हैं। इधर आलाकमान से कोई तूल न दिये जाने पर सिद्धू और भी भाड़ा उठे हैं और वह विधायक परगट सिंह ए घर बैठक ले रहे हैं। जैसा मसौदा अभी साफ नेहीन है।

सूत्रों के मुताबिक आलाकमान द्वारा तय किए गए 18-सूत्रीय कार्यक्रम का अपडेट देने के लिए सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बुधवार को हरीश रावत को सिद्धू के साथ एक मीटिंग में बुलाया था और इस मीटिंग में पंजाब के डीजीपी और एडवोकेट जनरल को बुलाकर तमाम कानूनी पेचीदगियों को लेकर चर्चा की जानी थी लेकिन, सिद्धू इस मीटिंग में हरीश रावत के साथ शामिल होने की बजाय सीधा दिल्ली आलाकमान के पास पहुंच गए।

पंजाब के प्रभारी महासचिव हरीश रावत को भी पंजाब में सबकुछ ठीक नहीं लग रहा है। वह भी कुछ मुद्दों का समाधान चाहते हैं। हरीश रावत चंडीगढ़ प्रवास पर थे और उनका इरादा पार्टी तथा सरकार के बीच में कामकाजी सामंजस्य बनाना था। लेकिन अब बात उनके भी दायरे से बाहर जा रही है। कैप्टन से नाराज जो नेता हरीश रावत से मिलने देहरादून गए थे, उन्होंने भी चंडीगढ़ में रावत ने मिलने से परहेज किया। कैप्टन सरकार के मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा को पंजाब में नया मुख्यमंत्री चाहिए। वह कैप्टन को बदलने की मांग पर अड़े हैं। सुखजिंदर सिंह रंधावा के भी तेवर अभी बने हुए हैं। पंजाब के पूर्व कांग्रेस प्रभारी का कहना है कि यह स्थितियां नवजोत सिंह सिद्धू को कांग्रेस प्रधान बनाए जाने के कारण खड़ी हुई हैं। इससे पार्टी के भीतर दो पावर सेंटर बनने का संकेत गया। इसके साथ-साथ कांग्रेस प्रधान ने अति उत्साह में कई अटपटी पहल भी कर दी है।

इसे सिद्धू का अति आत्मविश्वास कहें या अति उत्साह, कॉंग्रेस के सूत्रों की मानें तो इसे Direct Disobedience यानि नाफरमानी कहा जाएगा। प्रियंका वादरा की शाह पर ही सिद्धू को पंजाब के मुख्यमंत्री और कॉंग्रेस के दिग्गज नेता अमरिंदर सिंह की अनदेखी कर पंजाब कॉंग्रेस का प्रधान बनाया गया। तब से लेकर सिद्धू पंजाब कॉंग्रेस की नीतियों और कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं जो वास्तव में कैप्टन की कार्यक्षमता पर सीधी चोट है।

“सिद्धू अपने छोड़े हुए बिजली मंत्रालय के कार्यों से भी आंद्वेलित हैं। जब उन्हे बिजली विभाग में सबकुछ ठीक करने का मौका मिला तो वह इस्तीफा दे कर कैप्टन को ललकारने लगे। पद लोलुप सिद्धू की महत्वकांक्षा सभी दिग्गज और परने कोंग्रेसियों को पछड़ पंजाब का मुख्यमंत्री बनने की है, क्या गारंटी है की सिद्धू जो केजरीवाल और इमरान खान
(प्रधानमंत्री पाकिस्तान) के प्रेम में पगे हैं बिना पोर्टफोलियो के मुख्यमंत्री होंगे और बस ठोको ताली ही दोहराते रहेंगे?” नाम न छापने किस शर्त पर कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठ महिला नेता ने पूछा ?

कॉंग्रेस महिला सांसदों ने मार्शल्स के साथ मारपीट कर खुद को पीड़ित बताया – वीडियो हुआ वायरल, क्या सड़कों पर झूठ परोस रहे राहुल

मानसून सत्र के आखिरी दिन राज्यसभा में जो धक्का-मुक्की हुई उसको लेकर सरकार और विपक्ष में जंग छिड़ गई है। विपक्ष का आरोप है कि बाहर से मार्शल बुलाकर विपक्षी सांसदों के साथ बदसलूकी की गई है। इस दौरान महिला सांसद फूलोदेवी नेताम को महिला मार्शलों ने धक्का दिया, जिससे उन्हें चोट आई।

नयी दिल्ली(ब्यूरो) :

पूर्व कॉंग्रेस अध्यक्ष अब काफी सक्रिय होते जा रहे हैं। सड़कों से सत्ता पक्ष से प्रश्न पूछते हैं। सदन चलने नहीं देते और फिर सड़क पर आ कर प्रेसवार्ता कर ब्यान देते हाँ कि भाजपा उनके प्रश्नों के उत्तर नहीं दे रही। आज उन्होने राज्यसभा में बहरूपियों के आने और कॉंग्रेस महिला सांसदों से मार पीट करने के आरोप लगाए, और बाहर आकार प्रशंकरता पत्रकारों पर भी भड़क गए। अपनी सरकार के दिनों में जब कॉंग्रेस पर भरष्टाचार के आरोप लगाए जाते थे तब वह आरोपियों पर कार्यवाई के बदले शिकायतकर्ताओं को अदालत जाने कि सलाह देने वाली कॉंग्रेस आज न्साफ मांगने के लिए सड़कों पर है। आज इन वकीलों कि पार्टी का ओ भी नेता न पुलिस स्टेशन न ही अदालत में अपने पर हुए अत्याचार के खिलाफ नहीं गया। सीधे शब्दों में राहल द्वारा लगाए आरोप बे बुनियाद और भ्रामक हैं।

विपक्षी महिला सांसदों ने बुधवार (11 अगस्त 2021) को आरोप लगाया कि राज्यसभा में एक महिला मार्शल (सुरक्षाकर्मी) ने उनके साथ हाथापाई की और बलप्रयोग किया। हालाँकि इस दावे के विपरीत राज्यसभा की कार्यवाही से जुड़े विजुअल्स में यह पता चलता है कि कॉन्ग्रेस सांसद पी देवी नेताम और छाया ने महिला मार्शल (सफेद साड़ी में) को खींचा और उनके साथ मारपीट की।

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने भी जानकारी दी कि महिला मार्शल से हाथापाई के प्रयास हुए हैं जबकि विपक्ष लगातार इसका खंडन कर रहा है।

राज्यसभा की कार्यवाही का एक और वीडियो सामने आया है, जिसमें विपक्षी सांसदों को मार्शल्स के साथ बदतमीजी करते हुए देखा जा सकता है।

कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गाँधी और अन्य विपक्षी नेताओं ने आज (12 अगस्त 2021) प्रोटेस्ट मार्च किया और केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि उन्हें संसद में बोलने नहीं दिया जा रहा है। राहुल गाँधी ने तो यह भी आरोप लगाया कि सांसदों पर बाहरी लोगों ने हमला किया, जिन्हें केंद्र सरकार ने विपक्ष को पीटने के लिए बुलाया था।

ऑक्सिजन संबंधी सरकार के जवाब पर राहुल गांधी का ‘खेला’ हो गया

सरकार ने कहा था कि ऑक्सीजन की कमी से किसी मौत की जानकारी नहीं है। इस बयान पर सियासत गरमा गई है। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी पर निशाना साधा है। पात्रा ने कहा है कि ये राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा है कि स्वास्थ्य राज्य का मसला है और राज्यों से जो डेटा मिलता है, उसके आधार पर हम जानकारी तैयार करते हैं।

नयी दिल्ली(ब्यूरो) :

राहुल गाँधी कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष हैं। ट्वीट करते हैं। सरकार को ‘घेरते’ हैं। बस मुद्दे या तो जनता से दूर होते हैं या फिर झूठ पर आधारित होते हैं। ये बात अलग है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और मीडिया का एक बड़ा हिस्सा जेब में होने के कारण कोई उनका फैक्ट-चेक नहीं करता। उनकी ट्वीट पर ‘छेड़छाड़ वाला कंटेंट’ का लेबल नहीं लगाया जाता। अब उन्होंने ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों पर राजनीति खेली है। ऑक्सीजन की कमी से हुई हर एक मौत पर उन्हें केंद्र से आँकड़ा चाहिए, जबकि स्वास्थ्य राज्य का मुद्दा है।

राहुल गाँधी ने क्या कहा? राहुल गाँधी ने एक खबर ट्वीट की। PTI की इस खबर में लिखा था कि केंद्र सरकार ने जानकारी दी है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों को लेकर राज्यों ने अलग से कोई आँकड़ा नहीं दिया है। अब स्वास्थ्य मुख्यतः राज्य का मुद्दा है। कोरोना के आँकड़ों पर संक्रमितों की संख्या, रिकवर होने वालों की संख्या, मृतकों की संख्या – ये सब डेटा राज्य जुटा रहे थे।

राज्यों द्वारा ये आँकड़े केंद्र को भेजे जा रहे थे, जिन्हें सरकारी वेबसाइट पर अपलोड किया जाता था। इससे केंद्र सरकार को भी सहूलियत होती है कि किस राज्य में स्थिति गंभीर होने के कारण ज्यादा ध्यान देना है और किस राज्य में प्रबंधन ठीक है तो हस्तक्षेप की ज़रूरत न के बराबर है। राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार बैठक की। जहाँ स्थिति गंभीर होने की आशंका थी, उन राज्यों को चेताया भी।

‘राज्यों ने अलग से कोई आँकड़े नहीं दिए’ का अर्थ राहुल गाँधी ने क्या लगाया, अब वो देखिए। उन्होंने इसे ऐसे दिखाया जैसे केंद्र सरकार कह रही हो कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से किसी मरीज की मौत ही नहीं हुई। अब राज्यों ने बताया ही नहीं, तो केंद्र को कैसे पता चलेगा? देश के हर राज्य में स्वास्थ्य मंत्रालय है, उनका पूरा का पूरा बजट है और हर साल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय उन्हें सहयोग देता है।

केंद्र योजनाएँ बनाता है और इसके लिए वित्त की व्यवस्था करता है, लेकिन इसे धरातल पर तब तक लागू नहीं किया जा सकता, जब तक राज्य व स्थानीय प्रशासन सहयोग न करे। अब ‘आयुष्मान भारत’ जैसी योजनाओं और दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार और पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने किस तरह अड़ंगा लगाया था, ये पता होना चाहिए। योजना के वहाँ लागू न होने से जनता को ही घाटा हुआ।

ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों के सहारे अपनी राजनीति चमकाने की जुगत में लगे राहुल गाँधी को सवाल राज्यों से पूछना चाहिए कि उन्होंने ऐसा कोई आँकड़ा क्यों नहीं दिया? पंजाब, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड और तमिलनाडु – ये वो राज्य हैं, जहाँ कॉन्ग्रेस ये तो सत्ता में है या सत्ता की साझीदार है। राहुल गाँधी इन पाँचों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कहेंगे कि वो ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों का आँकड़ा केंद्र को भेजें?

वैसे मामला ये है कि राहुल गाँधी अगर कहें भी तो शायद ही कोई मानें। कुछ राज्यों की सरकारों का दावा राहुल गाँधी के दावे के विपरीत है तो कुछ राज्यों में उनके ही नेता उनकी नहीं सुनते। पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने का फैसला अब तक स्वीकार नहीं किया है। महाराष्ट्र में उनका संगठन ‘एकला चलो रे’ का राग अलाप रहा है।

महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की बात करना यहाँ विशेष रूप से आवश्यक है। इन दोनों राज्यों का कोरोना काल में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों के आँकड़े को लेकर क्या कहना है। सबसे पहले बात छत्तीसगढ़ की। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने छत्तीसगढ़ को ‘ऑक्सीजन सरप्लस राज्य’ करार देते हुए कहा कि कोविड-19 आपदा की दूसरी लहर के दौरान राज्य में ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत ही नहीं हुई।

यहाँ उन्होंने आँकड़े देने-लेने की बात नहीं की, बल्कि सीधा ऐलान किया कि हुई ही नहीं। लेकिन, राहुल गाँधी इस पर ट्वीट कर के ऐसा नहीं लिखेंग – “सिर्फ़ ऑक्सीजन की ही कमी नहीं थी। संवेदनशीलता व सत्य की भारी कमी- तब भी थी, आज भी है।” मोदी सरकार के बयान को गलत संदर्भ में पेश कर और तोड़-मरोड़ कर उन्होंने यही चीन लिखी थी। देव ने कहा कि उन्होंने दिल्ली जैसे प्रदेशों के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी के बारे में सुना, लेकिन यहाँ ऐसा नहीं था।

अब बात महाराष्ट्र की, जहाँ तीन पहियों वाली सरकार में कॉन्ग्रेस भी शामिल है। ये अलग बात है कि शिवसेना और NCP से रोज उसके कुछ न कुछ मतभेद सामने आते रहते हैं। मई के मध्य में महाराष्ट्र की सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ को स्पष्ट रूप से कहा कि ऑक्सीजन शॉर्टेज की वजह से राज्य में किसी मरीज की मौत नहीं हुई है। क्या इस पर राहुल गाँधी का कोई ‘संवेदनहीनता’ वाला ट्वीट आया?

अगर केंद्र सरकार को राज्य आज आँकड़े भेज देते हैं कि इतने मरीजों की मौत ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुई है, सरकार सदन और सुप्रीम कोर्ट को सूचित कर देगी। जो राज्य बताएँगे, सरकार उसे सार्वजनिक कर देगी। यही तो संघीय ढाँचा है, जहाँ मिलजुल कर काम होता है। ये कोई कॉन्ग्रेस का संगठन थोड़े है, जहाँ माँ और बेटा-बेटी जो यह दे, उसे ही अंतिम ब्रह्मवाक्य की तरह माना जाता है।

और ऑक्सीजन के मामले में दिल्ली सरकार को कोर्ट ने फटकारा, उसका क्या? सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुई ऑडिट से खुलासा हुआ कि दिल्ली को ऑक्सीजन की जितनी आवश्यकता थी, उससे चार गुना से अधिक बढ़ा कर दिखाया गया। इस पर तो राहुल गाँधी चुप ही रहे। जिस केंद्र सरकार ने टैंकरों की व्यवस्था से लेकर ऑक्सीजन उत्पादन में वृद्धि के लिए जी-तोड़ प्रयास किया, उसे बदनाम करने में तो एक सेकेंड भी नहीं हिचके।

ये वही बात है कि वैक्सीन पर सवाल उठाने वाले वैक्सीन क्यों नहीं दिया पूछने लगे। ठीक वैसा ही है, जब ‘भाजपा की वैक्सीन’ कहने वाले नेता उसी वैक्सीन को लेने लगें। वही नीति है, जिसका पालन कर के गंगा किनारे वर्षों से चली आ रही परंपरा को कोरोना से जोड़ कर लाशों की राजनीति की जाए। ये चीजें आगे भी जारी रहेंगी और आरोप लगाने के लिए तोड़-मरोड़ का काम होता रहेगा। राहुल गाँधी भी जमीन से दूर, जनता से दूर, बैठ कर आराम से ट्वीट करते रहेंगे।

भाजपा और कांग्रेस चाहे जितनी कोशिशें कर लें अरविंद केजरीवाल को बदनाम नहीं कर सकती: योगेश्वर शर्मा

  • योगेश्वर शर्मा ने कहा: राजनीति छोडक़र तीसरी लहर से निबटने का इंतजाम करना चाहिए
  • भाजपा और कांग्रेस देश को गुमराह करने के लिए माफी मांगे

पंचकूला,26 जून:

आम आदमी पार्टी का कहना है कि  केंद्र की भाजपा सरकार और जगह जगह चारों खाने चित्त हो रही कांग्रेस अरविंद केजरीवाल को बदनाम करने की लाख कोशिशें कर लें,सफल नहीं होंगी। पार्टी का कहना है कि दिल्ली के लोग जानते हैं कि केजरीवाल उनके लिए लड़ता है और उनकी खातिर इन मौका प्रस्त पार्टियों के नेताओं की बातें भी सुनता है। यही वजह है कि दिल्ली की जनता ने तीसरी बार भी उन्हें सत्ता सौंपी तथा भाजपा को विपक्ष में बैठने लायक और कांग्रेस को कहीं का नहीं छोड़ा। आने वाले दिनों में यही हाल इन दोनों दलों का पंजाब मेें भी होने वाला है। इसी के चलते अब दोनों दल आम आदमी पार्टी व इसके मुखिया अरविंद केजरीवाल को निशाना बना रहे हैं।  पार्टी का कहना है कि अब तो इस मामले के लिए बनाई गई कमेटी  के अहम सदस्य एवं एम्स के प्रमुख डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि अब तक फाइनल रिपोर्ट नहीं आई है। ऐसे यह कहना जल्दबाजी होगी कि दिल्ली ने दूसरी लहर के पीक के वक्त जरूरी ऑक्सीजन की मांग को चार गुना बढक़र बताया। उन्होंने कहा कि मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है, ऐसे में हमें जजमेंट का इंतजार करना चाहिए। ऐसे में अरविंद केजरीवाल को निशाना बनाने वाले भाजपा एवं कांग्रेस के नेता जनता को गुमराह के करने के लिए देश से माफी मांगे।
 आज यहां जारी एक ब्यान में आप के उत्तरी हरियाणा के सचिव योगेश्वर शर्मा ने कहा कि भाजपा और कांग्रेसी नेताओं को शर्म आनी चाहिए कि वे उस अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगा रहे हैं जो अपने लोगों के लिए दिन रात एक करके काम करता है और उसने कोरोनाकाल में भी यही किया था। उन्होंने कहा कि देश की राजधानी दिल्ली में कोविड की दूसरी लहर जब अपने चरम पर थी तो यहां ऑक्सीजन की मांग में भी बेतहाशा वृद्धि हो गई थी। चाहे सोशल मीडिया देखें या टीवी चैनल हर जगह लोग अप्रैल और मई माह में ऑक्सीजन की मांग कर रहे थे। कई अस्पताल और यहां तक कि मरीजों के तीमारदार भी ऑक्सीजन की मांग को लेकर कोर्ट जा पहुंचे थे। उन्होंने कहा है कि अरविंद केजरीवाल ठीक ही तो कह रहे हैं कि उनका गुनाह यह है कि वह दिल्ली के  2 करोड़ लोगों की सांसों के लिए लड़े और वह भी उस समय जब  भाजपा और कांग्रेस के नेता चुनावी रैली कर रहे थे। तब भाजपा के दिल्ली के सांसद अपने घरों में छिपे बैठे थे। उन्होंने कहा कि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ठीक ही तो दावा किया है कि जिस रिपोर्ट के आधार पर अरङ्क्षवद केजरीवाल को बदनाम किया जा रहा है, वह है ही नहीं। है तो उसे सार्वजनिक करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दरअसल भाजपा का आईटी सैल अरङ्क्षवद केजरीवाल के पंजाब दौरे के बाद से ही बौखलाया हुआ है, क्योंकि पंजाब में उसका आधार खत्म हो चुका है और आप पंजाब के साथ साथ अब गुजरात में भी सफलता के परचम फैला रही है। पंजाब व गुजरात में भाजपा के लोग आप का दामन थाम रहे हैं। ऐसे में उसे व कांग्रेस को आने वाले विधानसभा चुनावों में अगर किसी से खतरा है तो वह अरङ्क्षवद केजरीवाल और उनकी पार्टी आप से है। उन्होंने कहा कि ये पार्टियां और उनके नेता उन लोगों को झूठा बताकर उनका अपमान कर रहे हैं जिन लोगों ने अपनों को खोया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को देश में अपने पोस्टर लगवाने के बजाये कोविड-19 की तीसरी लहर के खतरे से निपटने की तैयारियों पर ध्यान देना चाहिए।  उन्होंने प्रधानमंत्री को सचेत किया के स्वास्थ्य विशेषज्ञ तीसरी लहर की चेतावनी दे रहे हैं, इसलिए यह आराम का वक्त नहीं है, बल्कि सरकार को अग्रिम प्रबंध करने चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा न हो कि जिस तरह केंद्र सरकार के दूसरी लहर से पहले के ढीले व्यवहार के कारण हजारों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी, वैसा ही तीसरी लहर के बाद हो। उन्होंने सरकार को वायरस के बदलते स्वरूप की तुरंत वैज्ञानिक खोज कर विशेषज्ञों की राय के अनुसार सभी इंतजाम करने को कहा। उन्होंने कहा कि अपनी नाकामियों का ठीकरा अरविंद केजरीवाल पर फोडऩे से काम नहीं चलेगा। काम करना होगा क्योंकि देश के लोग देख रहे हैं कि कौन काम कर रहा है और कौन ऐसी गंभीर स्थिति में भी सिर्फ राजनीति कर रहा है।

ऑडिट रिपोर्ट को सीसोदिया ने दी चुनौती, केजरीवाल ने झाड़ा पल्ला, 12 राज्यों में हुई हत्याओं का दोषी कौन?

दिल्ली में ऑक्सीजन के मुद्दे पर गठित सुप्रीम कोर्ट के एक पैनल ने जब अपनी रिपोर्ट पेश की तो आम आदमी पार्टी (आआपा) सरकार पूरी तरह उखड़ गई। बीजेपी की तरफ से सवाल हुआ तो डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने रिपोर्ट को ‘तथाकथित’ कहते हुए रिपोर्ट पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया। इस केस में सीएम अरविंद केजरीवाल ने यह कह कर कि वो दो करोड़ लोगों की लड़ाई लड़ रहे थे रिपोर्ट पर जवाबदेई से पल्ला झाड लिया। अब इस पूरे मामले पर सिर्फ और सिर्फ राजनीति होगी। कानून प्रावधान क्या होने चाहिए और क्या होंगे न तो इस पर चर्चा होगी न ही कोई बनती कार्यवाई। 12 राज्यों में प्राण दायिनी ऑक्सिजन की कमी से जो हत्याएँ हुईं उनको कभी भी न्याय नहीं मिलेगा।

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त किए गए ऑडिट पैनल ने अपनी रिपोर्ट दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जब पूरा देश मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए संघर्षरत था, तब अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने 4 गुणा अधिक ऑक्सीजन की माँग की थी।

इस दौरान राजनैतिक लाभ लेने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री केजरीवाल और उनके मंत्रियों ने लगातार यह कहा था कि दिल्ली को उचित मात्रा में ऑक्सीजन नहीं प्राप्त हो रही है, इसके कारण दिल्ली को आवश्यकता से अधिक ऑक्सीजन प्रदान करनी पड़ी। यह सब तब हुआ जब बाकी राज्य लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन के लिए लगातार प्रतीक्षा कर रहे थे।

ऑडिट पैनल की रिपोर्ट में PESO के द्वारा किए गए अध्ययन को शामिल किया गया है। इसमें यह बताया गया है कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड और पंजाब जैसे राज्य टैंकर और कंटेनर की कमी से जूझ रहे थे, वहीं दिल्ली के 4 कंटेनर सूरजपुर आईनॉक्स में खड़े थे। ये कंटेनर इसलिए खड़े थे, क्योंकि दिल्ली में आपूर्ति आवश्यकता से ज्यादा थी और लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन को स्टोर करने की कोई जगह नहीं थी। इस रिपोर्ट में यह स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि दिल्ली द्वारा जितनी ऑक्सीजन की माँग की जा रही थी, वास्तविक आवश्यकता उससे कहीं कम थी।

अब चूँकि दिल्ली के अस्पतालों में आवश्यकता से अधिक ऑक्सीजन उपलब्ध थी। इसलिए ऑक्सीजन निस्तारण में अधिक समय लगने लगा। इससे रिलायंस जैसे अपूर्तिकर्ताओं को भी अपने कंटेनर प्राप्त करने और उन्हें रिफिल करके भेजने में औसत से अधिक समय लग गया।

अंतरिम रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दिल्ली न तो ऑक्सीजन के वास्तविक उपयोग का ऑडिट कर रही थी, न ही इसकी वास्तविक माँग का आकलन कर रही थी। इससे केंद्र सरकार उत्तरी भारत के अन्य राज्यों को ऑक्सीजन आवंटित कर सकने में असमर्थ थी, जहाँ अस्पतालों में लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (LMO) की वास्तविक आवश्यकता थी।

ऑडिट पैनल की रिपोर्ट के अनुसार, 5 मई से 11 मई के बीच पेट्रोलियम एंड ऑक्सीजन सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन (PESO) द्वारा किए गए अध्ययन में यह भी पाया गया था कि दिल्ली के लगभग 80% प्रमुख अस्पतालों में 12 घंटे से अधिक समय तक LMO का स्टॉक था। औसत दैनिक खपत 282 मीट्रिक टन से 372 मीट्रिक टन के बीच पाई गई और दिल्ली में उस समय मांग की जा रही 700 मीट्रिक टन LMO के लिए पर्याप्त भंडारण सुविधाएँ नहीं थीं।

यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आआपा सरकार द्वारा LMO की कमी का दावा किया गया था। उसके बाद जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार को दिल्ली को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति बनाए रखने का निर्देश दिया था। वहीं, केंद्र ने विशेषज्ञों के सुझाव के आधार पर 415 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति निश्चित करने की बात कही थी।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 9 मई से केजरीवाल की आआपा सरकार पड़ोसी राज्यों में वैकल्पिक भंडारण स्थान प्राप्त करने की कोशिश कर रही थी क्योंकि उनके पास LMO के लिए भंडारण स्थान समाप्त हो गया था। दिल्ली की आआपा सरकार ने भंडारण सुविधाओं की कमी के कारण एयर लिक्विड कंपनी से आवंटित LMO (150 एमटी) की तुलना में कम मात्रा में ऑक्सीजन उठाई थी। केजरीवाल सरकार ने कंपनी से पानीपत और रुड़की में अपने संयंत्रों में उनके लिए LMO स्टोर करने के लिए भी कहा था।

इतना ही नहीं, दिल्ली की आआपा सरकार के कारण ओडिशा में लिंडे और JSW झारसुगुड़ा जैसे संयंत्रों को अपने टैंकर होल्ड करने और अन्य राज्यों को आपूर्ति में देरी करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। दरअसल, दिल्ली में आआपा सरकार ने उपलब्ध और आवंटित ऑक्सीजन टैंकरों का उपयोग ही नहीं किया अथवा अस्पतालों में स्टोरेज की अनुपस्थिति के कारण टैंकर वापस कर दिए गए। गोयल गैसेस ने सूचित किया था कि दिल्ली के अस्पतालों के पास आवश्यक ऑक्सीजन उपलब्ध है और उनके पास कोई अतिरिक्त भंडारण सुविधा उपलब्ध नहीं है इसलिए उनके टैंकर लंबे समय तक इंतजार करते रहे जिसके परिणामस्वरूप अन्य राज्यों को ऑक्सीजन आपूर्ति में कमी हो गई।

दिल्ली में केजरीवाल की आआपा सरकार ने केंद्र सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए बड़े पैमाने पर हंगामा किया और दिल्ली की ऑक्सीजन को रोके रखने के लिए अन्य राज्यों को भी जिम्मेदार ठहराया था। केजरीवाल ने तो प्रोटोकॉल को भी तोड़ा और पीएम मोदी के साथ मुख्यमंत्रियों की गोपनीय बैठक के वीडियो फुटेज को टीवी पर दिखा दिया। मीटिंग में उन्हें यह कहते हुए देखा गया कि दिल्ली को ऑक्सीजन की बहुत अधिक जरूरत है। दिल्ली सरकार का राजनैतिक और मीडिया का ड्रामा इतना अधिक हो गया था कि अंततः सुप्रीम कोर्ट को इसमें दखल देना पड़ा।

अब प्रश्न यह हा कि तब दिल्ली ऑक्सिजन की कमी का स्वत: संगयान लेने वाले न्यायालय अब आआपा की इस रिपोर्ट पर या कार्यवाई कराते हैं या फिर अब शास्त्र मौन हैं

काँग्रेस की कथित ‘टूलकिट’ मामला पहुंचा सर्वोच्च न्यायालय

सोशल मीडिया पर मंगलवार (18 मई 2021) को एक दस्तावेज जम कर शेयर किया गया जिसके बारे में यह दावा किया गया कि ये ‘कॉन्ग्रेस का टूलकिट’ है। इसमें कुम्भ मेला को बदनाम करने, ईद का महिमामंडन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि धूमिल करने और जलती चिताओं व लाशों की तस्वीरें शेयर कर भारत को बदनाम करने का खाका था। अब कॉन्ग्रेस नेता राजीव गौड़ा ने स्वीकार किया कि टूलकिट के लीक हुए दो डॉक्यूमेंट्स में से एक ऑल इंडिया कॉन्ग्रेस कमेटी (AICC) के शोध विभाग द्वारा तैयार किया गया है।

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

कांग्रेस की ओर से कथित रूप से जारी किए गए ‘टूलकिट’ का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। याचिकाकर्ता वकील शशांक शेखर झा ने ‘टूलकिट’ के मामले की जांच कराने की मांग की है। दूसरी ओर, बीजेपी ने ‘टूलकिट’ को लेकर बुधवार को एक बार फिर कांग्रेस पर हमला बोला और दावा किया कि कांग्रेस सांसद के दफ़्तर में काम करने वाली सौम्या वर्मा ने ही इसे बनाया है। 

बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने ट्वीट कर कहा है कि कांग्रेस ने पूछा था कि इस टूलकिट को बनाने वाला कौन है। पात्रा ने दावा किया है कि सौम्या वर्मा कांग्रेस सांसद एमवी राजीव गौड़ा के दफ़्तर में काम करती हैं। उन्होंने पूछा है कि क्या राहुल और सोनिया गांधी इस बात का जवाब देंगे कि सौम्या वर्मा कौन हैं। पात्रा ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा था कि कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ताओं से कहा है कि वे कोरोना के नए वैरिएंट को ‘मोदी स्ट्रेन’ या ‘इंडिया स्ट्रेन’ कह कर प्रचारित करें। 

कॉन्ग्रेस के कथित टूलकिट मामले के खिलाफ देश के शीर्ष अदालत में याचिका दायर की गई है। मामले को सरकार के खिलाफ लोगों को भड़काने और दुनिया में भारत की छवि बिगाड़ने का साजिश बताया गया है। याचिकाकर्ता वकील शशांक शेखर झा ने अंतरराष्ट्रीय साजिश का पता लगाने के लिए राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) से जाँच और दोष साबित होने पर कॉन्ग्रेस की मान्यता रद्द करने की माँग की है।

झा ने अपनी जनहित याचिका में निर्दिष्ट किया कि धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), आईपीसी की कई धाराओं और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की धारा 13 के तहत किसी भी अपराध का खुलासा करने के लिए मामले की जाँच की जानी चाहिए।

याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार को निर्देश जारी होना चाहिए कि वह गाइडलाइंस बनाए कि कोई भी पार्टी, ग्रुप कोई भी ऐसा पोस्टर और बैनर नहीं लगाएगा जिसमें एंटी नेशनल सामग्री हो। साथ ही कोरोना से मरे लोगों के अंतिम संस्कार और शव न दिखाए जाएँ। साथ ही केंद्र सरकार को कोविड-19 महामारी के दौरान आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी के बारे में निर्देश जारी किया जाए।

याचिकाकर्ता ने कहा कि केंद्र सरकार मामले की जाँच कराए और जाँच में अगर कॉन्ग्रेस जिम्मेदार पाया जाता है और लोगों के जीवन को खतरे में डालता पाया गया और एंटी नेशनल हरकत करता पाया जाता है तो उसका रजिस्ट्रेशन रद्द हो। 

हालाँकि कॉन्ग्रेस ने ‘टूलकिट दस्तावेज़’ के निर्माण से स्पष्ट रूप से इनकार किया है, रिपोर्टों से पता चलता है कि लेखक वास्तव में एआईसीसी की सदस्य है। बता दें कि सौम्या वर्मा का नाम दस्तावेज़ के निर्माता के रूप में उभरा है। अब सौम्या ने लिंक्डइन सहित अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स को डिलीट कर लिया है।

AICC के चेयरमैन राजीव गौड़ा ने स्वीकार किया कि टूलकिट के लीक हुए दो डॉक्यूमेंट्स में से एक ऑल इंडिया कॉन्ग्रेस कमेटी (AICC) के शोध विभाग द्वारा तैयार किया गया है। कॉन्ग्रेस नेता राजीव गौड़ा ने ट्वीट करके यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि AICC ने ही सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर एक शोध पत्र तैयार किया। हालाँकि, गौड़ा ने कहा कि टूलकिट भाजपा द्वारा बनाया गया है। उन्होंने यह भी दावा किया कि भाजपा ओरिजिनल डॉक्यूमेंट के लेखक का डाटा दिखा रही है और उसे फेक डॉक्यूमेंट से जोड़ रही है।

डेमोक्रेटिकफ्रंट॰कॉम दस्तावेजों की प्रामाणिकता पर टिप्पणी नहीं कर सकता है, वास्तव में लीक हुए मोदी विरोधी टूलकिट और सेंट्रल विस्टा ‘रिसर्च’ दस्तावेज़ दोनों के बीच समानताएँ हैं।