रीवा सोलंकी जडेजा बनीं करनी सेना की गुजरात महिला मोर्चा की प्रमुख


करणी सेना ने जडेजा की पत्नी को गुजरात महिला मोर्चा का प्रमुख बनाया है और जडेजा खुद राजपूत हैं


भारतीय क्रिकेट टीम के ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा की पत्‍नी रीवा सोलंकी करणी सेना में शामिल हो गई हैं. सेना ने उन्हें गुजरात महिला मोर्चा का प्रमुख बनाया है. रीवा को यह जिम्‍मेदारी देने की घोषणा महिपाल सिंह मकराणा ने की है, जो कि करणी सेना के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष हैं.

करणी सेना राजस्‍थान के राजपूतों का एक संगठन है, जिसके संस्‍थापक/सरंक्षक लोकेंद्र सिंह कालवी हैं. यह (करणी सेना) पिछले साल पद्मावत फिल्‍म के विरोध की वजह से सुर्खियों में आई थी और तब से इसका उबार जारी है.

टीम इंडिया के क्रिकेटर रवींद्र जडेजा भी राजपूत हैं और उनका विवाह अप्रैल 2016 में पेशे से मकैनिकल इंजीनियर रीवा सोलंकी से हुआ, जो कि राजकोट के राजपूत परिवार से संबंध रखती हैं. जबकि रीवा के पिता वहां के रसूखदार बिजनेसमैन हैं.

हालांकि कुछ महीने पहले रीवा राजकोट में पुलिसकर्मी के साथ झगड़े को लेकर सुर्खियों में थीं. खबरों के मुताबिक रीवा की बीएमडब्‍ल्‍यू कार पुलिस वाले से टकरा गई थी और इसके बाद उसने रीवा से हाथा पाई कर दी थी. हालांकि मामला हाई-प्रोफाइल होने के कराण गुजरात पुलिस ने पुलिसकर्मी को तुरंत गिरफ्तार करके मामले की जांच शुरू कर दी थी.

6 दिसम्बर से भव्य राम मंदिर का निर्माण आरंभ होगा: वेदांती

राम जन्मभूमि न्यास समिति के वरिष्ठ सदस्य और पूर्व सांसद रामविलास वेदांती ने शुक्रवार को दावा किया कि अयोध्या मे विवादित भूमि पर इसी साल छह दिसम्बर से भव्य राममंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के राममंदिर निर्माण के लिए कानून बनाने जाने की पहल का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि पांच अक्टूबर को साधु संतों के ऐलान के बाद आरएसएस प्रमुख का बयान स्वागत योग्य है। कभी दो सीटों वाली भारतीय जनता पार्टी आज देश की सबसे अधिक सांसदों वाली पार्टी तो है ही, साथ ही दुनिया मे सबसे लोकप्रिय पार्टी होने का तमगा भाजपा के पास ही है। देश मे आज 20 राज्यों में भाजपा की सरकार है।

शिवसेना प्रमुख उद्वव ठाकरे के नंबवर मे अयोध्या मे राममंदिर निर्माण की दिशा में शिलान्यास करने के ऐलान पर वेदांती ने कहा कि भाजपा के अलावा कोई भी दल राममंदिर का निर्माण करने का पक्षधर नहीं है।

उन्होंने कहा कि देश का मुसलमान चाहता है कि अयोध्या में भव्य रामलला इन मंदिर बने। सुन्नी वक्फ बोर्ड के लोग चाहते हैं, शिया वक्फ बोर्ड के लोग चाहते हैं, केवल 20 प्रतिशत लोग नहीं चाहते और वह ऐसे लोग हैं जो पाकिस्तान से सम्मानित किए जाते हैं। पाकिस्तान की मंशा है कि भारत का हिंदू और मुसलमान आपस में इसी तरह से लड़ता और भिडता रहे।

फैजाबाद के पूर्व सांसद ने कहा कि भारत के हिंदू और मुसलमानों को आपस में लडाने के लिए पाकिस्तान पैसा भेजता है। अरबों डालर रुपया भारत में इसी बाबत भेजा जाता है ताकि देश का मुसलमान और हिंदू आपस में लड़ते रहे।

उन्होंने कहा कि 2018 के आखिर मे अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण का शुभारंभ किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के रहते श्रीराम मंदिर का निर्माण नहीं होगा तो फिर कब होगा।

आज देश मे प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, देश के 20 राज्यों में भाजपा की सरकार होना इस बात का सबूत है कि हर कोई राममंदिर निर्माण मे अपनी अपनी हिस्सेदारी रखना चाहता है। हमारे पक्ष ने साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए धार्मिक ग्रंथों तथा पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट प्रस्तुत की तो वाल्मीकि रामायण के अनुरूप मंदिर माना।

वेदांती ने बाबर के वंशज प्रिंस के दावे को खारिज करते हुए कहा कि प्रिंस झूठ बोलते हैं। उन्होंने जमीन का मालिकाना हक पर सवाल उठाते हुए कहा कि अयोध्या की जमीन सरकारी दस्तावेज में दशरथ के नाम पर दर्ज हुआ करती थी जो आज राजाराम के नाम पर दर्ज है। इस बात का सबूत अदालत मे प्रस्तुत किए जा चुके हैं।

अब हिन्दू कांग्रेस्सियों ने बढ़ाया आज़ाद का दर्द


अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के संस्थापक सर सैयद अहमद खान की जयंती के अवसर पर लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए आजाद ने कहा, अब हिंदू उन्हें प्रचार के लिए नहीं बुलाते

आज़ाद शायद हिन्दू कांग्रेसी बोलना चाहते थे, क्योंकि भाजपा, शिवसेना, बसपा, आआपा, या दक्षिण भारतीय राजनैतिक दलों के हिन्दू तो उन्हे बुलाएँगे ही क्यूँ कर। 

दूसरे आज़ाद का मुस्लिम यूनिवरसिटि में दिया यह बयान उनकी धार्मिक संलिप्तता को भी दर्शाता है.


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के एक बयान पर विवाद खड़ा हो गया है. आजाद ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि अब उन्हें हिंदू भाई प्रचार के लिए नहीं बुलाते. पहले उन्हें चुनाव प्रचार करने का खूब निमंत्रण मिलता था. उन्होंने कहा, ऐसा इसलिए हो रहा है कि उनके मन में डर बैठ गया है कि मेरे आने से हिंदू वोट कट जाएंगे.

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के संस्थापक सर सैयद अहमद खान की जयंती के अवसर पर लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए आजाद ने कहा कि अब वक्त बदल गया है. लोग बंट रहे हैं, परिवार आपस में बंट रहे हैं. उन्होंने कहा कि मैंने पाया है कि बीते चार सालों में अपने कार्यक्रमों में बुलाने वाले 95 प्रतिशत हिंदू भाई और नेता अब घटकर मात्र 20 फीसदी ही रह गए हैं.

आजाद ने कहा, जब युवा कांग्रेस में थे तब से ही अंडमान-निकोबार से लेकर लक्षद्वीप तक, देशभर के कोने में प्रचार के लिए जाते थे. तब उन्हें अपने कार्यक्रम में बुलाने वाले 95 फीसदी हिंदू भाई हुआ करते थे जबकि मुसलमानों की संख्या सिर्फ 5 फीसदी ही रहती थी. अपने बयान के जरिए उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के समय में हिंदू-मुसलमानों के बीच दूरियां बढ़ी हैं और माहौल खराब हुआ है.

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के बयान पर बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि यह हिंदुओं को कम कर आंकने की कांग्रेस की साजिश है. कांग्रेस के बुरे दिन आ गए हैं, उन्हें अब कोई नहीं बुला रहा है.

फ़ैज़ाबाद = श्री अयोध्या जी ??


विश्व हिंदू परिषद और राम जन्मभूमि न्यास फैजाबाद जिले और अयोध्या जिले को मिलाकर उसको ‘श्री अयोध्या’ का नया नाम देने की मांग उठा रहे हैं


इलाहाबाद का नाम बदलने के बाद जल्द ही उत्तर प्रदेश के कुछ और शहरों का भी नाम बदला जा सकता है. इस कड़ी में अगला नंबर फैजाबाद का हो सकता है. विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और राम जन्मभूमि न्यास फैजाबाद और अयोध्या को मिलाकर उसको ‘श्री अयोध्या’ का नया नाम देने की मांग कर रहे हैं.

वीएचपी के प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा, योगी आदित्यनाथ सरकार का इलाहाबाद शहर का नाम बदलकर प्रयागराज करने का फैसला स्वागतयोग्य है. सरकार को जनभावनाओं का ख्याल रखना चाहिए और फैजाबाद का भी नाम बदलकर श्री अयोध्या रख देना चाहिए.’

उन्होंने कहा कि योगी सरकार, जिसने पिछले साल अयोध्या फैजाबाद नगर निगम का गठन किया था, उसे यहां के साधु-संतों की मांग का ख्याल रखते हुए आने वाली दीवाली के ‘दीपोत्सव’ उत्सव के दौरान शहर का नाम बदल देना चाहिए.

वीएचपी के सेंट्रल एडवायजरी बोर्ड के सदस्य पुरुषोत्तम सिंह ने भी ऐसी ही इच्छी जताई. उन्होंने कहा, ‘जब इलाहाबाद का नाम प्रयागराज बदल सकता है तो फिर फैजाबाद को अयोध्या क्यों नहीं हो सकता? फैजाबाद जिले और अयोध्या जिले को मिला देना चाहिए और उसका नया नाम अयोध्या कर देना चाहिए’

योगी सरकार के मंत्रिमंडल ने मंगलवार को सर्वसम्मति से इलाहाबाद का नाम बदलकर उसे प्रयागराज कर दिया. डेढ़ वर्ष पूर्व सत्ता में आने के बाद से सरकार ने यह तीसरा बड़ा नाम बदला है.

बीजेपी सरकार ने इससे पहले दो रेलवे स्टेशनों का नाम बदला था- पहला आगरा के पास फराह और दूसरा मुगलसराय जंक्शन. मुगलसराय जंक्शन का नाम पार्टी के संस्थापकों में से एक दीन दयाल उपाध्याय के नाम पर रखा गया है.

अकबर के बहाने # me too साधने में लगी कांग्रेस


सूत्रों की मानें तो यह आरोप ओर इस्तीफा मात्र चुनावी स्टंट है।

कांग्रेस द्वारा  एनएसयूआई के मुखिया से इस्तीफा लेकर बीजेपी को आइना दिखाने की कोशिश की है. आने वाले पांच राज्यों के चुनाव में यह मुद्दा कांग्रेस के खिलाफ जा सकता है. इसलिए पार्टी ने सोच-समझकर यह कदम उठाया है 


 

पूरे देश में #MeToo का असर साफ दिखाई दे रहा है. केंद्रीय राज्य मंत्री एमजे अकबर को हटाने के लिए प्रधानमंत्री पर दबाव है. कांग्रेस भी मोदी सरकार पर दबाव बना रही है. कांग्रेस ने अपने घर को दुरूस्त करने के लिए एनएसयूआई के मुखिया फिरोज खान को पद से हटा दिया है. माना जा रहा है कि राहुल गांधी से इशारा मिलने के बाद इस तरह की कार्रवाई की गई है.

क्या था आरोप?

एनएसयूआई के मुखिया फिरोज खान के खिलाफ छत्तीसगढ़ की कार्यकर्ता ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. पीड़िता ने बीते जून में इसकी शिकायत की थी. बाद में पीड़िता ने राहुल गांधी से मिलकर अपनी बात कही थी. पीड़िता ने फिरोज खान पर अपनी बहन और कुछ और महिलाओं के उत्पीड़न का आरोप लगाया है.

फिरोज खान पर लगे आरोपों की जांच कांग्रेस की तरफ से की जा रही थी. इस बीच यह मामला थाने में पहुंच गया है. संसद मार्ग थाने में पीड़िता ने शिकायत दर्ज कराई थी. हालांकि फिरोज खान खुद को बेगुनाह बता रहे हैं. फिरोज का कहना है कि पार्टी हित में उन्होंने इस्तीफा दिया है. फिरोज खान की तरफ से कहा जा रहा है कि अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ते रहेंगे.

कांग्रेस की जांच

यह मामला सामने आने के बाद राहुल गांधी की तरफ से जांच कमेटी गठित की गई थी. पूरे मामले की जांच महिला कांग्रेस की मुखिया सुष्मिता देब कर रही थीं. इस कमेटी में दीपेंद्र हुड्डा और रागिनी नायक सदस्य हैं. बताया जा रहा है कि पिछले हफ्ते यह रिपोर्ट राहुल गांधी को सौंप दी गई थी. जिसके बाद यह एक्शन लिया गया है. इस रिपोर्ट में भी फिरोज खान को क्लीन चिट नहीं दी गई है. माना जा रहा है कि पीड़िता अपने आरोप पर कायम है. यह कथित उत्पीड़न का मामला बेंगलुरु के होटल का बताया जा रहा है. उस समय वहां एनएसयूआई का कोई कार्यक्रम चल रहा था.

महिला कार्यकर्ता के शोषण के आरोपों में घिरे फिरोज खान ने एनएसयूआई के अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा दे दिया है जिसे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने स्वीकर कर लिया

कांग्रेस पर सवाल

कांग्रेस इस पूरे मामले को लेकर सवालों के घेरे में थी. #MeToo को लेकर राहुल गांधी ने काफी तीखा बयान दिया है. इस अभियान का समर्थन किया है. जिसके बाद यह सवाल उठ रहा था कि कांग्रेस इन शिकायतों पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है? कांग्रेस के लिए जवाब देना मुश्किल हो रहा था. पार्टी ने मौके की नजाकत को समझा और यह एक्शन लिया है. कांग्रेस में यह पहला वाकया नहीं है जियमें यौन उत्पीड़न का आरोप लग रहा है. कांग्रेस के वॉर रूम में सोशल मीडिया हेड पर भी उत्पीड़न का आरोप लगा है. जिसकी जांच के लिए एक कमेटी गठित की गई है. पीड़िता सोशल मीडिया टीम में काम कर रही थी.

वॉर रूम की घटना

कांग्रेस के वॉर रूम में भी इस तरह की घटना सामने आई है. जिसमें एक लड़की ने सोशल मीडिया हेड चिराग पटनायक पर यौन दुर्रव्यवहार का आरोप लगाया है. इस मामले में पीड़िता का आरोप था कि मार्च से मई के बीच उसको बेवजह परेशान किया गया था. जिसकी पुलिस में शिकायत जुलाई में दर्ज कराई गई थी. पुलिस ने इस पूरे मामले में कोर्ट में चार्जशीट दायर कर दी है.

हालांकि कांग्रेस ने रूचिरा चतुर्वेदी की अगुवाई में एक कमेटी का गठन किया है. जिसकी रिपोर्ट आनी बाकी है. इस कमेटी को लेकर पीड़िता से संपर्क किया गया तो उसने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.

इस कमेटी को लेकर सवाल जरूर खड़ा किया जा रहा है. रूचिरा चतुर्वेदी सोशल मीडिया टीम की सर्वेसर्वा दिव्या स्पंदना के अधीन काम करती हैं. ऐसे में न्यूट्रल रिपोर्ट की उम्मीद बेमानी है. हालांकि इस टीम में एक बाहरी सदस्य हैं. लेकिन इस टीम की जांच अभी तक पूरी नहीं हुई है. जिससे पूरी जांच सवालों के घेरे में है. जबकि पुलिस की तरफ से जांच पूरी कर ली गई है. चिराग पटनायक के खिलाफ जिस एक्शन की दरकार थी वो नहीं हुई है.

भारत में #MeToo कैंपेन के जोर पकड़ने के बाद से कई महिलाओं ने सामने आकर पूर्व में अपने साथ हुए उत्पीड़न की घटनाएं बयां की है

कांग्रेस का बीजेपी पर हमला

कांग्रेस की तरफ से बीजेपी पर हमला तेज हो गया है. बीजेपी बैकफुट पर है. एमजे अकबर को ना हटाना सरकार के लिए मुश्किल पैदा कर रहा है. सरकार पर चारों तरफ से हमला हो रहा है. जिस तरह से प्रिया रमानी पर अपराधिक मानहानि का मुकदमा किया गया है. उससे यह आरोप लगाया जा रहा है कि पीड़िता प्रिया रमानी की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है.

कांग्रेस ने एनएसयूआई के मुखिया से इस्तीफा लेकर बीजेपी को आइना दिखाने की कोशिश की है. कांग्रेस ने मोरल हाई ग्राउंड लेने के लिए फिरोज खान का इस्तीफा लिया है. आने वाले 5 राज्यों के चुनाव में यह मुद्दा कांग्रेस के खिलाफ जा सकता है. इसलिए पार्टी ने गनीमत समझी है. दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के चुनाव में यह मुद्दा उठाया गया था. जिसका असर भी हुआ और एबीवीपी को चुनाव में कामयाबी मिल गई.

बीजेपी पर दबाव

कांग्रेस के इस कदम से बीजेपी पर दबाव बढ़ गया है.बीजेपी ने एक दर्जन से ज्यादा महिलाओं के सामने आने के बाद भी विदेश राज्य मंत्री पर कोई कार्यवाई नहीं की है.एम जे अकबर सरकार में मंत्री बने हुए हैं.जबकि पहले ऐसा लग रहा था कि पार्टी एम जे का बचाव नहीं करेगी,लेकिन बीजेपी ने बाद में मन बदल लिया है.कांग्रेस ज़ोर शोर से इस मुद्दे को उठा रही है.बीजेपी पर महिला सशक्तीकरण को लेकर सवाल उठ रहा है.

#MeToo में कई नाम

#MeToo अभियान से कई सफेदपोशों की कलई खुल रही है. अब तक कई लोग शर्मसार हो चुके हैं. मीडिया जगत के कई लोगों को अपने पद से हटना पड़ा है. नाना पाटेकर, आलोक नाथ जैसे अभिनेताओं की ‘डर्टी पिक्चर’ सबके सामने है. बॉलीवुड की कई अनकही कहानी लोगों की जुबान पर है. साजिद खान जैसे कई नाम लोगों के भी नाम सामने आए हैं.

जाने-माने लेखक चेतन भगत भी इसकी चपेट में आ गए हैं. राजनीति भी इससे अछूती नहीं है अभी कुछ महिलाएं हिम्मत करके सामने आई हैं. यह #MeToo  का असर है आगे कई प्रभावशाली लोगों की करतूत सामने आ सकती है.

तकरीबन 450 साल बाद संगम को मिला पुराना नाम “प्रयाग”


कांग्रेस के इतिहास में इलाहाबाद का बहुत महत्व है इलाहाबाद का नाम बदले जाने के कारण ओर कांग्रेस के कुछ भी न कर पाने के कारण उनका मुस्लिम वोट बैंक ओर छिटकता नज़र आता है

अखिलेश यादव भी आज कल हिन्दू कहलाने में शर्म नहीं महसूस करते, अपने कार्यकाल में तो उन्हें भवनों ओर दूसरी बातों से मुक्ति न मिली अन्यथा इलाहाबाद आज “प्रयाग कुम्भ” होता, आज उन्हे भाजपा द्वारा इल्लाहबाद को पुन: “प्रयाग” कहलवाने में परम्पराओं का ह्रास दीख पड़ता है, परंतु किसकी परम्पराएँ???


इलाहाबाद शहर एक बार फिर सुर्खियों में है। इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया गया है। यानी लगभग 450 साल बाद यह शहर एक बार फिर से अपने पुराने नाम यानी प्रयागराज के नाम से जाना जाएगा।

गौर हो कि 15वीं शताब्दी में इस पौराणिक भूमि पर मुगलों ने कब्जा कर लिया और इसका नाम प्रयागराज से बदलकर अलाहाबाद कर दिया। अलाहाबाद इलाह+आबाद को मिलाकर बनता है जो एक फारसी शब्द है। इलाह का मतलब अल्लाह और आबाद का मतलब बसाया हुआ यानी अल्लाह का बसाया हुआ शहर। मुगल सम्राट अकबर के अलाहाबाद करने से पहले इसका नाम प्रयागराज ही था। बोलचाल की प्रचलन के मुताबिक अलाहाबाद ,इलाहाबाद और एलाहाबाद के नाम से भी पुकारा जाने लगा।

 

कांग्रेस के इतिहास में इलाहाबाद का बहुत महत्व है,कांग्रेस के ओंकार सिंह ने बताया कि आजादी की लड़ाई के दौरान इलाहाबाद प्रेरणा का एक मुख्य केंद्र रहा था. उन्होंने कहा कि 1888, 1892 और 1910 में कांग्रेस महाधिवेशन यहीं हुआ था. इसी शहर से देश को अपना पहला प्रधानमंत्री मिला. इसके अलावा अगर इलाहाबाद का नाम बदला गया तो इलाहाबाद यूनिवर्सिटी अपनी पहचान खो देगी. इलाहाबाद का नाम बदले जाने के कारण ओर कांग्रेस के कुछ भी न कर पाने के कारण उनका मुस्लिम वोट बैंक ओर छिटकता नज़र आता है

संगम नगरी इलाहाबाद का नाम बदलकर ‘प्रयागराज‘ किए जाने की तैयारियों के बीच समाजवादी पार्टी अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसे परंपरा और आस्था के साथ खिलवाड़ करार दिया. सोमवार को अखिलेश ने ट्वीट करते हुए कहा कि प्रयाग कुंभ का नाम केवल प्रयागराज किया जाना और अर्द्धकुंभ का नाम बदलकर ‘कुंभ‘ किया जाना परंपरा और आस्था के साथ खिलवाड़ है.

देश के धार्मिक, शैक्षिक और राजनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण शहर इलाहाबाद को अब प्रयागराज के नाम से जाना जाएगा, लेकिन क्या आपको पता है कि इस शहर का नाम कैसे और क्यों बदला गया? दरअसल ऐतिहासिक और पौराणिक दोनों ही रूप से प्रयागराज समृद्ध है। इस जिले को ब्रह्मा की यज्ञस्थली के रूप में जाना जाता है। यहां आर्यों ने भी अपनी बस्तियां बसाई थीं। आंकड़ों के मुताबिक 160 साल बाद जिले का नाम इलाहाबाद से प्रयागराज हो रहा है।

जानिए प्रयाग से इलाहाबाद और फिर प्रयागराज तक का सफर-

1- पुराणों में कहा गया है, ”प्रयागस्य पवेशाद्वै पापं नश्यति: तत्क्षणात्।” अर्थात् प्रयाग में प्रवेश मात्र से ही समस्त पाप कर्म का नाश हो जाता है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने इसकी रचना से बाद प्रयाग में पहला यज्ञ किया था। इसी प्रथम यज्ञ के प्र और याग यानी यज्ञ से मिलकर प्रयाग बना।
2- कुछ मान्यताओं के मुताबिक ब्रह्मा ने संसार की रचना के बाद पहला बलिदान यहीं दिया था, इस कारण इसका नाम प्रयाग पड़ा। संस्कृत में प्रयाग का एक मतलब ‘बलिदान की जगह’ भी है। इसके अलावा प्रयाग ऋषि भारद्वाज, ऋषि दुर्वासा और ऋषि पन्ना की ज्ञानस्थली भी है।
3- 1575 में संगम के सामरिक महत्व से प्रभावित होकर सम्राट अकबर ने इलाहाबास के नाम से शहर की स्थापना की जिसका अर्थ है- अल्लाह का शहर। उन्होंने यहां इलाहाबाद किले का निर्माण कराया, जिसे उनका सबसे बड़ा किला माना जाता है।
4- इसके बाद 1858 में अंग्रेजों के शासन के दौरान शहर का नाम इलाहाबाद रखा गया तथा इसे आगरा-अवध संयुक्त प्रांत की राजधानी बना दिया गया।
5- आजादी की लड़ाई का केंद्र इलाहाबाद ही था। वर्धन साम्राज्य के राजा हर्षवर्धन के राज में 644 CE में भारत आए चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने अपने यात्रा विवरण में पो-लो-ये-किया नाम के शहर का जिक्र किया है, जिसे इलाहाबाद माना जाता है।
6- उन्होंने दो नदियों के संगम वाले शहर में राजा शिलादित्य (राजा हर्ष) द्वारा कराए एक स्नान का जिक्र किया है, जिसे प्रयाग के कुंभ मेले का सबसे पुराना और ऐतिहासिक दस्तावेज माना जाता है।
7-वैसे थो इलाहाबाद नाम मुगल शासक अकबर की देन है लेकिन इसे फिर से प्रयागराज बनाने की मांग समय-समय पर होती रही है।
8- महामना मदनमोहन मालवीय ने अंग्रेजी शासनकाल में सबसे पहले यह आवाज उठाई और फिर अनेक संस्थानों ने समय-समय पर मांग दोहराई।
9- मालवीय ने इलाहाबाद का नाम बदलने की मुहिम भी छेड़ी थी। 1996 के बाद इलाहाबाद का नाम बदलने की मुहिम फिर से शुरू हुई। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेद्र गिरी भी नाम बदलने की मुहिम में आगे बताया।
10- आजादी के बाद पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के समक्ष भी नाम इलाहाबाद का नाम बदलने की मांग की गई। वर्तमान में साधू संतों ने सरकार के सामने प्रस्ताव दिया था।

जातों और किसानों को जोड़े रखने कि कवायद, सर छोटू राम कि प्रतिमा


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोहतक के सांपला में सर छोटूराम की 64 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण करने के बाद एक बड़ी रैली को संबोधित किया.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोहतक के सांपला में सर छोटूराम की 64 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण करने के बाद एक बड़ी रैली को संबोधित किया. जाटलैंड में सर छोटूराम को यादकर मोदी ने नाराज जाटों को अपने साथ जोड़ने की पूरी कोशिश की. छोटूराम जाटों के अलावा किसानों के भी मसीहा थे. मोदी अपनी रैली के दौरान सर छोटूराम की तारीफ करते दिखे. उन्हें हरियाणा के बाहर भी याद करने और उनके बताए रास्ते पर चलने की जरूरत बताई.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांपला की रैली में ‘दीनबंधु’ सर छोटूराम को किसानों का मसीहा बताते हुए सरकार की तरफ से किसानों के लिए किए गए कामों को एक-एक कर गिनाया. फसल के एमएसपी में की गई बढ़ोतरी से लेकर फसल बीमा योजना और सॉयल हेल्थ कार्ड तक का जिक्र कर मोदी ने किसानों को लुभाने की पूरी कोशिश की. मोदी का सांपला जाना और वहां सर छोटूराम की प्रतिमा का अनावरण करना आने वाले दिनों में बीजेपी की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है

हालांकि, सर छोटूराम की प्रतिमा करीब 9 महीने पहले ही बनकर तैयार हो गई थी. लेकिन, अबतक इसका अनावरण नहीं हो रहा था. उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 1 नवंबर को हरियाणा के करनाल में खट्टर सरकार के चार साल पूरा होने के मौके पर कार्यक्रम में आने की चर्चा थी. लेकिन, उसके पहले 9 अक्टूबर को ही मोदी ने ‘जाटलैंड’ गढ़ सांपला पहुंचकर जाटों और किसानों को लुभाने के लिए सर छोटूराम की प्रतिमा का अनावरण कर दिया.

पिछले 9 महीने से छोटूराम की प्रतिमा का अनावरण नहीं करने को लेकर आईएनएलडी ने बीजेपी को निशाने पर लिया था. माना जा रहा है कि इस राजनीति के चलते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हरियाणा का दौरा वक्त से पहले करना पड़ा.

हालांकि, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मोदी की यात्रा समय से पहले कराने पर कहा कि मूर्ति का अनावरण कोई मुद्दा नहीं था. खट्टर ने कहा, ‘नवंबर में तीन राज्यों के चुनाव होने हैं, बाद में प्रधानमंत्री मोदी को वक्त नहीं मिलेगा. इसलिए वह 9 अक्टूबर को आएंगे. अगर वह 1 नवंबर को भी आ सके तो वह खुश होंगे. हालांकि इस दिन बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपस्थित रहेंगे.’

चौधरी वीरेंद्र सिंह का विरासत पर दावा

गौरतलब है कि सर छोटूराम की विरासत को लेकर आईएनएलडी की तरफ से ओमप्रकाश चौटाला ने भी दावा किया था. दूसरी तरफ 2014 में कांग्रेस से बीजेपी में आए जाट नेता और केंद्रीय मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह ने भी अपने आपको उनका राजनीतिक वारिस घोषित किया है. चौधरी वीरेंद्र सिंह सर छोटूराम के पोते हैं. ऐसे में लड़ाई छोटूराम के बहाने जाटों को साधने की हो रही है.

चौधरी वीरेंद्र सिंह ने ही 2004 में उनकी याद में स्मारक बनाने का सुझाव दिया था. 2005 में आईएनएलडी सुप्रीमो ओम प्रकाश चोटाला ने गढ़ सांपला में एक विशाल रैली का आयोजन कर सर छोटूराम को एक कमरे का म्यूजियम समर्पित किया था. इस म्यूजियम में उनकी किताबें, कपड़े और इस्तेमाल किए जाने वाले दूसर सामान भी रखे गए थे.

लेकिन, चौधरी वीरेंद्र सिंह ने खुद को उनका राजनीतिक वारिस घोषित करते हुए गढ़ सांपला में उनकी ऊंची मूर्ति स्थापित करने की घोषणा 2016 में कर दी थी. इसके बाद ही 64 फीट ऊंची लोहे की प्रतिमा बनाई गई है जिसका अनावरण प्रधानमंत्री ने किया है. हालाकि, चौटाला द्वारा बनवाई गई छोटी मूर्ति को सांपला के सरकारी कॉलेज में शिफ्ट करा दिया गया है, क्योंकि बीजेपी इसमें चौटाला और उनकी पार्टी को कोई श्रेय नहीं लेने देना चाहती.

हरियाणा में जाटों का बड़ा महत्व

हरियाणा में लगभग एक चौथाई आबादी जाटों की है. हरियाणा की राजनीति में जाटों का दबदबा काफी ज्यादा है. पिछले लोकसभा और उसके बाद विधानसभा के चुनावों में भी अधिकांश जाटों ने मोदी लहर पर सवार होकर बीजेपी के पक्ष में अपना समर्थन जताया था. लेकिन, वहां मुख्यमंत्री एक गैर-जाट मनोहर लाल खट्टर को बना दिया गया.

जाट आंदोलन के दौरान जिस तरह खट्टर सरकार का व्यवहार था, उसको लेकर भी जाटों में काफी नाराजगी रही है. बीजेपी के कई प्रदेश स्तर के नेताओं की तरफ से भी इन चार सालों में की गई बयानबाजी से जाटों के एक तबके में रोष भी है. अब बीजेपी की कोशिश पिछली बार की तरफ फिर से जाटों को साधने की है. सर छोटूराम के नाम पर बीजेपी की कोशिश इसी रणनीति का हिस्सा लग रही है.

 

5 में से 4 राज्यों में जीतेगी कांग्रेस और 2019 बसपा और स्पा महागठबंधन में शामिल होंगे: मोइली


मोइली ने कहा कि प्रस्तावित महागठबंधन लोकसभा चुनावों के लिए बनना है, राज्य विधानसभा चुनावों में नहीं. उन्होंने कहा कि राज्य के चुनावों में पार्टियों की अपनी बाध्यताएं होती हैं


वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एम वीरप्पा मोइली ने मंगलवार को कहा कि अगले लोकसभा चुनाव में बीजेपी नीत एनडीए के खिलाफ विपक्षी दलों के महागठबंधन में एसपी और बीएसपी भी शामिल होंगे. मोइली ने यह दावा भी किया कि कांग्रेस उन पांच में से कम से कम चार राज्यों में जीतेगी जहां अगले दो महीने में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं.

पूर्व केंद्रीय मंत्री के बयान से पहले एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पिछले सप्ताह कहा था कि उनकी पार्टी मध्य प्रदेश में गठबंधन पर कांग्रेस के फैसले का अब और इंतजार नहीं करेगी. उन्होंने संकेत दिया था कि वह मायावती की अगुवाई वाली बीएसपी से गठजोड़ कर सकते हैं.

इससे कुछ दिन पहले ही मायावती ने राजस्थान और मध्य प्रदेश में मुख्य विपक्षी कांग्रेस के साथ विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव पूर्व गठबंधन की संभावना को खारिज कर दिया था.

मोइली ने कहा कि प्रस्तावित महागठबंधन लोकसभा चुनावों के लिए बनना है, राज्य विधानसभा चुनावों में नहीं. उन्होंने कहा कि राज्य के चुनावों में पार्टियों की अपनी बाध्यताएं होती हैं.

लोकसभा चुनाव तक बन जाएगा महागठबंधन

कांग्रेस नेता ने कहा कि हमारी प्रमुख इच्छा लोकसभा चुनाव में विपक्ष को एकजुट देखने की है और हमें उम्मीद है कि इस लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे. उन्होंने विश्वास जताया कि बीएसपी और एसपी इस महागठबंधन का हिस्सा बनेंगे.

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में वोटों का ध्रुवीकरण कांग्रेस और बीजेपी के बीच होगा. उन्होंने कहा कि राजस्थान में कांग्रेस ही जीतेगी और मध्य प्रदेश में भी वह बीजेपी से आगे चल रही है.

मोइली ने कहा, छत्तीसगढ़ में 50-50 की स्थिति है. वहां (परिणाम) हमारे चुनाव प्रबंधन, उम्मीदवारों के चयन पर निर्भर करेगा. मिजोरम में हम जीतेंगे. उन्होंने यह दावा भी किया कि उनकी पार्टी तेलंगाना में तेलुगु देशम पार्टी, सीपीएम और अन्य विपक्षी दलों के साथ गठबंधन बनाएगी.

महागठबंधन के प्रधानमंत्री पद के दावेदार के सवाल पर मोइली ने कहा कि संभवत: यह मुद्दा नहीं उभरेगा क्योंकि प्रस्तावित गठजोड़ में कोई पार्टी इस पर जोर नहीं देगी.

मोदी टीवी पर इतना क्यूँ दीखते हैं


सेल्फ गोल में माहिर खिलाड़ी राहुल गाँधी कि एक और बेक किक

पीएम की मार्केटिंग उनके उद्योगपति मित्र कर रहे हैं जिन्हें पीएम करोड़ों रुपए देते हैं

और जब राहुल गाँधी टीवी पर दिखाई देते हैं तब उनकी मार्केटिंग के लिए टीवी को पैसे कौन देता है?


चुनाव आयोग द्वारा पांच राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम के चुनावों की तारीखों की घोषणा कर दी गई है. इसी क्रम में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दो दिनों की राजस्थान यात्रा पर हैं. राहुल गांधी ने राजस्थान के बारी में आज एक जनसभा को संबोधित किया और बीजेपी पर जमकर हमला बोला.

राहुल गांधी ने कहा कि- मोदी जी 24 घंटे टीवी पर आते रहते हैं. उनके पोस्टर हर जगह दिखाई देते हैं. कोई भी टीवी पर फ्री में नहीं दिख जाता. अगर ऐसा होता तो हर कोई टीवी पर दिखाई दे रहा होता. मार्केटिंग के लिए करोड़ों रुपए लगते हैं. और पीएम की मार्केंटिंग उद्योगपतियों द्वारा की जा रही है जिन्हें पीए करोड़ों रुपए दे रहे हैं.

इससे पहले धौलपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा, ‘पीएम मोदी ने किसानों और गरीबों की जेब से 45 हजार करोड़ रुपए निकालकर अनिल अंबानी को दे दिए. मैंने संसद में पूछा कि पीएम ने उन्हें कॉन्ट्रैक्ट क्यों दिया?’

राहुल ने कहा, ‘मैंने पीएम की आंखों में देखकर सवाल किया लेकिन वह इधर-उधर देखते रहे. पूरे देश ने देखा कि पीएम देश के युवा से नजरें नहीं मिला सकते.’ उन्होंने कहा, ‘आप लोग सेल्फी लेते हैं लेकिन जब फोन पलटकर देखते हैं तो उस पर मेड इन चाइना लिखा होता है. मैं चाहता हूं कि उस पर मेड इन धौलपुर लिखा हो, मेड इन राजस्थान लिखा हो, मेड इन जयपुर लिखा हो.’

राहुल ने यह भी कहा, ‘मैं चाहता हूं कि जब कोई चीन में सेल्फी ले तो वह पूरी दुनिया को दिखा सके कि फोन के पीछे मेड इन धौलपुर लिखा है. इससे विदेशी लोगों के मन में धौलपुर के बारे में जानने की इच्छा होगी. वो टूरिस्ट के रूप में यहां आएंगे. आपकी जेब में पैसा होगा और हम उन्हें दोबारा फ्लाइट से वापस भेज देंगे.’

चुनाव आयोग पर दलित नायक खड्गे का गुस्सा फूटा

खड्गे का फाइल फोटो


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘जो भी उपचुनाव में उम्मीदवार होंगे उन्हें सिर्फ 5-6 महीने के मौजूदा लोकसभा के कार्यकाल के लिए चुनाव का भारी-भरकम खर्च वहन करना होगा’

आचार संहिता के बहाने अब सरकारी मशीनरी को कुछ दीं और आराम के मिल जायेंगे


कर्नाटक के 3 संसदीय क्षेत्रों में उपचुनाव की घोषणा को लेकर चुनाव आयोग कांग्रेस के निशाने पर आ गया है. पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि चुनाव आयोग ने बिना राज्य सरकार को भरोसे में लिए उपचुनावों के तारीखों की घोषणा की.

उन्होंने आयोग के निर्णय की आलोचना करते हुए कहा, ‘जो भी उपचुनाव में उम्मीदवार होंगे उन्हें सिर्फ 5-6 महीने के मौजूदा लोकसभा के कार्यकाल के लिए चुनाव का भारी-भरकम खर्च वहन करना होगा.’

खड़गे ने कहा, ‘वो (चुनाव आयोग) इसे रोक सकते थे लेकिन उन्होंने पहले भी ऐसा किया है, वो जब चाहते हैं तब चुनाव की तारीखें टाल देते हैं या उसे घोषित समय से पहले कर देते हैं. कुछ क्षेत्र सूखे की चपेट में हैं, कुछ बाढ़ की विभीषिका झेल रहे हैं. अब आचार संहिता लागू हो जाने के कारण यहां किसी तरह का काम नहीं हो सकेगा.’

बता दें कि चुनाव आयोग ने शनिवार को मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही कर्नाटक की तीन संसदीय क्षेत्रों (शिमोगा, बेल्लारी और मांडया) में भी उपचुनाव की तारीखों का ऐलान किया था.